ज़िंदगी भी अजीब होती है Restart

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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है

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आँखो मे हज़ार सपने और दिल मे अरमान लिए वो शहर से कुछ किलो मीटर का सफ़र बड़ा ही लंबा लग रहा था जिसके लिए मैं सरहद तोड़ आया था वो मेरी मिथ्लेश मेरी आँखो से बस थोड़ा सा ही दूर थी ची चीईइ करती हुई एक के बाद एक कई गाडिया गाँव मे एंटर कर गयी मैने उन्हे अपनी मंज़िल की डाइरेक्षन्स बताई तो गाड़ी तेज़ी से मिथ्लेश के घर की ओर बढ़ चली



पर जैसे ही मैं गाड़ी से उतरा मेरा तो दिमाग़ ही घूम गया घर के बाहर दरि बिछी हुई थी और कुछ लोग बैठे हुए थे किसी अनिष्ट की आशंका से मेरा दिल काँप उठा मैं दौड़ते हुए घर के अंदर गया उसकी माँ मुझे देखते ही दहाड़े मार के रो पड़ी अगले पल जो ख़याल मेरे दिल मे आया मेरा कलेजा कांप उठा मैने डरी सी आवाज़ मे कहा आंटी मिता कहाँ है



तो वो रोते हुए बोले चली गयी ओूऊऊऊऊऊऊऊओ चली गाइिईई हमे छोड़कर चली गयी है राम मेरिइइ बेटिईईईईईईईई गयी वो ओ मेरे तो जैसे घुटने ही टूट गये मैं उधर ही गिर पड़ा आँसू अपने आप मेरी आँखो से बहने लगे गला जैसे जाम ही हो गया उसकी माँ बोली खा गया तू मेरी बेटी को क्या पट्टी पढ़ा दी तूने उसको देख ले तेरे लिए जान दे गयी वो अपनी



अब तो हो जाएगी तस्सली तुझे भी और उसके बाप को खानदान की झूठी इज़्ज़त के ईए बेटी का नाश कर दिया मैं बोला आंटी कह दो कि आप झूठ बोल रही हो मिता की बहन मेरे पास आई और बोली मनीष सच है जीजी अब नही रही परसो सल्फास निगल ली उन्होने उसके ये शब्द सुनकर मेरी रही सही हिम्मत भी टूट गयी और मैं वही पर रोने लगा मेरी मुहब्बत हार गयी थी


मेरा इंतज़ार ना कर सकी वो पगली चली गयी मुझे छोड़ कर जीते जी मार गयी मुझे वो ये कैसी सज़ा दे गयी वो मुझे अपने से इस तरह जुदा कर गयी वो मुझे मेरे सारे ख्वाब टूट कर बिखर गये थे मेरी दुनिया बसने से पहले ही उजड़ गयी थी पर अब करूँ भी तो क्या मुझे तो बस मेरी मिता चाहिए किसी भी कीमत पर पर कहाँ से लाउ उसे



मैने सोचा जब वो ही नही रही तो अब मैं भी जीकर क्या करूँगा मैने अपना सर दीवार पर पटकना शर कर दिया तो पुलिसे वालो ने मुझे पकड़ लिया और कहने लगे कि सर प्लीज़ कंट्रोल कीजिए आप अपने आप पर, कंट्रोल कैसे करूँ मैं मेरा सब कुछ लुट गया बर्बाद हो गया मेरा दिल किया कि कही से कोई बिजली गिर जाए मुझ पर और मैं भी खाक हो जाउ मेरी रूह मिल जाए उसकी रूह से



मैने रोते हुए मिता के पिता से कहा सरपंच आज तो आपका बहुत मान बढ़ गया होगा ना समाज मे सर्टिफिकेट मिल गया होगा आपको इज़्ज़त का काश एक बाप के दिल से सोचा होता आपने लो मुझे भी मार दो कर दो जुदा इस दर्द से मुझे अब नही जी पाउन्गा मैं मिथ्लेश के बिना मैं अरे प्यार ही तो किया था कोई गुनाह नही किया था क्या कसूर था हमारा जो जुदा कर दिया हमको



चाहती तो भाग जाती मेरे साथ पर कहती थी कि बाप के आशीरवाद से ही जाउन्गी तुम्हारी दुल्हन बनकर पर देखो तुम्हारी ज़िद ने क्या कर दिया मुझे नही पता लाकर दो मेरी मिथ्लेश मुझे कही से भी मेरी अमानत तुमको सोन्प कर गया था मुझे बस वापिस कर दो दहाड़े मार कर मैं रो रहा था उस टाइम जो भी लोग वहाँ पर थे सब की आँखे बह चली थी



झूठी इज़्ज़त के लिए मेरी पवित्र सच्ची मोहब्बत की बलि चढ़ गयी थी वो मर्जानी मेरा इंतज़ार क्यो ना कर सकी मैने वादा किया था कि आउन्गा ज़रूर उसे लेने भगवान ये कैसा जुलम कर दिया तूने मुझ पर बसने से पहले ही उजाड़ दिया मेरा घर बता अब कहाँ जाउ मैं कितनी मन्नतें माँगी थी बस एक मिथ्लेश के साथ ज़िंदगी बिताने को ऐसी कोई मज़ार मंदिर मस्जिद नही जहाँ पर ये दुआ ना माँगी मैने



पर क्या एक ने भी नही सुनी जिसे सारी दुनिया ना हरा सकी उसे उसकी तकदीर ने हरा दिया था , सदियो से इस दुनिया मे प्यार करने वालो का यही अंजाम होता रहा था और हमारी कहानी भी अधूरी रह गयी थी हार गया था मनीष और मिथ्लेश का प्यार वो मुझे छोड़ कर चली गयी थी रुसवा कर गयी थी मुझे ये कैसा बोझ दे गयी थी वो मुझे



मैने पूछा कहाँ किया उसका अंतिम संस्कार ले चलो मुझे उधर तो मिता का भाई मुझे उधर ले गया उसकी आँखे भी भारी हुवी थी दो चार लोग और साथ हो लिए उसकी राख को देख कर मेरा कलेजा फट गया मैने कहा उपरवाले तू इतना निष्ठुर नही हो सकता काश वो गोली उस दिन मेरा कलेजा चीर जाती तो आज ये दिन ना देखना पड़ता ये कैसी सज़ा दी है तूने मुझे



आख़िर क्या कसूर था हमारा बस एक साथ जीना ही तो चाहा था हम ने , उसकी राख से ही लिपट गया मेरा अपने ज़ज़्बातो पर कोई काबू ना रहा मेरा कुछ तो तपिश बची थी उस राख मे मेरी जान थी वो मेरा सब कुछ थी मेरी दिल मेरी धड़कन क्यो ये सितम कर गयी मुझ पर पता नही कैसे मेरे घर वाले भी उधर आ पहुचे थे मेरे साथ राधा थी उसने रोते हुवे कहा प्लीज़ चुप हो जाओ काबू रखो अपने आप पर



पर कैसे कैसे संभालू मैं खुद को पापा से लिपट कर खूब रोया मैं उस गम के महॉल मे सबकी आँखे गीली हो गयी थी पापा बोले बस बेटा चुप होज़ा तेरा उसका साथ यही तक था बेटा ये दुनिया तुम लोगो की निस्चल भावना को नही समझ पाई मेरे बेटे सम्भालो खुद को वो तुम्हे छोड़ कर गयी है पर उसकी रूह हमेशा तुमसे जुड़ी रहेगी


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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है

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लोग दिलासा देते रहे पर मैं घंटो तक उसकी राख के पास ही बैठा रहा सवाल करता रहा उस से कि क्यो उसे मेरा ऐतबार ना रहा क्या मेरे प्यार की डोर इतनी कच्ची थी पोलीस को पता था ही कि मैं रॉ एजेंट हूँ तो उनको आशंका थी कि मैं कही गुस्से मे कुछ ग़लत कदम ना उठा लूँ तो उन्होने भी उधर ही डेरा डाल दिया पर इस दीवाने की हालत कोई ना समझे



मम्मी बहुत देर तक मुझे समझाती रही पर मेरी आँखो से आँसू ना रुके मेरी सुबाकिया चलती रही आख़िर चुप होउ भी तो कैसे मेरी जिंदगी बर्बाद हो गयी थी रात हो चली थी जैसे तैसे करके घरवाले मुझे गाँव ले आए थे खबर आग की तरह फैल गयी थी घर पर भाभी को देखते ही मेरी रुलाई फिर से फुट पड़ी वो मेरे गले लग कर रोने लगी

मैने कहा भाभी वो गई मुझे छोड़कर , गयी हमेशा के लिए वो भाभी बोली मनीष प्लीज़ चुप हो जाओ देखो कैसे आँखे सूज गयी है तुम्हारी होसला रखो कैसे जियूंगा मैं उसके बिना भाभी कहीं से भी लाओ पर मुझे मेरी मिथ्लेश लाकर दो घर पर सभी का बुरा हाल हुवा था मेरी वजह से दीवानगी की ऐसी इबारत ना किसी ने देखी ना सोची पूरी रात रोते रोते ही कट गयी



अगले दिन राधा ने रॉ मे फोन करके सिचुयेशन को बता दिया तो शाम तक बॉस, कुछ ख़ास लोग और निशा भी उनके साथ घर पर आ गये थे आख़िर इतनी बड़ी ट्रेजडी जो हो गयी थी निशा को देखते ही मैं अपने आप पर काबू ना रख सका मैं घरवालो को भी समझ मे आया कि बेटा क्या है पर अब क्या करूँ हर कोई मेरे दुख मे शरीक था



बॉस ने कहा कि वो पोलीस से बात करते है और जो भी लोग है इसके पीछे सबको सज़ा होगी जिन्होने मेरे बच्चे की जिंदगी बिगाड़ दी है उनको बख्शा नही जाएगा मैनेकहा नही सर जीने दीजिए उनको वही कीड़ों वाली जिंदगी बस मुझे इतना हक़ दिला दी जिए कि मिता के जाने की रस्मे मैं करूँ वो मेरी दुल्हन तो ना बन सकी पर इतना हक दिला दीजिए बॉस बोले मेरे बच्चे उसकी रस्में तू ही करेगा



और मैं कहता हूँ तेरी मोहबत की कहानी घर घर गायी जाएगी ये तेरा प्यार अमर हो गया है 26 साल की नोकरि मे अच्छा बुरा सब कुछ देखा मैने पर तेरी कहानी जुदा है अलग है सबसे मैं सबको बताउन्गा की कैसी थी कहानी एक सोल्जर की ये लोग नही समझेंगे आज पर आने वाला जमाना तेरी गाथा गाये गा मेरे बच्चे पर तू होसला रख तुझे मिता के लिए जीना होगा उसकी यादे ही तेरा सहारा बनेंगी



अगले दिन बॉस चले गये राधा चली गयी आख़िर उसको भी तो जाना ही था पर निशा मेरा साया बन गयी थी मिता का भाई एक बॉक्स ले कर आया बोला ये दीदी का कुछ समान है कुछ यादें है आप रख लो बहुत देर तक उसके कपड़ो से लिपट कर रोता रहा मैं ये ऐसा दुख दे गयी थी वो मुझे कि बस अब जीना मुश्किल था मेरे लिए निशा को डर था कि कही मैं शूसाइड ना कर लूँ तो हर पल साए की तरह मेरे आगे पीछे डोलती रहती वो



15-20 दिन हो गये थे मिता को गये हुए और मैं वैसे का वैसा ही था घरवाले भी दुखी थे मेरी हालत से मम्मी ने बार बार माफी माँगी थी पर अब सब बेकार था वो तो चली ही गयी थी मैं तो टूट कर बिखर ही गया था निशा ने बहुत समझाया कि जिंदगी नही रुकती तुम इधर रहोगे तो बार बार रोवोगे दिल दुखेगा देल्ही चलो मैं कहाँ मान ने वाला था पर कुछ तो उसका भी क़र्ज़ था ही वो ले ही आई मुझे देल्ही पर मेरी हालत वैसी की वैसी थी



तो बॉस ने मुझे कुछ दिनो के लिए रिहेबिलेशन सेंटर मे भेज दिया जहाँ रोज मेरी कौउंसिलिंग होती समझाया जाता मुझे कभी कभी ऐसा लगता की मिता मेरे आस पास ही है उसकी रूह को महसूस करने लगा था मैं रोते रोते सो जाता मैं तो लगता कि उसने प्यार से मेरे सर पर हाथ फेरा हो बड़ी ही शिद्दत से उसकी मोजूदगी को मान ने लगा था मैं और सपनो मे तो ढेरो बाते करती ही रहती थी वो



करीब4 महीने उधर गुज़रे मैने गुज़रते समय के साथ हालत मे भी सुधार होने लगा था आख़िर मैने डॉक्टर को कह ही दिया कि मैं वापिस जाना चाहता हूँ उन्होने बॉस को रिपोर्ट दी और फिर कुछ और कौंसिलिंग के बाद मैं घर आ गया पर अब एक उदासी सी मुझे घेरे रहती थी घर वाले आ जाते थे मिलने को मम्मी तो 15- 15 दिन रुक जाती थी अब उन्हे कोई दिक्कत नही होती थी कि निशा भी मेरे साथ ही तो थी बल्कि वो खूब बाते भी किया करती थी निशा के साथ



घर मे एक बड़ी सी तस्वीर लगा दी थी मिता की जिस पर निशा रोज ही दिया जलाया करती थी मैं भी निशा के आगे नॉर्मल ही बने रहने की कोशिश करते रहता था क्योंकि वो मुझे देख कर खुद भी दुखी होती रहती थी ऑफीस भी जाना शुरू कर दिया था पर अब मैं डेस्क जॉब ही करता था बेशक वो चली गयी थी पर मुझ मे कही ना कही जिंदा थी वो दिल आज भी बस मिथ्लेश के लिए ही धड़कता था



पता नही क्यो अब दिल नही लगता था कही पर भी अप्लिकेशन लिख दी कि मुझे वापिस आर्मी मे भेज दिया जाए पर हर बार रिजेक्ट कर दी गयी बॉस ने हर बार कहा कि चाहे काम मत करो ऑफीस मत आओ पर रिटाइर होने तक रहोगे रॉ मे ही रॉ अधूरा है तुम्हारे बिना तो बस थक हार कर अपनी डेस्क जॉब कर रहा था पर अंदर अंदर टूट रहा था मैं


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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है

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निशा मेरी हालत को अच्छे से समझती थी उस से तो कुछ छुपा हुआ ही नही था अक्सर छुप कर रोती थी वो मेरी हालत पे मैं उसके आगे कितना ही नॉर्मल रहूं पर वो मेरे दिल की बात समझती थी आख़िर मिता के बाद वो ही तो मेरे सबसे करीब थी अपने हाथो से रोटी खिलाती थी मुझे वो बिना किसी स्वार्थ के कोई अपना बच्चा था तो बस वो ही थी मेरे लिए

उस रात मुझे नींद नही आ रही थी तो मैने ऐसे ही फ़ेसबुक खोल लिया तो देखा कि एक आनरीड मेसेज पड़ा है खोल कर देखा तो मिता का मेसेज था डेथ वाले दिन का ही, मेरा दिल जोरो से धड़कने लगा उसका आख़िरी संदेश था ये मैने पढ़ना शुरू किया


लिखा था मनीष,


तुम्हारे जाने के बाद से बहुत डर लग रहा है मुझे पापा ने कमरे मे बंद कर दिया है घर पर कोई भी ठीक से बात नही करता है बस मम्मी थोड़ा बहुत बोल लेती है ज़िंदगी पता नही कैसी हो गयी है, हर पल डर सा लगा रहता है मुझे अपने ही घर मे अजनाबियो जैसी हालत है मेरी हर पल बस तुम्हे याद करती हूँ मुझे पता है कि तुम जल्दी ही आओगे मनीष पर कही ना कही मैं कमजोर पड़ती जा रही हूँ मुझे पता है कि तुम मुझे लेने आने ही वाले हो पर मैं ये सोच कर ही डर जाती हूँ कि जब तुम आओगे तो क्या होगा डर लगता है कि ये लोग कही तुम्हारे साथ कुछ कर ना दे अगर तुम्हे कुछ हो गया तो मैं कैसे रह पाउन्गी किसी और के साथ आज मैने सुना कि पिताजी बात कर रहे थे कि कल मुझे देखने कोई आ रहा है पर मैं तो तुम्हारी पत्नी हूँ हमेशा से थी तो फिर कोई और क्यो आएगा मैं तो तुम्हारी अमानत हूँ ना तो फिर किसी और की कैसे हो जाउ मैं, मनीष कितने अच्छे पल थे वो जब हम पहली बार मिले थे मेले मे वो मेरी चुन्नी उड़ कर तुम्हारे उपर जा गिरी थी वो जब पहली बार तुमने मुझे अपनी नज़रो से देखा था साची कहूँ उसी दो पल की मुलाकात मे अपना दिल हार गयी थी मैं तो कितने दिनो तक रात को नींद ही नही आती थी पर फिर तुम स्कूल मे मिले तो फिर बहाने ढूँढती तुमसे बाते करने को पता नही चला कब हम अच्छे दोस्त बन गये और फिर कब दोस्ती प्यार मे बदल गयी जुदाई भी आई और हमारे दिल बस एक दूजे के लिए ही धड़कते रहे मेरा हर लम्हा बस तुम्हारे ख़यालो मे ही रहा सबसे छुपा कर कितने सोमवार के व्रत करती थी हर पल तुम्हे ही पति के रूप मे माँगा पर देखो ना आज समय किस मोड़ पर ले आया है मेरी तो दो ही इच्छा थी कि इस घर से डॉली उठे और दुल्हन मैं तुम्हारी बनूँ पर देखो रब ने अपना साथ लिखा ही नही है मनीष मैं नही चाहती कि तुम्हारी मिता को कोई और देखे अब तुम ही बताओ मैं क्या करू भाग कर ब्याह कर नही सकती मैं भी असली राजपूतनी हूँ और पिताजी तुम्हारे साथ करेंगे नही तो ऐसा रास्ता सोच लिया है कि जिस से अपने प्यार की लाज़ रह जाएगी और पिताजीकी इज़्ज़त भी मुझे पता है जब तुम ये मेसेज पढ़ोगे मैं कही दूर जा चुकी होंगी पर मेरी रूह हमेशा तुम्हारे साथ ही रहेगी मैं हमेशा ज़िंदा रहूंगी तुम्हारी धड़कन बन कर मनीष सल्फास खा ली है मैने बस थोड़ी देर की बात है फिर मैं इस बोझ से आज़ाद हो जाउन्गी और हाँ मेरे पीछे से रोना नही नही तो मेरी रूह को बड़ी तकलीफ़ होगी क्या हुआ जो इस जनम मे नही मिल पाएँगे फिर कभी ना कभी तो ज़रूर मिलेंगे शायद मेरे प्यार मे कोई कमी थी जो अपना मिलन ना हो सका पर मनीष मैं मरकर भी तेरे साथ ही रहूंगी सदा मुस्कुराते रहना क्योंकि तुम रोते हुए अच्छे नही लगोगे तुम्हारी और सिर्फ़ तुम्हारी

मिता



उसका ये आख़िरी खत पढ़कर पता नही कैसा लगा मुझे जिंदगी भर का गम भी दे गयी और वादा भी ले गयी कि रोना नही मेरी मिथ्लेश काश वे लोग तुम्हे समझ पाते, समझ पाते अपने प्यार की पवित्रता को पर अब कुछ नही बचा था मैने वो मेसेज लॅपटॉप मे सेव किया और घर से बाहर आकर पार्क की बेंच पर आकर बैठ गया आँखो से दो बूँद टपक कर नीचे गिर गयी



तो मैने आखे बंद कर ली तभी मुझे सुनाई दी एक आवाज़ जिसे मैं शोर मे भी पहचान सकता था मैने आँखे खोली तो देख कि मिता मेरे पास बैठी है वो बोली रोते क्यो हो मैने कहा मिता तू वापिस आ गयी है वो बोली मैं गयी ही नही भला मैं अपने मनीष से दूर जा सकती हूँ क्या भला मेरे आँसू पोछते हुए बोली कितनी बार मना किया है तुमको कि रोया ना करो मैने कहा नही रोउंगा पर तुम मुझे छोड़ कर कहाँ चली गयी थी पता है कितना परेशान हूँ मैं तुम्हारे बिना



वो बोली मैं तो तुम्हारे दिल मे ही हूँ और जब ही तुम परेशन होगे मैं आ जवँगी तुम्हारी परेशानी बाटने को आख़िर मैं तुम मे ही तो समाई हुई हूँ मैने कहा बस अब तुम मुझसे दूर नही जाओगी हर पल मेरे साथ ही रहना वो बोली मैं साथ ही तो हूँ तुम्हारे हर पल आख़िर मैं जुदा भी कैसे होऊँ तुमसे प्रीत की पक्की वाली वाली डोर जो बँधी है मैने कहा फिर क्यो चली गयी मुझे तन्हा छोड़ कर



जानती हो कैसे रहता हूँ मैं कैसे जीता हूँ वो बोली मनीष मैं हर पल तुम मे ही हूँ हर पल और जब भी उदासी के बादल तुम्हे घेरेंगे मैं मुस्कान बन कर आउन्गि और हाँ अब जिंदगी मे आगे बढ़ो फिर तुम अकेले कहाँ हो मैं निशा को छोड़कर तो गयी हूँ तुम्हारे पास मेरी छाया के रूप मे बड़ा प्यार करती है तुमसे वो मैने कहा ये क्या कह रही हो तो वो बोली तुमने कभी समझा ही नही उसे पर वो बड़ा चाहती है तुम्हे मेरी गुज़ारिश मानो और उस से शादी कर लो तुम उसे पूरी करदो मैने कहा पर मिता तुम जानती हो मेरा प्यार तुम्हारे लिए है मिता बोली हाँ पर तुम्हे जिंदगी मे आगे भी बढ़ना होगा और उसके लिए साथी चाहिएगा और निशा से बढ़कर कॉन समझता है तुमको और फिर मैने कहा ना कि वो मेरी ही परछाइ है क्या तुम मेरे लिए इतना भी नही करोगे मैने कहा पर मिता तुम सब जानती हो तभी मेरे फोन की घंटी बजी तो मेरा ध्यान उधर गया मैने उसे साइलेंट किया और मिता की तरफ देखा तो उधर कोई नही था



पर मुझे पक्का यकीन था कि वो आई थी मेरे पास मैं उसको पुकारने लगा पर अब वहाँ कोई नही था मेरी पुकार सुन ने वाला दिन गुज़रते गये जब भी उदास होता तो मिता चली आती मुुझसे बाते करने को और बार बार कहती कि शादी कर्लो तो एक दिन ऐसे ही मैने कहा निशा से कि तुम शादी क्यो नही कर लेती तो वो बोली मुझसे कॉन शादी करेगा ना रंग ना रूप इस जनम मे तो होने से रही और तुम भी बार बार ये सवाल क्यो पूछते हो



मैने कहा आज के बाद नही पूछूँगा काफ़ी दिन हो गये है कही बाहर नही गये है तो तैयार हो जाओ कहीं चलते है वो बोली आज कैसे मूड हो गया तुम्हारा मैने कहा बस ऐसे ही घर मे अच्छा नही लग रहा मैने कहा कोई साड़ी ही पहन ना उसमे सुंदर लगती हो तुम फिर उसे लेकर मैं झन्डेवालान, के माता दुर्गा के मंदिर मे आ गया वो बोली इधर क्यों ले आए हो मुझे मैने कहा चलो तो सही मैने पुजारी से कहा कि पुजारी जी हम शादी कर रहे है कर्वाओ

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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है

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निशा शॉक्ड हो गयी ये सुनकर वो बोली मनीष मज़ाक ना करो मारूँगी बहुत मैने कहा सच मे कर रहे है आख़िर तू कब तक अपने दिल मे छुपे प्यार को दबाए रखेगी मेरी जिंदगी खराब हुई तो क्या तू भी अपनी जिंदगी खराब कर लेगी आख़िर तुझे भी हक़ है खुशियाँ पाने का निशा एमोशनल हो गई और मेरे सीने से लग गयी मैने कहा पंडित जी कर्वाओ ना शादी क्यो देर करते हो तो दोस्तो निशा की खुशियो के लिए मैने उस से शादी कर ली



बस ये थी अपनी कहानी, बाकी दिल तो आज भी बस मिता के लिए ही धड़कता है निशा भी ये बात जानती है तो बस जी रही है अपनी अपनी उलझनों को सुलझाने की क़ोस्शिस मे और भी कई छोटी-मोटी बाते थी पर लगता है कि उनका जिकर करना बेमानी ही होगा

एक तुम थी और एक मैं हूँ. तुम तो चली गयी हो इस जहाँ के पार पर मैं रह गया इधर तन्हा अकेला जानती हो मैं कितना तन्हा सा महसूस करता हूँ दिल नही लगता है कही भी वो छोटे छोटे लम्हे जो तेरे पहलू मे बिताए थे जब तेरे आँचल की छाँव मे सो जाया करता था जब तुम अपने हाथों से खाना खिलाती थी जब तुम्हारी बाहों मे मुझे पनाह मिला करती थी वो पल जब मैं अपनी सारी टेन्षन भूल कर सुकून महसूस करता था



अब मैं बैठा हूँ अकेला अपने कमरे मे थोड़ी देर पहले ही भाभी खाने की थाली रख कर गयी है पर पता नही क्यो आजकल भूख नही लगती है मैं कहूँ भी तो क्या तुमसे वैसे तोसोचा था कि इस बार जब आउन्गा तो ढेरो बाते करूँगा तुमसे अपने छोटू को गोदी मे उठा कर खिलाउन्गा पर ये ज़िंदगी भी , तुम्हे तो सब पता ही है मैं बस अब इन खाली दीवारों को देखता रहता हूँ तुम्हारी याद आती है



कभी सोचा ही नही था कि तकदीर ऐसा खेल खेलेगी मेरे साथ पहले मिता चली गयी और फिर तुम , तुम दोनो ही मेरे लिए सबसे बढ़कर थी वो मेरा प्यार थी तुम मेरी दोस्त थी और फिर अब तो मैं जी ही रहा था बस तुम्हारे सहारे , एक बार किसी ने कहा था कि इतने घर उजड़े है तूने तुझे भी कभी सुख नही मिलेगा शायद ये उसी की बद्दुआ है पर तुम तो जानती ही हो कि मैं तो बस अपना काम करता हूँ और फिर ये भगवान तो सदा ही रूठा है मुझसे



तुम्हारी मुस्कुराती हुई जो तस्वीर लगी है हाल मे, जब जब निगाह उस पर पड़ती है तो लगता है कि जैसे अभी बोल पड़ोगी तुम मेरी जान बस एक लाश की तरह होकर रह गया हूँ मैं जिसमे अभी कुछ साँसे बाकी है बस मैं तड़प रहा हूँ अंदर ही अंदर खूब कोशिश करता हूँ अपने आँसुओ को रोकने की पर आख़िर मैं भी तो एक इंसान ही तो हूँ दिल साला आज भी धड़कता है



सबकुछ मिला ज़िंदगी मे पर सबसे प्यारी चीज़ो को तो खो दिया मैने लोग कहते है कि होसला रख, कैसे रखू मैं आख़िर अब वापिस तो नही आ जाओगी तुम दिल मान ने को तैयार ही नही है कि तुम भी मुझसे बहुत दूर चली गयी हो सोचा नही था कि ऐसा होगा मेरे साथ मिता के जाने का गम तो आज तक सता रहा है और अब तुम भी साथ छोड़कर चली गयी हो अब बताओ मैं क्या करूँ दिल मे जो भावनाओ का सैलाब है कैसे रोकू उसे , तुम ही बताओ



पूरी पूरी रात आँखो मे कट जाती है, आँखे सूज गयी है कल भाभी ने डाट-दपट कर थोड़ा सा खाना खिला दिया था पर वो भी जानती है कि क्या गुजर रही है मेरे अंदर जी तो पहले ही नही लगता था इस घर मे और अब ये मनहूसियत जैसे खाने लगी है मुझे बड़ा परेशान हूँ मैं कुछ दिन पहले दिल मे खुशी थी एक चलो मैं भी पापा बन जाउन्गा , हमारा भी एक छोटा सा बच्चा हो जाएगा



जब कभी घर आया करूँगा तो उसे अपनी गोदी मे झूलाया करूँगा अपने कंधे पर उसी तरह से बिठाया करूँगा जैसे कि मेरे पापा बचपन मे मुझे बिठाते थे सोचा करता था कि जब वो अपनी तॉतली आवाज़ मे हमे बुलाया करेगा तो दिल को वो खुशी मिलेगी जो बस माता-पिता ही समझ सकते है पर शायद उस बेरहम उपरवाले को मेरी खुशी मंजूर नही थी और वैसे भी हरदम बस मेरे मज़े ही तो लेते आया है वो



टेन्षन तो मुझे उसी टाइम थी जब तुम्हारे 5वे महीने मे डॉक्टर ने तुम्हे अड्मिट कर लिया था, हर पल मैं तुम्हारे साथ रहना चाहता था पर मेरी ये मजबूरिया पाँवो मे जो देश के फर्ज़ की बेड़िया पड़ी है काट ही नही पाया उन्हे काम पर भी हर पल हर लम्हा तुम्हारा ही ख़याल मेरे दिल मे रहता पिछले 4 महीने डर डर के जिए मैने डेली डॉक्टर से तुम्हारी रिपोर्ट पूछी



पर तुम तो तुम ही थी बीमार होते हुए भी मुझसे झूठ बोल देती कि नही मैं तो ठीक हूँ, पर मैं जनता था कि किस तकलीफ़ के दौर से गुजर रही हो तुम और मैं इतना मजबूर कि टाइम पर आ भी ना सका क्या कहूँ जब बच्चे को मिट्टी देने गये तो पहली बार उसको देखा छोटा सा नाज़ुक सा लगा कि जैसे अभी कुवा कुवा करता हुवा बोल पड़ेगा उसको अपने सीने से लगा कर पता नही कितनी देर तक रोया मैं पर , रोने से ना वो वापिस आ सकता था ना तुम



एक साइड मे बच्चे को मिट्टी दी और फिर तुम्हे अग्नि लकड़ियो के ढेर पर लेटी हुई तुम उतनी ही मासूम लग रही थी पर मैं जानता था कि अब तुम भी मुझसे बहुत दूर चली गयी हो , तुम भी मुझे अकेला, तन्हा छोड़ गयी सोचा था कि तुम साथ रहोगी तो तुम्हारे साथ ये बाकी बची ज़िंदगी काट लूँगा पर भगवान को ये भी नही सुहाया पर मैं उस निरदयी से पूछता हूँ कि उस मासूम बच्चे का क्या कसूर था जिसे उसे पेट मे ही मार दिया



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Re: ज़िंदगी भी अजीब होती है

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तुमने अच्छा नही किया जो मेरा साथ छोड़ कर चली गयी तुम अब मैं किसके सहरी जियु कॉन है मेरा अब यहाँ पर जो मुझे संभाल लेगा, रह गया हूँ मैं अकेला तुम्हारी बिना मुझे नही पता तुम जहाँ भी हो वापिस आ जाओ मुझसे ये दूरी बर्दाश्त नही होती मैं नही जी पाउन्गा तुम्हारे बिना ये घर मुझे काटने को है तुम्हारे बिना प्लीज़ वापिस आ जाओ देखो मैं परेशान हूँ मैं अकेला हूँ आओ भी जाओ आ भी जाओ ………………………

उस शाम जब मैने निशा से शादी कर ली थी हम दोनो मंदिर मे ही बैठे हुए थे, वो कोई खास शादी नही थी बस मैं उसे अपने से दूर नही जाने देना चाहता था उसको अपने साथ ही रखना चाहता था तो यही मुनासिब लगा मुझे अंदर ही अंदर वो भी ये बात जानती थी पर उसने भी मना नही किया बस हम दोनो थे और मंदिर का पुजारी ना कोई घोड़ी, ना कोई बॅंड-बजा पर हम दोनो जानते थे हमारी फीलिंग्स को

मेरी ज़िंदगी हर कदम पर मुझसे छल करती रही, और मैं सरे राह लूट ता रहा , ये जो ज़िंदगी है मेरी बड़ी ही कुत्ति है , हर सुबह मैं जब नींद से जागता हूँ तो डरते डरते आँखे खोलता हूँ क्योंकि मुझे पता है कि हर सुबह मेरे लिए मुसीबतो का पैगाम लेकर आती है, पर ये तो चलता ही रहता है, मैने निशा को कुछ चूड़िया खरीद कर दी वो कोई ज़्यादा महनगी नही थी बस उधर ही मिल रही थी मंदिर के बाहर

और वो बस उनको ही देख कर खुश हो गयी थी, तो हमारे बीच जो एक चुप्पी सी छा गयी थी उसको तोड़ते हुए आख़िर उसने पूछा कि क्यो किया मैने ऐसा, मैने कहा अब ज़िंदगी गुजारनी है तो तुमसे बेहतर कॉन है जो मुझे समझता है निशा ने कहा झूठ क्यो बोलते हो आख़िर मैने सच कहा कि मैं इस हद तक खुद को अकेला महसूस करता हूँ कि मेरी ज़िंदगी मे उसके सिवा और कोई नही है मैं चाहता हूँ कि वो हर पल मेरे पास रहे

निशा बोली- तो तुम्हे इसके लिए शादी की क्या ज़रूरत थी तुम्हे अपना टाइम काटने के लिए किसी खिलोने की तरह ज़रूरत है मेरी मैं उसकी नरम उंगलियो को सहलाते हुए बोला क्या तुम्हे ऐसा लगता है तो वो बोली देखो-मनीष हम तुम अब बच्चे तो है नही , हर बात को बहुत अच्छे से समझते है और रही बात तुम्हारी तो मैं बहुत अच्छे से जानती हूँ कि हर पल तुम्हारे दिल-ओ-दिमाग़ मे जो मिता की यादे रच-बस गयी है

तुम अब साथ होकर भी साथ नही होते हो मैं जानती हूँ की पिछला कुछ टाइम बहुत अच्छा नही था पर क्या तुम एक नयी शुरुआत कर पाओगे मैने कहा मैं नही जानता पर इतना ज़रूर जानता हूँ की जब भी मैं गिरने लगूंगा तुम्हारी बाहें मुझे संभाल लेंगी इसके सिवा और कुछ नही पता मुझे शाम ना जाने कब रात मे तब्दील होने लगी थी आहिस्ता आहिसता करके,मंदिर मे लोगो की भीड़ बढ़ने लगी थी मैने कहा आओ घर चलते है

कुछ दूर चले ही थे कि रेड लाइट के दूसरी तरफ देल्ही की मशहूर अगरवाल स्वीट्स निशा को वहाँ के गोलगप्पे बहुत पसंद थे इस से पहले कि वो मुझे कहती मैने खुद ही गाड़ी उधर पार्क कर दी वो मुस्कुराइ , उसकी आँखो मे एक अलग सी चमक देखी मैने उस दिन , उसको गोलगप्पे खाते देख कर मुझे बहुत अछा लग रहा था देल्ही की वो शाम जैसे मुझ से कुछ कह रही थी

जब हम घर आ रहे थे तो निशा बार बार खिड़की से बाहर की ओर देख कर छुप छुप कर मुस्कुरा रही थी मैं उस से कारण पूछना चाहता था पर फिर कुछ सोच कर पूछा नही, घर आए निशा चेंज करने चली गयी मैने घर पर फोन मिलाया रिंग जाती रही पर किसी ने पिक नही किया मैने घड़ी मे टाइम देखा रात के 9 बज रहे थे इस टाइम घर वाले कहाँ गये

दो-तीन बार ट्राइ किया पर किसी ने पिक नही किया तो फिर मैने भाभी के मोबाइल पर फोन किया भाभी मुझसे बात करके हमेशा की तरह खुश हो गयी मेरा हाल चल पूछा फिर कुछ फॉर्मल बातों के बाद मैने कहा भाभी मम्मी कहाँ है घर पर फोन किया था तो उठाया नही तो भाभी ने बताया कि ताइजी की तबीयत कुछ नसाज है तो सभी इधर ही है मैने पूछा क्या हुआ – तो पता चला कि कुछ प्रॉब्लम्स है शायद कल अड्मिट करवा दे

मैने कहा भाभी आपको कुछ बतानी थी- वो बोली हाँ कहो मैं सुन रही हो मैनी कहा भाभी मैने शादी कर ली है, अगले कुछ मिनिट तक भाभी की बस साँसे ही सुनाई देती रही फिर उन्होने धीमी सी आवाज़ मे कहा अच्छा किया , आख़िर तुम्हे भी तो गृहस्थी बसानी थी ही मैं खुश हूँ कि तुमने लाइफ मे आगे बढ़ने का सोचा पर अच्छा रहता कि अगर तुम सब घर वालो को बता देते

हम सब के भी कुछ अरमान थे, सोचा था कि तुम्हारी शादी मे जमकर धमाल मचाउन्गी पर मैं समझती हूँ तुम्हारे दिल की हालत को भी ठीक है बस अब जल्दी से देवरानी को लेकर घर आ जाओ वैसे किस से शादी की तुमने तो मैने निशा को बुलाया और कहा लो भाभी से बात करो फिर काफ़ी देर तक उनकी बाते चलती रही फिर मैने दुबारा भाभी से बात की और कहा कि भाभी घरवालो के बता देना तो वो बोली एक मिनिट रूको मैं काकी जी से बात करवाती हूँ
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

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