बहू नगीना और ससुर कमीना

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Rohit Kapoor
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Rohit Kapoor »

आप को और आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी व स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाए...
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by Smoothdad »

घर जाने के बाद वह कपड़े बदला और डिनर के बाद वो अपने कमरे में चला गया। सोने से पहले उसे ध्यान आया कि कमरे में पानी नहीं है। वह किचन जाकर फ्रिज खोला तभी उसे पीछे से कुछ आवाज़ आयी । उसने देखा कि मुन्नी नायटी में खड़ी थी। वो भी शायद पानी लेने ही आयी थी।

राजीव: बिटिया पानी चाहिए क्या?

मुन्नी: जी अंकल। राजीव ने उसके लिए भी एक बोतल निकाली और उसे देते हुए बोला: तो ये बताओ रेस्तराँ के वाशरूम में ऊँगली की या नहीं? वह उसकी बुर की ओर इशारा करते हुए बोला।

मुन्नी शर्म से लाल होकर: क्या अंकल कितनी गंदी बात करते हैं आप?

राजीव: अरे इसमें गंदा क्या है? सब लड़कियाँ करती हैं। बताओ ना उस समय तुम बहुत गरम हो गयी थी। जैसे मैंने करके बताया था किया या नहीं?

मुन्नी सिर झुकाकर: जी हाँ किया।

अब राजीव मुस्कुराकर उसके पास आया और उसको अपनी बाँहों में भरकर उसके गाल चूमकर बोला: वाह मज़ा आ गया। इसका मतलब है अब तुम जवान हो गयी हो। अब जवानी का मज़ा लो मेरी रानी बिटिया। अब वो उसको एक बच्ची की तरह गोद में उठाया और किचन के प्लाट्फ़ोर्म पर बिठाया। अब उसकी चूचियाँ उसके आँखों के सामने थीं। वो हड़बड़ा कर बोली: अंकल प्लीज़ छोड़िए ना। कोई आ जाएगा।

राजीव उसकी दोनों चूचियों पर एक एक हाथ रखा और हल्के से दबाते हुए बोला: अरे सब सो रहे हैं। मज़ा करो। फिर वह झुककर उसके होंठ चूसने लगा। मुन्नी को कोई भी मर्द इस तरह से पहली बार चूम रहा था। वो सिहर उठी और बोली: उफफफफ अंकल छोड़िए ना। आऽऽऽहहह प्लीज़।

उधर राजीव ने उसकी नायटी जो अब तक उसकी जाँघ तक उठ गयी थी, को और उठाया और उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी बुर को सहलाया और बोला: उफफफ बिटिया तुम तो मस्त जवान हो गयी हो। देखो कितनी फूल गयी है तुम्हारी बुर। फिर पैंटी की साइड से उँगलियाँ अंदर डालकर बोला: उफफफफ क्या रेशम से नरम बाल हैं तुम्हारे।

मुन्नी का बदन सिहर उठा और वो बोली: उइइइइइइ अंकल प्लीज़ छोओओओओओओओओड़िये नाआऽऽऽऽऽऽ। आऽऽऽऽऽहहह । अब राजीव की ऊँगली उसकी बुर के अंदर थोड़ी सी घुसी थी।

मुन्नी ने राजीव को पीछे किया और प्लेटफ़ार्म से कूदी और क़रीब करींब भागकर अपने कमरे में घुस गयी। राजीव ने अपनी ऊँगली चाटी और मुस्कुराते हुए अपने कमरे में चला गया।

अगले दिन इतवार था इसलिए शिवा घर में था। दोपहर को खाना खाकर सब आराम करने चले गए। शिवा राजीव के कमरे में आकर कुछ बिज़नेस की बातें करने लगा और कुछ सलाह माँगने लगा।

उधर मालिनी शिवा का इंतज़ार की और जब वो नहीं आया तो वह उठकर राजीव के कमरे में जाने के लिए निकली । वो रास्ते में चारु और मुन्नी के कमरे में खिड़की से झाँकी तो देखी कि दोनों सोयी हुई लगीं। वो अब राजीव के कमरे में घुसी।

उधर चारु ने मालिनी को अपने कमरे में झाँकते हुए देखा था, वो सोची कि दीदी मेरे कमरे में क्यों झाँकी? वो फिर से सोने की कोशिश करने लगी।

इधर मालिनी जब कमरे में पहुँची तो राजीव बिस्तर पर बैठा था और शिवा पास ही एक कुर्सी पर बैठा था। मालिनी अंदर आती हुई बोली: आज बाप बेटा क्या सलाह कर रहें हैं इतना? फिर शिवा से बोली: आपको सोना नहीं है क्या?

राजीव ने मालिनी की बड़ी हो चुकी गाँड़ पर हाथ फेरते हुए कहा: अरे बेटी अभी चला जाएगा ना। कुछ काम की बात कर रहा है ना। मालिनी भी मज़े से अपनी गाँड़ सहलाने का आनंद लेते हुए बोली: ठीक है मैं भी सुनु ज़रा आप दोनों क्या बातें कर रहे हो?

राजीव उसके मोटे पेट पर हाथ फेरा और बोला: चलो काम की बात ख़त्म करो। अब ये बताओ कि ये श्रीमान कब बाहर आएँगे?

मालिनी हँसकर : अभी एक महीना है पापा।

शिवा भी उसके दूसरे चूतर को दबाता हुआ बोला: पापा बस अब बहुत हो गया। सच में ये बाहर आए तो हम फिर से मालिनी की चुदाई चालू करें।

राजीव हँसकर: सच बेटी उपवास ज़्यादा लम्बा नहीं हो गया?

मालिनी भी हँसी और राजीव की गोद में बैठती हुई बोली: हाँ पापा सच में बहुत लम्बा हो गया। मैं भी बहुत मिस करती हूँ। राजीव ने उसके गाल चूमे और उसकी एक छाती दबाकर बोला: बेटी अब रहा नहीं जाता।

शिवा: मालिनी पापा का लंड चूस दो ना। इतना तड़प रहें हैं तो।

मालिनी: मैंने कभी मना किया है क्या? उनको चूसवाना होगा तो ख़ुद ही बोलेंगे ना। है ना पापा?

अब शिवा कुर्सी से उठा और हाथ बढ़ाकर उसकी दूसरी चूचि दबा दिया और बोला: ठीक है पापा आप जानो और आपकी बहु । मैं क्यों बीच में बोलूँ?

मालिनी शिवा के लंड को लोअर के ऊपर से दबाई और बोली: आप कहाँ जा रहे हो। यहीं रहो और उसने थोड़ा ज़ोर से उसका आँड़ दबा दिया। शिवा की चीख़ निकल गयी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या करती हो? दुखता है ना?

जब शिवा चीख़ा ,ठीक उसी समय चारु बाहर हाल में आयी थी क्योंकि उसे नींद नहीं आ रही थी। वो सोची कि मैं टी वी देख लेती हूँ। वो शिवा की आवाज़ से चौंकी और उस कमरे की खिड़की के पास आकर धीरे से पर्दा हटाई और अंदर झाँकी। अंदर का दृश्य देखकर मानो उसकी आँखें बाहर ही आ गयीं।

अंदर मालिनी राजीव की गोद में बैठी थी और वो उसकी एक चूचि दबा रहा था और उसके गाल भी चूम रहा था। शिवा सामने खड़ा नीचे होकर मालिनी के होंठ चूस रहा था और मालिनी शिवा का लंड सहला रही थी लोअर के ऊपर से ।शिवा उसकी दूसरी चूचि दबा रहा था। शिवा अपनी जीभ मालिनी के मुँह में डाल दिया था और मालिनी उसे चूसने लगी। अब मालिनी ने शिवा का लोअर नीचे किया और उसका लंड बाहर निकाला और उसे चूसने लगी।

चारु हैरानी से देख रही थी कि उसकी दीदी अपने ससुर की गोद में अधनंगी बैठ कर अपनी चूचि दबवाते हुए अपने पति का लंड चूस रही है। वो सोची कि ये क्या बड़े लोग ऐसे होते हैं? उसका हाथ अपने आप अपनी बुर पर चला गया और वो उसे रगड़ने लगी।

उधर मालिनी मज़े से शिवा का लंड चूस रही थी। अब राजीव ने उसकी क़ुर्ती उतार दी और अब वो सिर्फ़ ब्रा में थी। उफफफफ कितने बड़े हो गए थे दीदी के दूध । पहले तो बहुत छोटे होते थे। लगता है अंकल और जीजा ने दबा दबा कर बहुत मस्त कर दिए हैं-वो सोची।

अब उसकी ब्रा का हुक भी राजीव ने खोला और उसके गोरे पुष्ट दूध सबके सामने थे। अब राजीव दोनों को हाथ में लेकर दबाने लगा। अचानक शिवा बोला: जानू लंड को अपनी चूचियों के बीच लो ना।

मालिनी ने उसका लंड अपने मुँह से बाहर किया और शिवा ने उसको बड़ी बड़ी चूचियों के बीच में डाला। राजीव उन दोनों को दबाकर शिवा के लंड को दबोच लिया उसकी चूचियों के बीच में। अब शिवा अपनी कमर हिलाने लगा और राजीव उसकी चूचियाँ दबाकर शिवा के लंड को घर्शन का मज़ा देने लगा। मालिनी जब उसका लंड ऊपर आता तो उसे जीभ और होंठों से चूस और चाट लेती ।

फिर राजीव बोला: चलो अब इसको बिस्तर पर लिटाओ । मुझे भी तो मज़ा लेना है। शिवा पीछे हटा और मालिनी खड़ी हुई। राजीव ने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार नीचे गिर गयी। मालिनी ने पैंटी नहीं पहनी थी सो वो पूरी नंगी हो गयी। क्या फूला हुए पेट था। राजीव ने प्यार से पेट सहलाया और फिर उसकी मस्त चूचियाँ दबाकर चूसा। शिवा उसकी गाँड़ सहलाकर बोला: पापा देखो मालिनी की गाँड़ कितनी बड़ी हो गयी है।

राजीव ने उसे घुमाया और गाँड़ सहलाकर बोला: हाँ बेटा सच में बहुत क़ातिल हो गयी है बहू की गाँड़।

चलो बेटी अब लेटो बिस्तर पर। अब मालिनी लेटी और शिवा और राजीव भी अब नंगे हो गए।

चारु की तो साँस रुक ही गायी। हे भगवान कितने बड़े लंड हैं बाप और बेटे के। करन अंकल का तो बहुत पतला और छोटा था इनसे। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कितना दुखेगा जब दीदी के अंदर जाएगा- वो सोची। पर उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि उसकी दीदी अपने ससुर से क्यों ये सब करवा रही थी।

अब मालिनी के अग़ल बग़ल दोनों आदमी लेटे और उसकी एक एक चूचि दबाकर उसको चूमने लगे। फिर वो उसकी एक एक चूचि चूसने लगे। क़रीब १० मिनट चूसने के बाद राजीव उसे करवट में लिटाया और उसके मुँह के सामने अपना लंड रखा और वो उसे चूसने लगी। उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ के बीच में शिवा ने अपना लंड फँसाया और वहाँ रगड़ कर मस्ती से बोलने लगा: आऽऽऽऽऽऽह जाऽऽऽऽऽऽन क्या मस्त गाँड़ है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ एकदम चिकनी। आऽऽऽऽऽऽऽहहह करके वो उसकी गाँड़ की दरार में धक्के मारने लगा। थोड़ी देर बाद शिवा आऽऽऽऽऽऽऽह कहकर उसकी गाँड़ की दरार में झड़ने लगा।

अब राजीव भी उठकर अपना गीला लंड जो मालिनी के थूक से सना हुआ था लाकर उसकी गाँड़ की दरार में डाला और उसको वहाँ रगड़ने लगा। शिवा का वीर्य वहाँ उसके लिए लूब का काम कर रहा था। अब जल्दी ही वो भी उसके विशाल नितम्बों का सुख लेता हुआ आऽऽऽह करके झड़ गया।

मालिनी: हो गया आप दोनों का? अब मैं वाशरूम जाकर सफ़ाई कर लूँ ?

राजीव: हाँ हाँ बेटी जाकर सफ़ाई कर लो।

शिवा: जान मैं आऊँ क्या सफ़ाई करने में मदद कर दूँगा।

राजीव: अरे नालायक पूछता क्या है? जा उसकी मदद कर दे। वो इतने मोटे पेट के कारण ठीक से झुक भी तो नहीं सकती।

शिवा हँसकर उसके साथ बाथरूम चला गया। राजीव वहीं पड़े तौलिए से अपना लंड पोछने लगा।

चारु की ऊँगली अब उसके बुर पर तेज़ी से चलने लगी। वो राजीव के मुरझाए लंड को भी प्यार से देख रही थी और फिर अपनी चीख़ दबाकर उइइइइइइइ करके झड़ गयी। उसकी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। वह भी बाथरूम में जाकर अपनी सफ़ाई की और पैंटी को वॉशिंग मशीन में डाली और अपने कमरे में आकर एक पैंटी आलमारी से निकाल कर पहनी। वो अब भी दीदी के अपने ससुर के साथ सम्बंध को नहीं समझ पा रही थी वो भी जीजाजी के सामने। उफफफफ ये क्या हो रहा है?उसे याद आया कि राजीव अंकल बोले थे कि सबसे बड़ा रिश्ता मर्द और औरत का चुदाई का है और बाक़ी सब रिश्ते बाद में आते हैं। क्या ये सच है? उसे अंकल से इस बारे में और बात करनी होगी।

बाद में मालिनी और शिवा अपने कमरे में चले गए। राजीव भी चारु और मुन्नी की मुनिया के बारे में सोचते हुए सो गया।
फिर २/३ दिन कुछ ख़ास नहीं हुआ क्योंकि राजीव की तबियत थोड़ी सी ख़राब थी।

अब मुन्नी का स्कूल खुल गया था और वो नए स्कूल जाने लगी थी। शिवा के जाने के बाद मालिनी और चारु घर पर रहते थे। राजीव का बुखार अब उतर गया था।फिर भी वो आराम ही कर रहा था।

उस दिन मुन्नी के जाने के बाद मालिनी राजीव के कमरे में आयी और बोली: आपके बीमार होने से और बाहर ना जाने के कारण कई सामान ख़त्म हो गया है। मैं ज़रा बाज़ार जाती हूँ और कुछ सामान ले आती हूँ। चारु यहीं रहेगी अगर कुछ आपको लगे तो उसे आवाज़ दे देना।

राजीव ने मालिनी को अपनी गोद में खींचा और कहा: ना बेटी तुम इस हालत में अब कहीं नहीं जाओगी। फिर उसके गाल चूमा और बोला: मैं अब काफ़ी ठीक हूँ मैं ही सब ले आऊँगा। फिर वो उसे प्यार से गोदी से उतारा और तय्यार होने लगा।

मालिनी: अच्छा मगर आप अकेले मत जाओ। मैं चारु को भी भेज देती हूँ आपके साथ। कोई आपके साथ रहेगा तो मुझे शांति रहेगी।

राजीव: वैसे ज़रूरत नहीं है मगर जैसा तुम चाहो।

थोड़ी देर बाद चारु भी तय्यार होकर आयी। आज उसने एक टाइट स्लीव्लेस टॉप और हिप हगिंग जींस पहनी थी। टॉप से उसकी गहरी नाभि दिखाई दे रही थी। राजीव सोचा कि नाभि इतनी सेक्सी है तो असली छेद कितना सेक्सी होगा। वो उसके पीछे पीछे चलने लगा और मटकती गोल गाँड़ का दर्शन करके मस्त होता गया।

राजीव: बेटी पैदल ही चलोगी या ऑटो कर लें?

चारु: अंकल पैदल ही चलते हैं, इस गली से होकर बहुत पास पड़ेगा।

राजीव मुस्कुराकर उसके साथ चलने लगा और बोला: बेटी उस दिन तो फ़िल्म देखते हुए तुमने बड़ा मज़ा किया?

चारु जानती थी कि अंकल ये बात अकेले में ज़रूर छेड़ेंगे।

वो चुपचाप चलती रही। राजीव फिर से पूछा: बताओ ना बेटी उस अधेड़ आदमी का लंड तुम बड़े प्यार से सहला रही थी। वो भी तुम्हारी बुर सहला रहा था और तुम्हारी चूचि दबा रहा था। मैं समझ गया था कि तुम बहुत मज़े कर रही हो।

चारु जवाब देने से बचने के लिए तेज़ चलने लगी और आगे बढ़ गयी। अब राजीव : बेटी आऽऽऽह ऐसे ही आगे आगे चलो। उफफफफ तुम्हारी गोल गोल गाँड़ क्या मटक रही है।

चारु झटके से रुकी और साथ साथ चलने लगी। अब राजीव ने उसका हाथ पकड़कर दबाया और बोला: बताओ ना मज़ा आया या नहीं उस दिन?

पता नहीं चारु को क्या हुआ वो एक झटके में बोला बैठी: और आपको मज़ा आया या नहीं दीदी के साथ बुरा काम करते हुए?
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव सन्न रह गया फिर कमीनेपन से मुस्कुराया: ओह तो तुमने सब देख लिया। चलो अच्छा ही हुआ। हाँ मुझे और तुम्हारी दीदी दोनों को बल्कि सच कहूँ तो शिवा को भी बहुत मज़ा आया। अरे हम ये सब मज़े के लिए तो करते हैं।

चारु: लेकिन ये आप दीदी के साथ कैसे कर सकते हैं? वो तो आपकी बहू है ना?

राजीव: अरे बेटी बहू है तो क्या हुआ? है तो वो जवान औरत ही ना। उसे भी चुदाई का मज़ा चाहिए और मुझे भी चाहिए। बस हो गया मिलन और बन गया काम।

चारु: अंकल , और जीजा जी को भी इसपर कोई आपत्ति नहीं?

राजीव: अरे उसे तो बहुत मज़ा आता है । असली मज़ा तो वोहि लेता है।

चारु: हे भगवान! मेरा तो सिर ही चकरा गया था ये सब देखकर।

राजीव: चलो फिर भी मज़ा तो आया ही होगा ना देखकर। बाथरूम जाकर ऊँगली करी ही होगी। सच है ना?

चारु ने कोई जवाब नहीं दिया। तब तक वो बाज़ार पहुँच गए थे। अगले एक घंटे सामान ख़रीदने में चले गए। फिर राजीव सारा सामान एक जान पहचान वाले की दुकान पर रखा और चारु को लेकर एक रेस्तराँ में घुसा और एक कोने की टेबल पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक ऑर्डर किया।

कोल्ड ड्रिंक पीते हुए वो बोला: बेटी मैंने पहले भी कहा था ना कि दुनिया में औरत और मर्द का एक ही रिश्ता सबसे ऊपर होता है और वो है चुदाई का। इसके सामने सब रिश्ते फीके पड़ जाते हैं।

चारु: पर अंकल आप दीदी के पिता समान हो ना? फिर ये सब क्यों?

राजीव: बेटी पिता समान हूँ ना अगर पिता भी होता तो भी मालिनी जैसे मस्त माल को छोड़ता नहीं।

अब चारु सन्न रह गयी: इसका मतलब अगर आपकी बेटी आपको अच्छी लगेगी तो आप उसके साथ भी ये सब-----

राजीव मुस्कुराया: हाँ बेटी उसके साथ भी ये सब करूँगा।
( वो सोचा कि उसके साथ करके उसको माँ भी बना चुका हूँ, पर अभी इसको ये सब बताना ठीक नहीं होगा) ।

चारु चुपचाप होकर सोच में पड़ गयी। राजीव उसके पास आकर उसके साथ वाली कुर्सी पर बैठा और उसकी जाँघ सहलाते हुए बोला: बेटी देखो जिस तरह से तुम उसका लंड सहला रही थी मुझे मालूम है कि तुम मज़ा करी थी, फिर इस बात को मानने में क्या हर्ज है।

चारु: अगर मान भी लूँ तो क्या फ़र्क़ पड़ेगा? आपने तो सब देखा ही है।

अब राजीव का हौंसला बढ़ा:अरे बेटी इसलिए तो कह रहा हूँ कि जब इस काम में मज़ा आता है तो खुल कर कर मज़ा लो ना। यह कह कर वो उसकी जाँघों के बीच हाथ डालकर उसकी बुर दबा दिया। जींस के ऊपर से ही ये दबाव चारु को अंदर तक हिला दिया। वह बोली: आऽऽऽऽह अंकल हटाइए ना हाथ। कोई देख लेगा ।

राजीव: अरे बेटी मेरा हाथ टेबल के नीचे है कोई नहीं देख सकेगा । अच्छा ये बताओ कि करन के साथ क्या क्या किया?
वह अब उसकी बुर दबाकर उसको मस्ती से भर रहा था।

चारु: आऽऽह कुछ नहीं किया था उनके साथ।

राजीव : अरे वो मुझे कल फ़ोन किया था और सब बताया कि वो तुम्हारे साथ क्या क्या किया था। मुझे विश्वास नहीं हुआ इसीलिए तो तुमसे पूछ रहा हूँ बेटी।

चारु: उफफफफ अंकल आप मुझे बेटी बेटी कहते हैं और ये सब करते हैं। आऽऽऽऽह हाथ हटायिए ना प्लीज़।

राजीव: अरे बेटियाँ तो होती ही हैं मज़े देने के लिए। बताओ ना करन ने सच में इसको चूसा था क्या? वो यही बोल रहा था। वो उसकी बुर दबाते हुए बोला।

चारु: आऽऽऽऽऽह अंकल प्लीज़ उफफफफ हाँ चूसा था।

राजीव: उफफफफ सच? वाह । अच्छा पूरी पैंटी निकाली थी उसने या सिर्फ़ साइड से हटाकर चूसा था?अब वो अपना हाथ उसकी पीठ पर ले गया और टॉप के अंदर हाथ डालकर सहलाता हुआ ब्रा के स्ट्रैप को दबाने लगा। अब चारु बोली: उफफफफ पैंटी उतार दी थी। आऽऽह पर आप हटाओ ना कोई देख लेगा।

राजीव अब अपना हाथ सामने की ओर लाया और उसके चिकने पेट और नाभि को सहला कर बोला: वाऽऽऽह बेटी पूरी नंगी होकर मज़ा ले लिया। फिर वो तो तुम्हारी इस मुनिया में लंड भी डाला होगा? वो फिर से उसकी बुर के हिस्से को दबाकर बोला। वो उसकी जींस की जीप नीचे किया और हाथ अंदर डाला तो उसकी पैंटी पूरी गीली थी।

चारु: आऽऽऽह्ह नहीं वो नहीं डाले।

राजीव: क्या नहीं डाले? वो उसकी पैंटी में से उसकी बुर को मसलकर बोला।

चारु अब गरम हो चुकी थी। वो: आऽऽऽऽह अंकल लंड नहीं डाले।

अब राजीव ने उसकी पैंटी के अंदर हाथ डाला और पूछा: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बेटी कहाँ नहीं डाला उसने अपना लंड?
उसकी बुर खुजा कर बोला।

चारु अब पूरी गरम हो चुकी थी बोली: आऽऽऽऽऽह वहीं जहाँ आऽऽऽऽऽऽपकी उँगली है।

राजीव उसका हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा और वो उसे बेशर्मी से दबाने लगी पैंट के ऊपर से । वो बोला: आऽऽऽऽह बेटी क्या नाम है इसका? वो उसकी बुर के क्लिट को सहलाकर बोला।

चारु: उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽ बुर आऽऽऽह।

राजीव : उफफफ बेटी तुम्हारी बुर तो आँसू बहा रही है। पूरी चड्डी गीली हो गयी है।

चारु: उफफफ अंकल हाथ बाहर निकालिए वरना आऽऽऽऽह मेरी पैंट गीली हो जाएगी। उस दिन करन अंकल के यहाँ भी ऐसा ही हो गया था और पूरी पैंट में मैंने जैसे सूसू कर दी थी। ये कहकर वो अपनी जाँघों को चिपका ली।

राजीव: अरे मेरा हाथ तो छोड़ो । देखो तुम्हारी बुर में फँस गया है।

चारु ने अपनी जाँघें फैला दी और वो अपना हाथ बाहर लाया और अपनी गीली ऊँगलियाँ उसे दिखाकर चाटने लगा और बोला: वाह क्या स्वाद है बेटी तुम्हारी बुर। म्म्म्म्म्म।

चारु अब जल्दी से अपनी पैंटी ठीक की और ज़िप को उठा कर पैंट बंद की।

कोल्ड ड्रिंक ख़त्म हो चुकी थी । चारु खड़ी हुई और राजीव उसकी गाँड़ को टेबल में नीचे सा दबाकर कहा: बेटी अब तुझे मज़ा देना है। बताओ कब का प्रोग्राम बनाऊँ?

चारु: ओह अंकल अभी तो चलिए यहाँ से । कोई देख लेगा।

राजीव उसकी गाँड़ की दरार ने हाथ डाला और बोला: बेटी करन से मज़ा ली हो ना। एक बार मुझसे भी लो ज़िन्दगी भर याद रखोगी ।

चारु बाहर आकर: अंकल मैंने आपका वो देखा है। करन अंकल का तो काफ़ी छोटा है आपके सामने। पता नहीं दीदी कैसे ले पाती है आपका? वैसे जिजु का भी आपके जैसा ही बड़ा सा है।

राजीव गर्व से : अरे उसका भी तो बड़ा ही होगा ना आख़िर मेरा ही बेटा है।

चारु चुप चाप चलती रही। गली सुनसान ही थी।

राजीव: वैसे बेटी अभी तुमको मैं चोदूँगा नहीं। बस वैसे ही मज़ा दूँगा जैसे कि करन ने दिया था । और हाँ मैं तुमको उसी दिन चोदूँगा जब तुम ख़ुद मेरा लंड अपने हाथ में लेकर अपनी बुर में लगाकर बोलोगी कि अंकल अंदर डालो। मैं तभी डालूँगा ये मेरा वादा है।

चारु मुस्कुराती हुई अपनी गाँड़ मटका कर चलती हुई बोली: वो भी देखंगे अंकल मैं आपको कभी नहीं बोलूँगी कि अंदर डालो। मेरी तो फट ही जाएगी। आपका है ही इतना बड़ा।

राजीव: अरे बेटी लंड जितना बड़ा हो लड़की को उतना ही ज़्यादा मज़ा आता है। समझी?

तभी सामने से शकील भाई आते दिखे उनके साथ एक सलवार क़ुर्ती में एक लड़की थी। शकील भाई की टेलरिंग की शॉप थी और राजीव की पत्नी हमेशा वहीं जाती थी कपड़े सिलवाने। अब वो ६५ का हो चला था। उसके साथ की लड़की ताज़ा ताज़ा जवान हुई थी उसकी उम्र अब १८ के आसपास रही होगी। पर वो काफ़ी छोटी सी लग रही थी। मासूमियत की पुतली ।

शकील चारु के अमरूदों को घूरते हुए: भाई कहाँ से आ रहे हो?

राजीव भी उस मासूम सी लड़की के दुपट्टे से झाँकते अमरूदों को देखा और बोला: बस भाई बाज़ार से आ रहा हूँ। ये कौन है मैंने पहचाना नहीं।

शकील उस लड़की की कमर सहलाकर: अरे ये मेरी पोती है। ये अपने वालिद के साथ तीन दिन पहले ही आयी है । मैं इसे बाज़ार दिखाने ले जा रहा हूँ।

शकील ने जिस तरह से उस लड़की की कमर को सहलाया तो राजीव का लंड हिलने सा लगा। वो भी अपने दादा से चिपकी हुई खड़ी थी।

शकील: ये लड़की कौन है भाई? वो अब जाँघों के जोड़ पर उभरे हुए उसकी बुर को देखकर बोला।

राजीव: अरे ये मेरी बेटी जैसी है। मेरी बहु की बहन है।

शकील: भाभी के जाने के बाद तो अपने हमारी दुकान में आना ही बंद कर दिया। अपनी बहु और इसको भी लाओ ना। एक से एक ड्रेस सिलूँगा इनके लिए।

फिर शकील चारु से बोला: देखो रूहि की ड्रेस ये मैंने ही सिली है। वो रूहि के दुपट्टे को हटाया और उनको दिखाकर बोला: देखो कितनी मस्त फ़िटिंग है। उसके अमरूद क़ुर्ती में मस्त तने हुए साफ़ दिखाई दे रहे थे। फिर वो उसे पलटा और क़ुर्ती को ऐसे उठाया कि गाँड़ में चिपकी सलवार दिखने लगी और बोला: देखो पीछे की फ़िटिंग भी कितनी मस्त है।

राजीव का लंड कपड़े में फँसी हुई उसकी गोल गोल गाँड़ को देखकर अकड़ गया। चड्डी की लाइनिंग भी साफ़ दिख रही थी। वो अपना लंड एडजस्ट करते हुए बोला: बेटी चारु , सही में बहुत बढ़िया फ़िटिंग है। तुम भी इनके यहाँ एक सूट सिलवा लेना। ठीक है?

चारु: जी ठीक है।

शकील भूकि नज़रों से चारु के बदन को घूरता हुआ बोला: वैसे बेटी तुम्हारा बदन तो अभी जवान हो रहा है। इस मस्त फ़िगर पर सब कपड़े जंचेंगे।

राजीव : अच्छा भाई मैं इनको लेकर आऊँगा। फिर वो लार टपकाते हुए रूहि को बोला: बेटी अभी कितने दिन यहाँ रहोगी?

रूहि : अंकल अभी मैं पूरी छूट्टियाँ दादू के पास ही रहूँगी। वो शकील से चिपकती हुई बोली।

राजीव मन ही मन सोचा कि उफफफफ लगता है साले बुढ़ढ़े ने अपनी पोती को शीशे में उतार लिया है। साला कमीना । उसे याद था कि उसे हमेशा अपनी बीवी पर शक होता था जब वो इस कमीने से कपड़े सिलवाती थी कि कहीं वो इस कुत्ते से लगवा तो नहीं रही है। हालाँकि उसे कभी सबूत नहीं मिला था पर एक बार वो जब इसके दुकान से आयी थी तो उसकी चूचियाँ लाल थी जो रात को चुदाई के समय उसने देखा था। वो बोली थी कि शायद कोई एलर्जी हो गयी है। बाद में उसने वॉशिंग मशीन में चेक किया था और उसकी पैंटी में कामरस के दाग़ पाए थे। साला कमीना कहीं का ज़रूर अपनी पोती को भी लगा रहा होगा।

शकील: भाई किस ख़याल में खो गए? बच्चों को लेकर आना। अच्छा अब चलता हूँ।

राजीव भी अच्छा कहकर चल पड़ा। पता नहीं थोड़ी देर बाद वो पलटा और देखा कि सुनसान गली में शकील का हाथ अपनी पोती की गोल गाँड़ पर था।

वो आगे चल रही सामान उठायी चारु के पास आया और उसकी गाँड़ सहलाकर बोला: पता है ये शकील अपनी पोती को ज़रूर चोद रहा होगा।

चारु उसका हाथ अपनी गाँड़ से हटायी और बोली: छी आप कैसी बात करते है? ऐसा भी कहीं होता है?

राजीव हँसकर: अरे बेटी कमसिन जवानी तो सबको पागल बना देती है। फिर वो उसका बाप हो या भाई या दादा।

चारु हैरान से सेक्स के बारे में इन सब नयी जानकारीयों पा कर हैरान सी होकर चलती रही।
अब चारु चुप ही रह गयी क्योंकि बातों ही बातों में घर आ गया था।
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Kamini
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

Post by pyasanokar »

वाओ मस्त लगे रहो u superb in chudai story...
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