एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by jay »

Bhaiyo kya aapko ye kahani bor kar Rahi hai agar Aisa hai to ye kahani band kar deta hun
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Attitude8boy
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by Attitude8boy »

Bilkul Bakwas bana Diya hai kitna accha Bhai bahan ka chal rha tha to usme BF ki story dalne ki jarurat kya pari
😒
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by jay »

Attitude8boy wrote: 05 Aug 2023 00:09 Bilkul Bakwas bana Diya hai kitna accha Bhai bahan ka chal rha tha to usme BF ki story dalne ki jarurat kya pari
apni apni samajh ki baat hai
vaise bhi ye kahani sabke liye hai . our kisi ne kuch bhi nahi kaha
agar tumhe achhi nahi lag rahi hai to apni kahani shuru kar lo
fir dekhenge kaisa likhoge (#%&@^-1rs((7)
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(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
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jay
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by jay »

मासीमा वहाँ से गाली देते हुए हटी और उन सब को आदेश दिया, "फ़ाड़ दो साली का बूर...."।

फ़रीद अब उन दोनों को बोला कि वो अब उसको स्थिर करें जिससे वो अपना लन्ड नसरीन की बूर में घुसा सके। तभी कमरे में एक चीख गुंजी, और तब कैमरा घुमा तो दिखा कि अब्दुल अब जुबैदा के भीतर अपना घुसा रहा था। उसका सुपाडा भीतर चला गया था, अब वो अपने को स्थिर रखे हुए था और जुबैदा के थकने के इंतजार में था। उसने जुबैदा को जमीन पर हीं अपने बाहों और टाँगों की मदद से लगभग पूरी तरह से दबोच लिया था।

जुबैदा और उसके सीने पर अपने हाथ से धक्का लगा कर उसको अपने ऊपर से उठाने की कोशिश कर रही थी, पर नाकाम थी। जवान अब्दुल की उस मस्त गिरफ़्त से छुटना उसके जैसी नादान कली के बस में नहीं था। मासीमा ने उन तीनों को रुकने का आदेश दिया और अब उन दोनों के पास में बैठ गई और फ़िर जुबैदा के सर को सहलाते हुए, उसको पुचकारने लगी..., "बेटा, अब हल्का सा दर्द होना रानी, फ़िर सब ठीक हो जाएगा... तुम तो बहादूर हो, बस एक सेकेन्ड और बर्दास्त करो।"

जुबैदा का ध्यान अब मासीमा की तरफ़ चला गया था, और तभी मासीमा नें अब्दुल को ईशारा किया और उस हरामी ने जुबैदा के बालों को अपने दोनों हाथों से दोनों तरफ़ से जोर से पकड़ लिया और फ़िर एक झटके में अपना लन्ड उसकी कसी हुई बूर में ठेल दिया।

जुबैदा जोर से चिल्लाई...., छ्टपटाई..., अप अब्दुल ने अपने लन्ड झटके से भीतर ठेलने के बाद अपने कमर से उसकी कमर को दाब दिया था कि वो हिल भी ना सके। बालों को जोर से जकडे था जिससे वो अगर अपना सर जरा भी हिलाती तो बाल खींचने से दर्द होता। बेचारी की आँखों से मोटे-मोटे आँसू बह निकले, वो अब बेबसी में दो-चार बार कसमसा कर निढाल हो कर शान्त हो गई और हिचकी ले-ले कर रोने लगी।

करीब १८-२० सेकेन्ड वैसे हीं अब्दुल उसको दाबे रहा, और फ़िर जब देखा कि अब जुबैदा इतनी टूट चूकी है कि अब कोई विरोध नहीं करेगी तब, उसन अपना गिरफ़्त थोड़ा ढ़ीला किया और उसके बाल छोड कर अपने हाथों के सहारे धीरे से उसके बदन से ऊपर उठा। फ़िर खुब प्यार से जुबैदा के होठ पर अपने होठ रख कर चुमने लगा।

जुबैदा रोए जा रही थी और अब्दुल उसके होठ को चुमते जा रहा था, और जब जुबैदा थोड़ा और शान्त हुई तब उसने अपने कमर को उठाया जिससे उसका लन्ड अब बाहर निकलने लगा, क्लोज-अप में उसकी बूर की सील टुटने की गवाही में लन्ड पर लिथडा हुआ लाल-लाल थोड़ा सा खून दिखा। करीब आधा लन्ड बाहर खींच कर अब्दुल ने फ़िर से जोर के धक्के के साथ भीतर पेल दिया और इसबार फ़िर जुबैदा दर्द महसूस की पर अब वो परिस्थिति समझ गई थी सो बस सिसक कर रह गई। अब्दुल अब आराम से उसकी चुदाई करने लगा और वो बेचारी रोते हुए अपनी चुदाई करवा रही थी। पास में खडी बाकी चार लडकियों पर अब कैमरा घुमा तो सब ने सर नीचे झुका लिया, वो सब शान्त हो कर डरी-सहमी जुबैदा की चुदाई देख रही थीं। करीब ४०-५० धक्के खुब आराम-आराम से लगाने के बाद अब्दुल ने उसकी कमर को जकड़ कर तेजी से कुछ और धक्के लगाए और फ़िर उसकी बूर के भीतर हीं झड गया और जब उसने अपना लन्ड बाहर निकाला तो जुबैदा की ताजा चुदी हुई बूर से सफ़ेद-सफ़ेद सा माल निकल कर उसकी गाँड़ की फ़ाँक की तरफ़ बह निकला।


मासीमा ने अब अब्दुल को कहा, "छोड अब उसको, थोडी देर बाद उसकी गाँड़ भी मार देना, पता नहीं कल कौन सा कस्टमर आएगा इसके लिए... सो इसको सब पता तो रहे कि क्या कैसे होगा इसके बेदन के साथ और उसको क्या-क्या बर्दास्त करना है। चल अब आ और इस हरामजादी को ठीक कर.... इन साले बुढ़ों से कुछ नहीं होगा।"

कैमरा अब फ़िर से बिस्तर पर था जहाँ नसरीन अब पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और दो लोग उसको कंधे और बाहों से पकड कर, और एक फ़रीद उसकी टांगों को पकड़ कर बिस्तर पर लिटाने की कोशिश कर रहे थे पर अभी तक नाकाम थे। नसरीन ने अब तक उन सब को अपने पर पूरी तरह से काबू नहीं करने दिया था। कई थप्पड उसने खाए पर वो जी-जान लगा कर विरोध कर रही थी।

असल में जब जुबैदा की चुदाई हो रही थी तब तो सब वही देखने में मशगुल थे, शायद इसलिए कि तब नसरीन की विडियो नहीं बन पाती। २२ साल के जवान अब्दुल का लन्ड अभी भी सही था, वो जुबैदा की बूर से निकले अपने गीले लन्ड को हिलाया और आराम से बिस्तर पर चढ कर एक झटके से नसरीन की बडी-बड़ी झाँटों को अपनी मुट्ठी में जकड़ लिया। वो दर्द से बिलबिला गई। उसने नसरीन को, उसकी झांटों के भरोसे हीं काबू में करके, अपना कमर बिस्तर पर स्थिर करने के लिए मजबूर कर दिया। फ़िर अचानक उसने लपक कर उसकी एक चूची अपनी मुट्ठी में पकड कर जोर से दबाई, तो नसरीन फ़िर से दर्द से चीख पडी।

अब्दुल ने अपने एक हाथ की मुठ्ठी में नसरीन की चूच्ची और दूसरे हाथ की मुठ्ठी में उसकी झाँट पकड ली थी और जब तब वह इस दोनों मुठ्ठियों के मदद से उसको दर्द से बिल्बिलाने के लिए मजबूर कर रहा था। जहाँ वो जरा भी विरोध करती वो उसकी झाँट को जोर से खींचता और बेचारी चीख कर शान्त हो जाती। जल्दी हीं वो समझ गई कि अब उसका कोई जोर नहीं चलेगा तब वो मजबूरी में रोने लगी और फ़िर फ़रीद ने उसकी जाँघ को फ़ैला दिया और अपने घुटनों के बल उसको चोदने के लिए बैठ गया। नसरीन अब उससे दया के लिए गिडगिड़ाने लगी। पर फ़रीद ने अपने हथेली पर खुब सारा थुक निकाला और फ़िर उसकी बूर की फ़ाँक खोल कर उसकी बूर में उस थुक को ल्गा दिया, फ़िर एक बार अपना थुक निकाल कर इस बार अपने खडे लन्ड पर लगा कर उसकी दोनों जाँघों को अपने कन्धे पर टिका कर अपना लन्ड उसकी बूर की खुली फ़ाँक पर लगाया, तब अब्दुल ने नसरीन के झाँट छोडे और उसकी दूसरी चूच्ची को भी अपने दूसरे हाथ से जकड़ लिया, और उसी समय फ़रीद धीरे-धीरे उसकी बूर में अपना लन्ड दबाने लगा।

जल्दी ही उसकी झिल्ली पर जब लन्ड का दबाब पडा तो वो दर्द से बिलबिलाई पर उससे ज्यादा दर्द अब्दुल ने उसकी चूच्चियों को मसल कर दिया और बेचारी चीखती रह गई और उसको शायद पता भी नहीं चला कि कब उसकी बूर की सील टूट गई और कब फ़रीद का पूरा लन्ड भीतर घुस गया। फ़रीद बिना देरी के अब लगातार उसको चोदने लगा था और तब अब्दुल ने उसकी चूचियों को आजाद किया। अब वो भी मजबूर हो कर रो-रो कर अपनी बूर चुदा रही थी। करीब ७-८ मिनट की चुदाई के बाद फ़रीद ने उसकी बूर में अपना माल निकाल दिया और फ़िर हाँफ़ते हुए उसके ऊपर से हट गया। नसरीन भी रोते हुए ऊठी और अपनी बहन के पास जा कर उसके गले लग कर फ़फ़क कर रो पडी।

मासीमा ने अब सगीर और सज्जाद को आदेश दिया कि अब दोंनो अब जल्दी से दो और लडकियों को निपटाएँ, और तब उसने चारों बची हुई लडकियों में से दो को बिस्तर पर आने को कहा। सहमी हुई लडकियाँ अब एक-दूसरे को देखने लगी। तब मासीमा ने पास जाकर उन्हें समझाते हुए हिम्मत दी और फ़िर दो का बाँह पकड कर पूछा, "क्या नाम है तुम दोनों का?"

दोनों ने अपना-अपना नाम सायरा और समीना बताया। दोनों सलवार-कुर्ते में थी।

मासीमा ने दोनों को कहा, "जाओ जल्दी से अपना कपडा उतार कर आराम से चुदा लो जल्दी से फ़िर आराम से खाना-वाना खा कर आराम करना।"

दोनों बेचारी उन दोनों बहनों का हाल देख कर डरी हुई थी। समीना ने आखिर बोल ही दिया, "बहुत दर्द होता है इसमें अभी एक-दो दिन बाद वो करवा लेगी यह सब।"

तब खड़े लन्ड वाले उन दोनों हरामियों ने उनको दबोच लिया और उन्हें बिस्तर की तरफ़ ले गए और रास्ते में हीं उनके दुप्पटे हटा दिए। दोनों ने लगभग साथ साथ हीं उनके बदन से कुर्ती उतारी और फ़िर उनकी समीज भी खोल दी। समीना की छोटी-छोटी चूची चमक उठी पर सायरा जिसकी चूची थोड़ा बडी थी, उसने ब्रा पहन रहा था। अब्दुल ने आगे बढ़ कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और फ़रीद ने उन दोनों की सलवार की डोरी खींच दी, जिससे उनको चोदने को तैयार सगीर और सज्जाद ने फ़टाक से उनकी सलवार खींच कर उतार दी और अब दोनों के बदन पर मैली सी काली पन्टी दिख रही थी। उन दोनों को बिस्तर पर लिटा कर दोनों मर्द उन पर चढ गए और उनको चूमने लगे, दोनों थोड़ा अनमने तरीके से चुम्बन का जवाब दे रही थी।

छोटी चुचियों वाली समीना से सगीर चिपका हुआ था और बड़ी चुचियों वाली सायरा से सज्जाद। दोनों के लन्ड साधारण थे, करीब ६" के। सायरा जो उम्र में समीना से १-२ साल बड़ी होगी, पहले गर्म हुई और अब वो जरा ठीक से चुम्मा-चाटी करने लगी, तब सज्जाद ने उसकी पैन्टी खोल दी और फ़िर उसकी झाँटों से खेलते हुए अपनी ऊँगली उसकी बूर की फ़ाँक पर चलाने लगा। सायरा जल्द हीं गर्म हो कर कसमसाने लगी। अब तक समीना भी गर्म हो कर अपनी जाँघ तो एक दूसरे से रगड़ने लगी थी, और तब सगीर उसके ऊपर से उठा और फ़िर उसकी कमर के पास बैठ कर उसकी पैन्टी को नीचे सरार कर खोल दिया।

समीना की बूर साफ़ और चिकनी थी, लगा जैसे १-२ दिन पहले हीं उसने झाँट साफ़ की हो। काली चिकनी साफ़ बूर देख कर अब्दुल फ़ट से झुका और उसकी बूर का चुम्मा ले लिया, वो गुद्गुदी बर्दास्त न कर सकी और खिल्खिला कर हँसते हुए एक तरफ़ पलट गई।

अब्दुल बोला, "आय हाय मेरी जान.... चिकनी चूत.... खुब तैयारी से आई हो यहाँ तुम।"

पर सगीर ने उसको सीधा किया और उसकी बूर जो खुब पनिआई हुई थी उसको दो चार बार सहलाने के बाद चुदाई के लिए सेट करने लगा। दोनों मर्दों ने अपने अपने लडकियों को अगल-बगल में सीधा लिटा दिया था और फ़िर उसकी जाँघों को खोल कर उन खुली जाँघों के बीच में बैठ गए थे।

दोनों ने लडकियों को ठीक तरीके से अपनी जकड़ में ले लिया और फ़िर अपना लन्ड घुसाना शुरु किया। सगीर का लन्ड पहली बार में हीं फ़ाँक से लग गया, जबकि सज्जाद का लन्ड झाँटॊ की वजह से दो-तीन बार फ़िसल गया।

तब मासीमा ने अपने हाथ से उसका लन्ड पकड़ कर सायरा की फ़ाँक से लगा दिया और फ़िर कहा, "चोदो....", और दोनों ने एक झटके में अपना-अपना लन्ड उनकी लड़कियों की बूर में पेल दिया। सायरा की जब सील टूटी तो उसके मुँह से चीख निकल गई, पर समीना ने अपने बूर की सील टूटते समय अपने नीचले होठ को दाँतों से दबा ली और दर्द को बर्दास्त कर ली। सगीर और सज्जाद दोनों अपनी अपनी लडकी को खुब जोर-जोर से मस्त हो कर चोदने लगे। सज्जाद जो बीच-बीच में सायरा की बडी-बडी चूचियों को मसल भी देता था, तब वो जरा चिहुँकती, पर वैसे वो डरी-सहमी सी चुप-चाप शान्ति से लेट कर सज्जाद को अपना बूर चोदने दे रही थी। चेहरे पर कभी-कभार हीं कुछ भाव आता था, वर्ना वह शान्त थी।

उसके उलट नन्ही-नन्ही चूचियों वाली समीना खुब मस्त हो गई थी और मजे ले लेकर चुदवा रही थी। सगीर जब-जब उसको चुमता वो भी पलट कर उस चुम्मा का जवाब देती। कभी-कभी मस्त हो कर आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊंह्ह्ह्ह ऊंह्ह्ह्ह्ह भी कर देती। सगीर भी उसके इस सहयोग पर मस्त हो गया था और खुब मजे से आराम-आराम से चोदते हुए अचानक कभी दस-बारह धक्का तेजी से लगा देता और तब समीना जोर-जोर से साँस लेने लगती और सिस्की लगाती। करीब पाँच मिनट बाद सगीर ने अचानक अपना लन्ड उसकी बूर से बाहर खींच लिया। समीना को लगा की सगीर अपना पानी उसकी बूर में निकाल दिया है सो वो अपने हाथ से अपना बूर सहलाई तो उसकी हथेली पर उसके बूर का गीलापन और खून की लाली लग गई।
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Re: एक बार ऊपर आ जाईए न भैया

Post by jay »

उसके उलट नन्ही-नन्ही चूचियों वाली समीना खुब मस्त हो गई थी और मजे ले लेकर चुदवा रही थी। सगीर जब-जब उसको चुमता वो भी पलट कर उस चुम्मा का जवाब देती। कभी-कभी मस्त हो कर आह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊंह्ह्ह्ह ऊंह्ह्ह्ह्ह भी कर देती। सगीर भी उसके इस सहयोग पर मस्त हो गया था और खुब मजे से आराम-आराम से चोदते हुए अचानक कभी दस-बारह धक्का तेजी से लगा देता और तब समीना जोर-जोर से साँस लेने लगती और सिस्की लगाती। करीब पाँच मिनट बाद सगीर ने अचानक अपना लन्ड उसकी बूर से बाहर खींच लिया। समीना को लगा की सगीर अपना पानी उसकी बूर में निकाल दिया है सो वो अपने हाथ से अपना बूर सहलाई तो उसकी हथेली पर उसके बूर का गीलापन और खून की लाली लग गई।

सगीर ने तब तक उसकी कमर को पकड कर उसको पलट दिया और वो भी सगीर के ईशारे को समझ कर उसके साथ सहयोग करते हुए पीठ के बल लेट गई। तब सगीर उसको कहा कि वो अपने हाथ और घुटने के सहारे एक जानवर की तरह झुके और समीना ने वैसे हीं किया। फ़िर सगीर आराम से थोड़ा थुक अपने लन्ड पर लगाया और पीछे से उसकी बूर में लन्ड पेल दिया।

समीना एक बार तो थोडा कसमसाई फ़िर बोली, "ऐसे ठीक है... पहले तो मेरा जाँघ दर्द करने लगा था फ़ैला कर रखने से, यही ठीक तरीका है यह सब करने का तभी सब जानवर भी ऐसे हीं करता है।"

सगीर ने उसको चोदते हुए बताया, "ऐसे में लड़की ज्यादा आजाद हो जाती है, और कुँवारी लडकी की सील तोडने में ऐसे परेशानी होती है। कुँवारी लडकी को जब नीचे दबा कर चोदा जाता है तब उसके बचने का चाँस नहीं रहता है और तब उसकी सील तोडना भी आसान हो जाता है। इस तरह से चोदने को पूरी दुनिया में कुत्ता-चुदाई कहते हैं" और अब वो जोश में भर कर उसकी कमर को अपने हाथों से लपेट कर तेजी से हुमच कर उसको चोदने लगा।

फ़च्च्च फ़च्च्च्च घच्च्च्च्च घच्च्च्च्च्च की आवाज होने लगी थी। इसी बीच में सज्जाद का पानी छूट गया और वो अपना सब माल सायरी की बूर में निकाल कर अलग हट गया।

सायरा अब उठी और अपना सलवार पहनने लगी, तब मासीमा ने कहा, "अभी कपडा नहीं पहनो, अभी तुम सब को और चुदवाना है। वैसे भी सब के सामने नंगी रहोगी तो अनजाने मर्दों के सामने नंगा होने में लाज-शर्म नहीं आएगी।"

बेचारी यह सब सुन कर चुप-चाप नंगी ही बिस्तर से उतर गई। सगीर अब धक्के लगा-लगा कर थक सा गया था सो वो अब अपना लन्ड फ़िर बाहर निकाल लिया और खुद बिस्तर पर लेट कर समीना को अपने ऊपर चढ़ने का ईशारा किया।

समीना भी मजे से उसके कमर की दोनों तरफ़ अपने घुटने टिका कर सगीर का लन्ड अपने हाथ से पकड़ कर अपने बूर में घुसा कर ऊपर-नीचे करने लगी। करीब एक मिनट आराम करने के बाद सगीर ने फ़िर से समीना को सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गया, और इस बार लगातार तेजी से धक्के लगाते हुए उसकी बूर में झड गया। समीना के चेहरे से संतुष्टि का भाव झलक रहा था। उसको चुदा कर मजा आया था।

अब्दुल ने उससे पूछा, "और मन है क्या?"

समीना जोर-जोर से हाँफ़ रही थी.... बोली, "बहुत थक गई हूँ... बाप रे...ओह।"

अब्दुल ने उसको बाहों में भर कर उसको चुमना शुरु किया, तो मासीमा बोली, "रे हरामी, उसको अभी थोडा दम लेने दे... अभी दो और है न बची हुई... उनको नाप कर देखो पहले।"

अब्दुल हँसते हुए अब हटा और फ़िर साडी वाली लड़की को अपनी तरफ़ बुलाया। वो भी हिचकते हुए उसकी तरफ़ आई तो अब्दुल ने उसका नाम पूछा, "क्या नाम है मेरी रानी का?"

उस लडकी ने अपनी नजर नीचे करते हुए कहा, "शफ़ा"।

अब्दुल ने फ़िर कहा, "शफ़ा रानी, कभी खेली हो अपने छेद से?"

शफ़ा चुप रही तो वो बोला, "उतारो अपना कपडा तब देखते हैं तुम्हारा क्या हाल है?"

तभी कैमरा मैन साला ठरकी सा होकर बोला, "मासीमा.... एक बार मुझको भी मौका दो न... आज तो बहुत सारी आई है एक साथ...।"

मासीमा हँसते हुए बोली, "अरे मासूम बेटा, तू तो बचा हीं रह गया, अच्छा कोई बात नहीं है, अभी तो इन सब की गाँड भी मरवानी है।" उसने फ़रीद को ईशारा किया तो उसने कैमरा पकड लिया और वो कैमरा मैन जिसका नाम मासूम था अब सामने खडा हो कर अपना पैन्ट खोलने लगा।

मासूम करीब २६-२७ साल का जवान था, खूब गोरा चिट्टा। जल्दी ही वो नंगा हो गया और उसका ९" लम्बा गोरा लन्ड अपने पूरे सबाब पर दिखा। वो अब तक बची हुई लड़की, जिसका नाम रुही था और जो करीब १८ साल की थी, की तरफ़ बढा। रूही की नजर मासूम के उस ९" के लंड पर टिका हुआ था। बेशक, उसका लंड उस कमरे में सबसे बडा था पर वो अन्य लण्डों की तुलना में थोड़ा पतला था। सबसे सही लंड अब्दुल का था, खुब काला, खुब मोटा करीब ७.५" और उभरी हुई नसों से भरा हुआ। अब तक अब्दुल शफ़ा को नंगा करना शुरु कर चुका था, जब मासूम रूही को अपने से चिपटा कर चुमना शुरु किया।

दोनों कमरे के दो तरफ़ थे सो मासीमा ने आदेश दिया, "बिस्तर पर आओ ले कर दोनों लडकियों को तब न एक साथ फ़िल्म बनेगा दोनों का"।

यह सुन कर दोनों लौंडों ने अपने-अपने माल को अपने से चिपकाए हुए ही बिस्तर पर ले गए और उन्हें अगल-बगल बिठा दिया। शफ़ा की साडी खुल चुकी थी और अब्दुल अब उसके ब्लाऊज के ऊपर से हीं उसकी चुचियों से खेल रहा था।

मासूम ने रूही से कहा, "जरा मेरा लन्ड अपने मुँह में ले कर चूसो तो दो-चार बार"।

रूही उसके लन्ड की लम्बाई से डरी हुई थी। बेचारी सहमते हुए बोली, "तुम्हारा इतना बडा है मेरे में नहीं जाएगा, मुझे छोड दो...प्लीज"।

शफ़ा भी नजर घुमा कर उस लम्बे लन्ड को देखी, फ़िर एक नजर उसने डरी हुई रूही पर भी डाली।

अब्दुल जो समीना को चोदते समय समझ गया था कि इन सब लडकियों में सबसे ज्यादा मजे ले कर वही चुदी है, सो वो समीना को देखकर बोला, "समीना... तुमको तो चुदवा कर मजा आया न, बताओ इस लडकी को कि कैसा मजा मिलता है किसी मर्द के साथ..."।

समीना ने मुस्कुराते हुए कहा, "हाँ, मजा तो खुब आया था। शुरू में थोड़ा तकलीफ़ हुआ, फ़िर खुब मजा आया।"

मासूम ने अब उसको न्योता दिया, "आ कर एक बार, बताओ इस बेवकुफ़ लडकी को... अब यहाँ चाहे तो मजा ले कर चुदाए या बेमजा के चुदाए... पर अब तो इसको यहाँ जब तक रहेगी रोज चुदवाना हीं होगा।"

समीना भी बिस्तर के पास आई और रुही को प्यार करते हुए बोली, "कोई परेशानी नहीं होती है, सब आराम-आराम से हो जाता है अपने से..."।

मासीमा चुप बैठ कर सब देख रही थी, औए बाकी सब की भी नजर बिस्तर पर हीं थी... बस नसरीन अभी भी बगावती नजरों से कभी मासीमा को तो कभी उन हरामी लौण्डों को देख रही थी।

समीना के बार-बार समझाने पर रूही बोली, "लेकिन इसका इतना बडा है, बाकि सब का छोटा था...."।

समीना अपना दिमाग लगाई और सगीर के तरफ़ ईशारा करते हुए बोली, "अच्छा... तो तुम इसके साथ कर लो, मैं भी तो इसी के साथ की हूँ, या कोई और जिसका छोटा है उसके साथ कर लो... सब का तो तुम देख हीं रही हो..."।

रूही ने एक बार सब की तरफ़ नजर घुमाई और फ़िर सज्जाद की तरफ़ ईशारा किया कि उसके साथ वो करवाएगी। सज्जाद का लन्ड साधारण मुटाई का और ६" के करीब था। मासीमा ने अब सज्जाद को ईशारा किया और साथ में आँख भी मार दी। मासूम बेचारा अपना खडा लन्ड ले कर चिढ़ गया और झुंझुला कर रूही के चेहरे पर थुक दिया, "साली कुतिया.."।

अब्दुल का मन समीना को चोदने का था, सो वो अब नंगी शफ़ा को मासूम की तरफ़ ढकेल कर कहा, "यार तुम इस लौण्डिया का सील तोड लो"।

अब शफ़ा के चेहरे पर डर छा गया और वो बिदकी, पर मासूम ने उसको धक्के दे कर बिस्तर पर चित कर दिया और फ़िर उसकी झाँटों भरी बूर से अपना चेहरा चिपका दिया।

इतनी चुदाई देख-देख कर जवान लडकियाँ वैसे भी गीली हो जाती है, और अब तो शफ़ा के मुँह से कराह निकल गई। बेचारी का झाँट करीब १/२" का था, लगता था कि वो करीब महीने भर पहले साफ़ की हो, या शायद कैंची से काटती होगी।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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