ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete
- Viraj raj
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
Nice update Mitra....
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
** Viraj Raj **
🗡🗡🗡🗡🗡
- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
thanks
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
फिर हमारे देखते-2 उन सभी गुण्डों को हवालात में डाल दिया गया, उसके बाद फिर मैने इनस्पेक्टर से कहा..
मे- थॅंक यू इनस्पेक्टर साब..! वैसे आपको नही लगता इतना सब करने की नौबत नही आनी चाहिए थी,
इंस्पेक्टर- अरुण साब…! अब वो रेस्पेक्ट देने लगा था, आप नही जानते ये लोकल लीडर हमें कैसे-2 नचाते हैं साले..!
मे- आप जनता के नौकर हैं या इन नेताओं के ? सीधा-2 क्राइम किया है इन लोगों ने, और उसपे आप लोग लीपा पोती करदेने वाले थे..?
जानते हैं, पोलीस की इन्ही नाकामियों की वजह से जनता का भरोसा आप लोगों से उठता जा रहा है. और इसी वजह से इन नेताओं की हिम्मत और बढ़ जाती है,
ज़रा सोचिए, ये क्या उखाड़ पाएँगे आपका..? ज्यदा से ज़्यादा ट्रान्स्फर ही करा सकते हैं ना..! उससे ज़्यादा क्या है इनके पास..?
वो इनस्पेक्टर चुप रह गया, उसने हमारा और लड़कियों का स्टेट्मेंट लिया और रिपोर्ट दर्ज करली उन लड़कों के खिलाफ..
हम अभी निकलने ही वाले थे कि एमएलए अपने कुछ चमचो के साथ थाने में घुसा.. और घुसते ही हाथ जोड़ के हमारे सामने खड़ा हो गया..लग रहा था एसपी ने पूरी तरह समझा बुझा के भेजा होगा..!
एमएलए लड़कियों की ओर मुखातिब होकर- आप सभी मेरी बेटी जैसी हो, मैने जैसे ही सुना कि मेरे बेटे और उसके कुछ आवारा साथियों ने आप लोगो के साथ बदतमीज़ी की है, तो मे फ़ौरन यहाँ चला आया..
मे आप सबको आश्वस्त करता हूँ कि भविष्य में कभी-भी इन लोगों ने आप लोगों के साथ कोई भी बदतमीज़ी करने की कोशिश की तो में इन्हें अपने हाथों से गोली मार दूँगा..! अब आप मेहरबानी करके अपनी कंप्लेंट वापस ले लीजिए..!
वो लड़कियाँ हमारी तरफ देखने लगी..! मे आगे बढ़के बोला- एक मिनट एमएलए साब, अगर आप इतने ही उसूलों के पक्के हैं, तो ये नौबत आई कैसे ?
अगर आप इतना बड़ा कदम अभी उठा सकते हैं, तो पहले इसके गाल पे दो तमाचे रसीद क्यों नही किए? जिससे ये आवारगार्दी, दारू पीके सरेआम लड़कियों की इज़्ज़त पे हाथ डालने का सोचता ही नही..
हमें आप इतना बेवकूफ़ भी मत समझिए, कि आपकी बातों पर आँख बंद करके विस्वास कर लें..!
एमएलए- देखो बेटा हमारी बात समझने की कोशिश करो, हम ये कतई नही चाहेंगे कि हमारा बेटा किसी की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करे, वो तो बस थोड़ा हमारी पत्नी के लाड-प्यार की वजह से बिगड़ गया है,
लेकिन अब मे उसे आगे कोई ऐसी छूट नही दूँगा, ये मेरा वादा है आप सब से. एक बार मेरी बात मान लो.
मे- ठीक है, हम आपकी बात मान लेते हैं, लेकिन क्या जो आपने अभी कहा है गोली मारने वाली बात उसे लिख कर दे सकते हैं ?
मेरी बात पर एमएलए हड़बड़ा गया…! मुँह फाडे मेरी ओर देखने लगा..! मे फिर बोला क्या सोचने लगे..सर ? मे जानता हूँ, कहने और करने में ज़मीन आसमान का फ़र्क होता है..!
अगर आप लिखके देने को तैयार हैं तो हम अपनी कंप्लेंट इस शर्त पर वापस ले लेंगे कि ये सब इन लड़कियों के पैरों मे पड़के बहन बोलें और माफी माँग लें.
एमएलए कुछ देर सोच में डूबा रहा.. फिर एक फ़ैसला करके बोला- ठीक है, मुझे मंजूर है तुम्हारी शर्त…!
तुरंत हमने एक कोरे काग़ज़ पर उसका लिखित स्टेट्मेंट लिया, सील साइन कराए.
उन सभी लड़कों ने, लड़कियों के पैरों मे पड़के बहन हमें माफ़ करदो बोलके माफी माँगी.
एमएलए अपने लड़के को गुस्से से घूर रहा था,..! फिर उसने हम लोगों के सामने हाथ जोड़कर हमें धन्याबाद करके उन्हें अपने साथ लेकर चला गया.
वो लड़कियाँ बड़ी खुश दिखाई दे रहीं थी, उनकी नज़रों में हमारे प्रति कृीतग्यता और प्रेम के भाव नज़र आ रहे थे.
फिर हम इनस्पेक्टर को भी धन्याबाद करके थाने से बाहर निकल आए..
धनंजय और रोहन तो अपनी सेट्टिंग रास्ते में ही कर चुके थे उनमें से दो के साथ, वाकी की दो कपिल और जगेश को बड़े प्यार से घूर रही थी, वो दोनो भी उन्हें देखे जा रहे थे.
मैने सोचा चलो ये चारों तो लग गये काम पर.. !
थाने से बाहर आकर, मैने उन लड़कियों से पहली बार इंट्रोडक्षन किया, तो पता चला कि वो गर्ल्स कॉलेज मे पढ़ती हैं और वहीं हॉस्टिल में ही रहती हैं, उन्होने अपने-2 नाम बताए और एक दूसरे से हाथ मिलाया, सेट्टिंग वालों ने तो गले मिलके एक दूसरे को विश किया.
लड़कियों से फिर मिलने का वादा करके हमने उन्हें विदा किया और अपने रास्ते हो लिए…..!
दूसरे दिन सुबह-2 शहर के बहू चर्चित अख़बार में मुख्य खबर के रूप में एमएलए के आवारा लौन्डे की करतूत, और साथ में एमएलए द्वारा लिखा गया राज़ीनामा सील साइन वाला लेटर छपा था.
एमएलए ने ये सपने में भी नही सोचा होगा कि कल के लौन्डे ये भी कर सकते हैं, ये करना हमारे इसलिए ज़रूरी था कि नेताओं की बात का कोई भरोसा नही होता है.
वो कभी भी किसी भी तरह से लेटर गायब करवा सकता था, और हमें भी कोई नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर सकता था.
इस खबर के सार्वजनिक हो जाने से उसके हाथ बँध चुके थे, अब वो सीधे तौर पर हमारा कुछ नही उखाड़ सकता था, दूसरा वो जनता की नज़र में भी आ चुका था, अब वो कोई भी ग़लत काम चाह कर भी भविष्य में नही कर पाएगा.
हम लोग फिर अपनी सामान्य दिन चर्या में बिज़ी हो गये, वोही क्लासेस, किताबें, वर्कशॉप साथ-2 में दोस्तों के गर्ल्स हॉस्टिल के चक्कर लगने लगे, अपनी-2 महबूबाओं से मिलना जुलना, डेटिंग.. !
वाकी के दोस्तों ने भी सेट्टिंग कर ली थी, जिसमें उन चार लड़कियों ने उनकी हेल्प की, और वैसे भी हमारे द्वारा की गयी उन लड़कियों की हेल्प की वजह से उस कॉलेज में हमारी एक अच्छी इमेज बन गयी थी.
उस घटना के बाद गर्ल्स कॉलेज की प्रिन्सिपल ने हमें इन्वाइट किया था, तो हम सभी दोस्त अपने प्रिन्सिपल के साथ उनके कॉलेज गये जहाँ उन्होने हमें सभी स्टूडेंट्स की मौजूदगी में सम्मानित किया.
इसी सम्मान समारोह में हमारे प्रिन्सिपल की भी गर्ल्स कॉलेज की हॉट, अधेड़ प्रिन्सिपल से सेट्टिंग हो गयी.
लाइफ अच्छी गुजर रही थी, दिन निकलते जा रहे थे, कोई ज़यादा पंगा अब कम-से-कम हमारे कॉलेज से लेने की सोचता भी नही था, चाहे वो गुंडे हों, प्रशासन हो या नेता, कोई भी हमारे कॉलेज से विना-वजह उलझने की कोशिश नही कर करते थे और दूर ही रहते थे.
मे- थॅंक यू इनस्पेक्टर साब..! वैसे आपको नही लगता इतना सब करने की नौबत नही आनी चाहिए थी,
इंस्पेक्टर- अरुण साब…! अब वो रेस्पेक्ट देने लगा था, आप नही जानते ये लोकल लीडर हमें कैसे-2 नचाते हैं साले..!
मे- आप जनता के नौकर हैं या इन नेताओं के ? सीधा-2 क्राइम किया है इन लोगों ने, और उसपे आप लोग लीपा पोती करदेने वाले थे..?
जानते हैं, पोलीस की इन्ही नाकामियों की वजह से जनता का भरोसा आप लोगों से उठता जा रहा है. और इसी वजह से इन नेताओं की हिम्मत और बढ़ जाती है,
ज़रा सोचिए, ये क्या उखाड़ पाएँगे आपका..? ज्यदा से ज़्यादा ट्रान्स्फर ही करा सकते हैं ना..! उससे ज़्यादा क्या है इनके पास..?
वो इनस्पेक्टर चुप रह गया, उसने हमारा और लड़कियों का स्टेट्मेंट लिया और रिपोर्ट दर्ज करली उन लड़कों के खिलाफ..
हम अभी निकलने ही वाले थे कि एमएलए अपने कुछ चमचो के साथ थाने में घुसा.. और घुसते ही हाथ जोड़ के हमारे सामने खड़ा हो गया..लग रहा था एसपी ने पूरी तरह समझा बुझा के भेजा होगा..!
एमएलए लड़कियों की ओर मुखातिब होकर- आप सभी मेरी बेटी जैसी हो, मैने जैसे ही सुना कि मेरे बेटे और उसके कुछ आवारा साथियों ने आप लोगो के साथ बदतमीज़ी की है, तो मे फ़ौरन यहाँ चला आया..
मे आप सबको आश्वस्त करता हूँ कि भविष्य में कभी-भी इन लोगों ने आप लोगों के साथ कोई भी बदतमीज़ी करने की कोशिश की तो में इन्हें अपने हाथों से गोली मार दूँगा..! अब आप मेहरबानी करके अपनी कंप्लेंट वापस ले लीजिए..!
वो लड़कियाँ हमारी तरफ देखने लगी..! मे आगे बढ़के बोला- एक मिनट एमएलए साब, अगर आप इतने ही उसूलों के पक्के हैं, तो ये नौबत आई कैसे ?
अगर आप इतना बड़ा कदम अभी उठा सकते हैं, तो पहले इसके गाल पे दो तमाचे रसीद क्यों नही किए? जिससे ये आवारगार्दी, दारू पीके सरेआम लड़कियों की इज़्ज़त पे हाथ डालने का सोचता ही नही..
हमें आप इतना बेवकूफ़ भी मत समझिए, कि आपकी बातों पर आँख बंद करके विस्वास कर लें..!
एमएलए- देखो बेटा हमारी बात समझने की कोशिश करो, हम ये कतई नही चाहेंगे कि हमारा बेटा किसी की इज़्ज़त के साथ खिलवाड़ करे, वो तो बस थोड़ा हमारी पत्नी के लाड-प्यार की वजह से बिगड़ गया है,
लेकिन अब मे उसे आगे कोई ऐसी छूट नही दूँगा, ये मेरा वादा है आप सब से. एक बार मेरी बात मान लो.
मे- ठीक है, हम आपकी बात मान लेते हैं, लेकिन क्या जो आपने अभी कहा है गोली मारने वाली बात उसे लिख कर दे सकते हैं ?
मेरी बात पर एमएलए हड़बड़ा गया…! मुँह फाडे मेरी ओर देखने लगा..! मे फिर बोला क्या सोचने लगे..सर ? मे जानता हूँ, कहने और करने में ज़मीन आसमान का फ़र्क होता है..!
अगर आप लिखके देने को तैयार हैं तो हम अपनी कंप्लेंट इस शर्त पर वापस ले लेंगे कि ये सब इन लड़कियों के पैरों मे पड़के बहन बोलें और माफी माँग लें.
एमएलए कुछ देर सोच में डूबा रहा.. फिर एक फ़ैसला करके बोला- ठीक है, मुझे मंजूर है तुम्हारी शर्त…!
तुरंत हमने एक कोरे काग़ज़ पर उसका लिखित स्टेट्मेंट लिया, सील साइन कराए.
उन सभी लड़कों ने, लड़कियों के पैरों मे पड़के बहन हमें माफ़ करदो बोलके माफी माँगी.
एमएलए अपने लड़के को गुस्से से घूर रहा था,..! फिर उसने हम लोगों के सामने हाथ जोड़कर हमें धन्याबाद करके उन्हें अपने साथ लेकर चला गया.
वो लड़कियाँ बड़ी खुश दिखाई दे रहीं थी, उनकी नज़रों में हमारे प्रति कृीतग्यता और प्रेम के भाव नज़र आ रहे थे.
फिर हम इनस्पेक्टर को भी धन्याबाद करके थाने से बाहर निकल आए..
धनंजय और रोहन तो अपनी सेट्टिंग रास्ते में ही कर चुके थे उनमें से दो के साथ, वाकी की दो कपिल और जगेश को बड़े प्यार से घूर रही थी, वो दोनो भी उन्हें देखे जा रहे थे.
मैने सोचा चलो ये चारों तो लग गये काम पर.. !
थाने से बाहर आकर, मैने उन लड़कियों से पहली बार इंट्रोडक्षन किया, तो पता चला कि वो गर्ल्स कॉलेज मे पढ़ती हैं और वहीं हॉस्टिल में ही रहती हैं, उन्होने अपने-2 नाम बताए और एक दूसरे से हाथ मिलाया, सेट्टिंग वालों ने तो गले मिलके एक दूसरे को विश किया.
लड़कियों से फिर मिलने का वादा करके हमने उन्हें विदा किया और अपने रास्ते हो लिए…..!
दूसरे दिन सुबह-2 शहर के बहू चर्चित अख़बार में मुख्य खबर के रूप में एमएलए के आवारा लौन्डे की करतूत, और साथ में एमएलए द्वारा लिखा गया राज़ीनामा सील साइन वाला लेटर छपा था.
एमएलए ने ये सपने में भी नही सोचा होगा कि कल के लौन्डे ये भी कर सकते हैं, ये करना हमारे इसलिए ज़रूरी था कि नेताओं की बात का कोई भरोसा नही होता है.
वो कभी भी किसी भी तरह से लेटर गायब करवा सकता था, और हमें भी कोई नुकसान पहुँचाने की कोशिश कर सकता था.
इस खबर के सार्वजनिक हो जाने से उसके हाथ बँध चुके थे, अब वो सीधे तौर पर हमारा कुछ नही उखाड़ सकता था, दूसरा वो जनता की नज़र में भी आ चुका था, अब वो कोई भी ग़लत काम चाह कर भी भविष्य में नही कर पाएगा.
हम लोग फिर अपनी सामान्य दिन चर्या में बिज़ी हो गये, वोही क्लासेस, किताबें, वर्कशॉप साथ-2 में दोस्तों के गर्ल्स हॉस्टिल के चक्कर लगने लगे, अपनी-2 महबूबाओं से मिलना जुलना, डेटिंग.. !
वाकी के दोस्तों ने भी सेट्टिंग कर ली थी, जिसमें उन चार लड़कियों ने उनकी हेल्प की, और वैसे भी हमारे द्वारा की गयी उन लड़कियों की हेल्प की वजह से उस कॉलेज में हमारी एक अच्छी इमेज बन गयी थी.
उस घटना के बाद गर्ल्स कॉलेज की प्रिन्सिपल ने हमें इन्वाइट किया था, तो हम सभी दोस्त अपने प्रिन्सिपल के साथ उनके कॉलेज गये जहाँ उन्होने हमें सभी स्टूडेंट्स की मौजूदगी में सम्मानित किया.
इसी सम्मान समारोह में हमारे प्रिन्सिपल की भी गर्ल्स कॉलेज की हॉट, अधेड़ प्रिन्सिपल से सेट्टिंग हो गयी.
लाइफ अच्छी गुजर रही थी, दिन निकलते जा रहे थे, कोई ज़यादा पंगा अब कम-से-कम हमारे कॉलेज से लेने की सोचता भी नही था, चाहे वो गुंडे हों, प्रशासन हो या नेता, कोई भी हमारे कॉलेज से विना-वजह उलझने की कोशिश नही कर करते थे और दूर ही रहते थे.
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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- jay
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
यहाँ मे एक बात क्लियर करना ज़रूरी समझता हूँ, कि मैने उस कॉलेज की किसी भी लड़की को अपनी तरफ आकर्षित नही होने दिया, एक नही कइयों ने कोशिश भी की लेकिन मैने बड़े प्यार से नो वेकेन्सी वाला बोर्ड अपने उपर लगा लिया था.
एक शाम मेरे दोस्त डेट पर गये थे, में अपने रूम में अकेला था, थोड़ी देर बुक्स पढ़ता रहा, फिर उठके मेस में खाना खाया, और करीब 8- साडे 8 बजे कॅंपस से बाहर रोड पर टहलने निकल पड़ा.
मेरे दिमाग़ में विचारों का आना-जाना लगा हुआ था, काफ़ी दिनों से रिंकी का कोई लेटर नही मिला था, तो मे थोड़ा उदास भी था, मन को कई तरह के विचारों ने घेरा हुआ था.
पता नही क्या हुआ होगा उसके साथ ? लेटर क्यों नही लिखा ? कहीं बीमार तो नही पड़ गयी होगी, जिसकी वजह से लेटर नही लिख पाई हो. ऐसे ही विचारों की आँधी सी चल रही थी मेरे मन में.
टहलते-2 सोच में डूबा हुआ मे कॉलेज से काफ़ी दूर शहर से बाहर की ओर करीब दो किमी निकल आया था, रात का अंधेरा गहराता जा रहा था. रोड के दोनो तरफ घनी झाड़ियाँ थीं, झींगुरों की झींझीनाहट रात के सन्नाटे को चीरती हुई सुनाई दे रही थी बस...!
अचानक एक औरत की चीख मेरे कानों में पड़ी, पहले तो अपनी सोचों के दायरे से बाहर आकर इधर-उधर नज़र डाली लेकिन गहन अंधेरे के अलावा और कुछ नही दिखाई दिया..
1 मिनट के बाद फिर से एक चीख सुनाई दी, अब मे चौकन्ना हो चुका था, और चीख की दिशा में स्वतः ही मेरे कदम मूड गये.
करीब 20-25 कदम झाड़ियों के अंदर जाकर जो नज़ारा मेरी आखों ने देखा वो मेरी आँखों मे खून उतरने के लिए काफ़ी था. जिस बात से मुझे सख़्त नफ़रत थी वोही मेरी आँखों के सामने था.
एक औरत जिसे 4 गुंडे पकड़े हुए थे, एक ने उसका मुँह दबाया हुआ था, दो उसको आजू-बाजू से उसके हाथों को पकड़े थे, और चौथा उसके कपड़े निकालने की कोशिश कर रहा था, वो अबला नारी अपनी पूरी शक्ति से अपने कपड़े उतारने से रोकने की भरसक कोशिश में लगी थी,
बीच-2 में जब उसके मुँह पर उस गुंडे की पकड़ ढीली पड़ती तो चीख पड़ती मदद की आशा में.
मे उनसे 5-6 कदम पहले ही खड़ा हो गया और गुर्राते हुए बोला - आए..! छोड़ो उसे,
जो गुंडा उसकी साड़ी को पकड़े हुए था, घूम कर मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए बोला… आए कोन है तू..? भाग जा यहाँ से.. क्यों मरने आया है यहाँ..?
मे- चला जाउन्गा.. पहले तुम लोग उस औरत को छोड़ो..
गुंडा- तू कॉन होता है हमें ऑर्डर देने वाला.. जा यहाँ से वरना खम्खा मारा जाएगा, और उसने एक रामपुरी चाकू निकाल लिया.
मे अपनी आँखें उसके चाकू वाले हाथ पे जमाए हुए एक कदम बढ़ाते हुए बोला- अब ये तो आनेवाला वक़्त ही बताएगा प्यारे, कॉन मरता है और कॉन नही.
उनकी हालत बता रही थी वो चारों नशे में हैं, मुझे आगे बढ़ते हुए देख वो हड़वाड़ाया और हाथ उठा कर एक चाकू का वार मुझ पे किया,
उसका हाथ मैने हवा में ही पकड़ के उसकी कलाई को मरोड़ दिया, जिससे उसका चाकू हाथ से छूट गया जिसे मैने दूसरे हाथ में ले लिया.
पता नही क्यों आज मेरी आँखों में कुछ ज़्यादा ही गुस्सा था, मैने उस गुंडे का उल्टे हाथ से गला पकड़ा और दाँत भीचते हुए पूरा का पूरा चाकू उसकी आंतडियों में उतार दिया, और एक राउंड चाकू को उसके पेट में घुमाके पीछे को धक्का देदिया, चाकू बाहर निकलते ही उसके पेट से भल्भला कर खून बाहर आने लगा. वो वहीं पड़ा-2 तड़पने लगा और थोड़ी देर में शांत पड़ गया.
उसके साथियों ने जैसे ही ये सीन देखा, उनकी आँखें गुस्से में जलने लगी, नशा हिरण हो गया उन तीनों का.
जो उस औरत का मुँह पकड़े था उसने पिस्टल निकाली और दूसरे दोनो ने उसे छोड़के अपने-2 छुरे निकाल लिए, अब वो तीन तरफ से मुझ पर हमला करने वाले थे.
पिस्टल वाला दाँत पीसते हुए- हरामज़ादे कुत्ते, तूने इसे मार डाला..? साले अब तू जिंदा नही बचेगा.. और उसने फाइयर कर दिया, मेरी नज़र उसकी उंगली पर ही थी
जैसे ही उसने फाइयर किया, मे साइड में हट गया और साथ ही एक कराट दूसरे चाकू वाले की गर्दन पर मारी..
एक साथ दो काम हुए, एक तो फाइयर की आवाज़ से उस औरत की चीख निकली, दूसरी उस आदमी की गर्दन की हड्डी टूटी और वो मरने वाले भैंसे की तरह डकार मारता हुआ, गिर पड़ा.
पिस्टल वाला भौचक्का रह गया, एक तो उसका वार खाली गया दूसरा उसका एक और साथी घायल हो गया, उन दोनो का गुस्से में मानसिक संतुलन खो गया और वो मेरी ओर झपट पड़े.. मैने फुर्ती दिखाते हुए अपनी टाँग चलाई और एक किक उस पिस्टल वाले के हाथ में लगी, उसकी पिस्टल हाथ से छूट कर कहीं अंधेरे में खो गयी,
एक शाम मेरे दोस्त डेट पर गये थे, में अपने रूम में अकेला था, थोड़ी देर बुक्स पढ़ता रहा, फिर उठके मेस में खाना खाया, और करीब 8- साडे 8 बजे कॅंपस से बाहर रोड पर टहलने निकल पड़ा.
मेरे दिमाग़ में विचारों का आना-जाना लगा हुआ था, काफ़ी दिनों से रिंकी का कोई लेटर नही मिला था, तो मे थोड़ा उदास भी था, मन को कई तरह के विचारों ने घेरा हुआ था.
पता नही क्या हुआ होगा उसके साथ ? लेटर क्यों नही लिखा ? कहीं बीमार तो नही पड़ गयी होगी, जिसकी वजह से लेटर नही लिख पाई हो. ऐसे ही विचारों की आँधी सी चल रही थी मेरे मन में.
टहलते-2 सोच में डूबा हुआ मे कॉलेज से काफ़ी दूर शहर से बाहर की ओर करीब दो किमी निकल आया था, रात का अंधेरा गहराता जा रहा था. रोड के दोनो तरफ घनी झाड़ियाँ थीं, झींगुरों की झींझीनाहट रात के सन्नाटे को चीरती हुई सुनाई दे रही थी बस...!
अचानक एक औरत की चीख मेरे कानों में पड़ी, पहले तो अपनी सोचों के दायरे से बाहर आकर इधर-उधर नज़र डाली लेकिन गहन अंधेरे के अलावा और कुछ नही दिखाई दिया..
1 मिनट के बाद फिर से एक चीख सुनाई दी, अब मे चौकन्ना हो चुका था, और चीख की दिशा में स्वतः ही मेरे कदम मूड गये.
करीब 20-25 कदम झाड़ियों के अंदर जाकर जो नज़ारा मेरी आखों ने देखा वो मेरी आँखों मे खून उतरने के लिए काफ़ी था. जिस बात से मुझे सख़्त नफ़रत थी वोही मेरी आँखों के सामने था.
एक औरत जिसे 4 गुंडे पकड़े हुए थे, एक ने उसका मुँह दबाया हुआ था, दो उसको आजू-बाजू से उसके हाथों को पकड़े थे, और चौथा उसके कपड़े निकालने की कोशिश कर रहा था, वो अबला नारी अपनी पूरी शक्ति से अपने कपड़े उतारने से रोकने की भरसक कोशिश में लगी थी,
बीच-2 में जब उसके मुँह पर उस गुंडे की पकड़ ढीली पड़ती तो चीख पड़ती मदद की आशा में.
मे उनसे 5-6 कदम पहले ही खड़ा हो गया और गुर्राते हुए बोला - आए..! छोड़ो उसे,
जो गुंडा उसकी साड़ी को पकड़े हुए था, घूम कर मुझे खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए बोला… आए कोन है तू..? भाग जा यहाँ से.. क्यों मरने आया है यहाँ..?
मे- चला जाउन्गा.. पहले तुम लोग उस औरत को छोड़ो..
गुंडा- तू कॉन होता है हमें ऑर्डर देने वाला.. जा यहाँ से वरना खम्खा मारा जाएगा, और उसने एक रामपुरी चाकू निकाल लिया.
मे अपनी आँखें उसके चाकू वाले हाथ पे जमाए हुए एक कदम बढ़ाते हुए बोला- अब ये तो आनेवाला वक़्त ही बताएगा प्यारे, कॉन मरता है और कॉन नही.
उनकी हालत बता रही थी वो चारों नशे में हैं, मुझे आगे बढ़ते हुए देख वो हड़वाड़ाया और हाथ उठा कर एक चाकू का वार मुझ पे किया,
उसका हाथ मैने हवा में ही पकड़ के उसकी कलाई को मरोड़ दिया, जिससे उसका चाकू हाथ से छूट गया जिसे मैने दूसरे हाथ में ले लिया.
पता नही क्यों आज मेरी आँखों में कुछ ज़्यादा ही गुस्सा था, मैने उस गुंडे का उल्टे हाथ से गला पकड़ा और दाँत भीचते हुए पूरा का पूरा चाकू उसकी आंतडियों में उतार दिया, और एक राउंड चाकू को उसके पेट में घुमाके पीछे को धक्का देदिया, चाकू बाहर निकलते ही उसके पेट से भल्भला कर खून बाहर आने लगा. वो वहीं पड़ा-2 तड़पने लगा और थोड़ी देर में शांत पड़ गया.
उसके साथियों ने जैसे ही ये सीन देखा, उनकी आँखें गुस्से में जलने लगी, नशा हिरण हो गया उन तीनों का.
जो उस औरत का मुँह पकड़े था उसने पिस्टल निकाली और दूसरे दोनो ने उसे छोड़के अपने-2 छुरे निकाल लिए, अब वो तीन तरफ से मुझ पर हमला करने वाले थे.
पिस्टल वाला दाँत पीसते हुए- हरामज़ादे कुत्ते, तूने इसे मार डाला..? साले अब तू जिंदा नही बचेगा.. और उसने फाइयर कर दिया, मेरी नज़र उसकी उंगली पर ही थी
जैसे ही उसने फाइयर किया, मे साइड में हट गया और साथ ही एक कराट दूसरे चाकू वाले की गर्दन पर मारी..
एक साथ दो काम हुए, एक तो फाइयर की आवाज़ से उस औरत की चीख निकली, दूसरी उस आदमी की गर्दन की हड्डी टूटी और वो मरने वाले भैंसे की तरह डकार मारता हुआ, गिर पड़ा.
पिस्टल वाला भौचक्का रह गया, एक तो उसका वार खाली गया दूसरा उसका एक और साथी घायल हो गया, उन दोनो का गुस्से में मानसिक संतुलन खो गया और वो मेरी ओर झपट पड़े.. मैने फुर्ती दिखाते हुए अपनी टाँग चलाई और एक किक उस पिस्टल वाले के हाथ में लगी, उसकी पिस्टल हाथ से छूट कर कहीं अंधेरे में खो गयी,
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- rajaarkey
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Re: ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना
bahut hi sundar update hai dost
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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
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