मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन complete
- jay
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
bhai ekdum mast kahaani hai
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).
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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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- rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
xyz wrote:hot kahani raj bhai ji
jay wrote:bhai ekdum mast kahaani hai
शुक्रिया दोस्तो
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
गली मे धुन्ध छाई हुई थी…..जिसके कारण थोड़ी दूर तक ही नज़र आ रहा था… मे अभी दुकान से कुछ दूर था…और जैसे ही मे सुमेरा चाची के घर के सामने से गुज़रा तो, ठीक उसी वक़्त सुमेरा चाची हाथ मे बाल्टी लिए बाहर आए…. सुमेरा चाची भैंस का दूध निकालने जा रही थी….उनके घर के ठीक सामने ही उनका एक छोटा सा प्लॉट था…जिसके चारो तरफ बड़ी-2 बौंड्री थी…और सामने एक लकड़ी का दरवाजा था….जैसे ही सुमेरा चाची की नज़र मुझ पर पड़ी….तो वो मुस्कुराते हुए बोली….”सवेरे सवेरे किधर दी सैर हो रही है….?” (सुबह सुबह कहाँ घूमने जा रहे हो….) मैं उसके पास रुक गया….”वो दुकान से ब्रेड और अंडे लेने जा रहा था…”
सुमेरा चाची ने गेट बंद किया और गाली मे इधर उधर नज़र मारी….सर्दी की वजह से कोई दिखाई नही दे रहा था…अगर गली मे कोई होता भी तो, धुन्ध के कारण हमे देख नही पाता…सुमेरा चाची मेरे पास आई और धीरे से बोली…”हवेली मे चल….” लेकिन मैने सॉफ मना कर दिया…कह दिया कि, नजीबा घर पर अकेली है… मे दुकान पर गया….वहाँ से दूध और अंडे खरीदे और घर के तरफ चल पड़ा….जब मे घर के पास पहुँचा तो, मैने देखा कि हमारे घर के बाहर एक मोटर साइकल खड़ी है…फिर जब और पास पहुचा तो मोटर साइकल देख कर पता चला कि, ये बाइक तो नजीबा के मामा की है…
मैने गेट को धकेला तो, गेट खुल गया….सामने बरामदे मे नजीबा के मामा और मामी जी बैठे हुए थे….मैं अंदर गया तो नजीबा किचन से बाहर आ गयी.. मैने उसको ब्रेड और अंडे पकड़ाए…..और फिर नजीबा के मामा मामी के पैर छुए…दुआ सलाम के बाद मे उनके पास ही बैठ गया…नजीबा चाइ बना कर ले आई…”आप इतनी सुबह-2 सब ख़ैरियत तो है ना….?” मैने नजीबा के मामा से पूछा….
”हां सब ठीक है…हम नजीबा को लेने आए थे….इसकी मामी ने आज सहर मे शॉपिंग के लिए जाना है…ये कह रही थी कि, नजीबा को साथ लेकर जाउन्गि.. कि नजीबा की चाय्स बहुत अच्छी है….
मैं: ओह्ह अच्छा….ज़रूर ले जाए….
मैने नजीबा की ओर देखते हुए कहा….उसके आँखे मानो मुझे थॅंक्स बोल रही थी… कि मैने ख़ुसी-2 उसे उसके मामा मामी के साथ जाने के लिए हां कह दी…
मामी: चल बेटा तैयार हो जा फटाफट…
नजीबा: मामी से बस 15 मिनट बैठिए….मे नाश्ता बना लाउ…फिर चलते है….
उसके बाद नजीबा नाश्ता बनाने लगी….मे उसके मामा मामी से इधर उधर के बातें करने लगा….नजीबा ने नाश्ता बनाया और मुझसे पूछा…मैने कहा कि, मैं बाद मे खा लूँगा..तुम जाकर तैयार हो जाओ….नजीबा तैयार होने चली गयी,…..मुझे ख़याल आया कि, नजीबा भी जा रही है…और मे घर पर अकेला हो जाउन्गा…क्यों ना सुमेरा चाची या रीदा को अपने घर पर अकेले होने के बारे मे बता दूं…आज घर बुला कर दोनो मे से किसी एक की अच्छी तरह फुद्दि मारूँगा….अब मैं मन ही मन दुआ कर रहा था की, नजीबा के मामा मामी नजीबा को जल्दी से लेकर घर से चले जाए…
करीब 15 मिनट बाद नजीबा तैयार होकर बाहर आई…..उसने महरूण कलर का सलवार कमीज़ पहन रखा था…आज तो वो गजब ढा रही थी….उसके मामा मामी उसे साथ लेकर चले गये….उनके जाने के बाद मे घर से निकला और गेट को ताला लगा कर सुमेरा चाची के घर की तरफ चल पड़ा…लेकिन शायद आज मेरी किस्मत ही खराब थी…सुमेरा चाची रीदा और फ़ारूक़ चाचा तीनो घर के बाहर खड़ी टॅक्सी मे बैठ रहे थे…शायद वो भी कही जा रहे थे….इसलिए मैं पीछे से ही मूड आया…घर पहुचा गेट का ताला खोल अंदर गया…और नाश्ता प्लेट मे डाल कर खाने लगा…नाश्ते के बाद मैने बर्तन किचन मे रखे…और अपने रूम मे आकर टीवी ऑन किया और बेड पर रज़ाई ओढ़ कर बैठ गया….
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- rajaarkey
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
मैं मन ही मन अपने आप को कोस रहा था…थोड़ी देर पहले कितना अच्छा मोका था…सुमेरा चाची को चोदने का…जो मैने गवा दिया था…बेड पर बैठे-2 एक बार फिर से वही यादें ताज़ा होने लगी….........................
.उससे अगले दिन जब मे स्कूल से आने के बाद सुमेरा चाची के घर गया तो, रीदा आपी उस दिन घर पर अकेली थी…सुमेरा चाची फ़ारूक़ चाचा के साथ किसी रिस्तेदार के घर गयी हुई थी…उस दिन भी मेरे दिमाग़ मे कल वाला वाक़या और बिल्लू की कही हुई बातें घूम रही थी….जब मे रीदा आपी के साथ ऊपेर आया तो, हम उनके कमरे मे चले गये….रीदा आपी ने मुझसे मेरा स्कूल बॅग खोलने को कहा…मैने बॅग खोला तो, उन्होने ने मेरी स्कूल डाइयरी निकाल कर चेक की..और फिर मुझे होम वर्क करने को कहा….मैं अपना होम वर्क करने लगा….
रीदा आपी ने बच्चो को चेक किया…जब उन्हे इतमीनान हो गया कि, बचे सो रहे है तो, वो मुझसे बोली…”समीर मे कपड़े धोने जा रही हूँ…तुम होम वर्क करो… और हां आवाज़ मत करना…नही तो बच्चे उठ गये तो, मेरा काम बीच मे ही रह जायगा….आज अम्मी भी घर पर नही है…”
मैने रीदा आपी की बात सुन कर हाँ मे सर हिला दिया…रीदा आपी बाहर चली गयी…और कपड़े धोने के लिए बाथरूम मे चली गयी…..मैं अपनी बुक्स निकाल कर बैठ तो गया था…लेकिन मेरा मन पड़ाई मे नही लग रहा था….बार-2 मेरा ध्यान बिल्लू चाचा की कही बातो की तरफ जाता…मेरे जेहन मे यही चल रहा था कि क्या सच मे फुददी मारने से इतना मज़ा आता है…मैं शुरू से ही दिलेर किस्म का सख्स था….इसलिए कुछ भी करने से डरता नही था….बिल्लू की एक बात मेरे जेहन मे बस चुकी थी….कि अगर कोई औरत जो चुदवाने के लिए तरस रही हो…अगर वो किसी का सख़्त और तगड़ा लंड देख ले तो, वो खुद उसके आगे पीछे घूमने लगती है..
इस बात ने मेरे जेहन मे तूफान उठा रखा था….जब मेरे जेहन मे कल सुमेरा चाची के रूम का वाक़या आया तो, मेरा लंड जो कि उस समय 6 इंच के करीब हो चुका था…वो धीरे-2 मेरी सलवार मे सर उठाने लगा था….मैं अपने खालयों मे खोया हुआ ये सपना देख रहा था कि, मैं और सुमेरा चाची दोनो एक दम नंगे बेड पर लेटे हुए है…और मैं सुमेरा चाची के ऊपेर चढ़ा चाची की फुद्दि मे अपने लंड को तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा हूँ….ये ख़याल मेरे जेहन मे ऐसा समा चुका था.. कि मुझे लग रहा था कि, जैसे सब कुछ मेरे आँखो के सामने हो रहा हो….
ये सब सोचते हुए मेरा लंड पूरी तरह सख़्त हो चुका था….और मुझे पता नही चला कब मैने अपने लंड को सलवार के ऊपेर से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया… मैं पता नही कब से यही सब सोच रहा था…लेकिन मेरे ख्वाबी महल उस वक़्त धराशाही हो गये….जब रीदा आपी का एक बेटा एक दम से उठ गया….मैने चोन्कते हुए उसकी तरफ देखा तो, वो हल्का सा रोया और फिर उसने अपनी आँखे धीरे-2 बंद कर ली… तब मैने अपने लंड की ओर गोर किया…जो सलवार को ऊपेर उठाए हुए था…लंड इतना सख़्त खड़ा था कि, अब मुझे उसमे हल्का -2 दर्द होना शुरू हो गया था…मुझे फील हो रहा था…जैसे मुझे तेज पेशाब आ रहा हो….
मैं बड़ी आहिस्ता से बेड से नीचे उतरा…ताकि रीदा आपी के बच्चे उठ ना जाए…बेड से उतरने के बाद मैं रूम से बाहर आया….और बाथरूम की तरफ गया….ऊपेर जो बाथरूम था…उसमे मे एक साइड पर कमोड था….टाय्लेट के लिए अलग से बाथरूम नही था….मैं बाथरूम के डोर पर खड़ा हुआ…तो मेरी नज़र रीदा आपी पर पड़ी.. वो नीचे पैरो के बल बैठी हुई, कपड़ो को रगड़ रही थी…रीदा आपी के बड़े-2 मम्मे आगे की तरफ झुकने की वजह से बाहर आने को उतावले हो रहे थे…. मैं उसके बड़े-2 सफेद मम्मो को सॉफ देख सकता था….रीदा आपी की ब्लॅक कलर की ब्रा की हलकी से झलक भी ऊपेर से सॉफ दिखाई दे रही थी….ये सब देख कर मेरा लंड और ज़यादा सख़्त हो गया….”आपी….” मैने डोर पर खड़े होकर रीदा आपी को पुकारा…तो रीदा आपी ने मेरी तरफ देखते हुए बोला…”क्या हुआ…?”
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Re: मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
मैं: आपी वो मुझे बाथरूम जाना है….
रीदा आपी मेरी बात सुन कर खड़ी हो गयी….उन्होने ने कपड़ो को एक साइड किया और बाहर आ गयी…”जाओ…” वो बाहर खड़ी हो गयी…मैं जल्दी से अंदर गया…कमोड के सामने खड़ा होकर मैने आगे से अपनी कमीज़ को ऊपेर उठाया…और अपनी सलवार का नाडा खोलने लगा…लेकिन जैसे ही मैने सलवार का नाडा खोलना शुरू किया….तो उसमे गाँठ पड़ गयी…मैं सलवार का नाडा खोलने की जितनी कॉसिश करता..गाँठ उतनी टाइट हो जाती…गर्मी की वजह से मे अंदर पसीना पसीना हो रहा था..लेकिन गाँठ खुलने का नाम ही नही ले रही थी…मैं मजीद कॉसिश कर रहा था…. “समीर क्या हुआ…इतनी देर अंदर सो तो नही गये हाहाहा….” बाहर से रीदा आपी के हँसने की आवाज़ आ रही थी….मैं कुछ ना कह पाया…एक मिनट बाद फिर से रीदा आपी ने कहा..”समीर….”
मैं: जी आपी….
रीदा: समीर मसला क्या है….? इतना टाइम क्यों लगा रहे हो….?
मैं: आपी वो नाडे मे गाँठ पड़ गयी है….खुल नही रहा…
मेरे बात सुनते ही रीदा आपी बाथरूम के अंदर आ गयी….और हंसते हुए बोली… “सबाश ओये…सलवार का नाडा नही खुलता तुझसे…आगे चल कर तेरा पता नही क्या बनने है….?
“ उस वक़्त मेरी बॅक रीदा आपी की तरफ थी…”अब इसमे गाँठ पड़ गयी तो मेरा क्या कसूर…..खुल ही नही रही….”
मेरी बात सुन कर रीदा आपी कहकहा लगा कर हँसने लगी..और मूह से चूचु की आवाज़ करते हुए बोली….”सदके जावां तेरे… तेरे से एक नाडा नही खुलता…शादी के बाद पता नही तेरा क्या बनना है…”
“अब इसका मेरी शादी से क्या कनेक्षन…” मैने खीजते हुए कहा….
“चल हट ला मुझे दिखा…” रीदा आपी ने एक दम से मेरे कंधा पकड़ कर मुझे अपनी तरफ घुमा लिया…एक पल के लिए तो मैं इस बात को लेकर सहम गया कि, अगर रीदा आपी ने मेरे लंड को इस तरह खड़े सलवार मे तंबू बनाए देख लिया तो, पता नही क्या सोचेंगे… पर अगले ही पल बिल्लू की बात जेहन मे घूम गये….मैं भी रीदा आपी की तरफ घूम गया….और जैसे ही वो सलवार का नाडा खोलने के लिए पैरो के बल नीचे बैठी…उसने मेरी कमीज़ को आगे से पकड़ कर ऊपेर उठाते हुए कहा….”ले पकड़ इसे…” मैने जैसे ही कमीज़ ऊपेर की..रीदा आपी ने मेरे सलवार का नाडा पकड़ लिया…तभी रीदा आपी को जैसे शॉक लगा हो…उसके हाथो की हरक़त चन्द पलो के लिए रुक गये…
वो आँखे फाडे मेरे सलवार मे बने हुए तंबू को देख रही थी…जो उसके हाथो के ठीक 1 आधा इंच ही नीचे था…मैने गोर किया कि, रीदा आपी के हाथ बड़ी स्लोली मूव कर रहे थे….और उसकी नज़र मेरी सलवार मे बने तंबू पर थी…रीदा आपी के आँखे चमक गयी थी…उनके गोरे गाल लाल सुर्ख हो गये….मुझे आज भी याद है…कि मेरे लंड को सलवार के ऊपेर से देख किस क़दर तक गरम हो चुकी थी.. उन्होने ने आपने गले का थूक अंदर निगला….और फिर से मेरे सलवार मे बने हुए तंबू को आँखे फाडे देखने लगी…फिर मुझे पता नही आपी ने जान बुज कर या अंजाने मे अपने हाथो से सलवार के ऊपेर से मेरे लंड को टच किया तो, मेरे लंड ने ज़ोर दार झटका मारा….जो आपी की हथेली पर टकराया…मैने आपी के जिश्म को उस वक़्त काँपता हुआ महसूस किया…”आपी जल्दी करें….बहुत तेज आ रहा है….” मैने आपी की तरफ देखते हुए कहा तो उन्होने हां मे सर हिला दिया….और मेरी सलवार का नाडा खोल दिया…जैसे ही मेरी सलवार का नाडा खुला मैने सलवार की जबरन पकड़ ली. और आपी की तरफ पीठ करके खड़ा हो गया….
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