Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post Reply
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

#136
कॅंप मे...




हम सभी अपना खाना पीना कर के अपने अपने कॅंप मे लेटे हुए थे....तभी अचानक भाभी मेरे कॅंप मे आ गई....



भाभी--जय रूही काफ़ी देर से सोने नही आई तो मुझे लगा वो तुम्हारे साथ है......




में--नही भाभी वो तो यहाँ आई ही नही.....कब से गायब है वो....और क्या किसी को पता नही कि कहाँ गयी है वो....




भाभी--जय मुझे डर लग रहा है तुम देखो कहाँ गयी है वो.....ऐसे बिना बताए इस जंगल मे जाने कहाँ घूम रही है वो....




में--आप चिंता मत करो मैं अभी देख कर आता हूँ कहाँ गयी है वो....


उसके बाद में तुरंत उठ कर कॅंप से बाहर निकल जाता हूँ.....बाहर ही नीरा भी मुझे मेरे कॅंप की तरफ धीरे धीरे लंगड़ा कर चलती हुई नज़र आ जाती है....




नीरा--क्या हुआ इस समय कहाँ जा रहे हो....




तभी कॅंप के अंदर से भाभी भी बाहर आजाती है....




भाभी--नीरा इसे मैं रूही को ढूँढने बाहर भेज रही हूँ....पता नही रूही कहाँ चली गयी है......




नीरा--में भी चलूंगी आपके साथ....ऐसे जंगल मे अकेले कहाँ कहाँ जाएँगे आप....



में--तुझे मैने आराम करने के लिए कहा है तू वो कर....रूही को मैं ढूँढ कर ले आउन्गा....



नीरा--आप मुझे ना सही भाभी को अपने साथ ले जाओ .....


भाभी--हाँ जय में चल रही हूँ तेरे साथ....नीरा हम वापस आए तब तक तू जय के कॅंप मे ही हमारा इंतजार कर.....



उसके बाद हम दोनो निकल गये नदी की तरफ.....


हम लोगो को ज़्यादा दूर नही जाना पड़ा सामने से रूही तेज कदमो से चलती हुई हमारी ही तरफ आरहि थी....




में--रूही इतनी रात को जंगल मे कहाँ घूम रही है तू....




रूही हम दोनो को वहाँ पाकर थोड़ा सा घबरा गयी और कहने लगी....




रूही--यहाँ हम लोग घूमने आए है या सोने....मुझे नींद नही आ रही थी तो मैं बाहर निकल गयी थी....



भाभी--लेकिन कम से कम बता के तो जाना चाहिए ना.....तेरे इस तरह गायब होने से हम कितना परेशान हो गये तुझे आइडिया भी है....




रूही--सॉरी भाभी....मैं किसी को परेशान नही करना चाहती थी....इसीलिए अकेले निकल गयी....


में रूही का अब बचाव करने लग गया था...



में--चल अब अगर घूमना हो गया हो तो वापस कॅंप चले....अभी तो कॅंप के बाहर नीरा भी हमे मिलने वाली है....उसको भी जवाब देना पड़ेगा....




उसके बाद हम वापस कॅंप की तरफ वापस आगये....कॅंप के अंदर नीरा सो चुकी थी.....नीरा को सोता देख भाभी ने मुझ से कहा..



भाभी--जय तू नीरा को अपने साथ ही सुला ले....मैं रूही को अपने कॅंप मे ले जा रही हूँ....



में--ठीक है भाभी अब आप लोगो को भी आराम करना चाहिए....गुड नाइट .



उसके बाद मैं अपने बिस्तर पर लेट जाता हूँ और मेरा ऐसा करते ही नीरा मुझे अपनी बाहो में भर लेती है...

में--तू जाग रही थी...??ओह्ह्ह अब समझा तुझे यहाँ सोने का बहाना चाहिए था....


नीरा--जान क्या करूँ आपके बिना एक पल भी काटना मुश्किल हो जाता है....और पूरी रात गुज़रना आपके बगेर नामुमकिन लगता है....



उसकी ये बात सुन कर मैं नीरा के होंठो पर अपने होंठ रख देता हूँ....और कुछ ही देर बाद कॅंप के अंदर हमारे जिस्मो के बीच जैसे एक जंग छिड़ जाती है एक दूसरे मे समाने की.....और जब ये जंग ख़तम होती है एक दूसरे को प्यार से सहलाते सहलाते सो चुके थे....जिस्म तो अलग ही थे लेकिन आत्मा हमेशा के लिए एक हो चुकी थी हमारी....
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

अगले दिन सवेरे सवेरे....



नीरा बड़े प्यार से मुझे उठा रही थी....और मैं अभी तक उसकी बाहों में बेसूध पड़ा सो रहा था....



नीरा--जान उठ जाओ कोई आपको इस हालत में देखेगा तो क्या सोचेगा....प्लीज़ अब जल्दी से उठकर कपड़े पहनो....मैं बाहर जा रही हूँ.....



में--क्या हुआ जान क्यो शौर मचा रही है सुबह सुबह....सोने दे ना.



नीरा--पहले कपड़े पहन लो फिर सो जाओ वापस....



में--ठीक है...पहनता हूँ लेकिन उसके बाद मुझे एक घंटे तक कोई मत छेड़ना....



नीरा--नही छेड़ेगा कोई भी....क्योकि आपका ये डंडा आपको ज़्यादा देर सोने नही देगा....अब मैं जा रही हूँ बाहर....याद आजाए तो जल्दी आ जाना...



उसके बाद नीरा बाहर चली गयी और सुबह की ठंडक की वजह से चादर के अंदर मेरे लिंग ने तंबू बना रखा था....मैने उसे ज़ोर के मसल कर अपने कपड़े पहन लिए और एक पिल्लो अपनी दोनो टाँगो के बीच मे रख कर फिर से सो गया....



बाहर सभी लोग चाय की चुस्कियो के साथ सुबह की ताज़गी का मज़ा ले रहे थे....



मम्मी--वाह सुबह सुबह ऐसे प्रकृति के बीच खुद को पाकर दिलो दिमाग़ सुकून से भर जाते है...



भाभी--सही कहा मम्मी....जंगल की ताज़ी हवा सुबह सुबह पक्षियों की चाहचाहट सारी थकावट मिटा देती है....




कोमल--आज कहाँ चलेंगे हम....कल वैसे नदी पर खूब मस्ती करी सभी लोगो ने...



मम्मी--ये तो जय ही बताएगा कि कहाँ चलना है....वो अभी तक उठा नही क्या....



नीरा--मैने उठा दिया है मम्मी....वो बस थोड़ी ही देर मे आजाएँगे....



शमा--वैसे और क्या क्या देखने लायक जगह है इस जंगल मे....



मम्मी--नीरा तू जय के पास से वो मॅप लेकर आ....हम भी कुछ नया ढूँढने की कोशिश करते हैं उस मॅप मे....शायद आज कोई जगह हमे मिल जाए....



नीरा--रूही दीदी आप ऐसे चुप चाप क्यो खड़ी हो....वैसे कल रात को अकेले अकेले कहाँ घूमने चली गयी थी....



रूही--अच्छा वो....रात को खाना ज़्यादा हो गया था तो सोचा थोड़ी वॉक कर लूँ....बस इसीलिए निकल गयी थी....



मम्मी--रूही बेटा...ऐसे जंगल मे अकेले नही जाना चाहिए तुझे....पता नही कब कौनसी मुसीबत आजाए....



नीरा तब तक जाकर कॅंप मे से वो मॅप ले आई थी जंगल का....
मम्मी--रूही बेटा...ऐसे जंगल मे अकेले नही जाना चाहिए तुझे....पता नही कब कौनसी मुसीबत आजाए....



नीरा तब तक जाकर कॅंप मे से वो मॅप ले आई थी जंगल का....



उस मॅप को वही टॅबेल पर फैला दिया था उन सभी ने....



मम्मी--ये जंगल तो काफ़ी बड़ा लगता है....इस मॅप के अंदर अभी हम इस पॉइंट पर हैं....कल हम नदी की तरफ गये थे जो की इस तरफ है....इस मॅप मे एक वॉटरफॉल भी है जो यहाँ से लगभग नदी जितना ही दूर है....



शमा--मम्मी ये वॉटरफॉल के कुछ दूर उपर की तरफ सफेद सफेद बिल्डिंग जेसी चीज़ क्या बनी हुई है....




भाभी--ये शायद कोई. शिकार गाह है पुराने समय की जब राजा महराजा शिकार खेलने यहाँ आते थे तब शायद वो सब यही रुका करते होंगे....


दीक्षा--बड़ी मम्मी लेकिन आज हम सभी वॉटरफॉल पर ही चलेंगे....मैने कभी नही देखा अपनी आँखो के सामने इतना पानी गिरते हुए....




तभी मैं भी एक अंगड़ाई लेकर अपने कॅंप से बाहर आजाता हूँ....नीरा मेरे लिए एक मग मे कॉफी भर के मुझे दे देती है....




में--क्या बाते हो रही है मम्मी...



मम्मी--हम सब मॅप देख रहे थे किसी अच्छी जगह जाने के लिए....हमारी तो कुछ समझ मे आया नही तू ही बता कहाँ चलना है आज....




में--मैने आज राक क्लाइंबिंग करने का सोचा है....बोलो कौन कौन चलेगा....



भाभी के अलावा बस नीरा ने ही अपना हाथ उपर कर दिया लेकिन बाकी सब के चेहरे लटक गये....



में--क्या हुआ....मुँह क्यो लटक गये आप सभी के....



मम्मी--हमे नही करनी कोई राक क्लाइंबिंग वलिंबींग....हम सब झरने पर जाएँगे....तुम तीनो को अगर वहाँ जाना हो तो चले जाओ....




में--ये नीरा तो ढंग से चल भी नही पा रही अभी ये हमारे साथ क्या करेगी....



नीरा--मैं भी पहाड़ चढ़ूंगी इस में करना क्या है.....



में--पहाड़ ना तो तू चढ़ेगी और ना ही हमे चढ़ने देगी....इस लिए तू भी आज झरने के पानी से ही मस्ती मार....हम वापस आएँगे तब तुम सब को जाय्न कर लेंगे....




मम्मी--फिर ठीक है....हम सब वॉटरफॉल पर जा रहे है....और तुम दोनो वहाँ पत्थरो से अपना सिर फोड़ो
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

उसके बाद हम सभी खाने पीने मे जुट जाते है....और खाने पीने के बाद मैं भाभी को कुछ ज़रूरी सामान साथ ले चलने के लिए कह देता हूँ...जैसे पानी फर्स्ट एड कुछ बिस्किट्स स्नकस एट्सेटरा.....



हम सभी एक ही दिशा मे आगे बढ़ने लग जाते है मस्ती करते हुए.....काफ़ी आगे चलने के बाद एक दौराहा आजाता है जिसका एक रास्ता झरने की तरफ जा रहा था और दूसरा रास्ता पहाड़ की तरफ....



हम सभी एक दूसरे से विदा लेते है लेकिन नीरा का मन मेरे साथ ही जाने का था लेकिन उसे मैं इशारा करके मना कर देता हूँ और हम बढ़ जाते है पहाड़ चढ़ने के लिए.....

में भाभी के साथ उस चट्टान तक पहुँच गया था....वो ज़्यादा बड़ी नही थी और ना ही ज़्यादा ख्टरनाक थी लेकिन राक क्लाइंबिंग के बारे मे सोचना ही अपने आप मे एक अड्वेंचर से कम नही है....




भाभी ने एक शॉर्ट्स फ्रोक पहना था जो काफ़ी ढीला था और मैने अपनी टी शर्ट उतार कर अपने बॅग मे डाल दी....



भाभी--इस पर चढ़ना तो काफ़ी आसान है जय....इसके लिए तो किसी रोप की भी ज़रूरत नही है....अग्र नीचे भी गीरेंगे तो ज़्यादा चोट नही लगेगी....




में--सही कहा आपने भाभी.... लेकिन बिना ट्रनिंग के ऐसी चट्टान पर चढ़ना भी मुश्किल होता है....चलो ट्राइ करते है....



उसके बाद हम दोनो उपेर चढ़ने लगे....भाभी मेरे उपर की तरफ थी और अचानक एक छोटा सा पत्थर मेरे कंधे पर आकर लगा तो मेरा ध्यान उपर की तरफ हुआ.....



भाभी की पैंटी दिखाई दे रही थी....उनकी मोटी मोटी जांघे जैसे दूध से धूलि हो....बिल्कुल चिकनी....



तभी भाभी ने नीचे देखते हुए कहा.....




भाभी--जय सुधर जा.....अपना ध्यान चढ़ने मे लगा इधर उधर नज़रें मत घुमा....




में उनकी बात सुनकर सकपका गया और अपना ध्यान फिर से चट्टान चढ़ने मे लगाने लगा....हम लोग काफ़ी उपर तक पहुँच गये थे....लेकिन आगे. बढ़ने का कोई रास्ता दिखाई नही दे रहा था....




भाभी--जय अब यहाँ से उपर कैसे जाए....मेरा तो हाथ नही पहुँचेगा वहाँ तक....तेरा पहुँच सकता है लेकिन क्या पता वो जगह हम दोनो का बोझ एक साथ उठा भी सकेगी या नही....




में--भाभी आप एक काम करो मेरे कंधे पर बैठ जाओ में आपको उसके बाद धीरे धीरे उपेर की तरफ पुल कर दूँगा....इस से आपके हाथ म वो चट्टान भी आज़एगी जो आप से दूर है....



भाभी--बात तो तेरी ठीक है....चल ऐसा करके देखते है....वरना मुझे यहाँ से नीचे ही उतरना पड़ेगा....




में--लेकिन मेरी एक शर्त है....जब तक आप उपर ना चढ़ जाओ मुझ से कुछ नही कहोगी....क्योकि आप छोटी छोटी बातो का भी ग़लत मतलब निकाल कर डाटने लग जाती हो....




भाभी--ओके बाबा नही डान्टुन्गी....अब जल्दी उपर आ ताकि मैं चढ़ सकूँ....






#140
उसके बाद भाभी मेरे कंधे पर सवार हो गयी....



भाभी--अब मुझे थोड़ा सा उपर की तरफ पुश कर ताकि वो जगह मैं पकड़ सकूँ....



में--भाभी पुश करने के लिए मुझे आपकी बॅक पे हाथ लगाना होगा....



भाभी--ऊओहूओ जय बी प्रोफेशनल ऐसी जगह फँसने के बाद ये नही देखते कि हाथ लगाए या नही....अब जो करना है जल्दी कर.....



उसके बाद में अपना एक हाथ भाभी के हिप्स पर रख के उन्हे उपर करने लगता हूँ....मेरा हाथ सीधा उनकी पैंटी पर पहुँच गया था....मेरे हाथ का अंगूठा भाभी की चूत की दरार मे फस गया और मेरी चारो उंगलिया उनकी गान्ड की दरार मे...



मेरा हाथ लगते ही भाभी के मुँह से एक सिसकी निकल गयी....



मैने उन्हे उस जगह तक पुल कर दिया लेकिन उनकी चूत से हाथ हटते समय अंजाने मे ही उनकी चूत को रगड़ भी दिया था मैने.....



भाभी अब उपर पहुँच गई थी और मैं भी थोड़ी सी कोशिश करने के बाद उपर पहुँच गया.....उपर भी हरा भरा जंगल फैला हुआ था हर जगह.....लेकिन मुझे भाभी कही दिखाई नही दे रही थी.....अचानक एक पेड़ के पीछे छुपि हुई भाभी निकल कर बाहर आ गई और मेरे होंठो पर टूट पड़ी जैसे जनम जन्म की प्यासी हो.....

और अचानक ही मुझ से अलग होकर दूर खड़ी होगयि....उन्होने अपनी फ्रोक उतार कर वही पास मे पटक दी...


भाभी की आँखे जैसे एक मदहोशी मे डूबी हुई थी....वो मुझे अपने पास आने का इशारा करने लगी.....



में उनके हुस्न से सम्मोहित सा उनकी तरफ बढ़ने लगता हूँ.....लेकिन वो मेरी तरफ ना बढ़ कर और पीछे की तरफ सरकने लग जाती है....एक कदम मे आगे बढ़ाता तो वो भी एक कदम पीछे बढ़ा देती.....



उन्होने अपनी ब्रा और पैंटी भी मेरी आँखो के सामने ही उतार दी....में जैसे ही उनकी तरफ़ तेज़ी से बढ़ा वो हड़बड़ा कर पीछे पानी से भरे एक गड्ढे मे गिर गयी




भाभी पानी और जंगली घास से सन चुकी थी मैने आगे बढ़ कर उनके बदन से वो घास हटाई और उन्हे अपनी बाहों मे भर लिया....




भाभी--तुम्हे पता है जय....जिस दिन से तुम्हारे भैया मुझे छोड़ के गये है किस तरह खुद को कंट्रोल किया है मैने ये बता भी नही सकती तुम्हे....जीना दूभर हो गया था मेरा....लेकिन जब आज तुमने मुझे पुल किया तो वो सोए हुए तार फिर से बजने लगे....मैं खुद को बेशर्म होने से नही रोक पाई....




में--भाभी मैं समझ सकता हूँ आपका दर्द....में अपने परिवार की खुशी के लिए कुछ भी करूँगा....



भाभी--पहले मुझ से एक वादा करो....कि आज के बाद मुझे तुम सिर्फ़ नेहा कह के बुलाओगे....और मुझ से शादी भी करोगे....



में--नेहा शादी का फ़ैसला घर वालो पर छोड़ दो वैसे भी सभी चाहते है कि हमारी शादी हो जाए....



नेहा--तुम अपनी उमर से 6 साल बड़ी औरत से शादी कर के खुश रह पाओगे....



मेनी--नेहा मेरी खुशी हमारे परिवार की खुशी से जुड़ी है....अगर मेरा परिवार खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूँगा


में--नेहा शादी का फ़ैसला घर वालो पर छोड़ दो वैसे भी सभी चाहते है कि हमारी शादी हो जाए....



नेहा--तुम अपनी उमर से 6 साल बड़ी औरत से शादी कर के खुश रह पाओगे....



मेनी--नेहा मेरी खुशी हमारे परिवार की खुशी से जुड़ी है....अगर मेरा परिवार खुश रहेगा तो मैं भी खुश रहूँगा.....




इतना सुनकर नेहा ने मेरे होंठो को फिर से अपने काबू मे कर लिया हम दोनो के जिस्म एक दूसरे से पूरी तरह से गुथे हुए थे.....हम ऐसे ही एक दूसरे को प्यार करते करते उस पहाड़ी की तरफ पहुँच गये थे....



मैने नेहा को पलट कर पूरी ताक़त के साथ. उसकी चूत मे झटके लगाने लगा..



नेहा--ओह्ह्ह्ह जयईईइ और ज़ोर से.....और्र्रर जोर्र्र सीई....आआहह मर् गाइिईईई....



नेहा की चीखे पूरे जंगल मे फैलने लगी और मेरी घटती बढ़ड़ी साँसे इशारा कर रही थी मेरे लंड से लावा बाहर आने का....



मैने अपनी स्पीड और बढ़ा दी और भाभी की आवाज़ भी लगातार बढ़ती ही जा रही थी....और फिर वो हुआ जो हर जोड़ा चाहता है....मेरा लंड लगातार नेहा की चूत भरता जा रहा था और नेहा भी दूसरी बार झड गयी अपना शरीर आकड़ाते हुए....



हम दोनो ज़मीन पर नंगे पड़े एक दूसरे की बाहो मे अपनी सांसो पर काबू पाने मे लगे हुए थे....



उधर वॉटरफॉल पर....



वहाँ का नज़ारा तो जैसे जन्नत का नज़ारा हो गया था....


वहाँ सभी बस ब्रा और पैंटी मे ही मस्तिया मार रहे थे बस एक नीरा ही उनके साथ नही थी वो बस एक जगह बैठी बैठी मेरे ख्यालो मे ही खोई हुई थी....तभी अचानक किसी ने एक पत्थर से नीरा के सिर पर वार कर दिया.....नीरा बस हल्की से घुटि घुटि चीख के साथ बेहोश हो गयी.....बेहोश होने से पहले बस वो दो नक़ाब पोशो को अपने परिवार की तरफ बढ़ते हुए देख पाई....
User avatar
mastram
Expert Member
Posts: 3664
Joined: 01 Mar 2016 09:00

Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

एक साल और 4 दिन बाद...



हमने उदयपुर छोड़ दिया था...और दूर किसी जगह एक छोटा सा आइलॅंड खरीद लिया था..

सवेरे सवेरे....



में अपनी आराम कुर्सी पर बैठा बैठा अपने लॅपटॉप मे कुछ देख रहा था...तभी नीरा मेरे पास आजाती है....


वो धीरे से मेरे कंधे पर अपना एक हाथ रख कर अपने साथ लाया एक खाली ग्लास मेरे सामने टॅबेल पर रख देती है....



नीरा--जान दूध पीने का समय हो गया है....



में उसे अपनी बाहों मे भर के उसके होंठ चूसने लगा और फिर उस से कहा....



में--खाली ग्लास को भरो गी तो दूध पियुंगा ना....



उसके बाद नीरा अपना टॉप निकाल कर केवल ब्रा मे आ जाती है और अपना लेफ्ट साइड का बोबा बाहर निकाल कर उस ग्लास मे अपना बोबा दबा के दूध भरने लग जाती है.....



ग्लास मे दूध अभी अभी ग्लास के तल तक ही था....



में--बस आज इतना ही दूध मिलेगा क्या....



नीरा--अभी और दूध आ रहा है....आपको भला भूका कैसे रहने देंगे हम....




तभी नेहा भी दीक्षा के साथ वहाँ पहुँच जाती है....



नेहा--क्या हुआ....मुँह क्यो लटका रखा है....



दीक्षा--बच्चे को दूध नही मिला है आज....इसीलिए मुँह लटका कर बैठे है....




नेहा--ये तो बड़ी बुरी बात है.....नीरा ला वो ग्लास मुझे दे....



उसके बाद नेहा भी अपना एक बोबा निकाल कर ग्लास मे दूध भरने लग जाती है....लेकिन ग्लास अभी तक आधा भी नही भरा था.....नेहा के हाथ से ग्लास लेकर अब दीक्षा भी उसमे अपना दूध भर देती है....



में--आज क्या मुझे आधे ग्लास से ही काम चलाना होगा....



नीरा--नही जान और दूध आ रहा है थोड़ा तो सबर करो....


उसके बाद वहाँ शमा कोमल और रूही भी आ जाते है....उन तीनो ने बस एक छोटा सा शॉर्ट्स ही पहन रखा था उनके दूध से भरे बूब्स चलते समय जबरदस्त तरीके से उछल रहे थे....



रूही--मेरे राजा को अभी तक भूका रख रखा है.....तुम सब किसी काम के नही हो....



उसके बाद रूही शमा और कोमल तीनो अपने बूब्स निचोड़ कर ग्लास मे दूध भरने लग जाती है....ग्लास पूरा भर चुका था....





#143
रूही--मेरे राजा को अभी तक भूका रख रखा है.....तुम सब किसी काम के नही हो....



उसके बाद रूही शमा और कोमल तीनो अपने बूब्स निचोड़ कर ग्लास मे दूध भरने लग जाती है....ग्लास पूरा भर चुका था....




में--बच्चो को पिलाया या नही....



शमा--इस दूध पर पहला हक आपका है....उसके बाद बच्चो का नंबर आएगा....



कोमल--रूही ये संध्या कहाँ रह गयी....


नीरा--आ जाएगी वो अभी उन सारे शैतानो से घिरी हुई है....सच नाक मे दम कर दिया है सब ने....



दीक्षा--हाँ नीरा सारी लड़किया बस तेरे लड़के के पीछे ही पड़ी रहती है....उसे कहीं ले जाओ तो सब एक साथ रोने लगती है....



तभी संध्या भी वहाँ आ गयी....तुम लोगो ने इसे क्यो घेर रखा है.....दूध नही पिलाया क्या जय को...



शमा--संध्या रानी हमने तो हमारे हिस्से का दूध पिला दिया अब आपकी बारी है..,.



संध्या--नेहा इतने बड़े बड़े बोबे लेकर घूमती है लेकिन जय की भूख शांत नही होती तुझ से.....




नेहा--क्या करूँ....इसके अलावा मुझे और भी बच्चो को दूध पिलाना होता है.....आप शमा को क्यो कुछ नही कहती हो....




में--अगर आप लोगो की बाते ख़तम हो गयी हो तो क्या मुझे और दूध मिलेगा....


मैं अपने हाथ मे खाली हो चुका ग्लास सब को दिखा देता हूँ....



संध्या--ऊओ मेरा छोटा बाबू अभी भी भूका है....हटा इस ग्लास को मैं तुझे वैसे ही अपना दूध पिला देती हूँ....



उसके बाद संध्या ने अपना ब्लाउस उपर किया और एक बोबा निकाल कर मेरे मुँह मे ठूंस दिया....में लगातार उनका दूध पिए जा रहा था और वहाँ सभी लोग मेरे जिस्म पर हाथ घुमाए जा रहे थे....

शमा के एक लड़की हुई थी....रूही के भी एक लड़की....कोमल और दीक्षा के भी एक एक लड़की...नेहा के एक....और संध्या के जुड़वा लड़कियाँ हुई थी....नीरा के एक लड़का हुआ था...सब कहते है वो बिल्कुल मेरे जैसा दिखता है...बाकी सारी लड़किया अपनी अपनी माँ पर गयी थी....


चाची के भी दो जुड़वा लड़के हुए थे लेकिन अब उनसे हमारा कोई कॉन्टेक्ट नही है....



दूध पीते पीते मैं एक बार आज से एक साल और चार दिन पीछे चला जाता हूँ....कभी सोचा नही था इतना प्यार मिलेगा कभी सोचा नही था रिश्ते कुछ इस तरह बदल जाएँगे....कभी सोचा नाही सिर्फ़ एक ही दिन म सब कुछ बदल जाएगा.....

में और नेहा एक दूसरे की बाहो मे लेटे लेटे सुकूनू की साँसे ले रहे थे....तभी किसी जंगली जानवर की दिल को चीर देने वाली रोने की आवाज़ ने मुझे बैचैन कर दिया....



मुझे किसी अनहोनी की चिंता ने घेर लिया था....हम दोनो ने तुरंत अपने अपने कपड़े पहने और चल पड़े वॉटरफॉल की तरफ.....



उस तरफ जाते वक़्त मुझे ऐसा लग रहा था जैसे कोई शक्ति मुझे अपनी तरफ खींच रही है.....हम दोनो तेज़ कदम बढ़ते हुए झरने तक पहुँच गये.....



वहाँ हर तरफ खामोशी फैली हुई थी....बस उस खामोशी को तोड़ती झरने की गिरने वाली आवाज़.... झरने की अविरल धारा ही मेरा ध्यान मेरे परिवार पर आई किसी मुसीबत का संदेश दे रही थी.....



मुझे वहीं नीरा भी मिल गयी उसके सिर से अभी भी खून बह रहा था.....उसे इस हालत मे देख कर मेरे पैरो की जैसे सारी ताक़त ख़तम हो गयी....मैं वही अपने घुटनो पर बैठ कर ज़ोर ज़ोर से रोने लगा.....



नेहा ने जल्दी से अपने बेग मे से फर्स्ट एड का बॉक्स निकाला और नीरा का घाव सॉफ करके उसका बहता खून रोक दिया....



कुछ पानी की छींटे माकर नीरा को नेहा होश मे ले आई
Post Reply