चूतो का समुंदर
- shubhs
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Re: चूतो का समुंदर
सोचने दो
सबका साथ सबका विकास।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है, और इसका सम्मान हमारा कर्तव्य है।
- Ankit
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Re: चूतो का समुंदर
रात के सन्नाटे मे जब चारो तरफ सिर्फ़ हवा की सरसराहट सुनाई दे रही थी...तभी एक कार के टायर घसीटने की आवाज़ आई...जिससे रेणु और मदन चोंक पड़े ...
मदन- इतनी रात को कौन हो सकता है...
रेणु- अरे डॅड...किसी और के घर आया होगा....शायद सामने आया होगा...
मदन(सिर हिला कर)- ह्म्म...ऐसा ही होगा....तू पेग बना....
रेणु- ह्म्म...अब मैं नही पी रही...2 पेग ही बनाती हूँ...
तभी उस रूम मे एक आवाज़ आई...
""2 नही...3 पेग बनाओ...मैं भी पिउगा...""
आवाज़ सुनते ही मदन , रेणु और रघु खिड़की की तरफ देखने लगे....जहा एक सक्श चेहरा छिपाए खड़ा हुआ था...
उसे देखते ही रघु ने उस पर गन तान दी...
रघु- कौन है तू..हाँ..बोल कौन है...नही तो...
""पहले अंदर तो आने दो...फिर दिल करे तो गोली भी मार देना....""
रघु- साले बोलता है या .....
मदन(रघु का कंधा पकड़ कर)- रूको...जाओ ..ले आओ उसे...
थोड़ी देर बाद रघु उस सक्श को गन पॉइंट पर ले कर आ गया...
मदन(कड़क आवाज़ मे)- अब बताओ...कौन हो तुम...और यहाँ क्यो आए हो...
""तुम्हारी मदद करने....""
मदन(हैरानी से)- कैसी मदद....
""आकाश से बदला लेने मे....उसकी दौलत हथियाने मे...समझे...""
मदन और रेणु उस सक्श की बात सुनकर एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे....
""ऐसे हैरान मत हो...मैं सब जानता हूँ....""
मदन- पर तुम हमारी मदद क्यो करना चाहते हो...हाँ...
""क्योकि मैं भी तुम्हारी ही तरह आज़ाद की फॅमिली से हिसाब चुकाना चाहता हूँ....""
रेणु- पर तुम हो कौन....
रेणु की बात सुनकर सामने खड़ा सक्श हँसने लगा....
""अभी बताता हूँ...मुझे यकीन है कि मदन मुझे ज़रूर पहचान लेगा...""
और इतना बोल कर उस सक्श ने अपने चेहरे का मास्क हटा दिया....और उसे देखते ही मदन की आँखे बड़ी हो गई....
मदन(चौंकते हुए)- तुम..तुम तो...हां...समर सिंग ....समर सिंग हो ना....
समर- क्या बात है...याददस्त अच्छी है तुम्हारी....हाहाहा....हाँ ..मैं समर ही हूँ.....
मदन- तुम..तुम जिंदा हो....तुम तो...
समर(बीच मे)- मर गया था....पर क्या करे...बदला लेने के लिए कभी-कभी दुनिया के लिए मरना ही पड़ता है....तुम तो अच्छी तरह जानते हो...है ना....
रेणु(हैरान हो कर)- नही डॅड...ये कोई समर नही...ये तो.....:-)
समर(मुँह पर उंगली रख कर)- स्शह...बच्ची...सब समझता हूँ...पहले एक दमदार पेग तो पिला दो...हाँ...
इतना बोल कर समर मुस्कुराने लगा और उसके साथ मदन भी.....और सब बैठ कर पेग लगाने लगे......
मदन , समर और रेणु आपस मे मिलकर काफ़ी देर तक प्लान करते रहे और फिर अचानक रेणु ने एक बॉम्ब फोड़ दिया.....
रेणु(अपनी जगह पर खड़े हो कर)- आप लोगो का प्लान तो सही है...पर एक बात मेरी भी सुन लीजिए....अंकित को कुछ नही होना चाहिए....ओके...
रेणु की बात सुनकर समर गुस्से मे आ गया पर मदन ने उसका हाथ दबा कर शांत रहने का इशारा कर दिया....
मदन(मुस्कुरा कर)- ठीक है ना....हमें अंकित से कोई प्राब्लम नही...तो हम उसे कुछ क्यो करेंगे....ह्म..
समर(गुस्से से)- पर अंकित के होते हुए हमारा काम होना मुमकिन नही....मैं जानता हूँ उसे...वो बहुत तेज है...अपनी उमर से ज़्यादा चालाक....
रेणु(खिलखिला पड़ी)- हहहे...वो तो है....पर उसकी फ़िक्र आप मत करो...उसे मैं संभाल लूगी...आप लोग बस आकाश का ख्याल रखो....
समर(रेणु को देख कर)- तुम संभाल लोगि...तुम...हुह...वैसे मैं जान सकता हूँ कि तुम उसे कैसे संभालने वाली हो...हाँ...
रेणु(वापिस अपनी जगह बैठ कर)- आपको इससे कोई मतलब नही होना चाहिए....मैं क्या करती हूँ...ये मेरा काम है...आप बस रिज़ल्ट के बारे मे सोचो....वैसे आप बता सकते है कि आप आकाश को कैसे हॅंडल करेंगे...हाँ...
रेणु की बातों मे एक तरह का ताना था...जैसे वो बोल रही हो कि तुम क्या कर लोगे.....इसलिए रेणु की बात सुनकर समर गुस्से दाँत पीसने लगा....पर मदन का इशारा पा कर चुप रहा और फीकी मुस्कुराहट के साथ बोला....
समर(रेणु को देख कर)- तुम आकाश की फ़िक्र मत करो...उसे मैं पहले ही गायब कर चुका हूँ...और उसकी जगह अपना आदमी बैठा चुका हूँ...
अबकी बार रेणु के साथ-साथ मदन भी चौंक पड़ा....दोनो को समर की बात समझ ही नही आई थी शायद....
मदन(हैरानी से)- तुम कहना क्या चाहते हो...आकाश की जगह कोई दूसरा....मतलब क्या है इसका....
समर- मतलब ये कि आकाश की जगह उसका बाहरूपिया उसके घर मे पहुँच चुका है ...और आकाश हमारी गिरफ़्त मे है....समझे ...
समर की बात सुन कर रेणु और मदन एक दूसरे को देखने लगे...दोनो के मुँह हैरानी से खुल गये थे...और आँखे भी बड़ी हो चली थी...
मदन(समर को देख कर)- तो आकाश के घर, आकाश की जगह नकली आकाश रह रहा है...और अंकित...उसे शक़ नही हुआ...
समर(मुस्कुरा कर)- नही हुआ....बिल्कुल नही...क्योकि हम ने अपने आदमी को आकाश की तरह की ट्रेंड कर के भेजा था...और फिर वो आदमी आकाश को अच्छे से जानता भी है ...तो कोई दिक्कत नही हुई...
रेणु(अभी भी हैरान थी)- वो आदमी है कौन....
समर- उसका भाई....योगेन्द्र...
रेणु(चौंक कर)- आकाश का भाई...पर वो तुम्हारा साथ क्यो देगा...हां..
समर(कामिनी मुस्कान के साथ)- प्यार का मारा है बेचारा....अपनी बीवी के कहने पर जान भी दे देगा...ये तो छोटी सी बात थी उसके लिए...
रेणु(आँखे छोटी कर के)- क्या...बीवी के लिए...पर उसकी बीवी तुम्हारा साथ क्यो देने लगी...
समर(मुस्कुरा कर)- क्योकि उसकी बीवी मेरी छोटी बेहन है ...इसलिए..अब समझी...
मदन- ओह्ह...तुमने तो बड़ी लंबी प्लॅनिंग कर ली...पर एक बात समझ नही आई...तुम्हारी दुश्मनी होते हुए भी आज़ाद ने अपने बेटे की शादी तुम्हारी बेहन से क्यो की...
समर(लंबी साँस ले कर)- की नही...हम ने उसे मजबूर किया ये शादी करने को...
रेणु(आँखे मटकाते हुए)- ह्म्म...ज़रा मैं भी तो सुनू कि तुमने आज़ाद जैसे शातिर इंसान को मजबूर कैसे कर दिया...क्योकि जहा तक मैने सुना था...आज़ाद को छलना बच्चों का खेल नही....(मदन की देख कर)- है ना डॅड...
मदन(सिर हिला कर)- ह्म्म...बच्चों का क्या...बड़े-बड़े भी उसके सामने पानी माग जाते थे....
समर(मदन को देख कर)- तुम मुझसे बेहतर जानते हो आज़ाद को...और तुम बिल्कुल सही भी हो...आज़ाद को फसाना आसान नही...और ना ही आकाश को...वो भी अपने बाप के ही जैसा है....पर आज़ाद का दूसरा बेटा आज़ाद के जैसा नही...बेवकूफ़ है साला...
और इतना बोलकर समर फिर से एक पेग बनाने लगा और रेणु अपने बाप के साथ समर के आगे बोलने का इंतज़ार करने लगे.....
मदन- इतनी रात को कौन हो सकता है...
रेणु- अरे डॅड...किसी और के घर आया होगा....शायद सामने आया होगा...
मदन(सिर हिला कर)- ह्म्म...ऐसा ही होगा....तू पेग बना....
रेणु- ह्म्म...अब मैं नही पी रही...2 पेग ही बनाती हूँ...
तभी उस रूम मे एक आवाज़ आई...
""2 नही...3 पेग बनाओ...मैं भी पिउगा...""
आवाज़ सुनते ही मदन , रेणु और रघु खिड़की की तरफ देखने लगे....जहा एक सक्श चेहरा छिपाए खड़ा हुआ था...
उसे देखते ही रघु ने उस पर गन तान दी...
रघु- कौन है तू..हाँ..बोल कौन है...नही तो...
""पहले अंदर तो आने दो...फिर दिल करे तो गोली भी मार देना....""
रघु- साले बोलता है या .....
मदन(रघु का कंधा पकड़ कर)- रूको...जाओ ..ले आओ उसे...
थोड़ी देर बाद रघु उस सक्श को गन पॉइंट पर ले कर आ गया...
मदन(कड़क आवाज़ मे)- अब बताओ...कौन हो तुम...और यहाँ क्यो आए हो...
""तुम्हारी मदद करने....""
मदन(हैरानी से)- कैसी मदद....
""आकाश से बदला लेने मे....उसकी दौलत हथियाने मे...समझे...""
मदन और रेणु उस सक्श की बात सुनकर एक दूसरे को हैरानी से देखने लगे....
""ऐसे हैरान मत हो...मैं सब जानता हूँ....""
मदन- पर तुम हमारी मदद क्यो करना चाहते हो...हाँ...
""क्योकि मैं भी तुम्हारी ही तरह आज़ाद की फॅमिली से हिसाब चुकाना चाहता हूँ....""
रेणु- पर तुम हो कौन....
रेणु की बात सुनकर सामने खड़ा सक्श हँसने लगा....
""अभी बताता हूँ...मुझे यकीन है कि मदन मुझे ज़रूर पहचान लेगा...""
और इतना बोल कर उस सक्श ने अपने चेहरे का मास्क हटा दिया....और उसे देखते ही मदन की आँखे बड़ी हो गई....
मदन(चौंकते हुए)- तुम..तुम तो...हां...समर सिंग ....समर सिंग हो ना....
समर- क्या बात है...याददस्त अच्छी है तुम्हारी....हाहाहा....हाँ ..मैं समर ही हूँ.....
मदन- तुम..तुम जिंदा हो....तुम तो...
समर(बीच मे)- मर गया था....पर क्या करे...बदला लेने के लिए कभी-कभी दुनिया के लिए मरना ही पड़ता है....तुम तो अच्छी तरह जानते हो...है ना....
रेणु(हैरान हो कर)- नही डॅड...ये कोई समर नही...ये तो.....:-)
समर(मुँह पर उंगली रख कर)- स्शह...बच्ची...सब समझता हूँ...पहले एक दमदार पेग तो पिला दो...हाँ...
इतना बोल कर समर मुस्कुराने लगा और उसके साथ मदन भी.....और सब बैठ कर पेग लगाने लगे......
मदन , समर और रेणु आपस मे मिलकर काफ़ी देर तक प्लान करते रहे और फिर अचानक रेणु ने एक बॉम्ब फोड़ दिया.....
रेणु(अपनी जगह पर खड़े हो कर)- आप लोगो का प्लान तो सही है...पर एक बात मेरी भी सुन लीजिए....अंकित को कुछ नही होना चाहिए....ओके...
रेणु की बात सुनकर समर गुस्से मे आ गया पर मदन ने उसका हाथ दबा कर शांत रहने का इशारा कर दिया....
मदन(मुस्कुरा कर)- ठीक है ना....हमें अंकित से कोई प्राब्लम नही...तो हम उसे कुछ क्यो करेंगे....ह्म..
समर(गुस्से से)- पर अंकित के होते हुए हमारा काम होना मुमकिन नही....मैं जानता हूँ उसे...वो बहुत तेज है...अपनी उमर से ज़्यादा चालाक....
रेणु(खिलखिला पड़ी)- हहहे...वो तो है....पर उसकी फ़िक्र आप मत करो...उसे मैं संभाल लूगी...आप लोग बस आकाश का ख्याल रखो....
समर(रेणु को देख कर)- तुम संभाल लोगि...तुम...हुह...वैसे मैं जान सकता हूँ कि तुम उसे कैसे संभालने वाली हो...हाँ...
रेणु(वापिस अपनी जगह बैठ कर)- आपको इससे कोई मतलब नही होना चाहिए....मैं क्या करती हूँ...ये मेरा काम है...आप बस रिज़ल्ट के बारे मे सोचो....वैसे आप बता सकते है कि आप आकाश को कैसे हॅंडल करेंगे...हाँ...
रेणु की बातों मे एक तरह का ताना था...जैसे वो बोल रही हो कि तुम क्या कर लोगे.....इसलिए रेणु की बात सुनकर समर गुस्से दाँत पीसने लगा....पर मदन का इशारा पा कर चुप रहा और फीकी मुस्कुराहट के साथ बोला....
समर(रेणु को देख कर)- तुम आकाश की फ़िक्र मत करो...उसे मैं पहले ही गायब कर चुका हूँ...और उसकी जगह अपना आदमी बैठा चुका हूँ...
अबकी बार रेणु के साथ-साथ मदन भी चौंक पड़ा....दोनो को समर की बात समझ ही नही आई थी शायद....
मदन(हैरानी से)- तुम कहना क्या चाहते हो...आकाश की जगह कोई दूसरा....मतलब क्या है इसका....
समर- मतलब ये कि आकाश की जगह उसका बाहरूपिया उसके घर मे पहुँच चुका है ...और आकाश हमारी गिरफ़्त मे है....समझे ...
समर की बात सुन कर रेणु और मदन एक दूसरे को देखने लगे...दोनो के मुँह हैरानी से खुल गये थे...और आँखे भी बड़ी हो चली थी...
मदन(समर को देख कर)- तो आकाश के घर, आकाश की जगह नकली आकाश रह रहा है...और अंकित...उसे शक़ नही हुआ...
समर(मुस्कुरा कर)- नही हुआ....बिल्कुल नही...क्योकि हम ने अपने आदमी को आकाश की तरह की ट्रेंड कर के भेजा था...और फिर वो आदमी आकाश को अच्छे से जानता भी है ...तो कोई दिक्कत नही हुई...
रेणु(अभी भी हैरान थी)- वो आदमी है कौन....
समर- उसका भाई....योगेन्द्र...
रेणु(चौंक कर)- आकाश का भाई...पर वो तुम्हारा साथ क्यो देगा...हां..
समर(कामिनी मुस्कान के साथ)- प्यार का मारा है बेचारा....अपनी बीवी के कहने पर जान भी दे देगा...ये तो छोटी सी बात थी उसके लिए...
रेणु(आँखे छोटी कर के)- क्या...बीवी के लिए...पर उसकी बीवी तुम्हारा साथ क्यो देने लगी...
समर(मुस्कुरा कर)- क्योकि उसकी बीवी मेरी छोटी बेहन है ...इसलिए..अब समझी...
मदन- ओह्ह...तुमने तो बड़ी लंबी प्लॅनिंग कर ली...पर एक बात समझ नही आई...तुम्हारी दुश्मनी होते हुए भी आज़ाद ने अपने बेटे की शादी तुम्हारी बेहन से क्यो की...
समर(लंबी साँस ले कर)- की नही...हम ने उसे मजबूर किया ये शादी करने को...
रेणु(आँखे मटकाते हुए)- ह्म्म...ज़रा मैं भी तो सुनू कि तुमने आज़ाद जैसे शातिर इंसान को मजबूर कैसे कर दिया...क्योकि जहा तक मैने सुना था...आज़ाद को छलना बच्चों का खेल नही....(मदन की देख कर)- है ना डॅड...
मदन(सिर हिला कर)- ह्म्म...बच्चों का क्या...बड़े-बड़े भी उसके सामने पानी माग जाते थे....
समर(मदन को देख कर)- तुम मुझसे बेहतर जानते हो आज़ाद को...और तुम बिल्कुल सही भी हो...आज़ाद को फसाना आसान नही...और ना ही आकाश को...वो भी अपने बाप के ही जैसा है....पर आज़ाद का दूसरा बेटा आज़ाद के जैसा नही...बेवकूफ़ है साला...
और इतना बोलकर समर फिर से एक पेग बनाने लगा और रेणु अपने बाप के साथ समर के आगे बोलने का इंतज़ार करने लगे.....
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Re: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर तक रूम मे खामोसी छाइ रही और फिर उस खामोशी को पेग गटकने के बाद समर ने ही तोड़ा....
समर(मुस्कुरा कर)- क्या हुआ...आप लोग इतने सीरीयस क्यो हो गये....
रेणु- नही...ऐसा कुछ नही...हम सिर्फ़ आपके बोलने का वेट कर रहे थे...तो आप बता रहे थे आज़ाद के दूसरे बेटे के बारे मे....
समर- ह्म्म...योगेन्द्र....आज़ाद का बेवकूफ़ और लालची बेटा...हाहाहा....
समर ठहाके मार कर हँसने लगा और फिर से एक पेग तैयार कर लिया...
समर(सीप मार कर)- योगेन्द्र हमारे साथ है...
इतना बोलकर समर चुपचाप पेग पीने लगा...पर शायद रेणु को ये अच्छा नही लगा और वो लगभग चिल्ला कर बोली...
रेणु- साथ है तो समझ आ गया...पर हम जानना चाहते है कि क्यो...और कैसे....
समर- रिलॅक्स बेटा...बता रहा हूँ....ये पेग ख़त्म कर लू...
फिर समर इतमीनान से पेग के मज़े मारने लगा....और रेणु गुस्से से दाँत पीसती रही....थोड़ी देर बाद....
रेणु(गुस्से से)- अब हो गया हो तो बता भी दो...
समर(मदन को देख कर)- लड़की तो पूरी माँ पर गई है...है ना...
समर की बात सुनकर मदन ने एक फीकी मुस्कान दे दी...और रेणु का गुस्सा और भी बढ़ गया...
समर- ओके..ओके..रिलॅक्स...असल मे मेरी बेहन ने योगेंद्र को अपने जाल मे फसा कर शादी कर ली थी...और फिर उसके दिमाग़ मे उसके पिता और भाई के खिलाफ ज़हर भरने लगी...और वो बुद्धू भी प्यार मे पागल होकर मेरी बेहन मे हाथ की कठपुतली बन गया....बस...
रेणु(कुछ सोच कर)- पर सवाल ये है कि आज़ाद ने इस शादी का विरोध क्यो नही किया...ये जानते हुए कि वो दुश्मन की बेटी है...
समर(मुस्कुराते हुए)- क्योकि वो जानता ही नही कि मेरी बेहन किसकी बेटी है...उसकी नज़र मे मेरी बेहन अनाथ है...ये हमारे प्लान का पहला स्टेप था...सुजाता को अनाथ बना कर योगेन्द्र की लाइफ मे पहुँचना....न्ड इट्स वर्क्ड....
रेणु- हम्म....काफ़ी लंबी प्लॅनिंग की...
समर- ह्म्म..बदले की आग कभी जल्दबाज़ी मे नही बुझानी चाहिए....पूरी प्लॅनिंग के साथ ही बार करो...ताकि ग़लती होने का कोई चान्स ना बने....
रेणु(खड़ी हो कर)- ह्म्म...ये तो ठीक है...पर एक बात समझ नही आई...
समर(आँखे उँची कर के)- कौन सी बात ....
रेणु(चहल कदमी करते हुए)- आकाश को बदलने से फ़ायदा क्या हुआ....और इस सब से प्रॉपर्टी हमारे हाथ कैसे आयगी...क्या पता योगेन्द्र पलट जाए...वो लालची तो है ही....
समर(मुस्कुरा कर)- जानता हूँ...इसीलिए मैने अपनी बेहन सुजाता को भी उसी घर मे भेज दिया....
रेणु(चौंक कर)- क्या...आपकी बेहन अंकित के घर मे है...
समर- हाँ...वो वहाँ रह कर योगेन्द्र पर नज़र रखेगी और साथ मे अंकित को भी शीशे मे उतार लेगी...
रेणु(मुस्कुरा कर)- अंकित को शीशे मे उतार पायगी ये तो पता नही...पर ये पक्का जानती हूँ कि वो अंकित के लिए अपने कपड़े ज़रूर उतार देगी...हहहे...
समर(गुस्से से खड़ा हो कर)- क्या बकवास कर रही हो...
मदन(खड़ा हो कर)- समर...आराम से...
रेणु(हँस कर)- गरम होने की कोई ज़रूरत नही...अंकित क्या चीज़ है ये मैं अच्छे से जानती हूँ...और हाँ...ये तो आप भी जानते होंगे कि अंकित के सामने कोई औरत ज़्यादा देर नही टिक पाती...वो उसके नीचे आ ही जाती है...बसरते अंकित ट्राइ करे बस...और 1 बार आई ना..तो बार-बार आती है...जानते हो ना...
रेणु बोलते-बोलते समर के पास पहुँच गई और उसकी आँखो मे देख कर मुस्कुराने लगी....
समर ये सब सुन कर चुप रहा....बस रेणु को गुस्से से देखता रहा....
रेणु- गुस्सा दिखाने से कोई फ़ायदा नही...कुछ करना ही है तो अपनी बेहन को समझा दो कि अंकित से दूर रहे...कही ऐसा ना हो कि सुजाता उसके साथ सो कर उसी की हो जाए...
समर(दाँत कटकाटते हुए)- ऐसा कभी नही होगा...कभी नही...
मदन(मौके की नज़ाकत देख कर)- समर..रेणु...रिलॅक्स...मुझे लगता है कि अब इस बात को आगे बढ़ाना ठीक नही...समर तुम सुजाता को समझा देना..और रेणु...तुम अब जा कर सो जाओ...रात बहुत हो गई है...
रेणु(समर को देखते हुए)- जी डॅड..गुड नाइट...
और रेणु पैर पटकते हुए अंदर निकल गई और समर गुस्से से मदन को देखने लगा....
समर(मुस्कुरा कर)- क्या हुआ...आप लोग इतने सीरीयस क्यो हो गये....
रेणु- नही...ऐसा कुछ नही...हम सिर्फ़ आपके बोलने का वेट कर रहे थे...तो आप बता रहे थे आज़ाद के दूसरे बेटे के बारे मे....
समर- ह्म्म...योगेन्द्र....आज़ाद का बेवकूफ़ और लालची बेटा...हाहाहा....
समर ठहाके मार कर हँसने लगा और फिर से एक पेग तैयार कर लिया...
समर(सीप मार कर)- योगेन्द्र हमारे साथ है...
इतना बोलकर समर चुपचाप पेग पीने लगा...पर शायद रेणु को ये अच्छा नही लगा और वो लगभग चिल्ला कर बोली...
रेणु- साथ है तो समझ आ गया...पर हम जानना चाहते है कि क्यो...और कैसे....
समर- रिलॅक्स बेटा...बता रहा हूँ....ये पेग ख़त्म कर लू...
फिर समर इतमीनान से पेग के मज़े मारने लगा....और रेणु गुस्से से दाँत पीसती रही....थोड़ी देर बाद....
रेणु(गुस्से से)- अब हो गया हो तो बता भी दो...
समर(मदन को देख कर)- लड़की तो पूरी माँ पर गई है...है ना...
समर की बात सुनकर मदन ने एक फीकी मुस्कान दे दी...और रेणु का गुस्सा और भी बढ़ गया...
समर- ओके..ओके..रिलॅक्स...असल मे मेरी बेहन ने योगेंद्र को अपने जाल मे फसा कर शादी कर ली थी...और फिर उसके दिमाग़ मे उसके पिता और भाई के खिलाफ ज़हर भरने लगी...और वो बुद्धू भी प्यार मे पागल होकर मेरी बेहन मे हाथ की कठपुतली बन गया....बस...
रेणु(कुछ सोच कर)- पर सवाल ये है कि आज़ाद ने इस शादी का विरोध क्यो नही किया...ये जानते हुए कि वो दुश्मन की बेटी है...
समर(मुस्कुराते हुए)- क्योकि वो जानता ही नही कि मेरी बेहन किसकी बेटी है...उसकी नज़र मे मेरी बेहन अनाथ है...ये हमारे प्लान का पहला स्टेप था...सुजाता को अनाथ बना कर योगेन्द्र की लाइफ मे पहुँचना....न्ड इट्स वर्क्ड....
रेणु- हम्म....काफ़ी लंबी प्लॅनिंग की...
समर- ह्म्म..बदले की आग कभी जल्दबाज़ी मे नही बुझानी चाहिए....पूरी प्लॅनिंग के साथ ही बार करो...ताकि ग़लती होने का कोई चान्स ना बने....
रेणु(खड़ी हो कर)- ह्म्म...ये तो ठीक है...पर एक बात समझ नही आई...
समर(आँखे उँची कर के)- कौन सी बात ....
रेणु(चहल कदमी करते हुए)- आकाश को बदलने से फ़ायदा क्या हुआ....और इस सब से प्रॉपर्टी हमारे हाथ कैसे आयगी...क्या पता योगेन्द्र पलट जाए...वो लालची तो है ही....
समर(मुस्कुरा कर)- जानता हूँ...इसीलिए मैने अपनी बेहन सुजाता को भी उसी घर मे भेज दिया....
रेणु(चौंक कर)- क्या...आपकी बेहन अंकित के घर मे है...
समर- हाँ...वो वहाँ रह कर योगेन्द्र पर नज़र रखेगी और साथ मे अंकित को भी शीशे मे उतार लेगी...
रेणु(मुस्कुरा कर)- अंकित को शीशे मे उतार पायगी ये तो पता नही...पर ये पक्का जानती हूँ कि वो अंकित के लिए अपने कपड़े ज़रूर उतार देगी...हहहे...
समर(गुस्से से खड़ा हो कर)- क्या बकवास कर रही हो...
मदन(खड़ा हो कर)- समर...आराम से...
रेणु(हँस कर)- गरम होने की कोई ज़रूरत नही...अंकित क्या चीज़ है ये मैं अच्छे से जानती हूँ...और हाँ...ये तो आप भी जानते होंगे कि अंकित के सामने कोई औरत ज़्यादा देर नही टिक पाती...वो उसके नीचे आ ही जाती है...बसरते अंकित ट्राइ करे बस...और 1 बार आई ना..तो बार-बार आती है...जानते हो ना...
रेणु बोलते-बोलते समर के पास पहुँच गई और उसकी आँखो मे देख कर मुस्कुराने लगी....
समर ये सब सुन कर चुप रहा....बस रेणु को गुस्से से देखता रहा....
रेणु- गुस्सा दिखाने से कोई फ़ायदा नही...कुछ करना ही है तो अपनी बेहन को समझा दो कि अंकित से दूर रहे...कही ऐसा ना हो कि सुजाता उसके साथ सो कर उसी की हो जाए...
समर(दाँत कटकाटते हुए)- ऐसा कभी नही होगा...कभी नही...
मदन(मौके की नज़ाकत देख कर)- समर..रेणु...रिलॅक्स...मुझे लगता है कि अब इस बात को आगे बढ़ाना ठीक नही...समर तुम सुजाता को समझा देना..और रेणु...तुम अब जा कर सो जाओ...रात बहुत हो गई है...
रेणु(समर को देखते हुए)- जी डॅड..गुड नाइट...
और रेणु पैर पटकते हुए अंदर निकल गई और समर गुस्से से मदन को देखने लगा....
- shubhs
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