छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा complete
- Rohit Kapoor
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Re: छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
उसके बाद हम दोनो अंदर आ गये. हमारे पीछे वो लड़का भी अंदर आ गया. मेने गेट बंद किया. और अंदर जाने लगी. मेने देखा मेरी दोनो बेटियाँ बड़े ही उत्साह के साथ घर आए हुए मेहमानो को देख रही थी. जब से उन दोनो ने होश संभाला था. तब से पहली बार हमारे घर पर कोई आया था. हमारी जिंदगी बहुत ही नीरस होकर रह गयी थी. जब रात होती तो, घर में अजीब सा सन्नाटा छा जाता. खाना खाने के बाद हम तीनो अपने-2 बिस्तरों पर लेट जाते. और सोने की कॉसिश करते. ना कभी हँसी मज़ाक होता. और ना ही कभी किसी तरह का एंजाय्मेंट.
मेरे पति के गुजरने के बाद ये घर सिर्फ़ एंथो का मकान रह गया था. पर आज मेने कई सालो बाद अपनी दोनो बेटियों के चेहरे पर हल्की से मुस्कान देखी थी. हम लोग अंदर आए, और में उन्हें अपने रूम में ले गयी. अब ग़रीबो के पास सोफा तो था नही. इसलिए मेने उन्हे बेड पर बैठाया. और अपनी बड़ी बेटी रामा को आवाज़ दी.
में: रामा बेटा ज़रा दो ग्लास पानी ले आना.
रामा: जी मम्मी.
थोड़ी देर में रामा पानी लेकर रूम में आई, और उसने नीता और उस लड़के अमित को पानी दिया. “रामा बेटा आंटी को नमस्ते कहो” रामा ने नीता को नमस्ते कहा.
नीता: (रामा को गले से लगाते हुए) ये रामा है, देखो तो सही कितनी बड़ी हो गयी है. पहचान में नही आ रही. बहुत खूबसूरत है तुम्हारी बेटी. और छोटी कहाँ है सोन्या.
मेने सोन्या को आवाज़ दी, और सोनिया भी रूम में आ गये.
सोनिया: नमस्ते आंटी जी.
नीता: (सोन्या को गले लगाते हुए) नमस्ते बेटा. रेखा तुम्हारी दोनो लड़कियाँ कितनी खूबसूरत है. बिल्कुल तुम पर गयी है.
सोनिया: में नही आंटी जी. रामा गयी है माँ पर.
और फिर नीता और सोनिया हसने लगी. आज पता नही कितने सालो बाद मेने अपने बेटियों के चेहरो पर ख़ुसी देखी थी.”एक मिनिट” कहते हुए नीता अपना बॅग खोलने लगी. और उसने उसमे से दो पॅकेट निकाले, और रामा और सोनिया को देते हुए कहा “ये तुम दोनो के लिए” दोनो ये गिफ्ट लेकर बहुत खुस थी.
में: अर्रे इसकी क्या ज़रूरत थी ?
नीता: अर्रे कितने सालो बाद देख रही हूँ. तो खाली हाथ आती क्या ?
में: रामा जाकर आंटी के लिए चाइ नाश्ते का इंतज़ाम करो.
रामा: जी मम्मी.
और फिर रामा और सोनिया दोनो किचन में चली गयी. मेने नीता की तरफ देखा, तो उसने मुझे इशारे से बाहर चलने को कहा. में और नीता दोनो बाहर आ गये. में जानती थी कि नीता से नीचे बात करना ठीक नही होगा. क्योंकि नीचे रामा और सोनिया दोनो किचन में थी. तभी अंदर से अमित ने आवाज़ लगाई “आंटी जी” मेने उसकी तरफ पलट कर देखा तो वो मुझे ही बुला रहा था. में थोड़ा सा अनकंफर्टबल महसूस कर रही थी.
में उसके पास गयी और बोली “क्या हुआ कुछ चाहिए क्या”
अमित: नही वो में कह रहा था. कि क्या में टीवी देख सकता हूँ.
में: (थोड़ी देर सोचने के बाद) हां लगा लो. (जब से मेरे पति की मौत हुई थी. तब से ना तो कभी मेने टीवी देखा था और ना ही मेरे बेटियों ने. इसीलिए में थोड़ा झीजक रही थी)
में नीता को लेकर ऊपेर आ गयी. और ऊपेर आते ही, उसने अपने पर्स से 1000-2 के 5 नोट निकाल कर मेरे सामने कर दिए. मुझे इन पैसो की सख़्त ज़रूरत थी. पर ना जाने क्यों में अपने हाथ आगे नही बढ़ा पा रही थी.
नीता: अर्रे देख क्या रही है (और ये कहते हुए उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेरे हाथ में पैसे थमा दिए) क्या सोच रही है.
में: तू ये सब क्यों मतलब उस लड़के की उमेर तो देख ली होती. तेरे बेटे जैसा है वो. और आज कल के ये बच्चे भी.
नीता: क्या क्या कहा तूने बच्चा. अर्रे मेरी जान एक बार उसका हथियार देख लेगी ना तो खड़े -2 तेरी फुद्दि मूत देगी.
में: होश में रह कर बात कर नीता. बच्चे नीचे है.
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
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Re: छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
नीता: मुझे बाहों में भरते हुए) ओह्ह हो नाराज़ क्यों हो रही है. वैसे एक बात कहूँ, लड़के में दम बहुत है. मेरी जैसी औरत की भी तसल्ली करवा देता है. लंड नही मानो लोहे का रोड हो. साले का लंड जब भी चूत में जाता है, तो कसम से चूत पानी की नदी बहा देती है.
नीता की बातें सुन कर मेरे बदन में अजीब से झुरजुरी दौड़ गयी. में उसकी ये बकवास बातें नही सुनना चाहती थी. पर नज़ाने क्यों उसके और अमित के बीच की बातें जानने का दिल कर रहा था. अजीब सा अहसास हो रहा था. मेरा पूरा बदन रोमांच के कारण काँप रहा था. यही सोच कर कि, कैसे एक औरत अपने बेटे की उम्र के लड़के से ऐसे संबंध रख सकती है. एक अजीब सी उतेजना मुझमे भरती जा रही थी.
में: पर तू और वो लड़का कैसे ये कैसे हो सकता है. मतलब.
मेरे अंदर छुपी जिग्यासा नीता से छुपी ना रही. और वो मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर बोली.”सब बता दूँगी. आगे चल कर तेरे काम आएगा” ये कहते हुए उसने शरारती मुस्कान के साथ मेरी कमर पर चुटकी काट दी.
में: आहह पागल है क्या कैसी बात करती है.
तभी नीचे सोनिया की आवाज़ आए. “माँ चाय तैयार है. नीचे आ जाओ” में और नीता नीचे आ गये. नीता सीधा रूम में चली गयी. और में किचन में चली गयी. जब में किचन में पहुची तो , मेने देखा सोनिया और रामा दोनो टीवी पर चल रहे सॉंग की आवाज़ के साथ गुनगुना रही थी. आज सच में मेने उनको पहली बार इस तरह खुश देखा था.
टीवी पर चले रहे सॉंग्स और नीता और अमित की माजूदगी ने मानो जैसे इस घर में थोड़ी से जान डाल दी हो. मेने चाइ को कप्स में डाला, और रूम में चली गयी. दोनो को चाइ दी, फिर वहीं बैठ कर नीता के साथ इधर उधर की बाते करने लगी. चाइ पीने के बाद नीता बोली “चल रेखा छत पर चलते है. ऊपर मौसम बहुत अच्छा है”
में नीता के साथ बाहर आई, मेने देखा रामा और सोनिया दोनो खाना बना रही थी. “रामा तुम खाना बनाओ में तुम्हारी आंटी के साथ ऊपेर जा रही हूँ” में और नीता ऊपेर आ गये. बारिश अब पूरी तरह बंद हो चुकी थी. और अंधेरा छा चुका था. मेने ऊपेर वाले रूम से एक चारपाई निकाली और बाहर बिछा दी. और फिर में और नीता वहाँ पर बैठ गये.
में: नीता में कहती हूँ. तू जो ये कर रही है, ठीक नही कर रही. अगर तेरे पति और घर वालो को पता चला तो क्या होगा ?
नीता: क्या मेरा पति. उसे कभी अपने बिज़्नेस से फ़ुर्सत मिले तब तो उसे पता चले. और यार हम औरतें ही क्यों यूँ अपने अरमानो को मार कर घुट-2 कर जीती रहे. कब तक हां. में तो नही जी सकती.
में: पर एक बार उसकी उम्र का तो ख्याल क्या होता. वो बच्चा है अभी, और अगर ग़लती से उसने किसी को तेरे बारे में बता दिया तो,
नीता: तूने आज कल की जेनरेशन को क्या समझ रखा है. डियर ये आज की जेनरेशन हमसे कही समझदार है. और वैसे भी में कॉन सी इसके प्यार में पागल हूँ. बस मेरी ज़रूरत पूरी हो जाती है, और उसकी भी.
में: तू सच में बहुत कमीनी है. कहाँ से पकड़ लाई तू इसे.
नीता: अर्रे यार कुछ नही. अनाथ है बेचारा. तेरे सहर का ही है. पिछली मर्तबा जब में यहाँ अपनी बहन के यहाँ आई थी तो, मेरी बेहन के घर नौकर था.
में: पर ये सब कैसे शुरू हुआ ?
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Re: छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
नीता: उस दिन जीजा जी, और दीदी किसी की शादी में गये हुए थे. तो में घर पर अकेली थी. और मेने थोड़ी सी वाइन पी ली.मुझे हल्का-2 नशा सा होने लगा था. में घर के हॉल में बैठ कर टीवी देख रही थी. तभी मुझे बहुत तेज पेशाब लगा. में अपने रूम की तरफ जाने लगी. जैसे ही में ऊपेर वाली मंज़िल पर अपने रूम की तरफ बढ़ रही थी. तो मुझे स्टोर रूम से अमित के कराहने की आवाज़ सुनाई दी. मुझे लगा कि अमित किसी तकलीफ़ में है. में स्टोर रूम की तरफ बढ़ी. पर मेरे कदम स्टोर रूम के डोर पर ही रुक गये….
मुझे अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था. जो में ये सब देख रही थी. एक **** साल का लड़का अपने हाथ से अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था. जैसे ही मेरी नज़र उसके 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड पर पड़ी….मेरी तो मानो जैसे साँसे ही रुक गयी हो. उसका गोरे रंग का लंड इतना बड़ा था कि, मेरी फुद्दि में एक टीस सी उठी. और मेरी चूत में झुरजुरी सी दौड़ गयी…. लाइट की रोशनी में चमक रहा उसका गुलाबी सुपाडा तो और भी बड़ा लग रहा था.
पता नही क्यों ये सब देख कर मेरे अंदर एक अजीब से खुमारी छाने लगी. पर तभी बाहर से डोर बेल बजी. मुझे लगा के, जीजा जी और दीदी आ गये हैं. में जल्दी से नीचे आ गयी, और डोर खोला. दीदी और जीजा जी वापिस आ चुके थे. वो दोनो खाना खा कर आए थे….उसके बाद में अपने रूम में आ गयी. और सोने की कॉसिश करने लगी. पर मेरे ध्यान में अभी भी अमित का विशाल लंड छाया हुआ था. मेने अपनी नाइटी को अपनी कमर तक ऊपेर उठा रखा था. और अपनी चूत की आग को अपनी उंगलियों से शांत करने की कॉसिश कर रही थी.
पर चूत की आग और बढ़ती जा रही थी……में एक दम से बोखला सी गयी. और उठ कर वाइन के दो पेग और मार लिए. पर फिर भी अमित का वो फुन्कारता हुआ लंड मेरी आँखों से हट नही रहा था. में काम वासना से एक दम विहल हो चुकी थी….अब मेरी चूत की खुजली और बढ़ चुकी थी….में बेड से खड़ी हुई, और अपनी नाइटी को ऊपेर उठा कर अपनी पैंटी को उतार कर फेंक दिया. और फिर रूम से बाहर आकर स्टोर रूम की तरफ चल पड़ी.
अमित उसी स्टोर रूम में सोता था. मेने उसके रूम का डोर नॉक किया. और थोड़ी देर बाद अमित ने डोर खोला. मेरे बाल बिखरे हुए थे. मेने रेड कलर की नाइटी पहनी हुई थी. जो मेरी थाइस तक लंबी थी. मुझे इस हालत में देख कर अमित मुझे घुरने लगा. “जी आंटी क्या हुआ” अमित ने मेरे बदन को घुरते हुए कहा.
में: वो अमित बेटा……मेरी पीठ बहुत दर्द कर रही है……तू थोड़ी देर के लिए मेरी पीठ दबा दे ना. मुझे नींद नही आ रही….
मेरे ये बात सुनते ही उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक आ गयी….और मुझे उसकी आँखों में वो वासना देख कर समझने में देर ना लगी की, ये भी मेरी तरह सेक्स का मारा हुआ है….और इसे पटाने में कुछ ख़ास मेहनत नही करनी पड़ेगी…..में पलट कर अपने रूम की तरफ जाने लगी. वो मेरे पीछे चल रहा था. में जानबूझ कर अपनी गान्ड को मटका कर चल रही थी. मेने तिरछी नज़रों से जब पीछे की ओर देखा, तो अमित अपने शॉर्ट्स के ऊपेर से अपने लंड को मसल रहा था.
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Re: छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
में अपने रूम में आकर पेट के बल बेड पर लेट गयी. मेने अमित को डोर लॉक कर आने को कहा. अमित ने डोर लॉक किया, और मेरे पास आकर बैठ गया. में बेड पर पेट के बल लेटी हुई थी….मेरी नाइटी मेरी जाँघो के ऊपेर तक चढ़ि हुई थी. और वो मेरी चिकनी जांघे देख रहा था.
अभी नीता मुझे अपने और अमित के बारे में बता ही रही थी कि, रामा ऊपेर आ गयी. रामा को देख कर नीता चुप हो गयी.
में: हां बेटा कुछ काम था क्या……
रामा: वो मम्मी खाना बन गया है. और लगा भी दिया है. नीचे आकर खाना खा लो.
में चाहती तो नही थी. पर फिर भी मुझे नीचे तो जाना ही था. मेने नीता की तरफ देखा, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा. “यार अब तुझ्मे इतनी भी ना समझ नही है कि, आगे क्या हुआ तुम्हे अंदाज़ा ना हुआ हो” मेने हां में सर हिला दिया और रामा को बोला. “तुम चलो हम नीचे आ रहे हैं” रामा नीचे चली गयी.
में: तो फिर ये तेरी बेहन के घर में नौकर है. और तू इसे यहाँ ले आई. तेरी बेहन को पता है क्या, ये तेरे साथ है.
नीता: नही उसे नही पता. अब ये उसके पास नही रहता. और इसने वहाँ पर काम करना भी बंद कर दिया है.
में: तो फिर ये रहता कैसे है. कहाँ रहता है.
नीता: यार ये शुरू से अनाथ नही है. बचपन में इसके माँ बाप की मौत हो गयी थी. इसके पिता सरकारी नौकरी करते थे. 18 साल के होने पर इसे अपने पिता की नौकरी मिल जाएगी. अभी तो ये एक फॅक्टरी में काम कर रहा है. इसी सहर में. और अपने दोस्त के साथ उसके रूम में रहता है. और साथ में प्राइवेट स्टडी भी कर रहा है. अच्छा अब चल नीचे चल कर खाना खाते है……
में और नीता नीचे आ गये. नीचे रामा और सोनिना ने उन्दोनो का खाना रूम में लगवा दिया. और मेरा और अपना दोनो का खाना दूसरे कमरे में. हमने खाना खाया. और फिर मेने और रामा ने मिल कर दूसरे रूम में उन दोनो के सोने का इंतजाज़ कर दिया. वो रात मुझ पर बहुत भारी रही. मुझे रह-2 कर ये चिंता सता रही थी कि, कही रामा और सोनिया को किसी बात को लेकर शक ना हो जाए.
अभी नीता मुझे अपने और अमित के बारे में बता ही रही थी कि, रामा ऊपेर आ गयी. रामा को देख कर नीता चुप हो गयी.
में: हां बेटा कुछ काम था क्या……
रामा: वो मम्मी खाना बन गया है. और लगा भी दिया है. नीचे आकर खाना खा लो.
में चाहती तो नही थी. पर फिर भी मुझे नीचे तो जाना ही था. मेने नीता की तरफ देखा, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा. “यार अब तुझ्मे इतनी भी ना समझ नही है कि, आगे क्या हुआ तुम्हे अंदाज़ा ना हुआ हो” मेने हां में सर हिला दिया और रामा को बोला. “तुम चलो हम नीचे आ रहे हैं” रामा नीचे चली गयी.
में: तो फिर ये तेरी बेहन के घर में नौकर है. और तू इसे यहाँ ले आई. तेरी बेहन को पता है क्या, ये तेरे साथ है.
नीता: नही उसे नही पता. अब ये उसके पास नही रहता. और इसने वहाँ पर काम करना भी बंद कर दिया है.
में: तो फिर ये रहता कैसे है. कहाँ रहता है.
नीता: यार ये शुरू से अनाथ नही है. बचपन में इसके माँ बाप की मौत हो गयी थी. इसके पिता सरकारी नौकरी करते थे. 18 साल के होने पर इसे अपने पिता की नौकरी मिल जाएगी. अभी तो ये एक फॅक्टरी में काम कर रहा है. इसी सहर में. और अपने दोस्त के साथ उसके रूम में रहता है. और साथ में प्राइवेट स्टडी भी कर रहा है. अच्छा अब चल नीचे चल कर खाना खाते है……
में और नीता नीचे आ गये. नीचे रामा और सोनिना ने उन्दोनो का खाना रूम में लगवा दिया. और मेरा और अपना दोनो का खाना दूसरे कमरे में. हमने खाना खाया. और फिर मेने और रामा ने मिल कर दूसरे रूम में उन दोनो के सोने का इंतजाज़ कर दिया. वो रात मुझ पर बहुत भारी रही. मुझे रह-2 कर ये चिंता सता रही थी कि, कही रामा और सोनिया को किसी बात को लेकर शक ना हो जाए.
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Re: छोटी सी भूल की बड़ी सज़ा
rohit bho,
ye kahani pahle hi post ho cukii hai "ब्लैकमेल_Blackmail" ke nam se.
http://raj69.com/viewtopic.php?f=12&t=615
.
Thanks for your efforts.
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