कमसिन कलियाँ compleet

User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--16

गतान्क से आगे..........

राजेश: बेटा…देखो कितने सेक्सी तरीके से मैनें तुम्हारे कपड़े तुम्हारे जिस्म से अलग कर दिए। अब इसी तरह तुम मेरे कपड़े भी उतार दो…

टीना: (थोड़ा सकुचाते हुए) पापा प्लीज आप ही उतार लो… (और कह कर अपने बालरहित कटिप्रदेश को हाथों से ढकने की नाकाम चेष्टा करती है)

राजेश: न बेटा… यह तुम्हें करना है। हाँ जो तुम ढकने की कोशिश कर रही हो उस को मै अपने हाथों से ढक देता हूँ…(कहते हुए अपनी एक हथेली टीना की नग्न योनि पर रख देता है)

(टीना धीरे से राजेश के शर्ट के बटन खोलती है। राजेश अपनी शर्ट को उतार फेंकता है। उसकी बालिष्ट छाती पर टीना प्यार से अपनी कोमल उंगलियों को फिराती है। फिर वह बेल्ट को ढीला करके राजेश की पैन्ट की जिप को खोलती है। पैन्ट ढीली हो कर कमर से सरक कर जमीन पर आ जाती है। अब टीना के हाथों का निशाना राजेश के वी-शेप जांघिया पर है और एक झटके के साथ उसे भी शरीर से अलग कर देती है। दोनों थोड़ा सा हट कर एक दूसरे का नग्न जिस्म को अपनी-अपनी आँखों से पीते है।)

टीना: आपके…(लिंग की ओर इशारा करते हुए) ल्ड क्या हुआ है। यह ऐसे कैसे लटका हुआ है… पहले तो यह इतना कठोर होता था।

राजेश: बेटा इसको ल्ड नहीं लंड या लौड़ा कहते है। इस बेचारे की हालत तुम्हारी वजह से ऐसी है। आज सारे दिन यह सिर्फ तुम्हारे नीचे वाले मुख में विराजमान होना चाह रहा था परन्तु तुम इतनी कठोर हो गयी तो इसकी सारी कठोरता समाप्त हो गयी है।

टीना: पापा छोड़िए सब कुछ्…आइए हम अपना रूटीन करते है। बताइए क्या करना है।

राजेश: बेटा…सब से पहले हम लूजनिंग एक्सरसाइज करेंगें… जा कर बेड पर सीधी हो कर लेट जाओ और अपने जिस्म को उपर लगे हुए आईने में निहारों। (टीना के नग्न कमसिन जिस्म को सहलाते हुए) …बेटा तुम बिल्कुल अजन्ता की मुर्ती दिखती हो…

(टीना सामने पड़े किंग साइज बेड पर जा कर लेट जाती है। उपर लगे हुए मिरर में अपने उमड़ते हुए यौवन को निहारती है। पुष्ट सीने पर ताज की तरह गुलाबी चूचियाँ एक अजीब सी अकड़न के कारण तड़क रही है। टीना की मासूम आँखों में एक बार फिर से लाल-लाल डोरे तैरने लगते है। अजीब बैचैनी और कश्मकश में टीना अपनी आँखे मूंद लेती है। छातियों की घुन्डियों मे से करन्ट फिर से प्रावाहित होना शुरु कर देता है। राजेश की निगाह कटिप्रदेश पर पड़ती है तो चूत की दो फांकों के बीच से लाल घुन्डी अपना मुख बाहर निकालती हुई दिखाई देती है।)

राजेश: (अपनी उँगली से बाहर झाँकती हुई घुन्डी पर वार करता हुआ) टीना… तुम्हारी क्लिट मेरे लौड़े को ढूँढ रही है…तुम्हारी चूत इसको पूरा निगलना चाहती है…

टीना: नहीं पापा…यह सब गलत है…

(राजेश अपने हाथों में टीना का चेहरा ले कर, बड़े प्यार से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। इस खेल में पूर्णतः निपुण टीना के होंठ थोड़े से अपनेआप खुल जाते है। उसी क्षण राजेश के होंठ टीना के निचले होंठ को अपने कब्जे मे ले लेते है और धीरे-धीरे निचले होंठ को चूसना शुरु कर देता है और बीच-बीच में अपनी जुबान टीना के उपरी होंठ पर फिराता है।टीना अपने आपे में नहीं रह पाती और अपने होठों को पूरा खोल देती है पर राजेश टीना से अलग हो जाता है। टीना आँखे मूंदें अपने झोंक में राजेश के होंठों को छूने के लिये आगे को झुकती है पर कुछ न पा कर आँखें खोलती है तो राजेश से आँख मिलते ही झेंप जाती है।)

राजेश: बेटा… यह वो आग है जिसमें मै इतने सालों से झुलस रहा हूँ… और तुम हो कि…

टीना: (अन्दर लगी हुई आग में बेचैन होते हुए) पापा…

(टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से उसे अपने नीचे ले लेता है। दोनों की दिल की धड़कने बड़ने लगती हैं क्योंकि अब दोनों के गुप्तांग अपने-अपने दिमाग से सोच रहें है। टीना के स्तन राजेश के सीने में गड़ जाते है और नीचे से लिंगदेव भी हरकत में आ कर बहती हुई योनिद्वार पर ठोकर मारते है। बार-बार राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर और कभी ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर फनफनाते हुए एक आँख वाले अजगर के एहसास ने टीना को विचलित कर रखा है। राजेश धीरे से पंखुडी से होठों पर अपने होंठों से लगातार प्रहार करता है। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर आ कर रुक जाता है। इधर टीना भी उत्तेजना की चरम सीमा पर पहुँचने को हो रही है, कभी गुदगुदी का एहसास, कभी शरीर मे सिहरन, कभी अनजानी राह की अनिश्चितता, और इन सब में धीमी आँच मे जलता हुआ उसका कमसिन बदन राजेश के फौलादी जिस्म के नीचे दब कर तड़प रहा है।)

राजेश धीरे से लाल हुए मुकुट मटर को अपनी उँगली से छेड़ देता है। टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

राजेश: बेटा तुम्हारी चूत को अपनी आग ठंडी करने के लिए मेरा लंड चाहिए… इस वक्त तुम्हारी…चूत को एक सख्त हथौड़े…नहीं लौड़े की जरुरत है। क्या कहती हो…चाहिए कि नहीं?

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह.... (योनिद्वार के मुहाने पर लिंगदेव के फूले हुए सिर को महसूस करती हुई) प…आपा… यह गलत…है

राजेश: (अपना पैंतरा बदलते हुए) बेटा यह गलत नहीं है…हम एक्सरसाइज कर रहें…हमारे शरीर में टाक्सिन बन रहें है…इसमें क्या गलत है। जब तुम बीमार होती हो तब तुम्हें दवाई पीनी पड़ती है या उसका इन्जेक्शन लगता है… तुम मेरे बनाए गए टाक्सिन बहुत बार अपने मुख से ले चुकी हो…परन्तु जो आग तुम्हारे अन्दर भड़क चुकी है उसके लिए इन्जेक्शन जरूरी है… तो इसमें क्या गलत है।

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह....हम एक्सरसाइज कर रहें है।

राजेश: हाँ… और क्या कर रहें है…

(राजेश का एक हाथ एक बार फिर से टीना की गोरी पहाड़ियों के मर्दन में और उसका मुख गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। हल्के हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, कुछ दबाते हुए और अपने हथियार को बेरोकटोक योनिच्छेद पर घिसते हुए राजेश पूरी हरकत मे आ गया है। अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से उत्तेजना से बेबस टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लिंग को ढकेलता है। एक हल्की सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को चिपट जाती है।)

टीना: पा .उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....

राजेश: बेटा…(टीना के थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमता हुआ और दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों को सहलाते हुए कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए टीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।)

राजेश: टीना अब आगे बढ़ा जाए…

टीना: हुं….उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(राजेश बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलता है और अपनी उँगलियों जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करता है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़ी हुई घुन्डी पर जा टिकती है।)

टीना: .उई...माँ….पअ.पा.……उफ.उ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से सिर उठाती हुई घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों से टीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है। नये उन्माद में टीना की सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (टीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) टीना…टीना…

टीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं…

राजेश: क्या हुआ…अब कैसा लग रहा है?

टीना: हुं…(एक सिसकारी भरती हुई)…ठीक हूँ…

(एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निप्पल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है। राजेश अपने तन्नायें हुए हथियार को मुठ्ठी में लेकर धीरे से एक-दो बार हिलाता है और फिर टीना की चूत पर टिका देता है। लोहे सी गर्म राड का एहसास होते ही टीना के मुख से एक सिसकारी निकल जाती है। राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपने फनफनाते हुए अजगर से रगड़ता है और फिर धीरे-धीरे रगड़ाई की लम्बाई बढ़ाता है)

टीना: (आँखें मूदें महसूस करती हुई कि एक गर्म सलाख सिर उठाती घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद को छेड़ते हुए नीचे की ओर बड़ती हुई नितंबों के बीच में छुपे हुए छिद्र पर जा कर टिक गयी और जैसे ही वापस होने को हुई)…उ.उई...पापा.उ… उक.……उफ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से टीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। घुन्डी के उपर लिंगदेव का घिसाव अन्दर तक टीना को विचलित कर देता है। राजेश तन्नाये हुए लिंगदेव को टीना की चूत के अन्दर डालने का प्रयास करता है और उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है।)

राजेश: टीना… आज तुम्हारी पहली बार है…याद है कि पहली बार तुम्हें इन्जेक्शन लगा था तो बहुत दर्द हुआ था परन्तु बाद में सब ठीक हो गया था…अपने आप को ढीला छोड़ दो और मेरे लंड को अपने भीतर जाते हुए मह्सूस करो…

(राजेश प्यार से संतरे की फाँकों को खोल कर घुन्डी को दबाते हुए सरकते हुए योनिच्छेद के मुख पर लगा कर अपने कड़कते हुए लंड को धीरे से ठेलता है। संकरी और गीली जगह होने की वजह से फुला हुआ कुकुरमुत्तेनुमा लाल सुपाड़ा फिसल कर जगह बनाते हुए कमसिन चूत के दोनों होंठों को खोल कर अन्दर घुस जाता है।)

टीना: …उ.उई.माँ..पाअ.…पा.……उफ...न्हई…आह.....

(टीना के स्तन को अपने मुख में भर कर राजेश रसपान करने मे लग जाता है। लिंगदेव अपना सिर अटकाए शान्ति से इन्तजार करते है कि अनछुई चूत इस नये प्राणी की आदि हो जाए। राजेश के धीरे-धीरे आगे पीछे होने से सिर का घिसाव अन्दर तक टीना को विचलित कर देता है। इधर चूत मे फँसे हुए लिंगदेव अपने सिर की जगह बन जाने के बाद और अन्दर जाने मे प्रयासरत हो जाते है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती टीना अपने होंठ काटती हुई कसमसाती है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लौड़ा प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन को खोलता हुआ और टीना के कौमर्य को भंग करता हुआ जड़ तक जा कर अन्दर फँस जाता है। टीना की आँखें खुली की खुली रह गयी और मुख से दबी हुई चीख निकल गयी।)

टीना: उ.उई.माँ..उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…टीना…ना

टीना: पापा निका…उ.उई.माँ..अँ.उफ…मररगय…यईई…निक्…उफ..लि…ए…आह..ह..ह.

राजेश: शश…श…बस अब सारा कष्ट खत्म, बस आगे आनंद ही आनंद…।

(टीना की चूत ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। चूत की गहराई नापने की कोशिश मे टीना की चूत में कैद राजेश का लंड भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह निचुड़ा हुआ पा रहा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने टीना के गोल सुडौल नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है। एक तरफ लंड का फूला हुआ नंगा सिर टीना की बच्चेदानी के मुहाने पर चोट मार कर खोलने पर आमादा हो जाता है और फिर वापिस आते हुआ कुकुरमुत्ते समान सिर छिली हुई जगह पर रगड़ मारते हुए बाहर की ओर आता। धीरे से बाहर खींचते हुए जैसे ही लंड की गरदन तक निकलता, एक बार फिर से उतनी ही स्पीड से अन्दर का रास्ता तय करता। टीना की चूत भी अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गयी है।)

राजेश: (गति कम करते हुए) टीना… बेटा अब दर्द तो नहीं हो रहा है…

टीना: हाँ …पापा बहुत दर्द हो रहा है…

राजेश: (रोक कर)… ठीक है मै फिर निकाल देता हूँ… (और अपने को पीछे खींचता है)

टीना: (अपनी टाँगे राजेश की कमर के इर्द-गिर्द कस कर लपेटते हुए) …न…हीं, अभी नही…

राजेश: अगर मजा आ रहा है तो …

टीना: पापा प्लीज्…

(ऐसे ही जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया। वह अपने आप को कंट्रोल मे करने के लिए एक पल के लिए रुक जाता है। वह टीना के जिस्म को सहलाते हुए अपनी उत्तेजना को काबू मे लाने की कोशिश करता है। कभी टीना के गुलाबी गालों को चूमता है और कभी अपने मुख मे भर कर चूसने मे लग जाता है। कभी वह कमसिन चूचियों को चूसता है और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है। इसी बीच टीना की कमसिन चूत मे एक बार भूचाल आता है और अपनी चूत को हिलाने की कोशिश करती है। परन्तु राजेश के नीचे दबी होने के कारण वह हिल नहीं पाती। राजेश उसके मचलते हुए जिस्म की आग को महसूस करते हुए एक बार फिर से धीरे-धीरे धक्के लगाना आरंभ कर देता है। अबकी बार टीना मस्ती मे राजेश का साथ देने लगती है। धक्कों का सिलसिला अब धीरे-धीरे जोर पकड़ने लगता है और एक वक्त ऐसा आता है कि दोनों अपनी आग बुझाने के लिए तड़प उठते है। राजेश अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार करता है। नौ इंची का अजगर अपनी जगह बनाते हुए बच्चेदानी का मुख खोल कर गरदन तक जा कर अन्दर धँस जाता है। इस वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पाती और मीठी सी पीड़ा और रगड़ की जलन आग मे घी का काम करते हुए धनुषाकार बनाती हुई टीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है और राजेश के लंड को जकड़ कर झट्के लेते हुए दुहना शुरु कर देती है। हर्षोन्मत्त टीना की आँखों के सामने तारे नाँचने लगते हैं। राजेश को इसका एहसास होते ही उसका लंड भी सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके अपने मुख से लावा उगलना शुरु कर देता है। टीना की चूत को अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद भी राजेश अपने लंड को फँसाये रखता है और नई-नवेली संकरी चूत का कुछ देर लुत्फ लेता है। राजेश बड़े प्यार से टीना को चूमता है। टीना शिथिल अवस्था मे उसके नीचे दबी पड़ी हुई है। एक बार फिर से राजेश दो चार धक्के देकर अपने ढीले पड़ते हुए लंड को जगाने की कोशिश करता है लेकिन हारे हुए सैनिक की तरह उसका लंड शहीद हुए सैनिक की तरह अपने आप बाहर सरक कर निकल आता है। लंड के निकलते ही, टीना की चूत से प्रेमरस धीरे से रिसता हुआ नीचे बिछी हुई सफेद बेड-शीट पर हल्के गुलाबी रंग से टीना के प्रथम एकाकार की कहानी लिखता हुआ प्रतीत होता है।)

राजेश: (गालों को सहलाते हुए) टीना…टीना…

टीना: (कुछ क्षणों के बाद)….गअँ.न्ई…आह..... (अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…

राजेश: (टीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) क्या हुआ टीना…।

टीना: (पल्कें झपकाती हुई) कुछ नहीं पापा, साँस घुटती हुई लगी और मेरी आँखों के आगे अंधेरा छा गया।

राजेश: इस स्तिथि को सातवें आसमान पर कहते हैं।

टीना: (खुश हो कर) अच्छा…

राजेश: (अपने सीने से लगाते हुए) जो लड़की बहुत कामुक, संवेदनशील और रोमांटिक प्रवऋत्ति की होती हैं वही इस स्तिथि का बोध कर पाती है। टीना तुम तो गजब हो… क्या एक बार फिर से…।

टीना: नहीं पापा…कुछ देर के बाद। अभी बहुत दुख रहा है…

राजेश: बेटा तुम जरा थोड़ी देर ऐसे ही लेटी रहोगी तो सब कुछ जम जाएगा। ऐसा करो कुछ तकलीफ़ तो होगी परन्तु तुम्हारी चूत को इससे बहुत फायदा होगा अगर तुम पालथी मार कर बैठ जाओ…

टीना: अच्छा… पर आप मेरी मदद करो क्योंकि मुझसे हिला भी नहीं जा रहा है।

(राजेश धीरे से टीना को बैठाता है और फिर दोनों पाँवों को पकड़ कर पालथी मारता है। जैसे ही पाँव मोड़ता है टीना के मुख से चीख निकल जाती है। लेकिन पालथी मारते ही की चूत की अधखुली सुरंग पूरी तरह खुल जाती है और गाड़े गुलाबी रंग का प्रेमरस उबल कर बेड-शीट को रंगता हुआ सारी ओर फैल जाता है।)

टीना: (घबराहट में) पापा…यह क्या हुआ…यह खून कैसा…

राजेश: बेटा घबराने की कोई बात नहीं है। यह हमारे पहले एकाकार की कहानी है…अब कैसा लग रहा है।

टीना: हाँ…अब दर्द कम हो गया है…

राजेश: बेटा तुम इस तरफ आ कर लेट जाओ और आराम करो…मै यह चादर बदल देता हूँ।

(राजेश यह कहते हुए उठता है और एक नयी चादर लेने के लिए अलमारी की ओर बढ़ जाता है। टीना बेड पर से उतर कर सोफे के पास आ कर खड़ी हो जाती है। अभी भी प्रेमरस धीरे से रिसते हुए टीना की जांघ पर आकर सूख गया है। राजेश रंगी हुई चादर को निकाल देता है और एक नयी सफेद चादर बिछा देता है। राजेश अपनी बाँहों मे टीना को उठाता है और फिर धीरे से ला कर उसे बेड पर लिटा देता है।)

राजेश: बेटा तुम आराम कर लो मै कुछ तुम्हारे लिए एनर्जी ड्रिंक और खाने के लिए सनैक्स ले कर आता हूँ।

(राजेश यह कहते हुए बाहर रसोई में जाता है। टीना को थकान की वजह से नींद आ जाती है। रसोई से राजेश अपने हाथ में गर्म दूध लिए बेडरूम में आता है। कुछ देर पूर्व हुई काम क्रीड़ा के पश्चात, सामने पूर्णता निर्वस्त्र टीना बेड पर गहरी नींद में सो रही है। उसके चेहरे पर संतुष्टि की आभा है और होंठों पर चिरपरिचित मुस्कुराहट जो उसके हुस्न को चार चाँद लगा रही है। धीरे से राजेश बेड के सिरहाने आ कर खड़ा हो जाता है।)

राजेश: टीना…टीना बेटे…

टीना: (अधखुली आँखों से) हूँ…

राजेश: बेटा उठ कर दूध पी लो…

टीना: (नींद में बुदबुदाते हुए)…नहीं, मुझे नहीं पीना…सोने दिजीए (कहते हुए करवट बदलती है और पीठ कर के फिर से सो जाती है)

राजेश: (सिरहाने रखी साइड टेबल पर गिलास रखता है और टीना के साथ लेट कर टीना को अपनी ओर घुमाता है) बेटा… उठो, यह दूध इस वक्त पीने से शरीर के लिए बहुत लाभदायक है। उठो…(जबरदस्ती पकड़ कर टीना को बैठाता है)…

टीना: पापा…(कुनमुनाते हुए दूध पीती है। अचानक अपनी नग्नता का आभास होते ही हाथ मे थामा गिलास छलक जाता है और थोड़ा सा दूध टीना के नग्न सीने से बहता हुआ नाभि और फिर उसके नीचे कटिप्रदेश से होता हुआ चादर पर टपक जाता है)…ओह शिट……सौरी

राजेश: (टीना के कंधे को पकड़ कर)…क्या हुआ…

टीना: (कुछ देर पहले का घमासान एक चलचित्र की भाँति कुछ क्षणों में आँखों के सामने से गुजर जाता है) …पापा (कहते हुए राजेश से शर्मा कर लिपट जाती है)।

राजेश: अब कैसा लग रहा है… दर्द तो नहीं है।

टीना: (गरदन हिला कर मना करते हुए) इतना नहीं…परन्तु नीचे हल्की सी पीड़ा हो रही है।

राजेश: कहाँ पर भीतर या बाहर…

टीना: भीतर…(अपनी उँगलियों से महसूस करती हुई)

राजेश: बेटा…(टीना के उँगलियों को रोकते हुए)…अब हम दोनों का टाक्सिन तुम्हारे अन्दर मिल गया है (अपनी एक उँगली से योनिमुख को सहलाता हुआ) अब तुम बड़ी हो गयी हो क्योंकि तुम्हारी चूत मेरा पूरा लंड निगल गयी थी।

टीना: अब मै बड़ी हो गयी हूँ…पापा मेरी चूत में कुछ हो रहा है

राजेश: बेटा यह आग की जलन है। अभी आग पूरी तरह से बुझी नहीं है और अगर जल्दी से तुमने मेरे लंड को नहीं निगला तो यह आग फिर से भड़क जाएगी…(कहते हुए अपनी लुंगी खोल कर पास ही फेंक देता है)

(यह कहते हुए राजेश ने टीना को एक बार फिर से बेड पर लिटा कर उसके नग्न जिस्म को अपने जिस्म से ढक देता है। राजेश धीरे से अपने होंठ टीना के होठों पर रख देता है और धीरे से अपनी जुबान का अग्र भाग टीना के निचले होंठ पर फिराता है। टीना भी इस खेल में राजेश का साथ भरपूर देती है)

राजेश: बेटा…जब मेरा लंड तुम्हारी चूत के मुहाने पर दस्तक देता है तो तुम्हारी आग से बेचारा झुलस जाता है…

टीना: पापा…

(टीना की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से अपने नीचे लेता है। टीना के उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर कर मसकता है। राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर महसूस करते हुए टीना अधिक उत्साह से अपनी टांगों को राजेश की कमर पर लपेट देती है। भावतिरेक हो कर राजेश का लंड अपना भयावह रूप धारण कर लेता है और टीना की ज़ाँघो के अन्द्रुनी हिस्सों पर से सरकता हुआ चूत के मुहाने पर जा कर ठोकर मारता है। राजेश धीरे से पंखुड़ियों से होठों पर अपने होंठों से लगातार उनका रस निचोड़ता है। थोड़ा रुक कर, फिर गले से होता हुआ दो हसीन पहाड़ियॉ के बीचोंबीच बनी खाई पर अपने होंठों की मौहर अंकित करता है। इधर टीना भी उत्तेजना में अपना सिर इधर-उधर पटकती है।)

क्रमशः

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--17

गतान्क से आगे..........

टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

राजेश: बेटा…तुम्हारी चूत को मेरा लंड चाहिए… इस वक्त तुम्हारी…चूत को मेरे लौड़े की जरुरत है।

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह.... (योनिद्वार के मुहाने पर राजेश के चिरपरिचित लंड के फूले हुए सुपाड़े को महसूस करती हुई) प…आपा… जल्दी से डालो न…

राजेश: (अपना पैंतरा बदलते हुए) बेटा…इस आग को और भड़कने दो…

टीना: पा…अ.उउआ.पाआह....प्लीज (अपनी चूत से टटोलते हुए नीचे से राजेश के लंड पर दबाव बना कर अन्दर डालने की चेष्टा करती है)

राजेश: क्या कर रही हो…टीना…(थोड़ा सा पीछे हटते हुए परन्तु टीना की टांगों से जकड़े होने के कारण टीना भी खिंचती हुई पीछे हो गयी)

(राजेश का एक हाथ एक बार फिर से टीना की गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाते है। कभी पूरा स्तन अपने मुख मे भर कर निचोड़ता है और कभी स्तन पर विराजमान अंगूर के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसता है। हल्के हाथ से नग्न नितंबो को सहलाते हुए, फिर कुछ दबाते हुए और अपने लंड के सुपाड़े को बेरोकटोक चूत के मुहाने को खोल कर सिर उठाये बीज पर घिसता है)

टीना: (एक्साइट्मेंट में चीखते हुए) पा…अ.उउआ.पाआह....प्लीज

(अब राजेश से भी नहीं रुका जा रहा। उसका लंड भी अकड़ कर अपनी लार टीना के चूत के मुहाने पर टपकाने लगा है। राजेश अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से टीना का बायां पाँव उपर उठा कर अपने लंड को अन्दर की ओर ढकेलता है। जैसे ही लंड का पुरा सुपाड़ा सरक कर चूत के मुहाने में जाता है, एक लम्बी सी सिसकारी के साथ टीना कस के राजेश को जकड़ लेती है।)

टीना: .उउआ.पाआह...पा.उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...आह.....

राजेश: बेटा…(टीना के थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमता हुआ और दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों को सहलाते हुए कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे घुन्डियों को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए टीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।)

टीना: (मस्ती भरी अवाज में) हुं….उई....अ.आ...क.…उ.उ.उ.ल..न्…हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगलियों से टीना की गाँड के छिद्र को टटोलता है और अपनी उँगली को मुहाने पर रख दबाव डालता है। इस वार से अचकचा कर टीना हड़बड़ा कर आँखे खोलती हुई उठने की कोशिश करती है। राजेश एक झटके से अपनी उँगली वहाँ से हटा लेता है।)

टीना: .उई...माँ….पअ.पा.……उफ.उ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली टीना के होंठों पर फिराता है। हर्षोन्मत्त हुई टीना अपने होंठों को थोड़ा सा खोल देती है। राजेश अपनी उंगली टीना के होंठों पर फिरता हुआ मुख के भीतर डाल कर जुबान से छेड़छाड़ शुरू करता है। राजेश की उंगली को लेकर टीना अपनी जुबान से खेलती हुई चूसती है। नये उन्माद में टीना की सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (टीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) टीना…टीना…

टीना: (अपने कुल्हे को जोर से राजेश की ओर धक्का देते हुए ) हुं…आहह

राजेश: (थोड़ा सा लंड को भीतर करते हुए)…अब कैसा लग रहा है?

टीना: हुं…(एक सिसकारी भरती हुई)…बहुत अच्छा……(आँखें मूदें महसूस करती हुई कि एक गर्म सलाख अन्दर धँसती जा रही है। राजेश एक बार फिर से अपनी उँगली से नितंबों के बीच में छुपे हुए छिद्र के मुख पर जा कर टिका देता है)…उ.उई...पापा.उ… उक.……उफ.उ...न्हई…आह.....

(राजेश अपनी जुबान से टीना के होंठों को खोल कर उसके गले की गहराई नापता है। राजेश अपने तन्नाये हुए लंड को टीना की संकरी चूत में तीन-चौथाई धँसा देता है। कुकुरमुत्ते सा फूला हुआ सुपाड़ा बच्चेदानी के मुख पर आ कर रुक जाता है। उत्तेजना में तड़पती टीना के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है और अपनी उंगली गाँड के मुहाने पर फिरा रहा है।)

टीना: …उ.उई.माँ..पाअ.…पा.……उफ...न्हई…आह.....

(टीना के स्तन को अपने मुख में भर कर रसपान करता है। राजेश अपने लंड को अन्दर धँसा कर शान्ति से इन्तजार करता है। उधर उत्तेजना और मीठे से दर्द में तड़पती टीना अपने होंठ काटती हुई कसमसाती है। बार-बार हल्की चोट मारते हुए राजेश जगह बनाते हुए एक भरपूर धक्का लगाता है। आग में तपता हुआ लौड़ा प्रेम रस से सरोबर सारे संकरेपन को खोलता हुआ जड़ तक धँस कर फँस गया है। टीना की आँखें खुली की खुली रह जाती है और मुख से दबी हुई चीख निकल जाती है।)

टीना: उ.उई.माँ..उफ…मररउक.…गय…यईई…उफ..नई…आह..ह..ह.

राजेश: (पुरी तरह अपने लिंग को जड़ तक बिठा कर) शश…शशश्…टीना…ना

(टीना की चूत ने भी राजेश के लिंग को अपने शिकंजे मे बुरी तरह जकड़ रखा है। चूत की गहराई नापने की कोशिश मे टीना की चूत में कैद राजेश का लंड भी अपने फूले हुए सिर को पूरी तरह निचुड़ा हुआ पा रहा है। क्षण भर रुक कर, राजेश ने टीना के नितंबो को दोनों हाथों से पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर अपना वार शुरु करता है। एक तरफ लंड का फूला हुआ नंगा सिर टीना की बच्चेदानी के भीतर जा कर फँस जाता है और दूसरी ओर गाँड के छिद्र के मुहाने को खोल कर राजेश की उँगली पूरी अन्दर तक धँस जाती है। धीरे से बाहर खींचते हुए जैसे ही लंड गरदन तक बाहर आता है, एक बार फिर से दुगनी स्पीड से अन्दर का रास्ता तय करता। ऐसा करते हुए राजेश गाँड में फँसी हुई उँगली को भी अन्दर-बाहर करते हुए छिद्र का मुख खोलता है। टीना की चूत और गाँड अब इस प्रकार के दखल की धीरे-धीरे आदि हो गये है)

राजेश: (गति बढ़ाते हुए) टीना……

टीना: हाँ…पापा प्लीज्…

(काफी देर तक ऐसे ही जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे ज्वालामुखी फटने को तैयार हो गया और धीरे-धीरे वह अपनी चरम सीमा पर पहुँच चुका है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी दोहरा वार करता है। इक तरफ अपने लंड के सुपाड़े को बच्चेदानी का मुख खोल कर भीतर फँसा देता है और दूसरी तरफ अपनी उँगली को कड़ा करके टीना की गाँड में पूरा धँसा देता है। इस दो तरफा वार को टीना बरदाश्त नहीं कर पाती और धनुषाकार बनाती हुई टीना की चूत झरझरा कर बहने लगती है। टीना की चूत झट्के लेते हुए राजेश के लंड को दुहना शुरु कर देती है। राजेश का लंड सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके टीना की बच्चेदानी मे लावा उगलना शुरु कर देता है। टीना की चूत को अपने प्रेमरस से लबालब भरने के बाद राजेश बड़े प्यार से टीना को चूमता है)

राजेश: (गालों को सहलाते हुए) टीना…टीना…

टीना: (कुछ क्षणों के बाद)…..न्ई…आह...(अपनी आँखें खोलती हुई) पापा…

राजेश: (टीना के सिर को सहारा दे कर उठाते हुए) टीना…क्या एक बार फिर सांतवें आसमान का चक्कर लगाने चली गयी थी।

टीना: पापा…मेरे अच्छे पापा… मुझे ऐसा लगा कि मै आसमान में उड़ रही हूँ…

राजेश: (टीना के उपर से हटते हुए)…बेटा तुम्हारा जिस्म मेरा था और आज से मेरा ही हो कर रहेगा…तुम्हारी आग को बुझाने के लिए यह (प्रेमरस से नहाए हुए लिंगदेव को हिलाते हुए) हमेशा तैयार खड़ा हुआ मिलेगा।

टीना: पापा… आपसे अच्छा कोई नहीं (कहते हुए राजेश के होंठ चूम लेती है)

राजेश: बेटा…तुम्हारे दो मुख तो मेरा लंड निगल चुके…अब तीसरे मुख की बारी है। (अपनी उँगली को टीना की गाँड के छिद्र पर फिराते हुए)…इस का कब उद्घाटन करना है…

टीना: अभी नहीं… आपकी उँगली ने तो आज इसका उद्घाटन कर दिया है। फिर किसी और दिन यह आपके लंड को भी निगल जाएगी। अभी तो दूसरे मुख से काम चलाईए…

राजेश: आज मेरी उँगली अन्दर का जायजा ले कर आई है और इसके बाद मै ज्यादा इंतजार नहीं कर सकूँगा। कल इसका भी उद्घाटन कर देते है…

टीना: (राजेश के लंड को सहलाती हुई) पापा पहले इसको …छोड़िए भी…कर लेना…अच्छा अब मुझे प्यार करिए…(कहते हुए राजेश के साथ एक बेल की भाँति लिपट गयी)…

राजेश: (टीना को अपने आगोश में जकड़ कर) मेरा प्यारा बेटा…(कहते हुए टीना के होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले कर उनका रस सोखने में लग गया)

टीना: (गहरी साँस छोड़ते हुए) पापा…आपको करीना कैसी लगती है…

राजेश: (चौंकते हुए) इस वक्त ऐसा सवाल क्यों…

टीना: बताईए न…

राजेश: बहुत सुन्दर… मगर तुमसे ज्यादा नहीं।

टीना: थैंक्स पापा…

राजेश: (टीना के स्तन के साथ खेलते हुए) पर आज हमारे मिलन के क्षणों में करीना को क्यों याद कर रही हो…।

टीना: ऐसे ही…उसकी याद आ गयी…

राजेश: उसे देखता हूँ तो… (दरवाजे की घंटी बजती है। दोनों हड़बड़ा कर उठते है। जल्दी-जल्दी अपने-अपने कपड़े पहनते है।)

टीना: पापा…आप पैन्ट क्यों पहन रहे हो…सामने लुंगी पड़ी हुई है…

राजेश: (घबराहट में) सौरी बेटा…थैंक्स फ़ोर एड्वाईस (लुंगी बाँध कर दरवाजे की ओर बढ़ता है)

टीना: पापा… प्लीज मेरी ब्रा का हुक लगा दिजीए…

(राजेश वापिस आता है। हुक लगाते हुए घंटी एक बार फिर से बज उठती है। राजेश सब कुछ छोड़ कर दरवाजे की ओर भागता है और जा कर खोलता है। सामने करीना खड़ी हुई है)

राजेश: करीना इस वक्त… कैसे

करीना: नमस्ते (हल्के स्वर में) डार्लिंग… अंकल

राजेश: नमस्ते…(झेंपते हुए)

करीना: टीना है…मुझे कुछ उससे काम था…

राजेश: हाँ…आओ…(तभी टीना राजेश के बेडरूम से बाहर निकलती हुई)

टीना: हाय करीना…

करीना: (टीना की ओर जाते हुए) हाय… क्या बिजी है… तेरे को क्या हुआ

टीना: (झेंपती हुई) क्यों क्या हुआ…।

करीना: (मुस्कुराती हुई) बाल फैले हुए है…उल्टी टी-शर्ट… क्या चक्कर है…

(राजेश पीछे खड़ा हुआ सारी बातें सुन रहा है। बात को संभालता हुआ…)

राजेश: कुछ खास चक्कर नहीं…टीना मेरे साथ बेडरूम साफ करा रही है… अब तुम आ गयी हो तो तुम भी कुछ मदद करो…

करीना: सौरी अंकल…मैनें नाहक ही आप दोनों को डिसटर्ब किया…

राजेश: न बेटा… अभी टीना और मैं तुम्हारी बात ही कर रहे थे… बहुत लम्बी उमर पायी है।

करीना: (कुछ शैतानी की मुस्कुराहट लाते हुए) अच्छा जी… टीना मेरे पीछे मेरी क्या बुराई कर रही थी…

टीना: तू पापा को बहुत सुन्दर लगती है…

करीना: (खिसिया कर) अच्छा…

राजेश: (घबरा कर)…नहीं मै तो यह कह रहा था कि…।

टीना: आप झूठ बोल रहें है…आपने ही कहा था कि करीना आपको बहुत सुन्दर लगती है…

राजेश: हाँ…ठीक तो है। करीना बहुत सुन्दर है… परन्तु…

करीना: परन्तु क्या…(चिड़ाते हुए)…अंकल

टीना: तू बस अब रहने दे… चल मेरे रूम में

(कहते हुए टीना और करीना सीड़ीयाँ चड़ते हुए टीना के रूम में प्रवेश कर गयीं। राजेश टकटकी लगा कर दोनों को देखता रह गया। पिछ्ले तीन दिनों में इन्हीं दोनों कमसिन हसीन लड़कियों को पुरे तन और मन से भोग चुका था। दोनों अपने आप में एक से बढ़ कर एक थी। जहाँ टीना का छरहरा बदन है, वहीं पर करीना का कटाव लेता हुआ भरा हुआ जिस्म है। दोनों के अंग-अंग से वाकिफ, राजेश इस दुविधा में कि कौन ज्यादा खूबसूरत है। अगर टीना को पा कर एक पेग विह्स्की का नशा है तो करीना वोदका की तरह किक देता हुआ नशा है। कुछ सोच कर राजेश चुपचाप बिना आहट किये उपर का रुख करता है। अन्दर से दोनों के खिलखिलाने की आवाज आ रही है। टीना के दरवाजे पर राजेश कान लगा कर सुनने का प्रयत्न करता है।)

करीना: मुझे तो प्यार हो गया है।

टीना: मै तो कहती थी कि तू मरती है…अगर तेरे उपर हाथ रख दें तू पिघल जाएगी…

करीना: हाँ यार… तू सच कहती थी। आज तूने भी देख लिया…पूरा अजगर की भाँति है…

टीना: हाँ यार…पर तूने तो मुझे बहुत डरा दिया था…

(इतना ही सुन कर राजेश को कुछ-कुछ समझ आ गया था। बिना देर किए जल्दी से नीचे उतर कर अपने बेडरूम मे आ जाता है। तभी दरवाजे की घंटी बजती है। राजेश जा कर दरवाजा खोलता है। सामने मुमु खड़ी हुई है और चेहरा गुस्से से तमतमा रहा है।)

राजेश: (अन्दर आते हुए) क्यों क्या हुआ…

मुमु: (रुआँसी आवाज में) क्या तुम ने पिताजी को मेरा मोबाइल नम्बर दिया था…

राजेश: क्यों क्या फिर से उन्होंने काल किया…

मुमु: मै उनसे कोई सबंन्ध नहीं रखना चाहती हूं पर मेरे को चैन से जीने नहीं देते…

राजेश: चलो खाक डालो…खाने का क्या करना है? उपर टीना और करीना बैठे हुए है…यह बात हम बाद में भी कर सकते हैं।

मुमु: मै तैयारी कर के गयी थी…खाने मे कुछ टाइम लगेगा। पहले मै फ्रेश हो कर आती हूँ।

(इतना कह कर मुमु बेडरूम जाती है। राजेश टीवी के सामने बैठ कर न्यूज सुनता है। कुछ देर के बाद मुमु तैयार हो कर बाहर आती है और रसोई की ओर रुख करती है। टीना और करीना नीचे उतर कर दरवाजे का रुख करती है।)

राजेश: मेरी दुनिया की सबसे हसीन अप्सारायें रात में किधर चल दी…

टीना: मै करीना को घर छोड़ने जा रही हूँ।

राजेश: अर…रे खाना लग गया है…खाना खा कर जाना…करीना तुम भी

मुमु: (रसोई से आवाज देते हुए) टीना कहीं नहीं जाना। पहले खाना खा लो फिर जाना कहीं पर्…(कहते हुए रसोई से खाना ला कर मेज पर सजा देती है)

(टीना और करीना मेज पर आ कर बैठ जाते है। राजेश भी सब को डाईनिंग टेबल पर जौइन करता है। मुमु सबके लिए खाना परोसती है। सब मिल कर खाना खाते है। खाना खाने के बाद टीना और करीना बाहर का रुख करती हैं। राजेश और मुमु बेडरूम कि ओर चले जाते हैं।)

क्रमशः

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--18

गतान्क से आगे..........

टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.

नी जुबान पर लगाम रखेंगें।

मुमु: हाँ तुम ठीक कह रहे हो उन्हें यहीं पर बुला लेती हूँ… पता तो चले आखिर चाहते क्या है…

राजेश: हाँ और यह भी देख ले कि उसकी बेटी आज शहर के गणमान्य लोगों के साथ उठ्ती बैठ्ती है…

मुमु: तुम भी न …

राजेश: (उठ कर मुमु को अपने आगोश में ले लेता है) तुम भूल सकती हो… परन्तु मै अपना अपमान और तुम्हारी छोटी बहन तनवी को कभी भी नहीं भूल सकता…

मुमु: आज भी तनु की याद करके आप की आँखें नम हो जाती है…(गाल को सहलाती है और राजेश के होंठों को चूम लेती है)

राजेश: (मुमु को अपने निकट खींचकर) सिर्फ तुम्हारी वजह से आज मै इन्सान हूँ वर्ना तुम्हारे पिताजी ने तो मुझे हैवान बनाने मे कोई कसर नहीं छोड़ी थी…

मुमु: तुम नाहक ही उनके बारे में सोच रहे हो…

राजेश: तुम्हारी सबसे छोटी बहन आज कल उनके साथ रह रही है…

मुमु: हाँ बता रहे थे… और हँसते हुए बता रहे थे तुम्हारे और उसके बारे में…

राजेश: ठीक ही तो है… मेरा जन्म तो सिर्फ तुम्हारे पिताजी की लड़कियों के लिए हुआ है। याद है न मैनें तुम्हारे पिताजी से वादा किया था कि उन्होंने मेरे प्यार को मुझसे छीना है और एक दिन उनकी सारी बेटियों को मै अपनी बना कर रखूँगा। मैने तो स्वर्णाआभा से भी कहा था कि मेरे साथ चल परन्तु शायद अपने पिताजी की मर्दानगी से ज्यादा ही प्रभावित है या डर के कारण उसने मना कर दिया…

मुमु: मै जानती हूँ…तुम्हारे दिल का दर्द्। आखिर हम सब का बचपन साथ बीता है। काश मेरी माँ जिन्दा होतीं तो यह सब तो न होता…

राजेश: रहने दो… अच्छा है कि वह नहीं रही वरना अपनी बेटियों का जीवन बर्बाद होते हुए देख कर जीते जी मर जाती।

मुमु: माँ के मरने के बाद तो…

राजेश: मुमु मैनें तुमसे यह बात कभी भी पहले नहीं पूछी कि तुम्हारे संबन्ध अपने पिताजी के साथ कैसे और कब बन गये… क्या इस के बारे में बात करना चाहोगी।

मुमु: (राजेश के सीने से लगते हुए) आज तुम्हारे साथ रहते हुए चौदह साल हो गये है… सब कुछ जानते हुए भी तुमने कभी भी मुझसे इस बारे में नहीं पूछा फिर आज अचानक क्यूँ ?

राजेश: एकाएक तनवी जहन में आ गयी… खून में लथपथ फर्श पर पड़ी थी और… (राजेश फफक कर रो पड़ता है)…

मुमु: पुराने जख्म को मत कुरेदो…सोच कर दर्द ही होगा। परन्तु आज तक मैने किसी को भी अपनी आप बीती नहीं सुनाई। सारा जहर इतने साल मैने अपने सीने में दबा कर रखा…

राजेश: जितनी नफरत मै तुम्हारे पिता से करता हूँ उस से कहीं ज्यादा मोहब्बत मै तुमसे और तनवी से करता हूँ। आज भावनाओं मे बह कर तुम से पूछ बैठा… मुझे माफ कर दो…तुम सही कह रही हो पुराने घाव कुरेदने से सिर्फ पस ही निकलेगा…

मुमु: (राजेश से लिपट कर उसके सीने में मुँह छुपाते हुए) राजू आज मै अपनी आत्मा पर बहुत सालों से पड़े हुए बोझ को हटाना चाहती हूँ… मुझे मत रोको… माँ की मौत पर मै सिर्फ तेरह वर्ष की थी। मेरे शरीर में बदलाव आना शुरु हो गया था। सीने के उभार दिखने लगे था और कुल्हे और नितंबों मे भराव आना शुरु हो गया था। जब भी मै चलती तो सीने के उभार हिलते और देखने वाले मेरे सीने पर ही अपनी नजर गड़ाये रखते थे। मुझे बड़ा अजीब सा लगता था। उन्हीं दिनों में पिताजी जब शाम को घर पर लौट कर आते लड़खड़ाते हुए नशे में सीधे अपने कमरे में चले जाते थे। माँ के मरने के बाद कुछ दिनों तक तो क्रमवार यही चलता रहा परन्तु पिताजी का मेरे प्रति रवैया बदलने लगा। जब भी मन करता या कोई काम होता तभी किसी नौकर द्वारा बुला भेजते। अपने एकाकीपन को दूर करने के लिए मुझे अपने साथ सोने के लिए कहते थे। दो छोटी बहनों के देख रेख के लिए एक दाई माँ रख ली थी।

राजेश: मुमु तुम्हारे घर में तो बहुत सारे नौकर-चाकर हुआ करते थे फिर तुम्हारे पिताजी तुम्हें ही क्यों बुलाते थे…

मुमु: पहले कुछ समय तो मुझे भी नहीं समझ आया परन्तु एक लड़की पर चड़ती हुई जवानी उसे बहुत संवेदनशील बना देती है। लोगों की निगाह और उनके बात करने के हाव भाव से ही उनकी नीयत का आभास हो जाता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ क्योंकि जब भी मै पिताजी के कमरे में जाती तो पिताजी रेस्टिंग चेयर पर बैठे होते और जबरदस्ती मुझे अपनी गोदी में बिठा लेते और फिर मेरे शरीर को प्यार से सहलाते हुए माँ को याद करते थे और रात को मुझसे लिपट कर सोते थे। मुझे भी अच्छा लगता था कि मेरे पिताजी मुझसे कितना प्यार करते है। लेकिन एक बार बीच रात में मेरी नींद टूट गयी क्योंकि मुझे अपनी जांघों के बीच में कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ था। मेरे पिताजी ने अपना लंड मेरी जांघों के बीच मे फँसा कर मेरे नाजुक उभारों को अपने हाथों से दबा रहे थे। पिताजी के डर की वजह से कुछ देर मै चुपचाप पड़ी रही पर अंधेरे में उत्सुकतावश मैनें अपनी जांघों के बीच फँसी हुई वस्तु को अपने हाथ से पहचानने की कोशिश की तो पिताजी ने मेरा हाथ को दिशा दे कर अपने तन्नायें हुए लंड को पकड़ा दिया और पीछे से धीरे-धीरे धक्के लगाने लगे। यह सब मेरे लिए एक स्वप्न भाँति लग रहा था। एकाएक पिताजी के लंड ने कँपकँपी लेते हुए अपना सारा रस मेरी हथेली पर उंडेल दिया। कुछ ही देर में पिताजी के खर्राटें कमरे में गूँजने लगे परन्तु काफी देर तब इस नवीन अनुभव को मेरा नासमझ दिमाग समझने की कोशिश करता रहा। उसी रात को पहली बार मुझे अपनी चूत में खुजली महसूस हुई थी…

राजेश: तुम नाहक ही…।

मुमु: नहीं… तुम नहीं समझोगे क्योंकि तुम मर्द हो… तुम्हें क्या पता कि एक कमसिन कली पर ऐसे एहसास का क्या असर होता है। फिर कई दिनों तक यही खेल रात को बिस्तर पर चलता रहा। हम दोनों एक दूसरे को रात के खेल के बारे में अपनी अनिभिज्ञता दर्शाते थे पर दिल ही दिल में रात की बात को याद करके रोमांचित हो जाती थी। एक रात को सोने से पहले पिताजी के हाथ से पानी का गिलास फिसल कर मेरी गोदी में गिर जाने से मेरी फ्राक और जांघिया भीग गये थे। पिताजी ने कहा कि गीले कपड़े उतार कर सुखाने के लिए रख दो अगर ऐसे ही गीले कपड़े पहने सो गयी तो बीमार पड़ने का खतरा रहेगा। मै कुछ न नुकर करती, पिताजी ने जबरदस्ती मेरे सारे कपड़े उतार दिए और सूखने के लिए अपनी कुर्सी पर फैला दिए। पहली बार मेरा नग्न जिस्म मेरे पिताजी के सामने उदित हुआ था। मै शर्म के मारे मरी जा रही थी परन्तु पिताजी मुझे अपनी बाँहों मे भर कर बिस्तर पर ले जा कर लिटा दिया। पिताजी ने अपना कुर्ता उतार दिया और धोती पहने बिस्तर पर आकर मुझे अपनी बाँहो में ले कर लेट गये और मेरे सीने के उभारों के साथ खेलना शुरु कर दिया। लगातार छेड़खानी से मेरे निप्पल फूल कर खड़े हो गये थे और किसी शातिर खिलाड़ी की तरह उनहोंने मुझे अपनी ओर मोड़ कर मेरे निप्प्लों को अंगूर की तरह अपने होंठों मे दबा कर चूसने लगे और धीरे से मेरी अनछुई चूत की दरार में उँगली फिराने लगे।

राजेश: मुमु तुमने मना नहीं किया…

मुमु: क्या बताऊँ एक तरफ डर और दूसरी ओर जवानी की दहलीज पर कदम रखते हुए जिस्म की अनजान भूख… उस समय कुछ समझ नही आ रहा था। उस रात मैनें हिम्मत करके पिताजी को रुकने को कहा तो पिताजी ने धोती में से अपना काला भुजंग फनफनाता हुआ लंड निकाल कर मेरे हाथ में देते हुए कहा कि यह तेरी अम्मा की धरोहर है अब उसके जाने के बाद से यह तेरी है। जो तेरी माँ इसके साथ करती थी अब से तुझे करना होगा और यह कह कर मुझे नोचना-खसोटना शुरु कर दिया।

राजेश: पर मुमु तुम चुप क्यों रही… रोकने के लिए चीखँती…कोई तो नौकर आता बचाने को…

मुमु: तुम मेरे पिताजी के खौफ से क्या वाकिफ नहीं हो… किसी नौकर में इतना दम नहीं था कि मेरे पिताजी की आज्ञा की अवेहलना करें…पिताजी ने मुझे अपने नीचे दबा लिया और धीरे धीरे मेरे होंठों और गालों को चूसना शुरु कर दिया… फिर मेरे सीने के उभारों को अपने मुख में भर कर आम की तरह चूसना शुरु कर दिया…मेरे अन्दर भी अजीब सी आग जलने लगी थी… पिताजी को अपनी मर्दानगी पर बड़ा घमंड था और मेरे हाथ में अपने लंड को पकड़ा कर कहा की यह तेरी माँ की धरोहर है और आज से तू इसका ख्याल रखा करेगी। द्स इंच लम्बा और तीन इंच की गोलाई लिए लंड को मेरे हाथ में थमा दिया… और मुझे सरसों का तेल दे दिया और कहा की इसकी मालिश करूँ … कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ परन्तु जैसा पिताजी ने कहा मैने वैसा करना आरंभ कर दिया… पिताजी मेरे नाजुक अंगों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे और मै उस काले भुजंग की मालिश कर रही थी… तुम्हें नहीं मालूम होगा परन्तु उनके लंड का अग्र भाग एक फूले हुए बैगंन की तरह दिखता है।

राजेश: मुमु…

मुमु: नहीं आज मुझे कहने दो… पिताजी कुछ देर तक मेरे स्तनों को नीबू की तरह निचोड़ते हुए चूसते थे और कभी अपने दाँतों में दबा कर कचकचा कर काट देते थे। मेरे स्तन पर आज तक उनके दाँतों के निशान है…(मुमु अपने नाइट गाउन को उतार कर अपने दोनों स्तनों पर कुछ निशान दिखाती है। राजेश प्यार से स्तन को अपने हाथों मे ले कर सहलाता है।)… मै दर्द से छ्टपटाती हुई पिताजी से अपने स्तन छुड़ाने का प्रयास करती तो और जोर से काट देते थे… काफी देर तक मेरे होंठों और स्तनों के साथ खेल कर उन्होनें मेरी गरदन पकड़ कर मेरे मुँह में अपना लंड जबरदस्ती धँसा दिया…और मुझसे चूसने को कहा। तुम सोच सकते हो कि एक तेरह वर्ष की नादान लड़की का पहला अनुभव कैसा रहा होगा…कि एक तरफ से उनका लंड मेरे गले में धँस कर मेरा दम घोट रहा था और दूसरी ओर से मेरे पिताजी अपनी मोटी उँगलियों से मेरी चूत को खोल कर मेरे दाने को रगड़ने में लगे हुए थे। मेरा शरीर मेरे काबू में नहीं रह गया था और कुछ ही क्षणों मेरा पहला स्खलन हो गया था…

मुमु: राजू उस वक्त मै नासमझ और बेबस थी… मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। पिताजी मुझे एक गुड़िया की भाँति इस्तेमाल कर रहे थे… अचानक मेरे पिताजी ने अपना लंड मेरे मुख से निकाल कर मुझे गोदी मे ले लिया तो मुझे साँस लेने में कुछ राहत महसूस हुई। पुचकारते हुए पिताजी ने मुझे अपनी ओर खींचकर मेरी चूत के मुहाने पर अपना लंड रख घिसना आरंभ कर दिया और मेरी कमर को कस कर पकड़ कर अपनी ओर धक्का दिया। सरसों के तेल से भीगा हुआ लंड का अग्र भाग मेरी चूत के मुख को जबरदस्ती खोल कर अन्दर जा कर फँस गया। मेरी आँखों के आगे अंधेरा छाता चला गया… और मै दर्द के मारे बेहोश हो गयी…जब तक मुझे होश आया तब तक मेरा कौमर्य भंग हो चुका था। मेरे पिताजी अपना लंड मेरी चूत में फँसा कर मेरे उपर लेटे हुए थे। मेरी चूत में बर्छियाँ चल रही थी और मैं पीड़ा से छटपटा रही थी। मेरा बाप मेरे शरीर को रौंदने में लगा हुआ था। मेरी परवाह किए बिना, पिताजी लम्बे और गहरे धक्के लगाते हुए जल्दी ही अपना सारा रस मेरी चूत में उंडेल कर एक तरफ पड़ गये… मेरा क्या हाल था मै क्या बयान करूँ…

राजेश: मुमु मै समझ सकता हूँ… (अपनी उँगली मुमु की चूत की दरार पर फिराते हुए) मुझे पता है इस ने कितनी यातनाएँ सही है… (और चूत के होंठों को उँगलियों से खोल कर उठे हुए बीज को चूमते हुए अपने होंठों में दबा लेता है।)

मुमु: अ आह्… नहीं प्लीज। आज मै तुम्हें सब कुछ बता कर अपना बोझ हलका करना चाहती हूँ (कहती हूई राजेश के चेहरे को अपने नग्न सीने पर रख कर) पुरे चार दिन तक मै अपने बिस्तर से नहीं उठ पाई और सारे दिन मै पीड़ा से तड़पती रहती थी। पिताजी रोज मेरे पास आकर प्यार से बात करते थे पर डर के कारण उस रात का कोई जिकर नहीं होता था। पिताजी ने मेरी हालत देख कर दाई माँ को बुलाया और उसे मेरा इलाज करने के लिए छोड़ दिया और गाँव भर में मेरी चरित्रहीनता की खबर फैला दी। एक हफ्ते बाद मेरे पिताजी ने रात को मुझे अपने कमरे में फिर से बुलाया तो दाई अम्मा मुझे अपने साथ ले कर उनके कमरे मे छोड़ आयीं।

राजेश: मुमु तुम्हें याद होगा जब मै पहली बार तुम्हारे घर आया था तो तुम मुझे एक दुखी और मासूम परन्तु बहुत नकचड़ी और घमंडी सी लड़की लगी थी।

मुमु: मेरे भाग्य की विडम्बना थी… एक तरफ मेरा डर और दूसरी ओर यौन शोषण ने मुझे बहुत चिड़चिड़ी बना दिया था। रोज रात को पिताजी मेरा को हर तरह से भोगते थे। अब मेरा शरीर भी इस खेल का आदि हो चुका था। पहले मै डर के मारे पिताजी का इस काम में साथ देती थी परन्तु कुछ समय बाद पिताजी के लंड को लिए बिना मुझे नींद नहीं आती थी। कुछ ही दिनों में पिताजी ने मेरे शरीर के सारे छेदों का अपने प्रेमरस से भर दिया था। इसका परिणाम यह हुआ कि मेरे पेट में लीना आ गयी। पहले तो पिताजी दाई अम्मा से बच्चे को गिराने की बात करते रहे पर ज्यादा दिन होने की वजह से जान को खतरा था इस लिए बच्चे को गिराने का ख्याल दिल से निकाल दिया। माँ बनने के कारण अब मै पिताजी की आग शान्त करने में अस्मर्थ थी। अब तक तनवी ने जवानी की दहलीज पर पहला कदम रख दिया था। देखने मे तो वह हम सब से सुन्दर थी और उसके कमसिन बदन में भी भराव आने लगा था। मैनें गौर किया कि अब पिताजी की नजर उस पर लगी हुई थी।

राजेश: (मुमु के सीने की दोनों पहाड़ियों के बीच मे से मुख निकाल कर) तुम्हें कब मालूम हुआ कि मेरे और तनवी के बीच में प्रगाड़ संबन्ध है…

मुमु: जब पिताजी ने पहली बार तनवी को रात में अपने साथ सोने के लिए बुलवाया था और तनवी ने साफ मना कर दिया था। वह मेरे पास रोती हुई आई थी कि वह किसी और की अमानत है की… बहुत पूछने पर भी जब उसने कोई नाम नहीं लिया तो मै यह तो समझ गयी थी कोई जानकार है परन्तु तुम दोनों के बारे में पहली बार पिताजी के मुख से सुना था।

राजेश: फिर क्या हुआ… (मुमु के उन्नत उभारों से खेलते हुए)

मुमु: जब तनवी मेरे पास अपना दुखड़ा सुना कर गयी तब मैने पहली बार पिताजी की खिलाफत की थी। उनके पास जा कर मैने साफ लफ्जों में कह दिया कि मेरी बहनों मे से किसी के एक के साथ भी उन्होंने कुछ करने की कोशिश की तो मै सब को होने वाले बच्चे के पिता का नाम बता दूँगी… मेरी धमकी से पिताजी डर गये और फिर जब तक लीना हुई उन्होंने तनवी पर कोई दबाव नहीं डाला… राजू तुम बताओ तनु के साथ तुम्हारा प्यार कब और कैसे हुआ… तुम तो होस्टल मे रहा करते थे और हमारे घर सिर्फ छुट्टियों में खेलने आते थे…

राजेश: मुमु यह उन दिनों की बात है जब तुम्हारे पेट में लीना थी… मै अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी करके कुछ समय के लिए घर पर रहने आया था… तीन महीने बाद मुझे अमरीका आगे पढ़ने के लिए जाना था… उन दिनों मै अपने खेतों पर रह कर इधर-उधर घूमता रहता था। एक दिन तनवी अकेली लंगड़ाती हुई स्कूल से लौट रही थी। हम पहले से एक दूसरे को जानते थे क्योंकि तुम्हारे घर मे मेरे परिवार का आना-जाना था। उसकी यह हालत देख कर मुझ से रहा नहीं गया सो मैनें उसे रोका और अपनी बाँहों मे ले कर इधर-उधर की बात करते हुए उसे घर पर छोड़ दिया। मै हमेशा उसे छोटी बच्ची की तरह देखा था इसी लिए उसमें मेरी कोई दिलचस्पी नहीं थी। मैं अठारह का हो चुका था और वह मुश्किल से तेरहवें वर्ष में लगी थी या लगने वाली थी।

क्रमशः

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--19

गतान्क से आगे..........

मुमु: हाँ…लीना के टाईम वह मुश्किल से बारह की होगी…या तेरह मे लगने वाली होगी।

राजेश: परन्तु कद काठी से तेरह की लगती थी। मेरे पास कुछ करने को नही था तो मै अगले रोज उसी रास्ते से चिठ्ठी डालने पोस्ट आफिस जा रहा था कि तनवी स्कूल से लौटती हुई दिखायी दी… मुझको देख कर मेरी ओर आ गयी और कहने लगी राजू भैया मुझसे चला नहीं जा रहा… तो मैनें हँसते हुए कहा कि क्या तुमने मुझे अपनी स्कूल बस समझ लिया है…अभी तो ठीक ठाक चलती हुई दिख रही थी और अब मुझे देख कर अपना बोझा ढोने के लिए ऐसा बहाना बना रही हो… तो अचानक उसके चेहरे पर मायूसी आ गयी…मुमु तुम्हें तो पता है कि उसका चेहरा मासूम होते हुए भी कितना एक्सप्रेसिव था…मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ और मैनें एक बार फिर से उसे अपनी बाहों मे उठा लिया और तुम्हारे घर का रुख करने को हुआ तो तनवी ने मुझे रोका और बोली कि क्या कुछ देर हम वहीं पर बैठ सकते है… मुझे पोस्ट करने की जल्दी थी आखिर वह मेरे अमरीका मे दाखिले के पेपर्स थे… पर उसकी आवाज में जो भाव थे मुझसे आगे नहीं बढ़ा गया…

मुमु: यही तनवी की खूबी थी…वह जो भी बोलती ऐसा लगता था कि दिल से बोल रही है…

राजेश: उसे अपनी बाहों मे उठा कर मै नहर के किनारे ले जा कर बैठ गया… तनवी मुझे देख रही थी और मै अपनी झेंप मिटाने के लिए अनाप-शनाप बकता चला जा रहा था… अचानक तनवी ने मेरे होंठों पर उंगली रख कर चुप कर दिया और कहा कि तुम मेरा बोझ कितनी देर तक उठा सकते हो…। उसे खुश करने के लिए मैने मजाक मे कह दिया कि तुम कहो तो सारी जिन्दगी मै तुम्हारा बोझ ऐसे ही उठा सकता हूँ। परन्तु मै उस वक्त यह नहीं जानता था कि ऐसा करके मैनें उसके डेथ वारन्ट पर दस्तखत कर दियें है…(कुछ देर चुप हो कर राजेश अपनी भावनाओं को सँभालने की कोशिश करता है)… मुमु यह सुनते ही तनवी ने जिस तरीके से मुझे देखा तो पहली बार मुझे लगा कि उसकी आंखे जैसे मेरी आत्मा से सीधे कुछ कह रही है। उस समय तो मुझे कुछ समझ नहीं आया परन्तु जब उसे तुम्हारे घर पर छोड़ कर लौट रहा था तो मुझे लगा जैसे मेरा कुछ पीछे छूट गया है… सारे रास्ते अपने आप को यकीन दिलाता रहा कि वह तो बहुत छोटी है परन्तु दिल में तो जैसे उसकी वह आँखे मेरे दिल में घर कर चुकीं थी… उस रात को मै सो नहीं सका। पहली बार अपने को बेबस पा रहा था…

मुमु: यही तो पहली नजर की मोहब्ब्त कहलाती है…

राजेश: तुम नहीं मानोगी तब तक मैं स्त्री सुख भोग चुका था आखिर होस्टल में रहता था और जमींदार परिवार का इक्लौता वारिस था… परन्तु पहली बार एक बारह वर्षीय लड़की के मोहपाश में पागल हो गया था। अगले दिन मै सीधा स्कूल पहुँच गया और तनवी का इंतजार करने लगा…स्कूल की छुट्टी हुई कि सामने तनवी अपनी सहेलियों के साथ बाहर आती हुई दिखाई दी तो मै थोड़ा सा दीवार की आड़ ले कर खड़ा हो गया। हाँलाकि तनवी अपनी सहेलियों के साथ थी परन्तु वह बार-बार इधर-उधर कुछ ढूँढती हुई दिखी… कुछ देर बात कर के उसने अपने घर की ओर चलना शुरु किया…और मै कुछ दूरी बना कर उसके पीछे-पीछे चलने लगा… एक सुनसान जगह पर मैने उसे आवाज दे कर रोका तो मुझे देख कर भाग कर आकर मुझसे लिपट कर रोने लगी। मै डर के मारे जल्दी से उसे सड़क से उतार कर झुरमुटों के पीछे ले गया जिस से कोई कुछ गलत न समझ लें… तनवी जब शान्त हुई तो मेरे सीने पर मुक्का मारते हुए पूछा कि तुम मुझे लेने क्यों नहीं आए… हतप्रभ हो कर मुझे तो जैसे साँप सूँघ गया… कोई जवाब नहीं बन पड़ा और वह रोती हुई कहे जा रही थी कि वह मुझे स्कूल के बाहर ढूँढ रही थी। बात बनाते हुए मैने कहा कि मैने कब कहा था कि मै उसे लेने स्कूल आऊँगा तो उसने जवाब दिया कि कल ही तो कहा था कि आज से तुम मेरा बोझ सारे जीवन भर उठाओगे…कल तुम्हारी आँखों ने मुझसे कहा था कि आज से तुम रोज मुझे स्कूल से लेने आओगे…फिर क्या हुआ कह कर लड़ने लगी। उसकी यह बातें सुन कर मै हैरानी भरे स्वर में बताया कि मै उसके स्कूल के गेट पर खड़ा हो कर पिछले आधे घंटे से उसका इंतजार कर रहा था पर जब उसको सहेलियों के साथ देखा तो शर्म के कारण छिप गया था…

मुमु: (राजेश के बालों मे अपनी उँगलियॉ फिराते हुए) इसको कहते दिल से दिल की राह…

राजेश: सच में मुमु… प्यार की पराकाष्ठा ही कह सकता हूँ कि मोहब्बत का इजहार किये बिना बस मेरी आँखों में सब पढ़ लिया था और उसने मुझे अपना मान लिया था। उसको अपनी बाँहों मे उठा कर वहीं नहर के किनारे ले जा कर बैठ गया। हम बिना कुछ बोले एक दूसरे को देख रहे थे और मुझे आज भी विश्वास है कि हमारे बीच जैसे कुछ बात हो रही थी। काफी देर के बाद मैनें झिझकते हुए कहा कि तनवी मै उम्र में तुमसे बहुत बड़ा हूँ परन्तु मुझे तुमसे मोहब्ब्त हो गयी है… तनवी का जवाब था कि मै जानती हूँ पर क्या तुम जानते हो कि मै तुमसे बहुत दिनों से प्यार करती हूँ… इस प्यार में वासना नहीं थी… मुमु वह पहला दिन था जब हमने एक दूसरे के साथ जीने मरने की कसम खायी थी।

मुमु: तभी…जब तनवी मेरे पास आयी थी पिताजी की शिकायत करने तब तक यह बात हो चुकी थी…

राजेश: नही… यह वाला वाक्या तो पहले हो चुका था…मुझे तनवी ने बताया था।

मुमु: अच्छा… कमाल है कि बिना इजहारे इश्क तनवी को पहले से विश्वास था कि वह तुम्हारी है… फिर पिताजी को कब और कैसे पता चला…

राजेश: जैसे तुमने आज अपना दिल खोल कर रख दिया वैसे आज मै भी सारे दिल के राज तुम्हें बता देता हूँ… उस दिन के बाद हम रोज नहर पर अपना समय बिताते थे… तनवी अब तक मुझे अपना पति मान चुकी थी। मेरे अमरीका जाने का टाइम नजदीक आ चुका था… अमरीका जाने से एक दिन पहले जिद्द करके मुझे मन्दिर ले गयी और भगवान की मूर्ती के सामने हमने एक दूसरे के गले में फूलमाला डाल कर विवाह कर लिया… तुम्हें याद होगा कि तनवी एक पूरी रात घर नहीं आयी थी क्योंकि उस रात हम दोनों आसमान के नीचे तारों की छाँव में नहर के किनारे अपनी सुहाग रात मना रहे थे।

मुमु: कमाल है…तनु ने इस बात की कानोकान खबर नहीं लगने दी… उसने तो बताया था कि वह टेस्ट के चक्कर में सुनीता के घर पर रुक गयी थी… वाह रे मोहब्ब्त… तो पिताजी को कैसे पता चला…

राजेश: अब सो जाओ… इसकी भी एक कहानी है… कल दफ्तर भी जाना है…

मुमु: राजेश… आज हमारे बीच कोई हिचक नहीं है… आज सब बता दो…फिर क्या पता कल हो न हो…

राजेश: शायद तुम सही कह रही हो… मै कल की छुट्टी ले लेता हूँ। परन्तु आगे कुछ बताऊँ इससे पहले जरा गला तर कर लेते है… क्या कहती हो… मेरे लिए वोदका तुम्हारे लिए ब्लडी मैरी…

(कहते हुए कमरे के बाहर चला जाता है और फ्रिज खोल कर ड्रिंक्स बनाता है।राजेश अपने हाथों में ड्रिंक्स की ट्रे लिए बेडरूम में आता है। बेड पर निर्वस्त्र लेटी हुई मुमु को देख कर ठिठक कर रुक जाता है और उसके के अंग-अंग को निहारता है। गोल चेहरा, तीखे नाक-नक्श, भरपूर गोलाई लिये सुडौल नितंब, बालोंरहित कटिप्रदेश, बल खाती हुई कमर और कटाव लेते हुए कुल्हे, उन्नत और भारी स्तन और उनके शिखर पर काले अंगूर सिर उठा कर बैठे हुए। राजेश के शरीर में एक बार फिर से खून का बहाव तेज होता है पर कुछ सोच कर अपने उपर काबू करता है। मुमु भी राजेश को निहारती हुई एक बदन तोड़ने वाली अंगड़ाई लेती है।)

राजेश: (मुमु की ओर बढ़ते हुए) अ…ररे क्या कत्ल करने का इरादा है

मुमु: (मुस्कुराते हुए) हाँ बिल्कुल…

राजेश: (हँसते हुए) तुम कहो तो…

मुमु: नहीं। आज नहीं… आज से पहले हम कितनी बार एक दूसरे के शरीर मे समा चुके है। परन्तु आज से पहले हम एक दूसरे के इतने निकट नही आ सके… जितना आज रात को बिना कुछ किए आ गये…

राजेश: तुम सही कह रही हो… इतने साल से तुम मेरे साथ रह रही हो पर हमारे बीच में हमेशा एक दूरी या दीवार रही है जिसे हम दोनों ने कभी लांघने की कोशिश नहीं की बस अपने पास्ट को सीने से लगाए चलते जा रहे थे…

मुमु: (अपनी ड्रिंक की चुस्की ले कर) हाँ… मेरे पिताजी को तुम्हारी मोहब्बत का कब और कैसे पता चला?

राजेश: (ड्रिंक की चुस्की ले कर) अच्छा तो फिर हमारी सुहाग रात के बाद अगले दिन मै अमरीका चला गया… तनवी अपनी पढ़ाई में जुट गयी आखिर उसे परीक्षा में भी पास होना था… लेकिन हर हफ्ते वह मुझे एक खत लिखती थी… मेरी मजबूरी थी कि मै उस को जवाब नहीं दे सकता था… तनवी बहुत साफ दिल और मिलनसार थी।

मुमु: क्यों नहीं लिख देते… पिताजी को कौन सी अंग्रेजी आती है…

राजेश: तुम नहीं जानती हो अपने पिताजी को… जब से तनवी ने खिलाफत की थी वह इसी ताक मे थे कि कैसे उसे दंडित करें… तनवी अपने खतों में यहाँ की सब बातों का जिकर करती थी। लीना के पैदा होने की खबर भी मुझे उसने दी थी… बच्ची को जन्म देने के बाद जब तुम अपने पिताजी के कमरे मे रहने चली गयी तो उसने मुझे लिखा था कि पिताजी सबसे ज्यादा मुमु को प्यार करते है… और बहुत सारी यहाँ की बातें लिखती थी। एक बार मुझसे नहीं रहा गया… तो मैनें तनवी से बात करने के लिए स्कूल मे फोन किया… समझ सकती हो तुम कि यहाँ के दिन के एक बजे वहाँ पर रात के एक बज रहा होता है। पर प्यार अंधा होता है, तनवी की आवाज सुनने के लिए मै तीन मील चल कर रात के एक बजे अपने होस्टल से फोन बूथ पर आया था। उसके साथ बात करके मुझे कुछ दिन के लिए चैन हो गया परन्तु उसकी आवाज सुनने के लिए मै हर दम बेचैन रहता था। मैनें एक दिन फिर से तनवी से बात करने के लिए स्कूल फोन किया… और फिर हर हफ्ते हम फोन पर बात करने लगे… यह मेरी पहली गलती थी

मुमु: हाँ स्कूल से तनवी के खिलाफ शिकायत आई थी और पिताजी ने उसे बुला कर बहुत बुरा भला कहा था… बहुत पूछने के बाद भी उसने तुम्हारा नाम नहीं बताया था…

राजेश: इसके बाद से तुम्हारे पिताजी ने तनवी के प्रति ज्यादा सजग हो गये थे… उसके आने-जाने, किस से मिलती है और उसकी कौन सहेलियाँ है, सब पर नजर रखने लगे थे… फिर एक साल बाद मै अपनी छुट्टियाँ बीताने घर आया था… तुम्हारे पिताजी ने शायद तनवी के चेहरे पर आयी खुशी पढ़ ली थी… तनवी को जबरद्स्ती उन्होंने मामा के घर भेज दिया था। इस बात का बड़ी मुश्किल से मुझे पता चला तो उस से मिलने तुम्हारे मामा के गाँव चला गया। तनवी बहाना लगा कर मेरे साथ वापिस आ गयी और वह मेरे खेत वाले मकान मे रहने लगी। अब हमारे दिन और रात साथ-साथ बीतने लगी थी। मेरे पापा और मम्मी ने जब इसके बारे में मुझ से पूछा तब तनवी को उनके सामने ला कर मैने उनको सच-सच सारी बात बता दी। यह मेरी दूसरी गलती थी।

मुमु: मुझे उस वक्त मामला तो समझ नहीं आया अपितु यह पता चला कि तुम्हारे पापा ने हमें बहुत बड़ा नुकसान दिया था और दुश्मनी निभाई थी… एक या दो बार तो पिताजी अपनी गन ले कर तुम्हारे पिताजी को मारने के लिए गये थे…

राजेश: हाँ परन्तु यह सब बात मेरे जाने के बाद हुई थी… उस दिन के बाद तनवी हमारे घर पर ही रहने लगी थी… मेरी मम्मी के साथ उसकी काफी घनिष्टता हो गयी थी। मेरे जाने के बाद मेरे पापा तुम्हारे पिताजी के पास गये थे और उन्हें सारी बातों से अवगत करा दिया तो तुम्हारे पिताजी आग-बबूला हो कर जबरदस्ती तनवी को अपने साथ रास्ते भर मारते हुए ले जा कर खेत पर बने गोदाम में बन्द कर दिया था। इसके बाद से हमारे परिवारों मे दुश्मनी हो गयी कभी तुम्हारे पिताजी के गुंडे हमारे खेतों में आग लगा देते और कभी मेरे पापा के गुंडे तुम्हारे खेतों को नुक्सान पहुँचाते थे। इन्ही दिनों में टीना तुम्हारे पेट में आ गयी थी… और तुम अपने पिताजी के काम की नहीं रह गयी थी… तनवी की पढ़ाई भी तुम्हारे पिताजी छुड़वा दी थी… तुम्हारे पिताजी ने तनवी का जीना दूभर कर रखा था। बेचारी इतने दुख में भी अपनी चिठ्ठी मेरे पास भिजवाना नहीं भूलती थी। तुम्हें पता है कि कौन तुम्हारे घर से तनवी की चिठ्ठी मेरी मम्मी के पास पहुँचाता था…

मुमु: पता नहीं

राजेश: दाई अम्मा… तनवी के एक-एक आँसू की वही अकेली गवाह थी। दाई अम्मा ने तुम्हारे बारे मे भी तनवी को बता दिया था… उसे यह भी बताया था कि कैसे तुमने अपने पिताजी को धमकी दे कर तनवी को बचाया था। बेचारी उसने कभी भी अपने उपर होते हुए जुल्मों को अपनी चिठ्ठी मे नहीं लिखा था। हाँ बस एक बार हमारे परिवारों के बीच हुई दुश्मनी का जिकर किया था… बहुत बार उसने तुम्हारे बारे में लिखा था। हर चिठ्ठी में लीना का जिकर करती थी… लीना से बहुत प्यार करती थी उसने मुझे एक लिस्ट भेजी थी कि अगली बार जब मै वापिस आऊँगा तब इन सब चीजों को लेता हुआ आँऊ… टीना के जन्म पर तनवी ने एक ऐसी ही लिस्ट और भेजी थी… तुम विश्वास नहीं करोगी कि दो साल से बाहर रह रहा था परन्तु एक बार भी मेरे जहन में किसी और लड़की का ख्याल नहीं आया। ऐसे ही रस्साकशी में दूसरा साल भी निकल गया। पढ़ाई के जोर की वजह से उस बार छुट्टियों में नहीं आ सका था। तुम्हारे पिताजी ने मेरे खिलाफ न जाने तनवी से क्या-क्या कहा मगर उसने कभी भी उन बातों का जिक्र नहीं किया… मुझे हर बात दाई अम्मा की जुबानी पता चली थी।

मुमु: तुम्हें पता है जब टीना हुई तो पिताजी गुस्से से बिफर गये और उन्होंने मुझे छिनाल कह कर घर से निकाल दिया था… मै दूध पीती हुई बच्चियों को ले कर कहाँ जाती… तो बेचारी तनवी ने मुझे अपने कमरे में ही रख लिया था। बेचारी कभी मुझे संभालती कभी बच्चियों को संभालती…जैसे तैसे तुम्हारी पढ़ाई खत्म होने की खबर आयी तो तनवी के चेहरे पर पहली बार इतने दिनों के बाद रौनक देखने को मिली थी… जब तुम लौट के वापिस आ गये तो एक दिन पिताजी हमारे कमरे में आकर तनवी को चेतावनी दे कर गये कि अगर तुम उनके घर के आस-पास भी दिखे तो तुम्हें गोली मार देंगें… हम दोनों बहुत डर गये थे क्योंकि तनवी को विश्वास था कि तुम वापिस आकर जरूर उसको लेने आओगे…

राजेश: दुश्मनी बहुत आगे तक जा चुकी थी और मेरे और तनवी के पिताजी का आमना-सामना बहुत घातक होगा…इसलिए मेरे पापा ने कोई सीधा जवाब नहीं दिया था… बहुत कोशिश के बाद दाई अम्मा ने मुझे बता दिया था। मैने तनवी को बचाने की योजना अपने दोस्तों के साथ मिल कर बनाई और उसी रात को गोदाम पर पहुँच गये और तुम्हें और तनवी को लेकर अपने घर ले कर आये थे। यह मेरी तीसरी गलती थी… हमारे घर पर तुम्हारे पिताजी अपने गुंडों को ले कर पहले से ही बैठे थे… मुझे देखते ही मुझ पर गोली चला दी परन्तु तनवी अपने पिताजी को रोकती हुई मेरे सामने आ गयी… तुमने तो सारा कुछ अपनी आँखों से देखा था। मेरे पापा जब मुझे बचाने के लिए आगे बढ़े तब पास खड़े जगबीर ने उन्हें भी गोली मार दी थी। मुझे तो होश ही नहीं था एक तरफ तनवी खून में लथपथ मेरी बाँहों में तड़प रही थी और दूसरी ओर मेरे पापा की लाश पड़ी हुई थी। उस दिन मैनें तुम्हारा असली रूप देखा था (राजेश डबडबाती हुई पलकों से मुमु की ओर देखते हुए)… जब तुमने तनवी का हाथ पकड़ कर अपने पिताजी का खुलेआम विरोध किया और उनको छोड़ने का निश्चय करते हुए कहा था कि आज के बाद तुम और तुम्हारी बच्चियाँ उनके लिए मर गये… और तनवी ने अपने आखिरी वक्त में मुझे तुम्हारी और बच्चियों की जिम्मेदारी दे कर हमेशा के लिए छोड़ कर चली गयी।

मुमु: हाँ मुझे मालूम है… तुमने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे पिताजी को कहा था कि तुमने अपनी एक बेटी को इस लिए मार दिया कि वह मेरी पत्नी थी पर अब क्या करोगे जब तुम्हारी सारी बेटियों को मै सिर्फ मेरी हमबिस्तर बना कर रखूंगा… मुझे रोक सको तो रोक लेना। मेरे पिताजी को पुलिस पकड़ कर ले गयी थी और कुछ दिन गाँव मे ठहर कर तुमने अपने और हमारे खेतों की जिम्मेदारी अपने पुराने नौकर पर डाल कर इस शहर आने का फैसला लिया था। पिताजी को बारह वर्ष की सजा हो गयी और हम इस शहर में आकर बस गये। तुमने तो स्वर्णाआभा को भी साथ चलने को कहा था… परन्तु पिताजी के बहकावे में आ कर वह दाई अम्मा के साथ ही रह गयी थी। हमारा किसी रीति-रिवाज से विवाह तो नहीं हुआ परन्तु आज तक हम पति-पत्नी की तरह रह रहें है। मेरी बच्चियाँ के लिए तुम ही उनके बाप हो… और मै अपनी बच्चियों के उपर उस जालिम आदमी का साया भी पड़ने नहीं देना चाहती…

राजेश: (मुमु को अपने सीने से लगाते हुए) मुमु… तुम यह नहीं जानती कि मैने तुम्हारे पिताजी को फाँसी से बचाने के लिए वकील किया और हर महीने स्वर्णाआभा को जेब खर्च के लिए पैसे भेजता था… जब तुम्हारे पिताजी अपनी सजा काट कर पिछले साल मेरे पास तुम्हारी जानकारी लेने आये तो बहुत बुरी हालत में थे… कोर्ट-कचहरी के चक्कर में उनका सब कुछ लुट चुका था। पर उनको देख कर मुझे उन पर गुस्सा नहीं आया अपितु उन पर द्या करते हुए मैनें उन्हें किसी से कह कर काम पर लगा दिया था…।

मुमु: यह क्या किया तुमने… वह आदमी भरोसे के काबिल नहीं है।

राजेश: (मुमु के होंठों को चूम कर अपने जिस्म से उसके नग्न जिस्म को ढकते हुए) मुमु क्या तुम एक और बच्चे के लिए तैयार हो…

मुमु: राजू (भावविह्ल हो कर) अब तक याद नहीं हमने कितनी रातें साथ बिताई है पर तुमने ने कभी भी यह प्रश्न पहले नहीं किया… न ही तुमने तनवी के बाद कभी बच्चे की चाहत दिखाई है…

क्रमशः

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--20

गतान्क से आगे..........

राजेश: (अपनी लुंगी को खोलते हुए)… आज मुझे लगता है कि मुझे तनवी की यादों से बाहर आ जाना चाहिए… अब तक मै सोचता था कि तनवी के बाद मेरे दिल में कोई उसकी जगह नहीं ले सकेगी… जहाँ तक सेक्स की भूख मिटाने की बात थी तो उसके लिए तो इस दुनिया में बहुत नवयौवना है… परन्तु आज से हम…

मुमु: (अपने हाथों में राजेश के लंड को पकड़ कर सहलाते हुए) अभी कुछ न कहो… पहले हम पिताजी वाली गुत्थी को सुलझा लें… क्योंकि पिछले कुछ दिनों में बहुत बदल गया है…

राजेश: (मुमु की बात को अनसुना करते हुए मुमु की चूत में अपने लंड को पूरी तरह से बिठा कर) मुझे मालूम है…

(दोनों के नग्न जिस्म एक दूसरे में पूरी तरह गुथे हुए है। राजेश अपने मुख से मुमु की गोलाईयों को निचोड़ रहा है। अंगूर से शिखर कलश को होंठों में दबा कर मुमु की आग को भड़काने में लगा हुआ है। मुमु की कमर को पकड़ कर राजेश धीरे से एक भरपूर धक्का देता हुआ उन्नत स्तनों को अपनी हथेली में लेकर कर मसकता है। राजेश की गर्म साँसों का आघात अपने चेहरे पर महसूस करते हुए मुमु और अधिक उत्साह से अपनी टांगों को राजेश की कमर पर लपेट देती है। भावतिरेक हो कर राजेश का लंड अपना भयावह रूप धारण कर लेता है और मुमु के चूत की दीवार पर जोर अजमाईश करता है। मुमु के अर्ध खुले होठों पर अपने होंठों लगा कर उनका रस निचोड़ता है। इधर मुमु भी उत्तेजना में अपना सिर इधर-उधर पटकती है।)

मुमु: .उ.अ..आह.राजे…शअ.उउआ.…आह....

राजेश: जान… तुम्हारी चूत को मेरे फनफनाते हुए लौड़े की जरुरत है… क्या कहती हो…

मुमु: राजेश…अ.उउआ....(अपनी बच्चेदानी के मुहाने पर राजेश के चिरपरिचित लंड के फूले हुए सुपाड़े को महसूस करती हुई) राजेश्……आ…हन…

(राजेश एक हाथ से मुमु की गुलाबी बुर्जीयों को लाल करने में वयस्त हो जाता है। कभी पूरा स्तन अपने मुख मे भर कर निचोड़ता है और कभी स्तन पर विराजमान अंगूर के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसता है।)

मुमु: आह....प्लीज

(अब राजेश से भी नहीं रुका जा रहा। मुमु को अपनी भुजाओं मे कस कर, राजेश धीरे से मुमु के पाँवों को अपने कन्धे पर रख कर अपने लंड को पुरी ताकत से अन्दर की ओर ढकेलता है। जैसे ही लंड का पुरा सुपाड़ा सरक कर बच्चेदानी का मुहाना खोल कर अन्दर धँस जाता है, एक लम्बी सी सिसकारी के साथ मुमु अपना शिकंजा कसती हुई राजेश को जकड़ लेती है।)

मुमु: .उउआ.आह....उई...आ...उ.उ.उ...आह.....

(राजेश अपनी उंगलियों से मुमु की गाँड के छिद्र को टटोलता है और अपनी उँगली को मुहाने पर रख दबाव डालता है। उत्तेजना में तड़पती मुमु के चेहरे और होंठों पर राजेश अपने होंठों और जुबान से भँवरें की भाँति बार-बार चोट मार रहा है और अपनी उंगली गाँड के मुहाने पर फिरा रहा है।)

मुमु: …उ.उई.माँ.....न्हई…आह.....

(क्षण भर रुक कर, राजेश ने मुमु के नितंबो को दोनों हाथों को पकड़ कर एक लय के साथ आगे-पीछे हो कर वार शुरु करता है और पीछे से गाँड के छिद्र के मुहाने को खोल कर अपनी उँगली अन्दर तक धँसा देता है। दोनों जिस्म वासना की आग में जल रहे है।)

राजेश: (गति बढ़ाते हुए) मुमु……

मुमु: हूँ…हाँ…

(ऐसे ही कुछ देर तक जबरदस्त धक्कों मे ही राजेश के जिस्म मे लावा खौलना आरंभ हो गया है। ज्वालामुखी फटने से पहले एक जबरदस्त आखिरी वार करता है। इस वार को मुमु बरदाश्त नहीं कर पाती और उसकी चूत झरझरा कर बहने लगती है। राजेश का लंड भी सारे बाँध तोड़ते हुए बिना रुके मुमु की बच्चेदानी मे लावा उगलना शुरु कर देता है। कुछ देर लिपटे हुए पड़े रहने के बाद दोनों एक दूसरे से अलग होते है।)

राजेश: मुमु… आज क्या हो गया था तुम्हें…

मुमु: (शर्माते हुए) कुछ नही…

राजेश: अरे आज बहुत दिनों के बाद तुम्हें शर्माते हुए देखा है… देखो तुम्हारे गाल कैसे लाल हो गये है…

मुमु: (नजरे चुराती हुई) अब सो जाओ… कल दफ़्तर नहीं जाना है क्या…

राजेश: यह तो पहले ही तय हो गया था कि कल मै छुट्टी पर हूँ…

मुमु: तो पिताजी का क्या करना है… अगली बार फोन करें तो यहाँ बुला लूँ…

राजेश: (मुमु से लिपटते हुए) हाँ… अच्छा बताओ एलन का प्रोग्राम कैसा चल रहा है…

मुमु: (झिझकते हुए) अच्छा है… हर रोज की ट्रेनिंग मेरे शरीर को तोड़ कर रख देती है परन्तु (हल्की मुस्कुराहट लिए) यह एक नया अनुभव है।

राजेश: मुमु… तुम्हें डौली कैसी लगती है…

मुमु: (चौंक कर) क्यों… मतलब यह कैसा सवाल है…

राजेश: देखो…मुझे डौली ने बताया है कि वह तुमसे मोहब्ब्त करने लगी है…

मुमु: (झेंप कर) वह पागल है… हाँ हम एक दूसरे को चाहते हैं पर मैने उसे साफ शब्दों में समझाया है कि मैं तुम्हारी पत्नी और उसकी दोस्त हूँ… इससे ज्यादा कुछ नहीं…

राजेश: ठीक है… मै उसे बता दूँगा कि वह तुमसे कुछ ज्यादा एक्सपेक्ट न करें…

मुमु: तुम रहने दो… मै ही समझा दूँगी…

राजेश: ठीक है… चलो सो लेते है… सुबह के पाँच बज रहे हैं… सारी दुनिया के जागने का टाईम हो रहा है…और हम सोने की तैयारी कर रहे हैं।

(कुछ देर पहले की एक्सरसाइज से दोनों थके हुए होने के कारण एक दूसरे से लिपट कर सो जाते है…)

(शाम का समय। मुमु अपनी ट्रेनिंग करने के लिये जा चुकी है। टीना अपनी सहेली करीना के घर गयी हुई है। राजेश ड्राईंगरूम में बैठ कर टीना की राह देख रहा है। दरवाजे की घंटी बजती है। राजेश झपट कर दरवाजे की ओर जा कर दरवाजा खोलता है। सामने टीना और करीना मुस्कुराती हुई घर में प्रवेश करती है। दोनों ने आज बड़े सेक्सी वस्त्र पहने हुए हैं। टीना और करीना, दो जुड़वाँ बहनों की तरह, महीन सी लो कट टी-शर्ट और मिनी स्कर्ट पहनें हुए है। सीने की गोलाईयाँ आधी टी-शर्ट के बाहर झाँकती हुई और तन्नाते हुए शिखर कलश टी-शर्ट के नीचे साफ विदित होते हुए और मिनी स्कर्ट से निकलती हुई मांसल चिकनी गोरी टाँगे देख कर राजेश का मुँह खुला का खुला रह गया।)

टीना: पापा…आज बहुत थके-थके हुए दिख रहे हैं।

करीना: नमस्ते अंकल… (कहते हुए खिलखिला कर हँस पड़ी)

राजेश: (मुस्कुरा कर) नमस्ते…

टीना: मम्मी गयी क्या…

राजेश: हाँ… अभी थोड़ी देर पहले ही गयी है। तुम दोनों इस हालत में कहाँ से घूम कर आ रही हो… टीना कुछ खाने के लिये बनाऊँ क्या?

टीना: पापा मुझे कुछ नहीं खाना है… करीना तुझे कुछ खाना हो तो बता दे

करीना: मुझे भी कुछ नहीं चाहिए… पर जल्दी कर तुझे मेरे नोट्स उतारने में एक घंटे ज्यादा लग जाएगा…

टीना: करीना मै उपर जा कर नोट्स उतारती हूँ… तू तब तक टीवी देख और पापा से बात कर… (कुल्हें को मटकाते हुए अपने रूम की ओर रुख करती है)

करीना: (अपनी जगह से उठ कर राजेश के निकट बैठते हुए) जानू… आज कैसी लग रही हूँ?

राजेश: क्या चक्कर है आज… किसी को मारने का इरादा है (करीना को अपने नजदीक लाते हुए)… दोनों किसी शैतानी के मूड में हो…

करीना: (राजेश का हाथ पकड़ कर खींचती हुई) डार्लिंग हमारे पास एक घंटा है… कुछ मीठा हो जाये…

राजेश: करीना आज तुमको क्या हो गया है… अगर टीना नीचे आ गयी तो गजब हो जाएगा।

करीना: मुझे मालूम है कि टीना इतनी जल्दी नीचे नहीं आएगी… चलो न (कहते हुए राजेश के बेडरूम की ओर चल पड़ी। करीना के पीछे-पीछे राजेश भी बेडरूम में चला गया।)

राजेश: (करीना को पीछे से अपनी बाँहों में भर कर)… तुम सिर्फ मेरी हो…जो कार्य फ़ार्म पर अधुरा रह गया था कहो तो आज पूरा कर लें… (कहते हुए पीछे की दरार में अपना हथियार गड़ाता है)… आज हमारा तुम्हारा मिलन इस बेड पर होगा… (कहते हुए करीना की अधखुली टी-शर्ट में अपना हाथ डाल कर दोनों पहाड़ियों की चोटीयों को सहलाता है)

करीना: आ…ह… मैं तो आपकी हूँ। जैसे चाहो प्यार करो…परन्तु पीछे की तिजोरी आपको फार्म पर ही खोलने दूँगी…(कहते हुए करीना अपनी टी-शर्ट उतार फेंकती है)

राजेश: जैसा तुम चाहो… मैं तो तुम्हारे हर अंग का दीवाना हूँ देखो तुम्हें देखते ही मेरे लंड में आग लग जाती है… (इतना कहते ही अपना पजामा उतार कर एक तरफ रख देता है)।

करीना: अं…(राजेश के लंड को अपने हाथ मे ले कर) लवली… अच्छा सच बोलिएगा कि यह मुझे देख कर या टीना को देख कर ऐसे अकड़ गया…

राजेश: सच पूछो तो यह तुम दोनों को देख कर ऐसा हो गया था… जितना तुममें नशा है उतनी ही टीना में कशिश है।

करीना: अच्छा जी… क्या आप टीना को भी ऐसे ही प्यार करते हैं…

राजेश: (करीना की मिनी स्कर्ट की ज़िप को खोल कर नीचे की ओर सरका देता है) मै टीना को एक बेटी और प्रेमिका के रूप में प्यार करता हूँ…(कहते हुए करीना के चिकने कटिप्रदेश और नितंबो पर हाथ फिराता हुआ)…अर…रे आज पैन्टी पहनना भूल गयीं… (कहते हुए अपनी उँगलियों से चूत की फाँकों को खोल कर छिपे हुए मोती से आकार लिए घुंडी को छेड़ता है)

करीना: हा…य माँ… तो आप मुझसे कैसा प्यार करते हैं?

राजेश: एक प्रेमिका और दोस्त की तरह… आह

करीना: मेरे प्रीतम… मेरी जल्दी से आग बुझाओ वरना…(करीना को राजेश अपनी बाँहों में उठा कर बेड की ओर ले जाता है)

राजेश: वरना क्या…(कहते हुए बेड पर लिटा देता है और अपने होंठों से करीना के होंठों का रसपान करता है। करीना का नग्न जिस्म राजेश के नीचे दबा हुआ है। करीना अपनी टांगों को राजेश की कमर के इर्द-गिर्द लपेट कर मचलती है। दोनों नग्न अवस्था में एक दूसरे की आग को भड़काने में लगे हुए है। राजेश के निशाने पर अब करीना के सीने की गोलाईयाँ है। कभी पूरा स्तन मुख में भर कर उनका रस निचोड़ता और कभी उत्तेजना से फूले हुए शिखर कलश को होंठों में दबा कर सोखता।)

करीना: अंकल…प्लीज (अपने हाथ से राजेश के लिंग को सही दिशा दे कर योनिमुख पर लगाती हुई)

(राजेश भी पूरे जोश मे आकर एक करारा धक्का देकर अपना लिंग अन्दर तक बैठा देता है। राजेश का नौ इंची हथियार चीरता हुआ अन्दर जा कर बच्चेदानी का मुख खोल कर गले तक जा कर फँस जाता है। एक क्षण के लिए तो करीना की साँस रुक जाती है परन्तु दूसरे ही क्षण अन्दर धँसती हुई गर्म राड कि लम्बाई और मोटाई को महसूस करती हुई एक लम्बी सिसकारी लेती है।)

करीना: अ…आह…हाय

राजेश: करीना तुम्हें उपरवाले ने मेरे लिए बनाया है…

करीना: हूँ…आह

(राजेश एक लय के साथ अपनी गति बढ़ाता है और हर धक्के पर करीना के मुख से निकलती हुई सिसकारी कमरे के माहौल को अति विलासमय बना देती है। करीना के कोमल अंगो के साथ निरन्तर खिलवाड़ करते हुए राजेश भी अपने होशोहवास खो कर कमसिन जवानी को भोगने का आनंद लेता है। पर्दे के पीछे से टीना बेड पर दो जिस्मों को एक दूसरे के साथ गुथे हुए चुपचाप खड़ी देखती है।)

क्रमशः

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply