Incest अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता की छाया

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Ankit
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Re: Incest अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता की छाया

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विवाह की तैयारी
(मैं मानस)

हम लोगों ने तय किया की विवाह बेंगलुरु से ही किया जाए. सीमा के घर वाले चंडीगढ़ में थे पर वह बेंगलुरु आने के लिए तैयार हो गये थे. हम लोगों ने एक शादी का बड़ा हॉल बुक कर लिया था जिसमें वर वधू पक्ष के रहने के लिए अलग-अलग अवस्थाएं थी. मैरिज हाल खूबसूरत और अच्छी लोकेशन पर था तथा सर्व सुविधा सम्पन्न था.

मैंने गांव से सभी परिचित लोगों को निमंत्रित किया जो कमजोर लोग थे उनको फ्लाइट की टिकट तक भेज दी. निमंत्रण से बहुत खुश थे. सही समय पर गांव से सभी परिचित लोग आ चुके थे. गांव वालों की उपस्थिति ही विवाह कार्यक्रम में एक अलग किस्म का आनंद जोड़ देती है. उन्हें इन बड़ी शादियों की प्रतीक्षा होती है. शहर में रहने वाले लोग तो सिर्फ कुछ घंटों के लिए विवाह कार्यक्रम का आनंद लेते हैं और रात्रिभोज के बाद अपने अपने रास्ते चले जाते हैं पर गांव से आए लोग पूरे कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराए रखते हैं और विवाह को रंगीन बनाए रखते हैं.

सीमा की ओर से मंजुला चाची ने कमान संभाल रही थी. थी और हमारी तरफ से माया आंटी ने. छाया इस क्कार्यक्रम की मुख्य निर्देशिका थी. सब उसकी राय से कार्यक्रम को आगे बढ़ाते. शर्मा जी भी अपनी विदेश यात्रा से आकर इस विशेष कार्यक्रम के शामिल थे. गांव वालों से उनका परिचय मेरे सीनियर अधिकारी के रूप में कराया गया था. वह इस कार्यक्रम में मेरे पिता की भूमिका में दिखाई पड़ रहे थे. वह पूरे जोर-शोर से इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे थे.

गांव की शादियों में महिलाओं के झुण्ड का बड़ा योगदान होता है वह सब तरह तरह की रस्में करतीं हैं और इन रस्मो का भी एक अपना आनंद होता है. हमारा विवाह अंततः सभी की सहमति से हो रहा था. मुझे सिर्फ छाया की चिंता थी पर वह अब परिपक्व हो चुकी थी। उसका दुःख कभी उसके चेहरे पर नहीं आता. रस्मों के दौरान वह मेरे पास आती तो मुझे कभी कभी उसके चेहरे के पीछे उसके आंसू दिखाई दे जाते.

लड़कियां कितनी भी परिपक्व हो जाए अपनी भावनाएं नहीं छुपा पाती. आखिर मेरी प्यारी छाया भी एक लड़की ही थी।

इस विवाह में एकमात्र दुख मुझे छाया को लेकर ही था. पर धीरे-धीरे कार्यक्रम आगे बढ़ रहे थे. भविष्य में क्या होने वाला था मैं नहीं जानता पर मैं कहीं न कहीं इस बात को लेकर थोड़ा दुखी अवश्य था. महिलाओं का झुंड जब भी आता अलग-अलग प्रकार की रस्में करता इतनी सारी महिलाओं को एक साथ देख कर मन में अजीब अनुभूति होती अपने इस शादी में मैं मुख्य अतिथि जैसा महसूस कर रहा था. गांव के सभी लोग मुझे इज्जत और सम्मान की निगाहों से देख रहे थे मेरी प्रतिष्ठा शिखर पर थी. छाया को सजा धजा और खुश देख कर सब उसकी खुशी में मेरी उपलब्धता देखते. छाया अपनी पढ़ाई पूरी कर चुकी थी उसकी नौकरी के बारे में जानकर सब गांव वाले मुझे ही बधाई देते. पिछले कुछ दिनों में छाया ने अपना दुख को छुपाने के लिए अपनी कामुकता को और जीवंत कर दिया था. वह मुझे हर मौके पर खुश करने के लिए कुछ नया करती और मैं उसे अपनी पत्नी न बना पाने की लिए थोड़ा दुखी हो जाता.

अनूठा उपहार
(मैं छाया)

मानस भैया के तिलक का कार्यक्रम संपन्न हो चुका था. विवाह तींन दिन बाद होने वाला था. जिस विवाह की कल्पना में हम दोनों ने पिछले 3-4 वर्ष निकाले थे वो दिन आ चुका था. पर नियत की विडंबना थी मेरी जगह वहां सीमा दीदी को बैठना था. मानस और मैं एक दूसरे से अभी भी बहुत प्यार करते थे पर जो होना था वह हो रहा था. मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं मानस को क्या उपहार दूं पर मैं उसे यादगार बनाना चाहती थी. अंततः दृढ़ निश्चय करने के बाद मैंने मानस से कुछ घंटे एकांत में बिताने का समय मांगा. वह बोले
“ इस शादी के बीच में यह कैसे संभव होगा “
“ मैंने कहा यह आप देखिए.”
"तुम खुद भी कैसे फ्री हो पाओगी सब तैयारी तुम्हारे ही मार्गदर्शन में हो रही है”
"मैं ब्यूटी पार्लर के नाम पर समय निकाल लूंगी”
मेरी बातों में जिद थी वो मान गये. मेरी बात टालना उनके लिए असंभव था. वो मुझे बहुत प्यार करते थे.

हमने विवाह मंडप के अलावा कुछ होटलों में भी कमरे से ले रखे थे. एक होटल के कमरे के गेस्ट को आने में समय था. मानस ने दो दिन बाद दोपहर में ३.०० बजे का समय निर्धारित किया. मेरे पास २ दिन का वक्त था. मैंने अपनी पूरी तैयारी कर ली और हम तय वक्त पर होटल के लिए निकल चुके थे. मानस बार-बार मुझे प्रश्नवाचक निगाहों से देख रहे थे वह समझ नहीं पा रहे थे कि मैं उनके साथ क्या करने वाली हूँ. आपसी प्यास तो हम समारोह के बीच भी बुझा ही लेते थे. कार की सीट पर पीछे बैठे बैठे हैं वह मेरे हाथों को सहला रहे थे. मेरे चेहरे पर भी घबराहट भी और मन में भी. एक कुछ ही देर में हम होटल के कमरे में थे.

[मैं मानस]

कमरे में पहुंचते ही छाया ने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया और मेरे राजकुमार को अपने हाथों सहलाते हुए कहा
“इस राजकुमार को मैंने बहुत प्यार किया है और कल से यह किसी और का हो जाएगा” मैं इसे एक अनूठा उपहार देना चाहती हूँ. आपको मुझे इसमें सहयोग करना होगा.”
मैं अभी भी उसकी मंशा समझ नहीं पा रहा था पर उसके हाथों में आते ही राजकुमार स्वयं उठ खड़ा होता था इसमें मेरा कंट्रोल बिल्कुल भी नहीं होता था.
जैसे छोटे बच्चे अपनी माँ को देखते ही उसके गोद में आने के लिए अपना हाँथ आगे बढ़ा देते हैं वैसे ही मेरा राजकुमार तन कर छाया के हाँथ में आ जाता था.
मैंने उसे अपने आगोश में ले लिया मैंने कहा
“ ठीक है जो तुम्हें लगता है वह करो” उस दिन उसने एक सुंदर सा सलवार सूट पहना हुआ था. उसने दुपट्टे से मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी और मुझे बिस्तर पर लिटा दिया. मेरे कपड़े उसने पहले ही खोल दिए थे मैं बिस्तर पर नग्न लेटा हुआ था. मेरा राजकुमार पूरी तरह अपना छाया के हाथो अपना स्खलन कराने के लिए तैयार था. मेरी आंखों पर पट्टी बंधी होने की वजह से मैं छाया को नहीं देख पा रहा था. छाया अब मेरे ऊपर आ चुकी थी और मुझे उसके स्तनों का एहसास हो रहा था. मेरे हाथ उसके स्तनों को सहला रहे थे. उसके होंठ मेरे होंठों पर थे. राजकुमार राजकुमारी के होंठो में अपना स्थान तलाश रहा था. कुछ ही देर में छाया धीरे-धीरे मेरे छाती को चुमती हुई नीचे की तरफ बढ़ी. अब राजकुमार उसके मुख में अठखेलियां कर रहा था. उसने अबकी बार अपने मुख से एक कृत्रिम योनि का निर्माण किया और राजकुमार को वह सुख देने लगी. राजकुमार को यह क्रिया बहुत पसंद थी और वह उछल रहा था अचानक मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे छाया उसके ऊपर कोई चीज लपेट रही थी. राजकुमार उस अनजाने आवरण के अंदर आ गया था. एक बार के लिए मैं डर गया की कही छाया ने बदला लेने के लिए कुछ और तो नहीं सोचा है?
पर वह मेरी प्यारी छाया थी. बदला ? यह असंभव था. हम दोनों एक दुसरे के लिए जान भी दे सकते थे.
मेरी आंखें बंद थी और कौतुहल चरम पर. राजकुमार का तनाव कुछ कम जरूर हुआ पर वह वापस सामान्य रूप से तन गया था. छाया अपने हाथों से राजकुमार को सहला रही थी कुछ ही देर में मुझे अपनी कमर पर छाया के बैठने का एहसास हुआ. उसके दोनों पैर मेरी जांघों के दोनों ओर थे. उसकी राजकुमारी राजकुमार के संपर्क में थी. पर उस लिपटी हुए चीज की वजह से दोनों में सीधा संपर्क नहीं हो पा रहा था. मैं अपने हाथ उस चीज को हटाने के लिए बढाया पर उसे छाया ने रोक लिया छाया. वह एक बार फिर मेरे होठों तक आई और मुझे प्यार से चूम लिया.
कुछ ही देर में मुझे अपने राजकुमार के मुख पर किसी पतले और सकरे रास्ते का अनुभव हुआ. छाया का वजन मेरे राजकुमार पर बढ़ता जा रहा था. राजकुमार अब दर्द में था पर वह उस पतले रास्ते में प्रवेश कर रहा था. जैसे जैसे छाया की कमर धीरे-धीरे नीचे आ रही थी राजकुमार उस अनजानी सकरी और तंग गुफा में जा रहा था. छाया हांफ रही थी. मैं समझ नहीं पा रहा था की छाया यह क्या कर रही हैं. मैं तो अद्भुत आनद में था. राजकुमार ने यह अनुभव पहली बार प्राप्त किया था. मुझे लगा कहीं ऐसा तो नहीं कि वह अपना कौमार्य आज ही परित्याग कर रही हो. यह मेरे लिए पीड़ादायक चीज होती मैंने उसे वचन दिया था कि उसका कौमार्य भंग नहीं होने दूंगा. कहीं ऐसा तो नहीं कि वह भावावेश में आकर ऐसा कर रही हो. मैं इतना सोच ही रहा था की तभी छाया के नितंबों का एहसास मुझे अपनी जाँघों पर हुआ. राजकुमार अनजानी गुफा में पूरी तरह प्रवेश कर चुका था. छाया की कोई और गतिविधि मुझे महसूस नही ही रही थी।
राजकुमार उस गहरी गुफा में जाने के बाद पूरी तरह तन चुका था. अचानक छाया मेरी तरफ झुकी और मेरे होठों को अपने होंठों के बीच ले लिया और मेरी आंखों पर पड़ी हुई पट्टी स्वयं ही हटा दी. मैंने आंखें खोली और अपनी उसकी आंखों में आंसू थे. आंसू की एक बूंद मेरे गाल पर भी गिरी. मैंने अपने हाथों से उसके आंसू पोछे और उसके गाल अपने गाल से सटा लिए . मैं उससे यह भी नहीं पूछ पा रहा था उसने मेरे राजकुमार के साथ क्या किया. कुछ ही देर में वह सामान्य हो गई और वापस मेरे होठों को चूमने लगी. अब वह अपनी कमर को आगे पीछे कर रही थी. मेरा राजकुमार उस अनजानी और गहरी गुफा मैं आगे पीछे हो रहा था. वह तो इन्हीं गुफाओं की प्रतीक्षा में पिचले २५ वर्षों से था. उसे पतले और तंग रास्ते हमेशा से पसंद थे. उसकी उछल कूद बढ़ रही थी. मैं इस अद्भुत आनंद के लिए छाया का ऋणी हो रहा था. मुझे बार-बार चूमती जा रही थी. उसने कमर हिलाने की गति बढ़ा दी. कुछ ही देर में मेरे राजकुमार ने गहरी गुफा की चाल से अपनी गति मिला ली. अब मेरी कमर भी उसी गति में हिलने लगी. छाया मुझे चूमती जा रही. कुछ ही देर में राजकुमार स्खलित होने के लिए तैयार था मैं अपने राजकुमार को उस गुफा से बाहर निकालना चाहता था और हमेशा की तरह अपनी प्यारी छाया को भिगोना चाहता था पर मैंने राजकुमारी के कंपन अभी तक महसूस नहीं किये थे. राजकुमार राजकुमारी को छोड एक अलग ही दुनिया में आनंद ले रहा था. एक बार के लिए मुझे लगा जैसे छाया ने कोई कृत्रिम योनी लायी थी. पर छाया मुझसे सटी हुए थी मैं नीचे नहीं देख पा रहा था. राजकुमार का लावा फूटने वाला था मैं उसे बाहर निकालना चाह रहा था पर बिना छाया के सहयोग के बाद संभव नहीं था. वह अपनी गति को विराम नहीं दे रही थी अंततः राजकुमार ने अपना वीर्य उसी गहरी गुफा में छोड़ दिया. इसका आनंद भी अद्भुत था. वीर्य प्रवाह के दौरान थे मैं अपनी कमर को बड़ी तेजी से हिला रहा था. राजकुमार भी गहरे तक उतर जाना चाह रहा था.
वीर्य स्खलन समाप्त होते ही मैं सुस्त हो गया. छाया मुझे अभी भी चूम रही थी. कुछ देर बाद छाया उठ रही थी. मेरा राजकुमार उसकी इस अनजानी गुफा से बाहर आ रहा था. मुझे उसकी राजकुमारी मुझे स्पष्ट दिखाई पड़ रही थी. और मेरा राजकुमार अभी भी अनजानी गुफा के अंदर था.
मुझे समझते देर न लगी कि आज छाया ने मेरे वचन की लाज रखते हुए मेरे राजकुमार को उपहार में अपनी प्रिय दासी को समर्पित किया था. छाया की दासी से राजकुमार अब बाहर आ रहा था वह पूर्णता स्वच्छ और साफ दिखाई दे रहा था. छाया ने अपने हाथों से उस रबड़ नुमा चीज को बाहर निकाला. मेरा सारा वीर्य उस रबड़ नुमा थैली में एकत्रित हो गया था. छाया उसे लेकर बाथरूम की तरफ चल पड़ी. वापस आने के बाद उसने मुझे फिर से चुमाँ और राजकुमार को अपने हाथों से सलाया राजकुमार बहुत खुश था. उसने उछल कर अपने अंदाज में छाया को धन्यवाद दिया.
मैंने छाया की राजकुमारी को सहलाने की कोशिश की उसने रोक दिया और कहा
“चलिए देर हो रही है कुछ ही देर में हम दोनों वापस टैक्सी में थे” मैंने छाया का हाथ अपने हाथों में लेते हुए कहा
“ छाया तुम अनूठी हो और तुम्हारा उपहार भी अनूठा था” मेरी बातें सुनकर वह बहुत खुश हो गई थी उसने मेरा हाथ चूम लिया और कहां
“मानस भैया मुझे भूख लगी है. मैंने दो दिन से अन्न नहीं खाया है.”
मैं समझ गया और फिर से उसे चूम लिया. मैंने उसकी पसंद का पिज्जा लिया वो उसे खाते हुए बोली
“मैं आपकी और अपने राजकुमार की खुशी के लिए किसी हद तक जा सकती हूँ” मैं मुस्कुरा रहा था पर मेरी आँखों में आसू थे. कुछ ही देर में हमारी गाड़ी विवाह मंडप के पोर्च में थी.
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विवाह कार्यक्रम

(मैं छाया)
मानस की हल्दी का कार्यक्रम हो रहा था। गांव से आई हुई सारी महिलाएं मानस को हल्दी लगा रही थी और तरह-तरह के विवाह गीत गा रही थीं। विवाह गीत की मधुरता हर सुनने वाले के कान में शहद घोल देती है। कुंवारी लड़कियां और कुंवारे लड़के इन गीतों को सुनने के पश्चात स्वयं को एक बार अवश्य उस जगह रख इन गीतों का आनंद लेते हैं। मानस भैया की हल्दी और चुमावन की रस्म में गाए जाने वाले गीतों में मुझे उनकी बहन कह कर संबोधित किया जा रहा था। मेरे लिए यह रिश्ता असहनीय हो गया था। मेरे और मानस के अलग होने में इसी रिश्ते का सबसे ज्यादा योगदान था। परंतु जो होना था वह रोका नहीं जा सकता था।
हल्दी की रस्म के पश्चात मानस कमरे से लगे बाथरूम में जाने लगे और सारी महिलाएं उस कमरे से बाहर आ गयीं। मेरी मां ने कहां अरे मानस की हल्दी तो ले लो बहू (सीमा) को भेजना होगा। सीमा की हल्दी के लिए शायद यह एक रस्म थी। मेरे मुंह से तपाक से निकला "मां मैं लेकर आती हूं" मैंने कमरे का दरवाजा खटखटाया और मानस ने दरवाजा खोला। वह अब तक तोलिया लपेटकर नहाने की तैयारी कर रहे थे। मैंने पास पड़ी हल्दी का कटोरा उठाया और उनके पास आकर तोलिया हटा दिया। राजकुमार पता नहीं क्यों तनाव में था। मुझे लगा शायद हल्दी की रस्म में कई महिलाओं के हाथ शरीर पर लगने से राजकुमार उत्तेजित हो गया था। मैंने मुस्कुराते हुए अपने हाथों से हल्दी निकाली और राजकुमार पर लगा दी। मानस भैया बोले छाया मत करो कोई आ जाएगा। मैंने कहा
*मां ने कहा है आपके शरीर की हल्दी सीमा भाभी के लिए जाएगी इसलिए मैं आपसे शरीर से हल्दी ले रही हूँ" वह मेरी हल्दी लेने की इस विधि को देखकर मुस्कुराने लगे और अपने आलिंगन में ले लिया। मैंने राजकुमार को हल्दी से पूरा भिगो दिया और फिर अपने हथेलियों से दबाव बढ़ाते हुए उसके ऊपर लगी हुई सारी हल्दी उतार ली। मानस भैया के राजकुमार से निकली हुई लार इस हल्दी में शामिल हो चुकी थी। शायद यह लार सीमा भाभी के लिए उनका प्यार था। मैं उस अनूठी हल्दी को लेकर बाहर आ गयी। जब मैं मानस भैया के लिंग से अठखेलियां कर रही थी तो उन्होंने मेरे स्तनों को छू लिया था जिससे मेरे कंधों पर और स्तनों के ऊपर कपड़ों पर हल्दी के दाग लग गए थे। जैसे ही मैं कमरे से बाहर आई गांव की एक लड़की ने टोका "छाया दीदी मानस भैया के साथ साथ आपको भी थोड़ी हल्दी लग गई" मैं शरमा गई पास में खड़ी कई सारी महिलाएं हंसने लगी. वह यह तो नहीं समझ पायीं कि यह मानस के हाथों का कमाल था पर मेरी मां मुस्कुरा रही थी वह जान रही थी कि मैंने और मानस ने हल्दी की रस्म अपने हिसाब से ही निभा ली थी।
मां ने कहा छाया हल्दी लेकर जा और सीमा के घर वालों को दे दे वो इंतजार कर रहे होंगे। मैं मुस्कुराते हुए सीमा दीदी के कमरे की ओर चल पड़ी कुछ ही देर में सीमा भाभी की भी हल्दी की रस्म शुरू हो गई कमरे से आ रही हंसी की आवाजें आ रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे महिलाएं सीमा दीदी के प्यारे स्तनों और कोमल शरीर पर हल्दी लगा रही होंगी मैं भी उसमें शामिल होना चाह रही थी पर यह संभव नहीं था। मैंने इंतजार किया मैंने उस हल्दी में से कुछ भाग अपने हिस्से के लिए बचा कर रख लिया था। जैसे ही हल्दी की रस्म खत्म हुई और सारी महिलाएं बाहर आ गई तो मैंने सीमा दीदी को मोबाइल पर मैसेज कर मुझे बुलाने के लिए कहा । वह नहाने जाने से पूर्व मुझे बुलाने के लिए किसी लड़की को भेजा। मैं बाहर लॉन में इंतजार ही कर रही थी उनके बुलावे पर मैं अपने हाथ में थोड़ी सी हल्दी लिए हुए उनके कमरे में आ गयी। सीमा ने दरवाजा बंद कर लिया वह निश्चय ही यह जानती थी कि मेरे मन में कुछ ना कुछ जरूर चल रहा था उसने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया मैं पूरी सजी-धजी थी और वह हल्दी में डूबी हुई। मैंने सीमा दीदी का घाघरा खोल दिया वह अपने वजन से नीचे की तरफ सरक गया और सीमा दीदी मेरी आंखों के सामने कमर के नीचे नंगी हो गयीं। महिलाओं ने उनकी जांघों तक में हल्दी लगा दी थी पर उनकी राजकुमारी एकद साफ बची थी। मैंने अपने हाथों में ली हुई हल्दी को उनकी राजकुमारी पर लगा दिया मानस भैया के राजकुमार के लार में डूबी हुई वह हल्दी उनकी राजकुमारी पर लगाते समय मुझे हर्ष हो रहा था। वह मुस्कुरा रही थी उन्होंने कहा
"मेरा सारा शरीर तो हल्दी से मेरे रिश्तेदारों ने ढक दिया था सिर्फ यही जगह बाकी थी जो मेरी प्यारी छाया के लिए ही बची थी सच कहूं तो मुझे भी तुम्हारी इसी अदा का इंतजार था उन्होंने मुझे होठों पर चूम लिया हमारे पास समय कम था।

(मैं मानस)

मैं छाया को तैयारियों में व्यस्त देखकर उसका ऋणी हो रहा था। पिछले दिन उसका दिया हुआ अनूठा उपहार अद्भुत था। मुझे नहीं पता की सुहागरात के बाद संभोग में मुझे ज्यादा सुख मिलता या नहीं पर जो सुख छाया ने दिया था वह अद्भुत था. विवाह के दिन भी वह कई बार मेरे राजकुमार को तनाव में ले आती उसे सहलाती और बिना स्खलित किये हट जाती. एक दो बार मैंने भी उसके नितंबों को छुआ और राजकुमारी को सहला दिया इस भरी भीड़ भाड़ में ऐसा करना पर्याप्त रिस्क लेने जैसा था. पर यही तो उसकी आदत थी वह विषम परिस्थितियों में भी उत्तेजना कायम रखती थी.
लड़के की बहन होने के कारण इस कार्यक्रम में वह मुख्य भूमिका में थी. बारात जाने के दौरान उसने जी भर कर डांस किया था. सभी लोग उसके नृत्य के कायल थे। नृत्य कला में वह पहले भी पारंगत थी. उसने अपने कालेज में भी कई प्रोग्राम किए थे. उस नवयौवना का मादक नृत्य देखकर सारे लोग अचंभित थे. उसका नृत्य सबको अलग-अलग सुख दे रहा था। विवाह में आए मनचले लड़के उस नृत्य को देखकर अपने अपने राजकुमार में जरूर तनाव महसूस कर रहे होंगे. घोड़े की पीठ पर बैठा मैं स्वयम उसका नृत्य देखकर अचंभित हो रहा था. पर आज वह एक अलग किस्म के नशे में थी. उसने पूरे रास्ते नृत्य किया. उसकी वेशभूषा अत्यंत सुंदर थी. वह पूरे समय हमारे साथ विवाह कार्यक्रम में रही उसकी सुंदरता वधू पक्ष में भी चर्चा का विषय थी. हम दोनों एक आदर्श भाई बहन की भांति दिखाई पड़ रहे थे।
पुरुष और स्त्री में संबंध आपकी निगाहों से होता है. आज से 1 वर्ष पहले माया आंटी को हम दोनों कामदेव और रति दिखाई पड़ रहे थे पर आज लोगों की निगाहों में हम आदर्श भाई बहन के रूप में खड़े थे. हमें यह रिश्ता पूर्णतयः अस्वीकार था. छाया मेरी ऐसी प्रेमिका थी जिससे मेरा विवाह ना हो पाया था. पर हमारी आत्माएं पहले ही मिल चुकीं थीं।
अंततः विवाह संपन्न हुआ छाया ने मेरा और सीमा दोनों का ख्याल रखा था। विवाह संपन्न होने के बाद हम दोनों को बधाई दी. वह बहुत खुश लग रही थी. उसने सीमा के गाल पर पप्पी ली और मेरे चरण छुए.
विवाह संपन्न हो चुका था मैं सीमा के घरवालों के बीच कुछ देर और रहा उनके द्वारा दिए गए उपहारों को स्वीकार करता रहा.
अगले दिन दोपहर तक सारे कार्यक्रम खत्म हो चुके थे. विवाह कार्यक्रम में आए लोग भी वापस जा रहे थे. छाया भी आज रात की तैयारियों में लग गई थी. आज मेरी और सीमा की सुहागरात थी.
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छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -15
सीमा की सुहागरात
सीमा पारंपरिक अंदाज में शीशे के गिलास में दूध लिए हुए कमरे में आई उसने सुर्ख लाल रंग की साड़ी पहन रखी थी. उसके शरीर पर आभूषण बहुत खिल रहे थे. छाया द्वारा बनवाया गया हार उसके गले में था. साड़ी की वजह से उसके स्तन स्पष्ट रूप से उभरे हुए दिख रहे थे. लाल रंग की साड़ी के बीच से गोरा पेट स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ रहा था. पेट के बीच में उसकी नाभि खूबसूरती पर चार चांद लगा रही थी. साड़ी में स्त्रियों का उभार एक अलग ही रूप ले लेता है. साड़ी में सादगी और कामुकता दोनों का मिश्रण होता है यह आज दिखाई पड़ रहा था. आज उसकी कामुकता हावी थी साड़ी का रंग लाल था और आंखों मेमे भी लालिमा थी, आंखों में काजल और पलको की सजावट ने उसे और मादक बना दिया था. छाया ने मुझे बताया था की सीमा अभी तक कुंवारी है. मैं भी आज तक कुवारां ही था. छाया द्वारा दिया गए अनूठा उपहार पता नहीं किस श्रेणी में रखा जाएगा पर मेरे लिए तो वह अविस्मरणीय था. सीमा धीरे धीरे मेरे पास आ रही थी. उसने मुझे गिलास दिया. मैंने उसे अपने बगल में बैठा लिया. आज मैं भी इस सुहागरात के पल को अपनी जानकारी के हिसाब से यादगार बनाना चाहता था. मैंने अपने हाथों से वही दूध सीमा को पिलाना चाहा उसने अपने होंठ लगाए और एक घूंट पी लिया. मैंने भी थोड़ा सा दूध पीकर गिलास बगल में रख दिया. सीमा मेरे अगले कदम की प्रतीक्षा कर रही थी. अभी कुछ दिनों पहले ही मैंने और सीमा ने इसी बिस्तर पर रासलीला की थी. पर आज की बात विशेष थी. सीमा ने ही मुझे सबसे पहले सेक्स से परिचित कराया था. यह राजकुमार पहले उसका ही दीवाना था पर सीमा में संवेदना की कमी मुझे महसूस होती थी. वह राजकुमार को प्यारी तो थी पर ऐसा लगता था जैसे उसके लिए सिर्फ यही राजकुमार नहीं था बल्कि वह कई और राजकुमारों की सेवा करती थी. इस उधेड़बुन में सीमा व्यग्र हो रही थी. मैंने उसके हाथों को अपने हाथों में ले लिया और हथेलियों से उसे सहलाने लगा.
“ अंततः तुम मेरी हो गई”
“हां मुझे खुशी है कि मैं कि मैंने जिस राजकुमार को अपनी राजकुमारी से मिलाया था आज वही राजकुमार उसका कौमार्य भेदन करेगा “ कहकर वह मुस्कुरा रही थी. मैंने उसे गालों पर चूम लिया . मैंने उसे बताया उसकी दी गई गुरु दक्षिणा को मैंने अभी तक संभाल कर रखा है. वह यकीन नहीं कर पा रही थी. मैंने अलमारी खोलकर वह लाल पैंटी बाहर निकाल दी जिस पर हम दोनों के प्रेम रस के दाग लगे हुए थे. उसे देख कर वह बहुत खुश हुयी. उसने उस पेंटी को सीधा किया उसने मुझे चूम लिया और बोली
“सच में आप बहुत अच्छे हैं. मैं तो आपको यह मजाक में दिया था”
“तुम्हारी दी हुई थी इस दक्षिणा ने मेरे जीवन में बदलाव लाया था. तुम्हारा राजकुमारी दर्शन मेरे जीवन की अद्भुत खड़ी थी. तुम मेरी कामकला की सूत्रधार हो” वह मुस्कुराते हुए और आकर मेरे आलिंगन में आ गई. कुछ ही देर में हमारे वस्त्र हमारा साथ छोड़ते गए. सीमा के वस्त्र उतारते समय अजीब अनुभूति हो रही थी. कभी-कभी मुझे उसके स्तनों में छाया के स्तन दिखाई देते. सीमा के शरीर की कसावट मुझे तुरंत हकीकत में ले आते. कुछ ही देर में सीमा पूर्णतयः नग्न थी. वह अत्यंत मादक लग रही थी. हाथ पैरों में मेहदी की सजावट तथा कौमार्य भेदन की उत्सुकता ने उसे और शर्मीला बना दिया था. उसके चेहरे और शरीर में छाया जैसी कोमलता नहीं थे परंतु एक मदमस्त यौवना की तरह स्त्री सुलभ लज्जा अवश्य थी. उसके शरीर के उभार दर्शनीय थे मैंने उसे भी गोद में उठा लिया जिस तरह से मैं छाया को उठाया करता था. सीमा को उठाने के बाद मुझे ऐसा महसूस हुआ जैसे वो छाया से ज्यादा भारी थी फिर भी मैंने उसको चूमते हुए बिस्तर पर ले आया कुछ ही देर में हम दोनों अपने प्रेमलीला में व्यस्त हो गए.

सीमा की राजकुमारी को चूमते समय राजकुमार उछलने लगा था. उसे इंतजार अब बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा था. इतनी मादक नव योजना सामने जांघें फैलाए नग्न लेटी हुई थी यह दृश्य मात्र ही राजकुमार के उछलने के लिए काफी था. सीमा की राजकुमारी के मुख पर प्रेम रस की बूंदे आ चुकी थी. मेरे राजकुमार ने उसके होठों के बीच अपनी जगह बनानी शुरू कर दी. प्रेम रस की वजह से उसकी फिसलन बढ़ चुकी थी . राजकुमार ने सबसे पहले इसी से स्नान का आनंद लिया. शायद उसे वह सुख याद आ रहा था जब वह बार-बार छाया की
राजकुमारी के मुख में जाता और वापस आ जाता. वैसे इस क्रिया की शिक्षा भी सीमा ने ही दी थी. हम लोग छुपन छुपाई के दौरान कई बार इसका आनंद भी लिया था. आज भी राजकुमार उसी आनंद में मशगूल था. मेरी नजरें सीमा से मिलते ही वह मुस्कुरा पड़ी. उसे भी शायद वह छुपन छुपाई का खेल याद आ रहा था. हम कुछ देर इसी अवस्था में रहे राजकुमार उसके मुख में हर बार कुछ ज्यादा अंदर प्रवेश कर रहा था. सीमा की धड़कनें बढ़ रहीं थीं. यह क्रिया धीरे-धीरे तीव्र होती जा रही थी . राजकुमार अब राजकुमारी के अंदर प्रवेश करने लगा था. वह अंदर प्रवेश करता है तथा उसके होठों के बीच से बाहर आ जाता. अचानक मेरा सब्र टूट गया मैंने सीमा के होठों पर किस किया और उसकी रजामंदी से राजकुमार अन्दर प्रवेश करा दिया. सीमा को तेज दर्द हुआ उसने अपने होंठ अपने दांतो के नीचे दबा लिया मैंने अपने होंठ में उसके होंठों को लेकर प्यार से चूसने लगा. सीमा की राजकुमारी अब रानी बन गयी थी. धीरे धीरे सीमा खुश हो गई थी. शायद जितने दर्द की उसने कल्पना की थी उससे कम दर्द हुआ था.
स्त्री की उत्तेजना उसके प्रथम संभोग के दर्द को कम कर देती हैं ऐसा मैंने पढ़ा था और आज अपनी आंखों से देख रहा था. सीमा की राजकुमारी पूरी तरह उत्तेजित थी और प्रेमरस बहा रही थी और इसी अवस्था में उसका कौमार्य भेदन हुआ था. कुछ देर इसी अवस्था में रहते हुए मैंने अपने राजकुमार को सीमा के अंदर और भी गहराई तक प्रविष्ट करा दिया. राजकुमार का लगभग पूरा सीमा की राजकुमारी के अंदर था. सीमा की अनुभूति एक अलग तरह की थी. उसकी आंखों में हल्के हल्के आंसू थे निश्चय ही वह शुरुआती दर्द के रहे होंगे पर अब उसमें खुशी के आंसू भी शामिल हो चुके थे. वह मंद मंद मुस्कुरा रही थी. मैं उसे उसकी जीत पर बधाई दे रहा था. मैं उसके माथे और गाल को बार-बार चूम रहा था और उसे यह बता रहा था कि उसने विजय प्राप्त कर ली है. वह खुश थी कुछ ही देर में मैंने अपनी कमर को थोड़ा आगे पीछे करना शुरू किया. मेरे राजकुमार के बाहर आने और अन्दर जाने जाने से राजकुमारी भी आनंद उठा रही थी. कुछ देर तक यह सुख लेने के बाद उसने मुझे नीचे आने का इशारा किया मैं समझ गया वह ऊपर आना चाहती है. सीमा पहली बार में ही सारे सुख ले लेना चाहती थी या हो सकता इस अवस्था में उसे कष्ट हो रहा हो. मुझे लगा था जैसे उसने भी ब्लू फिल्मे अवश्य देखी थी.
अंततः मैं नीचे और सीमा मेरे ऊपर आ चुकी थी. राजकुमार राजकुमारी से दूर था अचानक मेरी नजर उसके राजकुमारी पर पड़ी जो अब रक्तरंजित हो चुकी थी. मेरा राजकुमार भी घायल लग रहा था पर यह रक्त उसका नहीं था. यह विजय तिलक उसकी रानी ने लगाया था। सीमा का ध्यान उस ओर जाता इससे पहले ही मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया और उसके होठों को फिर से चूम लिया. सीमा के स्तन मेरे सीने से सटे हुए थे. मैं उसके होठों को चूम रहा था. राजकुमार राजकुमारी से मिलने के लिए अपना रास्ता तलाश रहा था और कुछ ही देर में वह उसके मुख में प्रवेश कर रहा था. .
सीमा के प्रेमरस की मात्रा रक्त से ज्यादा थी जो राजकुमार को रास्ता दिखा रही थी. आगे प्रवेश करने के लिए या तो सीमा या मुझे अपनी कमर को आगे पीछे करना था. मैंने यह कार्य सीमा के हवाले कर दिया था और चुपचाप शांत पड़ा हुआ था. राजकुमार राजकुमारी के मुख के अंदर था. मैं सीमा को प्यार से चुंबन ले रहा था अचानक मैंने सीमा की राजकुमारी को पीछे की तरफ जाते महसूस किया. सीमा की कमर पीछे जा रही थी. राजकुमार राजकुमारी में विलुप्त हो रहा था. राजकुमारी राजकुमार के ऊपर आ रही थी और उसे अपनी आगोश में ले रही थी. कुछ ही देर में मेरा लिंग अब पूरी तरह प्रवेश कर चुका था. वह बहुत खुश थी की मेरे लिंग को अपने अंदर पूरी तरह ले पा रही थी. उसका दर्द खत्म हो चुका था वह अपनी कमर को धीरे-धीरे आगे पीछे करने लगी. मैं उसके स्तनों और नितंबों को सहला रहा था. कुछ ही देर में घायल राजकुमारी उग्र रूप ले चुकी थी. मैं महसूस कर पा रहा था कि अब स्खलित होने वाली थी. मैंने सीमा को अपने आगोश में ले लिया. मैंने अपनी कमर की गति को सीमा सीमा की कमर की गति से मिला लिया. मेरी इस क्रिया ने राजकुमार और राजकुमारी के बीच चल रहे संघर्ष को और बढ़ा. दिया. राजकुमारी अब स्खलित रही थी. मेरा राजकुमार की तीव्र गति, सीमा के स्खलन को बढ़ा रही थी. मैंने सीमा की अपने ऊपर पूरी तरह लिटा लिया था तथा अपने हांथो से उसे अपने से सटाया हुआ था. वह चाह कर भी हिल नहीं सकती थी. मैं चाहता तो अपनी कमर को विराम देकर राजकुमारी का सामान्य स्खलन हो जाने देता. परंतु आज का दिन विशेष था. मेरा एक हाथ उसकी कमर को मुझसे चिपकाए हुए थे तथा दूसरा उसकी पीठ पर था. उसके होंठ मेरे होंठों में थे. स्खलित हो रही राजकुमारी में राजकुमार का इस तरह तीव्र गति से अंदर बाहर होना सीमा से सहन नहीं हो रहा था वह कांप रही थी. मुझे उसकी कंपकपाहट अच्छी लग रही. वह राजकुमारी को हटाना चाह रही पर यह संभव नहीं था. राजकुमार ने भी अपना लावा उडेलना शुरू कर दिया था. अंततः राजकुमारी का स्खलन हो गया. आज मैंने अपना सारा वीर्य राजकुमारी के अंदर ही छोड़ दिया था. हम दोनों कुछ देर इसी अवस्था में रहे. राजकुमारी के अंदर भरा हुआ मेरा वीर्य अब धीरे-धीरे बाहर आ रहा था. जैसे-जैसे राजकुमार का तनाव कम होता वैसे वैसे बहाव तेज होता. इसी अवस्था में एक दुसरे को चुमते हुए हम कब सो गए पता ही नहीं चला.
एक बार मेरी नींद खुली मैं बाथरूम गया और आने के बाद मैंने देखा सीमा गहरी नींद में सोई हुई है. चादर हटी हुई थी. उसकी दोनों जांघों के बीच से झाकती उसकी रक्त रंजित राजकुमारी को देखकर मुझे अत्यंत उत्तेजना हुयी. मैंने सीमा को बाहों में ले लिया उसकी नींद खुल चुकी थी. वह मुझे फिर से प्यार करने लगी शायद उसने भी इस सुहागरात को यादगार बनाने की सोची होगी पर अत्यधिक थकावट की वजह से उसे नींद आ गई थी. वह पूरी तरह खुश लग रही थी. रक्त रंजित राजकुमारी के बारे में कुछ भी याद नहीं था. कुछ ही देर में राजकुमारी का प्रेम रस राजकुमार को आकर्षित करने लगा. दोनों एक दूसरे के संपर्क में आ रहे थे और हम दोनों एक बार फिर संभोगरत हो गए.
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Re: Incest अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता की छाया

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मानस, सीमा और मैं
[मैं छाया]

मानस और सीमा हनीमून से वापस आ चुके थे. सीमा के पास मुझे बताने के लिए बहुत कुछ था पर हम दोनों के पास समय बहुत कम था. शाम को नौकरी से आने के बाद मुश्किल से एक 2 घंटे का समय मिलता जो घर के कार्य निपटाने में चला जाता. रात में सीमा और मानस एक कमरे में चले जाते और मैं मैं अकेली रह जाती. पर कुछ ही दिनों बाद मानस को ऑफिस के कार्य से 2 दिनों के लिए बेंगलुरु से बाहर जाना पड़ा. यह मेरे और सीमा के लिए एक उचित अवसर था. मानस के जाने के बाद मैं और सीमा घर में अकेले रह गए थे. हमने उस दिन जानबूझकर छुट्टी ले ली थी मुझे सीमा के साथ सेक्स किए हुए लगभग 20 दिन बीत चुके थे. सीमा भी मुझे उतना ही प्यार करती थी हम दोनों एक दूसरे के लिए दो जिस्म एक जान थे. यदि वह पुरुष होती तो निश्चय ही मेरी मंगेतर होती ऐसा वह कहती थी.

सुबह घर के कार्य निपटाने के बाद हम दोनों बिस्तर पर आ चुके थे. सीमा अब शादीशुदा हो चुकी थी. उसने मुझे अपनी सुहागरात से लेकर हनीमून तक के सारे किस्से सुना डालें. मानस शुरू से ही रोमांटिक थे यह बात मैं भली-भांति जानती थी. मुझे पूरी उम्मीद थी कि इन दोनों का हनीमून बहुत ही सुखद और यादगार तरीके से गुजरा होगा. सीमा की बातें सुन सुन कर मेरी राजकुमारी प्रेम रस छोड़ने लगी थी. जब वह मानस के बारे में बात करती तो वह शर्मा जाती थी. मैंने पूछा
“मानस का राजकुमार ज्यादा अच्छा था या सोमिल का”
वह हंस पड़ी बोली
“दोनों अपनी अपनी जगह सही हैं मानस का राजकुमार थोड़ा छोटा सा पर है बहुत प्यारा”
वह मानस के बारे में बात करते समय थोड़ा सकुचा रही थी. मैंने पूछा तो उसने कहा
“मानस तुम्हारा भाई है तुम उसके बारे में यह सब बातें कैसे कर सकती हो?” मैंने उन्हें सामान्य करने के लिए कहा
“वह मेरा भाई बाद में है पहले मेरा जीजा है” कह कर हंस दी. वह भी हंसने लगी.

मैंने और मानस ने इस भाई बहन के थोपे गए अनचाहे रिश्ते का दंश झेला था। इसने हमारे पवित्र और पावन मिलन को रोक दिया था। हमारा मिलन तो अभी भी होता था पर उसमें सामाजिक मान्यता नहीं थी। मैंने और मानस में दृढ़ निश्चय कर लिया था कि इस अनचाहे रिश्ते में हम अपने प्रेम को कायम रखेंगे। यह भाई बहन का शब्द अब हमारी उत्तेजना का सबसे बड़ा स्रोत था। जैसे ही हम यह शब्द सुनते हमारी उत्तेजना चरम पर पहुंच जाती मानस भैया का राजकुमार भी इन संबोधनों को सुनकर हमारी सहमति में अपना सर हिलाने लगता और मेरी राजकुमारी मुस्कुरा उठती।
सीमा ने मानस के राजकुमार के बारे में विस्तार से बताया. मुझे सुनकर खुशी हो रही थी कि वह मुझसे बेझिझक होकर बातें कर रही थी. बातों ही बातों में मैंने उससे कहा
“मुझे तुम्हें संभोग करते हुए देखना है.”
“धत पगली ऐसा कैसे हो सकता है तुम्हें शर्म नहीं आएगी. मानस तुम्हारा भाई है क्या तुम अपने भाई को अपनी आंखों के सामने नग्न होकर मेरे साथ संभोग करते हुए देख पाओगी?”
मैंने कहा
“मुझे संभोग करते हुए देखना है यह अलग बात है कि संभोग करने वाला कौन है. मैं देख लूंगी पर क्या आप यह दर्शन सुख मुझे दिला पाओगी.”
सीमा के हाव भाव देखकर ऐसा लगता था जैसे उसे इन बातों में आनंद आ रहा था. वह मन ही मन मुझे इन सब दृश्यों को दिखाने की प्लानिंग कर रही थी. उसने मुझसे फिर बोला
“क्या सच में तुम देखना चाहती हो?”
मैंने कहा
“जरूर“
कुछ ही देर में हम दोनों फिर आलिंगन बद्ध हो चुके थे. धीरे धीरे हम नग्न होते गए और कुछ ही देर में हम एक दूसरे की बाहों में थे. मैंने सीमा से कहा मुझे रानी साहिबा के दर्शन करने है. उसकी राजकुमारी अब रानी बन चुकी थी. मैंने उसकी जांघों को फैला कर देखा सच में राजकुमारी के होंठ फैल चुके थे अब राजकुमारी का मुख बिना उंगलियां लगाए ही दिख रहा था. उसकी लालिमा होठों से झांक रही थी. शादी से पहले तक सीमा की राजकुमारी के दोनों होंठ आपस में चिपके रहते थे पर आज 15 दिनों के अंदर ही राजकुमारी के दोनों होठों में थोड़ी दूरी आ चुकी थी और राजकुमारी का मुख से झलक रहा था. मैंने सीमा को चूम लिया और कहा सच में राजकुमारी और रानी में स्पष्ट अंतर दिखाई दे रहा है. वह हंसने लगी और बोली
“यह तुम्हारे मानस भैया का किया धरा है. पिछले 15 दिनों में 45 बार राजा जी ने रानी पर चढ़ाई की है. मैंने सीमा की रानी साहिबा को चूम लिया सीमा खुश हो गयी थी. उसकी रानी को भी एक अलग आनंद प्राप्त हुआ था. कुछ ही देर में हम दोनों एक दूसरे की रानी और राजकुमारी को अपने होठों से तृप्त कर रहे थे. यह कला मुझे सीमा ने हीं सिखाई थी. कुछ ही देर में हम दोनों स्खलित हो गए. और उसी अवस्था में सो गए. सीमा मेरी अंतरंग सहेली भी थी और एक अच्छी दोस्त भी. मैं उसे कभी दीदी कहती कभी भाभी कभी नाम लेकर भी पुकारती वह हर स्थिति में मुझसे खुश रहती थी और हर हाल में मेरी खुशी चाहती थी.
अपने रूम में वह मेरे लिए उचित जगह की तलाश में थी जहां से मैं उसके और मानस के संभोग को देख सकूं. आखिरकार कमरे में बने ड्रेसिंग एरिया में उसने एक जगह खोज ली. उसने मुझसे कहा तुम यहीं पर छुप जाना और यहां से तुम हम दोनों का संभोग देख सकती हो पर ध्यान रहे मानस तुम्हारा भाई है यह तुम्हें निर्णय लेना है कि उसे मेरे साथ नग्न होकर संभोग करते हुए देखना तुम्हें अच्छा लगेगा या नहीं. मैंने उसे फिर चूम लिया एक बार फिर सीमा के संबोधन ने मेरी राजकुमारी को मुस्कुराने पर मजबूर कर दिया था मैं स्वयं शरमा रही थी. दो-तीन दिनों बाद मानस वापस आ चुके थे.
मेरे मन में नयी उम्मीद जाग चुकी थी।
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Re: Incest अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता की छाया

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अविश्वसनीय ननद
[मैं सीमा]

सम्भोग दर्शन

शनिवार को हम तीनों की ऑफिस की छुट्टियां थीं. सीमा ने आज शाम को ही मेरे लिए संभोग दर्शन की व्यवस्था की थी. रात को संभोग से कुछ देर पहले ही उसने मानस को किचन में कॉफी बनाने के लिए भेज दिया और इसी दौरान मुझे ड्रेसिंग एरिया में आकर छुप जाने के लिए कहा. कुछ ही देर में मानस दो कप कॉफी लेकर आ चुके थे . वह दोनों कॉफी पीते पीते मेरे ही बारे में बात कर रहे थे. सीमा ने कहा
"शादी के दिन छाया कितनी खूबसूरत लग रही थी. मैंने अपने गांव के कई लड़कों और चचेरे भाइयों को उसके बारे में कामुक बातें करते हुए सुना था मुझे लगता है वह विवाह योग्य हो चुकी है" मानस ने कहा " हां, हमें छाया की शादी कर देनी चाहिए."
"हां सच में वह भी अब जवान हो गई उसका भी मन करता होगा."
"हां यह तो शरीर की स्वाभाविक जरूरत है. तुम भी अपने ऑफिस में कोई लड़का देखो"
सीमा ने कहा “हां मैं भी देखूंगी.”
उन दोनों की काफी खत्म हो चुकी थी. कुछ ही देर में मानस और सीमा ने एक दुसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिए. मानस को नग्न देखकर मेरी राजकुमारी एक बार फिर प्रेम रस से भीगने लगी. मानस के नग्न शरीर से मैंने जितना संपर्क बनाया था और उसके आगोश में जितनी रातें गुजारी थी अभी सीमा के लिए दूर की बात थी. पर आज नियति के खेल ने मेरी जगह सीमा को रख दिया था. मानस अनभिज्ञ होकर सीमा के स्तनों से खेल रहे थे और उसकी जांघों के बीच आकर अपने राजकुमार को उसकी रानी के मुख और होठों के बीच में रगड़ रहे थे. सीमा खुद इस तरह लेटी थी जिससे मुझे उसकी रानी स्पष्ट दिखाई पड़े. यह दृश्य मेरी राजकुमारी के लिए असहनीय हो रहा था कुछ ही देर में राजकुमार रानी के अंदर प्रवेश कर गया. सीमा को पता था मैं यह सब देख रही हूं वह मुझे और उत्तेजित करने के लिए आह…. की आवाज निकाली. मानस ने अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया था और सीमा मानस को अपनी तरफ खींच रही थी. उनकी सम्भोग क्रिया तेजी से आगे बढ़ रही थी. सीमा अपनी कला का प्रदर्शन मेरे सामने खुश होकर कर रही थी. उसे मुझे संभोग दर्शन कराने में एक अलग आनंद मिल रहा था. कुछ ही देर में सीमा डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी. मानस उसकी कमर को पकड़ कर पीछे से धक्के लगा रहे थे. मेरी आखों के सामने एक जीती जागती ब्लू फिल्म चल रही थी. मेरे हाथ अपनी राजकुमारी को सहला रहे थे. इससे पहले मानस और सीमा स्खलित होते मैं यह दृश्य देख कर अपने विवाह की कल्पना और कामना करने लगी.
कुछ ही समय पश्चात मानस और सीमा स्खलित हो गए. सीमा के स्तन भी मानस के प्रेम रस से सन गए थे। सीमा ने जानबूझकर मानस को फिर किचन में कॉफी का कप रखने के लिए भेजा और मैं कमरे से बाहर निकल गइ.
अगले दिन सीमा ने मुझे अपनी बांहों में भरते हुए मेरा अनुभव पूछा. मैं चटखारे लेकर अपने अनुभव को उसे बतायी. वह बहुत खुश थी कि उसने अपनी सहेली को संभोग सुख के साक्षात दर्शन कराए थे. पर मैं कहां संतुष्ट होने वाली थी मैंने उससे कहा मुझे राजकुमार को छूना है. मैंने आज तक किसी पुरुष का लिंग अपने हाथों से नहीं छुआ. वह हंस रही थी. उसने मुझसे कहा
“ पगली वो तुम्हारा भाई है सगा ना सही सौतेला है. तुम उसका लिंग अपने हाथों में लोगी क्या तुम्हें शर्म नहीं आएगी?”
मैंने उससे कहा
“जब उसे पता चलेगा तब ना मुझे तो उसे छूकर एहसास करना है.”
उसे मेरी इन सब बातों में बहुत मजा आता था उसने कहा ठीक है. रविवार को रात को उसने मुझे फिर उसी तरह छुपा दिया और सेक्स के दौरान मानस की आंखों पर पट्टी बाँध दी. मानस की आंखों पर पट्टी बजे होने की वजह से वो हमें देख नहीं पा रहे थे. छाया ने मुझे अपने पास बुला लिया. बिस्तर पर अब मैं और सीमा दोनों थे. मानस नग्न अवस्था में बिस्तर पर लेटे हुए थे. सीमा ने मुझे इशारा किया और मैंने मानस का लिंग अपने हाथों में ले लिया. मानस के चेहरे पर एक अजब सा भाव आया. वह मेरे हाथों की अनुभूति पहचानते थे पर वह यह यकीन नहीं कर सकते थे की सीमा की उपस्थिति में मैं यह कर सकती हूँ. वह आंखें बंद किए हुए इसका आनंद ले रहे थे. मैंने उनके लिंग को अपरिचित की भांति छूकर महसूस कर रही थी. सीमा मेरे चेहरे को देख कर हंस रही थी. और आंखों से ही प्रश्न कर रही थी कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है?
मैं बड़ी उत्सुकता से राजकुमार को आगे पीछे कर रही थी. लिंग में तनाव बढ़ चुका था और वह उछल रहा था. मानस के राजकुमार की यह उछाल मैंने कई वर्षों तक महसूस की थी. कुछ ही देर में मैंने अपने हाथ उनके राजकुमार से हटा लिए. सीमा ने उसी स्थिति में मानस के राजकुमार पर अपनी रानी को रख दिया और कुछ ही देर में राजकुमार रानी में विलुप्त हो गया. इतने करीब से सीमा को सम्भोग करते देख मेरी राजकुमारी पानी पानी हो रही थी. सीमा की कमर के ऊपर जाते ही कुछ देर के लिए राजकुमार दिखाई पड़ता और फिर रानी में विलुप्त हो जाता. सीमा मेरे सामने ही सम्भोग कर रही थी और मैं उसके बगल में खड़ी थी. यह एक अद्भुत दृश्य था. मैं वहां से हट कर वापिस जाने लगी पर सीमा ने मेरा हाथ पकड़ लिया. जीवंत संभोग को इतने करीब से देख कर मेरे मन में अभूतपूर्व वासना का संचार हुआ था मैं उत्तेजना से कांप रही थी. मेरी उत्तेजना को शांत करने वाले मेरे दोनों ही साथी मुझे छोड़ आपस में संभोग कर रहे थे मैं तरस रही थी. उन दोनों की खुशी को देख कर मैं मन ही मन खुश भी थी. एक न एक दिन यह सुख मुझे भी प्राप्त होना था. मैं ईश्वर से इसके लिए प्रार्थना भी कर रही थी मेरा कौमार्य भेदन भी मानस भैया के राजकुमार द्वारा ही हो पर शायद यह असंभव था हम दोनों ही वचनबद्ध थे. मानस भैया के लिंग से वीर्य वर्षा होते ही मेरा साक्षात दर्शन खत्म हो चुका था. मैं सधे हुए कदमों से धीरे-धीरे चलते हुए कमरे से बाहर आ गयी दरवाजा मैंने सटा दिया था.
सीमा ने मुझे बाद में यह बताया कि मेरी उपस्थिति में उसे संभोग करने में एक अलग किस्म का मजा आता है. वह चाहती थी कि काश मैं हमेशा उस समय उसके पास ही रहती.
अगले दिन मानस मेरे पास किचन में आए मैं चाय बना रही थी उन्होंने पूछा "छाया क्या तुम कल मेरे कमरे में आई थी?"
"मैंने कहा कब"
"जब मैं और सीमा साथ थे" वो खुलकर नहीं बोल रहे थे.
"नहीं"
"सच बताओ ना"
"क्यों क्या हो गया?"
"कल अचानक मुझे महसूस हुआ कि तुम्हारे हाथों ने राजकुमार को छुआ था" मैंने कहा
"अब आप मुझे भूलकर सीमा दीदी में मन लगाइए" और हंसने लगी. वह देखिये मेरी भाभी की उमर लंबी है... सीमा कमरे से निकलकर किचन में आ रही थी.
मानस भैया डाइनिंग टेबल पर बैठकर चाय पीते हुए अपनी दोनों परियों को एक साथ देख रहे थे उनके मन में उठे कई प्रश्न अधूरे थे पर मुझे उनका उत्तर देना अभी आवश्यक नहीं लग रहा था. उनके इंतजार में ही हम सबकी भलाई थी.
एक दिन मानस की आंखों पर पट्टी बांधकर फिर सीमा ने मुझे अपने पास बुला लिया मैं मानस का लिंग सहला रही थी तभी उसने मेरे घागरे का नाड़ा खोल दिया मैं पूरी तरह नग्न हो चुकी थी. कुछ ही देर में उसने मेरा टॉप भी हटा दिया. अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे. सीमा मेरी राजकुमारी को छू रही थी और मैं मानस के लिंग को अपने हाथों से खिला रही थी. मुझे मानस के लिंग को हिलाते देखकर उसके मन में एक अजीब किस्म की खुशी आती थी. उसने मुझसे चुप रहने के लिए कहा और मानस के हाथ लाकर मेरी राजकुमारी पर रख दिए. मानस की उंगलियां मेरी राजकुमारी को बहुत अच्छे से पहचानती थीं. मानस जान चुके थे उन्होंने सीमा से कहा
“अरे तुम्हारी रानी तो आज अलग ही लग रही है”
“हां मैंने इसे विशेष रूप से तैयार किया है” सीमा अभी मानस के मनोदशा से अनभिज्ञ थी
सीमा को इस खेल में मजा आ रहा था. उसने मुझे झुकने का इशारा किया और मानस के हाथ मेरे स्तनों पर रख दिए. मानस पूरी तरह जान चुके थे कि मैं वहीं पर पूर्ण नग्न अवस्था में थी. उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया. मैं पूर्ण नग्न अवस्था में मानस भैया के ऊपर आ चुकी उनके एक हाथ मेरी पीठ पर और दूसरा नितंबों पर आ गया. सीमा हतप्रभ थी.उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें. मानस भैया लगातार मुझे सहला रहे थे कुछ ही सेकंड में उसने स्वयं मानस की आंखों पर से पट्टी हटा दी. शायद वह डर गई थी की थोड़ी ही देर में मानस भैया का राजकुमार मेरी राजकुमारी का कौमार्य भेदन कर देता और वह इस अनचाही घटना की जिम्मेदार होती। सीमा सिर झुका कर खड़ी हो गई । वह अबोध नवबधु की तरह नग्न अवस्था में सिर झुकाए खड़ी थी और अपराध बोध से ग्रस्त थी.
उसे मानस मिलने वाले डांट की प्रतीक्षा थी. उसने स्वयं की उत्तेजना के लिए कुछ ऐसा कर दिया था जो उसकी नजर में एक असीम गुनाह था. उसकी आंखों में थोड़े आंसू भी थे. वह डर से कांप रही थी मानस भैया के चेहरे पर मुस्कान थी. मैं भी मुस्कुरा रही थी.
अचानक ही मानस ने हाथ बढ़ाकर सीमा को अपने पास खींच लिया. मानस भैया की एक तरफ मैं और दूसरी तरफ से वह आ चुकी थी. हम तीनों नग्न अवस्था में बिस्तर पर एक साथ थे. वह सीमा के आंसू पूछ रहे थे और अपने होठों से उसके गालो और होठों को चूम रहे थे. सीमा सुबक कर रही थी. मानस के प्यार से वह धीरे-धीरे सामान्य हो रही थी. उसमे थोड़ी हिम्मत आ गई थी. सीमा सुबकते हुए बोली
"मुझे माफ कर.……." वह कुछ बोल पाती इससे पहले हम दोनों हंस पड़े. सीमा आश्चर्यचकित होकर हमें देख रही थी. मानस ने उसे उठाकर हम दोनों के बीच में कर दिया. हम दोनों सीमा के गालों को चूम रहे थे. मानस ने सारी बातें एक ही बार में उसे बता दी. सीमा मेरी तरफ मुड़ी और मेरे काम खींचते हुए बोली
"तू तो मेरी पक्की सहेली थी. कम से कम तू तो बता देती. मैंने उसे होठों पर चूम लिया मानस का राजकुमार अपनी रानी को खोजता हुआ उसमें प्रवेश कर चुका था. हमारा अद्भुत मिलन गंगा जमुना और सरस्वती की भांति हो चुका था सरस्वती जिस तरह विलुप्त है मेरी खुशियों में भी अभी ग्रहण लगा हुआ था. मैं अभी भी संभोग सुख से वंचित थी पर हम तीनों के मिलन का आनंद एक नई उपलब्धि थी.
सीमा को यकीन ही नहीं हो रहा था कि हम दोनों पिछले तीन-चार वर्षो से यह कार्य साथ में करते आ रहे हैं. उसने मेरा कौमार्य देखा था और उसके लिए यह यकीन करना संभव नहीं हो पा रहा था कि इतने दिनों तक साथ में रहने के बाद मेरा कौमार्य किस तरह सुरक्षित था.
सीमा हम दोनों के बीच में थी मानस की कमर हिलाने की वजह से उसका शरीर धीरे-धीरे एक लय में हिल रहा था. मैं उसके स्तनों को प्यार से सहला रही थी. वह मंद मंद मुस्कुराते हुए आने वाले जीवन की कल्पना कर रही थी. निश्चय ही उसकी इस कल्पना में मेरा भी स्थान था.
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