वो लाल बॅग वाली

Post Reply
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

थोड़ी देर बाद उसने दरवाजा खोला और बाहर खड़े मयूर को अन्दर आने का इशारा किया |

सामने कुर्सी पर सफेद नेता की यूनिफार्म में एक 40 साल का आदमी बैठा था उसने मयूर को गौर से देखा और कहा – तुम रामदयाल जी को धुंध रहे हो ?

मयूर ने हा में सर हिलाया |

सुने कहा – तुम कोई रिश्तेदार हो उनके ?

नही मयूर ने न में सर हिलाया और बोला – मुझे उनकी लडकी से काम है, उसने मुझे यहाँ मिलने बुलाया था |
उसने अपना वजन अपनी कुर्सी के पीछे डाल दिया और गौर से मयूर को देखने लगा – कितने दिन पहले बुलाया था ?

मयूर ने कहा – लगभग 3 दिन पहले |

उसने मयूर को देखा और कहा – सीधे बाये जाओ और तीन गली छोड़ कर फिर बाये मुड़ जाना उस गली में तुमको 144 नम्बर मिल जायेगा, वापिस मेरे पास आना तुमसे कुछ बात करनी है |

मयूर उठा और सकरी गलियों में से होता हुआ नेताजी की बताई गली में पहुचा और अपनी साइकिल में आयल दे रहे एक आदमी से पूछा – इधर 144 नम्बर मकान कौन सा है |

उसने अपने कच्चे बने मकान की तरफ इशारा कर के कहा - ये 140 न. है, आगे 144 |

मयूर उसके मकान से आगे बढ़ा तीसरे मकान पर लिखा था – 143, सिनेमा रोड, और वो आगे बढ़ा, और उसने देखा वो एक खाली पड़े छोटे से प्लाट के सामने खड़ा था अगले मकान पर 145 लिखा था |

वो वापिस गया और उसने पूछा – ये 144 तो प्लाट है |

हा ये रामदयाल जी का प्लाट है – अब वो इस दुनिया मैं नही रहे |

और उनकी लडकी – रागिनी मयूर ने पूछा ,

उसने जवाब दिया दोनों बाप बेटी की मौत 3 साल पहले एक एक्सीडेंट में हो गई, तब से इस प्लाट का कोई मालिक नही है, और इसपर शराब माफिया का कब्जा है |

मयूर झोपड़ पट्टी की सकरी गलियों में से मेंन रोड पर आया और एक टैक्सी में बैठा और बोला – एअरपोर्ट
वही हुआ जिसका मुझे डर था – रागिन – रागिनी का असली नाम नही है, उसने तीन साल पहले मरी एक लडकी की आई डी यूज़ की और गायब हो गई, उसका कही कोई फोटो भी नहीं है, आखिर में उसको ढूंढू तो कहा ? – वाकई में एक पहेली थी ये नकली रागिनी |

अपनी जिद्द का पक्का मयूर आसानी से हार मानने वाला नहीं था, और ये तो फिर दिल का मामला था, वो अपनी मर्जी से मुझे छोड़ कर नहीं गई है, रही होगी उसकी कोई मज़बूरी, और फिर उसकी आखो के सामने रागिनी का डरा हुआ चेहरा आ गया, और उसका निश्चय पक्का हो गया की कुछ भी हो वो उसे ढूढ़ कर ही रहेगा |

अगले दिन वो मसूरी डिलाइट रेस्तरा मैं पहुचा जहा उसने और रागिनी ने साथ में हेर्बेल टी और फ्रूट सलाद का नाश्ता किया था, जिसका मालिक उसको अच्छी तरह से जनता था, मयूर को देखते ही बोला – आओ मेरे दोस्त आजकल तो बहुत हैडलाइन बना रहे हो न्यूज़ पेपर में ?

मयूर ने कहा – नहीं ऐसा कुछ नही है, पुलिस को कुछ कनफूसन हो गया था, बाद में उन्होंने अपनी गलती मान ली |

कहो आज हम जैसे लोगो की कैसे याद आ गई ?

मुझे तुम्हारे रेस्तरा के 4 तारीख शाम के सीसीटीवी फुटेज देखने है – मयूर ने उसकी टेबल के सामने पड़ी स्क्रीन की और इशारा करते हुए कहा |

वो फ़ौरन राजी हो गया, उसने 4 तारीख लिखी सीडी निकली और कंप्यूटर के ड्राइव में डाली |

कुछ देर फॉरवर्ड के बाद उसका और रागिनी की रेस्तरा में एंट्री वाला सीन आया |

और उसने अविश्वास से देखा कैमरे के सामने रागिनी ने अपना लाल पर्स अपने मुंह के आगे कर रखा था और उसकी सब आशाओ पे पानी फिर गया, उसको अपना दिल डूबता हुआ महसूस किया |

चालाकी की भी हद्द होती है, हर जगह उसने अपना चेहरा अपने लाल बेग से ढँक रखा था, इस प्रकार की सावधानी तो कोई क्रिमिनल ही करता है |

और उसने एक भी जगह कोई क्लू नही छोड़ा था – आखिर वो छुप किससे रही थी ?

वो भारी कदमो से अपने घर की और लौट रहा था, मॉल रोड पे कुछ पर्यटक चहलकदमी कर रहे थे, वो वहा रखी एक खाली बेंच पर बैठ गया तभी उसकी नजर सामने बैठे एक स्केच आर्टिस्ट पर गई, जो कुछ रूपये लेकर लोगो के पोर्टेड बनाता था, वो वह बहुत महशूर था, और स्केच आर्ट मैं उसका बहुत नाम था, उसको एक ख्याल आया और वो स्केच आर्टिस्ट के पास गया –

क्या तुम बिना देखे भी किसी का स्केच बना सकते हो, गोपाल ?

उसने कहा – हेल्लो मयूर – हा बोलो किसका बनाना है ?

में बोलता हूँ तुम बनाना चालू करो –

वो एक लडकी है, उसका चेहरा अंडाकार है, उसकी नाक छोटी, आँखे काली और वो दुनिया की सबसे खूबसूरत लडकी है |

स्केच बनाने वाले ने उसका मुंह देखा और आखरी बात पे ध्यान दिया बिना अपना काम जारी रखा, मयूर के बताये अनुसार उसकी कलम एक सफेद कागज पे तेजी से चल रही थी |

कुछ घंटे गुजर गये – आर्टिस्ट उससे सवाल पूछता जा रहा था और स्केच बनता जा रहा था |
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

काफी देर के प्रयासों के बाद जब उसके सफेद कोरे कागज पे एक लडकी का चेहरा पूरी तरह से बन गया तो उसने स्केच मयूर की और बढ़ा दिया |

मयूर ने देखा – वो स्वर्ग की कोई सुन्दर अप्सरा जैसी थी, पर वो रागिनी नही थी |

उसने स्केच वाले को पैसे दिए और अपने घर की और चल दिया |

कोई तरीका, कोई रास्ता कोई मार्ग ऐसा दिखाई नही दे रहा था जो उसको रागिनी की तरफ ले कर जाये |

उसको समझ नही आ रही थी की वो अपनी हालत पे हंसे या रोये, अपने अँधेरे कमरे में से बाहर जा रही मेन रोड पर आते जाते इक्का दुक्का लोगो और वाहनों को देखते हुए वो सोच रहा था – उसके साथ इतना बड़ा मजाक हो गया और उसे पता ही नही चला, अजीब उलझन है क्या उसे जीवन भर इसी उलझन के साथ जीना पड़ेगा, क्या वो कभी पता नही लगा पायेगा की जिसको वो हद से ज्यादा चाहता था वो कौन थी ?

कुछ देर ऐसे ही बेठे बेठे गुजर गये और उसके मुंह से आवाज निकली – यस – और उसके दिमाग में बिजली कौंधी |

सुबह उठते ही उसने होटल एसोसिएशन की लिस्ट निकली, लिस्ट में उस इलाके की हर होटल का नाम और पता, फ़ोन नम्बर था | उसने खुद ही जाकर एक एक होटल में पूछताछ करने का मन बनाया, कुल जमा 75 होटल में उसको जाना था |

एक एक करके वो 22 होटल में गया, सारे होटल और उनका स्टाफ से वो अच्छी तरह से वाकिफ था और हर जगह उसने एक ही प्रश्न, और हर जगह उसे इंकार में ही जवाब मिला सुबह 8 बजे का निकला दोपहर 2 बजे तक उसे निराशा हाथ लगी, उसका अगला पड़ाव टुलिप एन रोज होटल था जहा उसने लंच करने का निर्णय लिया |

वो सीधा मेनेजर के रूम में दाखिल हुआ, जहा लगभग 60 साल का एक बुजुर्ग मेनेजर की सीट पर बैठा था |
उसने मयूर को देखते ही पहचान लिया और खड़े हो कर अपना हाथ आगे कर दिया, जिसे उसने फ़ौरन थाम लिया |

बुजुर्ग मयूर का जुडो मास्टर था, काली पेंट और सफेद शर्ट वाले गुंडों पे जो हाथ उसने आजमाया था वो सब इन्ही बुजुर्गे मिस्टर राघवेन्द्र का कमाल था, इन्ही ने मयूर को सिखाया था की कैसे किसी भी जानलेवा हमला होने की स्थिति में एक जुडो मास्टर को अपने हमलावर के सबसे नाजुक अंगो पर वार करना चाहिए और उसको किस तरह पंगु बनाकर अपनी जान बचानी चाहिए |

मयूर हर रोज पहाड़ो पर जॉगिंग के लिए जाता था, और वही उसकी उसने मिस्टर राघवेन्द्र को जुडो की प्रैक्टिस करते देखा, और उनका शिष्य बन गया, प्रतिदिन 6 बजे उसकी क्लास चलती जो की 10 बजे तक उसको पूरी तरह से तोड़ कर रख देती थी, पर जुडो की बदोलत ही उसने रागिनी के हाथ खून में लाल नही होने दिए थे |

और सुनाओ मयूर कैसा चल रहा था ? – बुजुर्ग ने बातचीत की शुरुआत की
एक्चुली में कुछ जानकारी हासिल करने आया था |

जानकारी ! किस तरह की ?

क्या आपके होटल मैं कुछ 4 से 6 अगस्त के बीच दो गुंडे टाइप के लोग ठहरे थे जिन्होंने एक जैसे यूनिफार्म काली पेंट और सफेद शर्ट पहना हो ?

यस ऑफ कोर्स – मिस्टर राघवेन्द्र का चेहरा जिज्ञासा से भर गया – वो दोनों मेरे ही होटल में ठहरे थे पर एक दिन वो गये और वापिस ही नहीं आये, मेरा एक दिन का रेंट बाकि था तो मेने अपना रूम खाली करके उनका सामान लाकर रूम में रख दिया है, पर तुम उन दोनों को क्यों ढूढ़ रहे हो ?

मेरा भी उनसे कुछ हिसाब किताब बाकि है – उसने कहा – क्या आप मुझे उनका पता या फ़ोन नम्बर दे सकते है |

कोई फायदा नहीं – मैंने खुद कई बार उनको कॉल किया पर कॉल किसी और ने उठाया और उठाने वाले ने कसम खाई की वो अपने जीवन में कभी मसूरी नही आया है, और तो और जो पता उन्होंने लिखाया है वो भी उसी मोबाइल नम्बर वाले का है, लगता है उसके आधार कार्ड का भरपूर इस्तेमाल किया दोनों ने, सूरत शक्ल से ही गुंडे दिख रहे थे अगर अभी ऑफ सीजन नही होता तो मैं उनको कभी रूम नहीं देता |

मयूर ने बैचेनी से पहलू बदला और फिर मिस्टर राघवेन्द्र से पूछा – क्या आपके सीसीटीवी कैमरे चालू है ?

बारिश की वजह से सीसीटीवी का पूरा सिस्टम ही खराब पड़ा है, आज ठीक हो कर लग जायेगा

मयूर ने पूछा क्या आपने उनका बेग खोल कर देखा ?

चार जोड़ी काली पेंट और चार जोड़ी वाइट शर्ट, और कुछ नही |

मयूर समझ गया, यहाँ से उसे कुछ मिलने वाला नही है, शायद मिस्टर राघवेन्द्र इस उम्र में पुलिस और गुंडों के लफड़े से अपने आपको दूर रखना चाहते थे |

वो बाहर निकला, सूरज बदलो के पीछे ढँक गया था, मौसम पहले ही सुहाना था अब तो रोमांटिक हो गया था, और होटल के रिसेप्शन पर उसकी बचपन की सहेली कोमल, कंप्यूटर पर कुछ काम करने का अभिनय कर रही थी |

मयूर उसके पास सधे हुए कदमो से पहुचा और उसने सर उठा कर चिढाते हुए कहा – कहिये सर, मैं आपकी क्या सहायता कर सकती हूँ ?

सुबह से मुझे लग रहा था की आज कुछ अनहोनी होने वाली है और तुमसे मुलाकात हो गई, अब इससे बुरा क्या होगा ?

अच्छा, अब मैं इतनी भी बुरी नही हु, जितना तुम समझते हो |

अब तक शादी नही की तुमने ? – मयूर ने कोमल से पूछा

तुम हाँ ही कहा बोल रहे हो, मैं तो तम्हारी हाँ का ही इंतजार कर रही हूँ – उसने हँसते हुए कहा

मेरी हाँ की क्या जरूरत है – तुम्हारे मम्मी – पापा की हाँ ही बहुत है, वैसे आज रात को क्या कर रही हो – उसने अपनी फिरंगी माँ जैसी नीली आँखों का जादू कोमल पर चलते हुए बोला |

अगर अब तुम्हे मुझसे रात में मिलना है तो पहले शादी करनी होगी, पहले के अनुभव अच्छे नही है, – उसने मयूर को चिढाते हुए कहा- वैसे तो मुझे यहाँ डेट पर ले जाने तो आये नही हो ये तो मैं भी जानती हु, बताओ क्या काम है

मयूर की बहुत इच्छा हो रही थी की वो सीधे पॉइंट पर आ जाये और उन दोनों गुंडों की सीसीटीवी पिक्चर सीधे ही मांग ले पर उसमे रिस्क था, अगर वो मुकर गयी तो, उम्मीद की आखरी किरण भी उसके हाथ से चली जाएगी, पर उसने बात जमाते हुए कहा – 4 अगस्त को यहाँ दो टूरिस्ट आये थे, काली पेंट और सफेद शर्ट वाले, याद है तुमको ?

उसके चेहरे पर बल पड गये – वो दोनों इस होटल में घुसने के भी लायक नही थे, पर उन्होंने कैसे यहाँ का इतना भारी किराया भर दिया मुझे विश्वास नही हुआ, और वो मुझे घूरे जा रहे थे, मेरा बस चलता तो उनको निकाल के बाहर कर देती, पर वो खुद ही लौट कर नही आये |

मयूर ने अपनी आवाज को धीमी करते हुए कहा – तुम मुझे उनका पता दो मैं उन दोनों को सबक सिखा दूंगा, क्या तुमको पता है वो दोनों मेरे रेस्तरा मैं भी आये थे और मुझे नकली चेक पकड़ा कर चले गये, सूरत से ही उठाई गिरे लग रहे थे, तुमने उनका आई डी तो लिया होगा न स्वीट हार्ट ?

ऑफ़ कोर्स, उनका आई डी कार्ड की फोटो कॉपी मेरे पास है, मैं देती हु तुम्हे, पर मेरी डेट का क्या होगा ?

आज रात की पक्की – पर शादी की बात मत करना अभी तो मेरी जिन्दगी का सिर्फ एक ही मकसद है उन दोनों को सबक सिखाना - उसने हँसते हुए कहा, इस तरह की हंसी मजाक उनमे बचपन से ही होती आ रही थी, कोमल एक सुन्दर पहाड़ी लडकी थी जिसके पिता वही किसी होटल में मेनेजर थे, दोनों एक साथ एक ही स्कूल में एक ही क्लास में पढ़ते थे वो स्कूल से छुटने के बाद उसके होटल पर ही आ जाती थी, और उसकी मम्मी से बोलती थी – में तो मयूर से ही शादी करूंगी, वो बचपन के दिन थे पर अभी तक वो एक दुसरे को ऐसे ही चिढाते थे |

वो उठी और उसने दराज खोली और एक फाइल निकालकर उसमे तारीखवार लगी फोटो कॉपी में से एक निकाल कर मयूर को दी और कहा – अगली बार आओ तो कुछ अच्छी चीज मांगना, ये गुंडों की आई डी भी कोई मांगने की चीज है ?

मयूर ने कहा अगली बार तुमसे तुम्हारा दिल मागूंगा बस उनकी फोटो की एक प्रिंट भी मिल जाती तो मेरा काम आसान हो जाता |

वो कंप्यूटर की और झुकी और उसने 4 अगस्त की पूरी रिकॉर्डिंग एक खाली सीडी में डाल कर मयूर को दे दी, - एक फोटो क्या तुम पूरी सीडी ही ले लोऔर कुछ ?

मयूर ने कहा – दोस्त हो तो ऐसी, आज शाम मिलो गोल्डन पाम रेस्तरा में रात 8 बजे ?

ठीक है, पर तुम समय पे आ जाना – उसने हस्ते हुए कहा

मयूर ने एक जोर की साँस ली और कहा – थैंक यू कोमल, मिलते है आज रात को, बाय
और वो बाहर निकल आया |

कोमल और उसके बीच ऐसी बाते होती रहती थी क्योकि दोनों एक दुसरे से बहुत खुले हुए थे, उसके चेहरे पे अब एक मुस्कान थी – कम से कम कुछ तो उसके पास था जो उसको रागिनी तक ले जा सकता था, एक ठंडी हवा के झोंका उससे टकराया और उसकी आँखों के सामने रागिनी का चेहरा उभर आया, और वो गुनगुनाया चाहे कितने भी तू कर ले सितम हंस हंस के सहेंगे हम ये प्यार न होगा कम, सनम तेरी कसम |

वो अपनी होटल के ऑफिस में गया, अपने कंप्यूटर में 4 अगस्त की सीडी डाली और विडिओ देखने लगा, उसने देखा लगभग रात के 8 बजे उन दोनों ने होटल में एंट्री ली, कैमरा होटल के एंट्री गेट के ऊपर लगा था जो सीधे रिसेप्शन पे फोकस कर रहा था, इसमें इनकी पीठ ही दिख रही थी, उन्होंने किराये का एडवांस नगद जमा किया और रिसेप्शन के पास ऊपर जाने की सीढियों पे चढ़ गये, वो दोनों पानी में भीगे नही थे |
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

मयूर को 4 अगस्त की शाम की याद ताजा हो गई, कैसे रागिनी ने बस के दरवाजे में अपना लाल बेग फसा दिया था, और उसका बेग, किताब और वो दोनों पानी में पूरी तरह भीग गये थे, और उसने उसे शाम 7:30 बजे हॉस्टल तक छोड़ा था, उसके दिमाग में कुछ खटक गया, उन दोनों ने जब होटल में चेक इन क्या तब भी 7:30 बजे थे मतलब ये दोनों रागिनी का पिछा कर रहे थे और जब उसने उसे हॉस्टल में छोड़ा उसके बाद ही इन्होने होटल में चेक इन किया, वो दोनों पानी में भीगे नही थे, उसके दिमाग में कुछ सवाल घूम गये, और उसके सवाल के जवाब कोमल ही दे सकती थी, और तभी उसे ख्याल आया उसने कोमल के साथ डेट फिक्स की थी, अभी 7:30 बजे थे |

वो जल्दी से उठा तेयार हुआ और अपनी गाड़ी गोल्डन पाम रेस्तरा की और मोड़ ली |

उसकी गाड़ी के निकलते ही उसके होटल के ऑफिस में जहा वो बैठ कर कोमल से ली सीडी देख रहा था, समन्था घुसी, वो मयूर की माँ थी, उसने सीडी चालू की, पर उसे कुछ समझ में नही आया, उसने किसी को फ़ोन लगाया, और कुछ देर बाद वो उस आदमी के साथ थी, जिसे उसने पिछले कुछ दिनों से मयूर के पीछे लगाया था, वो उसी इलाके का निवासी था, उसने भी पूरी सीडी देखी और जब वो दोनों गुंडे उसे सीढियों से उतरते हुए दिखे तो उसने समन्था को कुछ कहा, समन्था ने दोनों को गौर से देखा और एक गहरी साँस ली, मयूर अब इन दोनों को ढूंड रहा है – उसने मन ही मन कहा, वो एक अंग्रेज महिला थी और अपने बेटे की हर गतिविधि पर नजर रख रही थी |

गोल्डन पाम रेस्तरा मॉल रोड पर एक हिल टॉप रेस्तरा था, जो पहाड़ी स्वाद के लिए जाना जाता था, वहां पहाड़ी देशी शराब भी परोसी जाती थी, मयूर समय से पहले ही वहां मौजूद था, जब कोमल आई तब तक वो भोजन का आर्डर कर चूका था, वो कोमल की पसंद जानता था और उसे पूरा भरोसा था की कोमल जरुर आएगी और वो आई भी, उसने टेबल पे अपनी पसंद की डिश बाबरु देखी ख़ुशी से बोली – वाह तुमको अब तक याद है मुझे क्या खाना पसंद है, आज का दिन मेरे लिए बहुत लकी है, जो भी मुझे पसंद है सब मिल रहा है |

अच्छा – इस बाबरु के अलवा तुमको और क्या मिल गया आज ?

तुम और बबरू दोनों मुझे बहुत पसंद हो – उसने कचोरी जैसी दाल की बनी उस डिश को अपने मुंह में डालते हुए बोला पर अब लगता है, कुछ नया पसंद करना पड़ेगा, क्योकि तुमको तो फुर्सत ही नही है – उसने शिकायती लहजे में कहा

हाँ करो न इटालियन, कॉन्टिनेंटल नई – नई डिशेस पसंद करो रोका किसने है – मयूर ने उसे चिढाते हुए कहा |
कर लुंगी और तुम पछताओगे – उसने मयूर की आखो में आखे डालते हुए बोला

बस एक काम बाकी है, फिर पूरा ध्यान तुम्हारे ऊपर ही दूंगा, प्रॉमिस |

और वो मुझसे भी ज्यादा जरूरी काम कौन सा है ?

उन दोनों गुंडों को ढूँढना – मयूर ने अपने मतलब की बात पर आते हुए कहा

उनको तो में भी बहुत मारती – उसने अपने हाथ का मुक्का बनाते हुए कहा

कुछ मिला तुमको उस सीडी में से ? कोमल ने पूछा

बहुत कुछ मिला है, एक बात बताओ जब वो दोनो पहली बार 4 अगस्त को तुम्हारे होटल में पहली बार आये थे, उस समय बारिश हो रही थी ?

हाँ – कोमल ने सोचते हुए कहा

तो वो दोनों बारिश में भीगे क्यों नही थे ?

सिंपल, वो अपनी कार में आये थे – कोमल ने सोचते हुए कहा

तुमने देखी थी उनकी कार ? मयूर ने बाबरु अपने मुंह में रखते हुए पूछा, उसका मुंह नमकीन हो गया |

वो एक सफेद कलर की आल्टो गाड़ी थी बस इतना ही याद है मुझे |

क्या तुम्हारे होटल के बाहर पार्किंग भी कैमरा लगा है ?

नही, वहा का कैमरा खराब पड़ा है |

एक बात तो साफ हो गई की वो खुद की गाड़ी मैं यहाँ तक आये थे, रागिनी की तरह बस से नही, अगर उनकी गाड़ी का नम्बर मिल जाये तो उन तक पहुचना आसन रहेगा – उसने सोचा

कौन है वो – कोमल ने उससे पूछा

मयूर ने चौक कर कहा – कौन ?

वही जिसने तुमको मुझसे छीन लिया – उसने मुंह बनाते हुए कहा |

मुझे नहीं मालूम वो कौन है, पर वो कही न कही तो है, बस यही पता करने की कोशिश कर रहा हूँ की वो कौन थी, कहा से आई थी, और कहा चली गई, मुझे बिना गुड बाय बोले |

ये गुंडे भी उसी कहानी का हिस्सा है क्या ? – कोमल के चेहरे पर उदासी साफ झलक रही थी, वो मयूर को बचपन से चाहती थी, और अब वो किसी और को चाहता था |

हा, ये दोनों उसको मारने उसके पीछे पीछे यहाँ तक आये थे – और उसने रागिनी की पूरी कहानी कोमल को बताई |

देखो मयूर – तुम आंटी के इकलोते लडके हो, सोचो अगर तुम्हे कुछ हो गया तो उनका क्या होगा, और मेरा क्या होगा – मयूर को लगा बस अब वो रो पड़ेगी, पर वो सम्भल गयी और मुस्कुराते हुए बोली – फिर मुझे तुम्हारे जैसा कोई और कहा मिलेगा |
मयूर ने कहा – आई ऍम सॉरी कोमल लेकिन में तुमको धोखे में नही रखना चाहता, मैं उसको ढूंड कर ही रहूँगा, चाहे कुछ भी हो जाये, क्योकि वो मुझसे प्यार तो करती है, लेकिन किसी मज़बूरी के कारण मुझे छोड़ के चली गयी, उसकी मजबूरी तो अब उससे मिलने के बाद ही पता चलेगी |
बातो बातो में रात गहरा गई थी, मयूर ने कहा – चलो तुमको घर तक छोड़ देता हु |
कार में एक सन्नाटा छाया रहा, दोनों में से कोई कुछ भी नही बोला, मयूर उसका दर्द समझ सकता था, वो भी रागिनी से बिछड़ने के बाद इसी दर्द के साये में जी रहा था |
कोमल का घर आया और वो बिना कुछ बोले अपने घर के बाहर लगे गार्डन का दरवाजा खोलकर अन्दर चली गयी |
मयूर ने एक जोर की साँस ली, मन ही मन कहा – आई ऍम सॉरी कोमल तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, उसने अपनी गाड़ी स्टार्ट की और अपने घर की तरफ मोड़ ली |
अपने होटल पहुच कर वो फिर अपने ऑफिस में घुसा और उसने आगे की सीडी चलाई, उसको अब उन दोनों के फोटो की सख्त दरकार थी |
उसने सीडी चलाई और देखा - वो सुबह 8 बजे सीढियों से निचे उतरे, मयूर की सांसे रुक गई, , उस समय भी उन्होंने अपनी यूनिफार्म काली पेंट, सफेद शर्ट पहन रखी थी, दोनों एक के पीछे एक चल रहे थे, उसने कैमरा पॉज किया, पहले वाले गुंडे का चेहरा साफ दिखाई दे रहा था, उसने ज़ूम किया, और प्रिंट का बटन दबा दिया, पहले उतरने वाले का चेहरा उसके ऑफिस में लगे प्रिंटर में से निकल कर बाहर आ गया, दुसरे का चेहर अब भी केमरे की जद में नही आया था |
User avatar
Dolly sharma
Pro Member
Posts: 2746
Joined: 03 Apr 2016 16:34

Re: वो लाल बॅग वाली

Post by Dolly sharma »

दोनों 4 अगस्त की शाम को होटल में घुसे और सीधे ऊपर की सीढ़िया चढ़ गये - वो कई घंटे तक विडिओ को फ़ास्ट फॉरवर्ड करता रहा - वो दोनों अगली बार 5 अगस्त की सुबह 10 बजे दिखाई दिए, इस दिन रागिनी और वो दोनों मेले में गये थे, मयूर को अच्छी तरह से याद था, वही पहले उतरा जिसका फोटो मयूर के पास आल रेडी था, और दूसरा गुंडा उसके पीछे था |
दोनों साथ साथ एक के पीछे एक चल रहे थे, जैसे बॉस के पीछे मुलाजिम चल रहा हो, तभी पीछे वाले ने घूम कर रिसेप्शन पर बेठी कोमल की तरफ एक भद्दा इशारा किया, कोमल ने अपने हाथ का मुक्का बना कर उसको दिखाया, वो थोडा धीमे हुआ, और एक सेकंड के लिए उसका चेहरा भी कैमरे में साफ हो गया, मयूर ने फ़ौरन पॉज का बटन दबा कर विडिओ को रोका और प्रिंट का बटन दबा कर प्रिंट लिया और एक लम्बी चैन की साँस ली, उसके पास उन दोनों के फोटो थे, उसकी पूरी कहानी में कुछ था जिसका सबूत उसके पास था |
अगर ये दोनों गुंडे मुझे मिल जाये तो मैं रागिनी तक आसानी से पहुच सकता हूँ, क्योकि ये दोनों शौक में आकर रागिनी को ऊपर पहुचने यहाँ नही आये होंगे, या तो ये पहले से उसे जानते है, या किसी ने रागिनी को मारने की सुपारी दी होगी, दोनों ही सूरत मैं वो रागिनी तक पहुच जायेगा और उसके जीवन की ये अनबुझ पहेली बुझ जाएगी |
अभी तक जो उसे पता था उसके अनुसार वो दोनों अपनी पर्सनल कार से मसूरी तक आये थे, अगर वो किसी तरह से उस कार का नम्बर पता कर ले तो उसे उसके मालिक का पता चल जाएगा |
उसने गूगल पर पुलिस आई डी कार्ड सर्च किया और उसे एक आई डी कार्ड फोटो ऑनलाइन मिल गई जिसको उसने अपने कंप्यूटर पे डाउनलोड की, सॉफ्टवेर पे उस आई डी के फोटो की जगह अपना फोटो लगाया और बड़ी सफाई से अपना नाम उस जगह लिख दिया जहा उस असली पुलिस वाले का लिखा था, नकली आई डी का प्रिंट निकाला और कैची से उसको बिलकुल आई डी की साइज़ में काटा, अब उसके पास एक आई डी कार्ड का प्रिंट था, उसने अपने होटल के वेटर को बुलाकर कहा - मॉल रोड पे जो फोटोग्राफर की दुकान है वह से एक लेमिनेशन की मशीन खरीद के ला, |
कुछ देर बाद उसके पास लेमिनेशन करने की मशीन थी, उसने अपने नकली आई डी का लेमिनेशन किया और अब वो हुबहू असली पुलिस के आई डी कार्ड की तरह लग रहा था |
उसने अपना मिशन कल सुबह होने तक के लिए मुल्तवी कर दिया, और अपने रूम की तरफ सोने चला गया |
मयूर के जाने के बाद समंथा ने ऑफिस में एंट्री ली और मयूर के निकाले दोनों गुंडों के फोटो की एक एक फोटो कॉपी और निकाली अपनी फाइल में लगा ली |
सुबह मौसम साफ था और धुप कड़क निकली थी, वो रेडी हुआ और अपने मिशन पर निकल पडा, उसे पता था उसे क्या करना है, उसकी गाड़ी सीधी टोल नाके पर वहा रुकी जहा मेनेजर लिखा था, वो केबिन में गया और उसे हमउम्र लड़का टेबल पर दिखाई दिया, उसने हाथ बढ़ाया और बोला – हेल्लो आई ऍम मयूर |
मेनेजर ने भी अपना हाथ बढ़ाया और बोला – कहिये आपकी क्या सेवा कर सकता हु |
मयूर ने कहा – एक्चुली मैं एक गाड़ी को ढूंड रहा हूँ जो चार तारीख को इस टोल नाके पर क्रॉस हुई थी, और उसने अपनी जेब में से नकली आई डी कार्ड निकाल कर मेनेजर को दिखाया और वापिस रख लिया |
पहले आपको देखा नहीं – हमारे टोल नाके से सारी गाड़िया निकलती है, सारे पुलिस वालो को मैं पर्सनली जानता हूँ |
मैं अभी ट्रान्सफर होकर मंडी से यहाँ आया हु और साहब ने मुझे ये काम सौप दिया |
उसने कुछ देर मयूर को देखा, मयूर की धडकने तेज धडकने लगी क्या उसको शक हो गया है कि मैं पुलिस वाला नहीं हूँ ?
तो आपको 4 तारीख की सीडी चाहिए ?
हा मैं एक सफेद आल्टो को ढूंड रहा हु जो लगभग 5 बजे यहाँ से क्रॉस हुई थी, उसका नंबर चाहिए |
आप यहाँ रुकिए मैं अभी लेकर आता हु ? – मेनेजर उठा और अपने केबिन से बाहर चला गया
मयूर की सांसे तेजी से धड़क रही थी – वो चाहता तो अपने सामने पड़े फ़ोन से भी अपने अर्दली को बुला कर सीडी मंगवा सकता था फिर वो गया क्यों – उसे खतरा महसूस हो गया था, वो फिर पुलिस के लफड़े में नही पड़ना चाहता था, वो उठा और केबिन के बाहर जाने के दरवाजे को खोला और उसने देखा दरवाजे के दूसरी तरफ उसके सामने मेनेजर खड़ा था |
आइये मिस्टर मयूर कुछ बाते करते है – मेनेजर ने कहा
तो आपको वो सीडी चाहिए, पर आप पुलिस में नहीं है, मैंने अभी पुलिस डिपार्टमेंट में मेरे दोस्त को फ़ोन करके आपके बारे में पूछा और उसने कहा की कोई पुलिस वाला मयूर के नाम से यहाँ नही है |
अचुली में दून से हूँ वहाँ के थाने मैं हूँ इसी लिए आपका दोस्त मुझे नहीं जनता – उसने बात बनाते हुए कहा, उसे अपने आपको संयत रखने में कठिनाई महसूस हो रही थी, पहली बार में वो पकड़ा गया था, मेनेजर कुछ ज्यादा ही चालक निकला |
बाते मत बनाओ – मैं दावे के साथ कह सकता हु की तुम पुलिस वाले नही हो, सच सच बताओ माजरा क्या है |
उसको जैसे सांप सूंघ गया – उसने बड़ी मुश्किल से कहा – मैं एक प्राइवेट जासूस हूँ, कुछ दिन पहले एक लडकी घर से भाग गयी थी, और अभी तक घर नही पहुची है, मुझे ये पता करना है की वो अभी कहा है, उसके पिता नही चाहते की पुलिस की मदद ले और घर की इज्जत बाजार में उछले |
उसने घुर कर मयूर को देखा – वो तन्यल साहेब वाला केस जिस चक्कर मैं उनका तबादला हो गया |
मयूर ने अपने कंधे उचकाए पर बोला कुछ नही |
तो तुम उस लडकी को ढूंड रहे हो, कितना पैसा मिलेगा तुमको उसे ढूंडने के लिए, वो जरुर कोई मालदार पार्टी थी, तभी उसके पीछे वो इंस्पेक्टर पागल हुआ जा रहा था उस रात को
आप सही बोल रहे है – अब मयूर समझ रहा था बात किस दिशा में जा रही है, उसे नया पत्ता चलना पड़ेगा – लडकी बहुत मालदार पार्टी है, मुझे कहा गया है की चाहे जितना भी पैसा लगे उसका पता लगाना ही है, मयूर ने अपना पर्स जेब में से निकला और दो दो हजार के पाच गुलाबी नोट अपने हाथ में निकाल लिए, और आराम से कुर्सी से सर टिका कर उनको गिनने लगा |
उसने दो तीन बार दो दो हजार के पाच नोट गिने और फिर मेनेजर की तरफ देखकर बोला – इनमे से कितने नोट में चार अगस्त की सीडी की कॉपी मुझे मिल जाएगी ?
मेनेजर की आखो में गुलाबी नोटों की चमक साफ देखि जा सकती थी – उसने कहा, ये सारे लगेगे |
मयूर ने अपना नोट वाला हाथ उसकी तरफ बढ़ाया और बोला – मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, जरा जल्दी काम कर दो |
कुछ बीस मिनट में वो 4 अगस्त की सीडी के साथ अपनी होटल की और जा रहा था, पॉवर ऑफ़ मनी – उसने सोचा
होटल में उसने फिर सीडी डाली और लगभग 4 अगस्त शाम 6 बजे तक फॉरवर्ड किया, लगभग 6:20 पर बस टोल नाके पर आई, ड्राईवर ने टोल टैक्स चुकाया और बस आगे बढ़ी, और बस के पीछे – पीछे सफेद आल्टो कार आ कर रुकी, मयूर ने विडिओ पॉज किया – कार में वो दोनों गुंडे साफ दिखाई दे रहे थे, गाड़ी थोड़ी और आगे हुई और आल्टो की नंबर प्लेट साफ दिखाई दी,
DA-07 451* स्टेट कोड – डिएगो, सिटी कोड – डिएगो, सीधा अर्थ था वो गाड़ी डिएगो की थी, उसने डिएगो आर.टी.ओ. की वेबसाइट खोली और नम्बर डाला पर इस नम्बर से कोई गाड़ी रजिस्टर नही थी |
उसे पता था डिएगो समुद्र के किनारे बसा एक छोटा सा राज्य था, जहाँ का मुख्य व्यापार समुद्र और पर्यटन पर टिका था |
और उसे एकाएक कुछ खटक गया – मयूर मैं यहाँ मूवी देखने नही आई थो वो तो में डिएगो में बहुत देख सकती थी, मैं यहाँ पहाड़ो की सुन्दरता देखने आई हूँ चलो मेला देखने चलते है मैं कल तुम्हारा बस स्टैंड के पास वाली शॉप पे मिलूंगी सुबह 11 बजे, सी यू बाय – ये वही मेसेज था जो रागिनी ने उसे तब भेजा था जब पहली बार उसने उसे मूवी जाने का प्रस्ताव दिया था |
माय गॉड – पछतावे के भाव ने उसके मन को घेर लिया – उसने गलती से ही सही पर जब उसने रागिनी को मूवी जाने का मेसेज भेजा था, उसी समय रागिनी ने जवाब में मेसेज करके पहले ही बता दिया था कि वो कहा से आई है, मैंने ही ध्यान नही दिया |
फिर उसे ख़ुशी हुई – वो कुछ कदम आगे बढ़ा था, अब उसको पता था की रागिनी कहा से आई थी, अब पता ये करना था की वो कौन थी, और उसे छोड़कर क्यों चली गई ?, और इन सवालों के जवाब ये दोनों गुंडे देंगे, उसने काली पेंट और सफेद शर्ट वाले दोनों गुंडों की फोटो को देखते हुए कहा |
उसने अपना लैपटॉप खोला और सुबह की डिएगो की फ्लाइट बुक की, अगर अभी की फ्लाइट होती तो वो अभी निकल जाता पर, उसे सुबह तक रुकना पड़ेगा |
उसके ऑफिस से जाने के बाद, समन्था मयूर की माँ ऑफिस में घुसी और उसने वो नंबर देखा फिर वही सब नेट पर सर्च किया जो थोड़ी देर पहले मयूर ने किया था, और फिर एक नम्बर डायल किया और बोली – सुनो तुमको कल सुबह डिएगो जाना है |
जब उसकी फ्लाइट ने समुद्र तटीय इलाके पर बसे डिएगो के एअरपोर्ट पर लैंडिंग की मौसम खुश्क हो रहा था, समुद्री इलाको मैं बारिश के मौसम में नमी और उमस कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है, पर उसका मन बहुत खुश था, क्योकि धीरे धीरे वो रागिनी के करीब जा रहा था, समुद्र से उठी ठंडी हवा का झोका उस से टकराया और उसे रागिनी महसूस हुई, शायद ये हवा उसे ही छु कर आ रही है – उसने मन ही मन सोचा और मुस्कुराया |
Post Reply