दामिनी compleet

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rajaarkey
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Re: दामिनी

Post by rajaarkey »

दामिनी--6

गतान्क से आगे…………………..

हाँ तो सलिल मेरा चहेता था ..हम दोनों हमेशा साथ रहते , उसे भी चालू टाइप लड़कियाँ पसंद नहीं थी ..क्लास में भी हम दोनों साथ ही बैठते .लड़कियाँ जलती थी मुझ से और लड़कों का खून खौलता था सलिल को देख कर ..के साले ने कॉलेज की सब से फाटका माल पटा रखी है ...और हम दोनों इन सब बातों की परवाह किए बगैर अपने में मस्त रहते .

तो ये सलिल था हमारी लिस्ट में तीसरा .... कभी कभी मैं जब मूड में रहती तो उस दिन क्लास में मैं सलिल पीछे की बेंच पर जा कर बैठ जाते ..और सलिल को मालूम पड जाता के अब क्या होनेवाला है उसके साथ .

सलिल हमेशा मुझ से कहता " दामिनी ..यार ये क्या है..? तुम्हें मेरे लौडे से खेलना ही है ना..? चलो ना कहीं और चलते हैं ...पिक्चर हॉल है..पार्क है ..मेरा घर है ..हम कहीं भी जा सकते हैं ..पर तुम भी ना ...बस तुम्हें तो क्लास रूम में मेरे लौडे को छेड़ना है..कभी किसी दिन सर ने देख लिया तो फिर क्या होगा ..??"

"येई तो मज़ा है सलिल ....जो थ्रिल मुझे यहाँ मिलता है ..किसी और जागेह नहीं ...इतने सारे लोगों के बीच ..फिर पकड़े जाने का डर ..ऊओह सलिल ,सलिल ये थ्रिल कहीं और नहीं मिलेगा ...तुम मुझे इतना भी थ्रिल नहीं दे सकते ? सलिल प्ल्ज़्ज़ ..आइ लव यू बेबी ..लव यू सो मच.." और फिर एक सेक्सी लुक उसकी ओर काफ़ी होता उसे हथियार डालने को .

मेरी चूतड़ पिंच करते हुए वो बोल उठता " अरे मेरी अम्मा ...तुम ना ....ठीक है बाबा तुम और तुम्हारा थ्रिल ...अब चलो जल्दी चलो क्लास शुरू होनेवाला है..."

और फिर हम दोनों पीछे की बेंच में सब से किनारे बैठ जाते ...सलिल सामने देखता रहता जैसे ध्यान से सर का लेक्चर सुन रहा हो..और मेरे हाथ बिज़ी हो जाते ...

वैसे थ्रिल के अलावा एक और कारण था मेरा उसके लंड से क्लास रूम में ही खेलने का ...पिक्चर हॉल के अंधेरे में थ्रिल नहीं रहता और किसी दूसरी जागेह मैं उसके मोटे लंड से अपने आप को शायद चुद्ने से रोक नहीं पाती .... सलिल इस बात से अंजान था ..मैने कभी बताया नहीं...

क्लास में लेक्चर चालू था और इधर मेरे हाथों का कमाल ....मैने सलिल के पॉकेट में अपनी हथेली डाल दी ..उसके अंडरवेर की साइड की फाँक से उसका लौडा फुन्कारता हुआ बाहर आ गया था ..पॉकेट में उसके हमेशा एक बड़ा सा होल रहता था...मेरी स्पेशल फरमाइश ... ...और उस होल से उंगलियाँ अंदर घुसा कर मैं उसका लंड पकड़ लेती और मुट्ठी में जाकड़ धीरे धीरे सहलाती रहती ..सलिल ..आँखें बंद कर मज़ा लेता रहता ...अगर कोई देखे तो समझेगा वो आँखें बंद कर बड़े ध्यान से लेक्चर सुन रहा है..पर ध्यान तो उसका मेरी उंगलियों की हरकत पे होता ..मुझे भी कड़क और मोटा लंड हाथ से सहलाने में बड़ा मज़ा आता है...मैं कभी सहलाती ... .भींचती ..कभी अपने नाइल्स से उसके सुपाडे को हल्के हल्के कुरेदती ..दूसरा हाथ मेरा अपनी चूत में हरकतें करता ..और थोड़ी देर बाद सलिल अपनी लंड से पिचकारी मेरे हाथ में छोड़ देता ...मेरे दोनों हाथ गीले हो जाते ...जिन्हें मैं बाद में पूरे का पूरा चाट जाती ...स्वाद के साथ...!

अब ऐसे लंड को चूत में लेने की मुझे बहुत जल्दी थी ..और भैया का लंड तो पहले से दस्तक मार रहा था ..उफफफफफफफफ्फ़ ..और सब कुछ पापा पर डिपेंड था ..मैने अब मन बना लिया था इस बार पापा के टूर में जाने से पहले ही उन से चुद्ना ही है ..बस अब और देर नहीं कर सकती..पापा अब और नहीं ..तुम चोदो यह फिर मैं चोद्ति हूँ आप को ....

कहते हैं ना अगर दिल से कुछ करो तो भगवान भी मदद करते हैं ....हाँ मैने भी अपने दिल से पापा के लंड की ख्वाहिश की थी , और शायद अब पूरा होनेवाला था ..पापा का लंड अंदर लेते ही मेरे लिए लंड लेने के सारे दरवाज़े खूल जाते ..ये ख़याल आते ही मेरे पूरे शरीर में झूरजूरी सी होने लगी थी...ऊहह भैया ...अब आपका लंड मेरी टाइट चूत में दस्तक दे कर आकड़ेगा नहीं ..टूटेगा नहीं , पूरे का पूरा अंदर जाएगा ....सलिल डार्लिंग अब क्लास रूम में मैं तुम्हें परेशान नहीं करूँगी मेरे राजा ...बेड रूम में सीधा चुदवाउन्गि ...अयाया ..ऊवू ..पापा ..पापा ..

और मैने अपना मन बना लिया था ....

मेरी चूत भी अब भैया के लंड की घिसाई और अपनी उंगलियाँ मसल्ने से उतनी टाइट नहीं थी ..एक पतली सी फाँक बन गयी थी मेरे चूत के होंठों के बीच ..उसके अंदर का गुलाबी देखते ही बनता ..

अब मैं तैय्यार थी और बस मौके की तलाश थी मुझे ... बस एक मौका ...और फिर....ऊवू ...आआआआः पापा का मदमस्त लौडा होगा और मेरी फुद्दि ....हाँ फुद्दि .....पापा तो इसे चोद कर चूत बनाएँगे ना ...

जैसे जैसे दिन निकलते जाते मेरा उतावलापन बढ़ता जाता ....मेरी प्यास बढ़ती जाती ...मुझे जब भी मौका मिलता मैं पापा से लिपट जाती ..उन्हें चूमने लग जाती ... पर अभी तक उन्होने इसे सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था ...वो इसे सिर्फ़ एक बेटी का प्यार और आकर्षण समझते ..जब के उनकी पॅंट के अंदर भी हलचल होता था ...पर वो उसे नज़र अंदाज़ कर देते ..पर इस से साफ ज़ाहिर था मैं उनमें सेक्स की भावना जगा सकती थी , और जागता भी था ..पर उनमें एक बाप और बेटी के रिश्ते की लक्ष्मण रेखा लाँघने की हिम्मत नही थी...

मुझे ही कुछ करना पड़ेगा ..मुझे ही पहेल करनी पडेगि ..वरना मेरी फुद्दि , फुद्दि ही रह जाएगी ...

और एक दिन :

मैं जब शाम को कॉलेज से वापस आई..देखा घर में एक सन्नाटा सा है ...पापा ड्रॉयिंग रूम में सोफे पर लेटे कुछ पढ़ रहे थे ... उन से पूछा तो पता चला मम्मी गयीं हैं अपने सहेली के साथ किटी पार्टी में ..और उनकी पार्टी का मतलब रात 8-9 बजे तक आने की कोई गुंजाइश नहीं ..और भैया के तो एक्सट्रा क्लास चल ही रहे थे ..उनका भी आना देर सी ही होता .....मैं झूम उठी ....आज का मौका जाने नहीं देना दामिनी ..बस आज अपनी फुद्दि की चुदाई करवा लो ..चूत बनवा लो फुद्दि का..

मैं फ़ौरन अपने बेड रूम में गयी ..ब्रा और पैंटी निकाल दी...सिर्फ़ शॉर्ट्स और टॉप में थी मैं ...पापा भी सिर्फ़ शॉर्ट्स में ही थे .गर्मियों में घर में हमेशा शॉर्ट्स ही पेहेन्ते ..मेरा काम आसान था...

मैं अपनी कमर लचकाते , चूतड़ मटकाते सोफे के पास आई अओर पापा के बगल लेट गयी ,और बड़े प्यार और रोमॅंटिक अंदाज़ में उन से कहा:

"पापा ..आपको अपनी बेटी का ज़रा भी ख़याल नहीं.." और मैने अपना मुँह दूसरी तरफ कर लिया..

पापा मुस्कुराने लगे और मेरे चेहरे को अपनी तरफ बड़े प्यार से खींचते हुआ कहा:

"ज़रा मैं भी तो सुनू मेरी प्यारी बेटी ने ये इल्ज़ाम मुझ पर क्यूँ लगाया..? " और मेरे गालों को चूम लिया ..मैं सिहर उठी ...मैने अपने पैर उनके पैर पर रख दिया और हल्के हल्के उनके पैर घिसना शुरू कर दिया ...फिर अपने हाथों को उनके सीने पर रख दिया और सीना सहलाते हुए कहा :

"पापा ..एक तो आप हमेशा टूर पे रहते हो ....हम लोग आपको कितना मिस करते हैं ..ख़ास कर मैं ..और जब आते हो तो यह टीवी यह फिर किताब ....ये क्या है ...?? आइ रियली मिस यू सो मच पापा ..कभी तो मेरी तरफ भी देखा करो ना .." और मैं उनके हाथ से किताब छीनते हुए उन से लिपट गयी ...उनके होंठ चूमने लगी ... मेरे होंठों में अजीब भूख ..ललक , लालसा , बेचैनी थी ...पापा चौंक पड़े ...

उन्होने मुझे अपनी बाहों में ले कर बड़े प्यार से अलग किया ..और मेरी आँखों में देखते हुए कहा :

"दामिनी बेटी ..मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ ..तू क्या समझती है मैं मिस नहीं करता ..बताओ मैं क्या करूँ के तुम्हें ये फील हो मैं भी तुम से उतना ही प्यार करता हूँ..बोलो ..." उनकी आवाज़ भर्राई थी ..मेरे पैर लगातार उनकी जंघें घिस रहे थे ..उसका असर साफ दीखलाई पड रहा था पापा के पॅंट के उभार से ..तंबू काफ़ी उँचा था ..मैं सिहर उठी ..मेरी फुद्दि गीली हो रही थी..

"ओओह्ह पापा यू आर सो स्वीट ... सो स्वीट " और मैने अब और ज़्यादा समय गँवाना ठीक नहीं समझा ...मैं उठ कर उनके कमर के पास बैठ ते हुए एक झट्के में उनके पॅंट की एलास्टिक खींचते हुए उनके घूटनो से नीचे कर दिया ,,उनका लौडा तनतनाता हुआ सलामी दे रहा था ...

मैने अपने दोनों हाथों से उसे जाकड़ते हुए कहा

"पापा आप जान ना चाहते हो ना मुझे क्या चाहिए ...मुझे ये चाहिए ..हाँ हाँ मुझे ये चाहिए ..."
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`·.¸.·´ -- Raj sharma
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Re: दामिनी

Post by rajaarkey »

पापा सन्न थे ..उन्हें मानों लकवा मार गया..कुछ देर वो बिल्कुल चूप थे......

मैं उनके लौडे को जोरों से सहलाए जा रही थी दोनों हाथों से और कहती भी जा रही थी " मुझे बस ये चाहिए ..हाँ मुझे ये चाहिए ... "

"तू पागल है दामिनी ..पागल ..तू जानती है तू क्या कह रही है ?? ..क्या करने जा रही है ...तू मेरी बेटी है दामिनी ..मेरी इतनी प्यारी बेटी ....मैने कभी ऐसा सोचा नहीं ... ये ग़लत है ...बेटी ...ग़लत है ..""

"कुछ ग़लत नहीं पापा ..कुछ ग़लत नहीं..मैं एक जवान लड़की हूँ और आप एक मर्द ..बस और कुछ नहीं..मैं कब से आपकी प्यासी हूँ ..मैं आप से कितना प्यार करती हूँ ..क्या प्यार करना ग़लत है ..??" मेरा हाथ उनके लौडे से लगातार खेल रहा था ..उनका लौडा और सख़्त होता जा रहा था ..पापा ने मेरे हाथ हटाने की कोशिश की ..पर आज ना जाने मुझमें इतनी ताक़त कहाँ से आ गयी थी ..पापा मेरे हाथ हटा नहीं सके ...

"बेटी ..मेरी प्यारी ..मेरी अच्छी अच्छी बेटी ..मान जा ..मान जा ..ये सही नहीं .." वो जान गये थे गुस्से से मैं नहीं मान ने वाली ...

मैने अब और ज़्यादा देर करना ठीक नहीं समझा ..मैं एक हाथ से पापा का लंड थामी थी और दूसरे हाथ से झट अपने शॉर्ट्स उतार दी ...उसी हाथ से अपनी फुद्दि फैलते हुए पापा के लंड पर अपनी फुद्दि रख डी , मेरे दोनों पैरों के बीच पापा थे ...मेरी फुद्दि इतनी गीली हो गयी थी के मेरे बैठ ते ही मेरी फुद्दि उनके सुपाडे तक अंदर चली गयी ....ये सब इतनी जल्दी हुआ के पापा भौंचक्के थे ..उनकी आँखें फटी की फटी रह गयीं ... उन्हें मानों लकवा मार गया था...

मैने बिना समय गँवाए अपनी आँखें बंद कर सांस रोकते हुए अपना पूरा वेट अपनी फुद्दि पर डाल दिया ....मेरी गीली फुददी पापा के लंड में ऐसे धँस गयी जैसे किसी छुरी पर खरबूज़ ...

मैं दर्द के मारे चीख उठी , मेरी झील्ली फॅट गयी थी ...

"पपााअ...बहुत दर्द हो रहा है.....मैं मर गइईए ...." पर मैं जानती थी अगर मैं अभी रुक गयी तो फिर कभी भी नहीं मिलेगा मुझे पापा का लंड ..मैने अपने दाँत भींचते हुए अपनी फुद्दि उपर की और फिर आँखें बंद किए एक और जोरदार दबाब डाला अपनी फुद्दि पर और फिर मेरी फुद्दि फत्चाक से पापा के लंड की जड़ तक पहोन्च गयी ...इस बार मेरी जान निकल गयी ...मेरे आँखों से लगातार आँसू बह रहे थे दर्द के मारे और फुद्दि और लंड के बीच से खून .... पापा की जांघों में गिरते जा रहे थे ..मैं मन ही मन अपने आप को कहती जा रही थे "मत रुक मत रुक ..बस आज से ले , फिर बाज़ी तेरे हाथ है ..." मुझे लगा मैं दर्द से बेहोश हो जाऊंगी ... पर मैने अपने आप को संभाल रखा ...और फिर फुद्दि जो अब चूत बन चूकि थी ..झट उपर किया ..उपर करते ही और खून टपकने लगा ,मैं रोने लगी ..आँखों से आँसू निकल रहे थे ...

पर फिर जो मैने देखा .. मेरी जिंदगी का सब से रोमांचक और खुशी से भरा द्रिश्य था .......

पापा की आँखों में आँसू थे ...लगातार आँखों से उनके गाल पर बहते जा रहे थे ...मेरी ओर बड़ी प्यार से एक तक देखे जा रहे थे और मैं दर्द से सीसक रही थी ..मेरे आँखों में भी आँसू थे ..पर दर्द के ...मेरी चूत से खून रीस रहा था .. उनका लंड भी खून से लाल था ...

उन्होने मुझे मेरे कमर से थामते हुए अपनी ओर खींच लिया और अपने गले से लगाते हुए बार बार कहते जाते " ओओह ..ऊ बेटी , मेरी प्यारी प्यारी बेटी , बहुत दर्द हो रहा है ..??तू मुझे इतना प्यार करती है ...आइ टू लव यू ... बहुत ..बहुत प्यार करता हूँ..तुम्हें दर्द कैसे दे सकता हूँ , मेरी प्यारी बेटी ..कैसे ???"

औरे उन्होने मेरे गाल और आँखों में लगे आँसू अपनी जीभ से चाट ते हुए साफ कर दी , मैं खुशी से पागल हो उठी ....मैं अभी भी सिसक रही थी उनके सीने में सर रखे और फिर फूट पड़ी:

"हाँ ..हाआँ पापा ...आइ लव यू सो मच..मैं आपको पाने के लिए कुछ भी कर सकती थी..कुछ भी ..हाँ पापा ..कुछ भी..."

पापा ने मेरे चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए अपने चेहरे की ओर खींच लिया और बेतहाशा चूमने लगे ..कभी गालों को , कभी होंठों को , कभी गले को ..मैं सिहर रही थी ..कांप रही थी उनके प्यार से... और वो कहते जाते " तुझे बहुत दर्द दिया ना मैने ..चल अब मैं तेरी सारी दर्द ख़त्म कर देता हूँ ..अब तुझे कोई दर्द नहीं होगा ..मुझे माफ़ कर दे बेटी ,,मैने तुम्हें ग़लत समझा ...सही में हमारा रिश्ता कुछ और ही है ..कुछ और ही ... "

और मुझे एक बच्ची की तरह अपनी गोद में उठाते हुए अपने बेड रूम की ओर चल पड़े ...मुझे बड़े प्यार से लिटा दिया ...और एक सॉफ्ट टवल से मेरी चूत में लगे खून साफ किया ...अपने लंड को भी साफ किया ...फिर अपनी उंगलियों में क्रीम लगाई और मेरी चूत के अंदर हल्के हल्के लगा दिया, उनके उंगली की स्पर्श से मेरी चूत में जलन हो रही थी ...

"पापा अंदर जलन हो रही है ..." मैने सिसकते हुए कहा ..

"बस बेटी ..तू ने असली दर्द तो सह लिया बस अब थोड़ा और सह ले मेरी स्वीटी ..."

और उन्होने अपने लौडे पर भी क्रीम लगाई ..मेरी टाँगें फैला दी और मेरी टाँगों के बीच आ गये ..

क्रमशः.…………….
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Daamini--6

gataank se aage…………………..
Han to Salil mera chaheta tha ..hum donon hamesha saath rehte , use bhi chaaloo type ladkiyan pasand nahin thi ..class mein bhi hum donon sath hi baithte .ladkiyan jalti thi mujh se aur ladkon ka khoon khaulta tha Salil ko dekh kar ..ke saale ne college ki sab se phataka maal pataa rakhee hai ...aur hum donon in sab baton ki parwah kiye bagair apne mein mast rahte .

To ye Salil tha hamari list mein teesra .... kabhi kabhi main jab mood mein rehti to us din class mein main Salil peeche ki bench par ja kar baith jate ..aur Salil ko maloom paD jata ke ab kya honewala hai uske saath .

Salil hamesha mujh se kehta " Damini ..yaar ye kya hai..? Tumhein mere louDe se khelna hi hai na..? Chalo na kahin aur chalte hain ...picture hall hai..park hai ..mera ghar hai ..hum kahin bhi jaa sakte hain ..par tum bhi na ...bas tumhein to class room mein mere louDe ko chedna hai..kabhi kisi din Sir ne dekh liya to phir kya hoga ..??"

"Yei to maja hai Salil ....jo thrill mujhe yahan milta hai ..kisi aur jageh nahin ...itne saare logon ke beech ..phir pakde jane ka dar ..ooohhhh Salil ,Salil ye thrill kahin aur nahin milega ...tum mujhe itna bhi thrill nahin de sakte ? Salil plzz ..I love you baby ..love you sooooo much.." Aur phir ek sexy look uski or kaphi hota use hathiyar Daalne ko .

Meri chuTaD pinch karte hue wo bol uthta " Are meri Amma ...tum na ....theek hai baba tum aur tumhara thrill ...ab chalo jaldi chalo class shuru honewala hai..."

Aur phir hum donon peeche ki bench mein sab se kinare baith jate ...Salil samne dekhta rehta jaise dhyan se Sir ka lecture sun raha ho..aur mere hath busy ho jate ...

Waise thrill ke alawa ek aur karan tha mera uske lund se class room mein hi khelne ka ...picture hall ke andhere mein thrill nahin rehta aur kisi doosri jageh main uske mote lund se apne aap ko shayad chudne se rok nahin pati .... Salil is baat se anjaan tha ..maine kabhi bataya nahin...

Class mein lecture chaloo tha aur idhar mere hathon ka kamaal ....maine Salil ke pocket mein apni hatheli Daal di ..uske underwear ki side ki phank se uska lauDa phunpkarta hua bahar aa gaya tha ..pocket mein uske hamesha ek bada sa hole rehta tha...meri special pharmaish ......aur us hole se ungliyan andar ghusa kar main uska lund pakad leti aur muthi mein jakad dheere dheere sehlati rehti ..Salil ..ankhein band kar maja leta rehta ...agar koi dekhe to samjhega wo ankhein band kar bade dhyan se lecture sun raha hai..par dhyan to uska meri ungliyon ki harkat pe hota ..mujhe bhi kadak aur mota lund haath se sehlane mein bada maja aata hai...main kabhi sehlati ... .bheenchti ..kabhi apne nails se uske supaDe ko halke halke kuredti ..doosra hath mera apni choot mein harkatein karta ..aur thodi der baad Salil apni lund se pichkari mere hath mein chod deta ...mere donon hath geele ho jate ...jinhein main baad mein poore ka poora chaaT jati ...swad ke saath...!

Ab aise lund ko choot mein lene ki mujhe bahut jaldi thee ..aur Bhaiyaa ka lund to pehle se dastak mar raha tha ..ufffffffff ..aur sab kuch Papa par depend tha ..maine ab man bana liya tha is baar Papa ke tour mein jane se pehle hi un se chudna hi hai ..bas ab aur der nahin kar sakti..Papa ab aur nahin ..tum chodo yah phir main chodti hoon aap ko ....

kehte hain na agar dil se kuch karo to bhagwan bhi madad karte hain ....han maine bhi apne dil se Papa ke lund ki khwahish kee thee , aur shayad ab poora honewala tha ..Papa ka lund andar leTe hi mere liye lund lene ke saare darwaze khool jate ..ye khayal aate hi mere poore shari mein jhoorjhoori si hone lagi thee...oohh Bhaiyaa ...ab aapka lund meri tight choot mein dastak de kar akdega nahin ..tootega nahin , poore ka poora andar jayega ....Salil darling ab class room mein main tumhein pareshan nahin karoongi mere raja ...bed room mein seedha chudawaoongi ...aaaah ..oooh ..Papa ..Papa ..

Aur maine apna man bana liya tha ....

Meri choot bhi ab Bhaiyaa ke lund ki ghisai aur apni ungliyan masalne se utni tight nahin thee ..ek patli si phank ban gayi thee mere choot ke honthon ke beech ..uske andar ka gulabi dekhte hi banta ..


Ab main taiyyar thee aur bas mauke ki talash thee mujhe ... bas ek mauka ...aur phir....oooh ...aaaaaaaah Papa ka madmast lauDa hoga aur meri phuddi ....han phuddi .....Papa to ise chod kar choot banayenge na ...


Jaise jaise din nikalte jate mera utawlapan badhta jata ....meri pyaas badhti jati ...mujhe jab bhi mauka milta main Papa se leepat jati ..unhein choomne lag jati ... par abhi tak unhone ise sex ki nazaron se nahin dekha tha ...wo ise sirf ek beti ka pyaar aur akarshan samajhte ..jab ke unki pant ke andar bhi halchal hota tha ...par wo use nazar andaz kar dete ..par is se saf zahir tha main unmein sex ki bhawna jaga sakti thee , aur jagta bhi tha ..par unmein ek baap aur beti ke rishte ki lakshman rekha langhne ki himmat nahi thee...

Mujhe hi kuch karna paDega ..mujhe hi pehel karni paDegi ..warna meri phuddi , phuddi hi reh jayegi ...

Aur ek din :


Main jab sham ko college se wapas aayi..dekha ghar mein ek sannata sa hai ...Papa drawing room mein sofe par leTe kuch paDh rahe the ... un se poocha to pata chala MAMMI gayeen hain apne saheli ke saath KITTY PARTY mein ..aur unki party ka matlab raat 8-9 baje tak aane ki koi gunjaish nahin ..aur Bhaiyaa ke to extra class chal hi rahe the ..unka bhi aana der si hi hota .....main jhum uthi ....aaj ka mauka jane nahin dena Daamini ..bas aaj apni phuddi ki chudaai karwa lo ..choot banwa lo phuddi ka..

Main phauran apne bed room mein gayi ..bra aur painty nikal dee...sirf shorts aur top mein thee main ...Papa bhi sirf shorts mein hi the .garmiyon mein ghar mein hamesha shorts hi pehente ..mera kam asaan tha...

Main apni kamar lachkate , chuTaD maTakaate sofe ke pas aayi aaur Papa ke bagal let gayi ,aur bade pyaar aur romantic andaaz mein un se kaha:

"Papa ..aapko apni beti ka jara bhi khayal nahin.." Aur maine apna munh doosri taraf kar liya..

Papa muskurane lage aur mere chehre ko apni taraf bade pyaar se kheenchte hua kaha:

"Jara main bhi to sunoo meri pyaari beti ne ye ilzaam mujh par kyoon lagaya..? " Aur mere galon ko choom liya ..main sihar uthi ...maine apne pair unke pair par rakh diya aur halke halke unke pair ghisna shoroo kar diya ...phir apne hathon ko unke seene par rakh diya aur seena sehlate hue kaha :

"Papa ..ek to aap hamesha tour pe rehte ho ....hum log aapko kitna miss karte hain ..khaas kar main ..aur jab aate ho to yah TV yah phir kitab ....ye kya hai ...?? I really miss you so much Papa ..kabhi to meri taraf bhi dekha karo na .." Aur main unke haath se kitab cheente hue un se lipat gayi ...unke honth choomne lagi ... mere honthon mein ajeeb bhookh ..lalak , lalsa , bechaini thee ...Papa chaunk paDe ...
Unhone mujhe apni bahon mein le kar bade pyaar se alag kiya ..aur meri ankhon mein dekhte hue kaha :

"Daamini beti ..main bhi tumhein bahut pyaar karta hoon ..tu kya samajhti hai main miss nahin karta ..batao main kya karoon ke tumhein ye feel ho main bhi tum se utna hi pyaar karta hoon..bolo ..." Unki awaaz bharrayi thee ..mere pair lagatar unki janghein ghis rahe the ..uska asar saf deekhlayi paD raha tha Papa ke pant ke ubhar se ..tamboo kaphi uncha tha ..main sihar uthi ..meri phuddi geeli ho rahee thee..

"OOhh Papa you are so sweet ... so sweet " Aur maine ab aur jyada samay ganwana theek nahin samjha ...main uth kar unke kamar ke pas baith te hue ek jhaTke mein unke pant ki elastic kheenchte hue unke ghootno se neeche kar diya ,,unka lauDa tannata hua salami de raha tha ...
Maine apne donon hathon se use jakdte hue kaha

"Papa aap jan na chahte ho na mujhe kya chahiye ...mujhe ye chahiye ..han han mujhe ye chahiye ..."

Papa sann the ..unhein manon lakwa mar gaya..kuch der wo bilkul choop the......

Main unke louDe ko joron se sehlaye ja rahee thee donon hathon se aur kehti bhi ja rahee thee " mujhhe bas ye chahiye ..han mujhe ye chahiye ... "


"Tu pagal hai Daamini ..pagal ..tu janti hai tu kya keh rahee hai ?? ..kya karne ja rahee hai ...tu meri beti hai Daamini ..meri itni pyaari beti ....maine kabhi aisa socha nahin ... ye galat hai ...beti ...galat hai ..""


"Kuch galat nahin Papa ..kuch galat nahin..main ek jawan ladki hoon aur aap ek mard ..bas aur kuch nahin..main kab se aapki pyaasi hoon ..main aap se kitna pyaar karti hoon ..kya pyaar karna galat hai ..??" Mera haath unke louDe se lagatar khel raha tha ..unka lauDa aur sakht hota ja raha tha ..Papa ne mere haath hatane ki koshish kee ..par aaj na jane mujhmein itni taqat kahan se aa gayi thee ..Papa mere haath hata nahin sake ...

"Beti ..meri pyaari ..meri achhee achhee beti ..man ja ..man ja ..ye sahi nahin .." wo jan gaye the gusse se main nahin man ne wali ...

Maine ab aur jyada der karna theek nahin samjha ..main ek haath se Papa ka lund thami thee aur doosre hath se jhat apne shorts utar dee ...usi haath se apni phuddi phailate hue Papa ke lund par apni phuddi rakh dee , mere donon pairon ke beech Papa the ...meri phuddi itni geeli ho gayee thee ke mere baith te hi meri phuddi unke supaDe tak andar chali gayee ....ye sab itni jaldi hua ke Papa bhaunchakke the ..unki ankhein phati ki phati reh gayeen ... unhein manon lakwa mar gaya tha...
Maine bina samay ganwaye apni ankhein band kar sans rokte hue apna poora weight apni phuddi par Daal diya ....meri geeli phuddi Papa ke lund mein aise dhans gayi jaise kisi choori par kharbooz ...

Main dard ke maare cheekh uthi , meri jheelli phat gayi thee ...

"Papaaaaa...bahut dard ho raha hai.....main mar gayeeeee ...." Par main janti thee agar main abhi rook gayi to phir kabhi bhi nahin milega mujhe Papa ka lund ..maine apne dant bheenchte hue apni phuddi upar ki aur phir ankhein band kiye ek aur jordar dabaao Daala apni phuddi par aur phir meri phuddi fatchaak se Papa ke lund ki jad tak pahonch gayi ...is baar meri jaan nikal gayi ...mere ankhon se lagatar aansoo beh rahe the dard ke maare aur phuddi aur lund ke beech se khoon .... Papa ki janghon mein girte ja rahe the ..main man hi man apne aap ko kehti ja rahee the "Mat ruk mat ruk ..bas aaj seh le , phir baazi tere haath hai ..." Mujhe laga main dard se behosh ho jaoongi ... par maine apne aap ko sambhal rakhaa ...aur phir phuddi jo ab choot ban chooki thee ..jhat upar kiya ..upar karte hi aur khoon tapakne laga ,main rone lagi ..ankhon se aansoo nikal rahe the ...

Par phir jo maine dekha .. meri jindagi ka sab se romanchak aur khushi se bhara drishya tha .......

Papa ki ankhon mein aansoo THE ...lagatar ankhon se unke gal par behte ja rahe THE ...meri or badi pyaar se ek tak dekhe ja rahe THE aur main dard se seesak rahee thee ..mere ankhon mein bhi aansoo the ..par dard ke ...meri choot se khoon rees raha tha .. unka lund bhi khoon se lal tha ...

Unhone mujhe mere kamar se thaamate hue apni or kheench liya aur apne gale se lagate hue bar bar kehte jate " OOh ..ooh beti , meri pyaari pyaari beti , bahut dard ho raha hai ..??Tu mujhe itna pyaar karti hai ...I too love you ... bahut ..bahut pyaar karta hoon..tumhein dard kaise de sakta hoon , meri pyaari beti ..kaise ???"

Aure unhone mere gal aur ankhon mein lage aansoo apni jeebh se chaaT te hue saf kar dee , main khushi se pagal ho uthi ....main abhi bhi sisak rahee thee unke seene mein sar rakhe aur phir phoot paDi:

"Han ..haaan Papa ...I love you soooo much..main aapko paane ke liye kuch bhi kar sakti thee..kuch bhi ..han Papa ..kuch bbhi..."

Papa ne mere chehre ko apne hathon se thaamate hue apne chehre ki or kheench liya aur betahasha choomne lage ..kabhi galon ko , kabhi honthon ko , kabhi gale ko ..main sihar rahi thee ..kanp rahee thee unke pyaar se... aur wo kehte jate " tujhe bahut dard diya na maine ..chal ab main teri saari dard khatm kar deta hoon ..ab tujhe koi dard nahin hoga ..mujhe maaf kar de beti ,,maine tumhein galat samjha ...sahi mein hamara rishta kuch aur hi hai ..kuch aur hi ... "

Aur mujhe ek bachhi ki tarah apni god mein uthate hue apne bed room ki or chal paDe ...mujhe bade pyaar se leeta diya ...aur ek soft towel se meri choot mein lage khoon saf kiya ...apne lund ko bhi saf kiya ...phir apni ungliyon mein cream lagayi aur meri choot ke andar halke halke laga diya, unke ungli ki sparsh se meri chot mein jalan ho rahee thee ...

"Papa andar jalan ho rahi hai ..." maine sisakte hue kaha ..

"bas beti ..tu ne asli dard to seh liya bas ab thoda aur seh le meri sweety ..."

Aur unhone apne louDe par bhi cream lagayi ..meri tangein phaila dee aur meri tangon ke beech aa gaye ..
kramashah.…………….


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Re: दामिनी

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दामिनी--7

गतान्क से आगे…………………..

मैने भी जितना फैला सकती अपनी टाँगें फैला दी और आँखें बंद किए करने लगी पापा के लौडे का चूत में अंदर जाने के महसूस का इंतेज़ार ..

उन्होने अपने लंड के सुपाडे को मेरी चूत की मुँह पे टीकाया और बड़े आराम से अंदर एक पुश दिया ... कुछ क्रीम की वजेह से और कुछ पहले से मेरे चूत के अंदर जाने से ..अंदर थोड़ी चूत खूल गयी थी ... उनका लंड फतच से आधा अंदर था ...मैं कराह उठी.."आआह ...ह आय ..दर्द होता है पापा "

पापा आधे में ही रुक गये और वैसे ही पड़े रहे थोड़ी देर ... "हाँ बेटी मैं जानता हूँ ..बस थोड़ा और ...उस के बाद तुम्हें कोई दर्द नहीं होगा ...मेरी स्वीटी स्वीट ..." और मुझे चूमने लगे ..और मेरी टॉप उपर उठा दी ..मेरी चुचियाँ बाहर हो गयीं ...मेरे गोल गोल टाइट चूचियो को हल्के हल्के मसल्ने लगे ..मुझे बहुत अच्छा लग रहा था ...उनके होंठ चूसने और चुचियाँ मसल्ने से मैं अपनी चूत का दर्द भूल गई और इसका मज़ा लेने लगी ...तभी पापा ने एक और पुश दिया अपने लौडे को और लौडा पूरा अंदर था ..मैं चीहूंक उठी उन से चिपक गयी "अया ...हाँ हाआँ पापा अभी दर्द कम हुआ ..पर रूकना मत ..."

अब पापा ने अपना पूरा लौडा बाहर निकाला ...और फिर चूत में टीकाते हुए पेल दिया ..इस बार एक ही झट्के में अंदर था ..दर्द का अहसास ख़त्म था ... मैं आँखें बंद किए थी , मेरा मुँह आधा खुला था जैसा मम्मी का था उस दिन ...मस्ती में ..पापा समझ गये के अब मैं लंड लेने के क़ाबिल हो गयी थी ..अब उनका धक्का और जल्दी और , और ज़ोर पकड़ता जा रहा था ..मैं हर धक्के में खुशी से चीहूंक उठ ती और मेरा मुँह खूल जाता ...

इतनी टाइट चूत शायद पापा ने कभी नहीं ली थी ...उनके चेहरे पर एक अजीब हैरत थी जैसे मेरी चूत का इतनी टाइट होने का उन्हें असचर्या हो ...टाइट होते हुए भी अब बड़े आराम से अंदर उनका लौडा धक्के पे धक्का लगा रहा था ..हर धक्के पर मैं निहाल हो उठती ...

"हाँ ..आ पापा ..बस ऐसे ही हाँ ...और ज़ोर से ...मैं कितना तडपि हूँ पापा ......ऊवू अयाया ..अब तो चोदोगे ना पापा रोज अपनी बेटी को ..?? बोलो ना पापा ,,बोलो ना ..??'"

"हाँ हाँ मेरी रानी बेटी ..मेरी दामिनी ..हाँ ..हाँ " उनका धक्का ज़ोर और ज़ोर पकड़ता जाता ..मेरी टाइट चूत में उनका लंड ऐसे जा रहा था जैसे बंद टाइट मुट्ठी में कोई लंड पेल रहा हो ..मेरी चूतड़ उछाल रही थी ...मेरा मुँह ख़ूलता जाता ...

और फिर मैने पापा को जाकड़ लिया और मेरी चूतड़ उछल रही थी ..अपने आप ...बिना मेरे कोशिश के ..तीन चार उछाल के बाद मैं ढीली पड गयी और पापा भी ""ओओओओओओह हहााअ दामिनी , दामिनी " करते हुए मेरी कुँवारी चूत में अपने लंड से पिचकारी छोड़ना शुरू कर दिया ...ये मेरी चूत में पहली फुहार थी ..कितना प्यारा था ..कितना गर्म पर फिर भी अंदर एक ठंडक का अहेसास ..

पापा एक बच्चे की तरह अपनी बेटी के सीने पर सर रखे हानफते हुए पड़े थे ...मैं उनका सर सहला रही थी ...........

थोड़ी देर बाद पापा की साँसें नॉर्मल हुई ..पर वो वैसे ही लेटे थे मेरे सीने पर ..पर अब उन्होने मेरी चूचियों से खेलना शुरू कर दिया था .हल्के हल्के दबाते जाते और मेरी निपल्स को अपनी उंगलियों से भींचते ...अयाया मैं जैसे हवा में उड़ रही थी ...और कभी कभी दूसरी वाली चूची अपने होंठों से चूस लेते ...मैं मस्ती में सिहर रही थी ..

"अच्छा लग रहा है ना दामिनी..? अब तेरी चूत का क्या हाल है बेटी..? दर्द तो नहीं हो रहा ना..??"

उनके चूचियों से खेलने की वजेह से मैं सारा दर्द भूल चूकि थी और एक नशीले और मदहोशी के सागर में गोते लगा रही थी ..

"नहीं पापा ..बिल्कुल नहीं ..अब मुझे कोई दर्द नहीं है ..आआआः ..ऊवू हाँ पापा चूसो ना मेरी चुचियाँ , और ज़ोर से चूसो ना खा जाओ ना इन्हें ..ऊऊओह .."

ये कहते कहते मैं उन से लिपट गयी ..अपनी टाँगें उनकी कमर के गिर्द रखते हुए उन्हें जाकड़ लिया ..अपने हाथ उनके गले के गिर्द डालते हुए उनका चेहरा अपनी ओर खींच लिया और उनके होंठ चूसने लगी ..जैसे कोई भूखा बच्चा माँ की चुचियाँ चूस रहा हो....उन्होने भी अपने आप को मेरे हवाले कर दिया था ...मैं पागलों की तरह उनके होंठ चूस रही थी , चाट रही थी ..अपनी जीएभ अंदर डाल कर उनकी जीभ चूस रही थी .. हम दोनों एक दूसरे को जैसे खा जाना चाहते थे ... चप ..चाप..पच पूच की आवाज़ आ रही थी..

थोड़ी देर बाद उन्होने अपने को मुझ से अलग किया और मेरी टाँगों के बीच आ गये ..मेरी टाँगें फैला दी उन्होने और अपनी उंगलियों से मेरी चूत फैलाते हुए उसके अंदर देखने लगे ....पापा बस देखते ही जा रहे थे ....मेरी गुलाबी चूत ...गीली चूत ..उनके वीर्य , मेरे रस और कुछ खून के कतरे ....पापा बस देखते जा रहे थे ...

"पापा ..क्या देख रहे हो आप ..मैने इसे कितना संभाल के रखा था आपके लिए ..अच्छी है ना पापा ...??"

पापा ने झूकते हुए मेरी चूत चूम ली ..मैं कांप उठी उनके होंठों के स्पर्श से

"अच्छी .? .दामिनी तेरी चूत में बहुत दम है बेटी ... अभी भी मेरे जैसे मोटे और लंबे लौडे के अंदर जाने के बाद भी कितनी टाइट और फ्रेश है ...अया ..ऐसी चूत रोज नहीं मिलती बिटिया रानी ... मेरी जिंदगी की सब से नायाब चूत है ये...सब से नायाब .... " और उन्होने एक टवल को थोड़ा गीला कर उसे अच्छी तरह पोंछ दिया ....थोड़े बहुत खून के कतरे थे उन्हें भी अच्छी तरह साफ कर दिया ..उनके चूत पोंछने के अहेसास से मैं झूम उठी थी ..मेरा पूरा बदन सिहर उठा था ..मैं कांप रही थी और चूत से फिर पानी रीस रहा था ...

गुलाबी चूत में मोतियों जैसे पानी की बूँदें..पापा रुक नहीं सके ..उन्होने अपना पूरा मुँह मेरी चूत को उंगलियों से फैलाते हुए मेरी चूत में डाल दिया और बुरी तरह चूसने लगे ... उन्होने मेरी चूत की फाँक अपने होंठों से जाकड़ ली थी और चूसे जा रहे थे ....

"अयाया ...ऊऊओ ...माआअँ ...पपाााआअ ...बहुत अच्छा लग रहा है ....ऊऊऊओ "
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Re: दामिनी

Post by rajaarkey »

मैं मज़े में कराह रही थी , मेरे चूतड़ उछल रहे थे ..पापा चूसे जा रहे थे ..पूरे का पूरा रस निगलते जा रहे थे ,जैसे कोई स्ट्रॉ से कोल्ड ड्रिंक सक करता है ..पापा मेरी चूत सक कर रहे थे .... और जीभ भी चूत की पूरी लंबाई तक फिराते जाते ..मैं उछल रही थी ..मेरी जंघें थर थारा रही थी और फिर मैं अपने आप को रोक ना सकी....मेरे चूतड़ एक जोरदार झट्के से उपर उठे और मैं पापा के मुँह में झड़ती गाईए ..झड़ती गयी ..पापा ने भी मेरी चूत को अपने मुँह से लगाए रखा ....पुर का पूरा पानी उनके मुँह में खाली हो रहा था ..और वे पीते जा रहे थे .... आँखें बंद किए ..अपनी बेटी की चूत का पानी ..

पर पापा का लंड मेरी चूत चूसने की मस्ती से एक दम तननाया खड़ा था , इतना कड़ा हो गया था के हिल रहा था ..कडेपन की वाज़ेह से ..और उनके सुपाडे के च्छेद से पानी की बूँदें रीस रहीं थी ...जैसे आइस क्रीम की टॉप से पानी धीरे धीरे पीघलता हुआ रीस्ता है ....मुझ से रूका नहीं गया ..मैने अपनी चूत पापा के मुँह की तरफ कर दी और अपने दोनो हाथों से उनके लंड को जोरों से थामते हुए पहले तो जीभ से सुपाडे को चाट ने लगी फिर पूरे का पूरा लंड मुँह के अंदर ले चूसने लगी ..कभी होठों से चूस्ति ..कभी दाँतों से काट लेती ..पापा उछल रहे थे ...और मेरी चूत फिर से चाटे जा रहे थे , और बीच बीच में उंगलियों से मसल्ते भी जाते ...दोनों एक दूसरे से खेल रहे थे ..पापा कभी कभी अपनी उंगली भी मेरी चूत में घुसेड देते ..मैं चीहूंक उठती ...."अयाया ..हाऐी ..." अब उनकी उंगली बड़े आराम से अंदर जा रही थी . दर्द की जागेह अब मुझे गूद गूदि हो रही थी..पापा तो मेरी लंड चुसाइ से निहाल हो रहे थे ...उनका लंड लगातार पानी छोड़ रहा था , मैं पूरा पानी अंदर ले लेती और पापा चिल्ला रहे थे

""आआआह ..हाँ बेटी चूसो ..चूसो अपने पापा का लंड ..ऊऊहह ऊहह ..."

मैं भी कितनी ख़ूसनसीब थी , जिस लंड से मेरा जन्म हुआ ,उसी को मैं आज चूसे जा रही थी ...ऐसी कल्पना से ही मैं सिहर उठी थी ...मुझे ऐसा आहेसस हुआ मैं खुद को चूस रही हूँ ..मेरी चूत फडक रही थी ....चूत का मुँह अब और खूल गया था ...

मैं अब पापा के लंड को हाथों से थामे रही और चूसना बंद कर दिया ..उनका लंड फडक रहा था .. झट्के खा रहा था ...ऐसे लंड को चूत में लेना ..अयाया ..मज़ा आ जाएगा ...मैं पापा के मुँह से अपनी चूत हटा ली और अपने दोनों पैर पापा के जांघों के दोनों ओर रखे , अपनी चूत उंगलियों से फैलाते हुए उनके तननाए लंड पर बैठ गयी ... इस बार एक ही झट्के में मेरी चूत फिसलती हुई उनके लंड पर उतर गयी ..एक टाइट फिट... मुझे ज़रा भी दर्द नहीं हुआ ..मेरा पूरा बदन मस्ती में झूम उठा ..पापा भी आहें भर रहे थे ...

मैने ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए ..फतच फतच की आवाज़ आ रहही थी ..पापा भी नीचे से चूत में अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे धक्कों से धक्का मिलाते पेलते जा रहे थे ..दोनों मस्ती में थे ....मैं अपना सर झटक रही थी पागलों की तरह और धक्के लगाए जा रही थी , मेरी चूत इतनी गीली थी के हर धक्के में पानी चूत कर पापा की जांघों में गिर रहा था ...पापा भी निहाल थे मेरी पागल चुदाई से ..दोनों कराह रहे थे ..दोनों सिसकियाँ ले रहे थे ....

"बेटी ...ऊवू दामिनी बेटी ..मेरी रानी बेटी ....अयाया ..ऊवू मैं गया ..आआआः "

मैं फ़ौरन धक्के लगाना बंद कर दिए और पापा के लंड को अपने मुँह में ले लिया ....और पापा मेरे जीभ के स्पर्श से ही मुँह में झडने लगे ..झाड़ते गये ..मैं उनका वीर्य पीती गयी ...वो झट्के ले ले कर झाड़ रहे थे और मैं उनका पूरे का पूरा वीर्य अपने अंदर ले लिया ...और साथ में मैं भी पापा के गर्म गर्म वीर्य के गर्म अहसास से झड़ती जा रही थी .... सिर्फ़ ये अहस के जिस रस से मैं पैदा हुई आज उसे चूस रही हूँ ..पी रही हूँ ..मेरे बदन के रोंगटे खड़े हो गये थे ..मैं झड़ती जाती ..झड़ती जाती ...

मैं बिल्कुल निढाल हो कर पापा के सीने पर सर रख पडि थी ..लंबी लंबी साँसें ले रही थी ..और पापा मेरे बलों को सहलाते हुए मुझे चूमे जा रहे थे ..चाटे जा रहे थे ...

मैने अपने जीवन का एक बड़ा , मोटा और लंबा पर शायद सब से अहेम कदम आगे ले लिया था...

उस दिन पापा से चुदाई के बाद मेरे कदम ज़मीन पर नहीं पड्ते ..कुछ तो उनकी धक्कम्पेल चुदाई के दर्द के मारे और ज़्यादा , खुशी के चलते . मैं बहुत खुश थी. एक बहुत बड़ा कदम हम ने आगे बढ़ा लिया था ... मेरी चूत के लिए एक बड़ा मुकाम मैने पार कर लिया था ...मैने अपनी कसम पूरी कर ली ....अब मेरी चूत के दरवाज़े खूल गये थे ...अब मुझे और लौन्डो को अंदर लेने में कोई रुकावट नहीं थी ..किसी तरह की कोई हिचकिचाहट नहीं कोई बाधा नहीं.....मैं अपने कसम से आज़ाद थी......ऊह मैं कितना हल्का फील कर रही थी....

पापा तो एक दम रिलॅक्स्ड मूड में लेटे थे ..मैं बाथ रूम गयी और फ्रेश हो कर अपने रूम में लेटी थी, मेरी चाल पहली चुदाई से थोड़ी लड़खड़ा रही थी..एक मीठा सा दर्द था चूत में.

देर शाम को जब भैया आए तो मैं उनसे बुरी तरह चिपक गयी और उन्हें चूमने लगी ...

"भैया ..भैया बताओ ,,बताओ आज मैं इतना खुश क्यूँ हूँ..बताओ ना ....""

"अरे दामिनी सही में ..इतना खुश तो मैने तुझे आज तक नहीं देखा ...ह्म्म्म ज़रा सोचने दो ...पापा ने कोई नयी गिफ्ट दी..??"

"हाँ ...."..मैने अपनी नज़रें झूकाते हुए कहा...

"क्या दी यार...कोई नयी सेक्सी ड्रेस ..??"

"नहीं.... और सोचो ..सोचो मेरे प्यारे भैया ..सोचो .." ये कहते हुए मैं उन से हट ते हुए आगे बढ़ने लगी सोफे पर बैठ ने ..पर मेरी चल में लड़खड़ाहट थी ..मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी ...चूत में अब कुछ हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था..

भैया थोड़ा घबडाये और पूछा " आरीईई ये क्या ..क्या हुआ तुम्हें ...तुम्हारी चाल ..?? "

मैं उनकी तरफ मुस्कुराते हुए देख रही थी ..और गालों में उनके चिकोटी काट ते हुए कहा

"अरे मेरे भोले भले बूधू भैया ..येई तो है तोहफा पापा का ..मेरी जिंदगी का सब से अज़ीज़ और नायाब तोहफा ..कुछ समझे आप..???"
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Re: दामिनी

Post by rajaarkey »

भैया की भौहें सिकूड गयीं ,,उन्होने दिमाग़ पर ज़ोर लगाया और फिर एक दम से चौंकते हुए उन्होने कहा ...

"ओह माइ गॉड ...ओह माइ गॉड .......तो क्या ...??? ओह माइ गॉड ..मतलब मेरी बहना ने अपनी कसम पूरी कर ली ....ऊऊहह ...ईज़ इट दामिनी ..???"

"हाँ भैया..." मैने उनके चौड़े सीने पर अपना मुँह छिपाते हुए कहा "हाँ भैया ....आज मैं पापा से चुद गयी.."

उन्होने मेरा चेहरा उपर उठा लिया , मेरी आँखों में बड़े प्यार से झाँकते हुए कहा ..

" यू आर रियली ग्रेट दामिनी ..ऊऊओ अब मैं भी तुम्हें चोद सकता हूँ ...अयाया मैं भी कितना खुश हूँ आज ...." और मुझे चूमने लगे ..

"अब छोड़ो भी ना भैया ,,मम्मी कभी भी आ सकती हैं ....बाद में मैं आऊँगी ना ...अभी छोड़ो ..ना ..प्ल्ज़्ज़.."

भैया ने मुझे छोड़ दिया पर थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा :

"पर लगता है पापा ने बड़ी बेरहमी से तुम्हें चोदा ...तुम्हारी चाल से साफ जाहिर है..बहुत दर्द है क्या ..??"

क्रमशः.…………….

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