Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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रीमा ने तकिये से सर निकाल कर जितेश के लंड के फूले सुपाडे को चूमा और फिर से धीरे से मुहँ में लेकर चूसने लगी | उसे कुछ अजीब लगा लेकिन मजा आया | उसकी दिलचस्पी बढ़ गयी | इधर जितेश ने एक उँगली में कोकीन लपेट कर रीमा की गांड के दुखते छल्ले पर मलनी शुरू कर दी | जितेश का लंड चाटते चाटते रीमा के मुर्दा जिस्म में ताजगी आने लगी | वो खुद हैरान थी अचानक से इतनी चुस्ती फुर्ती कहाँ से आ गयी | इधर जितेश ने आइस्ते आइस्ते अपनी उंगली से रीमा की गांड की अच्छे से मालिश कर दी | धीरे धीरे उसकी गांड के सिसक रहे छल्ले की कराह कम हो गयी | एक तो रीमा कोकीन चटाने की वजह से जोश में आ गयी दुसरे कोकीन ने उसकी गांड के सारे दर्द को हर लिया | उसकी दीवारे कोकीन के असर से संवेदनहीन सी हो गयी | अब रीमा को मुसल लंड से चीरती गांड के दर्द का आभास भी नहीं होगा या कम होगा | कोकीन ने न सिर्फ रीमा को हाई कर दिया बल्कि उसका दर्द भी हर लिया |


रीमा - ये क्या था |
जितेश - कहाँ क्या था |
रीमा - तुमारे लंड पर, कुछ तो था चाटते ही मै तरोताजा हो गयी | रीमा को जरा सी भी देर नहीं लगी अंदाजा लगाने में - कोकीन |
जितेश - अब मजे लूटो जमकर, तुमारी गांड भी अब नहीं दुखेगी |
रीमा - नहीं ये गलत है, ये नुकसान करेगी |
जितेश - हम कौन सा रोज रोज लेने जा रहे है, एक दिन में क्या नुकसान करेगी |
रीमा - फिर भी |
जितेश - तुम सोचती बहुत हो | इधर आवो तुमको थोडा प्यार करू |
इतना कहकर उसने रीमा के ओंठो से अपने ओंठ सटा दिए | जितेश बिस्तर पर लुढ़क गया | रीमा उसके पेट पर आकर बैठ गयी | रीमा और जितेश दोनों एक दुसरे को कसकर चूमने लगे |
रीमा के जिस्म में ताजगी का असर था कि वो कसकर जितेश को चूमने लगी | जितेश भी रीमा के स्तनों को मसलने लगा | दोनों ऐसे एक दुसरे में खो गए जैसे वर्षो ने न मिले हो | जितेश को अपनी गलती का अहसास हो चूका था वो रीमा पर प्यार बरसाने में कोई कमी नहीं रखना चाहता था | रीमा उसे चुमते चुमते बिस्तर पर फ़ैल गयी |



उसकी आँखों और हरकतों से साफ़ पता चल रहा था की वो नशे से घिर चुकी है | जितेश को उसने बेड पर धकेल दिया और उसके लंड को हाथ में थाम चूमने लगी | जितेश के पास ज्यादा कुछ करने को था नहीं वो बस चुपचाप रीमा के रसीले ओंठो से अपने लंड चूसने के सुख का अनुभव करता रहा | कोकीन का असर उसके लंड पर भी हो गया था उसकी संवेदना कम हो गयी थी | रीमा बुरी तरह से उसके सुपाडे को मुहँ में मसल रही थी लेकिन उसकी तरंगे उसके दिलो दिमाग तक कम ही पहुँच रही थी | जितेश को जिस सुख की तलाश थी वो नहीं मिल रहा था | रीमा लपालप उसका लंड चूस रही थी लेकिन जितेश के लिए वो नाकाफी था |
जितेश वासना से कराहता हुआ - बेबी थोड़ा जोर लगाकर चुसो न |
रीमा गो गो करके उसके लंड को अपनी लार से भिगोने लगी | रीमा की जीभ का सपर्श जादुई था लेकिन उसे अधुरा अधुरा सा लग रहा था | इधर जितेश ने रीमा को लपकने की कोशिश की लेकिन रीमा फिसल कर उसके जांघो के बीच पहुँच गयी | जितेश रीमा दोनों नशे की ताजगी से भरे से | दोनों को कुछ जायदा चाहिए था लेकिन उनकी कोशिशो में अधूरा ही रह जा रहा था | नशे की यही कीमत होती है ज्यादा ज्यादा हासिल करने के चक्कर में सब कृत्रिम, छमता से ज्यादा हासिल करने में लग जाते है | वासना का जो प्राकृतिक रस है, जो प्राकृतिक गंध है जो स्वाद है सब ख़त्म हो जाता है | सबको कुछ ज्यादा हैसियत से ज्यादा और कृत्रिम चाहिए | रीमा ने जितेश के मुसल लंड को दोनों हाथो से थाम लिया और कसकर रगड़ने लगी |



दनादन बेतहाशा, सटासट, रीमा के हाथ उसके लंड पर वैसे ही फिसल रहे थे जैसे सुबह वो रीमा की चूत में दनादन लंड पेल रहा था | रीमा के हथेलियों की सख्त जकड़न और ऊपर नीचे होते हाथ, रीमा ने तो समां बांध दिया | जितेश इस हाहाकारी मुठीयाने को भी एन्जॉय कर रहा था | जैसे ही रीमा के हाथो की नमी सूखती, रीमा लंड की मुहँ में लेकर चूसने लगती और लंड को गीला कर देती | जितेश पीठ के बल लेता था और रीमा उसके ठीक सामने उसकी जांघे फलाये ठीक उनके बीचो बीच पेट के बल पसरी थी | उसके हाथ और ओंठ तेजी से जितेश के लंड पर दौड़ रहे थे | आखिर हो भी क्यों न, एक तो रीमा की वासना का नशा ऊपर से कोकीन का नशा, दोनों ने रीमा को एक नयी दुनिया में पहुंचा दिया था | जितेश को भी तो जोश चढ़ गया था | रीमा के दुःख दूर करने के चक्कर में उसका लंड की संवेदना कम हो गयी थी, उसके फूले सुपाडे को छूने चूमने और रगड़ने से जो अहसास होता था, उस सुख का कमजोर अहसास जितेश को बेसब्र बनाये दे रहा था | वो हैरान था रीमा उसके लंड को मसल रही है चूस रही है फिर भी वो आहे क्यों नहीं भर रहा है |
आखिर उसकी बेसब्री का बांध टूट गया | वो रीमा की तरफ बढ़ा और उसे उलटा बेड पर झुकाते हुए उसके ऊपर चढ़ता चला गया | उसने सीधे रीमा के मुहँ के सामने जाकर अपना लंड टिका दिया | रीमा ने भी बिना देरी के अपने ओंठ खोल दिए और जितेश का लंड रीमा के मुहँ में गायब होने लगा | बात इतने से बंद जाती तो फिर बात क्या थी | दोनों की भूख अलग ही स्तर तक पंहुच गयी थी | उन्हें जो मिल रहा था उससे सब्र नहीं था | जितेश ने रीमा के बाल सख्ती से पकड़ लिए और उसके सर को कसकर अपने लंड पर ठेलने लगा | रीमा ने अपना मुहँ खोल दिया, जितेश तेजी से कमर हिलाकर उसके मुहँ में लंड पेलने लगा | पीछे से जितेश रीमाँ का सर आगे को ठेलता और आगे से अपना लंड उसके मुहँ में ठेलता | एक ही झटके में उसका मोटा लंड रीमा के मुहँ को पूरी तरह भर देता | रीमा के मुहँ से गो गो गो खो खो खो की आवाजे आ रही थी | रीमा के मुहँ से निकलती चपड़ चपड़ गो गो खो खो की आवाज जितेश की उत्तेजना को और उकसा रही थी |
जितेश जोश में - ये लो बेबी चुसो मेरा लंड, मुहँ में लो बेबी |
रीमा - गोगोगोगोग्ल्लल्ल्लिग़ स्ल्स्लस्स्स्लस्ल्ल्स खोखोखोखोहोह्फ्फ्फफ्फ्ल्लल्ल्ल्ल श्स्लस्स्लस्ल्स्ल | रीमा कुछ बोलने की हालत में थी ही नहीं न जितेश उसे मौका दे रहा था | वो तेजी से कमर हिलाए जा रहा था | रीमा को न दर्द का अहसास था न तकलीफ का | उसकी आंखे टमाटर की तरह लाल हो गयी थी | चेहरा बुरी तरह अस्त व्यस्त हो गया था | उसकी हालत देख जितेश को ही थमना पड़ गया | रीमा तो
नशे में डूबी हुई थी |
koushal
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Re: Adultery वासना की मारी औरत की दबी हुई वासना

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जितेश के लंड निकालते ही रीमा बिस्तर पर फ़ैल गयी | वो अपने आधे होश खो चुकी थी | उसे पता था क्या हो रहा है लेकिन उसे ये नहीं पता था कहाँ शुरू करना है कहाँ रुकना है | जितेश ने रीमा को पलट दिया | कोकीन चाटे लंड के लिए अब रीमा की गांड में ही सुकून था | जितेश ने रीमा को पलट दिया | उसकी कमर में हाथ डालकर उसको ऊपर को उचका दिया | उसने रीमा को आधी घोड़ी बना दिया था | ऐसी पोजीशन जिसमे औरते चूत में लंड लेने में घबराती है वहां वो रीमा की गांड मारने जा रहा था | रीमा जिस हालत में थी इस हालत में आदमी को दो कदम चलने को कहो तो वो 6 कदम चलाता है | रीमा को ये तो पता था की क्या होने वाला है इसलिए उसने अपने चुताड़ो को और ऊपर की तरफ उचका दिया | उसका इशारा था जब गांड में पेलना ही है तो जमकर पेलो | उसके मांसल चौड़े चूतड़ अब हवा में छत की तरफ को उठे हुए थे | ये एक ऐसी स्थिति होती है जहाँ तुम्हे सब पता होता है लेकिन डर भय किसी चीज से नहीं लगता है |
रीमा - तुम मेरी गांड मारने वाले हो न बेबी |
जितेश - हिलना बंद करो नहीं तो मुझे पकड़ना पड़ेगा |
रीमा - ऊप्प्पस्स्स तुम्हे लगता है मै नशे में हूँ, मुझे कोकीन चढ़ गयी है बिलकुल नहीं | अगर कोकीन चढ़ गयी होती तो मुझे कैसे पता होता तुम क्या करने वाले हो |
जितेश बस अपने लंड को चिकना करने में लगा रहा | उसके बाद वो रीमा की गांड की गुलाबी मुहाने को गीला करने लगा |
रीमा - बोलो बोलो सच बोलो, तुम अपना मोटा मुसल लंड मेरी गांड में घुसेड़ने वाले हो न | प्लीज आराम से करना ......|
प्लीज मझे तकलीफ मत देना, मेरी गांड बहुत नाजुक है ......|
जितेश ने रीमा के चुताड़ो को थामा , ताकि उसकी हिलती कमर को स्थिर किया जा सके | उसके बाद उसने रीमा की गांड पर एक हाथ से लंड सटाया और करारा झटका मारा | जितेश का लोहे की जलती मीनार बना हुआ लंड रीमा की पिछली सुरंग को चीरता हुआ अन्दर तक पैबस्त हो गया | इसे नशे का सुरूर कहो या उसकी गांड के छल्ले की संवेदनहीनता, रीमा को दर्द का अहसास हुआ लेकिन ऐसा नहीं की हाथ पैर पटकने लगे, दर्द से तड़पने लगे, फद्फड़ाने लगे, चीखने लगे चिल्लाने लगे | जितेश ने रीमा की गांड की गहराइयो तक लंड पेलना शुरू कर दिया, उन गहराइयो तक जिसका वो हसीन सपना कुछ देर पहले तक देख रहा था | आआआह्ह्ह्ह वो सच में रीमा की गांड मार रहा था, उस गांड को जिसको गिरधारी ने कुचल कर रख दिया था | नहीं वो ऐसा नहीं करेगा, वो हौले हौले धीरे धीरे रीमा की गांड को जमकर चोदेगा, अन्दर तक पूरा का पूरा ठोकेगा लेकिन प्यार से | उसने रीमा को अब कमर से कसकर थाम लिया था | उसका लंड रीमा की गांड में आराम से आ जा रहा था | उसका मोटा मुसल रीमा के गद्देदार नरम मांसल चुताड़ो को चीरता हुआ रीमा के जिस्म में गायब हुआ जा रहा था | इतना मोटा इतना मुसल लंड, अपने सामान्य रूप में रीमा की चीखे उबल पड़ती | रीमा की पिछली सुरंग की गुलाबी की मालिस करता उसके लंड ने रीमा की गांड के गुलाबी छल्ले को पूरी तरह फैला दिया था | अब न कोई रोक टोक थी न कोई प्रतिरोध था, न उसके गांड के मुहाने की जिद थी न उसे लंड कुचलने को उतारू था | ऐसा लग रहा था जैसे दोनों ने आपस में तारतम्य बैठा लिया है | भाई जब आऊंगा तू फ़ैल जाना, जब वापस जाऊ फिर से अपने कपाट बंद कर लेना | न मै तुझे जोर लगाकर चीर कर फैलाऊंगा, न मै तुझे बेवजह अन्दर जाने से रोकूंगा | उसके लंड की गरम खाल रीमा के कसे छल्ले की जकड़न से बुरी तरह रगड़ खा रही थी | रीमा तो आंखे बंद कर जैसे साधना में लीन हो गयी | उसके चुताड़ो में उठ रहा मीठा दर्द और जितेश के लंड की आग उगलती लंड की मालिस उसके रोम रोम में वासना की तपिस भर रही थी | इसी आग में वो जल रही थी और इसी वासना की तपिस में वो खुद की वासना को भस्म कर रही थी | न कोई संशय था न कोई ग्लानि, न कोई अवसाद, बस अपने अंतर में आता जाता मोटा गरम मुसल का अहसास था, जो उसके चुताड़ो नाभि कमर से होता हुआ पुरे शरीर को रोमांचित कर रहा था | जितेश उसके छेद के गीलेपन का बखूबी ख्याल रखे हुए था |


उसने उसके गांड में लगातार लार भरता रहा ताकि उसके गांड में लंड फिसलने में आसानी हो | जिसकी सुख की खातिर रीमा ने इतने दर्द सहे थे आखिर उसे वो सुख देना जितेश की जिमेदारी थी | सब कुछ मीठा मीठा स्वीट स्वीट सा हो रहा था | जितेश आराम से रीमा की गांड की गुलाबी सुरंग का सफ़र तय कर रहा था, रीमा आराम से गांड में उसका लंड ले रही थी | थोड़ा बहुत दर्द उसकी गांड का था लेकिन वो पहले होने वाले दर्द के मुकाबले कुछ नहीं था | उसी मीठे दर्द में रीमा बिलकुल मस्त थी | इतने मीठे में जितेश को कुछ नमकीन का स्वाद लेने का मन हुआ | उसने जरा सा रीमा के चूतड़ उचकाए और ठीक उसके चुताड़ो के ऊपर आ गया | उसने अपने पैर फैलाये और रीमा की गांड में धक्के लगाने शुरू किये | रीमा ने भी धक्को की स्पीड से अंदाजा लगा लिया | उसने भी खुद को मजबूती से बिसतर पर टिका दिया | जॉगिंग का समय ख़त्म हो गया था, दोनों के जिस्म वासना की तपिस से झुलस रह थे | पसीने से लथपथ अपनी तेज सांसे गिन रहे थे | रीमा दो पैर सताए घुटनों को अच्छे से बिस्तर पर टिकाये थी | अब जोगिंग के बाद दौड़ने का समय था रेस लगाने का समय था | जितेश ने एक बार रीमा की गांड में लंड क्या घुसेड़ा, उसने तो एक्सप्रेस ट्रेन की स्पीड पकड़ ली | अब तो रीमा की गांड का छल्ला भी नरम होकर पूरा फ़ैल चूका था | रीमा के जिस्म की तरह ही उसकी गांड भी गरम और चिकनी थी | धकाधक धकाधक धकाधक धकाधक धकाधक रेलम पेल जितेश अपना लंड रीमा की गांड में पेल रहा था | उसकी बेतहाशा ठोकरे रीमा के चुताड़ो पर पड़ रही थी | रीमा के मांसल गद्देदार चिकने चूतड़ हर ठोकर पर उछल रहे थे, उसकी जांघे थरथरा रही थी | उसका जिस्म काँप रहा था | उसके मुहँ से मादक मीठे दर्द की कराहे निकल रही थी | जितेश अपने लंड की प्यास बुझाने को बेतहाश जुटा हुआ था | उसके लंड की सनसनाहट क्या कम हुई उसने रीमा की गांड का रेलम पेलम बना दिया |



दनादन दनादन दनादन दनादन दनादन सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट सटासट घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप घपाघप रीमा की गांड में लंड पेले पड़ा था | इसके आगे तो गिरधारी की एक्सप्रेस चुदाई की स्पीड कुछ नहीं थी | रीमा कराह रही थी, गांड के दर्द से नहीं, जितेश को भीषण ठोकरों से, जितेश की सुपर फ़ास्ट चुदाई से | रीमा सिसक रही थी इन ठोकरों के प्रहार से, अपनी कामुकता के ज्वार से, अपनी जबरदस्त गांड की होती ठुकाई से, जितेश की उसकी गांड की जबदस्त बाजा बजवाई से | पता नहीं ये सब रीमा की वासना की आग को कितना ठंडा कर पायेगा लेकिन आज उसे रिवर लाउन्ज की मालविका याद आ रही थी | तब रीमा उसे देखकर कितना हैरान हुई थी | आखिर कैसे कोई औरत इतना मोटा लंड अपनी गांड में घोंट सकती है | क्या उसे तकलीफ नहीं होती होगी | क्या उसे दर्द नहीं होता होगा, उसकी तो एक उंगली भी गांड में जाते वक्त अहसास कराती है की कहाँ जा रही है, ये औरते इतने मोटे मोटे लंड कैसे घोंट लेती है अपनी गांड में | उस समय अपनी केबिन से झांकती रीमा को आज शायद उन सवालो के जवाब मिल गए होगे | आज शायद उसे पता चल गया था कैसा महसूस होता हो मुसल लंड घोंट के | जो भी तकलीफ थी अब वो रफूचक्कर हो गयी थी | अब तो बस एक अलग सा अहसास था, एक अलग सी सनसनाहट थी एक गांड में उठती तरंग थी जो उसके दबे मन में म्रदंग बजाये हुए थी | उसे कई सवालो के जवाब इस लकड़ी के छोटे से कमरे में मिल गए, जो उसे अपनी आलिशान कोठी में शायद ही कभी मिलते | सबसे बड़ी आत उसे यहाँ जितेश मिल गया, अगर जग्गू उसे किडनैप नहीं करता तो शायद वो कभी जितेश से मिल भी नहीं पाती, कहाँ वो एक चाहने वाले के लिए तरसती थी आज तो दो दो है | एक समय वो एक अदने से लंड के लिए रात रात भर मचलती रहती थी | आज उसके पास न केवल जितेश का मोटा लंड है अपनी चूत की प्यास बुझाने को बल्कि रोहित का तगड़ा लंड है | दोनों मिलकर उसकी चूत को कभी प्यासा नहीं रहने देगें | हाय ये मै क्या सोच रही हूँ | क्या मै जितेश को धोखा दूँगी | नहीं मै जितेश को धोखा कैसे दे सकती हूँ | लेकिन रोहित का क्या, जिंदगी के सबसे मुश्किल दिनों में उसी ने तो मेरा ख्याल रखा है | वो भी तो मुझे चाहता है | हाय मै क्या करू, किसे प्यार करू किसे इंकार करू | रीमा दुविधा में फंस गयी | ड्रग के नशे में वासना की गर्मी में और अपनी गांड की होती जबरदस्त ठुकाई के तिहरे नशे में रीमा अपनी ही स्वप्नलोक की दुनिया में तैर रही थी | नहीं मै दोनों में से किसी को भी नहीं छोड़ सकती, क्यों मैं दोनों को एक साथ प्यार नहीं कर सकती | दोनों मेरे है मै दोनों को एक साथ ही रखूगी अपने दिल के पास | लेकिन जो दोनों न माने तो | कैसे नहीं मानेगे, अगर दोनों मुझसे प्यार करते है तो मेरी बात बिलकुल मानेगे | दोनों को मै अपने दिल में छुपा कर रखूंगी, सबसे छुपाकर, बस अपना बनाकर |
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जितेश बुरी तरह हांफने लगा था | जीतनी ज्यादा स्पीड उतनी जल्दी थकावट | जितेश पसीने से तर बतर होकर रीमा की पसीने से भीगी पीठ पर ही सुस्ताने लगा |
जितेश हांफता हुआ - कुछ मेहनत तुम भी करोगी, या बस मजे लूटोगी |
रीमा अपनी सेक्स फैंटसी जी रही थी वो स्वप्न लोक की दुनिया में थी | एक बार में उसे समझ नहीं आया जितेश क्या बोला |
रीमा - क्या कहा रुक क्यों गए ?
जितेश अपना माथा पीटता उसके पीछे से हटा - तुम हो कहाँ, किस दुनिया में घूम रही हो लगता है तुम्हे कोकीन ज्यादा चढ़ गयी है |
रीमा - ऐसा कुछ नहीं है |
जितेश - तो थी कहाँ |
रीमा - कंही नहीं बताओ न क्या करना है |
जितेश - क्या करना है ये भी बताना पड़ेगा, बस मै ही सारी मेहनत करू और तुम बस मजे लूटो |

रीमा समझ गयी लेकिन उसे ये नहीं पता था किस पोजीशन में उसे रहना है | उसको दुविधा में देख जितेश पीठ के बल आराम से लेट गया | रीमा उछल कर आकर उसके ऊपर बैठ गयी | फिर क्या था किस बात की देरी थी | जितेश का मोटा मुसल लंड उसने अपने नरम हथेली में थामा और उसे अपने गांड के खुले मुहाने से सताया और अपनई कमर का जोर नीचे की तरफ ठेला | गप्प से जितेश का मोटा मुसल लंड रीमाँ की गुलाबी चिकनी गांड में | बस फिर क्या था रीमा की कमर हिलने लगी | जितेश ने जानबूझकर अपने हाथ दोनों मोड़कर सर के नीचे लगा लिए | जो करना था अब रीमा को करना था |

अपने दम पर करना था अकेले करना था | रीमा थोडा सा आगे को झुकी खुद का संतुलन बनाया और फिर लगी हिलाने अपने चौड़े मांसल गद्देदार चूतड़ | उसकी कमर का जोर पड़ते ही जितेश का मोटा मुसल लंड रीमा की संकरी गांड में अन्दर बाहर होने लगा | उसकी चढ़ी आंखे बता रही थी वो अभी भी नशे में है लेकिन इसका उसकी हिलती कमर पर कोई असर नहीं दिख रहा था | रीमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था की कोई ऐसा दिन भी आएगा | उसे रोहित के साथ अपनी वो चुदाई याद आ गयी जब रोहित ने नीचे लेटकर रीमा को ऊपर कर दिया था और खुद उसका लंड अपनी चूत में लेकर खुद को ही चोदने को कहा था | कितनी हिचक थी उसके अन्दर, कितनी शर्म थी और कितनी बुद्धू थी की उसने असल जिंदगी में चुदाई के बारे में कितना कम अनुभव किया था |

उसे वो हिलती कमर और रोहित का सटासट चूत में जाता लंड याद आ रहा था | यहाँ भी तो कुछ ऐसा ही माहौल था | जितेश नीचे लेता था और रीमा उसके ऊपर | उसका गोरा दमकता बदन, उसकी चिकनी पीठ धीरे धीरे ऊपर नीचे हिल रहे थे | उसके चौड़े गुलाबी गद्देदार नरम मांस से भरे चूतड़ अपनी पूरी ताकत के साथ ऊपर नीचे उछल रहे थे और उसी के साथ उसकी सुरंग में अन्दर बाहर हो रहा था जितेश का फूला हुआ तना हुआ मोटा मुसल लंड | रीमा की कमर उठाते ही उसके चुताड़ो का मांस ऊपर को उछल जाता , उसकी नरम गुदाज जांघो का मांस थल्थला जाता, उसकी कसी गांड से जितेश का लंड बाहर आ जाता | रीमा फिर अपनी कमर नीचे को ले जाती और जितेश का पूरा लंड रीमा के जिस्म की पिछली सुरंग में समाता चला जाता |

रीमा को खुद यकीन नहीं था की वो ये कर पायेगी | लेकिन वो न केवल कर पा रही थी बल्कि बिलकुल परफेक्ट तरीके से कर पा रही थी | उसे अपने अन्दर के टैलेंट पर ही शक था लेकिन उसे खुद पर गर्व था और हैरानी भी | उसे फिर से प्लास्टिक के लंड पर उछलती मालविका याद गयी | कितना मोटा लंड घोंट रही थी मुई अपनी गांड में, रबर का था तो क्या हुआ लेकिन था तो लंड ही | हाय तब कैसे मै आंखे फाड़े उसे घूर रही थी उससे नफरत करने की कोशिश कर रही थी | आज मै तो सच्ची मुच्ची का असली लंड घोंट रही हूँ | हाय कितना मोटा लंड है जितेश का और मै अपनी गांड में पूरा का पूरा लंड घोटे ले रही हूँ |

हाय मुझे जरा सी भी शर्म हया नहीं रह गयी है | हाय मै कितनी बेशर्म बेहया हो गयी हूँ | ऐसा तो कोई रंडी भी नहीं करती होगी | भला कौन औरत होगी जो मर्द की छाती पर बैठकर उसका लंड अपनी गांड में घोटेगी | सच्ची में तू बहुत बेशर्म हो गयी है रीमा, हाय तुझे जरा सी भी शर्म नहीं आती | क्यों शर्माऊ जब इत्ता मजा आ रहा है | हाय गांड मरवाने का मजा तो अब आ रहा है अब तक तो प्राण सूखे जा रहे थे | अब पता चला रिवर लाउन्ज में मालविका और कामिनी क्यों अपनी गांड मरवा रही थी | हाय इसमें कित्ता मजा आता है, मै तो कभी चूत में लंड न लू |


रीमा के ख्याली ओर्गास्म होते रहे, उसकी कमर हिलती रही और उसकी गांड जितेश का लंड मसलती रही | रीमा ने उम्मीद से ज्यादा देर तक जितेश का लंड अपनी कमर हिलाकर घोंटा था | अब जितेश को सुरूर चढ़ने लगा था | उसे पता था रीमा किसी गांड किसी भी वक्त उसके जिस्म की आग को पिचकारी में बदल सकती थी | ये थी रीमा की कसी गांड का जादू, जो जितेश जैसे मर्द को भी लंड पर कोकीन चुपड़ने के बावजूद समय पर झड़ने को मजबूर किये दे रही थी | जितेश अब और सब्र करने के मूड में नहीं था | उसने रीमा को बांहों में भरा और बिस्तर पर पटक दिया | फिर से उसके पीछे आ गया | उसने रीमा को पीछे से कसकर दबोच लिया | उसके हाथ रीमा की दोनों उन्नत उठाई छातियों को मसल रहे थे | उसने रीमा की जांघो में अपने पैर फैलाकर उसकी जांघे फैला दी और लगा दनादन चोदने | रीमा की गांड की कुटाई उसी अंदाज में शुरू हो गयी | ऐसा लग रहा था जहाँ से जितेश ने उसकी गांड मारना छोड़ा था वही से फिर शुरू कर दिया | वही अंदाज वही स्पीड.....अंतर था तो सिर्फ पोजीशन का | इस बार रीमा का पूरा जिस्म उसकी गिरफ्त में था |

शायद वासना का असर था जो वो रीमा के पुरे जिस्म को दबोचे था | उसके ताकतवर जोरदार धक्को का अहसास रीमा के जिस्म के कोने कोने तक वो कराना चाहता था | रीमा जितेश की अथाह ताकत के आगे बेबस थी | अब उसे जो मिलना था जितेश की इस एकाधिकार वाली चुदाई से मिलना था | फिलहाल अगले कुछ पलो के लिए उसका कोई अस्तित्व नहीं था | वो जितेश के लंड की दासी थी | जितेश पूरी तरह से जानवर बन गया था | भीषण गहरे जोरदार धक्के रीमा की गांड ही नहीं उसके पुरे अस्तित्व को हिलाए पड़े थे | धक्के उसकी गांड पर पड़ रहे थे और कलेजा उसका मुहँ को आ रहा था इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है जितेश कितनी ताकत से रीमा को चोद रहा था | आखिर उसके करारे लंड के बेतहाशा धक्के भी रीमा की कसी गांड को नहीं हरा पाए |

रीमा की गांड भले ही चौड़ी हो गयी, भले ही फ़ैल गयी लेकिन उसने जितेश के लंड के आगे समर्पण नहीं किया | रीमा की कसी नरम गांड ने जितेश के अकड़े लंड की सारी अकड़ निकाल दी | जितेश के लंड की घटी सनसनाहट का असर था उसे पता ही नहीं चला कब उसकी गोलियां सफ़ेद गरम लावा उगलने लगी | वो बेतहाशा धक्के लगाये जा रहा था और इसी बीच पिचकारियाँ छुटने लगी | जितेश रीमा की जलती गांड को अपने लंड की छूटती ठंडी फुहारों से सीचने लगा | रीमा की गांड उसके सफ़ेद गरम गाढे रस से भरने लगी |
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