चूतो का समुंदर
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
सुजाता(मन मे)- अच्छा फसा बच्चू....सोचा नही था कि इतना आसान होगा...ये तो फत्तु निकला....आकाश की औलाद और फत्तु...लगता नही था...
मैं(मन मे)- आज तू जो करना चाहे कर ले....और आज तू सिर्फ़ मेरी आक्टिंग देख...बाद मे तुझे बताउन्गा कि मैं क्या चीज़ हू...
मैं गेट लॉक कर के आया तो देखा कि सुजाता बेड के सिरहाने से टिक कर आधी लेटी हुई थी...
सुजाता- हाँ...चल मेरे लिए एक पेग तो बना...गला सूख रहा है...
मैने तुरंत एक पेग बना कर दे दिया...
सुजाता(पेग लगाते हुए)- अब आजा...मेरे पैर दबा...बहुत थकान हो रही है...
मैं- जी आंटी ..अभी दबाता हूँ...
फिर सुजाता पेग लगाती रही और मैं उसके पैर दबाता रहा....
मेरे हाथ सुजाता के घुटनो से होते हुए उसकी नरम जाघो तक पहुँच गये थे....
मैने उसकी नरम जाघे दबाता और सुजाता सिसक पड़ती....थोड़ी देर बाद ही मैं और सुजाता दोनो गरम होने लगे...
मेरा लंड तो जल्दी ही तन गया था क्योकि मैं शीला के घर से बिना शांत हुए आया था...
सुजाता(मन मे)- अब इससे अपनी प्यास भुजवाती हूँ...और इसे तड़पाना भी तो है...
सुजाता ना मुझे रोक कर अपनी नाइटी निकाल दी और लेट कर मुझे अपने नंगे जिश्म के दीदार करवाने लगी...
सुजाता- उउंम...अब तू मेरी प्यास बुझा दे...
मैं- ओके..मैं कपड़े निकाल देता हूँ...
सुजाता- नही...ऐसे ही बैठा रह....तू बस मेरी चूत चाट...और कुछ नही...समझा...
मैं- जी आंटी...
सुजाता मेरा घबराया हुआ चेहरा देख कर खुश हो रही थी...और मैं अपने गुस्से को काबू किए हुए आक्टिंग किए जा रहा था....
मैं जैसे ही सुजाता के पैरों के पास आया तो उसके अपनी टांगे खोल कर अपनी चूत दिखा दी और मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर दिया...मैने भी देर नही की और अपना मुँह चूत पर लगा दिया....
मैं- सस्स्स्रर्र्ररुउुुउउप्प्प्प्प्प्प....सस्स्र्र्ररुउुुउउप्प्प्प्प्प्प......
सुजाता- आआहह....बस ऐसे ही चाट...आअहह....
मैं- सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प्प.....सस्स्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प्प.....
सुजाता- उउउम्म्म्म....अच्छा चाट ता है तू....करते रहो....आअहह....
मैं(मन मे)- साली की चूत तो मस्त है....अभी टाइट लगती है...भोसड़ा नही बना इसका....खैर...मैं इसका भोसड़ा बना कर छोड़ूँगा....
सुजाता- आअहह....अब चाट ता ही रहेगा क्या....जीभ को चूत मे डाल और अंदर तक चाट...
मैने तुरंत जीभ को नुकीला कर के सुजाता की चूत मे डाल दिया और जीभ से चोदने लगा....
मैं- उउउंम्म...य्यी...य्यी...यययी....
सुजाता- आआहह...और अंदर...हाँ...ऐसे ही....पूरी जीभ घुसेड दे साले....आअहह....
मैं- यययी...य्यी...यययी...उूउउंम्म...
सुजाता- ओह माँ....क्या मस्त करता है कमीने....करता रह...ज़ोर से....
थोड़ी देर बाद सुजाता ने मेरा सिर चूत पर दबा दिया और उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे भर गई और मैं चूसने लगा....
मैं- उउउंम्म...उउउम्म्म्म....उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्म....
सुजाता- आआहह....चूस कमीने चूस....चूस कर निकाल ले पूरा रस...आअहह...ज़ोर से....उूउउम्म्म्म.....
मैं- उूउउम्म्म्म....उूउउंम्म....उूउउम्म्म्मम....उउउम्म्म्म....
सुजाता- आआहह....थोड़ा और....बस...ऐसे ही....आआहह....क्या चूस्ता है...उूउउम्म्म्ममम....
थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद सुजाता ने अपना चूत रस मेरे मुँह मे छोड़ दिया...और मेरे सिर को और ज़ोर से चूत पर दबा दिया......
सुजाता- आआहह....निकल गया रे....आआओउउउम्म्म्म...पी ले साले.....पी ले....
सुजाता ने अपना चूत रस निकाल पिला कर मुझे अलग किया और लंबी-लंबी साँसे लेने लगी.....
सुजाता- ओह्ह्ह...क्या चूस्ता है तू...आअहह...मज़ा आ गया....बरसो बाद इतना झड़ी हूँ....आअहह...
मेरा लंड भी अब फुल फॉर्म मे आ चुका था...पर मैं चुप चाप बैठा रहा....
सुजाता- अब ऐसे ही मेरी बात मानते रहना...वरना....तू समझ गया ना...
मैं- जी आंटी...पर आंटी...मेरा भी मूड हो गया....तो...
सुजाता- तो जा बाथरूम मे और हिला ले...ये तो सोचना ही मत कि मैं तेरे नीचे आउगि...हुह...मैं चली सोने...तू हिलाता रह...और हाँ..मेरी बात याद रखना...समझा...
फिर सुजाता उठी और नाइटी पहन कर रूम से निकल गई....
मैने भी उसके जाते ही एक कॉल किया और फिर अपने आप से बातें करने लगा......
मैं(अपने आप से)- सॉरी अंकित...इतना जॅलील होने के लिए....पर क्या करू...दुश्मन को सामने लाने के लिए एक पुरानी तरकीब अपना रहा हूँ...सॉरी...
वो कहते है ना कि आप कमजोर पड़ जाओ तो दुश्मन अपने को होसियार समझ लेता है और होशियारी मे वो बेफ़िक्र हो कर बाहर आ जाता है फिर उसे मिटाना आसान हो जाता है....बस ..मैने भी वही किया...
सुजाता अपनी मस्ती मे कोई ग़लती ज़रूर करेगी...उसके पीछे छिपा मास्टरमाइंड बाहर ज़रूर आएगा....क्योकि सुजाता अकेले तो कुछ कर ही नही सकती....और एक बार मुझे वो मास्टरमाइंड हाथ लगेगा ना..फिर हिसाब चुकता करूगा....सूद समेत....
तभी मेरे रूम मे सविता एंटर हुई....
सविता- क्या हुआ बेटा...इतनी रात को क्यो बुलाया...सब ठीक है ना...
मैं- मुझे भूख लगी है....और तुम उसे मिटाओगी....
सविता(मुस्कुरा कर)- ओह...तो देर किस बात की...तुम्हारी भूख मिटाने तो मैं हमेशा तैयार रहती हूँ....
फिर क्या था..थोड़ी ही देर मे हम दोनो नंगे थे और सविता मेरे लंड को चूस रही थी....
सविता- उउउम्म्म्म...उउउंम्म...
मैं- चूस...और तेज...आज तेरी फाड़ कर रख दूँगा....
सविता अपना काम करती रही और मैं सुजाता का गुस्सा सविता पर निकालने को तैयार था....
मैने सविता को कुतिया बनाया और ताबड़तोड़ गान्ड मारने लगा....
मैने 2 घंटे तक सविता को चोदता रहा और जब मेरा गुस्सा उतर गया तो उसे भेज कर सो गया.....
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
सही किया
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
shubhs wrote:सही किया
chusu wrote:mast
thanks
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
अकरम के घर..............
रात भर अकरम अपनी मोम की आगोश मे सोता रहा....और जब जगा तो उसका दिमाग़ हल्का हो चुका था ...
शायद ये मोम के प्यार का असर था....पर जागते ही अकरम ने अपने आपको ऐसी कंडीशन मे पाया कि वो सकपका गया....
सबनम उसे अपने सीने से चिपकाए हुए सो गई थी...और अकरम के जागने पर सबनम का भरा हुआ सीना उसके मुँह के सामने था...या यू कहे कि अकरम का मुँह अपनी मोम के सीने मे दबा हुआ था....
अकरम की आँखो के सामने उसकी मोम के बड़े बूब्स का कुछ हिस्सा सॉफ दिख रहा था....
क्योकि सबनम ने एक ढीली सी नाइटी पहनी हुई थी...जिसमे उसके बूब्स का कुछ हिस्सा और उनके बीच की गहराई अकरम की आँखो के सामने आ गई थी...
अकरम इस कंडीशन मे अपने आपको असहज महसूस कर रहा था....पर फिर भी बार-बार उसकी आँखे बूब्स की गहराई मे अटक जा रही थी....
अकरम बड़े पसोपेश मे था...ना तो वो झटका देकर अपनी मोम की नीद खराब करना चाहता था..और ना ही वो अपनी मोम को इस हालत मे देखना चाहता था....पर करे तो करे क्या...वो जानता था कि उसके सिर हटते ही उसकी मोम की नीद टूट जाएगी...
कुछ देर तक अकरम यू ही पड़ा रहा...और सामने का नज़ारा देख कर तेज साँसे लेने लगा....
उसकी साँसे अब गरम हो चुकी थी और तेज़ी की वजह से सबनम के बूब्स पर टकरा रही थी....
कुछ देर बाद सासो ने अपना असर दिखा ही दिया और सबनम कसमसा कर उठ गई....
सबनम के जागते ही अकरम ने आँखे मूंद ली और सोने का नाटक करने लगा....वो अभी अपनी मोम का सामना नही करना चाहता था....
सबनम इस सब से बेख़बर उठ गई और अपने बेटे को सोता छोड़ कर रूम से निकल गई....
अकरम- उउउफफफफ्फ़.....अच्छा हुआ मोम जाग गई....
थोड़ी देर बाद सबने फ्रेश हो कर नाश्ता किया और फिर अकरम अपने रूम मे आ कर उस खुपिया रूम मे मिली चीज़ो को देखने लगा.....
सबसे पहले उसने वो पर्चे पड़े जो फोटोस के साथ अटेच थे....उनमे कुछ खास नही था...बस उस फोटो की फुल डीटेल थी....
लेकिन उनमे से एक पर्चे की डीटेल पढ़ कर अकरम को झटका लगा और उसने कुछ सोच कर उस पर्चे को अलग रख लिया...
फिर अकरम ने मॅप्स टाइप के पेपर्स देखना सुरू किया....
पहला पेपर अली की फॅमिली से रिलेटेड था...जिसे देखने पर पता चलता था कि अली की फॅमिली को आज़ाद ने ख़त्म किया है....
अकरम- ह्म्म...तो यहा से शुरुआत हुई है...अंकित ने सच बोला था...पर क्या सच यही है जो दिख रहा है...या फिर सच कही छिपा हुआ है...
फिर अकरम ने जावेद और परवेज़ की फॅमिली का माप देखा....दोनो मे वो सब मेंबर थे जो सबनम ने बताए....
पर मॅप्स के हिसाब से दोनो के अंत मे सरफ़राज़ का नाम लिखा था...पर और कोई डीटेल नही थी...
अकरम- इसका क्या मतलब...क्या ये कि इन फॅमिलीस मे इकलौता मर्द सफ़राज़ बचा है....या कुछ और....ह्म्म...पता करना होगा...
अकरम ने सब सामान धीरे-धीरे चेक कर लिया....पर उसे कोई ऐसा सबूत नही मिला जो साबित करे कि सरफ़राज़ उर्फ वसीम ने ही अंकित की फॅमिली के खिलाफ सब साज़िश रची है....
अकरम- अंकित ने बताया था कि रिचा , वसीम ख़ान से मिली हुई है...पर यहा रिचा का नाम तक नही...क्या अंकित सही है...क्या रिचा ने उसे सच बोला....उउउहह...कैसे पता लगेगा....
अकरम ने सब समान चेक कर के रख दिया और कुछ याद कर के वापिस ख़ुफ़िया रूम मे निकल गया....
अकरम सबकी नज़रों से बच कर ख़ुफ़िया रूम मे दुबारा आ गया...और एक बार फिर से तलासी लेने लगा ...
इस बार अकरम ने एक-एक-दीवाल को ठोक-ठोक कर चेक करना सुरू कर दिया...
ठोकते हुए उसे एक दीवाल के एक हिस्से पर कुछ महसूस हुआ...
अकरम- यस...अंदाज़ा सही निकला...यहाँ दीवार पोली है...यहा ज़रूर कुछ मिलेगा....
अकरम ने फिर उस हिस्से को ध्यान से चेक करना सुरू किया...जैसे कुछ ढूढ़ रहा हो...
आख़िरकार उसकी तलाश पूरी हुई...उसे एक उंगली फसाने की जगह मिल गई...और जैसे ही उसने उंगली फसा कर खीचा तो दीवाल के बीच मे एक अलमारी सी खुल गई...
अकरम- ह्म्म..अब देखु तो..कि ये ख़ुफ़िया अलमारी क्यो बना रखी है...
उस अलमारी को चेक करने पर अकरम को कई पेपर्स और 1 मोबाइल मिला...
अकरम ने जल्दी से सब समेटा और अलमारी बंद कर के रूम से निकल गया....
इससे पहले की अकरम कुछ चेक करता...उसकी बेहन ज़िया उसे बुलाने आ गई...
अकरम- ओह्ह्ह...अब इसे क्या काम है...
अकरम ने पूरा सामान सावधानी से छिपाया और ज़िया के पास आ गया...
ज़िया अकरम को अपने साथ मार्केट ले गई...अकरम जाना नही चाहता था पर मजबूर था....असल मे उनकी सभी कार रुटीन चेकप के लिए गॅरेज गई थी...सिर्फ़ अकरम की बाइक थी...तो उसे ज़िया को साथ ले कर जाना पड़ा.....
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