वो लाल बॅग वाली

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Dolly sharma
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Re: वो लाल बॅग वाली

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थोड़ी ही देर में उनका नंबर भी आ गया और फेर्री व्हील झूले पर लटकते एक पिंजरेनुमा केबिन में बैठ गये, केबिन पर नम्बर लिखा था 17, उनके बैठते ही झुला थोडा और ऊपर हुआ और झूले वाले ने उनके निचे वाले केबिन में पहले से बैठी झुला झूल चुकी सवारी को उतार कर दूसरी सवारी बिठाई, फिर उसके अगले केबिन में तीसरी सवारी अभी तीसरे नम्बर की सवारी बैठी भी नही थी की रागिनी की नजर निचे गयी और उसका चेहरा डर से सफेद पड़ गया, उसने फ़ौरन केबिन की चिटकनी खोली और निचे छलांग लगा दी |

किसी पैसेंजर ने ऐसा पहली बार किया था झुलेवाला फ़ौरन रागिनी के पास पहुचा - क्या कर रही हो मेडम ?

रागिनी ने कहा - मुझे नही झुलना तुम झुला रोको, और आकाश को निचे उतरने का इशारा किया _ आकाश भी फ़ौरन निचे उतरा और उसने रागिनी का हाथ पकड़कर पूछा - क्या हुआ रागिनी ?

रागिनी ने कहा – मुझे नही झुलना तुम चलो यहाँ से |

दोनों एक दुसरे का हाथ पकड़कर झूले के प्लेटफार्म से निचे उतरे और रागिनी ने कहा - हमे फ़ौरन यहाँ से चलना चाहिए, ये जगह हमारे लिए ठीक नही है |

असमंजस में फंसे मयूर ने कहा – ओके मुझे अपना सामान जो मैंने झूले वाले के पास रखवाया था वो तो ले लेने दो |

रागिनी ने मयूर का हाथ कस कर पकड़ रखा था, वो लगभग उससे चिपक कर चल रही थी, उसके हाथ में उसका लाल हैण्ड बेग था, एक हाथ में मयूर का हाथ तो दुसरे हाथ में अपना हैण्ड बेग |

मयूर ने झूले वाले के काउंटर पे उसका दिया टोकन दिया जो उसने सामान रखते समय उसको दिया था और अपना सामान उठाने लगा, तब तक झूले में सारी सवारियां बैठ चुकी थी झूले वाले ने झूले को स्टार्ट किया और एक्सीलेटर को फुल स्पीड पर कर दिया, झुला पूरी तेजी से ऊपर की और बढ़ा और जैसे ही 17 नो. का केबिन असमान में पहुचा वो तेजी से निचे आने लगा और एक तेज आवाज के साथ जमीन पर गिर गया |

मयूर और रागिनी ने झूले के केबिन को ऊपर से जमीन पर गिरते देखा, और दोनों की जान हलक में आ गयी, मेले में अफरातफरी मच गयी, ऐसा पहली बार हुआ था की पहिये वाले फेरी व्हील झूले का कोई केबिन अपने झूले से अलग होकर निचे गिरा हो ?

रागिनी ने धीमी आवाज में कहा – ये वही केबिन है जिसमे हम बैठे थे 17 नम्बर |

मयूर ने जवाब दिया – सत्रह का खतरा और उसे टेरो कार्ड वाला याद आया, फिर उसे रागिनी का डरा हुआ चेहरा याद आया और फिर उसे याद आया की आज अगर रागिनी उस झूले में से नही उतरी होती तो वो दोनों भी जमीन पर पड़े केबिन में मरे पड़े होते |

चारो और अफरा तफरी मची थी, मयूर ने रागिनी से पूछा – तुम्हे कैसे पता चला कि वो केबिन टूटने वाला है ?
रागिनी ने कहा – मैंने उन दोनों को देख लिया था, मेरी जान खतरे मैं है, प्लीज मयूर मुझे यहाँ से जल्दी बाहर निकालो |

भीड़ को चीरते हुए वो दोनों मेले से बाहर जाने के रास्ते की और दौड़ रहे थे, उनके साथ कई लोग जल्दी से जल्दी बाहर निकलना चाहते थे, दौड़ते हुए मयूर ने रागिनी से पूछा – कौन दोनों रागिनी मेरी बात का जवाब दो |

उसका चेहरा पत्थर की तरह सख्त हो चूका था, कोई भाव नही न डर न कोई चिंता सपाट चेहरा, जिसे कोई नहीं पढ़ सकता - मयूर ने पहले भी उस चेहरे को देखा था तब जब वो अपने पापा के बारे में बात कर रही थी |
बाहर निकलते हुए वो तेजी से अपनी कार की तरफ बढ़े अभी वो कार के पास ही पहुचे थे कि मयूर को अपने पीछे कुछ कदमो की आहट सुनाई दी उसने मुड़कर देखा – दो गुंडे जैसे दिखने वाले आदमी जिन्होंने ब्लैक पेंट और वाइट शर्ट पहन रखा था, उनकी और बढ़ रहे थे, और तभी उसे उनमे से एक के हाथ में बड़ा सा चाकू दिखाई दिया, उसकी आखे आश्चर्य से फ़ैल गयी, दोनों उनकी और बढ़ रहे थे |

गुंडों को अपनी और बढ़ते देख वो सकपका गया, आज का दिन बहुत आश्चर्य जनक था फिर उसने देखा रागिनी ने उन दोनों को अपनी और बढ़ते हुए देखा और अपने लाल हैण्ड बेग की चैन खोली और उसमे से वही किताब निकाली जो वो अपने साथ लेकर आई थी उसने किताब के एक हिस्से को विशेष अंदाज में दबाया वाहा शायद वह कोई खटका था और किताब दो हिस्सों में खुल गई, मयूर की आँखे तब आश्चर्य में फट गयी जब उसने देखा की किताब – किताब नही होकर एक बॉक्स थी जिसमे एक रिवाल्वर थी, जो पलक झपकते ही रागिनी की हाथो मैं आ गयी, मयूर ने देखा रागिनी का चेहरा फत्थर की तरह सख्त था |

दोनों गुंडे रिवाल्वर की उपस्थिति से अनजान उन दोनों की और लपक रहे थे, जैसे ही वो पास में आये मयूर को समझते देर नही लगी की अगर उसने कुछ नही किया तो रागिनी गोली चला देगी, वो तुरंत एक्शन में आया, तब तक दोनों उनके काफी करीब आ चुके थे उसने एक हाथ से रागिनी का हाथ पकड़ा और उसे ऊपर कर दिया, गोली चलने की हल्की सी आवाज वातावरण में गूंज गयी, गोली गुंडे को लगने की बजाय असमान में कही चली गई, तब तक चाकू वाले गुंडे को रिवाल्वर की उपस्थिति का पता चला और उसने देखा, मयूर ने रागिनी का रिवाल्वर वाला हाथ कस के पकड़ रखा है और रिवाल्वर की नाल आसमान की और है, उसने अच्छा मौका देख कर चाकू से रागिनी की और वार किया |

अपने खाली दुसरे हाथ से मयूर ने उसके चाकू वाले हाथ की कलाई पकड़ी और उसे रागिनी तक पहुचने से रोक दिया, और रागिनी का हाथ छोड़ कर अपने दुसरे हाथ को आजाद किया और एक मुक्का चाकू वाले की नाक पर मारा, वो दर्द से अपनी नाक पकड़ कर दोहरा हो गया और जमीन पर बैठ गया, दुसरे गुंडे ने अपना हाथ मयूर की और बढ़ाया, पर मयूर ने पीछे झुकते हुए अपने सीधे हाथ की दोनों पहली उंगलिया उसकी दोनों आँखों में घुसेड दी | उसने हाय मर गया की चीख के साथ अपनी दोनों आखो को अपनी दोनों हथेलियों से ढक लिया और वही बैठ गया

तभी पहला गुंडा जिसकी नाक पर गहरी चोट लगी थी, गुस्से से उठा और मयूर की तरफ बढ़ा मयूर ने अब अपनी फ्लाइंग किक का इस्तेमाल किया और उसकी दोनों टांगो के बीच में अपने असली बाटा के जूते कि आगे की नोक उसके गुप्तांगो पर दे मार दी, अब वो दर्द से चीख रहा था चोट बहुत करारी थी,

मयूर ने रागिनी से कहा – अब ये न ढंग से साँस ले सकता है और न ही मूत्र विसर्जनं कर सकता है, ये दोनों तो गये काम से चलो यहाँ से भागो |


पुलिस इंस्पेक्टर तन्यल जो अपने दल बल के साथ मेले में तफरीह कर मेले का लुफ्त उठा रहा था, एकाएक मची अफरा तफरी से हाई अलर्ट पे आ गया उसने अपने वायरलेस सेट पर अंदर पूछा - क्या हुआ , उसे जवाब मिला एक झूले का केबिन झूले से टूटकर असमान से जमीन पर गिर गया है, और दो लोग गंभीर रूप से घायल है, तभी तन्यल की नजर मेले के मुख्य द्वार के बाहर पड़ी और उसने वो पूरा वाकिया देखा कि कैसे दो गुंडे एक जवान जोड़े को मारने दौड़े और उसकी आँखे तब फ़ैल गयी जब लडकी ने इम्पोर्टेन्ट पिस्टल निकाल ली, और लडके ने खून खराबा रोकते हुए उन दोनों की आँखे, नाक और न जाने क्या - क्या तोड़ दिया |

वो वायरलेस पर चिल्लाया - कुछ जवान फ़ौरन बाहर निकलने के रास्ते पर पहुचो और खुद भी उन दोनों की तरफ दौड़ पड़ा |

मयूर ने इंस्पेक्टर को अपनी और भाग कर आते हुए देखा और मन ही मन कहा – कुए से निकले और खाई में गिरे, उन्हें किसी भी सूरत मैं पुलिस के हत्थे नही चढ़ना है, उसका दिमाग तेजी से चल रहा था, मेला एक मैदान मैं था, जिसका एक मात्र बाहर निकलने का गेट एक सकरी गली में निकलता था, जो की कुछ दूर जाकर मेन रोड पर मिलती थी, अगर वो मेन रोड तक पहुच जाये तो वहा से भागना आसान था, फिर पुलिस उनको नही पकड़ सकती थी, उसने कार की तरफ देखा परन्तु उस गली में अब मेले में से बाहर निकलने वालो की भीड़ बढ़ चुकी थी, और उस सकरी गली मैं कार का निकलना मुश्किल था, अब उनके सामने एक ही रास्ता था की किसी तरह वो भीड़ में शामिल होकर गुम हो जाये, उसने देखा रागिनी ने अपनी पिस्तौल किताब में और किताब अपने लाल हैण्ड बेग में डाल ली थी, वो अब भागने के लिए रेडी थे,वो कार के पीछे की और खड़े थे इंस्पेक्टर भी उनसे चंद कदमो की दुरी पर था और कार के पीछे वाली साइड बढ़ा, मयूर ने रागिनी का हाथ पकड़ा वो कार के पीछे से कार के आगे बढ़े लगभग चंद्राकर चक्कर लगा कर वो गेट के बाहर आ रही भीड़ में शामिल हो गये |

इंस्पेक्टर ने दोनों को कार के पीछे से आगे जाते हुए देखा और जब तक वो कार के पीछे जहाँ रागिनी और मयूर खड़े थे पहुचा तब तक वो आगे जा कर कार की साइड में चल रही भीड़ में शामिल हो गये, लगभग चंद कदमो की दुरी इंस्पेक्टर तन्यल को भारी पड गयी, उसने उनको भीड़ में शामिल होकर गुम होते देखा, और समझ गया इस भीड़ मैं उनको ढून्ढ्ना आसन नही था | उसने अपने साथ आये दो जवानों को इशारा किया और गली के किनारे पर जहा से वो सकरी गली मेन रोड पर मिलती है, के दोनों तरफ बैरियर लगा कर कर खड़े हो गये |
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Dolly sharma
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मयूर भीड़ में शामिल हो कर धीरे धीरे गली के मुहाने पर पहुच रहा था, तभी उसे इंस्पेक्टर तन्यल दिखाई दिया वो उसके बहुत करीब पहुच चुके थे, इंस्पेक्टर अपने वायरलेस सिस्टम में चिल्ला रहा था, - एक लोकल लड़का और लडकी है जिन्होंने पारम्परिक ड्रेस पहन रखी है, लडके ने काली जैकेट सफ़ेद पेंट और सर पर लाल टोपी लगा रखी है और लडकी ने एम्ब्रायडरी का लाल जैकेट और काली स्कर्ट, दोनों जैसे ही दिखे उनको रोक लो |

मयूर ने अनुमान लगाया की इंस्पेक्टर उनको उनकी ड्रेस से पहचानने का प्रयास कर रहा है, उसने आगे नही बढने का फैसला लिया और रागिनी का हाथ पकड़ कर वापिस मेले के अन्दर जाने वाले गेट की तरफ मुड़ गया |

मेले में से भीड़ तेजी से कम हो रही थी, अगर वो यहाँ से जल्दी नही निकले तो भीड़ के छंटते ही तुरंत पकड़ में आ जायेंगे |

दोनों एक तम्बू के पीछे गये और अपने पारम्परिक परिधान, जो उनको एक महिला दुकानदार ने पहनाये थे उतार दिया, अब उनको उनके कपड़ो से तो इंस्पेक्टर नही पहचान सकता था, पर अब उसके सामने एक नई मुसीबत खड़ी हो गई थी, उनको जल्दी से जल्दी यहाँ से निकल कर देहरादून पहुचना था जो की इस गाँव से लगभग 8 किलोमीटर दूर था, अँधेरा हो चूका था और दून तक पहुचने की एक ही पहाड़ी सड़क थी अगर वो उस मुख्य सड़क पर पैदल भी चलेंगे तो आसानी से पकड़े जायगे, वो कार नही ले जा सकता था, क्योकि उसको इंस्पेक्टर ने देख लिया था और उसमे उनको आसानी से पकड़ा जा सकता था, दूसरा रास्ता था जो पहाड़ी ढलान का था पर वो जंगली इलाका था और जंगलो से जाना खतरनाक हो सकता था |

उसका दिमाग तेजी से चल रहा था, तभी उसे दूर एम्बुलेंस के सायरन बजने की आवाज आई और उसने अपनी कार की दिशा में देखा, वहा दोनों गुंडों में से एक गायब था जबकि दूसरा जिसकी आँख पे मयूर ने वार किया था अभी भी बेहोश पड़ा था, उसके पास एक पुलिस जवान खड़ा था जिसकी ड्यूटी उसको एम्बुलेंस में डालने की थी |

मयूर, रागिनी का हाथ पकड़ कर तेजी से उस गुंडे के पास पहुचा और पुलिस वाले से पूछा - क्या हुआ इन्हें, इनकी ये हालत किसने की ?

पुलिस वाले ने दोनों को देखा दोनों बाहरी लोग लग रहे थे उसने कहा – लगता है इसकी किसी लोकल लोगो से झड़प हो गई और उन्होंने इसका ये हाल कर दिया, क्या तुम जानते हो इसको ?

मयूर ने कहा – हाँ मेरा मसूरी में होटल है और ये मेरे होटल में ठहरा था, हम सब साथ में मेला देखने आये और वो झूले का केबिन टूट गया, अफरा तफरी में सब अलग अलग हो गये मैं इंस्पेक्टर साहेब के पास गया था और उन्होंने मुझे यहाँ पहुचाया है, इसको तो हॉस्पिटल ले जाना पड़ेगा, क्या तुमने एम्बुलेंस को फ़ोन कर दिया ?

पुलिस वाला उनकी बात से आश्वस्त लग रहा था उसकने कहा – एम्बुलेंस आती ही होगी |

इतनी देर में सायरन बजाती एम्बुलेंस आ गयी, एम्बुलेंस से उतरे दो मेल नर्स ने गुंडे को स्ट्रेचर पर डाला और एम्बुलेंस में डाल दिया, पहले दोनों मेल नर्स एम्बुलेंस में चढ़े और फिर पुलिस वाला और फिर मयूर और रागिनी |

क्या आप भी हमारे साथ चलेंगे – पुलिस वाले ने दोनों से पूछा

हाँ हम भी चलेंगे, ये परदेशी है, मेरे भरोसे यहाँ तक आये थे, हमको साथ ही जाना होगा – मयूर ने जवाब दिया |

मुझे साहेब से पूछना पड़ेगा उसने वायरलेस का बटन ओन किया – सर घायल पड़े आदमी को बाहर से एम्बुलेंस में डाल दिया है क्या उसके साथ वालो को भी साथ मैं हॉस्पिटल ले जाऊ ?

इंस्पेक्टर तन्यल की नजरे उस समय लाल टोपी, काली जाकेट वाले लडके को ढूंढने में लगी थी, उसे लगा साथ वालो से मतलब वो दोनों गुंडों को ले जाने की बात पूछ रहा है |

उसने जवाब दिया – हाँ उन दोनों को साथ में ले जाओ |

पुलिस जवान ने – सहमती से सर हिलाया और एम्बुलेंस को आगे बढने का इशारा किया |
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Dolly sharma
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एम्बुलेंस सकरी गली पार करके उसके मुहाने पर पहुची जहाँ इंस्पेक्टर अपने मतहतो के साथ एक लोकल लडके और लडकी को ढूंढ रहा था, मयूर और रागिनी की धडकने तेज चल रही थी अगर इंस्पेक्टर ने एम्बुलेंस के अन्दर की स्थिति का जायजा लेने का फैसला किया तो उनका पकड़ा जाना निश्चित था, एम्बुलेंस धीरे धीरे करके इंस्पेक्टर के सामने पहुंच रही थी, और उनकी धडकने तेज हो रही थी |

जैसे ही एम्बुलेंस इंस्पेक्टर के सामने पहुची तभी उसे एक लड़का दिखाई दिया जो पारम्परिक वेशभूषा मैं था, उसने अपने साथ वाले पुलिस जवान को उस लडके को रोकने का इशारा किया, और उसको गौर से देखा, उसको मयूर का चेहरा अच्छी तरह से याद था, उसने लडके को जाने का इशारा किया, इतनी देर में एम्बुलेंस उसके सामने से होती हुए गली का मुहाना पार कर के मेन रोड पर आ चुकी थी, कुछ ही देर में वो देहरादून जाने वाली मुख्य सड़क पर आ गई और घुमावदार रास्ते से होती हुई तेजी से देहरादून की और बढ़ चली |

रागिनी का चेहरा पथराया हुआ था, उसने जिन्दगी मैं पहली बार प्यार को महसूस किया था, जब वो छोटी थी और उसकी माँ जिन्दा थी, फिर उसकी माँ की हत्या हो गई और वो फिर अकेली हो गई, और आज उसकी हत्या का भी प्रयास हो रहा था, उसका अतीत उसका पिछा छोड़ने को तैयार नहीं था, उसने अपने जिन्दगी मैं सिवाय सुकून और प्यार के कुछ नहीं माँगा था, उसने मयूर की तरफ देखा – तुमने क्यों मेरे लिए अपनी जिन्दगी जोखिम मैं डाल दी, तुम नही जानते तुम किन लोगो से दुश्मनी ले रहे हो, उसने एम्बुलेंस में अपने पास बैठे मयूर के कंधे पे अपना सर रख दिया और उसका पथराया चेहरा एक मासूम लडकी में तब्दील हो गया, उसके चेहरे पर सुरक्षा और इत्मिनान का भाव साफ दिखाई पड़ रहा था |

इंस्पेक्टर तन्यल मेले के बाहर सकरी गली के मुहाने पर उन दोनों को ढूंढ रहा था, तभी काली पेंट वाला गुंडा उसके सामने आया, उसे देखते ही तन्यल का चेहरा सख्त हो गया – तुम यहाँ क्या कर रहे हो ?

सुन इंस्पेक्टर – गुंडे ने अपनी नाक पकड़ते हुए तन्यल के हाथ मैं दो हजार के नोटों की एक गड्डी रखते हुए बोला – उन दोनों को पकड़ कर केस रजिस्टर करो, ये पचास हजार है, बाकि के चार लाख तुझे उन दोनों को पकड़ने के बाद मिल जायेंगे |

उसने एक सेकंड नोटों की गड्डी को देखा वाकई में असली नोट थे लाल लाल - क्या बकवास है ये ? तन्यल गुर्याया – और उसने ऊपर देखा पर काली पेंट वाला गुंडा वहा से जा चूका था |

उसने नोटों की गड्डी अपनी जेब में डाल ली |

मेला ग्राउंड लगभग खाली हो चूका था, लोग अपने घरो को जा चुके थे, भीड़ छंट चुकी थी, पर इंस्पेक्टर तन्यल को वो दोनों नहीं मिले, आखिर वो गये कहा – उसने मन ही मन सोचा और दोनों जवानों को वही रुकने का इशारा करके खुद मेले ग्राउंड की और बढ़ा तभी एक लोकल दुकानदार महिला उसके पास पहुची और हक्लाती बोली – मैंने एक परदेशी लडके और लडकी को गढ़वाली ड्रेस किराये पर दी थी, अफरातफरी मची थी और इस बीच वो मेरी ड्रेस ले कर भाग गये, वो बहुत महंगी ड्रेसेस थी, मेरा हजारो का नुकसान हो गया |

इंस्पेक्टर एकटक उस महिला को देख रहा था – तो वो दोनों लोकल लोग नही थे, वो सैलानी थे, तभी मैं कहूँ, लोकल लड़की के हाथ में तमंचा कहा से आ गया, और उसे अपनी भूल का अहसास हुआ, वो दोनों लोकल ड्रेस उतार कर आसानी से बाहर निकल गये होंगे |

उसने दुकानदार महिला से कहा – चिंता मत करो तुम्हारी ड्रेस तुमको यही कही से मिल जाएगी, और वायरलेस सेट निकाल कर चिल्लाने लगा – कॉपी दोनों भागे हुए लडके लडकी लोकल नही है, सैलानी है, अब उनका हुलिया फिर से बोल रहा हु, दून जाने वाले रस्ते की सभी पेट्रोल गाडियों को सतर्क किया जाता है, एक लड़का और एक सैलानी लडकी जिसके हाथ में लाल पर्स है जहा भी दिखे पकड़कर पिस्तौल जब्त करे और उनको हिरासत में ले | आई रिपीट |

जब इंस्पेक्टर ये मेसेज वायरलेस पर दे रहा था उसके कुछ देर पहले ही एम्बुलेंस दून पहुच चुकी थी और मयूर ने पहाड़ी रास्ता खतम होते ही एक चौराहे पर एम्बुलेंस रुकवा कर पुलिस वाले को कहा – हम दस मिनिट में हॉस्पिटल पहुच रहे है, मुझे एटीएम से पैसे निकलवाने है, हम कुछ ही देर में हॉस्पिटल पहुंच जायेंगे - और दोनों एम्बुलेंस से उतर गये |

पुलिस वाले ने अपने साहेब का मेसेज वायरलेस पर सुना और उसे सांप सूंघ गया, उसकी आँखों के सामने लाल बेग घूम गया, एक लड़का एक लडकी, दोनों सैलानी, लडकी के हाथ में लाल हैण्ड बेग और उसने वायरलेस पे बोला – सर आपके आदेश से मैं एम्बुलेंस में एक लड़का और एक लडकी को ले कर आया हूँ जो पिछले चौराहे पर उतर गये, लडकी के हाथ में लाल हेन्द्बेग जिसपर बारीक़ हीरे की डिजाईन बनी हुई थी |

इंस्पेक्टरों तन्यल जो दून के रास्ते और उस इलाके में सर्चिंग चालू कर उन दोनों को पकड़ने के बारे मैं सोच रहा था, पास पड़ी कुर्सी पर हताश हो कर बैठ गया, पिछले 30 साल की उसकी पुलिस की नौकरी में किसी ने उसे इस तरह से बेवकूफ नहीं बनाया था, वो भी उसके सुपीरियर के सामने क्योकि वायरलेस के मेसेज पुरे जिले में सर्कुलेट होते है और हर छोटा बड़ा अधिकारी उन मेसेजेस को सुनता है, उसे लगा मानो वायरलेस से कई सारी हंसने की आवाजे आ रही थी |

एक बार वो दोनों उसके हत्थे चढ़ जाये फिर उनकी सारी होशियारी निकालता हूँ |

उसको एम्बुलेंस के साथ गये पुलिस जवान पर भी गुस्सा आ गया वो वायरलेस में चिल्लाया – क्या कर रहे हो, तुम उन दोनों को अपने साथ ले कर गये ही क्यों, तुमको नही पता हम उनको ढूंढ रहे है ?

जवान ने जवाब दिया – सर उन्होंने मुझसे कहा कि वो घायल के साथ है और आपने उनको एम्बुलेंस में घायल के साथ जाने का कहा है, फिर मैंने वायरलेस पर आपकी परमिशन भी ली थी, आपने कहा उन दोनों को ले जाओ |

फिर बेइज्जती – तन्यल के मन ही मन कहा जाओ उनको फ़ौरन ढूंढो वो कहा है |

सर वो पिछले चौराहे पर उतर गये |
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तुम वायरलेस ले कर उनके पीछे जाओ और देखो अगर वो उसी चौराहे पर कही मिलते है, मैं अभी वही आ रहा हूँ, वो क्या पुलिस को मजाक समझते है |

उसे अपने सुपीरियर के सामने अपनी इज्जत बचानी थी, पूरा डिपार्टमेंट उसपर हंसेगा कि दो जवान छोरे – छोरी उसका बैंड – बजा बजा कर चले गये |

पुलिस जवान एम्बुलेंस से उतरा और पैदल ही पिछले चौराहे पर पहुचा उसने वहाँ आसपास देखा और उन दोनों का कही पता नही था, उसने एक पान वाले को उनका हुलिया बताया और पान वाले ने कहा वो दोनों एक टैक्सी में बैठ कर गये है, टैक्सी अपने स्टैंड की ही है उनको छोड़ कर वापिस यही आएगी |

उसने वायरलेस पर तन्यल को मेसेज किया, संतुष्ट होकर तन्यल ने कहा तुम वापिस एम्बुलेंस के पास जाओ आगे मैं देख लूँगा |

जवान एम्बुलेंस तक आया उसने दरवाजा खोला, पीछे लेटा घायल गुंडा स्ट्रेचर से गायब था |

मयूर का दिमाग तेजी से चल रहा था, जब वो एम्बुलेंस से उतरे तो रात गहरा रही थी और दून की सड़के सुनसान पड़ी थी,

उसने रागिनी से कहा - हम रात सड़क पर नही गुजार सकते, न रेलवे स्टेशन, न बस स्टैंड हमको सर छुपाने का कोई ठिकाना जल्दी से ढूँढना पड़ेगा |

वो इस इलाके से अच्छी तरह से वाकिफ था, उसने एक टैक्सी की तरफ इशारा किया और दोनों उस टैक्सी में सवार हो गये, मयूर ने कहा – गाँधी सरकेल |

वो दोनों होटल के रिसेप्शन पर पहुचे और उन्होंने एक रूम की डिमांड की | रिसेप्शनिस्ट ने उनको एक रूम की चाभी दी और ऊपर जाने का रास्ता बताया, उसने देखा लडकी के गले में पटटे से बंधा लाल बैग लटक रहा था, और वो अपने काम पर लग गया |

दिन भर की दौड़ भाग से थके दोनों रूम में पहुचे जिसमे एक पलंग और छोटा सोफे लगा था, उन्होंने खाना आर्डर किया, खाया और रागिनी ने पूछा – तुम कहा सोओगे ?

तुम्हारे साथ – उसने शरारत से जवाब दिया |
मैं तुम्हारे साथ नही सो सकती, तुमको अकेले ही सोना पड़ेगा |

मैं गद्दा जमीन पर बिछा लूँगा तुम पलंग पर सो जाओ – उसने जवाब दिया

रागिनी ने सहमती से सर हिलाया और पलंग के एक हिस्से में सो गई |

मयूर ने अपनी गादी जमीन पर बिछाई और लाइट बंद करके सो गया |

मुश्किल से 15 मिनिट ही हुए थे की उसे किसी के स्पर्श का अहसास हुआ, वो रागिनी थी, वो मयूर के पास आई और उसकी बांहों में सिमट गई और फिर वो दोनों एक दुसरे में समां गये |

तन्यल की फिछले २० साल की पुलिस की नौकरी में इलाके का सबसे चुस्त, मुस्तैद पुलिस वाला माना जाता था, उन दोनों की वजह से उसकी पूरी प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, उसने इसे प्रतिष्ठा का विषय बना लिया था |

वो अब तक मेले के बाहर ही था, जब उसे पता चला की वो दोनों तो एम्बुलेंस से भागने में सफल हो गये है, वो वायरलेस में चिल्लाया – जल्दी से सब गाड़ी में बैठो हमको दून पहुचना है, और उन दोनों को पकड़ना है |

सारे पुलिस वाले स्थिति की गम्भीरता और तन्यल की मानसिक स्थिति को समझ चुके थे, तेजी से जीप की तरफ दौड़े, उधर तन्यल ने जीप के ड्राईवर को निचे उतारा और ड्राइविंग सीट संभाल ली, उसने जीप स्टार्ट की, तब तक उसके साथी पुलिस वाले अपने अपने डंडे, सम्भालते हुए जीप तक आ चुके थे |

30 सेकंड के अन्दर सब जीप मैं बैठ जाओ नहीं तो यही छोड़ दूंगा – वो चिल्लाया और उसने हल्के से एक्सीलेटर को दबाया | जीप धीरे धीरे आगे बढ़ी और पुलिस वाले चलती जीप में ही जीप में चढने लगे, जैसे ही तन्यल की घड़ी में 30 सेकंड पुरे हुए उसने जीप का एक्सिलेटर पूरी ताकत से दबा दिया, आखरी बचे 2 पुलिस वाले जीप के पीछे लटके ही रह गये, जिनको बाकि पुलिस कर्मियों ने कैसे तैसे जीप के अन्दर लिया |

तन्यल ने हिसाब लगाया उसकी जीप इन पहाड़ी रास्तो पे 5 मिनिट मैं 1 किलोमीटर का सफर तय करती है, जहा वो दोनों उतरे है वो जगह यहाँ से 6 किलोमीटर है, इस हिसाब से उसको उस चौराहे तक पहुचने में 30 मिनिट का समय लगेगा, उसने किसी भी मोड़ पर एक्सीलेटर से अपना पांव नहीं हटाया, पीछे बैठे पुलिस कर्मियों कि जान पर बन आई थी |

जीप तेजी से उस चौराहे पर रुकी जहा एम्बुलेंस के साथ आया पुलिस कर्मी उनका इंतजार कर रहा था – वो टैक्सी वाला जो उन दोनों को ले कर गया अब तक आया या नही ?

अभी तक नही आया |

ठीक है तुम पैदल मेला ग्राउंड तक जाओ और अपनी ड्यूटी तब तक वही करना जब तक मैं न बोलू और सुनो किसी और गाड़ी मैं लिफ्ट लेकर वहां मत जाना बल्कि पैदल ही जाना ठीक है ?

जी सर – उस पुलिस वाले ने कहा वो समझ गया था उसको 6 किलोमीटर पैदल चलने की सजा मिली है |

जीप मैं बैठे बैठे ही उसने पान वाले को बुलाया – वो टैक्सी वाला अब तक क्यों नही आया ?

यही आएगा साहेब कही नही जायेगा वो यही से चलता है |

तभी उनको एक ऑटो आता दिखाई दिया और पान वाले ने कहा – आ गया आपका ऑटो |

टैक्सी पास आई और उसके रुकने के पहले ही तन्यल ने जोर से पूछा – उन दोनों लडके लडकी को कहा छोड़ कर आया है ?

टैक्सी वाले ने टैक्सी बंद की और दौड़ता हुआ जीप के पास आया और बोला – कौन वो जिनको अभी ले गया था, उनको अगले चौराहे पर गाँधी सर्कल के पास छोड़ा है |

वो वहां से कहा गये कुछ देखा था – हा अजीब थे दोनों मेरी टैक्सी से उतर कर दूसरी टैक्सी में चढ़ गये, मैं वहा सवारी के लिए रुका था नहीं तो मुझे पता ही नही चलता, जहा जाना था मेरी ही टैक्सी में चले जाते, टैक्सी बदलने के क्या जरूरत थी ?

तुम उस दूसरी टैक्सी वाले को जानते हो ?

वो नई चली एको फ्रेंडली टैक्सी थी ग्रीन कलर की, अभी ऐसी कम ही है यहाँ, बस इतना ही जानता हूँ |
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