Incest रुतबा या वारिस

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Raone
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Incest रुतबा या वारिस

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हैलो दोस्तो मै आपका राज शर्मा,,
ये कहानी मेरी है मै एक ऐसी फैमिली से हु जिसके लिए रुतबा ही सब कुछ है मेरे घर में मै (18), मेरी माँ (35),पापा(45)बुआ(30) दादी(50) नॉकरानी माया (32) और उसका पति थे। हमारे गाँव मै हमारे परिवार का रोब रुतबा सबसे बड़ा था, गाँव मै जब भी कोई बात होती या कोई फैसला मेरी माँ ही करती, उनका गुस्सा और निर्णय का सब सम्मान करते, कोई भी हो वो सज़ा सबको बराबर देती, उनके लिए उनका रुतबा ही सब कुछ था, मेरे पापा जब जवान थे तब वो शिकार पर निकले थे, मेरी माँ उंन दिनों एक कमसीन कली थी, उनका शरीर पर कच्चे आम की तरह उनकी चूचियाँ और बाहर निकली गांड को देखकर सब पागल हो जाते थे, मेरे नाना बहुत गरीब थे, माँ और मौसी दो ही औलाद थी,बेटा था नही इसलिए वो दुखी रहते की कैसे इनकी शादी होगी,, पापा शिकार के लिए बंदूक लिए घोड़े पर बैठकर जा रहे थे,मेरी माँ और मौसी दोनो शौच के लिए पास ही के जंगल मे गयी हुई थी, मेरी माँ और मौसी की कमसीन जवानी किसी को भी पागल कर सकती थी,पास मे ही तालाब था जहाँ सब शौच के बाद अपनी गांड साफ करते थे, मेरी माँ और मौसी ने चारो तरफ देखा की कोई नही है दोनो कुछ दूरी अलग अलग होकर शौच के लिए बैठ गयी, दोनो की भरी जवानी मे भरी गांड देख कर कोई भी पागल हो सकता था,,, उनका मोटे मोटे भरे चुतर और कसे हुए चुचे जवानी का रस उन दोनो के अंगो मे भरा पड़ा था, मेरे पापा भी घोड़े को पानी पिलाने के लिए तालाब के पास जा रहे थे,अचानक पापा की नज़र माँ की फूली हुई गोरी गोरी दो कच्चे तरबूज हो रसभरे, पापा के मुह मे पानी आ गया था, पापा के लंड ने हलचल करनी शुरू कर दी थी, पापा ने घोड़े को पेड़ से बांध वही बंदूक रख दी, और अपना काला लंड निकाल कर मसलने लगे, ओहो आज तो यही शिकार करूँगा कसम से पुरा खून खराबा करूँगा, हल्की मुस्कान और हाथ में लंड लिए पापा चुपके से माँ के पीछे चले गये,.. Next पार्ट
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Raone
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Re: Incest रुतबा या वारिस

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आगे...
पापा माँ की कमसीन गांड देख रहे थे और अपने बड़े घर होने का रोब रुतबा चेहरे पर लिए हुए थे, नाना बहुत गरीब घर से थे, पास ही के गाँव से थे लेकिन बड़े घर को सब जानते थे उनका न्याय सबसे बड़ा होता था, अब पापा अपने लंड को एक हाथ से पकड़े हुए थे और चुपके से जाके माँ के बालों की चुटिया पकड़ ली,माँ एकदम से डर गयी जोर से चिलाई जैसे किसी जानवर ने हमला कर दिया हो, माँ कि चुटिया पापा के हाथो मै थी, पापा ने बालो को खिच कर माँ को खड़ा कर दिया, माँ कि आवाज सुन मौसी जो पास मे बैठी थी दोड़ कर आई देखा माँ को साहब ने पकड़ रखा है, माँ ने पीछे मुड़कर देखा, साहब अपना लंड मसल रहे थे, माँ डर कर साहब छोड़ दो साहब छोड़ दो, पापा मौसी कि तरफ देखा मौसी की कुर्ती के उपर से मौसी कि चुन्चियो के उभार को देखा जैसे कच्ची आम डाल रहे हो, मौसी का बदन भी माँ की तरह ही था, दोनो की मस्त चुन्चिया और पतली कमर और गांड देख पापा ने अपने लंड को सहला दिया, माँ और मौसी की नज़र पापा के काले 5 इंच के लंड पर गया, दोनो समझने मे देर नही लगी, मौसी भागकर पापा के पर पकड़ लिए और रोते हुए साहब छोड़ दो साहब, हम आपके पेर पड़ते है पापा जोर से हस्ते है, ऐसे कैसे छोड़ दु शिकार करने निकला हु शिकार तो करूँगा ही, पापा ने सोच लिया था की, साले गरीब है जवानी का मज़ा चख कर कुछ पैसे दे दूंगा अपने आप चुप हो जायेंगे, पापा जोर से हंस रहे थे की माँ बोली साहब हम आपकी गायें है हमे छोड़ दो, माँ की आँखो मे भी आँसू थे, लेकिन पापा के उपर पागल पन सवार था, वो जवानी के जोश मे पागल हो गये थे , उनके काले लंड को सहलाते हुए गायें हो तभी तो शिकार करूँगा, आज तो दो दो शिकार मिले है, पापा जोर से हस्ते है की मौसी पेर को कसकर पकड़ती हुई साहब छोड़ दो, साहब छोड़ दो, इतने मे पापा ने लंड से हाथ हटा माँ की छाती पर रख मसल दिया, पापा के हाथ मे जैसे कच्चे आम हो, इतने जोर से मसला की माँ की चीख निकल गयी, पापा का लंड मै और तनाव आ गया, मौसी ने इतना देखा और गुस्से मे पापा के पर को दांतो से कट कर लिया, पापा अचानक गुस्से से मौसी को दूर कर एक लात मारी, साली कुतिया कट करती है, पापा की लात मौसी के पेट पर लगी और मौसी दूर जा कर गिरी, मौसी को गिरता देख माँ जोर से रोने लगी, माँ को रोता देख पापा और जोर से हसने लगे ऐसे शिकार का मज़ा ही कुछ और है, मौसी पापा का प्रहार सहन नही कर पायी और पेट पकड़ कर लिया उनकी सांसे कमज़ोर होने लगी, और आँखे बंद होने लगी, और मौसी बेहोश हो गयी, माँ मौसी की तरफ देखा और डर गयी साहब छोड़ दो देखो दीदी को क्या हो गया, लेकिन पापा की वासना सातवे आसमाँ पर थी, पापा ने बोला पहले शिकार कर लू फिर छोड़ दूँगा, पापा ने माँ को नही छोड़ा तो माँ थोडे गुस्से मे उनके हाथ को दांतो से कट लिया, पापा को बहुत गुस्सा आया साली कुतिया तु भी कट करती है, और जोर से एक मुक्का माँ के मुह पर मारा, माँ के मुह पर लगते ही माँ पीछे की तरफ गिरी, और माँ के नाक से खून निकलने लगा, माँ दर्द से कराह उठी, माँ के गिरने से, माँ का घागरा माँ की गोरी गोरी जांघों पर आ गया, पापा ने माँ की रसभरी जांघों को देखा उनका लंड अब और तन गया, पापा का सब्र और जोर पर था, पापा माँ के पास जाके उनके हसने लगे, माँ ने अपने घाघरे को हाथ से नीचे की और दोनो पैरो को आपस में कस लिया और साहब भगवान के लिए हमे छोड़ दो साहब, मे आपके पैर पड़ती हु, पापा का काला लंड बाहर था, माँ देख कर समझ गयी आज उसकी इज्जत लूटने वाली है, पापा माँ के पास गये और पैरो को पकड़ कर दूर करना चाह रहे थे कि माँ ने पैरो को छुटाने के लिए पैरो को चला दिये जो सीधे पापा की छाती से लगा, पापा को गुस्सा आया पापा गाली देते हुए साली कुतिया मुझे मारती है जोर से दो तीन लात माँ के पेट पे मारते है, माँ के लगते ही माँ ने पेट को पकड़ लिया, जोर से मारने के कारण माँ भी कमज़ोर हो गयी उनकी हिम्मत जवाब दे गयी, पापा फिर माँ के पैरो को पकड़ दूर करना चाहा अब माँ की हिम्मत नही रही पापा ने आराम से दूर कर घाघरे को एक ही झटके में उपर कर दिया, पापा के सामने एक छोटी सी गोरी सी चूत सामने आई जिस पर हल्के से बाल थे, पापा की अब वासना जोर पर थी पापा के सामने एक कमसीन बदन पड़ा था लेकिन पापा को सिर्फ लंड को शांत करना था उन्हे बदन से कोई मतलब नही था, लंड भी काफी देर तक तन कर टूटने को त्यार था, पापा का सब्र टूट रहा था नीचे माँ बेहतास पड़ी थी, पापा ने जल्दी से माँ की जांघों को पकड़ लिया और लंड को चूत पर लगाया, माँ की चूत मे कोई पानी नही था बिल्कुल सूखी पडी थी, क्यों की ये सब डर था कोई प्यार नही, पापा ने जोर लगाया लंड का चूत पर, लेकिन वो अंदर नही जा रहा, एक तरफ काला लंड और एक तरफ गोरी चूत, दिन रात का मिलन हो जैसे, पापा ने अपने मुह से थुक निकाला और लंड के सुपाडे पर लगा माँ की चूत पर रख जोर दिया सुपाडा गिला था लेकिन सुखी थी, सुपाडा थोड़ा सा अंदर गया था की माँ की होश मे नही होने के कारण हल्की सी चीख निकली, पापा का गर्म और कस्सी चूत होने के कारण पापा के लंड ने जवाब दे दिया, लंड तो पूरा बाहर ही था कुछ सुपाडा ही चूत के उपर था, और पापा माँ की चूत के दरवाजे पर अपना वीर्य निकल दिया, वीर्य की कुछ बुँदे माँ की चूत मे भी चली गयी और कुछ बाहर निकल रही थी, माँ की बदनसीब ही था की बिना कुछ किया माँ के पेट मे पापा का वीर्य चला गया,, पापा साली एकदम गर्म लोहा हो लंड ने पहले ही पानी छोड़ दिया कहते हुए साइड मे लेट गये, पापा का काला लंड अब चूहे जैसा हो गया, माँ अब अपने उपर से पापा को न पाकर जल्दी से उठ कर मौसी की तरफ भागी, मौसी को रोती हुई हिला रही थी, इधर नाना सोच रहे की काफी देर हो गयी बच्चीया आई नही, जाके देखता हु कोई जानवर कुछ ना कर दे, जंगल में, माँ उकडू बैठी थी और मौसी को हिला रही थी इतने मै पापा ने माँ के घाघरे मे फेली हुई गांड देख फिर से लंड खड़ा होने लगा, पापा जोर से हँसते हुए क्या ही माल हो, मेरा फिर से खड़ा हो गया तेरी गांड देख कर, पापा उठकर माँ की तरफ जाने लगे थे, मै आपको पहले ही बता दु पापा ने पहले भी एक गाँव की गरीब लड़की का जंगल मै ब्लात्कार कर दिया था और वही उसको मार दिया दिया था जहा उसको जंगली जानवर खा गये थे, पापा को उसके बुरे कर्मो की सज़ा मिलनी ही थी, पापा अब माँ के पास गये थे की माँ ने रण चंडी का रूप धारण कर लिया आँखे गुस्से मे लाल हो गयी उनका रोम रोम खड़ा हो गया, पापा अपना काला लंड लिए माँ के पीछे आ खड़े थे थे की माँ ने पास मे पड़ी एक लकड़ी जो की बहुत नुकीली थी, उठाई और बैठी बैठी पीछे मुड़ी और एक ही झटके मे पापा के पैरो के बीच से घूसा दी, लकड़ी दोनो अंडो को चिरति हुई, पेट तक घुस गयी, पापा जोर से चीखे और नीचे गिर पड़े, उनके खून ने रफ्तार पकड़ ली, पापा की चीख सुन नाना तालाब की तरफ भागे, सामने का नजारा देखा तो उनकी आँखे फटी रह गयी,
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Re: Incest रुतबा या वारिस

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छोटे साहब के पेरो के बीच मे लकड़ी फसी है साहब दर्द से चिल्ला रहे है एक तरफ छोटी बेटी पड़ी है और माँ पास मे बैठी है, नाना रोते हुए समझ गये की यहा क्या हुआ होगा, हे भगवान ये क्या किया तुमने, पापा मौसी के पास आये देखा की मौसी बेहोश है नाना तालाब से पानी हाथ मे लेकर आते है और मौसी के चेहरे पर डालते है, मौसी थोड़ी सी हिली और अचानक से उठी रोटी हुई नाना को देखा उनसे लिप्त गयी, माँ अभी एक मूर्त की तरह खड़ी थी , मौसी और नाना ने माँ की तरफ देखा माँ का घाघरा पापा के पानी se भरा पड़ा था, दोनो को समझने में देर नही लगी, नाना रोते और गुस्से मे, वहा से भाग कर बड़े साहब की हवेली पर गये, साहब न्याय करो साहब न्याय करो, मै लूट गया बर्बाद हो हो गया, दादा जी खाट पर बैठकर हुक्का पी रहे, क्या हुआ ऐसा क्या हुआ बताओ, न्याय सबके लिए एक समान है साहब मेरी इज्जत माटी मे मिल गयी, साहब मेरे साथ चलो, दादा जी एक रोब दार आदमी थे उनका न्याय सब जानते थे दादा जी ने हुक्का साइड मे किया और कहा चलो कहा चलना है, नाना जी दादा को लेकर तालाब के पास आ गये, दादा जी ने सामने का नाज़रा देखा उनकी आँखे फट गयी, उनका बेटा जो नीचे पड़ा था, उनके पैरो के बीच, लकड़ी घुसे पड़ी और बहुत सारा खून जमीन पर पड़ा, और मां घागरा वीर्य से सना हुआ, पास मे मौसी खड़ी हुई, दादा जी सब समझ गये की यह क्या हुआ, नाना साहब न्याय करो, और दादा के पैरो मे गिर गये, दादा ने नाना को उठाया और गुस्से मे लाल ho गये न्याय सबके लिए एक समान है, यहा भी समान न्याय होगा, कहते हुए, मेरी माँ के सिर पर हाथ रखा, और बोला मे इस बच्ची की ज़िंदगी खराब नही होने दूंगा, मे आज और अभी से इस बच्ची को अपने घर की बहु स्वीकार करता हु, इतना सुनकर मौसी और नाना थोड़ा चेहरे पर चैन मिला, माँ अब भी गुस्से मे खड़ी थी दादा जी मेरी बच्ची तूने खुद सही न्याय किया है आज से मेरी हवेली पर आप ही न्याय करोगी, नाना और दादा ने पापा को उठा कर घोड़े पर लाध के हवेली की तरफ चल दिये, पीछे माँ भी चल दी, मौसी को नाना ने घर भेज दिया, जैसे ही हवेली पहुंचे सबकी आँखे खुली रह गयी सब समझ गये क्या हुआ, जल्दी से नोकरो ने वैध को बुला लाये, दादा बोले आज से यही मेरे घर की बहु है इसका न्याय सबको मानना होगा, वैध ने खूब ईलाज शुरू किया लेकिन खून बहुत निकल चुका था, पापा के लंड की नस टूट चुकि थी, उनके शरीर को लकवा मार गया, वो चल सकते ना बोल सकते, कहते है ना भगवान के घर देर है अंधेर नही, कुछ ही दिनों मे सबको पता चल गया की माँ पेट से है, दादी मेरी माँ से खुश नही थी क्यु की माँ ने ही उनके बेटे की ये हालत की है, पापा का बड़े शहरो मे ईलाज भी चला लेकिन कुछ नही हुआ पापा एक कमरे मे बेड लेटे रहते, माँ ये बच्चा जन्म नही देना चाहती लेकिन दादा की बात उन्हे माननी पड़ी, माँ को 9 महीने बाद मै हुआ, घर मै खुशिया छा गयी की एक नया वारिश aa गया, सब खुश थे, इधर मौसी की भी शादी हो गयी, मै जब 5 साल का हुआ मुझे बड़े शहर पढ़ने भेज दिया,काफी साल बाद आज मै अपने घर जा रहा था, मै अब जवान हो चुका था, अच्छी खुराक और मेहनत से मेरा गोरा गठिला बदन, 9 इंच का गोरा और मोटा लंड, हो चुका था, मै जैसे ही हवेली पहुंचा गाड़ी से उतरा ही था की दादी मेरी तरफ भाग कर रोटी हुई आई, मेरे लाल तरस गयी थी मेरी आँखे तुझे देखने को, कहते हुए मुझे गले लगा लिया, दादी अब भी बिल्कुल जवान ही लग रही थी, दादी के बड़े बड़े चुन्चे उनकी गदराइ हुई कमर बड़े बड़े चुतर, गजब ढा रही थी, मैने भी दादी को कसकर गले लग गया, मुझे मस्ती सी छा गयी, मै पहली बार किसी औरत के गले लगा था, इतने मै माँ गयी मुझे देखा उनके आँसू निकल गये मेरे लाल कहते गये मेरी तरफ आई, माँ ब्लाउस और पेटिकोट और चुनरी से रानी लग रही, उनका शरीर लंबा चौड़ा, चिकना पेट, काले बाल कस्सी हुई चुन्चिया और कस्सी हुई गांड, क्यों की आज तक उनका यौवन निकला नही था, आज भी माँ एक कुवांरी ही थी, माँ ने मुझे अपने गले लगा लिया, माँ की जैसे ही चुन्चिया मेरे सीने से लगी मै तो डर गया बिल्कुल पथहर् जैसे हो, इतने तो किसी जवान लड़की के भी नही होते, हम दोनो अलग हुए की माँ बोली थक
गये हो खाना खा लो, मै पापा से मिल आता हु फिर खाना खाता हु, इतने मै मेरी बुआ फुआ, मौसी मोसा आ गये, बुआ भी पतली कमर, बड़े बड़े चुन्चे बड़ी कस्सी हुई गांड छोटी सी नाभि, रूप की रानी लग रही थी, मुझे गले लगा लिया कसम से औरतो का छूना मज़ा आ रहा था, इतने मे मौसी ने आके मुझे बाहों मे ले लिया, मौसी भी बड़े बड़े चुन्चे मोटी गांड, बड़ी ही सेक्सी थी मेरी माँ की तरह, आज तो जैसे मुझे सब खा जायेगी, हम सब साथ खाना खाने बैठ गये, सब साथ खाना खा लिए और बाते करने लगे, माया नोकरानी घर का काम कर रही थी वॉ एक कमसिन कली हो छोटी सी, छोटी छोटी चुन्चीय, छोटी सी कमर और गांड, एक जवान लड़की लगती थी, उसके पति को सांड ने मारा जिससे उसकी कमर टूट गयी, वो ज्यादा चल नही सकता था, माया मौसी और बुआ तीनो के बच्चा नही हो रहा था, सब मुझे ही बेटा मानती थी, जिस साल मे शहर गया उस साल दादा भी चल बसे थे, अब न्याय का फैसला माँ ही करती थी, माँ से सब डरते थे, शाम होने को आई, फूफा और मोसा एक कमरे मे बैठकर दारू पी रहे और अपनी बात कर रहे, साथ मे हुक्का चल रहा, इधर माँ मौसी और बुआ तीनो बैठी हुक्का पी रही, मौसी और बुआ दारू पी रही थी माँ कभी कभी ही पीती थी, दादी अपने कमरे मे थी, वो भी दारू हुक्का लगा रही थी सब काम माया ही करती थी, दादी के पास मे गया दादी आ मेरे लाल दादी थोड़ी नशे मे थी बैठ मै बैठ गया तभी मैने कहा दादी ये हुक्का क्यु पीती हो दादी बस बेटे ऐसे ही, मैने कहा दादी मै भी पीयू, दादी बोली हा बेटा तु भी अब सीख ले तु ही तो इस घर का चिराग़ है, मैने भी हुक्का पीना शुरू कर दिया, बड़ा मज़ा आया मे अपने कमरे मे आया और सो गया, सुबह उठा बुआ और मौसी जाने वाली है मौसी माँ से राज को कुछ दिन मेरे पास भेज देना मैं भी अपने बेटे के साथ रह लुंगी, माँ बोली अब तो सर्दी शुरू हो गयी गई गर्मी आते ही भेज दूँगी, इतना कहते ही, दोनो गाड़ी मे बैठ चल दी, दादी ने मुझे आवाज लगाई बेटा आजा तुझे खेत दिखा लाऊँ, मै दादी खेत की तरफ निकल निकल गये, पीछे तबेले मे माया और उसका पति थे, next....
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Re: Incest रुतबा या वारिस

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मै दादी तबेले मे गये वहा एक घोड़ी बहुत चिगहाड़ रही थी, और एक घोड़ा अपना लंड निकाले हुए था, दादी ने माया को जोर से आवाज लगाई, माया दोड़ के आई जी, माया घोड़ी को तूने दिखाया नही कितना बोल रही है माया माँ जी मुझे आता नही दिखाना उनको आता है लेकिन वो चल नही सकते, दादी कोई बात नही मै दिखा देती हु दादी ने घोड़ी की रस्सी खोली और एक पेड़ के पास ले गयी, माया ने लंड निकाले घोड़े की रस्सी खोली की घोड़ा भाग निकला घोड़ी की तरफ और घोड़ी की पीछे आये मुह लगा रहा, देखते देखते घोड़ा लंड को पुरा निकाल लिया, दादी माया जल्दी भाग, माया भागती हुई एक जवान लड़की लग रही थी, इतने मे घोड़े ने अपने दोनो पैरो को उठा घोड़ी पर रख लंड का धक्का लगाने लगा, एक दो बार ऐसे ही हुआ सका लंड चूत मे नही जा रहा था, वो उसके उपर था, घोड़े ने पानी वीर्य छोड़ दिया, जो सीधा दादी के उपर जाके गिरा, दादी घोड़े के पानी से पुरा भीग् गयी, इतने मे माया ने घोड़े की रस्सी पकड़ी दादी देर करदी आने मे तूने अब के एक घण्टे की, हम तीनो वही खड़े थे, दादी घोड़े के पानी को साफ कर रही थी, बोल रही पुरा खराब कर दिया, कुछ देर बात करते रहे की घोड़ा फिर लंड को खडा कर दिया, माया ने जाके घोड़ी की रस्सी को फिर पकड़ लिया, दादी घोड़ी के पास खड़ी हो गयी जैसे ही घोड़े ने अपने पैरो को उठाया और आगे बढ़ा दादी ने घोड़े के लंड को हाथ से पकड़ कर घोड़ी की चूत पर लगा दिया, घोड़े ने एक धका दिया एक ही झटके मे पुरा लंड घोड़ी की चूत मे चला गया, घोड़ी जोर से चिंघाडी, दो झटके बाद घोड़ा नीचे उतरा उसका लंड ढिला हो गया और घोड़ी के चूत से बहुत सारा पानी निकल रहा, दादी बोली हो गयी ये तो, ये सब देखा तो मेरे लंड भी खडा हो गया जो पेंट मे अलग ही दिख रहा था, माया की नज़र अचानक मेरे लंड पर गयी तो उसकी आँखे खुली रह गयी थी, क्यों की मेरा लंड भी घोड़े जैसे ही था, दादी बोली चल घर चलते है साफ करना है, दादी और माया आगे चल रही , दादी के बड़े बड़े चूतड़ मटक रहे थे घाघरे से हिल रहे, और माया तो लड़की जैसे क्स्से हुए थे मेरे लंड ने खडा होना फिर शुरू कर दिया, माया अपने तबेले में चली गई मै दादी घर आये, देखा की बुआ और मौसी जा रही है, मौसी ने मुझे गले लगाया बोली बेटा गर्मी मे आना मेरे पास, मौसी का स्पर्श पाके लंड फिर से खडा हो गया, बुआ को जैसे ही गले लगाया, मै उनसे चिपक गया और मेरा लंड बुआ की चुत पर लगा, मेरे सिहरन सी दोड़ पड़ी, बुआ बोली बेटा कभी समय मिले तो मेरे पास भी आना, मै बोला जरूर बुआ, मौसी मोसा और बुआ फूफा गाड़ी मे बैठ कर निकल गये, हम घर में आये दादी नहाने चली गयी, दिन यु ही बीत गया, शाम को माँ त्यार होकर आई बोली तेरे फूफा की तबियत खराब हो गयी अचानक, मे उनके पास जा रही हु, एक सप्ताह तक लटूंगी, घर का ध्यान रखना और दादी का भी, माँ चली गयी माया आई और दादी के कमरे मे हुक्का लगाने लगी, मै अपने कपड़े बदलकर लुंगी पहन ली, और दादी के कमरे मे चल पड़ा, दादी ब्लाउस पेटिकोट मे बैठी हुक्का पी रही माया पास मे बैठी, मुझे देखा दादी बोली आ बेटा आजा, दादी बोली माया तु जा अब, माया चली गयी, मै दादी के पास बैठा की दादी बेटा अलमारी से रम और गिलास निकाल ला, सर्दी बहुत है, मै दारू और गिलास लाया दादी ने हुक्का मुझे दिया और एक पटियाला पेग बनाया मुझे देकर बोली ले बेटा, दादी आप लो ना पहले, दादी बेटा तु इस घर का वारिश है पहला हक तेरा ही है दादी की बात मुझे और मर्दाना बना रही, मै दादी पेग और हुक्का पिया फिर खाना खाया, दादी की जवान बदन मेरे लंड मे हलचल कर रहा, मे उनके पास रहने का बहाना ढूंढ रहा था, दादी आज मे आपके पास सो जाऊ, दादी बेटा ये तेरा ही घर है जहा दिल करे सो जाया कर, सर्दी थोड़ी बढ़ने लगी मै दादी के बेड पर सो गया दादी भी रज़ाई ली और दोनो के उपर डाल मेरे पास सो गयी, दोनो नशे मे मस्त हो रहे, दादी एक बात पूछूँ आपसे, दादी हा बेटा पूछ, दादी वो सुबह आप और माया क्या करवा रही थी, दादी मेरी तरफ देखा और सोची कितना भोला है इतना बड़ा हो गया लेकिन इतना भी नही पता, दादी बोली बेटा वो दोनो का मिलन करवा रही थी, मै दादी मिलन क्यु करवा रही थी आप और आपको कैसे पता इनका मिलन करना है, दादी हल्की सी हसी बोली जब कोई ज्यादा बोलती है तो वो मिलन चाहती है समझे, मै बोला अच्छा, दादी वो घोड़े ने आप पर पानी क्यु मारा, क्या था वो, दादी सुनकर सिहर गयी, सोचा घर का एक ही वारिश हैं इसको सब समझाना होगा, मेरी तरफ मुह कर मेरे सर पर हाथ फेर बोली, बेटा वो पानी नही बीज था उसका, तो दादी आप पर क्यु डाला, आप तो बोली भी नही, दादी हंसी पागल वो फिसल गया तो मेरे पर आ गया, दादी फिर आपने उसका हाथ से क्या पकडा, और क्या किया की वो गायब हो गया उसमे, दादी मेरी बात सुनकर साँसे तेज हो गयी, मेरा लंड भी ऐसी बात करके खडा था चड्डी मे,, दादी बेटा मैने तो उसको सही जगह लगाया था, क्या था दादी वो, दादी की साँसे तेज हो रही उनकी बड़ी बड़ी चुन्चिया ब्लाउस को उपर नीचे कर रही, दादी ने कई साल बाद ऐसी बात की, दादी को लगा की ये घर का एक ही वारिश है इसको सब बताना होगा,दादी बोली उसको लंड कहते है बेटा, अच्छा, दादी उसको कहा गायब किया आपने, दादी फिर हंसी पागल मैने कोई गायब नही किया मैने तो उसको सही जगह लगाया था, दादी सही जगह मतलब, दादी बेटा उसको चूत पर लगाया, दादी वो अपने आप नही जाता क्या, दादी अब कुछ गर्म हो रही, बोली बेटा जब चूत छोटी और लंड मोटा होता है तब पकड़ कर डालना पड़ता है, अच्छा दादी दादी वो घोड़ी जोर से क्यु बोली जब लंड अंदर गया तब, मेरे मुह से लण्ड सुनकर दादी की साँसे तेज और गर्म हो गयी, मेरा लंड मे भी तनाव आ गया और हल्का सा दर्द होने लगा, दादी बोली बेटा, जब लंड मोटा होता है तब दर्द होता है इसलिए, अच्छा दादी, जब लंड बाहर आया तब वो लटक क्यु गया, गया तब तो ऐसा नही था, दादी अपने पोते को ऐसी बात बता कर गर्म हो रही थी, रज़ाई मै गर्मी हो रही दोनो से अब, दादी बेटा जब बीज निकल जाता है तब वो ढिला हो जाता है अच्छा दादी, ये कहकर दादी दूसरी साइड मुह करके सो गयी, next...
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