परिवार में सामूहिक चुदाई

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koushal
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परिवार में सामूहिक चुदाई

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परिवार में सामूहिक चुदाई


ये दो परिवार की कहानी हैं और भी परिवार आएंगे इसमें वो बाद में बताउंगी
मेरे परिवार( यानी मायके के ) के लोग है मेरे फेमिली में सिर्फ 2 लोग ही है भाई और भाभी
माँ पापा नहीं है भाई और में साथ ही रहे शुरू से एक दूसरे से खुले हुए

मालिनी (मेरा नाम एक राखी भी है )

उम्र 34 फिगर 34 32 36

राज. मेरा भाई उम्र 36 हैंडसम है
लण्ड 10 इंच लम्बा 3 मोटा

महक. मेरी भाभी उम्र 34 गोरी चिट्टी
फिगर 34 32 36

ससुराल के लोग है

विकास. मेरे पति उम्र 36 हैंडसम है
लण्ड 9 इंच लम्बा 3 मोटा

राजीव. मेरे ससुर हैंडसम है उम्र 50
लण्ड 11 इंच लम्बा 4 मोटा

जया मेरी ननद गोरी चिट्टी है उम्र 22
फिगर 32 30 34

अलका मेरी मौसी सास (विधवा है) गोरी चिट्टी उम्र 40+
फिगर 36 34 38

रूचि मौसी सास की बेटी मेरी दूसरी ननद
उम्र 22 फिगर 32 30 34

और भी किरदार आएंगे वो आगे
koushal
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Re: परिवार में सामूहिक चुदाई

Post by koushal »

मेरा नाम मालिनी है लेकिन में अपने मायके का नाम राखी लिखूंगी
मेरे माँ पापा नहीं है भाई और में साथ साथ रहे शुरू से ही पापा ने हमे शहर
में घर ले दिया था जिससे हमे पढ़ने लिखने में कोई दिक्कत ना हो
जब में और राज जवान हुए तो बॉडी में चेंज भी आने लगे हम दोनों बिलकुल खुले हुए थे शुरू से
सभी बाते करते राज चुदाई की भी बाते करता मुझसे हम अकेले रहते थे कोई रोकने टोकने
वाला कोई था नहीं तो जल्दी बहक भी गए रोज चुदाई करने लग गए
हुआ ये था की राज मुझसे मेरे अंगो के बारे में पूछता वो मुझे चोरी चोरी नहाते हुए भी देखता था मुझे पता था इसका
वो मेरी चड्डी ब्रा चुरा लेता था मुझे नंगी देखता कपडे पहनते देखता में तंग आ गयी एक दिन मेने उससे कहा भाई तू मुझे तंग क्यों
करता है मेरे कपडे चुरा लेता है और ना जाने क्या क्या करता है क्या मिलता है तुझे तो भाई बोला
राखी देख में तुझसे साफ़ साफ़ कह रहा हू में तुझसे प्यार करता हू तुझे चोदना चाहता हू तू चाहती है की नहीं बता मुझे
में भाई को देखती रही मेने कहा भाई में तेरी बहन हू तू मुझसे ऐसे कैसे बात कर रहा है शर्म नहीं आती तुझे
भाई ने कहा ये तू मानती हे हम भाई बहन है तू औरत में मर्द इनका सिर्फ एक ही रिश्ता है लण्ड चूत का
चुदाई का तुझे देखकर पागल rahta नहीं है भाई और में साथ साथ रहे शुरू से ही पापा ने हमे शहर
में घर ले दिया था जिससे हमे पढ़ने लिखने में कोई दिक्कत ना हो
जब में और राज जवान हुए तो बॉडी में चेंज भी आने लगे हम दोनों बिलकुल खुले हुए थे शुरू से
सभी बाते करते राज चुदाई की भी बाते करता मुझसे हम अकेले रहते थे कोई रोकने टोकने
वाला कोई था नहीं तो जल्दी बहक भी गए रोज चुदाई करने लग गए
हुआ ये था की राज मुझसे मेरे अंगो के बारे में पूछता वो मुझे चोरी चोरी नहाते हुए भी देखता था मुझे पता था इसका
वो मेरी चड्डी ब्रा चुरा लेता था मुझे नंगी देखता कपडे पहनते देखता में तंग आ गयी एक दिन मेने उससे कहा भाई तू मुझे तंग क्यों
करता है मेरे कपडे चुरा लेता है और ना जाने क्या क्या करता है क्या मिलता है तुझे तो भाई बोला
राखी देख में तुझसे साफ़ साफ़ कह रहा हू में तुझसे प्यार करता हू तुझे चोदना चाहता हू तू चाहती है की नहीं बता मुझे
में भाई को देखती रही मेने कहा भाई में तेरी बहन हू तू मुझसे ऐसे कैसे बात कर रहा है शर्म नहीं आती तुझे
भाई ने कहा ये तू मानती हे हम भाई बहन है तू औरत में मर्द इनका सिर्फ एक ही रिश्ता है लण्ड चूत का
चुदाई का तुझे देखकर पागल रहता हू तू ना मिली तो मर जाऊंगा में चुप रही और अपने रूम में चली गयी
koushal
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Re: परिवार में सामूहिक चुदाई

Post by koushal »

अगले दिन भाई मुझसे नहीं बोल रहा था में भी नहीं बोली ना उसने खाना खाया
में खाने को मनाती रही मेने भी खाना नहीं खाया भूखी ही सो गयी शाम को भाई
आइसक्रीम पैक कराकर लाया मुझे दी खाने को मेने मना कर दिया और अपने रूम में जाने लगी
भाई ने मेरा हाथ पकड़कर कहा देख तू मेरी बहन ही नहीं जान है तुझे कुछ हो गया तो में वैसे ही मर जाऊंगा
तू पहले ये आइसक्रीम खा फिर बात करते है बड़े प्यार से लाया हू फिर खाना खाएंगे दोनों
में आइसक्रीम खाने लगी भाई बोला राखी तू एक काम करेगी क्या मेने कहा क्या भाई देख तू बात तो सब
करतीही है एकबार नंगी होके दिखा दे फिर कभी तुझसे कुछ नहीं कहूंगा देख तुझे मेरी कसम है मना मत करना
मेने कहा ठीक है भाई पर कुछ करना मत में सिर्फ तुम्हे ब्रा पैंटी में ही दिखा सकती हु इससे ज्यादा मुझसे नहीं होगा
भाई बोलै जैसी तेरी मर्ज़ी में उस वक़्त गाउन में थी मेने गाउन उतरा मेने ब्लू ब्रा पैंटी पहनी हुई थी
मेरा गदराया बदन देख कर पागल हो गया मुझे चूमने लगा बाहों में भरकर भींचने लगा में कसमसा कर रह गयी
मेने कहा भाई सिर्फ देखने की बात हुई थी तू तो आगे बढ़ रहा है ये गलत है भाई बोला बहना मेरी तू इतना कर दी है तो
आज सबकुछ हो जाने दे मान जा तू भी सब समझ ती है आज तुझे चोद ही लू हां बोल दे जल्दी से मेरी गुड़िया
मेने कहा भाई मुझे छोड़ दे अभी में कुछ नहीं करुँगी भाई ने उस टाइम तो छोड़ दिया लेकिन कहा गुड़िया तुझे जल्दी ही चोद दूंगा
में गाउन लेकर जल्दी ही रूम में भाग गयी अगले दिन मुझे महीना आया हुआ था तो में कॉलेज नहीं गयी भाई ही गया में घर की साफ़ सफाई
करने लगी पहले मेने भाई के रूम को साफ़ किया में बेड की सफाई कर रही थी मुझे गद्दे के नीचे मस्तराम की कहानी की किताबे और मेरी
चड्डी मिली में किताबो को खोलकर देखा उसमे भाई बहन माँ बेटा की चुदाई की कहानी थी मेरी समझ में अब आया भाई इतना क्यों बिगड़
मेनेएक किताब को खोलकर पढ़ा उसमे भाई बहन की चुदाई की कहानी थी कैसे एक बहन को भाई ने चोदा
koushal
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Re: परिवार में सामूहिक चुदाई

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में कहानी पढकर गरम हो गयी चूत पानी छोडने लगी एक तो मेरा महीना
दूसरे कहानी का असर चूत में खुजली सी होने लगी में चड्डी के ऊपर से चूत को रगड़ने लगी
मेने बेड पर पैर पसार लिए और चड्डी को थोड़ा साइड करके चूत को खुजाने लगी मेरे महीने की
ब्लीडिंग और चूत का मिजाजुला रस बेडशीट पर लग गया जिसका मुझे पता नहीं लगा फिर थोड़ा संयत होकर
सोचने लगी भाई कहता तो ठीक ही है पर ये क्या सही होगा मेने अपनी चड्डियों को जो भाई ने पहले से चुराकर अपने पास रखी
हुई थी और किताबो को वापस गद्दे के नीचे रख दिया मुझे पता नहीं था बेडशीट पर मेरी निशानी रह गयी है दोपहर को भाई कॉलेज से घर आया
हमने खाना साथ में ही खाया फिर में अपने रूम में और भाई अपने रूम में गया वहा उसकी नज़र बेडशीट पर पड़ी उसने वो दाग जो बन गया था उसे देखने लगा
शाम को हॉल में भाई बैठा हुआ था में जब आयी भाई मुझे देखकर मुस्करा रहा था मेने कहा भाई कोई खास बात हे क्या जो मन ही मन मुस्करा रहे हो
भाई बोला राखी तूने मेरे रूम को साफ़ किया था क्या मेने कहा हां भाई किया था कुछ गलती हुई क्या मुझसे भाई बोला गुड़िया तू और गलती कर ही नहीं सकती
फिर हम बाते करने लगे फिर शाम को खाना खाया और सो गए सुबह जल्दी नहा धोकर कॉलेज चला गया फिर में भाई के रूम में गयी और किताबो को निकालकर
पढ़ने लगी कल की तरह बेड पर पसर कर उस टाइम मेने सिर्फ ब्लैक चड्डी और ब्रा पहनी थी में किताबो को पढ़ने लगी चुदाई की कहानियो को पढ़कर गरम हो गयी चड्डी को साइड में करके चूत को
रगड़ने लगी चूत से ब्लड और चूत रस मिक्स निकलने लगा मुझे कोई होश नहीं था की बेडशीट पर दाग लग रहे है थोड़ी देर बाद मेने किताबो को गद्दे के नीचे रख दिया फिर खाने की तैयारी करने लगी
कुछ देर बाद भाई आया अपने रूम में गया वहा आज फिर मेरे दाग लगे देखे फिर हम दोनों ने साथ खाना खाया भाई चुप ही था में बोली भाई कुछ हुआ हे क्या भाई बोलै गुड़िया पहले खाना खाये फिर बात करेंगे हमने खाना ख़तम किया फिर बोलै गुड़िया यहाँ आओ तो में सोफे पे जाकर भाई के बगल में बैठ गयी भाई बोले गुड़िया तेरी तबियत तो ठीक है ना कोई प्रॉब्लम है तो चल डॉक्टर को दिखाकर लाउ तुम्हे में बोली नहीं भाई मेरी तबियत ठीक है भाई बोले गुड़िया आज भी तूने मेरा रूम साफ़ किया था क्या मेने झूठ कहा नहीं भाई में रूम में गयी ही नहीं भाई बोले गुड़िया मुझे पता है तू रूम में गयी वहा बेडशीट पर तेरे दाग लगे है तू महीने से है अभी तेरी चूत का और महीने का ब्लड लगा है बेड पर चल देख ले में जानता हू तू चुदना तो चाहती है पर कहती कुछ नहीं है तुझे पता है में तुझे चोदना चाहता हू में बोली भाई फिर शुरू हो गए आप सुनने की भी कोई हद होती है बहन हू तुम्हारी कोई रण्डी तो नहीं हू बार बार वही बात भाई बोलै देख गुड़िया मुझे बुरा नहीं लगा तेरी बात का तेरे सिवाये मेरा है कौन इस दुनिया में मुझे पता है
तू मेरे कमरे में गयी तूने चुदाई की किताबे पढ़ी तू गरम हो गयी और अपने दाग बेडशीट पर छोड़ आयी तूने अपनी चड्डी भी देखी होंगी वहा
देख मुझे बुरा नही लगा बिलकुल में चाहता हू दुनिया का तू हर मज़ा लुटे तेरे सिवाए मेरा कौन है तू तड़पती रहे मुझसे नहीं देखा जायेगा हां तू मुझे तड़पता देख सकती है
मरता हुआ देख सकती है में चुपचाप सुनती रही भाई बोलै कुछ बोलेगी भी क्या मेने कहा भाई तूने इतना कुछ तो बोल दिया क्या बोलू
koushal
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Re: परिवार में सामूहिक चुदाई

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मुझे चुप देखकर भाई बोला गुड़िया तेरी ख़ामोशी में क्या हां हे क्या मेने कहा भाई मुझे तुम्हारे साथ अच्छा नहीं लगता ये सब
तुम मेरे भाई हो मुझे शर्म आती है पर तुमसे प्यार करती हू तो इतना तुमसे खुली हुई हू और उस दिन तो तुमने मुझे नंगी देखा ही है
और मुझे पता है तुम मुझे नहाते हुए कपडे बदलते हुए देखते हो मेरे कपडे भी चुरा रखे है
इतना कुछ तो कर लिया अब क्या बाकि है में तुमसे कुछ छुपाती हू क्या हर बात शेयर करती हू यहाँ तक तुम मुझसे इतनी गन्दी गन्दी बाते करते हो सब सुनती हू हां ये सच हे मेरा भी ये सब करने का मन करता है पर भाई हमारा रिश्ता देखो भाई बहन की मर्यादा भी कुछ मायने रखती है ये सोचकर में आगे नहीं बढती Part-
मुझे चुप देखकर भाई बोला गुड़िया तेरी ख़ामोशी में क्या हां हे क्या मेने कहा भाई मुझे तुम्हारे साथ अच्छा नहीं लगता ये सब
तुम मेरे भाई हो मुझे शर्म आती है पर तुमसे प्यार करती हू तो इतना तुमसे खुली हुई हू और उस दिन तो तुमने मुझे नंगी देखा ही है
और मुझे पता है तुम मुझे नहाते हुए कपडे बदलते हुए देखते हो मेरे कपडे भी चुरा रखे है
इतना कुछ तो कर लिया अब क्या बाकि है में तुमसे कुछ छुपाती हू क्या हर बात शेयर करती हू यहाँ तक तुम मुझसे इतनी गन्दी गन्दी बाते करते हो सब सुनती हू हां ये सच हे मेरा भी यी ये सब करने का मन करता है पर भाई हमारा रिश्ता देखो भाई बहन की मर्यादा भी कुछ मायने रखती है ये सोचकर में आगे नहीं बढ़ती हू तुम हो की बार बार मुझे दुखी करते हो मरने की बाते करते हो
भाई बोला देख गुड़िया में तेरी मर्जी के बिना आगे नहीं बढ़ता हू में तुझे सिर्फ एक औरत की नज़र से देखता हु तू अकेली मेरे साथ रहती हे इतने खुले विचारो की है इसलिए तुझसे गन्दी गन्दी बातें कर लेता हू सोचता हू तुझे दुनिया का हर सुख दे सकू तो तू चोदने का भी सुख ले मुझे गन्दा बोलना ही आता है अगर तुझे दुःख होता है मेरी बातो से मुझे माफ़ कर दे
अब में तेरी शादी करूँगा जल्दी से जिससे तू अपने पति के घर ये सुख भी ले में तुझे इसके लिए तुझे तड़पता नहीं देख सकूंगा मेने कहा भाई इतना ही प्यार करते हों तो मुझसे मुझे भाभी ला दो तुम्हे भी नहीं तड़पना पड़ेगा में भी तुम्हे कैसे तड़पता देख सकती हू
भाई बोला नहीं गुड़िया में शादी नहीं करूंगा मेरी बहन मेरी बीबी मेरी दोस्त सिर्फ और सिर्फ तू ही है और के बारे में कभी सोचा ही नही ना ही सोचूंगा मुझ पर तेरा हक़ पहले है मेरा तुझपर भले ही कोई हक़ नहीं हो में भाई की बातो का कोई जबाब देते नहीं बनी

मेने कहा किसने कहा मुझ पर तुम्हारा हक़ नहीं है अब अपना मूड सही करो आज मुझे कुछ शॉपिंग करवा दो बहार ही खाना खाएंगे
भाई ने कहा राखी एक बात बोलू तुझसे नाराज़ तो नहीं होगी मेने कहा भाई तुम इतना गन्दा गन्दा तो मुझसे बोल ते हो तब तो नाराज़ नहीं होती फिर भी बोलो क्या बोलना है भाई बोला गुड़िया तू भी मुझसे ऐसे ही गन्दी गन्दी बाते किया कर बेशर्म बनके तू जितनी बेशरम होगी मुझे अच्चा लगेगा तू घर में मेरी बीबी बनके रह सकती है भले तू चुदवा मत मुझसे जबतक तेरी शादी नहीं हो जाती इतना तो कर सकती है ना तू देख कोई जोर नहीं है बस एक इल्तजा है तुझसे मेरी में चुप रही
भाई ने कहा गुड़िया तू चुप है कोई बात नहीं सॉरी में कुछ ज्यादा ही बोल गया माफ़ कर दे
मेने कहा भाई चलो ना अब चलते है वापास घर भी आना है कहकर हम घर से गाडी लेकर निकल गए मॉल की तरफ
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