वो शाम कुछ अजीब थी complete

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mini

Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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ab to sabka gangbang with dirty chat........drink ke saath
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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ek baar dirty dirty chat chaiye
Ravi
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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kya dirty chat krna h mini ji
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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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जैसे जैसे रूबी के जेवर उतर रहे थे वैसे वैसे उसके चेहरे पे लाज की लालिमा और भी गहरी होती जा रही थी, साँसों और दिल के धड़कने की ध्वनी कमरे में गूंजने लगी थी, जिसमे जुड़ती रूबी की सिसकियाँ कमरे के महॉल को और भी कामुक बना रही थी.

सुनील की प्रेम लीला चले और प्रकृति उसमें हिस्सा ना ले ये तो हो ही नही सकता, अमूमन ऐसा होता नही है, पर शायद सुनील के साथ कुदरत कुछ खांस ही मेहरबान थी, जो इस रात को और भी रंगीन बने पे तूल गयी थी.

समुद्र एक दम शांत हो गया, चाँद और सूरज जो कभी मिल नही सकते एक प्रयास सा करने लगे कि शायद इनकी तरहा हम भी मिल जाएँ.

वातावरण में कुछ गूंजने लगा तो बस रूबी के कंठ से निकली हुई सिसकियाँ जिसकी मधुरता में सामुद्री जीव तक अपनी क्रियाएँ भूल गये और एक दम शांत हो गये.


प्यार का ये असर शायद ही किसी ने देखा होगा, और ये दोनो भी कहाँ जानते थे कि बाहर क्या हो रहा है, ये तो बस एक दूसरे में सामने को व्याकुल होते जा रहे थे.

सुनील का जिस्म इतना तपने लगा , कि उसने फट से अपना कुर्ता और बनियान उतार फेंकी, रूबी का घूँघट धलक चुका था और चोली में कसे उसके उरोज़ मुक्त होने की राह देख रहे थे, दोनो एक दूसरे की आँखों में देखने लगे और सुनील के हाथ रूबी के कंधो को सहलाते हुए पीछे पीठ पे चले गये और चोली की डोरी खुल गयी, धीरे धीरे सुनील ने रूबी की चोली उतार दी, और रूबी ने शर्म के मारे अपने आँखें बंद कर अपने दोनो हाथ कैंची बना अपने उरोज़ ढकने की असफल कोशिश करी, पर सुनील ने उसके दोनो हाथ हटा दिए और रूबी के उन्नत उरोज़ हर सांस के साथ उपर नीचे होने लगे.

तभी आसमान में बिजली कडकी और दोनो एक दूसरे से लिपट गये और फिर शुरू हुआ होंठों से होंठों का मिलन, दोनो एक दूसरे के होंठों का रस चूसने में मगन हो गये.

सब कुछ भूल चुके थे दोनो, अगर कुछ अहसास बाकी था तो बस इतना के दोनो एक दूसरे में सामने को आतुर थे, रूबी के लिए ये मिलन उसकी जिंदगी की सबसे बड़ी नैमत थी. इसके आगे उसे जिंदगी से कुछ नही चाहिए था, चुंबन गहरा होता चला गया, दोनो की ज़ुबान एक दूसरे को अपना अहसास दिलाने लगे और एक दूसरे से मिल अपने स्वाद को महसूस करने लगी, नोबत यहाँ तक आ गयी कि मुश्किल से हान्फते हुए अलग हुए और रूबी ने शरमा के अपने चेहरे को ढांप लिया और अपनी साँसे दुरुस्त करती हुई बिस्तर पे लेट गयी.

सुनील साँसों पे को काबू करता हुआ उस पर झुक गया और उरोजो की घाटी से एक दम नीचे से चाटता हुआ नाभि तक जाने लगा, मचल के रह गयी रूबी, चेहरे से हाथ कब हटे पता ना चला और अह्ह्ह्ह उम्म्म्म उसकी सिसकियों का ज़ोर बुलंद होने लगा

अह्ह्ह्ह सुनील...उम्म्म्मम क्या कर रहे हो....अह्ह्ह्ह गुदगुदी होती है ....उफफफफफफ्फ़ ऊऊऊऊ म्म्म्मीममममाआआआआआआ

सुनील उसकी नाभि में में अपनी ज़ुबान घुमाता रहा और रूबी इधर उधर मचल के उसे हटाने की कोशिश करती रही, जब सहना मुश्किल हो गया तो सुनील को बालों से पकड़ उपर खींच लिया.....'जान निकालोगे क्या'

'उम्म हूँ...सिर्फ़ प्यार...'


'तुम्हारा ये प्यार तो मेरी जान लेलेगा'

'प्यार से कभी जान जाती है क्या' और सुनील फिर उसके होंठों चूसने लग गया और दोनो हाथ पीछे ले जा कर उसकी ब्रा खोल दी......


अहह रूबी सिसक पड़ी और उसके उरोज़ क़ैद से आज़ाद होते ही और उपर उठ गये....सुनील ने ब्रा उपर सरका दी और मखमली उरोजो पे गुलाबी तने हुए छोटे निपल देख खुद को रोक ना सका और सीधा एक निपल को मुँह में भर लिया और चूसने लग गया.

अह्ह्ह्ह सीयी उफ़फ्फ़ उम्म्म्म अहह ओह माँ अहह श्श्श्श्श्शुउउउउउउन्न्न्निल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल उम्म्म्मममम

रूबी की सिसकियाँ और ज़ोर पकड़ने लगी, सुनील कभी एक निपल चूस्ता और कभी दूसरा, फिर सुनील ने दूसरे उरोज़ को भी थाम लिया और उसके निपल मसल्ने लगा. रूबी की तो जान पे बन गयी, वो अपनी टाँगें बिस्तर पे पटकने लगी, जिस्म कभी कमान की तरहा उपर उठता तो कभी बिस्तर पे गिरता.

चूत में कुलबुलाहट शुरू हो गयी और बाकी कपड़े उसे चुभने लगे.....

कुछ ही देर में उसके दोनो उरोज़ लाल सुर्ख हो चुके थे और सुनील की उंगलियों की छाप लग चुकी थी.

रूबी अपना सर बिस्तर पे इधर से उधर पटक रही थी और जब अति हो गयी तो सुनील के सर को अपने उरोज़ पे दबा ज़ोर से उसका नाम चीखी और भरभराती हुई झड़ने लगी, उसकी पैंटी तो क्या लेनहगा भी अच्छी तरहा भीग गया.

आनंद की लहरों से जब बाहर निकली तो उसे बहुत शरम आई, ये क्या हुआ, क्या किया सुनील ने उसके साथ जो बिना चुदे ही अपने चर्म पे पहुँच गयी, चेहरे पे चमक तो आ ही गयी थी बेचारा लाल सुर्ख हो गया, सुनील से आँखें मिलाने की हिम्मत ना हुई रूबी में और उसे अपने उपर से हटा वो पलट गयी, गीली पैंटी और लहंगा उसे अब तकलीफ़ दे रहे थे वो जल्द अपने इन कपड़ों से छुटकारा पा कम से कम लाइनाये पहनना चाहती थी, पर मुँह से बोल ही ना निकल पाई.

सुनील उसकी मनो दशा समझ गया और उसकी पीठ को चूमते हुए उसके लहंगे के बँध खोलने लग गया, चन्द मिंटो में लहनगा उसके जिस्म से अलग था.

'ओह! माँ ये तो मुझे यहीं नंगी करने जा रहे हैं.' ये ख़याल दिमाग़ में आते ही रूबी बोल ही पड़ी, प्लीज़ मेरी नाइटी तो दे दो.

सुनील में बहुत संयम था, वो कोई जल्दबाज़ी नही करना चाहता था, चुप चाप उठा और अलमारी से एक नाइटी रूबी के पास रख वो कमरे से बाहर चला गया और हॉल में बैठ के स्कॉच पीने लगा.

सुनील के कमरे से बाहर निकलते ही रूबी को तेज झटका लगा, और खुद पे गुस्सा होने लगी ...ये मैने क्या कर दिया, वो तो नाराज़ हो गये. उठ के उसने पैंटी बदली और जो लाइनाये सुनील रख गया था वो पहन ली.

लाइनाये पहनने के बाद वो कुछ इस तरहा दिख रही थी, पैंटी के नाम पे एक पतला थॉंग और अंदर ब्रा नही पहनी थी. खुद को शीशे में देख इतना शरमाई के ज़मीन में धँस जाए.

हुस्न की तारीफ करने वाला तो कमरे से बाहर चला गया था. अब रूबी पशोपश में पड़ गयी, क्या करूँ, पता नही मुझे क्या हो गया था, जो नाइटी माँग बैठी.

खुद से लड़ती हुई, हिम्मत बाँध वो हॉल की तरफ बढ़ ही गयी, जहाँ सुनील स्कॉच पीता हुआ समुंद्र को निहार रहा था........आज जाने क्यूँ समुद्र में कोई हलचल नही थी, शायद रूबी की सिसकियों का असर अब भी बाकी था.

रूबी के कदम हॉल के दरवाजे पे ही रुक गये, सुनील ने बाहर का दरवाजा खोल रखा था जिससे ठंडी ठंडी हवा अंदर आ रही थी, स्कॉच की चुस्कियाँ लेता हुआ पता नही क्या सोच रहा था.

दरवाजे पे खड़ी रूबी, कार्पेट को पैर के अंगूठे से कुरेदने लगी. अंदर जाने की आज उसमें हिम्मत ही नही हो रही थी. लेकिन अपने अहसास को सुनील तक पहुँचने में नही रोक पाई.

'यार दरवाजे पे क्यूँ खड़ी हो अंदर आ जाओ' सुनील ने बिना उसकी तरफ देखते हुए कहा.

रूबी हैरान सुनील को कैसे पता चला उसने तो कोई आवाज़ भी नही की थी.

धीरे धीरे चलती हुई सुनील के करीब पहुँची और सर झुका खड़ी हो गयी.

बैंगन की तरहा उसकी लटकी शकल देखा सुनील की हँसी छूट गयी ज़ोर से और में में पड़ी स्कॉच पिचकारी की तरहा सीधे रूबी के वक्षस्थल पे गिरने लगी.

कुछ पल तो रूबी को भी पता ना चला कि हुआ क्या, सुनील यूँ क्यूँ हंसा और मदिरा की पिचकारी उसे कैसे भिगो गयी, जिसकी वजह से उसके तने निपल सॉफ झलकने लगे, सफेद पारदर्शी लाइनाये में से.

'ऊऊऊऊुुुुुुुऊउक्कककककककककचह ये क्या!' वो एक दम बौखला गयी जब उसे अपनी हालत का अहसास हुआ और सुनील और भी ज़ोर से हँसने लगा.

सुनील को यूँ और भी ज़ोर से हंसता देख रूबी की शकल रोनी हो गयी 'गंदा कर दिया और हंस रहे हैं'

'गंदा ! कहाँ देखूं तो सही' सुनील की हँसी अब भी नही रुक रही थी.

'जाओ, नही बोलती' और रूबी वापस कमरे की तरफ जाने लगी.

'अरे कहाँ चली मेरी छम्मक छल्लो' सुनील ने लपक के उसे पकड़ लिया और गोद में उठा बाहर ले गया. रूबी चीखती रही 'छोड़ो मुझे, उतारो, गिर जाउन्गि'

सुनील ने एक ना सुनी और बाहर जो पूल था वो नीचे लगे बूल्स की वजह से जगमगा रहा था सुनील ने रूबी को पूल में पटक दिया.

छपक से पानी उछल के चारों तरफ गिरा और रूबी ज़ोर से चीखी .आाआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
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rangila
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Re: वो शाम कुछ अजीब थी

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सुनील भी पीछे ना रहा और पूल में कूद रूबी को संभाल लिया.

'हो गयी ना अब सॉफ'

हाँफती हुई रूबी बोली ' ये क्या बेहुदगी है, मुझे कुछ हो जाता तो'

अब सुनील सीरीयस हो गया ' सॉरी यार थोड़ा खेल रहा था तुम्हारा मूड हल्का करने के लिए, डिड नोट वॉंट टू हर्ट यू' और सुनील ने रूबी को पूल के बाहर सतह पे लिटा दिया, ' जाओ चेंज कर लो और सो जाओ' और खुद पानी में लंबे स्ट्रोक्स लगा दूसरे किनारे पे पहुँच गया.

अब ये तो हद हो गयी थी रूबी के लिए, पहले छोड़ के आ गये, फॉर स्कॉच से नहला दिया, फिर पूल में पटक दिया अब कहते हैं जाओ सो जाओ. वो भूकी बिल्ली जो अब तक लाज के पर्दों में छुपी थी बाहर आ गयी और रूबी ने पानी में छलाँग मार दी, लेकिन बाहर ना निकली नीचे सतह पे ही रह गयी.

अब सुनील की बारी थी घबराने की कि कहीं रूबी को कुछ हो ना गया हो, वो पानी में डुबकी लगा गया, इधर उसने डुबकी लगाई, जब तक पानी में देखने के काबिल होता, रूबी अपनी जगह से पलट तैरती हुई सुनील के नीचे आ गयी और सफाई से उसके पाजामे का नाडा खोल डाला और फिर फुर्ती से पूल के एक कोने में जा खड़ी हुई, यहाँ पाजामे का नाडा ढीला हुआ तो थोड़ा नीचे लटक गया और सुनील को पानी में पैर चलाने में दिक्कत होने लगी.

सुनील रूबी का खेल समझ गया और फुर्ती से अपना पाजामा और अंडरवेर उतार पूरा नंगा हो गया, जब तक वो नंगा होता रूबी ने अपनी लिंगेरिर खुद उतार फेंकी, दोनो के कपड़े पूल में तैरने लगे. सुनील ने डुबकी लगाई और बिल्कुल वहाँ पहुँच गया रूबी के पीछे जिस कोने में वो खड़ी थी, वहाँ पूल में पानी सिर्फ़ पेट तक आ रहा था.

सुनील को मस्ती सूझी, बिना आवाज़ किए नीचे हुआ, और रूबी ने जो थॉंग पहनी हुई थी उसकी दूरी खीच सीधा अपना मुँह उसकी सफ़ा चट चूत से चिपका दिया.


आआआआऐययईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई रूबी बिलबिला उठी इस हमले से बहुत पैर पटके पर सुनील को हिला ना पाई और सुनी ने अपनी ज़ुबान रूबी की चूत में घुसा दी, बस इतना ही काफ़ी था और रूबी के सारे कस बल ढीले पड़ गये.

जिस्म में ज़ोर बाकी ना रहा और मुस्किल से पूल की दीवार से साथ पूल की रेलिंग को पकड़ खुद को गिरने से बचाया. पर ज़्यादा देर टिकी ना रह सकी और पानी में खिचती चली गयी

ना जाने क्या क्या हरकतें आज सुनील करेगा, सोच सोच के हैरान थी वो, क्या ये वही सुनील था सीधा सादा जिसे वो रोज देखा करती थी, उई माँ जाने क्या क्या करता होगा सूमी और सोनल के साथ, ये सोचते ही सारे शिकवे दूर, और वो मस्ताने लगी, उसके हाथ पैर पूल में चलने लगे ताकि सुनील पे ज़ोर ना पड़े और वो मस्ती से उसकी चूत को जीब से चोदे और चूस्ता रहे. पानी के अंदर होते हुए भी जिस्म में गरमा गरम चिंगारियाँ फैलती जा रही थी.

ज़्यादा देर नही लगी रूबी को झड़ने में और सुनील बाहर निकल हाँफने लगा क्यूंकी काफ़ी देर वो पानी के अंदर था.

रूबी भी पानी से निकल उसके साथ सट गयी और बड़े प्यार से बोली ' शैतान'

इस से आगे पूल में नही बढ़ा जा सकता था, दोनो इस बात से बेख़बर थे कि सवी जाग चुकी थी और दोनो को देख रही थी, लेकिन उसके चेहरे पे खुशी की जगह आज जलन थी.

सुनील की और रूबी की साँस जब संभली तो दोनो पूल से बाहर आ गये. रूबी ने वहीं पड़ा एक टवल उठा लिया और खुद को पोंछने लगी, पर सुनील वहीं पास शवर के नीचे खड़ा हो गया, उसकी देखा देखी रूबी भी उसके पास चली गयी और शवर के नीचे खड़ी हो गयी, दोनो के जिस्म सट गये, इस तरहा के सुनील का खड़ा लंड रूबी की जाँघो में घुस गया और उसकी चूत को रगड़ने लगा. रूबी कस के सुनील के साथ चिपक गयी, दोनो के हाथ एक दूसरे के जिस्म को सहलाने लगे.

जिस्म फिर गरम होने लगे, सुनील के होंठ रूबी के होंठों से चिपक गये और ऐसे ही वो उसे उठा अंदर कमरे में ले गया.

जलन की आग में झुलस्ती सवी बाहर शवर के नीचे खड़ी हो गयी.

सवी ने सोचा था, के सुनील उसके नखरे उठाएगा, उसे मनाएगा, पर जो हो रहा था वो उससे बर्दाश्त नही हो रहा था, वो ये भूल ही गयी थी, कि सुनील ने रूबी से भी शादी करी है और रूबी की भी कुछ तमन्नाएँ हैं, वो तो ये ले कर चल रही थी कि जिस तरहा सुनील और सूमी ने हनिमून पे वक़्त लगाया था, ( जो उसकी ही वजह से अधूरा रह गया था) वो उसे भी उतना समय देगा, पर ऐसा ना हुआ, क्यूंकी सुनील ने रूबी की तरफ मुँह मोड़ लिया जब कि खुद सवी ने कहा कि दो दिन दूर रहना, सवी इस बात से अंजान थी कि पीछे वहाँ हिन्दुस्तान में क्या हुआ है, इस वक़्त बस उसे अपनी ही सूझ रही थी. कितना फरक था सवी और सूमी के सोचने में. शवर के नीचे कुछ देर कुढती रही फिर झल्ला के अपने कमरे में चली गयी.

इधर सुनील रूबी को गोद में उठा के कमरे में ले गया और उसे बिस्तर पे लिटा दिया, बिस्तर पे फैली गुलाब की पत्तियाँ रूबी से लिपट गयी, जैसे कह रही हों, हमने तुम्हें ढक लिया है अब शरमाओ नही.

और रूबी वो कैसे ना शरमाती, माना वो सुनील को जानती थी, उससे बहुत प्यार करती थी, पर दोनो ने कभी एक दूसरे को छुआ नही था, और आज सुहाग रात के दिन, उसके अंदर बसी नाज़ुक लड़की, अपनी शर्म के हाथों लाचार हो गयी थी, वो चाह कर भी नही खुल पा रही थी, शायद सोनल और सूमी के साथ रहने का बहुत असर पड़ गया था उस पर, लाज लड़की का सबसे बड़ा गहना होती है, उसे कभी नही त्यागना चाहिए.

आधी रात गुजर चुकी थी, और बिस्तर पे लेटी रूबी धड़कते दिल से अब आगे आनेवाले पलों का इंतजार कर रही थी, कब सुनील उसे अपने प्यार की बरसात से नहला देगा.

पूल में हुई हरकत को सोच वो गन्गना गयी और उसकी चूत फिर लपलपाने लगी, सुनील धीरे से उसके साथ लेट गया और उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमा उसकी आँखों में झाँकने लगा.

'नाइट गाउन दूं' सुनील ने शरारती मुस्कान से पूछा और बिदक गयी रूबी उसकी छाती पे मुक्के बरसाने लगी फिर लिपट गयी उससे और अपना मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी छाती में छुपा लिया.

सुनील के हाथ रूबी के जिस्म पे फिरने लगे और कसमसाती हुई हल्की हल्की सिसकियाँ लेती हुई रूबी और भी सुनील से सटने लगी.

सुनील ने धीरे से उसका हाथ अपने लंड पे रख दिया, कांप सी गयी रूबी और हाथ ऐसे हटाया जैसे करेंट लग गया हो, लोहे की तरहा सख़्त सुनील का लंड उस वक़्त दहक रहा था बिल्कुल तपती हुई रोड की तरहा.

सुनील ने फिर उसका हाथ अपने लंड पे रखा और उसकी हथेली को अपने लंड पे लपेट लिया. आह भर के रह गयी रूबी और उसकी उंगलियाँ अब लंड से ऐसे चिपकी जैसे उसका मनपसंद खिलोना हो.




रूबी की गर्दन को चूमते हुए सुनील उसके उरोज़ मसल्ने लगा और सिसकियाँ भरती हुई रूबी उसके लंड को सख्ती से जकड़ने लगी, सहलाने लगी, जिस्मो की आग धीरे धीरे बढ़ने लगी और और वो वक़्त भी जल्दी आ गया जब दोनो ही नही रुक सकते थे, सुनील को अपने आक़ड़े लंड पे दर्द महसूस होने लगी और रूबी की चूत में जैसे सेकड़ों चीटियाँ ने एक साथ हमला कर दिया, रूबी से रहा ना गया और सुनील को अपने उपर खींचने लगी.

सुनील उठ के उसकी जाँघो के बीच आ कर बैठ गया, रूबी ने अपनी जांघे और फैला दी, शरम के मारे उसकी आँखें अपने आप बंद हो गयी.

सुनील अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ उसमें से बहते हुए रस से गीला करने लगा और रूबी की सिसकियाँ ज़ोर पकड़ गयी.

हाइमेनॉप्लॅस्टी के बाद रूबी की चूत बिल्कुल एक कुँवारी लड़की की तरहा हो गयी थी, सुनील इस बात को जानता था, इसलिए उसने जल्दी ना मचा उठ के ड्रेसिंग टेबल पे पड़ी माय्स्टाइसर ट्यूब से अपने लंड को अच्छी तरहा चिकना किया और फिर रूबी की जाँघो के बीच आ कर बैठ गया अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पे जमाया और उसकी कमर को पकड़ एक तेज झटका मार दिया.

आआआआआआआऐईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईइम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्माआआआआआआआआआआआ

रूबी दर्द के मारे ज़ोर से चीखी, और सुनील उसपे झुक उसकी आँखों से टपकते हुए आँसुओं को चाटते हुए बोला, बस मेरी जान, और दर्द नही होगा, ये तो बस एक बहाना था, जो दर्द से तड़पति रूबी भी जानती थी और सुनील भी, अभी तो दर्द की बहुत लहरें रूबी को झेलनी थी.

रूबी के आँसू चाटते हुए सुनील उसके निपल से खेलने लगा, धीरे धीरे रूबी का दर्द कम हुआ और सुनील फिर उसके होंठों पे होंठ रख उन्हें चूस्ते हुए फटाक से तीन चार धक्के मार बैठा और रूबी की सील टूट गयी पर अभी लंड मुश्किल से आधा ही अंदर गया था.

रूबी दर्द के मारे कसमसा उठी, ज़ोर से बिदकी कोई रास्ता ना मिला तो सुनील की पीठ ही खरोंच डाली.

आआहह सुनील की भी चीख निकल गयी.
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