Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

Post by mastram »

मम्मी--अरे खाना साथ लाना तो हम भूल ही गये....जय तू कॉटेज से जाकर खाना ले आ जब तक हम सब यही है....



नीरा--में भी चल रही हूँ आपके साथ खाना लेने......



में--ठीक है नीरा चल....इन भुक्कडो के लिए खाना लेकर आते है...


मेरा उन को भुक्कड़ कहते ही सब मेरे उपेर पानी उछालने लगे....और मैं तेज़ी से नीरा का हाथ पकड़ के पानी से बाहर आ गया....नीरा और मैं गीले कपड़ो मे ही मस्ती करते हुए कॉटेज की तरफ बढ़ गये....



कॉटेज में पहुँचते ही में खाना सेट करने लगा जबकि नीरा मुझे देखे जा रही थी....

में खाना सेट कर चुका था....और नीरा से कहने लगा अब जल्दी चल मुझे भी भूक लग रही है....



नीरा--क्या में आपकी भूक मिटा सकती हूँ....



मैने पलट कर देखा तो देखता ही रह गया.....


नीरा बिल्कुल नंगी होकर बस मुझे ही देखे जा रही थी
एक सेकेंड नही लगा नीरा का ये रूप देख कर मेरे शॉर्ट्स मे तूफान आने मे...





में--जान क्या हुआ...आज मूड बदला बदला क्यो है....



नीरा--आपको तो बिल्कुल फिकर नही है मेरी....कितना तड़पति हूँ आपके बिना मैं....



में--तड़प्ता तो में भी हूँ नीरा....



नीरा--क्या में इतनी भी सुंदर नही हूँ कि आप मुझे बिना कपड़ो के देख कर भी इतना दूर खड़े हो....या मन भर गया है आपका मुझ से...



में धीरे धीरे उसके पास पहुँच कर उसे अपनी बाहो में भर लेता हूँ और बेतहाशा उसके होंठो का रस पीने लग जाता हूँ....



नीरा मुझ से छूट कर मेरे कपड़े उतारने लग जाती है और मुझे धक्का देकर बेड पर गिरा देती है

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मेरी जाँघो को चूमते चाटते वो मेरे लंड की तरफ बढ़ जाती है....नीरा मेरे लंड को किसी आइस्क्रीम की तरह चूसने लग जाती है..



में ज़्यादा देर तक सह नही पाता और उसे अपने उपर खीच के फिर से उसके होंठो पे अपने होंठ रख देता हूँ.....



मुझे मेरी जाँघो पर नीरा की चूत का रस बहता हुआ सा लगता है.....में नीरा को अपने नीचे लेता हूँ और उसे पूरा पलट कर उसकी चूत का रस पीने लग जाता हूँ...

नीरा इतनी ज़्यादा गरम हो रही थी कि मेरे होंठो को अपनी चूत पर महसूस करते ही बुरी तरह मेरे मुँह मे ही झड़ने लगी....



उसकी चूत को अच्छे से चाट लेने के बाद मैने उसे अपनी गोद मे बिठा दिया.....और उसके कंधे पर किस करते हुए उसके बोबे दबाने लगा...




थोड़ी देर बाद नीरा फिर से रेडी हो चुकी थी....और वो भी मेरा साथ देने लगी....



नीरा पलट कर मेरी गोद मे बैठ गयी और अपने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ कर गीली हो चुकी अपनी चूत की गहराईयो मे पहुचा दिया....वो लगातार मेरी गोद मे बैठी हुई अपनी चूत मेरे लंड पर रगड़ रही थी...


हम दोनो एक दूसरे की बाहो मे एक अलग ही दुनिया मे गोते लगा रहे थे....ना ही नीरा पीछे हट रही थी....और ना ही में.....



नीरा को मैने पलट कर अपने नीचे ले लिया और एक धक्के से पूरा लंड उसकी चूत मे उतार दिया....में लगातार उसकी चूत को अपने लंड से रगडे जा रहा था....



नीरा की चूत एक बार फिर से अपना रस छोड़ने लगी.....लेकिन मैने उसे चोदना बंद नही किया....



मैने उसे उल्टा लिटाया और नीरा की चूत मे बेरहमी के साथ धक्के देने लगा....नीरा की मदमस्त करती आवाज़ो से ट्री हाउस का वो कॉटेज....जैसे हमारे मिलन का गवाह बन बैठा था....बाहर से आ रही पक्षियों की कलरव ध्वनि भी थम सी गयी थी....वो भी शायड कॉटेज से आती नीरा की मदमस्त आवाज़ो मे खो से गये थे....




में लगातार नीरा को चोदे जा रहा था....उसके चेहरे पर सुकून के भाव एक बार मुझे फिर से सामने रखे आईने मे से दिख रहे थे....



उसे इस तरह से आनंद मे गोते लगता देख मैं भी खुद को ज़्यादा देर रोक नही पाया....और एक बाद एक कयि झटके खाता हुआ मेरा लंड अपने अंदर भरे लावे को नीरा की चूत मे भरने लगा....अपनी चूत मे मेरे लावे की गर्मी पाते ही नीरा फिर से झड़ने लगी....वो बुरी तरह से काँपती हुई मेरे साथ ही झड गयी....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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उसे इस तरह से आनंद मे गोते लगता देख मैं भी खुद को ज़्यादा देर रोक नही पाया....और एक बाद एक कयि झटके खाता हुआ मेरा लंड अपने अंदर भरे लावे को नीरा की चूत मे भरने लगा....अपनी चूत मे मेरे लावे की गर्मी पाते ही नीरा फिर से झड़ने लगी....वो बुरी तरह से काँपती हुई मेरे साथ ही झड गयी....




हम दोनो बेड पर लेटे लेटे आराम कर रहे थे....



में--नीरा दर्द तो नही हो रहा है ना जान...




नीरा--नही जान दर्द तो आपसे दूर होकर होता है....आपके छुते ही सारा दर्द ख़तम हो गया है....



में--तो एक बार फिर से हो जाए....



नीरा--जान वहाँ सब भूख से बहाल हो रहे होंगे....फिर आपको भी तो भूक लगी है ना....



में--मेरी भूख तो तूने मिटा दी नीरा....



नीरा--मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूँ....




में--बोलो नीरा...क्या बात है...



नीरा--अगर कभी आपको भाभी शादी करने के लिए कह दे खुद से तब आप क्या करोगे....




में--नीरा ये कैसा सवाल है....में मना कर दूँगा उनको....मैं तुझ से प्यार करता हूँ बस और कुछ नही चाहिए मुझे....




नीरा--लेकिन मैं ऐसा नही चाहती....मैं चाहती हूँ...इस परिवार का कोई भी सदस्य आपसे प्यार माँगे तो आप उसे कभी मना नही करोगे....अगर भाभी से शादी भी करनी पड़े तो कर लोगे....मैं अपना प्यार अपने परिवार के साथ तो बाँट ही सकती हूँ....



में--नीरा क्या हो गया है तुझे कैसी बहकी बहकी बाते कर रही है....



नीरा--आपको पता नही है जान रूही दीदी भी आपसे बेइंतहा प्यार करती है....शायद मुझ से भी ज़्यादा....



में--क्या बकवास कर रही है नीरा....अब जल्दी से कपड़े पहन और नीचे चल....




नीरा--पहले मेरी कसम खाओ अगर आपसे अपने परिवार में कोई प्यार माँगे तो उसे मना नही करोगे....



में--नीरा फिर वही बात....ये कसम वसम मुझे खिला कर फसाया मत कर....




नीरा--जान क्या मेरी खातिर आप एक कसम नही खा सकते.....



में--ठीक है...तेरी कसम....



नीरा--तेरी कसम....क्या...?




में--तेरी कसम....अगर मुझ से कोई प्यार माँगेगा तो में उसे मना नही करूँगा...तेरी कसम...अब खुश....



नीरा--बहुत खुश.....आइ लव यू जान






#133
में आपको खुद से बाँध कर रखना नही चाहती....बस ये चाहती हूँ...आप कभी भी मेरी वजह से ये ना समझे की आपने मेरे कारण अपने परिवार को वो प्यार नही दिया जिसके वो हक़दार थे....



में--अब चुप चाप कपड़े पहन....और चल नीचे....



उसके बाद हम दोनो ने अपने अपने कपड़े पहने और नीचे उतरने लगे......

में सीढ़ियो से नीचे उतरते वक़्त बस नीरा की दी हुई कसम मे ही उलझा हुआ था....ना चाहते हुए भी मेरा दिमाग़ इधर उधर दौड़ने लगा....


में सीढ़ियो से नीचे उतर गया था....मेरे बाद नीरा सीढ़ियो से उतरने लगी....अभी कुछ चार सीढ़िया ही नीचे उतरी थी कि अचानक नीरा के पैर के नीचे से सीढ़ी टूट गयी....



नीरा मुझे आवाज़ लगाती हुई तकरीबन 20 फीट उँचाई से नीचे गिरने लगी....उसे अपनी आँखो के सामने इस तरह गिरता देख मेरे हाथ पाव फूल गये थे.....किसी तरह खुद को उस डर से बाहर लाते हुए मैने नीरा को अपनी बाहो मे लपक लिया.....



में--नीरा.....नीरा...तू ठीक तो है ना जान.....



नीरा मेरी बाहो मे खुद की साँसे संभालती हुई बोली....



नीरा--में ठीक हूँ पर लगता है पैर में मोच आ गयी है....काफ़ी दर्द हो रहा है....सीढ़ी से गिरते वक़्त मेरा पैर कहीं फस गया था....शायद उसी वजह से ये मोच आ गयी है....



मैने उसे वही पेड़ के सहारे बैठा दिया और अपने बेग मे से पानी की बोतल निकाल कर उसे पिलाने लगा....



में--अगर तुझे कुछ हो जाता तो सारी ज़िंदगी में खुद को माफ़ नही कर पाता....




नीरा--अब परेशान होना बंद भी करो....मोच है बस हल्की सी कल तक ठीक हो जाएगी....




मैने उसे अपने सीने से लगा लिया उस पल की कल्पना करते ही जब वो मेरी आँखो के सामने इतनी उँचाई से मुझे पुकारती हुई गिर रही थी....



नीरा--अब ऐसे बैठे ही रहोगे या मुझे लेकर नदी पर चलोगे....इसी बहाने आपकी गोद मे सवारी करने का मोका भी मुझे मिल जाएगा....



में उसके गालो पर एक हल्की सी चपत लगाते हुए नीरा को अपनी पीठ पर लाद लेता हूँ...और एक हाथ से खाने का बेग पकड़ कर नदी की तरफ चल पड़ता हूँ.....



नीरा--अगर आज आप नही होते तो शायद मैं कभी उठ नही पाती उस जगह से....




में--तुझे संभालने के लिए मैं हूँ जान....अब तू इस बात को छोड़ दे....क्योकि ये बात करते ही मेरा मन घबराने लगता है....



नीरा--वैसे आपको तो मज़ा आरहा होगा ना मुझे उठाने मैं....बड़ा सॉफ्ट सॉफ्ट फील हो रहा होगा आपको आपकी पीठ पे....



में--चुप कर....यहाँ मेरी जान गले मे आ गई और तुझे अभी भी मज़ाक सूझ रहा है....



ऐसे ही बाते करते हुए हम नदी तक पहुँच गये....नीरा को इस तरह मेरी पीठ पर देख कर सभी लोग पानी से बाहर आगये....




मम्मी--क्या हुआ नीरा....तू जय की पीठ पर क्यो लटकी है....




में--कुछ नही मम्मी नीरा के पैर मे मोच आ गई है और आप लोगो तक खाना भी पहुँचाना था इसलिए में इसे अपनी पीठ पर लाद कर ले आया....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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मैने नीरा को एक चट्टान पर आराम से बैठा दिया सभी लोग नीरा के पैर को देखने मे लगे थे....



मम्मी--पर ये हुआ कैसे.....कैसे लगी नीरा के पैर मे...



नीरा--वो क्या मैं ट्री हाउस से नीचे उतर रही थी....अचानक वहाँ की सीढ़ी टूट गयी और उसी मे उलझ कर ये हाल हो गया है.....ये नीचे ही खड़े थे और इन्होने मुझे पकड़ लिया....




भाभी--देखा जय....मैने कहा था ना....तुम अभी उस सुहानी को बुलाओ और घर चलने की तैयारी करो....



नीरा--घर...??घर क्यो भाभी....हल्की सी मोच ही आई है भाभी....ज़्यादा नही लगी है....और इतनी सी चोट के पीछे सबकी छुट्टियाँ खराब में नही कर सकती....



मम्मी--जय तू सुहानी को बोलकर नीचे ही कॅंप लगवा दे.....नेहा ने सही कहा था कल रात को इतनी उँचाई पर कोई भी हादसा हो सकता है....




में--पहले कुछ खा पी लेते है उसके बाद वहाँ जाकर सुहानी को वाइयरलेस से मेसेज भेज दूँगा....



उसके बाद सभी मेरी बात मान कर पेट पूजा मे जुट जाते है.......




वापस ट्री हाउस पर पहुँचने के बाद में उपर चढ़ के सारा समान और वो वाइयरलेस नीचे ले आता हूँ....नीचे आने के बाद मैं सुहानी को वाइयरलेस कर के यहाँ की सारी स्थिति बता देता हूँ....सुहानी हमारे पास ही आरहि थी इसलिए उसे पहुँचने मे ज़्यादा वक़्त नही लगा....




सुहानी--जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं तहे दिल से माफी मांगती हूँ आप सब से.....ज़रूर कोई चूक हुई है वरना ऐसा कभी नही हुआ.....




भाभी--सुहानी जो हुआ उसको भूल जाओ हमारे लिए ज़मीन पर ही कुछ बंदोबस्त करवा दो.....वैसे भी जंगल मे रहने का मज़ा तो जंगल के बीच मे रह कर ही आता है.....बंदरों की तरह पेड़ो पर नही.....




सुहानी अपने साथ आए दो आदमियो को बढ़िया जगह देख कर कॅंप लगाने की कह देती है और.....खुद उस टूटी हुई सीढ़ी का जायजा लेने लग जाती है.....




में--अब छोड़ो भी सुहानी उस सीढ़ी को.....हमारा कॅंप नदी के थोड़ा पास ही लगवाना.....



सुहानी--ठीक है जय जैसा आप चाहे.....फिर सुहानी दोनो आदमियो को निर्देश देती हुई उन्ही के साथ आगे बढ़ जाती है.....



और हम भी उनके पीछे पीछे चलते हुए कॅंप लगाने की जगह पर पहुँच जाते है....
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mastram
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Re: Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक

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रात को तकरीबन 11.30-12 बजे जंगल मे ही कही....एक नक़ाब पोश के सामने 4 आदमीीयो की घिघी बँधी हुई थी...



एक--मेरी इस में कोई ग़लती नही है.....जैसा आपने उस सीढ़ी को काटने की बोला मैने वैसा ही किया था....



नक़ाबपोश--जैसा मैने कहा अगर वैसा करते तो 70 किलो के आदमी की जगह 40 किलो की लड़की नही गिरती वहाँ से.....तुम लोग आलसी हो गये हो एक काम भी ढंग से नही होता तुम लोगो से...,




दूसरा आदमी--हमे लगा था पहले लड़की उतरेगी इस लिए. थोड़ा कम काटा सीढ़ी को हमने...अगली बार बच नही पाएगा वो लड़का हम से.....




नक़ाबपोश--अगली बार का मोका अब तुम लोगो को नही मिलेगा......धाय.....धाय....एक के बाद एक 4 फाइयर उस नक़ाब पॉश की रिवॉलव ने कर दिए....और वो चारो जहाँ खड़े थे वही लुढ़क गये....
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