कहीं वो सब सपना तो नही complete

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

VKG wrote: 16 Sep 2017 21:00Mast update
Thanks dost
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

आंटी बेड के दूसरी साइड लेटी हुई थी मेरे से करीब 2 फीट की दूरी पर ,,काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही लेटा रहा मुझे नींद नही आ रही
थी ऑर मैं जानता था आंटी भी सो नही रही होगी,,जो आग मेरे अंदर जल रही थी उस से भी ज़्यादा गर्मी आंटी के जिस्म मे पैदा हो रही
थी ,,,रूम मे इतना सन्नाटा था कि वॉल क्लॉक की टिक टिक का शोर गूँज रहा था या फिर आंटी की तेज सांसो का ऑर दिल की धड़कन का,आंटी
का तो बस मेरे साथ लेटने भर से बुरा हाल था,,,,वैसे मेरा भी यही हाल था मेरा दिल कर रहा था कि आंटी को कस्के अपनी बाहों मे
भर लूँ ऑर चोदना शुरू कर दूँ लेकिन जल्दबाज़ी करने से माँ ने मना किया था,,,,लेकिन अब बर्दाश्त नही हो रहा था मेरे से तो
सोचा कि चोद तो नही सकता लेकिन बाहों मे तो भर ही सकता हूँ ,,लेकिन थोड़ा आराम से ऑर धीरज से काम करना होगा,,,तभी दिमाग़
मे आइडिया आया ऑर मैं हल्की हल्की स्नोरिंग शुरू करदी ताकि आंटी को लगे कि मैं सो गया हूँ ,,मेरा प्लान था कि मैं जल्दी स्नोरिंग शुरू
कर दूँगा ऑर आंटी को लगेगा कि मैं सो रहा हूँ ऑर इसी बात का फ़ायदा उठा कर मैं आंटी के करीब हो जाउन्गा लेकिन इस से पहले मैं
आंटी के करीब होता आंटी खुद मेरे करीब हो गई क्यूकी बेड हल्का सा हिला था,,,,मैं तो लेटा हुआ था तो शायद आंटी ही हिली होगी तभी
तो बेड हिला था,,,,इतने मे आंटी का हाथ मेरी चेस्ट पर आ गया,,,,,ऑर आंटी ने मेरी चेस्ट पर हल्के से हाथ रखा ऑर मुझे आवाज़ दी,,,,

सन्नी ,,,सन्नी बेटा,,,इतना शोर क्यू कर रहे हो सोते हुए,,,स्नोरिंग बंद करो मुझे नींद नही आ रही,,सन्नी बेटा,,,,आंटी बोल रही
थी ऑर हल्के से मेरी चेस्ट पर हाथ मार रही थी,,लेकिन मैं हिला जुला नही बस ऐसे ही लेटा हुआ स्नोरिंग करने लगा,,आंटी काफ़ी देर तक
मेरा नाम लेती रही ओर मेरी चेस्ट पर हाथ मारती रही लेकिन मैं स्नोरिंग करते हुए सोने का नाटक करता रहा,,,

करीब 5-7 मिनट बाद जब आंटी को यकीन हुआ तो आंटी ने खुद को मेरे ऑर भी ज़्यादा करीब कर लिया ऑर मेरे से एक दम चिपक
गई ऑर मेरी चेस्ट पर हल्के से हाथ फेरने लगी,,मेरी तो एक दम से हालत बिगड़ने लगी थी एक दम से मेरी हार्ट बीट तेज होने लगी थी
लेकिन मैने खुद पर क़ाबू किया ऑर ऐसे ही लेटा रहा,,,,आंटी का हाथ मेरी चेस्ट पर घूम रहा था ऑर आंटी हल्के से मेरा नाम भी
ले रही थी ताकि उनको पता रहे कि मैं सो रहा हूँ या जाग रहा हूँलेकिन मैं तो लगातार स्नोरिंग करता रहा ताकि आंटी को लगे कि
मैं पक्की नींद मे हूँ ,,,,आंटी मेरे सोते हुए का फ़ायदा उठा रही थी ऑर मेरी चेस्ट पर हाथ घुमा रही थी तभी मैने भी
हिम्मत की ओर अपने एक हाथ को आंटी के जिस्म पर रख दिया,,,पेट ऑर कमर के पास ऑर फेस आंटी के तरफ टर्न करके आंटी से चिपक गया
,,,मेरी इस हरकत से मैं आंटी के एक दम करीब हो गया था,,,मुझे डर तो लग रहा था लेकिन मेरा सबसे बड़ा हथियार था मेरी
स्नोरिंग जिस से आंटी को लग रहा था कि मैं सोते हुए ये सब कर रहा था,,,,,मेरी चेस्ट आंटी के बूब्स के साथ टच कर रही थी मेरा
फेस आंटी के फेस के बिल्कुल पास था मुझे अपने लिप्स पर आंटी की गर्म ऑर तेज साँसे महसूस हो रही थी जिस वजह से मैं मस्त हो रहा
था ,,मेरा दिल तो कर रहा था कि मैं आंटी के जिस्म पर हाथ घुमाना शुरू कर दूं लेकिन मेरे ऐसा करते ही आंटी को पता चल जाता
कि मैं सो नही रहा हूँ इसलिए मैं अपने हाथ को ऐसे ही टिका कर सोने की आक्टिंग करने लगा,,,,,लेकिन आंटी एक हाथ मेरी चेस्ट से हटके
मेरी पीठ पर चला गया ऑर आंटी ने मुझे हल्के से अपने करीब कर लिया ऑर मेरे से चिपक गई ऑर हल्के से मेरी पीठ पर हाथ से सहलाने
लगी,,,,,,मेरी तो हालत खराब हो गई थी लेकिन सोने की आक्टिंग करते हुए मैं कुछ नही कर सकता था,,,,बस खुद परक़ाबू करने की कोशिश
कर रहा था,,,,,,


कुछ पर तो क़ाबू कर लिया लेकिन लंड पर नही कर सका,,,आंटी ने हाथ ने मेरी पीठ पर अपना पूरा हुनर दिखा दिया था जिसकी मस्ती
से लंड खड़ा होने लगा था ऑर आंटी को मेरे लंड का एहसास अपने टाँगों पर होने लगा था,,,,आंटी ने जल्दी से अपनी टाँग को मेरे
लंड पर टच करना शुरू कर दिया ऑर जब आंटी को मेरे लंड के हार्ड होने का पता चला तो वो फिर से मेरा नाम लेने लगी,,,,

सन्नी ,,सन्नी बेटा,,,,,,,,,लेकिन मैं नही हिला ऑर स्नोरिंग करता रहा,,,,,,,जब आंटी को लगा कि मैं सो रहा हूँ तो आंटी ने अपने हाथ को
मेरे लंड की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया ऑर कुछ देर मे मेरा लंड आंटी एक हाथ मे था,,,,आंटी के हाथ लगते ही लंड ने एक तेज झटका
मारा ऑर आंटी ने अपने हाथ को पीछे कर लिया ऑर फिर से मेरा नाम लेने लगी,,,,,,,लेकिन मैं वही सोने की आक्टिंग करता रहा,,,,,


आंटी ने फिर हिम्मत करके मेरे लंड को हाथ मे लिया अब तक लंड लगभग पूरी ओकात मे आ गया था ऑर आंटी ने उसको हाथ मे लेके
हलके से मुट्ठी मे भर लिया ऑर दबा लिया ऑर आंटी के मूह सी हल्की अहह निकल गई,,,,,आंटी ने फिर से लंड को दबाया ऑर फिर से अह्ह्ह्ह
निकल गई आंटी की ,,तभी मैने खुद के जिस्म को थोड़ा हिला दिया जिस से आंटी ने डर कर हाथ को पीछे कर लिया ,,,,,उसके बाद करीब 10-12
मिनट तक कुछ नही हुआ ,,,फिर आंटी ने मेरे लंड को नही पकड़ा ओर उठकर बाथरूम मे चली गई ऑर अंदर जाके दरवाजा बंद कर
लिया,,,,दरवाजा बंद होते ही मैं भी भाग कर बाथरूम के दरवाजे के पास चला गया ऑर आंटी की आवाज़ सुनने लगा,,,,,मेरा शक सही
निकला आंटी अंदर चूत मे उंगली करने गई थी,,,,,क्यूकी बाहर तक उनकी सिसकियों की आवाज़ आ रही थी,,,,,,,कुछ देर बाद आंटी बाहर निकल
आई ऑर उनके आने से पहले मैं बेड पर चला गया था,,,,,,,उस रात फिर कुछ नही हुआ ,,,,ना तो वो मेरे करीब आई ऑर ना ही मैं उनके
करीब गया,,,,बस दोनो ऐसे ही लेटे रहे ऑर कब सो गये पता नही चला,,,,,,
सुबह मैं उठा तो आंटी बेड पर नही थी,,,मैने उठकर अपनी टी-शर्ट पहनी ऑर करण के रूम
मे चला गया ,,जाते जाते मुझे किचन से कुछ आवाज़ सुनाई दी मैं समझ गया कि आंटी किचन
मे है,,,,मैं करण के रूम मे गया ऑर बाथरूम मे घुस कर फ्रेश होने लगा ,,,फ्रेश तो क्या
होना था उल्टा मैं ऑर ज़्यादा थक गया मूठ मार कर,,,रात भर आंटी के साथ एक ही बेड पर सोया
था फिर भी कुछ नही कर राका ,,हालाकी आंटी ने मेरे जिस्म को छू कर अपनी थोड़ी हसरत तो पूरी
करली थी ऑर थोड़ी हसरत मेरे लंड को छूने से पूरी हो गई थी उनकी लेकिन फिर भी काफ़ी हसरते थी
जो अभी तक उनके दिल मे क़ैद थी जिनको वो पूरा करना तो चाहती थी लेकिन डर रही थी,,ऑर इधर
मैं भी अपनी हसरतों को अपनी माँ की वजह से दिल मे दबा कर अंदर ही अंदर घुट रहा था


,,रात जब आंटी का हाथ मेरी चेस्ट पर घूम रहा था तब मैं क़ाबू से बाहर हो रहा था
लेकिन जब उनका हाथ मेरे लंड पर लगा था तब तो मैं पूरी तरह से पागल हो गया था ,,मैं
ही जानता हूँ कि रात मैने खुद पर क़ाबू कैसे किया था,,बस चलता तो एक ही झटके मे पूरा
लंड घुसा देता आंटी की मस्त गान्ड मे ऑर इतनी ज़बरदस्त चुदाई करता कि आंटी अपने पति
यानी करण के बाप को भी भूल जाती,,,,

मूठ मार कर फ्रेश होके मैं रूम से निकला ऑर किचन की तरफ जाने लगा तभी मुझे आंटी
के रूम से आंटी की आवाज़ सुनाई दी,,,, मैं जल्दी से आंटी के रूम के पास चला गया ,,बातों
से पता चल रहा था कि आंटी मेरी माँ से बात कर रही थी,,,मैं रूम के बाहर खड़ा
होके आंटी ओर माँ की बातें सुन-ने लगा,,,,

अलका आंटी,,,,,,,दीदी अपने सच बोला था उसका तो वो बहुत बड़ा है,,,,

माँ,,,,,,>>>>>>>>>>>>

अलका आंटी,,,,,,,,,,,दीदी मुझे शरम आती है उसका नाम लेने मे ,,आप बार बार ऐसे मत
बोलो ना प्लज़्ज़्ज़,,,,

माँ,,,,,,>>>>>>>>>>>.

आंटी,,,,,,जानती हूँ दीदी मैने जल्दबाज़ी करदी रात मे लेकिन क्या करती वो मेरे पास लेटा हुआ
था ,,,उपर कुछ पहना भी नही था जस्ट निक्केर मे था ,,,,उसकी चिकनी छाती देख कर मेरा
दिल बहक गया ऑर मेरा हाथ उसकी छाती पर चला गया ऑर मस्ती मे मैं इतनी पागल हो गई कि
पता ही नही चला कब हाथ उसके उस पर चला गया,,,,मैं तो डर ही गई थी दीदी,,,इतना तेज
झटका लगा मुझे कि पूछो मत,, सच मे कितना बड़ा था उसका ,,,करण के पापा का तो इस
से आधा ही है बस,,,,

माँ,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>.

आंटी,,,,ठीक है दीदी अब जल्दबाज़ी नही करती बस,,,,,,,,आज भी वो मेरे साथ ही सोएगा,,,,,जैसा आपने
बोला था मैं वैसा ही किया लेकिन मुझे शरम आ रही थी उसको अपने साथ सुलाने के लिए बोलने
मे वो तो अच्छा हुआ उसको करण के रूम मे अकेले मे नींद नही आई ऑर वो अपना लॅपटॉप लेके
बाहर सोफे पर बैठ गया ,,,ऑर यहाँ रूम मे मुझे भी नींद नही आ रही थी,,मैने बातों-
बातों मे उसको अपने साथ सोने को बोल दिया,,,,

माँ,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,जी दीदी जैसा अपने कहा था मैं वही नाइटी पहनी थी जो अपने बोला था,,वही जो काफ़ी
पलते कपड़े की थी,,सारा बदन दिखता था उसमे मेरा,,,,पता है कितनी शरम आ रही थी सन्नी
के सामने वो नाइटी पहन कर जाने मे,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,जी दीदी ब्रा ऑर पेंटी भी पहनी थी नीचे,,,,अगर ना पहनती तो नाइटी मे भी बिल्कुल नंगी
होती मैं सन्नी के सामने,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,,,,,नही दीदी खाना परोसते टाइम मैने नाइटी नही सूट पहना हुआ था,,,,,लेकिन खाना
वैसे ही परोसा था जैसा अपने बोला था,,,,थोड़ा थोड़ा करके ऑर बैठी भी सन्नी के सामने वाली
चेयर पर थी ताकि जब भी खाना परोसने के लिए झुकू तो मेरी ब्रेस्ट का ज़्यादा से ज़्यादा हिस्सा
देख सके सन्नी,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,नही दीदी मैं खाना परोसते टाइम नाइटी नही पहन सकती मुझे बहुत शरम आएगी
वो तो रात मे सोते टाइम भी नाइटी मे मुझे सन्नी के सामने बहुत शरम आ रही थी,,,,,

माँ,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,जानती हूँ दीदी करण कुछ दिन के लिए गया है ऑर मेरे पास बहुत कम टाइम है लेकिन
मैं क्या करूँ दीदी मुझे डर लगता है,,,शरम भी आती है,,,,ये तो एक आग लगा दी है आपने
दिल मे इसलिए ये सब कर रही हूँ ऑर उपर से कल रात जब सन्नी का वो हाथ मे लिया था तबसे
आग ऑर भी ज़्यादा भड़क गई है,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,ठीक है दीदी जैसा आप बोलॉगी मैं करूँगी,,,,बस थोड़ा डर लगता है,,,,,जानती हूँ
आप इस सब मे काफ़ी एक्षपरट हो मेरी जगह आप होती तो करण को एक दिन मे ही पटा लेती ऑर मज़ा
ले लेती उसके साथ लेकिन क्या करू मैं इतनी तेज नही हूँ दीदी,,कुछ तेज़ी दिखाने की कोशिश करती
हूँ तो दिल मे डर पैदा होने लगता है जो मुझे ऑर भी ज़्यादा स्लो कर देता है,,,,,

माँ,,,,,,,,,,,>>>>>>>>>>>>>>>>>>>

आंटी,,,,,,,,,,,ठीक है दीदी मैं आज कोशिश करूँगी,,,,,

तभी मैं समझ गया कि माँ ने ही आंटी को सब कुछ करने को बोला था,,,माल से नाइटी लेके
आने को,,बार बार झुक कर डाल सब्जी डालने को,,,ऑर रात को मुझे अपने साथ सुलाने को,,,लेकिन
माँ मुझसे भी तो कुछ बात सकती थी ना,,,,,चलो कोई बात नही अब मैं सब समझ गया हूँ
,,अब मुझे भी कुछ ना कुछ करना ही होगा,,,,,वर्ना दिन ऐसे ही गुजर जाने है ऑर कुछ नही
होना,,,,,,,तभी मैं हल्के कदमो से पीछे गया ऑर वापिस आंटी के रूम की तरफ बढ़ने लगा ऑर
अपने कदमो से हल्का शोर करने लगा ताकि मेरे आने की आहट मिल जाए आंटी को,,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »


जब मैं आंटी के रूम मे पहुँचा तो आंटी ने जल्दी से फोन कट किया ऑर बेड पर रख दिया
ओर मेरी तरफ देख कर शरमाने लगी ऑर हल्की स्माइल देने लगी,,,,

उठ गये तुम बेटा,,,,आंटी ने बेड से उठते हुए मेरे करीब आते हुए पूछा,,,,

जी आंटी जी,,,,मैं तो कबका उठा गया ,,अब तो नहा धो कर फ्रेश भी हो गया,,,,कॉलेज जो जाने
का टाइम हो रहा है,,,,,

अभी आंटी मुझे देख कर शर्मा रही थी ,,स्माइल कर रही थी लेकिन मेरे कॉलेज जाने की बात
सुनके वो उदास हो गई ,,,,,,,,,,,,,,तुमको कॉलेज जाना है आज सन्नी,,वो बड़ी उदास होके बोली

जी आंटी जी,,,कुछ दिन बाद टेस्ट शुरू है तो तब तक कॉलेज जाना ही होगा,,,वैसे भी माँ ने आपको
बताया तो था कि गाओं जाने की वजह से मेरी बहुत छुट्टियाँ हो गई थी वर्ना मैं भी अब करण
के साथ घूमने चला जाता,,,,

ओह्ह हां बेटा मैं तो भूल ही गई थी सरिता दीदी ने बोला था,,,लेकिन क्या करू बेटा तू चला
जाएगा तो मैं घर मे बोर हो जाउन्गा,,,,,अकेले रहने को दिल नही करता मेरा,,,,,

जब करण जाता है तब भी आप घर मे अकेली ही होती हो आंटी जी तब बोर नही होती क्या,,,

बेटा तब तेरी शिखा दीदी होती है ना मेरे पास तो हम दोनो का बातें करके टाइम पास हो
जाता है,,,लेकिन अब तो वो भी नही है घर पे इसलिए बोल रही थी बेटा,,,,

दिल तो मेरा भी नही करता जाने का आंटी जी,,,दिल करता है बस घर बैठ कर वीडियोगेम खेलता
रहूं ऑर आपसे बातें करता रहूं लेकिन क्या करूँ मजबूरी है,,,,लेकिन आप फिकर मत करो
मैं 2 अवर्स मे वापिस आ जाउन्गा,,

इतना सुनकर आंटी खुश हो गई,,,,ठीक है बेटा ,,तो चल जल्दी से नाश्ता कर ले फिर कॉलेज जा ऑर
जल्दी वापिस आ फिर बैठ कर बातें करते है,,,तब तक मैं भी घर का काम कर लूँगी,,,,

आंटी जल्दी से रूम से बाहर जाने लगी ऑर जाते हुए अपनी गान्ड को कुछ ज़्यादा ही मटकाने लगी,,
मैं भी उनके पीछे पीछे डाइनिंग टेबल पर चला गया ऑर जाके चेयर पर बैठ गया,,,

आंटी किचन मे गई ऑर नाश्ता लेके आ गई,,,,फिर हम दोनो बैठ कर नाश्ता करने लगे


रात नींद कैसी आई बेटा,,आंटी ने हल्का शरमाते हुए पूछा,,,

जी बहुत अच्छी आंटी नींद आंटी जी,,अकेला सोता करण के रूम मे तो नींद ही नही आती लेकिन आपके
साथ सोया तो पता ही नही चला कब नींद आ गई,,,,,,,,वैसे मुझे तो नींद अच्छी आई थी लेकिन
आपको कोई प्रोबलम तो नही हुई मेरे वहाँ सोने से,,,,

कुछ खास प्रोबलम नही हुई बेटा,,,,बस तुम सोते टाइम स्नोरिंग बहुत करते हो,,,इतना बोलकर आंटी
हँसने लगी,,,

सॉरी आंटी जी ,,,,,,वो जब मैं गहरी नींद मे होता हूँ तो स्नोरिंग शुरू हो जाती है ,,कुछ पता
नही चलता ,,,,,लेकिन क्या मैं सिर्फ़ स्नोरिंग करता हूँ,,,,मेरा मतलब मेरे हाथ पैर तो नही
चल रहे थे क्यूकी माँ अक्सर बोलती है कि सोते टाइम मेरे हाथ पैर भी बहुत चलते है,,

काश तेरे हाथ पैर भी चलते ,,आंटी के हल्के से शरमाते हुए धीरे से बोला

क्या बोला आंटी जी,,,,,

कुछ नही बेटा,,,मैने बोला कि तेरे हाथ पैर नही चल रहे थे जस्ट स्नोरिंग चल रही थी
तेरी,,,,,

शूकर है आंटी जी,,,,,स्नोरिंग ही चल रही थी वर्ना हाथ पैर चलते तो आपका सोना मुश्किल हो
जाता ऑर आज रात मुझे करण के रूम मे सोना पड़ता,,,,,

ऐसे कैसे सोना पड़ता बेटा,,,ऑर तुम चाहे जितने मर्ज़ी हाथ पैर चला सकते हो सोते टाइम मुझे
कुछ प्रोबलम नही है,,,वो क्या है ना मेरी भी नींद बहुत गहरी होती है मुझे भी सोते टाइम
कुछ पता नही चलता,,,,,

अच्छा तो आपको मेरी स्नोरिंग का कैसे पता चला,,,,,,

वो तो मैं रात को पानी पीने के लिए उठी थी तब पता चला,,,पूरे रूम मे तेरी आवाज़ गूँज रही
थी,,,आंटी फिर हँसने लगी ऑर उनको देख कर मैं भी हँसने लगा,,तभी आंटी ने शरमा कर
अपने फेस को झुका लिया,,,,,ऑर उनके इस शरमाने वाले अंदाज़ ने मुझे पागल कर दिया,,,,


खैर ऐसे ही बातें होती रही ओर हम नाश्ता करते रहे फिर नाश्ता करके मैं कॉलेज चला
गया,,,,,


कॉलेज पहुँचा तो देखा कि आज कॉलेज मे ज़्यादा लोग नही थे कॉलेज खाली-खाली लग रहा
था ,,,मेरा भी दिल नही था कॉलेज आने का अब आ गया तो टाइम पास तो करना ही था इसलिए अपनी
फवर्ट जगह पर चला गया,,,,कॅंटीन मे,,,,

कॅंटीन मे गया तो वहाँ सुमित बैठा हुआ था,,मैं भी जाके उसके पास ही बैठ गया,,,आज
कॅंटीन भी खाली ही पड़ी थी ,,हम दोनो के अलावा 2-4 लोग ऑर थे वहाँ पर,,,,,

हेलो सन्नी भाई,,,,मैं सुमित के पास जाके बैठा तो उसने मुझे हेलो बोला ऑर मैने भी उसको
हेलो बोला ऑर उसके पास बैठ गया,,,,,

तू यहाँ क्या कर रहा है सुमित ,,,,

कुछ नही भाई बस बोर हो रहा था तो यहाँ आ गया,,,वैसे भी बाहर क्या करता,,कुछ दिन बाद
टेस्ट शुरू है इसलिए बहुत कम लोग आए है आज कॉलेज ऑर आगे भी कुछ दिन ऐसा ही होगा,,बोर होने
से बचना है तो कॅंटीन का सहारा ही लेना पड़ेगा,,,,इतना बोलकर वो हँसने लगा ऑर हँसते हुआ
कॅंटीन के छोटू को आवाज़ लगा कर मेरे लिए कॉफी मंगवाने लगा,,,,
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by Kamini »

mast update
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Re: कहीं वो सब सपना तो नही

Post by 007 »

Kamini wrote: 19 Sep 2017 12:04mast update
Thanks
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

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