पड़ोसन का प्यार compleet

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Re: पड़ोसन का प्यार

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नेहा प्राची के निपल खीचती हुई बोली "दर्शन देख, ये तेरी उंगली जितने बड़े है. चूसने मे तो मज़ा आता ही है, चबाने मे भी बहुत आनंद आता है, लगता है चबा कर खा डालें. देख!" और प्राची का एक निपल मुख मे लेकर नेहा उसे चूसने और हौले हौले चबाने लगी. सुख और पीड़ा के मिले जुले अनुभव से प्राची चीख उठि "उईईईईईईईईईईईईईईई मा मत काट नेहा ... प्लीज़ ज़् ..मुझे सहन नही होता .. नासिक मे भी तूने काट काट कर मुझे बहुत तंग किया था"


दर्शन अब रोने को आ गया था, उसकी अवस्था स्वर्ग जाकर भी वहाँ का सुख ना पा सकने वाले त्रिशंकु जैसी हो गयी थी. उसका लंड लोहे के राड जैसा तन कर खड़ा था.

शोभा दो उंगलियाँ प्राची की चूत मे घुसेडकर उसे हस्तमैंतुन करा रही थी. बीच मे ही वह उठि और दर्शन के पास आई. उसके मूह के सामने अपनी उंगलियाँ नचाती हुई बोली "देख तेरी मा की चूत का रस. कितना चिपचिपा और गाढ़ा है, है ना? शहद से ज़्यादा! सूंघ कर देख इसकी खुशबू. मुझे तो अब चस्का लग गया है इसका."

सफेद गाढ़े चिपचिपे रस से सनी उन उंगलियों को देखकर दर्शन कराह उठ. "चाटेगा बेटे?" शोभा ने उसे पूछा. दर्शन ने मूंडी हिलाई तो शोभा उंगलियों को उसके मूह के पास ले गयी. दर्शन ने जब मूह खोल कर जीभ से उन्हे चाटने की कोशिश की तो शोभा ने हँसते हुए हाथ पीछे खींच लिया. कुछ देर उसे वह इसी तरह सताती रही. दर्शन की हरकत देखकर नेहा मस्ती मे मुस्कराने लगी.

कुछ देर सता कर शोभा का दिल पसीज गया जब उसने दर्शन की आँखों मे देखा कि उसे कितनी तकलीफ़ हो रही है. उसने दर्शन के मूह मे उंगलियाँ डाल दी. आँखे बंद करके दर्शन उन्हे चाटने लगा. उसका शरीर अब वासना से ऐसा तन गया था जैसे खींच कर रखा धनुष हो.

उंगलियाँ चटाकर शोभा वापस पलंग पर चली गयी. नेहा प्राची के मूह पर बैठकर अपनी चूत उसके होंठों पर घिस रही थी. शोभा प्राची की बुर चूसने मे जुट गयी. फिर सिर ऊपर करके शैतानी से मुस्कराते हुए दर्शन को बोली "बेटे, लगता नही कि आज तेरे लिए कुछ बचेगा. आज तेरी ये मा इतना मीठ रस छोड़ रही है कि लगता है कि हम मा बेटि को ही कम पड़ेगा.
वैसे समझ मे नही आता आज ऐसा क्या हो गया कि इसकी चूत इतना पानी छोड़ रही है, जैसे चूत नही अमृत का नल हो. अरे हां, मैं भूल ही गयी, अपने लाड़ले के तने हुए खूबसूरत शिश्न को देख कर इसकी यह हालत हुई है. ठीक भी है, किस मा की नही होगी! नेहा, चल अब तू भी चख ले नही तो कहेगी की मम्मी, तुमने मौसी की बुर निचोड़ ली और मेरे लिए कुछ नही छोड़ा"

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Re: पड़ोसन का प्यार

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दर्शन को इसी तरह से तरसा तरसा कर सताते हुए शोभा और नेहा प्राची पर चढ़ि रही. आख़िर दर्शन की हालत पर तरस खाकर शोभा ने प्राची को छोड़ा और हाथ पकड़कर सहारा देकर उठाया. उसे वह दर्शन बँधा था उस कुर्सी के पास ले आई. प्राची भी उत्तेजना से काँप रही थी. उसकी अवस्था भी कुछ वैसी ही थी जैसी दर्शन की थी; उसे भी इन दोनो ने चूसा बहुत था पर झड़ने नही दिया था. शोभा बोली "प्राची ज़रा देख तो अपने लाड़ले का लंड, लंड नही लोहे का डंडा है, तेरी चूत मे जाएगा तो तेरा काम तमाम कर देगा. पर उसे लेने के पहले अपने लाड़ले को थोड़ा अमृत चखा दे, बेचारा आस लगाए बैठा है"

प्राची खड़ी नही हो पा रही थी, लड़खड़ाते हुए झुक कर उसने पहले दर्शन का एक लंबा चुंबन लिया और फिर अपना एक स्तन एक हथेली मे लेकर किसी फल जैसा दर्शन के मूह के आगे रखा "चूस ले मेरे राजा, मेरे लाड़ले बेटे, बचपन मे तुझे बहुत अच्छा लगता था मेरा स्तनपान करना. याद है बेटे? अब बस दूध नही है पर बाकी सब वैसा ही, तुझे अच्छा लेगेगा मैं
जानती हूँ" कहकर अपना लंबा निपल उसने अपने बेटे के मूह मे घुसेड दिया.

दर्शन आँखे बंद करके उसे चूसने लगा. उसके चेहरे पर एक असीम सुख की भावना थी, ऐसा लगता था जैसे वह फिर छोटा दुधमूहा बच्चा बन गया हो. मैं मा का स्तनपान कर रहा हूँ यह जानकारी उसे स्वर्ग ले जा रही थी. उसे चापडीले निपल को वह मूह मे लेकर ऐसे चूसने लगा कि जैसे कही उसके मन मे थोड़ी बहुत आशा बाकी हो कि अगर ज़ोर लगाया तो हो सकता है शायद मा के स्तनों मे कुछ दूध निकल आए! जल्द ही उसका यह सुख और बढ़ गया.

प्राची उसके मूह मे से अपनी चून्चि निकाल कर सीधी खड़ी हो गयी और अपना एक पैर उठाकर कुर्सी के ऊपर रख दिया. उसकी गीली लाल चूत अब पूरी खुल गयी थी. दर्शन का सिर पकड़कर उसने अपनी जाघो के बीच घुसेड लिया. "ले बेटे, तेरी मा अपने बदन का सबसे रसीला भाग तुझे देती है. तेरी अच्छि पहचान का होना चाहिए, यहाँ से तू निकला था यह तू भूल गया होगा पर मुझे अब भी याद है"

दर्शन ने अपनी मा की चूत को इतने पास से देखा तो उसे ऐसा लगा कि जैसे देवी मा प्रसन्न हो गयी हो और मनचाहा वर दे रही हो. प्राची की गोरी गोरी जांघों के बीच का वह गुलाबी मखमली गीला छेद, उसके चारों ओर पसरे हुए पतले चौड़े भगोष्ठ और अनार के दाने जैसा लाल कड़ा क्लिट देखकर उसे ऐसा लगा जैसे भूखे के सामने बड़ी थाली रख दी गयी हो. उसे
समझ मे नही आ रहा था कि इस मिठाई के थाल को कहाँ से खाना शुरू करे. उसने लपककर अपनी मा की बुर मे मूह डाल दिया और जो भाग मूह मे आया उसे ले कर चूसने लगा.

दर्शंका लंड अब सूज कर कुप्पा हो गया था, कब झडेगा इसका ठिकाना नही था. शोभा ने जब उसका हाल देखा तो तुरंत प्राची को आगाह किया "प्राची, जल्दी डिसाइड कर, अपने बेटे से चुदवायेगि या उसे चूसेगी. अब इसका कोई भरोसा नही"
प्राची ने झुक कर दर्शन के लाल गुलाबी रसीले लंड को देखा तो तुरंत दर्शन का सिर अपनी जांघों के बीच से निकाल कर अपना पैर कुर्सी पर से नीचे रखकर खड़ी हो गयी. जल्दी जल्दी दर्शन के हाथों मे बँधी ब्रा को निकालकर उसे वह हाथ से पकड़कर बिस्तर पर ले गयी. अब वह बहुत जल्दी मे थी, एक क्षण नही गवाना चाहती थी. दर्शन को बिस्तर पर सुला कर वह उसपर उलटि बाजू से चढ़ गयी और अपनी चूत उसके मूह पर दबा कर बैठ गयी. फिर झुक कर उसके अपने बेटे का लंड पकड़ा और उसे बेतहाशा चूमने लगी. कई चुंबन लेने के बाद उसने मूह खोलकर एक बार मे दर्शन का पूरा लंड निगल लिया और चूसने लगी. दर्शन अब तक अपनी मा की बुर से टपकते रस को निगलने मे लग गया था, उसने अपनी बाहे
अपनी मा के नितंबों के इर्द गिर्द लपेट ली थी और मा की बुर को अपने मूह पर भींच लिया था.

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Re: पड़ोसन का प्यार

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माँ बेटे के इस सिक्सटी नाइन के आसान को देखकर शोभा और नेहा भी वही उनकी बगल मे लेट गयी और चालू हो गयी.
दर्शन जब झाड़ा तो आनंद के अतिरेक से रोने को आ गया. वह क्षण ही ऐसा था, मा बेटे के मिलन के चरमोत्कर्ष का क्षण. अपनी मा की चूत से निकलते अमृत का पान करते हुए अपनी मा के ही मूह मे स्खलित होकर अपनी मलाई उसे पिलाना, इससे ज़्यादा सुख की वह कल्पना नही कर सकता था. स्खलन की तीव्रता से उसे चक्कर सा आ गया. प्राची भी ऐसी मस्ती मे थी कि उचक उचक कर अपनी बर अपने बेटे के मूह पर रगड़ रही थी और अपने मूह मे निकलते गरमागरम गाढ़े वीर्य के स्वाद के स्वाद का मज़ा ले रही थी. आख़िर जब प्राची झड़ी तब उसे शांति मिली. झाड़ कर वह वैसे ही अपने बेटे के शरीर पर पड़ी रही. शोभा और नेहा भी मा बेटे के इस संभोग को देखकर आपस मे जुटि थी.


कुछ देर से सब उठ बैठे. "क्यों प्राची, कैसी लगी अपने लाड़ले की मलाई? मज़ा आया? रबड़ी है ना रबड़ी? और दर्शन, हो गयी तेरे मन की शांति? वैसे अभी तो सिर्फ़ एक दूसरे का रस पिया है तुम मा बेटे ने, जब तक ठीक से चोदोगे नही तब तक यह मिलन पूरा नही होगा" शोभा ने दर्शन के गालों को पुचकार कर कहा. फिर वह प्राची को बोली "वैसे प्राची, तूने एकेदम ठीक किया कि इसे पहले चूस लिया. जैसी हालत मे ये था उसमे यह एक मिनिट से ज़्यादा नही टिकने वाला था. जवान लड़का है, अभी दस मिनिट मे तैयार हो जाएगा, तब घन्टे भर इससे चुदवा लेना. पूरी सेवा कराए बिना नही छोड़ना"
नेहा की तरफ देखकर शोभा ने उसे उठने का इशारा किया "नेहा, चल हम दूसरे बेडरूम मे चलते है. इस मधुर घड़ी मे मा बेटे को अकेला छोड़ना ही ठीक है. उन्हे मन भर कर इस नये संबंध का मज़ा लेने दो. कल रात से हम सब फिर साथ साथ मस्ती करेंगे"

वे दोनो बाहर चली गयी और दरवाजा बंद कर दिया. प्राची झाड़ चुकी थी पर उसकी बुर मे लगी आग शांत ही नही हो रही थी. बेटे से मुखमैंतुन करके उसके शरीर मे मानों कामदेव और रतिदेवी प्रवेश कर गये थे. दर्शन का लंड हाथ मे लेकर वह उसे फिर चूसने लगी. अपनी जांघे उसने कस कर दर्शन के सिर के इर्द गिर्द जाकड़ कर रखी और अपनी चूत उसके होंठों पर
रगड़ती रही.

दर्शन जब थोड़ा संभला तो अपने मूह से सटि बुर को फिर से चूसने लगा. मा की बुर से निकल रहे छिपचिपे पानी ने उसे मा की वासना की पूरी कल्पना दे दी. मा की यह धधकती अगन महसूस करके वह थोड़ा शरमा गया कि मा की यह हालत उसके कारण हुई है. वह अपना कर्तव्य पूरा करने मे जुट गया. शोभा आंटी ने उसे जो चूत चूसने की ट्रेनिंग दी थी उसका पूरा इस्तेमाल करके उसने अपना सब कौशल दाँव पर लगा दिया.
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Re: पड़ोसन का प्यार

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प्राची किलक कर दो बार झड़ी और आख़िर तृप्ति की एक सिसकारी भरकर शांत हो गयी. कुछ देर बाद वह दर्शन के बाल प्यार से सहलाती हुई बोली "दर्शन बेटे, कितना स्वाद है रे बेटे तेरे वीर्य मे! इस शोभा ने पूरा ताव मारा होगा मेरी गैर हाज़िरी मे. अब यह खजाना मैं सिर्फ़ अपने लिए रखूँगी. शोभा मौसी को चाहे जितना चोद लेना मेरे राजा, बस झड़ना मेरे मूह मे. इस मलाई की एक बूँद भी मेरे पेट के सिवाय और कही जाए यह मुझा गवारा नही होगा"


दर्शन उठ बैठा और प्राची के स्तनों से खेलने लगा. अपने सामने पड़ी अपनी मा की कंचन काया देखकर उसे समझ मे नही आ रहा था कि कैसे इस वरदान का उपभोग ले. "मम्मी, तुम कितनी सुंदर हो! मुझे अब तेरे सिवाय और कोई नही चाहिए. मैं कुछ भी करूँगा मा तुम्हारे लिए, तेरी हर इच्छा को पूरा करूँगा. तुम बस बताती जाओ कि मुझे क्या करना है" कहकर
दर्शन झुक कर प्राची के बदन को जगह जगह पर चूमने लगा. उसकी इन बातों से और उसके होंठों के मुलायम स्पर्ष से प्राची को रोमाच हो आया. अनजाने मे उसकी टांगे अलग अलग हो गयी जैसे अपने बेटे को आमन्त्रण दे रही हों. प्राची की बुर का एक चुंबन ले कर दर्शन ने उसे धीरे से पलट और उसकी पीठ और गर्दन को चूमने लगा. फिर वह नीचे खिसक कर प्राची के नितंबों पर आया. अब तक उसका लंड फिर से सिर उठाने लगा था. मन भर कर उसने अपनी मा के उन गोरे चिकने चूतडो को देखा, उनपर प्यार से हौले हौले अपनी हथेलियाँ फेरी और फिर झुक कर उनके बीच मे अपना चेहरा छिपा दिया.

चूतडो के बीच की गहरी लकीर मे नाक घुसेड कर उस सौंधी सौंधी सुगंध का आनंद लेते हुए वह सोच रहा था. 'क्या मा कभी इस खजाने का मज़ा मुझे लेने देगी? अब तक तो शोभा आंटी ने भी गान्ड मारने नही दी थी. सिर्फ़ वायदा किया था. अगर मा तैयार हो जाए तो?' इस कल्पनासे ही वह ऐसा बहका कि उसे और रुकना असंभव हो गया. लंड अब पूरा खड़ा था.
'यहाँ अभी तक मा को चोदा भी नही है और उसकी गान्ड मारने की कल्पना मैं कर रहा हूँ. मा बेचारी कब से प्यासी है, सालों हो गये होंगे ठीक से चुदाये, उसे और तरसाना ठीक नही है' सोच कर दर्शन ने प्राची को फिर सीधा किया और उसके स्तनों को चूमते हुए एक उंगली उसकी बुर मे डाल दी.

बुर एकदम गीली थी. उंगली से वह अपनी मा की चूत चोदने लगा. प्राची ने उसे कस कर भींच लिया. अपनी एक चून्चि उसके मूह मे ठूंस दी. उसे ऐसा लग रहा था कि पूरा स्तन अपने बेटे के मूह मे दे दे और वह उसे खूब चूसे और चबाए. पर दर्शन अचानक अपने आप को छुड़ा कर उठ बैठा. प्राची कुछ कहे इसके पहले ही दर्शन ने उसपर चढ़ कर सपाक से
अपना लंड पूरा उसकी बुर मे गाढ दिया. फिर वैसे ही झुके झुके चोदने लगा.


प्राची को यह अनपेक्षित था. वैसे वह राह ही देख रही थी कि कब उसका लाड़ला अपने उस मतवाले तन्नाए लंड से उसकी चूत की प्यास बुझाता है. चूत मे लंड लेने को वह कब की प्यासी थी. पर जिस खूबी से दर्शन ने अचानक उसकी बुर मे अपना लंड पेल दिया था उससे वह भोंचक्की से रह गयी थी "अरे अरे ये क्या कर रहा है बेटे आहह ज़रा आराम से धीरे ऑश्फह..." वह और कुछ कहे इसके पहले दर्शन ने झुक कर उसका मूह अपने मूह से बंद कर दिया और उसके होंठ चूसता हुआ सपासप चोदने लगा. प्राची कुछ देर वैसे ही पड़ी रही फिर उसने अपनी टांगे अपने बेटे के बदन के इर्द गिर्द लपेटी और नीचे से धक्के मारकर दर्शन के धक्कों का प्रतिसाद देने लगी. दर्शन की इस ज़ोर ज़बरदस्ती और जल्दबाजी से उसका मन खुशी मे भीग उठा था. एक जवान लड़का मुझपर इस उम्र मे भी इतना रीझ जाए इतनी सुंदर मैं हूँ यह विचार बहुत सुखदायक था.

बुर मे लंड का दबाव उसे सुख के सागर मे गोते दिलवा रहा था! कितने दिन हो गये ... इतना बड़ा और इतना तन्नाया हुआ लंड चूत मे लिए कितने दिन हो गये ... आज मिला भी तो इतना प्यारा इतना जवान लंड ..... वह भी बेटे का ....इतने दिन प्यासे रहने की सारी कसर पूरी हो गयी थी.

"चोद बेटे, चोद मेरे लाल, आज रात भर चोद मेरे लाडले अपनी मा को, मैं तेरी ही हूँ मेरे बच्चे ... ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .... उईईई माँ" कहकर सिसकती हुई प्राची नीचे से कमर उछाल उछाल कर ज़ोर से धक्के लगाने लगी. दर्शन के जोरदार धक्कों से अब पलंग भी चरमरा रहा था. मा बेटे का यह अनोखा मिलन पूरे ज़ोर मे आ गया था.

- भाग 5 समाप्त –
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Padosan ka Pyar – Bhag 5

Post by 007 »

Padosan ka Pyar – Bhag 5
(Lekhak – Katha Premi)

Darshan ki neend raat ko baarah baje ke kareeb khuli. use bahut bhookh lagi
thi. sirahaane rakhe saiMDawich aur doodh dekhakar use laga ki Shobha mausi
so gayi hogi. maa aayi ya nahi isaka bhi andaaja nahi lag raha tha. khaapeekar
wah kamare ke baahar nikala. sab taraf andhera tha. kuCh ghanTe ke aaraam se
usaki saari thakaan door ho gayi thi. lund bhi fir se khada ho gaya tha. maa aaj
aane waali hai aur usake aane ke baad Shobha apane waayade ke anusaar maa ke
saath usaka milan karawaayegi yah soch soch kar use aur uttejana ho rahi thi. bas
yahi pareshani thi ki maa ko to ab tak aa jaana tha, pata nahi kahaan raha gayi.
achaanak use Shobha ke bedroom ke darawaaje ke neech se aati hui halki roshani
dikhi. yaane Shobha mausi jag rahi hai ab tak! maja aa gaya. maa nahi aayi ho fir
bhi mausi ke saath to aage masti karane milegee! usane darawaaja dhakela aur
andar ghus kar fir laga liya.
"le Prachi, aa gaya tera laadala. ab jamegi jodiyaan Theek se!" Shobha ki aawaaj
sun kar usane mud kar kamare me dekha. usaki najar Dabal beD par gayi.
Shobha ne use maa ke baare me sab bata diya tha isaliye use itana shaak bhale na

laga
ho fir bhi naari naari sambhog ka wah dRushya dekhakar usaki saans oopar
ki oopar raha gayi. lund aur kulabula uTha.
Shobha bistar par chit padi thi aur Neha usapar chadh kar Dabal DilDo apani
kamar me baandh kar use chod rahi thi. dono nangi thi. kaala kaala rabad ka
DilDo Shobha ki choot me saTaasaT andar baahar ho raha tha. Neha ka wah
nagna sundar roop dekhakar usake dil me aisi meeThi Tees uThi ki use wah
sahana nahi hui. yah to apsara hai apsaraausane
man me socha. DilDO saamane
bandha hone se bhale hi Neha ki choot na dikh rahi ho, usaki we gori chikani
jaangheM, we matawaale gol maTol nitamb aur jawaani ke josh me tan kar khadi
Thos choochiyaan kisi vishwa sundari ke roop se kam nahi lag rahe the.
aur un dono ke bagal me Prachi, usaki ma, ardhanagna awastha me baiThi hui
thi. usane kaali bra aur panty pahani thi aur jhuk kar wah Shobha ke chumban
lete hue usake mamme daba rahi thi. Shobha Prachi ke honth choosate hue apane
haath ko Prachi ki panty me Daalakar Prachi ki bur ko sahala rahi thi.
m ka yah matawaala roop dekhakar Darshan ka lund aur jor se khada gaya. gore
gore badan par fabati kaali bra aur panty ke kaaraN maa use swarg ki apsara ya
dewi jaisi lag rahi thi jo is dharati par sirf use sukh dene ko utar aayi ho. Shobha
ne use ishaare se paas bulaaya. Darshan jaakar chupachaap bistar par Prachi se
thoda door baiTh gaya. maa ki najaron se najare milaane ki himmat use abhi nahi
ho rahi thi. Shobhane use apane paas kheencha aur jor se choonm liya "ab apani
maa ko aisa hi pyaara chumban de. ab kyon sharam raha hai? mere saamane to
maa ke baare me kya kya bolata tha too"
Darshan ne sharamate hue Prachi ki or dekha. Prachi to ab itani garam gayi thi ki
Shobha aur apane beTe ke baach ki choona chaaTi bhi use sahan nahi ho rahi thi.
Shobha ne use jaan boojh kar piChale do ghanTe se pyaasa rakha tha. "ab to
apani sab bhookh pyaas apane beTe ke liye rakh Prachi, wahi bujhaayega aaj tere
badan ki aag" aisa kahakar usane Prachi ko Cheda tha. jaan boojh kar usane
Prachi ko poora nanga bhi nahi hone diya tha, bra aur panty pahane rahane ko
kaha tha.
"yah tere aMtarwastra ab tera beTa hi utaarega meri jaan" usane Prachi ko
samajhyaaya tha "bachapan me kaise use tu kaiDabari chaakaleT deti thi to wo
bade utsaah se usaka raipar nikaalata tha. ab tere in aMtarwastron ke raipar me
lipaTi tere gore chikane badan ki yah ek badi kaiDabari chaakaleT hi to hai tere
beTe ke liye, is sansaar ki sabase meeThi chaakaleT"
Shobha ki is baat ko yaad karate hue Prachi ne Darshan ki or dekha aur usaka
man ek ajeeb sukh se machal uTha. Darshan ki aankhon me bilkul aisi hi
bhaavana thi. usaki sharam ko dekhakar aakhir Prachi ne hi pahal ki. Darshan ko

usane
apane aagosh me kheench liya aur use choonane lagi "mere laadale, mere
laal, sach me main tujhe itani achChi lagati hoon? are bhondu mujhe pahale kyon
nahi kaha? Shobha na bataati to mujhe kabhi vishwaas nahi hota ki tu mujhapar
itana marata hai. aur Shobha mausi bata rahi thi ki tu do din me ekdam eksaparT
ho gaya hai?"
"ma, main Darata tha ki tum bura maan jaaogi" Darshan dheere swar me bola.
maa ke honthom ka swaad use madahosh karane laga tha. Prachi ne apane
honthom se usake honth alag kiye aur apani jeebh usake muh me Daal di.
Darshan use choosata hua Prachi ke poore shareer ko betahaasha TaTolane laga
jaise maa ke poore badan ko ek kShaN me bhog lena chaahata ho. use ab bhi
vishwaas nahi ho raha tha ki usaki pyaari maa usake aise laad kar rahi hai, maa
ki tarah nahi balki ek premika ki taraha.
usaka lund ab Prachi ki jaanghon par ragad raha tha. bresiyar ke oopar se usane
apani maa ke stanon ke Tokon ko haule haule sahalaaya to use aisa laga ki
wahaan nipplena hokar lambi lambi moogafaliyaan hoM. unhe muh me lene ki
teevra ichCha use hui aur Prachi ki peeth ke peeChe haath badhaakar wah usake
huk nikaalane ki koshish karane laga.
Shobha ne yah dekhakar Neha ko aankh maari. Neha uThi aur sap se DilDo
Shobha ki choot me se nikaal liya. Shobha ne uThakar Darshan ko pakada aur
kheench kar apani maa se alag kar diya. fir use uThaakar Dhakelati hui ek kurasi
tak le gayi aur use wahaan jabaradasti biTha diya. Neha taiyaar khadi thi. usane
jhaT se Darshan ke haath kurasi ke haththon se baaMd diye, isake liye usane
apani aur Shobha ki bresiyar ka rassi jaisa upayog kiya.
Shobha ne jhuk kar usake tannaakar khade shishna ka chumban liya aur fir se
bistar par aa gayi.
"ari Neha, aise kyon baandh diya mere laal ko? mujhe bhi toone aisa hi kiya tha
naasik me, meri haalat kharaab kar di thi. dekh bechaare ki kaisi haalat ho gayi
hai! chal, Chod se use" kahakar wah uThane ki koshish karane lagi ki apane
beTe ke bandhan khol de, Darshan ki aankhon me jhalakati asahaay kaamukata
usase dekhi nahi ja rahi thi.
Shobha ne Prachi ke saamane baiTh kar usaka sir dono haathon me pakada aur
choonane lagi. Neha ne use peeChe se jakad liya aur usaki choonchiyaan dabaate
hue boli "haan mausi, maine teri haalat jaroor kharaab ki par kitani masti me tu
sisak rahi thi aur si si kar rahi thi yah bhool gayi? aisa hi sukh terev beTe ko mile
yahi to main aur mummy chaahate hai

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