चूतो का समुंदर
- Rohit Kapoor
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Re: चूतो का समुंदर
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(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
(संयोग का सुहाग)....(भाई की जवानी Complete)........(खाला जमीला running)......(याराना complete)....
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
Update
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Ankit
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- Joined: 06 Apr 2016 09:59
Re: चूतो का समुंदर
संजू के घर से निकल कर मैं सीधा उस जगह पहुँचा, जहाँ मैने संजू को मिलने के लिए बुलाया था.....
संजू(मुझे देखते ही)- कितनी देर लगा दी यार....
मैं- अरे..थोड़ा फस गया था...आ तो गया ना.....
संजू- ओके...चल छोड़...ये बता कि यहाँ किस लिए बुलाया....कोई खास बात ...
मैं(टहलते हुए)- ह्म...खास तो है कुछ ...पर इससे पहले कि मैं कुछ बोलू...तू एक काम कर...
संजू- क्या...
मैं(शर्ट निकाल कर)- तू मेरे कपड़े पहन ले ...और अपने कपड़े मुझे दे...
संजू(हैरानी से)- पर क्यो...??
मैं- अरे...तू इतना भी नही कर सकता ...हाँ...जो बोल रहा हूँ वो कर...
संजू(सिर हिला कर)- पता नही तू...ओके...चल कर ले चेंज....अब खुश....
फिर मैने और संजू ने अपने कपड़े आपस मे बदल लिए...और जैसे ही हम रेडी हुए तो मैने अपने शॉक्स मे छिपाई हुई छोटी पिस्टल निकली और संजू पर तान दी....
संजू(घबरा कर)- ये...ये पिस्टल...अबे ये क्या है...कर क्या रहा है तू....
मैं- कुछ खास नही...बस इस दुनिया से तेरा वजूद मिटा रहा हूँ....
संजू- प्प...पागल है क्या....तू मुझे मारेगा...मुझे...हाँ...
मैं(ज़ोर से )- हाँ....
संजू- पर क्यो भाई...मैने क्या ...
मैं(बीच मे)- मेरे प्लान के लिए ये करना हरूरी है....
संजू(बोखला कर)- अबे मेरी बात....मत कर यार....क्यो कर रहा है तू....क्या मिलेगा तुझे इससे...हाँ ,..
मैं(मुस्कुरा कर)- जो भी कर रहा हूँ उसमे सबकी भलाई है....
और इतना बोल कर मैं फिरे करने ही वाला था कि तभी रूम मे एक आदमी आ गया....
आदमी- रुक जाओ.....मुझे नही लगता कि अब इसकी कोई ज़रूरत है......
मैं(आदमी को देख कर)- ओह्ह..आ गये आप....चलो फिर...मेरी गोली बच गई...अब इसे आप सम्भालो...और याद रखना कि काम टाइम पर पूरा हो....
आदमी- काम तो हो जायगा....पर इसके लिए तुम्हारी आँखे बंद करनी पड़ेगी......
और इतना बोलकर वो आदमी आगे बढ़ा और उसके हाथो को देख कर मैं घबरा गया....
मैं- क्या...नही...मेरे साथ ये मत करना...दूर हटो...डोर हटो....नही..
और ये सब देख कर...उस आदमी के साथ-साथ संजू भी ठहाका मार कर हँसने लगा......
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नेक्स्ट डे....दामिनी, रजनी,सूमी और अंकित के घर पर खलबली का महॉल था....हर घर के मेंबर्ज़ कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे....
दामिनी के घरवालो मे से किसी को नही पता था कि दामिनी उन्हे कहाँ ले जाने वाली है...ठीक यही हाल अंकित के घर मे सुजाता का भी था....यहा सिर्फ़ आकाश जानता था कि उसे कहाँ जाना है....
रजनी के घर ये धमाका आज सुबह ही हुआ था...जब संजू के डॅड ने सबको कहीं जाने की बात बोली...
प्रमोद की बात सुनकर रजनी के साथ-साथ सब हैरान थे...पर कोई भी प्रमोद के खिलाफ नही गया...बस उसके कहते ही अपनी-अपनी तैयारी मे लग गया...
यहा रेणु के घर पर भी मदन और रघु जाने के लिए निकल गये थे....और सूमी के घर पर भी सूमी अपनी बेटी के साथ तैयार थी...और संजू का वेट कर रही थी....
कुछ देर बाद हर किसी के घर पर एक-एक कार पहुँची और सबको लेकर शहर के बाहर हाइवे पर ले आई....
जैसे ही सब लोग कार्स से निकले तो एक-दूसरे को देख कर उनकी हैरानी का ठिकाना नही रहा......
पर ये लोग कुछ भी बात करते, उससे पहले ही उन आदमियों ने, जो इन्हे घर से लाए थे.....सबको बस मे बैठा दिया और शहर से निकल गये.....
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संजू(मुझे देखते ही)- कितनी देर लगा दी यार....
मैं- अरे..थोड़ा फस गया था...आ तो गया ना.....
संजू- ओके...चल छोड़...ये बता कि यहाँ किस लिए बुलाया....कोई खास बात ...
मैं(टहलते हुए)- ह्म...खास तो है कुछ ...पर इससे पहले कि मैं कुछ बोलू...तू एक काम कर...
संजू- क्या...
मैं(शर्ट निकाल कर)- तू मेरे कपड़े पहन ले ...और अपने कपड़े मुझे दे...
संजू(हैरानी से)- पर क्यो...??
मैं- अरे...तू इतना भी नही कर सकता ...हाँ...जो बोल रहा हूँ वो कर...
संजू(सिर हिला कर)- पता नही तू...ओके...चल कर ले चेंज....अब खुश....
फिर मैने और संजू ने अपने कपड़े आपस मे बदल लिए...और जैसे ही हम रेडी हुए तो मैने अपने शॉक्स मे छिपाई हुई छोटी पिस्टल निकली और संजू पर तान दी....
संजू(घबरा कर)- ये...ये पिस्टल...अबे ये क्या है...कर क्या रहा है तू....
मैं- कुछ खास नही...बस इस दुनिया से तेरा वजूद मिटा रहा हूँ....
संजू- प्प...पागल है क्या....तू मुझे मारेगा...मुझे...हाँ...
मैं(ज़ोर से )- हाँ....
संजू- पर क्यो भाई...मैने क्या ...
मैं(बीच मे)- मेरे प्लान के लिए ये करना हरूरी है....
संजू(बोखला कर)- अबे मेरी बात....मत कर यार....क्यो कर रहा है तू....क्या मिलेगा तुझे इससे...हाँ ,..
मैं(मुस्कुरा कर)- जो भी कर रहा हूँ उसमे सबकी भलाई है....
और इतना बोल कर मैं फिरे करने ही वाला था कि तभी रूम मे एक आदमी आ गया....
आदमी- रुक जाओ.....मुझे नही लगता कि अब इसकी कोई ज़रूरत है......
मैं(आदमी को देख कर)- ओह्ह..आ गये आप....चलो फिर...मेरी गोली बच गई...अब इसे आप सम्भालो...और याद रखना कि काम टाइम पर पूरा हो....
आदमी- काम तो हो जायगा....पर इसके लिए तुम्हारी आँखे बंद करनी पड़ेगी......
और इतना बोलकर वो आदमी आगे बढ़ा और उसके हाथो को देख कर मैं घबरा गया....
मैं- क्या...नही...मेरे साथ ये मत करना...दूर हटो...डोर हटो....नही..
और ये सब देख कर...उस आदमी के साथ-साथ संजू भी ठहाका मार कर हँसने लगा......
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नेक्स्ट डे....दामिनी, रजनी,सूमी और अंकित के घर पर खलबली का महॉल था....हर घर के मेंबर्ज़ कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे....
दामिनी के घरवालो मे से किसी को नही पता था कि दामिनी उन्हे कहाँ ले जाने वाली है...ठीक यही हाल अंकित के घर मे सुजाता का भी था....यहा सिर्फ़ आकाश जानता था कि उसे कहाँ जाना है....
रजनी के घर ये धमाका आज सुबह ही हुआ था...जब संजू के डॅड ने सबको कहीं जाने की बात बोली...
प्रमोद की बात सुनकर रजनी के साथ-साथ सब हैरान थे...पर कोई भी प्रमोद के खिलाफ नही गया...बस उसके कहते ही अपनी-अपनी तैयारी मे लग गया...
यहा रेणु के घर पर भी मदन और रघु जाने के लिए निकल गये थे....और सूमी के घर पर भी सूमी अपनी बेटी के साथ तैयार थी...और संजू का वेट कर रही थी....
कुछ देर बाद हर किसी के घर पर एक-एक कार पहुँची और सबको लेकर शहर के बाहर हाइवे पर ले आई....
जैसे ही सब लोग कार्स से निकले तो एक-दूसरे को देख कर उनकी हैरानी का ठिकाना नही रहा......
पर ये लोग कुछ भी बात करते, उससे पहले ही उन आदमियों ने, जो इन्हे घर से लाए थे.....सबको बस मे बैठा दिया और शहर से निकल गये.....
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- shubhs
- Novice User
- Posts: 1541
- Joined: 19 Feb 2016 06:23
Re: चूतो का समुंदर
ये क्या है
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हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
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- mastram
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- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: चूतो का समुंदर
nice update
मस्त राम मस्ती में
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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भाई बहन,ननद भाभी और नौकर .......... सेक्स स्लेव भाभी और हरामी देवर .......... वासना के सौदागर .......... Incest सुलगते जिस्म और रिश्तों पर कलंक Running.......... घर की मुर्गियाँ Running......नेहा बह के कारनामे (Running) ....मस्तराम की कहानियाँ(Running) ....अनोखा इंतकाम रुबीना का ..........परिवार बिना कुछ नहीं..........माँ को पाने की हसरत ......सियासत और साजिश .....बिन पढ़ाई करनी पड़ी चुदाई.....एक और घरेलू चुदाई......दिल दोस्ती और दारू...
आग लगे चाहे बस्ती मे.
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