भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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rajaarkey
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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bahut hi mast updates
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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वीरेंदर ने अपने होंठो पर उंगली रख कर आशना को शांत रहने का इशारा किया.

वीरेंदर: काफ़ी देर तक मैं उनकी बहस सुनता रहा और उन बातों से जो निचोड़ निकला वो यह था कि बीना आंटी ने ही रागिनी की शादी बिहारी काका से करवाई थी और फिर बिहारी, रागिनी की मदद से मुझे फसा कर प्रॉपर्टी के काग़ज़ अपने नाम पर करवाना चाहता था.

आशना: डॉक्टर. बीना?? लेकिन वो तो मुझे फोर्स करती थी कि मैं तुम्हे अपनी सच्चाई ना बताऊ और बातों ही बातों मे वो मुझे तुमसे संबंध बनाने के लिए भी एनकरेज करती थी. हालाँकि वो जानती थी कि आप मेरे भाई हो लेकिन उन्होने ही मुझे अपना राज़ आपके सामने खोलने से मना किया था क्यूंकी आप शायद इस बात से और परेशान हो जाते जिस से आपकी सेहत को नुकसान पहुँचता.

वीरेंदर: तो मेरा शक सही निकला??

आशना: शक???कैसा शक???

वीरेंदर: यही कि बिहारी जैसा आदमी इतनी बड़ी प्लॅनिंग नहीं कर सकता. बीना पर तो हम बाद मे डिसकस करेंगे पहले मैं तुम्हे बता दूं कि उसी बहस में बिहारी के मुँह से यह बात निकली कि अगर रागिनी उसका साथ नहीं भी देती है तो उसके पास कुछ ऐसे सबूत हैं जिस से वो तुम्हे ब्लॅकमेल करके प्रॉपर्टी के पेपर्स पर साइन करवा सकता था.

आशना: सबूत???? और भला पेपर्स पर मेरे साइन करने से क्या हो जाता???

वीरेंदर: क्यूंकी बीना के कहने पर मैने अपनी सारी प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम कर दी थी. उसने मेरे आगे शर्त रखी थी कि अगर मैं तुम्हे यूज़ करके छोड़ दूं और तुमसे शादी ना करूँ तो................

आशना: शी बिच??? अच्छा हुआ वो कमीनी मर ही गयी. प्रिया ने कहा भी था कि बीना बिच है(प्रिया, आशना की बॅंगलॉर वाली एयिर्हसटेस्स फ्रेंड). उसे तो पहले ही दिन से बीना पर शक हो गया था जब मैने उसे बीना के बारे मे बताया था.

वीरेंदर: यह सब मिली भगत बिहारी और बीना की थी तभी तो बिहारी को यह बात पता थी कि मैने प्रॉपर्टी तुम्हारे नाम कर दी है जबकि मुझे, बीना और आड्वोकेट के अलावा यह राज़ किसी और को पता ही नहीं था.

आशना: बिहारी के पास ऐसे कॉन से सबूत थे जो वो मेरे खिलाफ इस्तेमाल कर सकता था?

वीरेंदर: उसकी बात सुनकर तो मुझे भी बड़ी हैरानी हुई थी. जैसे ही बिहारी ने यह बात कही मैं दौड़ता हुआ उसके कमरे मे घुसा क्यूंकी उस वक्त तक तो मैं भी तुम्हारी असलियत नहीं जानता था तो एक पल के लिए मुझे तुमपर भी शक हुआ.

आशना ने आँखो की स्वीकृति से जताया कि " आइ कॅन अंडरस्टॅंड".

वीरेंदर: बिहारी के कमरे मैं जाकर मैने हर कोना छान मारा लेकिन वहाँ कुछ ना मिला. निराश होकर मैं जैसे ही अलमारी की तरफ बढ़ा तो वो लॉक थी. एक कपड़ों की अलमारी को लॉक्ड पाकर मुझे कुछ शक हुआ.

वीरेंदर: बिहारी की एक अच्छी आदत यह है कि वो सारी चाबियाँ अपने कमरे मे लगी एक हुक मे टाँग कर रखता है और उसकी यही आदत उसके लिए मुसीबत बन गयी. मैने झट से अलमारी की चाबी लेकर अलमारी खोली और फिर अलमारी मे बने सेफ को खोला तो वहाँ मुझे एक सिम कार्ड, कुछ मेमोरी कार्ड्स और एक पाउच मिला. जैसे ही मैने पाउच खोला उनके अंदर के डॉक्युमेंट्स देख कर मैं हडबडा गया.

तुम्हारी असलियत मेरे सामने ज़ाहिर करने के लिए वो डॉक्युमेंट्स काफ़ी थे मगर मेरे दिल ने फिर भी इस बात पर यकीन नहीं किया. मेरा दिल यह मानने को तैयार नहीं था कि तुम मुझे धोखा दे सकती हो.

किसी और का धोखा तो मैं बर्दास्त भी कर लूँ मगर मेरी आशना मुझे धोखा दे यह बर्दाश्त कर पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल था. मेरा सर चकराने लगा, दिमाग़ फटने लगा लेकिन मेरे दिल ने मुझे भरोसा दिलाया कि इस सब के पीछे तुम्हारा कोई स्वार्थ नहीं बल्कि एक त्याग था जो तुमने मेरी जान बचाने के लिए किया था. सच ही तो था मेरे दिल का कहना, भला कॉन इंसान किसी के लिए इतना सब कुछ करता है?

आशना ने झट से वीरेंदर के होंठों पर अपना हाथ रख दिया और नम आँखों से उसे कुछ ना कहने का इशारा किया.

वीरेंदर: मैं जानता हूँ जिस वक्त तुम्हे मेरे सहारे की ज़रूरत थी उस वक्त मैं तुम्हारा हाथ ना थाम सका बल्कि उस घटना से मैं खुद इतना गर्दिश मे डूबा था कि तुम्हारी हालत समझ ना सका.

आशना(वीरेंदर के हाथ पर हाथ रखते हुए): उस वक्त मैं भी तुम्हारी हालत समझने के काबिल नहीं थी लेकिन आज तुम्हारी हर सोच हर धड़कन को पढ़ सकती हूँ और मुझे गरूर है कि तुम मेरे जीवन साथी हो. समर्पण की जो भावना मैने तुम्हारे संपर्क मे आकर सीखी है वो मैं शायद ही कभी सीख पाती या समझ पाती मगर तुम्हारी चाहत और तुम्हारे प्यार ने तो मेरे जीने का अंदाज़ ही बदल दिया है वीर.

वीरेंदर ने अपना सर आशना के कंधे पर रख दिया और बोला.

वीरेंदर: उस रात मैं काफ़ी परेशान हो गया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो गया. आख़िर ज़िंदगी ने यह दिन क्यूँ दिखाया लेकिन फिर एकदम से मन मे ख़याल आया कि अगर तुम मेरी ज़िंदगी मे ना आती तो शायद आज मैं ज़िंदा ही ना..............

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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इस से पहले कि वीरेंदर अपनी बात पूरी कर पाता, आशना ने अपने होंठ उसके होंठों पर रखकर उसकी आवाज़ दबा दी. वीरेंदर ने भी आशना की कमर मे हाथ डालकर उसका सहयोग किया और दोनो एक दूसरे के होंठों का रस चूसने लगे.

थोड़ी देर बाद जब दोनो के होंठ अलग हुए तो आशना ने वीरेंदर को गले लगाते हुए कहा "आइ लव यू मोर दॅन एनितिंग इन माइ लाइफ वीर, यू आर माइ पॅशन. यू आर दा फर्स्ट मॅन इन माइ लाइफ हू गिव्स थ्रिल टू माइ बॉडी, माइ सौल".

वीरेंदर: माइ फीलिंग आर नो डिफरेंट दॅन यू. ई स्टिल अडॉर दा फर्स्ट टच ऑफ यू आंड नाउ यू आर कंप्लीट्ली माइन बट स्टिल आइ लॉंगंग्ड फॉर मोर ऑफ यू.

यह बात कहते हुए वीरेंदर का हाथ आशना के नितंब पर घूमने लगा. वीरेंदर के फेतेरिक टच से आशना भी पिघलने लगी.

आशना: मुझे लगता है कि आपका मूड कुछ शरारत करने को हो रहा है.

वीरेंदर: शरारत? कैसी शरारत? मैं तो बिल्कुल कूल मोड़ मे हूँ.

आशना:अच्छा??? तो फिर आपके हाथ गुस्ताख़ी क्यूँ कर रहे हैं.

यह कहकर आशना वीरेंदर से डोर भागने लगी लेकिन दो कदम पीछे हटते ही उसकी योनि मे पीड़ा की एक लहर उठी और आशना वहीं दोहरी हो गयी.

आशना: आउच.

वीरेंदर झट से उसके पास जाकर बैठ जाता है. वीरेंदर के चेहरे पर परेशानी के भाव सॉफ देखे जा सकते थे.

वीरेंदर: क्या हुआ? पैर मे मोच आ गयी क्या? दिखाओ, मुझे दिखाओ.

आशना, वीरेंदर की बातों से शरमा जाती है. आशना के चेहरे के बदलते रंग को देखकर वीरेंदर हैरान हो जाता है. उसे कुछ समझ नहीं आता.

वीरेंदर: मुझे बताओगी अब इस मे शरमाने वाली क्या बात है?

आशना खामोश रही.

वीरेंदर: कम ऑन, टेल मी.

आशना, वीरेंदर की आँखों मे देखती है और फिर नज़रें झुकाकर बोलती है:आपका ही दिया हुआ दर्द है वीर. आप नहीं समझोगे तो कॉन समझेगा?

वीरेंदर एकदम से सारी बात समझ जाता है.

वीरेंदर: अभी तक दर्द है? लेकिन सुबह तो तुम बिल्कुल ठीक चल रही थी?

आशना: पता नहीं अंदर कितने ज़ख़्म कर दिया है. अगर आपके साथ ऐसा होता ना तो आपको पता चलता.

वीरेंदर: वैसे आइडिया अच्छा है. एक काम करो, एक मोमबत्ती लेकर मेरे भी अंदर घुसा दो ताकि मुझे भी तुम्हारे दर्द का अहसास हो सके.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना शरमा गयी और वीरेंदर हँसने लगा.

आशना ने सम्भल कर उठते हुए अपने कपड़े झाडे और पैर पटकते हुए किचन मे जाने लगी.

आशना को जाता हुआ देख कर वीरेंदर उसके नितंबो की थिरकन मे खो गया. जैसे ही आशना किचन मे घुसी और वीरेंदर की आँखों से मनमोहक दृश्य लुप्त हुआ वो ज़मीन से उठा और चिल्लाकर बोला: अगर ज़्यादा दर्द हो तो आज पीछे का महूरत करें?

आशना हाथ मे बेलन लेकर वीरेंदर पर झपटी लेकिन अचानक से उसे अपनी हालत का आभास होते ही वो एकदम रुक गयी. वीरेंदर हंसते हुए बाहर निकला गया.

आशना किचन मैं काम कर रही थी जब उसे अपने नितंब पर हल्का सा दबाव महसूस हुआ. उसने झट से पीछे मुड़कर देखा तो वीरेंदर उसके पीछे खड़ा था. आशना ने नीचे की तरफ देखा तो वीरेंदर ने अपने लिंग को पॅंट से बाहर निकाल रखा था और उसे आशना के नितंब पर रगड़ रहा था. आशना के चहरे पर हैरानी और शरम के मिले झूले भाव आने लगे.

आशना: क्या है यह सब?

वीरेंदर: वोही तो मैं जानना चाहता हूँ कि क्या है यह सब? तुम्हारा पति बेचारा तड़प रहा है और तुम हो कि उसकी तरफ ध्यान ही नहीं दे रही.

आशना: मेरे श्रीमान जी, अगर खाना नहीं बना तो आप भूक के मारे तड़पोगे. भला बीवी के होते हुए पति भूखा रहे यह कहाँ का इंसाफ़ हुआ?.

वीरेंदर: तुम्हारे साथ तो पेट की भूख का अहसास ही नहीं होता बस जिस्मानी भूख हावी हो जाती है.

आशना: थोड़ा बहुत प्यार बुडापे के लिए भी बचा कर रखिए जनाब. सारा प्यार अभी जवानी मे लूटा देंगे तो बुडापे मे क्या करेंगे आप.

वीरेंदर: बुढ़ापे का अभी से क्या सोचना. अभी तो जवानी खर्च करना शुरू की है और यह कहकर वो आशना को अपने कंधे पर उठाकर रूम मे ले जाने लगा.
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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आशना छटपटाती रही लेकिन वीरेंदर के आगे उसकी एक ना चली. आशना को बिस्तर पर लिटाकर वीरेंदर ने अपनी पॅंट उतारी और आशना पर कूद पड़ा.

आशना: क्या खाते हैं आप वीर, जो हमेशा इस कदर बैचैन रहते हैं?

वीरेंदर: खाने को थोड़ी देर साइड मे ही रखो और जल्दी से मुझे दूध पिला दो, बहुत भूख लगी है.

आशना ने शरमाकर अपने चेहरे पर हाथ रख लिया.

वीरेंदर: हे भगवान यह लड़की कितना शरमाती है. लगता है मुझे खुद ही मेहनत करनी पड़ेगी.

आशना ने झट से अपने हाथ चेहरे से हटा लिए.

आशना: अच्छा बाबा रुकिये, प्लीज़ पहले दरवाज़ा बंद कर दीजिए.

वीरेंदर: मैं दरवाज़ा बंद करने जाउन्गा तो तुम वॉशरूम मे घुस जाओगी. मुझे उल्लू समझ रखा है क्या?

आशना: उल्लू??? आप तो पूरे घोड़े हो घोड़े. किस तरह से मुझ बेचारी पर ज़ुल्म ढा रहे हो. अगर मेरी जगह कोई और होती तो सुहागरात पर ही तलाक़ दे देती.

वीरेंदर: तलाक़? तलाक़ क्यूँ?

आशना: क्यूंकी अगर मेरी जगह कोई और होती तो मैं उसे एक पल भी चैन से जीने नहीं देती और वो बेचारी तो डर के मारे तलाक़ देने मे ही बेहतरी समझती.

आशण की बात ख़तम होते ही दोनो की नज़रें आपस मे मिली और आशना मुस्कुरा दी.

वीरेंदर: नखरे दिखाती है मुझे. ठहर तू, अभी दिखाता हूँ मुझे तड़पने की क्या सज़ा देता हूँ.
वीरेंदर आशना पर टूट पड़ता है और आशना अपनी बाहों का हार उसकी कमर मे पिरोकर अपने प्यार का आहवान करती है.

प्रेमी युगल के बीच प्रेम-द्वंद्व परवान चढ़ने लगता है और फिर जल्द ही आशना के हलक से एक आनंदकारी चीख निकलती है जो इस बात का प्रमाण थी कि अपने जीवन साथी को उसने अपने जिस्म मे समेट लिया है. वीरेंदर ने अपने होंठ आशना के दुग्ध कलशो से लगाकर अपनी दूध पीने की इच्छा को जताते हुए उन्हे ज़ोर से चूसना शुरू कर दिया. वीरेंदर की इस हरकत से आशना के दिल मे एक टीस उठी कि काश "एक बूँद भी निकल जाय तो मेरे प्रेमी को मेरे आगोश मे स्वर्ग का आनंद आ जाए"

कुछ देर आराम करने के बाद, आशना वीरेंदर की छाती से सर उठाते हुए बोलती है- ओह गॉड कितना लेट कर दिया आपने, अभी लंच भी तैयार करना है. चलिए उठिए और मेरी हेल्प कीजिए.

आशना जैसे ही उठने को उपर होती है, वीरेंदर उसकी बाज़ू पकड़ कर उसे अपने साथ लिटा देता है.

वीरेंदर: यार, जब देखो तुम खाने की ही बातें करती रहती हो.

आशना: श्रीमान जी अगर खाओगे नहीं तो मुझे प्यार करने की एनर्जी कहाँ से लाओगे?

वीरेंदर: ऐसा क्या?

आशना: जी हां, बिल्कुल ऐसा ही है. अब शरारत छोड़िए और मुझे किचन मे हेल्प कीजिए.

वीरेंदर: लेकिन जो थोड़ी बहुत एनर्जी बची है पहले वो तो ख़तम कर लूँ.

यह कहकर वीरेंदर आशना पर एक बार फिर से सवार हो गया और आशना छटपटाती रही.

वीरेंदर के बाहुबल के आगे उसकी एक ना चली और एक बार फिर से आशना की कोख को अपने प्यार से सराबोर कर वीरेंदर ने उसे बाहों मे कस लिया.

साँसों को नियंत्रित करके वीरेंदर उठा और वॉशरूम चला गया. आशना भी बिस्तर से उठी. उसकी योनि की टीस बढ़ गयी थी लेकिन इस टीस की उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी बल्कि एक हल्का सा गुलाबीपन लिए अद्भुत निखर था जो इस बात का प्रमाण था के उसके पति ने उसे भरपूर सुख दिया है.

फ्रेश होकर वीरेंदर ने आशना को जल्दी से तैयार होने के लिए कहा.

वीरेंदर: हम लंच बाहर करेंगे. हमारी श्रीमती जी कुछ दिन किचन नहीं संभालेगी. उसके बाद तो सारी उमर किचन और बच्चों को ही संभालना है.

आशना ने शरम से आँखें बंद कर ली और मुस्कुराते हुए बोली: हमारे हर अंश को संभालने की ज़िम्मेदारी मेरी और मुझे संभालने की ज़िम्मेदारी आपकी.

वीरेंदर: तो फिर मुझे कॉन संभालेगा?

आशना: आपको संभालने की नहीं बल्कि संभलने की ज़रूरत है. अभी भी वक्त है संभल जाइए वरना आपकी यह प्यार करने कि फ्रीक्वेन्सी मेरी जान ना निकला दे.

वीरेंदर: अभी से बस कर दी, अभी तो दूसरा गिफ्ट बाकी है.

आशना ने झट से अपने कपड़े उठाए और वॉशरूम की तरफ तेज़ी से बढ़ चली.

वीरेंदर: हाहहाहा, कब तक बचोगी मेरी जान, धीरे धीरे पूरे करूँगा सारे अरमान.

वीरेंदर की बात सुनकर, आशना बस मन ही मन मुस्कुरा दी.

थोड़ी देर बाद आशना वॉश रूम से बाहर निकली. आशना ने इस वक्त ग्रीन कलर का टॉप और डार्क ग्रे क्लर की स्ट्रिचबल जींस पहनी हुई थी जो कि उसके बॉडी की लोवर्स कुवर्व्स को और भी निखार रही थी.

वीरेंदर: हाए जानम, आज पता नहीं कितने दिलों पर छुरियाँ चलने वाली हैं.

आशना का दिल वीरेंदर की तारीफ से झूम उठा. आशना ने बालों को खुला छोड़ा और वीरेंदर से बोली- चलें?

वीरेंदर: मंगलसूत्र तो छिप गया लेकिन इस चूड़े का क्या करोगी.?

आशना: वीरेंदर इसी के बारे मे मैं भी सोच रही हूँ. सच पूछो तो इसे उतारने का मेरा बिल्कुल मन नहीं है मगर इसे पहन कर बाहर भी तो नहीं जा सकती.

वीरेंदर: अरे यार इतनी एमोशनल मत हो. शादी के बाद सारी उमर पहन लेना इसे .

आशना ने भुजे हुए मन से चूड़ा निकाला.

आशना(शीशे मे देखते हुए): अब तो कोई भी नहीं पहचान सकता कि मैं शादी शुदा हूँ.

वीरेंदर: मेडम यह आपकी चंचल आँखों का धोखा है.

सामने वाला तो आपकी बिगड़ी हुई चाल देख कर ही पहचान लेगा कि लड़की ने सुहागरात तो ताज़ी ताज़ी मनाई है लेकिन शादी शुदा नहीं लगती.

वीरेंदर की बात सुनकर आशना शरमा दी.
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