सारिका कंवल की जवानी के किस्से

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Re: सारिका कंवल की जवानी के किस्से

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मैंने और तड़प कर छटपटाने की कोशिश की, पर उनकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मेरा हिलना भी न के बराबर था।

इसके बाद उन्होंने अपना हाथ हटा लिया और फिर एक-एक हाथ से मेरे हाथ पकड़ लिए और अपने लिंग को धीरे-धीरे अन्दर धकेलने लगे। करीब पूरा सुपाड़ा घुस चुका था और मुझे हल्का दर्द भी हो रहा था, शायद उनका मोटा था इसलिए या फिर मेरी योनि गीली नहीं थी।

कुछ देर ऐसे ही धकेलने के बाद उन्होंने एक झटका दिया और मेरे मुँह से निकल गया- हाय राम मर गईई…ईई… नहीं.. नहीं.. छोड़ दीजिए.. मैं मर जाऊँगी.. ओह्ह माँ..।

मेरी सांस दो पल के लिए रुक गई थी।

अब तब उन्होंने अपना पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया और और धीरे-धीरे धक्के देने लगे।

शायद उन्हें भी थोड़ी तकलीफ हो रही थी क्योंकि मेरी योनि गीली नहीं थी।

मैंने अपनी आँखें खोलीं और एक बार उनकी तरफ रोते हुए देखा, उन्होंने अपने नीचे वाले होंठ को अपने दांतों से दबा रखा था, जैसे कोई बहुत ताकत लगाने के समय कर लेता है और मुझे धक्के दे रहे थे।

मैं अब भी रो रही थी और उनके धक्कों पर ‘आह-आह’ करके रोती रही।

करीब 5 मिनट तक हम ऐसे ही ताकत लगाते रहे, वो मुझसे सम्भोग करने के लिए और मैं उनसे अलग होने के लिए। मेरी योनि अब हल्की गीली हो चली थी और पहले जैसा कुछ भी दर्द नहीं हो रहा था, पता नहीं मुझे अब क्या होने लगा था।

शायद मैं हार गई थी इसलिए या अब मेरे पास कोई चारा नहीं था इसलिए मैंने धीरे-धीरे जोर लगाना बंद कर दिया था।

मेरी योनि अब इतनी गीली हो चुकी थी जितने में मैं सम्भोग के लिए तैयार हो जाती थी, मुझे अब उनका लिंग मेरी योनि में अच्छा लगने लगा था।

मैं उनके धक्कों पर अब भी सिसक रही थी, पर यह अब मजे की सिसकारी हो चुकी थी।

मैं अब मस्ती में आ चुकी थी और अचानक मेरे पैर उठ गए और मैं एक-एक पैर को उनकी जाँघों के ऊपर रख पैरों से ही उनकी जाँघों को सहलाने लगी।

उन्होंने अभी भी मेरे हाथों को पकड़ रखा था, तभी मेरी कमर में हरकत हुई जैसे कि मैं खुद को सहज करने के लिए हिला रही हूँ और मैंने अपनी टांगों को उनके कूल्हों पर रख उनको अपनी तरफ खींचा।

मेरी इस हरकत से उन्होंने मेरे हाथ छोड़ दिए और मेरे चूतड़ के नीचे रख मेरे चूतड़ को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपने लिंग को मेरी योनि में और जोर से घुसेड़ा।

अपने हाथ को आजाद होते ही मैंने उनके गले में हाथ डाल उनको पकड़ लिया और अपने हाथों और पैरों से उन्हें अपनी ओर खींचने लगी।

मेरे दिमाग में अब कुछ भी नहीं था, मैं सब कुछ भूल चुकी थी। अब मुझे कुछ हो रहा था तो बस ये कि मेरी टांगों के बीच कोई मखमली चीज रगड़ रही है। मेरी योनि के अन्दर कोई सख्त और चिकनी चीज़ जो मुझे अजीब सा सुख दे रहा है।

पता नहीं मुझे क्या होने लगा था, मैंने उन्हें अपनी टाँगें खोल बुरी तरह से जकड़ती जा रही थी। उनके सर के बालों को दबोच रखा था, मैं अब मुँह से सांस लेने लगी थी।

मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे कोई चीज मेरी योनि से होता हुआ मेरी नाभि में फ़ैलता जा रहा है… कोई तेज़ ध्वनि की तरंग सा।

अब वो मुझे जोरों से धक्के देने लगे थे और मेरे चेहरे के तरफ गौर से देखे जा रहे थे। उनके मुँह से भी तेज़ सांस लेने की आवाजें आ रही थीं।

करीब 20 मिनट हो चुके थे और मैं अपनी चरम सीमा पर थी, मैं इतनी उत्तेजित हो चुकी थी कि अचानक मेरे बदन में एक करेंट सा दौड़ा और मैंने उनको अपनी ओर खींच कर अपने होंठों को उनके होंठों से लगा दिया।

मेरे बदन में सनसनाहट होने लगी और मैंने उनके होंठों और जुबान को चूसना शुरू कर दिया और उन्होंने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया।

करीब एक मिनट मैंने इसी तरह से उनको चूसती हुई झड़ गई, मेरी योनि ने पानी छोड़ दिया था।

वो मुझे अब भी धक्के देकर सम्भोग कर रहे थे मैंने अपनी पकड़ कुछ ढीली की तो वो रुक गए।

मैं समझ गई थी कि वो थक चुके हैं, पर मैं ये नहीं समझी कि उन्होंने मुझसे स्थान बदलने को क्यों नहीं कहा।

शायद उन्हें डर था कि कही मैं फिर से विरोध शुरू न कर दूँ क्योंकि वो भी समझ चुके थे कि मैंने पानी छोड़ दिया है।

वो मेरी तरफ देख रहे थे, पर मुझसे उनसे नजरें नहीं मिलाई जा रही थीं।

वो सिर्फ अपनी कमर को हौले-हौले हिला कर अपने लिंग को मेरी योनि की दीवारों से रगड़ रहे थे।

थोड़ी देर बाद जब उनकी थकान कुछ कम हुई तो उन्होंने अपने हाथों से मेरे कंधों को पकड़ लिया और फिर से धक्के देने लगे।

मुझे महसूस होने लगा था कि मेरी योनि के चारों तरफ झाग सा होने लगा है और लिंग बड़े प्यार से अन्दर-बाहर हो रहा था।

कुछ धक्कों के बाद मेरा जिस्म फिर से गर्म होने लगा और मेरे हाथों ने उनको फिर से पकड़ लिया, मेरी टाँगें खुद उठ गईं और फ़ैल गईं ताकि उनको और आसानी हो।

मेरे साथ यह क्या हो रहा था, खुद मेरी समझ से बाहर था। मैं भूल चुकी थी कि वो मेरे नजदीकी रिश्तेदार हैं।

मैं कुछ सोच पाती कि मैं फिर से झड़ गई और वो भी बस 5 से 7 मिनट के सम्भोग में..

यह निशानी थी कि मैं कितनी गर्म थी और वासना की कैसी आग मेरे अन्दर थी।

करीब 45 मिनट हो चुके थे और मैं 4 बार झड़ चुकी थी मैं अपने कूल्हों के नीचे बिस्तर का गीलापन महसूस कर रही थी।

अब वो धक्के लगाते और रुकते फिर लगाते और रुकते… मैं समझ रही थी कि उनमें और धक्के लगाने की ताकत नहीं बची, पर मैं बस अपनी मस्ती में उनके धक्कों का मजा लेती रही।

फिर अचानक से उनके धक्के तेज़ हो गए उन्होंने एक हाथ मेरे चूतड़ों के नीचे रखा और दबोचते हुए खींचा, दूसरे हाथ से मेरे एक स्तन को पूरी ताकत से पकड़ लिया।

मुझे दर्द तो हुआ पर मैं उस मस्ती में दर्द सब भूल गई और उनके बालों को पकड़ अपनी और खींच होंठों से होंठ लगा चूमने लगी।

उनका हर धक्का मेरी योनि के अंतिम छोर तक जा रहा था, मुझे अपनी नाभि में महसूस होने लगा था। उन्होंने इसी बीच अपनी जुबान बाहर निकाल दी और मैं उसे चूसते हुए अपने चूतड़ों को उठाने लगी।

वो मुझे धक्के लगाते रहे मैं अपने चूतड़ उठाए रही और एक पल ऐसा आया कि दोनों ने मिल कर जोर लगाया और ऐसा मानो जैसे उनका लिंग मेरी योनि में फंस गया हो।

फिर दोनों के मुँह से मादक सिसकारी निकली- ह्म्मम्म्म..!!

मैंने पानी छोड़ दिया और उन्होंने भी अपना गर्म गाढ़ा वीर्य मेरी योनि की गहराई में उड़ेल दिया।

हम दोनों कुछ देर इसी अवस्था में एक-दूसरे को पकड़े हुए पड़े रहे, फिर धीरे-धीरे हम दोनों की पकड़ ढीली होने लगी।

जब पूरी तरह से सामान्य हुए तो उन्होंने मेरे ऊपर से अपना चेहरा ऊपर किया और मुझे गौर से देखने लगे, मेरे माथे से पसीना गले से होकर बहने लगा था।

मैंने उनको भी देखा उनके माथे पर भी पसीना था। तब उन्होंने मुस्कुरा दिया मैंने शर्म से अपनी नजरें झुका लीं।

वो मेरे ऊपर से हट गए और बगल में लेट गए।

मैंने भी दूसरी और मुँह घुमा कर अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने न तो कपड़े ठीक करने की सोची और न अपनी योनि साफ़ करने की, बस पता नहीं किस ख्याल में डूब गई।

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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मैं बस यह सोच रही थी कि क्या इतने बुजुर्ग मर्द में भी इतनी ताकत होती है?

मेरे दिल में अब यह ख्याल नहीं आ रहा था कि वो मेरे रिश्तेदार हैं, बस एक संतुष्टि सी थी।

लगभग 15-20 मिनट बाद मुझे पता नहीं क्या हुआ मैं उनकी तरफ पलटी और उनको उठाया, वो भी नहीं सोये थे।

उन्होंने मुझसे पूछा- क्या हुआ?

मैंने कहा- और करना है क्या?

उन्होंने तुरंत कहा- हाँ..

फिर मैंने अपने कपड़े खुद ही उतार दिए सारे और नंगी हो गई।

मुझे ऐसा देख उन्होंने भी कपड़े उतार दिए और नंगे हो गए, वो मेरे सामने पूरे नंगे थे, मैंने गौर से देखा उनके शरीर पर झुर्रियाँ तो थीं पर लगता नहीं था कि वो बूढ़े हैं, सीना ऐसे मानो कोई पहलवान हो।

सीने पर काफी बाल थे और कुछ सफ़ेद बाल भी थे। उनका लिंग तो पूरा बालों से घिरा था, पर वहाँ के बाल अभी भी काले थे, उनके अंडकोष काफी बड़े थे।

मुझे पता नहीं क्या हुआ शायद एक बार में ही उनका चस्का सा लग गया। वो इससे पहले कि कुछ करते, मैंने खुद ही उनका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी।

उनका लिंग ढीला था और मेरे हाथ लगाने और हिलाने से कोई असर नहीं पड़ रहा था, वो अब भी झूल रहा था।

उनके लिंग को अपने हाथ में पकड़ते ही मुझे फिर से कुछ होने लगा, मेरी योनि में गुदगुदी सी होने लगी।

वो अपने दोनों हाथ पीछे करके पैर सीधे किये बैठे थे और मैं उनके लिंग को हिला रही थी, पर करीब 5 मिनट हिलाने के बाद भी कोई असर नहीं हो रहा था।

मैंने एक हाथ से उनके सर को पकड़ा और अपने स्तनों पर झुका दिया, फिर दूसरे हाथ से अपने एक स्तन को उनके मुँह में लगा दिया और वो चूसने लगे।

मैंने फिर से उनके लिंग को पकड़ कर खड़ा करने के लिए हिलाने लगी।

तभी उन्होंने एक हाथ से मेरी टांग को फैला दिया और मेरी योनि को छूने लगे।

कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने मुझे रुकने को कहा और बिस्तर से उतर कर मेरी फटी हुई पैंटी उठा ली और मेरी योनि में लगा हुआ वीर्य पोंछ दिया और फिर उसे सहलाने लगे।

मैंने फिर से उनके लिंग को पकड़ सहलाना शुरू कर दिया और वो मेरी योनि को सहलाते हुए स्तनों को चूसने लगे।

उनका लिंग कुछ सख्त हो चुका था, पर इतना भी नहीं कि मेरी योनि को भेद सके।

तब मैंने उनके चेहरे को अपने स्तनों से अलग किया और उनके लिंग को मुँह में भर कर चूसने लगी।

मेरे कुछ देर चूसने के तुरंत बाद उनका लिंग खड़ा हो गया, पर मैं उसे अभी भी चूस रही थी, साथ ही उनके अन्डकोषों को सहला रही थी।

तभी उन्होंने कहा- ठीक है अब छोड़ो, चलो चुदाई करते हैं।

तब मैंने छोड़ दिया और बगल में लेट गई और अपनी कमर के नीचे तकिया लगा कर अपनी टाँगें फैला दीं।

वो मेरे ऊपर आ गए मेरी टांगों के बीच, वो मेरे ऊपर झुके तो मैंने उनके लिंग को पकड़ लिया और योनि की दरार में 4-5 बार रगड़ा और छेद में सुपारे तक घुसा दिया और कहा- चोदिये।

उन्होंने मेरी बात सुनते ही अपने कमर को मेरे ऊपर दबाया और लिंग को धकेल मेरी योनि में घुसा दिया।

मैं थोड़ा सा कसमसाई तो उन्होंने पूछा- क्या हुआ?

मैंने कहा- कुछ नहीं।

तो उन्होंने कहा- दर्द हो रहा है क्या?

मैंने कहा- हाँ.. हल्का सा आपका लंड बहुत मोटा है।

इस पर वो मुझे मुस्कुराते हुए देखने लगे और धीरे-धीरे लिंग को अन्दर-बाहर कर सम्भोग करने लगे। मेरी योनि उनके धक्कों से पानी छोड़ने लगी और ‘चप-चप’ की आवाज निकलने लगी।

मैंने एक हाथ गले में डाला, दूसरा पीठ में डाल कर पकड़े हुई थी। वो मुझे मेरे कंधों को पकड़ कर धक्के मार रहे थे।

तभी उन्होंने एक हाथ नीचे ले जाकर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर खींचा तो मैंने भी अपनी दोनों टाँगें उठा कर उनके चूतड़ों पर रख अपनी ओर खींचा।

वो मुझे ऐसे ही चोदे जा रहे थे और मैं कुहक रही थी, हम दोनों एक-दूसरे के चेहरे को देख रहे थे।

तभी उन्होंने मुझसे कहा- पहले तो मना कर रही थीं… रो रही थीं और अब मर्ज़ी से चुदवा रही हो, इतना नाटक क्यों किया?

मैंने सुनते ही नजरें दूसरी तरफ कर लीं और खामोश रही, पर उन्होंने बार-बार पूछना शुरू कर दिया।

तब मैंने कहा- हम दोनों का रिश्ता बाप-बेटी जैसा है और पहले ये मुझे ठीक नहीं लग रहा था।

मेरी बात सुनकर उन्होंने धक्के लगाना बंद कर दिया और कहा- ठीक है.. पर अब दुबारा करने के लिए खुद ही क्यों पूछा?

मैंने कहा- अब तो सब हो ही चुका था मेरे मना करने के बाद भी आप नहीं माने, मेरा मन कर रहा था और करने को सो कह दिया।

मेरी बात सुन कर वो मेरी तरफ गौर से देखने लगे, वो धक्के नहीं लगा रहे थे और मेरी अन्दर की वासना इतनी भड़क चुकी थी कि मुझे बैचैनी सी होने लगी थी।

तब मैंने 3-4 बार अपनी कमर उचका दी और अपनी टांगों से उन्हें अपनी ओर खींचा, फिर उनके होंठों से होंठ लगा कर उन्हें चूमने लगी।

उन्होंने अपना मुँह खोल जुबान बाहर कर दी और मैं उसे चूसने लगी।

वो अब पूरे जोश में आ गए थे। उन्होंने 2-3 जोर के धक्के लगाए जिससे मेरी ‘आह्ह्ह’ निकल गई और वे जोर-जोर के तेज़ धक्के मारते हुए मुझे चोदने लगे।

वो धक्के लगा रहे थे और मेरे मुँह से सिसकारियाँ और ‘आहें’ निकल रही थीं।

अभी सम्भोग करते हुए कुछ ही देर हुए ही थे कि मैंने फिर से अपने जिस्म को अकड़ते हुए महसूस करने लगी, मेरी साँसें दो पल के लिए रुक सी गईं।

मेरी योनि सिकुड़ गई और मैंने पानी छोड़ दिया।

मैंने उनको पूरी ताकत से पकड़ रखा था, मेरा पूरा बदन और योनि पत्थर के समान हो गई थी, पर वो मुझे लगातार चोद ही रहे थे।

उन्होंने कहा- बुर को ढीला करो..

जो कि फ़िलहाल मेरे बस में नहीं था।

कुछ पलों के बाद मेरा बदन ढीला पड़ने लगा और वो धक्के रुक-रुक कर लगाने लगे। मैं समझ गई कि वो थक चुके हैं।

मैंने उनको कुछ देर ऐसे ही धक्के लगाने दिया और फिर उनको कहा- आप नीचे आ जाइए।

मेरी बात सुनकर वो मेरे ऊपर से उठे और अपने लिंग को मेरी योनि से बाहर निकाल लिया और पीठ के बल लेट गए।

मैंने देखा तो मेरी योनि के चारों तरफ सफ़ेद झाग सा लग गया था, उधर वो भी अपने लिंग को हाथ से सहला रहे थे।

मैं दोनों टाँगें फैला कर उनके ऊपर चढ़ गई और उनके लिंग को पकड़ कर योनि को उसे ऊपर लगाया, तभी उन्होंने मेरी वही फटी पैंटी ली और मेरी योनि को पोंछ दिया।

मैंने लिंग को योनि के छेद पर सीधा रख दिया और बैठ गई, लिंग फिसलता हुआ मेरी योनि की गहराई में धंस गया।

लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।

मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उनके सीने पर हाथ रख दिया, उन्होंने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गए।

मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उनके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी।

मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा।

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लिंग अन्दर घुसते ही मुझे बड़ा आनन्द महसूस हुआ, उनके लिंग का चमड़ा पीछे की ओर खिसकता चला गया।

मुझे बड़ी ही गुदगुदी सी महसूस होने लगी। मैंने अपने घुटनों को मोड़ा, उनके सीने पर हाथ रख दिया, उन्होंने भी मेरी कमर को पकड़ लिया और तैयार हो गए।

मैंने पहले धीरे-धीरे शुरू किया फिर जब मुझे उनके ऊपर थोड़ा आराम मिलने लगा तो मैंने अपनी गति तेज़ कर दी।

मैं पूरे मस्ती में थी तभी मैं एक तरफ सर घुमाया तो मुझे सामने आइना दिखा जिसमें मैं पूरी दिख रही थी मगर उनका सिर्फ कमर तक का हिस्सा दिख रहा था।

मैंने अपने कमर को पहले कभी ऐसा नहीं देखा था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई मस्त हिरणी अपनी कमर लचका रही हो।

मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि सम्भोग के समय मेरी कमर ऐसे नाचती होगी।

मैं यही सोच कर और भी मस्ती में आ गई और बहुत ही मादक अंदाज़ में अपनी कमर को नचाते हुए धक्के लगाने लगी और उनकी तरफ देखा।

उनके चेहरे से साफ़ जाहिर था कि उनको मेरी इस हरकत से कितना मजा आ रहा था।

वो इसी जोश में मेरी कमर पकड़े हुए कभी-कभी नीचे से मुझे जोर के झटके भी देते, जिससे मुझे और भी मजा आता था।

मैंने करीब 10 मिनट किया होगा कि फिर से मुझे मस्ती चढ़ने लगी और मैं झटके खाने को तैयार थी, पर मैंने सोचा कि खुद को रोक लूँ सो मैंने लिंग को बाहर निकालने के लिए अपनी कमर उठाई।

पर उन्होंने मेरी कमर पकड़ रखी थी और मुझे खींचने लगे और नीचे से धक्के लगाने लगे।

मैं किसी तरह अपनी कमर उठा कर लिंग बाहर करने ही वाली थी कि सुपाड़े तक आते-आते ही मैंने पानी छोड़ना शुरू कर दिया।

मैंने देखा कि मेरे पानी की पेशाब की धार की तरह 3-4 बूँद उनकी नाभि के पास गिरीं और मैं खुद को संभाल न सकी और उनके लिंग के ऊपर अपनी योनि रगड़ने लगी, जब तक मैं पूरी झड़ न गई।

मैं उनके ही ऊपर लेट गई और लम्बी-लम्बी साँसें लेने लगी।

लिंग मेरी योनि के बाहर था, तभी उन्होंने अपना एक हाथ बीच में डाला और लिंग को वापस मेरी योनि में घुसा दिया।



मुझे फ़िलहाल धक्के लगाने की न तो इच्छा थी न ही दम, सो मैं ऐसे ही साँसें लेती रही।

मुझे पता नहीं आज क्या हो गया था, पहले तो मैं इन्हें मना कर रही थी, पूरी ताकत इनसे अलग होने में लगा रही थी और अब उतनी ही ताकत के साथ सम्भोग कर रही थी और मैं बार-बार झड़े जा रही थी, वो भी जल्दी जल्दी।

मुझमें एक अलग सी खुमारी और मस्ती छाई हुई थी, मैंने पहली बार गौर किया था कि मेरी कमर कैसे नाचती है और इसीलिए शायद मेरे साथ सम्भोग करने वालों को काफी मजा आता था।

मैंने पहली बार यह भी देखा कि मेरा पानी निकला।

इससे पहले ऐसे ही निकला था या नहीं मुझे नहीं पता, ऐसा यह मेरा पहला अनुभव था।

शायद वो अपना लिंग घुसेड़ कर इंतज़ार कर रहे थे कि मैं धक्के लगाऊँगी इसलिए उन्होंने 2-3 नीचे से धक्के लगाए, पर मैं तो उन्हें पकड़ कर उनके सीने में सर रख लेटी रही।

तब उन्होंने कहा- क्या हुआ… रुक क्यों गईं..? करते रहो न!

मैंने कहा- अब मुझसे नहीं होगा।

तब उन्होंने खुद ही नीचे से अपनी कमर उछाल कर मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं फिर ‘आह-आह’ की आवाजें निकालने लगी।

थोड़ी देर में वो उठे और मुझे अपनी गोद में बिठा लिया, फिर मेरे चूतड़ों को पकड़ कर वो घुटनों के बल खड़े हो गए मैं भी उनके गले में हाथ डाल लटक सी गई।

हालांकि वो पूरे पैरों पर नहीं खड़े थे, पर मेरा पूरा वजन उनके हाथों में था, मेरे पैर नाम मात्र के बिस्तर पर टिके थे और फिर वो धक्के लगा-लगा कर मुझे चोदने लगे।

मैं इतनी बार झड़ चुकी थी कि अब मेरी योनि में दर्द होने लगा था, पर कुछ देर में मैं फिर से वो सब भूल गई और मुझे पहले से कहीं और ज्यादा मजा आने लगा था।

अब तो मैं खुद उनके धक्कों का जवाब अपनी कमर नचा कर देने लगी थी।

मुझे यह भी महसूस होने लगा था कि मैं अब फिर से झड़ जाऊँगी।

मैंने सोच लिया था कि इस बार पानी नहीं छोडूंगी, जब तक वो झड़ने वाले न हों।

तो जब मुझे लगा कि मैं झड़ने को हूँ मैंने तुरंत उनको रोक दिया और इस बार खुद कह दिया- अभी नहीं.. रुकिए कुछ देर.. वरना मैं फिर पानी छोड़ दूंगी।

उन्हें मेरी यह बात बहुत अच्छी लगी शायद सो तुरंत अपना लिंग मेरी योनि से खींच लिया और मुझे छोड़ दिया, मैं नीचे लेट गई और अपनी साँसें रोक खुद पर काबू पाने की कोशिश करने लगी।

उधर मेरी योनि से लिंग बाहर कर वो खुद अपने हाथ से जोरों से हिलाने लगे थे।

थोड़ी देर में वो बोले- अब चोदने भी दो.. मेरा भी निकलने वाला है।

मैंने तुरंत अपनी टाँगें फैला उनको न्यौता दे दिया और वो मेरे ऊपर झुक मेरी टांगों के बीच में आकर लिंग को घुसाने लगे, पर जैसे ही उनका सुपारा अन्दर गया, मुझे लगा कि मैं तो गई।

पर मैंने फिर से खुद को काबू करने की कोशिश की, पर तब तक वो लिंग घुसा चुके थे और मेरे मुँह से निकल गया- हाँ.. पूरा अन्दर घुसाइए, थोड़ा जोर से चोदियेगा।

उन्होंने मुझे पकड़ा और तेज़ी से धक्के लगाने लगे, मैंने भी उनको पकड़ कर अपनी और खींचने लगी।

हम दोनों की साँसें बहुत तेज़ चलने लगी थीं और बिस्तर भी अब हमारे सम्भोग की गवाही दे रहा था, पूरा बिस्तर इधर-उधर हो चुका था और अब तो धक्कों के साथ वो भी हिल रहा था।

मैं भी अपनी कमर उठा-उठा कर उनका साथ देने लगी थी, बस अब मैं पानी छोड़ने से कुछ ही पल दूर थी और उनके धक्कों से भी अंदाजा हो गया था कि अब वो भी मेरी योनि में अपना रस उगलने को हैं।

थोड़ी देर के सम्भोग के बाद हम दोनों ही पूरी ताकत से धक्के लगाने लगे, फिर कुछ जोरदार झटके लेते हुए वो शांत हो गए।

मैंने उनका गर्म वीर्य मेरी योनि में महसूस किया, पर मैं अभी भी उनको पकड़े अपनी कमर को उनके लिंग पर दबाए हुए रगड़ रही थी।

हालांकि उनका लिंग अब धीरे-धीरे ढीला पड़ रहा था, पर मैं अभी भी जोर लगाए हुए थी और उनका लिंग इससे पहले के पूरा ढीला पड़ जाता, मैं भी झड़ गई और अपने चूतड़ों को उठाए उनके लिंग पर योनि को रगड़ती रही, जब तक कि मेरी योनि के रस की आखरी बूंद न निकल गई।

मुझे खुद पर यकीन करना मुश्किल हो रहा था कि मैं अपने ही रिश्तेदार के साथ यूँ सम्भोग में मस्त हो गई थी। मैं उनको पकड़े हुए काफी देर ऐसे ही लेटी रही।

उनका भी जब जोश पूरी तरह ठंडा हुआ तो मेरे ऊपर लेट गए। मैंने थोड़ी देर बाद उन्हें अपने ऊपर से हटने को कहा फिर दूसरी और मुँह घुमा कर सो गई।

सुबह करीब 6 बज रहे थे कि मुझे कुछ मेरी कमर पर महसूस होने लगा।

मैंने गौर किया तो वो मेरे बदन को सहला रहे थे।

हम दोनों अभी नंगे थे, शीशे की खिड़की से रोशनी आ रही थी, तो हमारा बदन साफ़ दिख रहा था। उन्होंने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।

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सुबह करीब 6 बज रहे थे कि मुझे कुछ मेरी कमर पर महसूस होने लगा।

मैंने गौर किया तो वो मेरे बदन को सहला रहे थे।

हम दोनों अभी नंगे थे, शीशे की खिड़की से रोशनी आ रही थी, तो हमारा बदन साफ़ दिख रहा था। उन्होंने मेरे स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कोई प्रतिरोध नहीं किया।

कुछ देर बाद उनका हाथ स्तनों से सरकता हुआ नीचे मेरे पेट और नाभि से होता हुआ मेरी योनि में जा रुका, पहले तो उन्होंने मेरी झान्टों को छुआ फिर धीरे-धीरे मेरी योनि के दाने को सहलाने लगे।

मेरा दिल नहीं कर रहा था पर पता नहीं मैं उन्हें मना भी नहीं कर रही थी।

थोड़ी देर में मुझे मेरे चूतड़ों के बीच में उनका लिंग महसूस हुआ, जो थोड़ा खड़ा हो चुका था।

मेरी टाँगें आपस में सटी हुई थीं फिर भी जैसे-तैसे उन्होंने मेरी योनि में एक उंगली डाल दी और गुदगुदी सी करने लगे।

अब मुझे भी कुछ होने लगा था।

रात के लम्बे सम्भोग के बाद मेरी टांगों स्तनों और कमर में दर्द सा था फिर भी न जाने क्यों मैं उन्हें मना नहीं कर रही थी।

उन्होंने कुछ देर मेरी योनि में ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर किया जिससे मेरी योनि रसीली हो गई, फिर उन्होंने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया, मेरी एक टांग को अपनी कमर पर ऊपर चढ़ा लिया, फिर मेरे चूतड़ों के पीछे से हाथ ले जाकर मेरी योनि को सहलाने लगे।

मैंने उन्हें देखा और उन्होंने मुझे फिर मुझे थोड़ी शर्म सी आई तो मैंने उनका सर पकड़ कर अपने स्तनों पर रख दिया और हाथ से एक स्तन के चूचुक को उनके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगे।

फिर मैंने एक हाथ ले जाकर उनका लिंग पकड़ लिया और हिलाने लगी, कुछ देर हिलाती रही और उनका लिंग मेरी योनि में जाने के लायक एकदम खड़ा और सख्त हो गया।

उधर मेरी योनि भी उनकी उंगलियों से तैयार हो चुकी थी, जिसका अंदाजा मुझे हो चुका था क्योंकि योनि बुरी तरह से गीली हो चुकी थी।

बस अब उन्होंने मुझे सीधा किया फिर मेरी टाँगें मोड़ कर फैला दीं और उन्हें पकड़ कर हवा में लटका दिया फिर अपनी कमर को आगे-पीछे करके लिंग को योनि के ऊपर रगड़ने लगे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने लिंग को योनि के छेद में टिका दिया और धक्का दिया, लिंग बिना किसी परेशानी के मेरी योनि में अन्दर तक दाखिल हो गया।

उन्होंने मेरी टांगों को पकड़ हवा में फैलाईं और अपनी कमर को आगे-पीछे करके मेरी योनि को चोदना शुरू कर दिया था। मैं अपने हाथ सर के पीछे कर तकिये को पकड़ लेटी हुई, उन्हें और उनके लिंग को देख रही थी।

ऐसा लग रहा था जैसे काले-काले जंगलों में एक सुरंग है और एक मोटा काला चूहा उसमें घुस रहा और निकल रहा है।

करीब 10 मिनट हो चुके थे और मेरी टांगों में दर्द बढ़ने लगा था, सो मैंने अपनी टांगों में जोर दिया और उन्हें नीचे करना चाहा तो वो समझ गए, उन्होंने मेरी टाँगें बिस्तर पर गिरा दीं और मेरे ऊपर लेट कर मुझे पकड़ लिया।

मैंने भी उनके गले में हाथ डाल कर उनको अपनी बांहों में जकड़ लिया।

अब उन्होंने मुझे धक्के लगाना शुरू कर दिए और उनका लिंग ‘छप-छप’ करता मेरी योनि में घुसने और निकलने लगा, मैं तो पूरी मस्ती में आ गई थी।

मैंने भी कुछ देर अपनी टांगों को बिस्तर पर रख कर आराम दिया, फिर एड़ी से बिस्तर पर जोर लगा कर अपनी कमर उठा-उठा कर उनका सहयोग करने लगी।

मुझे सच में इतना मजा आ रहा था कि क्या कहूँ.. मैं कभी अपने चूतड़ों को उठा देती, तो कभी टांगों से उनको जकड़ लेती और अपनी ओर खींचने लगती।

मुझे इस बात का पक्का यकीन हो चला था कि उन्हें भी बहुत मजा आ रहा है।

तभी मेरी नजर खिड़की की ओर गई मैंने देखा कि धूप निकल आई है, सो मैंने उन्हें कहा- अब हमें अस्पताल जाना चाहिए।

उन्होंने कहा- बस कुछ देर में ही हो जाएगा।

तो मैंने भी सहयोग किया।

मेरी योनि में अब पता नहीं हल्का-हल्का सा दर्द होने लगा था, मैं समझ गई कि इतनी देर योनि की दीवारों में रगड़न से ये हो रहा है, पर मैं कुछ नहीं बोली बस ख़ामोशी से उनका साथ देती रही।

मेरी योनि में जहाँ एक और पीड़ा हो रही थी, वहीं मजा भी काफी आ रहा था।

जब तक वो धक्के लगाते रहे, मैं हल्के-हल्के सिसकारियाँ लेती रही।

वो कभी अपने कमर को तिरछा करके धक्के लगाते तो कभी सीधा, वो मेरी योनि की दीवारों पर अपने लिंग को अन्दर-बाहर करते समय रगड़ रहे थे, जिससे मुझे और भी मजा आ रहा था।

मैं खुद अपने चूतड़ उठा दिया करती थी।

हम दोनों अब पसीने से तर हो चुके थे, मुझे अब अजीब सी कसमसाहट होने लगी थी।

तभी उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने को कहा, मैंने बिना देर किए उनके ऊपर आकर सम्भोग शुरू कर दिया।

कुछ ही देर के धक्कों से मेरी जाँघों में अकड़न सी होने लगी थी, पर फिर भी मैं रुक-रुक कर धक्के लगाती रही।

थोड़ी देर सुस्ताने के बाद उन्होंने मेरे चूतड़ों को पकड़ा और नीचे से अपनी कमर तेज़ी से उछाल-उछाल कर मुझे चोदने लगे।

अब उनके धक्के इतने तेज़ और जोरदार थे कि कुछ ही पलों में मैं अपने बदन को ऐंठते हुए झड़ गई और निढाल हो कर उनके ऊपर लेट गई।

उन्हें अब मेरी और से कोई सहयोग नहीं मिल रहा था सिवाय इसके कि मैं अब भी उनका लिंग अपनी योनि के अन्दर रखे हुए थी।

तब उन्होंने मुझे फिर से नीचे लिटा दिया और मेरे ऊपर आकर धक्कों की बारिश सी शुरू कर दी। मैं तो बस सिसक-सिसक कर उनका साथ दे रही थी।

करीब 10 मिनट के बाद उनके जबरदस्त तेज धक्के पड़ने लगे और उन्होंने कराहते हुए, अपने बदन को कड़क करते हुए मेरे अन्दर अपना गर्म लावा उगल दिया।

उनके वीर्य की आखिरी बूंद गिरते ही वो मेरे ऊपर निढाल हो गए और सुस्ताने लगे।

थोड़ी देर बाद मैंने उनको अपने ऊपर से हटाया और गुसलखाने में चली गई, सबसे पहले तो मैंने अपनी योनि से वीर्य साफ़ किया।

यह 3 बार के सम्भोग में पहली बार मैंने खुद से वीर्य साफ़ किया था फिर पेशाब किया।

पेशाब के साथ-साथ मुझे ऐसा लगा जैसे बाकी बचा-खुचा वीर्य भी बाहर आ गया।

फिर बाकी का काम करके मैं नहाई और बाहर आकर कपड़े पहने और उनको जल्दी से तैयार होने को कहा।

वो भी जब तैयार हो गए तो मैंने उनको कहा- बाकी रिश्तेदारों को खबर कर दीजिए कि आपकी बीवी की तबियत ख़राब है।

उन्होंने कहा- जरुरत क्या है, हम दोनों संभाल लेंगे।

मुझे यह उनकी चाल सी लगी पर मैंने कुछ नहीं कहा।

हम अस्पताल करीब 8 बजे गए, पर उनकी बीवी से मुझे नज़र मिलाने में बहुत शर्म सी आ रही थी।

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jay
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Re: सारिका कंवल की जवानी के किस्से

Post by jay »

मैं दिन भर अस्पताल में रही, रात को वापस गेस्ट-हाउस चली आई।

खाना खाने के बाद जो हल्की-फुल्की काम की बातें ही हमारे बीच हुईं, ऐसा लगने लगा कि जैसे हमारे बीच कभी कुछ हुआ ही नहीं था।

मैं सोने चली गई। मुझे पहले तो लगा था कि वो मुझे फिर से सम्भोग के लिए कहेंगे पर आज मुझे उनके व्यवहार से ऐसा कुछ भी नहीं लगा।

हम दोनों ही सो गए मगर आज उसी बिस्तर पर दोनों साथ थे।

करीब दो बजे मेरी नींद खुली और मैं पेशाब करने को गई तो मैंने देखा कि वो सो चुके हैं सो मैं भी सोने की कोशिश करने लगी और मेरे दिमाग में पिछले रात की तस्वीरें घूमने लगीं।

कुछ देर तो मैंने उसे अपने दिमाग से निकालने की कोशिश की, पर पता नहीं वो फिर मेरे दिमाग में घूमने लगा और मुझे अपने अन्दर फिर से वासना की आग लहकती हुई महसूस होने लगी।

मैं धीरे-धीरे पिछली रात की बातें याद करने लगी और अकस्मात् मेरे हाथ खुद बा खुद मेरी योनि को सहलाने लगे।

काफी देर सहलाने के बाद मेरी योनि पूरी तरह गीली हो चुकी थी सो मैंने उनको उठाया।

वो उठने के बाद मुझसे बोले- क्या हुआ?

मैंने उनसे बस इतना कहा- क्या आपको करना है?

वो दो पल रुके और कहा- ठीक है।

उनके कहते ही मैंने अपनी साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज, पैंटी और ब्रा निकाल कर नंगी हो गई।

उन्होंने भी अपना पजामा और बनियान निकाल दी और नंगे हो गए।

इस समय अँधेरा था, पर बाहर से रोशनी आ रही थी, सो ज्यादातर चीजें दिख रही थीं।

हम दोनों एक-दूसरे के तरफ चेहरे किये हुए बैठे थे।

मैंने हाथ बढ़ा कर उनके लिंग को पकड़ा वो अभी खड़ा नहीं था तो मुझे उसे खड़ा करना था।

मैं उनके लिंग को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी, कुछ देर में वो थोड़ा सख्त हुआ, पर यह योनि में घुसने के लिए काफी नहीं था।

तब मैंने उनको घुटनों के बल खड़े होने को कहा और फिर उनका लिंग अपने मुँह में भर कर चूसने लगी।

मैं एक हाथ से पकड़ कर उनके लिंग को हिलाती कभी और चूसती तो कभी उनके अन्डकोषों को सहलाती और दबाती जिससे कुछ ही देर में उनका लिंग पूरी तरह सख्त हो गया।

जब उनका लिंग पूरी तरह खड़ा हो गया तब मैंने उन्हें छोड़ दिया और लेट गई, पर उन्होंने मुझसे कहा- कुछ देर और चूसो.. मुझे अच्छा लग रहा है।

मैंने उनसे कहा- नहीं.. अब जल्दी से सम्भोग करें।

वो मुझे विनती करने लगे, तब मैंने फिर से उनके लिंग को चूसना शुरू कर दिया।

मैं एक हाथ से उनके लिंग को हिलाती और चूसती रही, दूसरे हाथ से अपनी योनि को रगड़ती रही। मेरे इस तरह के व्यवहार को देख उन्होंने भी मेरी योनि में हाथ डाल दिया और उसे रगड़ने लगे, साथ ही मेरे स्तनों को दबाने और सहलाने लगे।

मैं कुछ ही देर में गीली हो गई।

तभी उन्होंने मुझे लेटने को कहा और मेरे ऊपर चढ़ गए।

मैंने भी उनको पकड़ लिया और अपनी टाँगें फैला कर उनको बीच में कर लिया।

वो मेरे ऊपर पूरी तरह से झुक गए, मुझे उनका लिंग अपनी योनि के ऊपर रगड़ता हुआ महसूस होने लगा।

वो अपनी कमर को ऐसे घुमाने लगे जैसे कि वो मेरे अन्दर आने को तड़प रहे हों। मैंने भी उनको पकड़ा और अपनी ओर खींच कर अपने चूतड़ उठा दिए और घुमाने लगी।

वो मेरा इशारा समझ गए, उन्होंने मेरे होंठों से होंठों को लगाया और मुझे चूमने लगे।

फिर एक हाथ से मेरे एक स्तन को दबाया और दूसरे से मेरे चूतड़ों को नीचे से पकड़ा और अपनी कमर को घुमा कर मेरी योनि के छेद को लिंग से ढूँढने लगे।

योनि का छेद मिलते ही उन्होंने कमर से दबाव दिया, लिंग थोड़ा सरक कर मेरी योनि में आधा घुस गया।

उनके लिंग को अपनी योनि में पाते ही मैंने भी अपनी कमर को नचाया और चूतड़ उठा कर लिंग को पूरा लेने का इशारा किया।

मेरा इशारा पाते ही उन्होंने जोर से धक्का दिया मैं सिसक कर कराह उठी और अपने जिस्म को ऐंठते हुए उनको कस कर पकड़ लिया। अब उनका लिंग पूरी तरह मेरी योनि के अन्दर था।

उन्होंने भी मेरे स्तनों को मसलते हुए मुझे चूमा, कुछ देर लिंग को योनि के अन्दर घुमाया, अपनी कमर को नचा कर और फिर धीरे-धीरे लिंग को अन्दर-बाहर करने लगे।

मैं भी अब उनके झटके को भूल गई और मस्ती के सागर में डूबने लगी। मैं भी उनके धक्कों के साथ अपनी कमर को हिला कर उनका साथ देने लगी।

मुझे बहुत मजा आने लगा था और मैं उनके हर हरकत का चुनौतीपूर्ण साथ देने लगी थी।

उनके धक्के लगातार जारी थे और हम दोनों एक-दूसरे की जीभ को जीभ से रगड़ रहे थे, वहीं दूसरी ओर वो कभी मेरे स्तनों को मसलते तो कभी चूतड़ों को दबाते।

मैंने भी कभी उनके पीठ को पकड़ खींचती तो कभी चूतड़ को, कभी टाँगें पूरी फैला कर हवा में उठा देती, तो कभी उनको टांगों से जकड़ लेती।

करीब 15 मिनट तक वो ऐसे ही सम्भोग करते रहे और मैं मजे लेती रही, पर कुछ देर बाद वो रुक-रुक कर धक्के देने लगे अब वो थक चुके थे।

तब उन्होंने मुझे अपने ऊपर आने को कहा और खुद पीठ के बल लेट गए। मैं भी तुरंत उठ कर उनके ऊपर चढ़ गई और लिंग को सीधा करके योनि से लगा दिया कमर से जोर दिया।

उनका मूसलनुमा लिंग मेरी योनि में समा गया। अब मैं झुक गई और अपने स्तन को उनके मुँह में दिया और उनके सर को पकड़ कर धक्के लगाने लगी।

उन्होंने भी मेरे चूतड़ों को पकड़ कर मेरे धक्कों का स्वागत शुरू कर दिया और मेरा साथ देने लगे।

वो मेरे स्तनों को किसी बेदर्द कसाई की तरह चूसने लगे और काटने लगे, मेरे चूतड़ों को मसलते हुए बीच-बीच में नीचे से एक-दो झटके दे देते।

मैं उनके ऐसे व्यवहार से तड़प सी गई और मैं पूरे जोश में धक्के देने लगी, मेरी योनि बुरी तरह से रसीली और चिपचिपी होने लगी थी।

करीब 20 मिनट मैं ऐसे ही धक्के लगाती रही और मेरे जांघें अब जवाब देने लगी थी कि अचानक मेरी सांस एक पल के लिए जैसे रुक गई हो।

मुझे ऐसा लगा कि जैसे मैं ये नहीं चाहती हूँ पर मैं उसे रोक भी नहीं सकती, मेरे नितम्ब आपस में जुड़ से गए थे।

मेरी योनि सिकुड़ कर आपस में चिपकने को होने लगी।

मैं ना चाहते हुए भी झटके देने लगी और मैंने पानी छोड़ दिया।

मैं आखरी बूंद गिरने तक झटके देती रही, जब तक मैंने पूरा पानी नहीं छोड़ दिया, तब तक शुरू में थोड़े जोरदार, फिर धीरे-धीरे उनकी गति भी धीमी होती चली गई।

मैं पूरी तरह स्खलित होने के बाद उनके ऊपर लेट गई और खामोश सी लेट गई, मेरे इस तरह के व्यवहार को देख कर उन्होंने मुझे पकड़ कर पलट दिया।

अब मैं उनके नीचे थी और वो मेरे ऊपर चढ़ गए थे और लिंग अभी भी मेरी योनि के अन्दर था।

उन्होंने पहले मुझे और खुद को हिला-डुला कर एक सही स्थान पर टिकाया और फिर उनके धक्के शुरू हो गए।

मैं पहले ही झड़ चुकी थी सो मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था, पर मैं ख़ामोशी से उनके धक्के बर्दास्त कर रही थी क्योंकि मेरा अब ये फ़र्ज़ था कि उनको चरम सीमा तक पहुँचने में मदद करूँ।

सो चुपचाप यूँ ही लेटी हुई उनका साथ दे रही थी।

करीब 5-7 मिनट के सम्भोग के बाद उनके धक्के तीव्र हो गए और उन धक्कों में काफी ताकत थी। जिसे मैं हर धक्के पर एक मादक कराह निकालने पर मजबूर हो जाती थी।

फिर अंत में 10-12 नाकाबिले-बर्दाश्त धक्कों के साथ वो झड़ गए।

मैं उनका गर्म वीर्य अपनी योनि की गहराईयों में महसूस किया जो मेरे लिए आनन्द दायक था।

उनका लिंग पूरा रस छोड़ने तक वो मेरे ऊपर ही लेटे हुए मेरे गालों और गले को चूमते रहे और जब पूरा स्खलन समाप्त हुआ तो मेरे सीने पर सर रख सुस्ताने लगे।

जब हम दोनों थोड़े सामान्य हुए तो मैंने उन्हें हल्के से धक्का दिया और वो मेरे ऊपर से हट कर बगल में लेट गए और हम दोनों सो गए।

अगली सुबह उनकी पत्नी को आराम करने को कहा गया और हम दोनों फिर से उसी गेस्ट हाउस में ठहरे और इस रात भी मैंने ही न जाने क्यों उनको सम्भोग के लिए कहा, ये आज तक मेरे लिए रहस्य ही है।

उसके ठीक अगले दिन हम उनकी पत्नी को अस्पताल से घर ले आए।

मैं उनके आने के बाद भी 3-4 बार मैंने उनके साथ सम्भोग किया, इस बीच मैंने उन्हें अपनी योनि चाटने के लिए भी एक दिन उत्तेजित कर दिया था।

हालांकि उन्हें इस कला में कोई तजुर्बा नहीं था, पर मुझे फिर भी अच्छा लगा क्योंकि मेरी योनि इतने में गीली हो गई थी फिर हमने सम्भोग भी किया।

उनकी पत्नी की तबियत कुछ सामान्य होने के बाद मैं वापस अपने घर चली आई।

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