पता नहीं क्यों पर आज राजेश का रेणुका के लिए आकर्षण देख कर मैं बहुत उत्तेजित था. मैं तो शराब पीता ही रहता था फिर भी मुझे काफी चढ़ी हुई थी. रेणुका तो कभी बियर भी नहीं पीती थी तो उसको ठीक ठाक नशा हो गया. अब रेणुका बहकने लगी थी. घर पहुच कर हम दोनों बेडरूम में पहुचे ही थे की रेणुका मुझे किस करने लगी और मैं भी उसको चूमने लगा. देखते ही देखते हम बिस्तर में घुस कर एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे. आज रेणुका ज्यादा खुल गयी थी शराब का असर जो था. मैंने शादी के इतने सालो तक कभी सेक्स के दौरान रेणुका से गन्दी बात नहीं की थी लेकिन आज मैं नशे में था तो मैंने रेणुका से पूछा "क्या बात है जान. आज बड़ी प्यासी लग रही हो? बहुत आग लगी है क्या चूत में?"
रेणुका भी मस्ती में थी तो उसने बुरा नहीं मन और बोली "हाँ लगी है. बुझा दो नहीं तो कहीं और चली जाऊँगी."
यह सुनते ही मेरे तो लंड में तनाव आ गया. मैंने भी उसे चूमते हुए पूछ लिया "किसके पास जाओगी जानेमन?"
रेणुका अब कुछ नहीं बोली. चुप हो गयी.
मैंने उसको नंगा कर दिया और खुद भी कपडे उतार दिए. रेणुका अब बिस्तर पर बेसुध सी पड़ी थी और नशे में कुछ बड़बड़ाये जा रही थी.
मैंने उसकी टांगों को खोला और उसकी जांघों और चूत को चाटना शुरू कर दिया.
मेरी बीवी रेणुका मचलने लगी" आह हहहहह ससससस मनीष… अब तड़पा क्यों रहे हो?
लेकिन मैंने उसकी बातों को अनसुना करते हुए उसकी चूत में मुँह डाल दिया और चूसने लगा.
पडोसन की मोहब्बत complete
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Re: पडोसन की मोहब्बत
रेणुका मचल उठी: ओह हहहह… मनीष प्लीज़ करो न.
मैंने भी उसको तड़पाना जारी रखा और रेणुका को बोला: तुम्हें कैसा लंड पसंद है?
रेणुका नशे में थी लेकिन चुप हो गयी.
मैंने फिर से उसे उकसाया तो वो बोल पड़ी: मोटा और लंबा…
उसकी बातें मुझे मदहोश करने लगी थी और मेरी बातों ने उसे भी जोश चढ़ा दिया. नशे में तो वो थी ही. पता नही मुझे क्या हुआ. जिस बात से मैंने चिढ रहा था मैंने वही रेणुका से पूछ लिया "आज राजेश बहुत लाईन दे रहा था तुमको. उसे ही बुला दूँ क्या?"
रेणुका बोल पड़ी "किसी को भी बुला दो. राजेश को ही बुला दो"
नशे में मैं रेणुका के उपर चढ़ गया और उसकी चुत में लंड सटा कर उसके कानों में बोला "जान सोचो की अब राजेश छाबड़ा तुम्हे चोद रहा है."
इतना सुनते ही रेणुका ने मुझे कस लिया और किस करने लगी.
मैंने लन्ड उसकी चुत में घुसा दिया और झटके मारने शुरू कर दिए. उसने हर शॉट में "आह ओह्ह हहहह राजेश… फ़क मी…" बोलना शुरू कर दिया.
उसकी बातें सुन सुन कर मेरा लंड भी टाइट हो गया जिसका पूरा मज़ा अब रेणुका ले रही थी. मेरा हर झटका उसकी चुत के अंदर तक जाता हुआ उसे सातवें आसमान पर ले जा रहा था. मैंने पुछा "क्यों राजेश छाबड़ा का लंड कैसा लगा मेरी बीवी को"
अब रेणुका खुल के बड़बड़ाने लगी "मुझे राजेश से चुदने में मज़ा आ रहा है… उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो और चोदो मुझे"
ये सुन कर मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी और मैंने धक्को की रफ़्तार को दुगुना कर दिया और देखते ही देखते रेणुका और मैं निढाल हो गये. हम दोनों ही नंगे ही सो गए. करीब २ घंटे बाद मेरी नींद खुली. राजेश वाली बात याद करके मेरा लंड फिर से मस्ती में खड़ा हो गया. अब मैंने उसे रेणुका की गांड के बीच में सटा दिया और उसकी गर्दन में किस करना शुरू कर दिया. रेणुका भी जाग गई और अपनी गांड को हिलाने लगी.
हम एक दूसरे के होठों को चूसने लगे. रेणुका ने अपना एक हाथ नीचे किया और मेरे लन्ड को अपनी चुत में फंसा दिया और कमर हिलाने लगी. मैं भी मस्ती में उसकी चुदाई करने लगा.
मैंने भी उसको तड़पाना जारी रखा और रेणुका को बोला: तुम्हें कैसा लंड पसंद है?
रेणुका नशे में थी लेकिन चुप हो गयी.
मैंने फिर से उसे उकसाया तो वो बोल पड़ी: मोटा और लंबा…
उसकी बातें मुझे मदहोश करने लगी थी और मेरी बातों ने उसे भी जोश चढ़ा दिया. नशे में तो वो थी ही. पता नही मुझे क्या हुआ. जिस बात से मैंने चिढ रहा था मैंने वही रेणुका से पूछ लिया "आज राजेश बहुत लाईन दे रहा था तुमको. उसे ही बुला दूँ क्या?"
रेणुका बोल पड़ी "किसी को भी बुला दो. राजेश को ही बुला दो"
नशे में मैं रेणुका के उपर चढ़ गया और उसकी चुत में लंड सटा कर उसके कानों में बोला "जान सोचो की अब राजेश छाबड़ा तुम्हे चोद रहा है."
इतना सुनते ही रेणुका ने मुझे कस लिया और किस करने लगी.
मैंने लन्ड उसकी चुत में घुसा दिया और झटके मारने शुरू कर दिए. उसने हर शॉट में "आह ओह्ह हहहह राजेश… फ़क मी…" बोलना शुरू कर दिया.
उसकी बातें सुन सुन कर मेरा लंड भी टाइट हो गया जिसका पूरा मज़ा अब रेणुका ले रही थी. मेरा हर झटका उसकी चुत के अंदर तक जाता हुआ उसे सातवें आसमान पर ले जा रहा था. मैंने पुछा "क्यों राजेश छाबड़ा का लंड कैसा लगा मेरी बीवी को"
अब रेणुका खुल के बड़बड़ाने लगी "मुझे राजेश से चुदने में मज़ा आ रहा है… उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो और चोदो मुझे"
ये सुन कर मेरी उत्तेजना बहुत बढ़ गयी और मैंने धक्को की रफ़्तार को दुगुना कर दिया और देखते ही देखते रेणुका और मैं निढाल हो गये. हम दोनों ही नंगे ही सो गए. करीब २ घंटे बाद मेरी नींद खुली. राजेश वाली बात याद करके मेरा लंड फिर से मस्ती में खड़ा हो गया. अब मैंने उसे रेणुका की गांड के बीच में सटा दिया और उसकी गर्दन में किस करना शुरू कर दिया. रेणुका भी जाग गई और अपनी गांड को हिलाने लगी.
हम एक दूसरे के होठों को चूसने लगे. रेणुका ने अपना एक हाथ नीचे किया और मेरे लन्ड को अपनी चुत में फंसा दिया और कमर हिलाने लगी. मैं भी मस्ती में उसकी चुदाई करने लगा.
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Re: पडोसन की मोहब्बत
चुदाई करते करते मैंने रेणुका से कहा "कल रात तो तुम राजेश छाबड़ा से चुदी… मज़ा आया या नहीं?"
अचानक वो रुक गयी और बोली "फिर से कभी ऐसी फालतू बात मत करना"
मैं उसे उकसा रहा था कि वो होश में भी बोले लेकिन वो नाराज़ हो गयी. मैंने लन्ड उसकी चुत से निकाल दिया और उसकी चुत की दरार पर रगड़ने लगा, इसके साथ साथ उसके बूब्स दबाने लगा वो जोश में थी तो लंड निकलने से परेशान हो चली… ऊपर से उसकी चुत के बाहर लन्ड की रगड़ और चूचियों का चूसा जाना उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, वो कहने लगी "मनीष अंदर डालो प्लीज़"
मैंने उसे कस कर गले से चिपका लिया और फिर से चुदाई शुरू कर दी और करीब २० मिनट के बाद हम दोनों झड गए. रेणुका उठ कर बाथरूम चली गयी और मैं सोचने लगा की मैं वैसे तो राजेश की बीवी को भोगना चाहता हूँ लेकिन जब राजेश ने मेरी बीवी को देखा तो मुझे गुस्सा आने लगा. लेकिन जब मैंने रोल प्ले किया तो मुझे इतना मजा क्यों आया.
मैंने उस रात रेणुका को एक बार और चोदा. वो राउंड तो करीब १ घंटे का था. बहुत सालों बाद रेणुका की ऐसी चुदाई मैंने की थी. रेणुका भी बहुत खुश हो गयी.
हनीमून के बाद पहली बार ऐसा हुआ था की रेणुका और मैं अकेले थे तो हमने वो किया जो कभी नहीं किया था. पूरे एक हफ्ते मैंने रेणुका को ढेर सारी ब्लू फिल्मे दिखाई. वाइन और बियर पीना सिखाया और एक बार तो स्कॉच भी पिलाई और फिर उसकी खूब चुदाई की और शादी के बाद पहली बार रेणुका ने मुझे अपनी गांड भी मारने दी.
पर मेरे कई बार कहने पर भी उसने दुबारा रोलप्ले करने से इंकार कर दिया. मैं चाहता था की वो दिव्या बने और मैं उसे चोदु लेकिन बात नहीं बनी फिर भी पहली बार मेरी बीवी सेक्स के मामले में मुझसे इतना खुली थी. अब हम लोग गन्दी बातें कर कर के चुदाई के मजे लेते थे. ये हम दोनों का सेकंड हनीमून हो गया था.
उधर राजेश रोज किसी न किसी बहाने से एक बार रेणुका से मिलने आ ही जाता था. रेणुका को भी अब पता चल चूका था की महाशय उस पर लट्टू हो गए है तो उसने उनको ज्यादा लिफ्ट नहीं दी और मैंने जब दिव्या और राजेश को डिनर के बुलाना चाहा तो रेणुका ने मना कर दिया और एक हफ्ते बाद वापस लखनऊ चली गयी.
जब मैंने रेणुका को ट्रेन में बिठाया तो वो बोली "यहाँ आकर मुझे बहुत मजा आया."
मैंने उससे कहा की "मैंने एक हफ्ते की छुट्टी अप्लाई की हुई है. छुट्टिया मिलते ही मैं घर आऊँगा."
तो वो हँसते हुए बोली "वहाँ आकर तो तुम वैसे ही नीरस हो जाते हो. छुट्टी मिले तो मुझे ही बुला लेना."
ट्रेन चलने लगी तो मैं नीचे उतर आया और घर वापस आ गया. घर के बाहर ही राजेश मिल गए और शिकायत करने लगे की रेणुका जाने से पहले मिली भी नहीं. मैं उनकी ठरक समझ चूका था तो मैंने उनसे कह दिया की जल्दी ही दुबारा आयेगी. हमारी जिन्दगी वापस अपने रूटीन पर आ गयी.
अचानक वो रुक गयी और बोली "फिर से कभी ऐसी फालतू बात मत करना"
मैं उसे उकसा रहा था कि वो होश में भी बोले लेकिन वो नाराज़ हो गयी. मैंने लन्ड उसकी चुत से निकाल दिया और उसकी चुत की दरार पर रगड़ने लगा, इसके साथ साथ उसके बूब्स दबाने लगा वो जोश में थी तो लंड निकलने से परेशान हो चली… ऊपर से उसकी चुत के बाहर लन्ड की रगड़ और चूचियों का चूसा जाना उससे बर्दाश्त नहीं हुआ, वो कहने लगी "मनीष अंदर डालो प्लीज़"
मैंने उसे कस कर गले से चिपका लिया और फिर से चुदाई शुरू कर दी और करीब २० मिनट के बाद हम दोनों झड गए. रेणुका उठ कर बाथरूम चली गयी और मैं सोचने लगा की मैं वैसे तो राजेश की बीवी को भोगना चाहता हूँ लेकिन जब राजेश ने मेरी बीवी को देखा तो मुझे गुस्सा आने लगा. लेकिन जब मैंने रोल प्ले किया तो मुझे इतना मजा क्यों आया.
मैंने उस रात रेणुका को एक बार और चोदा. वो राउंड तो करीब १ घंटे का था. बहुत सालों बाद रेणुका की ऐसी चुदाई मैंने की थी. रेणुका भी बहुत खुश हो गयी.
हनीमून के बाद पहली बार ऐसा हुआ था की रेणुका और मैं अकेले थे तो हमने वो किया जो कभी नहीं किया था. पूरे एक हफ्ते मैंने रेणुका को ढेर सारी ब्लू फिल्मे दिखाई. वाइन और बियर पीना सिखाया और एक बार तो स्कॉच भी पिलाई और फिर उसकी खूब चुदाई की और शादी के बाद पहली बार रेणुका ने मुझे अपनी गांड भी मारने दी.
पर मेरे कई बार कहने पर भी उसने दुबारा रोलप्ले करने से इंकार कर दिया. मैं चाहता था की वो दिव्या बने और मैं उसे चोदु लेकिन बात नहीं बनी फिर भी पहली बार मेरी बीवी सेक्स के मामले में मुझसे इतना खुली थी. अब हम लोग गन्दी बातें कर कर के चुदाई के मजे लेते थे. ये हम दोनों का सेकंड हनीमून हो गया था.
उधर राजेश रोज किसी न किसी बहाने से एक बार रेणुका से मिलने आ ही जाता था. रेणुका को भी अब पता चल चूका था की महाशय उस पर लट्टू हो गए है तो उसने उनको ज्यादा लिफ्ट नहीं दी और मैंने जब दिव्या और राजेश को डिनर के बुलाना चाहा तो रेणुका ने मना कर दिया और एक हफ्ते बाद वापस लखनऊ चली गयी.
जब मैंने रेणुका को ट्रेन में बिठाया तो वो बोली "यहाँ आकर मुझे बहुत मजा आया."
मैंने उससे कहा की "मैंने एक हफ्ते की छुट्टी अप्लाई की हुई है. छुट्टिया मिलते ही मैं घर आऊँगा."
तो वो हँसते हुए बोली "वहाँ आकर तो तुम वैसे ही नीरस हो जाते हो. छुट्टी मिले तो मुझे ही बुला लेना."
ट्रेन चलने लगी तो मैं नीचे उतर आया और घर वापस आ गया. घर के बाहर ही राजेश मिल गए और शिकायत करने लगे की रेणुका जाने से पहले मिली भी नहीं. मैं उनकी ठरक समझ चूका था तो मैंने उनसे कह दिया की जल्दी ही दुबारा आयेगी. हमारी जिन्दगी वापस अपने रूटीन पर आ गयी.
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Re: पडोसन की मोहब्बत
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मेरा क्या है जो भी लिया है नेट से लिया है और नेट पर ही दिया है- (इधर का माल उधर)
शरीफ़ या कमीना.... Incest बदलते रिश्ते...DEV THE HIDDEN POWER...Adventure of karma ( dragon king )
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