कमसिन कलियाँ compleet

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jay
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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--21

गतान्क से आगे..........

(पर्दे के पीछे से टीना बेड पर दो जिस्मों को एक दूसरे के साथ गुथे हुए चुपचाप खड़ी देखती है।)

राजेश: करीना…करीना…

करीना: हूँ…थैंक्स मेरे प्रीतम

राजेश: आज तुम्हें क्या हुआ…हम तो एक साथ ही सीमा के पार पहुँचा करते हैं…

करीना: परन्तु आज नहीं…

(टीना पर्दे के पीछे से निकल कर राजेश के पीछे आ कर खड़ी हो जाती है। करीना उसको देख कर राजेश के नीचे से निकलने कि चेष्टा करती है।)

राजेश: अभी नहीं…तुम कुछ देर आराम कर लो…

टीना: पापा…(टीना की आवाज सुनते ही राजेश चौंक कर करीना से अलग होता है)

राजेश: टीना तुम…

टीना: हाँ पापा…अभी मेरा ट्रेनिंग रूटीन बचा हुआ है (कहते हुए अपनी टी-शर्ट और स्कर्ट उतार फेंक कर बेड पर करीना के साथ लेट जाती है। असमंजस में पड़े हुए राजेश के मुख से आवाज नहीँ निकलती है।)

टीना: क्या हुआ…प्लीज पापा…आप दोनों को देख कर तो मैं कितनी देर से आग में जल रही हूँ… (राजेश होश में आते हुए और सारा माजरा समझते हुए)

राजेश: बेटा…(टीना के निकट जा कर) इस सरप्राईज के बाद तुम्हारे साथ आज कुछ भी करना मेरे लिये बड़ा मुश्किल होगा…(कहते हुए करीना और टीना के बीचोंबीच जा कर लेट जाता है)

टीना: (राजेश पर सवार हो कर) प्लीज पापा…आप ही तो कह रहे थे कि हम दोनों ही आपकी प्रेमिका हैं…

राजेश: बेटा…(अपने सामने टीना की खुली हुई टांगों के बीच योनिच्छेद से रिसते हुए रस अपने सीने पर टपकते हुए देख कर)…करीना और तुम दोनों मुझे बहुत प्रिय हो पर एक समय दोनों के साथ… शायद यह मुझसे न हो सकेगा…(लेकिन तब तक टीना अपनी चूत राजेश के सीने पर रगड़ना शुरू कर देती है)

टीना: (राजेश के जिस्म पर अपनी योनि रगड़ती हुई) करीना…उठ यार अपना काम हो जाने के बाद मुझे भूल गयी…तू पापा के लंड को तैयार कर…देखो तो बेचारे का डर के मारे क्या हाल हो गया है।

करीना: टीना…(उठते हुए)…मेरे प्रीतम को शाक लगा है…तू चिन्ता मत कर अभी कुछ देर में इन का एक आँख वाला अजगर तेरा बुरा हाल कर देगा…देखती जा…

राजेश: करीना…(कुछ और बोलने से पहले टीना झुक कर अपने होंठ की गिरफ्त में राजेश के होंठों ले लेती है। राजेश के होंठों के साथ खेलती हुई टीना अपनी उन्नत और पुष्ट पहाड़ियों को राजेश के सीने पर रगड़ती है। दूसरी ओर राजेश के लंड को करीना अपने मुख में ले कर अपनी जुबान की ठोकरों से उठाने में लग जाती है।)…टीना…आह…

टीना: आप भी तो कुछ करिए…(कह कर अपने योनिच्छेद को राजेश के मुख पर रख देती है। रिसता हुआ प्रेमरस राजेश के होंठों को गीला कर देता है। राजेश से भी नहीं रहा जाता और अपनी उँगलियों से जुड़ी हुई फाँको को अलग करता है अपनी लपलपाती जुबान से लाल रंग के ऐंठें हुए बीज पर चोट करता है)…आअ…आह…अ…आह पापा

(राजेश टपकते हुए योनिरस को सोखने में लग जाता है। बार बार करीना की जुबान की कुकुरमुत्ते समान सिर पर चोट, मुलायम हाथों से अंडकोशों से खिलवाड़ और करीना के होंठों की मालिश से लिंगदेव भी प्रसन्न हो कर एक बार रौद्र रूप धारण कर के लहराने लगते है।)

राजेश: (अपना मुख योनि पर से हठा कर) टीना…तुम अब पूरी तरह से तैयार हो गयी हो मेरे लंड को अपने दूसरे मुख में लेने के लिये…पीछे हो कर तुम उस पर बैठ जाओ…करीना तुम टीना की मदद करो…

(करीना अपने मुख से राजेश का लंड को आजाद करती है और गरदन पकड़ कर सीधा कर देती है। टीना पीछे सरक कर धीरे से चूत के मुहाने को बैगनी रंग के फूले हुए लंड के सुपाड़े पर बिठाती है और धीरे से अपना वजन डाल कर अन्दर सरकाती है।)

टीना: (आँखे मूंद कर गर्म मोटी सलाख को अन्दर महसूस करती हुई)… अ…आ…ह्…आह

(करीना अब आगे आकर राजेश के मुख पर अपनी चूत को रख देती है। टीना थोड़ा जोर लगा कर एक झटके के साथ बैठ जाती है। जोश में तन्नायें हुए लिंगदेव चूत के संकरेपन में अपना रास्ता खोजते हुए सीधे बच्चेदानी के मुहाने पर जा कर रुक जाते है। इधर राजेश को आधा-अधुरापन महसूस होता है और वह भी अचकचा कर नीचे से एक भरपूर धक्का देता है जिसकी वजह से बच्चेदानी का मुख खोल कर लिंगदेव गरदन तक जा कर अन्दर फँस जाते है। टीना पूरा लंड निगल कर आँखें मूंदे योनि में पल-पल उठते हुए जलजले को महसूस करती हुई भावविभोर हो जाती है। करीना भी आँखें मूंद कर अपनी चूत के साथ होते हुए खिलवाड़ को महसूस करती है। तीन जिस्म अपने-अपने तरीके से वासना के तूफान में बहते हुए चरम सीमा तक पहँचने की तैयारी में लग जाते है। उत्तेजना में आसक्त हो कर टीना अपने हाथ बढ़ा कर करीना के स्तन को कभी सहलाती और कभी जोश मे मसक देती है।)

करीना: (टीना के कोमल हाथ और राजेश की जुबान की ठोकर से) अ आ…आह…आ…ह (कहती हुई झरझरा के बह उठती है। राजेश बहते हुए प्रेमरस के झरने में मुँह लगा कर पी कर तृप्त हो जाता है। करीना निढाल हो कर राजेश के उपर से हट कर बेड पर लेट जाती है और अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में करती है।)

टीना: प…आ…पा (राजेश के लंड पर उन्मुक्त घुड़सवारी करते हुए)…हाय…आह…

(करीना के जोश को ठंडा करके अब राजेश अपना ध्यान टीना पर केन्द्रित करता है। टीना के हिलते हुए स्तनों को अपनी हथेली का सहारा देकर सहलाता और मसलता है। उँगलियों के बीच मे फूले हुए अंगूरों को दबा कर तरेड़ता है।)

राजेश: टीना…आअ…मुझे लगता है कि मेरा लंड किसी लोहे के जबड़े में फँस कर रह गया है…आह

(राजेश के लंड की लम्बाई और मोटाई को नापते हुए टीना की चूत भी अपने अन्दर उफनते ज्वालामुखी को रोक नहीं पाती और झरझरा कर प्रेमरस की झड़ी लगा देती है।)

टीना: .उउआ.आह....उई...आ...उ.उ.उ...आह.....

(कुछ ऐसा ही हाल राजेश के साथ भी होता है। जैसे ही टीना के अन्दर ज्वालामुखी फटता है वह धम्म से अपना सारा वजन डाल कर बैठ जाती है और उसी गति राजेश का लंड सारी बाधाएँ पार करते हुए अपना सिर टीना की बच्चेदानी में जा कर फँसा देता है। टीना की चूत राजेश के लंड को इर्द-गिर्द से जकड़ कर उसका रस सोखने में लग जाती है। इसके एहसास से राजेश के अन्दर उफनता हुआ लावा सारे बाँधों को तोड़ कर बाहर आ जाता है और टीना की चूत को लबालब प्रेमरस से भर देता है। टीना भी थक कर राजेश के उपर गिर जाती है और राजेश भी टीना को अपने आगोश में ले कर अपनी तेज चलती हुई साँसों को काबू में करने की कोशिश करता है। दोनों का मिला जुला प्रेमरस टीना की चूत में से रिसता हुआ अब बाहर छलकने लगता है और राजेश के पेट पर फैल जाता है।)

राजेश: (टीना को हिलाते हुए) टीना…बेटा…

टीना: हूँ…पापा

राजेश: क्या हुआ…तुम ठीक हो…

टीना: हूँ…

राजेश: (साथ में लेटी करीना की ओर रुख करके) करीना…करीना…

करीना: हूँ…

राजेश: (टीना को अपने उपर से हटा कर बैठते हुए)…अरे दोनों सिर्फ हूँ ही करती रहोगी या कुछ और भी बोलोगी…आखिर हम तीनों के मिलन का पहला दिन है…कैसा लगा?

करीना: एक्स्क्युइजिट्…

टीना: माइन्ड ब्लोइंग… पापा आप परफेक्ट पार्टनर हो…

राजेश: (दोनों को चूमते हुए) तुम दोनों मेरे लिए परफेक्ट फिट हो…अब जल्दी से तैयार हो जाओ मम्मी के आने का टाइम नजदीक आ रहा है…

टीना: नहीं पापा…ऐसे ही लेटे रहना अच्छा लगता है…(और कह कर करीना से लिपट जाती है)

करीना: हाँ डार्लिंग…टीना ठीक कह रही है (और कह कर टीना को कस कर अपने आगोश में बाँध लेती है)

राजेश: (दोनों लड़कियों को जबरदस्ती अलग करके बीच में बैठते हुए) मेरी परियों प्लीज होश में आ जाओ…जल्दी से कपड़े पहन लो मम्मी का टाइम हो गया है…

टीना: (ठुनकती हुई) पापा…ठीक है हम दोनों मेरे कमरे में जा कर आराम कर लेती है…(कह कर बेड पर खड़ी हो जाती है) करीना चल यार मेरे कमरे में वहाँ जा कर आराम करते है…

करीना: (बेड पर खड़ी होती हुई)…चल यार…मेरे प्यारे अंकल नें दिल तोड़ दिया…

(राजेश टुकुर-टुकुर दोनों की बातें सुनता है और दो नग्न कमसिन जिस्मों को निहारता है। दोनों के हसीन चेहरों पर पूर्ण तृप्ति के भाव, थरथराते हुए सुडौल वक्ष, कटाव लेते हुए नितंब, मासंल जांघें और बालोंरहित कटिप्रदेश देखते हुए राजेश के शरीर में एक बार फिर से रक्त संचारित होने लगता है। दोनों अपने कपड़े उठा कर नग्न अवस्था में इठलाती और बल खाती हुई टीना के कमरे का रुख करती है।)

राजेश: लड़कियों प्लीज… रहम करो… अपने को रोक नहीं सकूँगा…

करीना: (मुड़ कर) न रहा जाए तो…उपर आ जाईएगा…

टीना: (रुक कर) पापा…हम दोनों आपकी राह देखेंगीं…

राजेश: ओके बेटा…

(तभी दरवाजे की घंटी बजती है…दोनों लदर-पदर भागते हुए सीड़ीयाँ चड़ती हुई टीना के कमरे में चली जाती है। राजेश जल्दी से अपनी लुंगी को लपेट कर दरवाजे की ओर झपटता है।)

(दरवाजा खुलने पर अपने सामने कुरियर वाले को खड़ा पा कर खिसिया जाता है। लीना की वापिसी की फ्लाइट की जानकारी स्कूल वालों ने दी थी। जब तक राजेश कुरियर वाले को निपटाता है…सामने से मुमु कार को शेड के नीचे पार्क करती हुई दिखाई देती है…)

मुमु: (घर मे प्रवेश करते हुए) किसकी खबर है?

राजेश: कुछ खास नहीं…स्कूल वालों ने बताया है कि संडे सुबह लीना आ रही है।

मुमु: (सोफे पर बैठती हुई) टीना कहाँ है…

राजेश: उपर अपने कमरे में करीना के साथ है…खाना आज बाहर से मँगवा लेते है क्योंकि तुम थकी हुई होगी और करीना भी है…

मुमु: हाँ यही ठीक रहेगा…आज क्वालिटी रेस्टोरेन्ट से मँगवा लेते है।

राजेश: अच्छा ठीक है। तुम ओर्डर दे दो और मैं जल्दी से तैयार हो कर आता हूँ फिर तुम बाथरूम यूज कर लेना…

मुमु: हाँ यही ठीक रहेगा (कहते हुए फोन की ओर बढ़ जाती है)

(करीना, राजेश और उसका परिवार रात का भोजन एक साथ करते है। मुमु और राजेश अपने बेडरूम में चले जाते है। दोनों लड़कियाँ उपर टीना के कमरे में चली जाती हैं।)

मुमु: प्लीज एक नींद की गोली दे दो…

राजेश: मुमु अब इसकी आदत मत डालो…आगे चल कर तुम्हें इसकी आदत हो जाएगी।

मुमु: मै जानती हूँ परन्तु क्या करूँ…थकान और पिताजी की चिन्ता की वजह से नींद नहीं आएगी।

राजेश: (नींद की गोली मुमु को थमाता है) अच्छा चलो अब सो जाओ…(कहते हुए करवट बदल कर सोने का उपक्रम करता है)

(एक घंटे के बाद राजेश अपने बिस्तर से उतर कर दबे पाँव टीना के कमरे का रुख करता है। दरवाजे पर कान लगा कर अन्दर के हाल का जायजा लेता है। कमरे में उत्तेजना से भरी सिसकारियाँ गूँज रही है। थोड़ी देर बाहर खड़ा हो कर चुपचाप सुनता है और फिर दरवाजे को ठेल कर देखता है कि कहीं अन्दर से बन्द तो नहीं है परन्तु बिना कोई आहट किए दरवाजा खुल जाता है। राजेश कमरे में प्रवेश करके पर्दे के पीछे से अन्दर की ओर झाँकता है।)

(राजेश पर्दे के पीछे से अन्दर की ओर झाँक कर बेड पर पसरी हुई टीना और करीना के बीच मे होते हुए समलैंगिक एकाकार पर दृष्टि डालता है। उसके भी खून मे तेजी आ जाती है।) टीना:.उ.अ..आह.पा…अ.उउआ.पाआह....

करीना: अ..आह.…अ.उउआ.ह....

(दोनों लड़कियाँ 69 पोजीश्न बनाए एक दूसरे की जवानी के रस को सोखती हुई बेसुध हालत में है। सामने का दृश्य देख कर राजेश स्तब्ध खड़ा रह जाता है। धीरे से अपने को होश में ला कर दोनों की ओर बढ़ता है। दोनों हसीनाएँ आँखें मूंदे अपनी ही बनाई दुनिया में मस्त है और राजेश के आगमन से अनिभिज्ञ है। टीना की चूत पर करीना मुख लगा कर अपनी जुबान के अग्र भाग से लाल रंग के मोती को घिसती है। यही कुछ टीना भी करीना की चूत के साथ करती है। सामने का द्दृश्य देख कर राजेश का लंड भी अपनी हरकत में आ जाता है। राजेश अपनी लुंगी को निकाल फेंकता है और अपने लंड को एक मुठ्ठी में ले कर उसके सिर को अनावरित करते हुए अपने अंगूठे को चिकने बैंगनी रंग के फूले हुए सिर पर धीरे से फिराता है। अचानक करीना की निगाह राजेश पर पड़ती है और उसके मुख से दबी हुई चीख निकल जाती है। टीना भी हड़बड़ा कर उठ बैठती है और राजेश को देख कर हतप्रभ रह जाती है।)

टीना: पापा… यह क्या आपने दरवाजा कैसे खोला…

राजेश: (अपने तन्नाते हुए लंड को प्यार से हिलाते हुए) क्यों तुमने चिटकनी नहीं लगाई थी क्या? करीना डार्लिंग इसे तुम्हारे मुख की जरूरत है प्लीज…

टीना: नहीं करीना। हमनें कुण्डी तो लगाई थी…पर लगता है कि ठीक से नहीं लगी होगी…फिर भी आप दरवाजा तो खटखटा देते…

राजेश: तुम दोनों ने इतना उधम मचा रखा था की दरवाजे के बाहर तक आवाजें आ रही थीं।… और अगर मैनें खटखटा दिया होता तो मुझे इतना हसीन यादगार सीन कैसे देखने को मिलता?

टीना: (गुस्से से) पापा…(फिर रुआँसी आवाज में) आप बड़े वो हो…

राजेश: (टीना को अपनी ओर खींचते हुए) बेटा…तुम दोनों के बीच की घनिष्टता को मै जानता हूँ…पर क्या मैं तुम दोनों के साथ घनिष्ठ नहीं हो सकता (कहते हुए पास बैठी करीना को भी अपने उपर खींचता है)

करीना: (कुछ सोचते हुए) टीना तुझे तो पता है कि मै तो अंकल की पूरी तरह से हो चुकी हूँ…मेरे अंग-अंग पर उनका अधिकार है (कहते हुए नीचे झुक कर राजेश के लंड को अपने मुख में रख कर चूसना शुरू कर देती है)

टीना: करीना हमारे पैक्ट का क्या हुआ…हम दोनों ने वादा किया था कि हम दोनों सारा जीवन साथ बिताएँगी…एक पति और पत्नी की तरह…और (राजेश की ओर देखती हुए) …देखो मेरी पत्नी ने कैसे अपने मुख में मेरे पापा का लंड ले रखा है?

राजेश: तो क्या हुआ (आ…ह)…क्या एक पत्नी के दो पति नहीं हो सकते…करीना तुम्हारी पत्नी ही रहेगी परन्तु मेरी प्रेमिका बन कर भी रह सकती है। क्या तुम मेरी प्रेमिका नहीं बनना चाहती…तुम्हें भी तो मेरे हथियार की धार बनानी है…(कह कर टीना के थरथराते होंठों को अपने होंठों में दबा कर उसकी सीने की पहाड़ियों को धीरे से सहलाता हुआ नीचे की ओर सरक कर बेड पर लेट जाता है।)

टीना: अ..आह…पापा…अ.उउआ.ह....

राजेश: बेटा…तुम एक स्त्री पहले हो और बाद में तुम्हारा प्यार…एक के बजाय तुम्हारे लिए वैराय्टी को भोगने का सुख है तो क्यों जबरदस्ती कर रही हो…(करीना अब गति पकड़ती हुई अपने होंठों से राजेश के लंड की नपाई करने लगती है)…तुम मेरी हो…अ..आह....तुम्हारा अंग-अंग मेरा है… (कहते हुए टीना को अपने सीने के उपर बिठा लेता है और अपनी उँगली को योनिच्छेद में डाल कर अन्दर ऐंठें हुए बीज के साथ छेड़खानी शुरु कर देता है)

टीना: अ..आह…अ.उउआ.ह...पापा.

राजेश: बेटा…थोड़ा सरक कर आगे की ओर आओ (उत्तेजित अवस्था में टीना राजेश के मुख पर अपनी चूत रख देती है)… अ..आह…(राजेश की लपलपाती हुई जुबान टीना की योनिछिद्र में घुस कर आग भड़का देती है)

टीना: आह.…अ.उउआ.ह....

(राजेश की जुबान ने टीना की चूत में खलबली मचा रही है। करीना ने राजेश के लंड को अपने गले तक निगल रखा है। कमरे का माहौल सिसकारियाँ और तेज साँसों से बोझिल हो रहा है। एकाएक टीना उत्तेजना से काँपती हुई झरझरा कर वासना के ज्वर में पिघल जाती है और निढाल हो कर साइड में लेट जाती है।)

राजेश: जान… इस को अब अपने दूसरे मुख का स्वाद लेने दो…आओ इस के उपर बैठ जाओ (इतना सुनते ही करीना अपने मुख से लंड को निकाल कर अपनी चूत के मुहाने पर रख कर धम्म से बैठ जाती है। वजन के दबाव की वजह से राजेश का लंड अपनी जगह बनाता हुआ सरक कर अन्दर तक जा कर धँस जाता है।)

राजेश: अ..आह.…

करीना: अ.उउआ.ह....

(करीना ने लंड की सवारी करते हुए गति पकड़नी शुरु कर दी है और राजेश की उँगलियों करीना की चूत की फाँकोँ को अलग कर के सिर उठाए बीज को घिसती है। करीना आँखे मूंद कर राजेश के लंड की मोटाई और लंबाई को नापती हुई अपनी उत्तेजना को शान्त करने में मग्न है। राजेश का एक हाथ करीना के स्तनों के साथ छेड़खानी करने में व्यस्त है। कभी कलश को सहलाते हुए निप्पलों को तरेड़ता है और कभी उंगलियों में दबा कर खींचता है और कभी कचकचा कर पीस देता है।)

करीना: अ..आह.…अ.उउआ.ह....उई…म… माँ…

राजेश: अ.उउआ.ह....

(एक झटके के साथ दोनों के अन्दर का उफ़नता हुआ ज्वालामुखी फट पड़ता है। राजेश एक आखिरी झटके के साथ निढाल हो कर करीना को बाँहों में भर कर लस्त हो कर पड़ जाता है। दोनों का मिश्रित प्रेमरस करीना की चूत से धीरे-धीरे रिसता हुआ राजेश की जांघों से होता हुआ नीचे बिछी चादर को अंकित करता है। टीना को भी अपनी ओर खींच कर अपने अंग से लगा कर राजेश कुछ देर अपनी धड़कनों को काबू में करता है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

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कमसिन कलियाँ--22

गतान्क से आगे..........

राजेश: टीना…करीना…टीना

टीना: हूँ…

करीना: हूँ…

राजेश: मैं तुम दोनों से बहुत प्यार करता हूँ…क्या तुम दोनों मुझे आपस में बाँट सकती हो…

टीना: क्यों नहीं…क्या हमने अभी तक नहीं बाँटा था…परन्तु करीना…

करीना: टीना प्लीज जब हम दोनों अंकल को बाँट सकती है तो क्या तुम मुझे अंकल के साथ नहीं बाँट सकती…

टीना: पर… (राजेश खामोशी से दोनों के बीच होता हुआ वार्तालाप सुनता है)

करीना: पर क्या… अंकल ठीक ही तो कह रहे है… हम तीनों एक दूसरे के साथ कितना मजा कर रहे है… तुझे किस बात की तकलीफ है फिर…

टीना: परन्तु जब लीना दीदी…

राजेश: क्यों क्या हुआ लीना को… टीना क्या वह भी…

टीना: पापा… लीना दीदी लेस्बियन है। पहले वह मेरे साथ सोया करती थीं और फिर करीना ने भी लीना दीदी को जौइन कर लिया था… परन्तु जिस दिन से करीना ने आपके साथ काम सुख का आनन्द लिया है उस दिन से इसकी कायापलट हो गयी है…यह भी सही है कि जब से आपके लंड का स्वाद चखा है मेरी चूत की आग बहुत ज्यादा भड़क गयी है जिसको एक लड़की का संसर्ग बुझाने में पूर्णतः अस्मर्थ है।

राजेश: (टीना के बालों में उँगलियों को फिराते हुए) तो फिर परेशानी की बात क्या है…

करीना: अंकल… टीना को लीना दीदी कि रह-रह कर चिन्ता सता रही है…उसका कहना है कि जब दीदी को पता चलेगा की हम दोनों की चूत को लंड का स्वाद पसन्द है तो उनको बहुत आघात लगेगा। इस लिए टीना आपके साथ चुदाई के लिए मना कर रही है…

राजेश: (करीना की बात सुन कर खिलखिला कर हँस देता है)…यह बात है बस… पर बेटा अगर तुम्हारी दीदी ने अभी तक मेरे या किसी के लंड का स्वाद चखा नहीँ तो वह किस बात की वजह से अपने को लेस्बियन मान रही है…

टीना: नहीं पापा…ऐसी बात नहीं है। मुझे तो उन्होंने कुछ नहीं बताया था परन्तु मुझे लगता है कि दीदी ने किसी के लंड का स्वाद चख रखा है…

राजेश: टीना…तुम और करीना इसके बारे में सोचना छोड़ दो…तुम दोनों मेरी प्रेमिका हो और मै तुम्हारा…लीना को लौटने दो…मुझे विश्वास है कि इस बात का हल भी निकल आएगा…

(दोनों लड़कियाँ खुश हो कर राजेश से लिपट जाती हैं।)

राजेश: अब दोनों आराम करो…जल्दी से सो जाना (कह कर अपनी लुंगी समेट कर पहनता हुआ बेड से उतरता है। दोनों लड़कियों के माथे को चूम कर अपने कमरे की ओर रुख करता है। राजेश के जाने के बाद…)

करीना: टीना…अंकल सही कह रहें है। जब तक लीना दीदी की चूत ने लंड को निगल कर नहीं देखा तब तक उनको कैसे पता चलेगा की चूत और लंड का मिलन तो प्रकृति का नियम है… देखना एक बार अंकल ने दीदी की चूत खोल दी तो वह सब कुछ भूल जाएँगीं।

टीना: हाँ… शायद तू सही कह रही है… चल सो जा बहुत थक गयी हूँ।

करीना: हाँ…आज तेरे पापा ने तो मेरा अंग-अंग तोड़ कर रख दिया…बहुत थक गयी हूँ…अब सो जा यार…

(कहते हुए दोनों सहेलियाँ निर्वस्त्र हालत में एक दूसरे के साथ लिपट कर सो जाती है…।)

(रविवार की सुबह। राजेश, मुमु और टीना एअरपोर्ट की विजिटर गैलरी में खड़े हुए लीना की फ्लाईट का इंतजार कर रहे हैं।)

राजेश: अभी तक फ्लाईट लैंड नहीं हुई है…

टीना: पता नहीं और कितनी देर लगेगी?

राजेश: बेटा जब आनी होगी उससे पहले अनाउँस्मेन्ट हो जाएगा…मुमु तुम तब तक टीना को ले जाओ और सामने बैठ जाओ…

मुमु: आओ टीना…चल कर सामने बैठ जाते है।

राजेश: सुनो…सुनो…श्रीनगर की फ्लाईट लैंड हो गयी है…

(इतना सुन कर सब के चेहरों पर खुशी की लहर दौड़ जाती है और बेसब्री के साथ लीना का इंतजार करते हैं। कुछ मिनटों के बाद एक लड़कियों का झुण्ड एक दूसरे के साथ बातें करता हुआ गेट से बाहर आता हुआ दिखाई देता है।)

टीना: पापा…यह लड़कियाँ हमारे स्कूल की है…

राजेश:…ध्यान से देखना शायद लीना भी इसी ग्रुप में हो…

टीना: नहीं पापा…यह दूसरे सेक्शन की लड़कियाँ है…पापा वह रही दीदी…(खुशी से चील्लाती है) दीदी…दीदी (सामने से लीना अपनी सहेलियों के साथ इधर-उधर देखते हुए गेट से बाहर निकलती है और टीना को देखते ही अपना हाथ हिलाती है)

राजेश: लीना…(अपना हाथ हिला कर उसका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है)

(राजेश पर नजर पड़ते ही लीना अपनी सहेलियों को छोड़ कर राजेश की ओर भागती है और उसके सीने से लिपट जाती है। पीछे से टीना भी भागते हुए आकर लीना से लिपट जाती है।)

राजेश: बेटा…(पीठ पर हाथ फेरते हुए) कैसा रहा तुम्हारा ट्रिप…

मुमु: लीना…

लीना: मम्मी…(कहते हुए मुमु के गले लग जाती है)…पापा इट वाज फन… हाय टीना (कह कर टीना से लिपट जाती है)…सो लिटिल सिस्टर…आई मिस्ड यू अ लाट…

टीना: ओह दीदी…आई मिस्ड यू टू

राजेश: लीना…तुम जल्दी से जा कर अपनी टीचर और फ्रेंड्स से बाय कर लो…मुमु और टीना तुम लीना को ले कर बाहर आओ मै पार्किंग से कार निकाल कर लाता हूँ…(कहते हुए कार लेने चला जाता है। लीना अपनी सहेलियों से मिलने चली जाती है।)

मुमु: टीना…(सामने से लीना अपनी सामान की ट्राली ढकेलती आती दिखाई देती है) अपनी दीदी की जरा हेल्प कर्…

(दोनों बहने बतियाती हुई मुमु के साथ गेट की ओर बढ़ती है। अचानक किसी के चेहरे पर नजर पड़ते ही मुमु का चेहरा डर के मारे सफेद हो जाता है। सामने राजेश कार में बैठा हुआ तीनों का इंतजार कर रहा है और उन पर नजर पड़ते ही झट से उतर कर कार की डिक्की को खोलता है। लीना और टीना सामान रखवाने में राजेश की मदद करती है। दोनों बहने पीछे की सीट पर बैठ कर अपनी बातों का सिलसिला आगे बढ़ाती है। मुमु आगे की सीट पर राजेश के साथ बैठ जाती है। राजेश कार को घर की ओर बढ़ा देता है।)

राजेश: मुमु बड़ी खामोश हो…क्या बात है…

मुमु: नहीं…कुछ नहीं

राजेश: पर अन्दर तो तुम ठीक थीं पर अब बहुत सहमी सी लग रही हो…क्या बात है…

मुमु: कुछ नहीं…तुम…घर पर चल कर बात करेंगें…अभी नहीं

(राजेश अपनी नजर मुमु पर डाल कर अपना ध्यान सड़क पर लगाते हुए चुपचाप कार चलाता है। पीछे दोनों बहनें अभी भी बतिया रही है। घर पर पहुँच कर राजेश और मुमु सामान निकालने में टीना और लीना की मदद करते है। सब लोग अन्दर जा कर सोफे पर थकान से पसर जाते है।)

मुमु: लीना और टीना तुम दोनों अब कुछ देर आराम करो… तब तक मै खाने का इंतजाम करती हूँ…

टीना: मम्मी…

लीना: चल न …(कह कर अपने कमरे की ओर बढ़ती है और पीछे-पीछे टीना भी उठ कर अपनी बहन के कमरे में चली जाती है)

राजेश: अब बताओ…क्या हुआ था

मुमु: एअरपोर्ट के गेट पर मैने मंगल को देखा था…

राजेश: कौन मंगल…वही खूनी,…तुम्हारा नौकर…पागल हो क्या…भला वह वहाँ क्या करेगा। तुम्हें कोई गलतफहमी हो गयी है…

मुमु: नहीं…वह मंगल ही था। मुझे कोई गलतफहमी नहीं हुई है…उस कमीने को मै कैसे भूल सकती हूँ।

राजेश: मुमु…अगर तुम सही कह रही हो तो फिकर करने की बात है। तुमने अपने पिताजी को कब और कहाँ बुलाया है? यह जानना जरूरी है कि तुम्हारे पिताजी और मंगल के बीच क्या कुछ चल रहा है…

मुमु: मैनें कोई ऐसी बात नहीं की थी…जब भी उनसे बात करती हूँ तो उनके कटाक्ष सुन कर तन बदन में आग लग जाती है और मैं फोन रख देती हूँ।

राजेश: कोई बात नहीं…(दरवाजे की घंटी बजती है)

मुमु: मै देखती हूँ…(कहते हुए जाकर दरवाजे को खोलती है)…तुम…(आने वाले को देख कर गुस्से से भन्नाते हुए) तुम्हें यहाँ पर आने की हिम्मत… चले जाओ

राजेश: कौन है…मुमु किस पर बरस रही हो (कहते हुए दरवाजे की ओर आता है)…अरे आप हैं आइये…मुमु तुम्हारे पिताजी हैं…आने दो…ठाकुर साहिब अन्दर आईए…तुम भी आओ सुन्दरी…सौरी आभा आओ तुम्हारा ही घर है…

मुमु: क्या कह रहे हो राजेश…मै अपने घर पर इन लोगों की छाया भी नहीं पड़ने देना चाहती

राजेश: मै तुम्हारी परेशानी जानता हूँ…पर जब मैं अपने पिताजी की मौत को भूल सकता हूँ तो तुम से कहूँगा कि तुम भी पिछ्ली बातें भुला कर इन्हें माफ कर दो। ठाकुर शमशेर सिंह और आभा आप इनकी किसी भी बात का बुरा न मानना… (सारे लोग ड्राइंगरूम में आकर बैठ जाते है। शमशेर सिंह और आभा ड्राइंगरूम की भव्यता को निहारते है)

शमशेर: (मुमु की ओर देखते हुए) कैसी हो बेटी…

मुमु: आपकी बेटी तो उसी दिन मर गयी थी

शमशेर: न बेटी…ऐसा नहीं बोलते।

आभा: दीदी…कैसी हो? बहुत दिनों से आपकी याद आ रही थी (राजेश की ओर मुस्कुरा कर नजर डालते हुए) उस दिन जीजू मिले थे तब आपकी खैर-खबर ली थी और उस दिन से आपसे मिलने की इच्छा तीव्र हो गयी थी।

मुमु: तू बता कैसी है। इतने दिन कहाँ थी? अम्मा कैसी है…उनके बहुत एहसान है।

आभा: अम्मा को मरे तो तीन साल हो गये हैं। उनके मरने के बाद से मै पिताजी के साथ रह रही हूँ…आखिर इस उमर में उन्हें किसी के साथ की जरूरत है और मै भी कहाँ जाती सारे खेत तो मुकदमेबाजी में पहले ही बिक गये थे। अगर जीजू मदद न करते तो पता नहीं मेरा क्या होता।

मुमु: पगली अभी तो मै जिन्दा हूँ…तू मेरे पास पहले क्यों नहीं आयी। आखिर माँ के मरने के बाद मैनें ही तो तुझे पाला है।

आभा: दीदी आँख खोली तो आपको ही माँ माना है…दीदी छोड़ो पुरानी बातें…आप बताओ आप खुश तो हो…

मुमु: बहुत खुश हूँ…राजेश बहुत प्यार करते हैं मुझे

आभा: (राजेश को घूरते हुए) अच्छा…जीजू तो सभी को बहुत प्यार करते है।

राजेश: आप लोग बातें करो…मै आप लोगों के लिए कुछ चाय नाश्ते की तैयारी करता हूँ।

मुमु: नहीं आप बैठो…मै तैयारी करती हूँ।

राजेश: न तुम बैठो…यह लोग तुम से मिलने आए हैं। (कह कर रसोई की तरफ जाता है)

(शमशेर सिंह खामोशी से सब की बातें सुन रहा है और उसकी नजर मुमु पर टिकी हुई है। आभा सरक कर मुमु के पास आती है और अपनी आँखों से शमशेर सिंह को इशारे से अपनी ओर बुलाती है। शमशेर सिंह उठ कर मुमु के दूसरी ओर आकर बैठ जाता है।)

आभा: दीदी…हम दो साल से जीजू के फार्म हाउस पर नौकर की तरह काम कर रहे है…क्या जीजू ने आप को कभी हमारे बारे में नहीं बताया…

मुमु: (असमंजस में) नहीं तो। हाँ अभी कुछ दिन पहले राजेश कह रहे थे कि पिताजी को उन्होंने किसी दोस्त के पास काम पर रखवा दिया था पर अपने फार्म पर…

शमशेर: मुमु…जब से तू गयी है मेरी बर्बादी शुरू हो गयी…सिर्फ तेरे कारण ही मै उसके फार्म पर नौकरी कर रहा था…अब तू मुझे माफ कर दे जिससे मै अपने बुढ़ापे में आराम से मर सकूँ।

आभा: दीदी प्लीज जीजू को कुछ न बताना… वह बहुत खतरनाक और ऐयाश किस्म के आदमी है…। आपने पूछा था कि मै आपके पास पहले क्यों नहीं आयी बस इतना समझ लो कि उन्होंने मुझे अपना हमबिस्तर बनाने का भरसक प्रयत्न कर लिया परन्तु मै किसी तरह से उनके चंगुल में नहीं फँस पायी।

शमशेर: मुमु…वह निहायत कमीना आदमी है। आभा गवाह है कि उसने हमारे सामने कितनी लड़कियों के साथ अपने फार्म पर रंगरेलियां मनायी है। अभी कुछ दिन पहले की बात है कि वह एक स्कूल की लड़की को अपने साथ ले कर फार्म पर आया था।

मुमु: पिताजी आपके मुख से यह बातें शोभा नहीं देती। आप तो उस से भी बड़े कमीने हो क्योंकि आपने मुझे तेरह साल की उम्र में एक बच्ची की माँ बना दिया था…

आभा: दीदी…पिताजी ठीक कह रहे है। यह बहुत ही कमीना आदमी है। इसको त्याग कर हमारे साथ चलो…सुना है मेरी दो और बहनें है…अब तो बड़ी हो गयी होंगीं…कहां पर है

मुमु: अगर तुम लोग इसी तरह की बकवास करोगे…तो अभी और इसी वक्त मेरे घर से निकल जाओ…

(पैर पटकती हुई लीना आती है और दो अजनबियों को मुमु के साथ बात करते हुए देख कर ठिठक जाती है। सभी की निगाहें लीना पर पड़ती है।)

लीनाझल्लाती हुई आती है)…मम्मी मेरा सारा सामान कहाँ रख दिया…कुछ भी नहीं मिल रहा…ओह सौरी…(कह कर वापिस जाने के लिए मुड़ती है)

आभा: बेटी…इधर आओ…(लीना मुड़ कर आभा की ओर देखती है और प्रश्नवाचक द्रष्टि से मुमु को देखती है)

आभा: बेटी आओ न…मै तुम्हारी एक रिश्ते से मौसी लगती हूँ और… (इससे पहले कुछ बोलती राजेश हाथ में चाय की ट्रे और कुछ नाश्ते का सामान लेकर कमरे में प्रवेश करता है)

राजेश: और बेटा एक रिश्ते से यह तुम्हारी बहन भी लगती है। लीना बेटे आप अपने कमरे में जाओ।

आभा: (इठला कर) क्यों जीजू क्या हमारा कोई भी हक नहीं है। बेटा प्लीज मेरे पास आओ…

राजेश: (अनसुनी करते हुए) आप लोग चाय लीजिए…लीना तुम मेरे साथ चलो मै बताता हूँ कि तुम्हारा सामान कहाँ पर रखा हुआ है…(कह कर लीना का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले जाता है।)

आभा: यह बड़ी वाली है न…

मुमु: हाँ…छोटी वाली का नाम टीना है।

शमशेर: (जाती हुई लीना को घूरते हुए) बहुत हसीन है…बिल्कुल तुम्हारे ऊपर गयी है। इस उम्र में तुम इतनी ही खूबसूरत दिखती थी।

आभा: पिताजी…कोई भी…दीदी तुम अपनी लीना और टीना की तो सोचो…जब वह कमीना स्कूली लड़कियों के साथ रंगरेलियॉ मनाने से नहीं हिचकता…इतनी सुन्दर और हसीन बच्ची को भला राजेश जैसा ऐयाश कभी छोड़ेगा…

मुमु: तुम लोग इज्ज्त से अन्दर आये हो…अब लगता है कि बेइज्जत हो कर बाहर जाओगे…

शमशेर: मुमु…तूने मेरी कई रातें रंगीन की है…और लीना और टीना उन्हीं रातों की देन है…क्या तुझे कुछ भी नहीं समझ आता…वह मुझसे तनवी और अपने बाप का बदला लेना चाहता है… तू क्या भूल गयी…

आभा: दीदी आप नादान न बनो…

राजेश: (पर्दा हटा कर गुस्से में आग बबूला होता हुआ अन्दर प्रवेश करता है)… ठाकुर तू जन्म-जात कमीना है। जिस थाली में खाता है उसी में छेद करता है। अपनी बेटी को मेरे खिलाफ भड़का रहा है जिस ने तेरी इतने दिनों तक देखभाल की…साले फाँसी हो जाती अगर मैने वकील नहीं किया होता…शायद वही हम सब के लिए अच्छा होता…

आभा: तुम तो रहने दो…जरूर पिताजी आपकी लड़कियों भाग्य ही खराब है कि सब इस लम्पट के जाल में फँस जाती है…

राजेश: (गुस्से से दहाड़ते हुए) सुन्दरी तूने शायद कितनी बातें झूठ बोली हो परन्तु एक बात बहुत सही कह रही है कि ठाकुर शमशेर सिंह ने अपनी सारी बेटियाँ शायद मेरे लिए ही पैदा की हैं। ठाकुर कुछ भी कहो तेरी एक-एक बेटी के लिए मै अपनी हजार जानों की कुर्बानी देने को तैयार हूँ…

(घमासान के शोर को सुन कर टीना और लीना अपने कमरे से निकल कर पर्दे के पीछे से अन्दर होती हुई लड़ाई को समझने की कोशिश में लगी हुई हैं।)

शमशेर: तेरा गन्दा खून तेरे सिर चड़ कर बोल रहा है… मै अपनी बेटी से बात कर रहा हूँ…

मुमु: पिताजी…मुझे पता है कि आप इस से क्यों नफरत करते है। यह आपके मुख से तनवी नाम के शिकार को ले उड़ा…पर कभी आपने सोचा कि कैसे जानते-बूझते इसने आपकी झूठन को अपने घर की जीनत बना ली और आपके पाप को अपना नाम दिया…

आभा: दीदी…यह सिर्फ हमारे को नीचा दिखाने के लिए ऐसा कर रहा है…

मुमु: अच्छा तू इतनी बड़ी हो गयी है कि मुझे सिखाएगी…(दिल की पीड़ा से सिसकती हुई)… मरते समय तनवी ने इसे मेरा और मेरी बच्चियों का ख्याल रखने को कहा था। बच्चियों के बाप ने तो दूसरी लड़की होने पर मुझे अपने घर से निकाल दिया था परन्तु बेचारा राजू आज तक अपनी पत्नी की बात को गाँठ बाँध कर अमल कर रहा है।

राजेश: मुमु…मै तुम्हें रोते हुए देख कर कमजोर पड़ जाऊँगा…प्लीज

आभा: तुम रहने दो…अपना नाटक बन्द करो। दीदी…लीना और टीना की सोचो आखिर यह कमीना उनका बाप नहीं है और अपनी कसम पूरी करने के लिए उनकी जिन्दगी बर्बाद कर देगा…

राजेश: मुमु तुम्हें इस बात की हैरानी तो होगी कि लेकिन सुन्दरी आखिर मे सही मायने में ठाकुर की औलाद है। मै तो तुम्हें पहले बता देता कि दाई अम्मा के मरने के बाद जब इस को यहाँ लाने के लिये गाँव गया था तो यह मुझ पर अपनी जवानी लुटाने की कसम खा रही थी…क्यों सुन्दरी अब बोलती बन्द हो गयी…पर साथ में शर्त रख रही थी कि तुम्हें और दोनों बच्चियों को अपने घर से बेदखल कर दूँ।तुम तो जानती हो कि ऐसा मै कभी भी नहीं कर सकता था तो मेरे इंकार से खफा हो कर इसने मुझे बदनाम करने की कोशिश करी थी…पर मेरी माँ इन सब बातों की गवाह थी जिसकी वजह से यह मेरा कुछ नहीं बिगाड़ पायी। मेरी माँ ने इसे धक्के मार कर घर से निकाल दिया था। आखिर तनवी मेरी माँ की बहू नहीं बेटी थी तो भला वह कैसे तनवी की बात को झूठ्ला देती… मै तो स्वर्णाभा को ही ठाकुर की असली औलाद मानता हूँ क्योंकि जितना कमीना वह है यह उससे दो कदम आगे है।

आभा: (गुस्से से बिफरती हुई) सब झूठ है…बहुत झूठा है यह…

राजेश: (खिलखिला कर हँसते हुए) अच्छा सावित्री…तो तूने मेरा कभी भी बिस्तर गर्म नहीं किया? क्या पिछले हफ्ते फार्म हाउस पर मेरे साथ माला पढ़ रही थी… यही वह औरत है जो अपने बाप के साथ दो साल पहले जब फार्म हाउस पर आयी तो मुझे मेरा ही वचन याद करा रही थी…

मुमु: राजेश… तुम्हारे मेरे ऊपर बहुत एहसान है…बिना विवाह किए तुमने मेरी बच्चियों को अपना नाम दिया…कभी किसी को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि हम पति-पत्नी नहीं है। अगर मै नहीं जोर देती तो तुम कभी भी मेरे साथ संबंध नहीं बनाते…

राजेश: (घबराहट में) कौन है…पर्दे के पीछे… टीना…

(डरते हुए लीना और टीना सुबकते हुए पर्दे के पीछे से बाहर निकल कर कमरे मे प्रवेश करती है और राजेश की ओर देखते हुए भाग कर उस से लिपट जाती हैं।)

राजेश: न बेटा…न बेटा…रोते नहीं (उनको चुप करने की कोशिश करता है। मुमु भी भाग कर लीना और टीना के पास आ कर सिर पर हाथ फेरती हुई चुप कराने की कोशिश करती है। दोनों को मुमु के सुपुर्द कर के राजेश कमरे के बाहर जाता है।)

आभा: बेटा तुम अपने पिताजी से नहीं मिलना चाहोगे…(शमशेर सिंह की ओर इशारा करते हुए)…यह तुम्हारे और मेरे पिताजी है…

मुमु: आज तो हम पर कहर टूट पड़ा…(चीखते हुए) तुम मेरे घर से इसी समय निकल जाओ और मै तुम दोनों की सूरत नहीं देखना चाहती…

(राजेश एक बार फिर से कमरे में प्रवेश करता है। मेज पर धीरे से कागज का पुलिन्दा रखता है और फिर उस पुलिन्दे के साथ एक पिस्तौल रख देता है)

राजेश: ठाकुर और सुन्दरी आज तुम्हारे पास सिर्फ एक रास्ता है…जब तुम मेरे पास आये थे अपने लुटने का रोना सुनाने…तब मैने वह फार्म हाउस तुम्हारे नाम पर ट्रांसफर कर दिया था कि तुम्हारा बुढ़ापा आराम से गुजरे यह उसके कागजात है…अगर तुम आज और अभी फिर कभी भी यहाँ न आने का वादा करो तो यह कागज उठा लो हमेशा के लिए चले जाओ… और अगर एक क्षण की भी देरी की तो यह पिस्तौल से मै एक बहुत पुराना काम जो रह गया था आज पूरा कर दूँगा…।

आभा: पिताजी…(जल्दी से पुलिन्दा उठा कर शमशेर सिंह का हाथ थामती है) जीजू ने तो हमें…

शमशेर: (आभा के हाथ से पुलिन्दा छीन कर राजेश की ओर फेंकता है) मै कोई कुत्ता नहीं हूँ कि हड्डी मिलते ही दुम हिलाना शुरु कर दूँ…(झपटते हुए पिस्तौल उठा लेता है) आज मैं तुम्हारा बहुत पुराना काम खत्म कर देता हूँ…(राजेश की ओर निशाना लगाता हुआ गोली चला देता है)…

(पिस्तौल को ठाकुर के हाथ मे देख कर मुमु अपनी दोनों बेटियों को छोड़ कर शमशेर की ओर रोकने के लिए बढ़ती है। इस से पहले मुमु कुछ कर पाती पिस्तौल की गोली मुमु के सीने को चीरती हुई निकल गयी। सब अवाक् से खड़े देखते रह गये।)

आभा: (अचानक होश में आ कर) आपने यह क्या किया…भागो यहाँ से (कह कर शमशेर सिंह का हाथ पकड़ कर खींचते हुए बाहर की ओर भागती है)

राजेश: (मुमु को बाँहों मे उठा कर) बेटा जल्दी से ताला लगा कर के बाहर आओ हमें अभी अस्पताल जाना है…ठाकुर अगर आज इसको कुछ हो गया तो तुम्हें कहीं से भी खोद कर निकाल कर ऐसी मौत मारूँगा की…(भागता हुआ कार तक पहुँच कर घायल मुमु को पिछली सीट पर लिटाता है और लीना और टीना को ले कर सीधा अस्पताल की ओर रुख करता है)

मुमु: र…रा…जेश…तुम्हें इन दोनों का ख्याल रखना है…इनके उपर कभी पिताजी का साया नहीं पड़ने देना।

राजेश: तुम्हें कुछ नहीं होगा… बस आ गया…(तेजी से ब्रेक लगा कर कार को रोकता है)…बेटा तुम लोग मेरे पीछे-पीछे रहना…इमर्जेन्सी जल्दी…(वार्ड के लोग भाग कर आते है और मुमु को स्ट्रेच्रर पर लिटा कर अन्दर ले जाते है। राजेश भागता हुआ रिसेप्शन डेस्क पर आता है।)

राजेश: डाक्टर सोनी कहाँ है…जरा उन्हें अभी यहाँ बुलवाईए, इमर्जेन्सी है…

(इधर राजेश अपने रसूख का इस्तेमाल मुमु की जान बचाने के लिए कर रहा है और उधर मुमु जीवन और मौत के बीच झूल रही है। लीना और टीना सिसकती हुई अपनी माँ के लिए दुआएँ माँग रही है…। वाह री किस्मत, कैसी विडम्बना है कि एक बार फिर ठाकुर ने अपनी एक और लड़की को राजेश से मोहब्बत करने के कारण कुर्बान कर दी…)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--23

गतान्क से आगे..........

(होस्पिट्ल के वेटिंग लाउंज में राजेश, लीना और टीना बेसब्री से मुमु की खबर का इंतजार कर रहे हैं। राजेश के सीने पर सिर टिका कर लीना अभी कुछ देर पहले रोते हुए सो गयी है। टीना के चेहरे पर हवाइयां उड़ी हुई है और बीच में कभी-कभी सुबक उठती है। राजेश के चेहरे पर पीड़ा और चिन्ता के भाव साफ दिख रहे है। आप्रेशन थियेटर का दरवाजा खुलता है, एक डाक्टर और नर्स बात करते हुए बाहर निकलते है। राजेश उनको देख कर उठ जाता है।)

डाक्टर सोनी: राजेश…जो हम कर सकते थे हम ने कर दिया। अब सब उपर वाले के हाथ में है।

राजेश: हाँ यार…क्या उम्मीद है।

डाक्टर: यार क्या बताऊँ गोली तो जो नुकसान कर सकती थी उसने कर दिया। तुम समय पर ले आये तो हम कुछ कोशिश भी कर रहें है वरना उसके लिए भी हमारे पास समय नहीं मिलता… भाभी तो बेहोशी में तेरा नाम ले रही है…

राजेश: बेचारी अभी भी मेरी चिन्ता कर रही है…

डाक्टर: पुलिस का क्या करना है…यह पुलिस केस है पर मैने अपनी गारन्टी पर इलाज शुरु तो कर दिया है…आगे क्या करना है…

राजेश: यार…मुझे समझ नहीं आ रहा है। पता नहीं मुमु मुझसे क्या उम्मीद करेगी- उसके पिताजी का नाम लूँ या नहीं। यार जरा थोड़ी देर और नहीं रुक सकते…

डाक्टर: नहीं यार…वैसे ही बहुत देर हो गयी है

राजेश: प्लीज यार कुछ कर…मुमु को होश आने दे (टीना झपटती हुई उन दोनों की ओर बढ़ती है)

टीना: पापा क्या सोचना…(गुस्से से लाल होते हुए) मै उस आदमी को फांसी लगते हुए देखना चाहती हूँ। अंकल आप पुलिस को बुला लिजिए…

राजेश: बेटा…गुस्से से नहीं विवेक से काम लेना चाहिए (कहते हुए टीना को अपनी बाँहों मे भर कर फफक कर रो पड़ता है। टीना भी राजेश से लिपट कर रोने लगती है।)

डाक्टर: राजेश…संभालों अपने आप को…अगर तुम ही हिम्म्त छोड़ दोगे तो इनका क्या होगा… (कहते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ जाता है और पीछे-पीछे नर्स भी वार्ड का राउन्ड लेने के लिए चली जाती है।)

राजेश: (टीना की पीठ पर प्यार से थपथपाकर चुप कराते हुए) बेटा…जब बदले का वक्त आएगा तब अवश्य बदला लेंगें पर अभी तो तुम्हारी मम्मी की सुरक्षा का सवाल है…

टीना: आप सच बताइए…क्या आप हमारे पापा नहीं हो…क्या वह राक्षस हमारा पापा है…

राजेश: बेटा तुम्हें क्या लगता है… कि एक दिन कोई भी आएगा और कहेगा मै तुम्हारा पापा हूँ तो तुम मान लोगी और इतने साल का मेरा प्यार बेमानी हो जाएगा…

टीना: नहीं पापा…(सिसकती हुई)आप ही मेरे और लीना के पापा हो…

राजेश: बेटा…तुम और लीना ही मेरे जीवन का सहारा हो…अगर तुम्हारे और मेरे बीच में कोई भी आया तो…(लीना की नींद टूट चुकी है और दोनों को देख कर इनकी ओर बड़ती है)

लीना: पापा…मम्मी कैसी है…अब तक कुछ अन्दर से खबर आयी…

राजेश: अभी खतरा बना हुआ है…आगे उपर वाले पर भरोसा है…

(तीनों फिर से सामने पड़ी कुर्सीयों पर बैठ जाते है। अन्दर मुमु जीवन और मौत के साथ घमासान होते देख रही है। जरा सा होश आता है तो राजेश को पुकारती है…ड्यूटी नर्स बाहर आ कर राजेश को आवाज देती है…)

राजेश: बोलिए…

नर्स: आपको बुला रही है परन्तु अब उनके पास ज्यादा समय नहीं है…आप उनसे मिल लें…मै डाक्टर को बुलाने जा रही हूँ।

राजेश: मै इनको भी साथ ले जाऊँ…इनको देख कर शायद भगवान को दया आ जाये…

नर्स: ठीक है…(कह कर फोन के पास चली गयी)

(धीरे कदमों से चलते हुए तीनों दरवाजा धकेल कर रूम के अन्दर चले जाते है। अन्दर मुमु बेड पर आँखें मूंदे लेटी हुई है। विभिन्न प्रकार के यन्त्र मुमु के अलग-अलग अंग से जुड़े हुए है। आहट सुन कर मुमु आँखे खोलती है। राजेश, लीना और टीना सिर्हाने खड़े हो कर ढबढबाई आँखों से मुमु को निहारते हैं।)

मुमु: (करहाते हुए)…राजू…मेरा समय आ गया है…

राजेश: तुम्हें कुछ नहीं होगा…

मुमु: लीना…टीना… हमारे लोगों ने इन्हें सिर्फ दुख दिया है… अब एक बार फिर तुम पर इनका भार डाल रही हूँ। कुछ भी हो जाए इन दोनों पर मेरे पिताजी का साया नहीं पड़ने देना…

राजेश: तुम नाहक ही चिन्ता कर रही हो…तुम्हें कुछ नहीं होगा

मुमु: लीना…तू बड़ी है देख टीना का ख्याल रखना…तुम दोनों कभी भी इनका साथ नहीं छोड़ना…राजू हर पल तुम्हारे साथ बीता हुआ मेरे जीवन के सुनहरे पल है…तनवी की कमी तो मै पूरी नहीं कर सकी पर हाँ तुमने अपने प्यार में कभी कोई कमी नहीं आने दी…जब तनवी से मिलूँगी तो उसे बताऊँगी कि राजेश… बेटा यह अकेले हो जाएगें इनकी देखभाल करना (कहते हुए आँखे मूंद कर खामोश हो जाती है)

(डाक्टर और नर्स भागते हुए अन्दर आते है…सामने लगे मोनिटर की ओर देखते ही ठिठ्क कर रुक जाते हैं)

डाक्टर: आप लोग बाहर जाईए…नर्स इन्हें बाहर निकालिए और जरा शाक पैड ट्यून किजीए…

(तीनों भारी मन से बाहर आ जाते हैं। कुछ ही समय बाद डाक्टर बाहर आता है)

डाक्टर: सौरी राजेश…हम भाभीजी को बचा नही सके… तुम मेरे रूम में आओ और पुलिस कार्यवाही के पेपर्स पर साइन कर दो…हम ब्रोट डेड की रिपोर्ट देंगें…

(तीनों एक बार फिर से फफक कर रो पड़ते है…।)

(ड्राइंगरूम रूम में तीनों चुपचाप बैठे हुए है। मुमु की मृत्यु को एक महीना बीत चुका है। ठाकुर और आभा को पुलिस पकड़ कर ले गयी है और उन पर खून का मुकद्दमा चल रहा है। धीरे-धीरे सब कुछ रोज की तरह से हो रहा है परन्तु सिर्फ मुमु की कमी खल रही है। दरवाजे की घंटी बजती है…)

राजेश: लीना…देखना कौन है…

(लीना दरवाजा खोलती है)

लीना: पापा…करीना है…आजा सब ड्राइंगरूम में बैठे है।

(लीना और करीना ड्राइंगरूम में प्रवेश करते है।)

करीना: नमस्ते अंकल…हाय टीना

राजेश: आओ करीना…

टीना: हाय…

(फिर सब नजरें झुका कर चुप बैठ जाते है)

राजेश: (सब के उदास चेहरे को देख कर) बहुत दिन हो गये है…चलो आज फार्म पर चलते है… थोड़ा मन बहल जाएगा…

टीना: मन नहीं है पापा…

लीना: पापा…आप हो आइए, मेरा भी मन नहीं है…

राजेश: आज कोई कुछ नहीं कहेगा…तुम्हारी मम्मी को बहुत तकलीफ होगी जब वह उपर बैठ कर तुम्हारे उदासीन चेहरे देखती होगी। आज फार्म पर हम सब लोग जाँएंगे… करीना तुम भी चलो…तुम्हारे घर पर मै बात कर लेता हूँ।

(बेमन से लीना और टीना उठ कर अपने कमरे में कपड़े बदलने के लिए जाते है। करीना नजरें झुकाए सोफे पर बैठी रहती है। राजेश उठ कर करीना के पास आ कर बैठ जाता है।)

राजेश: करीना…

करीना: हूँ…

राजेश: कैसी हो…

करीना: ठीक हूँ…

राजेश: क्या बात नहीं करोगी…बस ठीक हो

करीना: नहीं ऐसी कोई बात नहीं है…सोच कर हैरानी होती है कि वह लोग ऐसे भी हो सकते हैं

राजेश: हाँ तुम तो उनसे मिल चुकी हो…

करीना: मैं तो उस आदमी की नजरों से समझ गयी थी कि यह अच्छा आदमी नही है…जिस तरह से मुझे घूर रहा था…

राजेश: छोड़ो…यह सब…बहुत दिनों के बाद आयी हो…कभी मेरे बारे में नहीं सोचा…

करीना: रोज…परन्तु जो कुछ उस दिन हुआ था उस वजह से…।

राजेश: (करीना की कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींचते हुए) तुम्हें पता नहीं कि तुम मेरे लिए क्या हो… कम से कम फोन पर तो बात कर सकती थीं। तुम मेरे जीवन का अहम् हिस्सा हो…।

करीना: (ढबढबाई आँखों से) आपको इस मुश्किल में देख कर मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ…(लीना और टीना कमरे में दाखिल होती हुई)

लीना: क्या समझ नहीं आ रहा था तुझे…

करीना: (झेंपती हुई) कुछ नहीं…

टीना: पापा…चलें क्या…

राजेश: हाँ (कह कर उठ खड़ा होता है)

(राजेश तीनों को ले कर कार में बैठ जाता है और अपने फार्म हाउस की ओर कार को ड्राईव करता है)

राजेश: आज क्या बात है सब जीन्स और कुर्ते पहने हुए हैं… मै वैसे ही दुखी हूँ और पिछ्ले दिनों में तुम्हारी मातमी सूरतें देख कर और भी ज्यादा परेशान हो गया हूँ…जाने वाला चला गया परन्तु उसकी बेहतर यादें हमें जीवन का सहारा देती है…

टीना: पापा…मम्मी की कमी बहुत खलती है और उन्हें याद करके…

राजेश: (बीच में बात काटते हुए) बेटा…तुम्हारी मम्मी को चहकती हुई टीना अच्छी लगती थी या मातमी सूरत वाली टीना…

करीना और लीना: (एक स्वर में बोलती हुई) शैतान टीना…

राजेश: यही तो मै भी कह रहा हूँ… अगर तुम खुश तो तुम्हारी मम्मी भी खुश और तुम दुखी तो तुम्हारी मम्मी भी दुखी…

लीना: पापा…बहुत दिनों से एक बात पूछना चाहती हूँ…

राजेश: वही न कि उस दिन की बातों में कितनी सच्चाई है…तुम्हारे पूछे बिना ही मैं बता देता परन्तु मै तुमसे पूछ्ना चाहता हूँ कि अगर कल तुम्हें कोई कहे कि मुमु तुम्हारी मम्मी नहीँ थी तो क्या तुम्हारा दिल मानेगा… क्या पैदा करना ही जरूरी है माँ या बाप बनने के लिए…

लीना: पापा मेरा यह मतलब नहीं था…

राजेश: बेटा…मुझसे पूछने के बजाय तुम्हें अपने दिल से पूछना चाहिए कि क्या कोई और तुम्हारे लिए मुझसे ज्यादा प्रिय हो सकता है…अगर हाँ तो मेरा रिश्ता कमजोर है और नहीं तो फिर सारी बातें बेमानी है…

लीना: पापा…मै मम्मी से ज्यादा आपसे प्यार करती हूँ…मेरे लिए सब बेमानी है परन्तु जो हमने उस दिन सुना था क्या वह सच है।

राजेश: बेटा इस दुनिया में बहुत सी बातें हैं जिनका तुम्हें पता नहीं है…अगर तुम जानना चाहती हो तो मै तुम्हें जरूर बताऊँगा परन्तु इतना हमेशा याद रखना पुराने घाव को कुरेदने से तकलीफ ही होती है…

(कार फार्म हाउस के गेट पर आ कर रुक जाती है…राजेश हार्न बजाता है लेकिन फिर कुछ याद करके खुद जा कर गेट खोल कर कार को अन्दर ले जा कर खड़ी कर देता है।)

टीना: पापा…यह तो बहुत सुन्दर जगह है आप पहले यहाँ हमें क्यों नहीं लाये थे…

राजेश: मै नहीं चाहता था कि तुम उन लोगों से मिलो।

लीना: वही जो उस दिन हमारे घर पर आये थे…(एकाएक) पापा…तनवी कौन थी…

टीना: हाँ…वह कौन थी…

राजेश: बाद में…पहले घूम कर देख तो लें कि यहाँ का क्या हाल है।

(राजेश तीनों लड़कियों को लेकर कर फार्म दिखाने ले जाता है। खुला और शान्त वातावरण, चारों ओर हरियाली, पहाड़ी के आँचल में फैला हुआ खेत, किनारे से कल-कल बहता हुआ मौसमी जंगली झरना, कुल मिला कर एक मनमोहक दृश्य।)

टीना: (इतने दिनों में पहली बार चहकते हुए) ब्यूटीफुल प्लेस…पापा मैं आपसे नाराज हूँ कि आप मुझे पहले यहाँ पर ले कर क्यों नहीं आए… करीना तुझे कैसा लगा?

लीना: हाँ पापा…बहुत सुन्दर जगह है। क्या मम्मी ने यह जगह देखी है?

राजेश: नहीं… अर…रे वहाँ कौन है…चलो वहाँ चल कर देखते है…

लीना: पापा…हम अपने स्विमिंग कास्ट्यूम ले आते तो अच्छा रहता…इस जगह हम आराम से तैरना सीख सकते है…

राजेश: वो तुम ऐसे भी सीख सकते हो…(तेज कदमों से बढ़ता हुआ पेड़ के पास जा कर रुक जाता है)…यहाँ तो कोई भी नहीं है…

करीना: हाँ मैने भी किसी को पेड़ की आड़ में खड़ा देखा था…

राजेश: चलो यहाँ से…(कह कर आउट हाउस की ओर बढ़ता है। तीनों लड़कियाँ भी राजेश के पीछे-पीछे आउट हाउस की ओर चल देती है।)

टीना: पापा…कहीं आपको कोई गलतफहमी तो नहीं हो गयी…यहाँ पर जंगली जानवर भी तो होते होंगें…शेर, चीता, साँप,…

लीना: टीना तू नाहक ही डरा रही है…यहाँ पर ऐसा कुछ भी नहीं है…क्यों पापा?

(राजेश दरवाजा खोल कर अन्दर का जायजा लेता है। करीना को एक महीने पहले की इस कमरे मे खेली हुई रंगरेलियां याद आते ही चेहरे पर शर्म कि लालिमा फैल जाती है।)

टीना: (करीना के भाव को पढ़ते हुए) करीना तुझे क्या हुआ…

करीना: कुछ नहीं…

(पीछे से किसी के आने की आहट होती है। चारों पीछे घूम कर देखते है तो अपने सामने सुन्दरी उर्फ आभा को खड़ा पाते है।)

आभा: यह तुम्हें क्या बताएगी…मै बताती हूँ (इतना सुन कर करीना के चेहरे पर हवाइयां उड़ गयीं)

राजेश: पहले तो तू बता आभा कि तू यहाँ क्या कर रही है…तेरी हिम्मत कैसे हो गयी यहाँ आने की…

आभा: मैं तो बीते तीन दिन से रह रही हूँ क्योंकि यह मेरे पिताजी की जगह है। तुम्हीं ने कहा था कि यह जगह तुमने मेरे पिताजी के नाम पर खरीदी है…तो क्या मै पूछ सकती हूँ तुम मेरी जगह पर क्या कर रहे हो…

राजेश: अच्छा…बहुत नीच खानदान की हो…पहली बात तो यह जगह मेरे नाम पर है। मैने ट्रान्सफर के कागजात तुम्हारे पिताजी के नाम पर बनवाए थे…जिससे कि उनका बुढ़ापा आराम से कट जाए…पर जेल से कब छूटीं…

आभा: बात क्यों बदल रहे हो…तुम्हारी बेटी ने इस छोकरी से कुछ पूछा था…क्या उसका जवाब नहीं दोगे…खैर यह क्या जवाब देगी मै बताती हूं यह छोकरी तुम्हारे बाप की रखैल है और कुछ दिन पहले इसी जगह पर एक पूरा दिन तुम्हारे बाप ने इसकी जवानी को भरपूर लूटा था…

(आभा की बात सुन कर लीना और टीना सकते में आ गयी और करीना लाज के मारे नजरें झुकाए जमीन में गड़ी जा रही है। बेबसी के आँसु करीना की आँख से टपकने लगे थे जिसे देख कर राजेश बेंचैन हो उठा है। राजेश अपना आपा खो कर आभा की ओर झपटता है और खींच कर उसके गाल पर एक चांटा रसीद कर देता है। इस अचानक वार से आभा चक्कर खा कर जमीन पर ढेर हो जाती है।)

लीना: पापा यह क्या कह रही है…आप और करीना

राजेश: हां…मै और करीना ही नहीँ…मैं और…

लीना: (गुस्से से बाहर की ओर भागती हुई)…तो जो उस दिन सब कह रहे थे वह सच है…

राजेश: (पीछे-पीछे भागते हुए) मेरी बात सुनो…लीना…प्लीज (एक पल के लिए ठिठ्क कर रुक जाता है।)

क्रमशः

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--24

गतान्क से आगे..........

(सामने से लीना को थामे मंगल पगडंडी से होता हुआ राजेश के पास आकर खड़े हो जाता है) राजेश: …मंगल…इसको छोड़ दे…

मंगल: क्यों…मेरे छुने से यह मैली हो जाएगी या तेरे लायक नहीं रहेगी…इसमें कोई शक नहीं ठाकुर ने एक से एक सुन्दर लड़की पैदा की है और जब जेल जा रहे थे तो उसने अपनी लड़की को मेरे हवाले करते हुए कहा था कि मंगल इनका भरपूर ख्याल रखना…आज तक सुन्दरी को बहुत जतन से संभाल रहा हूँ और उसकी जवानी को बड़े चाव से अपना हिसाब चुकता कर रहा हूँ। पर अब सुन्दरी से ऊब गया हूँ और अब से मै लीना और टीना का बड़े प्यार से ख्याल रखूँगा…

राजेश: तू क्या चाहता है…(अब तक करीना और टीना भी बाहर आ राजेश के साथ खड़ी हो कर सब कुछ देख रही है)…इसको छोड़ दे तुझे जितना रुप्या पैसा चाहिए वह मै तुझे दूँगा…

मंगल: वह तो लूँगा ही…जो तेरे पास है आज से मेरा ही तो है। (लीना के उभरे हुए सीने के उपर अपना हाथ फिराते हुए और कस कर एक स्तन को दबा देता है। डर और पीड़ा से लीना की चीख निकल जाती है। राजेश झपटने की कोशिश करता है तो मंगल दो कदम पीछे हो जाता है और लीना के पीछे से अपने हाथ को बाहर निकाल कर चाकू लहराता है।) ऐसी कोई गलती मत करना कि इसकी जवानी का स्वाद चखे बिना यह तेरे से बहुत दूर चली जाए…

राजेश: तेरी-मेरी दुश्मनी है…इस बच्ची ने तेरा क्या बिगाड़ा है…भगवान के लिए इसको जाने दे मै तेरे आगे हाथ जोड़ता हूँ…(अब तक आभा भी बाहर आ कर खड़ी हो जाती है)

आभा: मंगल तू लीना को छोड़ दे…

मंगल: क्यों…मेरी जान अब तेरे छेद में वो मजा नहीं रहा…राजू बेटा एक बात तुझे बता रहा हूँ…तुम्हारी दुश्मनी के चक्कर में मैनें बहुत मजे लिए है…मेरी मदद के लिए ठाकुर ने सुन्दरी को मेरे हवाले कर दिया…मुहँ-माँगे पैसे दिए और आज इसी दुश्मनी के कारण सुन्दरी ने इस हसीन कली को मेरी झोली में डाल दिया…बता अन्धा क्या चाहे दो आँखें…

राजेश: तेरी उम्र हो गयी है…कम से कम अपना बुढ़ापा तो अच्छे से गुजार ले…जो चाहिए आज माँग ले वरना कल तेरी इतनी भयानक मौत होगी कि तेरी रुह भी काँप जाएगी…

आभा: मंगल बेकार की बात मत कर…तू सारा खेल चौपट कर देगा… इसको छोड़ दे…पिताजी के वकील ने सारा इंतजाम कर लिया है…तू सिर्फ एक की सोच रहा है और पिताजी इस हरामी के चगुंल से दोनों को छुड़ाने की जुगत बनाए हुए है…

मंगल: तूने मेरी सारी ठरक पर पानी फेर दिया…(एक बार फिर से लीना के सीने के उभारों को बेरहमी से मसकते हुए)…पता नहीं इसकी जवानी का स्वाद कब चखने को मिलेगा…

आभा: मिलेगा…आखिर तेरी साली है…और यही क्यों…क्या टीना को भूल गया…जो मजा प्यार से खाने में है वह जोर जबरदस्ती में नहीं…छोड़ दे लीना को

(मंगल बड़े बुझे मन से लीना को अपनी गिरफ्त से आजाद कर देता है। लीना भागते हुए राजेश के सीने से लग जाती है। राजेश प्यार से लीना के सिर पर हाथ फिराते हुए उसे शान्त करने की कोशिश करता है। टीना और करीना भी राजेश के साथ लिपट कर फफक कर रो पड़ती है।)

मंगल: मेरी साली को मेरे लिए सँभाल कर रखना राजू…सुन्दरी इस कमसिन जवानी की सुगंध ने मेरी आग भड़का दी है…चल मेरी रानी अभी तेरे से ही काम चला लेता हूँ…(कहते हुए आभा का हाथ थाम कर सामने बने हुए शमशेर सिंह के कमरे मे ले जाता है)

राजेश: हमें अभी वापिस चलना है…(कहते हुए लीना का हाथ थाम कर कार की ओर बढ़ता है)…यह क्या नया चक्कर चला रहें है मुझे अपने वकील से बात करनी पड़ेगी…

(चारों के चेहरे की हवाइयां उड़ी हुई है। सब चुपचाप कार में बैठते है और वापिस घर की ओर जाते है। रास्ते में करीना के घर पर कार को रोकते हुए)

राजेश: करीना…आज जो भी सुना है उसका जिक्र किसी से भी नहीं करना… (कहते हुए कार को अपने घर की ओर मोड़ लेता है)

(घर पहुँच कर सीधा अपने कमरे में जा कर किसी से फोन पर बात करता है। टीना और लीना अभी भी बहुत डरी हुई है। शरीर पत्ते की भांति काँप रहा है और चेहरे पर डर के भाव साफ दिखाई पड़ रहे है। फोन पर बात करके राजेश ड्राइंगरूम में आता है जहाँ पर लीना और टीना बैठी हुई है।)

राजेश: बेटा, डरने की कोई बात नहीँ है… अभी थोड़ी देर में वकील साहिब आ रहे है…उनसे बात करके ही पता चल पाएगा… तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए बना दूँ या बाहर से मँगवा लें…

टीना: पापा…अब क्या होगा…

लीना: पापा…क्या हमें उसके पास रहना पड़ेगा…

राजेश: जब तक मै जिन्दा हूँ तो कोई भी ताकत तुम दोनों को मुझसे अलग नहीं कर सकती है…(दरवाजे की घंटी बजती है)…लीना जा कर दरवाजा खोलो…शायद वकील साहिब आये होंगें।

लीना: नहीं पापा…मुझे डर लगता है कि कहीं वह यहाँ पर दुबारा आ जाये…आप खोल कर देखिए…

(राजेश अपनी भयभीत बेटियों के मुख को देख कर बड़ा बेबेस महसूस करता है। दरवाजे को खोलने के लिए खुद जाता है…।)

(राजेश और वकील साहिब ड्राइंगरूम में प्रवेश करते है। दोनों लड़कियों को बैठा देख कर ठिठक कर रुक जाते है।)

राजेश: बेटा आप अपने कमरे मे जाओ…मुझे वकील साहिब से कुछ जरूरी बात करनी है…

वकील: नहीं…मेरे ख्याल में इनका यहाँ होना जरूरी है…अगर राजेश जी आपको कोई आपत्ति न हो तो…

राजेश: ठीक है…पर आप लोग चुपचाप बैठ कर सुनना…हाँ बोलिए वकील साहिब

वकील: कल मेरे आफिस में कोर्ट से नोटिस आया है कि आपने जबरदस्ती ठाकुर शमशेर सिंह की दो नाबलिग लड़कियों को अगवा कर के बंधक बना रखा है…उनकी माँ के मृत्यु के बाद उनकी कस्टडी उनके पिता को मिलनी चाहिए…यानि ठाकुर साहिब को मिलनी चाहिए।

राजेश: यह कैसे हो सकता है…इन दोनों के स्कूल में पिता की जगह मेरा नाम लिखा है…

वकील: ठीक है…परन्तु जो बर्थ सर्टिफिकेट है वहाँ पर ठाकुर साहिब का नाम है…अब तो कोर्ट के हाथ में है कि बताए कि कौन पिता है…

राजेश: अगर लड़कियाँ कहे कि वह मेरे साथ रहना चाहती है…क्या तब भी कोर्ट नहीं मानेगा…

(दोनों लड़कियाँ एक साथ सिर हिला कर हामी भरती है)

वकील: अगर लड़कियाँ बालिग हो तो…वरना असली पिता को कस्टडी दी जाएगी। आप उनके कोई नहीं लगते क्योंकि इनकी माँ के साथ आपने शादी नहीं की थी…वह तो लिव-इन रेलेशन माना जाएगा…

राजेश: आप कोई रास्ता निकालिए…आखिर इनका असली पिता जेल में है तो कोर्ट किसको कस्टडी देगा…

वकील: आपको कस्टडी मिलने के चांसेज बहुत कम है क्योंकि नेक्स्ट रिलेशन मौसी का है…

राजेश: तो क्या किया जा सकता है…मै किसी भी कीमत पर इनकी कस्टडी ठाकुर या आभा को नहीं लेने दूँगा…

टीना: पापा…मै मर जाउँगी पर उनके साथ नहीं जाऊँगी…

राजेश: न बेटा ऐसा नहीँ कहते…मेरे रहते हुए ऐसा कभी भी नहीं होगा…

वकील: जो सच है मैने आपको बता दिया है…

राजेश: वकील साहिब आप कोई रास्ता निकालिए…मै किसी भी हालत में इनकी कस्टडी उनको नहीं दे सकता…

वकील: देखिए कोर्ट तो सबसे पहली सुनवाई पर आपसे कहेगा कि बच्चियों की सुपुर्दगी ठाकुर और उनकी लड़की को दी जाए उसके बाद ही वो आपकी दलील सुनेगा…बहुत सोचने के बाद इसका एक ही हल है कि आप बड़ी लड़की की शादी कर दिजीए और फिर बड़ी लड़की और दामाद छोटी लड़की की जिम्मेदारी ले लें।

राजेश: अब इतनी जल्दी में एक लड़का कहाँ से ले कर आऊँगा।

वकील: कल तक आपके नाम का वारन्ट निकल जाएगा क्योंकि आप पर नाबालिग लड़कियों को जबरदस्ती अगवा करा हुआ है…पहले तो हमें आपको बचाना है…क्योंकि बड़ा गंभीर चार्ज लगाया है…

राजेश: क्या करें अब…

टीना: पापा…मेरे दिमाग में एक आईडिआ आया है…

राजेश: तुम्हें मैने कहा था कि तुम दोनों चुप रहोगी इस लिए अब वकील साहिब को अपना काम करने दो…

वकील: आप इन पेपर्स पर साइन कर दिजिए…ताकि हम आगे की कार्यवाही कर सकें…

(राजेश जल्दी से पेपर्स पर साइन करता है)

वकील: आप भी कुछ सोचिए और मेरी टीम भी सोच रही है…अब मै चलता हूँ।

राजेश: हाँ आप चलिए अगर बेल नहीं हो पाती तो मै इन दोनों को ले कर फरार हो जाउँगा…

वकील: आप मेरे से पूछे बिना ऐसा कोई काम नहीं करना…(कहते हुए बाहर की ओर जाता है।)

लीना: पापा…अब क्या होगा

राजेश: फिकर मत करो…

टीना: पापा प्लीज मेरी बात सुन लीजिए…अगर आप मेरी दीदी से शादी कर लें तो सारी मुश्किल दूर हो जाएगी…

राजेश: कैसे…नहीं यह नहीं हो सकता…

टीना: कल अगर आप को पुलिस पकड़ कर ले गयी तो वह दोनों हमारे को अपने साथ जबरदस्ती ले जाएँगे फिर हम क्या कर सकेंगें…

लीना: टीना तू यह क्या कह रही है…

टीना: दीदी…अगर मै सोलह बरस की होती तो मै पापा के साथ शादी कर लेती…पर क्या करूँ मुझे तीन साल इंतजार करना पड़ेगा… पापा तो वैसे भी हमारे पापा नहीं है…

लीना: क्या मजाक कर रही है…तुझे शर्म नहीं आती ऐसी बातें सोच कर

टीना: दीदी…

राजेश: (बात काटते हुए) लीना…मुझे लगता है कि टीना जो कह रही है उस बात में दम है…मै जरा वकील साहिब से बात कर के ही कुछ निर्णय ले सकूँगा…तुम यह बताओ कि तुम्हें कोई इस बात से एतराज है…

लीना: पापा…मै क्या कहूँ…मुझे पता नहीं बस इतना जानती हूँ कि आपके बिना मै मर जाउँगी पर उनके साथ नहीं जाऊँगी।

राजेश: फिर तो हमें उनसे बचने के लिए कुछ भी करना पड़े हम करेंगें…तुम दोनों मेरे साथ हो न…अगर तुम मेरे साथ मेरी बेटी बन कर नहीं रह सकती तो मेरी पत्नी बन कर तो रह सकती हो…। मै वकील साहिब से बात करने जा रहा हूँ…(कह कर राजेश फोन पर बात करता है)

टीना: दीदी…हम दोनों पापा के साथ शादी कर लेते है…फिर हमें कोई भी अलग नहीं कर सकेगा…

लीना: पता नहीं आगे क्या होगा…पापा नहीं होते तो सोचो हमारा क्या होता…वह कमीना इन्सान तो हर पल हमें बर्बाद करने की ताक में लगा होता…

(राजेश की फोन पर बात खत्म हो गयी है)

राजेश: मेरी बात हो गयी है…लीना तुम्हारी उम्र सोलह बरस और सात महीने है। वकील साहिब का कहना है कि कानूनी तौर से मै तुम्हारे साथ शादी नहीं कर सकता हूँ क्योंकि तुम्हारी उम्र अठारह साल से कम है…पर हम आर्य-समाजी तरीके से एक दूसरे के साथ विवाह कर सकते है और या फिर इस्लाम धर्म को कबूल करके विवाह कर लें… पर जो कुछ भी करना है वह हमें आज करना है क्योंकि उनका कहना है कि कल मुझे शायद पुलिस अरेस्ट करने की कोशिश करेगी… लीना, अब तुम बताओ…क्या करें

लीना: पापा…मै आपके साथ ही रहना चाहती हूँ… कुछ भी करिए

टीना: पापा…आप प्लीज मेरे साथ भी शादी कर लीजिए…

राजेश: बेटा…मै तुम दोनों के बिना नहीं जी सकूँगा। पहले तनवी चली गयी और फिर मुमु, अब ठाकुर तुम्हें मुझसे अलग करना चाह रहा है…मुझे समझ नहीं आ रहा कि वह मुझसे इतनी नफरत क्यों करता है कि वह अपने ही खून को उस लम्पट मगंल के हवाले करने में भी नहीं हिचक रहा है…

लीना: पापा…यह सब भूल जाइए और सोचिए कि आगे क्या करना है…

राजेश: टीना तुम मुमु की अलमारी से जरा लाल रंग की कोई साड़ी ले आओ और लीना को दुल्हन की तरह सजा दो…लीना…तुम जल्दी से तैयार हो जाओ…मै आर्य समाज मन्दिर में पंडित का इन्तज़ाम करता हूँ…

टीना: चलो दीदी…मै आपके विवाह के लिए आपको तैयार करने में आपकी मदद करती हूँ।

लीना: चलो…

(राजेश बाहर की ओर रुख करता है। टीना और लीना बेडरूम की ओर जाती है)

लीना: टीना…मुझे डर लग रहा है

टीना: किस बात का…।

लीना: पता नहीं फिर भी अन्दर से डर लग रहा है…

टीना: अपनी सुहाग रात का डर लग रहा है तो आप चिन्ता मत करो आपकी सुहाग की सेज पर आज मै सो जाउँगी…(खिलखिला कर हँस पड़ती है)

लीना: (शर्मा कर) हट बेशर्म…

(टीना अलमारी से एक चटक लाल रंग की साड़ी निकालती है। लीना अलमारी की सेफ को खोल कर मुमु के जेवरों का बाक्स निकालती है। टीना अपनी बहन को बड़े चाव से सजाती है। लीना साड़ी और जेवर पहन कर अपने आप को आईने में निहारती है।)

टीना: दीदी…आज तुम्हें देख कर पापा की छुट्टी हो जाएगी…सच

लीना: चल हट…

(दोनों बहनें अब राजेश का बेसब्री से इंतजार करती है। दरवाजे की घंटी बजती है…टीना दौड़ कर दरवाजा खोलती है। राजेश घर में प्रवेश करता है।)

राजेश: लीना तैयार हो गयी…

टीना: (मुस्कुराते हुए) आप खुद ही देख लो।

राजेश: कहाँ पर है…(बेडरूम से लीना बाहर निकलती हुई देख कर राजेश एक पल के लिए साँस लेना भूल जाता है)

टीना: क्यों क्या हुआ पापा…

राजेश: जोर का झटका जोर से ही लगा…लीना बेटा तुम बड़ी… हो गयी हो। चलो जल्दी…

(दोनों लड़कियों को अपने साथ लेकर कार से सीधा मन्दिर पहुँचता है। एलन और डौली गेट पर खड़े उनकी राह देख रहें है। लीना को देखते ही डौली दोनों लड़कियों को अपने साथ ले जाती है। राजेश सीधा विवाह वेदी पर जा कर बैठ जाता है और कुछ एक पलों के बाद डौली अपने साथ लीना को लेकर आती है और राजेश के साथ वेदी पर बिठा देती है। पंडितजी अपना कार्य शुरू करते है…)

राजेश: पंडितजी…आप हमारे विवाह का सर्टिफिकेट दे दीजिए…

पंडित: (सर्टिफिकेट राजेश के हाथ में थमाते हुए) आपका विवाह सम्पन्न हुआ…आज से आप पति और पत्नी है…

राजेश: धन्यवाद…

एलन और डौली: कोन्ग्रेच्युलेशन्स…लीना

टीना: (लीना के गले लग कर) दीदी…आज से आप मेरी मम्मी बन गयी…मुबारक हो।

लीना: पापा…सौरी…आपको आज से क्या कहूँगी

राजेश: तुम पापा ही कहो…अब जल्दी से घर चलो मुझे यह सर्टिफिकेट वकील साहिब के पास पहुँचाना है। एलन और डौली थैंक्स…टीना अपनी दीदी को ले कर कार मे जा कर बैठो…मै मन्दिर और पंडितजी का हिसाब करके आता हूँ।

(इतना कह कर राजेश मन्दिर में वापिस चला गया। एलन और डौली के साथ टीना और लीना कार की ओर बढ़ गयी। राजेश भी सारा काम निपटा कर कार मे आ कर बैठ गया। तीनों कार से घर पहुँचते है। आज के दिन की गहमागहमी से सब लोग थक चुके है। कुछ न समझते हुए एकाएक लीना फफक कर रो पड़ती है और राजेश से लिपट जाती है। राजेश उसे अपनी बाँहों मे भर कर चुप कराता है। टीना भी अपने आप को रोक नहीं पाती और दोनों से लिपट जाती है।)

क्रमशः

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Re: कमसिन कलियाँ

Post by jay »

कमसिन कलियाँ--25

गतान्क से आगे..........

राजेश: बेटा…हिम्मत रखो। सब ठीक हो जाएगा…लीना तुम बड़ी हो अब टीना की देखभाल की जिम्मेदारी तुम्हारी है। मै वकील साहिब से मिल कर आता हूँ। रास्ते में रेस्टोरेन्ट से खाना पैक करा कर भिजवा दूँगा तुम लोग खाना खा लेना…(कह कर घर से बाहर चला जाता है।)

लीना: टीना…अब क्या करें

टीना: दीदी तुम पापा के बेडरूम में जा कर आराम करो…मै कपड़े बदल कर आती हूँ।

लीना: मै भी कपड़े बदल लेती हूँ…

टीना: नहीं दीदी…आज यह तुम्हारे कपड़े तो पापा आ कर उतारेंगें

लीना: हिश्…श। तू पागल है…

टीना: नहीं दीदी…देख लेना

लीना: टीना तुझे तो पता है कि मुझे यह सब पसन्द नहीं है…

टीना: मै शर्त लगा सकती हूँ कि आज के बाद तुम्हें सिर्फ यही पसन्द होगा…बाकि कुछ नहीं।

लीना: तुझे कैसे पता…क्या पहले तूने किसी के साथ किया है।

टीना: हाँ…लेकिन यह मत पूछना कि किस के साथ क्योंकि उसका नाम मै नहीं बताने वाली। पर मुझे लगता है कि पापा तुम्हारे साथ आज रात कुछ नहीं करेंगें…

लीना: क्यों क्या मेरे में कोई खराबी है…

टीना: नहीं दीदी…परन्तु तुम जब तक खुद पहल नहीं करोगी तब तक वह कुछ नहीं करेंगें।

(दोनों बहनें इसी तरह की बातें करती हुई राजेश के आने का इंतजार करती है। दरवाजे की घंटी बजती है। टीना जा कर देखती है कि रेस्टोरेन्ट से खाने की डिलिवरी हुई है। दोनों बहने बातें करती हुई खाना खाती है और बचा हुआ खाना राजेश के लिए रख देती है।)

टीना: दीदी तुम पापा के बेडरूम में जा कर आराम कर लो…मै भी थक गयी हूँ मै भी सोने जा रही हूँ।

लीना: मै अकेली…नहीं मुझे डर लगता है।

(इस से पहले लीना कुछ और कहे, टीना तेजी से चलती हुई अपने कमरे में चली जाती है। लीना भी झिझकती हुई राजेश के बेडरूम मे जाती है…।)

(रात के ग्यारह बज रहें है। राजेश धीरे से लाक खोल कर घर में प्रवेश करता है। चारों ओर सन्नाटा छाया हुआ है। राजेश आज की गहमागहमी से थक कर चूर हो गया है। वह सीधा अपने बेडरूम की ओर जाता है परन्तु भीतर घुसते ही ठिठ्क कर खड़ा हो जाता है। सामने लीना उसके बेड पर सुहाग की साड़ी पहने गहरी नींद में सोई हुई है। उसके सारे कपड़े अस्त वयस्त हालत में है। साड़ी सरक कर उपर हो गयी है और गोरी पिंडुलीयाँ नाईट्लैंम्प में चमक रही है। सीने का पल्लू भी हट गया है जिसकी वजह से लीना के गुदाज सीना लो-कट ब्लाउज के बाहर झाँक रहा है। धीरे-धीरे साँस लेने के कारण सीने के उभार एक लय के साथ उपर-नीचे होते हुए एक मादक निमन्त्रण देते हुए प्रतीत हो रहे है। उसके चेहरे पर एक हल्की मुस्कान और अधखुले पंखुड़ियों से गुलाबी होंठ कुछ करने के लिए आमंत्रित करते हुए दिख रहे है। एक क्षण के लिए इतना लुभावना दृश्य देख कर राजेश कि धड़कन रुक गयी और फिर हिम्मत करके बेड के सिरहाने जा कर खड़ा हो गया)

राजेश: (हल्की आवाज में) लीना… लीना (कोई जवाब न मिलने पर) बेटा…(कहते हुए लीना के निकट लेट गया)…

(इतने हसीन दृश्य को देख कर राजेश की सारी थकान काफुर हो गयी और उसकी धमनियों में रक्त का प्रवाह तेज हो गया। बड़ी मुश्किल से अपने आप को काबू में करके नींद में खोने की प्रतीक्षा करने लगा। काफी देर तक करवटें बदलने के बाद जब रहा नहीं गया तो उठ कर जाने को हुआ…तभी लीना ने करवट ली और राजेश के सीने से लिपट कर फिर गहरी नींद में सो गयी। अब लीना के होंठ राजेश के सामने आ गये और सीने की कठोर पहाड़ियाँ राजेश के सीने में चुभने लगी। इससे पहले राजेश कुछ हरकत करता लीना ने अपनी एक टांग उठा कर राजेश की कमर पर रख दी।)

राजेश: (धीमे से लीना के कान के पास मुख ला कर) लीना…

लीना: (नींद में) हूँ…

राजेश: बेटा…

लीना: (अबकी बार थोड़े उनींदेपन में) हाँ…

(कहते है कि कामाग्नि के मारे हुए व्यक्ति का दिमाग सुन्न हो कर रह जाता है और शरीर के हरेक अंग का अपना दिमाग सक्रिय हो जाता है। राजेश के होंठ अपने आप की लीना के खुले हुए गुलाबी होंठों पर छा गये। लीना के निचले कोमल होंठ को अपने होंठों में थाम कर राजेश ने उनका रसपान आरंभ कर दिया। राजेश के हाथ भी अपने आप सरक कर लीना के नितंबों पर बेधड़क विचरने लगे।)

लीना: उ…ऊ…अ…आह

राजेश: लीना…(कहते हुए लीना की साड़ी के भीतर अपने हाथ को सरका दिया)

लीना: (तेज चलती साँसें लेती हुई नींद से जागते हुए) पा…आह…हा…य (कुछ और बोलती एक बार फिर से राजेश ने लीना के होंठों को अपने होंठों से सीलबन्द करते हुए करवट ले कर उसे अपने नीचे दबा लिया।)

(थोड़ी देर लीना के होठों का रसपान करने के बाद राजेश की निगाहें लीना के चेहरे पर आते-जाते भाव पर पड़ी। लीना आँखे मूंदे उत्तेजित हो कर अपना सिर इधर-उधर पटक रही है। अचानक लीना ने अपनी आँखे खोली तो राजेश की निगाहों से आँखें चार हो गयीं। बेचारी ने झेंप कर आँखे झुका ली।)

राजेश: (लीना के माथे को चूम कर) लीना…

लीना: (आँखे झुकाए) हूँ…

राजेश: आज हमारी सुहाग रात है…तुम्हें पता है न…

लीना: (उत्तेजना से तेज चलती साँसें लेती हुई) हूँ…

राजेश: अगर आज तुम्हें पसन्द नहीं है… तो फिर हम किसी और दिन अपनी सुहाग रात मना लेंगें।

लीना: पापा…

राजेश: (अपने जोश को काबू में करके) बेटा…तुम पहले तो अपने कपड़े ठीक करके बेड पर नई-नवेली दुल्हन की तरह घूंघट डाल कर बैठ जाओ…

लीना: पापा…क्या यह जरूरी है…

राजेश: बेटा…सुहाग रात जीवन में सिर्फ एक बार आती है… इस लिए यह ठीक से हो तो अच्छा है क्योंकि तुम अपने सारे जीवन में इसी रात की कल्पना सँजोए उस हर पल का सुख भोगोगी जो आगे चल कर तुम अपने पति के साथ गुजारोगी…

लीना: पापा…मुझे डर लगता है…

राजेश: बेटा डर कैसा… यह तो एक सुहागन की नियति है…

(राजेश लीना के उपर से हटता है और लीना भी उठ कर बैठ जाती है। लीना बेड से नीचे उतर कर अपनी अस्त-वयस्त साड़ी और ब्लाउज को ठीक करती है और फिर पहने हुए मुमु के जेवरों को ठीक से सेट करती है।)

राजेश: बेटा तुम बहुत सुन्दर हो… और आज तो जैसे कोई अप्सरा जमीन पर उतर आयी है…

(लीना घूंघट निकाल कर चुपचाप बेड के कोने पर बैठ जाती है। राजेश धीरे से लीना की ओर बढ़ता है और प्यार से घूंघट उपर करता है। लीना की धड़कन तेज हो जाती है। वह निगाहें नीची कर के अगले पल का इंतजार करती है। राजेश अपनी उँगलियों से लीना के चेहरे को उपर करता है। लीना की आँखे मुंदी हुई है और होंठ हल्के से खुले हुए हैं। राजेश धीमे से अपनी उँगली को लीना के अधखुले होंठों पर फिराता है।)

राजेश: लीना…अपनी आँखे खोलो

लीना: (गरदन हिला कर मना करती है)…

राजेश: प्लीज…(अभी भी लीना के कपकंपाते होंठों पर अपनी उंगली फिरा रहा है)

लीना: (आँखें खोलती हुई) पापा… (लीना की आँखों में लाल डोरे तैरते हुए दिखते है)

राजेश: लीना… आज से हमारा रिश्ता बदल जाएगा

(कहते हुए अपने गुड़िया सी बैठी हुई लीना को अपने आगोश में ले कर अपनी ओर खींच लेता है। लीना चुपचाप राजेश की गोद में सिमट कर आ जाती है। राजेश बड़े प्यार से लीना के माथे को टीका हटाता है और उसका माथा चूमता है। फिर नाक में पड़ी नथ को निकालता है और लीना के होंठों को चूमता है। लीना के होंठों को अपने होंठों में भर कर जी भर कर उनका रसपान करता है। फिर अपने हाथ पीछे ले जाकर गले से हीरों वाला पेन्डेन्ट और सोने की जंजीर को खोल कर पास ही सहेज कर रख देता है। उसी हाथ से पीछे लगे हुए ब्लाउज के हुक को टटोलता हुआ धीरे से खोलता है)

लीना: (अचकचाती हुई अपने को छुड़ाती हुई) पापा… यह क्यों…

राजेश: यह इस लिए कि पति-पत्नी के बीच में कोई भी बाधा न हो…(कहते हुए लीना के सुराहीदार गरदन पर अपने होंठ की मौहर लगाता हुआ बचे-कुचे हुक खोलता है)

लीना: (झिझकती हुई) उंह…

(हुक खुलने से पीठ नंगी होने के एहसास से लीना शर्म से अपना चेहरा राजेश के सीने में छिपा लेती है। राजेश धीरे से ब्लाउज को उतार कर सिरहाने रख देता है। लीना को अपने से अलग कर के राजेश की निगाह एक बार लीना के सीने पर पड़ती है। दूध सी सफेदी पर गुलाबीपन लिए लीना के सुडौल और उन्नत वक्ष और जाली वाली ब्रा मे से झांकते हुए गहरे बादामी रंग के उत्तेजना से फूले हुए अनछुए निप्पल बाहर निकलने के लिए बेचैन प्रतीत होते दिखते है। राजेश धीरे से लीना को बेड पर लिटा देता और उसको अपने नीचे दबा कर एक बार फिर से उसके होंठों के साथ खिलवाड़ करते हुए पीछे लगे हुए ब्रा के हुक को खोल देता है। लीना के चेहरे के हर हिस्से को राजेश अपने होंठों से नापता है। इस बार राजेश अपनी जुबान के अग्र भाग से लीना के होंठों को खोल कर उसकी जुबान के साथ छेडखानी आरंभ करता है। इस नये एहसास से लीना की कामाग्नि भड़क उठती है और वह राजेश को अपनी बांहों मे कस कर जकड़ लेती है। अब लीना भी बढ़-चढ़ कर राजेश का साथ देती है और अपनी जुबान से राजेश के मुख के साथ अठखेलियां खेलती है। कुछ देर एक दूसरे के साथ जुबान लड़ा कर राजेश अलग होता हुआ एक झटके के साथ ब्रा को शरीर से अलग कर देता है।)

लीना: नन…नहीं पापा… (कहते हुए अपने हाथों से अपने निर्वस्त्र वक्ष को ढकने की कोशिश करती है…)

राजेश: लीना… (उसके दोनों हाथों को अपने हाथों मे ले कर अलग करता है)… कितने सुन्दर कलश है… (एक पल एकटक देखते हुए) क्या तुम्हें पता है कि यह हूबहू मुमु के जैसे हैं… सिर्फ साईज में फर्क है…

(लीना इस से पहले कुछ और बोले राजेश झपट कर एक निप्पल को अपने मुख में ले कर उसका रस सोखने में लग जाता है। लीना को इस वक्त महसूस होता है कि एक स्त्री और मर्द के मुख में क्या फर्क होता है। लीना अजीब सी कश्मकश महसूस करती है उसके निप्पल से करन्ट उत्पन्न होते हुऐ पुरे शरीर में फैलता हुआ सीधे नीचे जाकर योनिद्वार पर दस्तक देता है। राजेश स्तनपान करते हुए महसूस करता है कि लीना अपने हाथों को राजेश के गले में डाल कर उसके सिर पर दबाव बना रही है।)

लीना: (सिसकारी भर कर) नहीं करो न…पापा

राजेश: आज की रात हमारे बीच पति-पत्नी का प्यार और भी प्रगाड़ हो जाएगा।

लीना: पापा…आह… मैं आपसे सब से ज्यादा प्यार करती हूँ। पर डर लगता है कि …

राजेश: आज तुम्हारे जीवन की वह रात है कि इन पलों को तुम सारे जीवन अपने दिल में सँजोए रखोगी… मेरी बात मान जाओ (लीना को अपने आगोश में लेकर कभी कान पर चूमता, तो कभी होंठ पर, कभी निशाने पर स्तन होते और कभी खड़े हुए दो निप्पल्स होते)…

लीना: प…अपा प्लीज न…हीं करो… न्… (बार-बार के राजेश के वारों से लीना के जिस्म के भीतर हलचल बढ़ा दी थी)

(दोनों के जिस्म कामोत्तेजना से जल रहे है। राजेश धीरे से लीना से अलग होता है और उसे बेड पर खड़ा करता है। लीना प्रश्नवाचक नजरों से राजेश की ओर देखती है। लीना के सीने पर जगह-जगह लाली उभर आयी है। दोनों शिखर कलश और कलश बार-बार चूमने और चूसने की वजह से लाल हो गये है। एक गिफ्ट रैपर को खोलने की तरह राजेश धीरे से साड़ी को लीना के बदन से अलग करता है। अन्दर लगी हुई आग को बुझाने के लिए लीना भी अनजानी राह पर चलने को तैयार है।)

लीना: (उपर से निर्वस्त्र पेटीकोट में खड़ी हुई) पापा…

राजेश: (पेटीकोट के नाड़े को पकड़ कर एक झटके के साथ खींचते हुए) बस यह आखिरी दीवार है हम दोनों के बीच में इसे भी हटना होगा…(नाड़ा खुलने से पेटीकोट बेड पर सरक कर गिर जाता है।)

लीना: नहीं करो…पापा…प्लीज (कहते हुए अपने हाथ से कटिप्रदेश को ढक लेती है।)

राजेश: अरे अभी एक दीवार और बाकी है…(लीना की पैन्टी की ओर इशारा करते हुए) खैर अब तुम लेट जाओ…(लीना धम्म से बेड पर बैठ जाती है। राजेश एक बार फिर से लीना को बेड पर लिटा देता है।)

लीना: पापा…प्लीज

(राजेश ने लीना को नीचे लिटा कर उसके थिरकते होठों को अपने होठों के कब्जे में लेकर लगातार चूमना आरंभ किया। दोनों अनावरित उन्नत पहाड़ियों सामने पा कर, राजेश के हाथ भी अपने कार्य मे लग गये। कभी चोटियों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निप्पल को फँसा कर खींचता, कभी पहाड़ियों को अपनी हथेलियों मे छुपा लेता और कभी उन्हें जोर से मसक देता। उधर आँखे मुदें हुए लीना का चेहरा उत्तेजना से लाल होता चला जा रहा है।

राजेश: लीना अब आगे का सफर शुरु करें…

लीना: हुं….उई....प.आ...पा.…उ.उ.उ...न्…हई…आह.....

(राजेश का एक हाथ दाएँ वक्ष के मर्दन में लग जाता है और दूसरे हाथ से पैन्टी से ढकी योनिमुख को छेड़ता है। लीना का उत्तेजना से जलता हुआ नग्न जिस्म बेड पर राजेश की आँखों के सामने तड़पता है। राजेश पैन्टी से ढके बालोंरहित कटिप्रदेश और योनिमुख को अपनी उंगलियों से टटोलता है।)

लीना: उई....पअ.पआ....…उ.उ.उ..न्…हई…क्या कर आह.हो....(लीना अपने दोनों हाथों से राजेश का हाथ पकड़ने की कोशिश करती है, पर राजेश की उँगलियों सरका कर नाइलोन की पैन्टी में छिपी जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को अलग करती है। राजेश की उंगली योनिच्छेद में जगह बनाती अकड़े हुए बीज पर जा टिकती है।)

लीना: .उई...माँ….पा.……प…उफ.उ.उ.पा..न्हई…आह.....

(राजेश अपनी उंगली से घुन्डी का घिसाव जारी रखता है। अपने होठों से लीना के होंठों को सीलबन्द कर देता है, अपने एक हाथ से कभी उत्तेजित खड़े हुए निप्पलों पर उँगलियॉ फिराता और कभी दो उँगलियों मे निपल को फँसा कर खींचता, कभी एक पहाड़ी को अपनी हथेली मे छुपा लेता और कभी दूसरी को जोर से मसक देता। लीना की असीम आनंद से भरी हुई सिसकारियाँ बढ़ती जाती हैं।)

राजेश: (लीना के निचले होंठ को चूसते और धीरे से काटते हुए) लीना…कैसा महसूस कर रही हो…

लीना: (शर्म से अधमरी हुई जा रही) हुं… (एक सिसकारी भरती हुई)…ठीक हूँ…

(एक बार फिर से कभी जुबान से फूले हुए निपल को छेड़ता और कभी पूरी पहाड़ी को निगलने की कोशिश करता है)।

लीना: (राजेश को ढकेलती हुई) .उई....अ.पआ...पा.…उ.उ.उ.न्…हई…आह.....

(बार-बार कसमसाती हुई लीना को स्थिर करने के लिए लीना के नग्न जिस्म को अपने शरीर से ढक देता है। अब राजेश नीचे की ओर अपना ध्यान लगाता है। दोनों पहाड़ियों के बीच चूमता हुआ नीचे की ओर सरकता है। नाभि पर रुक कर राजेश अपनी उँगलियों को पैन्टी की इलास्टिक मे फसाँ कर एक झटके से नीचे की ओर घुटनों तक सरका देता है। हल्की रोशनी में राजेश के सामने सफाचट और फूले हुए पाव की भाँति जुड़ी हुई संतरे की फाँकें विद्दमान होती है। इस नजारे को देख कर राजेश की उत्तेजना भी चरम-सीमा पर पहुँच जाती है।)

लीना: पापा…नहीं प्लीज…

(राजेश से अब रुका नहीं जा रहा है। बहुत देर से उसके तन्नायें हुए लिंगदेव अब सिर उठाने के लिए तड़प रहें है। लीना को वासना की आग में जलते हुए छोड़ कर राजेश बेड से उतर कर एक तरफ खड़ा हो जाता है।)

राजेश: लीना…एक मिनट के लिए मेरी ओर देखो… (लीना अपनी गरदन मोड़ कर राजेश की ओर देखती है)

लीना: क्या हुआ…पापा

राजेश: (अपनी शर्ट के बटन खोलता हुआ)… बेटा तुम ने तो अपना जिस्म मेरे हवाले कर दिया परन्तु अब मेरा भी फर्ज है कि मै अपनी पत्नी के हवाले अपना जिस्म कर दूँ…(कहते हुए अपनी शर्ट निकाल कर फेंक देता है।)

लीना: पापा…

राजेश: (पैन्ट उतारते हुए) लीना अपनी आँखे बन्द कर लो…एक सरप्राइज है, क्योंकि आज मै तुम्हें पति-पत्नी के बीच की दूरी बिलकुल मिटा देना चाहता हूँ… (पैन्ट और जांघिये को एक साथ उतार कर जमीन पर फेंक कर अपने लिंगदेव को कैद से आजाद कर के लीना की बढ़ता है। लीना कनखियों से राजेश की ओर देखती है तो उसकी निगाहें एक गोरे रंग का सर उठाए एक लम्बा सा, परन्तु बहुत मोटा, अजगर कि भाँति झूमता हुए लिंग पर पड़ती है।)

लीना: पापा… यह क्या है…(एक ट्क देखती हुई जड़वत रह जाती है)।

राजेश: (लिंगदेव को अपनी मुठ्ठी में लेकर हिलाते हुए) लीना… यह मेरा लंड है…इसको लौड़ा भी कहते है…इससे मिलो यह आज से सारे जीवन के लिए तुम्हारे गुलाम है… इसको प्यार करो…

(राजेश बेड पर चढ़ कर (69) पोजीशन बना कर अपने कसरती नग्न जिस्म से लीना का बदन ढक देता है। बड़े प्यार से जुड़ी हुई संतरे की फाँकों को खोल कर अकड़ी हुई घुन्डी पर अपनी जुबान टिका कर बहता हुआ लीना का रस सोखता है।)

लीना: .उई...माँ….पअपा..न्हई…आह.....

क्रमशः

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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