Adultery सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर

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mastram
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Re: Adultery सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर

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PART-4
उस दिन के बाद से शिवानी दुबारा गौरव से अकेले में नहीं मिली थी क्योंकि उसे गौरव के गंदे इरादों के बारे में पता चल गया था की वह उसे अपनी "सेक्स स्लेव" बनाकर अपनी हवस पूरी करना चाहता है. गौरव भी उससे बदला लेने के लिए उस पर अपनी दबंगई और रौब दिखा दिखाकर उसे परेशान करता रहता था.
शिवानी और विवेक की शादी को अब लगभग 6 महीने हो चुके थे-दोनों की सेक्स लाइफ बढ़िया चल रही थी. विवेक शिवानी की खूबसूरत जवानी और उसकी सेक्सी फिगर का दीवाना था और रात के अलावा जब भी मौका लगता वह शिवानी को जी भरकर पेलता रहता था-विवेक के मम्मी पापा इस बात की उम्मीद लगाए बैठे थे की जल्द ही उनके घर में एक नए मेहमान का आगमन होगा लेकिन जब 6 महीने के बाद भी शिवानी ने कंसीव नहीं किया (गर्भ धारण नहीं किया) तो उनकी चिंता बढ़ने लगी.
उन्होंने एक दिन शिवानी से ही पूछना शुरू कर दिया : बेटा तुम लोग मुझे दादी कब बना रहे हो
उसी समय विवेक भी वहीं पर आ गया और अपनी मम्मी की बात सुनकर कहने लगा : अरे मम्मी जल्दी क्या है -बच्चे तो भगवान की देन हैं. जब भगवान की कृपा होगी तो आपको नाती भी मिल जायेगा
उसी समय विवेक के पापा दशरथ सिंह और गौरव भी वहां आ पहुंचे और कहने लगे : हमें भी तो मालूम पड़े कि तुम लोगों में क्या बातचीत चल रही है
यह सुनते ही सुनीता देवी बोलने लगीं : मैं तो इन लोगों से यही जानना चाह रही थी कि इस आंगन में नन्हा मुन्ना मेहमान कब तक आने वाला है
दशरथ सिंह भी मामले की गंभीरता को समझ रहे थे क्योंकि 6 महीने शादी को हो चुके थे और अभी तक शिवानी कंसीव भी नहीं हुई थी
दशरथ सिंह ने गौरव की तरफ देखकर कहा : तुम्हारे दोस्त की मम्मी लेडी डॉक्टर हैं -क्या नाम है उनका ?
गौरव : डॉक्टर उर्मिला देवी, मेरे दोस्त पुनीत की मम्मी हैं-आप कहें तो मैं उनसे मिलने का समय ले लेता हूँ -भैया और भाभी जाकर उनसे मिल लेंगे
दशरथ सिंह : हाँ मेरा ख्याल यही है कि लेडी डॉक्टर से चेक अप करा लिए जाए ताकि अब और देरी न हो और अगर किसी इलाज़ की जरूरत हो तो वह समय रहते कर लिया जाए
विवेक : देखो यह सब काम बाद में कर लेंगे. मुझे फिलहाल कल जरूरी काम से लखनऊ निकलना है -वहां से आने के बाद देखेंगे कि डॉक्टर से कब मिलना है
सुनीता देवी : फिलहाल ऐसा करते हैं कि बहूरानी को तो दिखा देते हैं- यह गौरव के साथ डॉक्टर साहिबा के यहां चेक अप कराने चली जाएगी
विवेक : ठीक है, तुम लोगों की जो मर्ज़ी हो सो करो -मुझे सफर की तैयारी करनी है-मैं चलता हूँ
यह कहकर विवेक वहां से चला गया
गौरव ने डॉक्टर उर्मिला से बात करके उनसे कल सुबह दस बजे का समय ले लिया था
सब लोग इस बात पर राजी हो गए थे कि अगले दिन सुबह दस बजे शिवानी अपने देवर गौरव के साथ लेडी डॉक्टर उर्मिला देवी के यहां अपना चेक अप कराने जाएगी
इस बातचीत के बाद सब लोग अपने अपने काम में व्यस्त हो गए. गौरव अचानक बदले इस घटनाक्रम से बेहद उत्साहित और उत्तेजित था और थोड़ी थोड़ी देर बाद अपने लण्ड पर हाथ फिरा फिराकर आने वाले समय की कल्पनाओं में खोया हुआ था. वह इंटरनेट पर जिस तरह की फ़िल्में और कहानियां देखता-पढता रहता था, उनकी वजह से उसकी हरामी पंती बहुत ज्यादा बढ़ गयी थी -शादी के बाद से ही वह शिवानी को अपने जाल में फंसाकर उसे अपने इशारों पर नचाने के सपने देख रहा था लेकिन शिवानी उसकी लाख कोशिशों के बाबजूद उसे अपने ऊपर हाथ तक नहीं रखने दे रही थी.
गौरव को अब मेडिकल चेक अप के बहाने इस बात का सुनहरा मौका मिला था कि वह अपनी सभी हसरतों को पूरा कर ले -उसने इसके लिए पक्का प्लान भी बना लिया और लेडी डॉक्टर उर्मिला देवी के बेटे पुनीत (जो कि उसका पक्का दोस्त भी था) को भी अपने प्लान में पार्टनर बना लिया.
विवेक को सुबह 6 बजे लखनऊ के लिए निकलना था इसलिए वह सफर कि तैयारी करने के बाद खाना खाकर जल्दी ही सो गया लेकिन बिस्तर पर उसके साथ लेटी हुई शिवानी अभी तक जाग रही थी और दिन भर कि बातों के बारे में सोचते हुए कल होने वाले मेडिकल चेक अप को लेकर भी चिंता में थी कि पता नहीं डॉक्टर अपनी रिपोर्ट में क्या बताये
उधर गौरव भी अपने दोस्त पुनीत से फोन पर कल होने वाले मेडिकल चेक अप के बारे में लगातार बातचीत कर रहा था
रात के 10 बजे गौरव अचानक विवेक के कमरे में आया और शिवानी से बोला : भैया से कुछ जरूरी बात करनी है-उन्हें जगा दो
शिवानी ने विवेक को जगा दिया और विवेक गौरव के साथ उसके कमरे में आ गया : बताओ क्या बात है गौरव
गौरव : उर्मिला आंटी से मेरी बात हुई है-उन्होंने कहा है की एक शीशी में आपके वीर्य का सैंपल भी मैं उनके पास लेकर जाऊं ताकि वह उसे भी चेक करवा सकें -इसके बाद आपको उनके पास जाने कि जरूरत नहीं पड़ेगी
विवेक गौरव की बात समझ गया और बोला : ठीक है -मैं शीशी में वीर्य भरकर शिवानी को दे दूंगा
इसके बाद विवेक कमरे में आया और शिवानी से बोला : यह नयी मुसीबत डॉक्टर ने खड़ी कर दी है- इस समय मेरा मूड भी नहीं है और उसने मेरे वीर्य का सैंपल कल मंगवाया है -तुम ऐसा करो एक खाली शीशी लेकर आओ और मेरा मूड बनाओ
शेष अगले भाग में
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mastram
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PART-5
शिवानी एक खाली शीशी लेकर आयी और विवेक को देते हुए कहने लगी : मैं आपकी बात समझी नहीं-आप कह रहे हैं कि मूड बनाओ-मूड कैसे बनाते हैं ?
विवेक : तुम तो यार शहर की पढ़ी लिखी मॉडर्न लड़की हो और इतना भी नहीं जानतीं कि पति का मूड कैसे बनाया जाता है -चलो मैं तुम्हे बताता हूँ-फटाफट अपने कपडे उतारो और मेरे सामने आकर खड़ी हो जाओ
विवेक इस समय एक बनियान और बॉक्सर अंडरवियर पहने सोफे पर अपनी टाँगे फैलाकर बैठा हुआ था
शिवानी को अभी भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन उसने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए-उसने इस समय फ्रंट ज़िप वाला गाउन पहना हुआ था. उसने गाउन की ज़िप नीचे खिसकाई और धीरे धीरे उसे अपने बदन से अलग करके साइड में रख दिया-अब उसके बदन पर सिर्फ ब्रा और पैंटी बची थी.
विवेक ने शिवानी को देखकर अंडरवियर के अंदर अपने लण्ड पर हाथ फिराया और बोला : ब्रा और पैंटी भी उतारो-पूरी तरह नंगी हो जाओ
शिवानी थोड़ी हैरान थी क्योंकि विवेक जिस तरह से आज व्यवहार कर रहा था, वह उसने पहले कभी नहीं किया था लेकिन क्योंकि वह उसका पति था शिवानी ने बिना कुछ ज्यादा सोचे समझे अपनी ब्रा और पैंटी भी उतार फेंकी और विवेक के पास जाकर खड़ी हो गयी
बिना किसी भूमिका के विवेक उससे बोला : जल्दी से नीचे घुटनों के बल बैठो और मेरे लण्ड को अपने मुंह में लेकर उसे खड़ा करो
यह कहकर विवेक ने अपने अंडरवियर में से अपने लण्ड को बहार निकल लिया जो इस समय लगभग शिथिल अवस्था में था
शिवानी एकदम स्तब्ध थी. उसने पहले कभी किसी का लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया था और विवेक भी आज उससे पहली बार ही उसका लण्ड मुंह में लेने के लिए कह रहा था.
शिवानी : क्या यह जरूरी है जी ? मैंने पहले कभी किसी का लण्ड अपने मुंह में नहीं लिया है -मुझे यह अच्छा भी नहीं लगता है
विवेक (कड़क आवाज़ में ) : तुम्हे क्या अच्छा लगता है क्या नहीं लगता है-उसका कोई मतलब नहीं है- अगर मैं कह रहा हूँ तो तुम्हे मेरा हुक्म मानना ही होगा. चलो अब जल्दी से अपना मुंह खोलो और जो मैं कहता हूँ वह करती जाओ
शिवानी अब बेबस थी. वह विवेक की टांगों के बीच में घुटन के बल बैठ गयी और उसके लण्ड को अपने हाथों में लेकर उस पर हाथ फिराने लगी -जैसे ही उसने विवेक के लण्ड पर अपना हाथ फिराना शुरू किया, उसका साइज बढ़ने लगा और वह कड़क भी होने लगा
विवेक : जल्दी से इसे अपने मुंह में लो और इसे अपनी जीभ और होंठों से सहलाओ
शिवानी ने उसके लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और अपनी जीभ को उसके लण्ड के इर्द गिर्द घुमाकर उसकी मालिश करने लगी
विवेक को अब मुख मैथुन का मज़ा आने लगा और उसका लण्ड भी उसके मुंह में एकदम कड़क होकर काफी लम्बा हो गया था
अपने लण्ड को उसके मुंह में अंदर बाहर करते हुए विवेक शिवानी के दोनों गालों पर बीच बीच में हल्के हल्के चपत भी मारता जा रहा था क्योंकि ऐसा करने पर उसे कुछ ज्यादा ही मज़ा आ रहा था.
जब विवेक को लगा कि उसके लण्ड की पिचकारी अब छूटने वाली है तो उसने लण्ड को उसके मुंह से बाहर निकाल लिया और अपने लण्ड की पिचकारी को खाली शीशी के अंदर छोड़ दिया. अब खाली शीशी उसके वीर्य से पूरी तरह भर गयी थी. शीशी को बंद करके उसने एक तरफ रख दिया और शिवानी से बोला : अब अपनी जीभ से मेरे लण्ड को साफ़ करो
शिवानी अपनी जीभ से सहला सहला कर उसके लण्ड को चाट चाट कर साफ़ करने लगी और शिवानी की इस मालिश से विवेक का लण्ड एक बार फिर से कड़क हो गया और वह बोला : जाओ अब बिस्तर पर जाकर लेटो. तुम्हारे साथ बाकी के मज़े अब बेड पर ही लिए जाएंगे.
शिवानी बिस्तर पर जाकर सीधी लेट गयी -वह पूरी तरह निर्वस्त्र थी. विवेक बिस्तर पर आया और उसके मम्मों को दबाने-सहलाने लगा -उसके हाथ सरकते हुए उसके चिकने समतल पेट पर आये और फिर उसने शिवानी के चिकने योनि प्रदेश पर अपना हाथ फिराते हुए उससे कहा : टाँगे खोलो
शिवानी ने जैसे ही अपनी टाँगे खोलीं, विवेक ने अपने खड़े लण्ड को उसकी योनि में डाल दिया और शिवानी के खूबसूरत बदन को अपने बदन के नीचे दबाते हुए उसकी तबियत से चुदाई करने लगा.
इसी तरह मौज़ मस्ती करते करते दोनों को कब नींद आ गयी, इसका उन्हें तब पता चला, जब सुबह 4 बजे अलार्म की घंटी बजने लगी
दोनों फटाफट उठकर विवेक के लखनऊ जाने की तैयारी करने लगे क्योंकि उसे हर हाल में 5 बजे निकलना था और 6 बजे की लखनऊ की ट्रेन पकड़नी थी.
शेष अगले भाग में
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mastram
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PART-6
विवेक एक हफ्ते के लिए लखनऊ चला गया था
शिवानी का देवर गौरव आज सुबह से ही शिवानी के मेडिकल चेक अप के बारे में सोच सोचकर अपना लण्ड सहलाये जा रहा था
ठीक साढ़े नौ बजे गौरव शिवानी को अपनी बाइक पर बिठाकर डॉक्टर उर्मिला देवी के क्लिनिक की तरफ चल दिया. गौरव ने एक टी शर्ट और जींस पहनी हुई थी और शिवानी ने एक नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी.
बाइक चलते चलते शिवानी के मस्त मस्त नरम मुलायम मम्मे गौरव की पीठ से बार बार टकरा रहे थे. शिवानी ने अपने एक हाथ को पहले से ही गौरव की कमर में डालकर उसे कसकर पकड़ रखा था ताकि झटका वगैरा लगने पर वह बाइक से नीचे न गिर जाए
जल्द ही वे दोनों क्लिनिक पहुँच गए. क्लिनिक काफी पुराना और बड़ा था और वहां काफी कर्मचारी काम करते थे.
क्लिनिक पर गौरव का दोस्त और डॉक्टर उर्मिला का बेटा पुनीत इंतज़ार कर रहा था
शिवानी ने पुनीत को देखा तो उसे याद आया कि यह तो वही है तो कालेज में गौरव को थप्पड़ मारते समय भी मौजूद था.
पुनीत गौरव से बोला : मम्मी को विधायक जी के यहां किसी अर्जेंट काम से जाना पड़ गया है और वह शाम तक ही वापस आएंगी लेकिन तुम्हारा केस वह अपने जूनियर डॉक्टर अनुराग को ठीक से समझाकर गयी हैं -आओ मैं तुम्हे डॉक्टर अनुराग से मिलवा देता हूँ.
यह कहकर वे लोग एक केबिन में डॉक्टर अनुराग के पास आ गए
पुनीत डॉक्टर अनुराग से बोला : इनके बारे में मम्मी ने आपसे बात की थी. यह मेरा दोस्त गौरव है और यह इसकी भाभी हैं-शिवानी
यह कहकर पुनीत वहां से चला गया
अब गौरव ने सबसे पहले वीर्य से भरी शीशी डॉक्टर अनुराग को देते हुए कहा : यह भैया के वीर्य का सैंपल है
डॉक्टर अनुराग ने वीर्य का सैंपल लैब में टेस्टिंग के लिए भिजवा दिया और गौरव से बोला : अब आप अपनी समस्या बताइये
डॉक्टर गौरव लगभग तीस साल का गेहुँआँ रंग का ६ फिट लम्बा था-गेहुआं रंग का होने के बाबजूद भी वह काफी आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक लग रहा था और उसने डॉक्टरों वाला सफ़ेद कोट पैंट और अंदर एक सफ़ेद रंग की शर्ट पहनी हुई थी.
गौरव ने अब डॉक्टर अनुराग को बताना शुरू किया : दरअसल भैया भाभी की शादी को ६ महीने हो चुके हैं और मम्मी-पापा को यह चिंता है कि अभी तक भाभी के बच्चा होने का कोई लक्षण नज़र नहीं आ रहा है -यह मामला सीरियस इसलिए है कि अगर यह पता चलता है कि भाभी को बच्चा नहीं हो सकता है तो हम लोगों को शायद यह शादी तोड़कर भैया की दूसरी शादी भी करनी पड़ सकती है
शिवानी गौरव की बातों को बड़े ध्यान से सुन रही थी और अब वह एकदम घबरा सी गयी थी क्योंकि उसे लग रहा था कि अगर उसके अंदर कोई कमी निकली कि वह बच्चा पैदा नहीं कर सकती तो उसका तलाक हो जाएगा और फिर ऐसी हालत में न तो उसका कहीं दूसरा विवाह होगा और उसकी छोटी बहन रवीना की शादी में भी अड़चन आ सकती है
अनुराग ने सारी बात सुनकर गौरव से कहा : इनके हस्बैंड यानी कि आपके बड़े भाई कहाँ हैं- उन्हें भी यहां आना चाहिए था
गौरव : उनको किसी जरूरी काम से एक हफ्ते के लिए लखनऊ जाना पड़ गया है. उर्मिला आंटी को हमने यह बता दिया था और इसीलिए हम शीशी में भैया के वीर्य का सैंपल लेकर आये हैं.
अनुराग : चलिए कोई बात नहीं. हमें इस चेक उप के लिए घर के किसी एक भरोसेमन्द आदमी की जरूरत होती है-इनके पति नहीं हैं लेकिन आप इनके देवर तो हैं ही-आपसे ही काम चला लेंगे -आइये मेडिकल चेक अप रूम में चलते हैं
शिवानी को सब कुछ बड़ा अजीब सा लग रहा था -वह तो यह सोचकर आयी थी कि चेक अप कोई लेडी डॉक्टर करेगी लेकिन यहां तो यह ३० साल का हट्टा कट्टा पुरुष डॉक्टर उसका चेक अप करने जा रहा था
(शिवानी इस बात से पूरी तरह अनजान थी कि यह सारा का सारा नाटक उसके हरामी देवर गौरव का रचा हुआ था जिसे यह पहले से ही मालूम था कि डॉक्टर उर्मिला अगले तीन दिनों के लिए गाँव से बाहर किसी जरूरी काम से गयी हुई हैं-गौरव ने पुनीत सहित अपने चारों दोस्तों के साथ मिलकर क्या साज़िश रची थी इसका खुलासा अभी इसी कहानी में हो जाएगा)
मेडिकल चेक अप रूम काफी बड़ा था- वहां एक मेडिकल बेंच, एक मेडिकल बेड, चार पांच स्टील के स्टूल और कुर्सियां पडी हुई थीं -इसके अलावा काफी मेडिकल उपकरण भी वहां रखे हुए थे.
डॉक्टर अनुराग ने कुछ पेपर्स शिवानी के आगे रखते हुए कहा : आपका मेडिकल चेक अप शुरू करने से पहले आप इन पेपर्स पर अपने साइन कर दीजिये. यह एक जरूरी फॉर्मेलिटी है-हम किसी की मर्ज़ी के खिलाफ उसका मेडिकल चेक अप नहीं कर सकते हैं
शिवानी ने उन पेपर्स पर साइन कर दिए और उन्हें डॉक्टर अनुराग ने अपने बैग में रख लिया
इसके बाद गौरव और अनुराग एक एक कुर्सी पर बैठ गए
शिवानी भी कुर्सी पर बैठने लगी तो डॉक्टर ने उसे रोक दिया : नहीं नहीं आप खड़ी रहिये-आपका तो चेक अप होना है
शिवानी को बहुत अजीब सा डर भी लग रहा था और अब उसे बहुत शर्म भी आ रही थी कि इस कमरे में गौरव और अनुराग उसके साथ क्या करने वाले हैं
अनुराग कुछ देर तक शिवानी को देखता रहा दिर अचानक बोला : अपनी साड़ी उतारो मैडम
शिवानी एकदम सकते में आ गयी थी. उसने गौरव की तरफ देखकर कहा : यह क्या बेहूदगी है ? ऐसे भी कहीं मेडिकल चेक अप होता है-मुझे नहीं कराना इस तरह का चेक अप
शिवानी इस उम्मीद में थी कि गौरव उसकी कुछ मदद करेगा लेकिन उसने देखा कि गौरव और अनुराग दोनों के लण्ड उनकी पैंट में खड़े हो गए थे और वे दोनों अपने अपने लण्ड अपने हाथ से सहलाने में लगे हुए थे
गौरव तो एकदम बदमाशी पर उतर आया था. वह शिवानी से बेहद रौबीली आवाज़ में बोला : ज्यादा नखरे मत दिखा साली -अपने सारे कपडे उतार और हाथ ऊपर करके खड़ी हो जा
डॉक्टर अनुराग : देखो अगर आप सहयोग नहीं करोगी तो यह मेडिकल चेक अप नहीं हो पायेगा -अभी तो सिर्फ शुरुआत हुई है और आप अभी से इतनी घबरा शर्मा रही हैं-अभी तो पता नहीं आगे और क्या क्या होने वाला है-इस तरह का मेडिकल चेक अप इतना आसान थोड़ी है -चलो अब गुड गर्ल बनो और एकदम नंगी होकर दिखाओ
शिवानी अभी भी खड़ी हुई थी और लगातार कह रही थी : प्लीज़ मेरे कपडे मत उतरवाओ....मुझे इस तरह ज़लील मत करो...मुझे बहुत शर्म आ रही है...मुझे छोड़ दो घर जाने दो....
अब अनुराग ने गौरव की तरफ देखकर कहा : ऐसा करो आप खुद उठकर इनके कपडे उतारने में मदद करो-पहली पहली बार किसी अजनबी के सामने कपडे उतारने में सभी को शर्म आती है-भाभी को भी आ रही है -आप तो इनके देवर हैं-आपका इन पर पूरा हक़ है-आप इनके कपडे उतारने में भी मदद करें और उसके बाद आपको इनके मेडिकल चेक अप में भी मदद करनी पड़ेगी
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PART-7
गौरव तो अब पूरी मस्ती में था. उसकी जींस के अंदर उसका लंड एकदम तनकर खड़ा हो गया था. अपने लण्ड पर हाथ फिराता हुआ वह कुर्सी से उठकर खड़ा हो गया और सामने खड़ी शिवानी की तरफ जाने लगा.
शिवानी अभी भी गिड़गिड़ा रही थी : मुझे नंगा मत करो प्लीज़...
गौरव ने एक झटके में ही शिवानी की साड़ी के पल्लू को पकड़कर खींचा और उसकी साड़ी को उसके बदन से अलग कर दिया
इसके बाद गौरव शिवानी के पीछे जाकर उसके नितम्बों और पीठ से सटकर खड़ा हो गया और अपने दोनों हाथों से ब्लॉउज में बंद उसके मम्मों को दबाने लगा. गौरव की जींस के अंदर खड़ा लण्ड शिवानी के सुडौल नितम्बों में धंसा जा रहा था
सामने बैठा अनुराग अपनी आँखों पर यकीन ही नहीं कर पा रहा था. ब्लॉउज और पेटीकोट में शिवानी का बदन बेहद सेक्सी लग रहा था और उसकी फिगर एकदम मस्त और लाजबाब लग रही थी. अब तक गौरव ने उसकी ब्लाउज़ और ब्रा को उतार फेंका था और उसके हाथ उसके पेटीकोट के नाड़े तक पहुँच गए थे. कुछ ही देर में शिवानी का पेटीकोट और उसकी पैंटी भी उसके बदन से अलग हो चुकी थी और वह एकदम निर्वस्त्र अवस्था में गौरव की गिरफ्त में कसमसा रही थी.
शिवानी को पूरी तरह से नंगा करने के बाद जब गौरव वापस अपनी कुर्सी की तरफ आने लगा तो अनुराग ने उसे रोक दिया : आप वहीं पर रहिये,आपका असली काम तो अब शुरू होगा. दरअसल अब हम मेडिकल प्रोसीजर के हिसाब से यह जांचने की कोशिश करेंगे कि अलग अलग हालातों में इनके बदन पर क्या प्रतिक्रिया होती है और यह पुरुष द्वारा की गयी किसी भी क्रिया से उत्तेजना महसूस करती भी हैं या नहीं. कभी कभी ऐसा भी होता है कि लडकियां लेस्बियन ( समलैंगिक) होती हैं और उन पर पुरुष द्वारा किये गए सेक्स का कोई असर ही नहीं होता है और ऐसी हालत में वे बच्चे पैदा कर सकेंगी, यह सोचना भी मूर्खता ही होगी.
गौरव दुबारा से शिवानी के पास चला गया और अनुराग की तरफ देखने लगा
अनुराग ( गौरव से) : आप पहले की तरह इनके बदन के पीछे जाकर इनसे सटकर खड़े हो जाओ और अपने दोनों हाथों से इनके मम्मों को सहलाना शुरू करो.
गौरव तो यही चाहता था. शिवानी अपने दोनों हाथों से अपने मम्मे और अपने योनि प्रदेश को छिपाने का प्रयास कर रही थी लेकिन गौरव ने उसके नितम्बों पर जोर की चपत लगाते हुए कहा : हाथ ऊपर उठाकर खड़ी रहो और मेडिकल चेक अप में डॉक्टर साहब का सहयोग करो.
शर्म और ज़लालत से शिवानी का चेहरा एकदम लाल हो रहा था -अनजान डॉक्टर अनुराग के सामने वह एकदम निर्वस्त्र अवस्था में खड़ी हुई थी और उसका देवर गौरव उसके बदन से चिपककर उसके सीने की गोलाइओं को मसल रहा था
अनुराग भी मस्ती में था. अपने लण्ड पर हाथ फिराते हुए वह शिवानी की तरफ देखते हुए बोला : लौंडिया तो चिकनी है और एकदम मस्त माल है- इसके बच्चा क्यों नहीं हो रहा है, यह अपने आप में एक जांच का विषय है. तुम लोगों ने ठीक ही किया है जो इसे सही समय पर मेरे पास ले आये अब मैं इसकी ठीक से जांच करवाकर ही वापस भेजूंगा.
कुछ देर तक अनुराग जब शिवानी के मम्मों को मसल चुका तो अनुराग उससे बोला : अब ऐसा करो कि इसके बदन पर अलग अलग हिस्सों में कम से कम 25 बार किस करो
गौरव ने तड़ातड़ शिवानी के बदन पर एक के बाद एक चुम्बनों की बौछार सी लगा दी. उसके चेहरे, होंठों, उरोजों, चिकने पेट, नाभि प्रदेश और केले जैसी चिकनी जांघों को गौरव ने जी भरकर अपने चुम्बनों की बौछार से भिगो दिया.
अनुराग की अपनी हालत भी काफी ख़राब हो रही थी और उसका लण्ड भी बेकाबू होता जा रहा था लेकिन उसे अपनी जांच अभी जारी रखनी थी.
अनुराग ने अब गौरव से कहा : इस चिकनी लौंडिया को मेरे नज़दीक लेकर आओ
गौरव शिवानी के बदन से चिपके चिपके ही उसे धकेलते हुए अनुराग के एकदम नज़दीक लेकर आ गया -उसके हाथ अभी भी उसके मस्त मम्मों पर फिसल फिसल कर उसकी गोलाइओं को नाप रहे थे.
अनुराग ( शिवानी से ) : चल अपनी टाँगे खोल
शिवानी ने शर्म से अपनी ऑंखें अब बंद कर लीं थीं-उसके अपनी टाँगे खोल दीं
अनुराग ने अपने हाथ को उसके चिकने योनि प्रदेश पर सहलाना शुरू कर दिया और हँसते हुए कहने लगा : साली रंडी एकदम सेक्स बम है -भैया की ही गलती है जो इसे अभी तक माँ नहीं बना पाए-इतनी मस्त लौंडिया को तो कोई नामर्द भी छू ले तो इसे गर्भवती हो जाना चाहिए.
शिवानी ने जैसे ही अपनी टाँगे खोलीं, वैसे ही गौरव ने मौका देखकर अपनी जींस के अंदर से अपना खड़ा लण्ड बाहर निकाला और उसके दोनों नितम्बों में बीच घुसेड़ दिया
अनुराग गौरव से बोला : इसकी गांड मारते मारते अपनी एक उंगली इसके मुंह में डाल दो और उसे चुसवाओ
गौरव इस समय पूरी उत्तेजना में था. वह अपने हाथ को शिवानी के मुंह तक ले गया और अपनी उंगली को उसके होंठों के बीच में डालते हुए कडककर बोला : चूस इसे
अब अनुराग शिवानी से बोला : इस उंगली को चूसते समय यह समझकर चूस कि तू यह उंगली नहीं, मेरा लण्ड चूस रही है
शिवानी इस समय एक कैदी की तरह एकदम बेबस और लाचार खड़ी हुई थी. उसके दोनों हाथ ऊपर थे. उसके मुंह में गौरव की उंगली और पिछवाड़े में उसका लण्ड घुसा हुआ था. उसके आगे के पूरे नंगे बदन पर डॉक्टर अनुराग तबियत से दबा सहला कर अपना मन बहला रहा था
शेष अगले भाग में
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