811सी
चाची ने घर आते पहले मुझे गले लगा कर चूमना शुरू किया
अवी - चाची क्या कर रही हो विद्या देख रही है
ब चाची- तू मेरा बेटा है तुझे प्यार करने से कैसा डर
अवी - इतना सारा प्यार
ब चाची- तूने आज मेरा नाम उँचा किया है
अवी - मैं ने तो बस अपनी फॅमिली को एक किया है
ब चाची- यही तो मैं चाहती हूँ , कि तू ऐसे अपने प्यार से सबको खुशी देता रहे
अवी - अपने भाई बहनों के लिए इतना तो मैं कर ही सकता हूँ
ब चाची- ऐसे ही अपने भाई बहनों को साथ लेकर चलना , उनको बीच मे मत छोड़ देना ,
अवी - जी
ब चाची- तेरी पूजा बुआ को तुझे देख कर तेरे पापा की याद आई थी
अवी - मेरे पापा की , क्या मेरे पापा भी ऐसे ही अपने भाई बहनों को प्यार करते थे
ब चाची- हाँ , सब साथ रहते थे , पर हर दिन एक जैसा नही होता , बड़े होते दूरिया पैदा हो जाती है
अवी - क्या हुआ था चाची ,
ब चाची-शादी के बाद दूर हो जाते हैना (झूठ) , पर तू ऐसा मत करना , हमेशा अपने भाई बहनों के साथ रहना
अवी - आपकी बात याद रखूँगा
ब चाची- मेरा प्यारा बेटा
अवी - चाची पूजा बुआ और नीता बुआ तो खुश हो गयी पर नेहा बुआ
ब चाची- नेहा बुआ क्या ?
अवी - उनको तो मेरी कोई बात पसंद नही आती , मेरी थोड़ी भी तारीफ नही की
बड़ी चाची छोटी चाची की तरफ देखने लगी
अवी - चाची नेहा बुआ ने राजेश को प्यार किया पर मुझे कुछ नही कहा
ब चाची- नेहा तो सब से ज़्यादा खुश थी
अवी - हाँ , पर मेरा नाम भी नही
ब चाची- देख , नेहा के प्यार करने का तरीका अलग है
अवी -मैं समझा नही
ब चाची- अगेर वो तेरी तारीफ करती तो तू हवा मे उड़ जाता , तुझे लगता कि तू कुछ भी कर सकता है , ऐसे मे तुझ मे ओवरकॉन्फिडेन्स पैदा ना हो इस लिए नेहा ऐसा करती है
अवी - मैं फिर भी नही समझा नेहा बुआ के प्यार को
ब चाची- देख मैं तेरी माँ हूँ , वैसे नेहा भी तेरी माँ है , मैं अपने प्यार को छुपा कर नही रखती , पर नेहा रखती है , मैं तेरी तारीफ करती हूँ तो नेहा तुझे ये बताती है कि ये सिर्फ़ एक स्टेप था तुझे और उपर जाना है अभी से हवा मे उड़ने लगेगा तो तू गिर जाएगा , तुझे गिरने से बचाने के लिए ऐसा कहती है
अवी - पर एक बार तो प्यार से मेरा नाम ले सकती थी , मुझे अच्छा लगता
ब चाची- नेहा तेरे अच्छे के लिए ऐसा करती है , इसमे उसका प्यार छुपा होता है , वो राजेश को नही तुझे प्यार कर रही थी , राजेश को तुम समझ कर प्यार कर रही थी ,
अवी - मुझे ऐसा प्यार नही चाहिए , हमेशा वो कुछ ना कुछ बुरा भला कहती है
ब चाची- अवी नेहा के भरा भुला कहने से ही तू इतना अच्छा बन पाया है
अवी - आपकी वजह से मैं ऐसा बना हूँ
ब चाची- तुझे कुछ पता नही है
अवी - तो बताइए ना
ब चाची- देख मेला का काम तुझे देने के लिए हम सब तय्यार थे सिवाय
अवी - सिवाय नेहा बुआ के , मना किया होगा नेहा बुआ
ब चाची- नेहा ने मना किया पर क्यूँ किया था पता है
अवी - नेहा बुआ मुझे पसंद नही करती
ब चाची- ये बात दुबारा मत कहना , नेहा के लिए तू क्या है ये सिर्फ़ मैं जानती हूँ
अवी - सॉरी चाची
ब चाची- ऐसे ही ग़लतियाँ तू ना करे इस लिए नेहा तुझे डाँटती रहती है
अवी - जी
ब चाची- पता है नेहा ने मेले का काम तुझे देने से मना क्यूँ किया था , क्यू कि नेहा को पता है कि ये काम कितना मुश्किल होता है , कितना टेन्षन होता है , कितना दबाव होता है , रात को सोने को समय नही मिलता , दिन मे खाने को टाइम नही मिलता , और सिर्फ़ 10 दिन बाकी थे मेले को , ऐसे मे मेले का काम तुझे देते तो तू ये काम कर नही पाता , ये नामुमकिन था ,
ब चाची- तुझे इस से बहोत ज़्यादा चोट लगती , तेरा नाम खराब हो जाता , तेरी शुरुआत खराब हो जाती तो आगे तेरा फ्यूचर पे असर होता , ठाकुर की हवेली पे क्या होता है हम सबको पता है , नेहा को डर था कि तुझे बुरी आदत लग जाएगी , ठाकुर के साथ रह कर तू शराब पीना शुरू कर देगा ,ठाकुर का छोटा बेटा कैसा है हम सबको पता है ऐसे मे तू वहाँ रहता तो तुझे भी वो आदत लग जाती
ब चाची- तुझे इन सब से दूर रखने के लिए नेहा ने मेले का काम तुझे देने से मना किया था , , उसको तेरी फिकर थी , उसने इसलिए मना नही किया कि वो तुझे नफ़रत करती है , इस लिए मना किया क्यू कि नेहा तुझे प्यार करती है
अवी - ऐसा था तो आपने मना क्यूँ नही किया मेले का काम मुझे देने से
ब चाची- तेरे चाचा ने मना कर दिया था , और ये हमारी परंपरा थी , ऐसे टूटने थोड़े देते , तेरे चाचा के बाद तू ही बड़ा है , और तुम्हारे दादाजी ने उनके बाद तुम्हे ये ज़िम्मेदारी देने को कहा था मुझे , उनको तुझ पे पूरा विश्वास था , तेरे दादाजी को पता था कि तू ही ये परंपरा आगे लेकर जाएगा ,
अवी - अगर मैं कर नही पाता मेले का काम तो
ब चाची- हमे तुझपे पूरा विश्वास था , तेरे दादाजी को तुझपे विश्वास था , हमारा प्यार तेरे साथ था , ऐसे कैसे तू कर नही पाता , मेरा बेटा सब मुश्किलो का सामना कर सकता है
अवी - तभी आपने मुझे हवेली जाने से मना किया था
ब चाची- हाँ , नेहा की बातों ने मुझे भी सोचने पे मज़बूर कर दिया , और मैं ने मीना को बोल कर तुझे घर3 मे रहने को कहा
अवी - इतना कुछ था तो नेहा बुआ ने हाँ कैसे कहा
ब चाची- नेहा तुझे मेले का काम देने से मना कर रही थी तेरी जगह राजेश को देने को कहा था , ये काम नामुमकिन था तो वो राजेश की बलि देने को तय्यार थी पर तुझे चोट लगने से बचाना चाहती थी
अवी - ये सब झूठ हैना , नेहा बुआ ऐसा कर ही नही सकती
ब चाची- यही सच है , नेहा तेरे भले का सोचती है
अवी - फिर बुआ तय्यार कैसे हुई
ब चाची- राजेश तुझसे भी छोटा है , उसे काम देते तो तुझ पे गाओं वाले सवाल पूछते , और राजेश को गाओं के बारे मे ज़्यादा कुछ पता नही है ऐसे मे वो कर ही नही पाता ,
अवी - पूजा बुआ ने समझाया होगा नेहा बुआ को
ब चाची- मैं ने समझाया उसको , तेरे दादाजी की बात नेहा को बताई , तुम्हारे दादाजी जो चाहते थे वो बताया , नेहा अपने पिताजी से बहुत प्यार करती है , उनकी बात को मना कैसे करती , नेहा ने दिल. पे पत्थर रख कर तुझे मेले का काम करने की इजाज़त दी
अवी - पर उनकी इजाज़त लेने की ज़रूरत क्या थी
ब चाची- अवी , जैसे मैं तेरी माँ हूँ वैसे नेहा भी है ,
अवी - सॉरी चाची
ब चाची- देखो अवी , तुम्हे जो सिंपल लगता है वो इतना सिंपल नही है , तुम्हे समय आने पर सब पता चल जाएगा
अवी - वो समय कब आएगा
म चाची- खाना खाने के बाद
ब चाची- मेरे बेटे ने इतना अच्छा काम किया है कि आज तो मैं अपने हाथो से खिलाओगे
अवी - चाची नेहा बुआ इतना प्यार करती है मुझसे
ब चाची- हाँ , हम तो शुरू से कहते आ रहे है , तू उसके प्यार को समझने की कॉसिश करना , देखा नही उस दिन कोमल को खुश देख कर तुझे प्यार करना चाहती थी , पर वो अपने फीलिंग को बाहर आने ही नही देती
अवी - मैं उनके प्यार को बाहर निकालूँगा ,
ब चाची- तू ने ऐसा किया ना तो मैं तुझे रोज अपने हाथो से खाना खिलाउन्गा
अवी - फिर तो मैं ऐसा ही करूँगा
ब चाची- चल अब खाना खा ले
फिर बड़ी चाची ने मुझे खाना खिलाया.
बड़ी चाची ने मुझे अपने हाथो से खाना खिलाया.
फिर चाची ने सवालो की बारिश शुरू की और मैं ने जवाब देना शुरू किया.
छोटी चाची चुप चाप सुन रही थी ,उनके सवालो के जवाब मैं कमरे मे दूँगा
सीमा चाची मुझे गरम गरम परान्ठे परोसती गयी. और अपने हसी मज़ाक वाले सवाल पूछ कर महॉल मज़ेदार बना रही थी
चाची के सवाल होते ही मैं बच्चो के साथ खेलने लगा.
मैं दूसरो को समय दे सकता हूँ तो अपने बच्चो के लिए समय निकाल ही सकता हूँ. उनके लिए थकान का बहाना नही चलेगा.
बच्चो को प्यार करने के बाद मैं अपने कमरे मे चला गया.
अपने कमरे मे आते ही मैं बड़ी चाची की बातों के बारे मे सोचने लगा
बड़ी चाची कह रही थी की नेहा बुआ मुझे प्यार करती है बस दिखाती नही
वो छुप कर मुझे प्यार करती है
मेरे अच्छे के लिए मुझे रोकती है टोकती है
बड़ी चाची क्या सच बोल रही थी
या फिर मुझसे सच छुपाने के लिए ऐसा कहा
बड़ी चाची मुझ से झूठ नही बोलती
ज़रूर कुछ तो बात होगी जिस से नेहा बुआ अपने प्यार को छुपा कर रखती है
नेहा बुआ की बात कभी कभी दर्द देती है तो कभी कभी प्यार भी नज़र आता है
मुझे खुद पता लगाना होगा कि नेहा बुआ ऐसी क्यू है
पर बड़ी चाची जब बोल रही थी तब छोटी चाची चुप थी
छोटी चाची ने कुछ भी नही कहा
एक वर्ड भी अपने मूह से नही निकाला
शायद उनको बुरा लगा होगा मेरा बड़ी चाची को पूछना
छोटी चाची ने कहा था कि मुझे कुछ भी पूछना हो तो उनसे पुच्छू
छोटी चाची को मेरा बड़ी चाची से सवाल पूछना बुरा ही लगा होगा
पर छोटी चाची कुछ बताती नही है
ऐसे ने बड़ी चाची से मैं ने पूछा तो क्या हुआ
मैं ऐसे ही इधर उधर से पूछ कर नेहा बुआ मेरे साथ ऐसे क्यू रहती है इसका पता लगा लूँगा
कोमल से कहा था की जितना हो सके नेहा बुआ के बारे मे मुझे बता दे
पर ये छोटी चाची अब तक आई क्यूँ नही
क्या उनको सच मे बुरा लगा होगा
बुरा लगा होगा तो भी छोटी चाची मेरे पास ज़रूर आएँगी
मैं छोटी चाची का इंतज़ार करने लगा
मैं और मेरा परिवार
- xyz
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- Joined: 17 Feb 2015 17:18
Re: मैं और मेरा परिवार
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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Re: मैं और मेरा परिवार
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और छोटी चाची के आने का इंतज़ार करने लगा.
छोटी चाची को शायद बड़ी चाची ने बुलाया होगा
बड़ी चाची पहले छोटी चाची से बात करेंगी
छोटी चाची के चुप रहने से मुझे अजीब अजीब ख़याल आ रहे थे
और छोटी चाची को इतनी देर होने से मुझे पक्का शक हो रहा था कि बड़ी चाची और छोटी चाची कुछ बात कर रही होंगी
छोटी चाची ने मुझे मना किया था कि बड़ी चाची से इस बारे मे कुछ पूछने से
पर मैं ने आज बड़ी चाची से पूछ ही लिया
और बड़ी चाची ने मुझे बता दिया कि नेहा बुआ मेरे बारे मे क्या सोचती है
नेहा बुआ के बारे मे अब मुझे बहोत कुछ पता चल गया था
अब तो मैं सब से ऐसे ही थोड़ा थोड़ा पूछ लिया करूँगा जब तक छोटी चाची मुझे कुछ बताती नही है
और मेरा इंतज़ार ख़तम हो गया
छोटी चाची मेरे कमरे मे आ गयी
छोटी चाची के चेहरे का तेज थोड़ा कम हो गया था
ज़रूर कुछ बड़ी बात हुई होगी बड़ी चाची और छोटी चाची के बीच मे
अवी- चाची
सी चाची-अवी तूने ये क्या किया
अवी- क्या हुआ चाची
सी चाची-तूने तो कमाल कर दिया आज
अवी- राजेश के बारे मे बात कर रही है आप
सी चाची-हाँ ,तुझे क्या लगा किस बारे मे बात कर रही हूँ
अवी- मुझे लगा बड़ी चाची को मैं ने नेहा बुआ के बारे मे पूछा तो आपको गुस्सा आया होगा
सी चाची-गुस्सा , नही बहुत ज़्यादा गुस्सा आया है
अवी- ये मज़ाक था ना चाची
सी चाची-तूने सुमन दीदी से ये सब क्यू पूछा
अवी- बड़ी चाची ने आपको कुछ कहा क्या
सी चाची-मेरे सवाल का जवाब दे
अवी- जवाब आपको पता है
सी चाची-आज ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गयी जो सुमन दीदी से पूछ लिया तूने
अवी- आज मैं ने इतना कुछ किया , राजेश खुश है नीता बुआ खुश है , नेहा बुआ खुश थी , पर मुझे नेहा बुआ ने थॅंक्स भी नही कहा , प्यार से नाम भी नही लिया
सी चाची-नेहा ऐसी ही है
अवी- वो ऐसी क्यू है इतना ही तो पूछा बड़ी चाची से
सी चाची-मुझे भी तो पूछ सकता था
अवी- आप कुछ बताती नही है
सी चाची-सही समय तो आने दो
अवी- हर सवाल का जवाब यही देती है आप
सी चाची-समय से पहले कुछ किया तो दर्द मिलता है
अवी- थोड़ा थोड़ा तो बता सकती हैना
सी चाची-थोड़ा थोड़ा कुछ नही होता
अवी- इसीलिए मैं ने बड़ी चाची से पूछा , देखा बड़ी चाची ने मुझे जवाब दे दिया
सी चाची-और तू इस जवाब से खुश हो गया
अवी- क्या मतलब
सी चाची-आधे अधूरे जवाब से तू खुश हो गया
अवी- बड़ी चाची से मैं इस से ज़्यादा पूछ नही पाया , उनको बुरा लग जाता तो
सी चाची-इसी लिए तो कह रही हूँ कि मुझे पूछा कर
अवी- आप बता देती
सी चाची-नही
अवी- इसी लिए बड़ी चाची से पूछा
सी चाची-तूने पूछ तो लिया पर उनको बुरा लगा होगा ये नही सोचा तूने
अवी- बड़ी चाची को बुरा क्यू लगेगा
सी चाची-दीदी जल्दी भावुक हो जाती है , वो तेरे सामने रोती थोड़ी
अवी- बड़ी चाची रो रही थी
सी चाची-और नही तो क्या , नेहा की वजह से तुझे दुख मिल रहा है तू परेशान है ये देख कर क्या उनको अच्छा लगा होगा
अवी- मैं तो
सी चाची-तुझे जो पूछना था मुझे पूछ लेता
अवी- सॉरी चाची
सी चाची-दुबारा ऐसा मत करना
अवी- बड़ी चाची से माफी माँग लेता हूँ
सी चाची-ऐसा तो बिल्कुल ही मत करना , वरना उनको और बुरा लगेगा , मैं ने उनको समझा दिया है
अवी- आपने बड़ी चाची को
सी चाची-मैं ने उनको सुला दिया है , पर तू दुबारा ऐसा मत करना
अवी- नही करूँगा , अब से आपको पूछा करूँगा
सी चाची-मुझ पे विश्वास रख , मैं तुझे एक दिन ज़रूर बता दूँगी
अवी- जी , मैं उस दिन का इंतज़ार करूँगा
सी चाची-अब तो लगता है वो समय जल्दी आ जाएगा
अवी- क्या मतलब
सी चाची-नेहा के दिल मे तेरे लिए प्यार पैदा हो रहा है
अवी- सच
सी चाची-हां , कोमल के बाद तुम ने नेहा की दूसरी कमज़ोरी को हाथ लगाया है
अवी- राजेश
सी चाची-नीता है नेहा की कमज़ोरी
अवी- नीता बुआ , वो तो उनकी बहन है
सी चाची-पूजा दीदी से ज़्यादा प्यार करती है नेहा नीता से ,
अवी- आपने पहले भी बताया था
सी चाची-नेहा की सिर्फ़ एक फ्रेंड है वो है नीता , देखा नही नेहा राजेश को कितना प्यार कर रही थी
अवी- बड़ी चाची ने कहा कि वो मुझे प्यार कर रही थी
सी चाची-दीदी ने सही कहा , कोमल के समय देखा नही था तुमने , नेहा अपने दिल की बात बताने से पहले कमरे मे भाग गयी थी , नेहा अपनी फीलिंग को दबा कर रखती है , उसको बहने नही देती
अवी- ये ग़लत बात है
सी चाची-हां , ऐसा करने से उनके दिल मे दर्द ही दर्द भर गया है
अवी- और नफ़रत
सी चाची-हां , तू बस अपने प्यार से उनके नफ़रत को कम कर देना
अवी- वो तो कर दूँगा पर मुझे नेहा बुआ के बारे मे कुछ भी पता नही है
सी चाची-एक कहानी सुनेगा
अवी- अब ये कहानी बीच मे कहाँ से आ गयी
सी चाची-बोल सुनेगा क्या
अवी- आप ऐसा ही करती हो , बात बदल देती हो इसी लिए बड़ी चाची से पूछ लिया
सी चाची-मैं कहानी अच्छे से बताती हूँ
अवी- मुझे नेहा बुआ के बारे मे जानना है
सी चाची-वो तो तुम्हे कभी ना कभी बता दूँगी
अवी-वो दिन कब आएगा
सी चाची-आएगा , जल्दी आएगा , तू बड़ा हो रहा है
अवी- इंतज़ार करूँगा
सी चाची-जो पूछा हो मुझे पूछा कर
अवी- तो पूछने पर आप बता देंगी
सी चाची-नही ,
अवी- ये चीटिंग
सी चाची-मैं ऐसी ही हूँ
अवी- तो मैं बड़ी चाची से पूछूँगा
सी चाची-और उनको रुला कर तुझे अच्छा लगेगा
अवी- आप से पूछ लूँगा पर पहले आपको राजेश के साथ क्या किया वो बताउन्गा
सी चाची-पहले मेरी कहानी सुन
अवी- आपको जानना नही है कि मैं ने क्या किया
सी चाची-वो बाद मे पूछ लूँगी पहले मेरी कहानी
अवी- आप बिना बताए मानेगी नही
सी चाची-मेरे बेटे को कहानी सुना कर सुलाना चाहती हूँ
अवी- बताई , आज कहानी सुनकर सोउंगा
सी चाची-हट मुझे बेड पर लेटने दे
अवी- आप , मैं आपकी गोद मे लेट जाउ
चाची बेड पे बैठ गयी और मैं उनकी गोद मे सर रख कर उनकी कहानी सुनने लगा
अवी- चाची शुरू करो
सी चाची-कहानी शुरू तो करूँगी , पर तुम्हे मेरी कुछ बाते माननी होंगी
अवी- क्या करना होगा मुझे
सी चाची-तू बीच मे कुछ नही बोलेगा , और कहानी सुनकर भी कुछ नही पूछेगा
अवी- कहानी मे ऐसा है क्या
सी चाची-प्रॉमिस कर
अवी- (कहानी तो है , इसमे इतना क्या सोचना है ) बताइए
सी चाची-प्रॉमिस करो
अवी- मैं कुछ नही पूछूँगा ना ही बीच मे और ना कहानी के बाद
सी चाची-तो सुन
वन्स अपॉन टाइम इन
अवी- रुकिये
सी चाची-मैं ने कहा था ना कि बीच मे मत बोलना
अवी- हिन्दी मे बताइए
सी चाची-ठीक है ,
तुम्हे एक नटखट , हश्मुख , एक प्यारी लड़की की कहानी बताती हूँ ,
ये कहानी एक छोटे से गाओं मे रहने वाली लड़की की है
जितना वो गाओं प्यारा था उस भी ज़्यादा वो लड़की प्यारी थी
हँसती खेलती , अपने भाई बहनों के साथ मस्ती करना यही उसकी लाइफ थी
अपने छोटी बहन को जान से ज़्यादा प्यार करती है
अपने बड़े भाई की लाडली है
अपने पिताजी के दिल का टुकड़ा है
सबकी ज़ुबान पर इन दो बहनों का नाम ही रहता है
माँ जी- रूको ये मत करना ............ ये क्या किया तुमने................ , इन दोनो से परेशान हो गयी हूँ.............. , पूरा खाना जला दिया है .............., अब भाग कहाँ रही हो ............., तुम्हारी पिटाई करनी होगी ..............., अब तुम्हारे पिताजी भी तुम्हे बचा नही पाएँगे ........................ कहाँ छुपी हो ................., बाहर निकलो............... , मुझे फिर से खाना बनाना होगा .............
अपनी छोटी बहन के साथ मिलके फिर से उसने अपनी माँ को तंग किया
पूरा खाना जला दिया
और हमेशा की तरह अपने पिताजी के पीछे जाकर छुप गयी होगी
उनका ये रोज का काम था , अपनी माँ को परेशान करना पीर अपने पिताजी के पीछे छुप जाना ,
उनको पता है कि पिताजी उनको माँ के गुस्से से बचा लेंगे
पिताजी-क्या हुआ ............., फिर से दोनो ने मस्ती की होंगी ,.............., तुम दोनो कब बड़ी होगी .............., अरे छुप जाओ तुम्हारी माँ आ रही है ................... तुम्हारी माँ बहोत गुस्से मे है .................. वहाँ नही बेड के नीचे छुप जाओ................ मैं बता दूँगा कि तुम दोनो यहाँ नही हो ..............
हमेशा की तरह पिताजी ने उनको छुपा दिया
उनकी माँ आज बहोत गुस्से मे थी , उनका गुस्सा सिर्फ़ पिताजी शांत कर सकते है ,
अपनी प्यारी बेटियो को पिताजी से बचा लिया ,
उनको बेड के नीचे छुपा दिया
माँ जी - कहाँ है वो दोनो
पिताजी-मुझे क्या पता मैं यहाँ अपना काम कर रहा हूँ
माँ जी - झूठ मत बोलिए , मुझे पता है वो दोनो यही आई होंगी
पिताजी-वो तो बाहर भाग गयी है
माँ जी - आने दो उनको आज उनको अच्छा सबक सिखाउन्गी
पिताजी-पर हुआ क्या है
माँ जी - पूरा खाना जला दिया है
पिताजी-फिर तो उनकी पिटाई करनी ही चाहिए , जाओ बाहर जाके देखो
माँ जी - आप आज उनके तरफ से नही बोल रहे है , कुछ तो गड़बड़ है
पिताजी-आज दोनो ने खाना जला दिया , कल कुछ भी कर सकती है , आज मैं तुम्हारे साथ हूँ , उनकी पिटाई कर देना ताकि वो दुबारा ऐसा ना करे
माँ जी - आप बीच मे मत आना
पिताजी-मैं तो दूर ही रहूँगा
माँ जी - कहाँ गयी वो
पिताजी-उनको बाहर भागते हुए देखा था
माँ जी - जाएँगी कहाँ , उनको आज मैं छोड़ूँगी नही
और माजी उनको ढूँढने के लिए बाहर चली गयी
माँ जी के जाते ही पिताजी बेड के पास आगये
पिताजी-तुम दोनो ने ये क्या किया , तुम्हारी माँ बहोत गुस्से मे है
पिताजी-कुछ देर यही रहना मेरे पास वरना तुम्हारी पिटाई हो जाएगी
दोनो की मस्ती उनकी एज के साथ कम होने की जगा बढ़ रही थी
पर उनके पिताजी उनको डाटने की जगह उनके साथ मस्ती करने मे लग जाते थे
हमेशा का यही ड्रामा था
माँ जी - वो दोनो तो कही नही मिली
पिताजी-जब आएँगी तब देख लेना , जाओ दुबारा खाना बना दो , मुझे भूक लगी है
माँ जी - अभी बनाती हूँ
माजी फिर से खाना बनाने के लिए चली गयी
पिताजी-अब बाहर निकलो , तुम्हारी माँ को खाना बनाने के लिए भेज दिया
दोनो हँसते हुए बाहर निकल आई
पिताजी-खाना बनाने तक यही रुकना , तब तक तुम्हारी माँ का गुस्सा ख़तम हो जाएगा
दोनो खुश हो गयी उनकी पिटाई बच गयी
पर फिर से एक जोरदर चीख सुनाई दी
पूजा - नेहा नीता , तुम दोनो को मैं छोड़ूँगी नही , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी चीज़ो को हाथ लगाने की
ये थी उस नटखट लड़की की बड़ी बहन
लगता है नेहा और नीता ने फिर से पूजा की चीज़ो को हाथ लगाया है
पूजा की शेरनी की दहाड़ सुनकर पिताजी भी डर गये
माजी के गुस्से से ज़्यादा पूजा का गुस्सा ख़तरनाक था
नेहा और नीता डर गयी
और पिताजी ने उनको फिर से बेड के नीचे छुपा दिया
ये कहानी है नेहा की
और छोटी चाची के आने का इंतज़ार करने लगा.
छोटी चाची को शायद बड़ी चाची ने बुलाया होगा
बड़ी चाची पहले छोटी चाची से बात करेंगी
छोटी चाची के चुप रहने से मुझे अजीब अजीब ख़याल आ रहे थे
और छोटी चाची को इतनी देर होने से मुझे पक्का शक हो रहा था कि बड़ी चाची और छोटी चाची कुछ बात कर रही होंगी
छोटी चाची ने मुझे मना किया था कि बड़ी चाची से इस बारे मे कुछ पूछने से
पर मैं ने आज बड़ी चाची से पूछ ही लिया
और बड़ी चाची ने मुझे बता दिया कि नेहा बुआ मेरे बारे मे क्या सोचती है
नेहा बुआ के बारे मे अब मुझे बहोत कुछ पता चल गया था
अब तो मैं सब से ऐसे ही थोड़ा थोड़ा पूछ लिया करूँगा जब तक छोटी चाची मुझे कुछ बताती नही है
और मेरा इंतज़ार ख़तम हो गया
छोटी चाची मेरे कमरे मे आ गयी
छोटी चाची के चेहरे का तेज थोड़ा कम हो गया था
ज़रूर कुछ बड़ी बात हुई होगी बड़ी चाची और छोटी चाची के बीच मे
अवी- चाची
सी चाची-अवी तूने ये क्या किया
अवी- क्या हुआ चाची
सी चाची-तूने तो कमाल कर दिया आज
अवी- राजेश के बारे मे बात कर रही है आप
सी चाची-हाँ ,तुझे क्या लगा किस बारे मे बात कर रही हूँ
अवी- मुझे लगा बड़ी चाची को मैं ने नेहा बुआ के बारे मे पूछा तो आपको गुस्सा आया होगा
सी चाची-गुस्सा , नही बहुत ज़्यादा गुस्सा आया है
अवी- ये मज़ाक था ना चाची
सी चाची-तूने सुमन दीदी से ये सब क्यू पूछा
अवी- बड़ी चाची ने आपको कुछ कहा क्या
सी चाची-मेरे सवाल का जवाब दे
अवी- जवाब आपको पता है
सी चाची-आज ऐसी क्या ज़रूरत पड़ गयी जो सुमन दीदी से पूछ लिया तूने
अवी- आज मैं ने इतना कुछ किया , राजेश खुश है नीता बुआ खुश है , नेहा बुआ खुश थी , पर मुझे नेहा बुआ ने थॅंक्स भी नही कहा , प्यार से नाम भी नही लिया
सी चाची-नेहा ऐसी ही है
अवी- वो ऐसी क्यू है इतना ही तो पूछा बड़ी चाची से
सी चाची-मुझे भी तो पूछ सकता था
अवी- आप कुछ बताती नही है
सी चाची-सही समय तो आने दो
अवी- हर सवाल का जवाब यही देती है आप
सी चाची-समय से पहले कुछ किया तो दर्द मिलता है
अवी- थोड़ा थोड़ा तो बता सकती हैना
सी चाची-थोड़ा थोड़ा कुछ नही होता
अवी- इसीलिए मैं ने बड़ी चाची से पूछा , देखा बड़ी चाची ने मुझे जवाब दे दिया
सी चाची-और तू इस जवाब से खुश हो गया
अवी- क्या मतलब
सी चाची-आधे अधूरे जवाब से तू खुश हो गया
अवी- बड़ी चाची से मैं इस से ज़्यादा पूछ नही पाया , उनको बुरा लग जाता तो
सी चाची-इसी लिए तो कह रही हूँ कि मुझे पूछा कर
अवी- आप बता देती
सी चाची-नही
अवी- इसी लिए बड़ी चाची से पूछा
सी चाची-तूने पूछ तो लिया पर उनको बुरा लगा होगा ये नही सोचा तूने
अवी- बड़ी चाची को बुरा क्यू लगेगा
सी चाची-दीदी जल्दी भावुक हो जाती है , वो तेरे सामने रोती थोड़ी
अवी- बड़ी चाची रो रही थी
सी चाची-और नही तो क्या , नेहा की वजह से तुझे दुख मिल रहा है तू परेशान है ये देख कर क्या उनको अच्छा लगा होगा
अवी- मैं तो
सी चाची-तुझे जो पूछना था मुझे पूछ लेता
अवी- सॉरी चाची
सी चाची-दुबारा ऐसा मत करना
अवी- बड़ी चाची से माफी माँग लेता हूँ
सी चाची-ऐसा तो बिल्कुल ही मत करना , वरना उनको और बुरा लगेगा , मैं ने उनको समझा दिया है
अवी- आपने बड़ी चाची को
सी चाची-मैं ने उनको सुला दिया है , पर तू दुबारा ऐसा मत करना
अवी- नही करूँगा , अब से आपको पूछा करूँगा
सी चाची-मुझ पे विश्वास रख , मैं तुझे एक दिन ज़रूर बता दूँगी
अवी- जी , मैं उस दिन का इंतज़ार करूँगा
सी चाची-अब तो लगता है वो समय जल्दी आ जाएगा
अवी- क्या मतलब
सी चाची-नेहा के दिल मे तेरे लिए प्यार पैदा हो रहा है
अवी- सच
सी चाची-हां , कोमल के बाद तुम ने नेहा की दूसरी कमज़ोरी को हाथ लगाया है
अवी- राजेश
सी चाची-नीता है नेहा की कमज़ोरी
अवी- नीता बुआ , वो तो उनकी बहन है
सी चाची-पूजा दीदी से ज़्यादा प्यार करती है नेहा नीता से ,
अवी- आपने पहले भी बताया था
सी चाची-नेहा की सिर्फ़ एक फ्रेंड है वो है नीता , देखा नही नेहा राजेश को कितना प्यार कर रही थी
अवी- बड़ी चाची ने कहा कि वो मुझे प्यार कर रही थी
सी चाची-दीदी ने सही कहा , कोमल के समय देखा नही था तुमने , नेहा अपने दिल की बात बताने से पहले कमरे मे भाग गयी थी , नेहा अपनी फीलिंग को दबा कर रखती है , उसको बहने नही देती
अवी- ये ग़लत बात है
सी चाची-हां , ऐसा करने से उनके दिल मे दर्द ही दर्द भर गया है
अवी- और नफ़रत
सी चाची-हां , तू बस अपने प्यार से उनके नफ़रत को कम कर देना
अवी- वो तो कर दूँगा पर मुझे नेहा बुआ के बारे मे कुछ भी पता नही है
सी चाची-एक कहानी सुनेगा
अवी- अब ये कहानी बीच मे कहाँ से आ गयी
सी चाची-बोल सुनेगा क्या
अवी- आप ऐसा ही करती हो , बात बदल देती हो इसी लिए बड़ी चाची से पूछ लिया
सी चाची-मैं कहानी अच्छे से बताती हूँ
अवी- मुझे नेहा बुआ के बारे मे जानना है
सी चाची-वो तो तुम्हे कभी ना कभी बता दूँगी
अवी-वो दिन कब आएगा
सी चाची-आएगा , जल्दी आएगा , तू बड़ा हो रहा है
अवी- इंतज़ार करूँगा
सी चाची-जो पूछा हो मुझे पूछा कर
अवी- तो पूछने पर आप बता देंगी
सी चाची-नही ,
अवी- ये चीटिंग
सी चाची-मैं ऐसी ही हूँ
अवी- तो मैं बड़ी चाची से पूछूँगा
सी चाची-और उनको रुला कर तुझे अच्छा लगेगा
अवी- आप से पूछ लूँगा पर पहले आपको राजेश के साथ क्या किया वो बताउन्गा
सी चाची-पहले मेरी कहानी सुन
अवी- आपको जानना नही है कि मैं ने क्या किया
सी चाची-वो बाद मे पूछ लूँगी पहले मेरी कहानी
अवी- आप बिना बताए मानेगी नही
सी चाची-मेरे बेटे को कहानी सुना कर सुलाना चाहती हूँ
अवी- बताई , आज कहानी सुनकर सोउंगा
सी चाची-हट मुझे बेड पर लेटने दे
अवी- आप , मैं आपकी गोद मे लेट जाउ
चाची बेड पे बैठ गयी और मैं उनकी गोद मे सर रख कर उनकी कहानी सुनने लगा
अवी- चाची शुरू करो
सी चाची-कहानी शुरू तो करूँगी , पर तुम्हे मेरी कुछ बाते माननी होंगी
अवी- क्या करना होगा मुझे
सी चाची-तू बीच मे कुछ नही बोलेगा , और कहानी सुनकर भी कुछ नही पूछेगा
अवी- कहानी मे ऐसा है क्या
सी चाची-प्रॉमिस कर
अवी- (कहानी तो है , इसमे इतना क्या सोचना है ) बताइए
सी चाची-प्रॉमिस करो
अवी- मैं कुछ नही पूछूँगा ना ही बीच मे और ना कहानी के बाद
सी चाची-तो सुन
वन्स अपॉन टाइम इन
अवी- रुकिये
सी चाची-मैं ने कहा था ना कि बीच मे मत बोलना
अवी- हिन्दी मे बताइए
सी चाची-ठीक है ,
तुम्हे एक नटखट , हश्मुख , एक प्यारी लड़की की कहानी बताती हूँ ,
ये कहानी एक छोटे से गाओं मे रहने वाली लड़की की है
जितना वो गाओं प्यारा था उस भी ज़्यादा वो लड़की प्यारी थी
हँसती खेलती , अपने भाई बहनों के साथ मस्ती करना यही उसकी लाइफ थी
अपने छोटी बहन को जान से ज़्यादा प्यार करती है
अपने बड़े भाई की लाडली है
अपने पिताजी के दिल का टुकड़ा है
सबकी ज़ुबान पर इन दो बहनों का नाम ही रहता है
माँ जी- रूको ये मत करना ............ ये क्या किया तुमने................ , इन दोनो से परेशान हो गयी हूँ.............. , पूरा खाना जला दिया है .............., अब भाग कहाँ रही हो ............., तुम्हारी पिटाई करनी होगी ..............., अब तुम्हारे पिताजी भी तुम्हे बचा नही पाएँगे ........................ कहाँ छुपी हो ................., बाहर निकलो............... , मुझे फिर से खाना बनाना होगा .............
अपनी छोटी बहन के साथ मिलके फिर से उसने अपनी माँ को तंग किया
पूरा खाना जला दिया
और हमेशा की तरह अपने पिताजी के पीछे जाकर छुप गयी होगी
उनका ये रोज का काम था , अपनी माँ को परेशान करना पीर अपने पिताजी के पीछे छुप जाना ,
उनको पता है कि पिताजी उनको माँ के गुस्से से बचा लेंगे
पिताजी-क्या हुआ ............., फिर से दोनो ने मस्ती की होंगी ,.............., तुम दोनो कब बड़ी होगी .............., अरे छुप जाओ तुम्हारी माँ आ रही है ................... तुम्हारी माँ बहोत गुस्से मे है .................. वहाँ नही बेड के नीचे छुप जाओ................ मैं बता दूँगा कि तुम दोनो यहाँ नही हो ..............
हमेशा की तरह पिताजी ने उनको छुपा दिया
उनकी माँ आज बहोत गुस्से मे थी , उनका गुस्सा सिर्फ़ पिताजी शांत कर सकते है ,
अपनी प्यारी बेटियो को पिताजी से बचा लिया ,
उनको बेड के नीचे छुपा दिया
माँ जी - कहाँ है वो दोनो
पिताजी-मुझे क्या पता मैं यहाँ अपना काम कर रहा हूँ
माँ जी - झूठ मत बोलिए , मुझे पता है वो दोनो यही आई होंगी
पिताजी-वो तो बाहर भाग गयी है
माँ जी - आने दो उनको आज उनको अच्छा सबक सिखाउन्गी
पिताजी-पर हुआ क्या है
माँ जी - पूरा खाना जला दिया है
पिताजी-फिर तो उनकी पिटाई करनी ही चाहिए , जाओ बाहर जाके देखो
माँ जी - आप आज उनके तरफ से नही बोल रहे है , कुछ तो गड़बड़ है
पिताजी-आज दोनो ने खाना जला दिया , कल कुछ भी कर सकती है , आज मैं तुम्हारे साथ हूँ , उनकी पिटाई कर देना ताकि वो दुबारा ऐसा ना करे
माँ जी - आप बीच मे मत आना
पिताजी-मैं तो दूर ही रहूँगा
माँ जी - कहाँ गयी वो
पिताजी-उनको बाहर भागते हुए देखा था
माँ जी - जाएँगी कहाँ , उनको आज मैं छोड़ूँगी नही
और माजी उनको ढूँढने के लिए बाहर चली गयी
माँ जी के जाते ही पिताजी बेड के पास आगये
पिताजी-तुम दोनो ने ये क्या किया , तुम्हारी माँ बहोत गुस्से मे है
पिताजी-कुछ देर यही रहना मेरे पास वरना तुम्हारी पिटाई हो जाएगी
दोनो की मस्ती उनकी एज के साथ कम होने की जगा बढ़ रही थी
पर उनके पिताजी उनको डाटने की जगह उनके साथ मस्ती करने मे लग जाते थे
हमेशा का यही ड्रामा था
माँ जी - वो दोनो तो कही नही मिली
पिताजी-जब आएँगी तब देख लेना , जाओ दुबारा खाना बना दो , मुझे भूक लगी है
माँ जी - अभी बनाती हूँ
माजी फिर से खाना बनाने के लिए चली गयी
पिताजी-अब बाहर निकलो , तुम्हारी माँ को खाना बनाने के लिए भेज दिया
दोनो हँसते हुए बाहर निकल आई
पिताजी-खाना बनाने तक यही रुकना , तब तक तुम्हारी माँ का गुस्सा ख़तम हो जाएगा
दोनो खुश हो गयी उनकी पिटाई बच गयी
पर फिर से एक जोरदर चीख सुनाई दी
पूजा - नेहा नीता , तुम दोनो को मैं छोड़ूँगी नही , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी चीज़ो को हाथ लगाने की
ये थी उस नटखट लड़की की बड़ी बहन
लगता है नेहा और नीता ने फिर से पूजा की चीज़ो को हाथ लगाया है
पूजा की शेरनी की दहाड़ सुनकर पिताजी भी डर गये
माजी के गुस्से से ज़्यादा पूजा का गुस्सा ख़तरनाक था
नेहा और नीता डर गयी
और पिताजी ने उनको फिर से बेड के नीचे छुपा दिया
ये कहानी है नेहा की
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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- xyz
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Re: मैं और मेरा परिवार
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पूजा , घर की बड़ी बेटी
घर की शेरनी है
पूजा की दहाड़ शेरनी जैसी है
पूजा के मूह से अपना नाम सुनते ही नेहा और नीता फिर से बेड के नीचे छुप गयी
पिताजी भी पूजा की दहाड़ से डर गये ,
पिताजी जितना माजी से नही डरते उतना पूजा से डरते है
उनकी लाडली जो है ,
पिताजी पूजा को अपनी बेटी नही अपना बेटा मानते है
पूजा - कहाँ हो , आज तुम दोनो मेरे हाथ से मार खा कर रहोगी
पिताजी हॉल मे आ गये
पिताजी - क्या हुआ बेटी
पूजा - पिताजी आज आप बीच मे नही बोलेंगे
पिताजी - पर हुआ क्या है वो तो बताओ
पूजा - नेहा और नीता ने मेरी चीज़ो को हाथ कैसे लगाया
पिताजी- वो छोटी है , ग़लती हो गयी
पूजा - उनको कितनी बार बताया है कि मेरी चीज़ो को हाथ ना लगाए
पिताजी- तुम तीनो एक कमरे मे रहती हो तो इतना तो चलता है
पूजा - आप मेरे लिए नया कमरा बना दीजिए , मैं उनके साथ नही रहूंगी
पिताजी- आज ही बना दूँगा , गुस्सा थूक दो , देखो दोनो डर के छुप गयी है
पूजा - उनको इतना डर लगता है तो वो ऐसा करती ही क्यूँ है , कितनी बार कहा है मेरी चीज़ो को हाथ ना लगाए
पिताजी- मैं उनको समझा दूँगा , दुबारा वो ऐसा नही करेंगी
पूजा - आप हर बार यही कहते है
पिताजी- इस बार पक्का बोल दूँगा
पूजा - कहाँ है वो दोनो
पिताजी- बेड के नीचे छुप गयी है तेरी माँ भी गुस्सा है और तू भी , बिचारी डर गयी है , रो रही है
पूजा - नेहा और रो रही है , हंस रही होंगी , उसको तो रोना क्या होता है पता ही नही है
पिताजी- जाने दे ना , बच्ची है , मेरी शेरनी बेटी मेरी बात नही सुनेगी
पूजा - आपके लिए उनको छोड़ रही हूँ , पर दुबारा
पिताजी- मैं गारंटी देता हूँ ,
पूजा - दीजिए 1 रुपया
पिताजी- 1 रुपया किस लिए
पूजा - मेरी इंक की बॉटल गायब कर दी दोनो ने , नयी लेनी है
पिताजी- ये लो , पर अब बाहर मत जाना , खाना बन गया है खाना खा कर जाना
पूजा - जी , मैं खाना खा कर जाउन्गी सीधा शाम मे आउन्गि , मुझे अपनी सहेली मंदा के घर रुकना है
मंदा पूजा की बेस्ट फ्रेंड , दोनो बहनों की तरह रहती है , मंदा राकेश की बहन है , राकेश पूजा का लवर है , पूजा के पीछे पीछे भागता रहता है , पर एक नंबर का डरपोक है , पूजा की एक आवाज़ से पेशाब निकल जाती है ,फिर भी राकेश पूजा के पीछे पीछे लगा रहता है इस उम्मीद मे कि एक दिन पूजा उसके प्यार को समझ कर हाँ कर देगी
पिताजी- तू मंदा को यहाँ बुलाया कर ,
पूजा -मुझे उसके यहाँ काम है
पिताजी- क्या काम है
पूजा - आपको क्यू बताऊ
पिताजी- देख बेटी , वो राकेश
पूजा - पिताजी राकेश खरगोश है , और मैं शेरनी ,
पिताजी- ठीक है ,खाना खा कर जाना
पूजा 1 रुपया लेकर अपने कमरे मे चली गयी ,
10 पैसे की इंक लेगी और बाकी के पैसो को खर्च करेगी मंदा के साथ मिलके
पिताजी - नेहा नीता का क्या करूँ , इनको बचाते बचाते मेरे पसीने निकल जाते है
पिताजी फिर से बेड के पास आ गये
दोनो पूजा की बाते सुनकर हंस रही थी
पिताजी - तुम यहाँ हंस रही हो वहाँ मेरे पसीने निकल रहे थे
नेहा- पिताजी , आप गाओं के नंबर 1 पहलवान हो , और आप पूजा दीदी से डर रहे हो
पिताजी- बेटी मैं 10 आदमी को एक साथ पछाड़ दूं पर पूजा मुझे पछाड़ देती है , तुम उस से दूर रहा करो
नेहा - हम नही डरते पूजा दीदी से
पिताजी- अच्छा , मेरी नेहा बहादुर हो गयी है
नीता - मैं भी बहादुर हूँ पिताजी
नेहा - तुझसे ज़्यादा मैं बहादुर हूँ
नीता - कुस्ति खेल मेरे साथ फिर देख कौन बहादुर है
नेहा - मैं तुझसे बड़ी हूँ
नीता - कुछ मिनट का फरक है
पिताजी- झगड़ा मत करो , तुम दोनो
नेहा - हम दोनो बहादुर है
पिताजी- डरपोक हो , बहादुर होते तो बेड के नीचे नही छुपती
नीता -पिताजी , रानी लड़ाई नही खेलती,
नेहा - आप हमारे सेनापति हो , हमने आपको लड़ाई खेलने भेजा था
पिताजी- तुम दोनो की ऐसी बाते मुझे अच्छी लगती है
नीता - सेनापति , दुश्मन कहाँ है
पिताजी- रानी साहिबा , दुश्मन अपने कमरे मे है
नेहा - और पहली दुश्मन
पिताजी- वो खाना बना रही है
नीता - हम बाहर आ सकते है , मैदान क्लियर हैना
पिताजी- जी रानी साहिबा
और दोनो हंसते हुए बाहर आ गयी
अबी बाहर आई थी कि फिर से एक आवाज़ सुनाई दी जिस मे शिकायत साफ नज़र आ रही थी
छोटू- माँ , माँ , देखो नेहा ने क्या किया
ये छोटू है , योगेंद्र सिंग का छोटा बेटा (अवी का चाचा)
नेहा नीता से भी छोटा है ,
इसका नाम बदल कर छोटू नेहा और नीता ने ही रखा है पूजा के कहने पे
सबसे छ्होटा होने से , नेहा को इसको चिडाने मे मज़ा आता है इस लिए सब इसको छोटू कहते है
छोटू अपनी माँ का लाड़ला है
पिताजी को अपनी बेटियो से प्यार था तो माजी अपने बेटे को प्यार करती थी
छोटू की आवाज़ सुनते ही माजी बेलन लेकर बाहर आ गयी
मा जी- क्या हुआ मेरे सोना को
छोटू - देखो ना माँ मेरी नयी नोटबुक पे नेहा ने छोटू लिख दिया
माजी - नेहा , तुझे इस बेलन से ठीक करती हूँ , जा ढूँढ कहाँ है नेहा
छोटू - कहाँ होंगी , पिताजी के कमरे मे छुपी होंगी
माजी- चल मेरे साथ आज नेहा की अकल ठिकाने लाते है , बहुत परेशान करके रखा है जब देखो तब मस्ती करती है
पूजा - जय भैया बाहर आओ , माँ आज नेहा की पिटाई करेंगी
जय सिंग- पिताजी के होते हुए ये मुमकिन नही है
जयसिंघ , योगेंद्रसिंघ का बड़ा बेटा , (अवी के पापा जयसिंघ )
इस घर का वारिश
इंट्रोडक्षन -
योगेंद्रसिंघ- घर के मुखिया , रोज सुबह शाम कसरत करते है , गाओं मे इनसे सब डरते है , अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते , अपनी पत्नी के बिना जीने का सोच भी नही सकते , अपनी बेटियो मे इनकी जान बस्ती है ,इनका एक बेस्ट फ्रेंड है ठाकुरजी (प्रतापसिंघ -रणजीतसिंघ का पिताजी), पिताजी ने ठाकुरजी की जान बचाई थी , तब से ठाकुरजी और पिताजी दोस्त बन गये
माँ जी - जितना पिताजी इनको प्यार करते है उनसे कही ज़्यादा माजी उनसे प्यार करती है , जब से शादी करके आई है कभी मायके नही गयी , क्यू कि पिताजी के बिना ये रह नही सकती , इनकी 2 कमज़ोरी है , एक उनके पति और दूसरे उनके बेटे , राजसिंघ और छोटू
जयसिंघ - घर का बड़ा बेटा , माँ का लाड़ला , पढ़ाई मे तेज , दिन भर किताबो मे घुसा रहता है , इसके सपने बड़े है , उनका पूरा करने के लिए जी जान लगा कर पढ़ाई कर रहा है , पिताजी के बाद जयसिंघ ही सबसे ज़्यादा प्यार करता है नेहा को (जयसिंघ अवी के पापा)
पूजा - बेटियो मे सब से बड़ी , घर की शेरनी , अपनी छोटी बहन की मस्ती से सब से ज़्यादा परेशान रहती है , पढ़ाई मे नॉर्मल ,एक खांस सहेली मंदा , एक लवर है राकेश मंदा का भाई , पर पूजा राकेश को भाव नही देती
नेहा - घर की नटखट मस्ती खोर, हर कोई इसके मस्ती के कारण परेशान रहता है , ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिनको नेहा ने परेशान नही किया होगा , सब से ज़्यादा अपनी माँ और पूजा दीदी को परेशान करती है , उनको परेशान करने मे नेहा को ज़्यादा मज़ा आता है , नेहा की बेस्ट फ्रेंड उसकी जुड़वा बहन नीता है , या कहूँ तो नीता उसकी जान है , पढ़ाई मे पूजा से तेज है , और मस्ती करने मे इसको कोई हरा नही सकता
नीता -नेहा की जुड़वा बहन , कुछ मिनिट का फरक है , इसी को लेकर दोनो बहस करती रहती है कौन बड़ी है , नेहा की तरह मस्ती करती है पर नेहा को मस्ती मे हरा नही सकती , नेहा के साथ जीना ही उसका मकसद बन गया है ,, नेहा को कभी अकेला नही छोड़ती , उस से चिपकी रहती है , पढ़ाई मे पूजा से तेज पर नेहा से कम मार्क मिलते है
छोटू - घर का सबसे छोटा मेंबर माँ का लाड़ला , माँ के प्यार से पढ़ाई मे सबसे लास्ट रहता है , आराम करना , खेलना यही पसंद है , स्कूल मे ना जाने के बहाने ढूंढता रहता है , पर एक दिन अचानक इसमे बदलाव आ गया और रोज स्कूल जाने लगा फिर भी मार्क उतने ही मिले , पता नही स्कूल मे क्या करता है
मंदा - पूजा की सहेली
इंट्रोडक्षन एंड
पूजा , घर की बड़ी बेटी
घर की शेरनी है
पूजा की दहाड़ शेरनी जैसी है
पूजा के मूह से अपना नाम सुनते ही नेहा और नीता फिर से बेड के नीचे छुप गयी
पिताजी भी पूजा की दहाड़ से डर गये ,
पिताजी जितना माजी से नही डरते उतना पूजा से डरते है
उनकी लाडली जो है ,
पिताजी पूजा को अपनी बेटी नही अपना बेटा मानते है
पूजा - कहाँ हो , आज तुम दोनो मेरे हाथ से मार खा कर रहोगी
पिताजी हॉल मे आ गये
पिताजी - क्या हुआ बेटी
पूजा - पिताजी आज आप बीच मे नही बोलेंगे
पिताजी - पर हुआ क्या है वो तो बताओ
पूजा - नेहा और नीता ने मेरी चीज़ो को हाथ कैसे लगाया
पिताजी- वो छोटी है , ग़लती हो गयी
पूजा - उनको कितनी बार बताया है कि मेरी चीज़ो को हाथ ना लगाए
पिताजी- तुम तीनो एक कमरे मे रहती हो तो इतना तो चलता है
पूजा - आप मेरे लिए नया कमरा बना दीजिए , मैं उनके साथ नही रहूंगी
पिताजी- आज ही बना दूँगा , गुस्सा थूक दो , देखो दोनो डर के छुप गयी है
पूजा - उनको इतना डर लगता है तो वो ऐसा करती ही क्यूँ है , कितनी बार कहा है मेरी चीज़ो को हाथ ना लगाए
पिताजी- मैं उनको समझा दूँगा , दुबारा वो ऐसा नही करेंगी
पूजा - आप हर बार यही कहते है
पिताजी- इस बार पक्का बोल दूँगा
पूजा - कहाँ है वो दोनो
पिताजी- बेड के नीचे छुप गयी है तेरी माँ भी गुस्सा है और तू भी , बिचारी डर गयी है , रो रही है
पूजा - नेहा और रो रही है , हंस रही होंगी , उसको तो रोना क्या होता है पता ही नही है
पिताजी- जाने दे ना , बच्ची है , मेरी शेरनी बेटी मेरी बात नही सुनेगी
पूजा - आपके लिए उनको छोड़ रही हूँ , पर दुबारा
पिताजी- मैं गारंटी देता हूँ ,
पूजा - दीजिए 1 रुपया
पिताजी- 1 रुपया किस लिए
पूजा - मेरी इंक की बॉटल गायब कर दी दोनो ने , नयी लेनी है
पिताजी- ये लो , पर अब बाहर मत जाना , खाना बन गया है खाना खा कर जाना
पूजा - जी , मैं खाना खा कर जाउन्गी सीधा शाम मे आउन्गि , मुझे अपनी सहेली मंदा के घर रुकना है
मंदा पूजा की बेस्ट फ्रेंड , दोनो बहनों की तरह रहती है , मंदा राकेश की बहन है , राकेश पूजा का लवर है , पूजा के पीछे पीछे भागता रहता है , पर एक नंबर का डरपोक है , पूजा की एक आवाज़ से पेशाब निकल जाती है ,फिर भी राकेश पूजा के पीछे पीछे लगा रहता है इस उम्मीद मे कि एक दिन पूजा उसके प्यार को समझ कर हाँ कर देगी
पिताजी- तू मंदा को यहाँ बुलाया कर ,
पूजा -मुझे उसके यहाँ काम है
पिताजी- क्या काम है
पूजा - आपको क्यू बताऊ
पिताजी- देख बेटी , वो राकेश
पूजा - पिताजी राकेश खरगोश है , और मैं शेरनी ,
पिताजी- ठीक है ,खाना खा कर जाना
पूजा 1 रुपया लेकर अपने कमरे मे चली गयी ,
10 पैसे की इंक लेगी और बाकी के पैसो को खर्च करेगी मंदा के साथ मिलके
पिताजी - नेहा नीता का क्या करूँ , इनको बचाते बचाते मेरे पसीने निकल जाते है
पिताजी फिर से बेड के पास आ गये
दोनो पूजा की बाते सुनकर हंस रही थी
पिताजी - तुम यहाँ हंस रही हो वहाँ मेरे पसीने निकल रहे थे
नेहा- पिताजी , आप गाओं के नंबर 1 पहलवान हो , और आप पूजा दीदी से डर रहे हो
पिताजी- बेटी मैं 10 आदमी को एक साथ पछाड़ दूं पर पूजा मुझे पछाड़ देती है , तुम उस से दूर रहा करो
नेहा - हम नही डरते पूजा दीदी से
पिताजी- अच्छा , मेरी नेहा बहादुर हो गयी है
नीता - मैं भी बहादुर हूँ पिताजी
नेहा - तुझसे ज़्यादा मैं बहादुर हूँ
नीता - कुस्ति खेल मेरे साथ फिर देख कौन बहादुर है
नेहा - मैं तुझसे बड़ी हूँ
नीता - कुछ मिनट का फरक है
पिताजी- झगड़ा मत करो , तुम दोनो
नेहा - हम दोनो बहादुर है
पिताजी- डरपोक हो , बहादुर होते तो बेड के नीचे नही छुपती
नीता -पिताजी , रानी लड़ाई नही खेलती,
नेहा - आप हमारे सेनापति हो , हमने आपको लड़ाई खेलने भेजा था
पिताजी- तुम दोनो की ऐसी बाते मुझे अच्छी लगती है
नीता - सेनापति , दुश्मन कहाँ है
पिताजी- रानी साहिबा , दुश्मन अपने कमरे मे है
नेहा - और पहली दुश्मन
पिताजी- वो खाना बना रही है
नीता - हम बाहर आ सकते है , मैदान क्लियर हैना
पिताजी- जी रानी साहिबा
और दोनो हंसते हुए बाहर आ गयी
अबी बाहर आई थी कि फिर से एक आवाज़ सुनाई दी जिस मे शिकायत साफ नज़र आ रही थी
छोटू- माँ , माँ , देखो नेहा ने क्या किया
ये छोटू है , योगेंद्र सिंग का छोटा बेटा (अवी का चाचा)
नेहा नीता से भी छोटा है ,
इसका नाम बदल कर छोटू नेहा और नीता ने ही रखा है पूजा के कहने पे
सबसे छ्होटा होने से , नेहा को इसको चिडाने मे मज़ा आता है इस लिए सब इसको छोटू कहते है
छोटू अपनी माँ का लाड़ला है
पिताजी को अपनी बेटियो से प्यार था तो माजी अपने बेटे को प्यार करती थी
छोटू की आवाज़ सुनते ही माजी बेलन लेकर बाहर आ गयी
मा जी- क्या हुआ मेरे सोना को
छोटू - देखो ना माँ मेरी नयी नोटबुक पे नेहा ने छोटू लिख दिया
माजी - नेहा , तुझे इस बेलन से ठीक करती हूँ , जा ढूँढ कहाँ है नेहा
छोटू - कहाँ होंगी , पिताजी के कमरे मे छुपी होंगी
माजी- चल मेरे साथ आज नेहा की अकल ठिकाने लाते है , बहुत परेशान करके रखा है जब देखो तब मस्ती करती है
पूजा - जय भैया बाहर आओ , माँ आज नेहा की पिटाई करेंगी
जय सिंग- पिताजी के होते हुए ये मुमकिन नही है
जयसिंघ , योगेंद्रसिंघ का बड़ा बेटा , (अवी के पापा जयसिंघ )
इस घर का वारिश
इंट्रोडक्षन -
योगेंद्रसिंघ- घर के मुखिया , रोज सुबह शाम कसरत करते है , गाओं मे इनसे सब डरते है , अपनी पत्नी से बहुत प्यार करते , अपनी पत्नी के बिना जीने का सोच भी नही सकते , अपनी बेटियो मे इनकी जान बस्ती है ,इनका एक बेस्ट फ्रेंड है ठाकुरजी (प्रतापसिंघ -रणजीतसिंघ का पिताजी), पिताजी ने ठाकुरजी की जान बचाई थी , तब से ठाकुरजी और पिताजी दोस्त बन गये
माँ जी - जितना पिताजी इनको प्यार करते है उनसे कही ज़्यादा माजी उनसे प्यार करती है , जब से शादी करके आई है कभी मायके नही गयी , क्यू कि पिताजी के बिना ये रह नही सकती , इनकी 2 कमज़ोरी है , एक उनके पति और दूसरे उनके बेटे , राजसिंघ और छोटू
जयसिंघ - घर का बड़ा बेटा , माँ का लाड़ला , पढ़ाई मे तेज , दिन भर किताबो मे घुसा रहता है , इसके सपने बड़े है , उनका पूरा करने के लिए जी जान लगा कर पढ़ाई कर रहा है , पिताजी के बाद जयसिंघ ही सबसे ज़्यादा प्यार करता है नेहा को (जयसिंघ अवी के पापा)
पूजा - बेटियो मे सब से बड़ी , घर की शेरनी , अपनी छोटी बहन की मस्ती से सब से ज़्यादा परेशान रहती है , पढ़ाई मे नॉर्मल ,एक खांस सहेली मंदा , एक लवर है राकेश मंदा का भाई , पर पूजा राकेश को भाव नही देती
नेहा - घर की नटखट मस्ती खोर, हर कोई इसके मस्ती के कारण परेशान रहता है , ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिनको नेहा ने परेशान नही किया होगा , सब से ज़्यादा अपनी माँ और पूजा दीदी को परेशान करती है , उनको परेशान करने मे नेहा को ज़्यादा मज़ा आता है , नेहा की बेस्ट फ्रेंड उसकी जुड़वा बहन नीता है , या कहूँ तो नीता उसकी जान है , पढ़ाई मे पूजा से तेज है , और मस्ती करने मे इसको कोई हरा नही सकता
नीता -नेहा की जुड़वा बहन , कुछ मिनिट का फरक है , इसी को लेकर दोनो बहस करती रहती है कौन बड़ी है , नेहा की तरह मस्ती करती है पर नेहा को मस्ती मे हरा नही सकती , नेहा के साथ जीना ही उसका मकसद बन गया है ,, नेहा को कभी अकेला नही छोड़ती , उस से चिपकी रहती है , पढ़ाई मे पूजा से तेज पर नेहा से कम मार्क मिलते है
छोटू - घर का सबसे छोटा मेंबर माँ का लाड़ला , माँ के प्यार से पढ़ाई मे सबसे लास्ट रहता है , आराम करना , खेलना यही पसंद है , स्कूल मे ना जाने के बहाने ढूंढता रहता है , पर एक दिन अचानक इसमे बदलाव आ गया और रोज स्कूल जाने लगा फिर भी मार्क उतने ही मिले , पता नही स्कूल मे क्या करता है
मंदा - पूजा की सहेली
इंट्रोडक्षन एंड
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(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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Re: मैं और मेरा परिवार
पूजा - माँ बहुत गुस्से मे है ,
जयसिंघ- मुझे पढ़ाई करने दे , ये रोज का ड्रामा है कुछ नही होगा
पूजा - चलो ना देखते है
जयसिंघ- चल
और छोटू की वजह से माजी का गुस्सा और बढ़ गया
पिताजी ने माजी का गुस्सा कम कर दिया था पर छोटू ने आग ने तेल डाल दिया
माजी- कहाँ है नेहा
पिताजी- अब क्या हुआ , क्यू मेरी बेटियो के पीछे पड़ी रहती हो
माजी- आप अपनी बेटी को समझा दीजिए कि मेरे बेटे से दूर रहे
पिताजी- क्या हुआ छोटू को
छोटू- माँ देखो ना पिताजी ने भी छोटू कहा
माजी- ये सब उस नेहा की वजह से हो रहा है , आज इस बेलन से पिटाई करूँगी उसकी
पूजा - क्या हुआ छोटू
पूजा दीदी के मूह से भी छोटू वर्ड सुनते ही नेहा अपनी हँसी रोक नही पाई
माजी-क्या कहा तूने , तू होगी अपने पिता जी शेरनी , मेरे सामने तू बकरी है
छोटू- माँ , नेहा यही छुपी है , मैं ने उनकी हँसी सुनी है
जयसिंघ- तुझे कुछ भी सुनाई देता है नेहा यहा नही है
जयसिंघ भी पिताजी की तरह नेहा से बहुत प्यार करता है , वो भी नेहा को बचा रहा था
छोटू- माँ ये सब नेहा को बचा रहे है
माजी- आज ये बेलन से उसको सीधा कर दूँगी
नीता-नेहा आज तो हम बचेंगे नही
छोटू-माँ वो देखो बेड के नीचे छुपी है
नेहा -नीता क्या ज़रूरत थी बोलने की पकड़े गये ना
माजी- बाहर निकलो वरना मैं वहाँ आ जाउन्गी
नेहा - आप बेलन फेक दो तभी हम बाहर आएँगी
माजी- बाहर आती हो कि
पिताजी- नेहा बाहर मत आना
नेहा - जी पिताजी
माजी- आप के प्यार की वजह से नेहा बिगड़ रही है
पिताजी- तुम्हारे प्यार से छोटू बिगड़ रहा है , फैल होते होते बच गया
नेहा और नीता दाँत दिखा कर हँसने लगी
छोटू- मा
माजी-आप अपनी लाडली को देखो , ऐसा ना हो जाए हाथ से निकल जाए
पिताजी- मेरी बेटी ऐसी नही है
पूजा नेहा नीता- जी पिताजी
माजी- जी की बच्ची , बाहर निकल , आज तूने बहुत परेशान किया है
पिताजी - जाने दो ना बच्ची है
माजी- बच्ची बच्ची बोलते बोलते इसकी मस्ती कम होने की जगह बढ़ रही है
पूजा - जाने दो माँ ,
माजी- तू अभी नेहा पे गुस्सा हो रही थी और अब जाने देने को बोल रही है
नीता - माँ पिताजी ने उसको 1 रुपया दिया है ,
माजी - मैं फिर कह रही हूँ इतना लाड मत करो कि वो बिगड़ जाए , फिर सर पकड़ कर बैठना पड़ेगा
पिताजी- मेरी बेटी के साथ ऐसा कुछ नही होगा
माजी- पूरा गाओं राकेश और पूजा की बाते कर रहा है
पिताजी- बाते तो होती रहती है
पूजा - माँ वो डरपोक और मेरी क्या बराबरी करेगा , मेरी एक आवाज़ पे उसकी पेशाब निकलती है
जयसिंघ- जाने दो ना माँ , मुझे भूक लगी है
माजी-ऐसे कैसे जाने दूं , खाना जला दिया है
नेहा - खाना जलाया नही है
पिताजी- खाना जलाया नही है ऐसा बोल रही है
माजी- पूरी दाल खाली हो गयी है
नेहा - वो तो हमने दाल मे काली इंक डाली थी जिस से डाल खाली हो गयी है
पूजा - मेरी इंक दाल मे डाली , बाहर निकलो
पिताजी- तुम सब शांत रहो मैं पूछता हूँ
माजी- आज उसको नही छोड़ूँगी
पिताजी- फिर ऐसे खड़े रहो दिन भर
माजी- पूछिए
पिताजी- नेहा नीता बाहर आ जाओ मैं हूँ यहाँ पर
नेहा और नीता अपने मूह छोटा करके बाहर आ गयी जैसे रो रही हो
ये उनका हथियार था , उनका चेहरा देख कर पिताजी किसी को हाथ लगाने भी नही देंगे
नेहा और नीता बाहर निकलते ही पिताजी के पीछे छुप गयी
पिताजी- अब बताओ क्या हुआ
माजी - ये क्या तरीका हुआ पूछने का , डाँट कर पूछो
पिताजी- मैं पूछ रहा हू ना
छोटू- पहले मेरे बारे मे पूछिए
पिताजी- छोटू.तुम लास्ट मे
छोटू-माँ देखो पिताजी ने फिर से छोटू कहा
पूजा - चुप कर, तू छोटू है तो छोटू कह रहे है
छोटू- पूजा तेरी चोटी काट दूँगा
जयसिंघ- छोटू ये क्या तरीका है पूजा बड़ी है तुझसे , दीदी बोल
छोटू- वो मुझे छोटू बोलती है चल जाता है , वो मुझे छोटू कहेंगी तो मैं उनको पूजा कहूँगा
पिताजी- तुझे मार चाहिए
माजी- क्या कहा आपने, लगता है आपको बाहर सोना है आज
माँ की बात सुनते नेहा और नीता हँसने लगी
पिताजी- वो बदतमीज़ी कर रहा है
माजी- और नेहा क्या कर रही है
पिताजी- वो तो प्यार से बोलती है इसको छोटू
माजी- उसको पसंद नही है छोटू कहना ,
छोटू- माँ
माजी- मेरे प्यारे बेटे को कोई चिडाएगा नही
पूजा - तो कोई छोटू को छोटू नही कहेगा
जयसिंघ- छोटू को छोटू नही कहेंगे तो क्या कहेंगे वो भी बता दो
नेहा -मैं भी उसको छोटू नही कहूँगी
नीता - छोटू कोई नही बोलेगा लेकिन फिर बोलेंगे क्या
छोटू-माँ देखो सब जानबूझ कर मुझे चिड़ा रहे है
माजी- आज किसी को खाना नही दूँगी ,
छोटू नेहा को अंगूठा दिखाने लगा
पिताजी- तुम्हारे हाथ का खाना खाए बिना पेट नही भरता
माजी- ये सब छोटू कहने से पहले बोलना था
नेहा - पिताजी बाहर चलें खाना खाने
माजी- बिगाड़ो और
पिताजी- तुमने ही तो कहा कि खाना नही दूँगी , फिर मैं अपने बच्चो को भूका कैसे रहने दूं
माजी- तो क्या मैं रहने देती , मैं ने तो ऐसे ही
छोटू- माँ
पिताजी- चुप कर , माँ माँ करता रहता है , कभी तो पिताजी बोला कर
छोटू- आप मारते हो , कसरत करने को बोलते हो
पिताजी - तो क्या ज़िंदगी भर गधा बन कर रहेगा
छोटू- माँ देखो ना पिताजी क्या बोल रहे है
माजी- वो कुछ भी बोले , आपकी बेटियो से कई गुना अच्छा है मेरा बेटा
नेहा - हो गया , मुझे भूक लगी
माजी- तेरी चटनी दूँगी सबको खाने के लिए
पूजा - मुझे एक्सट्रा चिली के साथ चाय
नीता - मुझे टिका कम
जयसिंघ- मुझे स्वीट चटनी चाहिए
नेहा - मेरी चटनी मुझे मिलेगी क्या ?
फिर से नेहा और नीता हँसने लगी
और माँ अपने बेलन को अपने सर पर मारने लगी
जयसिंघ- मुझे पढ़ाई करने दे , ये रोज का ड्रामा है कुछ नही होगा
पूजा - चलो ना देखते है
जयसिंघ- चल
और छोटू की वजह से माजी का गुस्सा और बढ़ गया
पिताजी ने माजी का गुस्सा कम कर दिया था पर छोटू ने आग ने तेल डाल दिया
माजी- कहाँ है नेहा
पिताजी- अब क्या हुआ , क्यू मेरी बेटियो के पीछे पड़ी रहती हो
माजी- आप अपनी बेटी को समझा दीजिए कि मेरे बेटे से दूर रहे
पिताजी- क्या हुआ छोटू को
छोटू- माँ देखो ना पिताजी ने भी छोटू कहा
माजी- ये सब उस नेहा की वजह से हो रहा है , आज इस बेलन से पिटाई करूँगी उसकी
पूजा - क्या हुआ छोटू
पूजा दीदी के मूह से भी छोटू वर्ड सुनते ही नेहा अपनी हँसी रोक नही पाई
माजी-क्या कहा तूने , तू होगी अपने पिता जी शेरनी , मेरे सामने तू बकरी है
छोटू- माँ , नेहा यही छुपी है , मैं ने उनकी हँसी सुनी है
जयसिंघ- तुझे कुछ भी सुनाई देता है नेहा यहा नही है
जयसिंघ भी पिताजी की तरह नेहा से बहुत प्यार करता है , वो भी नेहा को बचा रहा था
छोटू- माँ ये सब नेहा को बचा रहे है
माजी- आज ये बेलन से उसको सीधा कर दूँगी
नीता-नेहा आज तो हम बचेंगे नही
छोटू-माँ वो देखो बेड के नीचे छुपी है
नेहा -नीता क्या ज़रूरत थी बोलने की पकड़े गये ना
माजी- बाहर निकलो वरना मैं वहाँ आ जाउन्गी
नेहा - आप बेलन फेक दो तभी हम बाहर आएँगी
माजी- बाहर आती हो कि
पिताजी- नेहा बाहर मत आना
नेहा - जी पिताजी
माजी- आप के प्यार की वजह से नेहा बिगड़ रही है
पिताजी- तुम्हारे प्यार से छोटू बिगड़ रहा है , फैल होते होते बच गया
नेहा और नीता दाँत दिखा कर हँसने लगी
छोटू- मा
माजी-आप अपनी लाडली को देखो , ऐसा ना हो जाए हाथ से निकल जाए
पिताजी- मेरी बेटी ऐसी नही है
पूजा नेहा नीता- जी पिताजी
माजी- जी की बच्ची , बाहर निकल , आज तूने बहुत परेशान किया है
पिताजी - जाने दो ना बच्ची है
माजी- बच्ची बच्ची बोलते बोलते इसकी मस्ती कम होने की जगह बढ़ रही है
पूजा - जाने दो माँ ,
माजी- तू अभी नेहा पे गुस्सा हो रही थी और अब जाने देने को बोल रही है
नीता - माँ पिताजी ने उसको 1 रुपया दिया है ,
माजी - मैं फिर कह रही हूँ इतना लाड मत करो कि वो बिगड़ जाए , फिर सर पकड़ कर बैठना पड़ेगा
पिताजी- मेरी बेटी के साथ ऐसा कुछ नही होगा
माजी- पूरा गाओं राकेश और पूजा की बाते कर रहा है
पिताजी- बाते तो होती रहती है
पूजा - माँ वो डरपोक और मेरी क्या बराबरी करेगा , मेरी एक आवाज़ पे उसकी पेशाब निकलती है
जयसिंघ- जाने दो ना माँ , मुझे भूक लगी है
माजी-ऐसे कैसे जाने दूं , खाना जला दिया है
नेहा - खाना जलाया नही है
पिताजी- खाना जलाया नही है ऐसा बोल रही है
माजी- पूरी दाल खाली हो गयी है
नेहा - वो तो हमने दाल मे काली इंक डाली थी जिस से डाल खाली हो गयी है
पूजा - मेरी इंक दाल मे डाली , बाहर निकलो
पिताजी- तुम सब शांत रहो मैं पूछता हूँ
माजी- आज उसको नही छोड़ूँगी
पिताजी- फिर ऐसे खड़े रहो दिन भर
माजी- पूछिए
पिताजी- नेहा नीता बाहर आ जाओ मैं हूँ यहाँ पर
नेहा और नीता अपने मूह छोटा करके बाहर आ गयी जैसे रो रही हो
ये उनका हथियार था , उनका चेहरा देख कर पिताजी किसी को हाथ लगाने भी नही देंगे
नेहा और नीता बाहर निकलते ही पिताजी के पीछे छुप गयी
पिताजी- अब बताओ क्या हुआ
माजी - ये क्या तरीका हुआ पूछने का , डाँट कर पूछो
पिताजी- मैं पूछ रहा हू ना
छोटू- पहले मेरे बारे मे पूछिए
पिताजी- छोटू.तुम लास्ट मे
छोटू-माँ देखो पिताजी ने फिर से छोटू कहा
पूजा - चुप कर, तू छोटू है तो छोटू कह रहे है
छोटू- पूजा तेरी चोटी काट दूँगा
जयसिंघ- छोटू ये क्या तरीका है पूजा बड़ी है तुझसे , दीदी बोल
छोटू- वो मुझे छोटू बोलती है चल जाता है , वो मुझे छोटू कहेंगी तो मैं उनको पूजा कहूँगा
पिताजी- तुझे मार चाहिए
माजी- क्या कहा आपने, लगता है आपको बाहर सोना है आज
माँ की बात सुनते नेहा और नीता हँसने लगी
पिताजी- वो बदतमीज़ी कर रहा है
माजी- और नेहा क्या कर रही है
पिताजी- वो तो प्यार से बोलती है इसको छोटू
माजी- उसको पसंद नही है छोटू कहना ,
छोटू- माँ
माजी- मेरे प्यारे बेटे को कोई चिडाएगा नही
पूजा - तो कोई छोटू को छोटू नही कहेगा
जयसिंघ- छोटू को छोटू नही कहेंगे तो क्या कहेंगे वो भी बता दो
नेहा -मैं भी उसको छोटू नही कहूँगी
नीता - छोटू कोई नही बोलेगा लेकिन फिर बोलेंगे क्या
छोटू-माँ देखो सब जानबूझ कर मुझे चिड़ा रहे है
माजी- आज किसी को खाना नही दूँगी ,
छोटू नेहा को अंगूठा दिखाने लगा
पिताजी- तुम्हारे हाथ का खाना खाए बिना पेट नही भरता
माजी- ये सब छोटू कहने से पहले बोलना था
नेहा - पिताजी बाहर चलें खाना खाने
माजी- बिगाड़ो और
पिताजी- तुमने ही तो कहा कि खाना नही दूँगी , फिर मैं अपने बच्चो को भूका कैसे रहने दूं
माजी- तो क्या मैं रहने देती , मैं ने तो ऐसे ही
छोटू- माँ
पिताजी- चुप कर , माँ माँ करता रहता है , कभी तो पिताजी बोला कर
छोटू- आप मारते हो , कसरत करने को बोलते हो
पिताजी - तो क्या ज़िंदगी भर गधा बन कर रहेगा
छोटू- माँ देखो ना पिताजी क्या बोल रहे है
माजी- वो कुछ भी बोले , आपकी बेटियो से कई गुना अच्छा है मेरा बेटा
नेहा - हो गया , मुझे भूक लगी
माजी- तेरी चटनी दूँगी सबको खाने के लिए
पूजा - मुझे एक्सट्रा चिली के साथ चाय
नीता - मुझे टिका कम
जयसिंघ- मुझे स्वीट चटनी चाहिए
नेहा - मेरी चटनी मुझे मिलेगी क्या ?
फिर से नेहा और नीता हँसने लगी
और माँ अपने बेलन को अपने सर पर मारने लगी
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(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
(मैं और मेरा परिवार Running )........
(रेशमा - मेरी पड़ोसन complete).....(मेरी मस्तानी समधन complete)......
(भूत प्रेतों की कहानियाँ complete)....... (इंसाफ कुदरत का complete).... (हरामी बेटा compleet )-.....(माया ने लगाया चस्का complete). (Incest-मेरे पति और मेरी ननद complete ).
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Re: मैं और मेरा परिवार
812 बी
पिताजी-मेरी बेटी से जितना मुश्किल है
माजी- वो ऐसे ग़लती करती रहेंगी तो सर पीटना पड़ेगा
नेहा - माँ हमने किया क्या है
माजी- पूरी दाल जला दी
पिताजी- दाल जली नही है ऐसा कहा ना नेहा ने
नीता - सिर्फ़ काली हो गयी है
पिताजी- क्या ?
नेहा - पिताजी , दाल मे हमने दीदी की इंक डाल दी
पूजा - मेरी इंक ,
नेहा - दीदी आपको तो थॅंक्स कहना चाहिए , हमारे वजह से 1 रुपया मिला है आपको
पूजा - इसका ये मतलब नही है कि तू कुछ भी करेगी
नीता - दीदी दुबारा ऐसा नही करेंगे
पिताजी- पर तुमने ऐसा किया क्यूँ
नेहा - मास्टर जी ने कहा था
जयसिंघ- मास्टर जी ने , झूठ मत बोलो
नीता - सच भैया मास्टर जी ने कहा था
पिताजी- शुरू से बताओ क्या कहा किसने
नेहा - कल स्कूल मे मास्टर जी ने कहा कि "दाल मे कुछ काला है "
जयसिंघ- ये तो कहावत है
पिताजी- तो तूने इंक डाल दी दाल मे
नीता - पूरी बात तो सुनिए
पिताजी- कहो
नेहा - हम ने मास्टर जी को कहा कि दाल तो पीली(येल्लो) होती है
नीता - तो मस्टेरज़ी ने कहा कि दाल मे कुछ काला होता है ये कहावत है
पिताजी- तो
नेहा - हमने पूछा कि काला मतलब , क्या थोड़ी काली होती है जिससे हमे दिखाई नही देती
पूजा-मास्टर जी ने क्या कहा
नीता - ये इंक जैसी काली है वैसा काला
पिताजी- तो तुमने दाल मे इंक डाल दी
नेहा - हम देखना चाहते थे कि डाल मे काला कहाँ होता है
जयसिंघ-मास्टर जी से ठीक से पूछना था ना
नीता - कैसे पूछते , हमारे कुछ पूछने से पहले घंटी बज गयी और छुट्टी हो गयी
पूजा - तो आगे क्या हुआ
नेहा - घर आकेर रशोई घर मे देखा तो माँ ने दाल नही बनाई थी , पर आज बनाई थी
नीता - हमने माँ को रशोई घर से बाहर निकाला
पिताजी- वो कैसे किया
माजी- दोनो ने कहा कि बाहर बारिश हो रही है कपड़े गीले हो जाएँगे ,, तो मैं बाहर चली गयी ,
नेहा - फिर हमने दाल चेक की , पर दाल तो पीली थी , मास्टर जी ने कहा था कि डाल मे कुछ काला होता है, या फिर काला डालना होता है ,
जयसिंघ- मुझे पूछ लेती , मैं बता देता
नेहा - आपके पास आए थे पर आपने कहा बाद मे पूछना जो पूछना है
जयसिंघ-तो रुक जाती
नीता- रुक जाती तो दाल हमारे पेट मे चली जाती
पिताजी- दाल मे काला नही मिला
नीता - नही
पिताजी- फिर इंक क्यू डाली दाल मे
नेहा -मास्टर जी ने कहा था कि इंक जैसा काला तो हमे लगा कि इंक डाल दें दाल मे तो पता चल जाएगा
पूजा - मेरी इंक क्यू ली
नीता - हमारे पास ब्लू इंक थी , काली इंक सिर्फ़ आपके और भैया के पास होती है
पूजा - तो भैया की लेती ना
नेहा - भैया की क्यू लूँ , भैया पढ़ाई करते है , आपकी वाली इंक की बोटल एक महीने से वैसी ही पड़ी है
पूजा - चुप रहो
पिताजी- तुम मेरा 1 रुपया वापस करना
पूजा- अब नही मिलेगा
नीता - दीदी 10 पैसे मेरे है उसमे
पूजा - मिल जाएँगे तुमको
पिताजी- ये क्या चक्कर है
पूजा - कुछ नही , अरे हाँ तुम कुछ बता रही थी इंक के बारे मे ( ये तो उनकी चाल होती है , नेहा नीता पूजा की चीज़ो को हाथ लगाती है फिर पूजा गुस्सा होने का नाटक करती है और जो पैसे मिलते है वो आपस मे शेयर करती है )
नेहा - हाँ , तो हमने दीदी की इंक की बॉटल ले ली ,
छोटू- पर मेरी नोटबुक खराब क्यूँ की
नीता - चेक कर रहे थे कि इंक ब्लू है या ब्लॅक है
माजी- चेक करने के लिए इसकी बुक मिली
नीता - माँ वो नोटबुक ऐसेही पड़ी हुई थी
पिताजी- पर उसपे छोटू ही क्यूँ लिखा
नेहा - ऐसे ही , छोटू को तंग करने मे मज़ा आता है
पूजा - मुझे भी
छोटू- पूजा की बच्ची
पिताजी- छोटू चुप रहो
नीता - फिर हमने इंक दाल मे डाल दी
पिताजी- तो पता चला दाल मे क्या काला था
नेहा - हाँ , पूरी दाल ही काली थी
जयसिंघ- मेरी बहनें साइंटिस्ट बनेगी (यही बात अवी भी कहता है कविता और लीना को , )
पूजा - मैं तो बन जाउन्गी
जयसिंघ- मैं तेरी नही नेहा नीता की बात कर रहा था
पूजा - पिताजी देखो भैया क्या कह रहे है
पिताजी- जय सिंग , तुम बड़े हो
पूजा ने अंगूठा दिखा दिया अपने भैया को
नेहा - तो हमे दाल मे कुछ काला नही मिला
पिताजी- कैसे मिलता , वो काला कंकड़ तो निकाल लिया था
जयसिंघ- पिताजी डाल मे कुछ काला है इसका मतलब कुछ और होता है
नीता - क्या होता है भैया
जयसिंघ- मतलब कुछ सन्शय जैसा है , जैसे पूजा को 1 रुपया दिया और नीता 10 पैसे माँग रही है , मतलब कुछ तो गड़बड़ है , दाल मे कुछ काला है
नेहा - समझ गयी
नीता- भैया पहले बता देते तो दाल काली नही बन जाती
पिताजी- लो भगवान , मिल गया तुम्हारा जवाब
माजी - इनके मास्टर जी को बेलन से सीधा करना होगा , बच्चो को अधूरा ज्ञान नही देना चाहिए
पिताजी- देखा मेरी बेटियो को , इनकी कोई ग़लती नही थी
माजी- मेरी दाल की ग़लती क्या थी , कुछ के चक्केर मे पूरी दाल काली हो गयी
पूजा - दाल खा खा कर बोर हो गयी हूँ
माजी- मेरी दाल को कुछ मत कहना
छोटू- माँ मेरी नोटबुक
माजी- इसको 2 रुपये दीजिए
पूजा -2 रुपये
पिताजी-जयसिंघ ला देगा
माजी- पूजा को पैसे दे सकते तो मेरे बेटे को क्यू नही दे रहे हो
पिताजी- लो , 2 रुपये
छोटू ने 2 रुपये मिलते ही नेहा पूजा को ठेंगा दिखाया
नेहा- हमारे वजह से पूजा दीदी और छोटू को पैसे मिले है
माजी- फिर छोटू कहा तूने
नीता- माँ तुम्हारा छोटू भाग गया 2 रुपये मिलते ही
माजी- मैं भी जाती हूँ वरना फिर से दाल मे कुछ काला मिल जाएगा
और माँ के इस जोक पे सब हँसने लगे
जयसिंघ- मैं ने कहा था ना पिताजी कुछ नही होने देंगे
नेहा - दीदी मेरे 10 पैसे
नीता- मेरे भी 10 पैसे
पिताजी- ये क्या चक्कर है
पूजा - आप नही समझोगे ,
और तीनो अपने कमरे मे चली गयी
जयसिंघ- पूजा आपको चुना लगा कर गयी है पिताजी
पिताजी- पता है मुझे , मुझे मत बता , वो तीनो खुश हैना बस इतना ही चाहिए मुझे
और फिर दाल येल्लो वाली , काला निकल गया था
सब ने मिलके हंसते हुए खाना खा लिया
हमारी नेहा इसी तरह मस्ती मज़ाक करते हुए अपनी लाइफ जी रही थी
पिताजी भी उनके साथ मस्ती करते हुए छोटे बच्चे बन जाते
पूजा तो नेहा नीता पे ऐसे ही गुस्सा करती , फिर पैसे मिलते आपस मे बाँट लेती
जयसिंघ तो पढ़ाई मे बिज़ी रहता
पर जब नेहा कहती तो वो पढ़ाई छोड़ कर खेलने लग जाता
सभी 5 भाई बहन मिलके खेलने लग जाते तो सूरज कब ढल गया पता भी नही चलता
नेहा सिर्फ़ घर के लोगो को परेशान नही करती थी गाओं मे भी बहुत मस्ती करती थी
नीता और नेहा के किस्से गाओं मे मशहूर होने लगे
योगेंद्रसिंघ की वजह से किसी की हिम्मत ही नही होती कि कोई नेहा को रोक ले
एक बार तो पंडितजी को परेशान करने का सोच रही थी नेहा
ये हुआ ऐसे कि
ये बात एक साल बाद हुई थी
नेहा और नीता को अचानक मंदिर जाने की इच्छा हुई
तब जंगल ज़्यादा दूर तक फैला था , मंदिर तक जाने के लिए रास्ता था पर बारिश की वजह से रास्ता भी दिखाई नही देता
गाओं को लग कर था जंगल ,
मंदिर मे जाने के लिए जंगल से होकर जाना पड़ता था
नेहा ने मंदिर जाने का प्लान नीता को बता दिया ( लेकिन पिताजी और ठाकुरजी ने मेले के समय मंदिर तक के जंगल को कम कर दिया था .
नेहा - नीता , चल मंदिर चलते है
नीता- तू पागल है मंदिर तो जंगल मे है ,
नेहा - तो क्या हुआ , जंगल मे शेर नही है
नीता- तो क्या हुआ , मुझे डर लगता है
नेहा - डर तो मुझे भी लगता है ,
नीता- हवेली चलते है
नेहा - चल ना मंदिर
नीता- तू जाएगी तो मैं तो आउन्गि ही पर पिताजी
नेहा - उनको पंडितजी बताएँगे
नीता- पंडित जी , वो तो मंदिर मे होंगे वो कैसे बताएँगे
नेहा - मेरे पास एक प्लान है
नीता- बता ,
नेहा ने नीता को प्लान बता दिया
नीता- इसमे मज़ा तो आएगा पर पिताजी को परेशान नही करेंगे
नेहा - तो
नीता- पिताजी घबरा जाएँगे
नेहा - पिताजी को पता है हमारे बारे मे , वो ज़्यादा टेन्षन नही लेंगे
नीता- माँ को बताएँगे
नेहा - माँ तो ज़्यादा डर जाएँगी
नीता- तो क्या करे
नेहा - तू चल रही है क्या
नीता- चलो
दोनो तय्यार हो गयी मंदिर जाने को
पिताजी- ये क्या कर रही हो
नेहा -.प्लान बनाया है
पिताजी- अब क्या कर रही हो
नीता- नेहा से पूछिए
पिताजी-नेहा क्या चल रहा तुम्हारे दिमाग़ मे
नेहा -.मंदिर जा रहे है
पिताजी- क्या
नीता- मंदिर जा रहे है
पिताजी-जंगल मे जा रही हो
नेहा -.आप रोकोगे नही
पिताजी- तुम्हे जाने देने का सवाल ही पैदा नही होगा
नेहा- पिताजी जाने दीजिए ना
पिताजी-मैं भी आउन्गा
नेहा -आपके आने से प्लान खराब होगा
पिताजी- प्लान क्या है
नीता- ये टमाटर मेरे ड्रेस पे लगेगा , और मैं शेर ,
पिताजी-पंडितजी को परेशान करना है
नेहा -हाँ
पिताजी- क्यूँ उस पंडित की नींद खराब कर रही हो
नीता- बस थोड़ा मज़ाक कर रहे है
पिताजी-चलो मैं आता हूँ ,
नेहा -जाने दीजिए प्लान कॅन्सल , ऐसे मज़ा नही आएगा
पिताजी- तो यही घर पे जो करना वो करो पर जंगल ग़लती से भी मत जाना
नीता- कहा था तुम्हे
नेहा -पिताजी , जाइए मैं आपसे बात नही करूँगी
पिताजी- मैं चलता हूँ तो मना कर रही हो ,
नेहा - मैं रो दूँगी
पिताजी-तुझे अकेले कैसे जाने दे सकता हूँ
नेहा -मुझे जाना है तो जाना है
पिताजी- हवेली चल वहाँ जो करना है करना
नेहा - मुझे मंदिर जाना है वो भी अकेले
पिताजी- जयसिंघ
जयसिंघ- पिताजी आपने आवाज़ दिया
पिताजी- नेहा को मंदिर लेकर जाओ
जयसिंघ- मेरी पढ़ाई
पिताजी- जितना कहा है उतना करो
जयसिंघ- जी पिताजी
नेहा -मुझे अकेला जाना है
पिताजी- तू समझ क्यू नही रही है वो जंगल है
नीता- मैं भी तो रहूंगी ना साथ मे
पिताजी-तुम दोनो छोटी हो
माजी- मैं ने पहले ही कहा था कि इतना चढ़ाओ मत सर पे
पिताजी- मुझे सोचने दो
नेहा-मुझे जाने है मंदिर
माजी- एक थप्पड़ लगा दीजिए
पिताजी- क्या कहा
माजी- कुछ नही मैं तो ऐसे ही बोल रही थी
पिताजी -ऐसा दुबारा मत कहना
माजी- जी ,
पिताजी- जाओ तय्यरी करो जाने की
नेहा को इजाज़त मिलते ही वो खुश नही हुई
पिताजी-मेरी बेटी से जितना मुश्किल है
माजी- वो ऐसे ग़लती करती रहेंगी तो सर पीटना पड़ेगा
नेहा - माँ हमने किया क्या है
माजी- पूरी दाल जला दी
पिताजी- दाल जली नही है ऐसा कहा ना नेहा ने
नीता - सिर्फ़ काली हो गयी है
पिताजी- क्या ?
नेहा - पिताजी , दाल मे हमने दीदी की इंक डाल दी
पूजा - मेरी इंक ,
नेहा - दीदी आपको तो थॅंक्स कहना चाहिए , हमारे वजह से 1 रुपया मिला है आपको
पूजा - इसका ये मतलब नही है कि तू कुछ भी करेगी
नीता - दीदी दुबारा ऐसा नही करेंगे
पिताजी- पर तुमने ऐसा किया क्यूँ
नेहा - मास्टर जी ने कहा था
जयसिंघ- मास्टर जी ने , झूठ मत बोलो
नीता - सच भैया मास्टर जी ने कहा था
पिताजी- शुरू से बताओ क्या कहा किसने
नेहा - कल स्कूल मे मास्टर जी ने कहा कि "दाल मे कुछ काला है "
जयसिंघ- ये तो कहावत है
पिताजी- तो तूने इंक डाल दी दाल मे
नीता - पूरी बात तो सुनिए
पिताजी- कहो
नेहा - हम ने मास्टर जी को कहा कि दाल तो पीली(येल्लो) होती है
नीता - तो मस्टेरज़ी ने कहा कि दाल मे कुछ काला होता है ये कहावत है
पिताजी- तो
नेहा - हमने पूछा कि काला मतलब , क्या थोड़ी काली होती है जिससे हमे दिखाई नही देती
पूजा-मास्टर जी ने क्या कहा
नीता - ये इंक जैसी काली है वैसा काला
पिताजी- तो तुमने दाल मे इंक डाल दी
नेहा - हम देखना चाहते थे कि डाल मे काला कहाँ होता है
जयसिंघ-मास्टर जी से ठीक से पूछना था ना
नीता - कैसे पूछते , हमारे कुछ पूछने से पहले घंटी बज गयी और छुट्टी हो गयी
पूजा - तो आगे क्या हुआ
नेहा - घर आकेर रशोई घर मे देखा तो माँ ने दाल नही बनाई थी , पर आज बनाई थी
नीता - हमने माँ को रशोई घर से बाहर निकाला
पिताजी- वो कैसे किया
माजी- दोनो ने कहा कि बाहर बारिश हो रही है कपड़े गीले हो जाएँगे ,, तो मैं बाहर चली गयी ,
नेहा - फिर हमने दाल चेक की , पर दाल तो पीली थी , मास्टर जी ने कहा था कि डाल मे कुछ काला होता है, या फिर काला डालना होता है ,
जयसिंघ- मुझे पूछ लेती , मैं बता देता
नेहा - आपके पास आए थे पर आपने कहा बाद मे पूछना जो पूछना है
जयसिंघ-तो रुक जाती
नीता- रुक जाती तो दाल हमारे पेट मे चली जाती
पिताजी- दाल मे काला नही मिला
नीता - नही
पिताजी- फिर इंक क्यू डाली दाल मे
नेहा -मास्टर जी ने कहा था कि इंक जैसा काला तो हमे लगा कि इंक डाल दें दाल मे तो पता चल जाएगा
पूजा - मेरी इंक क्यू ली
नीता - हमारे पास ब्लू इंक थी , काली इंक सिर्फ़ आपके और भैया के पास होती है
पूजा - तो भैया की लेती ना
नेहा - भैया की क्यू लूँ , भैया पढ़ाई करते है , आपकी वाली इंक की बोटल एक महीने से वैसी ही पड़ी है
पूजा - चुप रहो
पिताजी- तुम मेरा 1 रुपया वापस करना
पूजा- अब नही मिलेगा
नीता - दीदी 10 पैसे मेरे है उसमे
पूजा - मिल जाएँगे तुमको
पिताजी- ये क्या चक्कर है
पूजा - कुछ नही , अरे हाँ तुम कुछ बता रही थी इंक के बारे मे ( ये तो उनकी चाल होती है , नेहा नीता पूजा की चीज़ो को हाथ लगाती है फिर पूजा गुस्सा होने का नाटक करती है और जो पैसे मिलते है वो आपस मे शेयर करती है )
नेहा - हाँ , तो हमने दीदी की इंक की बॉटल ले ली ,
छोटू- पर मेरी नोटबुक खराब क्यूँ की
नीता - चेक कर रहे थे कि इंक ब्लू है या ब्लॅक है
माजी- चेक करने के लिए इसकी बुक मिली
नीता - माँ वो नोटबुक ऐसेही पड़ी हुई थी
पिताजी- पर उसपे छोटू ही क्यूँ लिखा
नेहा - ऐसे ही , छोटू को तंग करने मे मज़ा आता है
पूजा - मुझे भी
छोटू- पूजा की बच्ची
पिताजी- छोटू चुप रहो
नीता - फिर हमने इंक दाल मे डाल दी
पिताजी- तो पता चला दाल मे क्या काला था
नेहा - हाँ , पूरी दाल ही काली थी
जयसिंघ- मेरी बहनें साइंटिस्ट बनेगी (यही बात अवी भी कहता है कविता और लीना को , )
पूजा - मैं तो बन जाउन्गी
जयसिंघ- मैं तेरी नही नेहा नीता की बात कर रहा था
पूजा - पिताजी देखो भैया क्या कह रहे है
पिताजी- जय सिंग , तुम बड़े हो
पूजा ने अंगूठा दिखा दिया अपने भैया को
नेहा - तो हमे दाल मे कुछ काला नही मिला
पिताजी- कैसे मिलता , वो काला कंकड़ तो निकाल लिया था
जयसिंघ- पिताजी डाल मे कुछ काला है इसका मतलब कुछ और होता है
नीता - क्या होता है भैया
जयसिंघ- मतलब कुछ सन्शय जैसा है , जैसे पूजा को 1 रुपया दिया और नीता 10 पैसे माँग रही है , मतलब कुछ तो गड़बड़ है , दाल मे कुछ काला है
नेहा - समझ गयी
नीता- भैया पहले बता देते तो दाल काली नही बन जाती
पिताजी- लो भगवान , मिल गया तुम्हारा जवाब
माजी - इनके मास्टर जी को बेलन से सीधा करना होगा , बच्चो को अधूरा ज्ञान नही देना चाहिए
पिताजी- देखा मेरी बेटियो को , इनकी कोई ग़लती नही थी
माजी- मेरी दाल की ग़लती क्या थी , कुछ के चक्केर मे पूरी दाल काली हो गयी
पूजा - दाल खा खा कर बोर हो गयी हूँ
माजी- मेरी दाल को कुछ मत कहना
छोटू- माँ मेरी नोटबुक
माजी- इसको 2 रुपये दीजिए
पूजा -2 रुपये
पिताजी-जयसिंघ ला देगा
माजी- पूजा को पैसे दे सकते तो मेरे बेटे को क्यू नही दे रहे हो
पिताजी- लो , 2 रुपये
छोटू ने 2 रुपये मिलते ही नेहा पूजा को ठेंगा दिखाया
नेहा- हमारे वजह से पूजा दीदी और छोटू को पैसे मिले है
माजी- फिर छोटू कहा तूने
नीता- माँ तुम्हारा छोटू भाग गया 2 रुपये मिलते ही
माजी- मैं भी जाती हूँ वरना फिर से दाल मे कुछ काला मिल जाएगा
और माँ के इस जोक पे सब हँसने लगे
जयसिंघ- मैं ने कहा था ना पिताजी कुछ नही होने देंगे
नेहा - दीदी मेरे 10 पैसे
नीता- मेरे भी 10 पैसे
पिताजी- ये क्या चक्कर है
पूजा - आप नही समझोगे ,
और तीनो अपने कमरे मे चली गयी
जयसिंघ- पूजा आपको चुना लगा कर गयी है पिताजी
पिताजी- पता है मुझे , मुझे मत बता , वो तीनो खुश हैना बस इतना ही चाहिए मुझे
और फिर दाल येल्लो वाली , काला निकल गया था
सब ने मिलके हंसते हुए खाना खा लिया
हमारी नेहा इसी तरह मस्ती मज़ाक करते हुए अपनी लाइफ जी रही थी
पिताजी भी उनके साथ मस्ती करते हुए छोटे बच्चे बन जाते
पूजा तो नेहा नीता पे ऐसे ही गुस्सा करती , फिर पैसे मिलते आपस मे बाँट लेती
जयसिंघ तो पढ़ाई मे बिज़ी रहता
पर जब नेहा कहती तो वो पढ़ाई छोड़ कर खेलने लग जाता
सभी 5 भाई बहन मिलके खेलने लग जाते तो सूरज कब ढल गया पता भी नही चलता
नेहा सिर्फ़ घर के लोगो को परेशान नही करती थी गाओं मे भी बहुत मस्ती करती थी
नीता और नेहा के किस्से गाओं मे मशहूर होने लगे
योगेंद्रसिंघ की वजह से किसी की हिम्मत ही नही होती कि कोई नेहा को रोक ले
एक बार तो पंडितजी को परेशान करने का सोच रही थी नेहा
ये हुआ ऐसे कि
ये बात एक साल बाद हुई थी
नेहा और नीता को अचानक मंदिर जाने की इच्छा हुई
तब जंगल ज़्यादा दूर तक फैला था , मंदिर तक जाने के लिए रास्ता था पर बारिश की वजह से रास्ता भी दिखाई नही देता
गाओं को लग कर था जंगल ,
मंदिर मे जाने के लिए जंगल से होकर जाना पड़ता था
नेहा ने मंदिर जाने का प्लान नीता को बता दिया ( लेकिन पिताजी और ठाकुरजी ने मेले के समय मंदिर तक के जंगल को कम कर दिया था .
नेहा - नीता , चल मंदिर चलते है
नीता- तू पागल है मंदिर तो जंगल मे है ,
नेहा - तो क्या हुआ , जंगल मे शेर नही है
नीता- तो क्या हुआ , मुझे डर लगता है
नेहा - डर तो मुझे भी लगता है ,
नीता- हवेली चलते है
नेहा - चल ना मंदिर
नीता- तू जाएगी तो मैं तो आउन्गि ही पर पिताजी
नेहा - उनको पंडितजी बताएँगे
नीता- पंडित जी , वो तो मंदिर मे होंगे वो कैसे बताएँगे
नेहा - मेरे पास एक प्लान है
नीता- बता ,
नेहा ने नीता को प्लान बता दिया
नीता- इसमे मज़ा तो आएगा पर पिताजी को परेशान नही करेंगे
नेहा - तो
नीता- पिताजी घबरा जाएँगे
नेहा - पिताजी को पता है हमारे बारे मे , वो ज़्यादा टेन्षन नही लेंगे
नीता- माँ को बताएँगे
नेहा - माँ तो ज़्यादा डर जाएँगी
नीता- तो क्या करे
नेहा - तू चल रही है क्या
नीता- चलो
दोनो तय्यार हो गयी मंदिर जाने को
पिताजी- ये क्या कर रही हो
नेहा -.प्लान बनाया है
पिताजी- अब क्या कर रही हो
नीता- नेहा से पूछिए
पिताजी-नेहा क्या चल रहा तुम्हारे दिमाग़ मे
नेहा -.मंदिर जा रहे है
पिताजी- क्या
नीता- मंदिर जा रहे है
पिताजी-जंगल मे जा रही हो
नेहा -.आप रोकोगे नही
पिताजी- तुम्हे जाने देने का सवाल ही पैदा नही होगा
नेहा- पिताजी जाने दीजिए ना
पिताजी-मैं भी आउन्गा
नेहा -आपके आने से प्लान खराब होगा
पिताजी- प्लान क्या है
नीता- ये टमाटर मेरे ड्रेस पे लगेगा , और मैं शेर ,
पिताजी-पंडितजी को परेशान करना है
नेहा -हाँ
पिताजी- क्यूँ उस पंडित की नींद खराब कर रही हो
नीता- बस थोड़ा मज़ाक कर रहे है
पिताजी-चलो मैं आता हूँ ,
नेहा -जाने दीजिए प्लान कॅन्सल , ऐसे मज़ा नही आएगा
पिताजी- तो यही घर पे जो करना वो करो पर जंगल ग़लती से भी मत जाना
नीता- कहा था तुम्हे
नेहा -पिताजी , जाइए मैं आपसे बात नही करूँगी
पिताजी- मैं चलता हूँ तो मना कर रही हो ,
नेहा - मैं रो दूँगी
पिताजी-तुझे अकेले कैसे जाने दे सकता हूँ
नेहा -मुझे जाना है तो जाना है
पिताजी- हवेली चल वहाँ जो करना है करना
नेहा - मुझे मंदिर जाना है वो भी अकेले
पिताजी- जयसिंघ
जयसिंघ- पिताजी आपने आवाज़ दिया
पिताजी- नेहा को मंदिर लेकर जाओ
जयसिंघ- मेरी पढ़ाई
पिताजी- जितना कहा है उतना करो
जयसिंघ- जी पिताजी
नेहा -मुझे अकेला जाना है
पिताजी- तू समझ क्यू नही रही है वो जंगल है
नीता- मैं भी तो रहूंगी ना साथ मे
पिताजी-तुम दोनो छोटी हो
माजी- मैं ने पहले ही कहा था कि इतना चढ़ाओ मत सर पे
पिताजी- मुझे सोचने दो
नेहा-मुझे जाने है मंदिर
माजी- एक थप्पड़ लगा दीजिए
पिताजी- क्या कहा
माजी- कुछ नही मैं तो ऐसे ही बोल रही थी
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माजी- जी ,
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