चुदाई का सिलसिला

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rajababu
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Re: चुदाई का सिलसिला

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rajaarkey
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Re: चुदाई का सिलसिला

Post by rajaarkey »

rajababu wrote: 24 Feb 2018 11:50 Mast Likhi hai
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Re: चुदाई का सिलसिला

Post by rajaarkey »

शास... कंचन की जीब को मस्ती में पी रहा था....और उसकी एक उंगली...कंचन की चूत में घूम रही थी...कंचन की शिसकिया काफ़ी तेज हो गये थी....शास धीरे धीरे उंगली से कंचन की चूत को फैलाने की कोशिस भी कर रहा था....और कंचन मस्ती में डूबती जा रही थी....कुछ देर के बाद शास ने कंचन की जीब को छोड़ कर उसकी एक चुचि को मुँह में भर लिया था....पर उसकी एक उंगली अभी भी अपने काम में व्यस्त थी.....कंचन की शिसकिया बढ़ती जा रही थी...उसकी चूत पानी से सराबोर थी....इसी बीच शास की उंगली....कंचन की चूत की झिल्ली को टच हो गयी तो कंचन की चीख nikal गयी...उूुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुुउउईईईईईईईईईईई.....

पर कंचन को एक अजीब से अहसास ने हिला दिया...कंचन ने शास को बाहों में जकड लिया और शास का मुँह कंचन की चुचि में फँस गया था.....

शास ने कुछ देर के बाद कंचन को गद्दे पर लिटा दिया और कंचन की चूत पर अपना मुँह रख दिया...और एक हाथ से कंचन की चुचियों को बारी बारी से मसल रहा था.....कंचन की चूत शास की गरम साँसों से और ज़्यादा पानी छोड़ने लगी थी....तभी शास की जीब को कंचन ने अपनी चूत के अंदर जाते हुए महसूस किया....कंचन आपना होश खोती जा रही थी...उसे लग रहा थे कि आज शायद इस आनंद में वो बेहोश हो जाएगी.....उसकी आँखे बंद थी...और सिसकियाँ गूँज रही थी...पर अब शास की जीब कंचन की चूत में काफ़ी अंदर तक घूम रही थी....शास को कंचन की चूत का स्वाद मुस्कान की चुत के पानी के स्वाद से मिलता जुलता ही नज़र आ रहा था...पर कंचन की चूत के पानी में हल्का सा भी कसैला पन नहीं था...बिल्कुल कच्चे नारियल के पानी का सा स्वाद.....लेकिन तभी कंचन ने शास के बालों को ज़ोर से पकड़ कर शास के मुँह को अपनी चूत से और सटा दिया था...शास ने धीरे से अपने मुँह को इस तरह से एडजस्ट किया कि उसकी नाक हल्का फूलका शांस तो ले सके क्योंकि कंचन ने तो पूरी ताक़त से शास के मुँह को चूत से सटा दिया था....तभी एक भूचाल सा आया और शास का खुला हुआ मुँह
उस अमृत जल से भर गया....जिसको मदन जल कहते है...जिसको शास गटगट पी गया पर कंचन की पकड़ अभी तक ढीली नहीं हुई थी...

धीरे धीरे कंचन की पकड़ ढीली पड़ती गयी और शास के लंड की अकड़न और बढ़ गयी....झटके खाता हुआ शास का लंड गधे के लंड के तरह शास की नाभि से टकरा रहा था...अब शास ने अपना मुँह कंचन की चूत से हटाया और मन ही मन सोचने लगा कि क्या कंचन की चूत इस लंड को झेल भी पाएगी या नहीं....तभी उसकी नज़र भाभी की वेसलीन की शीशी पर पड़ी और शास ने हाथ बढ़ाकर वेसलीन की शीशी उठा ली....और उसमें से ढेर सारी वॅस्लिन लेकर कंचन की चूत में डालने लगा.......

कंचन....शास क्या कर रहे हो ये.....

शास...कुछ नहीं कंचन तुम्हारी चूत को चिकनी कर रहा हूँ जिससे ये लंड आसानी से घुस जाए नहीं तो तुम्हे ज़्यादा दर्द होगा.....

कंचन....परवाह नहीं शास...बस आज मुझे चोद डालो जो भी होगा देखा जाएगा......

शास....ठीक है कंचन अब ज़रा इसे मुँह के चूस कर गीला कर दो....

कंचन...शास मैं कई घंटों से तड़प रही हूँ इस लंड के लिए....अब बस और नहीं....बस जैसे भी हो अब जल्दी से इसे अंदर डाल दो....

शास...लंड तो मेरा भी परेशान है...पर तुम्हारी मुलायम और कुँवारी चूत को देखकर डर रहा है....कहीं फट ना जाए...फिर क्या होगा....

कंचन...कुछ नहीं होगा...बस आज फाड़ डालो...में सह लूँगी....

अब शास से भी नहीं रुका जा रहा था.....उसका लंड भी अब अकड़ अकड़ कर दर्द कर रहा था....उसका लंड भी कंचन की कुँवारी....नाज़ुक सी चूत में जाने के लिए बेकरार था.....पर शास को मुस्कान की याद अभी भी बाकी थी...उसने मुस्कान की हालत देखी थी....शायद इसी लिए....सुरुआत करने में विलंब कर रहा था....

आख़िर शास ने अपना लंड कंचन की चूत के मुँह पर रख ही दिया.....लंड का गरम सुपाडा चूत पर महसूस कर कंचन शिहर उठी....इसकी हल्की सी सिसकारी निकल गई....

शास...कंचन...तय्यार हो.......

कंचन...अब तय्यारी कैसी कब से इस पल का एंतजार कर रही हूँ...अब तो बस जल्दी से अंदर डाल दो.....

शास ने धीरे से अपने लंड का दबाव कंचन की चूत पर बढ़ाया...पर शास का लंड कंचन की टाइट वर्जिन चूत में नहीं जा रहा था...शास मन ही मन सोच रहा था कि सीधी उंगली से घी नहीं निकलने वाला है.....फिर मुस्कान की याद आते ही डर भी रहा था...

उधर कंचन....की चूत का पानी छोड़ छोड़ कर बुरा हाल था....आख़िर शास ने कंचन के दोनो चुतड़ों को मजबूती से पकड़ कर....अपने लंड को ठीक से एडजस्ट कर एक ज़ोर का झटका दे ही दिया..............

आआआआआअहह...उउउउउउउउउउउउउउईईइसीईई....की आवाज़ के साथ कंचन चिल्ला उठी...और शास के लंड का सुपाडा कंचन की चूत में दाखिल हो चुका था.....कंचन अपने चूतड़ इधर उधर करने लगी...पर शास ने उसके चूतड़ मजबूती से पकड़े हुए थे और इसी पल एक और ज़ोर का झटका दे दिया.....

उउउउउउउउईईईईईएम्म्म्म्म्म्म्म्माआआआआ.............कंचन की एक जोरदार चीख nikal गई.....और शास के लंड का एक चौथाई हिस्सा चूत में दाखिल हो चुका था....कंचन शास के लंड को बाहर nikalने की कोशिस करने लगी.....उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे....दर्द से उसका चेहरा बिगड़ने लगा था....उसकी चीख सुनकर भाीभि और अन्य सभी जाग गई थी....

भाभी....शास.... क्या हुआ....

शास....कुछ नहीं भाभी...पहले तो ये कंचन मान नहीं रही थी अब चिल्ला रही है....पर कंचन कुछ भी बोल नहीं पाई..उसका गला मानो किसी ने बंद कर दिया हो...घुटि घुटि दर्द की अह्ह्ह और आँखो से पानी बह रहा था....शास का 1 चौथाई लंड कंचन की चूत को फाड़ कर उसमें दाखिल हो चुका था......

भाभी...शास ज़रा धीरे धीरे डालो ना....तुम्हें तो मालूम है कि कंचन की चूत अभी छोटी और वर्जिन है...क्या वो तुम्हारे इस गधे जैसे लंड को आराम से झेल पाएगी...इस लंड ने तो हमारी चुदि चुदाई चूत की भी हालत खराब कर दी है...फिर इस बेचारी.....की हिम्मत है क़ि इसने इस लंड को लेने की हिम्मत तो दिखाई.......

शास...भाभी मैं तो आराम से ही डाल रहा हूँ पर .......कंचन की चूत ही इतनी टाइट है कि इसमें लंड जा ही नहीं रहा है.......

भाभी...देवर जी...मौके की नज़ाकत को समझ कर चोदो....

शास...ठीक है भाभी........

अब शास ने कंचन की चुचियों को हाथों से मसलना शुरू कर दिया था....और लंड को शांत छोड़ दिया था....काफ़ी देर तक शास कंचन की नाज़ुक चुचियों से खेलता रहा...चुचियों के निप्पल चूस्ता रहा और उसके हाथ कंचन के सरीर के हर भाग को सहला रहे थे.....लगभग 10 मिनट तक ऐसे ही करता रहा और उसका लंड कंचन की चूत में झटके खाता रहा.....

धीरे धीरे कंचन की चूत का दर्द अब कुछ कम हुआ....मगर अभी भी उसकी साने तेज तेज चल रही थी........

शास....अब कैसा महसूस कर रही हो कंचन....

कंचन....अब दर्द कुछ कम है....पर तुमने तो मेरी चूत को फाड़ ही डाला है......अब बाहर nikal लो शास.....मुझसे अब और नहीं झेला जाएगा......मुझे नहीं पता था कि इतना भयानक दर्द होगा.....

शास....घबराओ नहीं कंचन....कुछ नहीं होगा.........अब जब इतना झेल लिया है तो अब तो थोड़ा ही बचा है......तभी कंचन ने हाथ बढ़ा कर देखा...और शास के लंड पर हाथ फेर कर देखा,....अरे अभी तो सारा ही बाहर ही है....फिर अंदर क्या है....

शास....हंस कर...अरे नहीं....बस थोड़ा ही बचा है...और फिर पहली बार बस गेट से अंदर जाने पर ही दर्द होता है और फिर ये गेटवे ऑफ इंडिया को पार कर चुका है....कंचन के चेहरे पर हल्की से मुस्कान फैल गई.....

शास के लंड पर कंचन के हाथ का स्पर्श होते ही उसने एक ज़ोर का ठुमका मारा...और अंदर जाने के लिए मचल उठा....कंचन भी अब कुछ नॉर्मल हो चुकी थी....और फिर कंचन की बेहद टाइट चूत में फँसा शास का लंड कुछ ज़्यादा ही बेचैन हो गया मानो कंचन की चूत उसके लिए चुनोती बन गई हो....शास..बार बार आगे की प्लानिंग के बारे में सोच रहा था....ऑर रिजल्ट एक ही आता था....चुदाई तो अब करनी ही है....जो भी होगा अब देखा जाएगा.........उधर कंचन भी अब कुछ ऐसा ही सोच रही थी शायद????....अब शास ने अपने लंड को थोड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था,...मगर बहुत धीरे धीरे और लंड अब चूत में अपनी जगह बनाने में लगा था.....लगभत 10 मिनट ऐसा ही करने के बाद कंचन लगभग नॉर्मल हो चुकी थी...उसकी चूत फिर से पानी छोड़ने लगी थी....कुछ ही देर पहले का भयानक दर्द अब वो भूलने लगी थी,,,,

मगर अभी तक कंचन की चूत की झिल्ली नहीं टूटी थी....अभी असली दर्द तो शायद बाकी था इस बात का एहशास शास और कंचन दोनो को ही था....मगर कंचन अब पूरे मज़े का आनंद ले रही थी....आख़िर अब शास की शहन शक्ति जबाब दे चुकी थी....उसका लंड अब कंचन की चूत की गहराई नापने के लिए आतुर हो चुका था....आख़िर शास ने लंड को बाहर खिचा ऑर इससे पहले कि कंचन कुछ समझ पाती शास ने एक ज़ोर का धक्का मार ही दिया......जिससे शास का लंड कंचन की चूत की झिल्ली तो तोड़ते हुए लगभग आधा अंदर पहुँच गया....और कंचन....ज़ोर से चीख उठी.....उसके चेहरे पर भयानक दर्द था...उसका सिर इधर उधर घूम रहा था ऑर शास को पीछे धकेलने की कोशिस कर रही थी.....उसकी चूत से खून की धार बह निकली थी...मगर शास अब रुकने वाला नहीं था....उसने बिना कोई देर किए दूसरा जबरदस्त धक्का लगा ही दिया और शास का लंड कंचन की चूत को चीरता हुआ...3 चौथाई उसकी चूत में फँस गया...
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Re: चुदाई का सिलसिला

Post by rajaarkey »

दर्द से निढाल कंचन......शायद एक बार फिर मुस्कान की कहानी........कंचन को संभलने का मौका दिए बगैर ही शास का तीसरा जोरदार धक्का.....ऑर इस बार शास का पूरा लंड कंचन की चूत में था और कंचन की बच्चे दानी के अंदर दाखिल हो रहा था.....मगर ये क्या...कंचन तो चीख कर बेहोश बो चुकी थी और बेहोशी में भी दर्द के कारण... अपने सिर को इधर उधर कर रही थी....उसकी आँखों से बहता पानी उसके दर्द की पूरी दास्तान बया कर रहा था....

भाभी....क्या हुआ शास......

शास...वही जिसका डर था भाभी.....

आख़िर भाभी से नहीं रुका गया ऑर वो उठी....अरे ये तो बेहोश हो गयी शास...तुमने इस बेचारी के हालत पर बिल्कुल भी तरस नहीं खाया....भला ये गधे का लंड ये मासूम कंचन काया झेल पाती.....

खैर ठहर अभी कुछ नहीं करना.....में फ्रिज का ठंडा पानी लाती हूँ....तब तक...तू इसके बूब्स ही सहला सकता है....लंड को मत छेड़ना......

शास धीरे धीरे कंचन की चुचिया मसल रहा था....शास का लंड कंचन की चूत में पूरी तरह से फँसा था....ऑर बेहोशी की हालत में कंचन अपने सिर को इधर उधर हिला रही थी.....कंचन की नाज़ुक कुँवारी चूत ऑर शास का मुस्टंडा गधे जैसा लंड....क्या कंचन झेल पाती....आख़िर यही तो होना था......फिर भी शास अपने लंड को बिना हिलाए कंचन की चुचियाँ हल्के हल्के दबा-दबा कर सहला रहा था....ओर कभी कभी चुचियों के निप्पल होंठों में लेकर चूस रहा था....तभी भाभी पानी लेकर आ गयी....ऑर कंचन के मुँह पर ठंडा पानी डाला....एक बार फिर ठंडा पानी डालने पर कंचन कुछ होश में आई...पर चूत का दर्द अभी भी उससे सहन नही हो पा रहा था....उसकी आँखो से बहता हुआ पानी उसके दर्द की कहानी बयान कर रहा था.....कंचन कुछ होश में आते ही चीख पड़ी.....शास प्लीज़ इसे बाहर nikal लो....में तो मर जाउन्गी....आआआआआअहह उूुुुुउउईईईईआआाअहीईईईइससस्स्स्सिईईईईईईईईईई.......................

धीरज धर....अभी दर्द बंद हो आएगा......

कंचन....भाभी में मर रही हूँ

भाभी कंचन के सिर के पास बैठ गई...

भाभी....कंचन बस ज़रा सा हूँ....

कंचन - आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह
भाभी....बस अब जो होना था...वो तो हो चुका......बस थोड़ी देर ऑर सहन कर लो......

कंचन....भाभी....नहीं मुझसे सहेन नहीं हो पा रहा है.........

भाभी....कंचन बस थोड़ी सी देर ऑर....ऑर फिर ये तो एक दिन होना ही था...बस इसके बाद इस दर्द से हमेशा के लिए छुट्टी.....बस मज़ा ही मज़ा.... पहले तो सबसे आगे थी.....ऑर अब डर रही है.....लंड तो पूरा चूत में घुस चुका है....क्यों शास.....?????

शास...हां भाभी...कंचन की चूत तो मेरे लंड को पूरा पी गई....

कंचन...पी नहीं गई...फट गई.......

इस पर भाभी....ऑर शास एक साथ हंस पड़े और दर्द होते हुए भी कंचन मुस्कुरा दी.......

भाभी.....आज काश में कंचन की जगह होती...तो बड़ा मज़ा आता...में भी अपनी चूत को फटते हुए देखती....पर मुझे पहले ऐसा लंड ही नहीं मिला....शास मेरी चूत में फिर खुजली मचने लगी है....कुछ तो इस का भी कर दो.......

शास....तो क्या कंचन की चूत से लंड को बाहर nikal कर आपकी चूत में पेल दूं भाभी.......

भाभी...नहीं शास...ऐसा गजब नहीं करना...क्या कंचन की चूत को प्यासी ही छोड़ देगा......देखा नहीं रहे हो....इतना दर्द झेल कर और चूत को फूडवा कर अब कितने आराम से लेटी है.....इस पर कंचन एक बार फिर मुस्कुरा दी.....

शास -- फिर में क्या करूँ भाभी....

भाभी....कुछ नहीं....में तो अपने हाथ से ही काम चला लूँगी.....तुम अब बस कंचन को सम्भालो....ऑर शार एक बार फिर कंचन की चुचियों को मस्त होकर चूसने लगा था....

शास के हाथ कंचन के पूरे सरीर पर तैरने लगे थे....ओर कंचन भी....अब भयंकर दर्द को भूलकर....मीठे मीठे दर्द में भी एक अजीब आनंद का अनुभव कर रही थी......

शास अब कंचन के बदन के साथ पूरी मस्ती के साथ खेल रह था...काफ़ी देर हो चुकी थी....ऑर कंचन की चूत का दर्द अब लगभग गायब था...भाभी का इशारा पाकर शास ने अपने लंड को अंदर ही अंदर हल्के हल्के हिलाना भी शुरू कर दिया था...ऑर कंचन मीठे मीथे दर्द के साथ उउउउउउउउउउआआआआआआउउउउउउउईईईएइससस्स्स्स्सिईईईई
के साथ...धीरे धीरे अपने सरीर को हिला रही थी....ऐसे ही काफ़ी देर गुजर गई....ऑर अब कंचन की चूत ने खून के साथ पानी भी छोड़ना शुरू कर दिया था....मगर शास अभी अपने लंड को अंदर बाहर नहीं कर रहा था...फिर भी उसका लंड झटके मार कर कंचन की चूत को चुनोती दे रहा था...कंचन की बच्चेदानि लगभग 3 एंच अंदर पहुँच चुकी थी...लंड के हर झटके के साथ कंचन क्र्राह उठती थी.....उधर भाभी अपने चूत में चारो उंगली डाल कर घुमा रही थी

कंचन की नज़र भाभी पर जैसे ही पड़ी वो मुस्कुराए बिना नहीं रह सकी....

अब उसकी चूत भी भरपूर पानी छोड़ रही थी...और शास के लंड को और
झटके मारने को मजबूर कर रही थी.....आख़िर जब शास से नहीं रुका गया तो उसने भी लंड को थोड़ा थोड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया......ओर कंचन एक बार फिर कराहने लगी पर अब दर्द कम ही हो रहा था

भयानक दर्द सहन करने के बाद ये दर्द कंचन के लिए कुछ भी नहीं था....शास के लंड के धीरे धीरे अंदर बाहर होने के साथ साथ कंचन की आ........आआआआहहुउऊुुुुुउउम्म्म्ममममममाआआआआईईईु
उूुउउम्म्म्मममममममम का साज़ मधुर संगीत बन कर और मादक होता जा रहा था...ऑर शास के लंड की अंदर बाहर होने की स्पीड धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी.....

कंचन अब चुदाई का भरपूर आनंद लेने की स्थिति में आने लगी थी....उधर भाभी अपने काम में मस्त थी....बीच बीच में कंचन भाभी को देख कर ऑर कामातुर हो अपने चूतड़ हल्के से उपर उठाती तो बच्चेदानि ऑर अंदर खिसक जाती जिससे उसकी आआह nikal जाती थी......इस पर शास के लंड की अकड़ाहट ऑर बढ़कर ख़ूँख़ार होती जा रही थी.....ऑर कंचन के आहे अब सिसकारियों में बदलने लगी थी.........

वाह रे चुदाई के खेल...पिछले एक घंटे से दर्द से तड़पती कंचन.......बेहोश होती कंचन ....अब चुदाई के खेल को खुलकर खेलने के लिए तय्यार हो रही थी....उूुुुुउउम्म्म्मममममममाआआआआअहूऊऊऊऊहह की आवाजो के साथ मस्त नाज़ुक सी कंचन.....वासना के समुंदर में तैर रही थी......
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Re: चुदाई का सिलसिला

Post by rajaarkey »

अब कंचन को चूत के फटने या बच्चेदानि के फटने की कोई चिंता नहीं थी...बस चुदाई.....ऑर चुदाई का आनंद.....ऑर इसी समुंदर में तैरते हुए कंचन अब चुदाई के किनारे की तलाश मे अपने दोनो हाथ शास की कमर पर फिरा रही थी....कभी कभी उसके हाथ शास के चुतड़ों पर आकर शास के लंड को ऑर चूत के अंदर तक लेने की कोशिस कर रहे...थे...उसके अंदर एक तूफान आने जा रहा था.....उधर शास के धक्को की स्पीड के साथ कंचन चुदाई के अंतिम उस छोर की ओर जा रही थी.....जिसका कोई किनारा नहीं...एक अद्भुत आनंद....आनंद....ऑर पूर्णआनंद.......अर्थात....उसकी चूत अब पानी छोड़ने के करीब.....ऑर उसके हाथों का खिचाव शास की कमर पर बढ़ता ही जा रहा था.......

कंचन के हाथों का दबाव शास ने अपनी कमर पर अनुभव किया.....ऑर उसने ऑर जोरदार धक्को की बरसात कंचन की चूत में कर दी.....कंचन की सिसकारी अब पूरे कमरे में गूँज रही थी.....उसी रफ़्तार से भाभी की उंगलियाँ भी अपनी चूत के अंदर बाहर हो रही थी.....भाभी शास के लंड को ही अपनी चूत में जाता अनुभव कर के अपने हाथ की स्पीड बढ़ा रही थी....भाभी की चूत भी अब पानी छोड़ने ही वाली थी...उधर कंचन की चूत और शास के लंड की जंग.....कंचन की चूत फट चुकी थी...उससे खून अब चूत के पानी के साथ मिलकर रिश रहा था...पर चुदाई के आनंद में अब वो सब भूलकर पूर मज़ा ले रही थी...उसकी चूत पानी छोड़ने ही वाली थी ऑर वो शास से ऑर ज़ोर से चिपक कर चूतड़ उछाल रही थी.....कमरे में सिसकारियों की गूँज...उूुुआाअहहुउऊउउम्म्म्ममाआअसस्स्स्स्स्स्सीईईआ आाआआईयईईई सस्स्स्स्स्स्स्शहाआआआअसस्स्स्स्सस्स म्म्मईएरररीए बब्भाई.......फ़ाआड़ दे...आआआहह ईईए लो म्म्म्ममाआऐं तूओ ज्जाअ रही हूऊऊऊवन्न्ननणणन् गूँज रही थीईई
ऑर इसी के साथ कंचन ने पानी छोड़ दिया.......


कंचन की आँखे बंद हो गयी ओर उसकी उंगलियों के नाख़ून शास की कमर में घुस गये...उूुुुुुुुुुुुुआााआआआआअहह की लंबी ध्वनि के साथ.......बस शास के धक्को की आवाज़....कंचन पूर्ण शांत....एक लंबी शांति.......एक लंबा पहला आनंद.....चरम आनंद.....

उधर भाभी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया....ऑर एक आआअहह्के साथ वो भी शांत हो गयी.....

मगर शास का लंड अभी भी पूरी गति से अंदर बाहर हो रहरा था.....ऑर फूच फूच फूच की मधुर कामुक आवाज़ ही कमरे में गूँज रही थी....कंचन की चूत अब काफ़ी गीली हो चुकी थी.....ऑर शास का लंड पूरी गति से अंदर बाहर हो रहा था.......अब शास भी अपने उत्कर्ष की ओर बढ़ने लगा था....उसका लंड भी अब पानी छोड़ने के करीब ही था....शांत कंचन में कुछ हलचल सी हुई....शायद अब वो उस पारमानंद से लूटने लगी थी....ठीक इसी बीच शास के लंड ने एक तेज पिचकारी के साथ पानी छोड़ दिया ऑर कंचन की चूत को पूरी तरह से अपने लंड के पानी से भर दिया......शास पूरी तरह से कंचंन से चिपक गया....कंचन अपनी चूत में शास के लंड का गरम-गरम पानी महसूस कर परम आनंद से सराबोर हो चुकी थी....ऑर कमरे में अब पूर्ण शांति..........

कुछ देर के बाद शास ने लंड को कंचन की चूत से बाहर खींचा....इसके साथ ही, खून....चूत का पानी ऑर ढेर सारा वीर्य का मिला हुआ वयंजन कंचन की चूत से बाहर निकलने लगा.....कंचन ने उठने की कोशिस की पर वो ठीक रूप से खड़ी नहीं हो पाई....भाभी ऑर शास ने उसे संभाला....कंचन को अब चलने में बहुत परेशानी हो रही थी....उसकी फटी हुई चूत से अभी भी...खून का रिश्वत हो रहा था....

भाभी....शास ये तो बुरा हुआ...कंचन की चूत तो काफ़ी फट गई ही.....

शास.....अब क्या होगा भाभी...वो घबराकर बोला.....कंचन भी घबरा गई.......

भाभी .....कुछ नहीं...घबराओ मत....सब ठीक हो जाएगा....पहली बार ऐसा होता है....ऑर फिर कंचन की चूत तो अभी नाज़ुक ऑर कुँवारी थी....इस पर गधे का लंड उस में घुसा दिया....तो ये तो होना ही था....पर घबराओ नहीं में संभाल लूँगी.......

भाभी ऑर शास कंचन को पकड़ कर बाथरूम तक ले गये...पर कंचन दर्द के कारण चल नहीं पा रही थी...उसकी टाँगें काप रही थी....ऑर सारे कपड़े भी खून से खराब हो चुके थे.....टाय्लेट करते हुए कंचन को भयंकर दर्द हुआ....

भाभी ऑर शास कंचन को वापस रूम में ले आए....भाभी ने गरम पानी करके उसमें ब्रांडी मिलाकर कंचन की चूत की सिकाई की....जिससे कंचन को काफ़ी दर्द के बाद कुछ राहत मिली.....अभी तक सुबह के 5 बज चुके थे....

भाभी...तुम दोनो कुछ देर आराम कर लो...मेरे पति...हॉस्पिटल से आते ही होंगे....बाकी में सवेरे सब संभाल लूँगी...घबराओ मत...थोड़ी देर सो लो.....

शास ....ठीक है भाभी...पर मुझे तो डर लग रहा है...कंचन की चूत तो बिल्कुल फट गई....घरवालों को क्या कहेंगे.....

भाभी....कहा ना...में सब संभाल लूँगी...अब सो जाओ.....

अब भाभी घर के अन्य कामो में वयस्त हो गई...ऑर शास ऑर कंचन सोने की कोशिस करने लगे....ऑर कुछ ही देर बाद उनके सोने की भी आवाज़ कमरे से आ रही थी....ऑर भाभी काम करते हुए आगे की प्लान बना रही थी..

सुबह जब भाभी के पति जब हॉस्पिटल से आए तो भाभी ने उन्हे बताया कि कंचन रात टाय्लेट जाते हुए बाथरूम में गिर गयी थी....काफ़ी चोट लग गयी है....में जब हॉस्पिटल जाउन्गी तो उसे भी डॉक्टर को दिखा दूँगी....ऑर भाभी जल्दी ही कंचन को अपने पति की सहायता से हॉस्पिटल ले गई...ऑर चुपचाप लड़े डॉक्टर को दिखाया...डॉक्टर ने कुछ क्रींस व मेडिसिन्स दी थी..कुछ दिन सेक्स से दूर रहने की सलाह भी...दी...इसके बाद वे घर लौट आए ...वहाँ पर भी कंचन की बाथरूम में गिरने की ही बात बताई....ऑर किसी को भी शक नहीं हुआ....बात इसी तरह से निपट गई....ऑर शास अपनी मोम के साथ अपने गाँव लौट गया ...कुछ दिनो बाद उसे पता चला कि भाभी प्रेगनेंट है...आख़िर उसने भाभी को चोद चोद कर माँ बना ही दिया था...ऑर भाभी की बरसों की इच्छा भी पूरी हो गई थी


मामा के घर से आने के बाद शास अपनी एग्ज़ॅम्स की तय्यारी पर लग गया ऑर पूरी मेहनत से साथ उसने एग्ज़ॅम दिया....उसके बाद उसकी समर वाकेशन्स शुरू हो गयी.....शास ने मम्मी से मामा के गाँव जाने के लिए कहा तो मम्मी ने कुछ दिन बाद जाने के लिए कह कर बात ख़तम कर दी.....मगर शास के लंड को अब चूत की ज़रूरत महसूस हो रही थी...काफ़ी दिनो से उसे कोई चूत नहीं मिली थी....उसका लंड अब पहले से बड़ा ऑर मोटा हो चुका था...उसे खुद आश्चर्य था...कि उसका लंड इतना भारी कैसे हो जा रहा है....ऑर साथियों से बातों बातों में उसे जानकारी मिल चुकी थी..कि लंड औसत मे 5 या फिर 6-7 इंच का ही होता है...पर उसका लंड तो अभी से 10 इंच लंबा था.. ऑर मोटा भी बहुत था....उसका लंड किसी भी चूत को फाड़ने के लिए काफ़ी था.....मगर अभी किसी भी चूत के मिलने की कोई संभावना नज़र नहीं आ रही थी.....मगर खुदा जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है.....यही कुछ बात शास पर भी लागू हुई........

शास को पहला चुदाई का अनुभव संतोष बुआ ने ही कराया था..ऑर आज कल शन्तोश बुआ की लड़की कुछ दिनो के लिए उनके घर पर आई...जो कि एम्स न्यू देल्ही से एमबीबीएस कर रही थी....

संतोष ऑर उसकी बुआ की लड़की शास के घर मिलने के लिए आई....शास तो उस लड़की को देखता ही रह गया....वो इतनी सुन्दर थी....कि शास का तो हाल ही खराब हो गया....ऑर एक तरफ़ा उसी लड़की को घूरता रहा...जब उस लड़की ने शास को अपनी ऑर इस कदर घूरता हुए देखा तो उसे कुछ अच्छा नहीं लगा...वैसे तो उसके लिए ये कोई नई बात नहीं थी...कॉलेज ऑर बाज़ार में भी लड़के उसे घूरते रहते थे...पर गाँव में उसे काफ़ी छोटा लड़का उसे इस कदर घूर रहा था....ये कुछ अटपटा सा लगा...पर वो कुछ नहीं बोली ओर शन्तोश के साथ अपने घर लौट गई.....

कुसुम..संतोष दीदी ये लड़का कौन था...

संतोष...कॉन्सा लड़का कुसुम..

कुसुम...अरे वही लड़का जिनके घर से हम अभी आए है...बहुत घूर घूर कर देख रहा था..

संतोष.. तुम हो ही इतनी सुंदर कि कोई भी तुम्हे घूर घूर कर ही तो देखेगा....ये कह कर संतोष हंस पड़ी.....

कुसुम-क्यूँ मज़ाक कर रही हो दीदी...ज़रा उसकी उम्र तो देखो....ऑर ऐसे घूर रहा था.. कि मानो..मुझे.........

संतोष...वो देखने में ही छोटा है...पर उसका वो बहुत बड़ा है....

कुसुम...उसका वो से आपका क्या मतलब है दीदी...

संतोष...हँसते हुए डॉक्टरनी जी इतनी भी भोली ना बनो...

कुसुम...इसमें भोली बनने की क्या बात है...ज़रा खुलकर बताओ ना दीदी...

संतोष...अरे वही...जिसके लिए आदमी औरत को देखता है....



कुसुम…आदमी किसके लिए औरत को घूरता है दीदी….

संतोष…तुम कॉलेज में क्या पढ़ती हो…जो तुम्हें ये भी नहीं पता है…ऑर फिर तुम्हें कॉलेज के लड़के क्यूँ घूरते हैं…????

कुसुम…उनका तो दिमाग़ खराब होता है जहाँ कोई लड़की देखी बस हो गए शुरू…कुछ वो बोलते रहते है…उन्हें तो कोई ऑर काम होता नहीं है…पर ये लड़का तो अभी उम्र में भी काफ़ी कम है….

संतोष…मेने बताया ना…उसका वो काफ़ी बड़ा ऑर मस्त है….

कुसुम…में भी तो वही पूछ रही हूँ कि वो क्या…..

संतोष….अगर तुम कॉलेज के लड़को को लिफ्ट दो तो वो तुम्हारे साथ क्या करना चाहेंगे…

कुसुम….अरे दीदी छोड़ो..वो तो गंदी सन्दी पिक्चर देखते है…बस उन्हे तो एक ही चीज़ चाहिए….

संतोष…एक ही क्या चीज़ चाहिए…ये तो बताया नहीं तुमने….

कुसुम…तुम तो बात को टाल रही हो…में तो उसके बारे में पूछ रही हूँ….

संतोष..ऑर में भी तो उसी के बारे में बता रही हूँ…वे लड़के तुमसे क्या चाहते है….

कुसुम….सेक्स करना ऑर क्या….

संतोष…पर ये सेक्स होगा किस चीज़ से…में उसी के बारे में बता रही हूँ….

कुसुम…क्या मतलब….

संतोष….बस यही मतलब है कि उसका वो बहुत बड़ा है…..

कुसुम…इसका मतलब ये हुआ कि आपने देखा है दीदी…

संतोष…यही समझ लो…

कुसुम…उत्सुकता से …पर कैसे दीदी…क्या आपने उसके साथ…

संतोष…यही समझ लो…पर वो है बड़ा ही प्यारा…

कुसुम…दीदी बताओ ना…क्या, कब ऑर कैसे हुआ था…..

संतोष…अर्रे..अरे एक साथ इतने सवाल…बस बता दिया कि वो बहुत ही प्यारा है….बस एक ही बार मोका मिला था…बस वो मज़ा आया कि आज तक याद है….अगर एक बार देख लिया तो अपने शहर के लड़को को भूल ही जाओगी…

कुसुम…में अभी कहाँ लड़को को याद रखती हूँ…मेरा कोई बाय्फ्रेंड नहीं है दीदी ऑर मैने आज तक किसी भी लड़के से बात तक नहीं की ऑर बाते तो एक तरफ रही….

संतोष…तो क्या वास्तव में तुमने कभी किसी आदमी का वो नहीं देखा…ऑर सेक्स का आनंद नहीं लिया…
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