आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ complete

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rangila
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Re: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ

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रिंकी ने अपना सर नीचे कर लिया था और अपने आँखें एक मस्त सी अदा के साथ उठा
कर पप्पू को देखा और दौड़ कर उसके गले से लग गई। पप्पू ने उसे अलग किया और
अपने घुटनों के बल नीचे बैठ गया। नीचे बैठ कर पप्पू ने रिंकी के दोनों हाथ
पकड़ कर ऊपर की तरफ रखने का इशारा किया।



रिंकी ने शरमाते हुए अपने हाथ ऊपर अपने गर्दन के पीछे रख लिए।



क्या बताऊँ यारो, उस वक्त रिंकी को देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा उतर आई हो ज़मीन पर।



मेरे होठ सूख गए थे उसे इस हालत में देखकर। मैंने अपने होटों पर अपनी जीभ फिराई और अपने आँखें फाड़ फाड़ कर उन दोनों को देखने लगा।



पप्पू ने नीचे बैठे बैठे अपने हाथ ऊपर किये और रिंकी की चूचियों के दो
किसमिस के दानों को अपनी उँगलियों में पकड़ लिया। दानों को छेड़ते ही रिंकी
के पाँव कांपने लगे और उसकी साँसें तेज हो गईं। आती–जाती साँसों की वजह से
उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हो रही थी।



पप्पू ने उसके दानों को जोर से मसल दिया और लाल कर दिया। रिंकी ने अपने होठों को गोल कर लिया और सिसकारियों की झड़ी लगा दी।



रिंकी ने नीचे एक स्कर्ट पहन रखी थी जो उसकी नाभि से बहुत नीचे थी।



पप्पू ने अब अपने हाथो की हथेली खोल ली और उसकी चूचियों को अपने पूरे हाथों में भर लिया और दबाने लगा।



रिंकी के हाथ अब भी ऊपर ही थे और वो मज़े ले रही थी। पप्पू ने अपना काम जारी
रखा था और धीरे से अपनी नाक को रिंकी की नाभि के पास ले जाकर उसे गुदगुदी
करने लगा।



अपने नाक से उसकी नाभि को छेदने के बाद पप्पू ने अपनी जीभ बहार निकाली और धीरे से नाभि के अंदर डाल दिया।



“उम्म्म्म......ओह पप्पू, मार ही डालोगे क्या?” रिंकी ने सिसकारी भरते हुए कहा और अपने हाथ नीचे करके पप्पू के बालों को पकड़ लिया।



पप्पू आराम से उसकी नाभि को अपने जीभ से चाटने लगा और धीरे धीरे नाभि के
नीचे की तरफ बढ़ने लगा। रिंकी बड़े मज़े से इस एहसास का मज़ा ले रही थी और इधर
मेरी हालत तो ऐसी हो रही थी मानो मैं अपनी आँखों के सामने कोई ब्लू फीम देख
रहा हूँ।



मैं कब अपने लंड को बाहर निकाल लिया था, मुझे खुद पता नहीं चला। मेरे हाथ मेरे लंड की मालिश कर रहे थे।



सच कहूँ तो मेरा दिल कर रहा था कि अभी उनके सामने चला जाऊँ और पप्पू को हटा कर खुद रिंकी के बेमिसाल बदन का रस लूँ।



पर मैंने अपने आप को सम्भाला और अपनी आँखें उनके ऊपर जमा दी।



अब मैंने देखा कि पप्पू अपने दाँतों से रिंकी की स्कर्ट को नीचे खींचने की
कोशिश कर रहा है और थोड़ा सा नीचे कर भी दिया था। ऐसा करने से रिंकी की
पैंटी दिखने लगी थी। रिंकी को पता चल रहा था या शायद नहीं क्यूंकि उसके
चेहरे पर हर पल भाव बदल रहे थे और एक अजीब सी चहक उसकी आँखों में नज़र आ रही
थी।



अब पप्पू ने उसकी चूचियों को अपने हाथों से आजाद कर दिया था और अपने हाथों
को नीचे लाकर स्कर्ट के अंदर से रिंकी की पिंडलियों को सहलाना शरू कर दिया।
धीरे धीरे उसने उसके पैरों को सहलाते–सहलाते उसकी स्कर्ट को भी साथ ही साथ
ऊपर करने लगा। रिंकी की गोरी–गोरी टाँगे अब सामने आ रही थीं।



कसम से यारो, उसके पैरों को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे कभी भी उनके ऊपर कोई
बाल उगे ही नहीं होंगे। इतनी चिकनी टाँगे कि ट्यूब लाईट की रोशनी में वो
चमक रही थीं।



धीरे धीरे पप्पू ने उसकी स्कर्ट को जांघों तक उठा दिया और बस यह देखते ही
मानो पप्पू बावला हो गया और अपने होठों से पूरी जांघों को पागलों की तरह
चूमने और चाटने लगा।



रिंकी की हालत अब भी खराब थी, वो बस अपनी आँखें बंद करके पप्पू के बालों को
सहला रही थी और अपने कांपते हुए पैरों को सम्भालने की कोशिश कर रही थी।



पप्पू ने रिंकी की स्कर्ट को थोड़ा और ऊपर किया और अब हमारी आँखों के सामने
वो था जिसकी कल्पना हर मर्द करता है। काली छोटी सी वी शेप की पैंटी जो कि
रिंकी की चूत पर बिल्कुल फिट थी और ऐसा लग रहा था मानो उसने अपनी पैंटी को
बिल्कुल अपनी त्वचा की तरह चढ़ा रखा हो।



पैंटी के आगे का भाग पूरी तरह से गीला था और हो भी क्यूँ ना, इतनी देर से पप्पू उसे मस्त कर रहा था।



इतने सब के बाद तो एक 80 साल की बुढ़िया की चूत भी पानी से भर जाये।



पप्पू ने अब वो किया जिसकी कल्पना शायद रिंकी ने कभी नहीं की थी, उसने रिंकी की रस से भरी चूत को पैंटी के ऊपर से चूम लिया।



“हाय.....मर गई..पप्पू, यह क्या कर रहे हो?”....रिंकी के मुँह से बस इतना ही निकल पाया।
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rangila
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Re: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ

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पप्पू बिना कुछ सुने उसकी चूत को मज़े से चूमता रहा और इसी बीच उसने अपने
होठों से रिंकी की पैंटी के एलास्टिक को पकड़ कर अपने दाँतों से खींचना शुरू
किया। रिंकी बिल्कुल एक मजबूर लड़की की तरह खड़े खड़े अपनी पैंटी को नीचे
खिसकते हुए महसूस कर रही थी।



पप्पू की इस हरकत की कल्पना मैंने भी नहीं की थी। “साला, पूरा उस्ताद है।” मेरे मुँह से निकला।



जैसे जैसे पैंटी नीचे आ रही थी, मेरी धड़कन बढ़ती जा रही थी, मुझे ऐसा महसूस हो रहा था मानो मेरा दिल उछल कर बाहर आ जायेगा।



मैंने सोचा कि जब अभी यह हाल है तो पता नहीं जब पूरी पैंटी उतर जाएगी और उसकी चूत सामने आएगी तो क्या होगा।



खैर मैंने सोचना बंद किया और फ़िर से देखना शुरू किया।



अब तक पप्पू ने अपने दांतों का कमाल कर दिया था और पैंटी लगभग उसकी चूत से
नीचे आ चुकी थी, काली-काली रेशमी मुलायम झांटों से भरी चूत को देखकर मेरा
सर चकराने लगा।



पप्पू भी अपना सर थोड़ा अलग करके रिंकी की हसीं मुनिया के दर्शन करने लगा।



रिंकी को जब इसका एहसास हुआ तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छिपा लिया और एक हाथ से अपनी पैंटी को ऊपर करने लगी।

पता नहीं जब पूरी पैंटी उतर जाएगी और उसकी चूत सामने आएगी तो क्या होगा।



खैर मैंने सोचना बंद किया और फ़िर से देखना शुरू किया।



अब तक पप्पू ने अपने दांतों का कमाल कर दिया था और पैंटी लगभग उसकी चूत से
नीचे आ चुकी थी, काली-काली रेशमी मुलायम झांटों से भरी चूत को देखकर मेरा
सर चकराने लगा।



पप्पू भी अपना सर थोड़ा अलग करके रिंकी की हसीं मुनिया के दर्शन करने लगा।



रिंकी को जब इसका एहसास हुआ तो उसने अपने हाथों से अपनी चूत को छिपा लिया और एक हाथ से अपनी पैंटी को ऊपर करने लगी।



पप्पू ने मौका नहीं गंवाया और उसकी पैंटी को खींच कर पूरी तरह उसके पैरों से अलग कर दिया।



"हे भगवान, अगर मैंने अपने आपको सम्भाला नहीं होता मेरे मुँह से जोर की
आवाज़ निकल जाती। मैंने बहुत मुश्किल से अपने आपको रोका और अपने लंड को और
जोर से सहलाने लगा।



पप्पू ने जल्दी से अपने होंठ रिंकी की चूत पर रख दिया और एक ज़ोरदार चुम्बन लिया।



"उम्म्म्म...आआहह्ह्ह, नहीं पप्पू, प्लीज़ मुझे छोड़ दो। मैं मर जाऊँगी।" यह
कहते हुए रिंकी ने उसका सर हटाने की कोशिश की लेकिन पप्पू भी खिलाड़ी था,
उसने अपने सर के ऊपर से रिंकी का हाथ हटाया और अपनी जीभ बाहर निकाल कर पूरी
चूत को चाटना शुरू कर दिया।



"ओह्ह मांह, यह क्या कर दिया तुमने...प्लीज़ ऐसा मत करो...मुझे कुछ हो रहा
है...प्लीज़ ...प्लीज़..। ह्म्म्म्म्..." रिंकी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं।




पप्पू ने अब अपने हाथो को रिंकी किए हाथों से छुड़ाया और अपनी दो उँगलियों
से चूत के होठों को फैलाया और देखने लगा। बिल्कुल गुलाबी और रस से सराबोर
चूत की छोटी सी गली को देखकर पप्पू भी अपना आप खो बैठा और अपनी पूरी जीभ
अंदर डाल कर उसकी चुदाई चालू कर दी। ऐसा लग रहा था मानो पप्पू की जीभ कोई
लंड हो और वो एक कुंवारी कमसिन चूत को चोद रही हो।



"ह्म्म्म्म...ओह मेरे जान, यह क्या हो रहा है मुझे...??? ऊउम्म...कुछ करो न
प्लीज़...मैं मर रही हूँ..." रिंकी के पाँव अचानक से तेजी से कांपने लगे और
उसका बदन अकड़ने लगा।



मैं समझ गया कि अब रिंकी कि चूत का पानी छूटने वाला है।



"आःह्ह्ह...आआह्ह्ह...आःह्ह्ह...ऊम्म्म्म...मैं गई...मैं गई...आऐईईई..."और
रिंकी ने अपना पानी छोड़ दिया और पसीने से लथपथ हो गई। उसे देखकर ऐसा लग रहा
था मानो उसने कई कोस की दौड़ लगाई हो।



पप्पू अब भी उसकी चूत चाट रहा था।



इन सबके बीच मेरी हालत अब बर्दाश्त करने की नहीं रही और इस लाइव ब्लू फिल्म को देखकर मेरा माल बाहर निकल पड़ा।



"आःह्ह्ह्ह्ह...उम्म्म...एक जोर की सिसकारी मेरे मुँह से बाहर निकली और मेरे लंड ने ढेर सारा पानी निकल दिया।



मेरी आवाज़ ने उन दोनों को चौंका दिया और दोनों बिल्कुल रुक से गए। रिंकी ने
तुरंत अपना शर्ट नीचे करके अपनी चूचियों को ढका और अपनी स्कर्ट नीचे कर
ली। पप्पू इधर उधर देखने लगा और यह जानने की कोशिश करने लगा कि वो आवाज़
कहाँ से आई।



मुझे अपने ऊपर गुस्सा आया लेकिन मैं मजबूर था, आप ही बताइए दोस्तो, अगर
आपके सामने इतनी खूबसूरत लड़की अपनी चूचियों को बाहर निकाल कर अपनी स्कर्ट
उठाये और अपनी चूत चटवाए तो आप कैसे बर्दास्त करेंगे। मैंने भी जानबूझ कर
कुछ नहीं किया था, सब अपने आप हो गया।



रिंकी दौड़ कर बाथरूम में चली गई और पप्पू तड़पता हुआ उसके पीछे दौड़ा।



रिंकी बाथरूम में घुसकर अपनी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी।
पप्पू पीछे से वह पहुँचा और एक बार फिर से रिंकी को अपनी बाहों में भर
लिया। रिंकी अब भी उस खुमार से बाहर नहीं आई थी वो भी पप्पू से लिपट गई।
मैं अब तक थोड़ा सामान्य हो चुका था लेकिन आगे का दृश्य देखने की उत्तेजना
में मेरा लंड सोने का नाम ही नहीं ले रहा था।
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Re: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ

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मैं थोड़ी देर रुका और फिर दबे पाँव बाथरूम की तरफ बढ़ा। बाथरूम के दरवाज़े पर
पहुँचते ही मेरे कानों में पप्पू और रिंकी की आवाजें सुनाई दी।



"नहीं पप्पू, प्लीज़ अब तुम चले जाओ। शायद सोनू हमें छुप कर देख रहा था।
मुझे बहुत शर्म आ रही है। हाय राम, वो क्या सोच रहा होगा मेरे बारे में !
ऊईईई... छोड़ो ना... !!"



‘अरे मेरी जान, मैंने तो पहले ही तुम्हे बताया था कि हमारे मिलन का
इन्तेजाम सोनू ने ही किया है, लेकिन वो नीचे अपने कमरे में है...। अब तुम
मुझे और मत तड़पाओ वरना मैं सच में मर जाऊंगा." पप्पू कि विनती भरी आवाज़
मेरे कानो में साफ़-साफ़ सुनाई दे रही थी.



"ओह्ह्ह्ह...पप्पू, अब तुम्हे जाना चाहिए...उम्म्मम...बस करो...आऐईई !!!!"
रिंकी कि एक मदहोश करने वाली सिसकारी सुनाई दी और मैं अपने आपको दरवाज़े के
छेद से देखने से रोक नहीं सका। मेरा एक हाथ लंड पर ही था। मैंने अंदर झाँका
तो देखा कि पप्पू ने फिर से रिंकी की चूचियों को बाहर निकाल रखा था और
उन्हें अपने मुँह में भर कर चूस रहा था।



इधर रिंकी का हाथ पप्पू के सर को जोर से पकड़ कर अपनी चूचियों की तरफ खींचे
जा रहा था। पप्पू ने अपना एक हाथ रिंकी की चूचियों से हटाया और अपने पैंट
के बटन खोलने लगा। उसने अपने पैंट को ढीला कर के अपने लंड को बाहर निकाल
लिया। बाथरूम की हल्की रोशनी में उसका काल लंड बहुत ही खूंखार लग रहा था।



पप्पू ने अपने हाथों से रिंकी का एक हाथ पकड़ा और उसे सीधा अपना लंड पर रख
दिया। जैसे ही रिंकी का हाथ पप्पू के लंड पर पड़ा उसकी आँखें खुल गईं और
उसने अपनी गर्दन नीचे करके यह देखने की कोशिश की कि आखिर वो चीज़ थी क्या।



"हाय राम..." बस इतना ही कह पाई वो और आँखों को और फैला कर लंड को अपने
हाथों से पकड़ कर देखने लगी। पप्पू पिछले एक घंटे से उसके खूबसूरत बदन को
भोग रहा था इस वजह से उसका लंड अपनी चरम सीमा पर था और अकड़ कर लोहे की सलाख
के जैसा हो गया था।



पप्पू ने रिंकी की तरफ देखा और उसकी आँखों में देखकर उसे कुछ इशारों में
कहा और उसका हाथ पकड़ कर अपना लंड पर आगे पीछे करने लगा। रिंकी को जैसे उसने
अपने लंड को सहलाने का तरीका बताया और वापस अपने हाथों को उसकी चूचियों पर
ले जाकर उनसे खेलने लगा।



रिंकी के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था, उसने पप्पू के लंड को ऐसे पकड़ रखा
था जैसे उसे कोई बिलकुल अजूबा सी चीज़ मिल गई हो और उसके हाथ अब तेजी से
आगे-पीछे होने लगे। पप्पू ने अब रिंकी की चूचियों को छोड़ दिया और उत्तेजना
में अपने मुँह से आवाजें निकलने लगा,"हाँ मेरी जान, ऐसे ही करती रहो...आज
मेरा लंड खुशी से पागल हो गया है...और हिलाओ... और हिलाओ...
हम्मम...ऊम्म्म्म.."



रिंकी ने अचानक अपने घुटनों को मोड़ा और नीचे बैठ गई। नीचे बैठने से पप्पू
का लंड अब रिंकी के मुँह के बिलकुल सामने था और उसने लण्ड को हिलाना छोड़ कर
उसे ठीक तरीके से देखने लगी। शायद रिंकी का पहला मौका था किसी जवान लंड को
देखने का।



रिंकी ने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करना शुरू किया और एक हाथ से पप्पू
के लटक रहे दोनों अण्डों को पकड़ लिया। अण्डों को अपने हाथों में लेकर दबा
दबा कर देखने लगी।



इधर रिंकी का वो हाथ पप्पू के लंड को जन्नत का मज़ा दे रहा था, उसने अपनी रफ़्तार और तेज कर दी।



"हाँ रिंकी...मेरी जान...उम्म्मम...ऐसे ही, ऐसे ही...बस अब मैं आने वाला
हूँ...उम्म्म." पप्पू अपनी चरम सीमा पर पहुँच गया था और किसी भी वक्त अपने
लंड की धार छोड़ने वाला था। पप्पू ने अपने बदन को पूरी तरह से तान लिया था।



"ओह्ह्ह्ह...ह्हान्न्न...बस...मैं आयाआआ..."



रिंकी अपने नशे में थी और मज़े से उसका लंड पूरी रफ़्तार से हिला रही थी।
रिंकी की साँसें बहुत तेज़ थीं और उसकी खुली हुई चूचियाँ हाथों की थिरकन के
साथ-साथ हिल रही थीं।



मेरा हाल फिर से वैसा ही हो चुका था जैसा थोड़ी देर पहले बाहर हुआ था। मेरा
लंड भी अपनी चरमसीमा पर था और कभी भी अपनी प्रेम रस की धार छोड़ सकता था।
मैं इस बार के लिए पहले से तैयार था और अपने मुँह को अच्छी तरह से बंद कर
रखा था ताकि फिर से मेरी आवाज़ न निकल जाए।



"आआअह्ह्ह...हाँऽऽऽऽ ऊउम्म्म्म... हाँऽऽऽ..." इतना कहते ही पप्पू ने अपने
लंड से एक गाढ़ा और ढेर सारा लावा सीधा रिंकी के मुँह पर छोड़ दिया। रिंकी इस
अप्रत्याशित पल से बिल्कुल अनजान थी और जब उसके मुँह के ऊपर पप्पू का माल
गिरा, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं लेकिन उसने लंड को नहीं छोड़ा और उसे
हिलाती रही।

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Re: आंटी और उनकी दो खूबसूरत बेटियाँ

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लगभग तीन बार पप्पू के लंड ने पानी छोड़ा और रिंकी के गुलाबी गालों और उसे मस्त मस्त होठों को अपने वीर्य से भर दिया।



जब पप्पू का लंड थोड़ा शांत हुआ तब रिंकी अपनी आँखें ऊपर करके पप्पू को
देखने लगी और झट से अपनी गर्दन को नीचे लाकर पप्पू के लंड पर अपने होठों से
एक चुम्बन दे दिया।

रिंकी ने चुम्बन वहाँ पप्पू के लंड पर किया था और मुझे ऐसा लगा जैसे उसने मेरे विकराल लंड पर किया हो।



हाँ भाई, मैंने अपने लंड को विकराल कहा, क्यूंकि पप्पू के लंड की तुलना में तो मेरा हथियार विकराल ही था।



तो जैसे ही मुझे यह एहसास हुआ कि रिंकी के होंठ मेरे लंड को छू रहे हैं
मेरा भी लंड अपनी धार छोड़ बैठा। मैंने बहुत मुश्किल से अपनी आवाज़ निकलने से
रोका था वरना इस खेल को देख कर मुझे जो सुख मिला था मैं बता नहीं सकता।



अंदर दोनों खड़े हो चुके थे। रिंकी दूसरी तरफ करके अपन मुँह धो रही थी और पप्पू पीछे से उसकी चूचियाँ दबा रहा था।



"अब हटो भी... सोनू कहीं हमें ढूंढता–ढूंढता ऊपर न आ जाये। तुम जल्दी से
नीचे जाओ मैं चाय लेकर आती हूँ।" रिंकी ने पप्पू को खुद से अलग किया और
अपने टॉप को नीचे करके अपनी ब्रा का हुक लगाया और अपनी पैंटी को भी अपने
पैरों में डाल कर अपने बाल ठीक किये।



"रिंकी, मेरी जान...अब यह सुख दुबारा कब मिलेगा??" पप्पू ने वापस रिंकी को अपनी बाहों में भरने की कोशिश करते हुए पूछा।



"पता नहीं, आगे की आगे सोचेंगे...जब हम यहाँ तक पहुँचे हैं तो आगे भी कभी न
कभी पहुँच ही जायेंगे..." और दोनों ने एक दूसरे को चूम लिया।



मैं रिंकी का यह जवाब सुनकर सोच में पड़ गया कि हो न हो, रिंकी ने इस पल का
बहुत मज़ा लिया था और वो आगे भी बढ़ना चाहती है... यानि वो लंड अंदर लेने के
लिए पूरी तरह से तैयार थी। सच कहते हैं लोग...औरत अपने चेहरे के भावों को
बहुत अच्छी तरह से मैनेज करने में हम मर्दों से ज्यादा सक्षम होती है।



रिंकी ने अपने चेहरे से कभी यह महसूस नहीं होने दिया था कि वो इतनी सेक्सी
हो सकती है। मैं तो दंग रह गया था और मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था। ऐसा
लग रहा था जैसे मैंने अभी अभी एक मस्त ब्लू फिल्म देखी हो।



खैर मैंने जल्दी से अपने आप को सम्भाला और सीधा नीचे भगा। मैं इतनी तेजी से नीचे भगा कि एक बार तो मेरे पैर फिसलते–फिसलते रह गए।



मैं सीधा अपने बिस्तर पर गया और लेट गया, मैंने अपने हाथों में एक किताब ले
ली और ऐसा नाटक करने लगा जैसे मैं कुछ बहुत जरुरी चीज़ पढ़ रहा हूँ।



पप्पू दौड़ कर नीचे आया और सीधा मेरे कमरे में घुस गया। उसने मेरी तरफ देखा
और सीधा मुझसे लिपट गया। लिपटे-लिपटे ही उसने मेरे कानों में थैंक्स कहा और
यह पूछा कि कहीं वो मैं ही तो नहीं था जिसकी आवाज़ ऊपर आई थी।



मैंने अपनी गर्दन हिलाकर ना कहा और पप्पू से खुद ही पूछने लगा कि क्या हुआ...?



पप्पू ने कहा कुछ नहीं और वापस जाकर सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया जहाँ वो
पहले बैठा था। उसके चेहरे पर एक अजीब सी विजयी मुस्कान थी। मैं भी अपने
दोस्त की खुशी में बहुत खुश था। रिंकी के पैरो की आहट ने हमें सावधान किया
और हम चुप होकर बैठ गए और रिंकी अपने हाथों में चाय की प्यालियाँ लेकर कमरे
में दाखिल हुई।



रिंकी बिल्कुल सामान्य थी और ऐसा लग रहा था मानो कुछ हुआ ही नहीं था। वो
अपने चेहरे पर वापस अपनी वही रोज वाली मुस्कान के साथ मेरी तरफ बढ़ी और मुझे
चाय देने लगी।
मैंने उसकी आँखों में देखा और वापस चाय की तरफ ध्यान देते हुए एक हल्की सी मुस्कान दे दी जो मैं हमेशा ही देता था।



उसने पप्पू को भी चाय दी और अपनी चाय लेने के लिए वापिस मुड़ी। रिंकी जैसे
ही मुड़ी, उसके विशाल नितंबों ने मेरा मुँह खोल दिया। आज मैंने पहली बार
रिंकी को इस तरह देखा था। उसके मोटे और गोल विशाल कूल्हों को मैं देखता ही
रह गया।



मेरी इस हरकत पर पप्पू की नज़र चली गई और वो मेरी तरफ देखने लगा...
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रिंकी के जाते ही पप्पू ने मुझसे दोबारा वही सवाल किया," सोनू, मैं जनता हूँ मेरे भाई कि वहाँ ऊपर तू ही था, तू ही था न?"



मैंने पप्पू के आँखों में देखा और धीरे से आँख मार दी।



"साले...मुझे पता था..." पप्पू बोलकर हंस पड़ा और मुझे भी हंसी आ गई...



हम दोनों ने एक दूसरे को गले से लगा लिया और जोर से हंसने लगे...तभी रिंकी
हमारे सामने आ गई अपने हाथों में चाय का कप लेकर और हमें शक भरी निगाहों से
देखने लगी। अब तक तो रिंकी को यह नहीं पता था कि मैंने सब कुछ देख लिया था
लेकिन हमें इतना खुश देखकर उसे थोड़ी थोड़ी भनक आ रही थी कि हो न हो मेरी ही
आवाज़ ऊपर सुनाई दी थी...



इस बात का एहसास होते ही रिंकी का चेहरा शर्म से इतना लाल हो गया कि बस
पूछो मत। इतना तो वो उस वक्त भी नहीं शरमाई थी जब पप्पू ने उसकी चूत को
अपने जीभ से चूमा था...



रिंकी की नज़र अचानक मुझसे लड़ गई और वो शरमाकर वापस जाने लगी...



तभी बाहर से घंटी कि आवाज़ आई और हम तीनों चौंक गए...



"रिंकी...रिंकीऽऽऽऽऽ...दरवाज़ा खोलो !" यह प्रिया की आवाज़ थी...



हम लोग सामान्य हो गए और अपनी अपनी जगह पर बैठ गए...



रिंकी ने दरवाज़ा खोला और प्रिया अंदर आ गई...अंदर आते हुए प्रिया कि नज़र
मेरे कमरे में पड़ी और उसने मेरी तरफ देखकर एक प्यारी सी मुस्कराहट
दिखाई...और मुझे हाथ हिलाकर हाय किया और ऊपर चली गई...



यह प्रिया और मेरा रोज का काम था, हम जब भी एक दूसरे को देखते थे तो प्रिय
मेरी तरफ हाथ दिखाकर हाय कहती थी। मैं उसकी इस आदत को बहुत साधारण तरीके से
लेता था लेकिन बाद में पता चला कि उसकी ये हाय...कुछ और ही इशारा किया
करती थी...



अब सबकुछ सामान्य हो चुका था और पप्पू भी अपने घर वापस चला गया था।



मैं अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था और थोड़ी देर पहले की घटना को याद करके अपने
हाथों से अपना लंड सहला रहा था। मैंने एक छोटी सी निक्कर पहन रखी थी और
मैंने उसके साइड से अपने लण्ड को बाहर निकाल लिया था।



मेरी आँखें बंद थीं और मैं रिंकी की हसीं चूचियों और चूत को याद करके मज़े
ले रहा था। मेरा लंड पूरी तरह खड़ा था और अपने विकराल रूप में आ चुका था।
मैंने कभी अपने लंड का आकार नहीं नापा था लेकिन हाँ नेट पर देखी हुई सारी
ब्लू फिल्मों के लंड और अपने लंड की तुलना करूँ तो इतना तो तय था कि मैं
किसी भी नारी कि काम पिपासा मिटने और उसे पूरी तरह मस्त कर देने में कहीं
भी पीछे नहीं था।



अपने लंड की तारीफ जब मैंने सिन्हा-परिवार की तीनों औरतों के मुँह से सुनी
तब मुझे और भी यकीन हो गया कि मैं सच में उन कुछ भाग्यशाली मर्दों में से
हूँ जिनके पास ऐसा लंड है कि किसी भी औरत को चाहे वो कमसिन, अक्षत-नवयौवना
हो या 40 साल की मस्त गदराई हुई औरत, पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकता है।



मैं अपने ख्यालों में डूबा अपने लंड की मालिश किए जा रहा था कि तभी...



"ओह माई गॉड !!!! "...यह क्या है??"



एक खनकती हुई आवाज़ मेरे कानों में आई और मैंने झट से अपनी आँखे खोल लीं...मेरी नज़र जब सामने खड़े शख्स पर गई तो मैं चौंक पड़ा...



"तुम...यहाँ क्या कर रही हो...?? " मेरे मुँह से बस इतना ही निकला और मैं खड़ा हो गया...



यह थी कहानी मेरे सेक्स के सफर की शुरुआत की...कहानी जारी रहेगी और आप
लोगों के लंड और चूत को दुबारा से अपना अपना पानी निकालने की वजह बनेगी...



अभी तो बस शुरुआत है, सिन्हा परिवार के साथ बीते मेरे ज़बरदस्त दो साल,
जिन्होंने मुझे इतना सुख दिया था कि आज भी वो याद मेरे साथ है...यकीन मानो
दोस्तो, मेरी चुदाई की दास्तान आपको सब कुछ भुला देगी...
तभी बाहर से घंटी की आवाज़ आई और हम तीनों चौंक गए...



"रिंकी...रिंकीऽऽऽऽऽ...दरवाज़ा खोलो !" यह प्रिया की आवाज़ थी...



हम लोग सामान्य हो गए और अपनी अपनी जगह पर बैठ गए...
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