मेरा नाम राकेश है, मेरी पढ़ाई के बाद मुंबई में दस हजार रुपए की मेडिकल रेप्रिजेंटटिव की नौकरी लग गई थी।
मुझे औरतों को पटा कर और फंसा कर चोदने का शौक था। पाँच-छः औरतें पढ़ाई के समय से फंसी हुई थी, महीने में 4-5 बार उनसे चुदाई का मज़ा ले लेता था।
उनमें से एक औरत सीमा ने मुंबई में मेरी एक आदमी मोहन से बात कराई जो उसकी सहेली गीता का पति था और एक चाल में रहता था। मोहन से मेरा चार हजार रुपए में रहना और खाना तय हो गया। मैं मुंबई आ गया, मोहन मुझे लेने आ गया था।
35 साल का मोहन एक होटल में वेटर था। उसकी चाल में हम लोग आ गए। वहाँ उसकी बीवी गीता और वो अकेले रहते थे।
गीता करीब तीस बरस की होगी, दिखने में बुरी नहीं थी, चूचे मोटे-मोटे बाहर को निकले हुए थे और चुदाई में मस्त मज़ा देने वाली औरत लगती थी। बच्चे उनके गाँव में रहते थे। घर में सिर्फ एक कमरा, रसोई और छोटा सा बाथरूम था। बातचीत होने के बाद मैंने मोहन को एक महीने का पेशगी दे दिया।
रात को मोहन मुझे देसी दारु के अड्डे पर ले गया, मैं दारु नहीं पीता था पर मोहन ने एक बोतल देसी शराब की पी।
वापस आकर हम दोनों ने खाना खाया। रात को जमीन पर गद्दे बिछा कर हम सब सोने लगे। मुझे छोटे से कमरे मैं बड़ी बेचैनी हो रही थी। मैं थका हुआ था इसलिए मुझे जल्दी नींद आ गई।
थोड़ी देर बाद कमरे में हलचल की आवाज़ से मेरी नींद खुल गई।
गयारह बज़ रहे थे, मैंने पलट कर देखा तो मोहन गीता के ऊपर चढ़ कर उसके ब्लाउज के बटन खोल रहा था, उसने ब्लाउज उतार दिया था। मैं बगल में लेटा था, गीता की दोनों मोटी चूचियाँ बाहर निकल आई थीं।
मोहन उसकी चूचियाँ खोल कर दबाते हुए चूसने लगा।
मोटी मोटी दबती हुई नंगी चूचियाँ देखकर मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
इस बीच गीता ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल लिया और पेटीकोट ऊपर पेट तक चढ़ा लिया। मोहन ने अपनी लुंगी खोल दी।
गीता ने उसके लण्ड को हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर लगा लिया, मोहन ने जाँघों से जांघें चिपकाते हुए लण्ड अंदर को ठोका। एक उह… की आवाज़ सी गूंजी, लण्ड अंदर गीता की चूत में घुस चुका था।
मोहन अब गीता को चोद रहा था, गीता अब चुद रही थी और उसकी उह… उह… उह्ह… आह… और चोदो… उई… उई… जैसी आहें छोटे से कमरे में गूंज रही थीं। उसके दोनों स्तन मोहन ने पकड़ रखे थे, उन्हें मसल रहा था।
मैं महीने में 5-6 बार औरतों की चूत मारता था इसलिए मुझे औरत का स्वाद पता था। पिछले 15 दिन से मैंने किसी की चोदी भी नहीं थी। यह सब देखकर मेरा बुरा हाल हो रहा था, न मैं आँख बंद कर पा रहा था न पूरी तरह से खोल पा रहा था।
5 मिनट बाद दोनों का खेल ख़त्म हुआ। उसके बाद मोहन खर्राटे भरने लगा, गीता भी सो गई। मुझे नींद नहीं आ रही थी, मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मारी तब जाकर मुझे नींद आई।
अगले दिन मुझे नौकरी पर जाना था। सुबह सात बजे मैं उठ गया, गीता एक सस्ती सी धोती में उसी कमरे में कपड़े प्रेस कर रही थी। बिना ब्रा के ब्लाउज से उसकी दोनों चूचियाँ बाहर निकल रहीं थीं, जैसे कि पूछ रही हों कैसी लग रही हैं !
उसने मुझे और मोहन को नाश्ता कराया। मोहन सुबह साढ़े सात बजे जाता था और रात को आठ बजे तक आता था।
मोहन और हम एक ही ट्रेन से गए मेरा ऑफिस पास में था और फील्ड वर्क था। रात को मैं नौ बजे वापस आ गया। मोहन ने सबको यह बता रखा था मैं उसके चाचा का लड़का हूँ।
अगले दिन से मुझे सुबह नौ बजे निकलना था और मेडिकल रेप्रिजेंटटिव के काम से डॉक्टर्स से मिलना था।
अगले दिन शुक्रवार मोहन की छुट्टी थी, उसने बताया होटल में उसका ऑफ शुक्रवार को रहता है। मेरी छुट्टी रविवार को होती थी।
दो दिन बाद सन्डे को मेरा ऑफ था। शनिवार को मोहन ने मुझे बताया कि पास में सन्डे बाज़ार लगता है, कल गीता के साथ बाज़ार चले जाना।
अगले दिन सुबह सात बजे मोहन चला गया जब मेरी नींद खुली तब तक नौ बज़ रहे थे।
गीता मुझे देखकर बोली- मैं नहा कर आती हूँ।
गीता ने मेरे सामने ही अपनी साड़ी उतार दी और अंदर बाथरूम मैं चली गई। थोड़ी देर बाद बाहर निकल कर बोली- ओह, अंदर तो अँधेरा है, मैं तो भूल गई थी आज 9 से 10 बिजली बंद है।
मुस्कराते हुए बोली- अब तो अँधेरे में ही नहाना पड़ेगा !
और उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए उसकी आधी से ज्यादा चूचियाँ बाहर निकल आईं थीं।
मैं बाहर की तरफ जाने लगा।
गीता पेटीकोट का नाड़ा ढीला करते हुए मुस्करा कर बोली- आप बाहर क्यों जा रहे हैं, आप तो आप मेरे देवर हैं, यहीं बैठिये ना !
और उसने पीछे मुड़ कर अपना ब्लाउज़ उतार दिया, अपनी गर्दन घुमा कर बोली- इसे गंदे कपड़ों की डलिया में डाल दीजिए ना !
उसके मुड़ने पर मुझे उसकी एक चूची पूरी दिख गई थी ! क्या सुंदर स्तन था। देखकर लण्ड में पूरी आग लग गई थी !
इंतकाम की ज्वाला
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Re: इंतकाम की ज्वाला
उसके मुड़ने पर मुझे उसकी एक चूची पूरी दिख गई थी ! क्या सुंदर स्तन था। देखकर लण्ड में पूरी आग लग गई थी !
इसके बाद उसने अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा कर स्तनों को ढकते हुए बांध लिया, पीछे से उसकी मांसल जांघें और नंगी पीठ पूरी दिख रही थी।
मेरा लण्ड यह देख कर हथोड़ा हो गया था, मन कर रहा था कि पीछे से उसकी चूत में घुसा दूँ।
इसके बाद वो मेरी तरफ मुड़ी, उसने पेटीकोट अपने वक्ष पर बाँध रखा था, उसकी आधी चूचियाँ खुली हुई थीं और थोड़ी सी निप्पल भी दिख रही थीं, मुझे झुककर अखबार देकर बोली- आप अखबार पढ़ें, मैं जल्दी से नहा कर आती हूँ। उसके बाद चाय साथ पीयेंगे।
वो बाथरूम में घुस गई।
नहा कर जब वो बाहर आई तब मैं शेव बना रहा था, मेरी पीठ उसकी ओर थी, उसके बदन पर सिर्फ तौलिया बंधा हुआ था।
मेरे पीछे बेशर्म होते हुए उसने अपना तौलिया खोल लिया और दोनों स्तन खोलकर पोंछने लगी, शेविंग के शीशे में उसकी दोनों नंगी चूचियाँ हिलती हुई मुझे दिख रही थीं, मेरा लण्ड हिचकोले खा रहा था।
पेटीकोट पहनने के बाद स्तनों पर तौलिया डालकर वो मेरे सामने आकर बोली- भैया, चाय बना लेती हूँ, फिर हम दोंनो हाट चलते हैं। तौलिये में से हिलती अर्धनग्न चूचियाँ देखकर लण्ड लुंगी में पगलाने लगा था।
गीता भाभी चाय बनाकर मुझे चाय देने लगीं तो मेरा हाथ अनजाने में उनके स्तनों से टकरा गया। हाथ हटाते हुए मेरे मुँह से सॉरी निकल गया।
हँसते हुए गीता बोली- भैया, आप भी कितने शर्मीले हैं, जरा सा हाथ लग गया तो शरमा रहे हैं। इनके जीजाजी तो जब भी आते हैं, बार-बार जानबूझ कर मेरी गेंदें दबा देते हैं। वो तो मैं ज्यादा लिफ्ट नहीं देती, नहीं तो चोदे बिना नहीं छोड़ें।
गीता भाभी पेटीकोट में सामने बैठी हुई थीं, ऊपर सिर्फ उन्होंने तौलिया डाल रखा था, उससे केवल निप्पल ढकी हुई थीं, दोनों उरोज बगल से खुले दिख रहे थे।
गीता चहकते हुए बोली- इनका तो हाल ही मत पूछो ! आपने भी देख ही लिया होगा कि रात को रोज़ अपना लण्ड अंदर घुसा कर ही मानते हैं।
चाय पीते पीते मुझसे बोली- मैं तो सोच रही थी कि आप घर में रहेंगे तो कुछ हंसी मजाक करेंगे, लेकिन आप तो बहुत शर्मीले हैं। आपकी शर्म देखकर तो मेरे को भी शर्म आने लगी है। सीमा तो बता रही थी आपकी कई औरतों से यारी है, कुछ हमें भी किस्से बता दो ना।
मुझे लगा कि भाभी मस्ती के मूड में हैं, मैंने कहा- भाभी सच बताऊँ या झूठ?
भाभी अंगड़ाई लेते हुए बोली- जल्दी से सच बताओ !
अंगड़ाई लेने से उनका तौलिया सरक गया और उनका एक स्तन बाहर निकल आया जिसे उन्होंने हँसते हुए फ़िर से तौलिये से ढक लिया।
मैंने कहा- अब तक बीस से ज्यादा औरतों का स्वाद चख चुका हूँ। लेकिन जबरदस्ती किसी से नहीं की और जिसकी एक बार मार ली उसने दुबारा खुद कह कर अपनी चुदाई करवाई है।
भाभी बोली- सच?
बातचीत में भाभी ने जानबूझ कर तौलिया नीचे गिरा दिया, अब उनके दोनों सुंदर स्तन खुल कर बाहर आ गए थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने दोनों स्तनों को प्यार से पकड़ कर धीरे से दबाया और उनके चुचूक चूसते हुए कहा- आपकी चूचियाँ बहुत सुंदर हैं।
भाभी मेरे सर को सहलाते हुए बोलीं- याहू ! अब आया असली मज़ा !
रसीले स्तन दबाने और चूसने से मेरा लण्ड लुंगी में फड़फड़ा रहा था। गीता ने मेरी लुंगी की गाँठ खोल दी और मेरा लण्ड हाथ में पकड़ते हुए बोली- आह क्या मोटा लोड़ा है ! देवर जी इससे तो चुदने में मज़ा ही आ जाएगा।
गीता लेट गई और अपना पेटीकोट उठा कर बोली- एक बार चोद ही दो ! फिर दोस्ती पक्की हो जाएगी।
मैं बोला- नेक काम में देरी क्यों !
और उनकी चूत पर लण्ड लगा दिया। लण्ड पूरा अंदर तक एक बार में ही घुस गया।
गीता की आह कमरे में गूंज उठी।
हम दोनों अब चुदाई का खेल खेल रहे थे। लौड़ा बहुत देर से अंगड़ाई ले रहा था, उसने थोड़ी देर में ही हार मान ली और 18-20 धक्कों में ढेर हो गया।
मैंने गीता को अपनी बाँहों मैं चिपकाते हुए कहा- दूसरे राउंड में मज़ा ज्यादा आएगा।
गीता ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह मेरे लण्ड पर रख कर एक लण्ड पप्पी दी और बोली- अब तो इसकी दोस्ती मेरी फ़ुद्दी से हो गई है। आज इतने से ही काम चला लो, समय मिलने पर पूरा मज़ा करेंगे। यहाँ एक बार लफड़ा हो चुका है इसलिए सावधान रहना पड़ता है। मुझे मन मारकर उठना पड़ा।
हम दोनों तैयार होकर हाट में घर का सामान खरीदने चले गए।
इसके बाद उसने अपना पेटीकोट ऊपर चढ़ा कर स्तनों को ढकते हुए बांध लिया, पीछे से उसकी मांसल जांघें और नंगी पीठ पूरी दिख रही थी।
मेरा लण्ड यह देख कर हथोड़ा हो गया था, मन कर रहा था कि पीछे से उसकी चूत में घुसा दूँ।
इसके बाद वो मेरी तरफ मुड़ी, उसने पेटीकोट अपने वक्ष पर बाँध रखा था, उसकी आधी चूचियाँ खुली हुई थीं और थोड़ी सी निप्पल भी दिख रही थीं, मुझे झुककर अखबार देकर बोली- आप अखबार पढ़ें, मैं जल्दी से नहा कर आती हूँ। उसके बाद चाय साथ पीयेंगे।
वो बाथरूम में घुस गई।
नहा कर जब वो बाहर आई तब मैं शेव बना रहा था, मेरी पीठ उसकी ओर थी, उसके बदन पर सिर्फ तौलिया बंधा हुआ था।
मेरे पीछे बेशर्म होते हुए उसने अपना तौलिया खोल लिया और दोनों स्तन खोलकर पोंछने लगी, शेविंग के शीशे में उसकी दोनों नंगी चूचियाँ हिलती हुई मुझे दिख रही थीं, मेरा लण्ड हिचकोले खा रहा था।
पेटीकोट पहनने के बाद स्तनों पर तौलिया डालकर वो मेरे सामने आकर बोली- भैया, चाय बना लेती हूँ, फिर हम दोंनो हाट चलते हैं। तौलिये में से हिलती अर्धनग्न चूचियाँ देखकर लण्ड लुंगी में पगलाने लगा था।
गीता भाभी चाय बनाकर मुझे चाय देने लगीं तो मेरा हाथ अनजाने में उनके स्तनों से टकरा गया। हाथ हटाते हुए मेरे मुँह से सॉरी निकल गया।
हँसते हुए गीता बोली- भैया, आप भी कितने शर्मीले हैं, जरा सा हाथ लग गया तो शरमा रहे हैं। इनके जीजाजी तो जब भी आते हैं, बार-बार जानबूझ कर मेरी गेंदें दबा देते हैं। वो तो मैं ज्यादा लिफ्ट नहीं देती, नहीं तो चोदे बिना नहीं छोड़ें।
गीता भाभी पेटीकोट में सामने बैठी हुई थीं, ऊपर सिर्फ उन्होंने तौलिया डाल रखा था, उससे केवल निप्पल ढकी हुई थीं, दोनों उरोज बगल से खुले दिख रहे थे।
गीता चहकते हुए बोली- इनका तो हाल ही मत पूछो ! आपने भी देख ही लिया होगा कि रात को रोज़ अपना लण्ड अंदर घुसा कर ही मानते हैं।
चाय पीते पीते मुझसे बोली- मैं तो सोच रही थी कि आप घर में रहेंगे तो कुछ हंसी मजाक करेंगे, लेकिन आप तो बहुत शर्मीले हैं। आपकी शर्म देखकर तो मेरे को भी शर्म आने लगी है। सीमा तो बता रही थी आपकी कई औरतों से यारी है, कुछ हमें भी किस्से बता दो ना।
मुझे लगा कि भाभी मस्ती के मूड में हैं, मैंने कहा- भाभी सच बताऊँ या झूठ?
भाभी अंगड़ाई लेते हुए बोली- जल्दी से सच बताओ !
अंगड़ाई लेने से उनका तौलिया सरक गया और उनका एक स्तन बाहर निकल आया जिसे उन्होंने हँसते हुए फ़िर से तौलिये से ढक लिया।
मैंने कहा- अब तक बीस से ज्यादा औरतों का स्वाद चख चुका हूँ। लेकिन जबरदस्ती किसी से नहीं की और जिसकी एक बार मार ली उसने दुबारा खुद कह कर अपनी चुदाई करवाई है।
भाभी बोली- सच?
बातचीत में भाभी ने जानबूझ कर तौलिया नीचे गिरा दिया, अब उनके दोनों सुंदर स्तन खुल कर बाहर आ गए थे। मुझसे रहा नहीं गया मैंने दोनों स्तनों को प्यार से पकड़ कर धीरे से दबाया और उनके चुचूक चूसते हुए कहा- आपकी चूचियाँ बहुत सुंदर हैं।
भाभी मेरे सर को सहलाते हुए बोलीं- याहू ! अब आया असली मज़ा !
रसीले स्तन दबाने और चूसने से मेरा लण्ड लुंगी में फड़फड़ा रहा था। गीता ने मेरी लुंगी की गाँठ खोल दी और मेरा लण्ड हाथ में पकड़ते हुए बोली- आह क्या मोटा लोड़ा है ! देवर जी इससे तो चुदने में मज़ा ही आ जाएगा।
गीता लेट गई और अपना पेटीकोट उठा कर बोली- एक बार चोद ही दो ! फिर दोस्ती पक्की हो जाएगी।
मैं बोला- नेक काम में देरी क्यों !
और उनकी चूत पर लण्ड लगा दिया। लण्ड पूरा अंदर तक एक बार में ही घुस गया।
गीता की आह कमरे में गूंज उठी।
हम दोनों अब चुदाई का खेल खेल रहे थे। लौड़ा बहुत देर से अंगड़ाई ले रहा था, उसने थोड़ी देर में ही हार मान ली और 18-20 धक्कों में ढेर हो गया।
मैंने गीता को अपनी बाँहों मैं चिपकाते हुए कहा- दूसरे राउंड में मज़ा ज्यादा आएगा।
गीता ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह मेरे लण्ड पर रख कर एक लण्ड पप्पी दी और बोली- अब तो इसकी दोस्ती मेरी फ़ुद्दी से हो गई है। आज इतने से ही काम चला लो, समय मिलने पर पूरा मज़ा करेंगे। यहाँ एक बार लफड़ा हो चुका है इसलिए सावधान रहना पड़ता है। मुझे मन मारकर उठना पड़ा।
हम दोनों तैयार होकर हाट में घर का सामान खरीदने चले गए।
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Re: इंतकाम की ज्वाला
हाट से हम लोग जब वापस आए तो रास्ते में दो सुंदर और भरे बदन की औरतें बात कर रही थीं। उनमें से एक गीता से बोली- दीदी, मुझे आपसे बात करनी है, मैं अभी आपके कमरे में आती हूँ।
दूसरी औरत को देखकर गीता ने गंदा सा मुँह बनाया।
गीता मुझसे बोली- यह राखी है जो आने को कह रही है, मेरी सहेली है। दूसरी मुन्नी है, इस कुतिया मुन्नी के कारण ही मेरा लफड़ा हुआ था। दोनों के पति ट्रक पर काम करते हैं दोनों का मालिक एक ही है। पन्द्रह पन्द्रह दिन को बाहर चले जाते हैं।
मैंने गीता से कहा- दोनों मस्त माल हैं।
गीता आँख मारते हुए बोली- चोदने का मन कर रहा है?
मैं बोला- मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
गीता होंट दबाते हुए बोली- राखी की दिलवा दूँगी।
मैंने पूछा- मुन्नी से तुम्हारा क्या लफड़ा है?
तभी राखी ऊपर आ गई और गीता से बात करने लगी। उसके जाने के बाद गीता ने मुझे बताया- राखी के यहाँ मेहमान आए हुए हैं, वो आज रात हमारे यहाँ सोएगी।
मेरा हाथ दबाते हुए गीता बोली- चुदने को राजी है, हाजार रुपए लेगी, आज रात को ही चोद लेना।
रात को रेखा, गीता, मोहन भैया और मैं एक लाइन में सोए। रात को फिर मोहन गीता को चोदने लगा।
मेरा मन भी चोदने का कर रहा था मैं अपना लण्ड सहलाने लगा मैंने देखा राखी भी जग रही थी और यह सब देखकर अपनी साड़ी उठाकर चूत में उंगली कर रही थी। मन कर रहा था दबोच लूँ साली को।
चुदाई के बाद मोहन खराटे भरने लगा। गीता ने करवट ली और राखी के कान में फुसफुसाई और बोली- जाकर राकेश के पास लेट ले, यह बार बार चूत में उंगली क्या कर रही है, आराम से चुद, इनकी चिंता मत कर, इनको को तो अब दो डंडे भी मारोगे तब भी नहीं उठेंगे।
राखी चुपचाप उठकर मेरे पास आकर लेट गई।
मैंने मुड़कर अपना हाथ उसकी नाभि पर रख दिया।
थोड़ा सहलाने पर राखी ने हाथ उठाकर अपनी चूचियों में घुसवा लिया।
राखी की चूचियाँ मुलायम और कसी हुई थीं मैंने उन्हें दबाना शुरू कर दिया।
राखी ने ब्लाउज के बटन खोल दिए और मुझसे चिपट गई, उसने लुंगी खोलकर मेरा खड़ा लोड़ा अपने हाथ में पकड़ लिया, मोटा लिंग सहलाने से उसकी साँसें गर्म हो रही थीं।
मैंने उसकी चूचियों की निप्पल उमेठ उमेठ कर खड़ी कर दीं थी। मेरा लोड़ा दबाते हुए राखी बोली- बड़ा मज़ा आ रहा है। इसे चूत में लगाओ न। जल्दी से चोद दो और मत तड़पाओ।
मैंने राखी की चूचियों को हॉर्न की तरह बजाते हुए कहा- पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो अपनी चूत खुद नंगी करती है। जल्दी से अपनी चूत को खोलकर टांगें चौड़ी करो, तुम्हें चुदाई का वो मज़ा दूँगा कि हमेशा मुझसे चुदवाने को पागल रहोगी।
राखी ने अपना पेटीकोट उतार दिया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए बोली- अब तो डालो न ! बड़ी आग लग रही है।
अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया, क्या पाव रोटी जैसी फूली हुई चूत थी।
मैं उसकी चूत का दाना रगड़ने लगा वो आह उह की आहें भरने लगी।
उसने मेरी बनियान भी उतरवा दी और मुझसे चिपक गई और चूत लण्ड के मुँह पर लगाने लगी, पूरी गर्म हो रही थी। लण्ड उसकी चूत के मुँह पर छुल रहा था। वो मेरे होंटों पर होंट लगते हुए लोड़ा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।
उसके चूतड़ों को दबाते हुए मैंने लण्ड उसकी गीली चूत में घुसा दिया, एक तेज आह की आवाज़ गूंज उठी।
हम दोनों के बदन एक दूसरे से रगड़ खाने लगे कमरा आह… उह… की आवाज़ों से गूंजने लगा।
राखी को मैंने अपने नीचे लेटा लिया और उसके ऊपर चढ़कर उसे चोदना शुरू कर दिया। दोनों चूचियों की मसलाई और होंटों के स्वाद ने चुदाई का मज़ा बढ़ा दिया था। एक नई औरत के स्वाद का पूरा मज़ा आ रहा था।
कुछ मिनट की चुदाई के खेल के बाद हम दोनों ने चरम सीमा का आनन्द एक साथ उठाया। इसके बाद एक दूसरे से चिपक कर हम सो गए।
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तब मोहन जा चुके थे। मेरे बदन पर सिर्फ लुंगी बंधी हुई थी।
दूसरी औरत को देखकर गीता ने गंदा सा मुँह बनाया।
गीता मुझसे बोली- यह राखी है जो आने को कह रही है, मेरी सहेली है। दूसरी मुन्नी है, इस कुतिया मुन्नी के कारण ही मेरा लफड़ा हुआ था। दोनों के पति ट्रक पर काम करते हैं दोनों का मालिक एक ही है। पन्द्रह पन्द्रह दिन को बाहर चले जाते हैं।
मैंने गीता से कहा- दोनों मस्त माल हैं।
गीता आँख मारते हुए बोली- चोदने का मन कर रहा है?
मैं बोला- मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
गीता होंट दबाते हुए बोली- राखी की दिलवा दूँगी।
मैंने पूछा- मुन्नी से तुम्हारा क्या लफड़ा है?
तभी राखी ऊपर आ गई और गीता से बात करने लगी। उसके जाने के बाद गीता ने मुझे बताया- राखी के यहाँ मेहमान आए हुए हैं, वो आज रात हमारे यहाँ सोएगी।
मेरा हाथ दबाते हुए गीता बोली- चुदने को राजी है, हाजार रुपए लेगी, आज रात को ही चोद लेना।
रात को रेखा, गीता, मोहन भैया और मैं एक लाइन में सोए। रात को फिर मोहन गीता को चोदने लगा।
मेरा मन भी चोदने का कर रहा था मैं अपना लण्ड सहलाने लगा मैंने देखा राखी भी जग रही थी और यह सब देखकर अपनी साड़ी उठाकर चूत में उंगली कर रही थी। मन कर रहा था दबोच लूँ साली को।
चुदाई के बाद मोहन खराटे भरने लगा। गीता ने करवट ली और राखी के कान में फुसफुसाई और बोली- जाकर राकेश के पास लेट ले, यह बार बार चूत में उंगली क्या कर रही है, आराम से चुद, इनकी चिंता मत कर, इनको को तो अब दो डंडे भी मारोगे तब भी नहीं उठेंगे।
राखी चुपचाप उठकर मेरे पास आकर लेट गई।
मैंने मुड़कर अपना हाथ उसकी नाभि पर रख दिया।
थोड़ा सहलाने पर राखी ने हाथ उठाकर अपनी चूचियों में घुसवा लिया।
राखी की चूचियाँ मुलायम और कसी हुई थीं मैंने उन्हें दबाना शुरू कर दिया।
राखी ने ब्लाउज के बटन खोल दिए और मुझसे चिपट गई, उसने लुंगी खोलकर मेरा खड़ा लोड़ा अपने हाथ में पकड़ लिया, मोटा लिंग सहलाने से उसकी साँसें गर्म हो रही थीं।
मैंने उसकी चूचियों की निप्पल उमेठ उमेठ कर खड़ी कर दीं थी। मेरा लोड़ा दबाते हुए राखी बोली- बड़ा मज़ा आ रहा है। इसे चूत में लगाओ न। जल्दी से चोद दो और मत तड़पाओ।
मैंने राखी की चूचियों को हॉर्न की तरह बजाते हुए कहा- पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो अपनी चूत खुद नंगी करती है। जल्दी से अपनी चूत को खोलकर टांगें चौड़ी करो, तुम्हें चुदाई का वो मज़ा दूँगा कि हमेशा मुझसे चुदवाने को पागल रहोगी।
राखी ने अपना पेटीकोट उतार दिया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए बोली- अब तो डालो न ! बड़ी आग लग रही है।
अब वो पूरी नंगी हो चुकी थी। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया, क्या पाव रोटी जैसी फूली हुई चूत थी।
मैं उसकी चूत का दाना रगड़ने लगा वो आह उह की आहें भरने लगी।
उसने मेरी बनियान भी उतरवा दी और मुझसे चिपक गई और चूत लण्ड के मुँह पर लगाने लगी, पूरी गर्म हो रही थी। लण्ड उसकी चूत के मुँह पर छुल रहा था। वो मेरे होंटों पर होंट लगते हुए लोड़ा अंदर लेने की कोशिश कर रही थी।
उसके चूतड़ों को दबाते हुए मैंने लण्ड उसकी गीली चूत में घुसा दिया, एक तेज आह की आवाज़ गूंज उठी।
हम दोनों के बदन एक दूसरे से रगड़ खाने लगे कमरा आह… उह… की आवाज़ों से गूंजने लगा।
राखी को मैंने अपने नीचे लेटा लिया और उसके ऊपर चढ़कर उसे चोदना शुरू कर दिया। दोनों चूचियों की मसलाई और होंटों के स्वाद ने चुदाई का मज़ा बढ़ा दिया था। एक नई औरत के स्वाद का पूरा मज़ा आ रहा था।
कुछ मिनट की चुदाई के खेल के बाद हम दोनों ने चरम सीमा का आनन्द एक साथ उठाया। इसके बाद एक दूसरे से चिपक कर हम सो गए।
अगले दिन सुबह जब मैं उठा तब मोहन जा चुके थे। मेरे बदन पर सिर्फ लुंगी बंधी हुई थी।
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Re: इंतकाम की ज्वाला
गीता अंदर बाथरूम में नहा रही थी।
कुछ देर बाद बाथरूम से गीता निकली उसने सिर्फ चड्डी पहन रखी थी और नंगे स्तनों पर तौलिया ढक रखा था।
बाहर निकल कर गीता ने मुझे देखा और होंट दबाते हुए बोली- कल तो तुमने राखी की मुनिया बड़ी मस्त बजा दी। सुबह जाते जाते कह रही थी कि भाभी कल जितना चुदने में मज़ा आया, उतना कभी नहीं आया और कह रही थी जल्दी ही दुबारा चुदूँगी।
गीता ने मेरी तरफ पीठ की और तौलिया उतारकर अपने स्तन हिलाते हुए अपनी जांघें पोंछने लगी पीछे से उसका गर्म बदन देखकर मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पीछे से गीता की दोनों चूचियाँ हाथों में पकड़ कर उन्हें मसलने लगा और बोला- राखी की चुदाई में तो मज़ा आ गया लेकिन तुम इतना क्यों तड़पा रही हो?
गीता मुड़कर मुझसे चिपकते हुए बोली- इतने उतावले क्यों हो रहे हो? चोद लेना, चूत तो मेरी भी तुम्हारा लण्ड खाने को मचल रही है। एक बार लफड़ा हो गया था इसलिए सावधानी बरतती हूँ। अभी तुम एक अच्छे देवर की तरह यह स्तन सुडौल रखने वाला तेल मेरे स्तनों पर मल दो।
मैं यह सुन कर उत्तेजित हो गया।
गीता मेरी गोद में आकर जाँघों पर बैठ गई और मुझसे अपनी नंगी चूचियाँ पर तेल मालिश कराने लगी।
स्तन को चारों तरफ से धीरे धीरे तेल से मलते हुए बीच में चूचियाँ उमेठने में मुझे गज़ब का मज़ा आ रहा था।
मैंने मालिश करते हुए पूछा- तुम बार बार कहती हो मेरा लफड़ा हो गया था, लफड़ा क्या हुआ था, यह तो बताओ !
भाभी बोली- ठीक है, तुम मेरे अपने बन गए हो, तुम्हें बता देती हूँ किसी को बताना नहीं।
भाभी ने बताया कि पहले वो बगल वाली चाल में मुन्नी के पास वाले घर में रहती थी। मुन्नी की एक सहेली कुसुम है जो उसके गाँव से ही है, कुसुम रेलवे कॉलोनी के पास रहती है। मुन्नी कुसुम को चाल में घर दिलवाना चाह रही थी। कोई घर खाली नहीं था तो उसने मेरा घर खाली करवाने के लिए चाल चली। इनका एक दोस्त चिंटू है, उसका ऑफ बुधवार को रहता था, हम दोनों में हंसी मजाक बहुत समय से हो रहा था, हर बुधवार वो मुझसे मिलने आ जाता था और मौका पाकर वो मेरी चूचियाँ और चूतड़ भी मसल देता था।
एक दिन मुन्नी और कुसुम ने मिलकर एक साज़िश रची।
पहले मुन्नी आई उसने मुझे खीर में मिला कर कोई कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवा खिला दी। उस दिन ये घर में नहीं थे, मेरी बुर बुरी तरह से चुदने के लिए खुजला रही थी, एक घंटे बाद चिंटू आ गया, चिंटू ने मेरा ब्लाउज खोल दिया और मेरी नंगी चूचियाँ मलने लगा, उसने मुझे बुरी तरह से गर्म कर दिया था।
कुसुम साज़िश के तहत रसोई मैं छिपी हुई थी। इसके बाद मैं और चिंटू नंगे होकर बाथरूम में चले गए। चिंटू मुझे बाथरूम में चोदने लगा।
कुसुम ने बाहर का दरवाज़ा खोल दिया कुतिया मुन्नी इस बीच जाकर चाल के मालिक मुकुंद सेठ को बुला लाई, सबने छुपकर मेरी चुदाई का मज़ा लिया और चुदाई के बाद सेठ ने मुझे पकड़ लिया और घर खाली करने को बोल दिया।
मैं सेठ के पैरों में लोटी तब इतना तय हुआ असली बात किसी को कोई नहीं बताएगा पर मुझे घर खाली करना पड़ेगा।
मुन्नी को चुप रहने के लिए मुझे दो हजार रुपए देने पड़े। सेठ इतने में मान जाता पर कुसुम ने सेठ से मेरे सामने कहा- इसकी जवानी का थोडा मज़ा लूट लो, ऐसा मौका बार बार नहीं आता है।
सत्तर साल के सेठ में चोदने की ताकत तो थी नहीं लेकिन कुतिया कुसुम ने सेठ को उकसा दिया तो उसका लोड़ा मुझे चूसना पड़ा। हरामी का पिचकू लोड़ा बड़ी मुश्किल से आधा घंटे में खड़ा हुआ और दद सेकंड में ही मुँह में पूरा वीर्य उसने छोड़ दिया।
कुसुम कुतिया ने इस बीच मेरी गांड में मोमबत्ती डाल दी और मुकुंद सेठ के हाथों से मेरी गांड मोमबत्ती से चुदवाती रही। दोनों हरामिनें ताली बजा बजा कर आधे घंटे तक मेरी लुटती जवानी का मज़ा लेती रही। इतना होने के बाद भी हमें घर बदलना पड़ा वो तो पास में ही राखी की चाल में यह घर खाली हुआ था, मुझे मिल गया।
गीता ने इस बीच उठकर अपनी चड्डी उतार दी और मेरी लुंगी भी उतरवा दी और मेरा लोड़ा तेल से नहला दिया, अपनी टांगें फ़ैला कर चूत मेरे गर्म और मोटे आठ इंची लण्ड पर रख दी और जाँघों पर लोड़ा अंदर तक घुसवाते हुए मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई, मुस्कराते हुए बोली चूचियों की मालिश तो तुमने कर दी अब मेरी चूत की मालिश अपने लण्ड से और कर दो।
कुछ देर बाद बाथरूम से गीता निकली उसने सिर्फ चड्डी पहन रखी थी और नंगे स्तनों पर तौलिया ढक रखा था।
बाहर निकल कर गीता ने मुझे देखा और होंट दबाते हुए बोली- कल तो तुमने राखी की मुनिया बड़ी मस्त बजा दी। सुबह जाते जाते कह रही थी कि भाभी कल जितना चुदने में मज़ा आया, उतना कभी नहीं आया और कह रही थी जल्दी ही दुबारा चुदूँगी।
गीता ने मेरी तरफ पीठ की और तौलिया उतारकर अपने स्तन हिलाते हुए अपनी जांघें पोंछने लगी पीछे से उसका गर्म बदन देखकर मुझसे रहा नहीं गया, मैंने पीछे से गीता की दोनों चूचियाँ हाथों में पकड़ कर उन्हें मसलने लगा और बोला- राखी की चुदाई में तो मज़ा आ गया लेकिन तुम इतना क्यों तड़पा रही हो?
गीता मुड़कर मुझसे चिपकते हुए बोली- इतने उतावले क्यों हो रहे हो? चोद लेना, चूत तो मेरी भी तुम्हारा लण्ड खाने को मचल रही है। एक बार लफड़ा हो गया था इसलिए सावधानी बरतती हूँ। अभी तुम एक अच्छे देवर की तरह यह स्तन सुडौल रखने वाला तेल मेरे स्तनों पर मल दो।
मैं यह सुन कर उत्तेजित हो गया।
गीता मेरी गोद में आकर जाँघों पर बैठ गई और मुझसे अपनी नंगी चूचियाँ पर तेल मालिश कराने लगी।
स्तन को चारों तरफ से धीरे धीरे तेल से मलते हुए बीच में चूचियाँ उमेठने में मुझे गज़ब का मज़ा आ रहा था।
मैंने मालिश करते हुए पूछा- तुम बार बार कहती हो मेरा लफड़ा हो गया था, लफड़ा क्या हुआ था, यह तो बताओ !
भाभी बोली- ठीक है, तुम मेरे अपने बन गए हो, तुम्हें बता देती हूँ किसी को बताना नहीं।
भाभी ने बताया कि पहले वो बगल वाली चाल में मुन्नी के पास वाले घर में रहती थी। मुन्नी की एक सहेली कुसुम है जो उसके गाँव से ही है, कुसुम रेलवे कॉलोनी के पास रहती है। मुन्नी कुसुम को चाल में घर दिलवाना चाह रही थी। कोई घर खाली नहीं था तो उसने मेरा घर खाली करवाने के लिए चाल चली। इनका एक दोस्त चिंटू है, उसका ऑफ बुधवार को रहता था, हम दोनों में हंसी मजाक बहुत समय से हो रहा था, हर बुधवार वो मुझसे मिलने आ जाता था और मौका पाकर वो मेरी चूचियाँ और चूतड़ भी मसल देता था।
एक दिन मुन्नी और कुसुम ने मिलकर एक साज़िश रची।
पहले मुन्नी आई उसने मुझे खीर में मिला कर कोई कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवा खिला दी। उस दिन ये घर में नहीं थे, मेरी बुर बुरी तरह से चुदने के लिए खुजला रही थी, एक घंटे बाद चिंटू आ गया, चिंटू ने मेरा ब्लाउज खोल दिया और मेरी नंगी चूचियाँ मलने लगा, उसने मुझे बुरी तरह से गर्म कर दिया था।
कुसुम साज़िश के तहत रसोई मैं छिपी हुई थी। इसके बाद मैं और चिंटू नंगे होकर बाथरूम में चले गए। चिंटू मुझे बाथरूम में चोदने लगा।
कुसुम ने बाहर का दरवाज़ा खोल दिया कुतिया मुन्नी इस बीच जाकर चाल के मालिक मुकुंद सेठ को बुला लाई, सबने छुपकर मेरी चुदाई का मज़ा लिया और चुदाई के बाद सेठ ने मुझे पकड़ लिया और घर खाली करने को बोल दिया।
मैं सेठ के पैरों में लोटी तब इतना तय हुआ असली बात किसी को कोई नहीं बताएगा पर मुझे घर खाली करना पड़ेगा।
मुन्नी को चुप रहने के लिए मुझे दो हजार रुपए देने पड़े। सेठ इतने में मान जाता पर कुसुम ने सेठ से मेरे सामने कहा- इसकी जवानी का थोडा मज़ा लूट लो, ऐसा मौका बार बार नहीं आता है।
सत्तर साल के सेठ में चोदने की ताकत तो थी नहीं लेकिन कुतिया कुसुम ने सेठ को उकसा दिया तो उसका लोड़ा मुझे चूसना पड़ा। हरामी का पिचकू लोड़ा बड़ी मुश्किल से आधा घंटे में खड़ा हुआ और दद सेकंड में ही मुँह में पूरा वीर्य उसने छोड़ दिया।
कुसुम कुतिया ने इस बीच मेरी गांड में मोमबत्ती डाल दी और मुकुंद सेठ के हाथों से मेरी गांड मोमबत्ती से चुदवाती रही। दोनों हरामिनें ताली बजा बजा कर आधे घंटे तक मेरी लुटती जवानी का मज़ा लेती रही। इतना होने के बाद भी हमें घर बदलना पड़ा वो तो पास में ही राखी की चाल में यह घर खाली हुआ था, मुझे मिल गया।
गीता ने इस बीच उठकर अपनी चड्डी उतार दी और मेरी लुंगी भी उतरवा दी और मेरा लोड़ा तेल से नहला दिया, अपनी टांगें फ़ैला कर चूत मेरे गर्म और मोटे आठ इंची लण्ड पर रख दी और जाँघों पर लोड़ा अंदर तक घुसवाते हुए मेरी तरफ मुँह करके बैठ गई, मुस्कराते हुए बोली चूचियों की मालिश तो तुमने कर दी अब मेरी चूत की मालिश अपने लण्ड से और कर दो।
- SID4YOU
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Re: इंतकाम की ज्वाला
गीता ने किस्सा जारी रखा, वो बोली- सेठ ने कुसुम को भी घर देने से मना कर दिया। कुतिया के चक्कर में मेरी इज्ज़त की अच्छी चुदाई हो गई। मुझे कभी मौका मिला तो साली को सबके सामने नंगा करूंगी और दोनों की जवानी लुटवाऊँगी।
मैंने गीता की चूत की चुदाई करते हुए चूचियाँ दबाई और बोला- भाभी जान, तुम चिंता न करो, कुतिया तुम्हारे सामने अपने हाथों से चड्डी उतारेगी और नंगी होगी। तुम्हारी बेइज्ज़ती का पूरा बदला मैं लूँगा।
गीता बोली- मजाक करते हो !
मैंने कहा- आप साथ दोगी तो एक महीने में मुन्नी की मुनिया में तुम्हारे सामने जिसका कहोगी उसका लोड़ा डलवा दूँगा। आप बस उससे थोड़ी दोस्ती बढ़ाओ।
गीता बोली- ऐसा होगा तो बड़ा मज़ा आ जाएगा ! तुम कहते हो तो मैं उससे दोस्ती बढ़ाती हूँ।
गीता की चूत में लोड़ा गए आधा घंटा हो गया था अब उसके वीर्य त्याग का समय आ गया और मैंने पूरा वीर्य गीता की चूत में उतार दिया। इसके बाद मैं अपने ऑफिस चला गया।
3872लेट गई और अपना पेटीकोट उठा कर बोली- एक बार चोद ही दो ! फिर दोस्ती पक्की हो जाएगी।
मैं बोला- नेक काम में देरी क्यों !
और उनकी चूत पर लण्ड लगा दिया। लण्ड पूरा अंदर तक एक बार में ही घुस गया। गीता की आह कमरे में गूंज उठी। हम दोनों अब चुदाई का खेल खेल रहे थे। लौड़ा बहुत देर से अंगड़ाई ले रहा था, उसने थोड़ी देर में ही हार मान ली और 18-20 धक्कों में ढेर हो गया।
मैंने गीता को अपनी बाँहों मैं चिपकाते हुए कहा- दूसरे राउंड में मज़ा ज्यादा आएगा।
गीता ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह मेरे लण्ड पर रख कर एक लण्ड पप्पी दी और बोली- अब तो इसकी दोस्ती मेरी फ़ुद्दी से हो गई है। आज इतने से ही काम चला लो, समय मिलने पर पूरा मज़ा करेंगे। यहाँ एक बार लफड़ा हो चुका है इसलिए सावधान रहना पड़ता है।
मुझे मन मारकर उठना पड़ा। हम दोनों तैयार होकर हाट में घर का सामान खरीदने चले गए।
हाट से हम लोग जब वापस आए तो रास्ते में दो सुंदर और भरे बदन की औरतें बात कर रही थीं। उनमें से एक गीता से बोली- दीदी, मुझे आपसे बात करनी है, मैं अभी आपके कमरे में आती हूँ।
दूसरी औरत को देखकर गीता ने गंदा सा मुँह बनाया। गीता मुझसे बोली- यह राखी है जो आने को कह रही है, मेरी सहेली है। दूसरी मुन्नी है, इस कुतिया मुन्नी के कारण ही मेरा लफड़ा हुआ था। दोनों के पति ट्रक पर काम करते हैं दोनों का मालिक एक ही है। पन्द्रह पन्द्रह दिन को बाहर चले जाते हैं।
मैंने गीता से कहा- दोनों मस्त माल हैं।
गीता आँख मारते हुए बोली- चोदने का मन कर रहा है?
मैं बोला- मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
गीता होंट दबाते हुए बोली- राखी की दिलवा दूँगी।
मैंने पूछा- मुन्नी से तुम्हारा क्या लफड़ा है?
तभी राखी ऊपर आ गई और गीता से बात करने लगी। उसके जाने के बाद गीता ने मुझे बताया- राखी के यहाँ मेहमान आए हुए हैं, वो आज रात हमारे यहाँ सोएगी।
मेरा हाथ दबाते हुए गीता बोली- चुदने को राजी है, हाजार रुपए लेगी, आज रात को ही चोद लेना।
रात को रेखा, गीता, मोहन भैया और मैं एक लाइन में सोए। रात को फिर मोहन गीता को चोदने लगा। मेरा मन भी चोदने का कर रहा था मैं अपना लण्ड सहलाने लगा मैंने देखा राखी भी जग रही थी और यह सब देखकर अपनी साड़ी उठाकर चूत में उंगली कर रही थी। मन कर रहा था दबोच लूँ साली को।
चुदाई के बाद मोहन खराटे भरने लगा। गीता ने करवट ली और राखी के कान में फुसफुसाई और बोली- जाकर राकेश के पास लेट ले, यह बार बार चूत में उंगली क्या कर रही है, आराम से चुद, इनकी चिंता मत कर, इनको को तो अब दो डंडे भी मारोगे तब भी नहीं उठेंगे।
राखी चुपचाप उठकर मेरे पास आकर लेट गई। मैंने मुड़कर अपना हाथ उसकी नाभि पर रख दिया। थोड़ा सहलाने पर राखी ने हाथ उठाकर अपनी चूचियों में घुसवा लिया। राखी की चूचियाँ मुलायम और कसी हुई थीं मैंने उन्हें दबाना शुरू कर दिया। राखी ने ब्लाउज के बटन खोल दिए और मुझसे चिपट गई, उसने लुंगी खोलकर मेरा खड़ा लोड़ा अपने हाथ में पकड़ लिया, मोटा लिंग सहलाने से उसकी साँसें गर्म हो रही थीं।
मैंने उसकी चूचियों की निप्पल उमेठ उमेठ कर खड़ी कर दीं थी। मेरा लोड़ा दबाते हुए राखी बोली- बड़ा मज़ा आ रहा है। इसे चूत में लगाओ न। जल्दी से चोद दो और मत तड़पाओ।
मैंने राखी की चूचियों को हॉर्न की तरह बजाते हुए कहा- पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो अपनी चूत खुद नंगी करती है। जल्दी से अपनी चूत को खोलकर टांगें चौड़ी करो, तुम्हें चुदाई का वो मज़ा दूँगा कि हमेशा मुझसे चुदवाने को पागल रहोगी। राखी ने अपना पेटीकोट उतार दिया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए बोली- अब तो डालो न ! बड़ी आग लग रही है।
मैंने गीता की चूत की चुदाई करते हुए चूचियाँ दबाई और बोला- भाभी जान, तुम चिंता न करो, कुतिया तुम्हारे सामने अपने हाथों से चड्डी उतारेगी और नंगी होगी। तुम्हारी बेइज्ज़ती का पूरा बदला मैं लूँगा।
गीता बोली- मजाक करते हो !
मैंने कहा- आप साथ दोगी तो एक महीने में मुन्नी की मुनिया में तुम्हारे सामने जिसका कहोगी उसका लोड़ा डलवा दूँगा। आप बस उससे थोड़ी दोस्ती बढ़ाओ।
गीता बोली- ऐसा होगा तो बड़ा मज़ा आ जाएगा ! तुम कहते हो तो मैं उससे दोस्ती बढ़ाती हूँ।
गीता की चूत में लोड़ा गए आधा घंटा हो गया था अब उसके वीर्य त्याग का समय आ गया और मैंने पूरा वीर्य गीता की चूत में उतार दिया। इसके बाद मैं अपने ऑफिस चला गया।
3872लेट गई और अपना पेटीकोट उठा कर बोली- एक बार चोद ही दो ! फिर दोस्ती पक्की हो जाएगी।
मैं बोला- नेक काम में देरी क्यों !
और उनकी चूत पर लण्ड लगा दिया। लण्ड पूरा अंदर तक एक बार में ही घुस गया। गीता की आह कमरे में गूंज उठी। हम दोनों अब चुदाई का खेल खेल रहे थे। लौड़ा बहुत देर से अंगड़ाई ले रहा था, उसने थोड़ी देर में ही हार मान ली और 18-20 धक्कों में ढेर हो गया।
मैंने गीता को अपनी बाँहों मैं चिपकाते हुए कहा- दूसरे राउंड में मज़ा ज्यादा आएगा।
गीता ने मुझे हटाते हुए अपना मुँह मेरे लण्ड पर रख कर एक लण्ड पप्पी दी और बोली- अब तो इसकी दोस्ती मेरी फ़ुद्दी से हो गई है। आज इतने से ही काम चला लो, समय मिलने पर पूरा मज़ा करेंगे। यहाँ एक बार लफड़ा हो चुका है इसलिए सावधान रहना पड़ता है।
मुझे मन मारकर उठना पड़ा। हम दोनों तैयार होकर हाट में घर का सामान खरीदने चले गए।
हाट से हम लोग जब वापस आए तो रास्ते में दो सुंदर और भरे बदन की औरतें बात कर रही थीं। उनमें से एक गीता से बोली- दीदी, मुझे आपसे बात करनी है, मैं अभी आपके कमरे में आती हूँ।
दूसरी औरत को देखकर गीता ने गंदा सा मुँह बनाया। गीता मुझसे बोली- यह राखी है जो आने को कह रही है, मेरी सहेली है। दूसरी मुन्नी है, इस कुतिया मुन्नी के कारण ही मेरा लफड़ा हुआ था। दोनों के पति ट्रक पर काम करते हैं दोनों का मालिक एक ही है। पन्द्रह पन्द्रह दिन को बाहर चले जाते हैं।
मैंने गीता से कहा- दोनों मस्त माल हैं।
गीता आँख मारते हुए बोली- चोदने का मन कर रहा है?
मैं बोला- मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
गीता होंट दबाते हुए बोली- राखी की दिलवा दूँगी।
मैंने पूछा- मुन्नी से तुम्हारा क्या लफड़ा है?
तभी राखी ऊपर आ गई और गीता से बात करने लगी। उसके जाने के बाद गीता ने मुझे बताया- राखी के यहाँ मेहमान आए हुए हैं, वो आज रात हमारे यहाँ सोएगी।
मेरा हाथ दबाते हुए गीता बोली- चुदने को राजी है, हाजार रुपए लेगी, आज रात को ही चोद लेना।
रात को रेखा, गीता, मोहन भैया और मैं एक लाइन में सोए। रात को फिर मोहन गीता को चोदने लगा। मेरा मन भी चोदने का कर रहा था मैं अपना लण्ड सहलाने लगा मैंने देखा राखी भी जग रही थी और यह सब देखकर अपनी साड़ी उठाकर चूत में उंगली कर रही थी। मन कर रहा था दबोच लूँ साली को।
चुदाई के बाद मोहन खराटे भरने लगा। गीता ने करवट ली और राखी के कान में फुसफुसाई और बोली- जाकर राकेश के पास लेट ले, यह बार बार चूत में उंगली क्या कर रही है, आराम से चुद, इनकी चिंता मत कर, इनको को तो अब दो डंडे भी मारोगे तब भी नहीं उठेंगे।
राखी चुपचाप उठकर मेरे पास आकर लेट गई। मैंने मुड़कर अपना हाथ उसकी नाभि पर रख दिया। थोड़ा सहलाने पर राखी ने हाथ उठाकर अपनी चूचियों में घुसवा लिया। राखी की चूचियाँ मुलायम और कसी हुई थीं मैंने उन्हें दबाना शुरू कर दिया। राखी ने ब्लाउज के बटन खोल दिए और मुझसे चिपट गई, उसने लुंगी खोलकर मेरा खड़ा लोड़ा अपने हाथ में पकड़ लिया, मोटा लिंग सहलाने से उसकी साँसें गर्म हो रही थीं।
मैंने उसकी चूचियों की निप्पल उमेठ उमेठ कर खड़ी कर दीं थी। मेरा लोड़ा दबाते हुए राखी बोली- बड़ा मज़ा आ रहा है। इसे चूत में लगाओ न। जल्दी से चोद दो और मत तड़पाओ।
मैंने राखी की चूचियों को हॉर्न की तरह बजाते हुए कहा- पहली बार जब भी मैं किसी औरत को चोदता हूँ तो वो अपनी चूत खुद नंगी करती है। जल्दी से अपनी चूत को खोलकर टांगें चौड़ी करो, तुम्हें चुदाई का वो मज़ा दूँगा कि हमेशा मुझसे चुदवाने को पागल रहोगी। राखी ने अपना पेटीकोट उतार दिया और मुझे अपनी तरफ खींचते हुए बोली- अब तो डालो न ! बड़ी आग लग रही है।