मैं और मेरा परिवार

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xyz
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Re: मैं और मेरा परिवार

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फ्लॅशबॅक 812के

जयसिंघ को शहर जाने की इजाज़त मिल गयी

पिताजी ने शहर3 ले जाने का फ़ैसला किया

कल पिताजी जयसिंघ को शहर ले जाने वाले थे

नेहा नीता पूजा को जयसिंघ के जाने से दुख हो रहा था

वो ये दर्द कम करने के लिए अपना ध्यान दूसरी तरफ लगा रही थी

वो कमरे के बारे मे इस लिए बात कर रहे थे कि भैया के जाने के बारे मे सोच कर वो रोना ना शुरू कर दे

अगेर वो रोई तो पिताजी को दर्द होगा , माँ को दर्द होगा

पूजा ने ही नेहा और नीता को समझाया कि उनको क्या करना चाहिए

पूजा की बात नेहा और नीता को समझ मे आ गयी

नेहा और नीता ने अपने दर्द को अपने अंदर छुपा दिया

पिताजी की झूठी स्माइल को जयसिंघ समझ नही पाया

माँ खाना तो बना रही थी , पर उनका रोना बंद ही नही हो रहा था

रशोई घर मे छुप छुप के रो रही थी

अजीब से हालत बन गये थे

माँ रशोई घर मे सब से छुप कर रो रही थी , पिताजी का दिल रो रहा था , पूजा अपनी बहनों को रोने से रोक रही थी , छोटू खुश था उसे पूजा के साथ रहने मिलेगा ,

अकेला जयसिंघ ऐसा था कि उसका दिल भी खुश था और उसके चेहरे की स्माइल भी असली थी

पर जयसिंघ के दिमाग़ मे क्या चल रहा था ये कोई बता नही सकता था

जयसिंघ ने भी कुछ सोच ही होगा

वो अपने भाई बहनों को ऐसे छोड़ कर कभी नही जा सकता

उसके खून मे ये नही था

जयसिंघ ने भी अपने पिताजी से बहुत कुछ सीखा था

जयसिंघ क्यू शहर3 जा रहा था उसकी असली वजह तो सिर्फ़ जयसिंघ को पता थी

जयसिंघ क्या खुद के लिए शहर3 पढ़ने जा रहा है या अपनी फॅमिली के लिए

जयसिंघ ने सपने क्या सिर्फ़ उसके लिए देखा है या उसने प्युरे फॅमिली के लिए कुछ सोच रखा था

किसी के दिल की बात जान ना मुश्किल होता है

कोई बताता एक है और सोचता कुछ और है और उसके दिमाग़ मे होता कुछ और है

अजीब दुनिया मे जीते है हम

जो दिखता है उसी को सच मानते है

सब की सोच अलग होती है ,

जयसिंघ और पिताजी की सोच भी अलग होंगी

उनका समय अलग था , उनका बचपन अलग था , उनकी परवरिश जिस तरह हुई उसी तरह उनकी सोच थी

पिताजी को सिर्फ़ एक डर है की जयसिंघ वापस नही आएगा

वो वही रह कर जीना चाहता है

पर जयसिंघ क्या चाहता है ये किसी को नही पता

जयसिंघ को कभी ऐसा हमदर्द साथी मिला ही नही जिसको अपने दिल की बात बता सके

पिताजी के पास माँ थी ,

नेहा के पास नीता थी

पूजा के पास उसकी सहेली थी

पर जयसिंघ , वो अकेला था

पता नही कब तक जयसिंघ अकेला रहेगा


सब ने खाना तो खा लिया जयसिंघ के पास होने की खुशी मे

झूठी स्माइल दिखा दी

जयसिंघ को हँसी हँसी रवाना जो करना था

जयसिंघ उस रात सो नही पाया

ये जयसिंघ को भी पता नही कि उसे नींद क्यू नही आई

हमारी किस्मत मे जो लिखा है उसे बदल नही सकते

जयसिंघ की किस्मत मे आगे क्या लिखा था ये उसे भी नही पता

माँ तो रात भर पिल्लो मे सर कर रोती रही

पिताजी चेयर पे बैठ कर छत की तरफ देखते हुए रात बिता दी

नेहा नीता एक दूसरे के गले लग कर सोने की कॉसिश कर रही थी

पूजा अपने बहनों को देख रही थी

उनके सोने का इंतज़ार कर रही थी

छोटू छोटा होने से उसे ये बात समझ नही आई

एक अजीब सा सन्नाटा था घर मे

सुबह ऐसा लगा कि सब उसी का इंतज़ार कर रहे थे कि ये रात कब ख़तम.होती है

सब के कमरे का डोर एक साथ खुला

सब समझ गये की रात मे कोई नही सोया

सबकी आँखे बता रही थी कि वो रात भर जागती रही

एक दूसरे को देखते नज़रें चुराने लगे

माँ बिना किसी की तरफ देके रशोई घर मे चली गयी

जयसिंघ वापस अपने कमरे मे चला गया

पिताजी जयसिंघ के कमरे मे गये

पिताजी- जयसिंघ

जयसिंघ- जी पिताजी

पिताजी- तुमसे कुछ बात करनी थी

जयसिंघ- जी

पिताजी- मुझे एक बात बताओगे कि तुम शहर3 क्यूँ जाना चाहते हो

जयसिंघ- आपको पता है पिताजी

पिताजी- मुझे पता है मेरा बेटा ऐसा नही हो सकता ,

जयसिंघ- पिताजी

पिताजी- बस इतना बता कि तू अपने लिए जा रहा है , तुझे तेरी माँ की कसम सच बताना

जयसिंघ- मैं हम सबके लिए जा रहा हूँ

पिताजी- मुझे यही सुनना था , मेरा आशीर्वाद तेरे साथ है ,

जयांघ अपने पिताजी के गले लग गया



पिताजी- तय्यारी कर , हमे शहर3 जाना है , खूब पढ़ना , बड़ा ऑफीसर बनना ,

और पिताजी अपने कमरे मे वापस चले गये

उनको जयसिंघ का जवाब सुनकर सुकून मिला

रात भर जिस सवाल ने उनको सोने नही दिया वो जवाब मिलते उनके सर से टेन्षन कम हो गया

पिताजी जयसिंघ को शहर3 ले जाने को तय्यार हो गये

माँ पिताजी के चेहरे की चमक देख कर समाज नही पाई की उनको हुआ क्या है

पिताजी ने उनको बताया कि सब ठीक है ,

माँ को यही सुनना था

जयसिंघ ने पूजा नेहा नीता और छोटू को प्यार किया

माँ और पिताजी के पैर छु कर आशीर्वाद लिया

नेहा नीता की आँखों मे आसू तो आए पर इतना तो चलता है

पिताजी के बिना रहने का ये नेहा नीता का 1 स्ट चान्स था

नेहा को अपने भाई पे बहुत गुस्सा आ रहा था कि उनके वजह से पिताजी के बिना रहना पड़ेगा

पर पूजा और माँ ने उनको संभाल लिया

आज सिर्फ़ अड्मिशन करने गया है जयसिंघ

पिताजी ने जयसिंघ के रहने पढ़ाई का सारा इंतज़ाम कर दिया

जयसिंघ को जहा पढ़ना था वहाँ अड्मिशन दिलवा दी

फिर उसके बाद जयसिंघ 2 हफ्ते बाद अपना समान लेकर शरर3 की तरफ जाने लगा

उस दिन नेहा नीता पूजा अपने आँसू रोक नही पाई

बस जब तक आँखो से दूर नही हुई तब तक वहाँ से कोई हिला भी नही

पिताजी ने जयसिंघ को फिर से कुछ बाते बताई जो उसको इस सफ़र मे काम आएँगी

जयसिंघ के जाते पूजा घर के बड़ी बेटी से बड़ा बेटा बन गयी

पिताजी की शेरनी बेटी तो थी ही पर आज बेटा भी बन गयी

पूजा ने पिताजी को विश्वास दिलाया कि वो अपने भाई बहन को साथ लेकर चलेगी ,

पिताजी जयसिंघ के जाने के बाद कुछ दिन हवेली पे रुके

वो घर आए ही नही

उनको कुछ दिन अकेला रहना था

पर नेहा नीता पिताजी के बिना अकेली पड़ गयी थी

माँ ने नेहा नीता को हवेली भेजा पिताजी को वापस लाने

नेहा को देखते पिताजी वापस आ जाएँगे ये माँ को पता था

नेहा नीता ने पिताजी को वापस घर लाया

पिताजी भी समझ गये कि अगर वो ऐसे रहेंगे तो बाकियो का क्या हॉंगा

जयसिंघ तो चला गया

उसकी सज़ा नेहा नीता को क्यूँ दे

पिताजी दूसरे दिन से वापस पहले वाले रूप मे आ गये

नेहा और नीता के साथ मस्ती करने लगे

पर इस बार उनके मस्ती मज़ाक मे जयसिंघ की कमी महसूस की जा सकती थी

अब सब कुछ बदल गया था

पूजा अपने भाई बहन को स्कूल ले जाती

उनकी ज़रूरतो का ध्यान रखती

उनको हँसाना , मनाना , उनकी इच्छा पूरी करने की ज़िम्मेदारी पूजा पे आ गयी थी

पूजा को देख कर पिताजी जयसिंघ को भूलते गये

पूजा ने पिताजी का विश्वास टूटने नही दिया

नेहा भी अब बड़ी हो रही थी

अब नेहा बड़ी शरारत करती थी

नीता नेहा का साथ देते हुए मस्ती करती थी

छोटू को कुछ दिन पूजा ने पैसे दिए पर जैसे कमरा चेंज किया वैसे ही पैसे देना बंद हुआ

और छोटू का मज़ाक उड़ाना शुरू हो गया

फिर से छोटू अपनी माँ के पास शिकायत लेकर आता था

पिताजी फिर से नेहा की ग़लतियो को छुपाते थे

जयसिंघ दीवाली मे घर आता था

सबको गिफ्ट लाता

पर उनका गिफ्ट तो जयसिंघ था

जयसिंघ के आते फिर से कुछ दिन हँसी मज़ाक चलता था

एक दूसरे को किससे बताने मे दिन निकल जाते

और जयसिंघ वापस शहर3 चला जाता

और सुबह सुबह फिर से माँ की आवाज़ सुनाई देती

माँ- नेहा तूने ये क्या किया , आज मेरा उपवास(फास्ट) है और तूने नॉनवेज बनाया है , तू मार खाएगी मेरे हाथ से

नेहा -पिताजी मुझे छुपा दीजिए माँ मुझे मारना चाहती है

पिताजी - बेड के नीचे छुप जा , मैं तेरी माँ को भगा दूँगा

पूजा - नीता तूने मेरे मेरे ड्रेस को हाथ कैसे लगाया , तू आज बचेगी नही

नीता - पिताजी दीदी मार रही है

पिताजी - पूजा छोड़ दे वो बच्ची है

छोटू- माँ , मेरे पैंट को नेहा ने काट कर छोटा बना दिया

नेहा- छोटू का छोटा पैंट ,

और नेहा नीता हँसने लगी

फिर से नेहा और नीता के नाम से घर गूंजने लगा
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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by xyz »

813

सी चाची - तुम रो क्यू रहे हो

अवी - ऐसे ही , आप आगे बताइए

सी चाची - तू रो क्यूँ रहा है

अवी - पापा ने ऐसा क्यूँ किया

सी चाची - क्या किया तेरे पापा ने

अवी - वो कैसे अपने भाई बहन को छोड़ कर जा सकते है

सी चाची - मुझे क्या पता , और तुझे कहा था ना कि कुछ पूछना मत

अवी - कैसे ना पुच्छू , आपको बताना होगा

सी चाची - क्या बताऊ

अवी - पापा ने ऐसा क्यू किया

सी चाची - तूने कहानी ठीक से सुनी नही

अवी - पापा को ऐसा नही करना चाहिए था

सी चाची - तो क्या करना चाहिए था

अवी - यही गाओं मे रह कर अपने भाई बहानो के साथ रहना चाहिए था

सी चाची - तू ईडियट है

अवी - आप जवाब दीजिए

सी चाची - तू पहले रोना बंद कर

अवी - ये रोना बंद नही होगा

सी चाची - तो तुझे जवाब भी नही दूँगी

अवी - चाची , आपको मुझे तंग करने मे मज़ा आता है

सी चाची - तुझे रोता हुआ देख कर दर्द होता है

अवी - बताइए ना चाची

सी चाची - देख तूने प्रॉमिस किया था कि कुछ नही पूछेगा , और तूने पूछ लिया फिर भी मैं बता रही हूँ ,पर ये रोना बंद करना होगा तुझे

अवी - मुश्किल हॉंगा

सी चाची - कुछ मुश्किल नही.होता , सुमन दीदी या मेरे बारे मे सोच रोना बंद हो जाएगा

अवी - जी

और मैं ने आँसू पोंच्छ लिए

सी चाची - अब रोया तो बताउन्गी नही

अवी - नही रोउंगा

सी चाची - तो पूछ क्या पूछना है

अवी - पापा ने ऐसा क्यूँ किया

सी चाची - तूने लास्ट मे सुना नही क्या कि तेरे पापा के दिमाग़ मे क्या चल रहा है ये सिर्फ़ उनको पता है

अवी - ये कैसा जवाब हुआ

सी चाची - इस जवाब से पता चलता है कि तेरे पापा ग़लत भी थे और ग़लत नही भी थे

अवी - मैं समझा नही

सी चाची - तुम्हारे दादाजी ने आख़िर मे क्या पूछा था तेरे पापा से

अवी - तुम किसके लिए शहर जा रहे हो

सी चाची - तुम्हारे पापा ने क्या कहा

अवी - सबके लिए

सी चाची - तो

अवी - तो क्या

सी चाची - तो मैं क्या बताऊ

अवी - आप मुझे परेशान क्यू कर रही है

सी चाची - तू परेशान क्यू हो रहा है

अवी - मेरे पापा की वजह से , उन्होने ने ऐसा क्यू किया ,नेहा बुआ को क्या हो गया कि हस्ती खेलती नेहा बुआ इतनी नफ़रत लेके जी रही है ,

सी चाची - मुझे क्या पता

अवी - आप बता क्यूँ नही रही है

सी चाची - क्यू कि ये कहानी यहाँ तक ही थी

अवी - क्या मतलब

सी चाची - यहाँ से आगे दूसरी कहानी शुरू होती है

अवी - तो कीजिए ना

सी चाची - कैसे करू ,

अवी - बताइए ना आगे क्या हुआ

सी चाची - आज तू एक कहानी सुन कर इतना रो रहा था तो दूसरी कहानी सुनेगा तो तेरी नींद खराब हो जाएगी , ना बाबा मैं ऐसा नही कर सकती

अवी - मैं नही रोउंगा , आप बताइए

सी चाची - मुझे बता पेट भरने पे हम गुलाब जामुन खाते है क्या नही , गुलाब जामुन को फ़्रीज़ मे रखते है और फिर से जब भूक लगती है तब खाते है

अवी - मतलब आगे क्या हुआ वो नही बताएँगी आप

सी चाची - आज के लिए इतना काफ़ी है

अवी - ऐसा आधा अधूरा बता कर आप ग़लत कर रही थी

सी चाची - तुम ने कुछ देर पहले क्या कहा था , जब मैं ने आधे अधूरे जवाब के बारे मे बोला था तब

अवी - वो तो


सी चाची - तू दीदी के आधे अधूरे जवाब से खुश था तो अब मेरी आधी कहानी से खुश हो जा

अवी - चाची

सी चाची - तूने ही कहा था

अवी - प्लीज़ चाची

सी चाची - तूने सुमन दीदी से क्या पूछा था

अवी - क्या ?

सी चाची - कि नेहा बुआ के बारे मे तुम्हे कुछ पता नही है , तूने जानना है , मैं ने जब कहा कि नेहा बुआ को अपने प्यार से बदल देना तो तूने क्या कहा कि तुझे कुछ पता नही है नेहा बुआ के बारे मे , तो मैं ने तुझे बता दिया

अवी - चाची आप मेरी बातों को मुझ पे ईस्तमाल कर रही है

सी चाची - अवी तूने कहा था कि थोड़ा थोड़ा बता दूं , तो अब थोड़ा बताया है बाकी बाद मे बताउन्गी

अवी - आप ऐसा कैसे कर सकती हो

सी चाची - तू ऐसा कैसे कर सकता है , सुमन दीदी को तूने पूछा कैसे

अवी - ग़लती हो गयी

सी चाची - देख अवी आधा अधूरा सच बहुत डेंजर होता है

अवी - तो आप पूरा सच बता दीजिए

सी चाची - तू उस सच को सुनने के लिए अभी तय्यार. नही हो

अवी - चाची

सी चाची - अवी मुझ पे विश्वास रख मैं तुझे सच बता दूँगी बस सही समय आने दे

अवी - और वो समय कब आएगा

सी चाची - जल्दी आएगा , अब तो बहुत जल्दी आएगा

अवी - चाची बस और थोड़ा ही बताओ , एक छोटी सी कहानी बता दो


सी चाची - अवी ये कोई प्रवचन नही है , इस सच से सबकी लाइफ जुड़ी है , एक ग़लत कदम और सब कुछ बिखर जाएगा

अवी - आप ऐसे डराइए मत

सी चाची - तो तू अब कुछ मत पूछ

अवी - नही पूछूँगा पर

सी चाची - पर क्या

अवी - इस आधे सच के साथ मेरा क्या होगा ये आपने सोचा नही

सी चाची - कुछ नही होगा , तुझे समझ मे आ जाएगा की आधा सच कैसा होता है

अवी - पर चाची पापा ने ऐसा

सी चाची - ये कहानी के बारे मे तू कुछ सोचना मत

अवी - क्यू ?

सी चाची - क्यू कि इस मे 25% ही सच था बाकी सब झूठ था ( सब कुछ सच था )

और चाची हँसने लगी

मैं चाची की तरफ देखता रह गया

सी चाची- ऐसे क्या देख रहा है , ये तो सिर्फ़ कहानी थी , तू तो सच समझ बैठा

और चाची हँसने लगी

अवी - आपने मुझसे झूठ कहा, और हंस क्यूँ रही है

सी चाची - तुझे ये बताने के लिए कि जो सच तू जानना चाहता है वो कैसा है

अवी - कैसा

सी चाची - आधा सच सिर्फ़ दर्द देता है जैसे तुझे दर्द हो रहा है

अवी - मतलब ऐसा ™कुछ नही हुआ

सी चाची - सिर्फ़ नेहा के बारे मे जो बताया वो सच था

अवी - नेहा बुआ के बारे मे

सी चाची - तूने तो कहा कि नेहा के नफ़रत को कम करने के लिए , तुझे नेहा के बारे मे जानना है , तो मैं ने बता दिया

अवी - पापा वाली बाते

सी चाची - वो मैं ने मिर्च मसाला लगा कर बता दिया ( सब कुछ सच था )

अवी - चाची आप ने बिना वजह से मुझे रुला दिया

सी चाची - मेरा बचपन से सपना था कि राइटर बनू ,देखो कैसे झूठ को सच बना कर बताया तुम्हे ( सब सच था )

अवी - नेहा बुआ की बात तो सच थी ना

सी चाची - हाँ , तुम्हारे पापा को तो खुद दादाजी ने भेजा था , तुम्हारे पापा तो जाना ही नही चाहते थे (झूठ)

अवी - तो हम शहर 3 क्यूँ रहते थे

सी चाची - वो तो बाद की बात है , बाद मे एक छोटा सा झगड़ा हुआ और तुम्हारे पापा शहर 3 रहने चले गये

अवी - पक्का ये झूठ था , क्यू कि मुझे तो ये सच ही लग रहा है

सी चाची - ये झूठ था ( सब सच था )

अवी - फिर आपने मेरे पहले जवाब का आन्सर ये क्यू नही दिया , क्यू पापा की बात को एक्सप्लेन किया

सी चाची - बताया ना मुझे राइटर बनना था , तू मेरा 1 रीडर , तो तेरे रिव्यू को देख रही थी

अवी - आप बहुत गंदी हो, बिना वजह डरा दिया मुझे

सी चाची - अब समझ मे आया कि आधा सच कैसा होता है

अवी - जी

सी चाची - अब बताऊ थोड़ा थोड़ा सच

अवी - नही , सब कुछ एक साथ बताना

सी चाची - दुबारा सुमन दीदी को तंग करोगे

अवी - नही

सी चाची - देख तुझे छोटी सी बात बताने को इतनी बड़ी कहानी बतानी पड़ी

अवी - पर आपकी कहानी सच लग रही थी

सी चाची - गधे , मैं ने पहले ही कहा था कि मैं कहानी बता रही हूँ , तुझे तभी समझ जाना चाहिए था

अवी - मैं गधा हूँ

सी चाची - और नेहा की बाते सच है , ये भूलना मत

अवी - जी

सी चाची - और तुम्हारे दादाजी की बाते कुछ सच थी

अवी - जैसे स्कूल और कुश्ती के बारे मे

सी चाची - स्टोरी मे थोड़ा रियल मसाला डालना पड़ता है

अवी - समझ गया , तभी आप मुझे कसरत करने को बोलती है

सी चाची - बता ना मैं राइटर बन सकती हूँ

अवी - नही

सी चाची - क्यूँ ?

अवी - आप ने लास्ट मुझे रुला दिया

सी चाची - और क्या ग़लती की

अवी - आपने रीडर को सच बताया ये कभी नही करना चाहिए

सी चाची - ये ग़लती हो गयी

अवी - तो आप लिखना शुरू कर दीजिए आप अच्छा लिखती हो

सी चाची - और तुम नेहा के बारे मे सोचना शुरू कर दो

अवी - अभी नही , जब आप सच बताएँगी तब सोचूँगा , तब तक अब जैसा रहता हूँ वैसे ही नेहा बुआ को खुश रखूँगा

सी चाची - यही जवाब चाहिए था मुझे

अवी - पर आपने मुझे रुलाया है

सी चाची - तुझे सीख देनी ज़रूरी थी

अवी - मैं समझ गया कि हम थोड़ा थोड़ा खाना खा सकते है पर सच पूरा सुनना चाहिए , हर चीज़ो को कंपेर नही करना चाहिए

सी चाची - और मिसाल सही देनी चाहिए

अवी - जी

सी चाची - अब क्या देख रहा है

अवी - क्या सच मे ये झूठ था

सी चाची - अब क्या कसम खाऊ , तू.कहेगा तो कसम भी खा लूँगी ( मत बोलना कसम खाने को)

अवी - इतनी सी बात के लिए कसम , बस आप जल्दी मुझे सारी बाते बता देना

सी चाची - (बच गयी मैं और सुमाम दीदी भी बच गयी ,) कहा ना कि जल्दी बता दूँगी

अवी - तो अब मैं राजेश की कहानी बताऊ

सी चाची - रुक एक मिनिट



सी चाची - रुक एक मिनिट

अवी - क्या हुआ चाची

सी चाची - मुझे रोने की आवाज़ आ रही है , अमित उठ गया होगा

अवी - पर राजेश की कहानी

सी चाची - मैं अभी अमित को सुला के आती हूँ , तू तब तक मेरी कहानी को भूल जा

अवी - जी

और छोटी चाची अमित के पास चली गयी
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Kamini
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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by Kamini »

Nice update
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Viraj raj
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Re: मैं और मेरा परिवार

Post by Viraj raj »

bhai story mast h update dete rhe
😇 😜😜 😇
मैं वो बुरी चीज हूं जो अक्सर अच्छे लोगों के साथ होती है।
😇 😜😜 😇

** Viraj Raj **

🗡🗡🗡🗡🗡
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