उस प्यार की तलाश में ( incest ) compleet

Post Reply
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »



मॅनेजर के चेहरे पर मुस्कान थी.......और मैं जानती थी कि वो मुझे ऐसे देखकर क्यों मुस्कुरा रहा है........मगर मैं कर भी क्या सकती थी........

मॅनेजर- ये लड़का तुम्हारा कौन लगता है........क्या ये तुम्हारा बाय्फ्रेंड है......उसने विशाल की तरफ इशारा करते हुए मुझसे ये कहा....

मैने धीरे से अपना सर हां में नीचे झुका दिया ......वही विशाल के चेहरे पर गुस्सा सॉफ ज़ाहिर हो रहा था.......

फिर मॅनेजर ने जब मेरे आइडी और विशाल के आइडी को मिलाया और जब उसने हमारा सरनेम एक देखा तो वो मेरे चेहरे की तरफ फिर से बड़ी गौर से देखने लगा........

मॅनेजर- क्या बात है तुम दोनो का सरनेम भी एक है.......कहीं तुम पति पत्नी तो नहीं हो ना.......मगर पति पत्नी होते तो तुम इस होटेल में क्या करने आते......खैर उससे मुझे क्या........इतना कहकर वो मॅनेजर धीरे से मुस्कुरा पड़ता है..... मेरा इस वक़्त शरम से बुरा हाल था.......मैं तो ये मना रही थी कि हमे जल्द से जल्द रूम मिल जाए.....

मॅनेजर ने मेरी तरफ देखते हुए फिर कहा- आपको देखने से ऐसा तो नहीं लगता कि आप उस किसम की लड़की है.......खैर बदन की आग होती ही ऐसी है कि किसी को भी पागल बना सकती है........अंदर जाओ और मज़े करो.......फिर वो मॅनेजर एक नौकर को बुलाया और उसे एक रूम की चाभी दी.......उसने कमरा 413 नंबर बुक किया था.......मैं फिर जैसे ही जाने के लिए मूडी तभी वो मॅनेजर ने ऐसी बात कही कि मैं एक बार फिर से शरम से पानी पानी हो गयी.......

मॅनेजर- वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं की अंदर सारे कमरे साउंड प्रूफ है........आपकी चीखने की आवाज़ बाहर नहीं आएँगी......इस लिए आप इस बात से निसचिंत रहिएगा.......बेस्ट ऑफ लक........मैं क्या कहती मैने फ़ौरन अपनी नज़रें नीचे झुका ली और चुप चाप उस नौकर के पीछे चल पड़ी.......मैं अच्छे से जानती थी कि वो मॅनेजर कौन सी चीखें की बात कह रहा था.......

वही बगल में दो नौकर भी खड़े थे वो मुझे देखकर कहने लगे......क्या जमाना आ गया है यार एक समय था जब लड़के चोदने के पैसे देते थे....मगर अब देखो लड़कियाँ उल्टे अपनी चुदाई के पैसे देती है.......वो तो शुक्र था कि विशाल ने उनकी बातें नहीं सुनी थी नहीं तो वो उसके हाथ पैर ज़रूर तोड़ देता.......

मगर एक बार फिर से मेरा चेहरा शरम से लाल पड़ गया था......मैं अपनी गर्देन नीचे की तरफ झुका कर फ़ौरन होटेल के अंदर चल पड़ी.........थोड़ी देर बाद वो नौकर कमरे की चाभी थामता हुआ बाहर चला गया तब जाकर मेरी जान में जान आई........मैं फिर फ़ौरन कमरे के अंदर गयी तो कमरा ना ही कोई बहुत बड़ा था और ना ही कोई छोटा.........एक किंग साइज़ की बेड लगी थी और उपर वाइट रंग का चादर बिछा था......एक टी.वी था और उसके बगल में एक म्यूज़िक सिस्टम......उसके बगल में एक अतच बाथरूम भी था........विशाल फिर तुरंत कमरे का दरवाज़ा बंद किया और उसने मुझे झट से अपने सीने से लगा लिया मैं भी बिना किसी विरोध के उससे लिपटी चली गयी.........
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


सच तो ये था कि मैं मॅनेजर और उन नौकरों की बातों को सुनकर मैं पूरी तरह से गीली हो चुकी थी........मेरे अंदर की तपीश अब और भी ज़्यादा भड़क चुकी थी........और उपर से एक हफ़्ता हो गया था मेरी चुदाई को इस लिए अब मेरा सब्र पूरी तरह से टूट चुका था.......

विशाल फिर मुझे बेड पर बैठने का इशारा किया और मैं मुस्कुराते हुए बिस्तेर पर चुप चाप आकर बैठ गयी....बिस्तेर काफ़ी आरामदायक था........मेरा दिल एक बार फिर से ज़ोरों से धड़क रहा था......मैं तो चाहती थी कि विशाल अपना लंड एक ही झटके में मेरी चूत की गहराई में पूरा उतार दें और मेरे अंदर की उस आग को पूरी तरह से बुझा दें.....जो पिच्छले हफ्ते से मेरे अंदर सुलग रही थी........

विशाल फिर मेरे करीब आया तो मैने फ़ौरन अपने सीने पर लगा दुपट्टा हटा दिया और उसे वही बिस्तेर पर रख दी.......विशाल मुझे देखते हुए मुस्कुराता रहा मगर कुछ ना बोला.......वो फिर तुरंत मेरे सीने पर अपना एक हाथ रखकर बड़ी बेरहमी से मेरी एक बूब्स को मसल्ने लगा......जवाब में मैं ज़ोरों से सिसक पड़ी....आआआआआआआआआ............हह.......ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई............विशाल......और फिर मैं विशाल के सीने से लिपटती चली गयी........विशाल ने अपने हाथों को मेरे सीने से नहीं हटाया और उसी तरह से मेरे बूब्स को मसलता रहा........

मेरी आँखें अब सुर्ख लाल हो चुकी थी........विशाल अच्छे से जानता था कि मैं इस वक़्त बहुत गरम हो चुकी हूँ.......इसी बात का वो फ़ायदा मुझसे उठा रहा था.........जैसे ही उसके हाथ मेरी निपल्स को मसल्ते मेरे मूह से एक तेज़्ज़ आहें फुट पड़ी........मेरी चूत इस वक़्त लगभग भीग चुकी थी.......जी तो कर रहा था कि अभी अपने सारे कपड़े विशाल के सामने उतार दूं और अपनी चूत उससे जी भर कर चटवाउन्गि.......मगर हर बार की तरह मैं पहले पहल नहीं करना चाहती थी.........

विशाल-अदिति आज तुम मुझपर चढ़ोगी........आज तुम मेरे लंड की सवारी करोगी........मैं फिर से विशाल की तरफ हैरत से देखने लगी.......मुझे उसकी बातें कुछ समझ में नहीं आ रही थी.......

अदिति- मुझे क्या करना होगा विशाल........मैं कुछ समझी नहीं......

विशाल- यही की आज मैं कुछ नहीं करूँगा जो कुछ करोगी तुम करोगी......यू समझ लो कि मुझे सेक्स के बारे में कुछ पता नहीं....तुम मुझे चोदना सिखाओगि.......

एक बार फिर से मेरा चेहरा शरम से लाल पड़ चुका था मगर मैं विशाल को अच्छे से जानती थी कि वो बहुत ज़िद्दी है.......उसने जो कहा है वो करके ही मानेगा........इस लिए अब मेरे पास उसकी बातें मानने के सिवा और कोई चारा नहीं था.........

मैं फिर उठकर विशाल के पास आई और उसके गोद में आकर बैठ गयी.......मेरा मूह उसके चेहरे के बेहद करीब था......मैं उसके साँसों को आसानी से महसूस कर सकती थी........

अदिति- तो कौन सी सेवा करूँ तुम्हारी........लगता है तुम्हारे चक्कर में मुझे अब पूरी तरह से बेशरम बनना पड़ेगा.......और वैसे भी तुमने मेरे अंदर शरम कहाँ छोड़ी है अब तक.......अपनी ही बेहन को होटेल में ले आए .......आज मैं तुम्हें दिखाती हूँ की बहशर्मी किसे कहते है.......इतना कहकर मैने विशाल के लबों पर अपने होंठ रख दिए और उसके होंठो को धीरे धीरे चूसने लगी........विशाल भी मेरे होंठो को बड़े प्यार से चूसने लगा........

मेरे अंदर की आग अब धीरे धीरे एक शोला का रूप लेने लगी थी........मैने विशाल का हाथ धीरे से थामा और उसे धीरे धीरे सरकाते हुए अपने सीने पर रख दिया......विशाल फिर मेरे बूब्स पर अपने हाथ धीरे धीरे फेरने लगा.......अगले ही पल मैने अपने हाथों को और कसकर उसके हाथों पर दबाव डाला.......
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


अदिति- और कसकर मसलो इन्हें विशाल.........तब तक इन्हें मसल्ते रहो जब तक तुम्हारा जी नहीं भर जाता.......फिर विशाल मेरे दोनो बूब्स को अपने कठोर हाथों में लेकर उन्हें तेज़ी से मसल्ने लगा......एक बार फिर से मेरी आँखें लज़्जत से बंद हो चुकी थी........मुझे बड़ी शिद्दत से इंतेज़ार था कि कब विशाल मेरी फिर से चुदाई करेगा और मेरे अंदर की इस तपीश को शांत करेगा.

विशाल के दोनो हाथ इस वक़्त मेरे सीने पर थे और वो अपने कठोर हाथों से मेरे इन दोनो दूधो को बड़ी ही बेदर्दी से मसल रहा था......लज़्जत से मेरी आँखें बार बार बंद हो रही थी......मैं कसकर अपनी मुट्ठी से बिस्तेर को मसल रही थी......अब मेरे अंदर का सब्र पूरी तरह से टूट चुका था.........

अदिति- आआआआआआ.हह......ईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई.........अब बस भी करो विशाल......मुझसे अब और सहन नहीं होता............

विशाल- क्या सहन नहीं होता अदिति........

मैं एक नज़र विशाल के चेहरे की तरफ देखने लगी......मैं अच्छे से जानती थी कि विशाल मेरे मूह से क्या सुनना चाहता है.......

अदिति- अपना लंड जल्दी से मेरी चूत में पूरा उतार दो विशाल......अब मुझे और ना तडपाओ........

विशाल मेरी बातों को सुनकर धीरे से मुस्कुरा पड़ा- इतनी भी क्या जल्दी है अदिति.......जो मज़ा तड़प में है और बाकी में कहाँ........फिर विशाल मेरी सूट धीरे धीरे उपर की ओर उठाने लगा......मैने फ़ौरन अपने दोनो हाथ उपर कर दिए और विशाल का साथ देने लगी........अब मेरे सीने पर एक ब्लॅक रंग की ब्रा मौजूद थी........विशाल कुछ देर तक मुझे ऐसे ही घूरता रहा फिर उसने धीरे से मेरी ब्रा भी उतार दी........अब मैं कमर के उपर से पूरी नंगी थी........

विशाल मुझे खा जाने वाली नज़रो से देख रहा था......मेरे शरम से और भी बुरा हाल था.....वैसे तो मैं ना जाने कितनी बार अब विशाल के सामने नंगी हो चुकी थी मगर मेरे अंदर थोड़ी बहुत झिझक बाकी थी.........शायद विशाल अब वो झिझक भी दूर करना चाहता था......

फिर वो बिना देर किए मेरी लागी को भी धीरे धीरे नीचे की ओर सरकाने लगा और उसके तुरंत बाद उसने मेरी पैंटी भी नीचे सरका दी......अब मैं एक बार फिर से विशाल के सामने सिर से लेकर पाँव तक पूरी नंगी थी.......

विशाल- अब ऐसे ही शरमाती रहोगी या आगे भी कुछ करोगी........चलो अब आप मेरे भी कपड़े उतारो और मेरा लंड अपने मूह में लेकर उसे अच्छे से चूसो........

विशाल लगभग अब मुझसे पूरी तरह से खुल चुका था......मैं भी उससे कुछ नहीं बोली और उसका शर्ट फिर पेंट धीरे धीरे उतारने लगी.......उसके पेंट पर उसके लंड का उभार सॉफ दिखाई दे रहा था........कुछ देर बाद विशाल सिर्फ़ अंडरवेर में मेरे सामने था.......मैं फिर उसका अंडरवेर भी सरकाते हुए नीचे की तरफ ले गयी और कुछ देर बाद हम दोनो बिस्तेर पर पूरी नंगी हालत में थे........

विशाल फिर फ़ौरन खड़ा हो गया तो मैं वही फर्श पर अपने घुटनों के बल बैठ गयी और उसका लंड धीरे धीरे अपने मूह में लेकर चूसने लगी.......विशाल का एक बार फिर से मज़े से बुरा हाल था.......उसकी आँखें बंद हो चुकी थी और वो मेरे बालों से खेल रहा था.......मैं भी अपना जीभ धीरे धीरे उसके लंड पर फेर रही थी.........धीरे धीरे वो भी मेरे मूह में धक्के लगाने लगा.......
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »


करीब 10 मिनट तक लंड चुसाई के बाद विशाल अब झडने के बहुत करीब था तो उसने मुझे अपने से दूर किया और फिर वो फ़ौरन बेड पर पीठ के बल लेट गया और मुझे अपने मूह पर बैठने का इशारा किया........मैं भी अपनी दोनो टाँगें पूरा फैलाकर उसके मूह पर अपनी चूत को धीरे से सेट कर दिया और विशाल फिर से मेरी चूत को धीरे धीरे चाटने लगा.......एक बार फिर से मेरा बुरा हाल था.......

मैं अपनी सिसकारी नहीं रोक पा रही थी.......मैं भी धीरे धीरे अपनी गान्ड विशाल के लंड पर रगड़ रही थी......उधेर विशाल मेरी चूत से बहता रस धीरे धीरे अपने मूह में ले रहा था.......फिर उसने ऐसी हरकत की जिससे मैं वही ज़ोरों से उछल पड़ी........वो अपना जीभ धीरे धीरे मेरी गान्ड के छेद पर सरका रहा था......ये मेरे लिए नया अनुभव था........मैं उसके इस हमले से अपने आप को ना सभाल सकी और ना चाहते हुए भी वही ज़ोरों से चीख पड़ी......

विशाल फिर अपने दोनो हाथों से मेरी गान्ड के दोनो फांकों को अच्छे से फैला कर अपना जीभ मेरी गान्ड के छेद पर रखकर मेरी गान्ड को चाटने लगा.......मेरा तो मज़े से बुरा हाल था.....मुझे नहीं पता था कि वहाँ भी ऐसा ही मज़ा आएगा......मेरे जिस्म के रोयें पूरी तरह से खड़े हो चुके थे.......कुछ देर की चटाइ के बाद मैं अपना कंट्रोल खो बैठी और वही ज़ोरों से हाम्फते हुए बिल्कुल किसी लाश की तरह ठंडी पड़ गयी.........एक बार फिर से मैं झड चुकी थी......

विशाल फिर मुझे अपने उपर तुरंत सोने का इशारा किया और मैं बिना कुछ कहे उसके उपर लेट गयी और अपनी चूत को उसके लंड पर सेट करके उसके उपर कूदने लगी........मेरी चूत इस वक़्त पूरी तरह से गीली थी जिससे विशाल का लंड तेज़ी से अंदर बाहर फिसल रहा था.......विशाल इस वक़्त मेरे दोनो बूब्स को थामे हुए नीचे से मेरी चूत चोद रहा था........एक बार फिर से मैं गरम हो चुकी थी........पूरे कमरे में फंच फंच की मधुर आवाज़े गूँज रही थी........एक बार फिर से मेरी चुदाई ज़ोरों पर थी......

हालाँकि अंदर ए.सी भी चल रही थी तो भी हम दोनो पसीने से भीग चुके थे.......धीरे धीरे विशाल की धक्को की स्पीड बढ़ती गयी और मेरे बूब्स पर उसका सिकंजा कसता गया.......करीब 10 मिनट तक विशाल उसी पोज़िशन में मेरी चुदाई करता रहा और आख़िर कार वो भी अपने चरम पर पहुँच गया और उसने मुझे बाहों में कसकर भीच लिया.......उसकी पकड़ इस वक़्त इतनी टाइट थी कि मुझे एक पल तो ऐसा लगा जैसे मेरे जिस्म की हड्डीया टूट जाएँगी.

वो मुझे इसी तरह अपनी गिरफ़्त में लिए हुए अपना वीर्य मेरी चूत की गहराई में उतारता रहा और उस वक़्त मेरी भी वही चीखते हुए ज़ोरों से झडने लगी........अब कमरे में चारों तरफ खामोशी थी........हम दोनो किसी प्रेमी की तरह एक दूसरे की बाहों में लिपटे हुए थे.......हम दोनो के सीने बहुत ज़ोरों से धड़क रहें थे........एक बार फिर से मैं उस चरम सुख को पा लिया था.......करीब 10 मिनट तक मुझे कुछ होश ना रहा......जब मैने अपनी आँखें खोली तो मेरे चूत से अभी भी हल्की हल्की विशाल की मनी बाहर की ओर बह रही थी............

(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
User avatar
rajaarkey
Super member
Posts: 10097
Joined: 10 Oct 2014 10:09
Contact:

Re: उस प्यार की तलाश में ( incest )

Post by rajaarkey »

मैं फिर फ़ौरन बाथरूम में चली गयी और अपनी चूत को अच्छे से सॉफ किया.......जब मैं बाहर आई तो विशाल अपने कपड़े पहन रहा था......मां भी जल्दी से अपने कपड़े पहनने लगी.......जब मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी तो उस वक़्त दोपहर के 2 बज रहें थे........मेरे तो होश उड़ गये थे.....हमे यहाँ आए लगभग 4 घंटे हो चुके थे.......और उधेर मेरे घर पर कथा भी पूरी हो चुकी होगी ऐसा मुझे लग रहा था.......

मैने फिर विशाल को जल्दी से घर चलने का इशारा किया.....मैने फिर अपने बाल संवारे.......चुदाई के दौरान मेरे बाल पूरे बिखरे हुए थे.......हम दोनो फिर तैयार होकर बाहर आए तो एक बार फिर से मैं अपने मूह पर अपना दुपट्टा अच्छे से बाँध लिया.........

वहाँ मौजूद नौकर मुझे बड़ी ही अजीब नज़रो से देख रहें थे और मुझे देखकर मुस्कुरा भी रहे थे.......जैसे ही मैं हाल के करीब आई एक नौकर ने मुझे देखकर स्माइल की और जैसे ही मैं आगे बढ़ी उसके अपनी हाथों से मुझे बहुत गंदे गंदे इशारे किए......एक बार फिर से मेरा शरम से बुरा हाल था......

मैं चाहती थी कि मैं वहाँ से जल्द से जल्द निकलूं...क्यों कि मुझे उन सब की नज़रें पल पल नंगा करती जा रही थी......मॅनेजर के चेहरे पर भी वही मुस्कान थी जैसे बाकी नौकरों के चेहरे पर थी......मॅनेजर आँखों ही आँखों में मुझसे बातें कर रहा था......जैसे वो मुझसे पूछ रहा हो कि चुदवाने में मज़ा आया कि नहीं......मैं जैसे ही आगे बढ़ी तभी मॅनेजर ने हमे दुबारा आने को इन्वाइट किया....विशाल कुछ ना बोला और हम फिर बाहर निकल गये.....तब जाकर मेरी जान में जान आई.......

वैसे हमने इस बीच अपना मोबाइल साइलेंट मोड़ पर रखा हुआ था......जब मेरी नज़र मोबाइल के स्क्रीन पर गयी तो अगले ही पल मेरे होश उड़ गये......मम्मी का 6 मिस्ड कॉल आया था.......हम दोनो इतने मस्त थे कि हमे फोन की कोई खबर ही नहीं रही........मेरा दिल में एक अजीब सा डर भी लग रहा था.......मैं तो यही मना रही थी कि मा हम पर नाराज़ ना होये.....मगर ये तो आने वाला वक़्त ही बता सकता था......

थोड़ी देर बाद जब हम घर पहुँचे तो मम्मी का चेहरा गुस्से से लाल था.....मेहमान भी सब जा चुके थे और कथा भी पूरी हो चुकी थी.......हमने आने में शायद बहुत देर कर दी थी.........मम्मी मुझे देखकर तुरंत अंदर चली गयी मेरे अंदर भी हिम्मत नहीं थी कि मैं मम्मी से कुछ कहती ........पापा वही खड़े थे शायद वो भी हम पर थोड़े नाराज़ थे........

मैं फिर जाकर चेंज करने लगी और विशाल भी अपने कमरे में चला गया.......करीब एक घंटे बाद मम्मी पापा वही हाल में थे तब हम दोनो वहाँ आए और आकर उनके सामने वाली सीट पर बैठ गये........मम्मी मुझे खा जाने वाली नज़रो से घूर रही थी...........

मम्मी फिर पापा को देखते हुए कहने लगी- इसी पूछो कि ये कहाँ गयी थी अब तक....और इसने मेरा फोन क्यों नहीं रिसेव किया........अगर मैं कुछ कहूँगी तो इस शहज़ादी को बुरा लग जाएगा......और आप भी मुझे ही ताना दोगे........पर अब मुझे आपकी लड़की के लक्षण कुछ ठीक नहीं लगते.......इसी पूछो कि ये पूजा के घर ही गयी थी या कहीं और........

मोहन- बेटी तुमने फोन क्यों नहीं रिसिव किया......कितने सारे मेहमान आए थे.....सब तुझे और विशाल को पूछ रहे थे........कहाँ थी तू अब तक........

मेरे तो मानो होश उड़ गये थे........एक बार दिल में डर भी जनम ले रहा था कि कहीं मम्मी पापा को इस बारे में कुछ पता तो नहीं चल गया......उधेर विशाल भी चुप चाप अपनी नज़रें नीचे झुकाए बैठा था......बीच बीच में वो मेरे चेहरे की तरफ देख रहा था......

अदिति- वो पापा.....मैं ......पूजा के घर......पर थी......


तभी मम्मी मुझपर गुस्से से चिल्ला उठती है- झूट बोल रही है तू अदिति......सरासर झूट........अगर तू पूजा के यहाँ थी तो पूजा ने मुझसे ये क्यों कहा कि तू उसके घर नहीं गयी थी......मैने उससे तेरी बाकी सहेलियों के भी नंबर लिए थे.......सब का एक ही जवाब मुझे मिला........तू किसी के घर नहीं गयी थी और ना ही तुझे कोई काम था......सच सच बता मुझे कि तू कहाँ से आ रही है इस वक़्त.......
(¨`·.·´¨) Always
`·.¸(¨`·.·´¨) Keep Loving &;
(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !
`·.¸.·´ -- Raj sharma
Post Reply