Romance दंगा

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राज निकल तो दिया होटेल से शादी का इंतजाम करने के लिए पर उसे इस काम में बहुत भाग दौड़ करनी पड़ी. मंदिरों के पुजारी तैयार ही नही थे शादी करवाने के लिए.राज दरअसल हर जगह आलिया का नाम ले कर ग़लती कर रहा था. आलिया का नाम सुनते ही पुजारी मना कर देते थे. लेकिन दुनिया में हर तरह के लोग रहते हैं. एक जगह पुजारी ना बल्कि तैयार हुवा शादी करवाने को बल्कि बहुत खुश भी हुवा धर्मी-अधर्मी का ये प्यार देख कर.
“बेटा मैं तो सौभाग्य समझूंगा अपना ये शादी करवा कर. तुम लोग सुबह ठीक ११ बजे आ जाना यहा.”
“पंडित जी हम दोनो यहा किसी को नही जानते. कन्या दान कैसे होगा..कोन करेगा.”
“उसका इंतजाम भी हो जाएगा. मेरे एक मित्र हैं वो खुशी खुशी कर देंगे ये काम. तुम चिंता मत करो बस वक्त से पहुँच जाना. दोपहर बाद मुझे एक पाठ करने जाना है.”
“धन्यवाद पंडित जी. आप चिंता ना करें. हम वक्त से पहुँच जाएँगे.”
मंदिर में शादी का इंतजाम करने के बाद राज कपड़ो के शोरुम में घुस गया और आलिया के लिए लाल रंग की एक साडी खरीद ली. सारी लेकर वो खुशी खुशी होटेल की तरफ चल दिया.
होटेल पहुँच कर उसने आलिया को सारी दीखाई तो आलिया ने कुछ ख़ास रेस्पॉन्स नही दिया.
“क्या हुवा…क्या सारी पसंद नही आई?”
“मैं ये नही पहन सकती. ये शेड मुझे पसंद नही”
“हद है इतने प्यार से लाया हूँ मैं आलिया और तुम ऐसे बोल रही हो.” राज सारी को बिस्तर पर फेंक कर वॉशरूम में घुस गया.
राज वॉशरूम से बाहर आया तो आलिया उस से लिपट गयी.
“नाराज़ क्यों होते हो राज. मेरी ज़ींदगी का इतना बड़ा दिन है और मैं अपनी पसंद का कुछ पहन-ना चाहती हूँ तो क्या ये ग़लत है. ये दिन जींदगी भर याद रहेगा हमें. देखो याद रखो कोई लड़ाई नही करनी है हमें. लड़ाई का परिणाम देख चुके हैं हम.”
“लड़ाई तो बेशक करेंगे जान पर एक दूसरे को छोड कर नही जाएँगे. अब हम शादी के बंधन में बँधने जा रहे हैं. ये बात गाँठ बाँध लेते हैं की कभी एक दूसरे का साथ नही छोडेंगे. क्योंकि छोडेंगे भी तो पछताना भी हमें ही पड़ेगा.”
“हां ये तो हम देख ही चुके हैं. दूसरी साडी ले लेते हैं ना राज…प्लीज़.”
“अरे पागल प्लीज़ क्यों बोल रही हो. एनिथींग फॉर यू. चलो अभी लेकर आते हैं तुम्हारी मन पसंद सारी. मेरी आलिया दुल्हन बन-ने जा रही है कोई मज़ाक नही है”
“राज बहुत खर्चा करवा रही हूँ तुम्हारा. शरम सी तो आती है पर क्या करूँ. १० लाख की एफडी है मेरे नाम…वो दहेज में दे रही हूँ तुम्हे. पूरी भरपाई कर लेना.”
“ये क्या बकवास कर रही हो जरीना. तुम्हारा मेरा क्या अलग-अलग है.”
“मुझे ताना दिया गया था इस बात का राज. बहुत बुरा लगा था मुझे. मैं कोई तुम्हारी दौलत के पीछे नही हूँ. तुम तो जानते ही हो ना, मेरे अब्बा का भी तो अच्छा कारोबार था. दंगो ने सब तबाह कर दिया.”
“मैं जानता हूँ जान. दुनिया तो कुछ भी कहती है. सचाई तो हम जानते हैं ना. चलो अब तुम्हारे लिए प्यारी सी सारी लेकर आते हैं.”
“तुम भी तो कुछ नया खरीद लो ना. शादी में पुराने कपड़े नही पहने जाते.” आलिया ने कहा.
“ऐसा है क्या…चलो फिर मैं भी खरीद लेता हूँ.”
शादी हो रही थी दोनो की. ये बात सोच कर ही झूम उठते थे दोनो. बहुत मुश्किल से ये खुशी पाने जा रहे थे दोनो. एक लंबा इंतेज़ार किया था दोनो ने. आलिया ने अपनी मन पसंद साडी खरीदी. राज ने भी अपने लिए एक नयी पॅंट शर्ट ले ली. ख़ुसनसीब थे दोनो जो की एक साथ अपनी शादी की शॉपिंग कर रहे थे. ये अवसर हमारे समाज में हर किसी को नही मिलता.
शॉपिंग करने के बाद वो जब होटेल की तरफ जा रहे थे तो एक अज़ीब सी सुंदर सी मुस्कुराहट थी दोनो के चेहरे पर. चेहरे के ये भाव उनके दिलो में बसी खुशी का इज़हार कर रहे थे.
होटेल पहुँच कर दोनो बिस्तर पर गिर गये. राज एक कोने पर था और आलिया दूसरे कोने पर. बहुत थक गये थे दोनो.
“जरीना!”
“हां राज”
“आइ लव यू सो मच.”
“आइ लव यू टू.”
“शादी तो कर रहा हूँ तुमसे मगर अब एक चिंता सता रही है.” राज ने कहा.
ये सुनते ही आलिया के चेहरे पर चिंता की लकीरे उभर आई. वो राज की तरफ मूडी और बोली, “कैसी चिंता राज.”
“रहने दो तुम्हे बुरा लगेगा” राज ने कहा.
“बोलो राज प्लीज़…मेरा दिल बैठा जा रहा है.” आलिया ने कहा.
“उस दिन के चुंबन से मेरे होन्ट अभी तक झुलस रहे हैं. शादी के बाद मेरा क्या होगा जरीना. कैसे झेलूँगा मैं तुम्हारे अंगारों को. यही चिंता सता रही है.”
“राज मैं मारूँगी तुम्हे तुमने दुबारा ऐसा मज़ाक किया तो. अब से कोई चुंबन नही होगा हमारे बीच.”
“क्यों नही होगा!...ऐसा क्यों बोल रही हो.”
“बोल दिया तो बोल दिया.”
राज ने आलिया का हाथ थाम लिया और उसे अपने तरफ झटका दिया. दोनो बहुत करीब आ गये. चेहरे बिल्कुल आमने सामने थे. साँसे टकरा रही थी दोनो की.
“छोडो मुझे राज.”
“तुम्हारे होंटो के अंगारों से झुलस जाना चाहता हूँ मैं. रख दो ये अंगारे मेरे होंटो पर जान मैं फिर से उसी अहसास को जीना चाहता हूँ.”
“ना मेरे होन्ट अंगारे हैं और ना मैं इन्हे कही रखूँगी छोडो मुझे.”
“उफ्फ गुस्से में तो तुम और भी ज़्यादा सुंदर लगती हो. मन तो कर रहा है तुम्हारे होंटो पर होन्ट रखने का पर तुम्हारी मर्ज़ी के बिना नही रखूँगा.”
“मेरी मर्ज़ी कभी नही होगी अब. तुम मज़ाक उड़ाते हो मेरा. छोडो मुझे.”
“कभी सपने में भी नही सोचा था कि इस नकचाढ़ि को प्यार करूँगा और इसके होंटो पर अपने होन्ट रखूँगा. कॉलेज टाइम में ऐसा विचार भी आता तो मुझे उल्टी आ जाती. इतनी नापसंद थी तुम मुझे.”
“ये…ये..ये…तुम बड़े मुझे पसंद थे. सर फोड़ने का मन करता था तुम्हारा.उस वक्त तुमसे प्यार का सोचने से पहले सुसाइड कर लेती मैं. बहुत ज़्यादा बेकार लगते थे तुम मुझे.”
“आज ऐसा क्या है आलिया कि हम एक साथ इस बिस्तर पर पड़े हैं एक दूसरे के इतने करीब.”
“तुमने ज़बरदस्ती रोक रखा है मुझे अपने करीब. कौन तुम्हारे करीब रहना चाहता है.”
“चलो फिर छोड दिया तुम्हारा हाथ. जाओ जहा जाना है.” राज ने आलिया का हाथ छोड दिया.
आलिया राज के पास से बिल्कुल नही हिली. आँखे बंद करके वही पड़ी रही.
“क्या हुवा जान…जाओ ना. मैने तुम्हारा हाथ छोड दिया है.”
आलिया ने राज की छाती में ज़ोर से मुक्का मारा.
“आउच…इतनी ज़ोर से क्यों मारा.” राज कराह उठा.
“तुम्हे पता है ना कि मैं तुमसे दूर नही रह सकती इसलिये ये सब मज़ाक करते हो.” आलिया ने कहा.
“अफ जान निकाल दी मेरी. बहुत ख़तरनाक हो तुम.” राज ने कहा.
आलिया ने राज की छाती पर हाथ रखा और उसे मसल्ते हुवे बोली, “ज़्यादा ज़ोर से लगी क्या?”
“तुम जब मारती हो तो ज़ोर से ही मारती हो.”
“तुम मुझे यू सताते क्यों हो फिर. शरम भी आती है किसी को ये बाते सुन कर.”
“किसको शरम आती है? इस कमरे में तुम्हारे और मेरे सीवा भी कोई है क्या.”
“राज तुम इतने शैतान निकलोगे मैने सोचा नही था.” आलिया ने कहा.
“ऐसा तो नही था कभी. तुमने दीवाना बना दिया मुझे जान. तुम मेरा पहला प्यार हो."
“जानती हूँ मैं. मेरा तो इंटेरेस्ट ही नही था किसी से दोस्ती करने में. मैं भी बस तुम्हे जानती हूँ. मेरा पहला और आखरी प्यार तुम ही हो.”
“इतनी प्यारी बात कर रही हो. एक प्यारी सी किस दे दो ना और जला दो मेरे होंटो को एक बार फिर से.”
“जल कर राख हो जाओगे रहने दो.” आलिया ने हंसते हुवे कहा.
“तुम मुझे खाक में मिला दो तो भी चलेगा. तुम्हारे हुस्न की आग में जलना चाहता हूँ मैं.”
“अच्छा.”
“हां.”
“तुम कही झुटि तारीफ़ तो नही करते मेरी.”
“लो कर लो बात. कॉलेज में तुम मशहूर थी अपने हुस्न के लिए. तुम्हारी ही चर्चा हुवा करती थी हर तरफ लड़को में. ये बात और थी की तुम मुझे बिल्कुल पसंद नही थी.”
“क्या मैं इसलिये पसंद नही थी कि मैं अधर्मी थी?”
“आलिया कैसी बात कर रही हो.”
“बोलो ना राज मैं नापसंद क्यों थी तुम्हे.”
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“ये तो मैं भी पूछ सकता हूँ कि क्या तुम मुझसे नफ़रत इसलिये करती थी क्योंकि मैं धर्मी था.”
“पहले मेरे सवाल का जवाब दो ना प्लीज़. पहले मैने सवाल किया है.”
“हां आलिया झूठ नही बोलूँगा. उस वक्त अधर्मी लोगो से चिढ़ता था मैं. देश में कही भी टेररिस्ट अटॅक होता था तो बहुत गालिया देता था मैं. काई बार मन में ख़याल आता था कि मेरे पड़ोस में भी टेररिस्ट रह रहे हैं. तुम लोगो से लड़ाई और ज़्यादा नफ़रत पैदा करती थी तुम्हारे प्रति.”
“झूठ नही बोल सकते थे…इतना कड़वा सच बोलने की क्या ज़रूरत थी.” आलिया रो पड़ी बोलते-बोलते.
“जान…तुमने सवाल सच जान-ने के लिए किया था या फिर झूठ. अब तुम बताओ कि तुम क्यों नफ़रत करती तू मुझसे.”
“मुझे कभी किसी धर्मी के नज़दीक जाने की इच्छा नही होती थी, क्योंकि मुझे यही लगता था कि ये लोग हमें दबाते हैं इस देश में. माइनोरिटी होने के कारण हमारे साथ हर जगह भेदभाव होता है. कॉलेज में मेरे सभी अधर्मी फ्रेंड्स ही थे. और हम लोगो के परिवारों का लड़ाई झगड़ा होने के कारण तुमसे नफ़रत और ज़्यादा बढ़ गयी थी.”
“शुक्र है शादी होने से पहले ये राज खुल गये.” राज ने कहा.
“तो क्या अब हम शादी नही करेंगे.” आलिया ने बड़ी मासूमियत से पूछा.
“तुम बताओ क्या इरादा है तुम्हारा?”
एक पल को खामोशी छा गयी दोनो के बीच. दोनो बहुत करीब पड़े थे एक दूसरे के. कुछ कहने की बजाए दोनो एक दूसरे की आँखो में झाँक रहे थे. कब उनके होन्ट मिल गये एक दूसरे से उन्हे पता ही नही चला. दोनो के होन्ट एक साथ हरकत कर रहे थे. १० मिनिट तक बेतहाशा चूमते रहे दोनो एक दूसरे को. जब उनके होन्ट जुदा हुवे तो बड़े प्यार से देख रहे थे दोनो एक दूसरे को.
“मिल गया जवाब.” राज ने हंसते हुवे पूछा.
“हां मिल गया. यही कह सकती हूँ कि प्यार के आगे ये बातें कुछ मायने नही रखती.”
“हां हम एक दूसरे के करीब आए तो हम जान पाए एक दूसरे को. वरना तो जींदगी भर नफ़रत बनी रहती.हम एक महीना साथ रहे तो धरम की झूठी दीवार गिर गयी. दीवार गिरने के बाद हम उसके पीछे खड़े असली इंसान को देख पाए. काश इस देश में हर कोई ऐसा कर पाए. मैं अपने पहले के विचारों के लिए शर्मिंदा हूँ.”
“मैं भी शर्मिंदा हूँ राज. अच्छा हुवा जो कि हमें प्यार हुवा और हम एक दूसरे को जान पाए. प्यार में बहुत ताक़त होती है ना राज.”
“हां बहुत ज़्यादा ताक़त होती है. ये प्यार आलिया जैसी लड़की को भी किस करना सीखा देता है. ऑम्ग फिर से बहुत प्यारा चुंबन दिया तुमने.”
“हटो छोड़ो मुझे…तुम फिर से शैतानी पर उतर आए.”
राज और आलिया बिस्तर पड़े हुवे प्यार के उस कोमल अहसास को पा रहे थे जिसके लिए ज़्यादा तर लोग जीवन भर तरसते हैं. दोनो की आँखों में बहुत सारे सपने थे आने वाली जींदगी के लिए और दिलों में ढेर सारी उमंग थी.
जब दिल में बहुत ज़्यादा खुशी हो तो अक्सर आँखो की नींद खो जाती है. दिल हर वक्त बेचैन सा रहता है. ऐसा ही कुछ हो रहा था राज और आलिया के साथ.एक तो चुंबन की खुमारी थी उपर से होने वाली शादी की खुशी. दोनो पर अजीब सा नशा कर दिया था प्यार ने.
अचानक आलिया को कुछ ख़याल आया, “राज हम जब से मार्केट से आयें हैं यही पड़े हैं. क्या हमने खाना खाया?”
“अरे खा लेंगे खाना भी. जब तुम पास हो तो भूक प्यास किस कम्बख़त को लगती है.”
“अरे कैसी बात कर रहे हो. खाना खा कर हमे जल्दी सो जाना चाहिए. सुबह जल्दी उठ कर हमें तैयार भी तो होना है.” आलिया ने कहा.
“मैं तो किसी भी वक्त उठ कर मॅनेज कर लूँगा. तुम लड़कियों को ही वक्त लगता है तैयार होने में.”
“मेरी शादी हो रही है…तैयार होने में वक्त तो लगेगा ना.”
“अच्छा बाबा मैं ऑर्डर देता हूँ. तुम एक गरमा गरम चुंबन तैयार रखो. खाने के बाद स्वीट डिश की तरह काम आएगा.”
“जी हां जनाब बिल्कुल. मेरा तो यही काम रह गया है. चलिए अपना रास्ता देखिए… मुझे और भी बहुत काम हैं.”
“काम कैसा काम?”
“मुझे बहुत कुछ सोचना है कल के बारे में. मुझे ये भी नही पता अभी कि शादी के लिए तैयार कैसे होना है.”
“हो जाएगा सब…तुम चिंता मत करो…मैं खाने का ऑर्डर देता हूँ…क्या लोगि तुम.”
“मॅंगा लो कुछ भी ज़्यादा भूक तो है नही.”
“ओके.” राज ने फोन उठा कर खाने के लिए बोल दिया.
खाना खाने के बाद आलिया बिस्तर पर पसर गयी और बोली, “अब यहा कोई भी आने की जुर्रत ना करे. हमें नींद आ रही है.”
“हहहे….झूठ बोल रही हो तुम.नींद नही आने वाली आज…चाहे कुछ कर लो तुम. मेरी बाहों में रहोगी तो शायद नींद आ भी जाए. अकेले तो बिल्कुल भी नही सो पाओगी तुम”
“कुछ भी हो यहा नही आओगे तुम अब.”
“कोई बात नही जान. आज रात छोड देता हूँ तुम्हे अकेला. कल से देखता हूँ कैसे भगोगी मुझे तुम बिस्तर से.”
“कल की कल देखेंगे.” आलिया ने होंटो पर प्यारी सी मुस्कान बिखेर कर कहा.

प्यार ने धीरे धीरे एक हसीन कामुक रस भर दिया था दोनो की जींदगी में. इन्ही बातों के कारण आलिया राज से शरमाने लगी थी. हर पल उनका रिश्ता नया रूप ले रहा था और नये रंग में रंग रहा था. प्यार हर तरह के रंग भरने की कोशिश करता है प्रेमियों की जींदगी में. आलिया खुश थी मगर अपने संस्कारों के कारण झीजक और शरम उसके अस्तित्व को घेरे हुवे थी. ये बातें उसके चरित्र की सुंदरता को और ज़्यादा बढ़ाती थी. राज भी अंजान नही था अपनी आलिया के इस स्वाभाव से. मन ही मन मुस्कुराता था वो आलिया की इन बातों पर. तभी तो उसे छेड़ता था बार बार. काम रस भी प्रेमियों की जींदगी में उतना ही महत्वपूर्ण है जितना की प्रेम रस.
आलिया करवटें बदलती रही रात भर. बड़ी मुश्किल से आँख लगी थी उसकी. यही हाल राज का भी था. आलिया तो सुबह ५ बजे ही उठ गयी. ६ बजे राज की आँख खुली तो उसने देखा कि आलिया गुमसुम और उदास बैठी है बिस्तर पर. राज आलिया के पास आया और बोला, “क्या हुवा जान…इतनी परेशान सी क्यों लग रही हो?”
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“राज दुल्हन की तरह सजना मुझे आता ही नही. समझ में नही आ रहा की क्या करूँ.”
“हे जान परेशान क्यों होती हो. तुम तो बिना सजे सँवरे ही मेरे दिल पर सितम ढाती हो. ज़्यादा कुछ करने की ज़रूरत नही है. थोड़ा बहुत सज लो काम बन जाएगा.”
“मज़ाक मत करो. जींदगी भर हमारे साथ मेमोरी रहेगी इस दिन कि. मैं दुल्हन की तरह दिखना चाहती हूँ राज.”
“अच्छा मैं कुछ करता हूँ तुम चिंता मत करो.” राज ने कहा.
राज ने होटेल रीसेपशन पर इस बारे में बात की. रीसेपशनिस्ट ने एक लड़की को फोन मिलाया, “हाई पम्मी…यहा एक लड़का लड़की ठहरे हुवे हैं होटेल में. दोनो आज मंदिर में शादी कर रहे हैं. क्या तुम लड़की को दुल्हन की तरह सज़ा दोगि आकर.”
“दोनो घर से भागे हुवे हैं क्या?” पम्मी ने पूछा.
“उस से कुछ फरक पड़ेगा क्या?”
“नही वैसे ही पूछ रही हूँ. मैं आ रही हूँ ३० मिनिट में.”
“ओके थॅंक यू सो मच.” रीसेपशनिस्ट ने कहा.
“बात बन गयी…वो आ रही है आधे घंटे में.”
“थॅंक यू सो मच डियर. आपका नाम क्या है.”
“आइ आम मनीष फ्रॉम शिमला. हमारे होटेल की ब्रांच शिमला में भी है. शादी के बाद हनिमून के लिए आप वहा आ सकते हैं. हम आपके लिए स्पेशल कन्सेशन देंगे.”
“सो नाइस ऑफ यू मनीष जी. कभी वक्त लगा तो ज़रूर आएँगे.”
राज वापिस कमरे में आ गया और बोला, “सब इंतजाम हो गया है. तुम्हे सजाने के लिए एक लड़की आ रही है, पम्मी नाम है उसका.मैं नहा धो कर तैयार हो जाता हूँ जल्दी से वो आएगी तो मुझे बाहर जाना होगा.”
“हां हां तुम जल्दी करो कही हम लेट ना हो जायें. ११ बजे मंदिर पहुँचना है याद है ना.”
“जानेमन मैं तो तैयार हो जाऊंगा अभी…सारा वक्त तो तुम्हे ही लगना है.” राज मुस्कुराता हुवा वॉशरूम में घुस्स गया.
राज नहा कर नये कपड़े पहन कर बाहर आया तो देखा कि सोफे पर एक लड़की बैठी है.
“राज ये पम्मी है. अब तुम बाहर जाओ जल्दी मुझे भी तैयार होना है.
राज ने पम्मी को गुड मॉर्निंग विश किया और चुपचाप बाहर आ गया. कोई १० बजे पम्मी रूम से बाहर निकली और बोली, “तुम्हारी दुल्हन तैयार है…जाओ देख लो जाकर. तुम्हे ऐतराज ना हो तो क्या शादी में मैं भी आ सकती हूँ.”
“मुझे भला क्यों ऐतराज़ होगा. हम वैसे भी अकेले हैं. कोई साथ होगा तो अच्छा ही लगेगा.” राज ने पम्मी को उस मंदिर का पता बता दिया जहा शादी होने जा रही थी.
“थॅंक्स…मैं पूरे ११ बजे वहा पहुँच जाऊंगी. बाइ.” पम्मी ने कहा.
राज कमरे में आया तो आलिया को देखता ही रह गया, “ऑम्ग.... मेरी आलिया आज कतल कर देगी मेरा. अफ क्या लग रही हो तुम.”
आलिया ने अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया शरम के मारे, “मुझे छेड़ो मत ऐसे नही तो शादी नही करूँगी तुम्हारे साथ.”
“अच्छा” राज शरारती अंदाज़ में आलिया की तरफ बढ़ा.
“छूना मत मुझे… सारा मेक अप खराब हो जाएगा.” आलिया पीछे हट-ते हुवे बोली.
“प्लीज़ जान थोड़ा करीब तो आने दो. बहुत प्यारी लग रही हो तुम. सच में बहुत सुंदर सजाया है पम्मी ने तुम्हे. तुम्हे मेरी नज़र ना लग जाए.” राज ने कहा.
आलिया बस हल्का सा मुस्कुरा दी राज की बात पर और बोली, “हमें चलना चाहिए राज. कही हम लेट ना हो जायें. दिल्ली के ट्रॅफिक का कोई भरोसा नही है.”
“एक मिनिट ज़रा जी भर कर देख तो लेने दो मुझे अपनी दुल्हनिया को.” राज ने कहा.
“उफ्फ तुम्हारे देखने के चक्कर में हमारी शादी ना डीले हो जाए.”
“क्या बात है बड़ी जल्दी में हो शादी की. लगता है मुझे जला कर राख करने की जल्दी है तुम्हे. अच्छी बात है. मैं खुद तड़प रहा हूँ खाक में मिल जाने के लिए.” राज ने कहा.
“राज तुम मुझे बार-बार इन बातों में मत उलझाया करो. हम लेट हो रहे हैं और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.”
“ओके ओके जान अब गुस्सा मत करो. तुम वैसे ही बहुत प्यारी लग रही हो. गुस्सा करोगी तो जान निकल जाएगी मेरी. गुस्से में तो तुम और ज़्यादा प्यारी लगती हो. चलो चलते हैं. मैने एक टॅक्सी कर ली है मंदिर तक जाने के लिए.”
“ठीक है चलो अब ज़्यादा देर मत करो.”
आलिया और राज हंसते मुस्कुराते होटेल से बाहर आए और टॅक्सी में बैठ कर मंदिर की तरफ चल दिए. जब वो मंदिर पहुँचे तो हैरान रह गये. मंदिर सज़ा हुवा था.
“लगता है कोई और कार्यक्रम भी है मंदिर में.” राज ने कहा.
“राज कोई गड़बड़ तो नही होगी ना.”
“अरे नही पागल कोई गड़बड़ नही होगी. मंदिर के पंडित जी मुझे भले व्यक्ति लगे. ज़्यादा ओल्ड नही हैं वो. यंग पुजारी हैं. तभी शायद उन्होने हमारे प्यार को समझा.” राज ने कहा.
राज और आलिया मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़े ही थे कि उन्हे पंडित जी मिल गये.
“नमस्कार पंडित जी” राज ने कहा. आलिया ने भी सर हिला कर नमस्कार किया.
“आओ राज आओ. हम तुम्हारा ही इंतेज़ार कर रहे थे. तुम कह रहे थे कि तुम्हारा यहा कोई नही मगर देखो भगवान की क्या लीला है. तुम दोनो की कहानी सुन कर बहुत लोग इकट्ठा हो गये हैं यहा पर. मुझे उम्मीद है तुम दोनो को बुरा नही लगेगा.”
“नही पंडित जी कैसी बात कर रहे हैं आप.”
“आओ मैं सभी से तुम्हारा परिचय करवाता हूँ.”
“अपना परिचय भी दे दीजिए पंडित जी.” राज ने कहा.
“मेरा नाम रवि है राज. आओ बाकी मित्रो से भी मिल लो.” रवि ने कहा.
“आओ जरीना.” राज ने आलिया से कहा. आलिया थोड़ी घबराई सी लग रही थी.
अगले ही पल उन्हे बहुत सारे लोगो ने घेर लिया.
“ये हैं आलोक जी. इन्हे जैसे ही मैने बताया कि तुम दोनो की शादी है कल तो मेरे बोलने से पहले ही कन्यादान के लिए तैयार हो गये.ये ही कन्यादान करेंगे.” रवि ने कहा.
“और मैं खुद को ख़ुसनसीब समझूंगा.” आलोक ने कहा.
“ख़ुसनसीब तो हम समझेंगे खुद को आलोक जी.” राज ने कहा.
आलिया और राज ने आलोक को हंस कर हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.
“ये हैं जावेद जी. ये यहा हैं तो चिंता की कोई बात नही है. ये तो तुम दोनो को फरिश्ता मानते हैं”
राज और आलिया ने जावेद को हंस कर हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.
“ये है गुड्डी.”
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गुड्डी ने आगे बढ़ कर आलिया को गले लगा लिया और बोली, “मैं तुम्हारी तरफ से हूँ शादी में. खुद को अकेली मत समझना.”
“थॅंक यू गुड्डी.” आलिया ने कहा.
“ये हैं विवेक जी. तुम दोनो की कहानी सुन कर बहुत भावुक हो गये थे. दिल के बहुत अच्छे हैं. बिज़ी होने के बावजूद भी ये यहा आने से खुद को रोक नही पाए.”
“ये हैं सिकंदर जी. ये यहा खुशी खुशी केटरिंग का इंतजाम कर रहे हैं.”
“केटरिंग.” राज हैरान रह गया.
“हां केटरिंग. तुम दोनो की शादी है..पार्टी तो होनी ही चाहिए ना.”
“जी हां सरकार खाने पीने का अपनी तरफ से अच्छा प्रबंध किया है.”
राज और आलिया ने हाथ जोड़ कर सिकंदर का शुक्रिया किया.
“ये हैं जगदीश दा. इन्होने कोल्ड ड्रिंक का प्रबंध किया है यहा पर. इतनी गर्मी में कोल्ड ड्रिंक सभी को थोड़ी राहत देगी.”
“राज और आलिया ने जगदीश का भी हाथ जोड़ कर शुक्रिया अदा किया.
“ये हैं प्रीतम जी. इतने खुश हैं आपकी शादी से की सुबह से यही के चक्कर काट रहे हैं.”
राज और आलिया ने प्रीतम को हंसते हुवे हाथ जोड़ कर प्रणाम किया.
“ये हैं भानु जी. इतने खुश है ये तुम दोनो की शादी से कि संगीत का आयोजन कर दिया है इन्होने यहा. हल्का-हल्का मध्यम म्यूज़िक चलता रहेगा ताकि मंदिर में किसी को तकलीफ़ ना हो.”
राज और आलिया ने हाथ जोड़ कर भानु को भी नमस्कार कहा.
“ये हैं मनविंदर जी. इन्होने शादी के फोटो खींचने का जिम्मा ले लिया है.” रवि ने कहा.
राज और आलिया ने मनीष को भी हाथ जोड़ कर नमस्कार कहा.
“ये हैं रोहन जी. राजनीति में अच्छी पकड़ है इनकी मगर फिर भी इलेक्शन हार गये. ये भी खुशी खुशी आए हैं यहा”
राज और आलिया ने रोहन को भी हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.
“लास्ट बट नोट द लिस्ट ये हैं रोहित. बहुत बिज़ी थे ये भी. लेकिन शादी में आने से खुद को रोक नही पाए.”
राज और आलिया ने रोहित को भी हाथ जोड़ कर नमस्कार किया.
“वैसे आप इन सबको कैसे जानते हैं पंडित जी.” राज ने पूछा.
“यू ही एक दिन अचानक मिल गये थे सभी. कब दोस्ती हो गयी पता ही नही चला. चलो अब शुभ मुहूरत का वक्त निकला जा रहा है. आओ जल्दी से पहले तुम दोनो के फेरे करवा दूं बातें तो होती रहेंगी.” रवि ने कहा.
रवि उनको मंडप की तरफ ले जा ही रहा था कि पम्मी भी आ गयी. साथ में होटेल के रीसेपशनिस्ट मनीष भी थे.
रवि राज और आलिया को मंडप में ले आया और उन दोनो को अग्नि के सामने बैठने को कहा. आलिया और राज ने एक दूसरे की तरफ देखा. दोनो की ही आँखे नम थी. ये खुशी के आँसू थे. राज ने आलिया का हाथ थाम लिया और उसे बैठने का इशारा किया.
पूरा एक घंटा लगा पूरे प्रोसेस में. सभी लोग उन दोनो के हर फेरे पर ताली बजा रहे थे. राज और आलिया ने सोचा भी नही था कि इतनी रोनक लग जाएगी उनकी शादी में. उनकी शादी धूम धाम से हो रही थी. फेरो के बाद सभी ने मंदिर के एक कोने में इकट्ठा हो कर स्वादिष्ट खाने का आनंद लिया.
खाना इतना था कि मंदिर में आ रहे दूसरे लोग भी खाना खा सकते थे. कुछ खा भी रहे थे. राज और आलिया ने मंदिर के बाहर बैठे ग़रीब लोगो को अपने हाथो से खाना दिया. बहुत खुश थे दोनो इसलिये भगवान के हर बंदे के साथ अपनी खुशी बाँटना चाहते थे.
सभी का हाथ जोड़ कर शुक्रिया करके राज और आलिया टॅक्सी में बैठ कर होटेल की तरफ चल दिए.दोनो के चेहरे पर सुकून था और एक प्यारी सी मुस्कान हर वक्त उनके चेहरे पर चिपकी हुई थी.
“कितने अच्छे लोग थे सभी. आलोक भैया तो बहुत इमोशनल हो रहे थे कन्यादान के वक्त.” आलिया ने कहा.
“हां इन लोगो के आने से जो रोनक लगी उसे हम जींदगी भर नही भूल पाएँगे. हम तो तन्हा चले थे होटेल से लोग जुड़ते गये कारवाँ बनता गया.”
“राज बहुत खर्चा किया लोगो ने हमारे लिए. हमें कुछ तो देना चाहिए था उन्हे.”
“मैने पंडित जी से पूछा था पर उन्होने मना कर दिया. उन्होने कहा कि हमारे प्यार के बदले में तुम हमें कुछ दोगे तो ये व्यापार बन जाएगा. प्लीज़ इसे प्यार ही रहने दो.”
“ह्म्म बहुत अच्छा लगा इन लोगो का साथ.”
“हां सही कहा.”
अचानक बाते करते करते आलिया बिल्कुल खामोश हो गयी. उसने अपना चेहरा खिड़की की तरफ घुमा लिया.
“क्या हुवा जान…अचानक चुप क्यों हो गयी.”
आलिया ने राज की तरफ मूड कर देखा. उसकी आँखे नम थी. वो खुशी के आँसू नही लग रहे थे.
राज ने आलिया के हाथ पर हाथ रखा और बोला, “क्या बात है जान…क्या मुझसे कोई भूल हो गयी.”
“नही राज तुमसे कोई भूल नही हुई. बस यू ही उदास हूँ.”
राज ने टॅक्सी में होने के कारण कुछ और पूछना सही नही समझा. जब वो होटेल पहुँचे तो कमरे में आते ही आलिया फूट पड़ी. रोते हुवे वो सोफे पर बैठ गयी.
“क्या हुवा जान…कुछ बताओ तो सही.”
“अम्मी-अब्बा और फातिमा की याद आ रही है आज राज. अपने अम्मी-अब्बा के गले लग कर रोना चाहती थी मैं आज पर वो इस दुनिया में नही हैं. कितनी बदनसीब हूँ मैं.”
राज आलिया के सामने फर्श पर बैठ गया और उसका हाथ थाम कर बोला, “जान तुम्हारा दर्द समझ सकता हूँ. हम दोनो ने अपने पेरेंट्स को एक साथ खोया है. अगर तुम्हारे अम्मी अब्बा और मेरे मम्मी पापा जींदा होते तो बहुत ज़्यादा नाराज़ होते हम दोनो से. मगर मुझे यकीन है कि हम एक ना एक दिन मना ही लेते उनको.”
“हां राज वही तो. वो नाराज़ रहते मगर इस दुनिया में तो रहते. कभी ना कभी हम उन्हे मना ही लेते. तुम्हे नही पता कैसे संभाला मैने खुद को मंदिर में. ये दंगे क्यों होते हैं राज. कोई इन्हे रोकता क्यों नही.”
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Re: Romance दंगा

Post by Sexi Rebel »

“भीड़ जब पागल हो जाती है तो उसे रोकना बहुत मुश्किल हो जाता है. और जब भीड़ किसी के बहकावे में आ जाए तो स्थिती और भी गंभीर हो जाती है. ये दंगे क्यों होते हैं नही कह सकता क्योंकि इतना ज्ञानी नही हूँ मैं. हां इतना ज़रूर कह सकता हूँ क़ि दंगे इंसान को हैवान बना देते हैं. मैने तुम्हे बताया था ना कि जब मुझे अपने मम्मी पापा की मौत का पता चला तो मेरा खून खोल उठा था. मेरे अंदर बदला लेने की आग भड़क उठी थी. मैं भी भीड़ में शामिल हो जाना चाहता था. लेकिन फातिमा का रेप नही देख पाया जरीना. मुझे यही लगा कि किसी के साथ ऐसा नही होना चाहिए. ५ लोग भूके भेड़ियों की तरह नोच रहे थे उसे.”
“बस राज बस प्लीज़ चुप हो जाओ…नही सुन सकती ये सब. बहुत प्यार करती हूँ मैं फातिमा से. उसके बारे में ऐसा कुछ नही सुन सकती.”
“सॉरी जान तुमने सवाल किया तो बातों बातों में ये बात आ गयी ज़ुबान पर. छोडो अब ये सब. मैं हूँ ना तुम्हारे साथ.”
“हां तुम हो तभी तो जींदा हूँ राज.”
“आज इतने खुशी के दिन क्या ऐसे उदास रहोगी.”
“सॉरी अचानक ख़याल आया तो रोक नही पाई मैं खुद को. मंदिर में सब लोग थे तो खुद को संभाले हुवे थी. सबके सामने नही रोना चाहती थी. तुम्हारे सामने खुद को संभाल नही पाई क्योंकि पता है मुझे की तुम संभाल लोगे मुझे.”
“मुझ पर इतना विश्वास रखने के लिए शुक्रिया आपका. अब अगर आपका वीदाई वाला रोना धोना बंद हो गया हो तो मैं अपना कार्यक्रम शुरू करूँ.”
“कौन सा कार्यक्रम?” आलिया ने अपने आँसू पोंछते हुवे कहा.
“मज़ाक कर रहा हूँ. मैं ये चाहता हूँ कि बीती बातें भूल जाओ अब. बड़ी मुश्किल से ये खुशी पाई है हमने. इसे जी भर कर जीना चाहिए हमें आज. ये दिन दुबारा नही आएगा.”
“सॉरी राज…खुद को रोक रही थी बहुत… पर रोकते-रोकते बिखर गयी. प्लीज़ बुरा मत मान-ना.”
राज उठ कर सोफे पर बैठ गया और आलिया को अपने सीने से लगा कर बोला, “कोई बात नही जान. हमारे बीच सॉरी की कोई ज़रूरत नही है. समझ रहा हूँ मैं सब कुछ. अच्छा ये बताओ अभी घर चलें या फिर कल.”
“क्या अभी टिकट मिल जाएगी”
“मिलनी तो चाहिए. अच्छा होगा अगर अपनी शादी के दिन हम अपने घर में रहें. वहीं तो हमें प्यार हुवा था.”
“चलो फिर जल्दी चलो…आज के दिन का ज़्यादा से ज़्यादा वक्त मैं अपने घर में बिताना चाहती हूँ.”
“हां चलो”
“क्या मैं शादी के जोड़े में ही चलूं?”
“और नही तो क्या? जैसे हैं वैसे ही चलेंगे. कोई दिक्कत की बात नही है”
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