वो लाल बॅग वाली

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Dolly sharma
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Re: वो लाल बॅग वाली

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तन्यल ने जीप आगे बढाई एक हाथ से स्टीयरिंग पकड़ा और दुसरे हाथ से वायरलेस पर चिल्लाया – आल पुलिस पार्टी अलर्ट एक लड़का एक लडकी एको फ्रेंडली ग्रीन टैक्सी मैं चकमा दे कर भाग रहे है, हर ग्रीन एको फ्रेंडली टैक्सी वाले से पूछताछ की जाये, लडकी के हाथ में लाल बेग है |

तन्यल ने मन ही मन सोचा – लड़का बड़ा चालक है, एक ही टैक्सी लेने की बजाय टैक्सी बदल बदल कर घूम रहा है, कितना भी चालक हो पुलिस से नही बच सकता, एक बार वो दोनों हाथ आ जाये फिर बताता हु पुलिस के साथ लुका छिपी खेलने का क्या अंजाम होता है |

वो गाँधी सर्कल चौराहे पर पहुचे, पूरा चौराहा सुनसान पड़ा था, उसने चारो और नजर घुमाई, कोई क्लू मिलने की उम्मीद नही थी, इक्का दुक्का वाहन निकल रहे थे, तभी उसकी नजर चौराहे के किनारे सोये एक भिखारी पर पड़ी उसने जीप उसके पास ली, निचे उतरा और भिखारी को उठा कर पूछा – अभी यहाँ से एक टैक्सी में एक लड़का लड़की गए है ?

भिखारी नींद में था – हाँ तो ?

वो कहा गये है ? – मुझे क्या मालूम - पुलिस से वो पहले ही खफा था |

तन्यल को अपनी गलती का अहसास हुआ उसने गलत सवाल पूछा था – वो टैक्सी जिसमे वो दोनों गये है, उस टैक्सी वाले को जानते हो ?

हाँ वो अपना रमेश है, मेरे को कभी कभी भीख देता है, यही खड़ा रहता है स्टैंड पर |

तुम्हारे पास उसका मोबाइल नम्बर है ?

ये क्या होता है मोबाइल ?

बड़ी मुश्किल से अपने गुस्से को काबू करते हुए उसने पूछा – देख ये रमेश जिसकी टैक्सी में बैठ के वो दोनों गये है कहा रहता है सीधे सीधे बता ?

भिखारी ने कुछ देर सोचा और बोला - मुझे नही पता वो कहा रहता है ?

तन्यल निराश होने लगा – फिर उसने भिखारी से पूछा तू उसके बारे में कुछ जानता है वो बता

भिखारी ने कहा – मुझे क्या मिलेगा ?

तेरी तो – तन्यल ने बड़ी मुश्किल से अपने हाथ को रोका और अपनी जेब से एक 50 का नोट निकाल कर भिखारी की और बढ़ाया – जल्दी बता ?

भिखारी ने 50 का नोट झपटा और बोला – ज्यादा तो नही पर वो बेवडा है, रोज शराब पिता है, और उनको छोड़ने के बाद शराब के अड्डे पर ही जायेगा |

तन्यल ने गुस्से से कहा – अब सारे शराब के अड्डो पे कौन जायेगा तेरा बाप, चल 50 का नोट वापिस कर |

9426 ये नम्बर है उसकी ऑटो का |

तन्यल ने ख़ुशी से उसके हाथ में एक 50 का नोट और रख दिया |

भिखारी ने सोचा – काश उसको पूरी दून के ऑटो के नंबर पता होते तो वो करोडपति हो जाता |

तन्यल ने वायरलेस पर मेसेज किया – आल पार्टी रीड 9426 नम्बर की एको फ्रेंडली, ग्रीन कलर की टैक्सी को ढूंढे और मुझे मेसेज करो जल्दी |

रात भर हर पुलिस वाला हर शराब के अड्डे, बस स्टैंड और सभी पब्लिक प्लेस पर 9426 ऑटो को ढूंढ रहा था, टैक्सी यूनियन के ऑफिस से 9426 नो. के ऑटो का पता निकाला गया और उसके घर तन्यल खुद पहुचा, पर वो घर नहीं आया था | अपना नम्बर उसकी पत्नी को देने के बाद तन्यल ने कहा – जैसे ही वो आये मुझे फ़ोन करना |

सुबह लगभग 5 बजे रमेश भाई रेलवे स्टेशन के पीछे अपनी ऑटो की पिछली सीट पर शराब के नशे में धुत पड़े मिले, तुरंत तन्यल को मेसेज किया गया, तन्यल उन दोनों को ढूंढने की बेताबी में लगभग अपना आपा खो बैठा था, तुरन्त रेलवे स्टेशन के पीछे पड़े रमेश के पास पहुचा, उसने टैक्सी वाले को बेसुध पड़ा देखा जो उसके किसी प्रश्न का जवाब देने की स्थिति में नही था, उसने जीप में से ठंडी पानी की बोतल निकली और पूरी बोतल उसके चेहरे पे उड़ेल दी, वो हडबडा कर उठा और एक भद्दी गली देकर फिर सो गया, तन्यल ने एक जोर का झापट उसके गाल पे दिया और वो गाल सम्भालता हुआ उठा, तन्यल ने उसका गिरेबान पकड़ कर पूछा – कल रात को तुमने एक लडके और लडकी को गाँधी सर्कल से कहा छोड़ा था ?

वो बुदबुदाया – मैंने कल दो जोड़ो को छोड़ा था आप किसकी बात कर रहे हो |

तन्यल ने कहा – वो लडकी जिसके हाथ में लाल हैण्ड बेग था |

मून मून होटल – टैक्सी ड्राईवर बडबड़ाया और फिर सो गया |

तन्यल तेजी से जीप के में चढ़ा और चिल्लाया – मून मून होटल चलो

पीछे बैठे आई जी के जासूस पुलिस के एक जवान रणवीर ने सोचा – आखिर ये तन्यल उन लडके लडकी में इतनी ज्यादा रूचि क्यों ले रहा है ?

तन्यल मून मून होटल के बारे में सबकुछ जनता था, उसे पता था की ये होटल वेश्याओ और लडके लडकियों को कुछ घंटो के लिए रूम किराये पर देता है, वहाँ उनके लिए छुपना बहुत आसान है क्योकि उस होटल में किसी से कोई आइडेंटिटी नही मांगी जाती |
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Dolly sharma
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मून मून होटल शहर के बाहर एक बड़े फार्म हाउस के बीच में बना हुआ पुराने ज़माने का स्ट्रक्चर था जिसे रंग रोगन कर रहने लायक कमरों में तब्दील कर दिया गया था, होटल तक पहुचने के लिए मेन रोड से लगभग आधा किलोमीटर अंदर प्राइवेट रोड पे जाना पड़ता था, और अन्दर जाने वाले हर वाहन को होटल की पर्सनल सिक्यूरिटी चेक पोस्ट से हो कर गुजरना पड़ता था |

होटल के गेट पे पहुचते ही तन्यल सिक्यूरिटी गार्ड पर गुराया – जल्दी से बैरिएर खोल और गाडी को आगे जाने दे |

सिक्यूरिटी गार्ड रजिस्टर लेकर जीप के पास गया और बोला – इंट्री कर दो सर नौकरी का सवाल है |

तेरी तो – पुलिस की इंट्री मांग रहा है, साले नाटक बंद कर और दरवाजा खोल |

सिक्यूरिटी गार्ड तेजी से अपने केबिन में अन्दर गया, और उसी समय होटल की बिजली बंद हो गई |

गार्ड ने कहा – सर बिना लाइट के ये गेट नही खुल सकता, जब तक होटल का जनरेटर चालू नही हो जाता आपको यही रुकना पड़ेगा |

लगता है पुलिस का डर खत्म हो गया है लोगो में – तन्यल ने सोचा और जीप में बैठा बैठा बैचेनी से लाइट के आने का इंतजार करने लगा |

लगभग 10 मिनिट ऐसे ही गुजर गये और तभी उसके दिमाग में ख्याल आया, वो जीप से उतरा और सिक्यूरिटी गार्ड के केबिन में गया, - साले तूने अंदर फ़ोन लगा कर बोल दिया की बाहर पुलिस आई है |

नही साहब यहाँ कोई फ़ोन नहीं है न मेरे पास मोबाइल है आप चाहो तो चेक कर लो |

तो फिर दरवाजा क्यों नही खोल रहा ? जल्दी खोल

तभी लाइट आ गयी और वो जीप में बैठा, अभी जीप थोड़ी दूर ही पहुच पाई थी की सामने से एक बड़ा टेम्पो तेजी से उनकी और आते हुए दिखाई दीया, रास्ता संकरा था और दोनों गाड़िया एक साथ नही क्रॉस हो सकती थी, तन्यल के मुंह से कराह निकल गई, वो जल्दी से जल्दी उन दोनों तक पहुच कर उनको अरेस्ट करना चाहता था, पर एक के बाद एक रूकावटे सामने आती जा रही थी, रात लगभग 8 बजे से शुरू हुआ ये चूहे बिल्ली का खेल थमने का नाम ही नही ले रहा था |

उसने टेम्पो वाले से चिल्ला कर कहा – कहा घुसा चला आ रहा है, गाड़ी पीछे ले बेवकूफ |

टेम्पो वाला भी गुस्से से चिल्लाया – मैं नहीं तुम घुस रहे हो, और तमीज से बात कर, मेरी पहुच बहुत ऊपर तक है |

है भगवान – तन्यल ने मन ही मन कहा, - कल रात से आज सुबह तक उसकी जितनी इज्जत खराब हुई थी इतनी तो उसके पूरी पुलिसिया जीवन में नहीं हुई थी, वो गुस्से से जीप से उतरा और गाड़ी की ड्राइविंग सीट पे पहुचा – बता तेरी गाड़ी मैं क्या है, जल्दी खोल दरवाजा |

और अगर न खोलू तो क्या कर लोगे ?

साले तेरी सारी नेतागिरी थाने की खूंटी पे टांग के रात भर तेरी खाल उधेड़ दूंगा जल्दी खोल गाड़ी मैं कौन है |

ठीक है साहेब नाराज क्यों होते हो देख लो पूरी गाड़ी – और उसने दरवाजा खोल दिया

तन्यल ने टेम्पो में नजर डाली, सीट के निचे देखा, पूरा लोडिंग टेम्पो खाली पड़ा था, अब उसका गुस्सा और भी बढ़ गया, जल्दी पीछे ले नही तो यही चमड़ी उधेड़ दूंगा |

टेम्पो वाले ने कहा मेरी गाड़ी में रिवर्स गियर नही है |

तेरी तो – तन्यल चिल्लाया और अपनी जीप के ड्राईवर को जीप पीछे लेने का इशारा किया जीप पीछे हुई और टेम्पो आगे बढ़ा इस पूरी प्रक्रिया में 15 मिनिट और गुजर गये |

जब तक रास्ता साफ हुआ और तन्यल रिसेप्शन पर पहुचा उसका सब्र का बांध टूट चूका था, आधे किलोमीटर की दुरी तय करने के उसके पुरे 30 मिनिट लग गये थे और मेले से यहाँ तक की 8 किलोमीटर की दुरी तय करने में पूरी रात लग गई थी उसने रिसेप्शन पर बैठे आदमी को देखा और जोर पूछा – क्या यहाँ पर कल रात को कोई लड़का और लडकी आये थे दोनों सैलानी थे, लोकल रेगुलर नही |

कल दो तीन कपल आये तो थे पर वो तो कुछ ही घंटो में रूम खाली कर के चले गये |

क्या उनमे से कोई लाल हैण्ड बेग वाली लडकी थी ? चल बता तेरा रजिस्टर |

अब रिसेप्शनिस्ट समझ चूका था की झूठ बोलने का कोई फायदा नही आज साहब उन दोनों को पकड़ने की कसम ले कर आये है उसने जवाब दिया – हा सर वो 308 रूम मैं है |
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तन्यल ने उसको घुरा और तेजी से दो दी सीढिया लांघता हुआ ऊपर की और बढ़ा, उसने तीसरे माले पर पहुच कर ही साँस ली और 308 नम्बर कमरे के सामने पहुचा और दरवाजे को जोर से ठोकर मारी, दरवाजा आसानी से खुल गया, उसने अन्दर देखा कमरा पूरी तरह खाली था |

उसने पुरे कमरे का मुआवना किया और मन ही मन कहा – गये 5 लाख़ हाथ से !

उसने वायरलेस निकाला और फिर चिल्लाया – मून मून होटल के आसपास जितने भी जवान जोड़े सड़क पर दिखाई दे उनको रोक कर गिरफ्तार करो खास करके एक लडकी जिसने लाल हैण्ड बेग अपने गले में टांग रखा है आल पुलिस पार्टी अलर्ट |

मून मून होटल का मालिक एक चालक व्यापारी था, उसने शहर के बाहर फालतू पड़ी इस प्रॉपर्टी से पैसे कमाने का घटिया रास्ता निकला था, उसने पुलिस की रेड पड़ने की स्थिति मैं बचने का एक नायब रास्ता ढूढ़ लिया था, जैसे ही पुलिस की जीप होटल के आधा किलोमीटर बाहर मेन गेट पर पहुची, वहा बैठे सिक्यूरिटी गार्ड ने अन्दर होटल के कमरों मैं लगा सायरन बजा दिया, और अन्दर पूरा होटल अलर्ट हो गया, फिर सामने से आता टेम्पो और उसमे रिवर्स गियर नही होना सब केवल पुलिस को रोके रखने का प्लान था, ताकि अन्दर सभी वेश्याओ और जोड़ो को बाहर सुरक्षित निकाला जा सके |

दिन भर की थकान के बाद मयूर की सुरक्षित और आरामदायक बांहों में रागिनी बच्चों की तरह निश्चिन्त सो रही थी, उसकी नींद खुली तब सायरन की आवाज पुरे कमरे मैं गूंज रही थी, उस समय सुबह के 5 बज रहे थे, और सायरन काफी देर से बज रहा था, कोई जोर जोर से दरवाजा भड़क रहा था, वो आवाज बहुत डरावनी थी, उसने मयूर को उठाया, मयूर ने आवाज को फ़ौरन पहचान लिया, वो अपने दोस्तों के साथ इस होटल मैं पहले भी आ चूका था, उसने रागिनी से कहा – पुलिस की रेड | जल्दी सामान समेटो और भागो यहाँ से |

रागिनी ने कहा – हमारे पास जो भी सामान है सब खुल्ला पड़ा है और एक शरारती मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आई |

जब वो बाहर निकले तब तक निश्चित ही देर हो चुकी थी, क्योकि मयूर ने नोटिस किया की उस समय कोरिडोर में कोई भी नहीं था सिवाय उनके, सारे कमरे पहले ही खाली हो चुके थे, वास्तव मैं ये बिलकुल सही था जब उनकी नींद खुली तब तन्यल होटल के रिसेप्शन पर खड़ा था |


जब वो रूम से बाहर निकले तब तक तन्यल सीढिया चढ़ रहा था, उन दोनों को अगर भागना था तो एक मात्र रास्ता वो सीढिया ही थी जिनसे निचे उतर कर वो पीछे के रास्ते से जंगलो में जा सकते थे, और उस एक मात्र रास्ते से तन्यल ऊपर आ रहा था और बहुत सम्भावना थी की उन दोनों की भिडंत तन्यल सो हो जाये |

मयूर जब निचे उतरने की सीढियों के मुहाने पर पहुचा और उसने तन्यल को ऊपर चढ़ते देखा तो उसका दिल धक् से रह गया उसने देखा वो बहुत तेजी से दो दो सीढिया चढ़कर ऊपर आ रहे थे, उसने इधर उधर नजर डाली और उसे सीढियों के पास वाश रूम दिखाई दिया उसने रागिनी का हाथ पकड़ा और वो दोनों वाश रूम में घुस गये, तन्यल ऊपर आया और सीधा रूम नो.. 308 पे गया, मयूर ने वाशरूम का दरवाजा खोल कर देखा, तन्यल और उसके साथ आये पुलिस वाले रूम के अन्दर जा चुके थे, उसने रागिनी का हाथ थाम रखा था फ़ौरन बाहर निकलने के लिए दरवाजा खोला वो बाहर निकलने ही वाले थे कि तभी उनके रूम में घुसे पुलिस वालो में से एक बाहर आया, और वाश रूम की तरफ बढ़ा, उनका दिल फिर तेजी से धडकने लगा, धीरे धीरे उसके जूतों की आवाज उनके करीब आ रही थी, किसी भी सेकंड उनका सामना उस पुलिस वाले से हो सकता था, पुलिस वाला वाश रूम तक आया, और उसने वाशरूम के दरवाजे का नकुचा पकड़ कर निचे की और दबाया, मयूर तैयार था, तभी पुलिस वाले ने देखा, जिस वाशरूम में वो जा रहा था, उसके ऊपर एक लेडीज स्टीकर लगा था, उसने नकुचा छोड़ दिया और उसके बिलकुल पास में एक और दरवाजे का नकुचा खोला जिसपर जेंट्स का स्टीकर लगा था, खोला और अन्दर चला गया

दोनों ने वाशरूम के दरवाजे पर लगे कांच में से सबकुछ देखा, मयूर ने रागिनि का हाथ पकड़ा और फुर्ती से बाहर निकला, एक एक सेकंड कीमती था, ज्यादा देर वहा रुकना ठीक नही था, उनको रिस्क लेकर जल्दी से जल्दी बाहर निकलना था- वो तेजी से सीढियों से निचे उतरे तभी तन्यल भी बाहर आया, पर कुछ सेकंड के फासले से वो उन दोनों को नही देख सका, दोनों पीछे के दरवाजे से बाहर निकल कर होटल की दिवार के सहारे खड़े हो गये, उन्होंने देखा पीछे एक मैदान था जिसके बाद जंगल, तभी उन्हें तन्यल की आवाज सुनाई दी मून मून होटल के आसपास जितने भी जवान जोड़े सड़क पर दिखाई दे उनको रोक कर गिरफ्तार करो खास करके एक लडकी जिसने लाल हैण्ड बेग अपने गले में टांग रखा है आल पुलिस पार्टी अलर्ट |
उन दोनों ने एक दुसरे की और देखा और तेजी से मैदान मैं दौड़ लगा दी, तन्यल पीछे के दरवाजे की और बढ़ा और उसने बाहर देखा, पर उसे वह कोई नहीं दिखाई दिया, दोनों मैदान पार कर जंगली झाड़ियो के पीछे छुप चुके थे |

तन्यल गुस्से से आग बबूला हो रहा था, वो जितना पांच लाख के पास जाता था उतना ही वो उससे दूर होते जाते थे, वो होटल के रिसेप्शनिस्ट पर गुराया – जल्दी से तेरे सीसीटीवी फुटेज में उन दोनों के फोटो निकाल और मुझे दे, वर्ना आज तेरी खैर नहीं |

रिसेप्शनिस्ट उन दोनों लड़का लडकी को याद कर के सोच रहा था – जरुर उन्होंने किसी का मर्डर किया होगा या बैंक लूटी होगी तभी इंस्पेक्टर इतना उतावला हो रहा है |

उसने सीसीटीवी फुटेज कंप्यूटर में लिया और एक प्रिंट तन्यल को दी |

तन्यल ने प्रिंट देखा और चौक गया फुटेज में लड़का तो साफ दिख रहा था पर लडकी ने अपना मुंह लाल हैण्ड बेग से ढक रखा था – उसके मुंह से सिटी निकल गई, - लडकी को मालूम था यहाँ सीसीटीवी लगा है और बड़ी सफाई से उसने अपना फोटो नही आने दिया, ये कौन हो सकती है ?

झाड़ियो के पीछे एक पेड़ की ओट में मयूर रागिनी की गोद मैं लेटा था, उसने कहा – जब तक बाहर रोड पर चहल पहल नही हो जाती हम यहाँ से नहीं निकल सकते, पकड़े जायेंगे, अभी पाच – छे घंटे ये झाडिया ही अपनी होटल और ये झाडिया ही अपना घर है |

रागिनी ने मयूर के बालो में हाथ फिराते हुए बोला – मयूर कैसे भी करके हमे दिल्ली पहुचना है वहा ये पुलिस वाला हमारा कुछ नही बिगाड़ सकता है |

तन्यल ने उन दोनों का प्रिंटआउट अपने पास खड़े सिपाही को दिया और कहा – इसकी 1000 फोटो कॉपी करवाओ और शहर के हर कोने मैं इन दोनों के पोस्टर लगवा दो |

झाड़ियो के पीछे बैठे बैठे रागिनी एक टक मयूर को ही देख रही थी उसने सोचा – मैंने तुमको किस मुसीबत में फसा दिया मयूर, मेरे साथ साथ तुम्हारी भी जान पर बन आई है |

ऐसे ही बैठे बैठे दिन के 11 बज गये. होटल के बाहर वाली रोड पे ट्रैफिक बढ़ रहा था, मयूर ने रागिनी से कहा – ये सही समय है हमे यहाँ से निकल चलना चाहिए, हम स्टेशन जायेंगे और वहा से दिल्ली कि ट्रेन पकड़ लेंगे, पर हमे अलग अलग जाना होगा क्योकि पुलिस हम दोनों को साथ मैं तलाश रही है, अगर हम अलग अलग जायेंगे तो किसी को शक नही होगा, रागिनी ने सहमती से सर हिलाया और बोली – मैं रेलवे स्टेशन पहुच कर तुम्हारा इंतजार टिगिट खिड़की के पास करूंगी तुम वही आ जाना |

मयूर रेलवे स्टेशन पर सबसे पहले पहुचा पर वहा पुलिस वाले मुस्तेदी से गेट पे खड़े थे, उसने मुख्य गेट से अन्दर जाने की बजाय मॉल गोदाम से ही अन्दर जाना उचित समझा, वो धीरे धीरे करते मॉल गोदाम को पार कर स्टेशन के अन्दर प्लेटफार्म पे गया और फिर वहा से टिगिट खिड़की तक पहुचा, उसने अपनी जेब से पैसे निकले और उसका दिल धक् से रह गया – टिगिट खिड़की के बाहर एक थम्बे पर उसका साफ और रागिनी का लाल हैण्ड बेग से ढका फोटो लगा था, उसके मुंह से एक आह निकल गई और पहली बार उसके चेहरे पर झुंझलाहट के भाव उभरे, पुलिस बड़ी तेजी से उसके आगे आगे चल रही थी, उसको फोटो देखते, देख एक और लडके ने फोटो देखा और फिर मयूर की और देखा उसका चेहरा आश्चर्य से सफेद हो गया |

मयूर को अपने पहचाने जाने का अहसास हो गया था वो तेजी से बाहर की और बढ़ा, उसको पहचानने वाले ने इधर उधर देखा और पास खड़े पुलिस वाले के पास जाकर उसकी दिशा में इशारा किया |

मयूर स्टेशन से बाहर निकला और उसे अपने फैसले पर पछतावा होने लगा कि क्यों उसने रागिनी को अपने से अलग किया, अब वो उसे कैसे ढूंढेंगा ?

रागिनी टैक्सी से उतरी और सीधी स्टेशन के अन्दर टीगीट खिड़की पर पहुची और उसकी नजर खम्बे पर लगे मयूर और उसके पोस्टर पर पड़ी, और उसका चेहरा भय से पिला पड़ गया |

वो बाहर आई और उसने चारो तरफ नजर दौड़ाई, मयूर उसे दूर - दूर तक नही दिखाई पड़ रहा था |

उधर अपना फोटो स्टेशन में लगा देखने के बाद मयूर स्टेशन के सामने एक घटिया से रेस्तरां में कार्नर की टेबल पर लगभग छुप कर बैठ गया, उसने वेटर से एक प्लेट पोहा और चाय लाने का कहा, तभी उसकी नजर रागिनी पर पड़ी वो एक ऑटो से उतरी और तेज कदमो से चलती हुई, स्टेशन के गेट के अंदर दाखिल हो गई – वो जरुर टिगिट खिड़की के पास मेरा इंतजार करेगी पर अन्दर जाना उसके लिए खतरे से खाली नही होगा - उसने सोचा – अजीब मुसीबत है, अब क्या करू, कंही पुलिस रागिनी को पकड़ न ले |

तभी रेस्तरा में एक गरीब सा दिखने वाला लड़का आया और उसने तुड़ा मुड़ा 10 का नोट निकाल कर रेस्तरा वाले से कहा – एक प्लेट पोहा,

शायद ये लड़का स्टेशन पर ही रहता है – और उसके दिमाग में एक तरकीब सूझी
उसने लडके के पास जा कर पचास रूपये का नोट बढ़ाते हुए कहा – क्या मेरा एक काम करोगो ?

नोट देखते ही लडके के चेहरे पर चमक आ गई – क्या ? उसने पूछा

स्टेशन में टिगिट खिड़की के पास एक मेडम खड़ी होगी जिनके हाथ में लाल पर्स है, उनको बोलना मैं उनका इंतजार यहाँ कर रहा हूँ, जब तुम ये काम करके वापस आओगे तो तुम्हे ऐसा ही पचास का एक और नोट दूंगा |

लडके ने सहमती से सर हिलाया, पचास का नोट जेब में डाला और तेजी से रोड पार करके स्टेशन के गेट मैं दाखिल हुआ |
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