उस प्यार की तलाश में ( incest ) compleet

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rajaarkey
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Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

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अदिति- हां मुझे जलन हो रही है......और कुछ.......अच्छा बता नाश्ता में क्या लेगी.......ठंडा या गरम.......

पूजा- गरम तो मैं ऑलरेडी बहुत हूँ....चल तू मुझे ठंडा ही पिला दे....फिर पूजा मेरी तरफ देखकर धीरे से मुस्कुरा पड़ती है.....मैं भी उसकी बातों को सुनकर एक प्यारी सी स्माइल दे देती हूँ............

हमारी बातों के दरमियाँ पूजा ने एक ऐसी हरकत की जिससे मेरा कलेजा बाहर को आ गया.....उसने अपने दोनो हाथों से मेरे दोनो निपल्स को अपनी चुटकी में पकड़ा और उसे कसकर मसल दिया.....उसकी इस हरकत पर मेरे मूह से एक ज़ोर की सिसकारी फुट पड़ी.......ना चाहते हुए भी मैं शरम से पानी पानी हो गयी........शरम की वजह से मेरा चेहरा एक दम लाल पड़ चुका था.......अब भी मेरा जिस्म थर थर कांप रहा था.......कुछ लज़्जत से और कुछ एग्ज़ाइट्मेंट से.......मेरी दशा को देखकर पूजा मुस्कुराए बिना ना रह सकी......

पूजा- अदिति.......जब मैं तेरे साथ ऐसा कर रही हूँ तो तेरा ये हाल है....तो कसम से अगर कोई लड़का तुझे छुएगा तब तू क्या करेगी.....ऐसे में तो तू शरम से मर जाएगी.......

अदिति- प्लीज़ पूजा स्टॉप दिस.......मुझे ये सब अच्छा नहीं लगता........

पूजा भी रुक जाती है और मेरे चेहरे को बड़े ध्यान से देखने लगती है.......सच तो ये था कि मुझे पूजा की ये हरकत अच्छी लगी थी मगर मैं उपरी तौर से उससे गुस्सा होने का झूठा दिखावा कर रही थी........पूजा की उस हरकत से मेरी चूत एक बार फिर से गीली हो चुकी थी...........तभी थोड़ी देर बाद पापा और विशाल भी आ जाते है.......घर पर नयी बाइक आ गयी थी......मैं और पूजा फिर हाल में जाते है और वही पूजा सोफे पर बैठ जाती है.......

पापा अपने कमरे में चले जाते है.....विशाल वही सामने के सोफे पर बैठा हुआ था.....और मैं पूजा के लिए स्नॅक्स और कोल्ड ड्रिंक लेने किचन में चली जाती हूँ.......कमरे में कुछ देर तक खामोशी छाई रही मगर थोड़ी देर बाद मुझे पूजा और विशाल की बातें सुनाई देने लगी.......अंदर ही अंदर मैं एक बार फिर से पूजा से जल सी गयी थी......मुझे बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था कि वो विशाल से कोई बात करें.......

इससे पहले मेरी ना जाने कितनी सहेलियाँ आया करती थी मेरे घर पर......विशाल मेरी अधिकतर सहेलियों से बातें भी किया करता था....तब मुझे ऐसी फीलिंग्स नहीं होती थी......फिर आज ऐसा क्या हो गया था मुझे जो ये सब मैं सोच रही थी......क्यों मुझे ऐसा बार बार लग रहा था कि विशाल को कोई मुझसे चुरा लेगा......क्या मैं अब विशाल से प्यार करने लगी थी.........मगर प्यार तो मैं उससे पहले भी करती थी........

तो आज क्या मेरा प्यार बदल चुका था......क्या मेरी सारी फीलिंग्स विशाल के प्रति बदल चुकी थी.......क्या मेरे देखने का नज़रिया विशाल के प्रति अब धीरे धीरे बदल रहा था.........यक़ीनन मैं अब विशाल से प्यार करने लगी थी......

थोड़ी देर बाद मैं उनके करीब गयी तो वो दोनो फिर से मुझे देखकर खामोश हो गये........थोड़े देर तक यू ही गप्सप होती रही फिर पूजा अपने घर चली गयी.......पूजा के जाते ही मम्मी भी थोड़े देर में घर आ गयी और फिर उन्होने नयी बाइक की पूजा वगेरह की.......

शाम को मैं मम्मी के साथ किचन में थी......वैसे आज मैं विशाल के बारे में कुछ ज़्यादा ही सोच रही थी...........विशाल के प्रति मेरी दीवानगी अब बढ़ती जा रही थी......पता नहीं आने वाले वक़्त को आगे क्या मंज़ूर था.

मैं किचन में इस वक़्त विशाल के बारे में ही सोच रही थी......मम्मी मेरी बगल में खाना बनाने की तैयारी कर रही थी....अचानक मेरे दिमाग़ में कुछ ख्याल आया और मैं मम्मी से तुरंत बोल पड़ी.......

अदिति- मम्मी आज मुझे पूरी और पनीर खाने का बहुत मन हो रहा है....प्लीज़ आज आप मेरे लिए वही बनाओ ना......मम्मी मुझे एक नज़र देखी रही फिर वो मुस्कुराते हुए फ्रीज़ के पास गयी और उसमे से पनीर निकाल कर वही मेरे सामने उसे बनाने लगी.......

स्वेता- क्या बात है बेटी.....चल खैर कोई बात नहीं.....आज तेरा मन है तो यही सही.......वैसे ये विशाल की पसंदीदा डिश थी......तो स्वाभाविक सी बात थी जो चीज़ विशाल को अच्छी लगती है वो तो मुझे भी अच्छी लगेगी इसमें अब कोई दो राई नहीं थी.........मैं भी मम्मी को देखकर मुस्कुरा पड़ी और उनकी हेल्प करने लगी.......

शाम को जब विशाल की नज़र खाने पर पड़ी तो वो खुशी से मानो खिल सा उठा........मैं उसकी हर एक हरकत पर उसे देखकर मुस्कुराते रही........पता नहीं क्यों आज मुझे विशाल अब और भी प्यारा लगने लगा था.......उसके लिए अब मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी......शायद ये प्यार ही तो था जो अब धीरे धीरे मेरे दिल में उसके प्रति धीरे धीरे सुलग रहा था.......मगर विशाल के दिल में कहीं कोई ऐसी वैसी मेरे लिए कोई भावना नहीं थी.......

खाना खाने के बाद मैं बिस्तेर पर जाकर काफ़ी देर तक करवट बदलती रही........मेरा अब नींद और चैन दोनो लूट चुके थे.......दिल में हमेशा मीठी मीठी सी चुभन होती रहती थी......ना जाने कब तक मैं ऐसे ही विशाल के बारे में सोचती रही और फिर मैं नींद में धीरे धीरे डूबती चली गयी.......

आज सुबेह जब मेरी आँख खुली तो सबसे पहले मेरे जेहन में विशाल का ख्याल आया....फिर उसकी वो बाइक......उसपर मैं और विशाल एक साथ.....ये सब ख्याल आते ही एक बार फिर से मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी........मैं फ़ौरन अपने बिस्तेर से उठी और बाथरूम में चल पड़ी.....मैने अच्छे से बाथ लिया और हमेशा की तरह आज भी मुझे विशाल बाहर मेरा इंतेज़ार करता दिखाई दिया.......

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नाश्ता वगेरह करने के बाद मैं विशाल के साथ बाहर गयी तो मम्मी भी मेरे साथ साथ बाहर आई.......विशाल ने अपनी बाइक निकली और फिर मुझे उसपर बैठने का इशारा किया......सामने मम्मी थी इस लिए मुझे विशाल से थोड़ी दूरी बनानी पड़ी......मैने विशाल के कंधे पर अपना एक हाथ रखा और विशाल को चलने का इशारा किया........मम्मी ने विशाल को बाइक धीरे चलाने की हिदायक दी........

थोड़ी दूर जाने पर मैं थोड़ा आगे सरक कर विशाल के और नज़दीक आ गयी......इस वक़्त मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था तो दूसरा हाथ उसके पीठ पर.......रास्ता बहुत खराब था जिसकी वजह से विशाल को बार बार ब्रेक लेने पड़ रहे थे....हर ब्रेक पर मैं धीरे धीरे उसके और करीब आती जा रही थी.......अब तक मैं विशाल से पूरी तरह से सटकर बैठ चुकी थी.......अब मेरे दोनो सीने विशाल की पीठ पर चुभ रहें थे.......शायद विशाल भी मेरे दोनो बूब्स को अपने पीठ पर महसूस कर रहा था.........

क्यों कि मैं उसके हाथों की रोयें देख चुकी थी......वो अब पूरे खड़े हो चुके थे......मगर विशाल ने ऐसी कहीं कोई हरकत नहीं कि जिससे मुझे ये लगे की वो मेरे सीने को अपने पीठ पर महसूस कर रहा हो.......मैं एक बार फिर से सरककर उसके और करीब आ गयी और अपने दोनो उभारों का वजन पूरा उसकी पीठ पर डाल दिया.......विशाल ने एक बार पीछे मेरी तरफ पलट कर देखा मगर उसने मुझे कुछ नहीं कहा......फिर वो पहले की तरह बाइक चलाने लगा.......मुझे अब पूरा यकीन था कि विशाल का खून पूरी तरह से गरम हो चुका है.......आधे घंटे के बाद मेरा कॉलेज आ गया........विशाल ने थोड़ी दूर पर बाइक रोक दी.................

विशाल- दीदी कॉलेज आ गया........विशाल जैसे तैसे ये शब्द मुझसे कह पाया......उसकी आवाज़ में कपकपाहट थी........मैं उसके चेहरे पर पसीने को भी सॉफ महसूस कर रही थी.......मैं उससे कुछ नहीं बोली और चुप चाप बाइक से उतर गयी.......विशाल ने अपनी बाइक पार्क की और फिर उसने अपने पेंट को अड्जस्ट किए......मैने एक बार फिर से उसके लंड पर उभार सॉफ देख लिया था.......यक़ीनन आज मेरी उस हरकत से विशाल का लंड खड़ा हो चुका था......फिर वो बाथरूम चला गया और मैं अपनी क्लास के तरफ.......ना चाहते हुए भी मैं अपने चेहरे पर मुसकान लाने से नहीं रोक पाई.....

आज भी मेरा दिन अच्छे से बीत गया......शाम को आते वक़्त पूजा मेरे साथ थी.......जब उसने देखा कि विशाल अपनी बाइक लेकर मेरे पास आ रहा है तो उसने मुझे जलाने के लिए एक चाल चली......

पूजा- विशाल क्या तुम मुझे आज मेरे घर तक छोड़ सकते हो......दर-असल मेरे पाँव में मोच आ गयी है.......मैं चल नहीं पाउन्गि.......अगर तुम मुझे घर तक छोड़ दोगे तो मुझे बहुत खुशी होगी.......एक बार तो मुझे पूजा की बातों को सुनकर बहुत गुस्सा आया.....जैसे तैसे मैं अपना गुस्सा अपने वश में रखा......मगर सच तो ये था कि मैं अंदर ही अंदर जल सी गयी थी.......अगर विशाल मेरे पास नहीं खड़ा होता तो मैं आज पूजा को ऐसा जवाब देती जिससे वो मेरे भाई की तरफ कभी डोरे नहीं डालती.......मगर मैं उसके सफेद झूट को चाह कर भी झुटला नहीं सकती थी......इस लिए मुझे चुप चाप खड़े होकर बस तमाशा देखने के सिवा और कोई चारा नहीं था.........

विशाल ने पूजा को अपनी बाइक पर बैठाया और फिर मुझे थोड़े देर वेट करने को कहा......मुझे ये बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था मगर मैं कुछ कर भी नहीं सकती थी........पूजा ने भी वही किया होगा जो आज मैने विशाल के साथ किया था......ऐसा मुझे अंदाज़ा था.......थोड़ी देर बाद विशाल वापस आया फिर मैं विशाल के साथ बाइक पर बैठ गयी और अपने घर के तरफ चल पड़ी.......पूरे रास्ते भर मैने विशाल से कोई बात नहीं की थी........और इस बार मैं उससे थोड़ी दूर होकर बैठी थी.....मेरे दिमाग़ में पूजा को कैसे भी करके विशाल से दूर करने का ख्याल घूम रहा था.

वक़्त गुज़रता गया और कुछ दिन बाद फिर से मेरे पीरियड्स शुरू हो गये......उस बीच मैं विशाल से ज़्यादा टच में नहीं रही.......क्यों कि मेरे सामने मज़बूरी थी अगर मेरे अंदर आग लगती भी तो मैं चाह कर भी अपनी प्यास नहीं बुझा सकती थी......इस लिए मुझे विशाल से थोड़ा दूरी बनानी पड़ी.......मगर इससे एक फ़ायदा भी हुआ.......अब मुझे भी ऐसा लगने लगा था कि कहीं ना कहीं विशाल की आँखों में मेरे लिए इंतेज़ार रहता था...........क्यों कि मैं ज़्यादातर समय विशाल से दूर ही रहने की कोशिश करती......मैने अब उसकी आँखों में वो कशिश देखी थी.....

करीब 10 दिन बाद मैं फिर से नॉर्मल हो गयी........उसके एक दिन बाद मेरी एक सहेली रागिनी की शादी का मुझे इन्विटेशन कार्ड आया था......उसने मुझे और विशाल को ख़ास तौर पर अपनी शादी में बुलाया था......रागिनी का भाई विशाल का अच्छा दोस्त था....इस वजह से विशाल को भी उसके शादी में जाना था.......मैने इस बारे में मम्मी से बात की तो मम्मी ने पहले मुझे सॉफ सॉफ मना कर दिया....फिर मैं पापा से ये बात कही तो उन्होने विशाल को मेरे साथ शादी में जाने की इज़ाज़त दे दी........

अब वो दिन भी आ गया था........यानी रागिनी के शादी का दिन.......उस शाम मैं अपने घर पर बैठी हुई थी.......मम्मी और पापा कहीं बाहर गये हुए थे......विशाल भी अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर गया हुआ था.......मैं काफ़ी देर तक यही सोचती रही कि आज शादी में मैं क्या पहनूं.......बहुत सोचने के बाद मुझे साड़ी पहने का ख्याल आया......अभी कुछ दिन पहले मैने वो सेट मम्मी से खरीदवाया था मगर अब तक मैने उसे नहीं पहनी थी........हालाँकि इसी पहले मैने साड़ी कभी नहीं पहनी थी मगर मम्मी ने मुझे साड़ी पहनना सिखा दिया था.......मैने फ़ौरन अपने अलमारी में से वो कपड़े बाहर निकाले.......

वो साड़ी गुलाबी रंग की थी.......जो बहुत प्यारी लग रही थी..........मुझे पूरा यकीन था कि मैं उसमे हर किसी को घायल तो ज़रूर कर दूँगी.......ख़ास कर विशाल को.....फिर मैं बाथरूम में गयी और मैने बाथ लिया..........नहाने के बाद मैं अपने कमरे में गयी मैं इस वक़्त घर में अकेली थी........मैने अपने बदन पर साड़ी लपेट रखी थी जो कमर तक थी.........मगर मेरी ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा था...वैसे मैं अक्सर 32 साइज़ की ब्रा पहनती थी मगर आज मैने 30 साइज़ की ब्रा पहनी थी.......तो स्वाभाविक सी बात थी कि वो मेरे बदन पर टाइट होगी.......जिसकी वजह से मेरे ब्रा का हुक नहीं लग रहा था......

जैसे तैसे तो एक हुक लगा फिर बाद में वो भी निकल गया.......इस वक़्त मेरी कमर के उपर का भाग पूरा नंगा था......मैं आईने के सामने बैठी हुई बार बार कोशिश कर रही थी वैसे मेरे दोनो बूब्स ब्रा की क़ैद में थे......तभी मेरे कमरे का दरवाज़ा अचानक खुला जिससे मैं चौक सी गयी.......मैं फ़ौरन दरवाज़े की तरफ पलटकर देखा तो सामने मुझे विशाल खड़ा हुआ दिखाई दिया......उसका मूह पूरा खुल गया था.......वो कुछ देर तक मेरी नंगी पीठ की तरफ देखता रहा अपनी आँखे फाडे........
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वैसे ये पहला मौका था जब वो मुझे इस हाल में देख रहा था.......मैं आगे कुछ कहती या अपने बदन को ढकति उससे पहले विशाल ओह.शिट!!!! कहता हुआ दरवाज़े के तरफ अपना मूह घूमाकर खड़ा हो गया......

विशाल- दीदी आइ अम रियली सॉरी.......मुझे नहीं पता था कि आप कपड़े बदल रही होंगी......अगर मुझे पता होता तो मैं यहाँ कभी नहीं आता......फिर विशाल जैसे ही बाहर जाने के लिए मुड़ता है मेरी आवाज़ सुनकर उसके बढ़ते कदम अचानक से वही रुक जाते है.......

विशाल की बातों को सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गयी........मगर मैने ये बात उसे बिल्कुल ज़ाहिर नहीं होने दिया.........

अदिति -इसमें सॉरी की कोई वजह नहीं विशाल....ग़लती मेरी ही थी.....मुझे दरवाज़ा अंदर से लॉक करना चाहिए था.......मगर...............इतना कहकर मैं खामोश हो गयी.......विशाल भी मेरी बात को आगे सुनने के लिए वही खड़ा होकर मेरे आगे बोलने का इंतेज़ार कर रहा था......अब भी उसका मूह दूसरी तरफ था.......

अदिति- विशाल अगर तुम्हें बुरा ना लगे तो क्या तुम मेरा एक छोटा सा काम करोगे........विशाल मेरी ओर बिना मुड़े जवाब में हां कहकर फिर से खामोश हो जाता है......

अदिति- दर-असल मेरी ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा.....क्या तुम प्लीज़ मेरी ब्रा की हुक लगा दोगे.......मेरी बात सुनकर विशाल के मानो होश उड़ गये थे....उसने मुझसे कभी इस बात की उम्मीद नहीं की थी......मैने भी ये बात बहुत हिम्मत जुटाकर उससे कही थी........मगर मुझे पूरा विश्वास था कि विशाल मुझे मना नहीं करेगा......मैं फिर खामोश होकर उसके जवाब का इंतेज़ार करने लगी.....

थोड़ी देर बाद विशाल ने आख़िर चुप्पी तोड़ी- दीदी मुझसे ये नहीं होगा.......अगर मम्मी पापा जान गये तो........और मैं कैसे आपको उस हाल में देख सकता हूँ.......

अदिति- विशाल ........मैं तुमसे कोई ग़लत काम करने को तो नहीं कह रही........मेरी हुक बहुत टाइट है....और अगर मम्मी यहाँ होती तो मैं उनसे ही लगवा लेती.......और रागिनी का भी कई बार फोन आ चुका है.......वो मेरा ही वेट कर रही है......समझा करो हम लेट हो जाएँगे......

विशाल मरता क्या ना करता.......वो कुछ देर तक यू ही खामोश रहता है.......

विशाल- ठीक है दीदी मगर आप मुझे पहले ये वादा करो कि आप ये बात कभी किसी से नहीं कहोगी........मेरे चेहरे पर एक विजयी मुस्कान तैर गयी........मैं उसे पूरा विश्वास दिलाया और फिर मैं अपने दोनो हाथ अपने सीने पर रख दिए......मेरा दिल बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था......क्या होगा जब विशाल मेरे नंगी पीठ पर अपना हाथ रखेगा......एक तरफ मेरा दिल ज़ोरों से धधक रहा था वही मेरे अंदर की आग एक बार फिर से धीरे धीरे सुलगने लगी थी.......

उधेर फिर विशाल पीछे घूमकर मेरी ओर अपना चेहरा करता है.......फिर वो मेरी तरफ धीरे धीरे अपने कदम बढ़ाता है.......विशाल की भी हालत खराब थी.......उसका जिस्म थर थर काँप रहा था मैं आईने में उसकी चाल देखकर इस बात का अंदाज़ा आसानी से लगा सकती थी........विशाल जब मेरे करीब आया तो वो मेरी नंगी पीठ को बड़े गौर से देखने लगा......मेरी गोरी पीठ कमर के उपर पूरी नंगी थी.......आज पहली बार मैं उस हाल में विशाल के सामने बैठी हुई थी........

विशाल फिर मेरे पास आया और उसने अपनी आँखें बंद कर ली......शायद उसे बहुत शरम सी लग रही थी.......मगर मेरा सारा ध्यान तो विशाल के चेहरे और उसकी हर हरकत पर था.......जैसे ही विशाल ने मेरे नंगे पीठ को छुआ मेरे मूह से एक हल्की सी सिसकरी फुट पड़ी.......सिसकारी इतनी धीमी थी कि विशाल उसे नहीं सुन सकता था.....मगर हां मुझे देखकर मेरे अंदर उठ रहे उस तूफान को ज़रूर महसूस कर सकता था......जैसे ही उसके हाथों का स्पर्श मेरे पीठ पर हुआ मेरी साँसें बहुत ज़ोरों से चलने लगी.......मेरा दिल बहुत तेज़ी से धड़कने लगा.........

मैं बता नहीं सकती उस वक़्त मैं क्या महसूस कर रही थी......मगर सच तो ये था कि मेरी दोनो निपल्स तन कर बहुत हार्ड हो गयी थी.......मेरी चूत गीली हो चली थी.......जब आईने में मैने विशाल के चेहरे पर नज़र डाली तो उसकी आँखें बंद थी.......वो अपनी आँखे बंद कर मेरी ब्रा के हुक को लगा रहा था.......मैं भी आज पूरे शरारत के मूड में थी.......जब विशाल ने मेरे दोनो ब्रा के स्ट्रॅप्स को पकड़ा फिर वो जैसे ही उसे आगे खीच कर उसका हुक लगाने को आगे बढ़ा मैने अपने सीने को और फैला दिया जिससे उसके हाथों में रखा एक स्ट्रॅप्स छूट गया........
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Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

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तो दोस्तो क्या विशाल अपनी बहन की ब्रा के हुक लगा पाएगा या मामला इससे भी आगे जाएगा आगे पढ़ते रहिए
और हां आप लोगो ने बिल्कुल ही कमेंट पास करना बंद कर दिया है क्या ये कहानियाँ आपको पसंद नही आ रही है या कोई और बात है ज़रूर बताए क्योंकि किसी भी साइट को पाठक ही बनाते हैं और पाठक ही बिगाड़ते हैं दोस्तो आपके विचारो का स्वागत है और मुझे पूरी उम्मीद है आप लोग इस साइट को आगे बढ़ाने मे हमारी मदद ज़रूर करेंगे

आपका दोस्त राज शर्मा
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विशाल ने एक दो बार कोशिश की हर बार मैने ऐसा ही किया.......मुझे अब उसकी हर हरकत कर हँसी सी आ रही थी......

अदिति - क्या कर रहे हो विशाल........कैसे मर्द हो....तुमसे एक हुक नहीं लग रहा........अगर कल तो तुम्हारी बीवी आएगी और तुमसे ये कहेगी तो सोचो वो तुम्हारे बारे में क्या कहेगी.......विशाल मेरी बातों को सुनकर लगभग झेप सा गया.....

विशाल- इसमें मेरी क्या ग़लती है......आपका ये इतना टाइट है कि ये मेरी हाथों से फिसल जा रहा है.......

अदिति- फिसलेगा कैसे नहीं.....तुमने अपनी आँखें जो बंद कर रखी है......देख कर लगाओ देखना ये लग जाएगा.......मेरी बातों का असर विशाल पर तुरंत हुआ और उसने झट से अपनी आँखे खोल ली.........मेरे चेहरे पर भी मुस्कान तैर गयी मगर विशाल ने मेरी तरफ ना देखते हुए उसने अपना सारा ध्यान मेरी पीठ पर केंद्रित कर दिया.....

मैं उसके हाथों को अच्छे से अपनी नंगी पीठ पर पल पल महसूस कर रही थी.........मैं तो यही चाहती थी कि काश ये हसीन पल यहीं थम जाए......इधेर विशाल फिर थोड़ा सा झुक कर मेरी पीठ के और करीब आ गया और उसने इस बार मेरे दोनो ब्रा के हुक को अपने हाथों में पकड़ा और फिर उसने इस बार थोड़ा ज़ोर लगाते हुए मेरे ब्रा के हुक को लगाने की पूरी पूर कोशिश की.......इस वक़्त विशाल का चेहरा मेरे पीठ के बेहद करीब था......मैं उसकी साँसे को अपने पीठ पर महसूस कर रही थी.......उसकी गरम साँसें मेरी बेचैनी को और भी बढ़ाती जा रही थी......आख़िरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसे इतनी मेहनत के बाद उसे सफलता मिल ही गयी......

अब तक वो पसीने से बुरी तरह भीग चुका था......ऐसा उसका पहला मौका था जब वो किसी लड़की के साथ इस तरह का काम कर रहा था....भले ही वो लड़की उसकी खुद की बेहन ही क्यों ना हो.....आख़िर थी तो एक लड़की ही.

विशाल के चेहरे पर अब भी बारह बजे हुए थे........मेरा दिल भी बहुत ज़ोरों से धड़क रहा था.......उस वक़्त मेरा जी कर रहा था कि मैं अभी विशाल के सीने से जाकर लिपट जाऊं और उसके मज़बूत बाहों में अपने आपको पूरा समर्पण कर दूं......मगर ऐसा करने की हिम्मत मुझ में बिल्कुल नहीं थी.....मगर मुझे पूरा यकीन था कि एक ना एक दिन ऐसा आएगा जब विशाल मेरा दामन थामेगा........मुझे अपने इन मज़बूत बाहों में मेरे इस नाज़ुक बदन को मसलेगा......मुझे उस दिन का बहुत बेसब्री से इंतेज़ार था.......

इस वक़्त तो मैं बाथरूम में जाना चाहती थी ताकि मैं अपने आप को शांत कर सकूँ.....मेरा जिस्म फिर से हवस की आग में तप रहा था.....मगर मैं पहले से ही लेट हो चुकी थी और अब मम्मी पापा भी आने वाले थे......विशाल मुझसे कुछ ना कह सका मगर जाते जाते वो एक बार फिर से मेरी नंगी पीठ का दीदार अच्छे से करता हुआ कमरे से बाहर चला गया........फिर मैने थोड़े देर बाद बाथरूम की आहट सुनी........एक बार फिर से मेरे चेहरे पर शरारती मुस्कान तैर गयी......आज फिर विशाल मेरे नाम की मूठ मार रहा था बाथरूम के अंदर........

करीब 10 मिनिट बाद मम्मी पापा भी आ गये......और विशाल थोड़ी देर बाद हॉल में आकर टी.वी देखने लगा.......करीब 1/2 घंटे बाद मैं पूरी तैयार होकर कमरे से बाहर निकली.......जब मैं विशाल के सामने गयी तो एक बार फिर से मेरा कलेजा ज़ोरों से धड़कने लगा.......ऐसा पहला बार था जब मैने विशाल के सामने साड़ी पहनी थी......मुझे अपने आप पर नाज़ था कि मेरा आज ये रूप देखकर विशाल ज़रूर घायल हो जाएगा......और ऐसा हुआ भी जब उसकी नज़र मुझपर पड़ी तो वो अपनी आँखें फाडे मुझे देखता ही रहा........

मम्मी पापा भी मेरी तारीफ किए बिना ना रह सके.........मैं जब विशाल के नज़दीक गयी तो वो मुझे अब भी आँखें फाडे देख रहा था....मुझे उसके इस तरह से देखने पर मुझे हँसी सी आ रही थी.......

स्वेता- बेटा अपना ध्यान रखा......और हां विशाल तू अदिति के सात साथ रहना.........आज कल जमाना खराब है........कहीं कुछ उन्च नीच हो गयी तो.......मैं मम्मी की बातों को सुनकर मुस्कुरा पड़ी.......मम्मी क्या जानती थी कि उनकी बेटी की नियत उसके बेटे पर ही खराब हो चुकी है......मेरा तो कुछ नहीं बिगड़ेगा मगर हां विशाल के साथ ज़रूर कुछ ना कुछ होगा अगर वक़्त रहते मैं उसे सिड्यूस कर सकी तो......

विशाल- आप निसचिंत रहिए मम्मी मैं दीदी के साथ रहूँगा......फिर मैं विशाल के साथ उसकी बाइक पर जाकर बैठ गयी.......मेरे बदन से भीनी भीनी पर्फ्यूम की खुसबू उठ रही थी जो विशाल की सांसो में उसकी खुसबू अब धीरे धीरे फैल रही थी.......मेरे बदन की खुश्बू से वो मानो अब पागल सा हो रहा था.......मैं आज फिर से उससे सट कर बैठ गयी और अपने सीने का पूरा वजन उसकी पीठ पर रख दिया.......विशाल बाइक चला रहा था मगर आज उसका सारा ध्यान मेरी तरफ था......बाइक के शीशे में मैं उसके चेहरे को पल पल देख रही थी......उसका ज़्यादातर ध्यान मेरी तरफ था ना कि रोड के तरफ...........

अदिति- विशाल .........तुमने मुझे बताया नहीं कि मैं आज कैसी लग रही हूँ........मैने अपने बीच इस खामोशी को तोड़ते हुए विशाल से ये सवाल किया.....फिर मैं उसके जवाब का बेसब्री से इंतेज़ार करने लगी.......

विशाल- हमेशा की तरह दीदी आप आज भी बहुत खूबसूरत लग रही हो......मगर.......इतना कहकर विशाल चुप हो जाता है.......

अदिति - मगर क्या विशाल.........


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