शरीफ़ या कमीना

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ritesh
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शरीफ़ या कमीना

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शरीफ़ या कमीना


Lekhak- Anoop

मैं राज चौधरी, जन्म से अच्छा शरीफ़ बन्दा था पर यार-दोस्तों की चक्कर में अब एक कमीना टाईप बन्दा बन गया हूँ। कमीना भी ऐसा की खुद अपनी छोटी बहन के सुहागरात की वीडीयो पूरी प्लानिंग के साथ बनाई और अब अपने दोस्त के साथ, जो संयोग से मेरी बहन का देवर है, उस वीडीयो को देख-देख कर अपने लन्ड की गर्मी शान्त करता हूँ। चलिए अब बताता हूँ सब बात शुरुआत से, जिससे आपको भी कुछ पता चले और शायद मजा भी आए। मैं अभी २२ साल का हूँ और मेरी छोटी बहन तनु चौधरी की शादी अभी एक महिने पहले मेरे दोस्त बब्लू के बडे भाई से हुई है। तनु मुझसे ४ साल छोटी है, अभी अगस्त महिने में १८ पूरा हुआ उसका और नवंबर में उसकी शादी बब्लू के भैया से हो गयी जो इसी साल एक बैंक में अधिकारी बने हैं। बब्लू मेरे बचपन का दोस्त है, नर्सरी से हम साथ ही पढे हैं। सच तो यह है कि बब्लू मेरी बहन पर शुरु से लाईन मारता रहा है और अब मैं भी उसकी बहन पर लाईन मारता हूँ। तनु मुझसे ४ साल ही छॊटी है, जबकि बब्लू की बहन बब्ली उससे आठ साल छोटी है। जाहिर है कि मेरी बहन तनु उसकी बहन बब्ली से पहले जवान हो गई।


हम तब ग्यारहवीं में थे और जब वो एक दोपहर मेरे घर आया था और उसी दिन उसको मेरी बहन जो तब सातवीं मे थी भरपूर देखने का मौका मिला था। उस दिन उसमें मेरे ही घर पर सीधे-सीधे मुझसे कहा था, "यार राज, तनु स्कूल में तो बच्ची दिखती है, पर यहाँ घर के कपड़ों में तो माल लग रही है यार।" तनु स्कूल तो एक ढीले सलवार-कुर्ते में जाती थी एक दुपट्टे के साथ जबकि घर पर वो एक टाईट टी-शर्ट के साथ एक स्कर्ट पहने थी जो उसके घुटने से करीब एक इंच ऊपर ही था और तनु की गोरी-गोरी पतली से टाँगे दिख रही थी। हम आपस में लडकियों के बारे में बाते करते, गन्दी किताबें पढते और साथ-साथ मूठ मारते थे। मैं उसकी बात सुन कर बस मुस्कुरा कर रह गया। मैं भी तनु के बदन को देखता तो था पर फ़िर वो मेरी बहन है, बस यह सोचकर अपने दिल को समझा लेता था। आज बब्लू के शब्दों में मेरे दिल की उसी रग को छेड़ दिया था सो मैं बस मुस्कुराया और चुप रह गया। बब्लू ने मेरी मुस्कुराहट से गलत अंदाजा लगाया और आगे कह गया, "अब यार जरा तनु के जाँघ का वर्णन करो ना, या उसका बदन जो तुम द्खे हो तो आज उसके नाम की मूठ निकाली जाए"। मैंने अब उसको हँसते हुए कहा, "हट... साले, एक घूँसा लगाऊँगा साले अब तुम्हें"। वो मेरा स्वभाव अच्छे से जानता था सो फ़िर मुझे छेडा, "अरे बेटा... हम सब समझ रहे हैं। ऐसा माल जब घर में है तभी तो तेरा लंड ऐसा मोटा हुआ है.... साले कब से हिला रहे हो तनु के बारे में सोच-सोच कर?" सच में मेरा लंड मेरी कद-काठी के हिसाब से कुछ ज्यादा ही मोटा है। मैं खुद दुबला सा हूँ, ५’७" और वजन कुल जमा ५६ किलो जबकि लंड है ७.५" और घेरा है ४.५" का जबकि बब्लू का बदन मेरे से अच्छा है पर उसका लंड है ६.५" और घेरा है ३.५"। मैंने अब कहा, "अबे साले तू अब पिट जाएगा मेरे से.... साले अब यही बाकी रहा है क्या कि मैं अपनी ही बहन की मूठ निकालूँ।"
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ritesh
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Re: शरीफ़ या कमीना

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उसने अब मुझे उकसाया, "अच्छा यार, तेरे लिए यह मुश्किल है पर मेरे लिए तो नहीं.... अब मैं तो तनु के लिए ही आज मूठ निकालूँगा, तुझे अगर पिटना है तो पीट ले पर मैं तो यार तुमसे यह कह भी रहा हूँ, देख अगर यही मैं अगर बिना तुम्हें बताए निकाल दूँ तब? तुझे पता भी है कि कब-कौन-कहाँ तेरी बहन को याद करके मूठ मार रहा है? सोच कर देख यार, हम अबतक जिन लडकियों के लिए मूठ मारते रहे हैं, क्या उन सब के भाई को पता भी है यह बात?" बब्लू बात तो सही कह रहा था, हमदोनों ने साथ मिलकर न जाने कितनी लड़कियों के बारे में गन्दा बोलते हुए साथ में मूठ मारी थी, सो मैं अब बब्लू की बात सुनकर चुप रह गया और तब बब्लू फ़िर बोला, "अच्छा यार.... अब बस प्लीज गुस्सा छोड़ और बस इतना बता दे कि तनु की काँख में बाल है या वो साफ़ करके रखती है अपने काँख। बस इसी से थोड़ा अंदाजा लगा कर अपने दिमाग में उसकी बूर के बारे में सोचते हुए मूठ मार कर अपनी गर्मी शान्त कर लूँगा दोस्त"। असल में हमदोनों को लड़की की झाँट का जबर्दस्त पैशन था।

ब्लू-फ़िल्मों में हमने जिस भी लड़की को देखा, सब की झाँट साफ़ ही थी। एक बार बड़ा हिम्मत जुटा कर एक कोठे पर भी हम हो आए थे, पर वहाँ साली रंडी जो मिली उसकी भी झाँट सफ़ाचट थी। हम अक्सर बात करते थे कि झाँटों भरी बूर कैसी दिखेगी असल में। मैं बब्लू की बात सुन कर धीमे से कहा, "बाल है उसके काँख में तीन दिन पहले ही देखा था जब वो छोटे बाँह का कुर्ता पहनी थी"। बब्लू की आँख चमक उठी, "अच्छा... क्या वो बाल छोटे-छोटे थे, जैसे दाढ़ी बनाने के बाद उग जाते हैं या पूरा ही थे?" मैं भी अब थोड़ा खुलते हुए कहा, "नहीं-नहीं, बडे थे... एक इंच से ज्यादा ही थे, काले-गुच्छे में।" बब्लू अब चहका, "वाह.... मतलब कि तनु अपना बाल छिलती नहीं है। मतलब उसके बूर पर भी झाँट होगा एक-एक इंच का.... काला-काला और घुँघराला भी। वाह दोस्त.... जबरद्स्त बहिन है तुम्हारी तो", कहते हुए उसने अपना जींस का बटन खोलकर लंड बाहर निकाला और मैं चट से दौड़ कर कमरे का दरवाजा बन्द कर दिया।

लौट कर देखा कि बब्लू का लंड आधा ठनक गया है और उसका सुपाडा अब अपने खोल से बाहर निकल कर चमकने लगा है। वो अब अपनी ऊँगली से थूक निकाल कर अपने सुपाड़े पर चुपड़ रहा था। मुझे लौटता देख बोला, "आजा यार तू भी, दोनों साथ में तनु के बारे में बात करते हुए मूठ मारते हैं। तू साथ में तनु के बारे में बताना, बदलें में मैं कल अकेले तेरा पेमेंट करके तुझे कोठे पर एक घन्टे के लिए भेज दूँगा जिसके साथ भी तू जाना चाहे"। यह एक बडा औफ़र था मेरे लिए, इसके पहले दो बार हम दोनों ने एक साथ रंडी बूक की थी एक घन्टे के लिए और मैं हमेशा ही उसकी छाया में ही रह गया था, वो साला ज्यादा खुल कर मजे लेता था। मैंने भी अपना पैन्ट उतारते हुए कहा, "ठीक है साले, पर कल मुकर मत जाना मादरचोद"। वो मुस्कुराया और हम दोनों ने अपने हथेलियों से हाई-फ़ाईव किया। उस दिन पहली बार मेरी बहन तनु के बारे में गन्दी-गन्दी बाते करते हुए हम दोनों ने मूठ मारी। इसके बाद तो जब हम खुले तो फ़िर अक्सर ही हम तनु के बारे में बातें करते हुए अपना लंड झाडने लगे। मेरी तनु धीरे-धीरे पूरी तरह से जवान हो गयी और मेरी कमीनापंती भी बढती गयी। मैंने तनु की नंगी तस्वीरें भी खींची जब वो बाथरूम में नहा रही थी, हालाँकि बारहवीं के बाद मैं और बब्लू बाहर चले गये ग्रैजुएशन के लिए और धीरे-धीरे तनु के बदन की याद भी हमारे दिमाग से निकल गयी और हम अब बड़े शहर की नयी-नयी छोरियों के चक्कर में पड़ गये। हम अब कौलेज में नयी आजादी के साथ नयी लडकियों को चोदने लगे थे और तनु हमारे दिमाग से अब गायब हो चली थी।

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ritesh
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Re: शरीफ़ या कमीना

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चार साल बीत गया और इसी बीच तनु के इंटर का इम्तिहान खत्म होते ही उसके शादी के लिए लडकी की खोज शुरु हो गयी। हमारी तरफ़ बीस की उमर तक लडकी की शादी हो जानी आम बात थी। लोग इंटर पूरा करते ही लड़की के लिए दूल्हा देखने लगते थी और उसके बी०ए० होते-होते उसकी शादी कर देते थे। अब चूँकि बब्लू मेरा दोस्त था और जब उसके भैया का बैंक में नौकरी लग गया तो उसके घर तनु के लिए रिश्ता जाना लाजमी था। बब्लू के भैया थोडा पढाकू टाईप थे, सो ज्यादा मीन-मेख नहीं हुआ और तनु की शादी उनके साथ फ़ाईनल हो गयी। शादी से दो महिने पहले हमदोनों को भी डिग्री मिल गयी और हमारे घर में खुशियाँ दोगुणी हो गयीं। इस बार जब बब्लू मेरे घर आया तब वो मेरा दोस्त ही बन कर आया था, पर उसके तेवर अब नये किस्म के थे। जिस तनु के बदन को याद कर-करके उसने न जाने कितनी मूठ मारी थी वो तनु अब उसकी भाभी बन रही थी। उसने तो मेरे सामने ही तनु से मजाक शुरु कर दिया। आज की तनु अब १८ साल की एक जवान लड़की थी, और उससे ऐसे ही मिली जैसे वो बचपन में अपने भैया के दोस्त से मिलती थी, पर बब्लू ने एक झटके में उसको शर्माने पर मजबूर कर दिया, "क्या तनु... अब तक तो सही समय आया था तुमको लाईन मारने का, अभी तक तो मैं तुम्हारे ही ख्याल में रहता आया हूँ, अब भैया से शादी के बाद जरा अपने देवर को भी कभी-कभार लाईन दे देना। पराठा खिलाना भैया को खूब मन भर, मुझे बस जरा दिखा दिया करना"। तनु समझी नहीं, पर मैं समझ गया, यह "पराठा" हमदोनों का कोड-वर्ड था लडकी के तिकोने झाँट के लिए। तनु के चेहरे पर नासमझी के भाव थे, वो बोली, "इसमें क्या बात है, मैं पराठा बहुत अच्छा पकाती हूँ।" अब बब्लू बोल उठा, "अरे भाभी जी, आपके पराठे तो भैया ही चाटेंगे....हमें तो आप बस डेयरी मिल्क भी दिखा दोगी तब भी दिन बन जाएगा, पराठा एक बार दिखा दी तब तो जिनदगी बन जाएगी।" उसने जिस तरह से "डेयरी मिल्क" कहते हुए तनु की चूचियों को घूरा, वो पूरी तरह से समझ गयी थी कि उसका इशारा किस तरफ़ है। उसने अपने दुपट्टे को संभाला और मुस्कुराते हुए वहाँ से खिसक ली। शादी में दो महिने थे और दोनों ही परिवार में तैयारी चल रही थी।



अब एक बार फ़िर से हम दोनों दोस्तों के प्राईवेट बातों का विषय मेरी बहन तनु बन गयी थी। इन चार सालों में हमने कई लडकियों को चोद लिया था और हम अब ज्यादा खुल कर तनु के बदन के बारे में बातें करने लगे थे। मैंने तो अब बब्लू की छोटी बहन बब्ली, जो अब दसवीं में थी, के बारे में भी बोलना शुरु कर दिया था और गाहे-बगाहे उसके गालों को सहला भी दिया करता था। पर हमारा रिश्ता ऐसा था कि कोई कुछ खास शक भी नहीं करता था। एक दिन तो बब्लू ने अपनी बहन बब्लू की एक पैन्टी ही लाकर मुझे दे दिया और एक तरह से चैलेंज करते हुए कहा, "क्या बेटा, तू कभी ऐसी हिम्मत कर सकता है?" अगले ही दिन मैंने भी तनु की पैन्टी चुरा कर बब्लू को दे दी और उस दिन हम दोनों ने एक-दूसरे की बहनों की पैन्टी को अपने-अपने लन्ड पर लपेट कर मूठ मारा और तभी तय हुआ कि किसी उपाय से तनु की सुहागरात देखी जाए। शादी में अब १४ दिन बचा था, जब हमने तय किया कि हम उसके बेडरूम में छोटे-छोटे वाय-फ़ाई से जुडनेवाले कैमरे लगाएँगे और बब्लू अपने लौपटौप पर उस रात को रिकार्ड करेगा। आनन-फ़ानन में चार कैमरे हमने एक ई-कौमर्स साईट से मँगवाया। ये कैमरे शर्ट की बटन जितने छोटे थे और साथ के सौफ़्टवेयर से उनको जूम भी किया जा सकता था और करीब ३० डिग्री तक अलग-अलग दिशा में मोड़ा भी जा सकता था। हमने उन्हें खुब अच्छे से चेक कर लिया और फ़िर एक दिन बब्लू ने तीन कैमरे को उसको भैया के रूम में सेट कर दिया, एक बिस्तर के ठीक ऊपर पंखा में (यह पंखा वैसे भी चलने वाला नहीं था जाडे में), एक बेड की एक साईड पर और एक ड्रेसिंग टेबूल पर। एक कैमरा उसने बाथरूम में लगा दिया था। यह सब सेटिंग शादी के चार दिन पहले पूरा करने के बाद हमने सब कैमरों से अलग-अलग रिकार्डिंग की और फ़िर जरूरत के हिसाब से उनको थोडा इधर-उधर करके पूरी तरह से संतुष्ट हो लिए किए अब तनु की सुहागरात की पूरी लाईव रिकार्डिंग खूब अच्छे से हम कर सकेंगे। हमदोनों ने अपने इंजीनियरिंग की डिग्री की पूरा क्षमता तनु के सुहागरात की फ़िल्म बनाने में लगा दी थी।

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ritesh
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Re: शरीफ़ या कमीना

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शादी के तीन दिन पहले मुझे कहा गया कि मैं तनु को ब्यूटी-पार्लर पहुँचा दूँ। मैं वहाँ जब उसको छोड़ा, और जब पूछा कि कब लेने आ जाऊँ तो वो थोड़ा अचकचाते हुए बोली कि उसको आइडिया नहीं है कि उसको यहाँ कितना देर लगेगा। मैं अब उसके साथ ही रिशेप्शन पर चला गया और तनु अब वहाँ कार्ड पर उन चीजों पर निशान लगाने लगी जो वो वहाँ ब्युटी-पार्लर में करवाने वाली थी, थ्रेडिंग, आयल-मसाज, हेयर-ट्रीमिंग, आयब्रौ-सेटिंग, वैक्सिंग, बिकनी-लाईन्स(ब्राईडल)... और न जाने क्या-क्या। जब वो कार्ड सामने रिशेप्श्निस्ट को दी तो उसने एक लौमिनेटेड कैटेलौग निकाला और कहा, "म’म... आप देख लीजिए, बिकनी-लाईन्स में आप क्या पसन्द करेंगी... ब्राईडल में पूरी सेविंग अब कम ही करवातीं हैं।" उस कैटेलौग में मैंने देखा कि लडकी की बूर की फ़ोटो थी और सब में झाँट को अलग-अलग तरीके से आकार में बनाया गया था। तनु मेरे सामने यह देख कर घबडा गयी और मेरी भी हालत अब पतली हो गयी तो मैंने अब अपनी नजर दूसरी तरफ़ फ़ेर कर दीवार पर लगे विभिन्न पोस्टरों को निहारने लगा पर मेरा कान उनकी तरफ़ ही था। वो लड़की अब कह रही थी, "असल में मै’म... आप ना दो या तीन स्टाईल चून लीजिए, अभी आपकी जैसी होगी उस हिसाब से आपके च्वाईश की जो ज्यादा बेहतर बन पाएगी, वो ही हम कर देंगे।" मैंने अब सुना, तनु धीरे से कह रही थी, "अभी तो मेरी कोई स्टाईल नहीं है, आप जो ठीक समझें कर दें"। वो लडकी फ़िर बोली, "मतलब... आप शेव या ट्रीम तो करती होंगी ना, तो अब के साईज के हिसाब से ही बन पाएगी।" अब तनु भी थोडे आत्मविश्वास से बोली, "शेव तो नहीं, पर कभी-कभी कैंची से छोटा कर देती थी, वो भी पिछले महिने भर से नहीं किया है"। अब वो लड़की बोली, "फ़िर तो बढ़िया है मै’म... अगर लगभग एक इंच भी है तब तो बढ़िया डिजाईन बन जाएगा... आप पसन्द कर लीजिए।" मैंने अब कनखियों से देखा, तनु की पहली पसन्द थी, हार्ट यानि दिल का आकार, दूसरी पसन्द थी एकदम पतली से रेखा जैसी और तीसरी पसन्द थी एक उल्टे त्रिभुज का आकार। इसके बाद उसने मुझे कहा कि मैं करीब चार घन्टे के बाद आ जाऊँ और उस समय मेरे पास कोई काम नहीं था तो मैं अब बब्लू से मिलने उसके घर की तरफ़ निकल गया।




बब्लू तब अपने कमरे में बैठ कर अपने भैया के कमरे में लगे कैमरों की रिकार्डिंग देख रहा था। दोनों भाइयों का कमरा अगल-बगल था सो वाय-फ़ाई सिग्नल्स अच्छे रहते थे और रिकार्डिंग भी एकदम मस्त हो रही थी। मुझे अपने कमरे में आता देख वो मुस्कुराया और फ़िर कमरा भीतर से लौक कर लिया और फ़िर फ़ुस्फ़ुसाते हुए बताया, "यार राज, भैया तो तेरी बहन के लिए मरा जा रहा है। पिछली तीन रात से रोज ब्लू-फ़िल्म देख-देख कर लन्ड की मालिश कर रहा है। आज तो उसने सुबह-सुबह उठ कर सब्से पहला काम किया है कि अपनी झाँट बनाई है कैंची से कुतर-कुतर कर। देख लो..." और उसने वो वीडीयो चला दी। उसके भैया पूरी तरह से नंगा हो कर एक कंघी और कैंची की मदद से अपनी झाँट की काट-छाँट करते अब दिखने लगे थे। उनका लन्ड फ़नफ़नाया हुआ था, करीब ७ इंच का.... अच्छा और स्वस्थ मर्दाना लन्ड। बब्लू बोला, "तेरी बहन की तो चाँदी है अब... मेरे पढाकू भाई को भी अब चूत का नशा लग गया है। मस्त चुदाई होगी अब उसकी इस घर में... बधाई हो भाई", कहते हुए उसने मुझे गले से लगा लिया। मैंने अब उसको बताया कि मैं अभी अपनी बहन तनु को ब्युटी-पार्लर में छोड़ कर आया हूँ। उसको अपना वैक्सिंग वगैरह करवाना था। वो चहका, "वाह... मतलब यार मेरी भाभी भी चुदाने की तैयारी में लग गयी है। मजा आएगा, उनकी सुहागरात देखने में"। फ़िर उसने पूछा, "यार तेरी बहन अभी तक सील-पैक है ना? कहीं मेरे भाई को सेकेन्ड-हैन्ड माल तो नहीं सप्लाई कर रहे हो? बेचारा आज तक किसी लडकी की तरफ़ आँख उठा कर देखा भी नहीं है अपने पढ़ाई के चक्कर में"। मैंने भी कहा, "नहीं बे, आज पहली बार तो तनु ऐसे पार्लर गयी है। वैसे भी दसवीं के बाद वो गर्ल्स-स्कूल में ही पढी है तो उसको कहाँ मौका मिला होगा लडके के साथ कुछ करने का...।" वो हँसा और मजाक करते हुए बोला, "क्यों बे साले, तू नहीं है हरामी उस घर में। तू तो आराम से तनु को अपने नीचे लिटा चुका होगा अब तक तो..."। मैंने भी उसकी ही शैली में जवाब दिया, "हाँ बिल्कुल...वैसे ही उसको अपने बिस्तर पर लिटाया है जैसे तू बब्ली को रोज सुलाता है अपने साथ"। हम दोनों ठहाका लगा कर हँसने लगे.... और मैंने तब बताया कि तनु अपना झाँट भी बनवाने वाली है। बब्लू अब खुब खुश हुआ और बोला, "वाह फ़िर तो मजा रहेगा जब दोनों जवान अपना कुश्ती मैच खेलेंगे....बहुत गर्म मैच होनेवाला है यार ये तो", हम दोनों का लन्ड अब हमारी हाथ में था और हम दोनों अपनी-अपनी बहन को याद करते हुए अपना लन्ड सहलाने लगे थे।

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Re: शरीफ़ या कमीना

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शाम करीब चार बजे मैं तनु को लेकर घर आया। घर एकदम खाली था, सब अलग-अलग काम से बाजार गये हुए थे। अब तनु कुछ ज्यादा ही गोरी लग रही थी और उसकी चमड़ी भी खुब चमक रही थी। हाथ पैर सब के रोंएँ गायब हो गये थे और तनु अब एकदम हमारे शहरी माल की तरह चिकनी दिख रही थी। मेरे रिश्ते की एक चाची, जो करीब ३२-३४ साल की थी वो शादी के घर में हाथ बँटाने के लिए आई हुई थी, बस वही घर पर थी। उसी ने तनु को वह लिस्ट बता कर पार्लर भेजा था कि वहाँ उसको क्या-क्या करवाना है। जब तनु घर आई तो वो तनु से बोली, "जल्दी से कोई एक पूरानी सी सिर्फ़ एक नाईटी पहन कर आओ, मैं गीजर औन करके पानी गर्म दी हूँ। थोडा जैतून का तेल पूरे लगा कर नहा लोगी तो चमडी को आराम मिलेगा... नहीं तो वैक्सिंग के कारण चमड़ी कुछ ज्यादा ही लाल हो जाएगी कल तक"। तनु भी बोली, "हाँ, वो पार्लरवाली भी बोली है कि घर जाक नहा लीजिएगा थोड़ा गर्म पानी से", कहते हुए वो अपने कमरे में चली गयी और मैं अपना लंच किचेन में ही लेकर एक मोढे पर बैठ गया। तभी तनु वापस डायनिंग हौल में आई क्योंकि उसी के साथ वाले बाथरूम में गीजर औन किया गया था। वो एक अपनी सबसे पुरानी नाईटी पहने हुए थी। करीब तीन साल पुरानी नाईटी थी सफ़ेद रंग की फ़्लोरल प्रिंट वाली। आज जमाने के बाद वो निकाल ली थी, पता नहीं कहाँ से और पहन ली थी। उसका बदन इन तीन सालों में पूरी तरह से खिल गया था और यह नाईटी उसकी ३४ साईज की चूचियों पर पूरी तरह से कस गया था। वो नाईटी घुटने से कुछ नीचे तक ही पहुँच रहा था और उसकी गोरी टाँगे उसके नीचे से चमक रही थी। चाची तबतक एक कटोरी में जैतून का तेल लेकर आई और फ़िर तनु की बाँहों पर हाथ फ़ेरते हुए बोली, "वैक्सिंग तो अच्छा की है पार्लरवाली... और बगल वगैरह साफ़ की है न?" तनु भी अपने हाथ ऊपर करके कहा, "जी चाची..." और चाची के साथ मैंने भी देखा उसकी साफ़ काँख पहली बार।


मुझे बस थोडा आगे झुकना पड़ा जिससे मैं किचेन के दरवाजे के बाहर उन्हें देख सकूँ। वैसे तो तनु हमेशा आधी बाँह वाला ड्रेस ही पहनती थी, पर कभी-कभार अगर बाँह थोडा खुला हो तो उसकी काँख अगर दिखती तो वहां बालों के काले गुच्छे दिखते थे। चाची उसके बाहों पर तेल लगाते हुए पूछी, "और नीचे का सब साफ़ करवा दी हो या कुछ रखी हो?" मेरा लन्ड एक ठुनकी मर दिया यह सुनकर। अब चाची मेरी बहन तबु से उसके झाँट की बात कर रही थी। तनु यह सुनकर अब शर्माई तो चाची ने कहा, "अरे मेरी बन्नो... अब शर्माना छोड़, नहीं तो ससुराल में ननदें और देवर जीना मुहाल कर देंगे... थोडा जैसा सवाल, वैसा जवाब देना सीख" और तब मुझे तनु की आवाज सुनाई दी, "छोटा सा एक दिल जैसा है"। चाची बोली, "देखूँ तो... मेरी हिम्मत नहीं हुई कि इस बार अपना गर्दन आगे हुका कर बाहर का नजारा देखूँ। मुझे पता था कि इस बार मुझे अपनी छोटी बहन की बूर का दर्शन हो सकता है, पर मेरी हिम्मत ऐन मौके पर जवाब दे गयी और मेरे कानों में चाची की आवाज आई, "आउ-हाय... कैसी सुन्दर दिख रही है। कित्ती गोरी-चिट्टी लग रही है अब सजने के बाद। दिल भी बडा प्यार बनावाई हो अपने सजना के लिए। हमारे जमाने में तो पूरा सफ़ाचट ही करके हमें जाना होता था। मेरी तो मम्मी ही शादी की सुबह साफ़ कर दी थी। और यह छेद भी कैसी सुन्दर कसी हुई दिख रही है...लगता है कि कम ही खेली हो उँगली से... ", मेरा तो यह सब सुनकर बुरा हाल था। तभी तनु की आवाज सुनाई दी, "आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, छीः चाची, आप बहुत गन्दी हैं" और दोनों की हँसी सुनाई दी। चाची कह रही थी, "अभी से यह हाल है, जमाई बाबू को तो खुब मेहनत करना होगा मेरी बन्नो की लाज तोडने में। छः इंच का मूसल तो होगा ही पक्का.... एकदम बेशर्म हो कर लेना भीतर मेरी बीटिया, जमाई बाबू से जरा भी मत घबडाना। शादी का मजा यही दो-तीन साल खुब ले लेना, फ़िर बच्चे-वच्चे के फ़ेर में पडना।" मैं समझ रहा था कि चाची अब मेरी बहन को चुदाई के बारे में बता रही है।

चाची अब बोली, "देख तनु, अगर तुम्हें कुछ पूछना-समझना है तो अभी बोल दो, दीदी (यानि मेरा माँ) बोलकर गयी है कि मैं तुम्हें सब समझा दूँ... तुम समझ रही हो ना, मैं जो कह रही हूँ"। मैं फ़िर किचेन की दरवाजे के ओट से झाँका, तनु ने "हाँ" में सर हिलाया था। मेरी तो यह सब सुनकर फ़टी पडी थी पर अब हालात ऐसे थी कि अब वहीं किचेन में छुपे रहना मेरी मजबूरी हो गयी थी। मैं अब वहीं बैठ कर सब सुन रहा था। चाची फ़िर बोली, "अभी घर खाली है तो जो जानना-समझना है सब साफ़-साफ़ जान समझ ले। तेरी वाली जैसी दिख रही है, साफ़ पता चल रहा है कि तुम अपने अंग से बहुत ज्यादा नहीं खेली हो। तुम्हारी सखियाँ भी तो तुम्हारी जैसी ही होंगी और घर में कोई दीदी या भाभी भी नहीं है तो...?" अब तनु धीरे से बोली, "चाची, क्या बहुत दर्द होता है?" उसको अपने पहले चुदाई की फ़िक्र हो रही थी। चाची अब प्यार से समझाते हुए बोली, "अरे बेटा... यह सब तो आज न कल, एक बर तो सहना ही पडेगा। पर तुम फ़िक्र मत करो.... सब लडकी को यह दर्द जैसा भी हो बर्दास्त हो जाता है। वैसे बहुत ज्यादा भी नहीं होता है। असल में शर्म या झिझक के कारण ज्यादा लगता है... बस यही बात है। अगर ठीक से तेल-वेल लगा कर डालेंगे तो ज्यादा परेशानी नहीं होती है"। तनु की अब थोडी डरी हुई सी आवाज आई, "मुझे तो इसी बात का डर लगता है बहुत ज्यादा कि अगर बहुत दर्द हुआ तो वहाँ क्या, कैसे होगा? कोई होगा भी नहीं जिसको बता पाऊँगी।" चाची अब उसको हिम्मत देते हुए बोली, "अरे ऐसा कुछ नहीं होगा... तुम बेफ़िक्र रहो। यह दर्द भी कोई किसी को बताता है... वैसे भी यह दर्द बस कुछ सेकेन्ड का खेल है उसके बाद तो लगातार उसी समय में जो मजा मिलेगा न कि सारा दर्द-वर्द भूल जाओगी। तुम उस बेचारे के बारे में सोच कर देखो, वो कितना टेंशन में होगा कि कैसे भीतर घुसाएगा। कहीं अंदर नहीं घुसा पाया तब तुम क्या सोचोगी... लडका सब ज्यादा टेंशन में रहता है पहली रात को। तुम्हें तो कुछ खास करना नहीं है, बस अपनी टाँग खोल कर आराम से लेट जाना है। उस बेचारे को तो यह टेंशन लगी रहती है कि क्या पता सही समय पर उसका खडा ही न हो?" इसके बाद दोनों की हँसी सुनाई दी।
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