Incest बदलते रिश्ते

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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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तुम डरो मत मैं तुमसे वादा करती हूं कि मैं तुमसे कुछ नहीं कहूंगी,,,,,
( सुगंधा तो बेताब थी अपने बेटे के मुंह से यह सुनने के लिए कि सबसे पहले उसकी नजर उसके खूबसूरत बदन पर कहां पड़ती है उत्तेजना के मारे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,,, उसके कान तड़प रहे थे अपने बेटे के मुंह से सुनने के लिए उसकी उत्तेजना दबाए नहीं दब रही थी,,,,, रोहन की भी हालत खराब हो जा रही थी वह अपनी मां की नंगी चिकनी पीठ पर जोर जोर से अपनी हथेलियां रगड़ ते हुए उसकी मालिश कर रहा था उसके पजामे में बना तंबू लोहे की रॉड की तरह अकड़ गया था।)

पहले मेरे साथ ऐसा नहीं होता था लेकिन अब ना जाने क्यों ऐसा होने लगा,,, कुछ दिनों से पता नहीं क्यों जब भी मेरी नजर तुम पर पड़ती है तो मुझे ना जाने क्या होने लगता है (सुगंधा अपने बेटे की बात सुनकर मंद मंद मुस्कुरा रही थी और रोहन की हथेलियां नंगी पीठ पर लगातार हरकत कर रही थी।) अगर सच कहूं तो जब भी मेरी नजर तुम पर आगे से पड़ती है तो मेरी सबसे पहले नजर तुम्हारे दोनों बड़े बड़े उस पर जाती है,,,।

दोनों बड़े बड़े,,,,, दोनों बड़े-बड़े किस पर पड़ती है (सुगंधा जानबूझकर आश्चर्य चकित होते हुए बोली)

मम्मी उसी पर जो तुम्हारे सीने पर दो-दो हैं,,,,

अरे उसका कुछ तो नाम होगा नाम लेकर बोल तब मुझे पता चले,,,,,,( सुगंधा सब कुछ जानती थी कि उसका बेटा किस बारे में कह रहा है लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहती थी,,,)

मम्मी अब मैं कैसे कहूं मुझे शर्म आ रही है मैंने कभी उसका नाम नहीं लिया इसके लिए,,,,,

यह देखो एक मर्द होकर औरतों के अंगो का नाम लेने में शर्म आ रही है पता नहीं तुम शादी के बाद अपनी औरत के साथ क्या करोगे मैं पहले ही तुम्हें कह चुकी हूं कि मुझसे शर्माने की जरूरत नहीं है उस अंग को जो कहा जाता है उसी नाम से मुझे बताओ डरने की जरूरत नहीं है,,,,,,
( सुगंधा जिस तरह से रोहन को खुले शब्दों में सब कुछ बोल रही थी यह औरत के द्वारा एक मर्द के लिए खुला आमंत्रण होता है अगर रोहन की जगह कोई और होता तो इस खुले आमंत्रण को संपूर्ण रूप से स्वीकृत करते हुए अब तक सुगंधा पर चढ़ गया होता लेकिन रोहन उसका बेटा था इसलिए इस खुले आमंत्रण को भी वह संपूर्ण रूप से स्वीकार नहीं कर पा रहा था लेकिन इतना तो जानता था कि सामने उसकी मां नहीं अब एक औरत थी जोकि सारी शर्मा है त्याग कर बेशर्म औरतों की तरह व्यवहार कर रही थी जिससे रोहन को मज़ा भी आ रहा था,,,।)
तो अब बताओ तुम मुझे जब आगे से देखते हो तो तुम्हारी नजर सबसे पहले मेरे कौन से अंग पर पड़ती है,,,,?

मम्मी जब मैं तुम्हें आगे से देखता हूं तो मेरी नजर सबसे पहले तुम्हारी,,,,,चचचचचच,,, चुचीयो पर पड़ती है,,( इतना कहने के साथ हीरोइन अपनी हथेलियों को सुगंधा के कंधों से नीचे की तरफ सरका कर अपनी उंगलियों से अपनी मां की दोनों चुचियों को दबा दिया जिससे इस बार उसकी उंगलियां सुगंधा की चुचियों के नीचे की तरफ सर करते हुए उसकी निप्पल से स्पर्श हो गया जो कि इस समय तन कर एकदम चॉकलेटी चॉकलेट की तरह हो गई थी रोहन की इस हरकत की वजह से ना चाहते हुए भी सुगंधा के मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,।)
सससससहहहहह,,,,,,, आाहहहहहह,,,,

अपनी मां के मुंह से इस तरह की आवाज सुनकर रोहन पूरी तरह से गर्म हो चुका था आज पहली बार उसने इतना हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां की चुचियों की नेपाल को स्पर्श किया था भले ही वह इस पर सहल का था लेकिन जय स्पर्श रोहन को पूरी तरह से कामोत्तेजना के समंदर में ढके ले ले जा रहा था और यही हाल सुगंधा का भी था पहली बार अपने बेटे की उंगलियों का स्पर्श उसके बदन के नाजुक हिस्से पर हुआ था जिससे उसकी भी काम भावना प्रबल हो चुकी थी बुर में पानी का सैलाब उठ रहा था जिसे संभाल पाना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं था दोनों के बीच के रिश्तो के मायने धीरे-धीरे बदल रहे थे और जिसमें दोनों को भरपूर आनंद की प्राप्ति हो रही थी ।

देखा अब जाकर तूने खुलकर औरत के अंग का नाम लिया है तेरे मुंह से चूची शब्द कितना अच्छा लग रहा है मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि मैंने तेरे मुंह से इन शब्दों को सुनी हूं इस तरह से खुलकर बोला कर तब और अच्छा लगेगा,,,,

ठीक है मम्मी,,,,( रोहन ने पहली बार चूची शब्द अपने मुंह से बोला था अब तक वह अपने ख्यालों में उस नाम को लेता था लेकिन आज पहली बार उसने अपनी मां के सामने उसके दूध का नाम लेकर बोला था)

अच्छा अब यह बता जब तू मुझे पीछे से देखता है तो तेरी नजर कहां पड़ती है,,, (सुगंधा यह बात जानती थी कि रोहन क्या कहने वाला है लेकिन वह उसके मुंह से सुनना चाहती थी क्योंकि वह मर्दों की नजरों से अच्छी तरह से वाकिफ थी गांव में आते जाते सामने से मर्दों की नजर कहां पड़ रही है और पीछे से मर्दों की नजर क्या देख रही है यह बात अच्छी तरह से जानती थी,,, अपनी मां की बात सुनकर रोहन का दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि बड़ी मुश्किल से उसने चूची शब्द बोला था और अब वह जानता था कि उसकी मां क्या सुनना चाहती है लेकिन फिर भी वह इसके लिए पूरी तरह से तैयार था ।)

मम्मी ये भी बताने वाली बात है तुम तो सब जानती हो तो पूछ क्यों रही हो,,,,

अरे मैं कहां जानती हूं मुझे क्या पता कि तुम लड़कों की नजर हम औरतों के बदन पर कहां-कहां घूमती है,,, जैसे पहले बता दे यह भी बता दे कि पीछे से तेरी नजर किस अंग पर सबसे पहले पड़ती है जल्दी बता दें शर्मा मत,,,,,

मम्मी जब मैं तुम्हें पीछे से देखता हूं तो,,,, वैसे तो यह सब जानबूझकर नहीं होता अपने आप ही हो जाता है सच कहूं तो जब मैं तुम्हें पीछे से देखता हूं तो मेरी नजर सबसे पहले तुम्हारी
गगगग,, गांड पर जाती है।
( रोहन झट से बोल दिया जो कि यह बात बिल्कुल सच थी वैसे भी रोहन को उसकी मां की मदमस्त गांड बहुत ही अच्छी लगती थी और अपनी मां पर नजर पड़ते ही सबसे पहले उसकी नजर उसी अंग पर जाती थी रोहन के मुंह से यह बात सुनकर सुगंधा उत्तेजना के मारे सिहर उठी क्योंकि,, रोहन गांड शब्द बोलते समय जानबूझकर मालिश करते हुए,,, अपनी हथेली को पेटीकोट के अंदर कुछ ज्यादा ही सरका कर अपनी मां के मदमस्त नितंबों की ऊंचाई को हल्के से बता दिया था जिससे सुगंधा की उत्तेजना एकदम से बढ़ गई थी,,,, रोहन का बदन भी अपनी मां की मदमस्त गांड को छूकर झटके खा रहा था खास करके उसके लंड की हालत बिल्कुल खराब हो चुकी थी ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी लंड की नसें फट जाएगी,,,, अपनी मां के सामने चूची और गांड शब्द बोलकर रोहन की खुशी शमा नहीं रही थी उसे बहुत अच्छा लग रहा था और इतना ही आनंदित सुगंधा भी हो रही थी दोनों मां-बेटे को इस तरह से गंदे शब्दों का प्रयोग करके बातचीत करने में बहुत ही ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी इससे पहले उन दोनों ने इस तरह की बातें कभी भी किसी से नहीं की थी,,, सुगंधा बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

क्या सच में तेरी नजर मेरी गांड पर ही जाती है,,, लेकिन ऐ तुम्हारी गांड और भी ज्यादा उभरी हुई पर एकदम मस्त लगती है इसलिए मेरी नजर तुम्हारी गांड और भी ज्यादा उभरी हुई पर एकदम मस्त लगती है इसलिए मेरी नजर सबसे पहले तुम्हारी गांड पर ही जाती तुम्हारी गांड और भी ज्यादा उभरी हुई पर एकदम मस्त लगती है इसलिए मेरी नजर सबसे पहले तुम्हारी गांड पर ही जाती है सा क्यों है क्या खास बात है मेरी गांड में जो तेरी नजर सबसे पहले इसी पर जाती है ( े अपनी उंगली का इशारा गांड की तरफ करते हुए बोली,,,, रोहन को अपनी मां का यह बेशर्मी पन बेहदअच्छा लगा,,,)

क्योंकि मम्मी तुम्हारी गांड बड़ी-बड़ी और एकदम गोल है एकदम गोलाकार जोकि टाइट साड़ी पहनने की वजह से तुम्हारी गांड और भी ज्यादा उभरी हुई और एकदम मस्त लगती है इसलिए मेरी नजर सबसे पहले तुम्हारी गांड पर जाती है,,,, ।
(रोहन यह बात एकदम खुलकर बोला क्योंकि वह समझ गया था कि अब शर्म आने से कोई फायदा नहीं है और इस तरह से बेशर्म बनने पर ही कुछ हासिल होगा,,, सुगंधा तो अपने बेटे के मुंह से बेहिचक इस तरह के खुले बात को सुनकर एकदम से मस्तिया गई उसकी दूर पानी फेकने लगी उसे मज़ा आने लगा और वह खुश होते हुए बोली,,,,।)

बाप रे बाप मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा है कि तू इतना बड़ा हो गया है जब कपड़ों मे मुझे देख कर तेरा यह हाल है और अगर जो तू मुझे बिना कपड़ों के एकदम नंगी देख लेगा तब तेरा पता नहीं क्या होगा,,,,( सुगंधा जानबूझकर अपने बेटे से अपने नंगी होने की बात बोली थी और इसका आंसर रोहन पर बहुत ही ज्यादा उन मादक हुआ था उसका लंड उत्तेजना के मारे ठुनकी मारने लगा था उसकी इच्छा तो हो रही थी कि यह बात सुनकर अभी अपने हाथों से ही उसकी पेटीकोट को खींच कर नीचे सरका कर उसकी बड़ी-बड़ी गोरी गांड को अपने हाथों से पकड़ कर मसल डालें सुगंधा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,) पता नहीं तूने अब तक मुझे बिना कपड़ों के एकदम नंगी देखा है कि नहीं,,,,,

नहीं मम्मी अभी तक मैंने नहीं देखा हूं,,,,,,( रोहन मस्त होता हुआ बोला,,)

नहीं नहीं मुझे याद आया आज शाम को बारिश में भीगने के बाद जब मैं अपने कमरे में अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो गई थी तब,, तू अपने कमरे की तरफ जाते हुए मेरे कमरे में देख रहा था तब तू मुझे एकदम नंगी देख कर रुक गया था,,,, तूने मुझे नंगी देख लिया था ना,,,, सच-सच बताना बेटा झूठ मत बोलना,,,,।

नहीं मम्मी मैं तुम पर ध्यान नहीं दे पाया था वो क्या है ना कि कमरे में अंधेरा था इसलिए मैं कुछ ठीक से देख नहीं पाया,,,,,

तब तू अपने कमरे की तरफ जाते समय मेरा कमरा खुला देख कर वहीं खड़े होकर अंदर क्यों झांक रहा था,,,,,

मम्मी वह तो मेरी नजर पड़ गई थी मैं वहां खड़ा रहना नहीं चाहता था लेकिन क्या करूं सामने तुम अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो गई थी और तुम्हें नंगी देख कर ना जाने क्या मुझे होने लगा,,,,

तो तूने मुझे एकदम नंगी देख लिया था लेकिन मुझसे झूठ कह रहा है कि मैं कुछ नहीं देखा था,,,,।

नहीं मम्मी मैं ठीक से तुम्हें देख नहीं पाया था बस इतना पता चल रहा था कि तुम अपने सारे कपड़े उतार चुकी थी और ऊस समय कमरे में नंगी खड़ी थी। बस इतना ही देख पाया था और इससे ज्यादा मैं कुछ देख नहीं पाया था क्योंकि शाम ढल रही थी और कमरे में अंधेरा था,,, (सुगंधा अपने बेटे की बात सुनकर खुश हो रही थी उसे अपने बेटे की यह सब बातें बड़ी अच्छी लग रही थी)
इसका मतलब तेरे मन में मुझे नंगी देखने की इच्छा हो रही थी,,,

ऐसी बात नहीं मम्मी ऊस समय मेरी आंखों के सामने तुम मुझे एकदम नंगी नजर आ गई थी इसलिए मैं देखने लगा था,,,,

मतलब तो साफ है,,, मौके का फायदा उठाने तुझे आता है और मौका मिले तो तू मुझे नंगी देखने में जरा सा भी समय नहीं बिगड़ेगा,,,

क्या मम्मी तुम भी (अपनी मां की बातें सुनकर रोहन एकदम उत्तेजित हो चुका था और इस समय धीरे-धीरे करके मालिश करते हुए वह अपने दोनों हाथ को उत्तेजना बस कुछ ज्यादा ही पेटिकोट के अंदर डालने लगा था और यह बात सुगंधा भी अच्छी तरह से समझ रही थी)

इसमें कोई गलत बात नहीं है बेटा मैं जानती हूं कि तुम्हारी जगह कोई भी होता तो वह भी तुम्हारी तरह ही करता इस उम्र में अक्सर लड़कों की यही हालत होती है,,,,,
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )



ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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(^%$^-1rs((7)
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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दोनों की गंदी बातों से माहौल पूरी तरह से गर्म आ चुका था रोहन की तो इच्छा हो रही थी कि वह अपनी मां को खुद कह दे कि मम्मी तुम अपने सारे कपड़े उतार दो और यही इच्छा सुगंधा की भी हो रही थी वह चाह रही थी कि उसका बेटा उसे खुद कहे कि मम्मी अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ लेकिन दोनों में से शुरुआत कोई नहीं कर पा रहा था लेकिन बात को आगे बढ़ाना जरूरी था इसलिए सुगंधा एक बहाने से हल्के से कसमस आहट भरी अंगड़ाई लेते हुए बोली जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड हिलने लगी,,, और अपनी मां की बड़ी-बड़ी गाड़ी देखकर रोहन मस्त होने लगा,,,,,

बेटा मेरे सारे बदन में दर्द हो रहा है पता नहीं यह दर्द कैसे जाएगा,,,,( रोहन अपनी मां की बात सुनकर मौके का फायदा उठाते हुए झट से बोला )

मम्मी तुम बुरा ना मानो तो मैं एक बात कहूं,,,,

हां बोल बुरा मानने वाली क्या बात है,,

मेरी मानो तो तुम,,,, अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम,,,,, नननननन,,,,नंगी हो जाओ तब मैं तुम्हारी अच्छे से मालिश कर दूंगा और सारा दर्द दूर हो जाएगा,,,, ( रोहन डरते डरते बोला सुगंधा अपने बेटे की यह बात सुनकर एकदम खुश हो गई यही तो वह चाहती थी,,,, अपने बेटे के मुंह से यही सुनने के लिए उसके कान ना जाने कबसे तरस रहे थे रोहन ने यह बात उसके मन की कही थी वह खुद अपने कपड़े उतार कर लेंगे होना चाहती थी अगर कुछ देर तक उसका बेटा यह नहीं कहता तो वह खुद ही अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाती,,,,,,।)


सुगंधा अपने बेटे की यह बात सुनकर मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसकी खुशी का ठिकाना ना था,, रोहन का हाथ अभी भी सुगंधा की पेटीकोट के अंदर घुसा हुआ था और उसकी उंगलियां सुगंधा की मदमस्त मस्त गांड पर थिरकट कर रही थी,,,
जोकि सुगंधाको अच्छा लग रहा था सुगंधा चाहती तो अपने बेटे के कहने के साथ ही वह अपनी पेटिकोट उतार कर एकदम नंगी हो जाती लेकिन ऐसा करना शायद उसे उचित नहीं लग रहा था वह जानबूझकर अपने बेटे के सामने हिचकी चा रही थी और हिचकिचाहट भरे शब्दों में बोली,,,,,।

क्या अपने सारे कपड़े उतार कर नननन,,,,नंगी हो जाऊं,,,, और वह भी तेरे सामने, नहीं मुझसे नहीं हो पाएगा,,,,,

मम्मी कैसे नहीं हो पाएगा जब तक तुम अपने सारे कपड़े नहीं उतारोगी तब तक ठीक से मालिश नहीं हो पाएगा और फिर आराम कैसे मिलेगा,,,,

तेरी बात ठीक है लेकिन मुझे तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने में शर्म आ रही है,,,,।

शर्म और मेरे सामने क्या मम्मी तुम भी कैसी बातें कर रही हो,,,,,,

क्या मतलब की कैसी बातें कर रही हो,,,, क्या मैं तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो जाऊं,,,, मुझे शर्म नहीं आएगी और वैसे भी मैं तेरी मां हूं तेरे सामने कपड़े उतारकर कर नंगी होने में मुझे शर्मा आएगी,,,,,

तुम तो ऐसा कह रही हो मम्मी कि जैसे मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हुई ही नहीं हो अभी आज शाम को ही मैं तुम्हें नंगी देख लिया था भले ही ठीक से नहीं देख पाया था लेकिन उस समय तुम अपने कमरे में एकदम नंगी तो थी ना और अभी शर्म कर रही हो,,,,
( अभी तक सुगंधा रोहन पर जोर डालती थी उसके मुंह से बात सुनने के लिए लेकिन अब रोहन बोल रहा था आपने मां को अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए जो कि एक अच्छी निशानी थी आगे बढ़ने के लिए और यही देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हुए जा रहे थे वह जानबूझकर हिचकीचाने का नाटक कर रही थी वरना वह तो कब से अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए उतारू थी,,,,)

वो बात कुछ और थी बेटा,,,, लेकिन अभी तेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में शर्म महसूस हो रही है मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी,,,,,

क्या मम्मी तुम भी,,,,,,,, अभी यह सब कुछ जो भी उतारी हो मेरी आंखों के सामने ही तो उतारी हो,,, अब सिर्फ यह पेटीकोट ही रह गई है,, ईसे भी ऊतार दो तो मै तुम्हारी अच्छे से मालिश कर पाऊंगा (इतना कहते हुए रोहन इस बार अपनी हथेली को अपनी मां की पेटीकोट के कुछ ज्यादा ही अंदर सरका दिया और अपनी बीच वाली लंबी उंगली को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की गहरी दरार के अंदर धंसाकर रगड़ने लगा,,, जिससे रोहन की बीच वाली उंगली सीधे जाकर सुगंधा की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड की गहरी दरार के अंदर छिपी हुई भूरे रंग के छोटे से छेद पर स्पर्श करते हुए रगड़ खाने लगी और सुगंधा अपनी गांड के उस छोटे से संवेदनशील अंग पर अपने बेटे की उंगलियों का स्पर्श पाते ही उत्तेजना के मारे गनगना गई वह इतनी ज्यादा गरम हो गई कि उसके अंग अंग से गर्माहट भरी लव उठने लगी अपनी जवानी की आग को अपने बेटे के इस स्पर्श से वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने मुंह से गर्म सिसकारी फेंकने लगी,,,,)

सससहहहहहहह,,,,,, रोहन,,,,,,
( अपनी मां कै मुंह से गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन समझ गया कि उसकी मा एकदम गरम हो रही है,,,, रोहन को इस बात से बेहद खुशी थी कि उसके द्वारा इतनी गंदी हरकत करने के बावजूद भी उसकी मां उसी से नाराज नहीं थी बल्कि उसकी हरकत का पूरा मजा लेते हुए गर्म हुए जा रही थी जिससे उसकी हिम्मत खुलने लगी थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से ही अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर उसे एकदम नंगी कर दे लेकिन अभी बेटे के द्वारा मां के प्रति सम्मान और शर्म बची हुई थी लेकिन,,,, उसका लंड था की रोहन की मां के प्रति बिल्कुल भी सम्मान और शर्म को त्याग कर अपनी पूरी औकात में खड़ा हो गया था,,,, उसकी आंखों के सामने लेटी हुई औरत रोहन की मां नहीं बल्कि उसे एक खूबसूरत और मदमस्त औरत नजर आ रही थी जिसके पास दुनिया की सबसे हसीन और रसीली बुर थी जिसके अंदर जाने के लिए रोहन का लंड तड़प रहा था।,,,,,,)

रोहन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं मैं तेरी बात से सहमत हूं लेकिन ना जाने क्यों मेरा मन नहीं मान रहा तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए,,,,
( सुगंधा कसमस आते हुए बोली उसका भी मन तो यही कर रहा था कि तुरंत अपने हाथों से अपना पेटिकोट उतार कर अपने बेटे के सामने नंगी होकर लेट जाए लेकिन थोड़ा बहुत नाटक करना उसके लिए जरूरी था ताकि उसके बेटे को यह न लगे कि उसकी मां गंदी औरत हो गई है वैसे तो उसकी ख्वाईसी इच्छा यही थी कि उसका बेटा खुद उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी करे लेकिन इस समय ऐसा होना संभव नहीं था क्योंकि एक मां होने के नाते वह अपने बेटे को अपने कपड़े उतार कर नंगी करने की इजाजत नहीं दे सकती है,,,,)

क्या मम्मी मेरे सामने तुम इतना शर्मा रही हो तब जाओ ऐसे में मालिश नहीं कर पाऊंगा मैं जा रहा हूं,,,,( इतना कहकर रोहन बिस्तर से उठने को हुआ कि उसकी मां तुरंत उसका हाथ पकड़कर फिर से बिस्तर पर बिठा ली और बोली,,,,)

कहां जा रहा है रोहन मेरे बदन में बहुत दर्द है,,,,,

तभी तो कह रहा हूं मम्मी कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो जाओ वैसे भी इस कमरे में मेरे और तुम्हारे सिवा कोई नहीं है मेरे सामने शर्माने की जरूरत नहीं है कपड़े उतरने के बाद मैं तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगा कि दर्द हवा की तरह फुर्र हो जाएगा,,,,,
( रोहन की चालाकी भरी बातें सुनकर सुगंधा अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी,, क्योंकि उसे अब लगने लगा था कि अब बात बनने वाली है क्योंकि उसका बेटा धीरे-धीरे खुल रहा था और आगे से ही सारे प्रस्ताव रख रहा था,,,,,।)

ठीक है बेटा तू कहता है तो मैं तेरे सामने अपने सारे कपड़े उतारने के लिए तैयार हूं लेकिन तू मेरे उन अंगों को बिल्कुल भी मत देखना नहीं तो मुझे शर्म आएगी,,,,,

कैसी बात कर रही हो मम्मी मैं तुम्हारे अंगों को देखने के लिए तुम्हारे कपड़े थोड़ी उतरवा रहा हूं मैं तो तुम्हारी मालिश करना चाहता हूं ताकि तुम्हें दर्द से राहत मिल जाए इसलिए तुम्हें कपड़े उतारने को कह रहा हूं अगर तुम्हें लगता है कि मेरी ऐसी दानत है तो रहने दीजिए मैं ऐसे ही मालिश कर देता हूं,,,, ( रोहन बुरा सा मुंह बनाते हुए बोला,,,,।)

नहीं नहीं मेरे कहने का यह मतलब नहीं था वह तो मैं इसलिए कह रही थी कि तू मेरे उन अंगों को घूरेगा तो मुझे शर्म आएगी (इतना कहते हुए सुगंधा बिस्तर पर उठ कर बैठ गई,,, लेकिन वह यह भूल गई कि उसके बदन पर से वह खुद अपने ब्लाउज को कब से अलग कर चुकी थी जिसकी वजह से बिस्तर पर बैठते ही सुगंधा की बड़ी-बड़ी पटवार चूचियां सीना ताने खड़ी नजर आ गई रोहन तो यह देखकर एकदम हैरान रह गया क्योंकि इस उम्र में भी सुगंधा की लाजवाब गोल-गोल चूचियां खरबूजे की तरह एकदम गोल थी और उसमें जरा भी लटकन नहीं था,,, अपनी मां की मदमस्त चुचियों को एकटक देखते ही रह गया सुगंधा को भी इस बात का एहसास हो गया कि रोहन उसकी दोनों चूचियों को घूर रहा है और यह देख कर वह मन ही मन खुश हो रही थी लेकिन उस बात को नजरअंदाज करते हुए सुगंधा अपने पेटीकोट की डोरी को खोलने लगी यह देखकर रोहन एकदम से मस्त हो गया पजामे में उसका लंड तनकर एकदम लोहे के रोड की तरह हो गया जो कि पजामे के अंदर एक विशाल तंबू सा बना दिया था।,, और रोहन अपनी मां की दमदार चुचियों को देखकर हक्का-बक्का रह गया था उसकी नजरें हटाए नहीं हट रही थी सुगंधा मन में प्रसन्नता लिए अपनी नाजुक उंगलियों से धीरे-धीरे अपने पेटीकोट की डोरी को खोल चुकी थी उसका पेटीकोट एकदम ढीला हो चुका था वह अपने हाथ से अपना पेटीकोट उतारने ही जा रही थी कि उसके मन में न जाने क्या सूझा कि वह फिर से पेट के बल उसी तरह से लेट गई।,,,
रोहन की प्यासी नजर अपनी मां की खूबसूरत बदन पर चारों तरफ घूम रही थी और सुगंधा के इस तरह से वापस पेट के बल लेट जाने की वजह से ढीली पड़ी पेटीकोट नितंबों की ऊपरी सतह तक सरक गई थी जिसकी वजह से सुगंधा की मदमस्त गांड की गहरी दरार का ऊपरी हिस्सा हल्का-हल्का नजर आने लगा था जिसे देखकर रोहन की आंखों में चमक आ गई थी,,,

तेज बारिश की वजह से और वह भी लगातार बरसने की वजह से माहौल पूरी तरह से ठंडा हो चुका था लेकिन सुगंधा की मदमस्त जवानी ने कमरे के तापमान को एकदम गर्म कर दिया था जिसकी वजह से रोहन के माथे पर से पसीना टपक रहा था,,,
वैसे भी वातावरण की गर्मी से कहीं अत्यधिक कर्म एकमत मस्त औरत की मदमस्त जवानी होती है जिसका अनुभव केवल एक मर्द को ही अच्छी तरह से होता है और इस समय सुगंधा की मदमस्त जवानी की गर्मी का अनुभव रोहन कर रहा था रोहन अपनी मां को ऊपर से नीचे की तरफ इधर उधर देख रहा था लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कपड़े उतारने को कह कर उसकी मां इस तरह से क्यों लेट गई वह कुछ समझ पाता और कुछ कहता इससे पहले ही जैसे सुगंधा रोहन के मन की स्थिति को भाप गई हो और वह खुद बोली,,,,

रोहन तू मेरी पेटीकोट पकड़कर नीचे की तरफ खींच कर निकाल दे,,,,,

मममम,,,,,मैं निकाल दु,,,,,( सुगंधा के प्रस्ताव को सुनकर रोहन कांपते स्वर में बोला,,,,,)


हां रे तु निकाल दे,,, मेरे में अभी इतनी हिम्मत नहीं है कि मैं खड़ी हो जाऊं क्योंकि मेरा पूरा बदन दर्द कर रहा है,,,,,

ठीक है मम्मी में ही निकाल देता हूं,,,,,,
( रोहन का पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था जिस तरह का आमंत्रण सुगंधा ने अपने बेटे को दी थी और ऐसा आमंत्रण और वह भी अपने अंतर्वस्त्र उतारने का ऐसा मंत्र शायद ही कोई मां अपने बेटे को देती है इस तरह के आमंत्रण पर केवल पति या प्रेमी का ही हक होता है लेकिन इस समय सुगंधा में एक मां नहीं बल्कि एक औरत ने जन्म ले ली थी और वह अपने बेटे में एक पति एक प्रेमी को देख रही थी एक मर्द को देख रही थी ऐसा मर्द जो उसे अपनी बाहों में लेकर बरसों से दबी प्यास को बुझाने में सक्षम था,,,,। सुगंधा द्वारा पेटीकोट उतारने का आमंत्रण रोहन को सहर्ष स्वीकार था ऐसे आमंत्रण को भला कोई मर्द कैसे इंकार कर सकता था।,,, रोहन की सांसे तीव्र गति से चलने लगी थी,,,, दिल जोरों से धड़क रहा था क्योंकि आने वाला पल बेहद मोहक और मादकता से भरा हुआ था जो कि उसकी जिंदगी का बेहद हसीन पल होने वाला था उसकी कल्पना हकीकत में बदलने वाली थी वैसे तो रोहन अपनी मां को कुछ दिनों से नग्न अवस्था में देख ही लेता था लेकिन आज वह अपने हाथों से अपनी मां का पेटीकोट उतारकर उसे नंगी करने जा रहा था जो कि बेहद उत्तेजना से भरपूर और आनंद प्रदान करने वाला पल होने जा रहा था,,,,,। सुगंधा वासना और अपने बदन की प्यास के अधीन होकर अपने बेटे को अपना पेटीकोट उतारने का आदेश दे दी थी उसके तन बदन में उत्तेजना समाई हुई थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था उसकी जवानी अपने आप में बिल्कुल भी नहीं थी,,,,
वह देखना चाहती थी कि उसका बेटा उसकी पेटीकोट किस तरह से बाहर निकालता है उस समय वह कैसा महसूस करती है उसके तन बदन में किस तरह की हलचल होती है उस पल को जीने के लिए वह पूरी तरह से तैयार हो गई थी,,,,
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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आधी रात हो चुकी थी बारिश अभी भी बंद होने का नाम नहीं ले रही थी चारों तरफ खेतों में पानी ही पानी नजर आ रहा था,,,
ऐसे में सारागांव सो रहा था,,,, लेकिन सुगंधा और रोहन की आंखों से नींद कोसों दूर थी दोनों एक दूसरे के स्पर्श एक दूसरे के अंगों को देखने के लिए मन ही मन लालायित हो रहे थे,,,,, सुगंधा बेचैनी से अपने बेटे का इंतजार कर रही थी कि कब अपने हाथों से उसकी पेटिकोट उतार कर उसे एकदम नंगी करेगा और रोहन भी बेसब्र हुए जा रहा था अपनी मां की पेटिकोट उतार कर उसे नंगी करने के लिए,,, और रोहन आगे बढ़कर अपनी मां की बेटी को ऊतारने के लिए जैसे ही बिस्तर पर बैठने वाला था कि तभी उसकी मां बोली,,,,

रुको बेटा,,,,,

क्या हुआ मम्मी कहीं तुम्हारा इरादा तो नहीं बदल गया,,
( रोहन की यह बात सुनकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हो रही थी,,, क्योंकि उसकी बातों में उसका बेसब्रापन साफ झलक रहा था वह नहीं चाहता था कि यहां तक आकर उसकी मां उसे पीछे हटने के लिए बोले,,,,।)

नहीं बेटा ऐसा कुछ भी नहीं है लेकिन तू एक काम कर लालटेन की लौ को थोड़ा कम कर दे,,,, इतनी ज्यादा रोशनी में तेरे सामने नंगी होने में मुझे शर्म आएगी,,,,,।

कोई बात नहीं मम्मी,,,,
(इतना कहकर रोहन आगे बढ़ा और लालटेन की रोशनी को कम करने लगा लेकिन वह जानबूझकर इतनी रोशनी रखा कि उस रोशनी में भी उसे सब कुछ साफ-साफ नजर आए और ऐसा हो भी रहा था रोहन को सब कुछ साफ साफ नजर आ रहा था और यह बात सुगमता भी अच्छी तरह से जानती थी उसे भी अपने बेटे की चालाकी पर प्रसन्नता हो रही थी,,,,, रोहन अपनी मां के करीब बैठा हुआ था वह पूरी तरह से तैयार था अपनी मां की पेटीकोट उतारने के लिए उसके हाथ के साथ-साथ पूरा बदन उत्तेजना के मारे कांप रहा था उसकी आंखों के सामने केवल उसकी मां का खूबसूरत उभार लिए हुए मदमस्त गांड नजर आ रही थी जो कि आधी से ज्यादा ढकी होने के बावजूद भी गांड की पतली गहरी दरार हल्का से नजर आ रही थी जिससे और भी ज्यादा मादकता का एहसास हो रहा था,,,,,, रोहन धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था ऊत्तेजना के मारे उसका गला सूख चुका था और यही हाल सुगंधा का भी हो रहा था उसका पूरा बदन कसमसा रहा था उसे अगले पल का बेसब्री से इंतजार था

तुम तो ऐसा कह रही हो मम्मी कि जैसे मेरे सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी हुई ही नहीं हो अभी आज शाम को ही मैं तुम्हें नंगी देख लिया था भले ही ठीक से नहीं देख पाया था लेकिन उस समय तुम अपने कमरे में एकदम नंगी तो थी ना और अभी शर्म कर रही हो,,,,
( अभी तक सुगंधा रोहन पर जोर डालती थी उसके मुंह से बात सुनने के लिए लेकिन अब रोहन बोल रहा था आपने मां को अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए जो कि एक अच्छी निशानी थी आगे बढ़ने के लिए और यही देखकर सुगंधा मन ही मन प्रसन्न हुए जा रहे थे वह जानबूझकर हिचकीचाने का नाटक कर रही थी वरना वह तो कब से अपने कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए उतारू थी,,,,)

वो बात कुछ और थी बेटा,,,, लेकिन अभी तेरी आंखों के सामने अपने कपड़े उतार कर नंगी होने में शर्म महसूस हो रही है मैं ऐसा नहीं कर पाऊंगी,,,,,

क्या मम्मी तुम भी,,,,,,,, अभी यह सब कुछ जो भी उतारी हो मेरी आंखों के सामने ही तो उतारी हो,,, अब सिर्फ यह पेटीकोट ही रह गई है,, ईसे भी ऊतार दो तो मै तुम्हारी अच्छे से मालिश कर पाऊंगा (इतना कहते हुए रोहन इस बार अपनी हथेली को अपनी मां की पेटीकोट के कुछ ज्यादा ही अंदर सरका दिया और अपनी बीच वाली लंबी उंगली को अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड की गहरी दरार के अंदर धंसाकर रगड़ने लगा,,, जिससे रोहन की बीच वाली उंगली सीधे जाकर सुगंधा की मदमस्त बड़ी-बड़ी गांड की गहरी दरार के अंदर छिपी हुई भूरे रंग के छोटे से छेद पर स्पर्श करते हुए रगड़ खाने लगी और सुगंधा अपनी गांड के उस छोटे से संवेदनशील अंग पर अपने बेटे की उंगलियों का स्पर्श पाते ही उत्तेजना के मारे गनगना गई वह इतनी ज्यादा गरम हो गई कि उसके अंग अंग से गर्माहट भरी लव उठने लगी अपनी जवानी की आग को अपने बेटे के इस स्पर्श से वह बर्दाश्त नहीं कर पाई और अपने मुंह से गर्म सिसकारी फेंकने लगी,,,,)

सससहहहहहहह,,,,,, रोहन,,,,,,
( अपनी मां कै मुंह से गरम सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन समझ गया कि उसकी मा एकदम गरम हो रही है,,,, रोहन को इस बात से बेहद खुशी थी कि उसके द्वारा इतनी गंदी हरकत करने के बावजूद भी उसकी मां उसी से नाराज नहीं थी बल्कि उसकी हरकत का पूरा मजा लेते हुए गर्म हुए जा रही थी जिससे उसकी हिम्मत खुलने लगी थी मन तो उसका कर रहा था कि अपने हाथों से ही अपनी मां की पेटीकोट को उतार कर उसे एकदम नंगी कर दे लेकिन अभी बेटे के द्वारा मां के प्रति सम्मान और शर्म बची हुई थी लेकिन,,,, उसका लंड था की रोहन की मां के प्रति बिल्कुल भी सम्मान और शर्म को त्याग कर अपनी पूरी औकात में खड़ा हो गया था,,,, उसकी आंखों के सामने लेटी हुई औरत रोहन की मां नहीं बल्कि उसे एक खूबसूरत और मदमस्त औरत नजर आ रही थी जिसके पास दुनिया की सबसे हसीन और रसीली बुर थी जिसके अंदर जाने के लिए रोहन का लंड तड़प रहा था।,,,,,,)

रोहन मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं मैं तेरी बात से सहमत हूं लेकिन ना जाने क्यों मेरा मन नहीं मान रहा तेरे सामने सारे कपड़े उतार कर नंगी होने के लिए,,,,
( सुगंधा कसमस आते हुए बोली उसका भी मन तो यही कर रहा था कि तुरंत अपने हाथों से अपना पेटिकोट उतार कर अपने बेटे के सामने नंगी होकर लेट जाए लेकिन थोड़ा बहुत नाटक करना उसके लिए जरूरी था ताकि उसके बेटे को यह न लगे कि उसकी मां गंदी औरत हो गई है वैसे तो उसकी ख्वाईसी इच्छा यही थी कि उसका बेटा खुद उसके कपड़े उतार कर उसे नंगी करे लेकिन इस समय ऐसा होना संभव नहीं था क्योंकि एक मां होने के नाते वह अपने बेटे को अपने कपड़े उतार कर नंगी करने की इजाजत नहीं दे सकती है,,,,)

क्या मम्मी मेरे सामने तुम इतना शर्मा रही हो तब जाओ ऐसे में मालिश नहीं कर पाऊंगा मैं जा रहा हूं,,,,( इतना कहकर रोहन बिस्तर से उठने को हुआ कि उसकी मां तुरंत उसका हाथ पकड़कर फिर से बिस्तर पर बिठा ली और बोली,,,,)

कहां जा रहा है रोहन मेरे बदन में बहुत दर्द है,,,,,

तभी तो कह रहा हूं मम्मी कि अपने सारे कपड़े उतार कर एकदम नंगी हो जाओ वैसे भी इस कमरे में मेरे और तुम्हारे सिवा कोई नहीं है मेरे सामने शर्माने की जरूरत नहीं है कपड़े उतरने के बाद मैं तुम्हारी ऐसी मालिश करूंगा कि दर्द हवा की तरह फुर्र हो जाएगा,,,,,
( रोहन की चालाकी भरी बातें सुनकर सुगंधा अंदर ही अंदर प्रसन्न हो रही थी,, क्योंकि उसे अब लगने लगा था कि अब बात बनने वाली है क्योंकि उसका बेटा धीरे-धीरे खुल रहा था और आगे से ही सारे प्रस्ताव रख रहा था,,,,,।)

ठीक है बेटा तू कहता है तो मैं तेरे सामने अपने सारे कपड़े उतारने के लिए तैयार हूं लेकिन तू मेरे उन अंगों को बिल्कुल भी मत देखना नहीं तो मुझे शर्म आएगी,,,,,

कैसी बात कर रही हो मम्मी मैं तुम्हारे अंगों को देखने के लिए तुम्हारे कपड़े थोड़ी उतरवा रहा हूं मैं तो तुम्हारी मालिश करना चाहता हूं ताकि तुम्हें दर्द से मिल जाये
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )



ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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तूफानी बारिश में सुगंधा का मन कुछ ज्यादा ही मचल रहा था और मचलता भी क्यों नहीं आखिरकार बरसो बाद उसकी मनोकामना पूरी होने के आसार नजर आ रहे थे बरसों बाद सुगंधा के प्यासे बदन को सावन की फुहार मिलने वाली थी क्योंकि उसे ऐसा लगने लगा था कि जिस तरह से वह धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है उस तरह से मां अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड को जरूर अपनी बुर के अंदर ले लेगी। वैसे भी बार-बार चोर नजरों से अपने बेटे के पजामे में बने तंबू को देखकर उसके मुंह के साथ-साथ उसकी बुर के अंदर भी पानी आ जा रहा था सुगंधा यह बात अच्छी तरह से जानती थी कि उसके बेटे का हथियार बेहद दमदार और पकड़ा था उसी अपनी पुर के अंदर लेने के लिए इसलिए वह कुछ ज्यादा ही मचल रही थी अपने बेटे के मोटे लंड की रगड़ को अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों पर महसूस करना चाहती थी उसकी गर्माहट में अपनी प्यासी तन को पिघला देना चाहती थी,,, सुगंधा अपने बेटे के मोटे लंड को लेने के बारे में सोच सोचकर ही इतनी ज्यादा उत्तेजित होने लगी थी कि उसकी लहसुन जैसी बुर फुल कर कचोरी जैसी हो गई थी अपनी उत्तेजना और अरमानों को दबा पाने में वह अब बिल्कुल असमर्थ नजर आ रही थी।
रोहन के मन में भी यही सब हो रहा था पहली बार वो किसी औरत की इतने करीब था वैसे तो अपनी मां के करीब हमेशा रहता है लेकिन इस स्थिति में वह पहली बार अपने मां के इतने करीब था कि उसकी मां का नंगा बदन उसकी आंखों के सामने था और उसकी मां उसे खुद उसके तन पर बचा आखरी कपड़ा उसका पेटिकोट उतारने के लिए कह रही थी और ऐसा करने के बाद रोहन अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां पूरी तरह से नंगी हो जाएगी और उसका तराशा हुआ खूबसूरत जिस्म उसका बेशकीमती खजाना उसकी आंखों के सामने बेपर्दा हो जाएगा जिसे देखने के लिए वह तड़प रहा था जिसके बारे में सोच कर और ना जाने कितने बार अपने हाथ से अपने लंड को हिला कर पानी निकाल चुका था,,,, वैसे भी उसका आज का दिन कुछ ज्यादा ही अच्छा गुजर रहा था ऐसा लग रहा था कि किस्मत उस पर मेहरबान हो गई है क्योंकि शाम से ही उसे अपनी मां का खूबसूरत बदन देखने और उसे छूने का मौका मिल रहा था जो कि यह मौका उसकी मां ही जानबूझ कर उसे प्रदान कर रही थी,,,, लकड़ियां बिनते समय जिस तरह से उसकी मौत हो चुकी थी और वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और अपना आगे तना हुआ भाग अपनी मां की मदमस्त गांड से सटा दीया उस समय उसके तन बदन में जिस तरह का अनुभव हुआ था वह रोहन बयां नहीं कर सकता था एक अद्भुत सुख का अहसास उसे प्रदान हुआ था और उसके बाद अपने कमरे में जाते समय जिस तरह से वह अपनी मां के कमरे को खुला देखकर अंदर झांक कर एक अद्भुत और अविस्मरणीय नजारे को अपनी आंखों में कैद किया उस मिला था कि पल को भी वह भुलाए नहीं भूल सकता था क्योंकि उस समय कमरे के अंदर उसकी मां संपूर्ण रूप से नग्ना वस्था में मेथी,,,, उस समय भी अपनी मां को संपूर्ण रूप से नंगी देखकर जो उसके तन बदन में हलचल हुई थी और खास करके उसकी टांगों के बीच के उस अद्भुत और दमदार हथियार में उसे भी बयां करने में वह असमर्थ था और अब जाकर ऐसा शुभ अवसर आया था कि उसे ऐसा सुनहरा मौका उसकी मां ने प्रदान की थी कि उसे खुद अपनी मां का पेटिकोट उतार कर उसे नंगी करना था जिसके लिए वह पूरी तरह से तैयार था दोनों की हालत एक जैसी ही थी दोनों की सांसो की गति एकदम तेज हो गई थी दोनों का बदन कसमसा रहा था दोनों एक दूसरे के बदन को स्पर्श करने के लिए मचल रहे थे।,,,,
अपने बेटे को इस अवस्था में अपने बेहद करीब बैठा हुआ देखकर उत्तेजना से उसका बदन कसमसा रहा था और कसमस आने की वजह से उसके नितंबों में एक मादकता भरा लहर बन रहा था जो कि पेटीकोट के ऊपरी सतह पर साफ-साफ महसूस हो रहा था रोहन के सांसो की गति बेहद गहरी चल रही थी पैजाव जो कि कभी भी किसी वक्त बवंडर का रूप ले सकता था पैजामे में तूफ़ान सा उमड़ रहा था जो कि कभी भी किसी वक्त बवंडर का रूप ले सकता था। सुगंधा की बुर का भी यही हाल था कचोरी जैसी फूली हुई बुर के अंदर नमकीन पानी का सैलाब उठ रहा था जिससे उसकी पेटीकोट पूरी तरह से गिली हो चुकी थी,,,,।

पेटिकोट को उतारने के लिए एकदम से तैयार हो चुका था वह अपने हाथ को अपनी मां की मदमस्त भरी हुई गांड की तरफ आगे बढ़ाया लेकिन उत्तेजना के मारे और एक अजीब से डर की स्थिति में उसके दोनों हाथ कांप रहे थे,,,,, लेकिन यहां से रोहन अपने हाथों को पीछे भी नहीं खींच सकता था क्योंकि यहां से अपने हाथों को पीछे लेने का मतलब था एक अद्भुत और कामुकता और मादकता से भरे हुए पल को गवा देना अपने सपने को चकनाचूर करना,,, और यही तो रोहन का सपना था भले ही मां बेटे के रिश्ते को देखते हुए यह ठीक नहीं था लेकिन इस समय रोहन अपनी मां में एक औरत को देख रहा था और सुगंधा रोहन में एक लड़के को एक मर्द को देख रही थी इसलिए तो यह सब मुमकिन होता जा रहा था,,,

अगले ही पल रोहन अपने कांपते हाथों से अपनी अंगुलियों पर जोर देकर अपनी मां की पेटीकोट को दोनों छोर से पकड़ लिया और जैसे ही सिकंदर ने अपने बेटे की उंगलियों का स्पर्श अपने नितंबों पर महसूस किया वैसे ही उत्तेजना के मारे उसका पूरा बदन गदगद हो गया उसका पूरा वजूद कसमसा ने लगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि अब क्या होने वाला है वह जानती थी कि उसका बेटा अब उसकी पेटीकोट को उतारने वाला है जो कि यह काम केवल एक पति या प्रेमी ही कर सकता था आज वह काम उसका बेटा करने जा रहा था,,,

रोहन का दिल जोरों से धड़क रहा था रोहन की आंखों के सामने,,, ऊसकी मां की मदमस्त गांड कसमसा रही थी,,,, धीरे-धीरे करके रोहन अपनी मां की पेटीकोट को नीचे की तरफ सरकार ने लगा और जैसे-जैसे पेटीकोट नीचे की तरफ सरक रही थी वैसे वैसे सुगंधा की मदमस्त गांड की गहरी लकीर साफ नजर आते जा रही थी,,,, सुगंधा मस्त हुए जा रही थी उसे अभी भी इस बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि इस समय उसका बेटा उसकी पेटीकोट को उतारकर उसे नंगी करने जा रहा है अभी आधी ही कांड पर से पेटीकोट हटी थी कि सुगंधा के वजन के कारण पेटीकोट नीचे की तरफ सरक नहीं पा रही थी इस बात का एहसास सुगंधाको होते ही वह अपने बेटे की मदद करते हुए अपनी गांड को हल्के से,,, ऊपर उठाकर पेटिकोट को करवाने में अपने बेटे की मदद करने लगी यह एक बेहद कामुकता और मादकता से भरा हुआ नजारा था,,,, सुगंधा का इस तरह से अपनी गांड को उठा कर पेटीकोट उतरवाने में अपने बेटे की मदद करना एक संपूर्ण रूप से संतुष्टि भरी सहमति थी जिसका मतलब साफ था कि सुगंधा को भी अपने बेटे से अपनी पेटिकोट ऊतरवाने में आनंद की प्राप्ति हो रही थी अपनी मां को इस तरह से हल कैसे गांड उठाता देखकर रोहन मन ही मन प्रसन्न हुआ और अपने कार्य को जारी रखते हुए पेटीकोट को धीरे-धीरे उसकी मदमस्त गांड के उन्नत उभारो से नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, जैसे-जैसे पेटीकोट सुगंधा की गांड से नीचे की तरफ सरक रही थी वैसे वैसे रोहन की सांसो की गति तेज होती जा रही थी।,,,,, धीरे-धीरे करके रोहन अपनी मां के बदन पर से पेटीकोट को नीचे की तरफ सरका ते हुए उसकी लंबी गोरी टांगों से बाहर कर दिया,,,,,
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )



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