मेरे पति और मेरी ननद complete
- rangila
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Re: मेरे पति और मेरी ननद
मित्र इस कहानी का जबाब नही दिल करता है कि पढ़ते जाओ ,,,,,,,पढ़ते जाओ...................पढ़ते जाओ.................पढ़ते जाओ
मकसद running.....जिंदगी के रंग अपनों के संग running..... मैं अपने परिवार का दीवाना running.....
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- 007
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Re: मेरे पति और मेरी ननद
भाई आपकी इस कहानी ने तो धमाल कर दिया है
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी
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- xyz
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Re: मेरे पति और मेरी ननद
मैंने नीचे बैठ कर उसके लण्ड को अपनी मुँह में लिया और चूसने लगी। धीरे-धीरे उसके ऊपर के हिस्से को अपनी ज़ुबान से चाटती और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगाती।
मेरी कमर दरवाजे की तरफ थी और दरवाज़ा खुला हुआ ही था और मुझे पता था कि अभी थोड़ी देर में डॉली भी अन्दर देखने लगेगी।
मैंने अपना चेहरा ऊपर किया और चेतन की तरफ देखने लगी.. मुझे उसके चेहरे के हाव-भाव से साफ़ पता चल रहा था कि डॉली दरवाजे पर आ चुकी है।
मेरी नज़र चेतन के पीछे पड़ी हुई ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी.. तो उसके शीशे में मुझे डॉली का अक्स नज़र आया।
डॉली अब चेतन की तरफ देख रही थी और चेतन की नज़र भी उसकी बहन के ऊपर ही थी।
मैंने देखा कि डॉली ने दरवाजे में खड़े-खड़े अपनी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और फिर आहिस्ता से अपनी शर्ट को ऊपर करते हुए अपनी चूचियों को एक्सपोज़ कर लिया।
जैसे ही चेतन की नज़र अपनी बहन की नंगी खूबसूरत चूचियों पर पड़ी तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर के दोनों तरफ रखे और मेरे सिर को पकड़ कर धक्के लगाते हुए मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
मैं भी उसकी गोटियों को सहलाते हुए उसके लण्ड को चूस रही थी और आज मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
चेतन धक्के मारते हुए बोला- और चूस.. मेरी जान और चूस.. जल्दी कर.. जल्दी से निकाल दे मेरा पानी..
मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाला और फिर उसे अपने मुठ्ठी में आगे-पीछे करते हुए बोली- लेकिन डॉली घर पर ही है.. वो किसी भी वक़्त इस तरफ को आ सकती है.. तो हमें देख ना ले..
चेतन अपनी बहन की तरफ देखता हुआ बोला- कुछ नहीं होगा.. वो नहीं आएगी.. तुम बस जल्दी से मेरे लण्ड का पानी चूसो..
उधर डॉली अब अपनी टाइट्स के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी और आँखें बंद किए हुए खुद को ओर्गैज्म पर ले जाने की कोशिश कर रही थी।
यह सब वो अपने भाई के सामने कर रही थी.. ताकि उसके भाई की प्यास और भी बढ़ सके और हो भी ऐसा ही रहा था।
जैसे-जैसे डॉली की मस्ती बढ़ रही थी.. वैसे-वैसे ही चेतन में भी जोश आता जा रहा था। वो पहले से भी जोर-जोर से धक्के मार रहा था और अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर पेल रहा था।
जैसे ही चेतन झड़ने वाला हुआ.. तो मैंने उसका लंड अपनी मुँह से निकाला और उठ गई कि नहीं.. अब मुझे रसोई में जाना है.. कुछ बाद में करूँगी।
डॉली भी फुर्ती से दरवाजे से हट गई और चेतन मुझे रोकता ही रह गया लेकिन मैं वहाँ से चली आई।
कुछ ही देर में चेतन भी चेंज करके बाहर आ गया। उसने अपना एक बरमूडा पहन लिया हुआ था। डॉली ने जैसे ही अपने भाई को देखा तो उसे अपने नज़रों से ही चिढ़ाने लगी। मैं रसोई में ही रही तो वो मुझे बता कर बाहर निकली और आँख मार कर बोली- भाभी, मैं भाई से मिल कर अभी आती हूँ।
हम दोनों हँसने लगे।
डॉली बाहर गई तो चेतन टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. डॉली सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।
चेतन एकदम से घबरा गया और रसोई की तरफ देखते हुए.. उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन डॉली कहाँ मानने वाली थी।
डॉली- क्या बात है भाई.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे.. क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?
चेतन- नहीं नहीं.. डॉली.. ऐसी बात नहीं है.. वो बस तुम्हारी भाभी भी क़रीब ही हैं ना.. तो इसलिए डर लगता है। उसे कहीं जाने दो.. फिर देखना मैं तुम को कैसे चोदता हूँ..
यह कहते हुए चेतन ने एक बार तो अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपनी हाथों में लेकर दबा ही दिया।
डॉली ने भी मस्त होते हुए अपने गर्म-गर्म गुलाबी होंठ आगे बढ़ाए और अपने भाई के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी। थोड़ी देर के लिए तो चेतन भी अपनी बहन की गरम जवानी में सब कुछ भूल गया और डॉली के होंठों को चूमने लगा। लेकिन साथ ही उसे मेरा ख्याल आ गया और फिर उसने खुद को अपनी बहन के जवान जिस्म से अलग कर लिया।
कुछ ही देर में मैंने और डॉली ने टेबल पर खाना लगा दिया और फिर हम सब टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे।
खाने के दौरान भी डॉली मेरे इशारे पर टेबल के नीचे से ही अपने पैर के साथ अपने भाई को टीज़ करती रही और जब भी मौका मिलता तो उसके लण्ड को अपनी पैर से टच कर देती। इस सब के दौरान हर बार चेतन खुद को मेरी नजरों से बचाने की भरसक कोशिश कर रहा था।
खाना खाते हुए ही हमने शाम को फिल्म देखने के लिए चलने का प्लान बना लिया.. जिसको चेतन ने भी मान लिया।
फिर खाने के बाद कुछ देर के लिए हम लोग आराम की खातिर लेट गए।
शाम को हम फिल्म देखने जाने के लिए तैयार होने लगे.. तो मैं डॉली के पास आई और बोली- आज तुमको बहुत ही हॉट और सेक्सी ड्रेस पहनना है।
मेरी कमर दरवाजे की तरफ थी और दरवाज़ा खुला हुआ ही था और मुझे पता था कि अभी थोड़ी देर में डॉली भी अन्दर देखने लगेगी।
मैंने अपना चेहरा ऊपर किया और चेतन की तरफ देखने लगी.. मुझे उसके चेहरे के हाव-भाव से साफ़ पता चल रहा था कि डॉली दरवाजे पर आ चुकी है।
मेरी नज़र चेतन के पीछे पड़ी हुई ड्रेसिंग टेबल पर पड़ी.. तो उसके शीशे में मुझे डॉली का अक्स नज़र आया।
डॉली अब चेतन की तरफ देख रही थी और चेतन की नज़र भी उसकी बहन के ऊपर ही थी।
मैंने देखा कि डॉली ने दरवाजे में खड़े-खड़े अपनी चूचियों को सहलाना शुरू कर दिया और फिर आहिस्ता से अपनी शर्ट को ऊपर करते हुए अपनी चूचियों को एक्सपोज़ कर लिया।
जैसे ही चेतन की नज़र अपनी बहन की नंगी खूबसूरत चूचियों पर पड़ी तो उसने अपने दोनों हाथ मेरे सिर के दोनों तरफ रखे और मेरे सिर को पकड़ कर धक्के लगाते हुए मेरे मुँह को चोदना शुरू कर दिया।
मैं भी उसकी गोटियों को सहलाते हुए उसके लण्ड को चूस रही थी और आज मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था।
चेतन धक्के मारते हुए बोला- और चूस.. मेरी जान और चूस.. जल्दी कर.. जल्दी से निकाल दे मेरा पानी..
मैंने उसके लण्ड को अपने मुँह से बाहर निकाला और फिर उसे अपने मुठ्ठी में आगे-पीछे करते हुए बोली- लेकिन डॉली घर पर ही है.. वो किसी भी वक़्त इस तरफ को आ सकती है.. तो हमें देख ना ले..
चेतन अपनी बहन की तरफ देखता हुआ बोला- कुछ नहीं होगा.. वो नहीं आएगी.. तुम बस जल्दी से मेरे लण्ड का पानी चूसो..
उधर डॉली अब अपनी टाइट्स के अन्दर हाथ डाल कर अपनी चूत को सहला रही थी और आँखें बंद किए हुए खुद को ओर्गैज्म पर ले जाने की कोशिश कर रही थी।
यह सब वो अपने भाई के सामने कर रही थी.. ताकि उसके भाई की प्यास और भी बढ़ सके और हो भी ऐसा ही रहा था।
जैसे-जैसे डॉली की मस्ती बढ़ रही थी.. वैसे-वैसे ही चेतन में भी जोश आता जा रहा था। वो पहले से भी जोर-जोर से धक्के मार रहा था और अपना लंड मेरे मुँह के अन्दर पेल रहा था।
जैसे ही चेतन झड़ने वाला हुआ.. तो मैंने उसका लंड अपनी मुँह से निकाला और उठ गई कि नहीं.. अब मुझे रसोई में जाना है.. कुछ बाद में करूँगी।
डॉली भी फुर्ती से दरवाजे से हट गई और चेतन मुझे रोकता ही रह गया लेकिन मैं वहाँ से चली आई।
कुछ ही देर में चेतन भी चेंज करके बाहर आ गया। उसने अपना एक बरमूडा पहन लिया हुआ था। डॉली ने जैसे ही अपने भाई को देखा तो उसे अपने नज़रों से ही चिढ़ाने लगी। मैं रसोई में ही रही तो वो मुझे बता कर बाहर निकली और आँख मार कर बोली- भाभी, मैं भाई से मिल कर अभी आती हूँ।
हम दोनों हँसने लगे।
डॉली बाहर गई तो चेतन टीवी लाउंज में बैठ कर ही टीवी देख रहा था.. डॉली सीधे जाकर उसकी गोद में बैठ गई।
चेतन एकदम से घबरा गया और रसोई की तरफ देखते हुए.. उसे अपनी गोद से हटाने की कोशिश करने लगा।
लेकिन डॉली कहाँ मानने वाली थी।
डॉली- क्या बात है भाई.. एक ही दिन में आपका दिल मुझसे भर गया है.. अब तो आप मुझसे दूर भाग रहे हो.. और थोड़ी देर पहली कैसे भाभी के साथ मजे कर रहे थे.. क्या अब मैं आपको अच्छी नहीं लगती हूँ?
चेतन- नहीं नहीं.. डॉली.. ऐसी बात नहीं है.. वो बस तुम्हारी भाभी भी क़रीब ही हैं ना.. तो इसलिए डर लगता है। उसे कहीं जाने दो.. फिर देखना मैं तुम को कैसे चोदता हूँ..
यह कहते हुए चेतन ने एक बार तो अपनी बहन की दोनों चूचियों को अपनी हाथों में लेकर दबा ही दिया।
डॉली ने भी मस्त होते हुए अपने गर्म-गर्म गुलाबी होंठ आगे बढ़ाए और अपने भाई के होंठों पर रख दिए और उसे चूमने लगी। थोड़ी देर के लिए तो चेतन भी अपनी बहन की गरम जवानी में सब कुछ भूल गया और डॉली के होंठों को चूमने लगा। लेकिन साथ ही उसे मेरा ख्याल आ गया और फिर उसने खुद को अपनी बहन के जवान जिस्म से अलग कर लिया।
कुछ ही देर में मैंने और डॉली ने टेबल पर खाना लगा दिया और फिर हम सब टेबल पर बैठ कर खाना खाने लगे।
खाने के दौरान भी डॉली मेरे इशारे पर टेबल के नीचे से ही अपने पैर के साथ अपने भाई को टीज़ करती रही और जब भी मौका मिलता तो उसके लण्ड को अपनी पैर से टच कर देती। इस सब के दौरान हर बार चेतन खुद को मेरी नजरों से बचाने की भरसक कोशिश कर रहा था।
खाना खाते हुए ही हमने शाम को फिल्म देखने के लिए चलने का प्लान बना लिया.. जिसको चेतन ने भी मान लिया।
फिर खाने के बाद कुछ देर के लिए हम लोग आराम की खातिर लेट गए।
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