Raj sharma stories चूतो का मेला compleet

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »


मुझे डर भी बहुत लग रहा था पर क्या करता लंड के हाथो मजबूर था साँस लेने से उसकी चूचिया लगातार ऊपर निचे हो रही थी धीरे धीरे मैं उन्हें दबाने लगा सच कहूँ बहुत ही मजा आ रहा था वो नींद में बेसुध होकर सोयी हुई थी जिस बात का फायदा मैं उठा रहा था मैं थोडा सा और उसकी तरफ सरक गया उसके बदन की खुशबु मुझे मदहोश कर रही थी, कुछ देर बोबो को दबाने के बाद मैंने अपना हाथ साडी के ऊपर से ही उसकी चूत वाली जगह पर रख दिया और उसको सहलाने लगा तभी उसका बदन थोडा सा हिला तो मैंने अपना हाथ हटा लिया

उसने करवट बदली और मेरी तरफ पीठ करली कुछ देर का इंतज़ार करने के बाद मैंने फिर से अपनी कार्यवाही शुरू की और अपने लंड को बाहर निकल कर उसके चुत्तदो पर रगड़ने लगा मुझे बहुत मजा आ रहा था मन तो कर रहा था की बस चोद ही दूँ पर अपनी भी मजबूरियां थी तो ऐसे ही छेड़खानी करते हुए थोड़ी देर में मेरा पानी निकल गया जो उनकी साडी पर ही गिर गया सुबह मेरी आँख जब खुली जब बिमला ने मुझे चाय पिने की लिए जगाया चाय का कप लेते हुवे मैंने उसके हाथ को थोडा सा दबा दिया तो उसने शरारती मुस्कान से देखा मुझे और चली गयी,

मुझे भी लगने लगा था की बिमला भी मेरी तरफ थोडा थोडा सा झुक रही हैं जबकि मेरी बेकरारी बढती ही जा रही थी,आज शाम को हमे वापिस गाँव के लिए निकलना था तो पूरा दिन बस घर में ऐसे ही निकल गया छोटे मोटे कामो में तो हम लोग बस स्टैंड आये रात की बस थी हमारी सुबह तक ही पहुचना होता , तो पकड़ ली अपनी अपनी सीट दिन में तो धुप खिली पड़ी थी पर रात को पता नहीं तापमान कैसे गिर गया शायद कही पर बारिश हुयी होगी तो अचानक से ठण्ड सी बढ़ गयी

और ऊपर से चलती बस में हवा भी कुछ ज्यादा लग रही थी बिमला को थोड़ी प्रोब्लम थी इसलिए खिड़की बंद भी नहीं कर सकते थे पर उसने एक चादर निकाल ली और हम दोनों को धक् लिया बस अपनी रफ़्तार से चल रही थी ज्यादातर सवारिया लम्बे रूट की थी और फिर रात का सफ़र धीरे धीरे सब लोग सोने लगे बिमला की भी शयद झपकी लग गयी थी ,हरयाणा रोडवेज की बसों का तो आपको पता ही हैं, बार बार मेरी कोहनी बिमला के बोबो से रगड़ खा रही थी जिस से मैं फिर से शरारती होने लगा था
किस्मत भी कुछ होती हैं तब पता चला था मुझे उसने अपना सर मेरे काँधे पर रख दिया जिस से मैं आसानी से अपना हाथ उसकी चूची तक पंहुचा सकता था और बिना देर किये मैंने उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया उफ्फ्फ्फफ्फ्फ़ कितनी गरम और नरम थी वो मैंने अपनी पेंट की चेन खोली और लंड को बहार किया और बिमला का हाथ उस पर रख दिया उस पल मैंने जरा भी नहीं सोचा की अगर बिमला जाग गयी तो क्या होगा उसकी हाथो की गर्मी लंड पर पड़ते ही वो और भी कामुक होने लगा

बड़ी सावधानी से मैं उसके बोबो के साथ खेल रहा था की मुझे लगा की उसकी मुट्ठी लंड पर कस गयी हो जैसे उसने उसको दबाया हो क्या बिमला जाग रही थी और मेरी हरकतों का मजा ले रही थी वैसे भी कभी न कभी तो उसको बताना ही था की उसकी चूत चाहिए मुझे तो आज ही क्यों न , सोचा मैंने और उसके ब्लाउस के दो हुको को खोल कर अपना पूरा हाथ अन्दर सरका दिया और ब्रा की ऊपर से चूचियो को रगड़ने लगा इधर मेरा दवाब उसकी चूचियो पर बढ़ ता जा रहा था दूसरी और उसकी पकड़ मेरे लंड पर और फिर मेरे मजे का ठिकाना न रहा जब उसने मेरे लंड को हिलाना शुरू कर दिया ये उसकी तरफ से सिग्नल था
मैंने इधर उधर नजर दोडाई और देखा सब लोग सो रहे थे तो अब मैंने सीधा अपने होठ उसके लाल लिपिस्टिक लगे होतो पर रख दिए और उसको किस करने लगा दो मिनट में ही उसका मुह भी खुल गया और वो भी मेरा साथ देने लगी जुल्म की बात ये थी की हम बस में थे अगर घर पर होते तो चुदना पक्का था उसका पर खुशी ये थी की बस जल्दी ही वो मेरी बाँहों में होने वाली थी थोड़ी देर किस करने के बाद उसने अपना चेहरा अलग किया और धीमे से बोली चलो अब सो जाओ
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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

पर मैं कहा मानने वाला था मैंने फिर से उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया और दबा दिया वो धीरे धीरे फिर स उसको हिलाने लगी अब मैंने भी अपने हाथ को उसकी जांघो पर रखा और सहलाने लगा उसकी टाँगे अब खुलने लगी थी और बिना देर किये साड़ी को घुटनों तक उठा कर मैं उसकी कच्ची के ऊपर से ही चूत को मसलने लगा बिमला का खुद पर काबू रखना मुश्किल हो गया तो वो थोडा गुस्से से बोली पागल हो गए हो क्या बस में बेइज्जती करवानी हैं क्या चलो अब चुप चाप सो जाओ तो उसके बाद अपनी आँख सीधा अपने सहर ही खुली

सुबह के ५ बजे हम लोग अपने घर पहचे भाभी ने गेट खोला मैं तो सीधा पड़ते ही सो गया बस में वैसे भी परेशां होना था और क्या

फिर मेरी नींद सीधा दोपहर को ही खुली, अंगडाई लेते हुवे मैं बाहर आया तो देखा बिमला आँगन में अपने बाल सुखा रही थी उसने एक ढीली सी मैक्सी पहनी हुई थी, शायद थोड़ी देर पहले ही नाहा कर ई थी, उसने मेरी और देखा और कहा की उठ गए मैंने कहा हां बस अभी उठा बाल सुखाने को थोडा सा वो झुकी और उसके बोबे बहार को लटक आये अन्दर ब्रा नहीं डाली थी उसने अपना लंड तो पल भर में ही तन गया और मैंने उसी पल कुछ करने का सोचा
मैं बिमला के पास गया और उसको अपनी बाहों में भर लिया और उसको किस करने लगा बिमला बोली- क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे
मैं- नहीं भाभी अब नहीं अब आपको अपना बनाके ही रहूँगा अभी मुझे मत रोको
मैंने उसको अपनी बाहों में कस लिया और चूमने लगा ताजा पानी की सोंधी सोंधी सी खुशबू बिमला के बदन से आ रही थी मैं पागलो की तरह उसकी माथे, गालो और होटो को चूम रहा था धीरे धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी थी अब मैंने उसको अपनी गोदी में उठाया और अन्दर कमरे में ले आया और उस पर टूट पड़ा उसकी मैक्सी पल भर में ही उसके बदन से जुदा हो गयी थी ब्रा तो वैसे भी नहीं थी बड़ी सेक्सी लग रही थी बिमला उस टाइम पर इस से पहले की मैं कुछ कर पता बहार से किसी ने गेट खडकाया तो हम अलग हो गए उसने जल्दी से मैक्सी डाली और बाहर चली गयी

उसके बच्चे स्कूल से लोट आये थे, मैंने माथे पर हाथ पीटा और अपने घर पर आ गया , अब कल से मुझे भी पढाई फिर से शुरू करनी थी तो बस्ता सेट किया वैसे भी रात को बिमला के घर पर ही सोना था तो फिर रात अपनी ही थी, इसी उधेड़बुन में बाकि का टाइम कटा जैसे तैसे करके खाना वाना खाके बस जाने ही वाला था बिमला के घर पर की चाची मेरे कमरे में आई और बोली – एक काम कर आज तू खेत पर चला जा सोने को आवारा गाय बहुत घुमती हैं उधर कई दिनों से अपनी फसल का नुक्सान हो रहा हैं जरा देख ले उधर जाके ये सुनते ही मेरा दिमाग बहुत तेजी से ख़राब हो गया

घर में चाची का राज चलता था तो फिर क्या था अपनी साइकिल उठाई और चल दिया मन में हजार गालिया बकती हुए, इस घर में गुलामो सी ज़िन्दगी थी अपनी कोई कुछ समझता ही नहीं था खेत वैसे ज्यादा दूर नहीं था बस्ती से करीब कोस भर ही दूर था , मैंने वहा जाकर कुवे पर बना कमरा खोला और साइकिल अन्दर खड़ी की, चारपाई को बहार निकला और उस पर बैठ कर सोचने लगा सारे प्लान का तो बिस्तर गोल हो गया था अपने रेडियो को लगाया और सोच विचार करने लगा


करीब घंटे भर बाद मुझे कुछ आहट सुनाई दी तो मैं भी खड़ा हुआ और देखने लगा कही कोई पशु तो नहीं आ निकला पर खेत के परले तरफ मुझे कोई लालटेन लिए दिखा तो मैंने अपना लट्ठ संभाला और उस तरफ चल निकला तो पता चला की ये तो हमारे मोहल्ले की ही पिस्ता हैं, मेरा इस से कभी ज्यादा वास्ता नहीं पड़ा था क्योंकि उसकी छवि थोड़ी ठीक नहीं थी गाँव में उसके कांड की कई किस्से मशहूर थे और उनका घर भी बस्ती के परली तरफ था तो बस कभी राह में आते जाते देख लिया इस से ज्यादा कभी कुछ था नहीं

वैसे तो पिस्ता अपने खेत में खड़ी थी फिर भी मैंने उस से पूछ ही लिया की वो रात को इधर क्या कर रही हैं , उसने मुझे ऐसे देखा की जैसे मैं कोई विचित्र गृह का प्राणी होंवु , अपनी बड़ी बड़ी गोल आँखों को घुमाते हुए उसने कहा की अपने खेत में रखवाली कर रही हूँ और क्या ,

मैं- अरे वो तो ठीक हैं पर घर से और कोई नहीं आ सकता था क्या तुम रात में अकेली
पिस्ता- और कोण करेगा, भाई तो नोकरी पर रहता हैं साल में दो बार ही आता हैं , माँ सारा दिन घर का काम करके परेशां हो जाती हैं तो मैं ही कर लेती हूँ वैसे मैं आती नहीं पर वो क्या हैं न की सब्जियों में पानी देना था तो इसलिए आना ही पड़ा
मैं-पर आज तो लाइट आ ही नहीं रही
पिस्ता- आज का सारा तो था पर पता नहीं क्यों कट कर दी वैसे तुम सवाल बहुत पूछते हो पिछले जनम में वकील थे क्या
मैं- अरे नहीं, वो तो तुम्हे ऐसे देखा तो बस पूछ लिया अच्छा तो मैं चलता हूँ
पिस्ता- रुको मैं भी चलती हूँ तुम्हारे साथ,
मैं- पर क्यों रहो अपने खेत में
पिस्ता- अब लाइट तो हैं नहीं तो थोड़ी देर तुमसे ही बाते करके टाइमपास कर लुंगी,
मैंने सोचा ठीक ही हैं मेरा भी टाइम कट जायेगा तो वो मेरे साथ कुए पर आ गयी और मेरी खाट पर बैठ गयी मैं जमीं पर बैठ गया तो उसने कहा अरे तुम भी ऊपर ही बैठ जाओ
मैं- नहीं मैं ठीक ही हु उधर

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

अरे शरमाओ मत तुम्हारी अपनी खाट हैं, बोली वो
तो मैं भी उसके पास ही बैठ गया, रात दूर दूर तक खामोश थी रह रह कर कभी कभी कुछ देर के लिए हवा चल जाती थी आसमान में तारे खिले हुए थे उसने बातो का सिलसिला शुरू करते हुए कहा
“मैंने कभी सोचा नहीं था की तुमसे ऐसे खेत में मुलाकात होंगी ”
मैं- क्यों मैं खेत में नहीं आ सकता क्या
पिस्ता- आ क्यों नहीं सकते तुम्हारा खेत है जब मर्ज़ी आओ मैं कोण होती हु रोकने वाली वो तो बस ऐसे ही पूछ लिया वो क्या हैं न की तुम्हे पहले देखा नहीं कभी तो

मैं- हां वो दरअसल मैं घर से बहुत कम ही निकलता हूँ फुर्सत ही नहीं मिलती पढाई से और फिर क्रिकेट खेलने चला जाता हूँ शायद इसलिए ही
पिस्ता- तभी
मैं- तुम बताओ अपने बारे में
पिस्ता- मैं क्या बताऊ, गाँव में मेरे बारे में सुना तो होगा ही तुमने अक्सर लड़के मेरी ही चर्चा करते रहते हैं
मैं- तो वो बाते सच हैं क्या पर अगले ही पल मुझे अहसास हुआ की गलत बात करदी हैं मैंने तो मैंने कहा माफ़ करना मेरा वो मतलब नहीं था
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Jaunpur

Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by Jaunpur »

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Nice Start.
continue pl.

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Re: Raj sharma stories चूतो का मेला

Post by 007 »

Jaunpur wrote:.
Nice Start.
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shukriya dost
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