लंड बाहर आते ही सेतु का दर्द कम ही गया था....पर अब भी वो सर को टेबल पर रखे सिसक रही थी....
मैं- चल...तू अपनी गान्ड देख...मैं तुझे मज़ा देता हूँ...
और इतना बोल कर मैने उसे टेबल पर कुतिया बनाया और उसकी चूत मे लंड उतार दिया....
चूत मे लंड लेने मे सेतु को कोई तकलीफ़ नही हुई...बस सिसक कर रह गई....
फिर मैने उसकी कमर पकड़ कर जोरदार चुदाई शुरू कर दी...
सेतु को भी अब मज़ा आने लगा था...उसका दर्द भी ख़तम हो गया और वो मस्ती मे सिसकारियाँ लेने लगी.....
सेतु- आअहह...आअहह....अओउउंम्म....और तेज...आअहह...
मैं- आ गई रंडी अऔकात पर...ये ले....मज़ा कर ...
सेतु- आअहह...आअहह...ज़ोर से करो....अब कोई रहम नही...फाड़ दो...आअहह....
और मेरी जोरदार चुदाई से सेतु झड्ने लगी...और उसके चूत रस के साथ ही उसका सारा दर्द भी निकल गया ....
सेतु- आआअहह.....मज़ा...एयेए...गया....उूउउम्म्म्म....आअहह...
मैं- अब मज़ा ले लिया ना...अब सज़ा की बारी है......
और इतना बोलकर मैने सेतु को सीधा लिटाया और उसके पैर उठाकर उसकी गान्ड पर लंड सेट कर दिया...
सेतु ने भी इस बार अपने पैर अपने हाथो से थामकर अपनी गान्ड खोल दी ...और मैं समझ गया की अब साली रेडी है...
फिर क्या था...मैने दो धक्के मार कर लंड को गांद मे उतार दिया और तेज़ी से गांद चुदाई शुरू कर दी....
सेतु- आऐईयईईई.....आअहह....थोड़ा..आ..आराम से....आअहह
मैं- अब मज़ा आ रहा है साली....हा....तो ऐसे ही मज़ा ले.....ईएहह.....ईईहह...
सेतु- एस्स....करते रहो...अब...आअहह...ज़ोर से....आआहह..
मैं- ईएह..एस्स...लाइक दिस ...एस...एस्स....
सेतु-आअहह....लाइक दिस....उम्म्म..ईए...एस्स...एस्स...एस्स ..आआहह....
मैं- साली रंडी....ये ले...और तेज...और तेज....यहह.....
सेतु- एसस्स...आइ लाइक इट...एस्स....एस्स....आआहह...आअहह....
थोड़ी देर बाद मैने सेतु की कमर पर फसे स्कर्ट को भी निकाल फेका और साइड से उसकी गान्ड मारने लगा....
सेतु- ओह माइ गॉड....तुम तो मुझे मार दोगे...आआहह....धीरे करो ना...आआओउक्च्छ...
मैं- आज कोई रहम नही....बड़ी आग लगी थी ना.....अब कभी नही लगेगी...ये ले....
और मैने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारते हुए सेतु की गान्ड का भोसड़ा बनाने लगा....
सेतु को भी अब मज़ा आ रहा था...लेकिन उसकी गांद मेरे लंड के प्रहार से ज़ख्मी हो गई थी...जिससे वो दर्द से कराह रही थी...
सेतु- आआहह....अब बस भी करो.....मेरी गांद छिल गई है...ओह माआ..
मैं- आज चाहे छिले या कटे....मैं नही रुकने वाला....ये ले....यीह..यीह..यीहह...
सेतु अपनी गांद चुदाइ से तड़प तो रही थी...पर उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था...और इसका सबूत उसकी चूत पानी बहा कर दे रही थी....
थोड़ी देर बाद मैने उसकी गान्ड मारना बंद किया और लंड उसके मुँह मे भर दिया....
मैं- आअहह...ले साली ...चूज़ इसे....मेरे लंड मे भी जलन होने लगी....ठंडा कर इसे....
थोड़ी देर तक मैने सेतु से लंड चुस्वाया और फिर मैं टेबल पर लेट गया....
मैं- अब मैं थक गया....अब तू मेहनत कर...
मेरा इतना बोलना था कि सेतु मेरे उपर आ गई और लंड को चूत मे भर कर उछलने लगी....
सेतु- आअहह....मैं तो इंतज़ार मे थी...अब मैं चोदुगि ....आओउउंम...
मैं- हाँ साली...तू भी खुश हो ले थोड़ी देर...फिर रुलाता हूँ तुझे...अब ज़ोर से कर नही तो गांद फाड़ दूँगा....उछाल...
और सेतु गान्ड उछाल -उछाल कर चूत चुदवाने लगी....
सेतु- आहह......तुम सच मे बहुत अच्छे हो...
मैं- क्यो...तेरी चुदाई करता हूँ इसलिए...
सेतु- नही...चुदाई मे मज़ा देते हो इसलिए...
मैं- ओह...तो मेरी स्टाइल पसंद आई....
सेतु- बहुत...देखो ना...इतनी पसंद आई कि चूत फिर से रोने लगी.....
मैं- हाँ साली...चूत तो गरम होगी ही....रंडी जो है....रुक...चूत के साथ गांद भी रोएगी अभी.....
सेतु- पर मेरी गान्ड जल रही है...
मैं- तो जलने दे....लंड जाते ही ठंडी हो जाएगी.....देखती जा...और तेज़ी से उछल....
फिर थोड़ी देर तक सेतु उछलती रही और झड्ने लगी....
सेतु- आआहह....मैं तो गई...उउउंम...आआहह...आहह..आहह..
सेतु झड कर शांत हो गई और सीने पर सिर रख कर लेट गई...
सेतु- उउउंम्म...मज़ा आ गया....आअहह...
मैं(सेतु के बाल पकड़ कर)- अभी कहा...अभी मेरा मज़ा और तेरी सज़ा तो बाकी है...चल उठ....
और मैने सेतु को एक बार फिर से टेबल पर झुका दिया और उसकी गांद मारना शुरू कर दिया....
चूतो का समुंदर
- Ankit
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
सेतु- आअहह..आहह..आहह..आहब...आहह...आहह...आरामम्म...सस्सीए.....
मैं-अब आराम नही. ..बस जाम होगा... यह..एस्स...एस्स...एस्स..ईएसस...
सेतु-आअहह....आराम से...आहह...आहह.आहह..आहह..मम्मूऊम्मय्यी.....
मैं- चिल्ला...और चिल्ला...अब नही छोड़ने वाला........ये ले..और ज़ोर से ले..यीहह...
सेतु- उउंम..उउंम्म..आअहह...आअहह. ..आआईयइ.....
और इसी तरह मैं थोड़ी देर तक फुल स्पीड से सेतु की गांद मारता रहा और फाइनली मैं झड्ने के करीब आ गया.....
मैं- आअहह..आजा ...अब तेरी आज बुझाता हूँ....ले...पानी पी ले...
और मैने सेतु को टेबल पर लिटाया और उसके मुँह पर पिचकारियाँ मारने लगा....
सेतु को मैने अपने लंड रस से नहला दिया और सेतु मज़े से उस बारिश का मज़ा लेती हुई पड़ी रही......
जब मैं झड चुका तो मैने कपड़े पहने और सेतु को बोला...
मैं(सेतु को फ़ोन देते हुए)- ये ले फ़ोन...किसी फ्रेंड को बुला ले जो तुझे घर तक छोड़ दे....क्योकि तू तो चलने लायक नही रही....बुला ले....
और हाँ...आज के बाद ऐसा घटिया मज़ाक किया ना...तो इससे भी बुरा हाल करूँगा...
सेतु मेरी बातें सुनकर कुछ नही बोली...बस अपनी साँसे संभालती हुई लेटी रही ....
और मैं जैसे ही वापिस जाने के लिए मुड़ा तो गेट पर संजू को देख कर ठिठक गया....
संजू गेट पर खड़ा हुआ मुझे ही देख रहा था....मैने भी उसे देखा और बिना कुछ बोले बाहर आ गया....
तभी संजू ने पीछे से आवाज़ दी...जिसे सुनकर मैं ना चाहते हुए भी रुक गया...
संजू- ये सब क्या था...
मैं(पलट कर संजू को देख कर)- पहले यहाँ से चल...अनु लोग यहाँ आ जाए उससे पहले निकलो यहाँ से...
और इतना बोलकर मैं आगे बढ़ गया और संजू भी मेरे पीछे-पीछे आ गया...
संजू ने अपनी स्पीड बधाई और मेरे बाजू मे आ कर बोला...
संजू- वो सब घर निकल गये...अब बता...ये सब किसलिए....
मैं(रुक कर संजू को देख कर)- इससे तुझे क्या....ये मेरा मॅटर है...अच्छा होगा इससे दूर रहो...
मैने इतना बोलकर आगे बढ़ा ही था कि संजू फिर से बोल पड़ा......
संजू- क्या कहा....तुम्हारा मॅटर...कब्से...मतलब हमारे बीच मे ये तेरा -मेरा कहाँ से आ गया....
मैं(पलट कर)- अपने आप से पूछो...जवाब मिल जायगा....
और मैं बात ख़त्म कर के वहाँ से निकल गया...और मेरे पीछे संजू खड़ा-खड़ा अपने आप से बोल पड़ा...
संजू- मैं जानता हूँ कि तू किस बारे मे बोल रहा है....पर दोस्त...मैं जो भी कर रहा हूँ वो सिर्फ़ तेरे लिए ही है...आइ विश वो टाइम जल्दी आ जाए...जब मैं तुझे सब समझा सकूँ....और तू मुझे समझ सके....
मैं-अब आराम नही. ..बस जाम होगा... यह..एस्स...एस्स...एस्स..ईएसस...
सेतु-आअहह....आराम से...आहह...आहह.आहह..आहह..मम्मूऊम्मय्यी.....
मैं- चिल्ला...और चिल्ला...अब नही छोड़ने वाला........ये ले..और ज़ोर से ले..यीहह...
सेतु- उउंम..उउंम्म..आअहह...आअहह. ..आआईयइ.....
और इसी तरह मैं थोड़ी देर तक फुल स्पीड से सेतु की गांद मारता रहा और फाइनली मैं झड्ने के करीब आ गया.....
मैं- आअहह..आजा ...अब तेरी आज बुझाता हूँ....ले...पानी पी ले...
और मैने सेतु को टेबल पर लिटाया और उसके मुँह पर पिचकारियाँ मारने लगा....
सेतु को मैने अपने लंड रस से नहला दिया और सेतु मज़े से उस बारिश का मज़ा लेती हुई पड़ी रही......
जब मैं झड चुका तो मैने कपड़े पहने और सेतु को बोला...
मैं(सेतु को फ़ोन देते हुए)- ये ले फ़ोन...किसी फ्रेंड को बुला ले जो तुझे घर तक छोड़ दे....क्योकि तू तो चलने लायक नही रही....बुला ले....
और हाँ...आज के बाद ऐसा घटिया मज़ाक किया ना...तो इससे भी बुरा हाल करूँगा...
सेतु मेरी बातें सुनकर कुछ नही बोली...बस अपनी साँसे संभालती हुई लेटी रही ....
और मैं जैसे ही वापिस जाने के लिए मुड़ा तो गेट पर संजू को देख कर ठिठक गया....
संजू गेट पर खड़ा हुआ मुझे ही देख रहा था....मैने भी उसे देखा और बिना कुछ बोले बाहर आ गया....
तभी संजू ने पीछे से आवाज़ दी...जिसे सुनकर मैं ना चाहते हुए भी रुक गया...
संजू- ये सब क्या था...
मैं(पलट कर संजू को देख कर)- पहले यहाँ से चल...अनु लोग यहाँ आ जाए उससे पहले निकलो यहाँ से...
और इतना बोलकर मैं आगे बढ़ गया और संजू भी मेरे पीछे-पीछे आ गया...
संजू ने अपनी स्पीड बधाई और मेरे बाजू मे आ कर बोला...
संजू- वो सब घर निकल गये...अब बता...ये सब किसलिए....
मैं(रुक कर संजू को देख कर)- इससे तुझे क्या....ये मेरा मॅटर है...अच्छा होगा इससे दूर रहो...
मैने इतना बोलकर आगे बढ़ा ही था कि संजू फिर से बोल पड़ा......
संजू- क्या कहा....तुम्हारा मॅटर...कब्से...मतलब हमारे बीच मे ये तेरा -मेरा कहाँ से आ गया....
मैं(पलट कर)- अपने आप से पूछो...जवाब मिल जायगा....
और मैं बात ख़त्म कर के वहाँ से निकल गया...और मेरे पीछे संजू खड़ा-खड़ा अपने आप से बोल पड़ा...
संजू- मैं जानता हूँ कि तू किस बारे मे बोल रहा है....पर दोस्त...मैं जो भी कर रहा हूँ वो सिर्फ़ तेरे लिए ही है...आइ विश वो टाइम जल्दी आ जाए...जब मैं तुझे सब समझा सकूँ....और तू मुझे समझ सके....
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
जरूर
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
स्कूल से निकल कर मैं सीधा घर आ गया...पर घर पर कोई नही था...ना डॅड, ना सविता....और पारूल तो अनु के साथ उसके घर निकल गई थी....
घर मे इस वक़्त सिर्फ़ सुजाता और सविता का बेटा सोनू था....
सुजाता(मुझे देख कर)- अरे अंकित...आ गया तू...बैठ मैं तेरे लिए कॉफी...
मैं(बीच मे)- सविता कहाँ है...आई नही अभी...
सुजाता(सकपका कर)- वो...वो अभी तो नही आई...आ जाएगी...तू उसकी टेन्षन मत ले...तब तक मैं हूँ ना तेरा ख्याल रखने को....
मैं(गुस्से से)- तुम चुप रहोगी थोड़ी देर...मैं सोनू से पूछ रहा हूँ कि उसकी माँ कहा है....और हाँ...सविता मेरे लिए माँ जैसी है...इसलिए अच्छा होगा कि उनके मॅटर मे तुम मुझे सलाह ना दो...समझी...बोल सोनू...कहाँ है तेरी माँ...
सोनू- भैया...वो अपनी सहेली के घर है ..वहाँ कोई मर गया तो वो आ नही पाई...शायद कुछ दिन बाद आयगी...
मैं- तुझे किसने बोला...
सोनू- उनका फ़ोन आया था सुबह....
मैं(हैरानी से)- कमाल है...मैने फ़ोन लगाया तो लगा नही...और तुझे फ़ोन आ गया....
सोनू- हाँ भैया...उनकी बॅट्री ख़त्म हो रही थी...और गाओं मे लाइट नही थी..तो शायद....
मैं(बीच मे)- ह्म..समझ गया...अब तू जा कर पढ़ाई कर...और सुजाता आंटी....जाओ कॉफी ले कर आओ...जल्दी...
सुजाता मेरी बात सुनकर मुँह बना कर कॉफी बनाने निकल गई ...
सुजाता(मन मे)- रुक जा बच्चे...कुछ दिन और...फिर मैं बताती हूँ तुझे की मैं क्या चीज़ हूँ...सारी हेकड़ी निकाल दुगी ....हा...
कॉफी पीकर मैं घर से निकला और बारी-बारी सोनू, अकरम और संजू के घर मिलने पहुँचा.....
सबके घर के हालात पहले से बेहतर थे...पर अभी भी पूरी तरह से ठीक नही...
मैं समझ सकता था कि अपनो को खोने का दर्द इतनी जल्दी दूर नही होता..
पर आज मेरे दिल मे भी एक टीस उठ रही थी...और उसकी वजह थी जूही और अनु...
आज ना तो जूही ने मेरी तरफ देखा और ना अनु ने....और जब मैने उनसे बात करनी चाही तो वो मुझसे दूर भाग गई...जैसे की मैं कोई अंजान इंसान हूँ...
मैं(मन मे)- क्या हो गया इन दोनो को....ये सदमे की वजह से ऐसा कर रही है...या फिर कोई और ही बात है...
मैं जूही और अनु का सोच ही रहा था कि मेरा फ़ोन बज उठा और स्क्रीन पर नाम देख कर मैने अपना सिर पकड़ लिया...
मैं- साला इसे तो भूल ही गया था...
और मैने फ़ोन ले कर कुछ बात की और अपनी कार दौड़ा दी.....
--------------
रात को जब मैं वापिस आया तो डॅड हॉल मे बैठे हुए मिले ..पर वो इस समय बड़े डिस्टर्ब लग रहे थे....
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता...वहाँ सुजाता आ गई ...जो किचन से कॉफी ले कर आई थी...
सुजाता को देख कर मैं चुप रह गया ...और फिर कॉफी पीने लगा...
मैं(कॉफी ख़त्म कर के)- डॅड...मुझे आपसे कुछ बात करनी है...
आकाश(सुजाता को देखने के बाद)- हाँ ..बोलो...
मैं(सुजाता को घूर कर)- यहाँ नही...अकेले मे...आपके रूम मे चले....
मेरी बात सुनकर डॅड सुजाता की तरफ देखने लगे...और सुजाता ने उन्हे घूर कर देखा और फिर मुस्कुराते हुए बोली...
सुजाता- अरे बेटा....जो बात करनी है...यही कर्लो ...यहाँ तो सब अपने ही है...क्यो आकाश...
सुजाता ने फिर से आकाश को देखा और डॅड ने भी मजबूरी मे मुस्कुरा दिया...पर मुझे गुस्सा आ गया...
मैं(गुस्से मे खड़ा हो कर)- आपसे कितनी बार बोला आंटी कि आप हमारे घर के मामले मे टाँग मत अड़ाएँ....मुझे अपने डॅड से कब और क्या बात करनी चाहिए...ये सीखने की कोई ज़रूरत नही..समझी..
सुजाता(घबरा कर)- मैं तो बस...आकाश जी....आप ही कुछ...
मैं(बीच मे)- डॅड....प्ल्ज़ अपने रूम मे चलिए....
मेरी बात सुनकर डॅड ने सुजाता को देखा पर उठ कर रूम मे निकल गये...
मैं(सुजाता को देख कर)- तू भी सो जा अब....और आइन्दा से मेरे और मेरे डॅड के बीच बोलना भी मत...समझी..
और मैं भी पैर पटकते हुए डॅड के रूम मे आ गया....
मैं जानता था कि सुजाता मानेगी नही...और वही हुआ....हमारे रूम मे आने के कुछ देर बाद ही सुजाता गेट से कान लगा कर खड़ी हो गई...
मैने गेट के नीचे से आती रोशनी मे उसके पैर की परच्छाई देख ली थी..
मैं- क्या हुआ डॅड...आप ठीक तो है..
आकाश(झल्ला कर)- काहे का ठीक...मैं अब परेशान हो गया हूँ....अब मुझसे और सबर नही होता...
मैं- क्या हुआ डॅड...आप इतनी टेन्षन मे क्यो है..कुछ तो बताइए..
आकाश- क्या बताऊ तुझे...मुझे तो कहते हुए भी शर्म आती है...
और इतना बोलकर डॅड पलट गये और मुझसे नज़रें चुरा ली...
मैं डॅड के पास गया और धीरे से बोला...
मैं- डॅड....प्ल्ज़ बताइए ना....मुझसे कहने मे शर्म कैसी....
आकाश- बेटा...कुछ बातें ऐसी होती है जो कि एक बाप अपने बेटे से बोल नही पाता...
मैं- जानता हूँ डॅड...पर आप भी ये जानते है कि हम कितना ख़तरनाक खेल रहे है....तो प्ल्ज़ डॅड....बताओ मुझे...ये जानना मेरे लिए ज़रूरी है...हमारे प्लान के लिए .....
आकाश(पलट कर, ज़ोर से)- क्या बताऊ...सुनना चाहता है तो सुन....वो सुजाता...वो मुझे अपना पति समझ कर रोज रात को...
और इतना बोल कर डॅड चुप हो गये और एक बार फिर से दूसरी तरफ देखने लगे....
घर मे इस वक़्त सिर्फ़ सुजाता और सविता का बेटा सोनू था....
सुजाता(मुझे देख कर)- अरे अंकित...आ गया तू...बैठ मैं तेरे लिए कॉफी...
मैं(बीच मे)- सविता कहाँ है...आई नही अभी...
सुजाता(सकपका कर)- वो...वो अभी तो नही आई...आ जाएगी...तू उसकी टेन्षन मत ले...तब तक मैं हूँ ना तेरा ख्याल रखने को....
मैं(गुस्से से)- तुम चुप रहोगी थोड़ी देर...मैं सोनू से पूछ रहा हूँ कि उसकी माँ कहा है....और हाँ...सविता मेरे लिए माँ जैसी है...इसलिए अच्छा होगा कि उनके मॅटर मे तुम मुझे सलाह ना दो...समझी...बोल सोनू...कहाँ है तेरी माँ...
सोनू- भैया...वो अपनी सहेली के घर है ..वहाँ कोई मर गया तो वो आ नही पाई...शायद कुछ दिन बाद आयगी...
मैं- तुझे किसने बोला...
सोनू- उनका फ़ोन आया था सुबह....
मैं(हैरानी से)- कमाल है...मैने फ़ोन लगाया तो लगा नही...और तुझे फ़ोन आ गया....
सोनू- हाँ भैया...उनकी बॅट्री ख़त्म हो रही थी...और गाओं मे लाइट नही थी..तो शायद....
मैं(बीच मे)- ह्म..समझ गया...अब तू जा कर पढ़ाई कर...और सुजाता आंटी....जाओ कॉफी ले कर आओ...जल्दी...
सुजाता मेरी बात सुनकर मुँह बना कर कॉफी बनाने निकल गई ...
सुजाता(मन मे)- रुक जा बच्चे...कुछ दिन और...फिर मैं बताती हूँ तुझे की मैं क्या चीज़ हूँ...सारी हेकड़ी निकाल दुगी ....हा...
कॉफी पीकर मैं घर से निकला और बारी-बारी सोनू, अकरम और संजू के घर मिलने पहुँचा.....
सबके घर के हालात पहले से बेहतर थे...पर अभी भी पूरी तरह से ठीक नही...
मैं समझ सकता था कि अपनो को खोने का दर्द इतनी जल्दी दूर नही होता..
पर आज मेरे दिल मे भी एक टीस उठ रही थी...और उसकी वजह थी जूही और अनु...
आज ना तो जूही ने मेरी तरफ देखा और ना अनु ने....और जब मैने उनसे बात करनी चाही तो वो मुझसे दूर भाग गई...जैसे की मैं कोई अंजान इंसान हूँ...
मैं(मन मे)- क्या हो गया इन दोनो को....ये सदमे की वजह से ऐसा कर रही है...या फिर कोई और ही बात है...
मैं जूही और अनु का सोच ही रहा था कि मेरा फ़ोन बज उठा और स्क्रीन पर नाम देख कर मैने अपना सिर पकड़ लिया...
मैं- साला इसे तो भूल ही गया था...
और मैने फ़ोन ले कर कुछ बात की और अपनी कार दौड़ा दी.....
--------------
रात को जब मैं वापिस आया तो डॅड हॉल मे बैठे हुए मिले ..पर वो इस समय बड़े डिस्टर्ब लग रहे थे....
इससे पहले कि मैं कुछ बोलता...वहाँ सुजाता आ गई ...जो किचन से कॉफी ले कर आई थी...
सुजाता को देख कर मैं चुप रह गया ...और फिर कॉफी पीने लगा...
मैं(कॉफी ख़त्म कर के)- डॅड...मुझे आपसे कुछ बात करनी है...
आकाश(सुजाता को देखने के बाद)- हाँ ..बोलो...
मैं(सुजाता को घूर कर)- यहाँ नही...अकेले मे...आपके रूम मे चले....
मेरी बात सुनकर डॅड सुजाता की तरफ देखने लगे...और सुजाता ने उन्हे घूर कर देखा और फिर मुस्कुराते हुए बोली...
सुजाता- अरे बेटा....जो बात करनी है...यही कर्लो ...यहाँ तो सब अपने ही है...क्यो आकाश...
सुजाता ने फिर से आकाश को देखा और डॅड ने भी मजबूरी मे मुस्कुरा दिया...पर मुझे गुस्सा आ गया...
मैं(गुस्से मे खड़ा हो कर)- आपसे कितनी बार बोला आंटी कि आप हमारे घर के मामले मे टाँग मत अड़ाएँ....मुझे अपने डॅड से कब और क्या बात करनी चाहिए...ये सीखने की कोई ज़रूरत नही..समझी..
सुजाता(घबरा कर)- मैं तो बस...आकाश जी....आप ही कुछ...
मैं(बीच मे)- डॅड....प्ल्ज़ अपने रूम मे चलिए....
मेरी बात सुनकर डॅड ने सुजाता को देखा पर उठ कर रूम मे निकल गये...
मैं(सुजाता को देख कर)- तू भी सो जा अब....और आइन्दा से मेरे और मेरे डॅड के बीच बोलना भी मत...समझी..
और मैं भी पैर पटकते हुए डॅड के रूम मे आ गया....
मैं जानता था कि सुजाता मानेगी नही...और वही हुआ....हमारे रूम मे आने के कुछ देर बाद ही सुजाता गेट से कान लगा कर खड़ी हो गई...
मैने गेट के नीचे से आती रोशनी मे उसके पैर की परच्छाई देख ली थी..
मैं- क्या हुआ डॅड...आप ठीक तो है..
आकाश(झल्ला कर)- काहे का ठीक...मैं अब परेशान हो गया हूँ....अब मुझसे और सबर नही होता...
मैं- क्या हुआ डॅड...आप इतनी टेन्षन मे क्यो है..कुछ तो बताइए..
आकाश- क्या बताऊ तुझे...मुझे तो कहते हुए भी शर्म आती है...
और इतना बोलकर डॅड पलट गये और मुझसे नज़रें चुरा ली...
मैं डॅड के पास गया और धीरे से बोला...
मैं- डॅड....प्ल्ज़ बताइए ना....मुझसे कहने मे शर्म कैसी....
आकाश- बेटा...कुछ बातें ऐसी होती है जो कि एक बाप अपने बेटे से बोल नही पाता...
मैं- जानता हूँ डॅड...पर आप भी ये जानते है कि हम कितना ख़तरनाक खेल रहे है....तो प्ल्ज़ डॅड....बताओ मुझे...ये जानना मेरे लिए ज़रूरी है...हमारे प्लान के लिए .....
आकाश(पलट कर, ज़ोर से)- क्या बताऊ...सुनना चाहता है तो सुन....वो सुजाता...वो मुझे अपना पति समझ कर रोज रात को...
और इतना बोल कर डॅड चुप हो गये और एक बार फिर से दूसरी तरफ देखने लगे....
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Re: चूतो का समुंदर
आकाश(नज़रें चुरा कर)- अब और नही अंकित...अब सुजाता तो सच बताना ही होगा...तू कुछ भी कर...पर अब मैं ये नाटक नही कर सकता....
ये बात सुनकर मैं तो नॉर्मल था...पर बाहर खड़ी सुजाता की फट गई थी....
मैं- ओके डॅड....बस 1वीक और ...फिर सब क्लियर कर दूँगा....प्रोमिस...
आकाश(ज़ोर से)- 1हफ़्ता....बहुत ज़्यादा हुआ...मैं इतने दिनो तक ...
तभी मैने डॅड को आँखो से इशारा किया और डॅड चुप हो गये...
आकाश- ओके...1 हफ़्ता और सही...
मैं- ह्म..अब चलिए...वो पार्टी मे जाना है ना...याद तो है...कि भूल गये...
आकाश- ओह माइ गॉड...मैं तो भूल ही गया था...अच्छा हुआ याद दिला दिया....चल...रेडी हो जा...चलते है...
मैं- ओके ..मैं आता हूँ...
और इतना बोलकर मैं गेट की तरफ बढ़ा ...और गेट को हाथ लगाते ही सुजाता दवे पैर भाग गई....उसकी हरक़त पर मुझे गुस्सा तो आया...पर मैने उसे इग्नोर किया और मुस्कुरा कर वहाँ से निकल गया....
थोड़ी देर बाद मैं डॅड के साथ बाहर निकल गया और सुजाता अपना सिर पीट कर बैठ गई...
सुजाता(मन मे)- ये मैने क्या किया....आकाश के साथ....मैं तो सोच रही थी कि वो मेरा पति है...पर ये तो...(गुस्से से)- आने दो साले को....1 हफ़्ता बोला है ना..अब मैं 1 हफ्ते मे ऐसी हालत करूगि कि मारने के पहले हज़ार मौत मरेगा.....
बाप-बेटे अपने आपको बहुत शातिर समझते है ना.....आप मैं बताती हूँ कि सुजाता क्या चीज़ है.....
------------------------------------------------------
रेणु के घर...............
रेणु अपने बाप मदन और रघु के साथ पेग लगाते हुए आगे का प्लान डिसकस कर रही थी....
मदन(सीप मार कर)- तो तुम ही बताओ बेटी क्या करे...बिना अंकित को मारे आकाश को मारना मुस्किल है....और चलो मार भी दिया...तो दौलत का क्या....आकाश की सारी दौलत अंकित के नाम हो जाएगी...फिर हमे क्या फ़ायदा...
रेणु(मदन को देख कर)- तो अंकित को मार कर भी क्या फ़ायदा होने वाला है...दौलत तो तब भी हमे नही मिलेगी ना....
मदन(पेग गटक कर)- आ...जानता हूँ...तभी तो मैं चाहता था कि तुम अंकित को फसा कर सबकुछ हासिल कर लो...पर तुम तो...तुम तो बस...
मदन अपनी बात बोलते-बोलते अपना घुसा चेयर के हॅंडल पर मारने लगा....
रेणु(थोड़ा गुस्से मे)- मैने क्या किया...आप खुद तो यहाँ थे नही..और अब मुझ पर गुस्सा कर रहे है...मैं क्या करती....वो तो अच्छा हुआ कि वसीम मुझे मिल गया...वरना मैं अकेली क्या कर लेती....हां...
मदन(अपना गुस्सा काबू कर के)- अरे बेटी...मेरा वो मतलब नही था...वो तो बस ...आकाश का सोचते ही गुस्सा आ जाता है....उसने मेरी जिंदगी नरक बना दी...मैं उसे ....
रेणु(मदन का हाथ थाम कर)- डॅड....शांत हो जाइए....आकाश को अपने किए की सज़ा मिल कर रहेगी....बस थोड़ा सब्र करे...
मदन(रेणु का हाथ थपक कर)- ह्म...वैसे तूने क्या सोचा....अंकित का क्या करना है...
रेणु- अंकित को तो मैं संभाल लूगी....पर ये समझ नही आ रहा कि उसकी दौलत कैसे हाथ लगेगी...इस बारे मे सोचना पड़ेगा....
इतना बोलने के बाद मदन और रेणु शांति से कुछ सोचने लगे....
ये बात सुनकर मैं तो नॉर्मल था...पर बाहर खड़ी सुजाता की फट गई थी....
मैं- ओके डॅड....बस 1वीक और ...फिर सब क्लियर कर दूँगा....प्रोमिस...
आकाश(ज़ोर से)- 1हफ़्ता....बहुत ज़्यादा हुआ...मैं इतने दिनो तक ...
तभी मैने डॅड को आँखो से इशारा किया और डॅड चुप हो गये...
आकाश- ओके...1 हफ़्ता और सही...
मैं- ह्म..अब चलिए...वो पार्टी मे जाना है ना...याद तो है...कि भूल गये...
आकाश- ओह माइ गॉड...मैं तो भूल ही गया था...अच्छा हुआ याद दिला दिया....चल...रेडी हो जा...चलते है...
मैं- ओके ..मैं आता हूँ...
और इतना बोलकर मैं गेट की तरफ बढ़ा ...और गेट को हाथ लगाते ही सुजाता दवे पैर भाग गई....उसकी हरक़त पर मुझे गुस्सा तो आया...पर मैने उसे इग्नोर किया और मुस्कुरा कर वहाँ से निकल गया....
थोड़ी देर बाद मैं डॅड के साथ बाहर निकल गया और सुजाता अपना सिर पीट कर बैठ गई...
सुजाता(मन मे)- ये मैने क्या किया....आकाश के साथ....मैं तो सोच रही थी कि वो मेरा पति है...पर ये तो...(गुस्से से)- आने दो साले को....1 हफ़्ता बोला है ना..अब मैं 1 हफ्ते मे ऐसी हालत करूगि कि मारने के पहले हज़ार मौत मरेगा.....
बाप-बेटे अपने आपको बहुत शातिर समझते है ना.....आप मैं बताती हूँ कि सुजाता क्या चीज़ है.....
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रेणु के घर...............
रेणु अपने बाप मदन और रघु के साथ पेग लगाते हुए आगे का प्लान डिसकस कर रही थी....
मदन(सीप मार कर)- तो तुम ही बताओ बेटी क्या करे...बिना अंकित को मारे आकाश को मारना मुस्किल है....और चलो मार भी दिया...तो दौलत का क्या....आकाश की सारी दौलत अंकित के नाम हो जाएगी...फिर हमे क्या फ़ायदा...
रेणु(मदन को देख कर)- तो अंकित को मार कर भी क्या फ़ायदा होने वाला है...दौलत तो तब भी हमे नही मिलेगी ना....
मदन(पेग गटक कर)- आ...जानता हूँ...तभी तो मैं चाहता था कि तुम अंकित को फसा कर सबकुछ हासिल कर लो...पर तुम तो...तुम तो बस...
मदन अपनी बात बोलते-बोलते अपना घुसा चेयर के हॅंडल पर मारने लगा....
रेणु(थोड़ा गुस्से मे)- मैने क्या किया...आप खुद तो यहाँ थे नही..और अब मुझ पर गुस्सा कर रहे है...मैं क्या करती....वो तो अच्छा हुआ कि वसीम मुझे मिल गया...वरना मैं अकेली क्या कर लेती....हां...
मदन(अपना गुस्सा काबू कर के)- अरे बेटी...मेरा वो मतलब नही था...वो तो बस ...आकाश का सोचते ही गुस्सा आ जाता है....उसने मेरी जिंदगी नरक बना दी...मैं उसे ....
रेणु(मदन का हाथ थाम कर)- डॅड....शांत हो जाइए....आकाश को अपने किए की सज़ा मिल कर रहेगी....बस थोड़ा सब्र करे...
मदन(रेणु का हाथ थपक कर)- ह्म...वैसे तूने क्या सोचा....अंकित का क्या करना है...
रेणु- अंकित को तो मैं संभाल लूगी....पर ये समझ नही आ रहा कि उसकी दौलत कैसे हाथ लगेगी...इस बारे मे सोचना पड़ेगा....
इतना बोलने के बाद मदन और रेणु शांति से कुछ सोचने लगे....