चूतो का समुंदर

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shubhs
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Re: चूतो का समुंदर

Post by shubhs »

कौन है
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

अकरम के घर......

अकरम के घर का महॉल अभी तक पूरी तरह से ठीक नही हुआ था....पर जूही को छोड़ कर बाकी सब ने जिंदगी मे आगे बढ़ाना शुरू कर दिया था...

अकरम , वसीम के रूम मे खड़ा हुआ था और सबनम उसे वसीम के कवरड ने निकाल-निकाल कर कुछ फाइल्स पकड़ा रही थी...

सबनम(फाइल्स देते हुए)- ये वर्मा कंपनी. की है...ये रही तनेजा ब्रदर्स की...और ये रही उस ऑफीस की जो अभी बनने वाला था....और...

तभी सबनम की नज़रें अकरम से मिली और वो चुप रह गई...अकरम ने इस वक़्त सबनम का हाथ पकड़ रखा था...

सबनम- क्या हुआ....

अकरम(सबनम के हाथ से फाइल्स ले कर)- मोम....आप ठीक है ना...

सबनम(नज़रें चुरा कर)- हाँ बेटा...मैं ठीक हूँ...तू ये फाइल्स...

सबनम इतना ही बोल पाई थी कि अकरम ने उसका चेहरा पकड़ कर अपनी तरफ घुमा दिया....

अकरम(आँखो मे झाँकता हुआ)- मोम...आप ठीक नही हो...आप दर्द को छिपाने की नाकाम कोसिस कर रही हो बस...

सबनम(अकरम के हाथ थाम कर)- नही बेटा...दर्द कैसा...जिंदगी मे गम और खुशी तो आते-जाते रहते है...उसमे...उसमे...

और इतना बोल कर सबनम सिसकने लगी...

अकरम- नही मोम...प्ल्ज़...रोओ मत मोम..प्ल्ज़...

सबनम(सिसकते हुए)- हुह...क्या करूँ...ये आँसू मेरे बस मे नही बेटा...निकल ही पड़ते है...

अकरम- पर वो इन आँसुओ के लायक नही है.....

अकरम की बात सुन कर सबनम का दिल धक्क कर गया...और उसके रोते हुए चेहरे पर हैरानी के भाव उभर आए...

सबनम(अपना चेहरा छुड़वा कर)- क्या...क्या कहा तूने....तेरा दिमाग़ तो ठीक है ना...तू अपने डॅड के बारे मे ही बोल रहा है ना....हाँ...

अकरम(सिर हिलाते हुए , पलट कर)- हाँ...मैं वसीम ख़ान के बारे मे ही बोल रहा हूँ...वो इन आँसुओं के लायक नही है....नही है...

सबनम (अकरम के सामने आ कर, ज़ोर से)- तू पागल हो गया क्या....अपने डॅड को नाम से ...क्या हो गया है तुझे...हाँ..

सबनम ने अकरम के हाथ पकड़ कर उसे झकज़ोर दिया...और अगले ही पल अकरम ने अपने हाथ झटक कर अलग किए और सबनम के कंधे पकड़ लिए...और उसकी आँखो मे घूरते हुए कड़क आवाज़ मे बोला...

अकरम- नही...मैं वसीम ख़ान के बारे मे बोल रहा हूँ...वसीम ख़ान के...अपने डॅड के बारे मे नही...समझी आप....समझी...

अकरम की बात सुनकर सबनम कुछ ना बोली....बस वो फटी आखो से अकरम को देखती रही ...

अकरम(घूरते हुए)- हाँ मोम.....वसीम ख़ान मेरा बाप नही था....मेरा बाप अनवर ख़ान था...अनवर ख़ान.....

अकरम के मुँह से आनवार का नाम सुनकर तो सबनम को ज़्यादा रोना आने लगा.....पर बट बनी अकरम को देखती रही पर अभी भी कुछ नही बोली.....

अकरम- इसलिए ये आँसू जाया मत कीजिए....इन पर वसीम ख़ान का कोई हक़ नही ....

अकरम की बात सुनकर सबनम फिर से सुबकने लगी....पर इस बार आँसू अनवर के लिए थे...वसीम के लिए नही...

अकरम- मोम...प्ल्ज़...उस आदमी के लिए...

सबनम(बीच मे)- नही...चुप कर...वो आदमी...आदमी...क्या लगा रखा है...माना कि वो तेरे डॅड नही थे...पर थे तो डॅड की तरह ही...और मैने उनसे शादी की थी ...शादी...इस नाते वो तुम्हारे डॅड ही थे...समझा...

अकरम(झल्ला कर)- पर वो इंसान इस लायक ही नही था कि...

सबनम(चिल्ला कर)- बस...अब एक शब्द भी मत निकालना...समझा...

अकरम(गुस्से से सास ले कर)- हुह...लगता है आपको सच बताना ही पड़ेगा...तभी आप समझ पायगी कि मैं क्या कह रहा हूँ और क्यो कह रहा हूँ....

सबनम(हैरान हो कर)- सच...कैसा सच...तू कहना क्या चाहता है...हाँ..

अकरम ये बात सुन कर थोड़ा सोच मे पड़ गया और दूसरी तरफ सबनम का रोना बढ़ने लगा...

अकरम(पानी उठा कर)- मोम...आप पहले पानी पियो...और रोना मत प्ल्ज़....मैं आपको सब बताता हूँ...प्ल्ज़ मोम...रोना मत...

फिर अकरम ने सबनम को पानी पिलाया और जब सबनम कुछ नॉर्मल हुई तो अकरम ने अपनी बात बतानी शुरू की......

अकरम ने सबनम को सारी बात बता दी...सरफ़राज़ ख़ान कैसे वसीम बना...उसने किस-किस को मारा और दौलत हथिया ली...और अंकित से दुश्मनी....सब कुछ...

जिसे सुनते हुए सबनम की आँखो से आँसू बहते रहे और वसीम की सच्चाई सुनते हुए उसके दिल मे वसीम के लिए जो थोड़ा प्यार बाकी था ...वो जगह भी नफ़रत ने ले ली....

अकरम(सबनम को देख कर)- ये थी सरफ़राज़ की सच्चाई...उसने जो भी किया सिर्फ़ अपने फ़ायदे के लिए किया....उसने आपके घर और ससुराल वालो को सिर्फ़ दौलत के लिए मारा....और मेरे डॅड और सकील अंकल को भी सिर्फ़ दौलत की खातिर ख़त्म किया....

सबनम का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था....तभी रूम मे सादिया आ गई और सबनम को संभालने लगी...

सादिया- नही सब्बो...मत रो...अकरम...क्या हुआ इसे...

अकरम- आज इन्हे रो लेने दो आंटी...

सादिया(अकरम को घूर कर)- ये क्या बोल रहा है...क्यो रोने दूं...चुप हो जा सबनम...

अकरम- आपको भी सच्चाई पता होना चाहिए आंटी ....

सादिया(चौंक कर)- क्या...कैसी सच्चाई...

अकरम- बताता हूँ...सुनिए...

और फिर अकरम ने वही बातें सादिया को भी बता दी...जिसे सुनकर सबनम के साथ सादिया भी रोने लगी....पर दोनो के आँसू अपने पतियों और घरवालो के लिए थे...वसीम से तो सिर्फ़ नफ़रत थी...नफ़रत...

अकरम(दूसरी तरफ पलट कर )- आप लोगो को एक और सच भी बताना है...

सादिया(रोते हुए)- अब क्या बाकी रह गया....दिल छलनी तो कर ही दिया...अब क्या जान भी ले लेगा....हाँ...

अकरम- नही...जान तो मैने ले ली...

सबनम(चौंक कर)- क्या..क्या मतलब तेरा...

अकरम(पलट कर दोनो को देखते हुए)- वसीम ख़ान को मैने मारा है...अपने हाथो से....

अकरम की बात सुन कर सबनम और सादिया के मुँह खुले के खुले रह गये...दोनो का रोना बंद हो गया और दोनो कभी अकरम को देखते तो कभी एक-दूसरे को....

अकरम(आह भर कर)- मैं बाद मे आता हूँ....

और इतना बोल कर अकरम वहाँ से निकल गया और दोनो बहने हैरानी से एक-दूसरे को देखने लगी.....

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Ankit
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Re: चूतो का समुंदर

Post by Ankit »

पोलीस स्टेशन मे..........

घर से निकलने के कुछ देर बाद मैने एक के बाद एक कर के 10 कॉल कर डाले पर सामने वाले ने मेरा कॉल रिसीव ही नही किया....

परेशान हो कर मैने कार पोलीस स्टेशन की तरफ घुमा दी....जहा गेट पर ही मुझे इंस्पेक्टर.आलोक दिख गये .....

मैं(ज़ोर से)- हेलो सर...हेलो..

आलोक(पलट कर)- ओह..अंकित...आओ-आओ...

मैं(पास पहुँच कर)- मैं आपको कब्से कॉल कर रहा ....आपने लिया क्यो नही...

आलोक(जेब चेक कर के)- ओह..फ़ोन...अर्रे...वो फ़ोन अंदर रह गया...और मैं यहाँ कमिश्नर सर के साथ खड़ा था पिछले आधे घंटे से...

मैं- ओह...कोमिशनर....क्यो..कुछ कांड हो गया क्या...

आलोक- कांड..नही वो...वो बाद मे..पहले तुम बोलो...बड़े टेन्षन मे दिख रहे हो...क्या हुआ...

मैं- अरे हा..वो रिया किडनॅप हो गई...

आलोक(हैरानी से)- रिया...कौन ...वो रिचा की बेटी...

मैं- ....वही...और वो रिचा समझती है कि मैने उसे किडनॅप.....

तभी आलोक ने मुझे चुप रहने का . किया....

मैं(चौंक कर)- क्या हुआ...

फिर आलोक ने मुझे आस-पास खड़े हवलदरो को दिखाया और अंदर चलने को कहा...

फिर हम दोनो आलोक के कॅबिन मे चले गये....

आलोक- अब बोलो..क्या हुआ ....

फिर मैने आलोक को पूरी बात बता दी और फिर वहाँ से वापिस आने लगा...वापिस आते हुए मेरी नज़र हवालात की तरफ गई...जो खाली था...

मैं(चौंक कर)- रफ़्तार . है..

आलोक(सिर . कर)- ओह्ह..मैं बताना भूल ही गया...असल मे कल रात ही रफ़्तार को छोड़ दिया गया...जमानत पर....

मैं(गुस्से से)- क्या...कल रात को छोड़ दिया और आपने अब तक...

आलोक- कल मैं यहाँ था ही नही...तभी कमिशनर का कॉल आया और 1 आदमी उसे छुड़ा ले गया....

मैं- तो आज बता देते...

आलोक- आज मैं आया ही था कि कमिशनर आ गये...और उनके जाते ही तुम...अब कब बताता...

मैं(सिर पीट कर)- ये सही नही हुआ...वो साला ज़रूर कुछ बबाल करेगा ...बहुत बड़ा कमीना है साला...

आलोक- वो तो है...बट डोंट वरी..हम तुम्हारी सुरक्षा का इंतज़ाम कर लेगे..

मैं- अरे..मुझे टेन्षन नही...मैं संभाल लुगा...बस वो रक्षा को कुछ ना कर दे...उसका इंतज़ाम करना होगा...

आलोक- डोंट वरी...हो जायगा...

मैं(सोच कर)- वैसे उसे निकलवाया किसने ....

आलोक- पता नही...मैने बताया ना कि मैं यहाँ था ही नही....

मैं- ह्म..अच्छा..मैं चलता ...मुझे कुछ काम याद आ गया...आपको बाद मे कॉल करता हूँ..ओके...

और फिर मैं वहाँ से निकल आया और कार मे बैठे हुए सोचने लगा कि कहीं रफ़्तार ने ही तो नही रिया को किडनॅप कर लिया....

ये सोच दिमाग़ मे आते ही मैने कार को दूसरी तरफ दौड़ा दिया....

कॉल्लबेल बजते ही जब गेट खुला तो सामने खड़ा सक्श मुझे देखते ही . हो गया....

""ओह...तो आ गये आप....बड़ी देर कर दी आते-आते......आइए...अंदर आइए.....""

पोलीस स्टेशन से निकल कर मैं सीधा रफ़्तार के घर पहुँचा ....जहा पर रफ़्तार की बीवी मेरा ही इंतज़ार कर रही थी....

अंदर आते ही मैने गौर किया कि सुमन इस वक़्त घर मे अकेली ही थी....

मैं(अपनी आँखे चारों तरफ घुमा कर)- आपकी बेटी . है....

सुमन- वो तो बाहर गई है...पर आपको उससे क्या काम....आपके काम का सामान तो आपके सामने है...है ना...

इतना बोलकर सुमन ने एक तीखी मुस्कान बिखेर दी....

आज मुझे सुमन का अंदाज कुछ बदला-बदला नज़र आ रहा था....पर इसकी वजह क्या थी...अब ये तो पता करना ही होगा....

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म..वो तो है...पर शायद आप भूल गई कि मैने आपसे कुछ काम बोला था...याद है ना....

सुमन(हैरानी से)- ...बोला तो था...पर ये मैं कैसे करू...नही...मैं नही कर सकती....

मैं(सिर हिला कर)- ना..ना...ये तो ग़लत है....आपने खुद कहा था कि आप मेरे लिए ये काम कर देगी...मैने आपको फोर्स नही किया था...सिर्फ़ पूछा था..और आपने . बोला था...याद है ना....

सुमन- मुझे याद है...पर ये इतना आसान नही...जितना मैने सोचा था....मैने अपने पति से कितनी बार पूछने की कोसिस की...पर वो बताते ही नही...बस गुस्सा करके मुझे चुप करा देते है.....

मैं(मुस्कुरा कर)-ह्म्म..तो इसमे उदास होने की क्या बात....अभी बात नही बनी तो आगे बन जाएगी...है ना...कम से कम अभी तो .....वरना मैं चला...

और इतना बोल कर मैने मुड़कर जाने का नाटक किया ...पर सुमन ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक लिया......

सुमन- नही...आप ऐसे नही जा सकते...

मैं(घूम कर)- ये ऑर्डर है या धमकी. .हाँ...

सुमन(मुस्कुरा कर)- रिक्वेस्ट...

मैं(सुमन की तरफ बढ़ कर)- पर यहा रुकने की कोई वजह भी तो नही...क्या करूँगा रुक कर...

सुमन(अपना सिर झटक कर)- वजह आपके सामने है....

मैं(सुमन के गाल पर हाथ फिरा कर)- ओह्ह...तो ये वजह है....पर इसका मैं क्या करू...ह्म्म...

सुमन(मेरी आँखो मे देख कर)- जो आपका दिल करे....

मैं(मुस्कुरा कर)- क्यो...ये क्या मेरी प्रॉपर्टी है ....

सुमन(मुस्कुरा कर)- प्रॉपर्टी किसी की हो....आप उसे कर सकते हो ....

मैं- ओह्ह ऐसा क्या....

सुमन(शरमा कर)-ह्म...

मैं- . ..तो आज हम इस प्रॉपर्टी के बॅक साइड का मुआयना करेंगे...ओके...

सुमन(मुँह खोल कर)- आआ..बॅक साइड....क्या आपको फ्रंट साइड पसंद नही आई....

मैं(मुस्कुरा कर)- है...फ्रंट साइड भी पसंद है....पर आज फ्रंट के अलावा बॅक साइड घूमने का भी मन है...

सुमन(शरमा कर)- आप भी ना....ठीक है...जैसा आप कहे....फ्रंट , बॅक, टॉप, डाउन....सब घूम लेना ...अब तो रुकेगे ना....

मैं(सुमन को अपनी बॉडी से चिपका कर)- ह्म..अब तो प्रॉपर्टी चेक कर के ही जायगे.....आओउउम्म्म्म....

और मैने सुमन को एक किस कर दिया....
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