Incest बदलते रिश्ते

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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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देखो मम्मी इसमें अब मेरी कोई गलती नहीं है क्योंकि वह आदमी भी तुम्हारे साथ वही करना चाहता था क्योंकि वह बार-बार बोल रहा था कि मैं तुम्हारे पीछे ना जाने कब से पड़ा हूं मैं तुम्हें चोदना चाहता हूं और आज तो मैं तुम्हारी चुदाई करके रहूंगा देखता हूं मुझे कौन रोकता है इसलिए जब मुझे पता चला कि तुम उस शैतान के साथ उस खंडहर में हो तो मुझे ऐसा ही लगा कि उसने तुम्हारी चुदाई कर दिया होगा,,,,( एक सांस में सब कुछ बोल गया लेकिन इतना बोलते समय इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया था कि उसका लंड एकदम से टन्ना गया था और इस बार वह हिम्मत दिखाते हुए अपनी उंगली को गांड की गहराई में रगड़ ते हुए गांव के पूरे रंग के छोटे से छेद पर उंगली का दबाव बढ़ाते हुए धीरे-धीरे नीचे की तरफ ले गया और इस बार रोहन की उंगली का स्पर्श सुगंधा की रसीली चिकनी कचोरी जैसी फूली हुई बुर की गुलाबी पत्तियों पर हुई जिसकी वजह से सुगंधा अपने बेटे की उंगली की रगड़ अपनी रसमलाई जैसी बुर की गुलाबी पत्तियों पर महसूस करते ही वह काम उत्तेजना से एकदम से सिसक उठी और ना चाहते हुए भी उसके मुख से गर्म सिसकारी की आवाज कुछ ज्यादा ही जोर से फूट पड़ी,,,,

सससससससहहहहहह आहहहहहहहहहहहह,,,,,

क्या हुआ मम्मी,,, ? (अपनी मां के मुख से गर्म सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन बोला,,,)

कुछ नहीं बेटा और हां जैसा तू सोच रहा था मेरे मन में भी वही ख्याल बार-बार उम्र रहे थे क्योंकि जिस तरह से वह बोल रहा था मुझे लग रहा था कि आज वह मुझे नहीं छोड़ेगा और वह मुझे उठाकर खंडार मिलेगा तो मुझे यकीन हो गया कि आज वह मेरी चुदाई कर के मानेगा,,,,

तुम भी एकदम डर गई थी ना मम्मी,,,,( रोहन अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की गुलाबी कुर्ती गुलाबी पत्तियों पर रगड़ता हुआ बोला ऐसा करते हुए रोहन एकदम से मस्त हो गया था ऐसा लग रहा था जैसे उसकी मुंह मांगी मुराद पूरी हो गई हो भले ही वह अपनी मां की गुरु को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन उसे उंगली से महसूस कर पा रहा था उसके आकार को समझने की कोशिश कर रहा था ऐसा करने में उसकी उंगली पूरी तरह से अपनी मां की बुर से निकले हुए काम रस में डूबकर गीली हो चुकी थी,,,, और सुगंधा अपने बेटे की ईस हरकत की वजह से पूरी तरह से कसमसाने लगी उसके बदन में उत्तेजना की ऐठन होने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी उत्तेजना को कैसे दबाये वह तो चाह रही थी कि जिस तरह से उसका बेटा अपनी उंगलियों से उसकी रसीली फूली हुई कचोरी जैसी बुर से खेल रहा है,, काश वह अपने मोटे तगड़े लंड को हांथ मे पकड़ कर उसकी रसीली बुर से छेड़खानी करता तो इससे भी ज्यादा उसे आनंद की प्राप्ति होती,,,,, लेकिन फिर भी रोहन की हरकतों ने अपनी मां को कामोत्तेजना के परम शिखर पर पहुंचा दिया था जहां से उसके सोचने समझने की शक्ति खत्म हो चुकी थी सही गलत को परखने की क्षमता क्षीण होती जा रही थी,,, वासना के अधीन होकर वह आगे बढ़ती जा रही थी जहां से वापस लौटने नामुमकिन था,,, इसलिए तो वह एकदम मदहोश होते हुए बोली,,,,।


सच रोहन में भी एकदम से डर गई थी मुझे लगने लगा था कि अब वह अपनी मनमानी करके ही छोड़ेगा वह अपनी मनसा में कामयाब हो जाएगा क्योंकि इतनी तूफानी बारिश में वहां मेरी मदद करने वाला कोई भी नहीं था एक तु था तो तुझे भी उसने मार कर बेहोश कर दिया था,,,,,, ओर वह जिस तरह से मेरे साथ वहसीपन कर रहा था उसे देखते हुए मेरी कोई इज्जत बचा पाता ऐसी कोई आशा की किरण नजर नहीं आ रही थी,,,,

क्या कर रहा था मम्मी वह,,,, (अपनी मां की बात सुनते ही रोहन झट से बोला,,, रोहन की उत्सुकता देखकर सुगंधा मम्मी मन प्रसन्न होने लगी वह अपनी बात को थोड़ा नमक मिर्च लगाकर बताना चाहती थी ताकि उसकी बातों को सुनकर उसका बेटा पूरी तरह से चुदवासा हो जाए और उसे चोदने पर मजबूर हो जाए हालांकि इस दौरान लगातार रोहन अपनी मां की काम पिपासा को बढ़ाते हुए अपनी बीच वाली उंगली को हल्के हल्के अपनी मां की बुर के मुख्य द्वार की पतली पतली गुलाबी पत्तियों पर रगड़ रहा था जिससे सुगंधा की हालत देखते बन रही थी,,,, शर्म के मारे उसका चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया था और वह किसी तरह से अपनी उखड़ती हुई सांसो को नियंत्रित किए हुए थी,,,,,,, सुगंधा अपने मन में सोचने लगी कि उसके बेटे ने अब जाकर सही सवाल पूछा है और यही मौका है उसे एकदम से चुदास से भर देने का इसलिए वह अपनी बातों में नमक मिर्च का घोल लगाते हुए बोली,,,,,।

यह पूछ बेटा कि वह क्या नहीं कर रहा था मुझे तो बताते शर्म आ रही है लेकिन मैंने तुझसे वादा किया कि अब तेरे और मेरे बीच दोस्ती जैसा रिश्ता इसलिए मैं तुझे सब बताती हूं लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि यह सब बात बाहर जाकर किसी को मत बताना वरना खामखा मेरी और तेरी इज्जत खराब होगी,,,, (सुगंधा अपने बेटे को विश्वास में लेते हुए बोली,,,,,)

तो बिल्कुल भी चिंता मत करो मम्मी यह राज है हम दोनों के बीच ही रहेगा इतना कहते हुए रोहन अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों पर दबाव डालता हुआ बोला जिसकी वजह से उसकी उंगली हल्की सी अंदर की तरफ धस गई जिससे सुगंधा के तन बदन में आग लग गई वह उत्तेजना के मारे कसमस आने लगी और गर्म सिसकारी लेते हुए बोली,,,)

ससससहहहहहहह आहहहहहहहहह रोहन,,,,, ( अपनी मां की गरम सिसकारी सुनकर रोहन कुछ देर तक अपनी बीच वाली उंगली को अपनी मां की गुलाबी पतियों के पीछे ही उसी तरह से दबाए रहा जिसका असर दोनों के बीच एकदम बुरा हो रहा था दोनों की हालत खराब हो रही थी और दोनों के नाजुक अंग फुदक रहे थे,,,,,)

इतनी तेज बारिश पड़ रही थी कि देखते ही देखते मैं पूरी भीग गई थी और वह मुझे अपनी मजबूत बांहों में पकड़ कर मुझे उठा लिया मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि वह इतना ताकतवर था कि मेरे जैसी भारी भरकम शरीर वाली औरत को भी वह उठा कर अपने कंधे पर रख लिया था,,,,

क्या कह रही हो मम्मी वह तुम्हें उठा कर कंधे पर रख लिया मुझे तो विश्वास नहीं हो रहा है,,,,

विश्वास तो मुझे भी नहीं हो रहा था लेकिन जो मैं कह रही हूं एक दम सच है,,,,,

अच्छा फिर क्या हुआ?,,,

इसके बाद वह मुझे कंधे पर उठाकर खंडहर की तरफ जाने लगा मैं रोने जैसी हो गई मैं एकदम लाचार नजर आ रही थी मैं जोर-जोर से अपना हाथ उसकी पीठ पर मार रही थी लेकिन उसे जरा सा भी फर्क नहीं पड़ रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे वह सच का शैतान हो लेकिन इन सबके बावजूद भी वह अपनी हरकत को,,, जारी रखते हुए अपनी मजबूत हथेलियों से साड़ी के ऊपर से ही मेरी गांड को दबा रहा था,,,अपनी हथेशी को इतनी जोर जोर से मेरी गांड को साड़ी के ऊपर से दबा रहा था,, मानो कि जैसे वह खींचकर मांस बाहर निकाल लेगा,,,,, उसे तो बहुत मजा आ रहा था लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था वह बार-बार कंधे पर उठाए हुए ही मेरी साड़ी को बार-बार ऊपर की तरफ कर दे रहा था और मेरी नंगी चिकनी टांगों से खेल रहा था,,,,( सुगंधा जानबूझकर एक-एक शब्द को खोल कर अपने बेटे से बता रही थी क्योंकि वह उसके दिमाग में उत्तेजना भर देना चाह रही थी और ऐसा हो भी रहा था अपनी मां की मस्त बातों को सुनकर रोहन की हालत खस्ता खराब होते जा रही थी खास करके उसके नंद की हालत खराब थी ऐसा लग रहा था कि जैसे अभी लंड की नसें फट जाएगी क्योंकि उसकी मां एकदम बेशर्म होकर एक एक शब्दों को गंदे तरीके से बता रही थी और रोहन भी मत बताओ अपनी मां की मदमस्त कार्ड से खेलता हुआ अपनी बीच वाली उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर की गुलाबी पत्तियों को रगड़ रहा था।,,,, इस तरह की खुद ही बातें करते हुए और अपने बेटे की गरम हरकत की वजह से सुगंधा एकदम गरम हो चुकी थी,,, और लगातार उसकी बुर से नमकीन रस मदन रस बनकर बाहर निकल रहा था जिससे रोहन के उँगरिया एकदम गिली होती जा रही थी,,। रोहन गर्म आए हैं लेता हुआ बोला,,,,,)

फिर क्या हुआ मम्मी,,,,?

फिर क्या था वह मुझे खंडार के अंदर ले गया जहां पर बहुत अधूरा था लेकिन चारों तरफ से खुला होने की वजह से रह-रहकर अंदर बिजली की चमक की वजह से उजाला हो जा रहा था जिसमें वह मेरे नंगे बदन को देखने की कोशिश कर रहा था जो कि उस समय मेरा बदन नंगा नहीं था बल्कि वस्त्र से ढका हुआ था लेकिन तेज बारिश की वजह से मेरी साड़ी और बाकी कपड़े गीले हो चुके थे और वह मेरे बदन से एकदम चिपक से गए थे वह मुझसे बोला कि अगर तुम अपने मन से मुझे अपना तन शॉप दो तो तुम्हें कोई नुकसान नहीं होगा लेकिन मैं उसकी बात कैसे मान सकती थी मैं अपनी इज्जत को कैसे दांव पर लगा सकती थी जिसे बरसों से संभाल कर रखी थी अपने खानदान की इज्जत को मैं इस तरह से एक शैतान के यहां तो लुटाना नहीं चाहती थी इससे अच्छा तो था कि मैं मर जाती लेकिन मेरे लाख इनकार करने के बावजूद भी वह दुष्ट इंसान मेरे साथ जबरदस्ती करने लगा वह मुझे अपनी बाहों में भरकर मेरे होठों के रस को पीने की कोशिश करने लगा और मैं उसके इरादे को नाकाम करते हुए बार-बार उसके चेहरे को हटा दे रही थी लेकिन वह मुझसे ज्यादा ताकतवर था वह एक हाथ से मेरी सारी पकड़ कर इतनी जोर से खींचा कि मैं गोल गोल घूमते हुए गिर गई और मेरे बदन से साड़ी उतर गई मैं उसकी आंखों के सामने केवल ब्लाउज और पेटीकोट में ही थी अंधेरा होने के बावजूद भी बिजली की चमक में वह मुझे देख पा रहा था और मुझे उस हाल में देखकर एकदम खुश हो गया ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी आंखो में वासना चमक रही हो,,,

मुझे उससे मैं बहुत डर लग रहा था रोहन एक तो तूफानी बारिश और चारों तरफ सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा और ऐसे में मैं एक शैतान के हाथों अपनी इज्जत लूट आना नहीं चाहती थी और मैं प्रतिकार करती रही लेकिन उस ताकतवर इंसान ने मुझे बार-बार असफल बना दिया वह मेरे करीब आया और मुझे फिर से अपनी बाहों में भर कर अपने बदन से सटा लिया,,,,,,
( यह सब बताते हुए सुगंधा का बदन कामोत्तेजना के स्वर में अपने लगा उसे खुद यकीन नहीं हो रहा था कि वह यह सब बातें अपने मुंह से कैसे बोल दे रही है और अभी अपने बेटे के सामने जो कि इस समय वह भी अपनी मां के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुनकर एकदम मस्त हुआ जा रहा था वह जोर-जोर से अपनी मां की गांड को रगड़ रगड़ कर एकदम गोरी गांड को एकदम लाल टमाटर की तरह कर दिया था और जिस तरह से वह अपनी उंगली को बार बार अपनी मां की बुर के मुख्य द्वार पर दबा रहा था ऐसा लग रहा था कि किसी भी वक्त उसकी उंगली सुगंधा की गीली बुर के अंदर प्रवेश कर जाएगी जिससे सुगंधा एकदम मतवाली होती जा रही थी,,,, दोनों ऐसे बारिश के ठंडे मौसम में भी पसीने से तरबतर हो चुके थे सुगंधा अपनी बात को जारी रखते हुए बोली,,,,।)

वह जिस तरह से मुझे अपने बदन से सटा लिया था,,,, मुझे बहुत डर लग रहा था लेकिन जब मैंने अपनी टांगों के बीच कुछ चुभता हुआ महसूस की तो मैं एकदम डर से कांप गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं ऐसा लग रहा था कि जैसे सामने मेरी मौत खड़ी है और मैं एकदम निस्सहाय सी खड़ी होकर उसे अपने करीब आने का इंतजार कर रही थी,,,

टांगों के बीच,,,,,,, टांगों के बीच क्या चुभ रहा था मम्मी,,,,?
(रोहन आश्चर्य जताते हुए बोला जबकि वह इतना तो जानता था कि औरत को अपनी बाहों में लेने से मर्द का कौन सा अंग और उसकी दोनों टांगों के बीच झुकता है लेकिन वह अपनी मां के मुंह से सुनना चाहता था,,,, ।)

मेरी टांगों के बीच,,,,रोहन,,, मेरी टांगों के बीच उसका मोटा तना हुआ लंबा लंड चुभ रहा था जो कि अभी भी उसने पजामे में कैद करके रखा था सुगंधा बेशर्म बनते हुए बोली लेकिन इतना कहते हुए वह और भी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी और उसकी फूली हुई बुर और ज्यादा फुदकने लगी थी और रोहन तो अपनी मां के मुंह से इतना खुला शब्द सुनकर एकदम से टन्ना गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या करें और उसकी उंगली का दबाव सुगंधा की मखमली बुर पर बढ़ती जा रही थी और वह इस कदर अपनी उंगली पर दबाव बनाया कि वह हल्का सा सुगंधा की रसीली बुर मे घुस गई,,,,, अपनी बुर के अंदर अपने बेटे की उंगली को हल्का सा प्रवेश होता हुआ महसूस करके ही सुगंधा के तन बदन में आग लग गई और उसके मुख से गर्म सिसकारी फिर फूट पड़ी और अपनी मां के मुंह से गर्म सिसकारी की आवाज सुनकर रोहन बेझिझक बोला,,,,,,

फिर क्या हुआ मम्मी,,,,?
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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( दोनों के बीच गंदी बातों का दौर शुरू हो गया था दोनों मां बेटे एक दूसरे के सवाल जवाब करते हुए बहुत ही आनंद ले रहे थे साथ ही अपने नाजुक नाजुक अंगों में बेहद उत्तेजना का अनुभव करते हुए एकदम चुदास से भरते चले जा रहे थे बाहर बरसात अपना असर दिखा रहा था और अंदर दोनों की गर्म बातें और सुगंधा का जवान गर्म जिस्म पूरे कमरे के तापमान को गर्म करता हुआ दोनों के तन बदन में वासना की पकड़ को मजबूत बनाता चला जा रहा था,,,,,। एक मां होने के बावजूद भी सुगंधा अपने बेटे से गंदी से गंदी बातें करना चाहती थी जिसमें उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और इसलिए अपने बेटे के अगले सवाल का जवाब देते हुए बोली,,,,।)

रोहन मैं उसके लंड की चुभन से एकदम से घबरा गई थी,,, जो कि अभी भी उसकी पेजामे में कैद था मैं पूरा ताकत लगाकर उससे छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन वह शैतान मुझे छोड़ना नहीं चाहता था,,, वह जबरदस्ती करते हुए मुझे जमीन पर लेटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गया,,,, वह मुझे गंदी गंदी गालियां देते हुए ना जाने क्या-क्या कहता रहा मैं उसकी बातें सुनकर एकदम से डर गई थी,,,।

क्या कह रहा था मम्मी वह कैसी गालियां दे रहा था,,,,,,( अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा समझ गई कि वह जो कुछ भी बता रही है उसी से उसे दुख नहीं बल्कि और ज्यादा उत्सुकता हो रही है आगे की बात जानने के लिए उसे साफ पता चल रहा था कि धीरे-धीरे उसका बेटा पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसकी बातों को सुनकर उसका मन भी चुदास से भरता चला जा रहा था इसलिए वह अपने बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,)

वह मुझे बहुत गंदी गंदी गालियां दे रहा था मुझे बार-बार बोल रहा था कि आज मैं तेरी बुर में अपना लंड डाल दूंगा तुझे चोद डालूंगा तेरी दोनों बड़ी-बड़ी चुचियों को मुंह में भरकर इसका सारा दूध पी जाऊंगा आज मैं तुझे नहीं छोड़ने वाला आज मैं तेरी गांड मार कर ही रहूंगा देखना मैं तेरी चूत में अपना मोटा लंड डालकर ऐसा चोदुंगा कि कल तु ठीक से चल भी नहीं पाएगी,,,,,, और ना जाने क्या अनाप-शनाप बकता रहा मैं तो उसकी बातें और उसकी गालियां सुनकर इस कदर डर गई थी कि उसका प्रतिकार भी नहीं कर पा रही थी,,,,।
( रोहन तो अपनी मां के मुंह से इतनी गंदी बातें सुनकर इस कदर मस्त हो गया था कि पूछो मत उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी उसके लंड की नसें फुल कर ऐसा लग रहा था कि अभी फट जाएगी उसका अंग-अंग उत्तेजना के मारे फूलने लगा था और वह इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि इस बार वह अपनी मां की बुर के अंदर अपनी बीच वाली उंगली लगभग आधी डालकर अंदर बाहर करते हुए उसकी पूर्व को अपनी उंगली से चोदना शुरू कर दिया और अपने बेटे की इस गंदी और हिम्मत वाली हरकत को देखकर सुगंधा का रोम-रोम पुलकित होने लगा उसके तन बदन में उत्तेजना का कसाव बढ़ता चला गया वह कर्म आहें भरने लगी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें बस अपने बेटे की उंगली चोदन से वह कसमसा रही थी,,, रोहन की सांसें उखड़ने लगी थी वह बहुत गहरी गहरी सांसे ले रहा था जिसका आभास सुगंधा को बहुत अच्छी तरह से हो रहा था लालटेन की पीली रोशनी में रोहन लालटेन की रोशनी में अपनी मां की बुर को ठीक से देख नहीं पा रहा था लेकिन उसे अपनी उंगली से टटोलकर उसके भूगोल का अच्छी तरह से जायजा ले रहा था उंगली के स्पर्श से इतना तो उसे समझ में आ गया था कि यह चीज जो भी थी वह किसी अजूबे से कम नहीं थी क्योंकि उसे छूने भर से मर्दों के तन बदन में करंट सा लग जाता है 2 इंच की बूर इतना अधिक कमाल दिखाती है कि मर्द सब कुछ भूल जाता है और केवल औरत के उस छोटी सी चीज का गुलाम हो जाता है जो कि इस समय रोहन के साथ भी हो रहा था,,,,, वह ऊखड़ती हुई सांसो के साथ आगे की बात जानने के लिए अपनी मां से बोला।,,,

फिर उस शेेतान ने क्या किया मम्मी?,,,,, ( रोहन इतना ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि इस बार थोड़ी और हिम्मत दिखाते हुए अपनी बीच वाली ऊंगली को आधे से ज्यादा अपनी मां की बुर में पेल दिया और उसे धीरे-धीरे अंदर बाहर करते हुए उंगली से चोदने लगा सुगंधा तो एकदम मस्त हुए जा रही थी लेकिन कुछ बोल नहीं रही थी क्योंकि उसे डर था कि कहीं कुछ बोलेगी तो कहीं उसका बेटा अपनी उंगली बाहर ना निकाल ले वह अपने बेटे की इस हरकत को नजरअंदाज करते हुए उसकी हरकत का मजा लेते हुए बोली,,,,,।

इसके बाद वह एकदम वहसी पन पर उतर आया था,,, उसकी आंखों में दरिंदगी मुझे साफ नजर आ रही थी,,,, मैं उससे इस कदर डर गई थी कि उससे नजरें मिलाने में भी मुझे डर लग रहा था वह इतना उतावला हो चुका था कि मेरे ब्लाउज के बटन खोलने की जगह वह सीधे दोनों हाथों से पकड़ कर कुछ देर तक मेरी चूचियों को ऊपर से दबाता रहा उसके बाद दोनों हाथों से खींचकर मेरे ब्लाउज को काट दिया जिसकी वजह से मेरी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां उसकी आंखों के सामने झूलने लगी मैं तो एकदम से डर गई कि अब मुझे कोई नहीं बचा सकता,,,,,


सुगंधा चाहती तो यह सब बातें उसे नहीं बताती लेकिन सुरेंद्र जानबूझकर अपने बेटे के सामने इतनी गंदे शब्दों में गंदी बातें बता रही थी ताकि वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाए और यही हो भी रहा था रोहन पूरी तरह से उत्तेजना के सागर में डूबता चला जा रहा था जिसका असर यह हो रहा था कि अपनी मां की बुर के अंदर आधी उंगली से ज्यादा लगभग जितनी जा रही थी उतनी ज्यादा और भी डाल कर अंदर बाहर कर रहा था और सुगंधा अपने बेटे का साथ देते हुए अपनी टांगों को हल्का सा खोल दी थी ताकि वह आराम से उसकी बुर के अंदर उंगली कर सकें रोहन मस्त हुआ जा रहा था क्योंकि,,, जिस तरह से वह अपनी मां के नाजुक अंगों के साथ खेल रहा था यह पल उसकी जिंदगी का बेहद अद्भुत और अतुल्य था और पहली बार ही था जिससे उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी वह पल पल कामोत्तेजना के सागर में खींचता चला जा रहा था वहां से वापस लौटने का कोई भी रास्ता उसे नजर नहीं आ रहा था,,,,, रोहन को इस बात का ज्ञान बिल्कुल भी नहीं था कि औरतों की बोर इतनी ज्यादा गर्म होती है इसलिए वह अपनी उंगली पर अपनी मां की बुर की गर्मी को महसूस करते हुए इतने ज्यादा उत्तेजित हो चुका था कि बार-बार अपने हाथ से अपने खड़े माटे लंड को दबा दे रहा था जो कि उसकी यह हरकत उसकी मां की नजरों से छिपी नहीं रही पाई और सुगंधा अपने बेटे की इस हरकत को देखकर मंद मंद मुस्कुराते हुए मदहोश हुए जा रही थी,,,,।
रोहानअब अपली मां की मालिस नहीं कर रहा था बल्कि अपनी मां के खूबसूरत अंगों के साथ खेल रहा था और उस का आनंद उठाते हुए वह उसी तरह से अपनी उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर की गहराई में अंदर बाहर करते हुए कांपते स्वर में बोला,,,।

फिर क्या किया उस शैतान ने मम्मी,,,
( उत्तेजना के मारे सुगंधा का गला सूखता जा रहा था उसकी सांसें उखड़ रही थी अपने बेटे की हरकत की वजह से वह दो बार झड़ चुकी थी ना जाने कितने वर्षों के बाद उसने इस तरह का स्खंलन महसुस की थी।,,, उसका मन मोर बनकर नाच रहा था उसके तन बदन में उत्तेजना की चिंगारी फूट रही थी एक अजीब सी गुदगुदा हट वह अपने तन बदन में महसूस करके अपनी मदमस्त जवानी को वासना के झूले में झूला रही थी,,,,, एक बार फिर अपने बेटे की हरकत की वजह से गर्म आहें भरते हुए वह बोली,,,,।

रोहन उसने मेरे ब्लाउज को फाड़ दिया था उसकी आंखों के सामने मेरी बड़ी-बड़ी गोल-गोल चूचियां झूल रही थी जिसे देख कर उसके मुंह में पानी आ रहा था वैसे तो उसे अंधेरे में नजर नहीं आ रहा था लेकिन बिजली की चमक में उसे कुछ क्षण के लिए मेरा नंगा बदन दिख जा रहा था जिससे वह काफी उत्साहित और उत्तेजित नजर आ रहा था जो उसकी आंखों से साफ पता चल रहा था वह तो जैसे छोटे बच्चे की तरह मेरे दोनों बड़े बड़ी चुचियों पर टूट पड़ा और बारी बारी से उसको मुंह में लेकर जोर जोर से दबा दबा कर पीना शुरु कर दिया मुझे बहुत दर्द कर रहा था वह इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि मेरे मुख से चीख निकल जा रही थी लेकिन वह मेरे दर्द की परवाह किए बिना ही अपनी मस्ती में मुझे ढूंढता रहा वह कुछ देर तक मेरी चुचियों से खेलता रहा मैं बार-बार पूरी कोशिश करके उससे छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह शैतान की ताकत वाला इंसान था उसकी ताकत के आगे एक भला औरत की ताकत की क्या बिसात मैं बार-बार उसे रहम की भीख मांगती रही लेकिन वह वासना में इतना अंधा हो चुका था कि मेरी चीख पुकार भी नहीं सुन रहा था बस वह अपने मनमानी करने पर तुला हुआ था कुछ देर बाद में उससे प्रतिकार करना भी छोड़ दी क्योंकि जितना मैं उससे प्रतिकार कर रही थी उतनी ही चोट और दर्द मुझे मिल रहा था वह कुछ देर तक ऐसे ही मेरी चूचियों से खेलता रहा,,,,।

अपनी मां की गरम बातें सुनकर रोहन गहरी गहरी सांसे ले रहा था उसके मुख से बार-बार गर्म आए निकल जा रही थी उसका तनबदन पूरा गर्म हो चुका था,,,,,, और सुगंधा भी मदहोश होते हुए बार-बार अपनी गांड को हल्के से ऊपर उठा दे रही थी,,,,,, यह सब देख कर रोहन की हालत पल-पल खराब होती जा रही थी,,, वह गरम आहे भरता हुआ बोला,,,।

मम्मी तुम्हें तो बहुत दर्द हो रहा होगा मेरा तो सोच कर ही हालत खराब हो रही है कि कैसे उससे शैतान ने तुम्हारी बड़ी-बड़ी चुचियों को दबा दबा कर तुम्हें दर्द दिया होगा,,,( रोहन भी थोड़ा खुलता हुआ बोला,,,, )

हां बेटा उसने अपनी हरकत से मुझे बहुत दर्द दिया मैं बता नहीं सकती कि उस समय मुझे कितना दर्द झेलना पड़ रहा था लेकिन मैं मजबूर हो चुकी थी,,,,

इसके बाद उसने क्या किया मम्मी,,,?
( दोनों मां-बेटे को इस तरह की गंदी बातें करने में बहुत मजा आ रहा था उससे भी ज्यादा मजा आ रहा था और रोहन तो अपनी मां की रसीली बुर के साथ छेड़छाड़ करने में और उसका लुफ्त पूरी तरह से सुगंधा उठाते हुए मस्त हुए जा रही थी,,,, वह मदहोश भरी आहें भरते हुए बोली,,,,।

बेटा मुझे तो उस समय कुछ भी सूझ नहीं रहा था कि मैं क्या करूं मैं मजबूर थी उसकी अत्याचार सहने के लिए वह लगातार मेरी बड़ी बड़ी चूचियों से खेल रहा था और पागलों की तरह उसे मुंह में भरकर जूस ले रहा था कमर के ऊपर से तो मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी लेकिन अभी भी मेरी इज्जत बचाने के लिए पेटीकोट मेरे तन पर पड़ा हुआ था लेकिन वो एक हाथ नीचे की तरफ ले जाकर धीरे धीरे मेरे पेटीकोट की डोरी को भी खोल दिया,,,,।,,( रोहन जैसे-जैसे अपनी मां की मस्त बातें सुन रहा था वैसे वैसे उस क्या असर उस पर बहुत ही बुरा प्रभाव पाड़ रहा था,, उत्तेजना के मारे रोहन अपनी मां की बुर के अंदर जोर-जोर से होली बाहर अंदर करता हुआ उसे उंगली से चोद रहा था और सुगंधा भी अपने बेटे की उंगली चोदन से इतनी मस्त हुए जा रही थी कि रह-रहकर बीच में उसके मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ रही थी उसका पूरा बदन कसमसा रहा था वह अपनी उत्तेजना को दबाने में असमर्थ साबित हो रही थी,,,।) मुझे पूरा यकीन तोर पर लगने लगा था कि अब मेरी इज्जत कोई नहीं बचा सकता बरसों से जिस इज्जत को में बचा कर रखी थी आज उसे तान के हाथों लूटने वाली थी मैं अपनी आंखों को बंद कर दी थी वह धीरे-धीरे मेरी पेटीकोट भी मेरे बदन से उतार कर अलग कर दिया,,, वह मुझे उस अवस्था में देखकर एकदम पागलों की तरह जोर जोर से हंस रहा था और इधर उधर अपनी हथेली से मेरे बदन को नोच रहा था मैं अपनी आंखों को बंद कर ली थी क्योंकि मुझे पता था कि अब क्या होने वाला है और मेरे सोचने के मुताबिक ही वह धीरे-धीरे अपने दोनों हाथों को मेरे चिकने पेट पर सहलाता हुआ,,, मेरी चड्डी के दोनों छोर को पकड़ लिया,,,
( अपनी मां की गरम बातों को सुनकर रोहन की सांसो की गति तेज चल रही थी और उतनी ही तेजी से उसकी उंगली अपनी मां की रसीली बुर के अंदर चल रही थी,,,,, उत्तेजना के मारे सुगंधा की भी सांसें उखड़ती चली जा रही थी सुगंधा को बहुत मजा आ रहा था बरसों के बाद लंड ना सही उंगली से जरूर उसकी बुर की चुदाई हो रही थी और वह तो मन ही मन इसी उम्मीद में थी कि उसका बेटा अपनी उंगली बाहर निकालकर अपना मोटा लंड ठुंस दे।,,, रोहन भी एकदम मदहोश हो चुका था अपनी मां की मदमस्त जवानी में पूरी तरह से खो गया था और अपनी उंगली को अपनी मां की रसीली गहरी बुर के अंदर डुबाता हुआ वह मदहोश शब्दों में बोला,,,,,

उसके बाद क्या हुआ मम्मी,,,,

( मदहोशी के आलम में बार-बार रोहन की आंखें बंद हो जा रही थी उसकी आंखों पर वासना का असर साफ झलक रहा था वह अपनी मां के अंदर अब एक मां नहीं बल्कि एक खूबसूरत जवान औरत को देख रहा था जो कि बेहद प्यासी थी और उसकी प्यास बुझाने के लिए वह पूरी तरह से तत्पर था,,,,)

उसके बाद तो मुझे लगा बेटा कि अब मैं उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाओगी और वैसे भी उसकी आंखों के सामने में लगभग नंगी ही हो चुकी थी,, बस उस नाजुक अंग को छुपाने के लिए अभी भी मेरे तन पर वह छोटी सी चड्डी मौजूद थी और उसी अंग के लिए वह पागल हुआ जा रहा था,,,,,

कौन से अंग को मम्मी मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूं,,, ( रोहन जानबूझकर सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनने की कोशिश करता हुआ बोला और उसकी यह बात सुनकर सुगंधा तुरंत घूम कर बेटे की तरफ आश्चर्य से देखते हुए लेकिन मुस्कुरा कर बोली,,,)

मुझे तू बुद्धू समझता है ?,,, क्या तुझे इतना भी नहीं पता कि औरत अपनी चड्डी के अंदर किस अंग को छुपा कर रखती है क्या यह भी तुझे बताना पड़ेगा,,,,,( यह कहते हुए सुगंधा अपने बेटे के चेहरे की तरफ देख रही थी जबकि उसका मन बहुत कर रहा था कि वह अपनी नजरे नीचे झुका कर अपनी मत मस्त बड़ी बड़ी गांड की तरफ देखें और यह देखें कि किस तरह से उसका बेटा अपनी उंगली को उसकी बुर के अंदर बाहर बड़ी तेजी से पेल रहा है,,,, लेकिन ऐसा करने में उसे इस बात का डर था कि कहीं उसका बेटा यह जान गया कि वह क्या देख रही है तो कहीं वह अपनी उंगली उसकी बुर में से निकाल ना ले और सारा मजा किरकिरा हो जाए,,,)
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Re: Incest बदलते रिश्ते

Post by ritesh »

मैं सच कह रहा हूं मम्मी मुझे क्या पता की औरत अपनी चड्डी के अंदर कौन से अंग को छुपा कर रखती है मैं कभी देखा हूं क्या तुम्हें क्या लगता है कि किसी औरत ने मुझे अपने चड्डी के अंदर नजर डालने दी होगी मैं तुम्हें ऐसा वैसा लगता हूं कि इधर उधर नजर मारता फिरू मुझे सच में नहीं पता कि औरत अपनी चड्डी के अंदर कौन से हमको छुपा कर रखती है,,,। ( रोहन अपनी उंगली की रफ्तार कम किए बिना ही बोला लेकिन सुगंधा को इतना जरूर नजर आ रहा था कि जिस रफ्तार से अपनी उंगली को जोर जोर से बुर के अंदर बाहर कर रहा था उससे उसके पूरे बड़े बड़े नितंब किसी पानी भरे गुब्बारे की तरह हिल रहे थे और उसे देखकर सुगंधाको ऐसा ही लग रहा था कि जैसे पीछे से उसकी कोई चुदाई कर रहा हो सुगंधा को बहुत मजा आ रहा था और अपने बेटे की बात सुनकर वह बोली,,,,।)

,,, लेकिन तूने तो मुझे नंगी देख चुका है ना,,,,

फिर वही बात मैं कितनी बार तुमसे कहूं मम्मी कि मैं तुम्हें सिर्फ नंगी देख चुका हूं लेकिन तुम्हारी टांगों के बीच चड्डी के अंदर कौन सा अंग है इसके बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं पता वैसे भी मैं तुम्हें नंगी दूर से देखा हूं तुम्हारे अंग को नहीं देख पाया हूं,,,,


बाप रे इसका मतलब कितना जवान हट्टा कट्टा होने के बावजूद भी तो अभी तक एकदम नादान है दूसरे लड़के इस उमर में ना जाने क्या-क्या देखकर उसका उपयोग भी कर लेते हैं और तू है कि अभी उस अंग को देख भी नहीं पाया है,,,,,।

मम्मी अब मेरी किस्मत ऐसी कहां की कोई औरत अपना अंग दिखाकर उसका उपयोग करने दे,,,,

क्या कहा,,,,?

ककककक,, कुछ,,,,, नही,,,,, मम्मी,,,,,
( सुगंधा अपने बेटे की इस बात को सुनकर मंद मंद मुस्कुरा दी और रोहन अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,, )

क्या हुआ मम्मी उस शैतान ने अपने दोनों हाथों में तुम्हारी चड्डी पकड़कर क्या किया,,,,?

तू तो ऐसे पूछ रहा है जैसे तुझे कुछ मालूम ही नहीं अरे ओ मेरी चड्डी उतार कर मुझे नंगी कर पाता इससे पहले ही तू तो वहां कर उसके सर पर लकड़ा दे मारा और वह वहीं पर ढेर हो गया,,,,

अरे हां मैं तो भूल ही गया था कि जब मैं खंडहर के अंदर पहुंचा था तब वह आदमी तुम्हारी चड्डी उतार नहीं जा रहा था मुझे तो लगा था कि उसने तुम्हारी चुदाई भी कर दिया होगा,,,,,।

नहीं बेटा अच्छा हुआ था कि तू सही समय पर आ गया था वरना जैसा तू कह रहा है वैसा ही हो गया होता,,,,। लेकिन एक बात मुझे समझ में नहीं आ रही है कि तू कहता है कि औरत की चड्डी के अंदर जो अंग होता है तो उसे नहीं देख पाया है तो तू यह कैसे कह रहा है कि वह आदमी मुझे चोद दिया होता इसका मतलब तुझे पता है कि एक आदमी औरत को कैसे चोदता है,,, (सुगंधा अपने बेटे को अपनी बातों में उलझाने की कोशिश करती हुई बोली,,,)

नहीं मम्मी मुझे नहीं मालूम यह सब कैसे होता है यह तो मैं अपने दोस्तों के मुंह से सुना इसलिए कह रहा हूं बाकी इस बारे में मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है,,,,।

अच्छा जो तू कह रहा है अगर सच है तो धीरे-धीरे तुझे भी पता चल जाएगा कि एक आदमी औरत को कैसे चोदता है चल अब तू जल्दी-जल्दी मेरी मालिश कर मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,।
( इतना सुनते ही रोहन अपनी मां की बुर में से अपनी उंगली को वापस खींच लिया उसे समझ में नहीं आ रहा था कि,, जिस तरह से वह अपनी उंगली को जोर जोर से अपनी मां की बुर के अंदर बाहर कर रहा है उसका एहसास उसकी मां को हुआ ना हो वह समझ गया कि उसकी मां जानबूझकर अनजान बनते हुए कुछ भी नहीं कह रही थी इसका मतलब साफ था कि उसकी मां को बहुत मजा आ रहा था और अगर वह अपनी उंगली की जगह उसकी बुर के अंदर अगर अपना लंड डाल कर उसकी चुदाई भी कर दे तो उसकी मां को मजा ही आएगा बल्कि वह बिल्कुल भी ऐतराज नहीं करेगी यह सोचकर वह मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,,,। और वह फिर से अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को जोर से दबाते हुए मालिश करना शुरू कर दिया दूसरी तरफ सुगंधा का बुरा हाल था रह- रहकर उसकी बुर से ढेर सारा नमकीन पानी सैलाब की तरह फूट पड़ रहा था,,,,, देखते ही देखते वह तीन बार झड़ चुकी थी ऐसा उसके साथ पहले कभी नहीं हुआ था,,,।
दूसरी तरफ बादलों की गड़गड़ाहट से और तेज बारिश की फुहारों से कमरे के अंदर का माहौल एकदम मादक होते जा रहा था रोहन का बुरा हाल था एक खूबसूरत औरत बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी जिसकी मदमस्त गांड कि वह मालिश कर रहा था और वह उसके साथ कुछ भी कर सकता था लेकिन अभी भी रोहन इतना नहीं खुल पाया था कि बिना बोले अपनी मां के ऊपर चढ़ जाए और उसकी बुर में लंड डालकर उसकी चुदाई कर दे लेकिन जितना भी वह कर रहा था उससे उसे सुकून और संतुष्टि की प्राप्ति हो रही थी,,,,, देखते ही देखते सुगंधा की मदमस्त गोरी गोरी गाल एकदम लाल हो गई रोने जिस तरह से हिम्मत दिखाते हुए उंगली से अपनी मां की बुर की चुदाई किया था सुगंधा को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि रोहन इस तरह की हरकत करेगा और ना ही रोहन अपने आप पर इतना विश्वास रखता था कि वह इस तरह की हरकत करके अपनी मां को और खुद आनंद देगा लेकिन वास्तविकता यही थी कि रोहन हिम्मत दिखाते हुए अपनी मां की बुर के अंदर ना जाने कितने देर तक उंगली को अंदर-बाहर करता रहा जिससे उसका लव इस हालत में हो गया कि कभी भी विस्फोट हो सकता था कभी भी उसका लावा पिघल कर बाहर आ सकता था।


कुछ देर तक यूं ही चलता रहा रोहन अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों से मसल तरह चलता रहा और उसका भरपूर आनंद उसकी मां उठाती रही लेकिन एक कसक बार-बार उसके मन में हो रही थी कि रोहन वाकई में बहुत बुद्धू लड़का है क्योंकि स्वादिष्ट व्यंजन परोस कर रखने के बावजूद भी वह स्वादिष्ट व्यंजन से भरी थाली को हाथ तक नहीं लगा रहा है दूसरा कोई होता तो ना जाने कबसे चट कर गया होता,,,,।
रोहन भी बार-बार खुद अपने आप को ही कोस रहा था,, क्योंकि औरत के किस अंग को छूने के लिए उसे महसूस करने के लिए उसमें अपना मोटा लंड डालकर उसको चोदने के लिए तड़प रहा था उस अंग को वह आज अपने हाथों से टटोलभर पाया था उसने अपनी उंगली डालकर उसकी गर्मी को महसूस कर भर पाया था लेकिन अभी तक उसने बुर के दर्शन नहीं कर पाया था,,, वह अपनी मां की रसीली पुर के दर्शन करना चाहता था उसे अपनी आंखों से देखना चाहता था उसकी बनावट को देखना चाहता था लेकिन लालटेन की रोशनी इतनी कम थी कि उस रोशनी में उसे अपनी मां की रसीली मखमली बुर नजर नहीं आ रहे थे एक पल के लिए तो वह मन में ठान लिया कि खुद जाकर लालटेन की रोशनी को बढ़ा दे लेकिन ऐसे करने में उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी,,,,
मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )



ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

Post by ritesh »

आधी रात का समय गुजर गया था लेकिन अभी भी सुगंधाको उसकी मन की मुराद नहीं मिल पाई थी और ना ही रोहन की मंशा पूरी हो पाई थी,,,, दोनों की मंजिल एक थी दोनों को चलना एक साथ था लेकिन मंजिल अभी भी काफी दूर थी कब पहुंचा जाएगा यह दोनों को नहीं पता था रास्ते बेहद उबड़ खाबड़ थे लेकिन दोनों को मजा आ रहा था,,,,,, वह कहते हैं ना कि मंजिल से ज्यादा मजा सफर का आता है ठीक वैसा ही दोनों के साथ हो रहा था दोनों को मंजिल पर पहुंचने की जल्दबाजी थी,,, लेकिन दोनों इस सफर का भरपूर लुफ्त उठा रहे थे दोनों को यकीन नहीं हो रहा था कि उनकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा कि दोनों इस तरह से बिस्तर पर होंगे सुगंधा को बार-बार यह सोचकर शर्म भी आ रही थी लेकिन जो आनंद उसे मिल रहा था उसको वह अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकती थी,,,। धीरे-धीरे रात गुजर रही थी उसे इस बात का डर भी था कि कहीं ऐसे ही देखते ही देखते यह रात न गुजर जाए और सुबह हो जाए वह जो कुछ भी करना चाहती थी आज की ही रात को करना चाहती थी अब उसे ही कोई जुगाड़ लगाना क्योंकि वह समझ गई थी कि उसका बेटा एकदम बुद्धू है जो काम से दिया जाएगा उसी में वह तल्लीन हो जाएगा उससे ज्यादा करने की हिम्मत उसमें नहीं है हालांकि थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए उसने अपनी उंगली से जो उसकी बुर की चुदाई की थी वह काबिले तारीफ की लेकिन वह इससे भी ज्यादा चाहती थी इससे भी ज्यादा की उम्मीद लगाकर बैठी थी वह चाहती थी कि उसकी बुर के अंदर उसके बेटे की उंगली नहीं बल्कि उसका मोटा तगड़ा लंड हो जिसको महसूस करके वह पहले ही धक्के में पानी पानी हो जाना चाहती थी कुछ देर तक कमरे में पूरी तरह से खामोशी छा गई केवल सुगंधा की गरम आहे गूंज रही थी,,, और रह-रहकर रोहन अपनी मां की गांड को मसल ता हुआ शिशक जा रहा था,,,,,,

सुगंधा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी और वह अपने बेटे से बोली,,,,,।

बेटा उस जालिम ने मेरी दोनों चुचियों को इतनी जोर जोर से मसल कर रगड़ा था कि अभी तक इस में दर्द होता है लगे हाथ तो इससे भी अपने हाथों का जादू दिखा कर इसका दर्द दूर कर दे मैं तो इस दर्द से परेशान हो गई हूं,,,,,।

( अपनी मां की यह बात सुनते ही रोहन के मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ी क्योंकि वह चुचियों पर मालिश करने का मतलब अच्छी तरह से जानता था इसका मतलब था आनंद ही आनंद जबरदस्त माहौल बनता नजर आ रहा था सुगंधा ने पूरी बाजी पलट दी थी क्योंकि रोहन अच्छी तरह से जानता था कि चुचियों पर तेल की मालिश करने के लिए उसे पीठ के बल लेटना होगा और ऐसा करने पर वह अपनी मां की खूबसूरत दोनों खरबूजो के साथ-साथ टांगों के बीच छुपी हुई लहसुन की कली को भी आराम से देख पाएगा उसका मन गुदगुदा ने लगा और साथ ही उसका लंड एकदम कड़क हो गया,,,,। , उसे अभी भी अपने कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था अपनी मां की तरफ से मिले इस आमंत्रण को पूरी तरह से परखने के लिए वह बोला,,,,

मम्मी तुम क्या बोली मैं ठीक से सुना नहीं फिर से कहो तो,,,,

बेटा मैं कह रही हूं कि उस जालिम ने इतनी जोर जोर से मेरी चूचियों को दबाया था मसला था कि मुझे अभी तक इस में दर्द होता है तु जरा इस पर भी मालिश करके अपने हाथों का जादू दिखाओ और उसमें से भी दर्द दूर कर दे मैं बहुत परेशान हो गई हूं इस दर्द से,,,,, ( सुगंधा जानबूझकर दर्द से कराहते हुए बोली)

क्या,,, चचचचचचच,,,,, चुची पर मालीश,,,,,, क्या कह रही हो मम्मी,,,,,
( चूची शब्द कहते हुए जिस तरह से रोहन हकलाया था उसे देखकर सुगंधा की हंसी छूट गई और वह हंसते हुए बोली,,,)

तो इसमें क्या हुआ रोहन तेरे से मैं अपनी गांड पर मालिश तो करवा ही चुकी हूं चूची पर करवाने में कैसी शर्म तु शायद नहीं जानता,, औरत के बदन में उसके तीन अंग बेहद अनमोल और गुप्त होते हैं जिसे औरत जब भी किसी को नहीं दिखाती यह तीनों होंगे सिर्फ और अपनी पत्नी या प्रेमी को ही दिखाती है और मुझे तुझसे शर्म करने की जरूरत नहीं है क्योंकि पूरी दुनिया में एक तू ही है जो मेरा अच्छा या बुरा समझ सकता है तेरे सिवा में किसी को अपना दर्द नहीं कह सकती,,, और वैसे भी पूरी दुनिया में तेरा मेरे सिवा कौन है और मेरे तेरे सिवा कौन है हमें दो है जो अपने दुख दर्द को आपस में बांट कर उसे कम कर सकते हैं इसलिए तू बिल्कुल भी शर्म मत कर,,,,।

रोहन को अपनी मां की बातें अच्छी लग रही थी वह अपनी मां के द्वारा कही गई तीन अंगों के बारे में सुनकर और ज्यादा उत्साहित हो रहा था वैसे तो अच्छी तरह से जानता था कि औरत के बदन में औरत अपने तीन से कौन से अंगों को छुपा कर रखती है लेकिन फिर भी वह अपने मां के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,,।

मम्मी तुम कौन से तीन अंगों के बारे में कह रही हो मुझे जरा अच्छे से बताओ गी,,,,( अपने बेटे की बात सुनकर सुगंधा मंद मंद मुस्कुरा रही थी वह उसी तरह से पेट के बल लेटे हुए ही बोली,,,।)

देख रोहन मैं तुझे विस्तार से समझाती हूं तू औरतों को तो देखा ही होगा चलो लोगों को छोड़ मुझे तो तू देखता ही आ रहा है तूने आज तक मुझे साड़ी में देखा है,, साड़ी पहनने के बाद मेरे बदन में कौन-कौन सा हिस्सा तुझे बेपर्दा नजर आता है,, (रोहन कुछ कह पाता इससे पहले वह खुद बोली)
देख रोहन जब मैं साड़ी पहनती हो तो मेरे बाकी के सारे अंग ढके हुए होते हैं केवल मेरा चेहरा मेरा पेट और मेरे हाथ नजर आते हैं और तू जानता है मेरे तीन से कौन-कौन से मुख्य अंग साड़ी के अंदर ढके हुए होते हैं,,,( रोहन के बोलने से पहले ही वह खुद बोली,,,।) देख सबसे पहला औरतों का मुख्य और आकर्षण वाला अंग है गांड और मेरी गांड को तो तू देख ही चुका है बड़ी-बड़ी गोल गोल और एकदम गोरी,,,,।
( अपनी मां के मुंह से अपनी गांड के बारे में सुनकर रोहन एकदम सन्न हो गया उसकी कामोत्तेजना का पारा एकदम से चढ़ने लगा उसका लंड पजामे में ठोकर मारने लगा,,,,। तभी सुगंधा ने जो बात बोली उसे सुनकर रोहन की इच्छा हो रही थी कि अभी इसी वक्त अपनी मां के ऊपर चढ़कर उसकी गांड में अपना पूरा लंड पैल दे,, सुगंधा मादक अदाओं से अपने बेटे की तरफ नजरें घुमाकर देखते हुए बोली,,,,,।)

अच्छा रोहन तू सच सच बताना बिल्कुल भी झूठ मत बोलना और किसी भी प्रकार का शर्म मत करना जैसा कि मैं पहले से कहती आ रही हूं तुम मुझे सच सच बता कि तुझे मेरी गांड कैसी लगी,,,,,,
( रोहन तो अपनी मां के मुंह से यह सवाल सुनते ही उसके लंदन में पानी आ गया उसने इस बात की उम्मीद नहीं थी कि कभी वह अपने अंगों के बारे में उसकी राय पूछेगी लेकिन जिस तरह से वह मालिक स्वर में और कातिल अदाओं के साथ यह सवाल रोहन के माथे पर दागा था रोहन के चारों खाने चित हो चुका था रोहन अच्छी तरह से समझ गया था कि अब उसकी मां के आगे शर्माने से कोई फायदा नहीं है आगे बढ़ना है तो उसे,,, पूरी तरह से अपने शर्म को छोड़ना होगा और लगभग लगभग रोहन के अंदर से शर्म खत्म होती जा रही थी इसलिए तो वह बेधड़क अपनी मां के सवाल का जवाब देते हुए बोला,,,,।)

बहुत अच्छी मम्मी मुझे तो तुम्हारी गांड बहुत अच्छी लगी,,,,

सिर्फ अच्छी ही लगी कि इससे ज्यादा कुछ जरा खुल कर बता (सुगंधा अपने बेटे की तरह मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,)

बहुत बहुत अच्छी लगी मम्मी इतनी अच्छी लगी कि मैं बता नहीं सकता,,,,

तो ही तो मैं पूछ रही हूं बताना कैसी लगी तुझे सिर्फ अच्छी या उससे ज्यादा क्योंकि मैं अच्छी तरह से जानती हूं कि तुम मर्दों की नजर औरतों के अंग पर इसी अंग पर सबसे पहले पड़ती है भले ही साड़ी के अंदर क्यों ना केद रहती है लेकिन इसके बारे में सोच कर ही तुम लोगों के तन बदन में आग लग जाती है क्यों सच कहीं ना,,,,

बात भी तो तुम सच ही कह रही हो मम्मी हम लोगों की नजर औरतों की गांड पर सबसे पहले और सबसे ज्यादा बार पड़ती है पता नहीं औरतों के गांड में किस तरह का आकर्षण होता है कि उसे देखते ही बस सम्मोहन सा हो जाता है और तुम्हारी गांड के बारे में कहूं तो मम्मी तुम्हारी जैसी गांड किसी औरत की नहीं होगी,,,,, मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैं आज तक जितनी भी औरतों की गांड देखा हूं भले ही साड़ी के ऊपर से लेकिन जो आकर्षण साड़ी पहनने के बावजूद भी तुम्हारी गांड के अंदर होता है वैसा आकर्षण आज तक मैंने किसी औरत की गांड में नहीं देख पाया हालांकि यह मेरा पहला मौका है किसी औरत की नंगी गांड देखने का लेकिन मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि तुम्हारे से खूबसूरत गोल मटोल गोरी गोरी गांडकिसी औरत की नहीं होगी,,,,,

सुगंधा तो अपने बेटे के मुंह से अपनी गांड की इतनी जबरदस्त तारीफ सुनकर एकदम गदगद हो गई,,,,,, रोहन भी अपनी मां से अपनी मां की गांड के बारे में तारीफ करके एकदम से उत्तेजित हो गया था सुगंधा अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए अपनी दूसरे अंग के बारे में बोली,,,,

रोहन में तुझे औरतों के दूसरे अंग के बारे में बताती हूं जिसे औरत हमेशा कपड़े के अंदर ही रखती है लेकिन फिर भी मर्द की नजर उस पर भी सबसे पहले पड़ती है,,,,, औरत का दूसरा सबसे मुख्य आकर्षण वाला अंग है उसकी दोनों चूचियां,,,,( रोहन अपनी मां के मुंह से चूची शब्द सुनकर एकदम से कामोत्तेजित हो गया,,, रोहन का बुरा हाल हो रहा था वह बार-बार एक हाथ से अपने खड़े लंड को दबाने की कोशिश कर रहा था लेकिन बार-बार उसका बेलगाम लंड मुंह ऊठाए खड़ा हो जा रहा था,,,)
रोहन तू भी अच्छी तरह से जानता है कि किसी औरत की चूची छोटी होती है तो किसी औरत की चूची बड़ी बड़ी होती है और सच कहूं तो मर्दों की बड़ी-बड़ी चूचियां अच्छी लगती है,,,

ऐसा क्यों मम्मी,,,,?

क्योंकि औरतों की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथ में भरकर जोर जोर से दबाने में मर्दो को बहुत मजा आता है उन्हें आनंद मिलता है,,,,

इसीलिए मम्मी वह शैतान तुम्हारी चूची को जोर जोर से दबा रहा था,,,,

हां तु सच कह रहा है उसे बहुत मजा आ रहा था तभी तो वह सब कुछ छोड़कर मेरी चूची को जोर जोर से मस ले जा रहा था मुझे दर्द दे रहा था,,,,, और तो और निप्पल को मुंह में भर कर चूसने में भी मर्दों को बहुत मजा आता है तभी तो वह शैतान मेरी चूची को जोर जोर से दबाते हुए मेरी निप्पल को मुंह में लेकर जोर जोर से पी रहा था,,, (सुगंधा बातों ही बातों में एक इशारा के रूप में अपने बेटे को औरतों को खुश करने का तरीका बता रहे थे और औरतों के अंगों से कैसे मजा लिया जाता है यह तरीका भी उसे समझा रही थी क्योंकि उसे यकीन था कि अगर उसकी मुराद पूरी हो गई तो जरूर इस तरह की हरकत करते हुए दोनों रात भर मजा लेंगे रोहन तो अपनी मां के मुंह से इस तरह की अश्लील बातें सुनकर इतना कामोत्तेजना से भर गया था कि उसका मन खुद कर रहा था कि वह खुद अपने लंड को बाहर निकाल कर हीला ले,,, अपनी मां की बात सुनकर आश्चर्य जताते हुए रोहन बोला,,, )

क्या बात कर रही हो मम्मी क्या यह सच है क्या तुम जो भी कह रही हो वह बिल्कुल सच है,,,,?

मैं जो कुछ भी कह रही हूं रोहन वह सनातन सत्य है जब तुम थोड़े बड़े हो जाओगे तुम्हारी शादी होगी तुम्हारी बीवी आएगी तब यह बात तुम्हें खुद तो खुद पता चल जाएगी,,,,,,,
( अपनी मां की बात सुनते ही रोहन मन ही मन मे बोला कि शादी तक रुकने का किसके पास समय है मैं तो इतना उतावला हूं कि अगर थोड़ा सा मम्मी तुम अपने मुंह से इशारा कर दो तो मे अभी तुम्हारी टांगें फैलाकर तुम्हारी बुर में लंड पेल दूं,,,, और दूसरी तरफ सुगंधा पेट के बल लेटे हुए ही अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,।)

और औरत का तीसरा अंग बहुत ही बेशकीमती है जिसे औरत हमेशा पर्दे में छुपा कर रखती है साड़ी के अंदर छुपा कर रखती है और साड़ी पहनने के बावजूद भी उसे पेटीकोट के साथ-साथ अपनी चड्डी के अंदर छुपा कर रखती है तो इसी से सोच इसी से अंदाजा लगा की औरतों के लिए उस किया वह तीसरा अंग कितना ज्यादा महत्व रखता है और कितना खूबसूरत है जिसे देखने के लिए दुनिया का हर मदद करता रहता है जिसे पाने के लिए वह किसी भी हद तक नीचे जा सकता है किसी से भी लड़ाई कर सकता है किसी से भी झगड़ा कर सकता है औरतों के इस तीसरे अंग में बात ही कुछ ऐसी होती है,,,, तू जानता है औरतों के उस अंग को क्या कहते हैं,,, (इतना कहते हुए सुगंधा अपने बेटे की तरफ नजर घुमा कर देखने लगी तो वह मंद मंद मुस्कुराने लगी क्योंकि उसकी बातें सुनकर रोहन एकदम से ऊत्तेजीत हो गया था उसके चेहरे पर उत्तेजना का असर साफ झलक रहा था,,,, वह कुछ बोल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था इसलिए सुगंधा बोली,,,,)
चल मैं ही बता देती हूं तुझको देख कर ऐसा लग रहा है कि तू कुछ बोल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं है मेरी बातें सुनकर एकदम गरम हो गया है,,, (रोहन क्या कहता वह सच में कुछ भी बोलने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था,,, रोहन सच में अपनी मां की बातें सुनकर एकदम गरम हो गया था सुगंधा आपने बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,।)

औरत के उस बेसिकीमती अंग को बुर कहते हैं,,,,( सुगंधा अपने बेटे की तरफ देखते हुए बोली और जिस अदा से जिस मादक एहसास के साथ वह अपने लाल-लाल होठों को आपस में सटाकर उसे गोल करके वह बोली थी उसे देख कर रोहन का लंड झड़ते झड़ते रह गया था उसके लंड में लावा का विस्फोट होने वाला था लेकिन वह संभल गया था वरना उसी समय ऊसका पानी निकल जाता,,,,,)
तुम तो जरूर देखे होंगे रोहन,,,,,

नननन,नही,,,, मम्मी मैं तुमसे कह चुका हूं कि मैंने नहीं देखा हूं,,,,

हां मैं तो भूल ही गई कि तूने अभी तक औरत की बुर नहीं देखा है (इतना कहकर सुगंधा कुछ सेकंड के लिए खामोश हो गई और थोड़ी देर बाद अपनी खामोशी को तोड़ते हुए अपने बेटे की तरफ उसकी आंखों में आंखें डाल कर बोली,,,, )

देखना चाहता है,,,,,
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ritesh
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Re: Incest बदलते रिश्ते

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(^%$^-1rs((7)
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