पूरे लिंग का एक ही झटके में योनि के घुसते ही माला तडप उठी और पैर पटकती ही बहुत ऊँची एवम् लम्बी चीत्कार मारती हुई बोली- आह्ह… ओह्ह.. मेरी माँ… हाय.. मैं मर गईईई… क्या आप आराम से नहीं कर सकते? बड़ी बेदर्दी से मार डाला मुझे.
मैं समझ गया कि उसे बहुत दर्द हुआ होगा तभी के लिए वह ऐसा बोल रही है इसलिए मैं चुपचाप बिना कुछ उत्तर दिए उसके ऊपर लेट गया.
पाँच मिनट के बाद वह बोली- मैं नीचे दब रही हूँ, मेरा दम घुट रहा है. थोड़ा ऊँचा हो जाइए ताकि मेरे ऊपर वज़न कम हो जाये.
मैंने माला की आँखें डाल कर उसकी ओर देखते ही मैं समझ गया कि उसका दर्द कम हो गया था और वह संसर्ग के लिए तैयार थी. तब मैंने थोड़ा ऊँचा होकर संसर्ग शुरू किया और अपने लिंग के मुंड को उसकी योनि के अंदर ही रखते हुए बाकी का हिस्सा बाहर निकाल कर फिर अंदर धकेलने लगा.
लगभग दस मिनट तक धीरे धीरे धक्के मारने के बाद जब मैंने तेज़ धक्के लगाने शुरू किये तब माला भी अपने कूल्हे ऊपर उठा कर मेरा साथ देने लगी. जब मैं लिंग को योनि से बाहर खींचता तब वह कूल्हे नीचे कर लेती और जब मैं लिंग को योनि के अंदर धकेलता तब वह कूल्हे ऊँचे उठा कर उसका स्वागत करती.
तेज़ संसर्ग को करते हुए पाँच मिनट ही हुए थे जब माला की योनि में से रस का रिसाव होना और उसके मुंह से सिसकारियों का निकलना शुरू हो गया. रस के रिसाव से योनि के अंदर स्नेहन हो जाने से मेरा लिंग बहुत तेज़ी से उसके अंदर बाहर जाने लगा और कमरे में फच फच का स्वर गूंजने लगा.
मैं दस मिनट से तेज़ी से संसर्ग कर रहा था और माला मेरा पूरा साथ दे रही थी तभी उसने कहा- और अधिक तेज़ी से करिए मैं प्रेमोन्माद की चरमसीमा पर पहुँचने वाली हूँ.
क्योंकि मैं भी कामोन्माद के समीप पहुँचने वाला था इसलिए मैंने माला की बात मानते हुए अत्यंत तीव्रता से धक्के लगते हुए अपने लिंग को उसकी योनि के अंदर बाहर करने लगा.
मैंने अभी आठ दस तीव्र धक्के ही लगाये थे कि माला चिल्लाई- आह.. ओह्ह… उईईमाँआआ….. मैं गईईई… मैं मर गई… माँआआ….
इसके साथ ही उसकी योनि में गर्म गर्म रस की बाढ़ आ गई जिसमें मेरा लिंग गोते खाने लगा और रस की ऊष्मा लगते ही लिंग ने अपनी पिचकारी चला कर ढेर सारा वीर्य रस उगल दिया.
हम दोनों पसीने से लथपथ थे तथा बुरी तरह से थके हुए हांफ रहे थे इसलिए मैं माला के ऊपर ही लेट गया और अगले दस मिनट हम वैसे ही लेटे रहे.
जब हमारी साँस में सांस वापिस आई तब माला मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर उन्हें चूसने लगी और मेरे सिर तथा पीठ पर बहुत प्यार से हाथ फेरने लगी.
मैं अभी कुछ देर और उसके ऊपर ही लेटा रहना चाहता था लेकिन मेरे लिंग के सिकुड़ कर माला की योनि से बाहर निकल जाने के कारण योनि में से निकल रहा दोनों का मिश्रित रस बिस्तर गीला करने लगा था.
जैसे ही माला को गीलापन महसूस हुआ उसने झट से अपनी योनि पर हाथ रख कर रस को बहने से रोका और मुझे धक्का दे कर अलग करते हुए उठी और बाथरूम में भाग गई.
मैं भी अपने ढीले लिंग को हाथ में पकड़े जब उसके पीछे बाथरूम में गया तब देखा कि माला अपनी योनि साफ़ करने वाली ही थी.
मैं झट से उसके पास जा कर खड़ा हो गया तथा अपने लिंग को उसकी ओर बढ़ा दिया तब माला ने अपनी योनि को धोना छोड़ कर मेरे लिंग को पकड़ कर पहले तो चूमा और फिर उसे चूस एवम् चाट कर बिल्कुल साफ़ कर दिया.
उसके बाद जब माला नीचे बैठी अपनी योनि को पानी से धो रही थी तब मैंने शावर खोल दिया और माला को खींचते हुए उसके नीचे अपने साथ नहलाने लगा. शावर के नीचे दोनों ने एक दूसरे के शरीर को अच्छे से मल कर नहलाया और फिर बदन पोंछ एवम् कपड़े पहन लिए.
उस दिन के बाद अम्मा के वापिस आने तक माला रात हो या दिन मेरे ही साथ मेरे बिस्तर पर नग्न सोती थी और हम दोनों हर रात एक बार तथा अवकाश के दिनों में तो दो से तीन बार संभोग करते थे.
कामवाली की मस्त बहु
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Re: कामवाली की मस्त बहु
अम्मा ने वापिस आते ही माला के साथ अलग रहने के लिए घर का प्रबंध किया और उसको लेकर चली गई तथा उसके बाद अगले आठ माह तक माला कभी भी मेरे घर नहीं आई.
मैंने अम्मा से कई बार माला के बारे में पूछा कि वह कैसी है और कहाँ है तो उसने हर बार सिर्फ इतना ही बताया कि वह बिल्कुल ठीक है और घर पर ही है.
लगभग सात माह तक सब कार्य सामान्य चलता रहा.
तब एक दिन अम्मा काम पर नहीं आई और उसने अपनी जगह एक दूसरी काम वाली को काम करने के लिए भेज दिया. जब मैंने उस कामवाली से अम्मा के बारे में पूछा तो उसने सिर्फ इतना ही बताया कि मंझली बहू की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वह उसे अस्पताल ले कर गई हुई है.
उसके बाद के अगले तीन दिन भी अम्मा काम पर नहीं आई और दूसरी कामवाली ही काम पर आती रही.
चार दिनों के बाद जब अम्मा काम पर आई तब मैंने उनसे पूछा- अम्मा, क्या बात है पिछले चार दिन आप काम करने नहीं आई? वह दूसरी कामवाली कह रही थी कि माला की तबीयत ठीक नहीं थी और आप उसे अस्पताल ले कर गई थी. उसे क्या हुआ है और वह अब कैसी है?
उत्तर में अम्मा ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है और अब वह बिल्कुल ठीक है.
उस समय तो वह बात वहीं समाप्त हो गई लेकिन एक माह सामान्य प्रकार से गुज़र जाने के बाद एक शाम को जब मैं ऑफिस से आया तब अम्मा घर का काम कर रही थी.
मेरे ऑफिस से घर आते ही अम्मा ने जब मुझे चाय के साथ खाने के लिए मिठाई दी तब मैंने पूछा- अम्मा, मैं तो कभी मिठाई लाया नहीं तो फिर यह मिठाई कहाँ से आई?
अम्मा मेरे पास आकर बोली- मेरा दूसरा पोता हुआ है इसलिए आपका मुंह मीठा कराने के लिए मिठाई मैं लेकर आई हूँ.
मैंने अचंभित होते हुए कहा- अम्मा, दूसरा पोता!!! मैं समझा नहीं आप क्या कह रही हैं? क्या तुम्हारी बड़ी बहू या फिर छोटी बहू के एक और बालक पैदा हुआ है?
अम्मा ने हँसते हुए कहा- नहीं साहब, इस बार बड़ी या छोटी के नहीं बल्कि मंझली बहू के बेटा पैदा हुआ है.
मैंने हैरान होते हुए पूछा- आपका मतलब माला के बेटा हुआ है? कब हुआ और अब दोनों कैसे हैं?
अम्मा ने उत्तर दिया- चालीस दिन पहले हुआ था जब मैं उसे अस्पताल में ले कर गई थी. अब तो वह दोनों घर पर हैं और बिल्कुल ठीक हैं.
मैंने चौंकते हुए प्रश्न किया- चालीस दिन पहले और आप मुझे आज बता रही हैं? लेकिन अम्मा, उसका पति तो पिछले दो वर्ष से दुबई गया हुआ है फिर माला को यह बालक कैसे हो गया?
अम्मा ने मुस्कराते हुए मेरी ओर देखते हुए कहा- साहिब, अब आप अधिक अनजान मत बनिए. यह बालक आपका और माला का है.
मैंने हैरानी से उसके ओर देखते हुए कहा- अम्मा, आप यह क्या कह रही हैं? यह बालक मेरा और माला का कैसे हो सकता है?
अम्मा बोली- साहिब, जब मैं छोटी बहू के पास गई हुई थी तब आपके और माला के बीच जो रास-लीला चलती रही उसके बारे में मुझे सब पता है. क्योंकि यह हमारी एक सोची समझी योजना थी इसलिए माला फ़ोन पर मुझे सब कुछ बताती रहती थी. मेरे वापिस आने पर तो उसने मुझे सभी कुछ विस्तार से बता दिया था.
मैं अम्मा की बात सुन कर पूछा- अम्मा, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आप कौन सी योजना के बारे में बात कर रही हैं. क्या इस बारे में आप मुझे विस्तार से बता सकती हैं?
अम्मा बोली- ठीक है, मैं आपको सब बताती हूँ, तब तक आप आराम से बैठ कर यह चाय पीजिये और मिठाई खाइए.
इसके बाद अम्मा ने बताया मुझे निम्नलिखित बातें बताई:
उसके मंझले बेटे की शादी माला से तीन वर्ष पहले हुई थी और उनमें से पहले एक वर्ष उसका बेटा यहीं रहा तथा उसके बहुत कोशिश करने के बावजूद भी माला गर्भवती नहीं हुई. जब कई डॉक्टरों और अस्पतालों में जांच कराने के बाद उसे पता चला कि उसके बेटे में शुक्राणु की पैदाइश ही नहीं होती है इसलिए वह माला को कभी भी गर्भवती नहीं कर सकता है. जांच के बाद डॉक्टरों ने यह भी बताया की माला बिल्कुल स्वस्थ है और उसमें कोई कमी नहीं है तथा वह किसी भी स्वस्थ पुरुष से सामान्य सम्भोग करके गर्भवती हो सकती है.
मैंने अम्मा से कई बार माला के बारे में पूछा कि वह कैसी है और कहाँ है तो उसने हर बार सिर्फ इतना ही बताया कि वह बिल्कुल ठीक है और घर पर ही है.
लगभग सात माह तक सब कार्य सामान्य चलता रहा.
तब एक दिन अम्मा काम पर नहीं आई और उसने अपनी जगह एक दूसरी काम वाली को काम करने के लिए भेज दिया. जब मैंने उस कामवाली से अम्मा के बारे में पूछा तो उसने सिर्फ इतना ही बताया कि मंझली बहू की तबीयत ठीक नहीं होने के कारण वह उसे अस्पताल ले कर गई हुई है.
उसके बाद के अगले तीन दिन भी अम्मा काम पर नहीं आई और दूसरी कामवाली ही काम पर आती रही.
चार दिनों के बाद जब अम्मा काम पर आई तब मैंने उनसे पूछा- अम्मा, क्या बात है पिछले चार दिन आप काम करने नहीं आई? वह दूसरी कामवाली कह रही थी कि माला की तबीयत ठीक नहीं थी और आप उसे अस्पताल ले कर गई थी. उसे क्या हुआ है और वह अब कैसी है?
उत्तर में अम्मा ने कहा- ऐसी कोई बात नहीं है और अब वह बिल्कुल ठीक है.
उस समय तो वह बात वहीं समाप्त हो गई लेकिन एक माह सामान्य प्रकार से गुज़र जाने के बाद एक शाम को जब मैं ऑफिस से आया तब अम्मा घर का काम कर रही थी.
मेरे ऑफिस से घर आते ही अम्मा ने जब मुझे चाय के साथ खाने के लिए मिठाई दी तब मैंने पूछा- अम्मा, मैं तो कभी मिठाई लाया नहीं तो फिर यह मिठाई कहाँ से आई?
अम्मा मेरे पास आकर बोली- मेरा दूसरा पोता हुआ है इसलिए आपका मुंह मीठा कराने के लिए मिठाई मैं लेकर आई हूँ.
मैंने अचंभित होते हुए कहा- अम्मा, दूसरा पोता!!! मैं समझा नहीं आप क्या कह रही हैं? क्या तुम्हारी बड़ी बहू या फिर छोटी बहू के एक और बालक पैदा हुआ है?
अम्मा ने हँसते हुए कहा- नहीं साहब, इस बार बड़ी या छोटी के नहीं बल्कि मंझली बहू के बेटा पैदा हुआ है.
मैंने हैरान होते हुए पूछा- आपका मतलब माला के बेटा हुआ है? कब हुआ और अब दोनों कैसे हैं?
अम्मा ने उत्तर दिया- चालीस दिन पहले हुआ था जब मैं उसे अस्पताल में ले कर गई थी. अब तो वह दोनों घर पर हैं और बिल्कुल ठीक हैं.
मैंने चौंकते हुए प्रश्न किया- चालीस दिन पहले और आप मुझे आज बता रही हैं? लेकिन अम्मा, उसका पति तो पिछले दो वर्ष से दुबई गया हुआ है फिर माला को यह बालक कैसे हो गया?
अम्मा ने मुस्कराते हुए मेरी ओर देखते हुए कहा- साहिब, अब आप अधिक अनजान मत बनिए. यह बालक आपका और माला का है.
मैंने हैरानी से उसके ओर देखते हुए कहा- अम्मा, आप यह क्या कह रही हैं? यह बालक मेरा और माला का कैसे हो सकता है?
अम्मा बोली- साहिब, जब मैं छोटी बहू के पास गई हुई थी तब आपके और माला के बीच जो रास-लीला चलती रही उसके बारे में मुझे सब पता है. क्योंकि यह हमारी एक सोची समझी योजना थी इसलिए माला फ़ोन पर मुझे सब कुछ बताती रहती थी. मेरे वापिस आने पर तो उसने मुझे सभी कुछ विस्तार से बता दिया था.
मैं अम्मा की बात सुन कर पूछा- अम्मा, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आप कौन सी योजना के बारे में बात कर रही हैं. क्या इस बारे में आप मुझे विस्तार से बता सकती हैं?
अम्मा बोली- ठीक है, मैं आपको सब बताती हूँ, तब तक आप आराम से बैठ कर यह चाय पीजिये और मिठाई खाइए.
इसके बाद अम्मा ने बताया मुझे निम्नलिखित बातें बताई:
उसके मंझले बेटे की शादी माला से तीन वर्ष पहले हुई थी और उनमें से पहले एक वर्ष उसका बेटा यहीं रहा तथा उसके बहुत कोशिश करने के बावजूद भी माला गर्भवती नहीं हुई. जब कई डॉक्टरों और अस्पतालों में जांच कराने के बाद उसे पता चला कि उसके बेटे में शुक्राणु की पैदाइश ही नहीं होती है इसलिए वह माला को कभी भी गर्भवती नहीं कर सकता है. जांच के बाद डॉक्टरों ने यह भी बताया की माला बिल्कुल स्वस्थ है और उसमें कोई कमी नहीं है तथा वह किसी भी स्वस्थ पुरुष से सामान्य सम्भोग करके गर्भवती हो सकती है.
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Re: कामवाली की मस्त बहु
जब उसके बेटे को यह पता चला कि कमी उसमें है तो वह बहुत दुखी हुआ और माला को किसी अन्य पुरुष से सम्भोग करके संतान पैदा करने के लिए मनाता रहा. जब माला नहीं मानी तब उसने हताश हो कर दुबई में नौकरी ढूँढी और तब से वहीं गया हुआ है तथा पिछले दो वर्षों में एक बार भी मिलने नहीं आया.
इन दो वर्षों में वह माला को बहुत समझाती रही और किसी पर-पुरुष से सम्भोग करके गर्भवती होने के लिए मिन्नतें भी करती रही लेकिन वह इस विषय पर बात करने को टालती रही.
आगे अम्मा ने बताया एक दिन नीचे वाले घर में कोई समारोह था तब उसने माला को कुछ दिनों के लिए उनके यहाँ काम पर भेजा था. एक दिन काम समाप्त करके रात को घर जाने के समय जब अम्मा को देर हो गई थी तब माला मेरे घर आई और उसने मुझे देखा था.
उन्हीं दिनों अम्मा को छोटी बहू के गर्भवती होने का पता चला और इस समाचार से माला उदास रहने लगी तब अम्मा ने उससे एक बार फिर पर-पुरुष सम्भोग की बात करी. तब माला ने अम्मा की बात मान कर कहा की वह सिर्फ मेरे साथ ही सम्भोग कर के संतान पैदा करना चाहेगी.
उसके बाद ही अम्मा ने मुझसे छुट्टी पर छोटी बहू के पास जाने की बात और अपनी जगह माला को काम पर लगाने की बात करी थी.
अम्मा की सारी बात सुनने के बाद मुझे महसूस हुआ कि उन दोनों ने मेरे साथ संतान पाने के लिए छल किया था. एक बार तो मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन मैंने अपने पर नियंत्रण रखते हुए फिर से सोचा कि उन चार माह में माला ने मुझे कितना प्रेम सुख दिया था.
जब मैंने उस छल की तुलना उस सुख से करी तो मुझे लगा कि उन्होंने मुझसे छल नहीं बल्कि उनकी आगे के जीवन में आने वाली ख़ुशी में सहयोग लिया था.
मेरा गुस्सा ठंडा हो गया और मैंने अम्मा से कहा- अम्मा, ठीक है जो हुआ सो हुआ, लेकिन यह मिठाई इतने दिनों बाद क्यों खिला रही हो? माला और अपने पोते मुझसे कब मिला रही हो?
अम्मा ने कहा- चालीस दिन पूरे होने की पूजा आज सुबह कराई थी और यह मिठाई उसी पूजा का प्रसाद है. मैं कल माला और बालक दोनों को आपसे मिलाने के लिए ले आऊंगी.
रात को जब मैं अम्मा का बनाया हुआ खाना खाकर सोने के लिए बिस्तर पर लेटा तब मेरी आँखों के सामने माला के साथ बिताये चार माह के दृश्य एक चलचित्र की तरह घूमने लगे.
बहुत देर तक उन यादों में खोये रहने के बाद मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई और अगला दिन शनिवार होने के कारण मैं देर तक सोता रहा.
रसोई से बर्तन खड़कने की आवाज़ से मेरी नींद खुली तो इस आस से की माला भी आई होगी मैं उठ कर वहाँ गया लेकिन सिर्फ अम्मा को देख कर मायूस हो गया.
अम्मा ने मुझे देखते ही समझ गई कि मैं क्या देखने आया था इसलिए झट से बोली- आप जल्दी से हाथ मुंह धो लो तब तक मैं चाय बना कर लाती हूँ. आपसे मिलाने के लिए माला और बालक को मैं थोड़ी देर बाद घर जा कर ले आऊंगी.
अम्मा की बात सुन कर मैंने हाथ मुंह धोये और बैठक में बैठ गया जहाँ अम्मा मुझे चाय दे कर फिर काम में लग गई.
मैं माला से मिलने के लिए बहुत आतुर था इसलिए अम्मा को काम करते देख कर मुझे मन ही मन उस पर गुस्सा आ रहा था की वह माला को लेने के लिए क्यों नहीं जा रही थी. मुझे परेशान देख कर अम्मा बोली- साहिब, मुझे लगता है कि आप बालक और माला को देखने एवम् मिलने के लिए बहुत व्याकुल हैं. मैंने अभी का सारा काम निपटा लिया है और अब मैं जाकर दोनों को ले आती हूँ.
यह सुनते ही मेरे मुंह से निकल गया- हाँ अम्मा, जल्दी जाओ और उन्हें ले आओ. मैं यहीं बैठा प्रतीक्षा कर रहा हूँ.
लगभग बीस मिनट के बाद जब दरवाज़े की घंटी बजी तब मैंने भाग कर उसे खोला तो वहाँ अम्मा गोदी में एक बालक को लिए खड़ी थी और उसके पीछे माला सिर झुकाए अपने को छिपाने की चेष्टा कर रही थी.
अम्मा ने बालक को मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली- लो साहिब, यह है आप के लगाये हुए बीज की उपज.
मैंने उस बालक को अम्मा से लिया और कुछ देर तक निहारता रहा और उसके रंग रूप से मोहित हो कर मैंने उसे चूम लिया.
मुझे बालक को चूमते देख कर अम्मा ने माला की ओर देखा और उनके चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई तथा दोनों मुस्करा पड़ी.
तभी अम्मा मुख्य द्वार की ओर जाती हुए बोली- माला, मुझे अब दूसरे घरों में भी काम करने जाना है इसलिए तुम यहाँ का काम निपटा दो और साहिब से पूछ कर उनकी कोई ज़रूरत हो तो उसे पूरा कर देना.
माला उसके पीछे दरवाज़ा बंद करने के लिए गई तब तक मैं बालक को गोदी में उठाये हुए बैडरूम में चला गया.
कुछ ही क्षणों बाद माला भी मेरे पीछे बैडरूम में आ कर मेरे पैरों को पकड़ लिया तथा मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरे लिंग को चूमने लगी.
इन दो वर्षों में वह माला को बहुत समझाती रही और किसी पर-पुरुष से सम्भोग करके गर्भवती होने के लिए मिन्नतें भी करती रही लेकिन वह इस विषय पर बात करने को टालती रही.
आगे अम्मा ने बताया एक दिन नीचे वाले घर में कोई समारोह था तब उसने माला को कुछ दिनों के लिए उनके यहाँ काम पर भेजा था. एक दिन काम समाप्त करके रात को घर जाने के समय जब अम्मा को देर हो गई थी तब माला मेरे घर आई और उसने मुझे देखा था.
उन्हीं दिनों अम्मा को छोटी बहू के गर्भवती होने का पता चला और इस समाचार से माला उदास रहने लगी तब अम्मा ने उससे एक बार फिर पर-पुरुष सम्भोग की बात करी. तब माला ने अम्मा की बात मान कर कहा की वह सिर्फ मेरे साथ ही सम्भोग कर के संतान पैदा करना चाहेगी.
उसके बाद ही अम्मा ने मुझसे छुट्टी पर छोटी बहू के पास जाने की बात और अपनी जगह माला को काम पर लगाने की बात करी थी.
अम्मा की सारी बात सुनने के बाद मुझे महसूस हुआ कि उन दोनों ने मेरे साथ संतान पाने के लिए छल किया था. एक बार तो मुझे बहुत गुस्सा आया लेकिन मैंने अपने पर नियंत्रण रखते हुए फिर से सोचा कि उन चार माह में माला ने मुझे कितना प्रेम सुख दिया था.
जब मैंने उस छल की तुलना उस सुख से करी तो मुझे लगा कि उन्होंने मुझसे छल नहीं बल्कि उनकी आगे के जीवन में आने वाली ख़ुशी में सहयोग लिया था.
मेरा गुस्सा ठंडा हो गया और मैंने अम्मा से कहा- अम्मा, ठीक है जो हुआ सो हुआ, लेकिन यह मिठाई इतने दिनों बाद क्यों खिला रही हो? माला और अपने पोते मुझसे कब मिला रही हो?
अम्मा ने कहा- चालीस दिन पूरे होने की पूजा आज सुबह कराई थी और यह मिठाई उसी पूजा का प्रसाद है. मैं कल माला और बालक दोनों को आपसे मिलाने के लिए ले आऊंगी.
रात को जब मैं अम्मा का बनाया हुआ खाना खाकर सोने के लिए बिस्तर पर लेटा तब मेरी आँखों के सामने माला के साथ बिताये चार माह के दृश्य एक चलचित्र की तरह घूमने लगे.
बहुत देर तक उन यादों में खोये रहने के बाद मुझे पता ही नहीं चला कब नींद आ गई और अगला दिन शनिवार होने के कारण मैं देर तक सोता रहा.
रसोई से बर्तन खड़कने की आवाज़ से मेरी नींद खुली तो इस आस से की माला भी आई होगी मैं उठ कर वहाँ गया लेकिन सिर्फ अम्मा को देख कर मायूस हो गया.
अम्मा ने मुझे देखते ही समझ गई कि मैं क्या देखने आया था इसलिए झट से बोली- आप जल्दी से हाथ मुंह धो लो तब तक मैं चाय बना कर लाती हूँ. आपसे मिलाने के लिए माला और बालक को मैं थोड़ी देर बाद घर जा कर ले आऊंगी.
अम्मा की बात सुन कर मैंने हाथ मुंह धोये और बैठक में बैठ गया जहाँ अम्मा मुझे चाय दे कर फिर काम में लग गई.
मैं माला से मिलने के लिए बहुत आतुर था इसलिए अम्मा को काम करते देख कर मुझे मन ही मन उस पर गुस्सा आ रहा था की वह माला को लेने के लिए क्यों नहीं जा रही थी. मुझे परेशान देख कर अम्मा बोली- साहिब, मुझे लगता है कि आप बालक और माला को देखने एवम् मिलने के लिए बहुत व्याकुल हैं. मैंने अभी का सारा काम निपटा लिया है और अब मैं जाकर दोनों को ले आती हूँ.
यह सुनते ही मेरे मुंह से निकल गया- हाँ अम्मा, जल्दी जाओ और उन्हें ले आओ. मैं यहीं बैठा प्रतीक्षा कर रहा हूँ.
लगभग बीस मिनट के बाद जब दरवाज़े की घंटी बजी तब मैंने भाग कर उसे खोला तो वहाँ अम्मा गोदी में एक बालक को लिए खड़ी थी और उसके पीछे माला सिर झुकाए अपने को छिपाने की चेष्टा कर रही थी.
अम्मा ने बालक को मेरी ओर बढ़ाते हुए बोली- लो साहिब, यह है आप के लगाये हुए बीज की उपज.
मैंने उस बालक को अम्मा से लिया और कुछ देर तक निहारता रहा और उसके रंग रूप से मोहित हो कर मैंने उसे चूम लिया.
मुझे बालक को चूमते देख कर अम्मा ने माला की ओर देखा और उनके चेहरे पर ख़ुशी की लहर दौड़ गई तथा दोनों मुस्करा पड़ी.
तभी अम्मा मुख्य द्वार की ओर जाती हुए बोली- माला, मुझे अब दूसरे घरों में भी काम करने जाना है इसलिए तुम यहाँ का काम निपटा दो और साहिब से पूछ कर उनकी कोई ज़रूरत हो तो उसे पूरा कर देना.
माला उसके पीछे दरवाज़ा बंद करने के लिए गई तब तक मैं बालक को गोदी में उठाये हुए बैडरूम में चला गया.
कुछ ही क्षणों बाद माला भी मेरे पीछे बैडरूम में आ कर मेरे पैरों को पकड़ लिया तथा मेरे लोअर के ऊपर से ही मेरे लिंग को चूमने लगी.
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Re: कामवाली की मस्त बहु
जब मैंने माला से ऐसा करने से मना किया तो वह बोली- साहिब, आपने मुझे माँ बनने का जो सौभाग्य दिया है मैं उसके लिए जीवन भर आपकी सदा ऋणी रहूंगी. मुझे उस मातृत्व सौभाग्य और यौन सुख दिलाने में आपके इस लिंग का बहुत महत्व रहा है इसलिए मैं इसे प्यार कर रही हूँ क्योंकि यह भी मेरे प्यार का बहुत बड़ा हकदार है.
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता उस बालक के रोने की आवाज़ सुन कर माला ने उठ कर मुझ से ले लिया. जब माला फिर से फर्श पर बैठने लगी तब मैंने उसे मना किया और पकड़ कर अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया.
माला ने मेरे पास बैठते ही अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर अपने ब्लाउज के नीचे के तीन बटन खोल दिए और अपने एक स्तन को बाहर निकला कर उसकी चूचुक को बालक के मुख में दे दी.
लगभग पाँच मिनट तक वह बेटे को दूध पिलाती रही और मैं पास ही बैठा बालक को दूध पीता तथा माला के पहले से अधिक बड़े हो गए स्तन को देखता रहा.
थोड़ी देर के बाद माला ने अपने बेटे को दूसरी ओर पलटी किया और ब्लाउज के बाकी बटन खोल कर दूसरे स्तन को बाहर निकाल कर उसमें से दूध पिलाने लगी.
मैंने देखा कि उसके दोनों स्तनों का अकार पहले से काफी अधिक बढ़ गया था जिस कारण वे बहुत ही अधिक सुन्दर एवम् आकर्षक लग रहे थे.
मैं अपने को अधिक देर रोक नहीं सका और हाथ आगे बढ़ा कर उसके एक स्तन को सहलाने लगा तथा कुछ देर के बाद उसे हल्का सा दबा भी दिया. माला के स्तन को जब मैंने दबाया तब उनकी कठोरता महसूस कर के स्तब्ध रह गया तभी मेरे दबाने के कारण उसके स्तन में से दूध निकल कर मेरे हाथ पर पड़ गया.
अनायास ही मैंने उसे चाट लिया जिसे देख कर माला खिल खिला कर हंस पड़ी और बोली- साहिब, मेरे दूध का स्वाद कैसा लगा? क्या आप भी पीना चाहोगे इसे?
मैंने उत्तर में कहा- स्वाद तो बहुत अच्छा लगा, लेकिन ठंडा हो गया था. अगर तुम गर्म गर्म पिलाओगी तो अवश्य पीना चाहूँगा.
मेरी बात सुन कर माला ने थोड़ा घूम कर उस स्तन को मेरी ओर करते हुए बोली- लीजिये साहिब, जी भर कर ताज़ा गर्म दूध पी लीजिये.
मैं तुरंत नीचे झुक कर उस स्तन की चूचुक को मुंह में ले कर चूसने लगा और उसमें से निकल रहे अमृत को पीने लगा.
दूध पीते हुए अभी दो मिनट ही हुए थे की माला ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- साहिब, एक मिनट रुकिए. बालक सो गया है मैं इसे नीचे लिटा दूँ फिर आप को दोनों तरफ का सारा दूध पिला दूंगी.
माला की बात सुन कर मैंने उसके स्तन से अपना मुंह हटा दिया तब उसने बालक को दूसरी तरफ बिस्तर पर लिटा दिया.
उसके बाद वह मेरी ओर मुड़ कर मेरे सिर को अपनी गोदी में ले लिया और अपने हाथ में स्तन को लेकर उसकी चूचुक मेरे मुंह में डाल दी.
चूचुक के मुंह में आते ही मैंने उसका दूध पीने लगा और वह अपने हाथ को मेरे सिर के बालों में फेरने लगी तथा थोड़ी थोड़ी देर के बाद मेरा माथा भी चूम लेती.
जब एक स्तन का सारा दूध समाप्त हो गया तब माला ने घूम कर दूसरे स्तन की चूचुक मेरे मुंह में दे दी और मेरे माथे को चूमने लगी.
कुछ क्षणों के बाद मुझे एहसास हुआ कि माला ने एक हाथ से वह स्तन पकड़ रखा था जिस में से मैं दूध पी रहा था लेकिन उसका दूसरा हाथ मेरे लोअर के ऊपर से मेरे लिंग को सहला रहा था.
लगभग दस मिनट के बाद जब मैंने माला के दोनों स्तनों का सारा दूध पी लिया और मेरा लिंग भी खड़ा हो गया था तब मैंने माला को अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया.
काफी देर तक एक दूसरे का चुम्बन लेने के बाद जब हम अलग हुए तब मुझे माला की आँखों में यौन क्रिया की लालसा दिखाई दी. मैंने तुरंत उठ कर माला के कन्धों पर उसका लटकता हुआ ब्लाउज और अधखुली साड़ी को खींच कर उसके बदन से अलग कर दिया.
माला ने भी मेरा पूरा साथ दिया और खुद ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरने दिया तथा पूर्ण नग्न हो गई. फिर जैसे ही माला ने मेरा लोअर पकड़ कर नीचे खींचा और मेरे शरीर के निचले भाग को नग्न किया मैंने भी अपनी टी-शर्ट उतार कर माला को उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया.
उसके बाद जैसे ही मैं उसके पास लेटा वह तुरंत ऊँची हो कर मेरे लिंग को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और अपने शरीर को घुमा कर अपनी योनि को मेरे मुंह पर रख दिया.
अगले दस मिनट तक हम दोनों 69 की मुद्रा में एक दूसरे की जननेन्द्रियाँ को चूसते एवम् चाटते हुए उत्तेजित करने लगे.
जब हम दोनों की जननेन्द्रियों में से पूर्व रस बहने लगा तब माला मेरे ऊपर आ गई और लिंग को अपनी योनि में प्रवेश करा कर उचक उचक कर अन्दर बाहर करने लगी.
मैं भी नीचे से अपने कूल्हे उठा कर उसका साथ देने लगा और उसकी योनि के अंदर की गर्मी को अपने लिंग पर महसूस करने लगा.
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता उस बालक के रोने की आवाज़ सुन कर माला ने उठ कर मुझ से ले लिया. जब माला फिर से फर्श पर बैठने लगी तब मैंने उसे मना किया और पकड़ कर अपने पास बिस्तर पर बिठा लिया.
माला ने मेरे पास बैठते ही अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा कर अपने ब्लाउज के नीचे के तीन बटन खोल दिए और अपने एक स्तन को बाहर निकला कर उसकी चूचुक को बालक के मुख में दे दी.
लगभग पाँच मिनट तक वह बेटे को दूध पिलाती रही और मैं पास ही बैठा बालक को दूध पीता तथा माला के पहले से अधिक बड़े हो गए स्तन को देखता रहा.
थोड़ी देर के बाद माला ने अपने बेटे को दूसरी ओर पलटी किया और ब्लाउज के बाकी बटन खोल कर दूसरे स्तन को बाहर निकाल कर उसमें से दूध पिलाने लगी.
मैंने देखा कि उसके दोनों स्तनों का अकार पहले से काफी अधिक बढ़ गया था जिस कारण वे बहुत ही अधिक सुन्दर एवम् आकर्षक लग रहे थे.
मैं अपने को अधिक देर रोक नहीं सका और हाथ आगे बढ़ा कर उसके एक स्तन को सहलाने लगा तथा कुछ देर के बाद उसे हल्का सा दबा भी दिया. माला के स्तन को जब मैंने दबाया तब उनकी कठोरता महसूस कर के स्तब्ध रह गया तभी मेरे दबाने के कारण उसके स्तन में से दूध निकल कर मेरे हाथ पर पड़ गया.
अनायास ही मैंने उसे चाट लिया जिसे देख कर माला खिल खिला कर हंस पड़ी और बोली- साहिब, मेरे दूध का स्वाद कैसा लगा? क्या आप भी पीना चाहोगे इसे?
मैंने उत्तर में कहा- स्वाद तो बहुत अच्छा लगा, लेकिन ठंडा हो गया था. अगर तुम गर्म गर्म पिलाओगी तो अवश्य पीना चाहूँगा.
मेरी बात सुन कर माला ने थोड़ा घूम कर उस स्तन को मेरी ओर करते हुए बोली- लीजिये साहिब, जी भर कर ताज़ा गर्म दूध पी लीजिये.
मैं तुरंत नीचे झुक कर उस स्तन की चूचुक को मुंह में ले कर चूसने लगा और उसमें से निकल रहे अमृत को पीने लगा.
दूध पीते हुए अभी दो मिनट ही हुए थे की माला ने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- साहिब, एक मिनट रुकिए. बालक सो गया है मैं इसे नीचे लिटा दूँ फिर आप को दोनों तरफ का सारा दूध पिला दूंगी.
माला की बात सुन कर मैंने उसके स्तन से अपना मुंह हटा दिया तब उसने बालक को दूसरी तरफ बिस्तर पर लिटा दिया.
उसके बाद वह मेरी ओर मुड़ कर मेरे सिर को अपनी गोदी में ले लिया और अपने हाथ में स्तन को लेकर उसकी चूचुक मेरे मुंह में डाल दी.
चूचुक के मुंह में आते ही मैंने उसका दूध पीने लगा और वह अपने हाथ को मेरे सिर के बालों में फेरने लगी तथा थोड़ी थोड़ी देर के बाद मेरा माथा भी चूम लेती.
जब एक स्तन का सारा दूध समाप्त हो गया तब माला ने घूम कर दूसरे स्तन की चूचुक मेरे मुंह में दे दी और मेरे माथे को चूमने लगी.
कुछ क्षणों के बाद मुझे एहसास हुआ कि माला ने एक हाथ से वह स्तन पकड़ रखा था जिस में से मैं दूध पी रहा था लेकिन उसका दूसरा हाथ मेरे लोअर के ऊपर से मेरे लिंग को सहला रहा था.
लगभग दस मिनट के बाद जब मैंने माला के दोनों स्तनों का सारा दूध पी लिया और मेरा लिंग भी खड़ा हो गया था तब मैंने माला को अपनी ओर खींचा और उसके होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया.
काफी देर तक एक दूसरे का चुम्बन लेने के बाद जब हम अलग हुए तब मुझे माला की आँखों में यौन क्रिया की लालसा दिखाई दी. मैंने तुरंत उठ कर माला के कन्धों पर उसका लटकता हुआ ब्लाउज और अधखुली साड़ी को खींच कर उसके बदन से अलग कर दिया.
माला ने भी मेरा पूरा साथ दिया और खुद ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे गिरने दिया तथा पूर्ण नग्न हो गई. फिर जैसे ही माला ने मेरा लोअर पकड़ कर नीचे खींचा और मेरे शरीर के निचले भाग को नग्न किया मैंने भी अपनी टी-शर्ट उतार कर माला को उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया.
उसके बाद जैसे ही मैं उसके पास लेटा वह तुरंत ऊँची हो कर मेरे लिंग को अपने मुंह में ले कर चूसने लगी और अपने शरीर को घुमा कर अपनी योनि को मेरे मुंह पर रख दिया.
अगले दस मिनट तक हम दोनों 69 की मुद्रा में एक दूसरे की जननेन्द्रियाँ को चूसते एवम् चाटते हुए उत्तेजित करने लगे.
जब हम दोनों की जननेन्द्रियों में से पूर्व रस बहने लगा तब माला मेरे ऊपर आ गई और लिंग को अपनी योनि में प्रवेश करा कर उचक उचक कर अन्दर बाहर करने लगी.
मैं भी नीचे से अपने कूल्हे उठा कर उसका साथ देने लगा और उसकी योनि के अंदर की गर्मी को अपने लिंग पर महसूस करने लगा.
- SID4YOU
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Re: कामवाली की मस्त बहु
अगले पाँच-सात मिनट के बाद मैं माला के ऊपर था और अपने लिंग को बहुत ही तीव्रता से उसकी योनि के अन्दर बाहर करता रहा. उसके पश्चात मैंने माला को घोड़ी बना कर उसके पीछे से उसकी योनि में लिंग डाल कर उसके साथ तब तक सम्भोग करता रहा जब तक कि हम दोनों एक साथ ही रस स्खलन नहीं हो गया.
पैंतीस-चालीस मिनट की इस धक्कम-पेल से हमारी साँसें फूल गई तथा शरीर पसीने से भीग गया और हम थक कर एक दूसरे की बांहों में बिस्तर पर लेट गए.
बीस मिनट वैसे ही लेटे रहने के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए और एक दूसरे की जननेन्द्रियों को अच्छे से साफ़ किया.
कमरे में आने के बाद मैं तो कपड़े पहन कर बिस्तर पर ही लेट गया और माला कपड़े पहन कर दोपहर का खाना बनाने के लिए रसोई में चली गई.
शाम को जब अम्मा ने माला से घर चलने के लिए कहा तब कहा- अम्मा, इन्हें कहाँ ले जा रही हो? मैं तो कहता हूँ कि आप सब यहीं रहने के लिए आ जाओ.
जब अम्मा मेरी बात मानने के लिए तैयार नहीं हुई तब मैंने कहा- अम्मा, इस बालक और उसकी माँ का तो हक बनता है यहाँ रहने का. आप इन्हें ज़बरदस्ती नहीं ले जा सकती. मेरा कहा मानिए और सब यहीं रह जाइए.
मेरी बात सुन कर अम्मा कुछ देर सोच कर बोली- नहीं, मैं यहाँ नहीं रह सकती. अगर माला यहाँ रहना चाहती है तो वह और बालक रह सकते है.
अम्मा की बात सुन कर माला का चेहरा खिल उठा और अम्मा का धन्यवाद करने के लिए उसने उनके पाँव छू कर आशीर्वाद लिया.
इसके बाद अम्मा माला और बालक को मेरे साथ ही रहने के लिए छोड़ कर अपने घर चली गई.
अम्मा के जाने के बाद माला ने ख़ुशी के मारे मेरा मुख चूम चूम कर गीला कर दिया और रात के खाने से पहले एक बार फिर अपना दूध पिलाया और मेरे साथ सम्भोग किया.
पिछले दो वर्ष से माला ही मेरा एवम् घर का सारा काम करती है और अपने बालक के साथ मेरे ही साथ रहती एवम् सोती है.
पहले एक वर्ष में माला ने पहले छह माह तक दिन में दो बार मुझे अपना दूध पिलाती थी और उसके बाद मेरे साथ सम्भोग भी करती थी.
वह हर रात मेरे साथ सहवास करती है और जब कभी भी मेरी इच्छा होती है तो दूसरी बार सम्भोग भी करती है.
पिछले दो साल से मैं बिना विवाह किये भी एक शादी शुदा पुरुष की तरह जीवन जी रहा हूँ और माला विवाहित होने के बावजूद भी एक पर-पुरुष के साथ जीवन व्यतीत कर रही है.
मुझे आशा है कि जब तक माला का पति वापिस नहीं आता और वह उसके पास जा कर नहीं रहती या फिर मेरी शादी नहीं हो जाती तब तक हम दोनों इसी तरह जीवन व्यतीत करते रहेंगे.
समाप्त
पैंतीस-चालीस मिनट की इस धक्कम-पेल से हमारी साँसें फूल गई तथा शरीर पसीने से भीग गया और हम थक कर एक दूसरे की बांहों में बिस्तर पर लेट गए.
बीस मिनट वैसे ही लेटे रहने के बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम में गए और एक दूसरे की जननेन्द्रियों को अच्छे से साफ़ किया.
कमरे में आने के बाद मैं तो कपड़े पहन कर बिस्तर पर ही लेट गया और माला कपड़े पहन कर दोपहर का खाना बनाने के लिए रसोई में चली गई.
शाम को जब अम्मा ने माला से घर चलने के लिए कहा तब कहा- अम्मा, इन्हें कहाँ ले जा रही हो? मैं तो कहता हूँ कि आप सब यहीं रहने के लिए आ जाओ.
जब अम्मा मेरी बात मानने के लिए तैयार नहीं हुई तब मैंने कहा- अम्मा, इस बालक और उसकी माँ का तो हक बनता है यहाँ रहने का. आप इन्हें ज़बरदस्ती नहीं ले जा सकती. मेरा कहा मानिए और सब यहीं रह जाइए.
मेरी बात सुन कर अम्मा कुछ देर सोच कर बोली- नहीं, मैं यहाँ नहीं रह सकती. अगर माला यहाँ रहना चाहती है तो वह और बालक रह सकते है.
अम्मा की बात सुन कर माला का चेहरा खिल उठा और अम्मा का धन्यवाद करने के लिए उसने उनके पाँव छू कर आशीर्वाद लिया.
इसके बाद अम्मा माला और बालक को मेरे साथ ही रहने के लिए छोड़ कर अपने घर चली गई.
अम्मा के जाने के बाद माला ने ख़ुशी के मारे मेरा मुख चूम चूम कर गीला कर दिया और रात के खाने से पहले एक बार फिर अपना दूध पिलाया और मेरे साथ सम्भोग किया.
पिछले दो वर्ष से माला ही मेरा एवम् घर का सारा काम करती है और अपने बालक के साथ मेरे ही साथ रहती एवम् सोती है.
पहले एक वर्ष में माला ने पहले छह माह तक दिन में दो बार मुझे अपना दूध पिलाती थी और उसके बाद मेरे साथ सम्भोग भी करती थी.
वह हर रात मेरे साथ सहवास करती है और जब कभी भी मेरी इच्छा होती है तो दूसरी बार सम्भोग भी करती है.
पिछले दो साल से मैं बिना विवाह किये भी एक शादी शुदा पुरुष की तरह जीवन जी रहा हूँ और माला विवाहित होने के बावजूद भी एक पर-पुरुष के साथ जीवन व्यतीत कर रही है.
मुझे आशा है कि जब तक माला का पति वापिस नहीं आता और वह उसके पास जा कर नहीं रहती या फिर मेरी शादी नहीं हो जाती तब तक हम दोनों इसी तरह जीवन व्यतीत करते रहेंगे.
समाप्त