Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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भाभी ने वो पतासी मेरे मूह की तरफ़ बढ़ा दी मेने अपना पूरा मूह खोल दिया भाभी की सॉफ्ट सॉफ्ट उंगलिया मेरे होंठो से लगती हुई ...मेरी जीभ से टच होने लगी.

ये मेरे लिए पहला अनुभव था ऑर मुझे काफ़ी अच्छा भी लगा.


भाभी...क्यो बच्चू कैसा लगा...मज़ा आया.


में...भाभी आपकी फिंगर बड़ी टेस्टी है ऑर ये कह कर में हँसने लगा.

भाभी ने मेरी पीठ पर मुक्का मारते हुए कहा.


भाभी...मैने तुझे पतासी टेस्ट करने के लिए खिलाई थी ना कि मेरी उंगलिया टेस्ट करने के लिए , चल अब घर काफ़ी पतासी खाली .

फिर उसके बाद हम दोनो घर की तरफ़ निकल गये.

घर पहुँच कर मैने वो सारा सामान किचन में रखा ओर बाहर आकर हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगा.

बाहर गार्डन में पार्टी की तैयारी चल रही थी. वैसे तो पापा पार्टी बहुत बड़ी करना चाहते थे लेकिन नीरा ने उन्हे ऐसा करने से मना कर दिया था क्योकि फिर बर्त दे पार्टी तो साइड में रह जाती है ऑर बिज़्नेस पार्टी शुरू हो जाती है .

इसीलिए पार्टी में सिर्फ़ ख़ास ख़ास लोग ही आए थे ऑर कुछ रिश्तेदार...


में अपने रूम में रेडी हो रहा था मैने आज सूट पहना था , जिसमें में काफ़ी अच्छा लग रहा था .

फिर में जाकर नीरा के कमरे की तरफ़ बढ़ गया . मैने दरवाजा नॉक करा तो नीरा ने अंदर आने के लिए कहा.

अंदर नीरा रेडी हो रही थी.


नीरा--भैया आपको मेरे रूम में आने के लिए नॉक करने की क्या ज़रूरत है.


में--अरे यार आज सारे दिन से गड़बड़ हो रही है इसलिए नॉक करना ज़रूरी समझा.


नीरा--कैसी गड़बड़ भैया क्या हुआ मुझे भी तो बताओ , ऐसा क्या देख लिया जो आप दरवाजा नॉक करने लगे.


में...कुछ नही नीरा ऐसी कोई बात नही है वो तो बस नोर्मली मैने डोर नॉक किया था..मुझे लगा शायद तू तैयार हो रही होगी इस लिए.


नीरा...भैया अभी में इतनी बड़ी भी नही हुई हूँ कि आप मुझ से शरमाने लगो ...मुझे याद है जब मम्मी अपने एनजीओ के कारण बाहर चली जाती थी तो आप मुझे कितने प्यार से नहलाते थे , इसलिए मेरे रूम में आपको आने के लिए कभी नॉक ना करना पड़े इस बात का ध्यान रखना.


में--ओके स्वीटी में आगे से ऐसा नही करूँगा , अब तू कितनी देर में बाहर निकलेगी.


नीरा--भैया में तो रेडी हूँ चलो चलते है बाहर.

उसके बाद वो मेरे सामने से होती हुई बाहर निकलने लगी ऑर में उसके पीछे.

तभी मेने देखा नीरा के ड्रेस के पीछे वाले हुक नही लगे हुए थे पिछे से उसकी पिंक कलर की ब्रा नज़र आ रही थी.

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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मैने उसको आवाज़ लगाई.

में--नीरा रुक ड्रवाजा बंद कर के इधर आ.

नीरा--क्या हुआ भैया आप इतने परेशान क्यो दिख रहे हो.


में--नीरा वो तेरी ड्रेस पिछे से......


नीरा--क्या हुआ भैया मेरी ड्रेस को क्या हुआ ये अच्छी नही लग रही.

में नीरा को ये बताते हुए झिझक रहा था कि उसकी पूरी पीठ दिख रही है.

नीरा--अब कुछ बोलो भी या ऐसी ही खड़े रहोगे ये ड्रेस अगर अच्छी नही लग रही तो अभी इसको चेंज कर लेती हूँ.


में--घबराते हुए .....नीरा ये ड्रेस तुझ पर बहुत अच्छी लग रही है पर...


नीरा--क्या पर पर लगा रखा है सॉफ सॉफ बोलो क्या बात है....अगर नही बोलना तो में बाहर जा रही हूँ.


में उसके कंधे पर हाथ रखता हूँ ऑर ड्रेसिंग टॅबेल की तरफ ले जाता हूँ उसका चेहरा मेरी तरफ था ऑर पीठ मिरर की तरफ़ .


में--अब यहाँ से मूड कर देख में क्या बोलना चाहता हूँ.

नीरा मूड कर देखती है ऑर बोलती है.


नीरा--ओहूओ भैया आप भी ना... सीधे सीधे नही कह सकते थे कि तेरी ड्रेस के हुक खुले हुए है.

में--में कहना तो चाहता था लेकिन कह नही पा रहा था.

नीरा--चलो अब अपना मूह बंद करो मेरी ड्रेस के हुक लगा दो , में रूही दीदी का ही वेट कर रही थी क्योकि ये हुक मुझ से नही लग रहे थे अब आप इनको लगा दो.


में--पर में कैसे....


नीरा---ज़्यादा होशियार बनने की ज़रूरत नही है चलो जल्दी लगाओ फिर बाहर भी जाना है.

ऑर ये कह कर मेरी तरफ अपनो पीठ कर के खड़ी हो गयी ऑर मिरर में से मुझे देखने लगी.


में घबराते घबराते उसके हुक लगाने लगा...मेरा ध्यान बार बार उसकी ब्रा पर चला जाता जिसका भी बस 1 ही हुक लगा हुआ था...

में--नीरा ये तेरे अंदर....भी हुक ढंग से नही लगा हुआ.


नीरा--भैया आप लगा दो जहाँ भी नही लगा हुआ.

मैने हिम्मत करके नीरा की ब्रा पकड़ ली उसकी ब्रा पकड़ते वक़्त मेरे हाथ काँप रहे थे.

अचानक मेरा हाथ उसकी नंगी पीठ से टच हो गया ...मुझे ऐसा झटका लगा जैसे कोई बिजली के नंगे तार को छु लिया हो.

नीरा--भैया जल्दी करो ना क्या कर रहे हो आप.


में--रुक में कर रहा हूँ.

किसी तरह मेने हिम्मत करके उसकी ब्रा के हुक लगा दिए ऑर ड्रेस के भी हुक लगाने के बाद मैने चैन की साँस ली....

हम दोनो बाहर हॉल में आ गये वहाँ हमे रूही भी मिल गयी.

रूही--कहाँ रह गये थे तुम दोनो?? बाहर सारे मेहमान आ चुके है अब जल्दी बाहर चलो.

फिर हम बाहर गार्डन में आ गये वहाँ काफ़ी सजावट की हुई थी सभी पेड़ो पर रंग बिरंगी लाइट जल रही थी एक तरफ खाने की टॅबेल लगी हुई थी ऑर गार्डन के बीच में एक टॅबेल ऑर पड़ी थी जिस पर एक बड़ा सारा केक रखा हुआ था.

वहाँ आए सभी मेहमान एक एक कर के नीरा को बर्त डे विश करने लगे .

फिर नीरा को पापा ने बुलाया..,


पापा--नीरा बेटा इधर आओ हम लोग कब से तुम्हारा इंतजार कर रहे थे...अब जल्दी से केक काटो ऑर पार्टी को शुरू करो.

नीरा--जी पापा.

उसके बाद नीरा वो केक काटती है, ऑर सभी मेहमान तालियाँ बजाने लगते है ...फिर वो सबको अपने हाथो से केक खिलाती है

फिर वहाँ आए लोग नीरा को एक एक करके अपने साथ में लाए गिफ्ट्स देने लगते है. लेकिन नीरा को जिस चीज़ का सब से ज़्यादा इंतजार था वो था मेरा गिफ्ट,पापा ने उसको एक बेशक़ीमती डाइमंड्स का नेकलेस दिया जिसे नीरा ने वही पहन लिया फिर सभी परिवार वालो ने कुछ ना कुछ गिफ्ट्स नीरा को दिए.

लेकिन उसके चेहरे पर उदासी सॉफ दिखाई दे रही थी क्योकि अभी तक मैने जो उसे गिफ्ट नही दिया था

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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फिर वहाँ आए लोग नीरा को एक एक करके अपने साथ में लाए गिफ्ट्स देने लगते है. लेकिन नीरा को जिस चीज़ का सब से ज़्यादा इंतजार था वो था मेरा गिफ्ट,पापा ने उसको एक बेशक़ीमती डाइमंड्स का नेकलेस दिया जिसे नीरा ने वही पहन लिया फिर सभी परिवार वालो ने कुछ ना कुछ गिफ्ट्स नीरा को दिए.

लेकिन उसके चेहरे पर उदासी सॉफ दिखाई दे रही थी क्योकि अभी तक मैने जो उसे गिफ्ट नही दिया था.


नीरा रूही से...


नीरा--दीदी भैया कहाँ चले गये उन्होने तो अभी तक केक भी नही खाया.


रूही--मुस्कुराते हुए...होगा यहीं कहीं पार्टी में ही मेहमानो के साथ लेकिन तू उसकी चिंता क्यो कर रही है.थोड़ी देर में आज़ाएगा तो उसे भी केक खिला देना .


नीरा--ओहूओ दीदी आप तो कुछ समझती नही हो , भैया ने अभी तक मेरा बर्त डे गिफ्ट नही दिया है.


रूही--अच्छाअ...तभी में सोचु तू इतनी परेशान क्यो हो रही है, जब तक तुझे उसका गिफ्ट नही मिलेगा तब तक तुझे तेरा बर्त डे कंप्लीट नही लगता.


नीरा--हाँ दीदी आप सही कह रही हो , लेकिन भाई गया कहाँ.

में--क्या हुआ मेरी गुड़िया इतनी उदास क्यो लग रही है.


नीरा--आप कहाँ चले गये थे , पहले आप ये केक खाओ.

लेकिन में उसके हाथ से केक लेकर उसके मूह में डाल देता हूँ. ऑर फिर बचा हुआ टुकड़ा खुद खा जाता हूँ.



नीरा--चलो अब मेरा गिफ्ट निकालो कहाँ है.


में--अरे यार तेरा गिफ्ट तो में भूल गया, मुझे माफ़ कर दे मेरी बहन.


नीरा--गुस्से से... सुबह से में आप से कह रही हूँ गिफ्ट के लिए ऑर आप मेरा गिफ्ट भूल गये .

ऑर उसके बाद नीरा वहाँ से अपने रूम की तरफ़ भागने लगती है.


में--अरे नीरा रुक कहाँ भाग रही है.


नीरा--मुझे आप से बात नही करनी भैया, मुझे समझ जाना चाहिए था कि आप मुझ से बिल्कुल भी प्यार नही करते.

ऑर अपने रूम का दरवाजा खोल कर अंदर जा कर दरवाजा लॉक कर लेती है.


में--नीरा दरवाजा खोल ,दरवाजा क्यो बंद कर लिया.


नीरा--मुझे आप से कोई बात नही करनी भैया... मेरे बर्त डे वाले दिन ही आपने मेरा दिल तोड़ दिया.


में-- लेकिन तेरा गिफ्ट तो लेले.


नीरा--नही चाहिए आपका कोई भी गिफ्ट.


में--अच्छा एक काम कर सामने वाली दीवार को देख.


नीरा--मुझे कुछ नही देखना आप जाओ यहाँ से.


में--अच्छा बस एक बार सामने दीवार पर देख तेरा गिफ्ट वहीं पर है.


थोड़ी देर बाद दरवाजा खुलने की आवाज़ आती है ऑर में रूम के अंदर चला जाता हूँ मेरे रूम के अंदर घुसते ही नीरा मुझे बाहो में भर लेती है ऑर मेरे चेहरे को बेतहाशा चूमने लग जाती है.


नीरा--भैया आपका ये गिफ्ट अब तक का सब से बेस्ट गिफ्ट है.

ओर फिर उसकी आँखो में आँसू आजाते है .

में उसके आँसू पोंछते हुए कहता हूँ.


में--नीरा तू मेरी जान है, ऑर मेरी जान की आँखो में आँसू अच्छे नही लगते है.


नीरा--भैया में आपको अपनी जान से भी ज़्यादा प्यार करती हूँ ....मुझे कभी छोड़ के मत जाना हमेशा मेरे पास रहना बोलो रहोगे ना पास ....खाओ मेरी कसम.



में---तेरी कसम नीरा में हमेशा तुझे अपने दिल के पास रखूँगा , जब कभी तेरी आँखो से आँसू निकलेंगे तो ये मान लेना तेरा भाई भी उस वक़्त खून के आँसू रो रहा होगा.

तेरी कसम ....में पूरी दुनिया से अकेला तेरे लिए लड़ जाउन्गा . तुझ पर उठी हर बुरी नज़र तुझ पर पड़ने से पहले उसका सामना मुझ से होगा..तेरी कसम मेरी बहना तेरी कसम....,


वहाँ रूही कब से खड़ी हम लोग की बाते सुन रही थी फिर अचानक वो बोलती है.


रूही--नीरा तू कितनी ख़ुसनसीब है जो तुझे इतना प्यार करने वाला भाई मिला.


में--दीदी क्या में आपका भाई नही हूँ क्या??

ऑर में अपनी बाहे फैला लेता हूँ मेरी दोनो बहने मेरी बाहों में समा चुकी थी,हम तीनो की आँखो में आँसू थे लेकिन वो बस खुशी के आँसू थे उन में दुख ओर दर्द की ज़रा सी भी मिलावट नही थी.....

तभी रूही ने नीरा से पूछा..


रूही--नीरा तेरा गिफ्ट तो दिखा ऐसा क्या दिया है भाई ने तुझे.

नीरा दीवार की तरफ़ देखने का इशारा करती है रूही को.


वहाँ एक बड़ा सा वॉलपेपर लगा हुआ था जिसमें बीचो बीच जय ऑर नीरा की एक बड़ी सी फोटो थी मस्ती करते हुए बाकी कुछ फोटो उन दोनो के बचपन की थी..

रूही--वास्तव में ऐसा प्यार भरा गिफ्ट तुझे आज तक किसी ने नही दिया होगा ...ऑर सब से बड़ी बात में भी इन तस्वीरों में शामिल हूँ.


में--हम लोगो का बचपन साथ में बीता है दीदी जितना में नीरा को प्यार करता हूँ उस से कही ज़्यादा आप मुझ से प्यार करती है.


नीरा--ऑर में तुम दोनो को ...

नीरा की ये बात सुनकर हम दोनो हँसने लगे.

रूही अब चलो तुम दोनो खाना खा लो फिर तुम्हे कल कॉलेज भी जाना है ऑर नीरा को स्कूल.

उसके बाद हम बाहर आकर खाना खाने लग जाते है.

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satya21
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by satya21 »

(#%j&((7) (^^^-1$s7) दोस्त बहुत अच्छी कहानी है ।
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