हवस मारा भिखारी बिचारा compleet

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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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नेहा भी वहाँ पहुँच चुकी थी, वो छुप कर उन्हे देख रही थी ..पहले जब गंगू और रज्जो मिले थे तो उसकी समझ मे नही आया था की इतनी रात को वो रज्जो के घर क्यो आया है..पर जब दोनो यहाँ पहुँचे और अब एक दूसरे को ऐसे चूम रहे हैं तो उसकी समझ मे सब आ गया...

वो अगर गंगू की असली पत्नी होती या उसकी यादश्त सही होती तो वो उसी वक़्त उनका भांडा फोड़ देती ...पर उसकी समझ से वो सब बाते परे थी ..इसलिए वही छुपकर उनका तमाशा देखने लगी ...

वैसे इस तरह के सेक्स के किस्से उसे उत्तेजित ही करते थे ...पिछले दो दिनों मे जिस तरह से गंगू के साथ रहते हुए और आज रात को उस अंजान आदमी से अपनी चूत मसलवा कर जो मज़े उसे मिले थे,वो उसे अंदर तक रोमांचित कर रहे थे..

इसलिए उन दोनो को प्यार करते देखकर वो फिर से उसी रोमांच से भर उठी और उसका हाथ अपने आप फिर से अपनी चूत की तरफ बढ़ गया.

गंगू और रज्जो से भी सब्र नही हो रहा था ...ख़ासकर रज्जो से..उसकी चूत की आग आजकल इतनी भड़की हुई थी की दिन मे दो-चार बार जब तक वो इधर उधर से चुदवा नहीं लेती थी उसको चैन ही नही पड़ता था...और गंगू से चुदाई तो उन सभी के आगे फीकी थी..इसलिए उसके लंड को लेने का सोभाग्य वो नही छोड़ना चाहती थी ...उसने अपनी चोली और घाघरा एक ही झटके मे उतार फेंका ..नीचे से वो पूरी तरह से नंगी थी ..

हल्की रोशनी मे उसका संगमरमर का जिस्म सोने की तरहा चमक रहा था ..

गंगू ने भी अपनी धोती और कुर्ता उतार फेंका और वो भी पूरी तरह से नंगा हो कर अपने लंड को मसल कर उसके मखमली बदन को देखने लगा..

रज्जो धीरे-2 चलती हुई उसके सामने आकर किसी कुतिया की तरह बैठ गयी और अपनी गांड हवा मे उठा कर , अपना सिर नीचे करते हुए उसने गंगू के लंड को अपने मुँह मे भरकर एक जोरदार चुप्पा मारा

गंगू की सिसकारी पूरे अस्तबल मे गूँज गयी..

कोने मे छुपी हुई नेहा तो जैसे वो सब देखकर कुछ सीखने की कोशिश कर रही थी ..

जिस तरहा से रज्जो लंड चूस रही थी, नेहा के होंठ भी गोल मुद्रा मे आकर हवा मे ही उपर नीचे होने लगे...जैसे वो कोई अद्रिश्य लंड को चूस कर उसका मज़ा ले रही हो ..पर साथ ही साथ उसके हाथ अपनी चूत की मालिश करना भी नही भूल रहे थे ..उनपर भी उसकी उंगलियों की थिरकन उसी अंदाज मे हो रही थी जिसमे उसके मुँह की हरकत..

गंगू ने रज्जो के बॉल पकड़ कर बड़ी ही बेदर्दी से उपर की तरफ खींचे और वो कराहती हुई सी उपर की तरफ चली आई...और दोनो वहशियों की तरह एक दूसरे को चूमने लगे..चूसने लगे

गंगू का घनघनाता हुआ लंड रज्जो के पेट और फिर चूत को टच करने लगा .. रज्जो की तो हालत ही खराब होने लगी जब उसका दहकता हुआ सरिया उसकी चूत की भट्टी के इतने करीब पहुँच गया ..वो अपनी चूत को उसके सरिये पर रगड़ने लगी ..ताकि उसके अंदर की आग थोड़ी शांत हो जाए..पर ऐसी रगदाई से तो उसके अंदर के अंगारे और भी ज़्यादा भड़क कर शोले बन गये ..और वो बावली बंदरिया की तरह उछल -2 कर उसके लंड को अंदर लेने की असफल कोशिश करने लगी..

पर जब तक आदमी ना चाहे औरत उसका लंड किसी भी एंगल से अंदर नही ले सकती ..

उसने लाख कोशिश कर ली पर गंगू अपने लंड को इधर-उधर करके उसे अंदर जाने से रोक रहा था...वो उसे और भी ज़्यादा तडपा रहा था ..क्योंकि औरतें जितनी ज़्यादा तड़पति है वो चुदाई मे उतना ही मज़ा देती है ..ये गंगू अच्छी तरह से जानता था .

अस्तबल मे छाए हुए सन्नाटे मे सिर्फ़ उन दोनो की सिसकारियाँ ही गूँज रही थी ...पर एक हल्की सी सिसकारी दूसरे कोने से भी आनी शुरू हो गयी थी...नेहा की.

जो अपनी चूत को मसलते-2 उसे नंगा कर चुकी थी ..और अब वो भी वहीं ज़मीन पर बैठकर अपनी चूत को खोलकर बुरी तरह से मूठ मार रही थी ..

गंगू ने एक ही झटके मे रज्जो को घांस के बिस्तर पर पटक दिया और उसकी दोनो टांगे पकड़कर उसकी चूत को चूसने लगा...

वो तो उसके लंड के लिए तड़प रही थी...पर जैसे ही अपनी चूत पर उसके गीले होंठ आकर लगे, रज्जो को ऐसा महसूस हुआ की उसकी सुलगती हुई चूत पर किसी ने पानी का छींटा मारकर उसे ठंडक पहुँचा दी है ..वो उसके सिर को अपनी मुनिया के अंदर घुसेड कर ज़ोर से चीत्कार उठी ...

''अहह .......गंगू............. खा जाअ मेरे भोस्डे ......... को ....अहह.......चूऊऊस ले इसको ..............''

और गंगू तो था ही इन मामलो मे उस्ताद .....उसने उसकी चूत की एक-2 परत को अपनी जीभ और दांतो से कुरैद-2 उसके अंदर छुपा हुआ शरबत पीना शुरू कर दिया..

पर अक्सर देखा गया है की औरत की उत्तेजना जब अपने चरम पर पहुँच जाती है तो वो ये नही देखती की वो कैसे और किसके साथ मज़े ले रही है...बस मज़े मिलने चाहिए..

वैसे ये बात आदमी पर भी लागू होती है ...और शायद औरत से ज़्यादा..

गंगू ने रज्जो की चूत की सारी मलाई खाने के बाद उसे पलट कर घोड़ी बनाया और खुद उसके पीछे जाकर अपने लंड को घुसेड़ने लगा..

चूत पूरी तरह से सूख चुकी थी ..इसलिए लंड को जाने के लिए जगह नही मिल पा रही थी ..

रज्जो : "गंगू....मेरे राज्जा ....मुझे लिटा दे और आगे से चोद ले ...ऐसे नही जाएगा आसानी से...या फिर मुझे उपर आने दे ...''

गंगू : "चुप कर साली ....अस्तबल मे आकर तेरी चुदाई घोड़ी की तरह से ना की तो मज़ा ही नही मिलेगा...''

इतना कहकर उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक मली और फिर से उसकी गांड को उचका कर उपर करते हुए उसकी चूत पर अपना लंड रख दिया...और एक जोरदार झटके के साथ उसके अंदर दाखिल हो गया..

रज्जो जैसी रांड़ भी चिल्ला उठी उसके इस प्रहार से...उसकी चूत की दीवारों की धज्जियाँ उड़ाता हुआ उसका रॉकेट अंदर तक जाकर धँस गया..और फिर उसने उसकी फैली हुई गांड को पकड़ा और ज़ोर-2 से धक्के मारकर उसकी चुदाई करने लगा..

उधर गंगू घोड़े ने भी काफ़ी दूरी तय कर ली थी अपनी घोड़ी रज्जो पर बैठकर... और वो बस अपनी मंज़िल पर पहुँचने ही वाला था...उसने भी घोड़े की तरह से हिनहिनाते हुए अपना सारा रस उसकी चूत के लॉकर मे जमा कर दिया और ओंधा होकर उसपर गिर पड़ा..

बेचारी रज्जो का तो बुरा हाल था...घोड़े जैसे गंगू से चुदाई करवाकर वो हमेशा 2-3 बार तो झड़ ही जाती थी ...आज भी चुदाई करवाते हुए वो 3 बार झड़ चुकी थी ..

नेहा तो कब की निकल चुकी थी ..गंगू और रज्जो भी अपने कपड़े पहन कर अस्तबल से निकल आए..

पूरी कॉलोनी मे किसी को भी पता नही चला की वहाँ क्या हुआ था..

पर नेहा के जीवन मे एक अजीब सी उथल पुथल मच चुकी थी ...उसे अब पता चल चुका था की लंड और चूत से मिलने वाले मज़े ही असली मज़े हैं....किस तरह से उस अंजान इंसान ने उसकी चूत को मलकर उसे उत्तेजित किया था...कैसे गंगू और रज्जो एक दूसरे के अंदर घुस कर मज़े ले रहे थे ...और किस तरह से उसने अपनी चूत मलकर मज़े लिए थे ...

कुल मिलाकर उसकी आँखे खुल चुकी थी अब...वो जान गयी थी की काम क्रिया से मिलने वाले मज़े ही असली मज़े हैं...और अब वो किसी भी हालत मे ऐसे मज़े लेने से पीछे नही हटेगी..

ये सोचते-2 कब उसकी आँख लग गयी उसे भी पता नही चला.

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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अब आगे
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अगले दिन सुबह के 9 बजे किसी ने गंगू के झोपडे का दरवाजा ज़ोर-2 से खड़काया... गंगू अपनी देर रात की चुदाई के बाद इतना थक चुका था की वो घोड़े बेचकर सो रहा था..नेहा भी देर से सोई थी , पर औरतों की नींद ज़्यादा कच्ची होती है, इसलिए वो अपनी आँखे मलते हुए उठ गयी और बाहर निकलकर दरवाजा खोला .

बाहर भूरे सिंह खड़ा था..

उसको तो कल रात से ही चैन नही मिल रहा था, जब से उसने नेहा की चूत को मसला था वो अपनी उंगलियों को सूँघकर और चाटकर उसकी चूत की खुश्बू को अपने जहन मे पूरी तरह से उतार चुका था...और उसने कसम खा ली थी की जब तक वो उसकी चूत के अंदर अपना रामपुरिया लंड नही पेल देगा, चैन से नही बैठेगा..

उसने अपने दोस्तो के साथ मिलकर एक योजना बनाई और उसी के अंतर्गत वो इतनी सुबह गंगू की झोपड़ी मे पहुँच गया था.

अपनी रानी को देखकर वो खुश हो उठा..नेहा ने जो टी शर्ट पहनी हुई थी, उसके अंदर ब्रा नही थी, सुबह का वक़्त था, जिस तरह से आदमी का लंड खड़ा होता है , उसके निप्पल खड़े हुए थे..जिन्हे देखकर भूरे की आँखों मे चमक बड़ गयी.

नेहा उसका नाम तो नही जानती थी पर दो दिन पहले जब वो नहाने गयी थी तो उसने जिस तरह के मज़े दिए थे वो उसे अच्छी तरह से याद थे ..वो मज़े याद आते ही उसके चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी, आँखों मे गुलाबीपन उतर आया और निप्पल थोड़ा और कड़क हो उठे.

अभी तो उस बेचारी को पता नही था की कल रात को उसकी चूत को मसलकर मज़े देने वाला अजनबी भी वही था, वरना उसकी उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर पहुँच जाती ..और निप्पल के साथ -2 उसकी चूत भी गीली हो जाती.

नेहा : "जी कहिए....क्या बात है ...''

भूरे : "नमस्ते भाभी ....मेरा नाम भूरे सिंह है ...वो ....गंगू से कुछ काम था ....''

नेहा : "वो तो अभी सो रहे हैं ....थोड़ी देर बाद मे आ जाना ...''

भूरे : "इतनी देर हो गयी, अभी तक सो रहा है ....आप ज़रा उठा दो ना, ज़रूरी काम है ...''

नेहा असमंजस की स्थिति मे आ गयी...और उसे वहीं खड़ा रहने को कहकर अंदर आ गयी..

उसने गंगू की तरफ देखा, जो खर्राटे मारकर सो रहा था ..उसके पास कोई चारा भी नही था, उसने गंगू को हिलाकर आवाज़ दी और उसे उठा दिया . और कहा की बाहर कोई मिलने आया है ..

गंगू आँखे मलता हुआ बाहर निकला ...और भूरे को वहाँ खड़ा देखकर वो चोंक गया...दोनो की कभी बनती नही थी...कई बार दोनो के बीच लड़ाई की नौबत आ चुकी थी...इसलिए दोनो मे बोलचाल बंद थी .

गंगू : "तू यहाँ क्या कर रहा है ...मुझसे क्या काम आ गया ...''

भूरे : "यार गंगू, तू मुझे हमेशा ग़लत समझता है.... मैं वही ग़लतफहमी दूर करने आया हू...''

गंगू : "एक दम से ऐसी महरबानी करने की क्या वजह है ..''

भूरे : "मेरे पास तेरे लिए एक काम है, और उसको तेरे सिवा कोई और पूरा नही कर सकता ...''

गंगू समझ गया की कोई ग़ैरक़ानूनी काम ही होगा, क्योंकि वो अंडरवर्ल्ड के लिए काम जो करता था ..

गंगू : "क्या काम है ..''

भूरे : "एक पैकेट लाना है ...सेंट्रल मार्केट से ...इसके लिए पूरे दस हज़ार मिलेंगे..''

गंगू : "क्या है उस पैकेट में ..और ये काम तू मुझसे क्यो करवा रहा है...तेरे पास भी तो आदमी है ..''

भूरे : " उस पकेट मे क्या है, ये तो मैं नही बता सकता,तभी इतने पैसे दे रहा हू तुझे...और मेरे सारे आदमियों पर पुलिस की नज़र है, इसलिए मैं कोई रिस्क नही लेना चाहता ..तुझपर कोई शक भी नही करेगा..भिखारियों की तो तलाशी भी नही लेती पुलिस ..ये ले सारे पैसे एडवांस मे ...''

इतना कहकर उसने सौ के नोट की गड्डी लहरा दी उसके सामने..

इतने पैसे एक साथ देखकर वो इनकार कर भी नही सका...उसने पैसे पकड़ लिए और ज़रूरी जानकारी लेकर वापिस अंदर आ गया..

भूरे काफ़ी खुश था अपनी इस चाल से...वो काम तो उसका कोई भी आदमी कर सकता था..और उसके लिए पैसे भी उतने ही खर्च होते..पर गंगू से वो काम करवाने का उसका मकसद उसके साथ दोबारा दोस्ती करना था ताकि उसके घर आने-जाने का रास्ता उसके लिए खुल सके..

और साथ ही साथ उसके जाने के बाद अकेली नेहा से मज़े लेना का भी प्लान था उसका ...

क्योंकि कहीं ना कहीं वो समझने लगा था की गंगू शायद नेहा जैसी गर्म बीबी को पूरी तरह से संतुष्ट करने मे कामयाब नही है...इसलिए तो उसके साथ हुई दो मुलाक़ातों मे नेहा ने जिस तरह बिना कोई विरोध के उसे अपने शरीर से खेलने दिया है, वो कोई रंडी टाइप की औरत ही कर सकती है..

पर वो ये बात नही जानता था की गंगू के लंड मे इतनी ताक़त है की वो पूरी कॉलोनी की लड़कियों को एक साथ चोद डाले...फिर भी उसके लंड का लोहा ना पिघले..

9 बज रहे थे और वहाँ से पेकेट लेने का समय 12 बजे का था.. जाने में काफी समय लगना था इसलिए गंगू बिना कुछ खाए-पिए और नहाए धोए उसी वक़्त निकल गया.

नेहा को उसने घर पर ही रहने के लिए बोला..और उसे कुछ पैसे देकर ये भी कहा की बाहर से खाने के लिए कुछ लेती आए..

गंगू के जाने के बाद नेहा ने सारे बिस्तर समेट कर सही किए..और फिर अपने कपड़े लेकर वो वहीं नदी पर नहाने के लिए निकल पड़ी..उसने पैसे भी ले लिए थे ताकि वापिस आते हुए कुछ खाने को भी लेती आए.

भूरे तो उसी इंतजार मे था की कब गंगू बाहर निकले और कब वो अपनी योजना के अनुसार फिर से वहाँ जाए..पर नेहा को हाथ मे कपड़े लेकर निकलता देखकर वो समझ गया की वो नहाने के लिए जा रही है ..

उसके दिमाग़ मे उसी वक़्त नयी योजना बन उठी और उसने अपने चेले चपाटो को फोन करके जल्द से जल्द नदी किनारे पहुँचने को कहा..

वो भी अपनी बाइक पर वहाँ पहुँच गया..9:30 बज रहे थे, ज़्यादातर लोग सुबह ही नहा लेते थे,इसलिए भीड़ वैसे भी कम थी .. उसने अपने चेलों के साथ मिलकर, रिवॉल्वर की धोंस दिखाते हुए वहाँ नहा रहे सभी लोगो को पाँच मिनट के अंदर ही अंदर वहाँ से भगा दिया...सभी उससे और उसके साथियों से डरते थे, इसलिए बिना किसी विरोध के सभी अपने-2 झोपड़ों मे भागते चले गये..

उसने अपने आदमियों को थोड़ा दूर खड़ा कर दिया, ताकि वहाँ किसी की भी एंट्री ना हो..और फिर भूरे अपने सारे कपड़े उतार कर जल्दी से पानी मे कूद गया.

तब तक नेहा वहाँ पहुँच गयी..वहाँ फैले सन्नाटे को देखकर वो भी हैरान हो गयी...क्योंकि उसने सोचा नही था की ऐसी वीरानी मिलेगी उसको नहाते हुए ..तभी उसे भूरे सिंह नहाता हुआ दिख गया पानी मे..उसे देखकर उसके दिल की धड़कन फिर से तेज हो उठी ..वो सोचने लगी की ऐसी परिस्थिति मे वो नहाने जाए या वापिस चली जाए..

वो पलटकर जाने ही लगी थी की भूरे ने पीछे से आवाज़ दी : "अरे भाभी जी....बिना नहाए कहाँ चल दी ..मुझसे डर लग रहा है क्या ...''

उसकी बात सुनकर नेहा भी तैश मे आ गयी, और बोली : "मुझे क्यो डर लगने लगा तुमसे ...''

और फिर अपने कपड़ों को किनारे पर रखकर वो पानी मे उतर गई...उसने टी शर्ट और पायजामा पहना हुआ था ... टी शर्ट के नीचे उसकी ब्रा तो नही थी..इसलिए गीली होने के साथ ही उसके हीरे चमकने लगे उसकी टी शर्ट के उपर..जिन्हे देखकर भूरे सिंग की आँखों मे चमक आ गयी..

वो नेहा के आस पास ही तैरने लगा ...नेहा भी उस दिन के बारे मे सोचकर गर्म होने लगी थी की क्या ये आज फिर से उसके साथ वही हरकत करेगा जो उस दिन की थी ...

वैसे भी कल रात को अस्तबल मे हुई घटना ने उसके दिल मे औरत और मर्द के बीच के संबंधों को जिस तरह पूरी तरह से खोलकर पेश किया था, उसे समझ आने लगा था की दोनो का आपस मे क्या और कैसे संबंध होता है..

पर वो बेचारी ये बात नही जानती थी की इस दुनिया मे हर किसी के साथ वो समंध कायम नही किए जाते...
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भूरे भी उसकी यादश्त खो जाने वाली बात से अंजान था, वरना वो अब तक उसकी चुदाई कर भी देता..वो तो सिर्फ़ गंगू के डर से अपने सारे कदम सोच समझ कर उठा रहा था..और वो ये चाहता था की नेहा की तरफ से ही कोई पहल हो, ताकि उसके उपर कोई ज़ोर ज़बरदस्ती का इल्ज़ाम ना लगा सके.

और वो इतने मस्त माल को ज़ोर ज़बरदस्ती से नही , बल्कि धीरे-2 मज़े लेकर उसका सेवन करना चाहता था...इसलिए उसने गंगू को पैसे देकर दिन भर के लिए दूर भेज दिया, ताकि पीछे से उसकी बीबी के साथ मज़े ले सके..

भूरे ने कोई भी कपड़ा नही पहना हुआ था,वो पूरा नंगा होकर नहा रहा था..उसने मन मे सोचा की शायद उसका लंड देखकर नेहा के दिल मे उसके लिए कुछ और भावनाए पैदा हो जाए..इसलिए वो थोड़ा किनारे की तरफ आ गया, जहाँ पानी उसकी कमर से नीचे था..

अब उसका लंड साफ़ दिख रहा था ...पूरा खड़ा हुआ था वो उस वक़्त...वो साबुन लेकर अपने लंड पर मलने लगा..

पर नेहा की नज़र अभी तक वहाँ नही पड़ी थी ...वो अपनी ही मस्ती मे दूसरी तरफ देखती हुई नहा रही थी ..

भूरे ने थोड़ा आगे बढ़ने की सोची और बोला : "भाभी ...ज़रा यहाँ आकर मेरी पीठ पर साबुन लगा दोगी ...''

नेहा ने पलटकर उसकी तरफ देखा..और उसे ऐसी हालत मे बैठे देखकर उसकी आँखे फटी रह गयी..पर उसने कोई प्रतिक्रिया ना दिखाते हुए उस तरफ आना शुरू कर दिया..भूरे एक छोटी सी चट्टान पर बैठ गया..और पीछे मुड़कर उसने नेहा को साबुन दे दिया.

नेहा ने साबुन लिया और उसकी पीठ पर लगाने लगी.

भूरे की खुशी की कोई सीमा ही नही रही..वो समझ गया की ये चालू टाइप की शादीशुदा औरत है..जो दूसरे मर्दों के साथ मज़े लेती हैं..

नेहा बेचारी तो वो सब इसलिए कर रही थी की उसे इन बातों की कोई जानकारी नही थी...उसे तो पता भी नही था की ऐसे गैर मर्द की पीठ पर साबुन लगाना कितना बुरा समझा जाता है उस समाज मे..ख़ासकर जब सामने वाला मर्द नंगा हो.

वो तो अपने अबोधपन मे उसकी पीठ पर साबुन लगा रही थी..पर ऐसा करते हुए उसके अंदर की औरत बुरी तरह से उत्तेजित होती जा रही थी ..उसपर कैसे कंट्रोल किया जाए, ये नेहा को नही पता था.

भूरे तो पूरा नंगा बैठा था..उसने अपनी बेशर्मी का परिचय देते हुए बिना किसी चेतावनी के अपना चेहरा नेहा की तरफ कर दिया..और अब उसका गठीला शरीर उसके सामने था और साथ मे था उसका तगड़ा लंड भी ..

भूरे की नज़रें उसकी गीली टी शर्ट पर चमक रहे हीरे जैसे निप्पल्स पर थी..उसका मन तो कर रहा था की अपने हाथों मे लेकर उसके उरोजों को मसल डाले..उनपर लगे हुए निप्पल्स को अपने दाँतों के बीच लेकर चूस ले..पर अपने उपर कंट्रोल करते हुए उसने काँपते हुए हाथों से नेहा के हाथ मे साबुन दिया..

नेहा की नज़रें उसके खड़े हुए कुतुब मीनार से चिपकी हुई थी..उसके कठोर लंड को देखकर उसके दिल मे अजीब सी बेचैनी हो रही थी..

अपने लंड को ऐसे घूरते देखकर भूरे ने नेहा से कहा : "क्या देख रही हो भाभी जी ..''

नेहा : "देख रही हू, तुम कुछ ज़्यादा ही बेशर्म होकर नहा रहे हो मेरे सामने...उस दिन तो ऐसे नही नहा रहे थे..''

भूरे : "भाभी जी, नहाने का मज़ा तो कपड़े उतारकर ही आता है...और उस दिन काफ़ी भीड़ थी ना इसलिए ऐसे नही नहा सके, पर आज देखिए, हमने ये नहाने की जगह आपके लिए पूरी तरह से खाली करवा दी है ..''

उसने मुँह से अचानक अपनी बड़ाई करते हुए सच निकल गया.

नेहा : "अच्छा ...तो यहाँ नहा रहे लोगो को आपने भगा दिया है...तभी मैने सोचा की इतना सन्नाटा तो नही होना चाहिए यहाँ ...''

भूरे (हंसते हुए) : "अरे भाभी ....आपके लिए तो हम पूरा शहर खाली करवा दे ...ये नदी क्या चीज़ है ..''

उसने दिल फेंक अंदाज मे नेहा से कहा, जिसे सुनकर वो भी हँसने लगी...और हंसते हुए अचानक उसके हाथ साबुन लगाते-2 उसके लंड पर पहुँच गये ..

भूरे ने तो सोचा भी नही था की वो ऐसे खुलकर उसके लंड को पकड़ लेगी..

पर नेहा अपनी ही धुन मे, उसके लंड को किसी खिलोने की तरहा हाथ मे लेकर मसल रही थी ..उसकी लंबाई को नाप रही थी ...उसपर साबुन लगाकर उसे सॉफ कर रही थी ..उसके भरे हुए टिन्डे जैसी बॉल्स का वजन तोल रही थी .

भूरे ने अपनी आँखे बंद कर ली ...और अपनी लंड रगड़ाई का मज़ा लेना लगा..

नेहा ने पहली बार किसी का लंड पकड़ा था..और भूरे के चेहरे पर आ रहे भाव को देखकर उसे पता चल गया की उसे भी मज़ा आ रहा है .. वो अंजान सी बनकर उसके लंड को मसलती रही ..

अचानक भूरे ने अपने हाथ उठाकर उसके मुम्मों पर रख दिए ...एक पल के लिए तो नेहा भी घबरा गयी ..पर वो कुछ ना बोली, उसे तो ऐसे संबंधों के बारे मे कोई जानकारी तक नही थी..अगर थी भी तो वो भूल चुकी थी ..उसने तो कल अस्तबल मे गंगू को रज्जो के बदन को मसल - मसलकर मज़े लेते हुए देखा था, और जिस तरह से गंगू उसके मुम्मे चूस रहा था, और रज्जो मज़े मे दोहरी होकर चिल्ला रही थी, वो बात उसकी आँखों के सामने एकदम से उतर आई ...

और उसने उसी बात को याद करते-2 भूरे के सिर को पकड़ा और अपने मुम्मे की तरफ खींचने लगी..

भूरे सिंग को तो विश्वास ही नही हुआ की नेहा उसे अपनी छाती चूसने के लिए कह रही है ...वो तो पहले से ही उसके हाथों लंड की मालिश करवाकर सांतवे आसमान पर था, और अब नेहा उसके चेहरे को पकड़कर अपनी छातियों की तरफ खींच रही थी ..उसने भी बिना किसी विरोध के अपना मुँह आगे किया और अपनी लपलपाटी हुई सी जीभ उसके मुम्मे पर रख दी ..और टी शर्ट के उपर से ही उसके निप्पल को मुँह मे लेकर चूसने लगा..

नेहा का एक हाथ उसके लंड पर चल रहा था ..और उसका दूसरा हाथ भूरे के सिर को अपनी छातियों पर दबाकर उसे किसी शिशु की तरह अपना स्तनपान करा रहा था..

भुएर ने धीरे-2 उसकी टी शर्ट को उपर खिसकाना शुरू कर दिया...वो थोड़ा सा कसमसाई , पर उसके अंदर की आग ने उसे किसी भी तरह का विरोध करने से रोक दिया...और भूरे ने अपने हाथ की सफाई दिखाते हुए उसके सफेद कलश अपनी आँखों के सामने नंगे कर दिए..

उपर से पड़ रही सूरज की रोशनी मे नहाकर उसके मोटे और सफेद मुम्मे सोने की तरह चमक रहे थे...और उनपर लगे हुए निप्पल्स किसी हीरे की तरह...और निप्पल्स के चारों तरफ महीन-2 से दाने पूरी तरह से निकलकर बाहर आ चुके थे...

भूरे को अपनी किस्मत पर विश्वास ही नही हो रहा था की नेहा इतनी आसानी से उसके चुंगल मे फँस जाएगी...और अपने शरीर से खेलने देगी..

उसने बिना कोई देरी करते हुए अपने मुँह आगे किया और उसके निप्पल को मुँह मे लेकर ज़ोर से काट लिया ..

''अहह ........ उफफफफफफफ्फ़ .... दर्द होता है ........ ''

नेहा ने शिकायत की ....पर उसे रोका नही...बल्कि उसके सिर को पकड़कर दूसरी तश्तरी मे रखे , बाँये मुम्मे की तरफ कर दिया और उसके उपर लाकर उसके मुँह को फिट किया और ज़ोर से दबा लिया अपनी छातियों पर ...

और एक बार फिर से उसकी चीख गूँज उठी ..

''अहह ...... उम्म्म्मममममममम ...... हाआअन्न्न्न्न्न ....... ऐसे ....... ही. ........... शाबाश ................... .....''

अब नेहा भी रंगने लगी थी उसके रंग मे ...

भूरे ने उसकी टी शर्ट को घुमा कर उसके सिर से निकाल फेंका और अब वो टॉपलेस होकर अपने गोरे-2 मुममे खुले मे उससे चुसवा रही थी ..

भूरे : "अहह ..... भाभी .................. ...कितने मस्त है आपके मुम्मे ...... ऐसा लगता है की गंगू ने आज तक इन्हे हाथ भी नही लगाया ....''

नेहा : "हाँ , सही कहते हो ....उसने आज तक हाथ नही लगाया ...''

भूरे एक पल के लिए रुक सा गया, उसे तो विश्वास ही नही हुआ की नेहा जैसी बीबी को गंगू ने आज तक हाथ भी नही लगाया .... पर उसे क्या पता था की असल मे किस्सा क्या है ...

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: हवस मारा भिखारी बिचारा

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***********
अब आगे
*********** भूरे ने समझा की सच मे गंगू के बस का कुछ नही है ...लगता है एक टाँग के साथ-2 उसका लंड भी खराब है ...इसलिए अपनी गर्म बीबी की आग को वो ठंडा नही कर पाता है ..

उसने सोचा, मुझे क्या करना इनके घरेलू मुद्दों से, उसके तो मज़े हैं,ऐसी औरतें ही, जिनके मर्द किसी काम के नही होते हैं, बाहर निकलकर मुँह मारती हैं और उसके जैसे हरामियों के हाथों अपनी चूत की आग को ठंडा करती है ..

उसने उसके मुम्मे चूसने जारी रखे ..और उसके हाथ फिसलकर उसके कुल्हों पर आ गये ...और उन्हे उसने अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..और ऐसा करते ही नेहा की धधक रही चूत उसके खड़े हुए लंड से आ टकराई ....

उसने एक पल मे ही उसके पायजामे को भी नीचे खिसका दिया और उसकी चूत को देखते ही उसके अंदर का जानवर जाग उठा ...

और उसने अपने लंड को उसकी चिकनी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया ....अपनी चूत पर मिल रही गर्म डंडे की रगड़ाई से नेहा की रही सही शरम भी जाती रही...अब उसको किसी भी हालत मे उसका लंड अपनी चूत के अंदर चाहिए था ..

उसकी आँखें के सामने फिर से कल रात का वाक़या आने लगा, जिसमे गंगू ने रज्जो की घोड़ी बनाकर चुदाई की थी..और रज्जो ने चीख चीखकर पूरे अस्तबल को सिर पर उठा लिया था ...वो समझ गयी थी की वही असली मज़ा देने वाली क्रिया है ...उसके खड़े हुए लंड को अपनी चूत मे डालना होगा...

भूरे ने पलक झपकते ही उसके पायजामे को उतार फेंका और उसे नंगा कर दिया ... ठंडे पानी के अंदर दोनो नंगे थे अब ...भूरे ने उसका हाथ पकड़ा और उसे चट्टानों की तरफ ले जाने लगा ..उसी जगह जहाँ पर गंगू ने रज्जो की चुदाई की थी, वहाँ एक सपाट सा पत्थर था, जिसपर लेटकर वो उसकी चुदाई करने वाला था..

भूरे ने नेहा को उसी पत्थर पर लेजाकर लिटा दिया....और उसकी टांगे खोलकर उसकी चूत को निहारा ...वो किसी कच्ची कली की तरह थी, ऐसा लगता था की उसके अंदर आज तक कुछ गया ही नही है ...भूरे समझ गया की गंगू ने उसकी चूत का उदघाटन अभी तक नही किया है....इसलिए तो नेहा इतनी आसानी से उसकी हर बात को मानकर चुदाई के इस मुकाम तक पहुँच चुकी है ..

उसने अपने लंड पर ढेर सारी थूक लगाकर उसे चिकना किया और झुककर जैसे ही उसके अंदर अपना लंड डालने लगा..उसके एक चेले की घबराई हुई सी आवाज़ आई..

''भाई ...... भाई ...कहाँ हो आप ....जल्दी आओ ...''

भूरे की तो झांटे सुलग उठी...उसने मना भी किया था की उस तरफ कोई भी नही आएगा...फिर एन मौके पर ये कल्लन उसको क्यो आवाज़ें दे रहा है ..

वो झल्लाता हुआ सा चट्टान की औट से बाहर निकला , और बोला : "मादरचोद ....तुझे मना किया था ना की यहाँ कोई नही आएगा, तो फिर क्यो आ गया अपनी मा चुदवाने ...''

कल्लन : "भाई ....सॉरी ...भाई ...वो ...दरअसल ....नेहाल भाई का फोन आया है ...''

नेहाल का नाम सुनते ही उसका दिमाग़ सुन्न सा हो गया ...नेहाल भाई उसके बॉस का भी बॉस था ...यानी पूरे शहर का दादा ....उसका ही काम था जिसके लिए उसने गंगू को आज पेकेट लाने के लिए भेजा था ..

वो नंगा ही उछलता हुआ सा बाहर निकल आया और कल्लन के हाथ से फोन लेकर घबराई हुई सी आवाज़ मे बोला : "सलाम नेहाल भाई ...कहिए, कैसे याद किया मुझे ...''

दूसरी तरफ से नेहाल की गुस्से से भरी आवाज़ आई : "साले ...किसे भेजा है तूने आज अपना माल उठवाने के लिए ...''

भूरे की तो सिट्टी पिटी गुम हो गयी, वो हकलाते हुए बोला : "एक नया बंदा है भाई ...क्यों क्या हुआ ...''

नेहाल : "अभी के अभी उसको वापिस बुला ले...पुलिस को किसी ने इनफॉर्म कर दिया है ..जहाँ से माल लेना है,उस जगह पर पूरी फील्डिंग है पुलिस की ...अगर पकड़ा गया तो पूरे एक करोड़ के पाउडर का नुकसान होगा ''

उसकी बात सुनकर भूरे भी घबरा गया...पर वो आगे क्या बोलता, गंगू के पास तो कोई फोन भी नही था ..

उसे चुप देखकर नेहाल फिर से दहाड़ा : "अब बोल ना साले , तेरी ज़ुबान पर ताला क्यो लग गया है ...''

भूरे : "भाई ...वो दरअसल ....उसके पास कोई फोन नही है ..''

ये सुनते ही नेहाल ने उसको एक से बढ़कर एक गंदी गालियों से नहला दिया और उसे उसी वक़्त गंगू के पीछे जाने को कहा, ताकि उसे दूर ही रोककर इस मुसीबत से बचा जा सके ..

उसकी बात सुनते ही उसने कल्लन को गाड़ी निकालने के लिए कहा ...और अपने कपड़े पहन कर वो अपने साथियों के साथ चल दिया.

और दूसरी तरफ बेचारी नेहा चट्टान की औट मे नंगी लेती हुई उसके वापिस आने की प्रतीक्षा कर रही थी ...और उसे एकदम से अपने कपड़े पहन कर जाता हुआ देखकर उसे भी कुछ समझ मे नही आया...उनके जाने के बाद उसने भी बेमन से अपने कपड़े पहने और वापिस अपने घर की तरफ चल दी ..

दूसरी तरफ गंगू को भी पता नही था की आज उसके साथ क्या होने वाला है ..

वो तो अपनी ही धुन मे, अपनी जेब मे पड़े पैसों की गर्मी को महसूस करता हुआ, गुनगुनाता हुआ , अपनी मंज़िल की तरफ तेज़ी से बड़ा जा रहा था.

दूसरी तरफ, जहाँ से गंगू को वो पेकेट लेना था, उस जगह को चारों तरफ से पुलिस ने घैर रखा था...सारे पुलिस वाले सादी वर्दी मे थे ... उनके इनफॉर्मर ने बताया था की उसी बिल्डिंग से पेकेट लेने के लिए कोई आएगा...

ये एक 15 मंज़िला बिल्डिंग थी ... जिसमे शहर के काफ़ी रईस लोग रहते थे ... अंदर जाने की किसी भी पुलिस वाले मे हिम्मत नही थी, इसलिए उन्होने बिल्डिंग के गेट के बाहर ही अपनी चोकसी लगा रखी थी ..

पुलिस वाले अब किसी ऐसे संधीगध व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो ऐसी तस्करी का काम कर सकता हो...यानी गुंडे टाइप का ..

गंगू आज ऑटो मे वहाँ गया था और थोड़ी दूर पर ही उतर गया ताकि कोई उसे देखकर ये ना कहे की भिखारी क्यो ऑटो मे आ रहा है ..और किसी को शक ना हो जाए उसपर ..

गंगू तो भिखारी था... वो अपनी एक टाँग से लंगड़ाता हुआ सा बिल्डिंग के अन्दर दाखिल हो गया...और किसी भी पुलिस वाले को उसपर शक भी नही हुआ..वो तो सपने मे भी सोच नही सकते थे की एक भिखारी इतना कीमती पेकेट लेने के लिए आएगा..

गंगू सीधा लिफ्ट के पास पहुँचा...और जैसे ही अंदर जाने लगा, उसको वहाँ बैठे चोकीदार ने रोका : "ओये .... तू कहाँ घुसा चला जा रहा है ...चल निकल यहाँ से ...तुझे अंदर किसने आने दिया ..साले भिखारी ...''

गंगू ने अपनी जेब से एक विज़िटिंग कार्ड निकाला और उसके सामने लहरा दिया...चोकीदार भी उस कार्ड को देखकर एकदम से सहम गया...उसने बिना कुछ बोले गंगू को लिफ्ट से उपर जाने दिया..

दरअसल वो विज़िटिंग कार्ड भूरे सिंह ने ही दिया था ,वो कार्ड उसी बिल्डिंग मे रहने वाले इकबाल का था, जिसका अफ़ग़ानिस्तान मे काफ़ी बड़ा बिज़्नेस था..और उसी बिज़्नेस की आड़ मे वो नेहाल के लिए ड्रग्स की तस्करी करता था...

भूरे ने वो कार्ड देते हुए कहा था की बिल्डिंग मे कोई भी रोके तो ये कार्ड दिखा देना, और इक़बाल के घर पहुँच कर भी ये कार्ड दिखना, तुम्हे पेकेट मिल जाएगा...

लिफ्ट मे बैठे अटेंडर को गंगू ने वो कार्ड दिखाया और अटेंडर ने उसे टॉप फ्लोर मे बने पेंट हाउस के बाहर उतार दिया..

उस फ्लोर पर सिर्फ़ वही एक फ्लॅट था...पुर 7 कमरो वाला आलीशान फ्लॅट...साथ मे स्वीमिंग पूल भी था.

गंगू ने फ्लॅट की बेल बजाई तो एक नौकरानी जैसी दिखने वाली लड़की निकल कर आई..गंगू ने उसको वही कार्ड दिखा दिया, वो उसको अंदर लेकर आ गयी और उसे वही खड़े रहने के लिए कहा..

थोड़ी ही देर मे वहाँ एक खूबसूरत सी औरत आई...उसकी उम्र करीब 30 के आस पास थी ..उसने एक ग्रीन कलर का ब्लाउस और स्कर्ट पहनी हुई थी ..और उस ब्लाउस मे से उसके शानदार और मोटे-2 मुम्मे बाहर निकलने को तैयार थे ..उसके कपड़े देखकर लगता था की वो किसी पार्टी मे जा रही है ..

गंगू तो उसकी सुंदरता देखता ही रह गया...बेशक देखने मे वो थोड़ी साँवली थी..पर उसके नैन नक्श काफ़ी तेज थे....उसकी कमर के पास और पेट पर बड़े-2 टैटू बने हुए थे ..वो किसी फिल्मी हेरोयिन जैसी लग रही थी ..और उसका चेहरा भी देखा हुआ सा लग रहा था गंगू को..
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उस औरत ने गंगू को उपर से नीचे तक देखा और मुस्कुरा दी... फिर वो चलकर उसके पास आई और उसके हाथ से वो विज़िटिंग कार्ड ले लिया.

"मेरा नाम मुम्मैथ ख़ान है ...लोग प्यार से मुझे मुन्नू कहते हैं ..तुम्हारा नाम क्या है ..'' वो लड़की ने अपनी सुरीली आवाज़ मे कहा..

गंगू : "जी ...मेरा नाम गंगू है ...''

मुन्नू : "अच्छा मेकअप किया है तुमने ...पुलिस वालो को चकमा देने के लिए....''

गंगू समझ गया की वो उसको कोई पेशेवर तस्कर समझ रही है जो भेष बदल कर डिलीवरी लेने के लिए आया है ... उसने भी मुस्कुरा कर उसकी हाँ मे हाँ मिला दी..

भला उसको क्या ज़रूरत थी उस जैसी हसीन लड़की को ये बताने की , की वो एक पेशेवर तस्कर नही बल्कि पेशेवर भिखारी है ..

गंगू ने अपनी बड़ाई करने के लिए कहा : "वो तो मुझे बचपन से ही एक्टिंग का और तरह-2 के किरदार निभाने का शोंक है, इसलिए मैने सोचा की आज भिखारी बनकर चला जाए..''

मुन्नू : "अच्छा ....मतलब तुम्हे भी एक्टिंग का शोंक है ...वाव ...हमारी तो खूब पटेगी फिर ...''

गंगू उसकी बात सुनकर थोड़ा असमंजस मे पड़ गया ..

मुन्नू : "लगता है तुमने मुझे पहचाना नही ....इधर आओ मेरे साथ ...''

और वो गंगू का हाथ पकड़कर अपने साथ अंदर ले गयी ...जहाँ एक बड़े से कमरे की हर दीवार पर उसकी पिक्चर्स लगी थी...कई फिल्मों के पोस्टर भी थे ..ज़्यादातर तमिल और तेलगु भाषा की मूवीस थी ...कुछ हिन्दी मूवीस भी थी ..और उन फ़िल्मो के पोस्टर मे उसे देखकर उसे याद आ गया की ये तो फ़िल्मो मे काम करती है...उसने एक - दो पीकचर्स देखी भी थी उसकी ...ज़्यादातर पिक्चर्स मे उसने आइटम सॉंग ही किये थे...उसने जब एक मूवी मुन्ना भाई का पोस्टर देखा तो उसे भी याद आ गया की ये वही लड़की है जिसने हॉस्पिटल मे रात के समय गाना गया था..

उसे एकदम से याद आ गया की उसके सेक्सी गाने ''देख ले ..'' को देखकर आगे की लाइन मे बैठकर उसने कितनी सीटियाँ मारी थी ...वो सोच रहा था की काश उस लड़के जिम्मी शेरगिल की जगह अगर वो होता तो कितना मज़ा आता...

और रात मे उसके भरे हुए शरीर के बारे मे सोचकर उसने कितनी बुरी तरह से चोदा था एक घस्ती को...

गंगू को ऐसे खोए हुए देखकर मुम्मैथ बोली : "कहाँ खो गये गंगू ... हेलो ....''

गंगू जैसे नींद से जगा : "वो दरअसल ...मैने पहले आपको पहचाना नही था ... मैने आपकी काई पिक्चर्स देखी है ...आप तो बड़ी सेक्सी .... लगती है उनमे ...''

मुन्नू : "उनमे क्या मतलब ...सामने देखने मे नही लग रही ...''

गंगू उसकी बात सुनकर एकदम से सकपका गया : "जी नही ..मेरा मतलब ...आप अभी भी ... सेक्सी लग रे हो ...''

वो गँवार सा बेचारा, ये भी नही जानता था की वो उससे मज़े ले रही है ..

वो हंसने लगी उसकी घबराहट देखकर , गंगू थोड़ा सहज हुआ

गंगू : "पर आप...यहाँ कैसे ...''

मुन्नू : "मैं यहीं रहती हू ...इक़बाल के साथ ...उन्होने ही ये पेंट हाउस मुझे लेकर दिया है ..वो अक्सर बाहर ही रहते हैं ...जब भी इंडिया आते हैं तो मेरे साथ ही रहते हैं ....''

गंगू समझ गया की अपने पैसों के ज़ोर पर उसने उस एक्टर को अपनी रखैल बना कर रखा हुआ है ..

मुन्नू : "तुम्हारा पेकेट तो मैं दे ही दूँगी तुम्हे ....अगर तुम्हे जल्दी नही है तो थोड़ी देर यही रुक जाओ ...काफ़ी दिनों के बाद कोई अपनी बिरादरी का बंदा मिला है ...''

गंगू (हैरान होते हुए) : "अपनी बिरादरी का ...मतलब ?"

मुन्नू : "मतलब, एक्टिंग लाइन का ...अभी तो तुमने बताया ...''

गंगू : "ओहो ...हाँ ...पर अब कहाँ एक्टिंग ....अब तो बस अपने काम मे ही लगे रहना पड़ता है ...''

मुननू : "मैं समझ सकती हू ....चलो ना ..अंदर आओ ...''

वो उसके हाथ को पकड़कर अंदर ले आई...बड़ा ही अपनापन दिखा रही थी वो ...जैसे कोई बचपन का साथी मिल गया हो ..

वैसे वो भी अपनी जगह सही थी ... उसने अपने फिल्मी करियर मे ना जाने कितने हीरोस के साथ मज़े लिए थे ..और ना जाने कितने डाइरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स को खुश किया था ...वो चमक धमक की दुनिया अलग ही थी ..और जब से वो इक़बाल की रखैल बनकर यहा रहने लगी थी..वो सब उसे बहुत याद आता था ...इक़बाल के बारे मे हर कोई जानता था...इसलिए उसकी रखैल के उपर हाथ रखने की हिम्मत किसी की भी नही थी...इसलिए वो बेचारी अपनी सुलग रही जवानी के साथ इतने बड़े घर मे अकेली रहकर अपनी बोर सी लाइफ जी रही थी ..

गंगू था तो भिखारी पर एक नंबर का हरामी भी था ...औरतों को देखते ही उसकी लार टपकने लगती थी ..पिछले कुछ दिनों से जिस तरह से नेहा ने उसे अपनी जवानी दिखाकर तड़पाया था, उसकी हवस और भी भड़क चुकी थी ..सिर्फ़ रज्जो की चुदाई करके उसका पेट भरता नही था...और अब ऐसी गर्म माल और वो भी फ़िल्मो मे काम करने वाली का इतना अपनापन देखकर उसके अंदर का हरामी इंसान फिर से जाग उठा ...

वैसे और कोई अपराधी होता तो ऐसा कुछ सोचता भी नही...एक तो वहाँ रुककर पुलिस से पकड़े जाने का ख़तरा..और उपर से इक़बाल की रखैल के साथ ऐसा कुछ करने की कोई सोच भी नही सकता था...सभी को पता था की उसपर उठने वाली हर नज़र को इक़बाल फोड़ देता है ..

पर गंगू तो नया था और उसे इक़बाल के बारे मे कुछ पता भी नही था, इसलिए वो बिना किसी सोच विचार के, सिर्फ़ अपने लंड की बात सुनकर, मज़े लेने के मूड मे आ चुका था.

मुम्मैथ को भी ये पहला इंसान मिला था जो बिना किसी डर के उसके साथ बाते भी कर रहा था और थोड़ी देर रुकने के लिए भी तैयार हो गया था..वरना इक़बाल के दिए पेकेट लेने के लिए जो भी आता था, डरा हुआ सा, सहमा हुआ सा, और खड़े -2 निकल जाता था ..कोई बात भी नही करता था वो ..

मुम्मैथ भी जानती थी की इक़बाल का असली काम क्या है, पर जब तक उसको ऐशो आराम और बेशुमार पैसे मिल रहे हैं, उसे भला क्या प्राब्लम हो सकती थी..इसलिए वो भी उस धंधे मे उसका साथ देने लगी थी..

गंगू को देखकर उसके अंदर भी खुजली सी होने लगी थी ...उसका हुलिया तो बड़ा ही गंदा सा था, पर उसके गठीले शरीर को वो भाँप चुकी थी ...और उसकी पेंट मे क़ैद लंड की लंबाई का भी अंदाज़ा हो चुका था उसको.. पिछले 15 दिन से नही चुदी थी वो ..और अब एक भिखारी जैसे दिखने वाले आदमी को देखकर उसके अंदर कुछ-2 होने लगा था..उसने मन ही मन सोच लिया की कुछ भी हो जाए, आज वो उसका लंड लेकर ही रहेगी..

उसको अंदर बिठा कर वो बाहर आई और अपनी नौकरानी को घर जाने के लिए कह दिया..ताकि वो खुलकर गंगू के साथ मज़े ले सके.

मुम्मैथ ने अपने आप को आईने मे देखा...वो बड़ी ही सेक्सी लग रही थी..उसका शोंक था घर पर भी सज संवर कर बैठना, तभी तो उसने पार्टी मे जाने वाले कपड़े पहन रखे थे...और वो भी इतने सेक्सी की उसके अंदर से उसके मुम्मे आधे से ज़्यादा बाहर दिखाई दे रहा थे ..उसने अपने मुम्मों को थोड़ा और बाहर की तरफ निकाला, इतना की उसका हल्का सा ब्राऊन भाग दिखाई देने लगा.

वो अपने आप को देखकर सोच रही थी की उसने आज तक एक से बढ़कर एक सुंदर हीरो का लंड लिया है...और अमीर से अमीर इंसान से अपनी चूत मरवाई है ...ये पहला मौका है जो वो इतने निचले तबके के आदमी के साथ मज़े लेने की सोच रही है ...जो दिखने मे भिखारी जैसा लग रहा है ...फटे हुए से कपड़े..बड़ी हुई दादी ..पैर से लंगड़ा ..शरीर से दुर्गंध भी आ रही थी उसके ..

पर ऐसा करना हमेशा से उसकी फेंटसी रहा था... उसने कई बार सोचा था की इस तरह के आदमी के साथ भी सेक्स का मज़ा लेना चाहिए ...क्योंकि उसने सुना हुआ था की ऐसे मर्दों के पास चुदाई के लिए तगड़े लंड होते हैं...और उस जैसी रंडी के लिए ऐसे लंड से चुदाई करवाना तो बहुत बड़ी बात थी ..

वो फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक लेकर अंदर आ गयी..उसे देखकर गंगू अपनी जगह से उठ गया और उसके खुले गले की तरफ देखकर चोंक सा गया...उसे अच्छी तरह से याद था की पहले उसका गला इतना नीचे तक नही था...क्योंकि वो जब से आया था उसकी नज़रें उसके क्लिवेज से हट ही नही रही थी ..और अब तो उसके क्लिवेज के साथ-2 उसके निप्पल का एरोहोल भी दिख रहा था उसे ...वो समझ गया की वो भी अपनी चुदाई करवाने के लिए तैयार है ..

उसे अपनी तरफ यूँ मुस्कुराता हुआ देखकर मुम्मैथ बोली : "क्या देख रहे हो गंगू ..''

गंगू ने कोल्ड ड्रिंक का सिप भरा और बोला : "कुछ नही ...बस आपकी मूवी का एक सीन याद आ गया ...''

"कौनसा ..." वो बोली

गंगू : "मेरी फ़ेवरेट मूवी थी एक ...मुन्ना भाई ..उसमे जो गाना था ...वैसी ही सेक्सी लग रही हो तुम इस वक़्त ..''

गंगू कहना तो ये चाहता था की उसके मुम्मे उसी तरह से लटक कर बाहर दिख रहे हैं, जैसा उस गाने मे वो दिखा रही थी, पर वो ऐसा खुलकर बोल नही पाया ..

उसकी बात सुनकर वो खिलखिलाकर हंस पड़ी...और बोली : "ऐसे इधर उधर घुमा कर क्यो बोल रहे हो...सीधा-2 बोलो ...क्या कहना चाहते हो ..''

"क्या तुम वही गाने पर मेरे लिए डाँस कर सकती हो ...'' गंगू ने एक ही साँस मे बोल दिया..

और वो जानता था की वो मना भी नही करेगी..

मुन्नू : "कर तो दूँगी..पर इस बात का किसी को पता नही चलना चाहिए...वरना तुम्हारा तो जो होना है वो होगा , मेरी भी छुट्टी हो जाएगी यहाँ से ...समझे ''

उसने हंसते हुए हाँ मे सिर हिला दिया..

इसी बीच, नीचे भूरे अपने साथियों के साथ नीचे पहुँच गया, उसने अपनी कार थोड़ी दूर ही खड़ी कर ली..उसने देख लिया की सादे कपड़ों मे पुलिस वाले खड़े हैं वहाँ ...वो वहीं खड़ा होकर गंगू का इंतजार करने लगा..

वो सोच रहा था की गंगू पैदल ही चलकर आ रहा होगा वहाँ...जैसा वो अक्सर करता है..पर उसने ये नही सोचा था की वो तो कब का आ चुका है ऑटो पर ..

और उपर फ्लॅट मे पहुँच कर मुम्मैथ के साथ किस तरह के मज़े ले रहा है ये तो वो सोच भी नही सकता था ..

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