बहू नगीना और ससुर कमीना

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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव ने भी हाँफते हुए और ज़ोर से धक्का मारते हुए कहा: क्या बोली तुम उसको?

नूरी: उग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ उसे बताया कि मेरे ससुर मुझे चोद रहे हैं और सासु माँ को भीइइइइइइइइइ माआऽऽऽऽऽलूम हैएएएएएएए। हाऽऽऽऽऽऽऽययय। और जोओओओओओर से चोओओओओओदो ।

फिर चिल्लाते हुए दोनों झड़ने लगे।

बाद में साथ लेटकर एक दूसरे को चूमते हुए राजीव बोला: तुमको लगता है वो इसमें इंट्रेस्टेड होगी?

नूरी: मुझे विश्वास है कि वो मेरे पीछे पीछे घूमेगी डिटेल्ज़ जानने के लिए कि ये सब कैसे हुआ और क्या क्या करते हैं हम लोग।

राजीव: अगर ऐसा हुआ तो इसका मतलब साफ़ है की वह ख़ुद भी मुझसे चुदवाना चाहती है।

नूरी: चुदवाना तो चाहती है पर उसका ज़मीर बार बार बीच में आ जाता है। उसको इतना उत्तेजित करना होगा कि वो सही ग़लत का फ़ैसला ना कर सके और चुदाई की मस्ती में डूब जाए। यही तरीक़ा है उसको क़ाबू में करने का।

राजीव: तो जान तुमको क्या लगता है तुम कर लोगी ये काम? ये कहते हुए उसने उसकी मोटे चूतरों को दबाया और गाँड़ में एक ऊँगली डाला और कहा: जानू तुम्हारा ससुर गाँड़ भी मारता है क्या? काफ़ी खुली हुई गाँड़ है तुम्हारी।

नूरी : अरे वो तो महा गाँड़ प्रेमी हैं। सासु माँ बोलती हैं कि वो उनकी गाँड़ सुहागरत को ही मार दिए थे ।

राजीव: यार तेरा ससुर तो मेरे से भी बड़ा कमीना है। फिर उसकी गाँड़ में ऊँगली करके उसको बोला: कल एक राउंड गाँड़ भी मरवा लेना।

नूरी हँसकर: जो हुक्म मेरे आका। कल बुर की एक बार तो चुदाई कर दीजिएगा। फिर भले ही गाँड़ भी मार लीजिएगा। लेकिन पानी गाँड़ में नहीं बुर में ही छोड़िएगा। माँ बुर से ही बनूँगी गाँड़ से तो नहीं। हा हा ।

दोनों हँसने लगे। फिर वो उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाला और पकककक से आवाज़ हुई और वो दोनों सफ़ाई करके बाहर आए।

नूरी मालिनी के कमरे में आयी और बच्चे को लेकर जाने लगी तो उत्सुकता से भरी मालिनी बोली: जा रही हो दीदी?

नूरी : हाँ अब चलती हूँ। कल मिलेंगे।

मालिनी: थोड़ा रुक जाती तो साथ में चाय पी लेते?

नूरी मन में मुस्कारायी और बोली: नहीं अब देरी हो रही है चलती हूँ। वो जानती थी कि मालिनी उसको इसलिए रोकना चाहती है ताकि वो उसकी कहानी सुन सके। पर वो उसकी उत्सुकता को बरक़रार रखना चाहती थी।

वो चली गयी और पीछे छोड़ गयी बेकरार मालिनी जो अभी उसके ख़यालों में उलझी हुई थी। वो सोची कि लो एक और औरत अपने ससुर से मज़े ले रही है और वो भी सास की मंज़ूरी से । हे भगवान ! क्या सही है और क्या ग़लत ? समझ ही नहीं आ रहा।

वो शाम को पापा को चाय के लिए आवाज़ दी। दोनों ने चुपचाप चाय पी । तब राजीव बोला: बेटी, ये सही है कि तुम अब मेरे साथ आगे नहीं बढ़ना चाहती। मैं तो सोचा था कि आजकल में हमारे बदन एक हो जाएँगे। पर अगर तुमको मंज़ूर नहीं तो ठीक है। पर हम दोस्त तो बन सकते हैं। या इसमे भी कोई समस्या है।

मालिनी: पापा जी हम दोस्त कैसे बन सकते हैं? मैं तो आपकी बहू हूँ तो वही रहूँगी ना। दोस्त कैसे बनूँगी।

राजीव: अरे चलो मेरी बहु के साथ साथ दोस्त बनने में क्या हर्ज है?

मालिनी: ठीक है पापा जी आप जैसा कहें।

राजीव अपना हाथ बढ़ा कर : तो फिर फ़्रेंड्स ??

मालिनी हँसकर हाथ मिलाई और बोली: जी फ़्रेंड्स।

दोनों मुस्कुराने लगे। अब वातावरण का तनाव ख़त्म हो गया था।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा से चुदवाते समय मालिनी के कानों में नूरी की बातें घूम रही थीं। वो सोच रही थी कि कल नूरी से पूरी बात सुनेगी।

अगले दिन भी राजीव सुबह मालिनी के लिए जलेबी लाया और उसके मुँह में डालकर उसे ख़ुद खिलाया।

मालिनी: पापा जी रोज़ रोज़ इतना मीठा खाऊँगी तो मोटी हो जाऊँगी।

राजीव: अच्छा तो है थोड़ी मोटी होगी तो और सेक्सी लगोगी।

मालिनी: धत्त मुझे ना मोटी होना है और ना ही सेक्सी दिखना है।

राजीव: सेक्सी तो तुम हो ही । हाँ अगर थोड़ा सा और भर गई तो और ज़्यादा सेक्सी हो जाओगी।

मालिनी हँसकर वहाँ से चली गई।

दोपहर को नूरी आइ और बच्चे को मालिनी को सौंप कर राजीव से चुदवाने चली गई। चुदवाने के बाद राजीव से बोली: आज तो मस्त चोदे । कल कुछ हुआ क्या मेरे जाने के बाद।

राजीव हँसकर: हाँ हम ससुर बहु दोस्त बन गए हैं।

नूरी मुस्कुराके: यानी पटाने का काम चालू रहेगा? सही है जानू।

राजीव: अरे अब तुम जाओ ना और उसे उत्तेजित करो अपनी कहानी सुनाकर ।

नूरी हँसते हुए बोली: अच्छा जाती हूँ । आपको भी सुनना है तो मैं फ़ोन चालू कर दूँगी आप सुनते रहना।

राजीव अपना लौड़ा मसलकर बोला: नहीं मैं उसके चेहरे की प्रतिक्रिया भी देखना चाहूँगा। मैं खिड़की में आकर झाँकता हूँ। तुम उसे बिस्तर पर बिठाए रखना तो खिड़की से उसका साइड दिखेगा और वो मुझे नहीं देख पाएगी।

नूरी: अच्छा जी जैसा आप चाहो। फिर उसके लौड़े को चूमकर वह कपड़े पहनकर मालिनी के कमरे में आइ।

मालिनी उसे देखकर ख़ुश हो गई मानो उसका ही इंतज़ार कर रही थी। आज बच्चा सो रहा था।

मालिनी: दूध पीकर थोड़ी देर खेला और अब सो गया है।

नूरी: थैंक्स डीयर अगर तुम ना होती तो पता नहीं मेरा क्या
होता।

मालिनी: अरे बार बार आप क्यों ऐसा बोलती हैं। और आपका पहला राउंड हो गया?

नूरी : हाँ हो गया। आज अंकल अच्छे मूड में थे और मस्त चुदाई किए। अब वो आराम कर रहे हैं तो मैं इधर आ गयी।

मालिनी: दीदी आपको लगता है कि आप अब तक प्रेगनेंट हो चुकी होगी?

नूरी: अरे अंकल की ताक़त पर मुझे पूरा विश्वास है। पक्का ही मैं अब तक प्रेगनेंट हो चुकी हो गयी हूँगी। उसने खिड़की की तरफ़ देखा तो वहाँ उसको अंकल खड़े नज़र आए। उसने उसे आँख मारी।

मालिनी: आप कल कह रही थी कि ना आप अपने ससुर से भी मज़ा लेती हो तो फिर आप उनसे ही प्रेगनेंट क्यों नहीं हो गयी? यहाँ पापा जी के पास क्यों आयीं?

नूरी : अरे मेरे ससुर के वीर्य में अब बच्चा पैदा करने की ताक़त नहीं है। पर चुदाई बिलकुल अंकल की तरह करते हैं।

मालिनी: तो उनको क्या पता है कि आप यहाँ किसलिए आइ हो।

नूरी : बिलकुल पता है। बल्कि वो तो रोज़ मेरा हाल पूछते हैं।

मालिनी: ओह ऐसा क्या। एक बात पूछूँ ? ये सब शुरू कैसे हुआ? ना बताना चाहो तो ना बताना।

नूरी: अरे इसमे छिपाने वाली कोई बात नहीं है। असल में जब डैड रेटायअर होकर हमारे साथ रहने आए तो शुरू में मुझे बहुत अजीब लगा। मुझे लगता था कि वो मेरी छातियों और मेरे पिछवाड़े को देखते रहते थे ।मैं मॉम को देखती तो पाती कि उनको सब पता है पर वो अनदेखी सी करती ।ऐसे ही चल रहा था। तब एक दिन हमारे घर की नौकरानी जो करींब ३५ साल की थी , एकदम से रोती हुई मेरे पास आइ और बोली कि मुझे नौकरी नहीं करनी ।मैंने पूछा कि क्या हुआ ? वो बोली कि आपके ससुर ने मुझे अभी पकड़ लिया था और मेरे साथ ज़बरदस्ती की कोशिश की। मैं किसी तरह से अपने को बचाया और भाग कर आपके पास आइ। मेरा हिसाब कर दो। मैंने अपने सास को बताया और उसका हिसाब कर दिया। फिर मैंने सास को कहा कि ये सब क्या है ? डैड ऐसा क्यों कर रहे हैं। मॉम बोली कि उनकी सेक्स ड्राइव बहुत ज़्यादा है और मैं आजकल उनकी प्यास बुझा नहीं पाती। मैं बोली कि इसका मतलब तो नहीं कि वो रेप करेंगे। मॉम रोने लगी। मैंने उनको चुप कराया। फिर वो डैड के पास गयीं शायद उनको समझाने। पर थोड़ी देर बाद जब वो वापस नहीं आइ तो मुझे चिंता हुई तो मैं उनके कमरे की ओर गयी और वहाँ मैंने सिसकी की आवाज़ सुनी। मैंने खिड़की से झाँका और मैं हैरान रह गयी। डैड मॉम को उलटी पेट के बल लिटाके उनके ऊपर चढ़ के उनको चोद रहे थे। और मैंने देखा कि वो उनकी गाँड़ मार रहे थे। मॉम दर्द से बिलख रहीं थीं। साफ़ लग रहा था कि वो दर्द से कराह रही थी। फिर वो बोली कि आप तेल तो लगा लो। उफफफफ सूखे में बहुत दुखता है। डैड ने अपना लौड़ा बाहर किया और मैंने देखा कि उनका बड़ा और मोटा लौड़ा बिलकुल अंकल के जैसा ही बड़ा था। मेरे पति से बहुत बड़ा और मोटा। अब डैड ने तेल लगाया और फिर मॉम की गाँड़ मारने लगे। क़रीब १५ मिनट की चुदाई के बाद वो झड़े और मॉम ने राहत की साँस ली। मैंवहाँ से हट गयी।

मालिनी: ओह तो वो बहुत ही कामुक है? उसने अपनी गीली होती हुई बुर को सलवार के ऊपर से खुजाया। उसने ऐसा दिखाया जैसे वो सलवार ऐडजस्ट कर रही हो। पर राजीव की आँखों से वह बच नहीं पाई और वो देख लिया कि वो अपनी बुर खुजा रही है। वो मुस्कुराया और अपना लौड़ा दबाने लगा।

उधर नूरी बोली : बाद में मॉम ने बताया कि डैड ने उनकी गाँड़ मारी और मैंने ऐसा दिखाया कि जैसे मुझे पता नहीं है। मैंने पूछा कि मॉम इसका इलाज क्या है ? वो बोली कि बेटी वो तो तुमको चोदना चाहते है । अगर तुम मान जाओ तो वो दिन में तुमको मज़ा देंगे और रात में अपने पति से चुदवा लेना। मुझे भी डैड का लौंडा पसंद आया था और मैं मान गयी। बस फिर क्या था वो अगले दिन ही मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना लीं। अगले दिन मॉम और डैड मुझे बिस्तर पर नंगा किए और तुम विश्वास नहीं करोगी मॉम और डैड दोनों ने मेरी एक एक चूची मुँह में ली और चूसने लगे। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या अनुभव था एक बहु के लिए जब उसकी चूचियाँ उसके सास और ससुर मिलकर चूस रहे थे।

मालिनी की आँखें फैल गयीं थीं और उसका हाथ अपने आप अपनी सलवार के ऊपर से बुर पर चला गया और वो उसको अनजाने में रगड़ने लगी। राजीव ध्यान से उसकी हरकत देख कर ख़ुश हो रहा था। वो अब अपना लौड़ा भी रगड़ रहा था।

मालिनी: ओह क्या ऐसा भी हो सकता है? सच में आपको बड़ा अजीब नहीं लगा?

नूरी: मुझे तो बड़ा मज़ा आया। सच में डैड ने उस दिन मेरी ऐसी चुदाई की जो कि मैं कभी भूल नहीं सकती। तुमको पता कि उनका लौड़ा मॉम ने अपने हाथ में पकड़कर मेरी बुर में सेट किया था। वो पल मैं कभी नहीं भूल सकती। यह कहते हुए वो अपनी बुर खुजाई और बोली : आऽऽह याद करके मेरी बुर में खुजली हो रही है।

मालिनी का हाथ भी अपनी बुर पर ही था।

नूरी बोली: तुमको एक बात और बताऊँ कि मॉम बाई सेक्शूअल है। वो मेरी चूचियाँ दबाती हैं और मेरे साथ भी लेज़्बीयन सेक्स भी करती हैं। उनको मेरी बुर चूसना बहुत पसंद है। अब तो मैं भी उनकी बुर चूसती हूँ।

मालिनी जैसे बेहोश होते बची। ये क्या कह कर रही है ये लड़की। इसकी सास और ये सेक्स करती हैं । वैसे ही शायद जैसे उसने कुछ ब्लू फ़िल्म में शिवा के साथ देखी है।

तभी नूरी उसको देख कर बोली: तुम तो बहुत उत्तेजित हो गयी हो। ये क्या बहुत खुजा रही हैं? उसकी बुर की ओर इशारा करके बोली। फिर बोली: कुछ करूँ इसके लिए?

मालिनी: क्या करोगी?

नूरी: चलो अभी बताती हूँ। फिर वह उठ कर उसके पास आइ और उसके होंठ पर अपने होंठ रखे और उसे चूमने लगी ।फिर वो उसकी चूचियाँ दबाने लगी। मालिनी आऽऽँहह कर उठी। उसकी चुम्बन का अब मालिनी भी जवाब दने लगी। वो दोनों एक दूसरे से चिपक गयीं। नूरी ने मालिनी के हाथ को अपनी चूचियों पर रखा और वो भी उनको दबाने लगी। अब नूरी उसको गिरा कर उसके ऊपर आ गयी और उसको चूमते हुए उसकी क़ुर्ती उठा दी। अब वो ब्रा के ऊपर से उसकी चूची दबाने और चूमने लगी।

राजीव की आँखें ये देखकर बड़ी बड़ी हो गयीं थीं। अब वह नीचे आकर उसकी सलवार और पैंटी उतारी और फिर उसकी बुर चूमकर उसे चूसने लगी। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके अपनी गाँड़ उछालकर मज़े लेने लगी। नूरी उसकी बुर चाट कर मालिनी को पागल कर रही थी और जल्दी ही वो हाऽऽऽयययय कहकर झड़ गयी।

तभी दरवाज़ा खुला और मालिनी ने देखा कि पापा जी अंदर आए और उनकी लूँगी उनके हाथ में थी। वो नीचे से नंगे थे और उनका लौड़ा पूरा तना हुआ था। वो आकर नूरी को लिटाए और उसकी सलवार उतारकर उसकी टांगों को उठाया और फैलाकर वहाँ अपना लौड़ा पेल दिया और उसको ज़बरदस्त तरीक़े से चोदने लगा।

मालिनी हड़बड़ा कर वहाँ से उठने की कोशिश की पर नूरी उसके हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर रखी और उसको दबाने लगी। उधर राजीव ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर नूरी को पागल कर रहा था। मालिनी सोची कि ये क्या हो रहा है। उसके और शिवा के बिस्तर पर पापा नूरी को उसके सामने चोद रहे हैं। हे राम ये क्या हो रहा है? और लगता है पापा जी ने उसे नूरी से मज़ा लेते देख लिया है। क्योंकि जब वह आए थे तो उसकी बुर नंगी थी और नूरी उसको चूस कर उठी थी। पता नहीं क्या होने वाला है।अब चुदाई की फ़च फ़च से कमरा गूँज रहा था। तभी पापा और मालिनी की नज़रें मिलीं। मालिनी तो शर्म से जैसे गड़ गयी। तभी पापा और नूरी ज़ोर ज़ोर से चिल्ला कर झड़ने लगे । मालिनी की बुर फिर से गरम होने लगी थी। वह उठकर बाहर आ गयी।

थोड़ी देर में दोनों बाहर आए। नूरी जल्दी से चली गयी क्योंकि उसको बहुत देर हो चुकि थी। पापा भी अपने कमरे में चले गए। मालिनी ने अपने कमरे में जाकर चादर पर पड़े धब्बों को देखा जोकि उसकी बुर के रस और पापा जी और नूरी के रस के धब्बे भी थे। उसने चादर बदल दी। वह सोच रही थी कि आज उसके बेडरूम में क्या क्या हो गया। वो ख़ुद नूरी से लेज़्बीयन सेक्स की और पापा ने नूरी को यहीं चोद लिया। उफफफफ वो क्या करे क्या ना करे । उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। वो थक कर लेटी और सो गयी। सपने में उसने देखा कि वो पूरी नंगी पड़ी है और दो लोग उसकी चूचियाँ चूस रहे हैं। वो देख नहीं पा रही थी कि कौन कौन उसकी चूची चूस रहा है। दिर उन दोनों ने अपना मुँह ऊपर किया और ये तो पापा जी और उसकी सरला मम्मी थीं। वह चौंक कर उठी और उसका दिल बहुत ज़ोर से धड़कने लगा था। उसकी बुर पानी छोड़ चुकी थी। वो अपने सपने पर हैरान थी। वह बहुत परेशान थी कि उसने इतना अजीब सा सपना कैसे देखा??


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Kautilay
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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Update please..
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Smoothdad
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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मालिनी सोकर उठी और सपने के बारे में सोचते हुए किचन में जाकर काम करने लगी। थोड़ी देर बाद राजीव ने चाय माँगी और वह चाय लाकर उसे दी। वह सोफ़े पर बैठा था।उसने मालिनी को ग़हरी निगाहों से देखा और बोला: बेटी, आज जो भी हुआ उसके लिए मैं माफ़ी चाहता हूँ। असल में मैं खिड़की से नूरी की बातें सुन रहा था और नूरी को तुम्हारी बुर चूसते देखा तो बहुत गरम हो गया। मैं तो बड़ा हैरान हुआ कि वो बाइसेक्शूअल है। इसी कारण मैं बहुत गरम हो गया और तुम्हारे कमरे में आकर तुम्हारे ही बिस्तर पर उसे चोद दिया। तुमने चादर बदल दी है ना?

मालिनी: जी बदल दी है। वह शर्म से लाल होकर बोली।

राजीव: बेटी, एक बात पूछूँ सच सच बताना। बताओगी ना!

मालिनी: जी पापा पूछिए ।

राजीव: ये बताओ कि कौन अच्छा चूसता है तुम्हारी बुर ,मैं या नूरी ? देखो तुमने कहा था कि जवाब दोगी।

मालिनी खड़ी हो गयी वहाँ से जाने के लिए। राजीव ने उसका हाथ पकड़ा और उसको बिठाकर बोला: जवाब दो ना?

मालिनी : आआऽऽऽप । बस अब जाने दीजिए। प्लीज़।

राजीव: देखो मेरे चूसने से ज़्यादा मज़ा आया ना ? फिर उस मज़े को रोज़ लेने में क्या बुराई है बेटी? और सच कहता हूँ एक बार मेरे से चुदवा लो फिर हमेशा के लिए मेरी भी हो जाओगी। बोलो क्या कहती हो? वह अभी भी उसका हाथ पकड़े हुए था। मालिनी की छातियाँ कड़ी होने लगी। उसके बुर में भी खुजली मचने लगी थी।

राजीव: बेटी, एक बार और मुझे बुर चूसने दो। मैं बड़े प्यार से चूसूँगा। और सच कहता हूँ कि चोदने को कोशिश नहीं करूँगा। प्लीज़ एक बार अपनी बुर चुसवा लो। ये कहते हुए उसने सलवार के ऊपर से उसकी बुर सहला दी जो कि गीली हुई जा रही थी। मालिनी ने हिलने की कोशिश की पर जैसे पैर में पत्थर भर गए थे, वो हिले ही नहीं। राजीव की उँगलियाँ उसकी सलवार के ऊपर से बुर के अंदर उँगलियाँ घुसेड़कर वह उसको मस्ती से भर रहा था।

जब राजीव ने देखा कि उसका विरोध अब कम हो गया था तो वह इसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसको नीचे गिरा कर वह ज़मीन पर आकर उसकी जाँघों के बीच आकर उनको फैलाया और उसकी बुर को सूँघा और बोला: ह्म्म्म्म्म क्या मस्त गंध है बेटी , उफफफ । फिर वो उसको चूमने लगा। उसने पूरी फाँक अपने मुँह में लेकर चूसा और बाद में उसकी बुर की फाँकों को अलग किया और उसकी गुलाबी बुर को जीभ से कुरेदने लगा। मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके अपनी गाँड़ उछालकर उसके मुँह में रगड़ने लगी। आऽऽऽ पाआऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइइ मैं मरीइइइइइइइइइ। उईइइइइइइइइइ माँआऽऽऽऽऽऽ।

अचानक राजीव ने अपना मुँह नीचे किया और उसकी गाँड़ के छेद को चाटने लगा। मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी आऽऽऽह क्या कर रहे हैं। हाऽऽऽययह । राजीव अब उसकी गाँड़ के छेद को भी जीभ से कुरेदने लगा। वह मस्ती से भर के उफफफफ कर उठी। फिर वो अपनी जीभ वापस से उसकी बुर में डाला और चोदने लगा। अब उसने एक थूक लगी ऊँगली उसकी गाँड़ में डाल दी और उसे भी अंदर बाहर करके उसे मस्ती से भरने लगा।

अब मालिनी की बुर में उसकी दो उँगलियाँ और उसकी गाँड़ में एक ऊँगली अंदर बाहर हो रहीं थीं और उसकी जीभ उसकी clit से छेड़छाड कर रही थी। मालिनी अपनी गाँड़ उछालकर अपनी जाँघों को चिपका कर राजीव के सिर को दबाने लगी और आऽऽहहहह पाआऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽपा जीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी। राजीव उसका रस पीता गया। फिर राजीव ने उसकी सलवार उठाई और उसकी जाँघें फैलाकर उसकी पूरी गीली जाँघें और बुर को पोछा और फिर वहाँ चूमने लगा।
अब अपना मुँह उठाकर उसकी आँखों में झाँकते हुए कहा: बेटी, उफफफ क्या क़यामत ढा रही है तुम्हारी बुर। फिर उसे अपनी हथेली से सहला कर कहा: ऐसी सुंदर और चिकनी बुर किसे ना पागल कर देगी। बेटी, कब होगी ये मेरी भी? बताओ ना? वह फिर से बुर को चूम लिया।

मालिनी झड़ने के बाद थकी हुई बैठी थी बोली: आऽऽऽह पापा जी मुझे अब छोड़िए। बाथरूम जाना है।

राजीव खड़ा हुआ तो उसकी लूँगी से फूला हुआ लौड़ा अलग से हो दिखाई से रहा था । पता नहीं उसे क्या सूझा कि वह नीचे से नंगी मालिनी को गोद में उठाकर उसके बाथरूम में ले गया और टोयलेट की सीट पर बिठा दिया। फिर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा उसके मुँह के सामने झूला दिया। मालिनी का मुँह खुला और उसने लौड़े को उसके होंठों पर रगड़ा और वो उसके लौंडे को चूसने लगी। राजीव अपनी कमर हिलाकर मानो उसके मुँह को चोदने लगा। तभी सीसी की आवाज़ आइ और वो समझ गया कि मालिनी मूत रही है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था कि उसकी प्यारी बहु मूत रही है और उसका लौड़ा भी चूस रही है। अब वो अपने दोनों हाथ उसकी क़ुर्ती के ऊपर से उसकी मस्त छातियों पर रखा और उनको दबाते हुए अपनी कमर दबाकर उसके मुँह को चोदने लगा। अचानक मालिनी ने अपना हाथ उसके बड़े बड़े बॉल्ज़ के नीचे रख कर उनको पकड़ा और उनको सहलाने लगी। अब राजीव के लिए अपने आप को रोकना मुश्किल हुआ और वो आऽऽहहहह बेएएएएएएटी कह कर झड़ने लगा। मालिनी मज़े से उसका रस पीते चली गयी और आख़िर तक उसको चूसती रही। फिर अपनी जीभ से उसके लौड़े को साफ़ किया। अब राजीव शांत होकर मालिनी के गाल को चूमा और प्यार करते हुए बोला: आऽऽह थैंक्स बेटी। आज जो तुमने मुझे सुख दिया है मैं कभी नहीं भूलूँगा। तुम्हारा मूतना हो गया क्या? मुझे भी मूतना है।

मालिनी राजीव के बड़े लटके लौंडे को देखकर उठी और उसके पहले हैंड शॉवर से अपनी बुर और गाँड़ में पानी डाली। उसके हटने के बाद राजीव उसके हाथ को अपने लौड़े पर रखा और बोला: बेटी हमको सू सू करवाओ ना।

मालिनी मुस्कुराती हुई उसके लौड़े को कोमोड की ओर मोड़ा और वो मूतने लगा। मालिनी की आँखें उसके लौड़े से हट ही नहीं पा रही थी। अब वो पिशाब करके हटा और मालिनी को बाहों में भरकर चूमा और बोला: थैंक्स मेरी बच्ची , आज का दिन मेरे जीवन का बहुत ही सुंदर दिन है।

मालिनी: पापा जी अब आप चलिए। अभी शिवा आने वाले होंगे।

राजीव मुस्कुराकर फिर से ज़मीन पर बैठा और उसकी क़ुर्ती को उठाकर उसकी पानी से गीली बुर को एक तौलिए से सुखाया और फिर से उसको चूमा और फिर खड़े होकर वो उसके गाल को चूमकर अपने कमरे में चला गया।

मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले। फिर वह बिस्तर पर बैठकर दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचने लगी। कैसे वो सुबह कुछ सोचती है और शाम तक क्या से क्या हो जाता है। पर इसमें कोई शक नहीं था कि पापा जी से मज़ा लेना ही होगा। उफफफफ क्या सुख देते हैं। उनको अपने मज़े से ज़्यादा मेरे मज़े की चिंता रहती है। कितने मर्द होंगे पापा जी जैसे । इसकी आँखें थकान से बोझिल होने लगी। वह उन लमहों को फिर से जीने लगी जब पापा जी ने उसकी जाँघों के बीच अपना मुँह डाला हुआ था और वो आनंद के समुद्र में गोते लगा रही थी। उफफफ क्या अपार सुख था उन लमहों का जब वो उसकी बुर और गाँड़ दोनों बड़े प्यार से चाट रहे थे उसका हाथ अपने आप ही अपनी बुर पर चला गया।

उधर राजीव भी आज बहुत ख़ुश था । उसे लग रहा था कि उसका लौड़ा मालिनी की बुर से अब सिर्फ़ दो क़दम ही दूर है। वो भी अपना लौड़ा सहला कर चुदाई के सपने देखने लगा था।

रात को खाना खाने के बाद शिवा को उसने बुर चूसने को कहा और वह बुर चूसवाते हुए तुलना करने लगी पापा और शिवा के चूसने की कला में। उफ़्फ़्फ़क पापा जी की बात ही कुछ और है। आऽऽंहहह क्या मज़ा दिए थे। फिर वह उसको हटाई और ख़ुद उसका लौड़ा चूसने लगी। बाद में चुदाई के बाद वो सोचने लगी कि आख़िर क्या किया जाए। पापा जी को और आगे बढ़ने दूँ या नहीं? वो अभी भी ऊहापोह में ही थी। फिर वह नींद की आग़ोश में चली गयी।

अगले दिन वो नायटी पहनने लगी तभी उसे ख़याल आया कि पेटिकोट नीचे पहने या नहीं? वो जानती थी कि पापा जी तो ध्यान से देखेंगे और कामेंट्स भी देंगे। सो उसने एक सलवार क़ुर्ती पहनी और नीचे ब्रा भी पहन ली। पैंटी तो वो पहनती ही नहीं थी घर पर। वो बाद में पापा जी को चाय के लिए आवाज़ दी और राजीव आकर उसको बाहों में लेकर चूमा और गाल पर प्यार किया। मालिनी ने उसे धीरे से हटाया और चाय दी। मालिनी की ठंडी प्रतिक्रिया को देखकर राजीव फिर से सोचने लगा कि ये गिरगिट तो आज लगता है फिर से रंग बदल रही है। वह चुपचाप चाय पीने लगा।

बाद में राजीव ने नूरी को फ़ोन किया और बोला: यार ये बहु तो फिर आज ठंडी दिखाई दे रही है। क्या किया जाये?

नूरी: ओह ऐसा क्या? एक काम करती हूँ डैड मतलब मेरे ससुर और सास को कहती हूँ कि वो मुझे फ़ोन करें और उसके सामने अश्लील बातें करें ताकि ये थोड़ा सा सोच में पड़ जाए और उत्तेजित भी हो जाए।

राजीव ख़ुश होकर: हाँ ये ठीक रहेगा।

नूरी: एक बात है कि आप उसके साथ किसी क़िस्म की ज़बरदस्ती मत कीजिएगा वरना सब काम ख़राब हो जाएगा।

राजीव: अरे नहीं मैं ऐसा कुछ नहीं करूँगा। ठीक है फिर दोपहर को मिलते हैं। बाई।

राजीव खाना खाते हुए भी मालिनी से इधर उधर की बात ही किया । और पूछा: सरला से बात हुई क्या हाल में?

मालिनी : जी पापा कल बात हुई थी । सब मज़े में हैं वहाँ।

राजीव: इधर आने का कोई प्लान नहीं बनाया क्या उन लोगों ने?

मालिनी: अभी तो ऐसा कुछ कहा नहीं। फिर मुस्कुराकर बोली: मैंने भी आने को नहीं कहा वरना आपके और नूरी के रंग में भंग पड़ जाता।

राजीव हँसकर: सही कहा तुमने। अब नूरी के भी वापस जाने का समय आ रहा है। कल बोल रही थी कि तीन दिनों में वापस चली जाएगी।

मालिनी: उसका काम तो बन चुका होगा अब तक?

राजीव: बेटी, ये सब तो भगवान के हाथ में है। हाँ मैंने पूरी कोशिश की है कि वो माँ बन जाए। अब इसका नतीजा तो कुछ दिनों बाद ही मिलेगा। वैसे अगर रानी के केस से नूरी की तुलना करें तो नूरी का चान्स सौ प्रतिशत है क्योंकि वो एक बार मॉ बन चुकी है और दूसरे उसका खान पान उस ग़रीब रानी से बहुत बेहतर है।

मालिनी हँसकर : पापा जी अब आप इसकी फ़ीस लेनी शुरू कर दीजिए। हा हा ।

राजीव: मेरी फ़ीस तो चुदाई ही है। इतनी जवान लड़की मज़े से चुदवाती है और क्या चाहिए।

मालिनी हँसने लगी। फिर वो उठकर अपने कमरे में चली गयी। थोड़ी देर में नूरी आ गयी अपने बच्चें के साथ। वो मालिनी के कमरे में बच्चे को सुलाकर बोली: फिर पापा जी के साथ बात आगे बढ़ी?

मालिनी: क्या दीदी कुछ भी बोल रही हो?

नूरी: कल तो अंकल ने तुम्हारे सामने ही मुझे चोद दिया था। तो मैं सोची कि बाद में शायद तुमको भी पकड़े होंगे।

मालिनी: नहीं ऐसा कुछ नहीं हुआ। आप व्यर्थ ही कल्पना कर रही हैं।

नूरी: अच्छा मैं अंकल के पास जाती हूँ, अपनी माँ बनने के अभियान को पूरा करने। वो ये कहकर वो हँसते हुए आँख मारकर बाहर चली गयी।

नूरी राजीव के कमरे में पहुँची और उसके ऊपर जाकर चढ़ गयी और उसके होंठ चूमने लगी। राजीव के हाथ उसके शरीर पर घूमने लगे। जल्दी ही वो चुदाई में लग गए। चुदाई के बाद राजीव हाँफते हुए बोला: नूरी अपने डैड और मॉम से बात हो गयी?

नूरी : हाँ हो गयी मैं जैसे ही मिस्ड कॉल दूँगी वो फ़ोन करेंगे। और अश्लील बातें करेंगे। तो मैं चलती हूँ आप भी आ जाओ।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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नूरी बाहर जाने के पहने बिना ब्रा के अपनी टी शर्ट और बिना पैंटी के स्कर्ट पहनी और बाहर आकर मालिनी से बोली: मैं चाय बनाती हूँ। ठीक है ना?

मालिनी: अरे आप क्यों बनाओगी? मैं बनाती हूँ।

नूरी : ये तो सो रहा है चलो दोनों बनाते हैं। वो दोनों किचन में गयीं तो राजीव भी आवाज़ लगाया: मैं भी चाय पीयूँगा ।

जब सब सोफ़े पर बैठे थे तो चाय पीते हुए राजीव बोला: नूरी तुम कल बोल रही थी ना कि वापिस जाना है। क्या हुआ कोई बात हो गयी है ससुराल में?

नूरी: अरे नहीं अंकल, वो बस मेरे ससुर और सास मुझे मिस कर रहे हैं। और यहाँ भी तो अब तक सब कुछ हो ही चुका होगा जो होना है। वो अपने पेट पर हाथ फेर कर बोली। राजीव भी उसके पेट पर हाथ फेरकर बोला: सच में बेबी आ गया होगा भगवान ने चाहा तो। अब वह उसकी जाँघ सहलाने लगा। और उसने उसे इशारा किया कि वो मिस्ड कॉल करे। नूरी ने मालिनी की आँखें बचाकर मिस्ड कॉल किया और फिर फ़ोन काट दिया।

अब नूरी का फ़ोन बजा और वो उसे देखकर बोली: अरे आज डैड को मेरी याद कैसे आ गयी। फिर वह चाय पीते हुए फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर बोली: हेलो डैड कैसे हैं?

डैड: अरे बहु कैसी हो?

नूरी: जी डैड ठीक हूँ। मॉम ठीक है ना? और ये भी ठीक हैं ना?

डैड: अरे यहाँ सब ठीक है। तुम अपनी बताओ बेटी, चुदाई कैसी चल रही है अंकल से ? कितनी बार चोदतें हैं एक दिन में?
मालिनी यह सुनकर सन्न रह गयी।
नूरी: दो बार तो चोद ही लेते हैं। और उतना ही मज़ा देते हैं जितना आप देते हैं। और उनका लौड़ा भी आपकी तरह ही काफ़ी बड़ा है। यह कहते हुए उसने राजीव की लूँगी से उसका लौड़ा पकड़ लिया और उसको दबाने लगी। राजीव ने भी उसकी टी शर्ट उठा दी और उसकी बड़ी बड़ी नंगी चूचियाँ दबाने लगा।

मालिनी यह देख और सुनकर थोड़ी उत्तेजित होने लगी।

डैड: और बेटी ,अब तक तो तुम प्रेगनेंट हो गयी होगी?

नूरी : हाँ डैड अब तक तो हो चुकी होंगी। पर मैं कोई चान्स नहीं लेना चाहती इसलिए पूरा अन्सेफ़ पिरीयड में चुदवा कर ही आऊँगी। उसने लूँगी से लौंडा बाहर निकाल कर इसको सहलाने लगी। मालिनी की बुर अब गीली होने लगी थी।

डैड: चलो अब जल्दी से वापस आओ । मेरा लौड़ा तुम्हारी बुर की याद मे बार बार खड़ा होता रहता है ।

नूरी: डैड मैं मॉम को तो वहाँ छोड़ कर आयी हूँ। उनको नहीं चोद रहे हैं क्या?

डैड: अरे बेटी, उसकी ढीली बुर में अब मज़ा नहीं आता।

नूरी राजीव के लौड़े को सहलाते हुए बोली: पर डैड उनकी गाँड़ तो आपको पसंद है ना? फिर क्या समस्या है?
तभी राजीव ने उसकी स्कर्ट उठायी और उसकी बुर को सहलाने लगा।
मालिनी उसकी बातें सुनकर और ये सब देखकर हैरानी और उत्तेजना से भर रही थी। उसका हाथ अपनी बुर पर चला गया।

डैड : अरे फ़ोन क्यों छीन रही हो? अच्छा बेटी,अपनी मॉम से बात करो।

मॉम : बेटी। वापस आ जा जल्दी से ।इन्होंने तो मेरे जीना मुश्किल कर रखा है। दिन भर मेरी गाँड़ मारते रहते है। उफ़ क्या बताऊँ। पहले बुर चोदतें है और फिर साथ में गाँड़ भी मार लेते हैं। मेरी हालत ख़राब हो गयी है।

नूरी: ओह डैड आप भी ना। बंद करिए मॉम को तंग करना। मैं जल्दी ही वापस आऊँगी और आपको पहले की तरह मज़ा दूँगी। मॉम बस कुछ दिन की बात है ।

मॉम : चलो कोई बात नहीं बस जल्दी से प्रेगनेंट हो जाओ और वापस आ जाओ ।

नूरी : ठीक है मॉम। बस तीन दिन में आती हूँ।

मॉम : अच्छा चल रखती हूँ। कहते हुए फ़ोन काट दिया।

अब राजीव का लौड़ा उसकी मूठ्ठी में खड़ा था। राजीव मालिनी से बोला: बेटी ज़रा तेल लाना तो। मालिनी जाके तेल लेकर वापस आयी और वहाँ का नज़ारा देखकर सन्न रह गयी। राजीव ने नूरी की स्कर्ट निकाल दी थी और वह सोफ़े को पकड़कर आगे को झुकी हुई थी और राजीव नीचे बैठ कर उसकी भूरि गाँड़ चाट रहा था। मालिनी के हाथ में तेल देखकर वह उठा और मालिनी से लौड़े पर तेल गिराने को कहा। मालिनी कांपते हाथ से तेल उसके लौड़े पर गिराई। फिर वह अपने लौड़े पर तेल मला और दो उँगलियों में तेल लगाया और उसकी गाँड़ में डालकर अंदर बाहर करने लगा। फिर उसने मालिनी के सामने ही अपने लौड़े को नूरी की खुली हुई गाँड़ में डाल दिया। नूरी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कर उठी।

मालिनी के सामने ही उसने नूरी की गाँड़ मारनी शुरू कर दी। मालिनी उसके लौड़े को नूरी की गाँड़ के अंदर बाहर होते देख कर मूर्ति बनकर वहीं खड़ी रह गयी और उत्तेजना वश अपनी बुर को खुजा दी। उसे गरम होते हुए देखकर राजीव ने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने पास खींच लिया और उसकी चूचियाँ दबाने लगा।अब वो एक हाथ से नूरी की कमर पकड़कर उसकी गाँड़ मार रहा था और दूसरे हाथ से क़ुर्ती के ऊपर से मालिनी की चूचियाँ बारी बारी से दबा रहा था।

मालिनी भी बहुत गरम हो कर अपनी बुर खुजा दी। तब राजीव ने नूरी की गाँड़ में धक्के मारते हुए कहा: बेटी। ज़रा सलवार उतार दो। तुम्हारी बुर खुजा दूँगा।

मालिनी उत्तेजना वश जैसे सोचने समझने की शक्ति ही खो बैठी थी। उसने चुपचाप अपनी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उसके पैर चूमने लगी। राजीव ने अब अपना हाथ उसकी बुर पर रखा और उसमें ऊँगली डालकर मालिनी को मज़े से भरने लगा। उधर नूरी भी अब जोश में आकर अपनी गाँड़ राजीव के पेट पर दबाने लगी ताकि पूरा लौड़ा उसकी गाँड़ में जड़ तक समा जाए। अब नूरी की सिसकियाँ गूँज रहीं थीं : आऽऽऽऽऽहहहह फ़ाआऽऽऽऽऽऽड़ दो मेंरी गाँड़ आऽऽऽऽऽऽऽह। आऽऽऽऽप वहाँ झड़नाआऽऽऽऽऽऽ नहीं आऽऽऽहहह। पाआऽऽऽऽऽनि बुर में ही छोओओओओओओओड़ना। ह्म्म्म्म्म्म ।

अब राजीव ने अपना लौड़ा बाहर निकाला। उफफफफ कितना मोटा लग रहा था वो मालिनी सोची। फिर उसने मालिनी से उसकी चुन्नी माँगी जो उसने दे दी। राजीव ने अपने लौड़े को मालिनी की चुन्नी से अच्छी तरह से साफ़ किया और फिर नूरी को दीवान में पटककर उसकी टाँगें उठाकर अपना लौड़ा एक ही झटके में डालकर बुरी तरह से चोदने लगा। मालिनी को अपनी जगह से उसका लौड़ा उसकी बुर में अंदर बाहर होते साफ़ साफ़ दिख रहा था और उसके बड़े बॉल्ज़ उसकी गाँड़ के छेद का मानो चुम्बन ले रहे थे। मालिनी की उँगलिया अब तेज़ी से बुर में चल रही थीं। नूरी भी पागलों की तरह चिल्ला कर उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ हाऽऽऽऽऽऽय चोओओओओओओदो कहकर झड़ने लगी। राजीव भी अब अपना पानी उसकी बुर में गिराने लगा।

राजीव ने सिर उठाकर देखा कि मालिनी अब उत्तेजना वश अपनी बुर में ऊँगली डाल रही थी। वो मुस्कुराया और नूरी को बोला: ज़रा उसकी बुर चाट दो ना। नूरी उठकर मालिनी को सोफ़े में गिराई और उसकी टांगों के बीच ज़मीन में बैठी और उसकी बुर चाटने लगी। अब मालिनी आऽऽऽहहह करने लगी और अपनी कमर उछालकर उसके मुँह में दबाने लगी तभी राजीव उठा और उन दोनों के पास आया और मालिनी की चूचि दबाने लगा। मालिनी हाऽऽऽऽऽय करके मज़े से भर गयी।

अब जो हुआ उसकी किसी ने कल्पना किसी ने नहीं की थी यहाँ तक कि मालिनी ने भी नहीं की थी।

अचानक मालिनी बोली: आऽऽऽँहह पापा जी अब आप चूसिए मेरी बुर आऽऽऽऽऽहहह आऽऽऽऽप बहुत अच्छाआऽऽऽऽ चूसते हैं हाऽऽऽय्यय पापा जी चूसियेएएएएएएए ना प्लीज़।

राजीव नूरी को हटाया और ख़ुद नीचे बैठ कर अपना मुँह उसकी बुर में रखा और उसकी बुर चूसने लगा। साथ ही वो उसकी गाँड़ में ऊँगली भी डालकर हिलाने लगा। अब मालिनी की सिसकियाँ चरम सीमा पर आने लगीं और वो उफ़्ग्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर गाँड़ उछाल कर झड़ने लगी। राजीव भी उसकी रस की धार को पीने लगा। राजीव ने अब अपना मुँह उसकी बुर से और ऊँगली गाँड़ से निकाला। मालिनी अब भी नीचे से नंगी अपनी जाँघें फैलायी लेटीं हुई थी ।

अब राजीव उठते हुए उसकी बुर का और गाँड़ का एक एक चूम्मा लिया और बोला : बेटी, ये दोनों कब दोगी चोदने के लिए।

मालिनी अब शर्मा रही थी क्योंकि उसकी वासना अब शांत हो चुकी थी। उसने अपनी सलवार हाथ में ली और अपने कमरे की ओर भाग गयी।

राजीव: नूरी क्या लगता है? अब चुदवाएगी ये, या और नख़रे करेगी?

नूरी: मुझे तो लगता है कि अब जल्दी ही चुदवा लेगी। आज तो पहली बार मेरे सामने आपको ख़ुद बोली चूसने के लिए।

राजीव: सच मैं मुझे तो विश्वास ही नहीं हुआ जब वो ख़ुद बोली कि पापा जी मेरी बुर चूसो। आऽऽऽऽऽह मारे कानों को कितना अच्छा लगा। और अब मेरे कान ये सुनना चाहते हैं कि पापा जी मुझे चोदिए। और मैं उसे पागलों की तरह चोदूँगा। आऽऽऽऽँहह देखो सोच कर ही मेरा फिर से खड़ा होने लगा है।

नूरी हँसकर बोली: अंकल अब मैं और नहीं चुदवाऊँगी । दो बार चुदवा चुकी हूँ। आज के लिए बहुत है।

राजीव भी हँसकर: अरे नहीं अब तुमको और तंग नहीं करूँगा।

फिर नूरी तय्यार होकर चली गयी। राजीव कुछ सोचकर मालिनी के कमरे में गया । वहाँ मालिनी बिस्तर पर करवट लेकर लेटी हुई थी। उसकी पीठ दरवाज़े की तरफ़ थी। राजीव अंदर आया और उसकी गाँड़ के उभार को देखा जो क़ुर्ती के ऊपर उठ जाने के कारण मस्त उभरी हुई दिख रही थी। उसकी गोरी कमर भी नंगी दिखाई दे रही थी। उसका लौड़ा टाइट होने लगा। अब वह आकर बिस्तर पर बैठा तो मालिनी को लगा कि कोई है । वह सीधी हुई और उसके सामने पापा जी को देख कर चौकी और बोली: पापा जी आप ? कुछ चाहिए क्या? मुझे आवाज़ दे देते।
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Re: बहू नगीना और ससुर कमीना

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राजीव झुका और उसके गाल को चूमकर बोला: बेटी, मुझे तो तुमसे एक ही चीज़ चाहिए और वो है ये। यह कहकर वो उसकी बुर पर सलवार के ऊपर से सहला दिया।

मालिनी: उफफफफ पापा जी अभी तो इसको चूसा है आपने। अब फिर से वही चाहिए।

राजीव: बेटी, चूसने और चोदने में बहुत फ़र्क़ है। जैसे चूसवाने में मज़ा आया है ना , वैसे ही एक बार चुदवा कर देख लो और भी ज़्यादा मज़ा आएगा मेरी रानी बेटी। वह अब भी उसकी बुर सहला रहा था।

अब मालिनी उठी और बोली: पापा जी मुझे समय चाहिए प्लीज़ । मैं अभी भी मानसिक रूप से इसके लिए तय्यार नहीं हूँ। नूरी का पति उसको सेक्स का सुख नहीं देता और उसका वो भी पतला है और ना ही उसको माँ भी बना पाता है। इसलिए उसके पास कारण है पति से बात छिपाने का और उसे धोका देने का। पर पापा जी आप ही बताइए कि मेरे पास क्या कारण है शिवा को धोका देने का। वो तो मुझे पूरी तरह से संतुष्ट करते हैं ,उनका भी आपके जैसा ही बड़ा भी है, फिर क्यों धोका दूँ मैं उनको? सच में मैं बहुत ही उलझन में हूँ। प्लीज़ पापा जी अभी भी मैं तय्यार नहीं हूँ इसके लिए।

राजीव: अच्छा एक बात बताओ , कि तुम मुझसे बुर चूसवाने का और मेरा लौड़ा चूसने का कार्यक्रम तो बंद नहीं करोगी। या यह भी बन्द कर दोगी?

मालिनी: उफफफ पापा जी आप भी कैसे कैसे सवाल पूछते हैं।

राजीव: बेटी, और क्या पूछूँ ? चुदवाने को तो तुम अब भी तय्यार नहीं हो तो यही सही?

मालिनी: ठीक है पापा जी ये सब हम आगे भी करते रहेंगे। पर आप लिमिट क्रॉस नहीं करेंगे? ठीक है ना?

राजीव: ठीक है बेटी, पर एक बात और है कि मैंने अब तेरी चूचियाँ नहीं देखी हैं। एक बार उनको दिखा दे और चुसवा ले।

मालिनी: पापा जी वो बिलकुल नहीं हो सकता। असल में मेरी छातियाँ मेरी सबसे बड़ी कमज़ोरी है। अगर वो आपने नंगी करके दबायीं और चूसीं तो मैं इतना गरम हो जाऊँगी कि बिना चुदवाए रह ही नहीं पाऊँगी। और वो अभी मैं नहीं चाहती इस समय।इसलिए प्लीज़ आप मुझे इसके लिए मजबूर नहीं करिएगा।

राजीव: ठीक है जैसा तुम चाहोगी बेटी वैसा ही होगा। पर इनको इस तरह से कपड़ों के ऊपर से तो सहला सकता हूँ ना? वो उसकी चूची दबाकर बोला ।

मालिनी अब मुस्कुरा कर बोली: ये तो आप करते है ही रहते हैं । चलिए अब चाय बनाती हूँ। मुझे उठने दीजिए ना।

राजीव ने उसे छोड़ दिया और बोला: सच में बेटी, अब चाय पीने की बड़ी इच्छा हो रही है। चलो मैं भी तुम्हारी मदद करता हूँ।

मालिनी हँसी और बोली: आप किचन में आए तो मुझे सब जगह से दबाएँगे। चाय तो बनाने नहीं देंगे। आप सोफ़े पर बैठिए मैं अभी चाय बनाकर लाती हूँ।

राजीव हँसते हुए सोफ़े पर बैठा और चाय का इंतज़ार करने लगा। उसे लगा कि बात सही दिशा में जा रही है लगता है जल्दी ही काम बन जाएगा।

उधर मालिनी चाय बनाते हुए सोच रही थी कि पापा जी को आज उसने जो छूट दी है उसका अंत क्या होगा? वो सोचने लगी कि वो क्या करे ? अगर पापा जी को चूस कर भी शांत नहीं किया तो वो फिर से दूसरी शादी की बात करेंगे। और वो ऐसा किसी भी क़ीमत पर होने नहीं दे सकती थी। उसका बदन भी पापा जी से मिलन के लिए लगभग तय्यार ही था बस उसकी अपराध भावना उसे चुदवाने से रोक रही थी। वो चाय बनाई और लेकर ड्रॉइंग रूम में आयी जहाँ उसका ससुर या आशिक़ उसका इंतज़ार कर रहा था।

मालिनी चाय लेकर आयी और राजीव को दी। दोनों आमने सामने बैठ कर चाय पीने लगे।
राजीव: बेटी, नूरी तो लगता है कि तीन दिन में चली जाएगी। अब तक तो तुमको मैं मना नहीं पाया हूँ चुदवाने के लिए। अब क्या मैं तुम्हारी मम्मी सरला को बोल दूँ तीन दिनों के बाद जब भी सुविधा हो आ जाए एक हफ़्ते के लिए । क्या कहती हो?

मालिनी सब समझ रही थी कि ये भी उसके ऊपर दबाव डालने का एक तरीक़ा है पापा जी का । पर वह सामने से बोली: आप देख लीजिए। ये तो आप दोनों के बीच की बात है । इसमें मैं भला क्या कह सकती हूँ।

राजीव: पर अगर वो आ गयी तो मैं जो तुमसे अभी ओरल सेक्स कर रहा हूँ वो भी बंद हो जाएगा।

मालिनी: तो क्या हुआ । मम्मी तो आपको ओरल के अलावा टोटल सेक्स भी देगी। आपको क्या फ़र्क़ पड़ेगा?

राजीव: और तुमको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा?

मालिनी: पापा जी मेरे लिए शिवा है ना। आप क्यों उनको भूल जाते है।

राजीव: हाँ है तो। पर तुम कहती हो ना कि मैं ही तुम्हारी बुर सबसे अच्छी चूसता हूँ। फिर क्या करोगी?

मालिनी मुस्कुराकर: इंतज़ार करूँगी मम्मी के वापस जाने का।

राजीव भी मुस्कुरा कर बोला: बड़ी बदमाश हो गयी हो। फिर से प्यार आ रहा है तुम पर।

मालिनी हँसती हुई: आपका बस चले तो मुझे दिन भर ही प्यार करते रहें। पर मुझे बहुत काम है और अभी बाई आएगी और खाना भी बनाना है। ये कहकर वो किचन में चली गयी।

उस शाम या रात को और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को सामान्य चुदाई के बाद शिवा और मालिनी सो गए।

सुबह उठकर मालिनी ने ब्रा पहनी और एक नयी स्लीवलेस नायटी पहनी। पेटिकोट उठाई पहनने के लिए , फिर शरारत से मन ही मन मुस्करायी और उसे नहीं पहनी। पैंटी तो मानो उसने पहनना ही छोड़ दिया था। उसने शीशे में अपने आप को देखा तो वह ख़ुद ही अपने रूप पर मुग्ध हो गयी। एक तो वैसे ही दूधिया गोरा बदन और उस पर से स्लीवलेस नायटी से उसकी गदराई बाँहें जैसे क़यामत ढा रही थीं। और इस नायटी से थोड़ा सा कलिवेज भी दिख रहा था। गोरे गोरे गोलाइयों की झलक बहुत ही कामुक दृश्य प्रस्तुत कर रही थी। वह सोची कि बेचारे पापा जी का आज क्या होगा?

वो एक बार फिर से वाशरूम गयी और मूत कर अपनी बुर और गाँड़ को अच्छी तरह से धोयी। फिर उसे सुखाकर वह बाहर आकर किचन में जाकर चाय बनाई।

चाय बनाकर वह आवाज़ दी: पापाजी आइए चाय बन गयी है।

राजीव: बेटी, चाय आज यहीं दे दो। थोड़ा पैर में चोट लग गयी है।

मालिनी चाय लाकर: क्या हुआ पापा जी ? चोट कैसे लगी?

राजीव अभी ट्रैक सूट में ही था। वो बोला: बेटी, वॉक पर एक ऊँची नीची जगह में ठोकर लगी और गिर गया हूँ। थोड़ी सी छिल गयी है चमड़ी और कुछ नहीं।

मालिनी हँसते हुए: ज़रूर लड़कियों को देख रहे होंगे इसलिए रास्ते से ध्यान हट गया होगा।

राजीव: अरे बेटी, जिसके घर में तुमसी हसीन लड़की हो उसे बाहर देखने की क्या ज़रूरत है। वैसे आज ये नायटी तुम पर बहुत फ़ब रही है। वह उसकी नंगी बाँह सहला कर बोला।

मालिनी: मैं डेटोल लाती हूँ आप बताइए कहाँ खरोंच लगी है।

वह डेटोल लायी तब तक उसने अपनी क़मीज़ उतार दी थी और उसकी नंगी चौड़ी छाती उसके सामने थी जिसमें बाँह पर कुछ चोट के निशान थे। फिर उसने अपनी पैंट उतारी और अपनी चड्डी में आ गया। उसकी जाँघ और नीचे पिंडली पर भी चोट के
निशान थे।
राजीव अब चड्डी में था और चड्डी में से उसके बड़े बॉल्ज़ और आधा खड़ा लौंडा काफ़ी भरा हुआ से दिख रहा था और उसने रुई में डेटोल लिया और उसकी बाँह में लगाने लगी। वह बिस्तर पर बैठे हुए था। उसने हाथ बढ़ाकर मालिनी के मस्त चुतरों को सहलाया और बोला: बेटी , आज पेटिकोट नहीं पहना है इसलिए मस्त लग रहा है तुम्हारा पिछवाड़ा। उफफफ क्या नरम गाँड़ है। वह अब उसकी गाँड़ के छेद में ऊँगली डाल नायटी के ऊपर से बहुत ज़्यादा मस्त हो गया।

मालिनी चुपचाप अपनी गाँड़ में ऊँगली करवा रही थी और अब उसकी जाँघ में भी दवाई लगाई और अब तो उसकी चड्डी में से उसका लौंडा खड़ा होकर अचानक उसकी चड्डी से बाहर आ गया। मोटा सुपाड़ा बाहर आकर बाहर झाँक रहा था और उसके छेद से एक बूँद प्रीकम भी दिख रहा था। अब मालिनी की बुर भी गीली होने लगी।

राजीव: बेटी, जल रहा है, फूँक मारो ना।

मालिनी हँसकर : क्या पापा जी आप भी बच्चों जैसे हल्ला मचा रहे हैं। वो फूँक मारने लगी। अब वो नीचे बैठी और उसकी पिंडलियों में दवाई लगाई और तभी नीचे बैठी मालिनी की छातियाँ बैठने के कारण उसके घुटनों में दबी और काफ़ी सारी छाती का गोरा मांसल हिस्सा बाहर झाँक रहा था। अब राजीव हाथ बढ़ाकर उसके छातियों के नंगे हिस्से को सहलाने लगा। वह उनको दबा भी दिया। मालिनी अब गरम होने लगी। वह झट से खड़ी हुई और अब राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रख दिया। मालिनी भी मज़े से सुपाड़े को दबायी और उसकी प्रीकम को उसके सुपाड़े पर मलने लगी। फिर वह उसको अपनी गोद में खिंचा और उसकी छातियाँ दबाकर उसको चूम लिया। मालिनी हँसकर बोली: पापा जी ये क्या सुबह सुबह ही चालू हो गए। चलिए अभी छोड़िए ना, शिवा को भी उठाना है। प्लीज़ ।

राजीव : बाद में तो मज़ा दोगी ना?

मालिनी: अच्छा अगर मैं नहीं दूँगी मज़ा ,बोलती हूँ तो आप क्या मानोगे।

फिर वह हँसती हुई बोली: अच्छा अभी तो जाने दीजिए ना प्लीज़।

राजीव : ठीक है बेटी, चलो जाओ पर आज थोड़ी मस्ती करेंगे ठीक है ना, शिवा के जाने के बाद।

मालिनी बाहर जाते हुए बोली: वो तो आप करेंगे ही हा हा।

अब मालिनी शिवा को चाय देकर उसको भी उठाई। वो पेट के बल लेटे हुए था। मालिनी के उठाने से वो सीधा हुआ और मालिनी के सामने उसका खड़ा लौंडा था।

मालिनी: उसके लौंडे को दबा कर बोली: ये मॉर्निंग इरेक्शन है या सपने में किसी को चोद रहे थे?

शिवा उसको अपने ऊपर खींच कर गिरा दिया और बोला: अरे जागते हुए और सपने में भी सिर्फ़ तुमको ही चोदता हूँ।
अब दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। फिर मालिनी हँसकर बोली: चलो अब उठो और नहाओ।

शिवा: चलो ना साथ में नहाते हैं।

मालिनी: इतवार को हम साथ में नहा लेंगे। आपकी छुट्टी के दिन। ठीक है चलिए अब आप तय्यार हो जाओ।

शिवा उठके बाथरूम में चला गया। मालिनी किचन में जाकर बाई से काम करवाने लगी और नाश्ते की तय्यारी में लग गई।

शिवा के जाने के बाद बाई भी काम करके चली गई और मालिनी भी एक तौलिए से अपना पसीना पोंछने लगी। तभी राजीव लूँगी और बनयान में आया तो वह थोड़ा सा लँगड़ा रहा था । वह बोला: बेटी, कोई दर्द कम करने की दवाई दो। पैर दुःख रहा है।

मालिनी उठकर दवाई और पानी लाकर उसे दी जो वह खा लिया और मालिनी बोली: पापा जी डॉक्टर को दिखा दीजिए ना।

राजीव: बेटी, ज़रा सरसों का तेल गरम कर दो ना। जाँघ में मालिश करना पड़ेगा।

मालिनी तेल गरम करके लायी और नीचे ज़मीन पर बैठ गयी। उसने राजीव की लूँगी हटाई और उसकी जाँघ में तेल लगाने लगी। अब राजीव ने कहा: बेटी, लूँगी उतार देता हूँ वरना तेल लग जाएगा। यह कहकर उसने लूँगी निकाल दिया।

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