सियासत और साजिश complete

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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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टीना: भाई लगता है….सुमन दीदी आई हैं….

और टीना भागते हुए अंदर चली गयी….अंदर हाल मे राज और टीना सोफे पर बैठे हुए थी….उनके साथ अजीत शर्मा, बैठा हुआ था…और वीना अंदर किचिन मे थी…सुमन को देखते ही…टीना उसकी तरफ तेज़ी से बढ़ी….और सुमन भी सोफे से खड़ी हो गयी….दोनो बहनें एक दूसरे के गले लगी…टीना की आँखों मे आँसू झलक आए…

सुमन: अर्रे पागल हो क्या, क्यों रो रही हो….

टीना: (मुस्कुरा कर अपने आँसू सॉफ करते हुए) दीदी आपके जाने के बाद ये घर एक दम सूना सा हो गया है…आप की बहुत याद आती है…..

सुमन: मुझ भी आप सब की बहुत याद आती है.

ये कहते हुए सुमन की आँखों मे भी आँसू आ गये….अमित वहाँ दूर खड़ा सब देख रहा था…जब राज ने उसे इस तरहा से देखा तो…उसने अमित से पूछा.

राज : कैसे हो अमित.

अमित: ठीक हूँ…

ये कह कर वो सीधा अपने रूम मे चला गया…..टीना सुमन को साथ लेकर अपने रूम मे आ गयी, और उससे बातें करने लगी….उधर अमित अपने रूम मे तेज़ी से इधर उधर टहल रहा था…उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था, कि वो क्या करे …अब बहुत देर हो चुकी थी….और बिना सोचे समझे कुछ भी करना ठीक नही था…तभी उसे टीना के रूम से सुमन और टीना के हँसने की आवाज़ आई….वो सीधा टीना के रूम मे चला गया…

जैसे ही अमित रूम मे आया, तो सुमन खड़ी हो गयी…और अपने भाई के गले लग कर उससे उसका हाल चाल पुन्छने लगी….

सुमन: क्या बात है अमित….मुझसे बात किए बिना ही अंदर चला आया…अपनी दीदी से बात नही करेगा….

अमित: (होंठो पर झूठी मुस्कान लाते हुए) नही दीदी ऐसे बात नही है…दरअसल मेरी तबीयत कुछ ठीक नही थी आज…..आप कैसे हो…

सुमन: मे ठीक हूँ….

अमित: दीदी आप वहाँ खुश तो है ना ?

सुमन: हां मे खुस हूँ….बहुत खुस….

अमित: दीदी मुझ आपसे कुछ बात करनी थी….

सुमन: हां बोल ना क्या बात है…

अमित: दीदी अकले मे….

सुमन: ऐसी क्या बात है जनाब…

अमित: दीदी प्लीज़…

सुमन: अच्छा-2 चल तेरे रूम मे चल कर बात करते हैं….

दोनो अमित के रूम मे आ गये….

सुमन: बेड पर बैठते हुए) हाँ अब बोल क्या बात है.

अमित: वो बात ऐसी है वो मे…

सुमन: ये वाउ ओ क्या कर रहा है….सही से बोल ना क्या कहना चाहता है….

अमित की आँखों मे आँसू आ गये….सुमन जल्दी से खड़ी हुई, और अमित के झुके फेस को अपने हाथों मे भरते हुए, ऊपेर उठा कर उसके आँसुओं को सॉफ किया….

सुमन: पागल लड़कियों की तराहा क्यों रो रहा है…

अमित: मुझ माफ़ कर दो दीदी मुझ से बहुत बड़ी ग़लती हो गयी है….

सुमन: तू बता तो सही क्या कहना चाहता है…

अमित ने अपने आँसुओं को सॉफ किया, और सुमन को सारी बात बता दी….सुमन के पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी….उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी….उसे यकीन नही हो रहा था, कि अमित ने जो कहा वो सच है…..अमित की बात सुन कर सुमन की आँखे भी आँसू से भर गये….

अमित: दीदी मुझ लगता है…हमे ये बात मम्मी पापा को बता देनी चाहिए….

सुमन: (जल्दी से अपने आँसुओं को सॉफ करते हुए) नही अमित..ये ठीक नही होगा…वो तो पहले से बहुत दुखी हैं…ऐसे मे अगर उन्हे ये बात पता चली, उनके दिल पर नज़ाने क्या बीते गे….और वैसे भी अब बहुत देर हो चुकी है…तुम ये बात किसी को नही कहोगे…अब यही मेरी जिंदगी की नीयती है…प्लीज़ मम्मी पापा से कुछ ना बोलना…

अमित: पर दीदी ?

सुमन: तुम्हे मेरी कसम अमित. प्लीज़ तुम ये बात किसी को नही बताओगे…

तभी अजीत शर्मा अमित के रूम मे आ गया…..

अजीत शर्मा: अब दोनो भाई बेहन बातें ही करते रहोगे..चलो नीचे नाश्ता तैयार है कर लो….मे टीना को बोल कर आता हूँ…

सुमन बुझी हुई सी नीचे आ गयी….अमित वहीं अपने रूम मे बैठा , अपनी किस्मत को कोस रहा था….अब वो चाह कर भी कुछ नही कर सकता था….भले ही राज का सुमन को पाने का रास्ता ग़लत था….पर उसने सुमन से शादी की थी….वहाँ से चलने के बाद जब राज और सुमन हवेली की ओर जा रहे थे…..तब सुमन का फेस एक दम उतरा हुआ सा था…उसकी तो एक ही पल मे सारी खुशियाँ छीन ली गयी थी…उसे पति तो मिला. पर दौलत के नशे मे उसके पति की आँखे बंद थी….


आज राज की शादी को तीन महीने हो चुके थी….जून का मंथ शुरू ही हुआ था, और साहिल की सम्मर वकेशन स्टार्ट हो चुकी थी….जैसे ही साहिल घर वापिस आया, तो वो डॉली से गाँव जाने की ज़िद्द करने लगा….और आख़िर डॉली ने साहिल की बात मानते हुए, गाँव जाने का फैंसला कर लिया….अगले ही दिन साहिल डॉली और रवि तीनो गाँव पहुँच गये…..राज अपनी बेहन और भानजे को देख कर बहुत खुश हुआ,….

दोस्तो मे आप को यहाँ पर ये बता देना चाहता हूँ, कि ये उस समय की बात है जब मोबाइल फोन की शुरुआत भी नही हुई थी.….और अगर किसी का हाल चाल जानना होता तो लॅंड लाइन के सहारे रहने पड़ता था…जिस दिन डॉली साहिल और रवि गाँव पहुँचे , तो अजीत शर्मा (डॉली का ससुर) गाँव हवेली मे फोन करना भूल गया था, कि डॉली और साहिल ठीक से पहुँचे है कि नही…..
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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इतफाक से उस दिन सुमन अपने मायके गयी हुई थी…..दोपहर का खाना खाने के बाद तीनो आराम करने के लिए चले गये….जब शाम को डॉली उठ कर नीचे आई तो, राज कहीं जाने की तैयारी कर रहा था…

डॉली: भैया आप कहीं जा रहे हैं…..

राज : हां कुछ ज़रूरी काम है….इसीलिए जाना पड़ रहा है…..एक काम करना. तुम्हारा जो भी दिल करे हरिया काका से कह कर बनवा लेना रात के खाने मे…मेरा इंतजार ना करना..हो सकता है मे आज रात को वापिस ना आ पाऊ….

डॉली: ठीक है भैया…..आप जाए….

राज ने बाहर आकर अपनी कार स्टार्ट के और चला गया…..रात हो चुकी थी….पर राज अभी तक नही आया था….हरिया ने उनके लिए रात का खाना तैयार कर दिया, और पीछे बने अपने रूम मे चला गया…तीनो ने खाना खाया, और डॉली साहिल को लेकर अपने रूम मे सोने के लिए चली गयी…..

आज राज घर पर नही था….डॉली की ससुराल मे भी अक्सर घर पर कोई ना कोई होता था….इसीलिए आज डॉली और रवि दोनो के लिए बहुत अच्छा मोका था….पर डॉली हवेली मे रवि से दूर ही रहना चाहती थी….रात के 12 बज रहे थे….चारो तरफ सन्नाटा छाया हुआ था….बाहर बादलों की हो रही गड़गड़ाहट की आवाज़ हवेली की दीवारों को चीर कर अंदर आ रही थी…..

आज हवा तूफ़ानी रूप ले चुकी थी….जोरो के आँधी चल रही थी….और सारा गाँव अपने घरों मे दुबका हुआ था…..जैसे आज कोई कयामत आने वाली हो…बारिश के साथ तेज हवा और बिजली की तेज कान फाड़ देने वाली आवाज़ ने खोफ़नाख़् माहॉल सा बना दिया था…

इस बीच रवि हवेली के अंदर है एक रूम मे लेटा हुआ था….जब उससे रहा नही गया तो वो उठ कर ऊपेर चल दिया….ऊपेर पहली मंज़िल पर डॉली के रूम के सामने जाकर खड़ा हो गया, और डोर को हल्का सा नॉक किया….जब डॉली ने उठ कर डोर खोला, तो रवि ने एक झटके से डॉली का हाथ पकड़ कर उसे बाहर खैंच लिया….और डोर को बंद कर दिया…

डॉली: ये क्या रहे हो….पागल हो गये हो क्या ?

रवि: ओह्ह मेरी महा रानी जी आपका ये दास कब से आपके दीदार को तरस रहा है…और आप है कि घोड़े बेच कर सो रही हो…

डॉली: (रवि की बात सुनते ही डॉली के होंठो पर मुस्कान आ गयी) तुम अब बहुत तंग करने लगे हो…अब तुम्हारी शादी करनी पड़ेगी….

रवि: मुझ शादी करने की क्या पड़ी है….मे तो सारी जिंदगी आपके साथ यूँ ही रहना चाहता हूँ….

डॉली: क्यों मुझमे ऐसी क्या बात है…..और अब मेरी उम्र भी तो धल रही है….

रवि: आप चाहे 80 साल की हो जाएँ…पर मे हमेशा आप से यूँ ही प्यार करता रहूँगा….आप हैं ही इतनी खूबसूरत….

ये कहते हुए….रवि ने डॉली को अपनी बाहों मे भर लिया….और अपने होंठो को डॉली के होंठो की तरफ बढ़ाने लगा….डॉली ने अपने फेस पर रवि के गरम साँसों को महसूस करके मदहोशी मे अपनी आँखे बंद कर ली….और अपने होंठो पर रवि के होंठो के स्पर्श का इंतजार करने लगी….

रवि ने उसके होंठो को अपने होंठो मे भर लिया, और चूसने लगा….डॉली आज कई दिनो बाद अपने जिस्म को रवि के जिस्म के साथ महसूस कर रही थी…उसके बदन मे मस्ती की लहर दौड़ गयी….और उसने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया….रवि डॉली के दोनो होंठो को अपने होंठो मे भर कर चूस रहा था…..

और रवि के हाथ डॉली के पीठ को सहलाते हुए, नीचे उसके चुतड़ों की तरफ जा रहे थे…पतली सी नाइटी पर से डॉली रवि के हाथों को अपने जिस्म पर रेंगता हुआ सॉफ महसूस कर पा रही थी….जैसे ही रवि ने डॉली के चुतड़ों को नाइटी के ऊपेर से अपनी हथेलियों मे भर कर दबया….डॉली के पूरे बदन मे सिहरन दौड़ गयी.. और उसके मुँह से मस्ती भरी आह निकल गयी…..

डॉली: सीईईईईई उम्ह्ह्ह्ह्ह रवि अब यहीं खड़े रहोगे…. क्या….मुझ कहीं लेकर चलो….मेरी चूत मे आग लगी हुई…अब इसे जल्दी से बुझा दो…

रवि ने डॉली की बात सुनते ही, उसे अपनी बाहों मे उठा लिया, और नीचे की ओर आने लगा…डॉली उसके गले मे अपनी बाहें डाले हुए, रवि की ओर देख कर मुस्कुरा रही थी..और रवि नीचे उतर रहा था….

रवि: (जब उसे डॉली को यूँ मुस्कुरा कर अपनी तरफ देखते हुए देखा) ऐसे क्यों देख कर मुस्कुरा रही हो आप…

डॉली: मे देख रही हूँ, कि अब तुम इतने बड़े हो गये, कि मुझे गोद मे उठा कर लेजा रहे हो….

रवि: ओह्ह वैसे आप तो फूल से भी हल्की हो….मे तब भी आप को ऐसे उठा सकता था…जब मे आपके प्यार मे दीवाना हुआ था…

रवि नीचे आकर सीधा उस रूम की ओर बढ़ा, जहाँ वो कुछ देर पहले लेटा हुआ था… अंदर आते ही उसने डॉली को बेड पर लिटा दिया….डॉली ने उसके शर्ट को पकड़ कर उसे अपने ऊपेर खैंच लिया…और रवि के होंठो से अपने होंठो को सटा दिया….और पागलों की तरहा रवि के होंठो को चूसने लगी…

रवि बेड पर डॉली के ऊपेर आ गया….और डॉली को अपनी बाहों मे भरते हुए, उसके होंठो को चूसने लगा….उसके हाथ डॉली की चुचियों को मसल रहे थे…डॉली के बदन मे मस्ती की लहरें दौड़ रही थी….डॉली ने जल्दी से अपने हाथों को नीचे ले जाकर रवि के पाजामा की इलास्टिक मे डाल कर उसे नीचे सरका दिया….

जैसे ही रवि का पजामा उसकी जाँघो तक आया…..उसका तना हुआ लंड झटके ख़ाता हुआ बाहर आ गया…दोनो के होन्ट अभी भी आपस मे उलझ रहे थे….फिर डॉली ने जल्दी से अपनी नाइटी को कमर तक ऊपेर किया, उसने नीचे पैंटी नही पहनी हुई थी…और रवि के लंड को पकड़ कर अपनी चूत के छेद पर लगा दिया…

डॉली: (रवि के होंठो से अपने होन्ट अलग करते हुए) ओह्ह्ह रवि जल्दी करो, कहीं साहिल उठ ना जाए….प्लीज़ फक मी हार्ड….रवि ने डॉली की टाँगों को घुटनो से मोड़ कर ऊपेर उठा कर दोनो तरफ फैला दिया, और अपने लंड को आगे की तरफ धकेला….लंड का सुपाडा डॉली की चूत के भीगे हुए छेद मे अंदर घुसता चला गया…जैसे ही रवि के लंड का सुपाडा डॉली की चूत मे गया….डॉली ने अपने चुतड़ों को ऊपेर की तरफ उछाला…उसके चूतड़ सीधा रवि की जाँघो से थप की आवाज़ से टकराए….
mini

Re: सियासत और साजिश

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wah wahhhhhhhh nice
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mastram
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Re: सियासत और साजिश

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रवि का लंड पूरा का पूरा एक ही बार मे उसकी चूत मे समा गया था…..डॉली ने अपनी बाहों को रवि की पीठ पर कस लिया….और रवि ने तेज़ी से शॉट लगाने चालू कर दिए. रवि का लंड तेज़ी से डॉली की चूत के अंदर बाहर हो रहा था….और डॉली की सिसकारियाँ पूरे रूम मे गूँज रही थी….बाहर अभी भी तेज़ी से बारिश हो रही थी. बाहर जेनरेटर चल रहा था, क्योंकि लाइट कट थी….

और जेनरेटर की आवाज़ दूर -2 तक गूँज रही थी…..तभी हवेली का मेन गेट खुला, और राज की कार अंदर आ कर रुक गयी….अंदर डॉली और रवि वासना के सागर मे इस कदर डूबे हुए थे, कि उनको अंदाज़ा तक भी नही था, कि बाहर क्या हो रहा है…और होता भी कैसे…एक तो जेनरेटर की आवाज़ और दूसरी बादलों के गऱजने की आवाज़…हाल का मेन डोर लॉक था….

अंदर डॉली तेज़ी से अपनी गान्ड हिलाते हुए रवि के लंड को अपनी चूत मे पेलवा रही थी, और दोनो झड़ने के बेहद करीब थे….जब दोनो झड गयए….वो वैसे ही लेटे रहे…इस बात से अंजान कि बाहर चोखट पर उनकी मौत दस्तक दे रही है….

राज अपनी कार से नीचे उतरा….और साथ मे सुमन भी….डॉली और साहिल घर आए हुए थे….इसीलिए राज वापिस आता हुआ, सुमन के घर जाकर उसे भी साथ ले आया था….राज ने जैसे ही डोर के पास पहुँच कर डोर खोला, तो डोर अंदर से लॉक था….राज ने अपनी पेंट की जेब मे हाथ डाला, और उस डोर के दूसरी चाबी निकाल ली.

जो हमेश राज के पास रहती थी….राज ने डोर खोला, और सुमन के साथ अंदर आ गया…अंदर आते ही राज ने डोर लॉक किया….और अपने रूम की तरफ जाने लगा. सुमन भी उसके पीछे जाने लगी….

राज : लगता है डॉली और साहिल सो गये है…..चलो कल सुबह मिल लेना….

सुमन: जी सुबह ही मिलेंगे….

दोनो अपने रूम मे आ गये….जब राज ने रूम मे आकर देखा, तो रूम मे पानी नही था…उसने सुमन को कहा कि, वो चेंज करे….मे पानी लेकर आता हूँ…और ये कह कर राज पानी लेने के लिए किचिन के तरफ जाने लगा…किचिन हवेली के सबसे आगे वाले हिस्से मे एक साइड मे था….और उसी के साथ वाले रूम मे रवि और डॉली थे….जैसे ही वो किचिन के पास पहुँचा ….तो उसे उस रूम से डॉली के हँसने की हल्की सी आवाज़ सुनाई दी….

डॉली की आवाज़ सुनते ही, राज एक दम से चोंक गया…और उस रूम की तरफ बढ़ने लगा….जैसे -2 वो उस रूम की तरफ बढ़ रहा था, डॉली और रवि की आवाज़ और सॉफ होती जा रही थी…..राज मन मे सोच रहा था, कि आख़िर डॉली इतनी रात को इस रूम मे क्या कर रही है…पर इस रूम मे तो नौकर सोते हैं….जब राज रूम के पास पहुँचा, तो उसने देखा कि रूम का डोर हलका सा खुला हुआ है…राज ने डोर को धकेला, और अंदर आ गया…..

रवि अभी भी वैसे ही डॉली ऊपेर लेटा हुआ था….जब डोर खुल कर दीवार से टकराया. तो दोनो एक दम से घबरा गये….अपने सामने खड़े राज को देख कर दोनो के हाथ पैर काँपने लगे…मानो जैसे सामने यमराज खड़ा हो…दोनो के दिलो ने धड़कना बंद कर दिया…..राज ने जो देखा, उसे देख कर उसकी बाहों के मांसपेशियाँ फडफडाने लगी..आँखे गुस्से से ऐसी लाल हो गयी….जैसे मानो उनमे खून उतर आया हो….डॉली ने जल्दी से अपनी नाइटी ठीक की, और उठ कर राज के पैरों मे गिर पड़ी….

डॉली: भैया हमे माफ़ कर दो…..हम से ग़लती हो गयी….

राज ने नज़रे उठा कर रवि की और देखा, वो सर को झुकाए खड़ा था…उसका पूरा बदन डर के मारे थर-2 कांप रहा था..

राज : हराम की औलाद….साले जिस थाली मे खाया, उस मे छेद करता है….

ये कहते ही, राज ने अपनी पिस्टल निकाल ली, और रवि की तरफ तान दी…

रवि: बाबू जी मुझे माफ़ कर दो….(सामने तनी हुई पिस्टल को देख कर रवि एक दम से घबरा गया)

इससे पहले कि रवि कुछ और बोलता….राज ने उस पर गोली दाग दी…गोली उसके माथे मे छेद करते हुए. पीछे से उसके से निकल गयी….और रवि पीछे की ओर दीवार से जा टकराया….और अगले ही पल उसके जिस्म से प्राण निकल गये….उसके सर के पिछले हिस्से से निकले खून की फुँहार से दीवार लथपथ हो गयी….

जैसे ही डॉली ने रवि की तरफ देखा, वो एक दम से चीख उठी….और खड़ी होकर रवि की तरफ भागी…..पर फिर से एक और गोली चलने की आवाज़ से पूरी हवेली गूँज उठी..,.दोनो गोलयों के चलने मे महज 8 सेकेंड का फाँसला था….गोलियों के चलने की आवाज़ सुन कर सुमन एक दम से घबरा गयी…और तेज़ी से बाहर की तरफ भागी….

दूसरी गोली डॉली के ठीक सर के पीछे लगी….और वो वहीं रवि के ऊपेर ढेर होकर गिर पड़ी….डॉली के सर से बहता खून पूरे फर्श पर फैल गया…जब सुमन उस रूम मे पहुँची ….तो सामने का नज़ारा देख कर, डर के मारें चीख उठी….और वो वहीं नीचे थप से बैठ गयी….और रोने लगी….कुछ देर राज ऐसे ही खड़ा रहा….और सुमन वहीं नीचे बैठी रोती रही….जब राज के सर से गुस्से का उन्माद उतरा…तो एक पल के लिए वो भी घबरा गया….

उसने रोती हुई. सुमन की ओर कोई ध्यान नही दिया….और हाल मे आकर विशाल को फ़ोन लगाया….और विशाल को सारी बात बताई…..विशाल ने उसे हॉंसले से काम लेने के लिए कहा, और बोला कि, वो अभी उसकी हवेली मे पहुँचता है….राज फोन रख कर वापिस आ गया, और सुमन को उसके कंधों से पकड़ कर ऊपेर उठाया…

सुमन: (रोते हुए) ये आप ने क्या कर दिया….दीदी को मार डाला….ये आप ने ठीक नही किया….पर आप ने ऐसा क्यों क्या……

राज : (झल्लाते हुए) पहले तुम चुप करोगी….तुम देख नही रही….ये हमारी पीठ के पीछे कैसे गुल खिला रही थी….अर्रे मुझसे कहती….एक से बढ़ कर एक लड़के ढूँढ लाता इसके लिए….पर ये तो मेरी इज़्ज़त को नीलाम कर रही थी…..इसे ज़रा भी मेरे रुतबे मेरी इज़्ज़त और प्यार का ख़याल नही आया, जो एक नौकर के साथ…तुम ही बताओ मे क्या करता…जब इन दोनो को मैने ऐसे देखा, मे अपने आप को रोक नही पाया….

थोड़ी देर बाद बाहर हाल का में डोर पर नॉक हुआ, राज ने जाकर डोर खोला, तो सामने विशाल खड़ा था….उसके साथ चार आदमी और भी थी….

विशाल: (अंदर आते हुए) ये कर दिया तूने….पागल तो नही हो गया? कहाँ है उनकी लाशें ?

राज : उधर उस रूम मे…..

विशाल ने अपने आदमियों से इशारा किया और वो अपने आदमियों के साथ अंदर आ गया, और राज के साथ रूम मे चला गया…जब विशाल ने उस खोफ़नाक मंज़र को देखा, तो एक पल के लिए सकते मे आ गया…वो एक बुत की तरहा खड़ा था…राज ने उसे हिलाया…..

राज : क्या सोच रहा है. ?

विशाल: (एक दम से चोन्कते हुए) कुछ नही यार…..एक बात बता क्या डॉली के ससुराल वालों को उसके यहाँ पहुँचने की खबर मिल गयी है…मतलब जब डॉली यहाँ पहुँची तो, क्या उसकी ससुराल से फोन आया था…या डॉली ने यहाँ से अपने ससुराल फोन किया था….

राज : यार मैं ये यकीन के साथ नही कह सकता….क्योंकि मे शाम से बाहर था. अब जब लोटा तो ये…..

विशाल: (थोड़ी देर सोचने के बाद) अच्छा छोड़….मुझे फोन करने दे…

और विशाल ने अपने घर पर फोन लगाया…..थोड़ी देर बाद विशाल के पापा ने फोन उठाया, तो विशाल ने भीमा जो कि विशाल का खास आदमी था….उससे बात करवाने को कहा. जब भीमा से विशाल ने फोन पे बात की, और उसे सब कुछ समझा दिया….

विशाल: (फोन रखने के बाद राज को) चल अब इनकी लाशों को ठिकाने लगाते है सबसे पहले….फिर बाद मे देखते है क्या करना है…

और दोनो उसी रूम के तरफ जाने लगे…पर जैसे ही राज रूम की तरफ पलटा…उसके पैर वहीं जम गये….एक पल के लिए उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया…उसने विशाल की तरफ देखा….विशाल की भी वही हालत थी….सामने साहिल डोर के पास खड़ा था….वो बुरी तरह घबराया हुआ था….और उसके पास मे सुमन खड़ी थी…
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