वो लाल बॅग वाली

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Dolly sharma
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Re: वो लाल बॅग वाली

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बुढा संतुष्ट दिख रहा था, बोला – बेटा, ये तुम्हारे बस की बात नही है, तुम कल चले जाओ, और फिर कभी यहाँ मत आना, तभी वेटर दोनों के गिलास ले आया |
फिर चोथा पेग और बूढ़े की जुबान लड़खड़ाने लगी, उसने मौका देख कर पूछा – ये मलिक कहा रहता है ?
बूढ़े के मुह से शराब का गिलास छलक गया, उसने खांसते हुए गिलास टेबल पर रख दिया – तुमने तो मेरी पूरी दारू उतार दी, मलिक इस शहर का सबसे बड़ा अंडरवर्ल्ड डॉन है, अब उससे क्या काम है तुम्हे |
मयूर ने कहा – उसकी लडकी मोना और में एक दुसरे को प्यार करते है |
बूढ़े को जैसे सांप सूंघ गया – मजाक मत करो, वो दोनों रोनी, सोनी सड़कछाप गुंडे है जो मलिक से दुश्मनी की वजह से उसके बराबर वजूद बना बैठे, असली डॉन तो मलिक ही है, और मलिक इतना जल्लाद है, जिसकी कोई हद नही है, तुम्हारी फ्लाइट कब है कल ?
सुबह 7 बजे में यहाँ से निकल जाऊंगा – उसने झूठ बोला, वो बूढ़े को डराना नही चाहता था |
फिर मलिक का क्यों पूछ रहे हो ?
ऐसे ही, जाने से पहले उसके बारे में जिज्ञासा बढ़ गई है, जाते जाते पता तो करू कि मेरी माशूका का बाप है किस खेत की मुली |
दोनों के बीच सन्नाटा छा गया, फिर मयूर ने पूछा – मलिक कहा रहता है |
वेटर कल के अनुभव से समझ चूका था की बूढ़े को गिलास पे गिलास दारू लगेगी, उसको टुन्न करना है | ये उसका 6 पेग था, महंगी दारू अपना कमाल दिखा रही थी – उसने कहा, वो जहा रहता है तुम वहाँ किसी भी तरीके से नही पहुच सकते, मैंने क्या बोला – बुढा बहकते हुए बोला – बिना उसकी मर्जी के कोई भी वहाँ तक नही जा सकता है, तुम भी नहीं, में भी नही, कोई नहीं |
उसे झुंझलाहट हो आई, आखिर ये सीधे से बता क्यों नही देता, रागिनी कहा रहती है |
बुढा मयूर के कान के पास आ के धीरे से फुसफुसाया – यहाँ कोंकों बीच है जहाँ से 10 नोट साउथ में एक छोटा टापू है, वहाँ पर बोट से ही जाया जा सकता है, मलिक वही रहता है, उसके फंटूस लोग हथियारबंद हमेशा चारो और निगरानी रखते है, अगर कोई आस पास दिखाई भी दे जाता है तो उसको बेहोश करके मालिक के सामने पेश किया जाता है, और अगर वो अपने टापू के आसपास होने का सही कारण नही दे पता है तो उसे मार का टापू पे मगरमच्छ के तलाब में डाल दिया जाता है |
वहा जाने का कोई सेफ रास्ता ?
बूढ़े ने ऊपर की और इशारा किया – पहले ऊपर जाओ और आत्मा बन जाओ फिर उस टापू पे आसानी से पहुचा जा सकता है |
मयूर ने खाने का इशारा किया और बूढ़े का एक पेग और लाने का इशारा किया, बुढा 8 पेग याने आधी बोतल डकार चूका था और लडखडाती जुबान में बडबडा रहा था |
खाना लगते ही बुढा उसपर टूट पड़ा – तुमको मालूम है पिने के बाद मुझे बहुत भूख लगती है |
मयूर ने कोई जवाब नही दिया, उसका दिमाग सोच रहा था, कैसे वो रागिनी उर्फ़ मोना तक पहुचे |
अगर आप मुझे वहाँ तक पहुचा दो तो में आपको मुहमांगी कीमत देने को तैयार हूँ |
बुढा शराब के नशे में जोश में आ गया था, उसके दिल में से मलिक का डर खतम हो गया था, किसी जमाने में उसका भी नाम चलता था, मालिक उसके सामने ही देखते देखते अंडरवर्ल्ड डॉन बन गया था |
वो अगर मुझे बुलाएगा तो ही जाऊंगा, पुराना यार है मेरा, हम दोनों साथ में ही बीच पे खाली बोतलें उठा उठा कर कबाड़ी को बेचा करते थे, एक दिन उसको पुलिस ने पकड़ लिया, और पीछे से किसी ने उसकी बाप का मर्डर कर दिया, जब वो बाहर आया तो उसने अपने बाप के हत्यारे के पुरे परिवार को उनके ही घर में आग लगा का जिन्दा जला दिया, तब से सब उससे खौफ खाने लगे और वो यहाँ का बेताज बादशाह बन गया, बोनी, रोनी दोनों उसके साथ ही काम करते थे, पर बाद में उनमे पैसे को लेकर झगड़ा हो गया और मलिक दोनों की जान का दुश्मन बन गया, मलिक और उसकी बेटी को जान का बहुत खतरा है, वो फुल प्रोटेक्शन में रहते है, उनके पास आटोमेटिक गन्स है, मेने सुना है वो एक बार ट्रिगर दबाने पे 16 गोलिया फायर करती है, इन्सान का बचना नामुमकिन है |
मयूर बहुत ध्यान से सुन रहा था, उसने फिर दोहराया – कोई तो रास्ता होगा उन तक पहुचने का ?
बुढा नशे में था पर आउट नही हुआ था – तो तुम कल वापिस अपने शहर नही जा रहे हो तुम मालिक की लडकी से मिले बिना नही जाओगे और वही तुम्हारा राम नाम सत्य हो जाएगा, भगवान की कसम मेरा नाम इस सबमे मत घसीटना, इस उम्र में मैं बेमौत नही मरना चाहता हूँ
कसम से मेरी जान चली जाएगी पर आपका नाम नही लूँगा, आप मुझे वहाँ तक जाने का रास्ता बताइए ?
कोई रास्ता नहीं है, केवल मलिक चाहे तब ही कोई उस टापू पे कदम रख सकता है, उसकी मर्जी के बिना नही |
मयूर ने फिर 500 का नोट अपने पॉकेट से निकला और बूढ़े को पकड़ा दिया, अब शायद हम कभी नही मिलेगे |
बूढ़े ने नोट झपटा और नशे में बोला – मलिक को मेरा सलाम बोलना |
और आपका नाम क्या है ? – मयूर ने पूछा
जाने दो मत बोलना, तुम मेरा नाम इसमें मत घसीटो – उसने एक झुरझुरी लेते हुए कहा – बेमौत मरना कौन चाहता है |
एक बात और – उस टापू तक सप्लाई ले कर कौन जाता है, खाने पिने का सामान और दूसरी जरूरत की चीजे ?
उनकी अपनी स्पीड और क्रुईस बोट्स है, सबपर लाला अक्षर से एम लिखा है, पर तुम उन में छुप कर वहा तक जाने की मत सोचो ये नामुमकिन है |
उसने कोंकों बीच की सुनहरी रेत पर कदम रखा, समुद्र का पानी साफ और नीला था, जो किनारे तक आ कर वापिस लौट रहा था, सूरज आसमान में आग के गोले की तरह चमक रहा था, किनारे पर कई तरह की छोटी बड़ी रंग बिरंगी बोट्स खड़ी थी, कुछ पर झंडे लहरा रहे थे, फिशिंग, स्पीड, क्रूस बोट डॉक से बंधी पड़ी थी, मछुआरे समुद्र में अपनी किस्मत आजमाने निकल रहे थे, कुछ अपनी बोट को ठीक कर रहे थे |
वो बीच के सामने बने एक बार में जा कर बैठ गया और वेटर को बियर का आर्डर किया, वहा उस समय एक भी बोट ऐसी नही थी जिसपर लाल कलर से ऍम लिखा हो, लगभग दोपहर के 3 बजे एक आलिशान बोट बीच पे लगी, डॉक पे पहले से तैयार सप्लाई वेन में से दो संदूक उतारे गये, बोट पे खड़े दो बॉडी बिल्डर ने दोनों संदूको को अच्छी तरह से चेक किया और ओके का इशारा किया, संदूक बोट पे चढ़ा दिए गये, और कुछ ही मिनटों में बोट समुद्र में वापिस अपनी मंजिल की और बढ़ गई, मयूर ने देखा बोट के चारो और कैमरे लगे थे, कोई चाह कर भी समुद्र के रस्ते बोट में घुसकर छुप नही सकता था |
उसने जोर कि साँस ली – अपनी सिक्यूरिटी को लेकर मालिक फॅमिली बहुत ज्यादा ही सतर्क है
उसे रागिनी की याद सता रही थी और वो ज्यादा देर नही रुक सकता था, उसके दिमाग में एक तरकीब आई, और वो अपनी जगह से उठ खड़ा हुआ |
धीरे धीरे चलते वो एक स्पीड बोट वाले के पास पहुचा और बोला – मुझे 10 नोट साउथ तक जाना है, कितने पैसे लोगे |
वो तो मालिक का टापू है – उसने संदेह की नजरो से मयूर को देखते हुए पूछा – क्या काम है वहाँ तुम्हे ?
मुझे मलिक से मिलना है, पेरसनल काम है ?
अगर मलिक को तुमसे मिलना होगा तो वो यहाँ तक बोट भेज देंगे तुमको लेने के लिए, अगर बिना इजाजत उस टापू के आस पास भी फटके तो मौत के मुंह में जाओगे |
तुम पैसे बोलो ?
जान नही देनी मुझे, अपना काम करो – कहते हुए बोट वाले ने अपनी बोट आगे बढ़ा दी |
मयूर ने यही प्रस्ताव वहाँ खड़े हर मछुआरे, और बोट के मालिक से पूछा और सभी ने एक ही जवाब दिया – मरना है क्या, बिना इजाजत उस तरफ मुंह करके भी मत सोना रात को |
तक़रीबन एक घंटा लगा उसे जब बीच पर एक भी बोट ऐसी नही बची जिसके मालिक से उसने बात नही की हो, और मालिक के टापू तक जाने का अपना इरादा नही बताया हो वो थक कर मायूस सा मुंह बना कर वापिस किनारे पर बार में आ कर बैठ गया |
उसने अपना काम कर दिया था, अब उसे इंतजार करना था, यही उसका प्लान था, जिसका एक चरण पूरा हो चूका था, वो शाम 6 बजे तक अपने प्लान के दुसरे चरण के शुरू होने का इंतजार करता रहा, पर अभी तक उसे ऐसे कोई आसार नही दिख रहे थे |
अँधेरा गहरा गया था और रात के 8 बज चुके थे, उसे लगा उसका प्लान शायद फ़ैल हो गया है, उसे कोई और रास्ता अपनाना पड़ेगा तभी डॉक पर एक तेज रौशनी में नहाया हुआ जहाज आ कर लगा और उसकी हेड लाइट से बीच का वो हिस्सा नहा गया, उस बोट पर लिखा था ऍम |
मयूर तन का बैठ गया, लगता है उसका प्लान सफल हो गया है, वो काफी देर से इसी बोट का इंतजार कर रहा था, रागिनी से उसे आज ही मिलना था, चाहे कुछ भी हो जाये – उसने मन ही मन निश्चय कर रखा था |
उसने देखा बोट में से चार गुंडे जैसे दिखने वाले आदमी निकले, सभी ने सलीके से जीन्स और टी शर्ट पहन रखी थी, बीच पर उतरे, तभी एक साया बोट के पास से निकला और उन चारो तक पहुचा, कुछ सेकंड की बात के बाद साये ने अपनी ऊँगली उस बार की और बढाई जहा मयूर बैठा था |
चारो तेज कदम चलते हुए बार में घुसे और चारो और देखा – बार के मालिक का चेहरा भय से पिला पड़ गया, चारो ने मयूर को देखा और उसकी और बढ़े, उनमे से एक धीमी आवाज में बोला – तो तू है वो जो चुपके से टापू पे जाने की कोशिश कर रहा था ?
मयूर ने कहा – हाँ में ही हूँ मुझे मालिक साहब से कुछ काम है |
क्या काम है, मलिक साहब से, और तेरा नाम क्या है ?
मेरा नाम मयूर है और में मोना का फ्रेंड हूँ |
गुंडा जिसका नाम जॉय था, आश्चर्य से बोला – तू और मोना का दोस्त, ऐसा कैसे हो सकता है, तो तू मोना से मिलने यहाँ तक आया है, और वो हसने लगा, उसने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और फोन पे बोला – एक नीली आखो वाला जवान लड़का है, अपना नाम मयूर बता रहा है, आपसे मिलना चाहता है, अपने आपको मोना का दोस्त बता रहा है |
दूसरी तरफ से मलिक ने लाइन पर कहा – मयूर, और रागिनी जो उसके साथ डिनर कर रही थी की तरफ देखा |
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Dolly sharma
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रागिनी ने चौक कर सर उठाया और मलिक की तरफ देखा – रागिनी ने कहा – मयूर कौन ?
मलिक ने कहा – एक लड़का पोर्ट पर टापू तक आने की कोशिश कर रहा था, वहा के बोट वाले ने जॉय को इन्फॉर्म किया और वो अपने आदमियों को लेकर उसको पकड़ने गया था, मजे की बात ये है की वो लड़का बोल रहा है की वो तुम्हारा दोस्त है |
मयूर – ये वही लड़का है जिसने मसूरी में मुझे रोनी मोनी से बचाया था, प्लीज डैडी ही इस अ नईस गाए, उससे अच्छा व्यव्हार करना मेरी खातिर – रागिनी
तुम जानती हो हमारी दुनिया अलग है, हमारी मजबूरी है, हम बाहर की दुनिया से कोई वास्ता नही रख सकते, तुम मेरी इकलोती सन्तान हो इसलिए में उसे अल्लो कर रहा हूँ, तुम उसको जल्दी से जल्दी यहाँ से जाने का बोल देना, आज सुबह में क्रोकोडाइल पोंड पे गया था, वहा के मगरमच्छ मुझे बहुत हसरत से देख रहे थे, बहुत दिनों से मैंने उनको खाना नही दिया |
रागिनी उसका मतलब समझ गई – उसने मेरी जान बचाई है डैड, में उसको समझा दूंगी वो फिर कभी नही आएगा यहाँ |
मलिक ने दुनिया देखी थी, पर प्यार नाम का शब्द उसके शब्दकोष में नही था, उसने कहा – यही बेहतर होगा, उसने तुम्हारी जान बचाई, ये उसका अहसान है मुझपर, इसीलिए में उसकी जान बख्श रहा हूँ |
और वो उठकर अपने कमरे में सोने चला गया |
उस समय रात के 10 बजने आये थे, जो लडकी मयूर से रागिनी के नाम से मिली थी उसका असली नाम मोना था, बेसब्री से बीच पर मयूर के आने का इन्तजार कर रही थी, लाख प्रयासों के बाद भी उसके जज्बात काबू में नही आ रहे थे, एक तरफ उसके पिता की विरासत थी, जिसमे वो प्रिंसेस थी, पर घुटी हुई, दूसरी तरफ मयूर था जो उसका प्यार था, उसने जीवन में किसी और को इतना अधिक नही चाहा था, जितना मयूर को चाहा था, और उसने साबित भी कर दिया था, की वो पूरी तरह से उसके योग्य है, कैसे तेसे कर के उसने उसको खोज ही लिया था |
बोट धीरे धीरे पानी में रास्ता बनती हुई, बीच पे जा पहुची और सबसे पहले जॉय उतरा और मोना को देख कर सावधान की मुद्रा में खड़ा हो गया, फिर उसे मयूर सीढियों पर दिखाई दिया, वही टाउसर और सफेद शर्ट में चेहरे पर नीली आँखे और वही चिर परिचित मुस्कान लिए एकटक उसे ही देख रहा था |
उसने जॉय की तरफ देखा और वापिस जाने का इशारा किया, उसका चेहरा फत्थर की तरह सख्त था, आखिर उसके पिता की सारी विरासत उसे ही सम्भालनी थी – जॉय ने उसका संकेत देखा और अनमन से वहाँ से हट कर बीच के पीछे बनी झोपड़ियो की और चला गया, रह गये मयूर और मोना अकेले –
क्या नाम से बुलाऊ तुम्हे रागिनी, मोना, चमेली या अभी और रहस्य बाकि है |
उसने अपने को संयत करने का प्रयास करते हुए कहा – मुझे यहाँ सब मोना के नाम से जानते है, फिर वो चुप हो गई दोनों एक दुसरे को एकटक देख रहे थे – फिर वही उलझन और फिर यही नीली आँखे ही जीतेगी और वो दौड़ कर मयूर की बांहों में समां गई |
बीच पर समुद्र की लहरों को लेकर जो ठंडी हवाए चल रही थी वो थोड़ी और तेज चल रही थी, दोनों एक दुसरे से लिपटे लिपटे बीच के बीचो बीच खड़े थे, फिर एक दुसरे के हाथ में हाथ लिए चिपके मलिक के महल के पास से होते हुए महल के पीछे चले गये, बालू रेत में दो प्रेमियों के कदमो के निशान बनते जा रहे थे |
तो तुम मुझे ढूंढते हुए यहाँ तक आ पहुचे |
तुम्हे क्या लगा की तुम मुझे इतनी आसानी से छोड़ कर गायब हो जाओगी, और में तुमको भूल जाऊंगा – बीच पर मलिक के महल के पीछे दोनों अँधेरे में परछाई बनकर रेत के टीले पर बैठे एक दुसरे से गिले शिकवे दूर कर रहे थे |
तुम यहाँ तक आये ही क्यों, मैंने पहले ही कहा था ये दुनिया तुम्हारी नहीं है, मुझे ही भोगने दो इस नरक को, तुमको मालूम है, यहाँ मैं चैन से साँस भी नहीं ले सकती |
तो चलो यहाँ से दूर चलते है जहाँ हमे कोई नही पहचानता हो – मयूर ने उससे और चिपकते हुए कहा |
कही नही जा पाएंगे, तुमको मालूम है पहले भी क्या हुआ था, जब मैं तुम्हारे शहर आई थी, मुझे वो सब फिर नही दोहराना, तुम आखिर अपनी दुनिया में वापिस क्यों नही चले जाते, तुमको मालूम है अगर बिना सिक्यूरिटी के मैंने एक कदम भी इस आइसलैंड से बाहर निकाला तो मेरी बॉडी के टुकडे होना निश्चित है, और वो उससे और चिपक का बैठ गई – अगर हमारे दुश्मनों को तुम्हारे और मेरे रिश्ते के बारे में पता चल गया तो वो तुम्हे भी जिन्दा नही छोड़ेंगे |
क्या तुमको लगता है मैं इतनी आसानी से मरने वाला हूँ, और में मर जाऊंगा तो मेरी होटल कौन सम्भालेगा, उसके लिए दो नन्हे मुन्ने बच्चो की जरूरत होगी जो तुम मुझे दोगी |
तुम जैसा तो एक ही सौ के बराबर है, कहा से कहा आ गये तुम मेरे लिए, मैंने तो कभी सपने भी नही सोचा था की तुम मुझे ढूंढते हुए यहाँ तक आ जाओगे, मेरे आइसलैंड तक, कमाल है मिस्टर मयूर फ्रेडरिक तुम्हारा जवाब नही |
अभी तुमने मेरा कमाल देखा कहा है, कमाल तो जब होगा जब में तुम्हारे डैडी से तुम्हारा हाथ मंगुगा, शादी के लिए |
देखो मयूर बेबी अभी रात भी है अँधेरा भी तुमको जो चाहिए मुझसे मांग लो, अगर तुमने मेरे डैडी से कुछ भी माँगा तो तुमको बदले में बन्दुक से चली गोली भी मिल सकती है |
बेबी ये तो कल सुबह देखेंगे, दोनों में से कुछ भी चलेगा, या तो तुम या बन्दुक की गोली |
आर यू सीरियस – तुम कल डैडी से मुझे मांगने वाले हो, मुझे बहुत डर लग रहा है |
क्यों तुम मुझे नही चाहती हो क्या |
बहुत ज्यादा, में तुम्हारे लिए ही डर रही हूँ अगर गुस्से में डैडी ने कुछ ऐसा वैसा कर दिया तो में अपने आप को कभी माफ़ नही कर पाऊँगी |
तुम क्या समझती हो में यहा रोनी मोनी का बेंड बजा के समंदर पार करके घुमने आया हूँ, नो बेबी में तुम्हे लेने आया हूँ और ले कर ही जाऊंगा |
चलो अन्दर चलो, में तुम्हे तुम्हारा रूम दिखाती हूँ |
दूर अपनी बीच हट में बैठा जॉय, जो मालिक का दाया हाथ था, उन दोनों के काफी देर से वाच कर रहा था, उसका प्लान था की मालिक की लडकी से शादी करके वो पुरे धंधे का बेताज बादशाह बन जाये, इतने साल वो इसी आस में मलिक का हर हुक्म बजा रहा था की एक दिन वो इस सब का मालिक बन जायेगा, उसने अपना नाम भी सोच रखा था, मलिक के बाद मालिक, फिर सब कुछ उसका, पर इस लडके ने आकर उसका सारा प्लान चौपट कर दिया था, लगता है, उसे अब इस लडके को भी ठिकाने लगाना पड़ेगा |
उसकी आँख दोपहर की 12 बजे खुली और उसे रागिनी उर्फ़ मोना के साथ बितायी रात की मीठी याद आ गई, वो उठा, और फ्रेश होने बाथरूम में पहुच गया, वो बाहर आया, और बिस्तर के सिरहाने रखा फ़ोन बजने लगा, उसने रिसीवर उठाया और फिर वही दिलकश, खनकती हुए आवाज सुनाई दी – उठ गये, तुमने ब्रेकफास्ट स्किप कर दिया, कोई बात नहीं, डैडी और मैं तुमको ठीक 1 बजे लंच पर मिलेंगे निचे आ जाना |
वो कुछ जवाब देता उससे पहले ही फोन कट गया और डायल टोन सुनाई देने लगी |
उसके जीवन का एक उसूल था, वो कभी किसी काम में देर नही करता था, आज मुझे मलिक से बात करनी ही है, चाहे कुछ भी हो जाये |
वो ठीक 1 बजे निचे गया, और वहाँ खड़े खानसामा ने उसे डाइनिंग रूम का रास्ता दिखाया, वैसे भी उसने अपने जीवन में दुनिया के कई बड़े बड़े माफिया सरगनाओ की खिदमत की थी, पर ये लड़का उसके लिए पहेली था, ये सूरत से भले घर का लड़का दीखता है, इसका यहाँ होने का क्या मकसद हो सकता है ? – खानसामा सोच रहा था
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मयूर ने डाइनिंग रूम मैं कदम रखा, उस भव्य बड़े हॉल में एक बड़ी सी टेबल लगी थी जिसके आसपास लगभग 40 कुर्सिया करीने से सजी थी, हर कुर्सी के आगे टेबल पर सोने के कांटे और चम्मच उलटी रखी हुए थी, उसने अंदाज लगाया टेबल पर पड़े सारे बर्तन खालिस चांदी के थे, दीवारों पर आलिशान नक्काशी की हुई थी, और छत पर आलीशान झूमर लगा था, कुल जमा किसी महाराज का डाइनिंग रूम लग रहा था |
सामने सिट पर एक 60 साल का बुजुर्ग बैठा था, उसकी आखे लाल, बाल सफेद, पर चेहरे पर अजीब सी सख्ती थी, जो उसने पहले भी देखी थी, उसे रागिनी का फत्थर की तरह सख्त चेहरा याद आ गया, वो मलिक था, छोटे कद का, लेकिन कसरती बदन का मालिक मालिक |
वो आगे बढ़ा और उसने मलिक का अभिवादन किया, जवाब में मलिक ने भी अपना सर अभिवादन में हिलाया और अपने पास की कुर्सी पर बैठने का इशारा किया |
तुरंत वेटर ने लंच सर्व करना शुरू किया, सेंटर चेयर पे मलिक और उसके पास वाली कुर्सी पर मयूर और रागिनी आमने सामने बैठे थे |
तुम यहाँ अपने शहर से इतनी दूर केवल मुझसे मिलने तो आये नही हो, क्या इरादा है तुम्हारा – मलिक ने अपनी भारी आवाज में मयूर की और देखते हुए पूछा, वो आवाज किसी को भी डर से झुरझुरी लेने पर मजबूर कर सकती थी, पर मयूर डरने वालो में से नही था |
मैं मोना से शादी करने आया हूँ – मयूर ने जैसे किसी नेता की तरह घोषणा की |
मोना के मुंह में खाना अटक गया, वो खांसने लगी |
जब वो संयत हुए तो मलिक ने पूछा – और मोना ?
मोना का चेहरा अनिश्चय की स्थिति बता रहा था – वो दो सेकंड चुप रही मानो अपने प्रेमी के जीवन और मृत्यु के बीच में से किसी एक का चुनाव कर रही हो, उसे अपने चिंता नही थी, वो मयूर के लिए चिंतित थी, पर उसके दिमाग ने दिल की सुनना सिख लिया था, उसने अपना सर सकारात्मक ढंग से ऊपर निचे हिलाया और बोली – हाँ हम दोनों एक दुसरे के साथ रहना चाहते है |
मलिक के चेहरे पर उलझन के भाव साफ दिखाई दे रहे थे, उसने मोना के लिए जॉय का सिलेक्शन किया था, वो उनकी लाइन का आदमी था, उसके धंधे को समझता भी था, और वो ही उसकी लडकी को प्रोटेक्शन भी दे सकता था, इसके अलावा उसने कुछ सोचा भी नही था, अपने दुश्मनों से अपनी बेटी की सुरक्षा ही उसकी प्रमुखता थी |
रागिनी का दिल जोरो से धड़क रहा था, वो एकटक मलिक की और देख रही थी, बगावती तो वो भी थी, उसने अपने पिता की इच्छा के खिलाफ जीवन में पहली बार कोई काम किया था, पर उसको चिंता मयूर की थी |
मालिक ने कुछ देर सोचने के बाद अपना निर्णय सुनाया – ठीक है अगर तुम मोना से शादी करना चाहते हो तो तुमको साबित करना होगा की तुम उसके लायक हो, अगर तुमने साबित कर दिया तो मोना तुम्हारी, और अगर फ़ैल हो गये तो तुम्हारी जिन्दगी हमारी, हम तुमको जिन्दा नही छोड़ेंगे |
अब उलझन के भाव मयूर के चेहरे पर थे, उसके मुंह से बस एक ही लफ्ज फूटा – कैसे ?
तुमको मेरा धंधा सीखना होगा, यहाँ रहकर, तुमको हम मैं से एक बनना होगा और तुम तो जानते ही हो हमारा धंधा क्या है, दुनिया में जो भी काम गैर कानूनी है वो सब हम करते है, हमारी दुनिया में लोग आते अपनी मर्जी से है, पर जाते अपनी मर्जी से नही है, एक बार इस दुनिया में कदम रखने के बाद वापस जाने के सारे रास्ते बंद हो जाते है |
मयूर रागिनी उर्फ़ मोना के प्यार में पागल था, उसने बिना कुछ सोचे कहाँ – मुझे मंजूर है |
मालिक ने कहा – क्राइम, मनी एंड पॉवर की दुनिया में तुम्हारा स्वागत है, तुम आज से हमारे लिए काम करोगे, तुमको पता है में तुमसे बहुत इम्प्रेस हूँ जिस तरह से तुम मोना को ढूंढते हुए यहाँ तक आ पहुचे, निडर, निर्भीक, साहसी हमारे धंधे में ऐसे ही लोगी की जरूरत होती है, जो अपनी जान पे खेलने में हिचकिचाते नही है |
मोना के हाथ में सोने का काँटा था जिससे वो खेल रही थी – वही हुआ जिसका मुझे डर था – उसने मन ही मन सोचा |
लंच खतम होने तक सारी बाते फाइनल हो चुकी थी – तुम जॉय के साथ हमारे धंधे को समझोगे, तुमको वो जो काम देगा बेझिझक पूरा करना है, अगर नहीं कर पाए तो तुम हमारे किसी लायक नही |
उसने सहमती से सर हिलाया |
मलिक ने जॉय को बुलवाया – ये आज से अपने साथ काम करेगा, इसको काम समझाना और अपने कम के लायक बनाना है, ये तुम्हारी जिम्मेदारी है – उसने भारी और गंभीर आवाज में कहा |
जॉय ने मयूर की घुर कर देखा, और मन ही मन सोचा – इस बच्चे की मौत मेरे हाथो लिखी होगी मैंने सोचा नही था, और वो सोचने लगा – इसको कैसे मरना है, समुद्र में मछलियों के आगे डालकर, या गोली मारकर, या हाथ पैर तोड़कर, उसका अपराधिक दिमाग हमेशा नए नये आइडियाज सोचता रहता था, क़त्ल करने के, और पिछले कुछ दिनों से उसने वो किया नही था, उसको लाल लाल इंसानी खून को बहता हुआ देखने की तीव्रतम तलब लगी, और उसने मलिक की बेटी मोना की तरफ देखा – साली अपने साथ एक आशिक भी ले आई, में क्या मर गया था, एक बार इस अपराध की दुनिया पे मेरा कब्जा हो जाये फिर इसकी भी खैर नहीं |
अगले कुछ दिन रागिनी और उसने टापू पे घूमते, नारियल के पेड़ पर चढ़कर नारियल तोड़ने और, स्पीड बोट से समुद्र की सैर में बिता दिए, तुमको इस आर्गेनाईजेशन में शामिल नही होना था, तुम इसके बारे में कुछ नही जानते हो, वो क्या काम करते है, किस तरह के काम करते है, मैं शुरू से तुमसे बोल रही थी इस दलदल से दूर रहो, समुद्र के किनारे तेजी से आ कर लौट रही लहरों के बीच दोनों नंगे पैर हाथ में हाथ थामे घूम रहे थे |
मयूर ने पूछा – क्या काम करते है ये लोग ?
हर वो कम जो गैर क़ानूनी है, ड्रग्स, हथियार, हत्या, लूट, डकैती, चाइल्ड ट्राफिकिंग तुम अपराध का नाम बोलो और उनके हाथ उसमे भी गहरे तक धसे मिलेंगे, अभी भी वक़्त है में कहती हूँ निकल जाओ |
में यहाँ से तुमको लिए बिना नहीं जा सकता, तुम्हारे बिना जीना अब मुमकिन नही है, देखेंगे जो होगा – मयूर ने कहा
दूर खड़ा जॉय उन दोनों को हाथ में हाथ डाले बीच पे चहलकदमी करते देख रहा था – इस पहाड़ी लडके का अब कुछ करना ही होगा |
अजीब उलझन थी, न वो न रागिनी चाहती थी कि वो इस घृणित आर्गेनाईजेशन में शामिल हो उसने सोचा और अपना ध्यान दूर से आती एक बोट पर पड़ा, जिसकी हेडलाइट बार बार जलबुझ रही थी मानो कोई संकेत कर रही हो |
ऐसी बोट मयूर ने पहले भी कई बार इसी टापू पे देखी थी जो अपनी हेडलाइट को संकेत करके बीच पे लगती थी और उसमे से कुछ संदूक खाली होते थे, कुछ ही देर में अनलोडिंग के बाद वो वापिस समुद्र में गायब हो जाती थी जिधर से आई थी, पिछले दस दिनों से वो इस आवागमन का अभ्यस्त हो चुका था, दोनों ने बोट पर ध्यान नही दिया, उस समय शाम के 7 बजे थे, और दिन का उजाला हल्के अँधेरे के आगोश में जा रहा था , दोनों अपनी बातो में व्यस्त थे, तभी एक सर्राट की आवाज के साथ कुछ चीज मयूर के कान के पास से गुजरी और वो चौक गया, उसने पीछे मुड कर देखा पर वहां कुछ नही था, उसने अपने पास बैठी रागिनी की और देखा पर वो वहां नही थी, उसने ऊपर देखा रागिनी अपनी पिस्तौल हाथ में लिए थी उसके आगे खड़ी थी और उसका निशाना था वो बोट जो कुछ ही देर पहले टापू के बीच पे आ कर लगी थी |
जॉय टापू पर अपने लाइट हाउस जैसे ऊँचे टावर पर बैठा था तभी उसे गोलियों की अंधाधुंध फायरिंग की आवाज सुनाई दी, उसने बाहर देखा गोलिया बोट में से चल रही थी, और उसने बीच पर रागिनी और मयूर दिखाई दिए, उसने देखा रागिनी मयूर के आगे ढाल बनके खड़ी थी, बोट में से चल रही गोलिया उनको ही निशान बना रही थी, वो चिल्लाया कोई जल्दी से सारी स्पॉट लाइट्स बंद कर दो, और कुछ ही सेकंड में पुरे बीच पर अँधेरा छा गया, अब बीच पे कोई उनको आसानी से देख नही सकता था, वो दोनों बीच की रेत पर मुंह के बल लेट गये और धीरे धीरे रेंगने लगे |
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