भैया का ख़याल मैं रखूँगी complete

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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by Dolly sharma »


बिहारी काका: अरे बिटिया, कुछ चाहिए था तो मुझे बुला लेती में तो बस निकलने ही वाला था आपका खाना लेकर.

आशना: नहीं काका, आज मे ख़ान यहीं खाउन्गी और कुछ दिन यहीं रुकूंगी आशना ने अंदर आते हुए कहा.

बिहारी ने गेट बंद किया और पीछे मुड़कर देखा तो आशना काफ़ी आगे निकल गई थी. आशना ने अपनी नज़र चारो तरफ घुमाई. सामने पेव्मेंट के लेफ्ट और राइट साइड दोनों तरफ रंग बिरंगे गार्डेन्स थे. चारदीवारी के चारो तरफ काफ़ी बड़े बड़े अशोका ट्रीस लगे हुए थे. चार दीवारी भी इतनी बड़ी कि बाहर से कुछ मकान ही दिख रहे थे. बंगलो के राइट साइड पर एक बड़ा सा स्विम्मिंग पूल और उसके बॅकसाइड पर बड़ा सा गॅरेज जहाँ 4 चमचमाती गाड़ियाँ खड़ी थी. आशना बाहर से पूरे बंगलो का मुयायना करना चाहती थी लेकिन बाहर की सर्द हवाओं ने उसे ठिठुर कर रख दिया था. तभी बिहारी काका उसके पास पहुँचे और बोले बिटिया बाहर बहुत ठंड है, आप अंदर चलो मैं आग का इंतज़ाम करता हूँ. आशना ने बिना कोई जवाब दिए बंगलो की तरफ अपने कदम मोड़ लिए. पेव्मेंट पर काफ़ी सुंदर मार्बल की परत चढ़ि थी जिसपे चल कर आशना मेन दरवाज़े तक पहुँची. दरवाज़े के अंदर घुसते ही उसे उस बंगलो की भव्यता का पता चला. उसकी आँखें चुन्धिया गई ऐसी नक्काशी देख कर मेन हाल की दीवारो पर. फर्श पर काफ़ी मोटा लेकिन सॉफ और करीने से सज़ा हुआ कालीन और हाल के चारो तरफ फैला फर्निचर देख कर आशना को ऐसा लगा जैसे वो किसी रियासत के महल मे हो. हाल के चारो तरफ12 कमरे, किचन, वॉशरूम्स सब कुछ देख कर वो एक दम से दंग रह गई. हाल की एक दीवार पर इतनी बड़ी एलसीडी को देख कर ऐसा लग रहा था कि वो किसी मिनी थियेटर में आ गई हो. बिल्कुल बीचो बीच सोफो का एक बड़ा से सर्क्युलर अरेंज्मेंट. आशना की तंद्रा टूटी जब बिहारी काका ने कहा बिटिया यहाँ बैठो. आशना ने उस तरफ देखा तो वहाँ हाल के एक कोने मे बिहारी काका ने वहाँ बनी एक अंगीठी मे आग जला दी थी. आशना वही अंगीठी के सामने एक सोफा चेर पर बैठ गई अपनी जॅकेट उतार कर एक साइड पर रखी और अपने ठंडे हो रहे शरीर को गरम करने की कोशिश करने लगी. बैठते ही उसकी नज़र हॉल की छत पर पड़ी जहाँ एक बड़ा सा झूमर झूल रहा था जिसमे लगे छोटे छोटे मोती रोशनी से चमक कर रंग बिरंगी रोशनी चारो और फैला रहे थे.


बिहारी काका वहाँ से चले गये और आशना के लिए एक सॉफ्ट सा शॉल लेकर आ गये.

बिहारी काका: जब भूख लगे या किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना, मे उस कमरे मे हूँ. यह कहकेर बिहारी काका ने किचन के साथ बने एक कमरे की तरफ इशारा किया.

आशना ने धीरे से अपनी गर्दन हां मे हिलाई और शॉल अच्छे से ओढ़केर बैठ गई. काफ़ी देर आग के पास बैठने के बाद और दिमाग़ मे काफ़ी सवाल लेकर वो उठी और वॉश रूम में चली गई. इतना बड़ा वॉशरूम उसने आज तक नहीं देखा था. उनके पुराने घर की मेन लॉबी से भी बड़ा बाथरूम देख के वो अपने आप को राजकुमारी समझने लगी. बाथरूम की टाइल्स और वहाँ लगी हर चीज़ को ध्यान से देखने लगी. बाथरूम के लेफ्ट साइड मे जक्कुज़ी को देख कर वो अपने आप को नहाने से रोक नही पाही और जक्कुज़ी का मिक्स्चर ऑन कर दिया. आशना ने वहाँ पर रखे टवल्ज़ मे से एक टवल उठाया और उसे जक्कुज़ी के साथ लगे एक हॅंडल पर टाँग दिया. जक्कुज़ी भर जाने के बाद उसने उस मे लिक्विड सोप डाला और पानी को हिलाकर उस मे काफ़ी झाग बनाया. फिर एक बड़े से शीशे के आगे जाकर उसने अपनी जॅकेट उतारी और फिर अपनी टी-शर्ट उतारने लगी. आईने मे अपनी परछाई देख कर वो शरमा सी गई और फिर पलट कर उसने अपनी टी-शर्ट और फिर अपनी ब्रा और पॅंट उतार दी. आशना ने टी-शर्ट के अंदर एक वाइट कलर का फ्रंट ओपन वॉर्मर पहना था, आशना ने धीरे धीरे से उसके सारे बटन अलग किए. उसे काफ़ी शरम आ रही थी, वो मूड कर शीशे मे अपने आप को देखने लगी और शरमा कर एकदम पलट गई.



फिर उसे ख़याल आया कि वो एक्सट्रा पैंटी तो लाई नहीं अपने साथ इसलिए उसने अपनी पैंटी और फिर बाद मे वाइट अंडरशर्ट भी निकाल दी.


आशना का दिल ज़ोरो से धड़क रहा था, वो अपने आप से ही शरमा रही थी. उसके गाल काफ़ी लाल हो गये थे और उसकी साँसे काफ़ी तेज़ चल रही थी. उसने फिर से पलट कर अपने आप को देखा तो एक पल के लिए वो चौक गई. इस नज़र से शायद ही उसने अपने आप को देखा हो. हाइट तो काफ़ी अच्छी थी आशना की, अब तो शरीर भी अपना आकार ले चुका था. खूब गोरी थी आशना, शरीर पर कोई दाग नहीं. ब्रेस्ट 36 सी इतने बड़े कि दो हाथो मे ना समा पाए और एकदम कड़क. आख़िर हो भी क्यूँ ना, उन्हे आज तक कोई दबा जो नही पाया था. आशना ने पलट कर अपनी आस 36 की तरफ देखा तो धक से उसका दिल धड़क कर रह गया. उसकी विशाल आस, आज पहली बार उसने इतने गौर से उसे देखा. आशना की कुलीग्स हमेशा कहती कि आशना तो हर डिपार्टमेंट (ब्रेस्ट & आस) मे हम से आगे (बड़ी) है तो फिर यह कोई बाय्फ्रेंड क्यूँ नहीं बनाती, आशना हर बार उन्हे टालने के लिए कहती " यह तो मेने किसी और के नाम कर दिए हैं". उसकी फ्रेंड्स काफ़ी पूछती पर कोई हो तो आशना बताती पर उसकी सारी फ्रेंड्स यही समझती कि उसका कोई सीक्रेट बाय्फ्रेंड है पर आशना बताती नहीं . आशना भी उनकी ग़लतफहमी को दूर करने की कोशिश नहीं करती क्यूंकी वो जानती थी कि एक बार वो हां कर दे तो उसके मेल कुलीग्स और यहाँ तक कि उसके एरलाइन्स के पाइलट्स भी लाइन मे लग जाएँगे. वो इन सब से दूर ही रहना चाहती थी. यह सोचते सोचते आशना जकुज़ी मे उतर जाती है और इतने दिनों बाद गरम पानी का एहसास उसे अंदर तक रोमांचित कर देता है.

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jay
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

Post by jay »

very good start plz continue..............
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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काफ़ी दिनों के बाद अच्छे से नहाने के बाद आशना काफ़ी अच्छा महसूस कर रही थी. टवल से अपने आप को अच्छी तरह से पोछने के बाद उसने वोही अपने कप्पड़े पहने और बाहर आई. वो फिर से जाकर आग के पास बैठ गई. कोई पाँच मिनट के बाद बिहारी काका अपने कमरे से बाहर आए.

बिहारी काका: नहा लिया बिटिया?

आशना एक दम चौंक गई.

बिहारी: वो मे कुछ देर पहले बाहर आया था पर आप यहाँ नहीं मिली. बाथरूम की लाइट जली हुई देखी तो लगा शायद नहा रही होंगी.

आशना: जी काका.

बिहारी: अच्छा बिटिया अब खाना खा लो, 9 बज गये हैं. आशना ने चौंक कर दीवार घड़ी की तरफ देखा जो कि 9:10 का टाइम बता रही थी. आशना (मन मे): बाप रे पिछले एक घंटे से नहा रही थी मे.

आशना: जी काका खाना लगा दो और आप भी खा लो.

बिहारी: आइए बिटिया, आप डाइनिंग टेबल पर बैठें मे खाना परोस देता हूँ. यह कहकर बिहारी आगे आगे चलने लगा और आशना उसके पीछे डाइनिंग रूम की तरफ चल पड़ी. डाइनिंग रूम क्या यह तो एक बहुत बड़ा हाल था कमरे के बीचो बीच एक बड़ा सा टेबल और उसके इर्द-गिर्द 12-15 आरामदायक कुर्सियाँ. हाल के एक साइड पर एक बड़ी सी मेज और उसके इर्द-गिर्द 8 सोफा चेर्स. आशना ने चारो तरफ नज़रें घुमा के देखा. सामने दीवार पर एक बहुत बड़ी एलसीडी लगी थी.


आशना: काका क्या वीरेंदर भाई......., मेरा मतलब कि क्या वीरेंदर भी खाना यहीं खाते हैं. (आशना ने बड़ी सफाई से काका से वीरेंदर का अपना रिश्ता छुपा लिया था).

बिहारी काका: नहीं बेटी यहाँ तो आए हुए भी उन्हे 8 साल हो गये. जब से उनके परिवार के साथ यह हादसा हुआ है वो यहाँ आए ही नहीं. अक्सर वो अपना खाना उपर अपने रूम मे खाते हैं.

आशना: उपर?????

बिहारी: हां बिटिया यह जो कमरे से बाहर की तरफ सीडीयाँ हैं ना यह उपर के फ्लोर को जाती हैं. वीरेंदर बाबू का कमरा वहीं है. आशना एकदम पलटी और कमरे से बाहर आकर पहली सीडी पर खड़ी हो गई.

आशना: काका तुम मेरा खाना वीरेंदर के रूम मे ही लेकर आ जाओ.

बिहारी: नहीं बिटिया वीरेंदर बाबू को अगर पता लगा तो उन्हे बहुत दुख होगा. बोलेंगे तो वो कुछ नहीं पर मे उनका दिल दुखाना नहीं चाहता.

आशना: आप चिंता ना करिए काका, मे संभाल लूँगी उन्हें.

बिहारी अजीब सी कशमकश मे पड़ गया और फिर बोला, आप ठहरिए मे उनके रूम की चाबी लेकर आता हूँ. बिहारी यह कहकर अपने रूम मे चला गया और एक बड़ा सा चाबियो का गुच्छा लेकर सीडीयाँ उपर चढ़ने लगा. आशना भी उनके पीछे पीछे सीडीयाँ चढ़ने लगी, उपर पहुँच कर बिहारी काका पाँचवें रूम के दरवाज़े के पास जाकर रुक गये और एक चाभी से ताला खोल दिया. दरवाज़ा खोलने के बाद उन्होने मूड कर आशना की तरफ़ देखा जो कि दूसरी तरफ देख रही थी.


तभी आशना ने पूछा: काका नीचे की तरह यहाँ भी हर कमरे पर ताला क्यूँ है?

बिहारी: वीरेंदर बाबू का आदेश है. सारे रूम हफ्ते मे एक ही बार खुलते है वो भी सिर्फ़ सफाई के लिए.

आशना: काका क्या सारा घर आप अकेले सॉफ करते हो.

बिहारी: नहीं बिटिया मे तो वीरेंदर बाबू जी का रसोइया हूँ और कभी कभी उनका कमरा साफ कर लेता हूँ क्यूंकी उनके कमरे मे जाने की किसी और को इजाज़त नहीं. बाकी का घर सॉफ करने के लिए 3नौकर हैं जो पहले यहीं पीछे सर्वेंट क्वॉर्टर्स मे रहते थे पर अब वीरेंदर बाबू के कहने पर यहीं पास मे ही रहते हैं. उनके रहने का सारा खर्चा वीरेंदर बाबू ही देखते हैं. वो हफ्ते मे एक बार आकर बाहर स्विम्मिंग पूल, लॉन और बाकी कमरो की सफाई कर देते हैं.


आशना:हूंम्म्मम. अच्छा काका बहुत भूख लगी है, आप जाकर खाना ले आओ.

बिहारी: जी बिटिया पर वीरेंदर बाबू जी के आने के बाद आपको ही जवाब देना पड़ेगा कि आप उनके रूम मे क्यूँ ठहरी हैं.

आशना: आप चिंता ना करें. मे उन्हे कल ही यहाँ ले आउन्गी और हम मिलकर यहाँ उनका ध्यान रखेंगे.

बिहारी काका ने यह जब सुना कि वीरेंदर बाबू कल आ रहे हैं तो खुशी से उनकी आँखें चमक उठी और आशना से पूछ के क्या तुम भी यही रुकोगी उनका ख़याल रखने के लिए. आशना ने हां मे सिर हिलाया.

काका: जीती रहो बेटी, मुझे नहीं पता कि तुम वीरेंदर बाबू को कैसे जानती हो पर यह विश्वास हो गया कि अब वो पूरी तरह से ठीक हो जाएँगे. यह कह कर बिहारी नीचे खाना लेने चला गया. आशना ने पूरा कमरा बड़े गौर से देखा. हर एक चीज़ करीने से सजी हुई. आशना ने एलसीडी ऑन की उसपर स्तर स्पोर्ट्स चॅनेल चल रह था. आशना वहीं बेड पर बैठ गई और चारो तरफ देखने लगी. उसकी नज़र बेड पोस्ट पर पड़ी डाइयरी पर पड़ी. वो जैसे ही उसे उठाने के लिए बेड से उठने लगी तभी बिहारी काका खाने की ट्रे लिए कमरे मे आए. आशना वहीं बैठी रही. काका ने खाना परोसा.

आशना: काका आप भी खा लीजिए कुछ देर बाद बर्तन लेजाइयेगा. बिहारी नीचे चला गया.


आशना ने खाना खाया. करीब आधे घंटे के बाद बिहारी ने रूम नॉक किया.

आशना: आ जाइए काका. बिहारी अंदर आया और बर्तन उठाने लगा.
आशना: क्या वीरेंदर जी स्पोर्ट्स चॅनेल पसंद करते हैं.

बिहारी: बिटिया भैया को कार रेसिंग और WWF बहुत पसंद थी पर उस हादसे के बाद तो वो सब कुछ भूल ही गये. आज 8 साल बाद आप ने यह टीवी ऑन किया है.
बिहारी: अच्छा बिटिया अब आप आराम करो मे बर्तन साफ करने के बाद आवने कमरे मे सो जाउन्गा. किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो मुझे बुला लेना.

आशना: जी काका.

बिहारी काका: पर बिटिया आप अपने साथ कोई बॅग तो लाई नहीं तो क्या आप यही पहन के सो जाओगी.

आशना: जी काका आज मॅनेज कर लूँगी, कल कुछ शॉपिंग कर लूँगी.

बिहारी: बिटिया वैसे मधु (वीरेंदर की छोटी बेहन जो आक्सिडेंट मे मारी गई थी) मेम साहब की अलमारी कपड़ो से भरी पड़ी है पर अगर मेने उस मे से आपको कुछ दे दिया तो साब बुरा लग सकता है.

आशना: कोई बात नहीं काका, आज की रात मे मेनेज कर लूँगी. काका ने अलमारी से आशना को एक क्विल्ट निकाल के दिया और वो नीचे चले गये. आशना ने अंदर से दरवाज़ा बंद किया और अपनी जॅकेट उतार दी. फिर उसने डाइयरी उठाई और बेड पर बैठ गई. उसने पिल्लोस को बेड पोस्ट पर खड़ा करके उससे टेक लगा कर अपने उपर क्विल्ट ले लिया. नरम मुलायम क्विल्ट के गरम एहसास से वो एक दम रोमांचित हो गई. उसने डाइयरी उठाकर कवर खोला, पहले पेज पर वीरेंदर की सारी डीटेल्स थी जैसे नाम, अड्रेस्स, कॉंटॅक्ट नंबर. एट्सेटरा एट्सेटरा. वो अगला पेज पलटने वाली थी कि उसकी नज़र पेज के लास्ट मे पड़ी. वहाँ लिखा था "विथ लव फ्रॉम रूपाली टू वीरू." यह लाइन पढ़ते ही आशना के दिल की धड़कने तेज़ हो गई. यह रूपाली कॉन हो सकती है उसके मन मे सवाल आया. खैर अगला पन्ना पलटने से पहले आशना ने क्विल्ट के अंदर ही अपनी पॅंट और टी-शर्ट उतार कर एक साइड मे रख दी क्यूंकी वो काफ़ी अनकंफर्टबल फील कर रही थी इतने टाइट कपड़ो मे. अपने आप को पूरी तरह क्विल्ट से कवर करने के बाद उसने डाइयरी पढ़ना शुरू किया.
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Dolly sharma
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Re: भैया का ख़याल मैं रखूँगी

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१स्ट पेज: 20-04 2000.(यह तारीख उस आक्सिडेंट के 3 दिन पहले की है)

वीरू, आज मे बहुत खुश हूँ. मुझे लगा कि लंडन जाने के बाद तुम मुझे भूल जाओगे पर 12-12 1999 को जब तुमने मुझे शादी के लिए प्रपोज़ किया तो मे एक दम हैरान रह गई. मे उस वक्त तुमसे बहुत बातें करना चाहती थी लेकिन मुझे जान पड़ा. मेरा लास्ट सेमेस्टर था और मे मिस नहीं करना चाहती थी. तुम भी तो यही चाहते थे कि मे इंजिनियर बनू. इतने महीनो से ना मे तुमसे कॉंटॅक्ट कर सकी और ना तुमने कोई फोन किया. मे जानती हूँ कि तुम मुझसे नाराज़ होंगे. लेकिन अब मे आ गई हूँ, सारी नाराज़गी दूर करने. मेने अपनी एक मंज़िल पा ली है और अब मे वापिस आ गई हूँ तुम्हे हासिल करने.


यह डाइयरी मेरी तरफ से एक छोटी सी भेंट है. तुम्हारी जो भी नाराज़गी है तुम मुझे इसपर लिख कर बता सकते हो क्यूंकी मुझे पता है तुम मुझे कुछ बोलॉगे नहीं और किसी के सामने बात करने से तो तुम रहे. लगता है हमारी शादी की बात भी मुझे ही अपने घरवालो से करनी पड़ेगी. मे 3 दिन बाद तुम्हारे घर मधु से मिलने आउन्गि, तुम जो लिखना चाहते हो इस डाइयरी मे लिख कर मुझे चोरी से पकड़ देना.
वैसे एक बात बोलूं "आइ लव यू टू वीरू".
आशना एक एक लफ्ज़ को ध्यान से पढ़ रही थी. उसने अगला पन्ना पलटा.

20-04-2000:


वोहूऊऊऊ, आइ लव यू रूपाली. तुम नहीं जानती आज मे कितना खुश हूँ. तुमको लंडन मे हमेशा मिस किया और घर आने पर पता लगा कि तुम बॅंगलॉर मे इंजीनियरिंग. करने चली गई हो. मे जनता था कि तुम मुझसे प्यार करती हो पर कहने से डरती हो, इसीलिए मेने हिम्मत करके तुम्हे उस दिन प्रपोज़ कर दिया. उस दिन अचानक तुम मिली तो मे रह नहीं पाया, मेने अपने प्यार का इज़हार कर दिया पर तुम बिना कुछ बोले ही चली गई. मैं काफ़ी डर गया था कि शायद तुम मुझसे प्यार नहीं करती. अगर उस दिन तुम्हारे पापा साथ ना होते तो मे भी तुम्हारे साथ बॅंगलॉर आ जाता. खैर कोई बात नहीं, मे तुमसे कभी नाराज़ नहीं था और ना ही कभी होऊँगा.


कल मोम-डॅड और मधु, चाचू के घर जा रहे हैं, उनके आते ही मे उनसे बात कर लूँगा हमारी शादी की. तुम मेरी हो रूपाली. मे तुम्हे हर हाल मे पा कर रहूँगा. मैने अभी तक अपने आप को संभाल कर रखा है और आशा करता हूँ कि तुम भी मेरे जज़्बातों की कदर करोगी और मुझे रुसवा नहीं करोगी.बस इतना ही लिखूंगा इस डाइयरी मे. अपने दिल का हाल मे तुम्हे मिलके तुम्हारी आँखो मे देख कर कहूँगा .


और हां हो सके तो यह डाइयरी मुझे जल्द वापिस कर देना ताकि मे उन पलो के बारे मे लिख सकूँ जो अब मुझे तुम्हारे बिन गुज़ारने हैं जब तक तुम मेरी नहीं हो जाती.

आशना ने बेड के साथ रखे स्टूल से पानी का ग्लास उठाया और उसे पीने लगी. पानी इतना ठंडा था कि वो सीप करके उसे पीना पड़ा. आशना का शरीर क्विल्ट की वजह से काफ़ी गरम हो गया था. सीप बाइ सीप पानी पीने से उसे काफ़ी सुकून मिल रहा था आशना ने मोबाइल मे टाइम देखा अभी सिर्फ़ 11:00 ही बजे थे. उसने सारी डाइयरी आज रात ही पढ़ने की ठान ली और फिर से बेड पर क्विल्ट के अंदर घुस कर अगला पन्ना पलटा.

27-05 2000.


आज काफ़ी दिनो के बाद डाइयरी लिखने बैठा हूँ. इन बीते दिनो मे मेने बहुत कुछ खोया है. मेरे माँ-बाप, मेरी छोटी लाडली बेहन, मेरे चाचू सब मुझे अकेला छोड़ कर हमेशा के लिए इस दुनिया से चले गये हैं. 23-04-2000 का दिन मे कभी नहीं भूल सकता. उस दिन मे काफ़ी खुश था. अपने फॅमिली मेंबर्ज़ का वेट कर रहा था और उन्हें खुशख़बरी देना चाहता था कि मेने उनकी बहू ढूँढ ली है पर शायद भगवान को यह खुशी मंज़ूर नहीं थी. मेरा पूरा परिवार इस हादसे का शिकार हो गया था. वो दिन मुझसे सब कुछ छीन कर गुज़र गया था. मे इस कदर सदमे मे चला गया था कि मेरी चचेरी बेहन आशना का भी मुझे कोई ख़याल ना रहा. मे उसे ज़रा भी संभाल नहीं पाया. 28-04-2010 को वो भी मुझसे नाराज़ होकेर चली गई. मे उसे रोकना चाहता था पर मुझमे इतनी हिम्मत नहीं थी कि मे उसका मासूम चेहरा देख सकता. उस बेचारी ने इतनी छोटी उम्र मे कुछ ही सालो मे अपने माँ- बाप को खो दिया था. मे उसकी हर ज़रूरत तो पूरी कर सकता हूँ पर उसके माँ- बाप की कमी को पूरा नहीं कर सकता. इसीलिए मेने उसे रोकने की कोशिश भी नहीं की. शायद अगर उसे मैं रोक लेता तो उसे मुझे और मुझे उसे संभालना बहुत मुश्किल होता. इतने साल घर से बाहर रहने के कारण मुझ मे कुछ सोशियल कमियाँ थी जिस कारण मे उसे खुश ना रख पाता, इसीलिए उसका दूर जाना ही उसके लिए ठीक था.


यह पढ़ते पढ़ते आशना की आँखो से आँसू टपक कर डाइयरी पर गिर पड़े. जिस इंसान को वो मतलबी समझती थी वो उसके लिए इतना सोचता है उसे इस चीज़ का कभी एहसास ही नहीं हुआ. जिस गुनाह के लिए वो वीरेंदर को सज़ा दे रही थी वो गुनाह वीरेंदर ने कभी किया ही नहीं और अगर किया भी तो उसकी भलाई के लिए. आशना का मन ज़ोर ज़ोर से रोने को कर रहा था. उसने किसी तरह अपने आप को संभाला और डाइयरी पढ़ने लगी. हर एक पन्ना पढ़ कर वीरेंदर की इज़्ज़त आशना की नज़रो मे बढ़ने लगी. उसे पता चला कि कैसे वीरेंदर ने उसे कई बार मिलने की कोशिश की पर आशना ने हमेशा उसे इग्नोर किया. यहाँ तक कि एक बार वीरेंदर खुद उससे मिलने उसके बोरडिंग स्कूल मे आया पर उसने अपनी सहेली को यह कहके वीरेंदर को वापिस भेज दिया कि आशना एजुकेशनल टूर पर गई है. आशना इन सब के लिए अपने आप को कोसे जा रही थी.कुछ पन्ने पढ़ने के बाद आशना को पता लगा कि रूपाली के बार बार समझाने पर वीरेंदर वो हादसा नहीं भूल पा रहा था. रूपाली ने फिर उससे शादी की बात की तो वीरेंदर ने सॉफ मना कर दिया कि उसे एक साल तक वेट करना पड़ेगा. मगर रूपाली ने उसे 4 महीनो का वक्त दिया और चली गई. वीरेंदर ने काफ़ी बार उससे मिलने की कोशिश की पर वो हर बार शादी की ज़िद करती और इस तरह धीरे- धीरे दोनो मे डिफरेन्सस बढ़ते गये. वीरेंदर को यकीन था कि रूपाली धीरे धीरे मान जाएगी. मगर उसका यकीन उस दिन टूटा जिस दिन रूपाली उसके घर उसे अपनी शादी का कार्ड देने आई. उन लम्हो को वीरेंदर ने कैसे बयान किया उसे पूरा पढ़ना आशना के बस का नहीं था.. वीरेंदर उसे बेन्तेहा मोहब्बत करता था पर रूपाली उसकी मोहब्बत ठुकरा कर किसी और की होने वाली थी. वीरेंदर ने दिल पर पत्थर रखकर उससे शादी करने को भी कहा पर रूपाली ने उसे यह कहकर ठुकरा दिया कि वो एक नॉर्मल ज़िंदगी शायद ही दोबारा जी पाए. वीरेंदर ने उसे लाख समझाने की कोशिश की कि वो धीरे धीरे नॉर्मल हो रहा है और उस हादसे को भूलने की कोशिश कर रहा है. वीरेंदर ने उसे यहाँ तक कहा कि अगर रूपाली साथ दे तो वो जल्द से जल्द एक नॉर्मल ज़िंदगी जी सकेगा. मगर रूपाली ने उसका दिल यह कह कर तोड़ दिया कि वीरेंदर अब काफ़ी देर हो चुकी है. जब तुम मुझसे दूर जाने लगे तो अविनाश( रूपाली'स वुड बी) ने मुझे सहारा दिया. उसने मुझे बताया कि एक नॉर्मल मर्द एक लड़की को कैसे खुश रख सकता है. मुझे तो शक हैं कि तुम इसके लायक भी हो या नहीं.

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